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Update 032 -
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
Update 033 -
मेरे आते ही सभी लोगों ने पैसे कंट्रीब्यूट करने शुरू कर दिये। कुल मिलाकर हमारे पास 15 लाख रूपये इकट्ठा हो गए थे। जिन्हें लेकर हम लोग उन तीनों लडकियों के घर बारी बारी से गए और उनके माता पिता को बो पैसे दिए। पहले तो वो लोग हमसे पैसे लेना ही नहीं चाहते थे। पर जब हमने उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया, तब जाकर वो हमारी हेल्प लेने के लिए तैयार हुए। वो तीनों फैमिली हम सब से मिलकर काफी खुश हुईं थी। उन तीनों फैमिली की हैल्प करके हमें भी अपने अंदर एक सुकून का एहसास हो रहा था।
कल गगन की मौत से मुझे जो गिल्ट फील हो रहा था वो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। अब हमारे ग्रुप के सभी लोग एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। जिस कारण हम लोग आपस में काफी घुल मिलकर हँसी मजाक कर रहे थे। हमारे ग्रुप की दो लडकियों के पहले से ही बॉयफ्रेंड थे। वो दोनों लडकियों उन्हें भी अपने साथ लाईं थी। मुझे उन दोनों लडको का नेचर काफी अच्छा लगा। इसलिए हमने उन्हें भी हमारे ग्रुप में सामिल कर लिया था। अब हमारे ग्रुप में 3 लडके और 10 लडकियाँ थी।
रवि भी उन दोनों लडकों के हमारे ग्रुप में सामिल होने से खुश था। क्योंकि वो लोग पहले से ही अच्छे दोस्त थे, इसके अलावा ग्रुप में 2 नए लडके आने से उसे भी कम्पनी मिल गई थी। पर इतने दिनों से अब तक मेरी और रवि की ठीक से बात नहीं हुई थी। हालाँकि वो मुझसे अकेले में मिलकर बात करने की काफी कोशिश कर रहा था। पर मैं ही हर बार उसे टाल देती थी। मैं नहीं चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे के लिए मन में कोई फीलिंग लाऐं। इसलिए एक साथ डिनर करने के बाद मैं वहाँ से अपने होटल के लिए निकल गई थी।
आज फिर मुझे असलम के एक कस्टमर के पास जाना था। इसलिए होटल पहूँच कर मैंने कुछ देर अपने पति अमन से फोन पर बात की। जब से मैंने पहली बार किसी गैर मर्द से संबंध बनऐ थे, उस दिन से मैं लगभग हर रोज ही अमन से कुछ देर बात करती थी। पता नहीं क्यों पर अमन से बात करने के बाद किसी गैर मर्द की बाहों में जाने में मुझे बड़ा मजा आता था। साथ ही साथ मैं नहीं चाहती थी कि फिलहाल अमन मुझपर किसी भी प्रकार का कोई शक करे। खैर जो भी हो पर यह बात तो पक्की थी कि मैं अमन के आने के बाद उससे अलग होने का पूरा मन बना चुकी थी।
अगले कुछ दिनों तक मैं पूरी तरह से अपने ऑफिस के कामों में बिजी रही। सारा दिन ऑफिस के काम को पूरा करती और रात को या तो असलम के बताए क्लाईंट की बाहों में या फिर रघू की बहों में बिताती। मैं अपनी इस लाईफ से काफी खुश और संतुष्ट थी। यानि मैं सारी जिंदगी यह सब करने के लिए तैयार थी। पर मैं यह भी जानती थी कि ऐसा संभव नहीं है। कुछ ही सालों में मेरी जवानी ढलने लगेगी और मुझे कस्टमर मिलने बंद हो जाऐंगे।
जिस कारण मैंने अमन से अलग होकर कुछ और दिनों तक यह सब करने के बाद एक अच्छे इंसान को अपना जीवन साथी बनाने के बारे में भी सोच लिया था। पर फिलहाल इसमें समय था और मेरे पास पहले से ही कई सारे बिकल्प थे। जिनमें से रघु भी एक था। शायद इसीलिए मैंने रघु को अपने इतने पास आने दिया था और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश भी करती थी। रघु एक अच्छा लड़का था। उसने मुझे बताया था कि उसने ग्रेजुऐशन किया हुआ है। पर उसके परिवार की स्थिती अच्छी नहीं थी।
उसके माता पिता की मौत काफी पहले ही एक एक्सीडेंट में हो गई थी। रघू से बडी उसकी एक बहन थी। जिसकी शादि पहले ही तय हो गई। लेकिन उसकी शादी से पहले ही रघु के माता पिता की मौत हो गई थी और रघु के पास अपनी बहन की शादी के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण उसने अपना मकान बेचकर अपनी बडी बहन की शादी की थी। जिसके बाद से वो इसी होटल में काम कर रहा है और यहीं रहता है। मैं उसे एक अच्छी लाईफ देना चाहती थी।
इसलिए मैंने हरीश अंकल से उसे पुलिस फोर्स में नौकरी देने की सिफारिस भी की थी। हाँलाकि हरीश अंकल इसके लिए तैयार भी हो गए थे। लेकिन उनकी शर्त थी कि मैं भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करूँ। जिसके लिए फिलहाल मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने अमन से अलग होकर अपना खुद का बिजनेश करने और रघु को अपने साथ बिजिनेश में सामिल करने का प्लान बनाया था। खैर यह तो भविष्य की बातें थीं। पर फिलहाल आज मैं अपने बॉस के दिए सारे काम खत्म करके बहुत ज्यादा खुश थी।
आज 14 नबंबर था अब बस मुझे केवल एक दिन के लिए इंदौर ब्रांच में बिजिट करना था। उसके बाद अगले 15 दिन मैं पूरी तरह से फ्री थी। मैं अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसलिए इंदौर का काम खत्म करने के लिए मैंने आज रात की स्लीपर बस से इंदौर जाने का प्लान बना लिया था। जिसकी बुकिंग मैंने पहले ही ऑनलाईन कर ली थी। वो बस मुझे सुबह करीब 4 बजे इंदौर छोड देगी। जिसके बाद मैं किसी होटल में फ्रेस होकर अपनी इंदौर ब्रांच में बिजिट करके उसी रात दूसरी बस से भोपाल बापिस लौट सकती थी।
मेरा पूरा प्लान पहले से ही रेडी था। इसलिए अपने होटल पहूँचकर मैं अपनी पैकिंग करने लगी। मैंने बैग में दो जोडी कपडे, ब्रा-पेंटी सेट, एक कंबल और अपना लेपटॉप बगैरह रख लिया। फिर कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैंने अपने लिए लाईट डिनर ऑर्डर कर दिया। डिनर करने के बाद मैंने अपने कपडे चेंज किए। बस में तो मुझे बैसे ही सोना था। इसलिए मैंने एक लॉंग स्कर्ट पहन ली। फिर अपना टॉप और ब्रा निकाल कर एक कैमिसोल पहन लिया और उसके ऊपर मैंने एक शॉल डाल ली थी।
बैसे भी मुझे सोते समय ढीले ढाले कपडे पहनना पसंद है। कपडे चेंज करने के बाद मैंने अपना बैग लिया और रूम को अच्छी तरह लॉक करके ऑटो से बस स्टैंड के लिए निकल गई। मैं बस निकलने से थोडा पहले ही बस स्टैण्ड पहूँच गई थी। मेरी सीट पीछे की तरफ डबल बेड बाली सीट थी। इसलिए मुझे नहीं पता थी कि मेरे बगल में कौन आने बाला है। बैसे भी मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पड रहा था। क्योंकि अगर लड़की होगी तो कोई प्राब्लम नहीं है और यदि कोई लड़का या आदमी भी हुआ तो भी कोई दिक्कत नहीं थी। क्योंकि वो चलती बस में मेरे साथ थोडी बहुत छेडछाड ही कर पाऐया।
बैसे भी पिछले 16-17 दिन से लगातार मैं किसी ना किसी गैर मर्द के साथ ना केवल सो रही थी बल्की उनसे चुदवा भी रही थी। तो फिर बस में किसी गैर मर्द के साथ सोने में भला मुझे क्या दिक्कत होगी। मेरी सीट एक बाक्स की तरह थी जिसमें पतली प्लाईबुड का एक दरवाजा भी लगा हुआ था। जिसे खिसकाकर खोला या बंद किया जा सकता था। मैने अपनी सीट पर पहुँचकर बैग में से कंबल निकाला और बैग को एक कोने में रख कर लेट गई। कुछ देर बाद बस में दूसरी सबारियाँ भी आने लगीं थीं। जिनकी आवाजें मुझे सुनाई दे रहीं थी।
तभी अचानक से मेरी केबिन का दरवाजा ओपन हुआ और एक लड़का उसमें अंदर आ गया। पर मैं चुपचाप लेटकर सोने की कोशिश कर रही थी। उस लडके ने भी मुझे डिस्टर्व नहीं किया और अपना बैग सीट के नीचे सेट करके मेरे बगल में लेट गया। शायद उस लडके को लगा होगा कि मैं सो रही हूँ। इसलिए वो अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करके उससे बातें करने लगा। बैसे तो मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। पर उस लडके की बातें सुनकर मुझे मजा आने लगा था।
जिस कारण मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई और मैं उसकी बातें सुनने लगी। वो लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था। जिसे सुन कर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। तभी मेरी मन में आया कि क्यों ना थोडा सा इस लडके को परेशान किया जाऐ। इतना सोचते ही मैंने करवट ले ली और अपने कंबल को कुछ इस तरह से खिसकाया कि मेरी कमर से नीचे का हिस्सा कंबल से बाहर हो गया और ऊपर का हिस्सा कंबल के अंदर ही रहा। करवट लेने से मेरी स्कर्ट भी थोडा ऊपर खिसक गई थी जिस कारण मेरे घुटनों से नीचे के गोरे और चिकने पैर साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
शायद इतना ही उस लडके के लिए काफी था। क्योंकि जैसे ही उसने मेरे गाँड और चिकने गोरे टाँगों को देखा तो उसे एहसास हो गया कि वो किसी जवान लड़की के बगल में लेटा हुआ है। इसलिए उसने थोडी देर बात करने के बाद फोन कट कर दिया। इसके बाद वो अपने पैर खिसकाकर मेरे पैरों को टच करने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब उसकी इस हरकत पर मैंने कोई रियेक्शन नहीं दिया तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बड गई, जिसके बाद वो लडका अपने एक पैर से मेरे पैरों को हल्ले हल्के से सहलाने लगा। उस लडके कि इस हरकत से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पर बस अभी भी बस स्टैंड पर खडी थी। जिस कारण मैं कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी।
कुछ देर यूँ ही मेरे पैरों को सहलाने के बाद वो लडका धीरे धीरे मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा। पर मैं अब भी चुपचाप लेटी रही। उस लडके ने कुछ ही देर में मेरी पूरी स्कर्ट ऊपर की तरफ कर दी थी। स्कर्ट के अंदर मैंने जी-स्ट्रिंग टाईप पेंटी पहनी हुई थी, जो केवल चूत को ही ढंकने का काम करती है। बाकी का हिस्सा पतली डोरियों की तरह होता है। जिस कारण मेरी करीब पूरी नंगी गाँड उस लडके के सामने थी। मेरी खुली गाँड देखकर तो वो लड़का पागल ही हो गया था।
पता नहीं उसे क्या हुआ जो उसने अचानक से केविन डोर अंदर से लॉक कर लिया और मुझसे सट कर लेट गया। अब उसका खडा लण्ड मेरी गाँड को छू रहा था। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और सोने का नाटक करने लगा। मुझे अपनी गांड पर उस लडके का लण्ड झटके लेता हुआ महसूस हो रहा था। तभी अचानक से बस स्टार्ट हो गई तो उस लडके ने मौके का फायदा उठाकर अपने पेंट की जिप खोल ली और अपना खड़ा लण्ड निकाल कर मेरी गांड से टिका दिया।
उस लडके की इन हरकतों से मुझे भी काफी मजा आ रहा था। पर मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए लेटी हुई थी। अब तक उस लडके की हिम्मत काफी ज्यादा बड गई थी। जिस कराण उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे बूब्स पर भी रख दिया था। बैसे तो मैं चाहती तो एक ही झटके में उस लडके की इन सभी हरकतों को बंद करवा सकती थी। पर एक तो मुझे भी मजा आ रहा था और दूसरा मैं जानना चाहती थी कि यह लड़का इस चलती बस में मेरे साथ और क्या कर सकता है। तभी उस लडके ने धीरे धीरे मेरे बूब्स को सहलाना भी शूरू कर दिया था।
कुछ देर मेरे बूब्स सहलाने के बाद उसने अपना हाथ फिर से नीचे कर लिया और जैसे ही वो मेरी पैंटी के अंदर हाथ घुसाने लगा तो मैंने अचानक से उसका हाथ पकड लिया। मेरी इस हरकत से उस लड़की की बुरी तरह से फट गई थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब उसके गाल पर एक जोरदर थप्पड पडने बाला है और शोर मचाने के बाद बाकी लोग उसकी जो हालत करेंगे वो अलग। वो लडकी कुछ कर पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैं अचानक से पलट गई।
अभी हम भोपाल सिटी से बाहर नहीं निकले थे। जिस कराण स्ट्रीट लाईट की पर्याप्त रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी। जैसे ही मैंने उस लडके का चेहरा देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गई और बो लडका भी मुझे देखकर हैरान रह गया था। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि ऋषभ था। जिसकी वर्थडे पार्टी में मैं गई थी और जहाँ करीब करीब 20 लडकों ने रात भर मुझे जी भर कर बजाया था। ऋषभ को अपने सामने देखकर मेरे चेहरे पर स्माईल आ गई और मैंने उसका हाथ छोड दिया और बोली
निशा- ऋषभ तुम... और मैं सोच रही थी कि पता नहीं कौन है जो चलती बस में मेरे साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
ऋषभ भी मुझे देखकर अब रिलेक्स हो गया था। इसलिए जैसे ही मैंने उसका हाथ छोडा तो उसने अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला
ऋषभ- जैसे ही तुमने मेरा हाथ पकडा मेरी तो बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि अब मेरा गाल लाल होने बाला है और इज्जत का दिवाला निकलेगा वो अलग
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर बोली
निशा- यह तो तुम्हें कुछ करने से पहले ही सोचना चाहिए था। खैर छोडे यह सब और यह बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो
ऋषभ- अरे यार कल हमारा इंदौर में बॉलीबॉल मैच है। बस उसी के लिए हम लोग इंदौर जा रहे हैं।
निशा- मतलब तुम्हारे साथ इस बर में बाकी के लोग भी हैं
ऋषभ- हाँ ज्यादा नहीं बस हम 8 खिलाडी और एक कोच हैं। मेरे अलाबा बाकी 7 को तो तुम पहले से ही जानती हो। बस कोच सर को नहीं जानती।
निशा- चलो अब यह फालतू की हरकतें बंद करो और चुपचाप सो जाओ।
ऋषभ- अब जब तुम मेरे साथ लेटी हो तो एक राऊंड तो बनता है
निशा- पागल हो क्या... बस में यह सब... किसी को पता चल गया तो.... नहीं नहीं… मैं बस में कुछ नहीं करवाने बाली
ऋषभ- अरे यार चिंता मत करो…. आस पास की सारी सीटें हमारी ही हैं। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
निशा- लेकिन कल मैच भी तो है तुम्हारा.... स्टैमिना बचा कर रखो, कल मैच में काम आयेगा
ऋषभ- उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स किया था ना, तो अगले दिन के मैच में क्लीन स्वीप किया था हमने। तुम लकी हो हमारे लिए, कल हमारा फाईनल है, अगर आज फिर तुम्हारे साथ किया तो हम कल इन्टर कॉलेज चैम्पियनशिप पक्का जीत जाऐंगे।
ऋषभ की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- ऐसा कुछ नहीं होता
ऋषभ- जो भी हो पर मुझे तो तुम मेरे लिए लकी लगती हो
निशा- पर फिर भी हमारी आवाजों से बाकी लोगों को पता चल ही जाऐगा
ऋषभ- तो क्या…. वो लोग भी बहती गंगा में हाथ साफ कर लेंगे। तुम चिंता मत करो मैं सब मैनेज कर लूँगा और तुम्ही फीस भी तुम्हें मिल जाऐगी। रुको मैं सबसे बात करके आता हूँ और पैसे भी कलेक्ट कर लूँगा।
इतना बोलकर ऋषभ दरवाजा खोलकर केबिन से बाहर निकल गया। हाँलाकि मैं उसे रोकना चाहती थी, क्योंकि मैं चलती बस में यूं चुदवाने के बिलकुल मूड में नहीं थी और ना ही कुई रिस्क लेना चाहती थी। पर मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद मैंने सोचा चलो आज चलती बस में भी चुदवाने का एक्सपीरियंस ले ही लेती हूँ। पता नहीं फिर कभी यह मौका मिले ना मिले।
मेरे आते ही सभी लोगों ने पैसे कंट्रीब्यूट करने शुरू कर दिये। कुल मिलाकर हमारे पास 15 लाख रूपये इकट्ठा हो गए थे। जिन्हें लेकर हम लोग उन तीनों लडकियों के घर बारी बारी से गए और उनके माता पिता को बो पैसे दिए। पहले तो वो लोग हमसे पैसे लेना ही नहीं चाहते थे। पर जब हमने उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया, तब जाकर वो हमारी हेल्प लेने के लिए तैयार हुए। वो तीनों फैमिली हम सब से मिलकर काफी खुश हुईं थी। उन तीनों फैमिली की हैल्प करके हमें भी अपने अंदर एक सुकून का एहसास हो रहा था।
कल गगन की मौत से मुझे जो गिल्ट फील हो रहा था वो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। अब हमारे ग्रुप के सभी लोग एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। जिस कारण हम लोग आपस में काफी घुल मिलकर हँसी मजाक कर रहे थे। हमारे ग्रुप की दो लडकियों के पहले से ही बॉयफ्रेंड थे। वो दोनों लडकियों उन्हें भी अपने साथ लाईं थी। मुझे उन दोनों लडको का नेचर काफी अच्छा लगा। इसलिए हमने उन्हें भी हमारे ग्रुप में सामिल कर लिया था। अब हमारे ग्रुप में 3 लडके और 10 लडकियाँ थी।
रवि भी उन दोनों लडकों के हमारे ग्रुप में सामिल होने से खुश था। क्योंकि वो लोग पहले से ही अच्छे दोस्त थे, इसके अलावा ग्रुप में 2 नए लडके आने से उसे भी कम्पनी मिल गई थी। पर इतने दिनों से अब तक मेरी और रवि की ठीक से बात नहीं हुई थी। हालाँकि वो मुझसे अकेले में मिलकर बात करने की काफी कोशिश कर रहा था। पर मैं ही हर बार उसे टाल देती थी। मैं नहीं चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे के लिए मन में कोई फीलिंग लाऐं। इसलिए एक साथ डिनर करने के बाद मैं वहाँ से अपने होटल के लिए निकल गई थी।
आज फिर मुझे असलम के एक कस्टमर के पास जाना था। इसलिए होटल पहूँच कर मैंने कुछ देर अपने पति अमन से फोन पर बात की। जब से मैंने पहली बार किसी गैर मर्द से संबंध बनऐ थे, उस दिन से मैं लगभग हर रोज ही अमन से कुछ देर बात करती थी। पता नहीं क्यों पर अमन से बात करने के बाद किसी गैर मर्द की बाहों में जाने में मुझे बड़ा मजा आता था। साथ ही साथ मैं नहीं चाहती थी कि फिलहाल अमन मुझपर किसी भी प्रकार का कोई शक करे। खैर जो भी हो पर यह बात तो पक्की थी कि मैं अमन के आने के बाद उससे अलग होने का पूरा मन बना चुकी थी।
अगले कुछ दिनों तक मैं पूरी तरह से अपने ऑफिस के कामों में बिजी रही। सारा दिन ऑफिस के काम को पूरा करती और रात को या तो असलम के बताए क्लाईंट की बाहों में या फिर रघू की बहों में बिताती। मैं अपनी इस लाईफ से काफी खुश और संतुष्ट थी। यानि मैं सारी जिंदगी यह सब करने के लिए तैयार थी। पर मैं यह भी जानती थी कि ऐसा संभव नहीं है। कुछ ही सालों में मेरी जवानी ढलने लगेगी और मुझे कस्टमर मिलने बंद हो जाऐंगे।
जिस कारण मैंने अमन से अलग होकर कुछ और दिनों तक यह सब करने के बाद एक अच्छे इंसान को अपना जीवन साथी बनाने के बारे में भी सोच लिया था। पर फिलहाल इसमें समय था और मेरे पास पहले से ही कई सारे बिकल्प थे। जिनमें से रघु भी एक था। शायद इसीलिए मैंने रघु को अपने इतने पास आने दिया था और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश भी करती थी। रघु एक अच्छा लड़का था। उसने मुझे बताया था कि उसने ग्रेजुऐशन किया हुआ है। पर उसके परिवार की स्थिती अच्छी नहीं थी।
उसके माता पिता की मौत काफी पहले ही एक एक्सीडेंट में हो गई थी। रघू से बडी उसकी एक बहन थी। जिसकी शादि पहले ही तय हो गई। लेकिन उसकी शादी से पहले ही रघु के माता पिता की मौत हो गई थी और रघु के पास अपनी बहन की शादी के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण उसने अपना मकान बेचकर अपनी बडी बहन की शादी की थी। जिसके बाद से वो इसी होटल में काम कर रहा है और यहीं रहता है। मैं उसे एक अच्छी लाईफ देना चाहती थी।
इसलिए मैंने हरीश अंकल से उसे पुलिस फोर्स में नौकरी देने की सिफारिस भी की थी। हाँलाकि हरीश अंकल इसके लिए तैयार भी हो गए थे। लेकिन उनकी शर्त थी कि मैं भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करूँ। जिसके लिए फिलहाल मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने अमन से अलग होकर अपना खुद का बिजनेश करने और रघु को अपने साथ बिजिनेश में सामिल करने का प्लान बनाया था। खैर यह तो भविष्य की बातें थीं। पर फिलहाल आज मैं अपने बॉस के दिए सारे काम खत्म करके बहुत ज्यादा खुश थी।
आज 14 नबंबर था अब बस मुझे केवल एक दिन के लिए इंदौर ब्रांच में बिजिट करना था। उसके बाद अगले 15 दिन मैं पूरी तरह से फ्री थी। मैं अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसलिए इंदौर का काम खत्म करने के लिए मैंने आज रात की स्लीपर बस से इंदौर जाने का प्लान बना लिया था। जिसकी बुकिंग मैंने पहले ही ऑनलाईन कर ली थी। वो बस मुझे सुबह करीब 4 बजे इंदौर छोड देगी। जिसके बाद मैं किसी होटल में फ्रेस होकर अपनी इंदौर ब्रांच में बिजिट करके उसी रात दूसरी बस से भोपाल बापिस लौट सकती थी।
मेरा पूरा प्लान पहले से ही रेडी था। इसलिए अपने होटल पहूँचकर मैं अपनी पैकिंग करने लगी। मैंने बैग में दो जोडी कपडे, ब्रा-पेंटी सेट, एक कंबल और अपना लेपटॉप बगैरह रख लिया। फिर कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैंने अपने लिए लाईट डिनर ऑर्डर कर दिया। डिनर करने के बाद मैंने अपने कपडे चेंज किए। बस में तो मुझे बैसे ही सोना था। इसलिए मैंने एक लॉंग स्कर्ट पहन ली। फिर अपना टॉप और ब्रा निकाल कर एक कैमिसोल पहन लिया और उसके ऊपर मैंने एक शॉल डाल ली थी।
बैसे भी मुझे सोते समय ढीले ढाले कपडे पहनना पसंद है। कपडे चेंज करने के बाद मैंने अपना बैग लिया और रूम को अच्छी तरह लॉक करके ऑटो से बस स्टैंड के लिए निकल गई। मैं बस निकलने से थोडा पहले ही बस स्टैण्ड पहूँच गई थी। मेरी सीट पीछे की तरफ डबल बेड बाली सीट थी। इसलिए मुझे नहीं पता थी कि मेरे बगल में कौन आने बाला है। बैसे भी मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पड रहा था। क्योंकि अगर लड़की होगी तो कोई प्राब्लम नहीं है और यदि कोई लड़का या आदमी भी हुआ तो भी कोई दिक्कत नहीं थी। क्योंकि वो चलती बस में मेरे साथ थोडी बहुत छेडछाड ही कर पाऐया।
बैसे भी पिछले 16-17 दिन से लगातार मैं किसी ना किसी गैर मर्द के साथ ना केवल सो रही थी बल्की उनसे चुदवा भी रही थी। तो फिर बस में किसी गैर मर्द के साथ सोने में भला मुझे क्या दिक्कत होगी। मेरी सीट एक बाक्स की तरह थी जिसमें पतली प्लाईबुड का एक दरवाजा भी लगा हुआ था। जिसे खिसकाकर खोला या बंद किया जा सकता था। मैने अपनी सीट पर पहुँचकर बैग में से कंबल निकाला और बैग को एक कोने में रख कर लेट गई। कुछ देर बाद बस में दूसरी सबारियाँ भी आने लगीं थीं। जिनकी आवाजें मुझे सुनाई दे रहीं थी।
तभी अचानक से मेरी केबिन का दरवाजा ओपन हुआ और एक लड़का उसमें अंदर आ गया। पर मैं चुपचाप लेटकर सोने की कोशिश कर रही थी। उस लडके ने भी मुझे डिस्टर्व नहीं किया और अपना बैग सीट के नीचे सेट करके मेरे बगल में लेट गया। शायद उस लडके को लगा होगा कि मैं सो रही हूँ। इसलिए वो अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करके उससे बातें करने लगा। बैसे तो मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। पर उस लडके की बातें सुनकर मुझे मजा आने लगा था।
जिस कारण मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई और मैं उसकी बातें सुनने लगी। वो लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था। जिसे सुन कर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। तभी मेरी मन में आया कि क्यों ना थोडा सा इस लडके को परेशान किया जाऐ। इतना सोचते ही मैंने करवट ले ली और अपने कंबल को कुछ इस तरह से खिसकाया कि मेरी कमर से नीचे का हिस्सा कंबल से बाहर हो गया और ऊपर का हिस्सा कंबल के अंदर ही रहा। करवट लेने से मेरी स्कर्ट भी थोडा ऊपर खिसक गई थी जिस कारण मेरे घुटनों से नीचे के गोरे और चिकने पैर साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
शायद इतना ही उस लडके के लिए काफी था। क्योंकि जैसे ही उसने मेरे गाँड और चिकने गोरे टाँगों को देखा तो उसे एहसास हो गया कि वो किसी जवान लड़की के बगल में लेटा हुआ है। इसलिए उसने थोडी देर बात करने के बाद फोन कट कर दिया। इसके बाद वो अपने पैर खिसकाकर मेरे पैरों को टच करने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब उसकी इस हरकत पर मैंने कोई रियेक्शन नहीं दिया तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बड गई, जिसके बाद वो लडका अपने एक पैर से मेरे पैरों को हल्ले हल्के से सहलाने लगा। उस लडके कि इस हरकत से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पर बस अभी भी बस स्टैंड पर खडी थी। जिस कारण मैं कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी।
कुछ देर यूँ ही मेरे पैरों को सहलाने के बाद वो लडका धीरे धीरे मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा। पर मैं अब भी चुपचाप लेटी रही। उस लडके ने कुछ ही देर में मेरी पूरी स्कर्ट ऊपर की तरफ कर दी थी। स्कर्ट के अंदर मैंने जी-स्ट्रिंग टाईप पेंटी पहनी हुई थी, जो केवल चूत को ही ढंकने का काम करती है। बाकी का हिस्सा पतली डोरियों की तरह होता है। जिस कारण मेरी करीब पूरी नंगी गाँड उस लडके के सामने थी। मेरी खुली गाँड देखकर तो वो लड़का पागल ही हो गया था।
पता नहीं उसे क्या हुआ जो उसने अचानक से केविन डोर अंदर से लॉक कर लिया और मुझसे सट कर लेट गया। अब उसका खडा लण्ड मेरी गाँड को छू रहा था। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और सोने का नाटक करने लगा। मुझे अपनी गांड पर उस लडके का लण्ड झटके लेता हुआ महसूस हो रहा था। तभी अचानक से बस स्टार्ट हो गई तो उस लडके ने मौके का फायदा उठाकर अपने पेंट की जिप खोल ली और अपना खड़ा लण्ड निकाल कर मेरी गांड से टिका दिया।
उस लडके की इन हरकतों से मुझे भी काफी मजा आ रहा था। पर मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए लेटी हुई थी। अब तक उस लडके की हिम्मत काफी ज्यादा बड गई थी। जिस कराण उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे बूब्स पर भी रख दिया था। बैसे तो मैं चाहती तो एक ही झटके में उस लडके की इन सभी हरकतों को बंद करवा सकती थी। पर एक तो मुझे भी मजा आ रहा था और दूसरा मैं जानना चाहती थी कि यह लड़का इस चलती बस में मेरे साथ और क्या कर सकता है। तभी उस लडके ने धीरे धीरे मेरे बूब्स को सहलाना भी शूरू कर दिया था।
कुछ देर मेरे बूब्स सहलाने के बाद उसने अपना हाथ फिर से नीचे कर लिया और जैसे ही वो मेरी पैंटी के अंदर हाथ घुसाने लगा तो मैंने अचानक से उसका हाथ पकड लिया। मेरी इस हरकत से उस लड़की की बुरी तरह से फट गई थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब उसके गाल पर एक जोरदर थप्पड पडने बाला है और शोर मचाने के बाद बाकी लोग उसकी जो हालत करेंगे वो अलग। वो लडकी कुछ कर पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैं अचानक से पलट गई।
अभी हम भोपाल सिटी से बाहर नहीं निकले थे। जिस कराण स्ट्रीट लाईट की पर्याप्त रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी। जैसे ही मैंने उस लडके का चेहरा देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गई और बो लडका भी मुझे देखकर हैरान रह गया था। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि ऋषभ था। जिसकी वर्थडे पार्टी में मैं गई थी और जहाँ करीब करीब 20 लडकों ने रात भर मुझे जी भर कर बजाया था। ऋषभ को अपने सामने देखकर मेरे चेहरे पर स्माईल आ गई और मैंने उसका हाथ छोड दिया और बोली
निशा- ऋषभ तुम... और मैं सोच रही थी कि पता नहीं कौन है जो चलती बस में मेरे साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
ऋषभ भी मुझे देखकर अब रिलेक्स हो गया था। इसलिए जैसे ही मैंने उसका हाथ छोडा तो उसने अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला
ऋषभ- जैसे ही तुमने मेरा हाथ पकडा मेरी तो बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि अब मेरा गाल लाल होने बाला है और इज्जत का दिवाला निकलेगा वो अलग
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर बोली
निशा- यह तो तुम्हें कुछ करने से पहले ही सोचना चाहिए था। खैर छोडे यह सब और यह बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो
ऋषभ- अरे यार कल हमारा इंदौर में बॉलीबॉल मैच है। बस उसी के लिए हम लोग इंदौर जा रहे हैं।
निशा- मतलब तुम्हारे साथ इस बर में बाकी के लोग भी हैं
ऋषभ- हाँ ज्यादा नहीं बस हम 8 खिलाडी और एक कोच हैं। मेरे अलाबा बाकी 7 को तो तुम पहले से ही जानती हो। बस कोच सर को नहीं जानती।
निशा- चलो अब यह फालतू की हरकतें बंद करो और चुपचाप सो जाओ।
ऋषभ- अब जब तुम मेरे साथ लेटी हो तो एक राऊंड तो बनता है
निशा- पागल हो क्या... बस में यह सब... किसी को पता चल गया तो.... नहीं नहीं… मैं बस में कुछ नहीं करवाने बाली
ऋषभ- अरे यार चिंता मत करो…. आस पास की सारी सीटें हमारी ही हैं। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
निशा- लेकिन कल मैच भी तो है तुम्हारा.... स्टैमिना बचा कर रखो, कल मैच में काम आयेगा
ऋषभ- उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स किया था ना, तो अगले दिन के मैच में क्लीन स्वीप किया था हमने। तुम लकी हो हमारे लिए, कल हमारा फाईनल है, अगर आज फिर तुम्हारे साथ किया तो हम कल इन्टर कॉलेज चैम्पियनशिप पक्का जीत जाऐंगे।
ऋषभ की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- ऐसा कुछ नहीं होता
ऋषभ- जो भी हो पर मुझे तो तुम मेरे लिए लकी लगती हो
निशा- पर फिर भी हमारी आवाजों से बाकी लोगों को पता चल ही जाऐगा
ऋषभ- तो क्या…. वो लोग भी बहती गंगा में हाथ साफ कर लेंगे। तुम चिंता मत करो मैं सब मैनेज कर लूँगा और तुम्ही फीस भी तुम्हें मिल जाऐगी। रुको मैं सबसे बात करके आता हूँ और पैसे भी कलेक्ट कर लूँगा।
इतना बोलकर ऋषभ दरवाजा खोलकर केबिन से बाहर निकल गया। हाँलाकि मैं उसे रोकना चाहती थी, क्योंकि मैं चलती बस में यूं चुदवाने के बिलकुल मूड में नहीं थी और ना ही कुई रिस्क लेना चाहती थी। पर मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद मैंने सोचा चलो आज चलती बस में भी चुदवाने का एक्सपीरियंस ले ही लेती हूँ। पता नहीं फिर कभी यह मौका मिले ना मिले।