Nice update....Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।
कहानी जारी है......
Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।
कहानी जारी है......
Nice update....Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।
कहानी जारी है......
Bahut hi shaandar update diya hai redhat.ag bhai....Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।
कहानी जारी है......
Nice and superb update....Update 030 -
मैंने काँपते हाथों से दोनों बाक्स को बंद कर दिया और उन्हें अपने बिस्तर के नीचे खाली जगह में छिपा दिया। इस वक्त मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर के कारण मेरी हालत भी खराब थी। इसलिए मैं विस्तर पर लगभग गिर पडी और उन सबके बारे में सोचने लगी। काफी देर सोचने के बाद जब मुझे यकीन हो गया कि मैंने वो सामान लाने में ऐसा कोई भी सबूत नहीं छोडा है, जिससे वो लोग मेरे पीछे पड सकें। तो मैं थोडा रिलेक्स हुई। पर दो इंसान थे जिनके जरिये बो लोग मुझ तक पहूँच सकते थे।
पहला रघु जिसे इस सामान के बारे में कुछ भी पता नहीं था और ना ही उसे कोई पहचान सकता था। क्योंकि जब बो पार्सल लेने गया तो उसने मेरे कहने पर अपना चेहरा ढंक लिया था। इसलिए फिलहाल उससे मुझे कोई खतरा नहीं था और दूसरा इंसान था गगन। क्योंकि कल रात मैं गगन के साथ थी। उसके साथ मैंने जो हरकत की थी उससे जरूर बो मेरा दुश्मन बन गया होगा और जब उसे पार्सल गायब होने के बारे में पता चलेगा तो पक्का वो मेरी जान के पीछे पड जायेगा।
हाँलाकि कुछ दिनों तक तो वो कुछ भी करने की हालत में ही नहीं होगा। लेकिन जैसे ही पार्सल गायब होने के की बात उसकी गैंग को पता चलेगी, तो बो लोग गगन के पीछे पडेंगे और गगन पक्का मेरे पीछे पड जायेगा। इसलिए किसी भी तरह गगन का माईंड डायवर्ट करना पडेगा। पर कैसे यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने शाम को हरीश अंकल से मिलने का फैसला किया। ताकि गगन को हमेशा हमेशा के लिऐ खामोश किया जा सके।
बैसे भी मैंने गगन के घर पर ड्रग के पैकेट तो देख ही लिए थे। जो उसे जेल के अंदर डालने के लिए पर्याप्त थे। तभी मुझे उस ड्रग पैकेट की याद आई जो मैं गगन के यहाँ से लाई थी। उसकी याद आते ही मैंने तुरंत गगन के घर से लाऐ गए बैग को उठा लिया और उसमें से एक ड्रग का पैकेट निकलकर अपने हैंड बैग में रख लिया, ताकि मैं वो पैकेट हरीश अंकल को दे सकूँ। इसके बाद मैंने बैग के सारे पैसे बिस्तर पर गिरा दिए और उन्हें गिनने लगी। वो पूरे 85 लाख रूपये थे।
इतने सारे पैसे देखकर तो मैं पागल ही हो गई थी। आज तो मेरे हाथ में सच में खजाना ही लग गया था। पहले तो करोडों रूपये का सोना और हीरे ऊपर से लाखों रूपये। पर मेरा इन सभी पैसों को अपने पास रखने का कोई इरादा नहीं था। क्योंकि इनमें से कुछ पैसे उन लडकियों के भी थे, जिन्हें गगन ब्लैकमेल करता था। जिस कारण मैंने उन लडकियों के पैसे बापिस करने का फैसला कल रात को ही कर लिया था। इसलिए मैंने उन लडकियों के नाम बाली लिस्ट निकाली और उनके पैसे काऊंट करने लगी।
उस लिस्ट के अनुसार करीब 42 लाख रूपये उन लडकियों से गगन ने या तो लिए थे या उन्हें कॉलगर्ल बनाकर कमाए थे। इसलिए मैंने उन पैसों मैं से पूरे 45 लाख रूपये बापिस उस बैग में रख दिए ताकि सभी लडकियों के पैसे देने के बाद जो पैसे बचें उनमें से 1 – 1 लाख रूपये उन मरी हुई लडकियों के घऱ बालों को अलग से दे सकूँ। बाकी के 40 लाख रूपये मैंने अपने पैसों के साथ अलग रख दिए। अब मेरे पास करीब 55 लाख रूपये कैश और करोड़ों का सोना और हीरे थे। इतने सारे पैसों से तो मैं सारी जिंदगी किसी महारानी की तरह ऐश से गुजार सकती थी।
भोपाल आना मेरे लिए सच में बहुत लकी रहा था। पहला तो मैंने यहाँ आकर जी भर कर मजे लिए थे, ऊपर से इतना सारा पैसा भी मुझे मिल गया था कि मैं अपने सारे सपने पूरे कर सकती थी। अब तो मुझे और मेरे पति अमन को कहीं नौकरी करने की जरूरत भी नहीं थी। हम अपनी खुद की एक आई.टी. कम्पनी खडी कर सकते थे। पर अमन के बारे में सोचते ही मेरा चेहरा उदास हो गया। क्योंकि शादी के 3 साल बाद भी मुझे मेरे पति से बो प्यार और इज्जत नहीं मिली थी जो मुझे इन कुछ दिनों में यहाँ मिली थी। इसके अलावा अमन मुझे फिजीकली भी सैटिस्फाई नहीं कर पाता था और हमेशा मुझे अपने से छोटा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
मैं अब तक इतने सारे लोगों के साथ चुदाई कर चुकी थी तो मुझे पक्का यकीन था कि अब अमन मेरी वासना की आग कभी भी शांत नहीं कर पायेगा। बैसे भी अब जब मेरे पास इतना सारा पैसा था तो मैं क्यों भला उस कमजोर इंसान के साथ अपना जीवन वर्बाद करूँ। इससे अच्छा तो यह है कि उससे तलाक लेकर नये सिरे से और नई पहचान के साथ अपनी जिंदगी शुरू करूँ। पर इसके लिए मुझे पहले अमन के बापिस आने का इंतजार करना था। तब तक तो मुझे जैसा चल रहा है बैसे चलने देना होगा।
पर इतने सारे पैसे, सोने के बिस्किट और हीरे मैं अपने घऱ भी नहीं ले जा सकती थी। क्योंकि अगर अमन ने इन्हें देख लिया तो मैं उसे क्या जबाब दूँगी और मैं इन्हें यहाँ होटल रूम में भी तो नहीं रख सकती थी। मुझे इन सबको कहीं ना कहीं सुरक्षित तो रखना ही होगा। पर कहाँ बस यही समझ में नहीं आ रहा था। जब काफी देर मुझे कोई उपाय समझ नहीं आया तो मैंने सोचा कि जब तक इन सबको सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं मिल जाती तब तक क्यों ना यहीँ भोपाल में किसी बैंक के लॉकर में यह सारा सोना और हीरे रख दूँ।
साथ ही साथ मैं एक नया बैंक अकॉऊंट खुलवाकर उसमें सारा कैस भी जमा कर दूँगी। ताकि इन्हें फिलहाल संभालने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। फिलहाल यही तरीका मुझे सबसे ठीक लग रहा था। इसलिए मैंने अपने हिस्से के सारे पैसे एक बैग में डाले और रघु के आने का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे बाद ही रघु मेरे डुप्लीकेट डाक्यूमेंट लेकर आ गया था। रघु के आने से पहले ही मैंने बो दोनों बाक्स के पार्सल बापिस से पैक कर दिये थे। इसलिए ऱघू के बापिस आते ही मैंने वो दोनों पार्सल बापिस से गाडी में रखने के लिए बोल दिया और पैसों बाला बैग और एक खाली बैग लेकर मैंने रूम को लॉक किया और रघू के पीछे पीछे जाने लगी।
सारा सामान गाडी के अंदर रखने के बाद मैंने रघू से कार की चाबियाँ ली और होटल से निकल गई। मैं सबसे पहले एक सुनसान इलाके में पहूँची जहाँ मैंने उन दोनों बाक्स में से सोना और हीरे अपने साथ लाए खाली बैग में सिफ्ट किया। फिर बो दोनों बाक्स को उस सुनसान इलाके में झाडियों के पीछे फेंक दिया। ताकि उन बाक्स की सहायता से कोई मुझ तक ना पहूँच सके। इसके अलावा गगन के घर से लाया बैग भी मैंने बहीँ झाडियों में फेंक दिया था। क्योंकि यहाँ आने से पहले मैं उन लडकियों के सारे पैसे किसी दूसरे बैग में सिफ्ट कर चुकी थी।
जब मैंने मॉल से शॉपिंग की थी, तो उस समय मैंने 3 बैग भी खरीदे। क्योंकि मैं अपने साथ केवल 1 ही बैग लेकर आई थी। शॉपिंग करने के बाद मुझे बो सारे कपडे रखने के लिए 2 और बैग की जरूरत थी। पर जब कोई चीज फ्री में मिल रही तो तो 2 की जगह 3 लेने में कोई बुराई नहीं होती। यही सोचकर मैंन वहाँ से 3 बैग और ले लिए थे। जो आज मेरे बहुत काम आ रहे थे। यह सारा काम खत्म करके, मैं सीधा इण्डिया के सबसे बडे प्रायवेट बैंक की भोपाल ब्रांच में पहूँची। जहाँ जाने के लिए मैंने गूगल मैप का यूज किया था। उस बैंक की सबसे बडी खासीयत यह थी कि वो बैंक अपने कस्टमर कि डिटेल किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है।
यहाँ तक कि गवर्मेंट के साथ भी नहीं और वहाँ लॉकर भी आसानी से मिल जाता था। जो दूसरे बैंकों से काफी बडे होते थे। वो सारा सोना और हीरे रखने के लिए मुझे कम से कम 2-3 बडे बडे लॉकर की आवश्यकता पडने बाली थी। कार को पार्क करके मैंने दोनों बैग निकाले जो काफी ज्यादा भारी थे। लेकिन मेरे दोनों बैग में ब्हील लगे हुई थे। जिस कारण उन्हें बैंक के अंदर ले जाने में मुजे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। मैं सीधा बैंक मैनेजर के केबिन में पहूँच गई और उन्हें अपना अकॉऊँट खोलने और लॉकर लेने के बारे में बात करने लगी।
मैं काफी बड़ा अमाऊंट जमा कर रही थी। इसलिए मैनेजर ने जल्दी से सारी प्रासेस पूरी करवा दी। पर लॉकर लेने से पहले मैं एक बार उसकी साईज देखना चाहती थी। इसलिए मैनेजर से कहकर मैंने एक बार लॉकर रूम में जाकर लॉकर को चैक किया। मेरे सामान के हिसाब से मुझे 2 बडे साईज के लॉकर पर्याप्त लगे इसलिए मैंने दो बडे साईज के लॉकर बुक करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद मैनेजर ने तुरंत ही मेरा अकांउंट एक्टीबेट कर दिया था। जिसके साथ उसने मुझे चैकबुक के साथ साथ एक डेबिड कार्ड और एक क्रेडिट कार्ड भी दे दिया था, साथ ही साथ उसने मुझे लॉकर के टोकन कार्ड के साथ साथ उनकी चबियाँ भी दे दीं थी।
करीब 1 घंटे बाद मैं उस बैंक से दोनों खाली बैग लेकर बाहर निकल आई और दोनों खाली बैग को कार की पिछली सीट पर रखकर मैं ड्रायबिगं सीट पर बैठ गई। बैसे तो आज मेरा प्लान बॉस के दिये कामों को पूरा करने का था। पर मैंने अपने वो सारे प्लान एक दिन के लिए आगे बड़ा दिए थे। आज मैं गगन से रिलेटेड सारे मैटर को खत्म करने के मूड में थी। ताकि मैं फ्री माईँड से अपने सारे काम कर सकूँ। इसलिए मैंने कार मैं बैठ कर हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे अर्जेंट मिलने की बात कही, तो उन्होंने मुझे सीधे पुलिस हैडक्वाटर बुला लिया।
करीब आधे घंटे बाद मैं हरीश अंकल के सामने बैठी थी। मैंने उनके सामने गगन के घर से लाये एक ड्रग के पैकेट को रख दिया और उनके मोबाईल पर गगन के लॉकर में मिली डायरी के फोटो भी भेज दिये थे। जिन्हें देखकर डीजीपी सर हैरान थे। क्योंकि उन्हें यह सब काम इतनी जल्दी होने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। डीजीपी सर ने मुझसे गगन के घर की सारी डिटले ली और तुरंत उस एरिया के थाना इंचार्ज को गगन को जिंदा या मुर्दा पकडने के आर्डर दे दिया।
जिसे सुनकर मैं समझ गई कि उन्होंने इनडायरेक्ट गगन का इनकाऊंटर करने का आर्डर दे दिया है। यह सब काम खत्म होने के बाद मैं वहाँ से निकल गई और रास्ते में चैटिंग एप के ग्रुप पर सभी लोगों को अर्जेंट 1 घंटे में रवि के फार्म हाऊस पर मिलने के लिए बोल दिया। मेरे मैसेज करने के तुरंत बाद ही रवि का मेरे पास कॉल आया। वो मुझे रिसीव करने मेरे होटल आने बाला था, लेकिन मैं उसे होटल आने से मना कर दिया और मैंने खुद ही वहाँ जाने की बात कहकर फोन कट कर दिया। इसके बाद मैंने अपने होटल रूम में खाली बैग रख दिए। जिनके अंदर मैं पैसे और सोना बैंक में जमा करने ले गई थी। इसके बाद मैंने वहाँ रखा पैसों से भरा बैग उठाया, जो कि अपने दोस्तों को बापिस करना था।
इसके बाद मैं बापिस से कार में बैठकर रवि के फार्म हाऊस की तरफ निकल गई। चूँकि मुझे भूख लग रही थी इसलिए रास्ते में रुककर मैंने एक रेस्टोरेंट में खाना भी खाया था। जिस कारण मैं बाकी लोगों से थोडा लेट हो गई थी। मैं जब वहाँ पहूंची तब तक सभी लोग वहाँ पहूँच चुके थे। इससे पहले कोई कुछ कहता मैंने अपने साथ लाये बैग को टेबिल पर रख दिया और बोली
निशा- जो भी कहना या पूछना है वो सब बाद में पहले मेरी बात ध्यान से सुनो। कल मुझे गगन की कॉल आई थी, वो मुझसे मिलना चाहता था, इसलिए मैं कल रात उसके घर गई थी। जहाँ मैंने उसे धोखे से नींद की गोली खिला दी थी। उसके सोने के बाद मैंने उसके घर की तलाशी ली तो मुझे उसके घर में एक सीक्रेट लॉकर मिला, जिसमें ढेर सारे पैसे, काफी सारा ड्रग और एक डायरी मिली। जिसमें तुम सभी लडकियों के नाम और तुमसे लिए गए पैसे लिखे हुए थे। मैंने तुम लोगों के नाम बाले सारे पेज उस डायरी से निकाल लिए हैं और वहाँ रखे सारे पैसे इस बैग में है।
इसके बाद मैंने अपने बैग से डायरी के बो पेज निकाल कर रवि को दे दिये और बोली
निशा- रवि प्लीज इस लिस्ट के हिसाब से सभी को उनके पैसे बापिस कर दो और जो पैसे बच जाऐँ उन्हें अपने पास रखना, ताकि जब हम सब लोग उन तीनों लडकियों के घर बालों के लिए पैसे कलेक्ट करें तो उनके साथ साथ यह पैसे भी उनके घर बालों को दे सकें। हालाँकि मुझे पहले ही पता था कि सभी लडकियों को पैसे देने के बाद कुल 3 लाख रूपये बचने बाले थे। पर मैंने ऐसा जताने की कोशिश की थी जैसे मुझे नहीं पता इस बैग में कितने पैसे हैं।
मेरी बात सुनकर सभी लोग हैरान थे। उनमें से किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं यह सब कर सकती हूँ। इसलिए पूजा बोली
पूजा- पर हम सब तुम्हारा साथ अपने पैसे बापिस लेने के लिए नहीं दे रहे हैं। हम सब तो बस गगन को सजा देना चाहते हैं। इसलिए तुम्हारे साथ हैं।
पूजा की बात सुनकर मैंने मुस्कुराकर कहा
निशा- मुझे पता है। पर गगन को सजा मिल चुकी है। कुछ ही देर में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। मैंने उसकी सारी डिटेल पुलिस को दे दी है। तुम लोगों का सारा डाटा मैं पहले ही परमानेंट डिलीट कर चुकी हूँ। दुनिया का कोई भी एक्सपर्ट अब बो डाटा रिकवर नहीं कर सकता। यहाँ तक की मैंने अपने पास मौजूद सारा डाटा भी डिलीट कर दिया है और गगन की डायरी से भी तुम लोगों के नाम हटा दिये गये हैं। तो अब तुम सब आजाद हो।
मेरी बात सुनकर श्रेया बीच में ही बोल पडी
श्रेया- यह सब तो ठीक है। हमें पहले ही यकीन था कि तुमने जो कहा था वो तुम जरूर करोगी। पर हम सब मिलकर गगन को सजा देने बाले थे ना। उसका क्या….
निशा- तुम सबके बदले मैं खुद उसे इतनी बडी सजा दे चुकी हूँ कि वो सारी जिंदगी भूल नहीं पायेगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा हैरान होते हुए बोली
श्रेया- क्या…. तुम उसे पहले ही सजा दे चुकी हो…. पर तुमने उसे आखिर ऐसी कौन सी सजा दी है, जो वो सारी जिंदगी नहीं भूल पाऐगा
श्रेया की बात सुनकर मैंने रवि की तरफ देखते हुए कहा
निशा- प्लीज रवि क्या तुम कुछ देर के लिए बाहर जाओगे। मुझे कुछ ऐसी बातें इन सबको बतानी है, जो मैं तुम्हारे सामने नहीं बता सकती। आई होप तुम बुरा नहीं मानोगे। इट्स ऑनली गर्लस् टॉक
मेरी बात सुनकर रवि ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप उस हॉल से बाहर निकल गया।
कहानी जारी है......