Update:-40 (A)
आज भी मै उसे उकसा ही रही थी। मामला ये नहीं की शारीरिक सुख भोग कर मै आंतरिक प्यार की उम्मीद रख रही हूं। या तो वो मेरे छलावे को समझ कर मुझे बाजारू ही समझ ले और एक थप्पड मार कर निकाल जाए। नहीं तो मुझसे कुछ सूख ही भोग ले, मेरे द्वारा किए गए उसके आत्मसम्मान के ठेस पहुंचने की एक छोटी सी कीमत… फिर मै आराम से कहीं दूर जा सकती हूं । फिर ना तो कोई सिकवा रहेगा और ना ही कोई मलाल।
कुंजल बड़े ही ध्यान से साची को सुन रही थी। वो उसके बात कि गहराई और उसके अंदर छिपी पिरा से जुड़ती चली जा रही थी। साची अपनी पूरी कहानी, अपनी सम्पूर्ण मनोदशा बयां करके खामोश किसी पुतले कि तरह बैठी हुई थी। कुंजल गहरी श्वास लेती उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर किसी दोस्त की तरह उसे सहारा दी…..
"हंसते चेहरे के पीछे कितना गम होता है ये तो अक्सर सुना ही था। लेकिन 2 इंसान जो साथ रहते अच्छे लगते हैं उनके बीच इतना कुछ अंदर ही अंदर चल रहा होगा ये तो सोच के काफी परे है।"
साची:- कोई बात नहीं। इसमें गलती अपस्यु की तो है ही नहीं। कसूरवार तो मै हूं उसने तो अपना रास्ता चुन लिया अब मुझे यहां से अपना रास्ता तय करना है।
कुंजल:- बस रे बाबा बस। आज से तुम्हारे साथ मै भी चल रही हूं। अब जरा चिल हो जाओ और हम चलते हैं शॉपिंग पर।
साची:- मना करूंगी तो मानोगी नहीं, इसलिए चलते हैं। बस एक मिनट।
साची वाशरूम गई वहां से मुंह धो कर बाहर आयी। चेहरे पर पहले जैसी चमक और मुस्कुराहट वापस अा चुकी थी और इसी दिखावे के साथ वह वापस अपने घर लौट आई। कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर शॉपिंग के लिए निकल गए।
अपस्यु सबको विदा करने के बाद अाकर मां के गोद में सुकून से लेटा था और नंदनी उसके बालों में हाथ फेर रही थी…. "सोनू इनकी दोनों बच्चियां कितनी प्यारी है ना।"..
अपस्यु:- साची और लावणी ना मां। दोनों समझदार और व्यवाहरिक भी है।
नंदनी:- ओह हो, कॉफी मुंह पर फेक दी तेरे, फिर भी व्यावाहरिक। अच्छा है बेटा तेरे अभी से लक्षण मुझे दिख रहे है।
अपस्यु:- हाहाहाहा… मां ये दाएं बाएं से क्यों घूम कर अा रही हो, दिल में क्या है वो सीधा पूछो ना।
नंदनी:- तुम्हारा सिर दर्द कभी नहीं करता क्या अपस्यु?
अपस्यु:- पहले करता था, जब से आप अाई है और आप का हाथ मेरे सिर पर लगा है अंदर के सारे दर्द अब सुकून और नींद में बदल गए हैं।
नंदनी:- मज़ाक मतकर। ये जो तू हर छोटी-छोटी चीज ऑब्जर्व करते रहता है ना, इसे घर और रिश्तों के मामलों में थोड़ा कम कर दें। अपनी जिम्मेदारियां घटा और अपने उम्र में रहकर जीना सीख।
अपस्यु:- हम्म ! ठीक है मां अब से ऐसा ही करूंगा।
नंदनी:- मैं भी तेरी मां हूं बेटा, मैं भी सब समझ रही हूं, तू ये बिल्कुल भी नहीं करेगा बस मेरा दिल बहला रहा है।
अपस्यु, उठ कर बैठते हुए…. "आप को कौन सी चिंता खाए जा रही है मां, आप खुलकर बोलो।"
नंदनी:- मैं बस इतना समझाना चाह रही हूं कि, हर कोई ना तो तेरी तरह सोचता है और ना ही तेरी तरह इतना परिपक्व (मैच्योर) होता है। खासकर तुमलोग की उम्र में तो बिल्कुल भी नहीं। बाकी तू बहुत समझदार है इस से ज्यादा मै नहीं कहूंगी।
अपस्यु:- ओके माय डियर मम्मा… अभी से ही मै इस बात का खास ख्याल रखूंगा। और कुछ..
नंदनी:- अभी के लिए तो कुछ नहीं क्योंकि मेरी बोलती तुमने बंद कर दी है, लेकिन बेटा मेरी नजर अब तुम पर ही है।
दिन में करीब 2 बज रहे थे। मां चिल्ड्रंस केयर जा चुकी थी, साची और कुंजल शॉपिंग के लिए निकल चुकी थी, भाई आरव लावणी के साथ लगे थे और अपस्यु दोनों भाई के लिए नया सूट तैयार कर रहा था। कुछ ही देर में आरव भी वहां पहुंच गया… "क्या कर रहा है खड़ूस"..
अपस्यु:- मीटिंग शाम 7 बजे.. सिन्हा जी के ऑफिस में।
आरव:- मुद्दा..
अपस्यु:- फ़िरदौस का केस लगता है, इशारों में बोल गए सिन्हा जी, तैयारी पूरी होनी चाहिए।
आरव:- डेंजर लेवल..
अपस्यु:- पता नहीं…
आरव:- मुश्किल घड़ी। बिना फोकस्ड टारगेट के ही हाईलाइट भी हो गए और खतरे का भी अंदाजा नहीं। क्या सोच रहे हो?
अपस्यु:- निजी दुश्मनी ही होगा अभी तो, लेकिन एक बात खटक रही है।
आरव :- क्या?
अपस्यु:- चल चलते हैं वहीं बात पता करने, जरा कुछ लोगों से मिल लिया जाए।
आरव:- फंकी पहनकर निकलते हैं, बिल्कुल कूल डूड की तरह….
अपस्यु:- देखा सच कहा था ना, साला ये जुड़वा होने के अपने ही खामियाजे हैं। फिर चुराई ना मेरी सोच।
आरव:- ईहाहाहा .. अपनी सोच फिर पहले बताने का था ना…
दोनों भाई मस्त अपनी सपोर्ट कार में सवार सीधा पहुंचे एक सरकारी हॉस्पिटल। … "अबे घोंचू ये वही हॉस्पिटल है जहां से तुझे भगाया था। साला वो डॉक्टर देखेगा ना तो हम दोनों को 4 जूते मारेगा।"
"अबे तुझे ये चिंता है जरा ये तो सोच वो मुझे खड़ा देखेगा तो कहीं हार्ट अटैक ना अा जाए।"
"हां ये भी है, लेकिन हम यहां क्यों आए है अपस्यु।"
" किसी सरकारी आदमी को मैंने गोली मारी थी, अब उसे छुट्टी और सरकार से मुआवजा चाहिए तो यहीं आया होगा ना"…
आरव:- ओए पागल क्या हुआ… किस सोच में डूब गया तू।
अपस्यु:- तू अकेला रो रहा था यहां, मेरे कानो में वो चीख अब भी गूंज रही है।
आरव:- छोड़ ना यार, क्या तू मुझे रोतलू साबित करने में लगा है। वैसे सुन लावणी को ये बात बताना नहीं।
अपस्यु:- ठीक है नहीं बताता.. चल जरा चल कर पता लगाते हैं, वो है कहां।
दोनों साथ साथ चल रहे थे, हॉस्पिटल की कहानी याद आते ही आरव भी उसी विषय को आगे बढ़ाता हुआ कहने कहा…. "यार उस वक़्त ना मै पूरी तरह से टूट गया था। तूने तो डरा हिं दिया था मुझे।"
अपस्यु:- पता नहीं मै इतना लापरवाह उस दिन कैसे हो गया। सॉरी मेरे भाई।
आरव:- मुझे पता है तुझे क्या हुआ था… रुक रुक ये वही वार्ड बॉय है इस से पता करते है। … "क्या हाल है हीरो" …
वार्ड बॉय:- अरे सर आप, क्या हुआ फिर यहां कोई एडमिट है।
आरव:- वो छोड़ मुझे एक मरीज की जानकारी चाहिए।
वार्ड बॉय:- मेरे दिमाग की फीडिंग के लिए चार्ज लगेगा फ्री सर्विस के लिए काउंटर पर जाइए।
अपस्यु, 500 का नोट निकलते हुए…. "हाथ में गोली लगा"…
वार्ड बॉय, अपस्यु को बीच में ही रोकते…. "थानेदार है। दूसरी मंजिल सी ब्लॉक रूम नंबर 4, सामने के सीढ़ी से बाएं…
दोनों भाई फिर साथ साथ ऊपर चलते… "अराव, तू कुछ कह रहा था।"
आरव:- मै तो बस कह रहा था तू जब मंत्री जी के घर से निकला तो साची के ख्यालों में डूबा था।
अपस्यु:- हम्मम !!
आरव:- वैसे जानता है तेरी हालत देख कर मै तो टूट ही गया था। मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। एक साची ही थी जिसके कंधे पर सर रख कर मै रोया। उस वक़्त मेरे लिए तो वहीं मां थी।
अपस्यु:- हम्मम !!
आरव:- एक बात जानता है..
अपस्यु:- क्या ?
आरव:- तू मेरा बाप और वो मेरी मां, तुम दोनों की जोड़ी ऊपरवाले ने ही बनाकर भेजी है।
अपस्यु:- हम्मम !!
आरव, अपस्यु के ओर मुड़ते हुए… "तुझे हुआ क्या है। ना तो साची का नाम सुनकर तेरी मुस्कान अाई और ना ही कोई प्रतिक्रिया। तुम दोनों का फिर झगड़ा हुआ क्या सुबह।
अपस्यु, वार्ड के अंदर घुसते ही… "कैसे हैं सर जी, पहचाने की नहीं। वैसे अंगूर खाते आप बहुत अच्छे दिख रहे है।"
थानेदार वहां मौजूद अपने बेटे को बाहर इंतजार करने के लिए कहा और उसके जाते ही वो मिन्नतें करता कहने लगा…. "मुझसे उम्र में बहुत छोटे होगे फिर भी कहो तो पाऊं परता हूं, प्लीज उस दिन की बात किसी को बताना मत।"
आरव:- मंगलवार की तो हेडलाइन थे आप सर, द सपरकॉप संजय शर्मा।
थानेदार का ध्यान आरव पर गया…. "ये तुम्हारा भाई है।"
अपस्यु:- देखा आरव इसे कहते है पुलिसवालों कि पारखी नजर। घबराए नहीं सर उस दिन क्या हुआ मुझे नहीं पता बस कुछ सवाल है, उसके जवाब ढूंढते आप के पास आया हूं।
थानेदार:- पूछो
अपस्यु:- उस दिन 5 लड़कों की और भी पिटाई हुई थी। जिनकी अजीब ही हालत हो गई थी।
थानेदार:- जानता हूं, उनमें से 2 लड़के जैश और रिकी भी था। उसकी ही बात तो नहीं कर रहे।
अपस्यु:- बिल्कुल उसी के विषय में बात कर रहा था।
थानेदार:- महेश राठी और पंकज राठी का बेटे जैश और रिकी। बड़े बाप कि बिगड़ी हुई औलादें। न्यूज़ बाहर नहीं अाई लेकिन मारने वाला भी कोई उनके है लेवल का था… एक मिनट वो जो 2 लोग और लिस्ट में है वो क्या यही दोनों थे?
अपस्यु:- बहुत खूब, बहुत ही इंटेलिजेंस ऑफिसर हो आप। वैसे छोटी मुंह बड़ी बात लेकिन इन पैसे वालों के औलादों को बिगाड़ने में पुलिसवालों का भी बहुत बड़ा हाथ होता है।
थानेदार:- क्यों ताने मार रहे हो तुम। जो सोहरत एक ईमानदारी के काम में है ना उसका मुकाबला ये घुस के पैसे कभी नहीं कर सकता, ये बात मुझे समझ में आ गई है। वैसे हम भी क्या करे, सपने तो लेकर हम सिंघम जैसे ही आते है लेकिन बहाली के वक़्त लिया गया घुस आधा सपना वहीं हमारे पिछवाड़े में घुसेड़ देता है और बचा खुचा हमारे साहब लोग। फिर तो ऐसे बेशर्म बन जाते हैं कि मुर्दे का भी मांस नोच खाएं। पर जहां अंधेरा है वहां उजाला भी है.. यदि हम जैसे करप्ट लोग है तो बहुत से ईमानदार भी है, तभी तो सिस्टम बलैंस है।
आरव:- चिल्लर नहीं है वरना इस ज्ञान के लिए अभी लुटा देता। हमारे भी काम का कुछ बताओगे।
थानेदार:- जिन्हे तुमने मारा वो दोनों कजिन है। दोनों के बाप सगे भाई है और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स है। यहीं एनसीआर में उनकी कई फैक्ट्री है और बाहर भी काम फैला है। पॉलिटिकल कनेक्शन अच्छे हैं और हर पार्टी को फंडिंग भी अच्छा करता है।
आरव:- और कुछ…
थानेदार:- और क्या, इन बड़े लोगों की उपरी डीटेल सबको पता होती है, अंदर की डिटेल शायद ही कोई बताए। उसके लिए जुगाड ढूंढना पड़ता है…
अपस्यु और आरव दोनों एक साथ … "हूं हूं.. और वो जुगाड क्या है सर"
3 घंटे की मेहनत के बाद दोनों भाइयों को मीटिंग का मैटर और खतरे का अंदाजा दोनों पता चल चुका था। जैसा कि दोनों ने पहले तय किया था, दोनों ठीक वैसे ही फंकी पहनकर पहुंचे। बिल्कुल स्टाइलिश और कूल।
शाम के 7 बजे दोनों भाई सिन्हा जी के ऑफिस के बाहर पहुंच चुके थे। एक बॉडी बिल्डर गनमैन उनके पास पहुंचा…. "इसकी बॉडी तो पक्का सलमान जैसी है"…. "इसका एटिट्यूड भी तो बॉडीगार्ड जैसा ही है।"… दोनों तंज कसते हुए हसने लगे। उस बॉडीगार्ड ने दोनों को एक बार घुरा और चेक करके अंदर भेज दिया।
दोनों स्टाफ एरिया से होते हुए कॉन्फ्रेंस हॉल पहुंचे। जैसे ही अंदर घुसे, धीमी रौशनी में सामने सिन्हा जी बैठे हुए थे। अपस्यु और अराव को देखकर वो लड़खड़ाते हुए खड़े हुए…. "आओ, मेरे पास तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था मै।"…
"आप ने आज फिर पूरा ड्रिंक किया है सर।" … अपस्यु उनके करीब जाते हुए पूछा।
"जब उसकी याद आती है तो कभी कभी खुद को संभालना मुश्किल हो जाता है।"…. सिन्हा जी दोनों भाई को गौर से देखते हुए बोले।
आरव:- मतलब हमे मीटिंग का झांसा दिया आपने।
सिन्हा:- मीटिंग की उनकी मां की चू… सी सी सी.. सॉरी… मीटिंग क्या होता है। मजाल है मेरे बच्चों पर कोई उंगली उठा ले।
अपस्यु:- मतलब आप मैटर पहले ही सल्टा चुके है। और आज दिन भर हम दोनों भाई बिना मतलब उसकी छान बीन में लगे रहे।
सिन्हा:- कभी कभी सरप्राइज भी जरूरी होता है। जब उन राठी ब्रदर्स को पता चला, मैंने तुम्हारा बेल करवाया है तो पहुंचे थे मेरे पास। साले बहुत उछल रहे थे दोनों भाई। दोनों को मैंने सीधा कह दिया, "वो दोनो मेरे बेटे है, मेरे बेटे। उसे हाथ लगाना मतलब मुझे हाथ लगाना"… सिन्हा जी बोलते बोलते लड़खड़ा गए.. अपस्यु ने संभाला…
"जनता है आज मेरा बेटा होता ना तो वो तेरे (अपस्यु) … ना तू नहीं.. इसके जैसा बिल्कुल होता।"… सिन्हा अपनी भावनाओं में बहते हुए कहने लगा…
अपस्यु:- सर क्यों पुराने जख्म कुरेद रहे है। चलो घर चलो… आरव ऐमी को कॉल लगाकर यहां बुलाओ…
"हाहाहा… याद है जब तू मुझे पहली बार मिला था… "मुकुराइए अंकल यहां आकर मायूस क्यों होते है।"… सिन्हा जी ने अपस्यु को बड़े ध्यान से देखते हुए बोला…
अपस्यु:- हां मुझे अच्छे से याद है। कुछ नहीं भुला हूं मै।
"मैं भी कुछ नहीं भूल पा रहा रे। इस देश का टॉप वकील अपने बेटे और पत्नी को इंसाफ नहीं दिला सका.. कुछ नहीं भुला मै। नहीं भुला की कैसे उस आश्रम को आग लगा दिया गया… 120 बच्चे जिंदा जला दिए गए… मेरी पत्नी जलकर मर गई… तुम्हारी मां जलकर मर गई… नन्हा सा था तो मेरा बेटा.. कितनी प्यारी मुस्कान थी… तोतली बोली उसके कानों में अब भी गूंजती है मेरे … सुन.. तू सुन ना।"… सिन्हा जी भावनाओ में बहते चले गए…