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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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Khas Dhanywad .. Mere sabhi pathkon Ke Liye .... Jis Hisab Se Aap Kahani Ko Responce De Rahe Hain .. Wah Atulniya Hai ... Ye Mujh Me Hamesa Kahani Likhne Ke Liye Urja Ka Sanchar Karti Hai ...

Main aap sabhi pathakgan ka koti koti dhanywad karta hain... aur un tamam pathkon ka abhinand hai jo is duwidha me atke hain ki shuru se comment nahi kiya ... ab shuru se karna hai... aap ka jab man kare tab apne vichar dijiye .. jis update par cahhen us update par de...

aap ke bhaw .. aap ke sawal aur kahani se aap ka juraw mujhe prerna deti hai aage likhne ki ...

ek baar fir aap sab ka dhanywad .. aur aise hi sath bane rahen .. hum milkar Bhawanr ko bhi paar kar lenge :)
 

nain11ster

Prime
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Update:-40 (A)




आज भी मै उसे उकसा ही रही थी। मामला ये नहीं की शारीरिक सुख भोग कर मै आंतरिक प्यार की उम्मीद रख रही हूं। या तो वो मेरे छलावे को समझ कर मुझे बाजारू ही समझ ले और एक थप्पड मार कर निकाल जाए। नहीं तो मुझसे कुछ सूख ही भोग ले, मेरे द्वारा किए गए उसके आत्मसम्मान के ठेस पहुंचने की एक छोटी सी कीमत… फिर मै आराम से कहीं दूर जा सकती हूं । फिर ना तो कोई सिकवा रहेगा और ना ही कोई मलाल।

कुंजल बड़े ही ध्यान से साची को सुन रही थी। वो उसके बात कि गहराई और उसके अंदर छिपी पिरा से जुड़ती चली जा रही थी। साची अपनी पूरी कहानी, अपनी सम्पूर्ण मनोदशा बयां करके खामोश किसी पुतले कि तरह बैठी हुई थी। कुंजल गहरी श्वास लेती उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर किसी दोस्त की तरह उसे सहारा दी…..

"हंसते चेहरे के पीछे कितना गम होता है ये तो अक्सर सुना ही था। लेकिन 2 इंसान जो साथ रहते अच्छे लगते हैं उनके बीच इतना कुछ अंदर ही अंदर चल रहा होगा ये तो सोच के काफी परे है।"

साची:- कोई बात नहीं। इसमें गलती अपस्यु की तो है ही नहीं। कसूरवार तो मै हूं उसने तो अपना रास्ता चुन लिया अब मुझे यहां से अपना रास्ता तय करना है।

कुंजल:- बस रे बाबा बस। आज से तुम्हारे साथ मै भी चल रही हूं। अब जरा चिल हो जाओ और हम चलते हैं शॉपिंग पर।

साची:- मना करूंगी तो मानोगी नहीं, इसलिए चलते हैं। बस एक मिनट।

साची वाशरूम गई वहां से मुंह धो कर बाहर आयी। चेहरे पर पहले जैसी चमक और मुस्कुराहट वापस अा चुकी थी और इसी दिखावे के साथ वह वापस अपने घर लौट आई। कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर शॉपिंग के लिए निकल गए।

अपस्यु सबको विदा करने के बाद अाकर मां के गोद में सुकून से लेटा था और नंदनी उसके बालों में हाथ फेर रही थी…. "सोनू इनकी दोनों बच्चियां कितनी प्यारी है ना।"..

अपस्यु:- साची और लावणी ना मां। दोनों समझदार और व्यवाहरिक भी है।

नंदनी:- ओह हो, कॉफी मुंह पर फेक दी तेरे, फिर भी व्यावाहरिक। अच्छा है बेटा तेरे अभी से लक्षण मुझे दिख रहे है।

अपस्यु:- हाहाहाहा… मां ये दाएं बाएं से क्यों घूम कर अा रही हो, दिल में क्या है वो सीधा पूछो ना।

नंदनी:- तुम्हारा सिर दर्द कभी नहीं करता क्या अपस्यु?

अपस्यु:- पहले करता था, जब से आप अाई है और आप का हाथ मेरे सिर पर लगा है अंदर के सारे दर्द अब सुकून और नींद में बदल गए हैं।

नंदनी:- मज़ाक मतकर। ये जो तू हर छोटी-छोटी चीज ऑब्जर्व करते रहता है ना, इसे घर और रिश्तों के मामलों में थोड़ा कम कर दें। अपनी जिम्मेदारियां घटा और अपने उम्र में रहकर जीना सीख।

अपस्यु:- हम्म ! ठीक है मां अब से ऐसा ही करूंगा।

नंदनी:- मैं भी तेरी मां हूं बेटा, मैं भी सब समझ रही हूं, तू ये बिल्कुल भी नहीं करेगा बस मेरा दिल बहला रहा है।

अपस्यु, उठ कर बैठते हुए…. "आप को कौन सी चिंता खाए जा रही है मां, आप खुलकर बोलो।"

नंदनी:- मैं बस इतना समझाना चाह रही हूं कि, हर कोई ना तो तेरी तरह सोचता है और ना ही तेरी तरह इतना परिपक्व (मैच्योर) होता है। खासकर तुमलोग की उम्र में तो बिल्कुल भी नहीं। बाकी तू बहुत समझदार है इस से ज्यादा मै नहीं कहूंगी।

अपस्यु:- ओके माय डियर मम्मा… अभी से ही मै इस बात का खास ख्याल रखूंगा। और कुछ..

नंदनी:- अभी के लिए तो कुछ नहीं क्योंकि मेरी बोलती तुमने बंद कर दी है, लेकिन बेटा मेरी नजर अब तुम पर ही है।

दिन में करीब 2 बज रहे थे। मां चिल्ड्रंस केयर जा चुकी थी, साची और कुंजल शॉपिंग के लिए निकल चुकी थी, भाई आरव लावणी के साथ लगे थे और अपस्यु दोनों भाई के लिए नया सूट तैयार कर रहा था। कुछ ही देर में आरव भी वहां पहुंच गया… "क्या कर रहा है खड़ूस"..

अपस्यु:- मीटिंग शाम 7 बजे.. सिन्हा जी के ऑफिस में।
आरव:- मुद्दा..
अपस्यु:- फ़िरदौस का केस लगता है, इशारों में बोल गए सिन्हा जी, तैयारी पूरी होनी चाहिए।

आरव:- डेंजर लेवल..
अपस्यु:- पता नहीं…

आरव:- मुश्किल घड़ी। बिना फोकस्ड टारगेट के ही हाईलाइट भी हो गए और खतरे का भी अंदाजा नहीं। क्या सोच रहे हो?
अपस्यु:- निजी दुश्मनी ही होगा अभी तो, लेकिन एक बात खटक रही है।
आरव :- क्या?
अपस्यु:- चल चलते हैं वहीं बात पता करने, जरा कुछ लोगों से मिल लिया जाए।

आरव:- फंकी पहनकर निकलते हैं, बिल्कुल कूल डूड की तरह….

अपस्यु:- देखा सच कहा था ना, साला ये जुड़वा होने के अपने ही खामियाजे हैं। फिर चुराई ना मेरी सोच।
आरव:- ईहाहाहा .. अपनी सोच फिर पहले बताने का था ना…

दोनों भाई मस्त अपनी सपोर्ट कार में सवार सीधा पहुंचे एक सरकारी हॉस्पिटल। … "अबे घोंचू ये वही हॉस्पिटल है जहां से तुझे भगाया था। साला वो डॉक्टर देखेगा ना तो हम दोनों को 4 जूते मारेगा।"

"अबे तुझे ये चिंता है जरा ये तो सोच वो मुझे खड़ा देखेगा तो कहीं हार्ट अटैक ना अा जाए।"
"हां ये भी है, लेकिन हम यहां क्यों आए है अपस्यु।"
" किसी सरकारी आदमी को मैंने गोली मारी थी, अब उसे छुट्टी और सरकार से मुआवजा चाहिए तो यहीं आया होगा ना"…

आरव:- ओए पागल क्या हुआ… किस सोच में डूब गया तू।
अपस्यु:- तू अकेला रो रहा था यहां, मेरे कानो में वो चीख अब भी गूंज रही है।

आरव:- छोड़ ना यार, क्या तू मुझे रोतलू साबित करने में लगा है। वैसे सुन लावणी को ये बात बताना नहीं।
अपस्यु:- ठीक है नहीं बताता.. चल जरा चल कर पता लगाते हैं, वो है कहां।

दोनों साथ साथ चल रहे थे, हॉस्पिटल की कहानी याद आते ही आरव भी उसी विषय को आगे बढ़ाता हुआ कहने कहा…. "यार उस वक़्त ना मै पूरी तरह से टूट गया था। तूने तो डरा हिं दिया था मुझे।"

अपस्यु:- पता नहीं मै इतना लापरवाह उस दिन कैसे हो गया। सॉरी मेरे भाई।
आरव:- मुझे पता है तुझे क्या हुआ था… रुक रुक ये वही वार्ड बॉय है इस से पता करते है। … "क्या हाल है हीरो" …

वार्ड बॉय:- अरे सर आप, क्या हुआ फिर यहां कोई एडमिट है।
आरव:- वो छोड़ मुझे एक मरीज की जानकारी चाहिए।

वार्ड बॉय:- मेरे दिमाग की फीडिंग के लिए चार्ज लगेगा फ्री सर्विस के लिए काउंटर पर जाइए।
अपस्यु, 500 का नोट निकलते हुए…. "हाथ में गोली लगा"…

वार्ड बॉय, अपस्यु को बीच में ही रोकते…. "थानेदार है। दूसरी मंजिल सी ब्लॉक रूम नंबर 4, सामने के सीढ़ी से बाएं…

दोनों भाई फिर साथ साथ ऊपर चलते… "अराव, तू कुछ कह रहा था।"
आरव:- मै तो बस कह रहा था तू जब मंत्री जी के घर से निकला तो साची के ख्यालों में डूबा था।

अपस्यु:- हम्मम !!

आरव:- वैसे जानता है तेरी हालत देख कर मै तो टूट ही गया था। मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। एक साची ही थी जिसके कंधे पर सर रख कर मै रोया। उस वक़्त मेरे लिए तो वहीं मां थी।

अपस्यु:- हम्मम !!
आरव:- एक बात जानता है..
अपस्यु:- क्या ?
आरव:- तू मेरा बाप और वो मेरी मां, तुम दोनों की जोड़ी ऊपरवाले ने ही बनाकर भेजी है।
अपस्यु:- हम्मम !!

आरव, अपस्यु के ओर मुड़ते हुए… "तुझे हुआ क्या है। ना तो साची का नाम सुनकर तेरी मुस्कान अाई और ना ही कोई प्रतिक्रिया। तुम दोनों का फिर झगड़ा हुआ क्या सुबह।

अपस्यु, वार्ड के अंदर घुसते ही… "कैसे हैं सर जी, पहचाने की नहीं। वैसे अंगूर खाते आप बहुत अच्छे दिख रहे है।"

थानेदार वहां मौजूद अपने बेटे को बाहर इंतजार करने के लिए कहा और उसके जाते ही वो मिन्नतें करता कहने लगा…. "मुझसे उम्र में बहुत छोटे होगे फिर भी कहो तो पाऊं परता हूं, प्लीज उस दिन की बात किसी को बताना मत।"

आरव:- मंगलवार की तो हेडलाइन थे आप सर, द सपरकॉप संजय शर्मा।

थानेदार का ध्यान आरव पर गया…. "ये तुम्हारा भाई है।"

अपस्यु:- देखा आरव इसे कहते है पुलिसवालों कि पारखी नजर। घबराए नहीं सर उस दिन क्या हुआ मुझे नहीं पता बस कुछ सवाल है, उसके जवाब ढूंढते आप के पास आया हूं।

थानेदार:- पूछो

अपस्यु:- उस दिन 5 लड़कों की और भी पिटाई हुई थी। जिनकी अजीब ही हालत हो गई थी।

थानेदार:- जानता हूं, उनमें से 2 लड़के जैश और रिकी भी था। उसकी ही बात तो नहीं कर रहे।

अपस्यु:- बिल्कुल उसी के विषय में बात कर रहा था।

थानेदार:- महेश राठी और पंकज राठी का बेटे जैश और रिकी। बड़े बाप कि बिगड़ी हुई औलादें। न्यूज़ बाहर नहीं अाई लेकिन मारने वाला भी कोई उनके है लेवल का था… एक मिनट वो जो 2 लोग और लिस्ट में है वो क्या यही दोनों थे?

अपस्यु:- बहुत खूब, बहुत ही इंटेलिजेंस ऑफिसर हो आप। वैसे छोटी मुंह बड़ी बात लेकिन इन पैसे वालों के औलादों को बिगाड़ने में पुलिसवालों का भी बहुत बड़ा हाथ होता है।

थानेदार:- क्यों ताने मार रहे हो तुम। जो सोहरत एक ईमानदारी के काम में है ना उसका मुकाबला ये घुस के पैसे कभी नहीं कर सकता, ये बात मुझे समझ में आ गई है। वैसे हम भी क्या करे, सपने तो लेकर हम सिंघम जैसे ही आते है लेकिन बहाली के वक़्त लिया गया घुस आधा सपना वहीं हमारे पिछवाड़े में घुसेड़ देता है और बचा खुचा हमारे साहब लोग। फिर तो ऐसे बेशर्म बन जाते हैं कि मुर्दे का भी मांस नोच खाएं। पर जहां अंधेरा है वहां उजाला भी है.. यदि हम जैसे करप्ट लोग है तो बहुत से ईमानदार भी है, तभी तो सिस्टम बलैंस है।

आरव:- चिल्लर नहीं है वरना इस ज्ञान के लिए अभी लुटा देता। हमारे भी काम का कुछ बताओगे।

थानेदार:- जिन्हे तुमने मारा वो दोनों कजिन है। दोनों के बाप सगे भाई है और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स है। यहीं एनसीआर में उनकी कई फैक्ट्री है और बाहर भी काम फैला है। पॉलिटिकल कनेक्शन अच्छे हैं और हर पार्टी को फंडिंग भी अच्छा करता है।

आरव:- और कुछ…

थानेदार:- और क्या, इन बड़े लोगों की उपरी डीटेल सबको पता होती है, अंदर की डिटेल शायद ही कोई बताए। उसके लिए जुगाड ढूंढना पड़ता है…

अपस्यु और आरव दोनों एक साथ … "हूं हूं.. और वो जुगाड क्या है सर"

3 घंटे की मेहनत के बाद दोनों भाइयों को मीटिंग का मैटर और खतरे का अंदाजा दोनों पता चल चुका था। जैसा कि दोनों ने पहले तय किया था, दोनों ठीक वैसे ही फंकी पहनकर पहुंचे। बिल्कुल स्टाइलिश और कूल।

शाम के 7 बजे दोनों भाई सिन्हा जी के ऑफिस के बाहर पहुंच चुके थे। एक बॉडी बिल्डर गनमैन उनके पास पहुंचा…. "इसकी बॉडी तो पक्का सलमान जैसी है"…. "इसका एटिट्यूड भी तो बॉडीगार्ड जैसा ही है।"… दोनों तंज कसते हुए हसने लगे। उस बॉडीगार्ड ने दोनों को एक बार घुरा और चेक करके अंदर भेज दिया।

दोनों स्टाफ एरिया से होते हुए कॉन्फ्रेंस हॉल पहुंचे। जैसे ही अंदर घुसे, धीमी रौशनी में सामने सिन्हा जी बैठे हुए थे। अपस्यु और अराव को देखकर वो लड़खड़ाते हुए खड़े हुए…. "आओ, मेरे पास तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था मै।"…

"आप ने आज फिर पूरा ड्रिंक किया है सर।" … अपस्यु उनके करीब जाते हुए पूछा।
"जब उसकी याद आती है तो कभी कभी खुद को संभालना मुश्किल हो जाता है।"…. सिन्हा जी दोनों भाई को गौर से देखते हुए बोले।

आरव:- मतलब हमे मीटिंग का झांसा दिया आपने।

सिन्हा:- मीटिंग की उनकी मां की चू… सी सी सी.. सॉरी… मीटिंग क्या होता है। मजाल है मेरे बच्चों पर कोई उंगली उठा ले।

अपस्यु:- मतलब आप मैटर पहले ही सल्टा चुके है। और आज दिन भर हम दोनों भाई बिना मतलब उसकी छान बीन में लगे रहे।

सिन्हा:- कभी कभी सरप्राइज भी जरूरी होता है। जब उन राठी ब्रदर्स को पता चला, मैंने तुम्हारा बेल करवाया है तो पहुंचे थे मेरे पास। साले बहुत उछल रहे थे दोनों भाई। दोनों को मैंने सीधा कह दिया, "वो दोनो मेरे बेटे है, मेरे बेटे। उसे हाथ लगाना मतलब मुझे हाथ लगाना"… सिन्हा जी बोलते बोलते लड़खड़ा गए.. अपस्यु ने संभाला…

"जनता है आज मेरा बेटा होता ना तो वो तेरे (अपस्यु) … ना तू नहीं.. इसके जैसा बिल्कुल होता।"… सिन्हा अपनी भावनाओं में बहते हुए कहने लगा…

अपस्यु:- सर क्यों पुराने जख्म कुरेद रहे है। चलो घर चलो… आरव ऐमी को कॉल लगाकर यहां बुलाओ…

"हाहाहा… याद है जब तू मुझे पहली बार मिला था… "मुकुराइए अंकल यहां आकर मायूस क्यों होते है।"… सिन्हा जी ने अपस्यु को बड़े ध्यान से देखते हुए बोला…

अपस्यु:- हां मुझे अच्छे से याद है। कुछ नहीं भुला हूं मै।

"मैं भी कुछ नहीं भूल पा रहा रे। इस देश का टॉप वकील अपने बेटे और पत्नी को इंसाफ नहीं दिला सका.. कुछ नहीं भुला मै। नहीं भुला की कैसे उस आश्रम को आग लगा दिया गया… 120 बच्चे जिंदा जला दिए गए… मेरी पत्नी जलकर मर गई… तुम्हारी मां जलकर मर गई… नन्हा सा था तो मेरा बेटा.. कितनी प्यारी मुस्कान थी… तोतली बोली उसके कानों में अब भी गूंजती है मेरे … सुन.. तू सुन ना।"… सिन्हा जी भावनाओ में बहते चले गए…
 

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"मैं भी कुछ नहीं भूल पा रहा रे। इस देश का टॉप वकील अपने बेटे और पत्नी को इंसाफ नहीं दिला सका.. कुछ नहीं भुला मै। नहीं भुला की कैसे उस आश्रम को आग लगा दिया गया… 120 बच्चे जिंदा जला दिए गए… मेरी पत्नी जलकर मर गई… तुम्हारी मां जलकर मर गई… नन्हा सा था तो मेरा बेटा.. कितनी प्यारी मुस्कान थी… तोतली बोली उसके कानों में अब भी गूंजती है मेरे … सुन.. तू सुन ना।"… सिन्हा जी भावनाओ में बहते चले गए…

अपस्यु:- आप यहां आराम से बैठ जाओ सर। एक पेग मुझे भी दो। यार खुद तो इमोशनल होते ही हो मुझे भी इमोशनल कर देते हो। आज मै भी कुछ नए और कुछ पुराने गम में पीना चाहता हूं।

सिन्हा:- तू मेरा सच्चा साथी है.. लेे पी…


अपस्यु, एक पेग पूरा पीते हुए… "कुछ ना हुआ मुझे और पिलाओ"… जबतक आरव लौट कर आया तब तक अपस्यु भी गले तक पी चुका था.. दोनों बहुत ही मशरूफ थे बात करने में।

सिन्हा:- अच्छा सुन सहायता करने का वक़्त अा गया है… मैंने जो मदद के बदले मदद कि बात की थी ना..

अपस्यु:- हां कहिए ना सर…

सिन्हा:- तेरे चिल्ड्रंस केयर गया था कुछ दिन पहले। मुझे ना वहां से एक को गोद लेना है… सुन सुन सुन .. प्लीज तू मुझे मना मत करना .. लेे तेरे पाऊं परता हूं…

अपस्यु:- बस, बस .. आप टल्ली हो गए हो, कल बात करते हैं।

सिन्हा:- ना, मै नहीं टल्ली हुआ हूं… तू कल से मिलेगा नहीं.. प्लीज देख हां कर दे।

अपस्यु:- मुझे सोचने दो इस बारे में..

सिन्हा:- बेवड़ा कहीं का, पूरी बॉटल गटक गया फिर भी सोचेगा मेरी बात पर।

"यूं समझिए अपना एक हिस्सा देने का वादा कर रहा हूं अभी… प्लीज मेरा भरोसा मत तोड़ना। .. कल अाकर वैभव को के जाइएगा।"…

सिन्हा:- आए शातिर … मतलब तुझे सब पता है हां..

अपस्यु:- वो बिना बाप के बच्चे नहीं है सर … जिम्मेदारी उठाई है तो ख्याल रखना पड़ता है वरना अनाथालय के नाम पर कई फोटो खिंचवाने वाले और बच्चे गोद लेकर पब्लिसिटी बटोरने वाले मिल जाते है।

सिन्हा जी खुशी से अपस्यु के गाल चूम रहे थे, इतने में कॉन्फ्रेंस हॉल में ऐमी भी पहुंच गई… "आज फिर दोनों टल्ली है।"

आरव:- छोड़ दो दोनों को.. कुछ देर आपस में गम बाटेंगे। कभी-कभी तो दोनों की भावनाएं जागती है।

ऐमी:- हां तो मैंने कब माना किया है। अब ये दोनों पूरा सहर घूमेंगे… एक मैटर फसाएगा तो दूसरा सलटाएगा।

आरव:- हाहाहा… पार्टी ड्रेस कहीं निकल रही थी क्या…

ऐमी:- हां यार दोस्तों के साथ पब जा रही थी।

आरव:- दोस्त या बॉयफ्रेंड..

ऐमी:- आरव एक बात बता, 15 मिनट तू गाली नहीं खाता तो तेरे पीछे कीड़े काटने लगते है क्या?

आरव:- बदतमीज लड़की..

ऐमी:- बेहूदा लड़का..

आरव:- मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है।

ऐमी:- बोलिए सर..

आरव:- ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही हो, सुन तो लो पहले…

ऐमी:- सुनना क्या है तू फिर बकवास करेगा…

आरव:- मै क्या बोल रहा था तू पब जा ही रही है.. इन्हे भी साथ लेती चली जा..

ऐमी, प्रतिक्रिया में चिल्लाती हुई कहने लगी…. "नो वे"

"ऐ दोनों चिल्ला क्यों रहे हो। पूरा मैटर बताओ।"…. सिन्हा जी दोनों को अपने पास बुलाते, जवाब तलब करने लगे….

ऐमी धीरे-धीरे आगे भी बढ़ रही थी और आरव से विनती भी करते जा रही थी…. "प्लीज नो.. मत बताना आरव"..

ऐमी:- कुछ नहीं डैड, मै तो बस एेवे ही…

अपस्यु:- बापू.. लगता है कहीं जा रही थी। तैयार होकर अाई है…

(आरव, ऐमी के कानों के पास धीरे से बोला… लेे बज गई तेरी बैंड)

सिन्हा जी:- मेरा राजा बेटा कहीं पार्टी करने जा रही है.. चल हम भी चलते है। थोड़ी देर खुली हवा में हमदोनों भी घूमेंगे…

अपस्यु:- बापू इसके शक्ल पर लिखा है ये हम दोनों को नहीं के जाने वाली।

सिन्हा जी और अपस्यु दोनों साथ में जोड़-जोड़ से हसने लगे और अपस्यु बोला… "ठीक है यूं गो.. हम दोनों यहां है… क्यों बापू"…. "हां रे अपस्यु सही कहा"… फिर से दोनों हसने लगे…

ऐमी गुस्से में दोनों को देखती हुई…. "आरव तूने मुझे कॉल लगा कर यहां क्यों बुलाया।"

आरव, अपस्यु के ओर इशारा करते हुए… "इसने मुझे कहा था कॉल लगने"..

ऐमी:- अब सर को तो मै कुछ कह भी नहीं सकती … वरना अभी कहने लगेंगे.. तुम्हे अपने पापा को घर ले जाने के लिए कॉल लगवाया था… क्यों सर यहीं बात है ना…

अपस्यु:- बापू ये बौत समझदार हो गई है, मै कह रहा हूं ये आप की तरह ही वकील बनेगी…

सिन्हा जी:- ना रे … मेरा बेटा मैजिशियन बनेगी …

ऐमी:- हद है.. डैड मैजिशियन नहीं म्यूजिशियन।

सिन्हा जी:- जाओ घूमो तुम लोग .. हम कहीं नहीं जा रहे .. यहीं है।

फिर से दोनों के जोड़-जोड़ से हंसने की आवाज़। … "भाई प्लीज़ मुझे इस सिचुएशन से निकाल दे, प्लीज।"… ऐमी आरव से विनती करती…

आरव:- कोई फायदा नहीं। या तो प्लान कैंसल करके घर चली जाओ या फिर जहां जा रही थी वहां चली जाओ। अब थोड़े ना कुछ हो सकता है।

ऐमी:- मैं ही बेवकूफ थी जो तुम्हारे बातों में अा गई। मुझे समझ जाना चाहिए था कि अपस्यु भी बैठक लगा ही चुका होगा। मेरी शाम खराब कर दी तुमने आरव।

आरव:- वाह, मतलब पिए ये दोनों बिल मेरे नाम पर फाड़ रही हो…

ऐमी:- हुंह ! तुमने ही भरोसा दिलाया था ना आज अपस्यु नहीं पायेगा.. आओ और अपने पापा को यहां से अभी लेे जाना। इससे ती अच्छा होता ड्राइवर और गार्ड के साथ ही चले आते।

आरव:- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

एमी:- हां ये भी सही है। चल चलते है।

आरव:- मैं नहीं जाता तेरे साथ। तेरी पार्टी है तू जान।

ऐमी, आरव का हाथ पकड़ कर खींचती हुई बाहर लेे जाते हुए… "मुझे फसा कर मज़े करेगा.. नोट पॉसिबल।"

आरव:- ना ना हाथ छोड़ मेरा, एक तो तेरा खरनाक ग्रुप ऊपर से दो खूंखार लोग और पीछे से पहुंचेंगे … मेरी चटनी हो जाएगी इनके बीच।

ऐमी:- तू ऐसे नहीं सुनेगा… गार्ड इस छछूंदर को उठा कर मेरे गाड़ी में डालो…

ऐमी पहले से अपनी कर स्टार्ट कर चुकी थी… 4 गार्ड ने मिलकर उसे कार में जाकर छोड़ आए और ऐमी वहां से सीधा पब निकल गई।

लगभग 15 मिनट बाद… "सुन छोटे चल जरा हमलोग भी घूम कर आए… हम भी थोड़ा पार्टी करेंगे। वो लोग क्या सोचते है मेरी उम्र हो गई है।"

अपस्यु:- क्या बात कर रहे हो, अभी तो आप पूरे जवान हो। चलो बापू हम भी पार्टी करे। उन्हें भी अपना जलवा दिखा ही देते हैं। वैसे भी यहां की दारू मुझे चढ़ी ना है.. चलो उधर ही चलकर मूड बनाएंगे।

दोनों लड़खड़ाते खड़े हुए… "सुन छोटे कीटी सु गए है दोनों।"… "बापू इतने बड़े वकील हो, फिर भी गलती। हमे देख कर जगह बदल दी होगी ऐमी ने, याद नहीं लास्ट टाइम क्या हुआ था"…

सिन्हा जी:- हां सही कहा, रुक जीपीएस चेक करने दे… सही कहा कार रेडिशन के पास खड़ी है। चल हम भी चलतें हैं।"..

अपस्यु और सिन्हा जी दोनों बाहर निकले उसके पीछे-पीछे सभी गार्ड और ड्राइवर भी बाहर आए।… "तुम लोग घर चले जाओ.. मैं छोटे के साथ जा रहा हूं।"… तभी उनमें से एक गार्ड… "लेकिन सर" बोला। सिन्हा जी उसे माना करते हुए अपस्यु के साथ निकल गए।

कुछ ही देर में पब के पास थे और जैसे ही पब के गेट पर पहुंचे वहां का बाउंसर दोनों को दरवाजे पर ही रोक लिया… "आप लोग अंदर नहीं जा सकते"

सिन्हा जी:- बैनचो मुझे मना कर रहा है।

अपस्यु:- बापू शांत बेचारा रूल फॉलो कर रहा है।

सिन्हा जी:- इनके रूल की मां का भो… शुस शूस शु्स.. नो अब्यूज..

तभी वो बाउंसर आगे आया और सिन्हा जी के कॉलर पकड़ने के लिए हाथ आगे ही बढ़ाया था कि अपस्यु उसके हाथ को पकड़कर… "आराम से खड़े हो जाओ पीछे। बापू के कॉलर को हाथ लगाना मतलब हमारी इज्जत पर हाथ डालना… 10000 की ड्यूटी के लिए लंबा फस जाओगे। जाओ अपने मैनेजर को बुला लाओ।"…

"अबे छोड़ इनके मैनेजर को .. बैनचो मालिक को ही इधर बुलाते है। चल बैठ छोटे यहीं पर"… दोनों वहीं सड़क के पर नीचे बैठ गए और नीचे बैठ कर सिन्हा जी ने पब के मालिक को फोन लगा दिया…

2 मिनट में ही वहां पर पब के मालिक की कार लग चुकी थी। सिन्हा जी के बुलाने पर वो खुद अा गए और वो बाउंसर पास खड़ा सिर झुकाए और हाथ जोड़े खड़ा था।

सिन्हा जी उस बाउंसर को एक थप्पड खींच कर मारते हुए …. "मैं तुझ से बड़ा हूं और बड़ों की इज्जत करना सीख। छोटे इसकी ड्यूटी मुझे पसंद आयी, लड़का मन लगा कर यहां काम कर रहा है… टिप देकर अंदर अा"…

अपस्यु उसे 10000 का टिप देते हुए… "तुमसे बहुत बड़े हैं यार थप्पड का फील मत करना… बापू को तुम पसंद आए। ये लो रखो"… अपस्यु उसे 10000 देकर अंदर चला आया।

अंदर आते ही वो सीधा पहुंचा सिन्हा जी के पास बार काउंटर पर… "और बापू ऑर्डर कर दिया"…. "हां छोटे तेरे लिए वो तेरी पसंदीदा कॉकटेल ऑर्डर कर दिया हूं। सुन छोटे वो साला लड़का कौन है जो ऐमी के साथ नाच रहा है।"…… दोस्त होगा बापू छोड़ो ना।"….… "ना ऐसे नहीं तू जा उसे एक थप्पड मार कर अा।"……. "आप को चढ़ गई है बापू, वो अपने दोस्तों के साथ आया है यार … बेचारे को बेइज्जती फील होगी"…. "तूने उसे थप्पड नहीं मारा मुझे फील हुआ और ये बैनचो गाना कौन सा बज रहा है। जा ये गाना बदलवा कर अा।"

इधर आरव जो ऐमी की फ्रेंड के साथ नाच रहा था… "जे छोड़ा मुझे छोड़ कर यहां नाच रहा है, इसे तो मै अभी बताता हूं।" अपस्यु, आरव की कुछ फोटो चुपके से खींचने लगा, और साथ ही साथ लावणी के मोबाइल पर भी ट्रांसफर करता जा रहा था"…. तभी उसे कुछ ऐसा दिखा जो नहीं दिखना चाहिए था। उसने एक बार सिन्हा जी के ओर देखा… वो सामने बार काउंटर पर ऑर्डर से रहे थे….

"सुनो बापू, तुम्हे थप्पड देखना था ना।"…. "हां छोटे अभी देखनी है मुझे।"…… अभी दिखता हूं।"…... "ये हुई ना बात, अच्छा छोटे एक्शन से पहले जरा वो गाना बाजवा देना।….. "कौन सा गाना बापू"… "अरे वही जो कुछ दिन पहले तक ट्रेंड कर रहा था… तमंचे पे डिस्को"

अपस्यु ने एक बौंसर को पकड़ कर कुछ पैसे दिए और म्यूजिक बदलने के लिए बोल दिया। ऐमी के पास आकर उसका हाथ पकड़ा और उसे किनारे करते हुए, उसके जो सामने लड़का खड़ा था उसके सामने अपस्यु खड़ा हो गया। अपस्यु के हाव भाव देख कर वो समझ चुकी थी अब क्या होने वाला है…

ऐमी:- अपस्यु नहीं प्लीज, इग्नोर करो… वो नशे में है।

अपस्यु उसे आंख दिखाते…. "तुम नशे में तो नहीं थी ना ऐमी। कितनी बार तुम्हे एक ही बात समझता रहूंगा मै।

ऐमी:- अपस्यु प्लीज जाने भी दो।

अपस्यु:- जस्ट कीप क्वाइट ।

वो लड़का अब भी सर को घुमा-घुमा कर मदहोशी में नाच रहा था। अपस्यु अपनी बात कहकर वहीं सामने खड़ा रहा और उस लड़के को देख रहा था… वो लड़का , एक हाथ अपस्यु के कमर में डाला और दूसरा हाथ सीने के बाएं भाग में । अपस्यु फिर एक बार ऐमी को घुरा … जबतक वो लड़का बोलने लगा… "कुछ फील ना हो रहा बेबी।"

अपस्यु का गुस्से में खींच कर मारा गया एक तमाचा और उसके सिर को पकड़कर अपने घुटने पर दे मारा… उसके नाक से खून निकलने लगा। ये नजारा देखकर सिन्हा जी ग्लास टोस्ट करते हुए चिल्लाकर शाबाश कहे….

फिर तो जो ड्रामा वहां का शुरू हुआ, अपस्यु के सामने उसके 3-4 दोस्त आए और सभी को वो मारता चला गया। ग्लास कांच और अन्य सामान टूट रहे थे और सिन्हा जी ग्लास बढ़ा-बढ़ा कर एन्जॉय कर रहे थे। आरव किसी तरह अपस्यु को के जाकर बार काउंटर पर बिठाया। इधर बाउंसर ने जगह को जल्दी से साफ किया और उन मार खाए लड़कों को वहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अपस्यु फिर से बार काउंटर पर बैठ कर अपनी पसंदीदा कॉकटेल के पेग पर पेग चढ़ाए जा रहा था। 10 पेग वो चढ़ा चुका था और एक पेग सामने रखी थी….

सुबह-सुबह का वक़्त…. अपस्यु सिर पर अपना हाथ रखे उठ कर बैठा। "ओह बहुत ज्यादा हो गई रात को।"…. "इसे पी लीजिए थोड़ा आराम मिलेगा"… अपस्यु थैंक्स बोलकर ग्लास हाथ में ले लिया। केवल और केवल नींबू निचोड़ा हुआ जूस था वो। एक सिप में ही दिमाग फ्रेश हो गया। डकार आने शुरू हो गए। साथ ने आंख भी थोड़ी खुली… हैरानी से चारो ओर वो देखने लगा और कुछ ही दूर बिस्तर के आगे केवल टॉवेल में साची खड़ी थी और नीचे बिस्तर पर उसके कपड़े फैले पड़े थे…..
 
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Naina

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areee .. aap ne pichle comment me pyar na karo ki salah de dali aur isme sansar basa lo ... apne sath sath mujhe b confuse kar diye .. maine to break up bhi shuru karwa diya hai :dazed:
Woh kamdev ji ko Bhram mein rakhne ke liye.. ;)
 

Naina

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ohk inispired by naina ji post .. sabko kinare lagate hain .. sabka break up karwate hain.. naina ji wo break up wala song ready rakhiye :D
Dil apna aur preet parai :D
 

Naina

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:D pyar ke dushman halla bol sorry unke khilaf halla bol :D



ise padhne ke baad love istory likhne par se bhadsosa uth gaya .. next istory ... khun kharaba aur kewal khub kharaba hi likhunga ..



:hehe:
रक्तरंजित....
Btw ishq, risk jald se jald suru ki jaye... :approve:
 

aka3829

Prime
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Bahut hi awal darje ka update diya he bhai. Jaha pehle bhag me aapne ek ma bete ke emotions dikhaye wahi sinha ji ki life ke bhi wo gumgeen lamhe humare samne le aaye jise sun kar humari bhi aankhe dab daba gayi. Wahi dusare bhag me aapne emi apasyu sinha sahab aur arav ke beech baat cheet se thodi si comedy lane ki safal koshish ki. Lekin pub me bahar aur fir ander jo hua wo bahut mast tha. Aur last me aapne ye kya kaand karwane ka socha he. Apasyu pee kar talli tha aur subah sachi use nimbu pani deti he wo bhi towel me jabki usake kapde idhar udhar faile hue the.

Waiting 4 next update
 

Naina

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mujhe bhi kuch kuch shaq ho raha hai .. waise id to crazy boy ki hi hogi .. istamal nanina ji kar rahi ho wo na pata :D
rgcrazyboy dekh lijiye ... inki sazishe... aur aap hai ki hum pe arop lagate hai :D
 
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