If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
रघू के जाने के बाद मैं भी बाथरूम में घुस गई। जब तक मैं तैयार हुई, तब तक श्रेया भी वहीँ आ गई थी और आते ही मुझ पर भडक उठी
श्रेया- सपना धोखेबाज झूठी इंसान… यह तुमने मेरे साथ ठीक नहीं किया
श्रेया को यूँ गुस्से में देखकर मैंने उससे कहा
सपना- अरे बाबा… आखिर हुआ क्या जो इतना भडक रही हो
श्रेया- तुम एक पुलिस इंसपेक्टर हो और मुझे बताया भी नहीं
श्रेया की बात सुनकर मैंने अपना सर पीट लिया, और मन ही मन सोचने लगी कि अब इसने मुझे कब यूनिफार्म में देख लिया। इसलिए मैंने उससे पूछा
निशा- तुम्हें किसने बताया
श्रेया- मैं आज सुबह जब जॉगिंग करने गई थी तो मैंने तुम्हें एक पुलिस बैन में यूनिफार्म पहने देखा था।
श्रेया की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली
निशा- अरे बाबा… वो तो सब एक नाटक था। मैं पुलिस में नहीं हूँ मेरी जान
श्रेया को मेरी बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था। इसलिए वो बोली
श्रेया- नहीं…. तुम झूठ बोल रही हो
निशा- मैं कसम खाती हूँ मेरी माँ। मैं सच बोल रही हूँ
श्रेया- तो वो पुलिस यूनिफार्म
निशा- अरे यार बताया ना कि वो तो बस यूँ ही। तुम तो जनती हो ना मेरा काम। पुलिस डिपार्टमेंट को किसी काम से एक हैकर की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने मुझसे कांटेक्ट किया था। काम थोडा सीक्रेट था इसलिए डिपार्टमेंट के बडे ऑफिसर नहीं चाहते थे कि किसी को पता चले की वो किसी हैकर की हेल्प ले रहे हैं। इसलिए उन्होंने मुझे पुलिस यूनिफार्म में मिलने के लिए बुलाया था। ताकि डिपार्टमेंट के ज्यादातर लोगों को लगे कि में पुलिस ऑफिसर हूँ और किसी दूसरे काम से मिलने आई हूँ।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा सोचते हुए बोली
श्रेया- तो फिर यह सब नाटक करने की क्या जरूरत थी। मुझसे बोल देती… मेरे पापा...
उसकी बात पूरी होने से पहले ही मैंने कहा
निशा- यहाँ के डी.जी.पी हैं। मैं जानती हूँ उन्हें
मेरी बात सुनकर श्रेया हैरान होते हुए बोली
श्रेया- व्हॉट….. पर कैसे
निशा- अरे बाबा…. उन्हीं के कहने पर यह नाटक किया था मैंने।
श्रेया- क्या मतलब तुम मेरे पापा को पहले से जानती हो.... हे भगवान कहीं तुमने उन्हें गगन बाले मैटर के बारे में तो नहीं बता दिया
निशा- हाँ भी और नहीं भी
श्रेया- मतलब
निशा- मैं तुझे सब समझाती हूँ। पहले तू शांत होकर बैठ जा और टेंशन मत ले। इतनी बेबकूफ नहीं हूँ मैं जितना तू समझ रही है।
मेरी बात सुनकर श्रेया चुपचाप मेरे साथ सोफे पर बैठ गई। जिसके बाद मैंने रूम सर्विस पर कॉल करके अपने और उसके लिए कॉफी ऑर्डर कर दी। इसके बाद मैं श्रेया तो पानी की बोतल देती हुई बोली
निशा- चल पहले पानी पी ले। तब तक कॉफी आती है। फिर मैं तसल्ली से तुझे पूरी बात बताती हूँ।
श्रेया ने मेरी बात का कोई जबाब नहीं दिया और चुपचाप मुझसे पानी को बोतल लेकर दो घूँट पानी पीने के बाद बोतल को बापिस रख दी। कुछ ही देर बाद रघू 2 कॉफी वहां रख कर चला गया। उसके जाते ही मैंने रूम अंदर से लॉक किया और कॉफी सिप करते हुए बोली
निशा- तुम्हारे पापा ने किसी दूसरे काम के लिए मुझे बुलाया था। मुझे नहीं पता थी कि तुम उनकी बेटी हो। नॉर्मल बातें होने पर मुझे पता चला कि उनकी लड़की का नाम श्रेया है और वो ड्रेगन हार्ट यानि मुझसे हैकिंग सीख रही है और तुमसे ही उन्हें मेरे बारे में पता चला था। इसलिए उन्होंने अपने ऑफीसियल काम के लिए मुझे बुलाया था। तब जाकर मुझे पता चला कि उनकी बेटी और कोई नहीं बल्कि तुम हो। हमारी बस तुम्हारे बारे में कुछ नार्मल बाते हुईँ थी। उन्होंने मुझे तुम्हारी माँ के बारे में भी बताया था। बो बाकई में तुम्हारी बहुत ज्यादा फिक्र करते हैं और बहुत प्यार करते हैं।
मेरी बात सुनकर श्रेया खुश होते हुए बोली
श्रेया- हाँ मुझे पता है। लेकिन तुम बातों को गोल गोल मत घुमाओ और सीधे मुद्दे पर आओ
श्रेया की बात सुनकर मैंने अपनी कॉफी शिप करते हुए कहा
निशा- तुम्हारी दोस्त होने के नाते वो जानना चाहते थे कि तुम किसी प्राब्लम में तो नहीं हो या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड बगैरह तो नहीं है। तो मैंने उनसे मना कर दिया
श्रेया- पर क्यों…. बो यह सब क्यों पूछ रहे थे
निशा- तुमने कुछ दिन पहले 20 लाख रूपये बैंक से निकाले हैं। बेबकूफ इतनी बडी रकम बैंक से निकालने के बाद तुम कैसे उम्मीद कर सकती हो कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा
मेरी बात सुनकर वो थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- व्हॉट…. तो क्या वो मेरी जासूसी करवा रहे हैं
निशा- नहीं ऐसा कुछ नहीं है। बस वो परेशान थे कि तुम्हें अचानक इतने पैसों की क्या जरूरत पड गई और तुमने उन्हें कुछ बताया भी तो नहीं था।
मेरी बात सुनकर श्रेया मुझे घूरते हुए बोली
श्रेया- तो फिर तुमने उनसे क्या कहा
निशा- मैंने गगन के बारे में उन्हें सब कुछ बता दिया
श्रेया- क्या..... ओह शिट… अरे डफर ये क्या किया तुमने...
निशा- अरे पहले पूरी बात तो सुन लो मेरी माँ, हर वक्त घोडे पर क्यों सबार रहती है।
मेरी बात सुनकर श्रेया चिढते हुए बोली
श्रेया- तो फिर तुम एक बार में ही पूरी बात नहीं बता सकती क्या। भला ऐसे सस्पेंस बनाकर कौन बात करता है। अब बताओ भी आखिर क्या कहा तुमने उनसे
निशा- मैंने तुम्हारे और गगन के बारे में उन्हें कुछ भी नहीं बताया है। मैंने बस गगन के बारे में बताया है कि वो कैसे लडकियों को ड्रग देकर उनके बीडियो बनाता है और फिर उन्हें ब्लैकमेल करता है। उसके बाद मैंने कहा कि गगन ने तुम्हारी कुछ फ्रेंडस के साथ भी ऐसा किया था। जिस कारण तुमने शायद अपनी फ्रेंडस की हेल्प करने के लिए वो पैसे निकाले थे।
मेरी पूरी बात सुनकर श्रेया अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोली
श्रेया- थैंक्स गॉड मैं बच गई, वर्ना पापा तो कहीं ना कहीं पक्का मेरी शादी करवाकर मुझे अपने से दूर ही कर देते।
श्रेया की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- तुम्हारे पापा गगन से काफी ज्यादा नाराज हैं। बो तो तुरंत ही उसे उठवाने बाले थे। पर मैंने कहा कि अगर अभी आपने उसे उठवा लिया और गलती से किसी लड़की का कोई बीडियो लीक हो गया या गगन की करतूत मीडिया को पता चल गई, तो लडकियों की काफी बदनामी होगी। इसलिए जैसे ही मुझे उसके पास ड्रग होने की जानकारी मिलेगी तो आप उसे ड्रग स्मगलिंग के केस में अंदर कर देना।
श्रेया- पर यह सब उन्हें बताने की जरूरत क्या थी
निशा- ताकि उसका हमेशा के लिए ही किस्सा खत्म हो जाए
श्रेया- मतलब
निशा- मतलब इनकाऊंटर.... अब पुलिस और क्रिमनलस की बीच यह सब तो नॉर्मल है ना
यह बोल कर मैंने श्रेया को आँख मार दी। जिसे देखकर श्रेया मेरा सारा प्लान समझ गई और बोली
श्रेया- ओह माय गॉड... तुम कितनी शातिर लड़की हो.... एक मिनट…. हे भगवान यानि कल तुमने पूजा को और हम सबको उसे जान से मारने बाली बात पर इसीलिए रोका था ताकि तुम उसका इनकाऊंटर करवा सको। यानि तुम पहले से ही यह सारा प्लॉन बना चुकी थी।
श्रेया की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- हाँ…. बस इस बीच एक बात बदल गई कि मुझे पहले यह नहीं पता था कि तुम डी.जी.पी. की बेटी हो। इसलिए अब मेरा प्लान थोडा ईजी हो गया है। क्योंकि अब हमें उसके इन्काऊंटर के लिए कुछ एक्सट्रा करने की जरूरत नहीं हैं।
श्रेया- मतलब कि अब हमें उसे मेंटली डिस्टर्व करने की कोई जरूरत नहीं है।
निशा- हाँ
श्रेया- लेकिन मुझे तो अब इस काम में बहुत मजा आ रहा है। अभी कुछ दिन और उसे डराते हैं ना।
निशा- हाँ हाँ ठीक है, हम ऐसा ही करेंगे। अब चलो कहीं घूमने चलते हैं। बाकी बातें रास्ते में कर लेंगे
श्रेया तो पहले से ही चलने के लिए तैयार थी। इसलिए हम दोनों श्रेया की कार से घूमने निकल गए। उस पूरे दिन मैं श्रेया के साथ घूमती रही और उससे ढेर सारी बातें की। और शाम को हमने एक साथ रेस्टोरेंट में हल्का फुल्का डिनर भी किया। जिसके बाद बो मुझे होटल बापिस छोड कर चली गई। श्रेया के जाने के बाद मैं अपने होटल रूम में आ गई और बॉस के द्वारा भेजी गई लिस्ट चेक करने लगी। क्यों कि इस मौज मस्ती के बीच मुझे ऑफिस का काम तो करना ही था।
सारी लिस्ट अच्छी तरह से चैक करने के बाद मैंने अपने साभी कामों को पूरा करने का एक पूरा प्रोग्राम सेट कर लिया। ताकि मैं जल्दी से जल्दी अपना काम फिनिश करके अपनी छुट्टियों के मजे ले सकूँ। सबसे पहले मैंने कल एक बार उसी गवर्मेंट ऑफिस में जाकर अपने काम का फीडबैक लेने का प्लान बनाया था। ताकि मुझे कंफर्म हो जाऐ कि मैंने जो सॉलूशन उन्हें दिया था, वो सक्सेशफुल रहा या नहीं। उसके बाद कल ही मैं अपनी अगली लोकेशन पर जाकर वहाँ की प्राब्म भी सॉल्ब करूँगी।
यह सब काम खत्म होने का बाद मैंने अपना वह बैग खोला जिसमें मैंने अब तक कॉलगर्ल बनकर जो भी पैसे कमाए थे वो रखे हुए थे। बो सारे पैसे मैंने विस्तर पर डाल दिये और गिनने लगी। जव मैंने सारे पैसे गिने तो वो पूरे 8 लाख 30 हजार रूपये थे। उनके अलावा 2 सोने की चैन, 2 सोने के कंगन, 1 सोने का नेकलेश सेट, 5 सोने की की अंगूठियाँ थीं, जो भिखारी अपने थैले में छोड गए थे। इसके अलाबा रघु की दी गई सोने की चैन और डायमंड पेंडेंट भी था।
इन सब की कीमत कम से कम 5 लाख तो होगी ही। इसके साथ साथ शैलेन्द्र यादव के द्वारा करवाई गई शॉपिंग जिसमें 1 मोबाईल और ब्रांडेड कपडों के साथ साथ बाकी सामान भी था। जिनकी कुल कीमत करीब 2 लाख के आसपास होगी। यानि पिछले 5-6 दिनों में मैंने 15 लाख से ज्यादा कमाए थे। यह सब कुछ ज्यादा ही था। क्योंकि इतने पैसे तो मेरे और मेरे पति अमन दोनों की एक साल की कमाई से भी ज्यादा थे और अभी तो पूरे 27 दिन बाकी थे मेरे पास।
मैंने सारे पैसे संभाल कर बैग में बापिस रख दिए फिर रघु की दी हुई चैन को पहन लिया। क्योंकि वो मुझे पसंद आ गई थी। बाकी की सारी ज्वैलरी मैंने बेचने का फैसला कर लिया था। इसलिए मैंने वो अलग निकाल कर रख दी। ताकि कल उन्हें किसी बडे ज्वैलर के पास बेच सकूँ। जब तक ये सारे काम खत्म हुए, तब तक गगन का फोन भी मेरे पास आ गया था। तो मैंने उसका फोन रिशीव कर उसे एक बार फिर उसी बियरबार में मिलने के लिए बुला लिया, जिसमें हम पहले मिले थे। इसके बाद मैं तैयार होने के लिए बाथरूम में घुस गई। करीब 1 घंटे बाद मैं गगन के साथ उसी बियरबार में बैठी थी। कुछ देर नॉर्मल बातें करने के बाद मैंने गगन से कहा
निशा- यार गगन आज तो मेरा किसी के साथ हुकअप करने का मन कर रहा है
मेरी बात सुनकर गगन हंसते हुए बोला
गगन- तुम बडे शहर की लडकियाँ भी ना, कितनी ज्यादा ओपन माईंड होती हो।
निशा- हाँ तो इसमें बुरा क्या है। जैसे लडकों को वो सब करने का मन होता है। बैसे लडकियों का भी होता है। बस कुछ लडकियाँ शर्म के कारण यह बात मन ही मन में रखतीं है और कुछ बोल देतीं हैं। बैसे भी छोटी सी जिंदगी है उसपर भी समाज के बनाए नियम कायदे। जब तक लडकियों का मजे लेने का समय आता है। तब तक घऱ बाले उसकी शादी करवा देते हैं। बस फिर क्या अगले साल बच्चा और सारी जवानी की माँ बहन हो जाती है।
मेरी बात सुनकर गगन फिर से हंसने लगा और बोला
गगन- बात तो सही है। तो एक काम करो रवि को कॉल कर लो
निशा- अरे यार उसका और रश्मि का पैचअप हो गया है। अब मैं उन दोनों के बीच कबाब में हड्डी बनना नहीं चाहती। एक काम करते हैं तुम्हारे साथ ही हुकअप कर लेती हूँ
मेरी बात सुनकर गगन हैरान रह गया था। उसे उम्मीद ही नहीं थी कि मैं उससे यह सब बोलूँगी, इसलिए वो हकलाकर बोला
गगन- म मेरे साथ
निशा- हाँ…. कोई प्राब्लम है क्या.... अगर कोई प्राब्लम हो तो बात नहीं, मैं किसी और को देख लूँगी। कोई ना कोई बंदा तो मिल ही जाऐगा
मेरी बात सुनकर गगन तुरंत बोला
गगन- न नहीं नहीं ये बात नहीं है… मैं तैयार हूँ। वो तो तुमने यूँ अचानाक पूछ लिया… इसलिए मै हैरान रह गया था
गगन की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- बहुत बडिया… तो फिर चलो इसी बात पर एक एक जाम और हो जाए। तुम रुको मैं खुद लेकर आती हूँ
मेरी बात सुनकर गगन ने कहा
गगन- अरे तुम क्यों परेशान हो रही हो… वेटर से मंगवा लेते हैं ना
निशा- अरे मैं लाती हूँ ना… अब जब हम हुकअप करने ही बाले हैं तो थोडी बहुत फीलिंग बडाने के लिए कुछ एक्सट्रा करना तो बनता है।
इतना बोलकर मैंने उसे आँख मार दी और मुश्कुराकर काऊंटर की तरफ बड गई। गगन हैरानी से मुझे जाते हुए देख रहा था। काऊँटर पर जाकर मैंने दो पैग का आर्डर किया और फिर एक गिलास में दो गोलियाँ डाल दीं। जो तुरंत ही घुल गईँ। जिसके बाद मैं उन दोनों गिलास को लेकर गगन के सामने बैठ गई और वो ड्रग बाला गिलास उसकी तरफ खिसकार दूसरा गिलास एक ही बार में पूरा पी गई। गगन ने मुझे हैरान होकर देखा और फिर उसने भी अपना गिलास एक ही बार में पूरा खत्म कर दिया। जैसे ही गगन का गिलास खाली हुआ तो मैं बोली
निशा- तो फिर चलो तुम्हारे घर चलते हैं
मेरी बात सुनकर गगन थोडा परेशान होते हुए बोला
गगन- पर मेरे घऱ क्यों… कहीं होटल में चलते हैं ना
निशा- घर चलने में क्या प्राब्लम है तुम्हें। ओह अच्छा मम्मी पापा हैं ना
गगन- अरे नहीं ये बात नहीं है। मेरे माता-पिता की डेथ तो बहुत पहले हो गई है
निशा- तो क्या बीबी का डर है.... अरे तुमने बताया नहीं तुम्हारी शादी हो गई है
गगन- अरे नहीं….. मैं अकेला ही रहता हूँ
निशा- तो चलो ना तुम्हारे घऱ चलते है। होटल बगैरह में मुझे जाना पसंद नहीं है। बैसे भी आजकल होटल में स्पाई कैमरा छिपाकर बीडियो बना लेते हैं। मैं यह सब लफडे में नहीं पडना चाहती। मुझे साथ ले जाना है तो अपने घऱ ले चलो बर्ना टाटा बाय बाय
मेरी बात सुनकर गगन आखिरकार बोला
गगन- ठीक है बाबा…. मेरे घर चलते हैं।
इतना बोलकर वो खड़ा हो गया और काउँटर की तरफ बड गया, बिल का पेमेंट करने के बाद हम दोनों गगन के घर पर जा पहूँचे। जैसे ही हम बैडरूम के अंदर पहूँचे, तो हम दोनों ही एक दूसरे पर टूट पडे। कुछ ही देर में हम दोनों के कपडे नीचे जमीन पर पडे हुए थे और हम दोनों बिना कपडों के एक दूसरे को सहला रहे थे। कुछ देर तक एक दूसरे को सहलाने के बाद गगन ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर सबार हो गया। हम दोनों को ही हल्का हल्का नशा था और दोनों ही वसना की आग में बुरी तरह जल रहे थे।
जिस कारण कुछ ही देर में मेरी चुदाई शुरू हो गई। मैं भी गगन का भऱपूर साथ दे रही और खुद भी मजे ले रही थी। करीब 30-35 मिनट की चुदाई के बाद गगन मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा। मैं भी उसके बगल में लेटी अपने आप को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी। करीब 10 मिनट बाद ही गगन ने हिलना डूलना बिल्कुल बंद कर दिया और अपनी आँखें बंद किये लेटा रहा।
Update 029 - जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि गगन गहरी नींद में सो चुका है। तो मैंने उसे अच्छी तरह से हिला डुला कर जगाने की कोशिश की, पर वो तो इतनी गहरी नींद में सो चुका था कि अब वो सुबह से पहले जागने बाला नहीं था। चाहे सुनामी ही क्यों ना आ जाए। जिसे देखकर मेरे चेहरे पुर मुस्कान आ गई। असल में मैंने गगन की ड्रिंक में हाई पावर की नींद की गोली मिला दी थी। जिसका असर कुछ देर बाद होता था। ताकि किसी को कोई शक ना हो।
गगन के गहरी नींद मैं जाने के बाद मैं बिस्तर से उठ कर खडी हो गई और अपने सारे कपडे संभाल कर एक टेबिल पर ऱख दिये। मुझे अभी यहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं थी। क्योंकि अभी मात्र रात के 10 बजे थे। और मेरे पास काफी समय था। गगन के घऱ में कुछ खास सामान नहीं था और ना ही उसके घऱ में मुझे कोई ड्रग बगैरह मिला। जिस कारण मेरा मूड पूरी तरह से खराब हो गया था। इतनी मेहनत की और कोई सबूत नहीं मिला। तभी मेरी नजर गगन के बेडरूम में टंगी एक पिक्चर फ्रेम पर पडी।
जिसमें उसके माता-पिता और उसकी फोटो लगी हुई थी। मैं जाकर उसे देखने लगी। तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उस पिक्चर फ्रेम को दीवार से निकाल दिया। जैसे ही मैंने उसे हटाया तो मैं हैरान रह गई। क्योंकि उसके पीछे एक बडा सा लॉकर रखा हुआ था। जिसमें लॉक लगा हुआ था। मैंने तुरंत गगन के कपडों को चेक किया तो मुझे उसकी चाबियाँ मिल गई। जिसके बाद मैंने फटाफट उस लॉकर को खोल दिया। उसके अंदर ढेर सारे पैसे, एक डायरी और कुछ ड्रग के पैकेटस् रखे हुए थे।
मैंने उस डायरी को खोल कर देखा तो उसमें उन सभी लडकियों के नाम और उनसे लिए गए पैसों की डिटेल लिखी हुई थी। इसके अलावा उसमें कुछ दूसरे लोगों की भी डिटेल थी। मैंने तुरंत अपने मोबाईल से उन सभी लोगों की डिटेल की पिक्चर ले ली और लडकियों के डिटेल बाले पेजों को उस डायरी से निकाल कर अपने हैंड बैग में ऱख लिया। ताकि बाद में जब पुलिस यहाँ छापा मारे तो उन्हें इस डायरी में लडकियों की डिटेल ना मिले।
ये सब काम खत्म करने के बाद मैंने गगन के कवर्ड में से एक खाली बैग उठाया और उसमें सारे पैसे रखने के बाद मैंने ड्रग के कुछ पैकेट भी अपने पास रख लिये। ताकि मैं डीजीपी सर को उसे चैक करवाने के लिए दे सकूँ। फिर मैंने उस लॉकर को फिर से अच्छी तरह से लॉक कर दिया और वो पिक्चर फ्रेम भी वापिस लगा दी। यह सब काम खत्म करने के बाद मैंने अपने हैंड बैग से एक प्लास्टिक बॉटल निकाली, जिसमें खून की तरह दिखने बाला लिक्विड भरा हुआ था।
मैंने उस बाटल को खोला और बैग से एक ब्रस निकाल कर घऱ की अलग अलग दीवारों पर धमकियाँ और डरावने सिंबल बना दिए। इसके बाद मैंने उस बचे हुए लिक्विड को भी घर के अंदर अलग अलग जगह पर फैला दिया। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैं गगन के पास बापिस आ गई और उसे नफऱत भरी नजरों से देखते हुए मैंने उसके चेहरे पर थूक दिया। अभी मेरा काम खत्म नहीं हुआ था। अभी तो गगन को सबसे बड़ा झटका देना बाकी था। इसलिए मैंने अपने हैँड बैग से एक इंजेक्शन के साथ साथ लिक्विड और एक सर्जीकल ब्लेड निकाला।
जिसके बाद मैंने उस लिक्विड को इंजेक्शन में भर कर गगन के लण्ड के ऊपर इंजेक्ट कर दिया। इंजेक्शन लगने से गगन थोडा हिला डूला पर फिर एकदम शांत हो गया। फिर मैंने 5 मिनट इंतजार करने के बाद सर्जीकल ब्लेट उठाया और सावधानी से गगन के लण्ड की खाल उतारने लगी। पर मैंने जो इंजेक्शन उसे लगाया था उसके कारण गगन को इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था।
अब मैं कोई डॉक्टर तो थी नहीं जिस कारण उसके लण्ड की खाल उतारने में थोडा बहुत खून भी निकल रहा था पर मुझे उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। सारी खाल उतारने के बाद मैंने कॉटन से उसके लण्ड को अच्छे से साफ किया और फिर उसपर थोडा सा एंटीसेप्टिक लिक्विड भी लगा दिया ताकि खुन निकलना बंद हो जाए। मैं नहीं चाहती थी कि ज्यादा खून निकलने से उसकी मौत हो जाऐ और मैं अनजाने में ही सही एक कातिल बन जाऊँ।
एंटीसेप्टिक लिक्विड के कारण जल्द ही उसके लण्ड से खून निकलना बंद हो गया। जिसके बाद मैंने अपने मोबाईल में गगन के कुछ फोटा निकाले और घऱ की उन दीवालों के भी फोटो निकाल लिए, जिनपर मैंने धमकियाँ लिखीं थी और फिर फर्स पर जहाँ मैंने खुन गिरा दिया था उसकी फोटो भी मैने निकाल ली। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैंने रघु को कॉल करके गगन के घऱ का एड्रेश दे दिया और सारा कचडा एक प्लास्टिक पॉलीथीन में ऱख दिया ताकि यहाँ से जाने के बाद मैं उसे रास्ते में कहीं फेंक सकूँ।
जिसके बाद मैं बाथरूम में जाकर अपने आपको अच्छे से साफ करने लगी। क्योंकि गगन का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों तक आ गया था और वो खून की तरह दिखने बाले लिक्विड के साथ साथ गगन का कुछ खून भी मेरे ऊपर लग गया था। हाँलाकि मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसीलिए मैंने अब तक अपने कपडे नहीं पहने थे। अपने आपको अच्छी तरह से साफ करने के बाद मैंने गगन को एक कंबल ओडा दिया और फिर अपने कपडे पहनने के बाद मैं पैसों से भरा बैग और कचडे बाली पॉलीथीन लेकर गगन के घऱ से बाहर निकल गई।
गगन के घऱ के मैन डोर में ऑटो मैटिक लॉक लगा हुआ था। जिस कारण जैसे ही मैंने गेट बंद किया तो वो अंदर से लॉक हो गया। फिर मैं गगन के घऱ से निकल कर कुछ दूरी पर जाकर खडी हो गई। पास में ही एक डस्टबिन था, जिसमें मैंने वो कचडे बाली पॉलीथीन डाल दी। कुछ देर इंतजार करने बाद रघु भी कार लेकर वहाँ आ गया। जिसके बाद मैंने वो बैग उस कार में रख दिया और रघू के साथ आगे बाली सीट पर बैठ गई। मैंने मोबाईल में समय देखा तो रात के 12 बज चुके थे। इसलिए मैंने रघू को इंदौर हाईवे पर उस ढावे पर चलने के लिए कहा। जहाँ गगन को पार्सल लेने जाना था।
हम दोनों रात करीब 1 बजे से कुछ पहले ही वहाँ पहूंच गए थे। मैंने रघू को ढावे से थोडी दूरी पर अँधेरे में ही गाडी रोकने के लिए बोल दिया था और रघु को उस ट्रक की सारी डिटेल और पार्सल कोड बता कर वो पार्सल लाने के लिए बोल दिया था, साथ ही उसे मूँह ढंकने के लिए भी बोल दिया था। ताकि कोई उसे पहचान ना पाए। कुछ ही देर वाद वो गत्ते से बने दो बडे बडे पार्सल लेकर आया, जो कुछ ज्यादा ही भारी लग रहे थे। रघु ने वो दोनों पार्सल भी गाडी की पिछली सीट पर रख दिए।
इसके बाद रघु ने ड्रायबिंग सीट पर बैठ कर गाडी बापिस होटल की तरफ मोड दी। करीब 1 घंटे बाद हम दोनों मेरे होटल रूम में थे। रघु ने सारा सामान खुद ही मेरे रूम में पहुँचा दिया था और कार की चावियाँ भी बापिस जमा कर दीं थी। रघु जैसे ही जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड कर उसे रोक लिया और उसे अपनी बाहों में भऱ कर किस कर लिया। रघु तो कब से इसी पल का इंतजार कर रहा था। इसलिए उसने भी मुझे अपनी बाहों में लेकर किस करना और मेरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे का साथ देने के बाद रघु जैसे ही मेरे कपडे उतारने लगा तो मैं बोली
निशा- अरे बाबा पहले रूम तो लॉक कर दो।
मेरी बात सुनकर रघु ने तुरंत ही रूम लॉक कर दिया और बापिस मुझ पर टूट पडा। अब हम दोनों की एक दूसरे के कपडे उतारने में लगे हुए थे। कुछ ही देर बाद हम दोनों बिना कपडों के बिस्तर पर एक दूसरे को चूमने और सहलाने में बिजी थी। तभी रघू की नजर उस सोने की चेन पर गई जो उसने मुझे दी थी। वो चेन मुझे पहने हुए देखकर वो काफी खुश हुआ और फिरसे मुझे चुमने लगा। हमारा यह खेल काफी देर तक चलता रहा। जिसके रघु ने आखिरकार अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा ही दिया।
रघु का लण्ड बाकई में काफी बड़ा और मोटा था। जिस कारण इतनी बार चुदने के बाद भी मुझे उसका लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में दर्द का एहसास हो रहा था। पर मुझे काफी मजा भी आ रहा था। रघु करीब एक घंटे तक धुआँधार तरीके से मेरी चुदाई करता रहा और फिर उसने मेरी चूत में ही अपना पानी निकला दिया और मेरे बगल में लेट गया। इतनी लम्बी चुदाई से मैं अब काफी थक गई थी। इसलिए मैंने कंबल को हम दोनों के ऊपर डाला और रघु से लिपट कर सो गई।
सुबह करीब 5-6 बजे एक बार फिर रघू ने मुझे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया जिस कारण मेरी आँख खुल गई। पर मैंने रघु को वो सब करने से नहीं रोका और उसे चुपचाप मजे लेने दिए। कुछ देर बाद उसने एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। पर इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी। काफी देर तक चुदाई करने के बाद उसने फिर से मेरे अंदर ही अपना पानी निकाल दिया और फिर अपने कपडे पहनकर मेरे रूम से बाहर चला गया।
उसके जाते ही मैं अपना रूम अंदर से लॉक करके फिर से सो गई। सुबह करीब 9 बजे जब मैं दोबारा जागी तो तुरंत बाथरूम में घुस गई। नहा कर रेडी होने के बाद मैंने रूम सर्विस को कॉल करके अपने लिए कॉफी और नास्ता आर्डर कर दिया और सोफे पर बैठ कर कल रात गगन के घऱ खींचे गए फोटो चैक करने लगी। कुछ देर बाद ही रघू मेरे लिए नाश्ता और कॉफी रख कर चला गया।
मैं अपनी कॉफी और नास्ता इंजॉय कर ही रही थी कि तभी रघु मेरे कपडे जो मैंने लाऊँड्री के पास धुलने भेजे थे वोलेकर आ गया और फिर मेरे रूम की साफ सफाई करने लगा तो मैंने उसे विस्तर की बैडसीट और कम्बल भी चेंज करने के लिए भी बोल दिया। क्योंकि हमारी चुदाई के कारण वो अब काफी गंदे हो गए थे। रूम की अच्छी तरह से साफ सफाई करने के बाद रघू ने बेडसीट और कंबल भी चेंज कर दिऐ। तब तक मेरा नाश्ता भी खत्म हो गया था। इसलिए वो जैसे ही कचडा और गंदे कपडे लेकर वहाँ से जाने लगा तो मैंने उससे पूछा
निशा- अरे रघू मैं पूछ रही थी कि क्या मैं होटल की कार खुद ड्राईव करके कहीं ले जा सकती हूँ क्या
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- हाँ हाँ सपना जी…. आप चाहें तो ले जा सकती हैं। लेकिन उसके लिए आपको अपने ड्रायविंग लायसेंस की एक कॉपी जमा करनी होगी
हाँलाकि मेरे पास ड्रायविंग लायसेंस तो था, पर मैं होटल बालों को अपना असली नाम नहीं बताना चाहती थी। बैसे भी होटल रूम मेरी कम्पनी के नाम पर बुक था। ना की मेरे नाम पर। इसलिए मैं बोली
निशा- ओह सिट यार… वो तो मैं लेकर ही नहीं आई हूँ। चलो कोई बात नहीं मैं ऑटो बगैरह से चली जाऊँगी। क्योंकि दिन में तो तुम मेरे साथ जा नहीं सकते हो।
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- नहीं नहीं सपना जी… ऐसी बात नहीं है। अगर आप कहेंगी तो मैं छुट्टी ले लूँगा
निशा- एक दो दिन की बात हो तो मैं बोल भी देती, पर मुझे कुछ दिनों तक लगातार अलग जगह काम पर जाना है। मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी बजह से अपनी नौकरी खतरे में डालो। किसी और ड्रायबर को मैं ले जाना नहीं चाहती। तुम समझ रहे हो ना मेरी प्राब्लम। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मैं किसी दूसरे को बता नहीं सकती। वो तो मैं तुम्हें पसंद करती हूँ इसलिए तुम्हें कुछ भी बताने में कोई भी प्राब्लम नहीं है।
मेरी बात सुनकर रघु कुछ सोचते हुए बोला
रघु- आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। मेरा एक दोस्त है जो डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट बना सकता है। आप अपनी डिटेल मुझे दे दो। मैं आपके डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट उससे बनबा दूँगा, और ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।
रघु की बात सुनकर मैंने उसे अपना नकली नाम और बाकी सारी नकली डिटेल दे दी और अपने मोबाईल से अपना एक सिंपिल फोटो भी उसके मोबाईल पर ट्रांशफर कर दिया। रघू के जाने के बाद मैंने रूम अंदर से लॉक किया और वो दोनों पार्सल खोल कर देखने लगी। जो हम रात में लाऐ थे। मैंने सबसे पहले बड़ा बॉक्स खोलकर देखा। असल में मैं जानना चाहती थी कि आखिर उन बॉक्स में ऐसा क्या है। जिस कारण इसका बजन इतना ज्यादा है।
जैसे ही मैंने उस बॉक्स को खोला तो मैं हैरान ही रह गई। उस गत्ते के बाक्स के अंदर एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था। जब मैंने उसे खोला तो वो पूरा का पूरा सोने के बिस्किट से भरा हुआ था। इतना ज्यादा सोना देखकर तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मुझे समझ मैं ही नहीं आ रहा था कि मैं उस सोने का मैं क्या करूँ। इसी उधेडबुन में मैंने दूसरे बॉक्स को खोलना भी शुरू कर दिया। जो आकार में थोडा छोटा और बजन में भी हल्का था। पहले बाक्स की तरह ही उसके अंदर भी एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था।
जब मैंने उसे खोला तो उसमें ढेर सारे चमकते हुए हीरे भरे हुए। इतना सारा सोना और हीरे देखकर तो मैं जैसे पूरी तरह से ब्लैंक हो गई थी। मेरे सोचने समझने की क्षमता अब पूरी तरह से खत्म हो गई थी। मेरा पूरा शऱीर डर के कारण काँप रहा था। क्योंकि वो सारा सामन करोडों रूपयों का था। जिसकी मैंने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। मैं तो अनजाने में ही इस सब में पड गई थी। यह सारा सोना और ये हीरे जिसके भी थे वो पक्का शरीफ आदमी तो था नहीं। अगर किसी को गलती से भनक भी लग गई कि यह सब मेरे पास है या इसे गायब करने में मेरा हाथ है, तो पक्का वो लोग मेरी जान के पीछ पड जाऐंगे।
Update 029 - जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि गगन गहरी नींद में सो चुका है। तो मैंने उसे अच्छी तरह से हिला डुला कर जगाने की कोशिश की, पर वो तो इतनी गहरी नींद में सो चुका था कि अब वो सुबह से पहले जागने बाला नहीं था। चाहे सुनामी ही क्यों ना आ जाए। जिसे देखकर मेरे चेहरे पुर मुस्कान आ गई। असल में मैंने गगन की ड्रिंक में हाई पावर की नींद की गोली मिला दी थी। जिसका असर कुछ देर बाद होता था। ताकि किसी को कोई शक ना हो।
गगन के गहरी नींद मैं जाने के बाद मैं बिस्तर से उठ कर खडी हो गई और अपने सारे कपडे संभाल कर एक टेबिल पर ऱख दिये। मुझे अभी यहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं थी। क्योंकि अभी मात्र रात के 10 बजे थे। और मेरे पास काफी समय था। गगन के घऱ में कुछ खास सामान नहीं था और ना ही उसके घऱ में मुझे कोई ड्रग बगैरह मिला। जिस कारण मेरा मूड पूरी तरह से खराब हो गया था। इतनी मेहनत की और कोई सबूत नहीं मिला। तभी मेरी नजर गगन के बेडरूम में टंगी एक पिक्चर फ्रेम पर पडी।
जिसमें उसके माता-पिता और उसकी फोटो लगी हुई थी। मैं जाकर उसे देखने लगी। तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उस पिक्चर फ्रेम को दीवार से निकाल दिया। जैसे ही मैंने उसे हटाया तो मैं हैरान रह गई। क्योंकि उसके पीछे एक बडा सा लॉकर रखा हुआ था। जिसमें लॉक लगा हुआ था। मैंने तुरंत गगन के कपडों को चेक किया तो मुझे उसकी चाबियाँ मिल गई। जिसके बाद मैंने फटाफट उस लॉकर को खोल दिया। उसके अंदर ढेर सारे पैसे, एक डायरी और कुछ ड्रग के पैकेटस् रखे हुए थे।
मैंने उस डायरी को खोल कर देखा तो उसमें उन सभी लडकियों के नाम और उनसे लिए गए पैसों की डिटेल लिखी हुई थी। इसके अलावा उसमें कुछ दूसरे लोगों की भी डिटेल थी। मैंने तुरंत अपने मोबाईल से उन सभी लोगों की डिटेल की पिक्चर ले ली और लडकियों के डिटेल बाले पेजों को उस डायरी से निकाल कर अपने हैंड बैग में ऱख लिया। ताकि बाद में जब पुलिस यहाँ छापा मारे तो उन्हें इस डायरी में लडकियों की डिटेल ना मिले।
ये सब काम खत्म करने के बाद मैंने गगन के कवर्ड में से एक खाली बैग उठाया और उसमें सारे पैसे रखने के बाद मैंने ड्रग के कुछ पैकेट भी अपने पास रख लिये। ताकि मैं डीजीपी सर को उसे चैक करवाने के लिए दे सकूँ। फिर मैंने उस लॉकर को फिर से अच्छी तरह से लॉक कर दिया और वो पिक्चर फ्रेम भी वापिस लगा दी। यह सब काम खत्म करने के बाद मैंने अपने हैंड बैग से एक प्लास्टिक बॉटल निकाली, जिसमें खून की तरह दिखने बाला लिक्विड भरा हुआ था।
मैंने उस बाटल को खोला और बैग से एक ब्रस निकाल कर घऱ की अलग अलग दीवारों पर धमकियाँ और डरावने सिंबल बना दिए। इसके बाद मैंने उस बचे हुए लिक्विड को भी घर के अंदर अलग अलग जगह पर फैला दिया। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैं गगन के पास बापिस आ गई और उसे नफऱत भरी नजरों से देखते हुए मैंने उसके चेहरे पर थूक दिया। अभी मेरा काम खत्म नहीं हुआ था। अभी तो गगन को सबसे बड़ा झटका देना बाकी था। इसलिए मैंने अपने हैँड बैग से एक इंजेक्शन के साथ साथ लिक्विड और एक सर्जीकल ब्लेड निकाला।
जिसके बाद मैंने उस लिक्विड को इंजेक्शन में भर कर गगन के लण्ड के ऊपर इंजेक्ट कर दिया। इंजेक्शन लगने से गगन थोडा हिला डूला पर फिर एकदम शांत हो गया। फिर मैंने 5 मिनट इंतजार करने के बाद सर्जीकल ब्लेट उठाया और सावधानी से गगन के लण्ड की खाल उतारने लगी। पर मैंने जो इंजेक्शन उसे लगाया था उसके कारण गगन को इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था।
अब मैं कोई डॉक्टर तो थी नहीं जिस कारण उसके लण्ड की खाल उतारने में थोडा बहुत खून भी निकल रहा था पर मुझे उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। सारी खाल उतारने के बाद मैंने कॉटन से उसके लण्ड को अच्छे से साफ किया और फिर उसपर थोडा सा एंटीसेप्टिक लिक्विड भी लगा दिया ताकि खुन निकलना बंद हो जाए। मैं नहीं चाहती थी कि ज्यादा खून निकलने से उसकी मौत हो जाऐ और मैं अनजाने में ही सही एक कातिल बन जाऊँ।
एंटीसेप्टिक लिक्विड के कारण जल्द ही उसके लण्ड से खून निकलना बंद हो गया। जिसके बाद मैंने अपने मोबाईल में गगन के कुछ फोटा निकाले और घऱ की उन दीवालों के भी फोटो निकाल लिए, जिनपर मैंने धमकियाँ लिखीं थी और फिर फर्स पर जहाँ मैंने खुन गिरा दिया था उसकी फोटो भी मैने निकाल ली। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैंने रघु को कॉल करके गगन के घऱ का एड्रेश दे दिया और सारा कचडा एक प्लास्टिक पॉलीथीन में ऱख दिया ताकि यहाँ से जाने के बाद मैं उसे रास्ते में कहीं फेंक सकूँ।
जिसके बाद मैं बाथरूम में जाकर अपने आपको अच्छे से साफ करने लगी। क्योंकि गगन का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों तक आ गया था और वो खून की तरह दिखने बाले लिक्विड के साथ साथ गगन का कुछ खून भी मेरे ऊपर लग गया था। हाँलाकि मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसीलिए मैंने अब तक अपने कपडे नहीं पहने थे। अपने आपको अच्छी तरह से साफ करने के बाद मैंने गगन को एक कंबल ओडा दिया और फिर अपने कपडे पहनने के बाद मैं पैसों से भरा बैग और कचडे बाली पॉलीथीन लेकर गगन के घऱ से बाहर निकल गई।
गगन के घऱ के मैन डोर में ऑटो मैटिक लॉक लगा हुआ था। जिस कारण जैसे ही मैंने गेट बंद किया तो वो अंदर से लॉक हो गया। फिर मैं गगन के घऱ से निकल कर कुछ दूरी पर जाकर खडी हो गई। पास में ही एक डस्टबिन था, जिसमें मैंने वो कचडे बाली पॉलीथीन डाल दी। कुछ देर इंतजार करने बाद रघु भी कार लेकर वहाँ आ गया। जिसके बाद मैंने वो बैग उस कार में रख दिया और रघू के साथ आगे बाली सीट पर बैठ गई। मैंने मोबाईल में समय देखा तो रात के 12 बज चुके थे। इसलिए मैंने रघू को इंदौर हाईवे पर उस ढावे पर चलने के लिए कहा। जहाँ गगन को पार्सल लेने जाना था।
हम दोनों रात करीब 1 बजे से कुछ पहले ही वहाँ पहूंच गए थे। मैंने रघू को ढावे से थोडी दूरी पर अँधेरे में ही गाडी रोकने के लिए बोल दिया था और रघु को उस ट्रक की सारी डिटेल और पार्सल कोड बता कर वो पार्सल लाने के लिए बोल दिया था, साथ ही उसे मूँह ढंकने के लिए भी बोल दिया था। ताकि कोई उसे पहचान ना पाए। कुछ ही देर वाद वो गत्ते से बने दो बडे बडे पार्सल लेकर आया, जो कुछ ज्यादा ही भारी लग रहे थे। रघु ने वो दोनों पार्सल भी गाडी की पिछली सीट पर रख दिए।
इसके बाद रघु ने ड्रायबिंग सीट पर बैठ कर गाडी बापिस होटल की तरफ मोड दी। करीब 1 घंटे बाद हम दोनों मेरे होटल रूम में थे। रघु ने सारा सामान खुद ही मेरे रूम में पहुँचा दिया था और कार की चावियाँ भी बापिस जमा कर दीं थी। रघु जैसे ही जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड कर उसे रोक लिया और उसे अपनी बाहों में भऱ कर किस कर लिया। रघु तो कब से इसी पल का इंतजार कर रहा था। इसलिए उसने भी मुझे अपनी बाहों में लेकर किस करना और मेरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे का साथ देने के बाद रघु जैसे ही मेरे कपडे उतारने लगा तो मैं बोली
निशा- अरे बाबा पहले रूम तो लॉक कर दो।
मेरी बात सुनकर रघु ने तुरंत ही रूम लॉक कर दिया और बापिस मुझ पर टूट पडा। अब हम दोनों की एक दूसरे के कपडे उतारने में लगे हुए थे। कुछ ही देर बाद हम दोनों बिना कपडों के बिस्तर पर एक दूसरे को चूमने और सहलाने में बिजी थी। तभी रघू की नजर उस सोने की चेन पर गई जो उसने मुझे दी थी। वो चेन मुझे पहने हुए देखकर वो काफी खुश हुआ और फिरसे मुझे चुमने लगा। हमारा यह खेल काफी देर तक चलता रहा। जिसके रघु ने आखिरकार अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा ही दिया।
रघु का लण्ड बाकई में काफी बड़ा और मोटा था। जिस कारण इतनी बार चुदने के बाद भी मुझे उसका लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में दर्द का एहसास हो रहा था। पर मुझे काफी मजा भी आ रहा था। रघु करीब एक घंटे तक धुआँधार तरीके से मेरी चुदाई करता रहा और फिर उसने मेरी चूत में ही अपना पानी निकला दिया और मेरे बगल में लेट गया। इतनी लम्बी चुदाई से मैं अब काफी थक गई थी। इसलिए मैंने कंबल को हम दोनों के ऊपर डाला और रघु से लिपट कर सो गई।
सुबह करीब 5-6 बजे एक बार फिर रघू ने मुझे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया जिस कारण मेरी आँख खुल गई। पर मैंने रघु को वो सब करने से नहीं रोका और उसे चुपचाप मजे लेने दिए। कुछ देर बाद उसने एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। पर इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी। काफी देर तक चुदाई करने के बाद उसने फिर से मेरे अंदर ही अपना पानी निकाल दिया और फिर अपने कपडे पहनकर मेरे रूम से बाहर चला गया।
उसके जाते ही मैं अपना रूम अंदर से लॉक करके फिर से सो गई। सुबह करीब 9 बजे जब मैं दोबारा जागी तो तुरंत बाथरूम में घुस गई। नहा कर रेडी होने के बाद मैंने रूम सर्विस को कॉल करके अपने लिए कॉफी और नास्ता आर्डर कर दिया और सोफे पर बैठ कर कल रात गगन के घऱ खींचे गए फोटो चैक करने लगी। कुछ देर बाद ही रघू मेरे लिए नाश्ता और कॉफी रख कर चला गया।
मैं अपनी कॉफी और नास्ता इंजॉय कर ही रही थी कि तभी रघु मेरे कपडे जो मैंने लाऊँड्री के पास धुलने भेजे थे वोलेकर आ गया और फिर मेरे रूम की साफ सफाई करने लगा तो मैंने उसे विस्तर की बैडसीट और कम्बल भी चेंज करने के लिए भी बोल दिया। क्योंकि हमारी चुदाई के कारण वो अब काफी गंदे हो गए थे। रूम की अच्छी तरह से साफ सफाई करने के बाद रघू ने बेडसीट और कंबल भी चेंज कर दिऐ। तब तक मेरा नाश्ता भी खत्म हो गया था। इसलिए वो जैसे ही कचडा और गंदे कपडे लेकर वहाँ से जाने लगा तो मैंने उससे पूछा
निशा- अरे रघू मैं पूछ रही थी कि क्या मैं होटल की कार खुद ड्राईव करके कहीं ले जा सकती हूँ क्या
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- हाँ हाँ सपना जी…. आप चाहें तो ले जा सकती हैं। लेकिन उसके लिए आपको अपने ड्रायविंग लायसेंस की एक कॉपी जमा करनी होगी
हाँलाकि मेरे पास ड्रायविंग लायसेंस तो था, पर मैं होटल बालों को अपना असली नाम नहीं बताना चाहती थी। बैसे भी होटल रूम मेरी कम्पनी के नाम पर बुक था। ना की मेरे नाम पर। इसलिए मैं बोली
निशा- ओह सिट यार… वो तो मैं लेकर ही नहीं आई हूँ। चलो कोई बात नहीं मैं ऑटो बगैरह से चली जाऊँगी। क्योंकि दिन में तो तुम मेरे साथ जा नहीं सकते हो।
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- नहीं नहीं सपना जी… ऐसी बात नहीं है। अगर आप कहेंगी तो मैं छुट्टी ले लूँगा
निशा- एक दो दिन की बात हो तो मैं बोल भी देती, पर मुझे कुछ दिनों तक लगातार अलग जगह काम पर जाना है। मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी बजह से अपनी नौकरी खतरे में डालो। किसी और ड्रायबर को मैं ले जाना नहीं चाहती। तुम समझ रहे हो ना मेरी प्राब्लम। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मैं किसी दूसरे को बता नहीं सकती। वो तो मैं तुम्हें पसंद करती हूँ इसलिए तुम्हें कुछ भी बताने में कोई भी प्राब्लम नहीं है।
मेरी बात सुनकर रघु कुछ सोचते हुए बोला
रघु- आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। मेरा एक दोस्त है जो डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट बना सकता है। आप अपनी डिटेल मुझे दे दो। मैं आपके डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट उससे बनबा दूँगा, और ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।
रघु की बात सुनकर मैंने उसे अपना नकली नाम और बाकी सारी नकली डिटेल दे दी और अपने मोबाईल से अपना एक सिंपिल फोटो भी उसके मोबाईल पर ट्रांशफर कर दिया। रघू के जाने के बाद मैंने रूम अंदर से लॉक किया और वो दोनों पार्सल खोल कर देखने लगी। जो हम रात में लाऐ थे। मैंने सबसे पहले बड़ा बॉक्स खोलकर देखा। असल में मैं जानना चाहती थी कि आखिर उन बॉक्स में ऐसा क्या है। जिस कारण इसका बजन इतना ज्यादा है।
जैसे ही मैंने उस बॉक्स को खोला तो मैं हैरान ही रह गई। उस गत्ते के बाक्स के अंदर एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था। जब मैंने उसे खोला तो वो पूरा का पूरा सोने के बिस्किट से भरा हुआ था। इतना ज्यादा सोना देखकर तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मुझे समझ मैं ही नहीं आ रहा था कि मैं उस सोने का मैं क्या करूँ। इसी उधेडबुन में मैंने दूसरे बॉक्स को खोलना भी शुरू कर दिया। जो आकार में थोडा छोटा और बजन में भी हल्का था। पहले बाक्स की तरह ही उसके अंदर भी एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था।
जब मैंने उसे खोला तो उसमें ढेर सारे चमकते हुए हीरे भरे हुए। इतना सारा सोना और हीरे देखकर तो मैं जैसे पूरी तरह से ब्लैंक हो गई थी। मेरे सोचने समझने की क्षमता अब पूरी तरह से खत्म हो गई थी। मेरा पूरा शऱीर डर के कारण काँप रहा था। क्योंकि वो सारा सामन करोडों रूपयों का था। जिसकी मैंने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। मैं तो अनजाने में ही इस सब में पड गई थी। यह सारा सोना और ये हीरे जिसके भी थे वो पक्का शरीफ आदमी तो था नहीं। अगर किसी को गलती से भनक भी लग गई कि यह सब मेरे पास है या इसे गायब करने में मेरा हाथ है, तो पक्का वो लोग मेरी जान के पीछ पड जाऐंगे।
Update 029 - जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि गगन गहरी नींद में सो चुका है। तो मैंने उसे अच्छी तरह से हिला डुला कर जगाने की कोशिश की, पर वो तो इतनी गहरी नींद में सो चुका था कि अब वो सुबह से पहले जागने बाला नहीं था। चाहे सुनामी ही क्यों ना आ जाए। जिसे देखकर मेरे चेहरे पुर मुस्कान आ गई। असल में मैंने गगन की ड्रिंक में हाई पावर की नींद की गोली मिला दी थी। जिसका असर कुछ देर बाद होता था। ताकि किसी को कोई शक ना हो।
गगन के गहरी नींद मैं जाने के बाद मैं बिस्तर से उठ कर खडी हो गई और अपने सारे कपडे संभाल कर एक टेबिल पर ऱख दिये। मुझे अभी यहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं थी। क्योंकि अभी मात्र रात के 10 बजे थे। और मेरे पास काफी समय था। गगन के घऱ में कुछ खास सामान नहीं था और ना ही उसके घऱ में मुझे कोई ड्रग बगैरह मिला। जिस कारण मेरा मूड पूरी तरह से खराब हो गया था। इतनी मेहनत की और कोई सबूत नहीं मिला। तभी मेरी नजर गगन के बेडरूम में टंगी एक पिक्चर फ्रेम पर पडी।
जिसमें उसके माता-पिता और उसकी फोटो लगी हुई थी। मैं जाकर उसे देखने लगी। तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उस पिक्चर फ्रेम को दीवार से निकाल दिया। जैसे ही मैंने उसे हटाया तो मैं हैरान रह गई। क्योंकि उसके पीछे एक बडा सा लॉकर रखा हुआ था। जिसमें लॉक लगा हुआ था। मैंने तुरंत गगन के कपडों को चेक किया तो मुझे उसकी चाबियाँ मिल गई। जिसके बाद मैंने फटाफट उस लॉकर को खोल दिया। उसके अंदर ढेर सारे पैसे, एक डायरी और कुछ ड्रग के पैकेटस् रखे हुए थे।
मैंने उस डायरी को खोल कर देखा तो उसमें उन सभी लडकियों के नाम और उनसे लिए गए पैसों की डिटेल लिखी हुई थी। इसके अलावा उसमें कुछ दूसरे लोगों की भी डिटेल थी। मैंने तुरंत अपने मोबाईल से उन सभी लोगों की डिटेल की पिक्चर ले ली और लडकियों के डिटेल बाले पेजों को उस डायरी से निकाल कर अपने हैंड बैग में ऱख लिया। ताकि बाद में जब पुलिस यहाँ छापा मारे तो उन्हें इस डायरी में लडकियों की डिटेल ना मिले।
ये सब काम खत्म करने के बाद मैंने गगन के कवर्ड में से एक खाली बैग उठाया और उसमें सारे पैसे रखने के बाद मैंने ड्रग के कुछ पैकेट भी अपने पास रख लिये। ताकि मैं डीजीपी सर को उसे चैक करवाने के लिए दे सकूँ। फिर मैंने उस लॉकर को फिर से अच्छी तरह से लॉक कर दिया और वो पिक्चर फ्रेम भी वापिस लगा दी। यह सब काम खत्म करने के बाद मैंने अपने हैंड बैग से एक प्लास्टिक बॉटल निकाली, जिसमें खून की तरह दिखने बाला लिक्विड भरा हुआ था।
मैंने उस बाटल को खोला और बैग से एक ब्रस निकाल कर घऱ की अलग अलग दीवारों पर धमकियाँ और डरावने सिंबल बना दिए। इसके बाद मैंने उस बचे हुए लिक्विड को भी घर के अंदर अलग अलग जगह पर फैला दिया। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैं गगन के पास बापिस आ गई और उसे नफऱत भरी नजरों से देखते हुए मैंने उसके चेहरे पर थूक दिया। अभी मेरा काम खत्म नहीं हुआ था। अभी तो गगन को सबसे बड़ा झटका देना बाकी था। इसलिए मैंने अपने हैँड बैग से एक इंजेक्शन के साथ साथ लिक्विड और एक सर्जीकल ब्लेड निकाला।
जिसके बाद मैंने उस लिक्विड को इंजेक्शन में भर कर गगन के लण्ड के ऊपर इंजेक्ट कर दिया। इंजेक्शन लगने से गगन थोडा हिला डूला पर फिर एकदम शांत हो गया। फिर मैंने 5 मिनट इंतजार करने के बाद सर्जीकल ब्लेट उठाया और सावधानी से गगन के लण्ड की खाल उतारने लगी। पर मैंने जो इंजेक्शन उसे लगाया था उसके कारण गगन को इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था।
अब मैं कोई डॉक्टर तो थी नहीं जिस कारण उसके लण्ड की खाल उतारने में थोडा बहुत खून भी निकल रहा था पर मुझे उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। सारी खाल उतारने के बाद मैंने कॉटन से उसके लण्ड को अच्छे से साफ किया और फिर उसपर थोडा सा एंटीसेप्टिक लिक्विड भी लगा दिया ताकि खुन निकलना बंद हो जाए। मैं नहीं चाहती थी कि ज्यादा खून निकलने से उसकी मौत हो जाऐ और मैं अनजाने में ही सही एक कातिल बन जाऊँ।
एंटीसेप्टिक लिक्विड के कारण जल्द ही उसके लण्ड से खून निकलना बंद हो गया। जिसके बाद मैंने अपने मोबाईल में गगन के कुछ फोटा निकाले और घऱ की उन दीवालों के भी फोटो निकाल लिए, जिनपर मैंने धमकियाँ लिखीं थी और फिर फर्स पर जहाँ मैंने खुन गिरा दिया था उसकी फोटो भी मैने निकाल ली। यह सारे काम खत्म करने के बाद मैंने रघु को कॉल करके गगन के घऱ का एड्रेश दे दिया और सारा कचडा एक प्लास्टिक पॉलीथीन में ऱख दिया ताकि यहाँ से जाने के बाद मैं उसे रास्ते में कहीं फेंक सकूँ।
जिसके बाद मैं बाथरूम में जाकर अपने आपको अच्छे से साफ करने लगी। क्योंकि गगन का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों तक आ गया था और वो खून की तरह दिखने बाले लिक्विड के साथ साथ गगन का कुछ खून भी मेरे ऊपर लग गया था। हाँलाकि मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसीलिए मैंने अब तक अपने कपडे नहीं पहने थे। अपने आपको अच्छी तरह से साफ करने के बाद मैंने गगन को एक कंबल ओडा दिया और फिर अपने कपडे पहनने के बाद मैं पैसों से भरा बैग और कचडे बाली पॉलीथीन लेकर गगन के घऱ से बाहर निकल गई।
गगन के घऱ के मैन डोर में ऑटो मैटिक लॉक लगा हुआ था। जिस कारण जैसे ही मैंने गेट बंद किया तो वो अंदर से लॉक हो गया। फिर मैं गगन के घऱ से निकल कर कुछ दूरी पर जाकर खडी हो गई। पास में ही एक डस्टबिन था, जिसमें मैंने वो कचडे बाली पॉलीथीन डाल दी। कुछ देर इंतजार करने बाद रघु भी कार लेकर वहाँ आ गया। जिसके बाद मैंने वो बैग उस कार में रख दिया और रघू के साथ आगे बाली सीट पर बैठ गई। मैंने मोबाईल में समय देखा तो रात के 12 बज चुके थे। इसलिए मैंने रघू को इंदौर हाईवे पर उस ढावे पर चलने के लिए कहा। जहाँ गगन को पार्सल लेने जाना था।
हम दोनों रात करीब 1 बजे से कुछ पहले ही वहाँ पहूंच गए थे। मैंने रघू को ढावे से थोडी दूरी पर अँधेरे में ही गाडी रोकने के लिए बोल दिया था और रघु को उस ट्रक की सारी डिटेल और पार्सल कोड बता कर वो पार्सल लाने के लिए बोल दिया था, साथ ही उसे मूँह ढंकने के लिए भी बोल दिया था। ताकि कोई उसे पहचान ना पाए। कुछ ही देर वाद वो गत्ते से बने दो बडे बडे पार्सल लेकर आया, जो कुछ ज्यादा ही भारी लग रहे थे। रघु ने वो दोनों पार्सल भी गाडी की पिछली सीट पर रख दिए।
इसके बाद रघु ने ड्रायबिंग सीट पर बैठ कर गाडी बापिस होटल की तरफ मोड दी। करीब 1 घंटे बाद हम दोनों मेरे होटल रूम में थे। रघु ने सारा सामान खुद ही मेरे रूम में पहुँचा दिया था और कार की चावियाँ भी बापिस जमा कर दीं थी। रघु जैसे ही जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड कर उसे रोक लिया और उसे अपनी बाहों में भऱ कर किस कर लिया। रघु तो कब से इसी पल का इंतजार कर रहा था। इसलिए उसने भी मुझे अपनी बाहों में लेकर किस करना और मेरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे का साथ देने के बाद रघु जैसे ही मेरे कपडे उतारने लगा तो मैं बोली
निशा- अरे बाबा पहले रूम तो लॉक कर दो।
मेरी बात सुनकर रघु ने तुरंत ही रूम लॉक कर दिया और बापिस मुझ पर टूट पडा। अब हम दोनों की एक दूसरे के कपडे उतारने में लगे हुए थे। कुछ ही देर बाद हम दोनों बिना कपडों के बिस्तर पर एक दूसरे को चूमने और सहलाने में बिजी थी। तभी रघू की नजर उस सोने की चेन पर गई जो उसने मुझे दी थी। वो चेन मुझे पहने हुए देखकर वो काफी खुश हुआ और फिरसे मुझे चुमने लगा। हमारा यह खेल काफी देर तक चलता रहा। जिसके रघु ने आखिरकार अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा ही दिया।
रघु का लण्ड बाकई में काफी बड़ा और मोटा था। जिस कारण इतनी बार चुदने के बाद भी मुझे उसका लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में दर्द का एहसास हो रहा था। पर मुझे काफी मजा भी आ रहा था। रघु करीब एक घंटे तक धुआँधार तरीके से मेरी चुदाई करता रहा और फिर उसने मेरी चूत में ही अपना पानी निकला दिया और मेरे बगल में लेट गया। इतनी लम्बी चुदाई से मैं अब काफी थक गई थी। इसलिए मैंने कंबल को हम दोनों के ऊपर डाला और रघु से लिपट कर सो गई।
सुबह करीब 5-6 बजे एक बार फिर रघू ने मुझे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया जिस कारण मेरी आँख खुल गई। पर मैंने रघु को वो सब करने से नहीं रोका और उसे चुपचाप मजे लेने दिए। कुछ देर बाद उसने एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। पर इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी। काफी देर तक चुदाई करने के बाद उसने फिर से मेरे अंदर ही अपना पानी निकाल दिया और फिर अपने कपडे पहनकर मेरे रूम से बाहर चला गया।
उसके जाते ही मैं अपना रूम अंदर से लॉक करके फिर से सो गई। सुबह करीब 9 बजे जब मैं दोबारा जागी तो तुरंत बाथरूम में घुस गई। नहा कर रेडी होने के बाद मैंने रूम सर्विस को कॉल करके अपने लिए कॉफी और नास्ता आर्डर कर दिया और सोफे पर बैठ कर कल रात गगन के घऱ खींचे गए फोटो चैक करने लगी। कुछ देर बाद ही रघू मेरे लिए नाश्ता और कॉफी रख कर चला गया।
मैं अपनी कॉफी और नास्ता इंजॉय कर ही रही थी कि तभी रघु मेरे कपडे जो मैंने लाऊँड्री के पास धुलने भेजे थे वोलेकर आ गया और फिर मेरे रूम की साफ सफाई करने लगा तो मैंने उसे विस्तर की बैडसीट और कम्बल भी चेंज करने के लिए भी बोल दिया। क्योंकि हमारी चुदाई के कारण वो अब काफी गंदे हो गए थे। रूम की अच्छी तरह से साफ सफाई करने के बाद रघू ने बेडसीट और कंबल भी चेंज कर दिऐ। तब तक मेरा नाश्ता भी खत्म हो गया था। इसलिए वो जैसे ही कचडा और गंदे कपडे लेकर वहाँ से जाने लगा तो मैंने उससे पूछा
निशा- अरे रघू मैं पूछ रही थी कि क्या मैं होटल की कार खुद ड्राईव करके कहीं ले जा सकती हूँ क्या
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- हाँ हाँ सपना जी…. आप चाहें तो ले जा सकती हैं। लेकिन उसके लिए आपको अपने ड्रायविंग लायसेंस की एक कॉपी जमा करनी होगी
हाँलाकि मेरे पास ड्रायविंग लायसेंस तो था, पर मैं होटल बालों को अपना असली नाम नहीं बताना चाहती थी। बैसे भी होटल रूम मेरी कम्पनी के नाम पर बुक था। ना की मेरे नाम पर। इसलिए मैं बोली
निशा- ओह सिट यार… वो तो मैं लेकर ही नहीं आई हूँ। चलो कोई बात नहीं मैं ऑटो बगैरह से चली जाऊँगी। क्योंकि दिन में तो तुम मेरे साथ जा नहीं सकते हो।
मेरी बात सुनकर रघु तुरंत बोला
रघु- नहीं नहीं सपना जी… ऐसी बात नहीं है। अगर आप कहेंगी तो मैं छुट्टी ले लूँगा
निशा- एक दो दिन की बात हो तो मैं बोल भी देती, पर मुझे कुछ दिनों तक लगातार अलग जगह काम पर जाना है। मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी बजह से अपनी नौकरी खतरे में डालो। किसी और ड्रायबर को मैं ले जाना नहीं चाहती। तुम समझ रहे हो ना मेरी प्राब्लम। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मैं किसी दूसरे को बता नहीं सकती। वो तो मैं तुम्हें पसंद करती हूँ इसलिए तुम्हें कुछ भी बताने में कोई भी प्राब्लम नहीं है।
मेरी बात सुनकर रघु कुछ सोचते हुए बोला
रघु- आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। मेरा एक दोस्त है जो डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट बना सकता है। आप अपनी डिटेल मुझे दे दो। मैं आपके डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट उससे बनबा दूँगा, और ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।
रघु की बात सुनकर मैंने उसे अपना नकली नाम और बाकी सारी नकली डिटेल दे दी और अपने मोबाईल से अपना एक सिंपिल फोटो भी उसके मोबाईल पर ट्रांशफर कर दिया। रघू के जाने के बाद मैंने रूम अंदर से लॉक किया और वो दोनों पार्सल खोल कर देखने लगी। जो हम रात में लाऐ थे। मैंने सबसे पहले बड़ा बॉक्स खोलकर देखा। असल में मैं जानना चाहती थी कि आखिर उन बॉक्स में ऐसा क्या है। जिस कारण इसका बजन इतना ज्यादा है।
जैसे ही मैंने उस बॉक्स को खोला तो मैं हैरान ही रह गई। उस गत्ते के बाक्स के अंदर एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था। जब मैंने उसे खोला तो वो पूरा का पूरा सोने के बिस्किट से भरा हुआ था। इतना ज्यादा सोना देखकर तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मुझे समझ मैं ही नहीं आ रहा था कि मैं उस सोने का मैं क्या करूँ। इसी उधेडबुन में मैंने दूसरे बॉक्स को खोलना भी शुरू कर दिया। जो आकार में थोडा छोटा और बजन में भी हल्का था। पहले बाक्स की तरह ही उसके अंदर भी एक प्लास्टिक का मजबूत बाक्स था।
जब मैंने उसे खोला तो उसमें ढेर सारे चमकते हुए हीरे भरे हुए। इतना सारा सोना और हीरे देखकर तो मैं जैसे पूरी तरह से ब्लैंक हो गई थी। मेरे सोचने समझने की क्षमता अब पूरी तरह से खत्म हो गई थी। मेरा पूरा शऱीर डर के कारण काँप रहा था। क्योंकि वो सारा सामन करोडों रूपयों का था। जिसकी मैंने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। मैं तो अनजाने में ही इस सब में पड गई थी। यह सारा सोना और ये हीरे जिसके भी थे वो पक्का शरीफ आदमी तो था नहीं। अगर किसी को गलती से भनक भी लग गई कि यह सब मेरे पास है या इसे गायब करने में मेरा हाथ है, तो पक्का वो लोग मेरी जान के पीछ पड जाऐंगे।
Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।