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मेरे आते ही सभी लोगों ने पैसे कंट्रीब्यूट करने शुरू कर दिये। कुल मिलाकर हमारे पास 15 लाख रूपये इकट्ठा हो गए थे। जिन्हें लेकर हम लोग उन तीनों लडकियों के घर बारी बारी से गए और उनके माता पिता को बो पैसे दिए। पहले तो वो लोग हमसे पैसे लेना ही नहीं चाहते थे। पर जब हमने उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया, तब जाकर वो हमारी हेल्प लेने के लिए तैयार हुए। वो तीनों फैमिली हम सब से मिलकर काफी खुश हुईं थी। उन तीनों फैमिली की हैल्प करके हमें भी अपने अंदर एक सुकून का एहसास हो रहा था।
कल गगन की मौत से मुझे जो गिल्ट फील हो रहा था वो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। अब हमारे ग्रुप के सभी लोग एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। जिस कारण हम लोग आपस में काफी घुल मिलकर हँसी मजाक कर रहे थे। हमारे ग्रुप की दो लडकियों के पहले से ही बॉयफ्रेंड थे। वो दोनों लडकियों उन्हें भी अपने साथ लाईं थी। मुझे उन दोनों लडको का नेचर काफी अच्छा लगा। इसलिए हमने उन्हें भी हमारे ग्रुप में सामिल कर लिया था। अब हमारे ग्रुप में 3 लडके और 10 लडकियाँ थी।
रवि भी उन दोनों लडकों के हमारे ग्रुप में सामिल होने से खुश था। क्योंकि वो लोग पहले से ही अच्छे दोस्त थे, इसके अलावा ग्रुप में 2 नए लडके आने से उसे भी कम्पनी मिल गई थी। पर इतने दिनों से अब तक मेरी और रवि की ठीक से बात नहीं हुई थी। हालाँकि वो मुझसे अकेले में मिलकर बात करने की काफी कोशिश कर रहा था। पर मैं ही हर बार उसे टाल देती थी। मैं नहीं चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे के लिए मन में कोई फीलिंग लाऐं। इसलिए एक साथ डिनर करने के बाद मैं वहाँ से अपने होटल के लिए निकल गई थी।
आज फिर मुझे असलम के एक कस्टमर के पास जाना था। इसलिए होटल पहूँच कर मैंने कुछ देर अपने पति अमन से फोन पर बात की। जब से मैंने पहली बार किसी गैर मर्द से संबंध बनऐ थे, उस दिन से मैं लगभग हर रोज ही अमन से कुछ देर बात करती थी। पता नहीं क्यों पर अमन से बात करने के बाद किसी गैर मर्द की बाहों में जाने में मुझे बड़ा मजा आता था। साथ ही साथ मैं नहीं चाहती थी कि फिलहाल अमन मुझपर किसी भी प्रकार का कोई शक करे। खैर जो भी हो पर यह बात तो पक्की थी कि मैं अमन के आने के बाद उससे अलग होने का पूरा मन बना चुकी थी।
अगले कुछ दिनों तक मैं पूरी तरह से अपने ऑफिस के कामों में बिजी रही। सारा दिन ऑफिस के काम को पूरा करती और रात को या तो असलम के बताए क्लाईंट की बाहों में या फिर रघू की बहों में बिताती। मैं अपनी इस लाईफ से काफी खुश और संतुष्ट थी। यानि मैं सारी जिंदगी यह सब करने के लिए तैयार थी। पर मैं यह भी जानती थी कि ऐसा संभव नहीं है। कुछ ही सालों में मेरी जवानी ढलने लगेगी और मुझे कस्टमर मिलने बंद हो जाऐंगे।
जिस कारण मैंने अमन से अलग होकर कुछ और दिनों तक यह सब करने के बाद एक अच्छे इंसान को अपना जीवन साथी बनाने के बारे में भी सोच लिया था। पर फिलहाल इसमें समय था और मेरे पास पहले से ही कई सारे बिकल्प थे। जिनमें से रघु भी एक था। शायद इसीलिए मैंने रघु को अपने इतने पास आने दिया था और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश भी करती थी। रघु एक अच्छा लड़का था। उसने मुझे बताया था कि उसने ग्रेजुऐशन किया हुआ है। पर उसके परिवार की स्थिती अच्छी नहीं थी।
उसके माता पिता की मौत काफी पहले ही एक एक्सीडेंट में हो गई थी। रघू से बडी उसकी एक बहन थी। जिसकी शादि पहले ही तय हो गई। लेकिन उसकी शादी से पहले ही रघु के माता पिता की मौत हो गई थी और रघु के पास अपनी बहन की शादी के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण उसने अपना मकान बेचकर अपनी बडी बहन की शादी की थी। जिसके बाद से वो इसी होटल में काम कर रहा है और यहीं रहता है। मैं उसे एक अच्छी लाईफ देना चाहती थी।
इसलिए मैंने हरीश अंकल से उसे पुलिस फोर्स में नौकरी देने की सिफारिस भी की थी। हाँलाकि हरीश अंकल इसके लिए तैयार भी हो गए थे। लेकिन उनकी शर्त थी कि मैं भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करूँ। जिसके लिए फिलहाल मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने अमन से अलग होकर अपना खुद का बिजनेश करने और रघु को अपने साथ बिजिनेश में सामिल करने का प्लान बनाया था। खैर यह तो भविष्य की बातें थीं। पर फिलहाल आज मैं अपने बॉस के दिए सारे काम खत्म करके बहुत ज्यादा खुश थी।
आज 14 नबंबर था अब बस मुझे केवल एक दिन के लिए इंदौर ब्रांच में बिजिट करना था। उसके बाद अगले 15 दिन मैं पूरी तरह से फ्री थी। मैं अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसलिए इंदौर का काम खत्म करने के लिए मैंने आज रात की स्लीपर बस से इंदौर जाने का प्लान बना लिया था। जिसकी बुकिंग मैंने पहले ही ऑनलाईन कर ली थी। वो बस मुझे सुबह करीब 4 बजे इंदौर छोड देगी। जिसके बाद मैं किसी होटल में फ्रेस होकर अपनी इंदौर ब्रांच में बिजिट करके उसी रात दूसरी बस से भोपाल बापिस लौट सकती थी।
मेरा पूरा प्लान पहले से ही रेडी था। इसलिए अपने होटल पहूँचकर मैं अपनी पैकिंग करने लगी। मैंने बैग में दो जोडी कपडे, ब्रा-पेंटी सेट, एक कंबल और अपना लेपटॉप बगैरह रख लिया। फिर कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैंने अपने लिए लाईट डिनर ऑर्डर कर दिया। डिनर करने के बाद मैंने अपने कपडे चेंज किए। बस में तो मुझे बैसे ही सोना था। इसलिए मैंने एक लॉंग स्कर्ट पहन ली। फिर अपना टॉप और ब्रा निकाल कर एक कैमिसोल पहन लिया और उसके ऊपर मैंने एक शॉल डाल ली थी।
बैसे भी मुझे सोते समय ढीले ढाले कपडे पहनना पसंद है। कपडे चेंज करने के बाद मैंने अपना बैग लिया और रूम को अच्छी तरह लॉक करके ऑटो से बस स्टैंड के लिए निकल गई। मैं बस निकलने से थोडा पहले ही बस स्टैण्ड पहूँच गई थी। मेरी सीट पीछे की तरफ डबल बेड बाली सीट थी। इसलिए मुझे नहीं पता थी कि मेरे बगल में कौन आने बाला है। बैसे भी मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पड रहा था। क्योंकि अगर लड़की होगी तो कोई प्राब्लम नहीं है और यदि कोई लड़का या आदमी भी हुआ तो भी कोई दिक्कत नहीं थी। क्योंकि वो चलती बस में मेरे साथ थोडी बहुत छेडछाड ही कर पाऐया।
बैसे भी पिछले 16-17 दिन से लगातार मैं किसी ना किसी गैर मर्द के साथ ना केवल सो रही थी बल्की उनसे चुदवा भी रही थी। तो फिर बस में किसी गैर मर्द के साथ सोने में भला मुझे क्या दिक्कत होगी। मेरी सीट एक बाक्स की तरह थी जिसमें पतली प्लाईबुड का एक दरवाजा भी लगा हुआ था। जिसे खिसकाकर खोला या बंद किया जा सकता था। मैने अपनी सीट पर पहुँचकर बैग में से कंबल निकाला और बैग को एक कोने में रख कर लेट गई। कुछ देर बाद बस में दूसरी सबारियाँ भी आने लगीं थीं। जिनकी आवाजें मुझे सुनाई दे रहीं थी।
तभी अचानक से मेरी केबिन का दरवाजा ओपन हुआ और एक लड़का उसमें अंदर आ गया। पर मैं चुपचाप लेटकर सोने की कोशिश कर रही थी। उस लडके ने भी मुझे डिस्टर्व नहीं किया और अपना बैग सीट के नीचे सेट करके मेरे बगल में लेट गया। शायद उस लडके को लगा होगा कि मैं सो रही हूँ। इसलिए वो अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करके उससे बातें करने लगा। बैसे तो मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। पर उस लडके की बातें सुनकर मुझे मजा आने लगा था।
जिस कारण मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई और मैं उसकी बातें सुनने लगी। वो लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था। जिसे सुन कर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। तभी मेरी मन में आया कि क्यों ना थोडा सा इस लडके को परेशान किया जाऐ। इतना सोचते ही मैंने करवट ले ली और अपने कंबल को कुछ इस तरह से खिसकाया कि मेरी कमर से नीचे का हिस्सा कंबल से बाहर हो गया और ऊपर का हिस्सा कंबल के अंदर ही रहा। करवट लेने से मेरी स्कर्ट भी थोडा ऊपर खिसक गई थी जिस कारण मेरे घुटनों से नीचे के गोरे और चिकने पैर साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
शायद इतना ही उस लडके के लिए काफी था। क्योंकि जैसे ही उसने मेरे गाँड और चिकने गोरे टाँगों को देखा तो उसे एहसास हो गया कि वो किसी जवान लड़की के बगल में लेटा हुआ है। इसलिए उसने थोडी देर बात करने के बाद फोन कट कर दिया। इसके बाद वो अपने पैर खिसकाकर मेरे पैरों को टच करने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब उसकी इस हरकत पर मैंने कोई रियेक्शन नहीं दिया तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बड गई, जिसके बाद वो लडका अपने एक पैर से मेरे पैरों को हल्ले हल्के से सहलाने लगा। उस लडके कि इस हरकत से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पर बस अभी भी बस स्टैंड पर खडी थी। जिस कारण मैं कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी।
कुछ देर यूँ ही मेरे पैरों को सहलाने के बाद वो लडका धीरे धीरे मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा। पर मैं अब भी चुपचाप लेटी रही। उस लडके ने कुछ ही देर में मेरी पूरी स्कर्ट ऊपर की तरफ कर दी थी। स्कर्ट के अंदर मैंने जी-स्ट्रिंग टाईप पेंटी पहनी हुई थी, जो केवल चूत को ही ढंकने का काम करती है। बाकी का हिस्सा पतली डोरियों की तरह होता है। जिस कारण मेरी करीब पूरी नंगी गाँड उस लडके के सामने थी। मेरी खुली गाँड देखकर तो वो लड़का पागल ही हो गया था।
पता नहीं उसे क्या हुआ जो उसने अचानक से केविन डोर अंदर से लॉक कर लिया और मुझसे सट कर लेट गया। अब उसका खडा लण्ड मेरी गाँड को छू रहा था। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और सोने का नाटक करने लगा। मुझे अपनी गांड पर उस लडके का लण्ड झटके लेता हुआ महसूस हो रहा था। तभी अचानक से बस स्टार्ट हो गई तो उस लडके ने मौके का फायदा उठाकर अपने पेंट की जिप खोल ली और अपना खड़ा लण्ड निकाल कर मेरी गांड से टिका दिया।
उस लडके की इन हरकतों से मुझे भी काफी मजा आ रहा था। पर मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए लेटी हुई थी। अब तक उस लडके की हिम्मत काफी ज्यादा बड गई थी। जिस कराण उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे बूब्स पर भी रख दिया था। बैसे तो मैं चाहती तो एक ही झटके में उस लडके की इन सभी हरकतों को बंद करवा सकती थी। पर एक तो मुझे भी मजा आ रहा था और दूसरा मैं जानना चाहती थी कि यह लड़का इस चलती बस में मेरे साथ और क्या कर सकता है। तभी उस लडके ने धीरे धीरे मेरे बूब्स को सहलाना भी शूरू कर दिया था।
कुछ देर मेरे बूब्स सहलाने के बाद उसने अपना हाथ फिर से नीचे कर लिया और जैसे ही वो मेरी पैंटी के अंदर हाथ घुसाने लगा तो मैंने अचानक से उसका हाथ पकड लिया। मेरी इस हरकत से उस लड़की की बुरी तरह से फट गई थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब उसके गाल पर एक जोरदर थप्पड पडने बाला है और शोर मचाने के बाद बाकी लोग उसकी जो हालत करेंगे वो अलग। वो लडकी कुछ कर पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैं अचानक से पलट गई।
अभी हम भोपाल सिटी से बाहर नहीं निकले थे। जिस कराण स्ट्रीट लाईट की पर्याप्त रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी। जैसे ही मैंने उस लडके का चेहरा देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गई और बो लडका भी मुझे देखकर हैरान रह गया था। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि ऋषभ था। जिसकी वर्थडे पार्टी में मैं गई थी और जहाँ करीब करीब 20 लडकों ने रात भर मुझे जी भर कर बजाया था। ऋषभ को अपने सामने देखकर मेरे चेहरे पर स्माईल आ गई और मैंने उसका हाथ छोड दिया और बोली
निशा- ऋषभ तुम... और मैं सोच रही थी कि पता नहीं कौन है जो चलती बस में मेरे साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
ऋषभ भी मुझे देखकर अब रिलेक्स हो गया था। इसलिए जैसे ही मैंने उसका हाथ छोडा तो उसने अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला
ऋषभ- जैसे ही तुमने मेरा हाथ पकडा मेरी तो बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि अब मेरा गाल लाल होने बाला है और इज्जत का दिवाला निकलेगा वो अलग
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर बोली
निशा- यह तो तुम्हें कुछ करने से पहले ही सोचना चाहिए था। खैर छोडे यह सब और यह बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो
ऋषभ- अरे यार कल हमारा इंदौर में बॉलीबॉल मैच है। बस उसी के लिए हम लोग इंदौर जा रहे हैं।
निशा- मतलब तुम्हारे साथ इस बर में बाकी के लोग भी हैं
ऋषभ- हाँ ज्यादा नहीं बस हम 8 खिलाडी और एक कोच हैं। मेरे अलाबा बाकी 7 को तो तुम पहले से ही जानती हो। बस कोच सर को नहीं जानती।
निशा- चलो अब यह फालतू की हरकतें बंद करो और चुपचाप सो जाओ।
ऋषभ- अब जब तुम मेरे साथ लेटी हो तो एक राऊंड तो बनता है
निशा- पागल हो क्या... बस में यह सब... किसी को पता चल गया तो.... नहीं नहीं… मैं बस में कुछ नहीं करवाने बाली
ऋषभ- अरे यार चिंता मत करो…. आस पास की सारी सीटें हमारी ही हैं। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
निशा- लेकिन कल मैच भी तो है तुम्हारा.... स्टैमिना बचा कर रखो, कल मैच में काम आयेगा
ऋषभ- उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स किया था ना, तो अगले दिन के मैच में क्लीन स्वीप किया था हमने। तुम लकी हो हमारे लिए, कल हमारा फाईनल है, अगर आज फिर तुम्हारे साथ किया तो हम कल इन्टर कॉलेज चैम्पियनशिप पक्का जीत जाऐंगे।
ऋषभ की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- ऐसा कुछ नहीं होता
ऋषभ- जो भी हो पर मुझे तो तुम मेरे लिए लकी लगती हो
निशा- पर फिर भी हमारी आवाजों से बाकी लोगों को पता चल ही जाऐगा
ऋषभ- तो क्या…. वो लोग भी बहती गंगा में हाथ साफ कर लेंगे। तुम चिंता मत करो मैं सब मैनेज कर लूँगा और तुम्ही फीस भी तुम्हें मिल जाऐगी। रुको मैं सबसे बात करके आता हूँ और पैसे भी कलेक्ट कर लूँगा।
इतना बोलकर ऋषभ दरवाजा खोलकर केबिन से बाहर निकल गया। हाँलाकि मैं उसे रोकना चाहती थी, क्योंकि मैं चलती बस में यूं चुदवाने के बिलकुल मूड में नहीं थी और ना ही कुई रिस्क लेना चाहती थी। पर मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद मैंने सोचा चलो आज चलती बस में भी चुदवाने का एक्सपीरियंस ले ही लेती हूँ। पता नहीं फिर कभी यह मौका मिले ना मिले।
रवि के बाहर जाते ही मैंने गगन के घर खींचे फोटो अपने मोबाईल में ओपन किये और श्रेया को अपना मोबाईल पकडा दिया। उन फोटो को देखकर श्रेया बुरी तरह से हैरान रह गई। उससे तो कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था। सारे फोटो देखने के बाद उसने मेरा मोबाईल दूसरी लड़की को पास कर दिया। इस प्राकर एक एक करके सभी लडकियों ने बो फोटो देखे। सभी की हालत श्रेया की तरह ही थी। आखिरकार श्रेया ने सबसे पहले अपने आप को संभाला और बोली
श्रेया- क्या यह सब सच है। तुमने सच में गगन के साथ वो सब किया है।
निशा- हाँ और मैंने तुम लोगों को दिखाने के लिए ही ऐ सारे फोटो खींचे थे। अब इनकी कोई जरूरत नहीं है। इसलिए मैं इन्हें डीलीट कर रही हूँ।
इतना बोलकर मैंने उन सभी फोटो को डिलीट कर दिया और फिर बोली
निशा- क्या इससे बडी सजा किसी लडके को मिल सकती है
मेरे सबाल पर सभी ने ना में अपनी गर्दन हिला दी।
निशा- तो अब हमारा मिशन कम्प्लीट हुआ। अब से सब अपनी अपनी जिंदगी जीने के लिए आजाद हैं।
मैं यह सब बोल ही रही थी कि तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया तो मैं तुरंत उनका कॉल रिसीव करते हुए बाहर निकल गई। मुझे बाहर फोन पर बात करता हुआ देख गगन अंदर हॉल में चला गया। कुछ देर बाद जब मैं अंदर आई तो बोली
निशा- एक बुरी खबर है। गगन पुलिस के हाथों से बच कर निकल गया है। पर पुलिस ने अलर्ट भेज दिया है। हर जगह उसकी तलास की जा रही है। जल्द ही पुलिस उसको पकड लेगी। लेकिन जब तक वो पकडा नहीं जाता, तब तक सभी लोग थोडा अलर्ट रहना। क्योंकि फिलहाल उसकी मानसिक स्थिती ठीक नहीं है। बैसे तो बो जिस हालत में है उसमें वो ज्यादा भाग नहीं सकता और वो काफी ज्यादा दर्द में भी होगा।
इतना बोलकर मैंने कुछ देर सोचा और फिर बोली
निशा- गाईज ध्यान रखना अगर गगन कहीं पर भी हम में से किसी को भी दिखाई दे, तो जितनी जल्दी हो सके भागर उससे दूर चले जाना और तुरंत पुलिस को और हममें से किसी को भी इन्फार्म कर देना। ताकि बाकी लोग अलर्ट हो सकें। लेकिन अगर उससे दूर भागने का मौका ना मिले, तो डरने की जरूरत नहीं है। उससे नॉर्मल तरीके से बात करना बिल्कुल बैसे जैसे तुम लोग कुछ दिन पहले करते थे। यानि उसे पता नहीं चलता चाहिए कि सारे बीडियो डिलीट होने बाली बात तुम्हें पता है और उसकी सारी सच्चाई तुम जानती हो और हाँ पैनिक मत होना। असल में वो तुम्हारे पीछे नहीं बल्कि मेरी तलाश में होगा। क्योंकि वो अपनी इस हालत का जिम्मेदार केवल मुझे मान रहा होगा।
मेरी बात सुनकर श्रेया बोली
श्रेया- यार सपना हम लोगों के चक्कर में तुम मुशीबत में पड गई हो।
निशा- कोई बात नहीं दोस्तों के लिए इतना तो चलता है। बैसे अगर गगन तुम लोगों को कहीं मिले और मेरे बारे में पूछे, तो तुम लोग मुझे पहचानने से साफ इंकार कर देना। खासकर रश्मि और रवि तुम दोनों। क्योंकि वो पहले ही हम तीनों को एक साथ देख चुका है। इसलिए तुम्हें बस ऐसा दिखाना है कि तुम लोग मुझे नहीं जानते और मैं बस उसकी इमेजिनेशन हूँ। और हाँ जब तक कि वो पकडा नहीं जाता तब तक तुम लोग मुझसे मिलने की कोशिश मत करना। इसलिए अब मैं यहाँ से जा रही हूँ। मेरे जाने के कुछ देर बाद ही तुम लोग यहाँ से निकलना और अकेले मत जाना। जो लोग ऑटो बगैरह से आये हैं उन्हें रवि और श्रेया घर छोड देंगे।
मेरी बात सुनकर श्रेया ने कहा
श्रेया- पर सपना तुम? तुम हम सबसे ज्यादा खतरे में हो। रुको मैं पापा से बात करके तुम्हारे लिए सिक्योरिटी की इंतजाम करवाती हूँ।
श्रेया की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली
निशा- मेरी फिक्र मत करो और मुझे किसी सिक्योरिटी की आवश्यकता नहीं है। अगर मेरे आस पास पुलिस हुई तो गगन अपना टारगेट चेंज करके मेरी जगह रश्मि या रवि के पीछे जा सकता है। इससे अच्छा तो यही है कि वो मेरे पीछे आये ताकि में समय रहते पुलिस को इन्फार्म कर दूँ और उसका ध्यान तुम लोगों की तरफ भी नहीं जाऐगा।
इतना बोलकर मैं वहाँ से निकल गई। वहाँ से जाने के बाद मैं अकेले ही उस दिन भोपाल में अलग अलग जगह पर घूमती रही ताकि अगर गगन मेरी तलास कर रहा हो तो मुझे अकेला देखकर मेरे सामने आये, पर वो नहीं आया। आखिरकार रात करीब 9 बजे मैं अपने होटल पहूँच गई। खाना मैं पहले ही बाहर खाकर आई थी। इसलिए मैंने अपने कपडे चेंज किये और रघू को कॉल करके अपने पास बुला लिया। बैसे भी मेरा आज का पूरा दिन भागदौड और टेंशन में निकला था। इसलिए मैं अब रघू के साथ इंजॉय करके अपने आप को रिलेक्स करना चाहती थी।
रघू भी शायद मेरे ही कॉल का ही इंतजार कर रहा था। मेरे कॉल करने के कुछ ही देर वाद वो मेरे रूम में आ गया। उसके आते ही मैंने अपना रूम अंदर से लॉक किया और फिर हम दोनों एक दूसरे पर टूट पडे। एक दूसरे को पूरी तरह से सेटिस्फाई करने और थकाने के बाद हम दोनों ही एक दूसरे की बाहों में सो गए। पिछली रात की तरह इस बार भी सुबह सुबह एक दूसरे को सेटिसफाई करने के बाद रघू मेरे रूम से चला गयाष जिसके बाद मैं कुछ देर और रेस्ट करती रही।
अब चूँकि मैं गगन के डर से यूँ ही अपने होटल रूम के अंदर बंद नहीं रह सकती थी। इसलिए मैंने बॉस के दिए पेंडिंग कामों को निपटाने का प्लान बनाया और फिर तुरंत तैयार होकर बाथरूम में घुस गई। तैयार होने के बाद मैंने कॉफी और नास्ता रूम में ही मंगवा लिया था। जिसे खत्म करने के बाद मैंने होटल के काऊंटर से कार की चाबी ली और अपने काम पर निकल गई। अगले दो दिनों तक मैंने बॉस की दी गई लिस्ट के हिसाब से भोपाल के करीब करीब आधे से ज्यादा काम खत्म कर दिए थे।
अब ज्यादातर काम भोपाल से बाहर की लोकेशन के थे। जो भोपाल से ज्यादा दूर नहीं थे। इसलिए मैंने अगले दिन से भोपाल से बाहर की लोकेशन पर विजिट करने का प्लान बनाया था। बाकि लोकल के कामों को मैंने बाद के लिए पेंडिंग डाल दिया था। असल में मैंने सोचा था कि जिस दिन भी आऊटर लोकेशन से जल्दी फ्री हो जाऊंगी, उस दिन लोकल के काम देख लूँगी। इसलिए आज के सारे काम खत्म कर के मैं होटल बापिस जा रही थी। शाम के करीब 6 बजे का समय था। तभी मेरे नये मोबाईल के चैटिंग एप पर एक मैसेज आया।
मैंने अपनी कार साईड में रोकी और चैटिंग एप को ओपन करके देखने लगी, तो उसमें पूजा का मैसेज था। उसने एक फोटो शेयर की थी। जिसमें किसी लड़की के पीछे जाते एक लडके पर मेरी नजर पडी। वो कोई और नहीं बल्कि गगन था। जो काफी कमजोर दिखाई दे रहा था। अभी मैं फोटो देख ही रही थी कि तभी एक के बाद एक मैसेज आने शुरू हो गए, मैंने देखा कुछ और लडकियों ने भी फोटो में गगन को देख लिया था और वो लोकेशन पूछ रही थी। तभी पूजा का फिर से मैसेज आया जिसमें लिखा था।
“बडा तालाब पर रश्मि और रवि का पीछा कर रहा है।”
रश्मि और रवि के साथ होने की बात से मुझे पता नहीं क्यों पर थोडा दूख हुआ, लेकिन अगले ही पल मैं नॉर्मल हो गई और तुरंत हरीष अंकल को गगन की लोकेशन बताकर अपनी कार बड़ा तालाब की तरफ मोड दी। मुझे पक्का यकीन था कि गगन उन दोनों से मेरे बारे में जरूर पूछेगा। अगर उन दोनों ने कुछ नहीं बताया तो वो कुछ उल्टा सीधा भी कर सकता था। इसलिए गगन को किसी भी तरह अपनी तरफ डायवर्ट करना होगा। बड़ा तालाब मेरी लोकेशन से काभी दूर था। इसलिए मैंने अपनी कार की स्पीड बड़ा दी थी।
मेरे वहाँ पहूँचने पहले ही श्रेया और बाकी की लडकियाँ भी वहाँ आ गई थी। बड़ा तालाब पर पहूँचकर मैंने अपनी कार पार्क की और पूजा की तरफ बड गई। मैंने पूजा को कॉल करके पहले ही उसकी लोकेशन पूछ ली थी। इसलिए मुझे उसे ढूँडने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई। पूजा के पास जाकर मैंने वाकी लोगों को वहाँ से तुरंत जाने के लिए बोल दिया। पर वो लोग वहाँ से जाना नहीं चाहते थे। इसलिए आखिरकार मैं उन्हें दो दो के ग्रुप में दूर से नजर रखने की बोलकर पैदल ही रवि और रश्मि की तरफ बड गई।
मैं रवि और रश्मि से थोडी दूरी पर एक पानी पूडी बाले की दुकान पर खडी होकर पानी पूडी खाने लगी। रवि और रश्मि ने मुझे वहाँ देख लिया था। लेकिन मैंने उन्हें अपने पास ना आने का इशारा किया और पानी पूडी खाने लगी। उन दोनों को भी गगन के उनके आस पास होने की बात पता चल गई थी। इसलिए पहले तो वो वहाँ से निकलने की फिराक में थे। पर मुझे वहाँ देखकर वो दोनों रुक गए। मैं पूरा यकीन था कि इतनी भीड में गगन कोई गलत हरकत नहीं करेगा।
लेकिन पुलिस के आने के बाद वो अपने बचाव में कुछ भी कर सकता था। इसलिए मैं गगन का ध्यान अपनी तरफ खींचकर उसे भीड भाड से दूर ले जाना चाहती थी। लेकिन शायद गगन ने मुझे देखा ही नहीं और वो मौका देखकर रवि और रश्मि के पास जा पहूँचा। मुझे उन लोगों की बातें साफ साफ सुनाई नहीं दे रही थी। इसलिए आखिरकार मैंने उनके पास जाने का फैसला कर लिया और वहाँ से निकलने के बहाने रवि से टकरा गई और पलट कर बोली
निशा- यू ईडियट शर्म नहीं आती किसी लड़की को छेडते हुए
मेरी बात सुनकर रवि और रश्मि शायद मेरा प्लान समझ गए थे। इसलिए रश्मि हमारे प्लान के अनुसार मुझे ना पहचानने का नाटक करते हुए बोली
रश्मि- ये हैलो मैडम तुम जो भी हो, देख कर नहीं चल सकती क्या। वाह जी वाह क्या जामाना आ गया है। एक तो खुद लडके से टकराओ और फिर खुद ही छेडने का इल्जाम लगाओ
रश्मि की बात सुनकर मैं गुस्से से चिढने का नाटक करते हुए बोली
निशा- ये मिस…. व्हॉट एवर जो भी तुम्हारा नाम है। मुझे कोई शौक नहीं है लडको से टकराने का। बैसे तुम्हें इतना क्यों बुरा लग रहा है। ये क्या तुम्हारा बॉयफ्रेंड है।
रश्मि- हाँ है तो.... क्या करोगी अब तुम
निशा- कुछ भी तो नहीं….. मुझे क्या…. तुम किसी को भी बॉयफ्रेंड बनाओ। बैसे च्वॉईस अच्छी है। इतना बोलकर मैंने रश्मि को आंख मार दी और रवि की गाँड पर एक थप्पड लगा कर जैसे ही वहाँ से जाने लगी तो रश्मि बोली
रश्मि- ओह मिस ईडियट… तुम्हें शर्म नहीं आती किसी शरीफ लडके को छेडते हुए
निशा- नहीं... लेकिन अगर तुम्हें आती है तो तुम शर्माती रहो मैं तो चली
इससे पहले मैं वहाँ से जाती गगन बीच में बोल पडा
गगन- यह क्या नौटंकी लगा रखी है तुम लोगों ने। मेरे सामने ऐसे नाटक क्यों कर रहे हो जैसे एक दूसरे को जानते ही नहीं हो। रवि मैं इसी लड़की के बारे में पूछ रहा था तुमसे
गगन की बात सुनकर रवि थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोला
रवि- पर मैं नहीं जानता हूँ कि यह लडकी कौन है
रवि की बात सुनकर गगन झल्लाते हुए बोला
गगन- बकवाश मत करो। पिछले हफ्ते ही तुमने मुझे और रश्मि को इसे अपनी गर्लफ्रेंड बताया था।
गगन की बात सुनकर रश्मि हैरान होने का नाटक करते हुए बोली
रश्मि- गर्लफ्रेंड.... रवि ये गगन क्या बकवास कर रहा है। क्या तुम मुझे चीट कर रहे हो
इससे पहले रवि कुछ कहता मैं बीच में बोल पडी
निशा- ओह हैलो…. मैं नहीं जानती तुम लोगों को। अपने फालतू के ड्रामे में मुझे शामिल मत करो
मेरी बात खत्म होते ही रवि रश्मि के गाल पर अपना हाथ रखते हुए प्यार से बोला
रवि- अरे जानू ऐसा कुछ भी नहीं है। कसम से मैं इस लडकी को नहीं जानता हूँ। पता नहीं गगन ऐसा क्यों बोल रहा है।
रवि की बात सुनकर गगन थोडा चिढते हुए बोला
गगन- तुम रश्मि को जानू क्यों बोल रहे हो। तुम्हारा तो ब्रेकअप हो गया था ना। रश्मि अब मेरी गर्लफ्रेंड है।
गगन की बात सुनकर रश्मि उसे गुस्से से डाँटते हुए बोली
रश्मि- गगन लगता है तुम्हारी सटक गई है। यह क्या अनाप सनाप बक रहे हो। हमारा ब्रेकअप कब हुआ और मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड कब बन गई। छी….. मैं तो तुम्हें केबल अपना दोस्त समझती थी। पर तुम मेंरे बारे में ऐसी फीलिंग रखते हो, यह मुझे पता नहीं था। अगर पता होता तो तुमसे दोस्ती ही नहीं करती।
अब तक गगन का दिमाग पूरी तरह से खराब हो चुका था। वो गुस्से से चीखते हुए बोला
गगन- बकवास कर रही हो तुम
रवि- बकवास रश्मि नहीं तुम कर रहे हो। मुझे तो तुम पर पहले से ही शक था कि तुम रश्मि पर गंदी नजर रखते हो और आज सबके सामने प्रूफ भी हो गया।
इससे पहले गगन कुछ कहता और करता, पता नहीं श्रेया कहां से वहाँ आकर कुद पडी। उसके साथ पूजा भी थी और वो हमारे पास आकर बोली
श्रेया- हाय लव वर्डस... ओह गगन भी यहाँ पर है... क्या बात है रश्मि…. तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ टाईम स्पेंड करते वक्त अपने दोस्त को भी बॉडीगार्ड की तरह अपने साथ लाती हो।
रश्मि- अरे नहीं यार पता नहीं यह कहाँ से आ गया। जब भी मैं और रवि अकेले में टाईम स्पेंड करने का प्रोग्राम बनाते हैं, तो यह बीच में आ टपकता है। और आज तो पता नहीं इसे क्या हो गया है। बडी अजीब अजीब बातें कर रहा है। बोल रहा है कि ये लड़की रवि की गर्लफ्रेंड है और मैं इस गगन की
रश्मि की बात सुनकर श्रेया हैरानी से मुझे देखते हुए बोली
श्रेया- ये लड़की... ये कौन है। बैसे देखने में तो काफी खूबसूरत है
रवि- पता नहीं…. मैं इसे नहीं जानता
श्रेया- गगन लगता है तुम्हारी सटक गई है। किसी भी राह चलती लड़की को इसकी गर्लफ्रेंड बना दोगे क्या। बैसे तुम और रश्मि कब रिलेशन में आ गए।
रश्मि- पागल है क्या श्रेया…. मैं और इस गगन के साथ रिलेशन में, यह तो सपने में भी नहीं हो सकता
रश्मि की बात सुनकर मुझे और गगन को छोडकर बाकी सभी लोग हंसने लगे। हमारी बातों से गगन का दिमाग पूरी तरह से खराब हो रहा था।
इससे पहले गगन कुछ कहता या समझ पाता, मैंने श्रेया को अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर एक किस कर दिया। जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए, लेकिन तभी रश्मि मुझे डांटते हुए बोली
रश्मि- ये लड़की क्या बदतमीजी है यह। अभी तुम मेरे बॉयफ्रेंड के साथ छेडछाड कर रही थी और अब मेरी फ्रेंड के साथ
निशा- तुम्हारे साथ तो नहीं की ना। बैसे नाम क्या है इसका। हाय कितनी खूबसूरत है। मेरा तो दिल ही आ गया है इसपर
मेरी बात सुनकर श्रेया थोडा शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली
श्रेया- वो वो श्रेया नाम है
ऱश्मि- अरे अब अपना मोबाईल नम्बर भी बता दे इसे
रश्मि की बात सुनकर श्रेया लापरवाही से अपना मोबाईल नम्बर बोलने लगी
श्रेया- ओह हाँ 8891.....
लेकिन श्रेया की बात पूरी होने से पहले ही रश्मि उसे रोकते हुए बोली
रश्मि- अरे डफर यह क्या कर रही है। मुझे तो पहले ही ये लड़की आधी पागल लग रही थी और अब तुम भी पागलों बाली हरकत करने लगी। किसी अंजान को अपना नाम और नम्बर क्यों बता रही हो।
श्रेया- अरे यार सच में यह कितनी खूबसूरत है ना।
तभी पूजा भी हमारे बीच में अपनी टांग अडाते हुए बोली
पूजा- गाईज आखिर यह सब हो क्या रहा है। तुम लोग क्या लेस्बीयन टाईप हो
निशा- नहीं पर इसके लिए तो मैं लेस्बीयन भी बन जाऊंगी
मेरी बात सुनकर श्रेया भी शर्माते हुए बोली
श्रेया- मैं भी... बैसे तुम्हारा नाम क्या है
निशा- सपना
इतना बोलकर मैंने उसे जोर से हग कर लिया और उसके कान में धीरे से फुसफुसाकर बोली
निशा- पागल…. तू यहाँ क्या कर रही है
श्रेया- जो तू कर रही है। क्यों क्या तूने ही सबकी मदद करने का ठेका ले रखा है।
निशा- अच्छा छोड यह सब, ये सब कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यहाँ काफी भीड भी है। इसलिए गगन को यहाँ दूर ले जाना पडेगा।
इतना बोलकर मैं श्रेया से अलग हो गई और बोली
निशा- थैंक्स अपना नम्बर देने के लिए मैं रात में तुम्हें कॉल करूँगी। ओके बॉय गाईज
इतना बोलकर मैं वहाँ से जाने लगी तो गगन ने मेरा हाथ पकड लिया। मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था। इसलिए मैं उसे गुस्से में घूरने लगी। इससे पहले कोई कुछ समझ पात मैंने एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर जड दिया और बोली
निशा- मुझे झूने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी
मेरी बात सुनकर गगन भी गुस्से से भडकते हुए बोला
गगन- और तुमने जो मेरे साथ किया…. वो क्या था
निशा- ये क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ। इनफेक्ट में तुम लोगो में से किसी को भी नहीं जानती हूँ।
गगन- तुम झूठ बोल रही हो। उस दिन तुम खुद मेरे साथ मेरे घर गई थी।
निशा- लगता है कि तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है। अभी कुछ देर पहले तुम इस लड़की को अपनी गर्लफ्रेड बता रहे थे। अब मुझसे कह रह हो कि मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गई थी। तुम किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज करवाओ पहले।
इतना बोलकर मैंने झटके से अपना हाथ उससे छुडाया और वहाँ से निकल गई। जैसा कि मुझे उम्मीद थी गगन भी मेरे पीछ पीछे आ रहा था और गगन के पीछे पीछे बाकी लोग भी आ रहे थे। तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया, तो मैंने उन्हें सारी सिचुऐशन बता दी। उन्हें भी मेरा प्लान ठीक लगा। बैसे तो पुलिस वहाँ पहले ही आ चुकी थी और वो हमें देख भी चुके थे। पर ज्यादा भीड होने के कारण वो कोई रिश्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए मैं वहाँ से पैदल पैदल सुनसान जगह की तरफ जाने लगी।
जैसे ही मैं सुनसान जगह पर पहूँची तो मैं एक जगह जाकर रुक गई। गगन भी मेरे पीछे पीछे लगंडाता हुआ आ रहा था। इससे पहले पहले वो मुझ तक पहूँच पाता मुझे उसके पीछे तेजी से आता एक पुलिस ऑफिसर नजर आया, जो मुझे नीचे झुकने का इशारा कर रहा था। इसलिए मैं तुरंत नीचे बैठ गई। जैसे ही मैं नीचे बैठी, ठीक तभी एक गोली सीधी गगने के सर के पार निकल गई और फिर एक के बाद एक 4-5 गोलियाँ उसको जा लगीं। जिसके बाद वो किसी कटे पेड की तरह मेरे एकदम पास नीचे जमीन पर जा गिरा।
ये सब देखकर डर के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी। मैंने पहली बाल कोई पुलिस इन्काऊंटर देखा था। अगर थोडी सी भी चूक होती तो वो गोली जो गगन के सर के आर पार निकली है। वो मुझे भी लग सकती थी। मैं गगन को सबक सिखाना तो चाहती थी। पर उसकी जान लेने का फैसला बाकई में बहुत बड़ा था। अभी कुछ ही देर पहले तो वो मेरे साथ खड़ा होकर बातें कर रहा था और अब बेजान होकर मेरे सामने पडा हुआ है। पता नहीं क्यों पर इतने गुनाह करने के बाद भी मैं गगन की मौत पर खुद को दोषी मान रही थी।
मेरा पूरा शरीऱ डर और पश्चाताप के कारण पसीने से भीग गया था। तब तक पुलिस फोर्स और बाकी लोग भी वहाँ आ गए थे। उस पुलिस ऑफीसर ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर मुझपर तो सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। इसलिए श्रेया मेरे पास आ गई और मुझे सहारा देकर वहां से जा जाने लगी। मेरे बाकी के दोस्त भी मेरे साथ साथ वहाँ से निकल गए। गगन की लाश से दूर आकर अब मुझे कुछ बेहतर महसूस हो रहा था। इसलिए उस इन्काऊँटर बाली जगह से काफी दूर आने के बाद हम सभी एक जगह बैठ गए। कफी देर तक हम सभी के बीच खामोशी छाई रही पर फिर अचानक से रश्मि खुश होते हुए बोली
रश्मि की बात सुनकर मुझे छोडकर बाकी सभी लोग खुश हो गए थे। पर रवि और श्रेया ने मेरी उदासी देख ली थी। इसलिए श्रेया बोली
श्रेया- सपना तुझे क्या हुआ है। तू मूँह लटकाकर क्यों बैठी है
निशा- पता नहीं यार.... मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें एक साथ चल रहीं है। अभी कुछ देर पहले ही तो वो गगन हम लोगों के साथ खड़ा था और अब उसकी लाश वहाँ पडी है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि हमने उसके साथ सही किया या गलत। मुझे अंदर ही अंदर गिल्टी फील हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी का मर्डर कर दिया हो।
मेरी बात सुनकर रवि मुझे समझाते हुए बोला
रवि- वो इसलिए क्योंकि तुम एक अच्छे और साफ दिल की लड़की हो। तुम तो अपने दुश्मन का भी बुरा नहीं चाहती है, तो फिर गगन से तो तुम्हारी कोई दुशमनी भी नहीं थी। तुमने जो कुछ भी किया वो हम सब के लिए किया है, उन तीन लडकियों के लिए किया है जिन्होने गगन की बजह से आत्महत्या कर ली थी और उन सभी लडकियों के लिए किया है जो आगे चलकर गगन का शिकार बन सकती थी। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसलिए अपने अंदर चल रही सभी बातों को निकाल दो।
श्रेया भी रवि की बात को आगे बडाते हुए बोली
श्रेया- हाँ सपना रवि सही कह रहा है। तुम्ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सच कहूँ तो तुम आज हम सबकी नजरों में हीरो बन गई हो। तुमने हमसे कोई रिश्ता ना होने के बाद भी हमारी मदद की है। अभी कितने दिन हुए हैं हमारी दोस्ती को। मुश्किल से 1 हफ्ता, पर तुमने इस 1 हफ्ते की दोस्ती के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी। तुम्हारी जैसी दोस्त तो 1किस्मत से मिलती है। बैसे एक बात तो है कि रवि सच में डफर है।
श्रेया की बात सुनकर रवि चिढते हुए बोला
रवि- अब मैं कहाँ से बीच में आ गया
श्रेया- तुम्हारी हॉफ गर्लफ्रेंड का मूड ऑफ है और तुम उसका मूड ठीक करने के लिए कुछ खाने पीने का आईटम लाने की जगह यहाँ खडे होकर बकवास कर रहे हो।
श्रेया की बात सुनकर रवि अपना सर खुजलाते हुए बोला
रवि- ओह सॉरी सॉरी मैं अभी लाया
इतना बोलकर रवि वहाँ से चला गया और वाकी लडकियाँ मुझसे बातें करके मेरा मूड ठीक करने की कोशिश करने लगी। जिस कारण जल्द ही मैं भी नॉर्मल हो गई थी। कुछ ही देर में रवि सबके लिए आईसक्रीम लेकर आ गया। आईसक्रीम देखकर पूजा हैरान होते हुए बोली
पूजा- इतनी शर्दी में आईसक्रीम
रवि- तभी तो लाया हूँ। शर्दी के मौसम में आईसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और है। आज ट्राय करके देखो। मजा ना आये तो कहना
रवि की बात सुनकर सबने उससे आईसक्रीम ले ली और खाने लगे। हम लोग काफी देर तक वहाँ बैठे आपस में बातें करते रहे। फिर हम सबने एक रेस्टोरेंट जाकर साथ में खाना खाय़ा और अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैंने कल आउट ऑफ सिटी जाने का प्लान कैंसिल कर दिया था। क्योंकि कल दोपहर को हम सभी लोग रवि के फार्म हाऊस पर मिलकर पैसे कलेक्ट करके उन तीनों लडकियों के घर देने जाने बाले थे।
इसलिए कल सुबह मैंने लोकल के ही 1-2 काम खत्म करने का प्रोग्राम बनाया था। होटल जाकर मैं बाथरूम में नहाने चली गई। क्योंकि आज सुबह ही असलम का मेरे पास कॉल आ गया था। जिस कारण मुझे आज एक कस्टमर के पास जाना था। नहाकर तैयार होने के बाद मैंने अपने रूम को अच्छी तरह से लॉक किया और रवि को ड्यूटी पर जाने की बात कहकर ऑटो से असलम की बताई लोकेशन के लिए निकल गई।
वो लोकेशन एक 5 स्टार होटल की थी। जिसके एक आलीशान कमरे में मैं इस वक्त मौजूद थी। जहाँ दो आदमी जिनकी उम्र करीब 40-45 वर्ष थी। वो दोनों वहाँ पर मेरा ही इंतजार कर रहे थे। असलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दो कस्टमर एक साथ डी.पी. करना चाहते हैं। मेरी पहले भी कई बार डी.पी. हो गई थी। इसलिए मुझे इसमें कोई प्राब्लम नहीं थी। जिसके बदले में वो लोग मुझे डबल पेमेंट यानि पूरे 2 लाख रूयये दे रहे थे। उनमें से एक आदमी को देखकर मैं हैरान रह गई।
वो आदमी और कोई नहीं बल्कि रवि के पिता संजय सक्सेना थे। जिनका फोटो मैंने रवि के मोबाईल में पहले भी देखा था। पर जल्द ही मैंने अपने आप को नॉर्मल कर लिया। क्योंकि मैं फिलहाल जो काम कर रही थी उसमें जान पहचान का कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो बस अपनी जिस्मानी प्यास बुझाने का और अपनी फैंटसी पूरी करने का। इसलिए मैंने उनसे वे बजह जान पहचान बडाने की जगह अपने काम पर फोकस करना ही ठीक समझा।
बैसे भी आज की घटना के बाद अब मैं किसी के साथ ज्यादा जान पहचान बडाना नहीं चाहती थी। बस अपना काम करना यानि दूसरों मजा देना और खुद भी लेना बस यही मेरा प्लान था। जिस कारण होटल रूम में जाकर मैंने सीधे अपने कपडे उतार दिए और उन लोगों के सामने एक दम नंगी खडी हो गई। वो लोग तो पहले से ही इसी इंतजार में थे। इसलिए बारी बारी से दोनों लोगों ने मेरे साथ जी भऱ कर मजे किए। जिसमें मैंने भी उनका भरपूर साथ दिया था। जिस कारण दोनों ही मेरे काम से काफी खुश थे।
पहला राऊंड खत्म होने के बाद हम तीनों ने कुछ देर रेस्ट किया और फिर दो-दो पैग लगाने के बाद एक बार फिर हम लोग शूरू हो गए। इस बार दोनों आदमी एक साथ मेरे ऊपर टूट पडे थे। मैं पहले से ही इस सब के लिए तैयार थी। जिस कारण मैं भी भरपूर उनका साथ देने के साथ साथ खुद भी मजे ले रही थी। कुझ देर तक एक दूसरे को सहलाने और चूमने के बाद उनमें से एक आदमी पीठ के बल लेट गया। जिसके ऊपर मैं बैठ गई और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
इसके बाद दूसरे आदमी ने पीछे से मेरी गाँड में अपना लण्ड घुसा दिया और धक्के मारने शूरू कर दिए। जिसके बाद एक बार फिर मेरी चुदाई शुरू हो गई। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने के बाद उन दोनों ने अपनी अपनी पोजीशन चेंज कर ली और फिर से शूरू हो गए। मैं उन दोनों ही आदमियों से काभी इम्प्रेश थी। क्योंकि दोनों काफी जेंटली सेक्स कर रहे थे और खुद मजे लेने के साथ साथ मुझे भी मजा दे रहे थे। साथ साथ वो दोनों हाईजीन का भी पूरा ध्यान रख रहे थे, क्योंकि दोनों ने ही सेक्स के दौरान कंडोम का यूज किया था।
दूसरा राऊंड कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। जिस कारण हम तीनों काफी थक गए थे। इसलिए काम खत्म होते ही हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगले दिन सुबह करीब 7 बजे मैं उस होटल से निकल कर अपने होटल रूम में जा पहूंची और कपडे चेंज करके आपने ऑफिस का काम खत्म करने के निकल गई। उस दिन मैंने केवल दो लोकेशन पर ही बिजिट किया था। जिसके बाद काम खत्म होते होते दोपहर के 2 बज गए थे। वहाँ से मैं सीधा रवि के फार्म हाऊस पर जा पहूँची, जहाँ बाकी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
मेरे आते ही सभी लोगों ने पैसे कंट्रीब्यूट करने शुरू कर दिये। कुल मिलाकर हमारे पास 15 लाख रूपये इकट्ठा हो गए थे। जिन्हें लेकर हम लोग उन तीनों लडकियों के घर बारी बारी से गए और उनके माता पिता को बो पैसे दिए। पहले तो वो लोग हमसे पैसे लेना ही नहीं चाहते थे। पर जब हमने उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया, तब जाकर वो हमारी हेल्प लेने के लिए तैयार हुए। वो तीनों फैमिली हम सब से मिलकर काफी खुश हुईं थी। उन तीनों फैमिली की हैल्प करके हमें भी अपने अंदर एक सुकून का एहसास हो रहा था।
कल गगन की मौत से मुझे जो गिल्ट फील हो रहा था वो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। अब हमारे ग्रुप के सभी लोग एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। जिस कारण हम लोग आपस में काफी घुल मिलकर हँसी मजाक कर रहे थे। हमारे ग्रुप की दो लडकियों के पहले से ही बॉयफ्रेंड थे। वो दोनों लडकियों उन्हें भी अपने साथ लाईं थी। मुझे उन दोनों लडको का नेचर काफी अच्छा लगा। इसलिए हमने उन्हें भी हमारे ग्रुप में सामिल कर लिया था। अब हमारे ग्रुप में 3 लडके और 10 लडकियाँ थी।
रवि भी उन दोनों लडकों के हमारे ग्रुप में सामिल होने से खुश था। क्योंकि वो लोग पहले से ही अच्छे दोस्त थे, इसके अलावा ग्रुप में 2 नए लडके आने से उसे भी कम्पनी मिल गई थी। पर इतने दिनों से अब तक मेरी और रवि की ठीक से बात नहीं हुई थी। हालाँकि वो मुझसे अकेले में मिलकर बात करने की काफी कोशिश कर रहा था। पर मैं ही हर बार उसे टाल देती थी। मैं नहीं चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे के लिए मन में कोई फीलिंग लाऐं। इसलिए एक साथ डिनर करने के बाद मैं वहाँ से अपने होटल के लिए निकल गई थी।
आज फिर मुझे असलम के एक कस्टमर के पास जाना था। इसलिए होटल पहूँच कर मैंने कुछ देर अपने पति अमन से फोन पर बात की। जब से मैंने पहली बार किसी गैर मर्द से संबंध बनऐ थे, उस दिन से मैं लगभग हर रोज ही अमन से कुछ देर बात करती थी। पता नहीं क्यों पर अमन से बात करने के बाद किसी गैर मर्द की बाहों में जाने में मुझे बड़ा मजा आता था। साथ ही साथ मैं नहीं चाहती थी कि फिलहाल अमन मुझपर किसी भी प्रकार का कोई शक करे। खैर जो भी हो पर यह बात तो पक्की थी कि मैं अमन के आने के बाद उससे अलग होने का पूरा मन बना चुकी थी।
अगले कुछ दिनों तक मैं पूरी तरह से अपने ऑफिस के कामों में बिजी रही। सारा दिन ऑफिस के काम को पूरा करती और रात को या तो असलम के बताए क्लाईंट की बाहों में या फिर रघू की बहों में बिताती। मैं अपनी इस लाईफ से काफी खुश और संतुष्ट थी। यानि मैं सारी जिंदगी यह सब करने के लिए तैयार थी। पर मैं यह भी जानती थी कि ऐसा संभव नहीं है। कुछ ही सालों में मेरी जवानी ढलने लगेगी और मुझे कस्टमर मिलने बंद हो जाऐंगे।
जिस कारण मैंने अमन से अलग होकर कुछ और दिनों तक यह सब करने के बाद एक अच्छे इंसान को अपना जीवन साथी बनाने के बारे में भी सोच लिया था। पर फिलहाल इसमें समय था और मेरे पास पहले से ही कई सारे बिकल्प थे। जिनमें से रघु भी एक था। शायद इसीलिए मैंने रघु को अपने इतने पास आने दिया था और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश भी करती थी। रघु एक अच्छा लड़का था। उसने मुझे बताया था कि उसने ग्रेजुऐशन किया हुआ है। पर उसके परिवार की स्थिती अच्छी नहीं थी।
उसके माता पिता की मौत काफी पहले ही एक एक्सीडेंट में हो गई थी। रघू से बडी उसकी एक बहन थी। जिसकी शादि पहले ही तय हो गई। लेकिन उसकी शादी से पहले ही रघु के माता पिता की मौत हो गई थी और रघु के पास अपनी बहन की शादी के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण उसने अपना मकान बेचकर अपनी बडी बहन की शादी की थी। जिसके बाद से वो इसी होटल में काम कर रहा है और यहीं रहता है। मैं उसे एक अच्छी लाईफ देना चाहती थी।
इसलिए मैंने हरीश अंकल से उसे पुलिस फोर्स में नौकरी देने की सिफारिस भी की थी। हाँलाकि हरीश अंकल इसके लिए तैयार भी हो गए थे। लेकिन उनकी शर्त थी कि मैं भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करूँ। जिसके लिए फिलहाल मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने अमन से अलग होकर अपना खुद का बिजनेश करने और रघु को अपने साथ बिजिनेश में सामिल करने का प्लान बनाया था। खैर यह तो भविष्य की बातें थीं। पर फिलहाल आज मैं अपने बॉस के दिए सारे काम खत्म करके बहुत ज्यादा खुश थी।
आज 14 नबंबर था अब बस मुझे केवल एक दिन के लिए इंदौर ब्रांच में बिजिट करना था। उसके बाद अगले 15 दिन मैं पूरी तरह से फ्री थी। मैं अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसलिए इंदौर का काम खत्म करने के लिए मैंने आज रात की स्लीपर बस से इंदौर जाने का प्लान बना लिया था। जिसकी बुकिंग मैंने पहले ही ऑनलाईन कर ली थी। वो बस मुझे सुबह करीब 4 बजे इंदौर छोड देगी। जिसके बाद मैं किसी होटल में फ्रेस होकर अपनी इंदौर ब्रांच में बिजिट करके उसी रात दूसरी बस से भोपाल बापिस लौट सकती थी।
मेरा पूरा प्लान पहले से ही रेडी था। इसलिए अपने होटल पहूँचकर मैं अपनी पैकिंग करने लगी। मैंने बैग में दो जोडी कपडे, ब्रा-पेंटी सेट, एक कंबल और अपना लेपटॉप बगैरह रख लिया। फिर कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैंने अपने लिए लाईट डिनर ऑर्डर कर दिया। डिनर करने के बाद मैंने अपने कपडे चेंज किए। बस में तो मुझे बैसे ही सोना था। इसलिए मैंने एक लॉंग स्कर्ट पहन ली। फिर अपना टॉप और ब्रा निकाल कर एक कैमिसोल पहन लिया और उसके ऊपर मैंने एक शॉल डाल ली थी।
बैसे भी मुझे सोते समय ढीले ढाले कपडे पहनना पसंद है। कपडे चेंज करने के बाद मैंने अपना बैग लिया और रूम को अच्छी तरह लॉक करके ऑटो से बस स्टैंड के लिए निकल गई। मैं बस निकलने से थोडा पहले ही बस स्टैण्ड पहूँच गई थी। मेरी सीट पीछे की तरफ डबल बेड बाली सीट थी। इसलिए मुझे नहीं पता थी कि मेरे बगल में कौन आने बाला है। बैसे भी मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पड रहा था। क्योंकि अगर लड़की होगी तो कोई प्राब्लम नहीं है और यदि कोई लड़का या आदमी भी हुआ तो भी कोई दिक्कत नहीं थी। क्योंकि वो चलती बस में मेरे साथ थोडी बहुत छेडछाड ही कर पाऐया।
बैसे भी पिछले 16-17 दिन से लगातार मैं किसी ना किसी गैर मर्द के साथ ना केवल सो रही थी बल्की उनसे चुदवा भी रही थी। तो फिर बस में किसी गैर मर्द के साथ सोने में भला मुझे क्या दिक्कत होगी। मेरी सीट एक बाक्स की तरह थी जिसमें पतली प्लाईबुड का एक दरवाजा भी लगा हुआ था। जिसे खिसकाकर खोला या बंद किया जा सकता था। मैने अपनी सीट पर पहुँचकर बैग में से कंबल निकाला और बैग को एक कोने में रख कर लेट गई। कुछ देर बाद बस में दूसरी सबारियाँ भी आने लगीं थीं। जिनकी आवाजें मुझे सुनाई दे रहीं थी।
तभी अचानक से मेरी केबिन का दरवाजा ओपन हुआ और एक लड़का उसमें अंदर आ गया। पर मैं चुपचाप लेटकर सोने की कोशिश कर रही थी। उस लडके ने भी मुझे डिस्टर्व नहीं किया और अपना बैग सीट के नीचे सेट करके मेरे बगल में लेट गया। शायद उस लडके को लगा होगा कि मैं सो रही हूँ। इसलिए वो अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करके उससे बातें करने लगा। बैसे तो मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। पर उस लडके की बातें सुनकर मुझे मजा आने लगा था।
जिस कारण मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई और मैं उसकी बातें सुनने लगी। वो लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था। जिसे सुन कर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। तभी मेरी मन में आया कि क्यों ना थोडा सा इस लडके को परेशान किया जाऐ। इतना सोचते ही मैंने करवट ले ली और अपने कंबल को कुछ इस तरह से खिसकाया कि मेरी कमर से नीचे का हिस्सा कंबल से बाहर हो गया और ऊपर का हिस्सा कंबल के अंदर ही रहा। करवट लेने से मेरी स्कर्ट भी थोडा ऊपर खिसक गई थी जिस कारण मेरे घुटनों से नीचे के गोरे और चिकने पैर साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
शायद इतना ही उस लडके के लिए काफी था। क्योंकि जैसे ही उसने मेरे गाँड और चिकने गोरे टाँगों को देखा तो उसे एहसास हो गया कि वो किसी जवान लड़की के बगल में लेटा हुआ है। इसलिए उसने थोडी देर बात करने के बाद फोन कट कर दिया। इसके बाद वो अपने पैर खिसकाकर मेरे पैरों को टच करने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब उसकी इस हरकत पर मैंने कोई रियेक्शन नहीं दिया तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बड गई, जिसके बाद वो लडका अपने एक पैर से मेरे पैरों को हल्ले हल्के से सहलाने लगा। उस लडके कि इस हरकत से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पर बस अभी भी बस स्टैंड पर खडी थी। जिस कारण मैं कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी।
कुछ देर यूँ ही मेरे पैरों को सहलाने के बाद वो लडका धीरे धीरे मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा। पर मैं अब भी चुपचाप लेटी रही। उस लडके ने कुछ ही देर में मेरी पूरी स्कर्ट ऊपर की तरफ कर दी थी। स्कर्ट के अंदर मैंने जी-स्ट्रिंग टाईप पेंटी पहनी हुई थी, जो केवल चूत को ही ढंकने का काम करती है। बाकी का हिस्सा पतली डोरियों की तरह होता है। जिस कारण मेरी करीब पूरी नंगी गाँड उस लडके के सामने थी। मेरी खुली गाँड देखकर तो वो लड़का पागल ही हो गया था।
पता नहीं उसे क्या हुआ जो उसने अचानक से केविन डोर अंदर से लॉक कर लिया और मुझसे सट कर लेट गया। अब उसका खडा लण्ड मेरी गाँड को छू रहा था। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और सोने का नाटक करने लगा। मुझे अपनी गांड पर उस लडके का लण्ड झटके लेता हुआ महसूस हो रहा था। तभी अचानक से बस स्टार्ट हो गई तो उस लडके ने मौके का फायदा उठाकर अपने पेंट की जिप खोल ली और अपना खड़ा लण्ड निकाल कर मेरी गांड से टिका दिया।
उस लडके की इन हरकतों से मुझे भी काफी मजा आ रहा था। पर मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए लेटी हुई थी। अब तक उस लडके की हिम्मत काफी ज्यादा बड गई थी। जिस कराण उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे बूब्स पर भी रख दिया था। बैसे तो मैं चाहती तो एक ही झटके में उस लडके की इन सभी हरकतों को बंद करवा सकती थी। पर एक तो मुझे भी मजा आ रहा था और दूसरा मैं जानना चाहती थी कि यह लड़का इस चलती बस में मेरे साथ और क्या कर सकता है। तभी उस लडके ने धीरे धीरे मेरे बूब्स को सहलाना भी शूरू कर दिया था।
कुछ देर मेरे बूब्स सहलाने के बाद उसने अपना हाथ फिर से नीचे कर लिया और जैसे ही वो मेरी पैंटी के अंदर हाथ घुसाने लगा तो मैंने अचानक से उसका हाथ पकड लिया। मेरी इस हरकत से उस लड़की की बुरी तरह से फट गई थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब उसके गाल पर एक जोरदर थप्पड पडने बाला है और शोर मचाने के बाद बाकी लोग उसकी जो हालत करेंगे वो अलग। वो लडकी कुछ कर पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैं अचानक से पलट गई।
अभी हम भोपाल सिटी से बाहर नहीं निकले थे। जिस कराण स्ट्रीट लाईट की पर्याप्त रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी। जैसे ही मैंने उस लडके का चेहरा देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गई और बो लडका भी मुझे देखकर हैरान रह गया था। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि ऋषभ था। जिसकी वर्थडे पार्टी में मैं गई थी और जहाँ करीब करीब 20 लडकों ने रात भर मुझे जी भर कर बजाया था। ऋषभ को अपने सामने देखकर मेरे चेहरे पर स्माईल आ गई और मैंने उसका हाथ छोड दिया और बोली
निशा- ऋषभ तुम... और मैं सोच रही थी कि पता नहीं कौन है जो चलती बस में मेरे साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
ऋषभ भी मुझे देखकर अब रिलेक्स हो गया था। इसलिए जैसे ही मैंने उसका हाथ छोडा तो उसने अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला
ऋषभ- जैसे ही तुमने मेरा हाथ पकडा मेरी तो बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि अब मेरा गाल लाल होने बाला है और इज्जत का दिवाला निकलेगा वो अलग
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर बोली
निशा- यह तो तुम्हें कुछ करने से पहले ही सोचना चाहिए था। खैर छोडे यह सब और यह बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो
ऋषभ- अरे यार कल हमारा इंदौर में बॉलीबॉल मैच है। बस उसी के लिए हम लोग इंदौर जा रहे हैं।
निशा- मतलब तुम्हारे साथ इस बर में बाकी के लोग भी हैं
ऋषभ- हाँ ज्यादा नहीं बस हम 8 खिलाडी और एक कोच हैं। मेरे अलाबा बाकी 7 को तो तुम पहले से ही जानती हो। बस कोच सर को नहीं जानती।
निशा- चलो अब यह फालतू की हरकतें बंद करो और चुपचाप सो जाओ।
ऋषभ- अब जब तुम मेरे साथ लेटी हो तो एक राऊंड तो बनता है
निशा- पागल हो क्या... बस में यह सब... किसी को पता चल गया तो.... नहीं नहीं… मैं बस में कुछ नहीं करवाने बाली
ऋषभ- अरे यार चिंता मत करो…. आस पास की सारी सीटें हमारी ही हैं। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
निशा- लेकिन कल मैच भी तो है तुम्हारा.... स्टैमिना बचा कर रखो, कल मैच में काम आयेगा
ऋषभ- उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स किया था ना, तो अगले दिन के मैच में क्लीन स्वीप किया था हमने। तुम लकी हो हमारे लिए, कल हमारा फाईनल है, अगर आज फिर तुम्हारे साथ किया तो हम कल इन्टर कॉलेज चैम्पियनशिप पक्का जीत जाऐंगे।
ऋषभ की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- ऐसा कुछ नहीं होता
ऋषभ- जो भी हो पर मुझे तो तुम मेरे लिए लकी लगती हो
निशा- पर फिर भी हमारी आवाजों से बाकी लोगों को पता चल ही जाऐगा
ऋषभ- तो क्या…. वो लोग भी बहती गंगा में हाथ साफ कर लेंगे। तुम चिंता मत करो मैं सब मैनेज कर लूँगा और तुम्ही फीस भी तुम्हें मिल जाऐगी। रुको मैं सबसे बात करके आता हूँ और पैसे भी कलेक्ट कर लूँगा।
इतना बोलकर ऋषभ दरवाजा खोलकर केबिन से बाहर निकल गया। हाँलाकि मैं उसे रोकना चाहती थी, क्योंकि मैं चलती बस में यूं चुदवाने के बिलकुल मूड में नहीं थी और ना ही कुई रिस्क लेना चाहती थी। पर मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद मैंने सोचा चलो आज चलती बस में भी चुदवाने का एक्सपीरियंस ले ही लेती हूँ। पता नहीं फिर कभी यह मौका मिले ना मिले।
मेरे आते ही सभी लोगों ने पैसे कंट्रीब्यूट करने शुरू कर दिये। कुल मिलाकर हमारे पास 15 लाख रूपये इकट्ठा हो गए थे। जिन्हें लेकर हम लोग उन तीनों लडकियों के घर बारी बारी से गए और उनके माता पिता को बो पैसे दिए। पहले तो वो लोग हमसे पैसे लेना ही नहीं चाहते थे। पर जब हमने उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया, तब जाकर वो हमारी हेल्प लेने के लिए तैयार हुए। वो तीनों फैमिली हम सब से मिलकर काफी खुश हुईं थी। उन तीनों फैमिली की हैल्प करके हमें भी अपने अंदर एक सुकून का एहसास हो रहा था।
कल गगन की मौत से मुझे जो गिल्ट फील हो रहा था वो अब पूरी तरह से खत्म हो चुका था। अब हमारे ग्रुप के सभी लोग एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। जिस कारण हम लोग आपस में काफी घुल मिलकर हँसी मजाक कर रहे थे। हमारे ग्रुप की दो लडकियों के पहले से ही बॉयफ्रेंड थे। वो दोनों लडकियों उन्हें भी अपने साथ लाईं थी। मुझे उन दोनों लडको का नेचर काफी अच्छा लगा। इसलिए हमने उन्हें भी हमारे ग्रुप में सामिल कर लिया था। अब हमारे ग्रुप में 3 लडके और 10 लडकियाँ थी।
रवि भी उन दोनों लडकों के हमारे ग्रुप में सामिल होने से खुश था। क्योंकि वो लोग पहले से ही अच्छे दोस्त थे, इसके अलावा ग्रुप में 2 नए लडके आने से उसे भी कम्पनी मिल गई थी। पर इतने दिनों से अब तक मेरी और रवि की ठीक से बात नहीं हुई थी। हालाँकि वो मुझसे अकेले में मिलकर बात करने की काफी कोशिश कर रहा था। पर मैं ही हर बार उसे टाल देती थी। मैं नहीं चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे के लिए मन में कोई फीलिंग लाऐं। इसलिए एक साथ डिनर करने के बाद मैं वहाँ से अपने होटल के लिए निकल गई थी।
आज फिर मुझे असलम के एक कस्टमर के पास जाना था। इसलिए होटल पहूँच कर मैंने कुछ देर अपने पति अमन से फोन पर बात की। जब से मैंने पहली बार किसी गैर मर्द से संबंध बनऐ थे, उस दिन से मैं लगभग हर रोज ही अमन से कुछ देर बात करती थी। पता नहीं क्यों पर अमन से बात करने के बाद किसी गैर मर्द की बाहों में जाने में मुझे बड़ा मजा आता था। साथ ही साथ मैं नहीं चाहती थी कि फिलहाल अमन मुझपर किसी भी प्रकार का कोई शक करे। खैर जो भी हो पर यह बात तो पक्की थी कि मैं अमन के आने के बाद उससे अलग होने का पूरा मन बना चुकी थी।
अगले कुछ दिनों तक मैं पूरी तरह से अपने ऑफिस के कामों में बिजी रही। सारा दिन ऑफिस के काम को पूरा करती और रात को या तो असलम के बताए क्लाईंट की बाहों में या फिर रघू की बहों में बिताती। मैं अपनी इस लाईफ से काफी खुश और संतुष्ट थी। यानि मैं सारी जिंदगी यह सब करने के लिए तैयार थी। पर मैं यह भी जानती थी कि ऐसा संभव नहीं है। कुछ ही सालों में मेरी जवानी ढलने लगेगी और मुझे कस्टमर मिलने बंद हो जाऐंगे।
जिस कारण मैंने अमन से अलग होकर कुछ और दिनों तक यह सब करने के बाद एक अच्छे इंसान को अपना जीवन साथी बनाने के बारे में भी सोच लिया था। पर फिलहाल इसमें समय था और मेरे पास पहले से ही कई सारे बिकल्प थे। जिनमें से रघु भी एक था। शायद इसीलिए मैंने रघु को अपने इतने पास आने दिया था और उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश भी करती थी। रघु एक अच्छा लड़का था। उसने मुझे बताया था कि उसने ग्रेजुऐशन किया हुआ है। पर उसके परिवार की स्थिती अच्छी नहीं थी।
उसके माता पिता की मौत काफी पहले ही एक एक्सीडेंट में हो गई थी। रघू से बडी उसकी एक बहन थी। जिसकी शादि पहले ही तय हो गई। लेकिन उसकी शादी से पहले ही रघु के माता पिता की मौत हो गई थी और रघु के पास अपनी बहन की शादी के लिए पैसे नहीं थे। जिस कारण उसने अपना मकान बेचकर अपनी बडी बहन की शादी की थी। जिसके बाद से वो इसी होटल में काम कर रहा है और यहीं रहता है। मैं उसे एक अच्छी लाईफ देना चाहती थी।
इसलिए मैंने हरीश अंकल से उसे पुलिस फोर्स में नौकरी देने की सिफारिस भी की थी। हाँलाकि हरीश अंकल इसके लिए तैयार भी हो गए थे। लेकिन उनकी शर्त थी कि मैं भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करूँ। जिसके लिए फिलहाल मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने अमन से अलग होकर अपना खुद का बिजनेश करने और रघु को अपने साथ बिजिनेश में सामिल करने का प्लान बनाया था। खैर यह तो भविष्य की बातें थीं। पर फिलहाल आज मैं अपने बॉस के दिए सारे काम खत्म करके बहुत ज्यादा खुश थी।
आज 14 नबंबर था अब बस मुझे केवल एक दिन के लिए इंदौर ब्रांच में बिजिट करना था। उसके बाद अगले 15 दिन मैं पूरी तरह से फ्री थी। मैं अपनी छुट्टियों का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसलिए इंदौर का काम खत्म करने के लिए मैंने आज रात की स्लीपर बस से इंदौर जाने का प्लान बना लिया था। जिसकी बुकिंग मैंने पहले ही ऑनलाईन कर ली थी। वो बस मुझे सुबह करीब 4 बजे इंदौर छोड देगी। जिसके बाद मैं किसी होटल में फ्रेस होकर अपनी इंदौर ब्रांच में बिजिट करके उसी रात दूसरी बस से भोपाल बापिस लौट सकती थी।
मेरा पूरा प्लान पहले से ही रेडी था। इसलिए अपने होटल पहूँचकर मैं अपनी पैकिंग करने लगी। मैंने बैग में दो जोडी कपडे, ब्रा-पेंटी सेट, एक कंबल और अपना लेपटॉप बगैरह रख लिया। फिर कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैंने अपने लिए लाईट डिनर ऑर्डर कर दिया। डिनर करने के बाद मैंने अपने कपडे चेंज किए। बस में तो मुझे बैसे ही सोना था। इसलिए मैंने एक लॉंग स्कर्ट पहन ली। फिर अपना टॉप और ब्रा निकाल कर एक कैमिसोल पहन लिया और उसके ऊपर मैंने एक शॉल डाल ली थी।
बैसे भी मुझे सोते समय ढीले ढाले कपडे पहनना पसंद है। कपडे चेंज करने के बाद मैंने अपना बैग लिया और रूम को अच्छी तरह लॉक करके ऑटो से बस स्टैंड के लिए निकल गई। मैं बस निकलने से थोडा पहले ही बस स्टैण्ड पहूँच गई थी। मेरी सीट पीछे की तरफ डबल बेड बाली सीट थी। इसलिए मुझे नहीं पता थी कि मेरे बगल में कौन आने बाला है। बैसे भी मुझे इससे कोई फर्क भी नहीं पड रहा था। क्योंकि अगर लड़की होगी तो कोई प्राब्लम नहीं है और यदि कोई लड़का या आदमी भी हुआ तो भी कोई दिक्कत नहीं थी। क्योंकि वो चलती बस में मेरे साथ थोडी बहुत छेडछाड ही कर पाऐया।
बैसे भी पिछले 16-17 दिन से लगातार मैं किसी ना किसी गैर मर्द के साथ ना केवल सो रही थी बल्की उनसे चुदवा भी रही थी। तो फिर बस में किसी गैर मर्द के साथ सोने में भला मुझे क्या दिक्कत होगी। मेरी सीट एक बाक्स की तरह थी जिसमें पतली प्लाईबुड का एक दरवाजा भी लगा हुआ था। जिसे खिसकाकर खोला या बंद किया जा सकता था। मैने अपनी सीट पर पहुँचकर बैग में से कंबल निकाला और बैग को एक कोने में रख कर लेट गई। कुछ देर बाद बस में दूसरी सबारियाँ भी आने लगीं थीं। जिनकी आवाजें मुझे सुनाई दे रहीं थी।
तभी अचानक से मेरी केबिन का दरवाजा ओपन हुआ और एक लड़का उसमें अंदर आ गया। पर मैं चुपचाप लेटकर सोने की कोशिश कर रही थी। उस लडके ने भी मुझे डिस्टर्व नहीं किया और अपना बैग सीट के नीचे सेट करके मेरे बगल में लेट गया। शायद उस लडके को लगा होगा कि मैं सो रही हूँ। इसलिए वो अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करके उससे बातें करने लगा। बैसे तो मुझे हल्की हल्की नींद आनी शुरू हो गई थी। पर उस लडके की बातें सुनकर मुझे मजा आने लगा था।
जिस कारण मेरी नींद पूरी तरह से गायब हो गई और मैं उसकी बातें सुनने लगी। वो लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था। जिसे सुन कर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी। तभी मेरी मन में आया कि क्यों ना थोडा सा इस लडके को परेशान किया जाऐ। इतना सोचते ही मैंने करवट ले ली और अपने कंबल को कुछ इस तरह से खिसकाया कि मेरी कमर से नीचे का हिस्सा कंबल से बाहर हो गया और ऊपर का हिस्सा कंबल के अंदर ही रहा। करवट लेने से मेरी स्कर्ट भी थोडा ऊपर खिसक गई थी जिस कारण मेरे घुटनों से नीचे के गोरे और चिकने पैर साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
शायद इतना ही उस लडके के लिए काफी था। क्योंकि जैसे ही उसने मेरे गाँड और चिकने गोरे टाँगों को देखा तो उसे एहसास हो गया कि वो किसी जवान लड़की के बगल में लेटा हुआ है। इसलिए उसने थोडी देर बात करने के बाद फोन कट कर दिया। इसके बाद वो अपने पैर खिसकाकर मेरे पैरों को टच करने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब उसकी इस हरकत पर मैंने कोई रियेक्शन नहीं दिया तो उसकी हिम्मत और ज्यादा बड गई, जिसके बाद वो लडका अपने एक पैर से मेरे पैरों को हल्ले हल्के से सहलाने लगा। उस लडके कि इस हरकत से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। पर बस अभी भी बस स्टैंड पर खडी थी। जिस कारण मैं कोई रियेक्शन नहीं दे रही थी।
कुछ देर यूँ ही मेरे पैरों को सहलाने के बाद वो लडका धीरे धीरे मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा। पर मैं अब भी चुपचाप लेटी रही। उस लडके ने कुछ ही देर में मेरी पूरी स्कर्ट ऊपर की तरफ कर दी थी। स्कर्ट के अंदर मैंने जी-स्ट्रिंग टाईप पेंटी पहनी हुई थी, जो केवल चूत को ही ढंकने का काम करती है। बाकी का हिस्सा पतली डोरियों की तरह होता है। जिस कारण मेरी करीब पूरी नंगी गाँड उस लडके के सामने थी। मेरी खुली गाँड देखकर तो वो लड़का पागल ही हो गया था।
पता नहीं उसे क्या हुआ जो उसने अचानक से केविन डोर अंदर से लॉक कर लिया और मुझसे सट कर लेट गया। अब उसका खडा लण्ड मेरी गाँड को छू रहा था। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और सोने का नाटक करने लगा। मुझे अपनी गांड पर उस लडके का लण्ड झटके लेता हुआ महसूस हो रहा था। तभी अचानक से बस स्टार्ट हो गई तो उस लडके ने मौके का फायदा उठाकर अपने पेंट की जिप खोल ली और अपना खड़ा लण्ड निकाल कर मेरी गांड से टिका दिया।
उस लडके की इन हरकतों से मुझे भी काफी मजा आ रहा था। पर मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए लेटी हुई थी। अब तक उस लडके की हिम्मत काफी ज्यादा बड गई थी। जिस कराण उसने अपना एक हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे बूब्स पर भी रख दिया था। बैसे तो मैं चाहती तो एक ही झटके में उस लडके की इन सभी हरकतों को बंद करवा सकती थी। पर एक तो मुझे भी मजा आ रहा था और दूसरा मैं जानना चाहती थी कि यह लड़का इस चलती बस में मेरे साथ और क्या कर सकता है। तभी उस लडके ने धीरे धीरे मेरे बूब्स को सहलाना भी शूरू कर दिया था।
कुछ देर मेरे बूब्स सहलाने के बाद उसने अपना हाथ फिर से नीचे कर लिया और जैसे ही वो मेरी पैंटी के अंदर हाथ घुसाने लगा तो मैंने अचानक से उसका हाथ पकड लिया। मेरी इस हरकत से उस लड़की की बुरी तरह से फट गई थी। उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब उसके गाल पर एक जोरदर थप्पड पडने बाला है और शोर मचाने के बाद बाकी लोग उसकी जो हालत करेंगे वो अलग। वो लडकी कुछ कर पाता या कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैं अचानक से पलट गई।
अभी हम भोपाल सिटी से बाहर नहीं निकले थे। जिस कराण स्ट्रीट लाईट की पर्याप्त रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी। जैसे ही मैंने उस लडके का चेहरा देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गई और बो लडका भी मुझे देखकर हैरान रह गया था। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि ऋषभ था। जिसकी वर्थडे पार्टी में मैं गई थी और जहाँ करीब करीब 20 लडकों ने रात भर मुझे जी भर कर बजाया था। ऋषभ को अपने सामने देखकर मेरे चेहरे पर स्माईल आ गई और मैंने उसका हाथ छोड दिया और बोली
निशा- ऋषभ तुम... और मैं सोच रही थी कि पता नहीं कौन है जो चलती बस में मेरे साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
ऋषभ भी मुझे देखकर अब रिलेक्स हो गया था। इसलिए जैसे ही मैंने उसका हाथ छोडा तो उसने अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला
ऋषभ- जैसे ही तुमने मेरा हाथ पकडा मेरी तो बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि अब मेरा गाल लाल होने बाला है और इज्जत का दिवाला निकलेगा वो अलग
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर बोली
निशा- यह तो तुम्हें कुछ करने से पहले ही सोचना चाहिए था। खैर छोडे यह सब और यह बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो
ऋषभ- अरे यार कल हमारा इंदौर में बॉलीबॉल मैच है। बस उसी के लिए हम लोग इंदौर जा रहे हैं।
निशा- मतलब तुम्हारे साथ इस बर में बाकी के लोग भी हैं
ऋषभ- हाँ ज्यादा नहीं बस हम 8 खिलाडी और एक कोच हैं। मेरे अलाबा बाकी 7 को तो तुम पहले से ही जानती हो। बस कोच सर को नहीं जानती।
निशा- चलो अब यह फालतू की हरकतें बंद करो और चुपचाप सो जाओ।
ऋषभ- अब जब तुम मेरे साथ लेटी हो तो एक राऊंड तो बनता है
निशा- पागल हो क्या... बस में यह सब... किसी को पता चल गया तो.... नहीं नहीं… मैं बस में कुछ नहीं करवाने बाली
ऋषभ- अरे यार चिंता मत करो…. आस पास की सारी सीटें हमारी ही हैं। किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
निशा- लेकिन कल मैच भी तो है तुम्हारा.... स्टैमिना बचा कर रखो, कल मैच में काम आयेगा
ऋषभ- उस दिन तुम्हारे साथ सेक्स किया था ना, तो अगले दिन के मैच में क्लीन स्वीप किया था हमने। तुम लकी हो हमारे लिए, कल हमारा फाईनल है, अगर आज फिर तुम्हारे साथ किया तो हम कल इन्टर कॉलेज चैम्पियनशिप पक्का जीत जाऐंगे।
ऋषभ की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- ऐसा कुछ नहीं होता
ऋषभ- जो भी हो पर मुझे तो तुम मेरे लिए लकी लगती हो
निशा- पर फिर भी हमारी आवाजों से बाकी लोगों को पता चल ही जाऐगा
ऋषभ- तो क्या…. वो लोग भी बहती गंगा में हाथ साफ कर लेंगे। तुम चिंता मत करो मैं सब मैनेज कर लूँगा और तुम्ही फीस भी तुम्हें मिल जाऐगी। रुको मैं सबसे बात करके आता हूँ और पैसे भी कलेक्ट कर लूँगा।
इतना बोलकर ऋषभ दरवाजा खोलकर केबिन से बाहर निकल गया। हाँलाकि मैं उसे रोकना चाहती थी, क्योंकि मैं चलती बस में यूं चुदवाने के बिलकुल मूड में नहीं थी और ना ही कुई रिस्क लेना चाहती थी। पर मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बाहर निकल गया था। उसके जाने के बाद मैंने सोचा चलो आज चलती बस में भी चुदवाने का एक्सपीरियंस ले ही लेती हूँ। पता नहीं फिर कभी यह मौका मिले ना मिले।
Update 034 -
कुछ देर बाद ऋषभ केबिन में बापिस आ गया और उसने दरवाजा बंद करते हुए कहा
ऋषभ- सब तैयार हैं.. कोच सर भी
ऋषभ की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- क्या…… कोच सर भी... ऋषभ तुम पक्का आज मुझे मरवाओगे
ऋषभ- अरे नहीं मेरी जान तुम्हें नहीं तुम्हारी चूत और गांड को मरवाऊँगा और मारूँगा भी
इतना बोलकर उसने मेरे होंठो पर एक किस कर लिया। फिर वो मुझे पैसों का एक बंडल देते हुए बोला
ऋषभ- इन्हें रखो। यह तो पता नहीं कितने हैं पर 60-70 हजार से ज्यादा ही होंगे। जिसके पास जितना कैस था वो सारा दे दिया है। हम लोग कल इन्दौर पहुँचकर ए.टी.एम. से अपने लिए पैसे निकाल लेंगे।
मैंने चुपचाप ऋषभ से बो पैसे लेकर अपने हैंड बैग में रख लिए। जिसके बाद ऋषभ मेरे कंबल के अंदर घुस गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा। अब तक मैं भी अपने पूरे मूड में आ गई थी। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद ऋषभ ने मेरा कैमिसोल ऊपर करके मेरे बूब्स के साथ खेलने लगा। जिस कारण मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईडेट हो गई थी और मेरी चूत पानी छोडने लगी थी।
फिर ऋषभ ने अपना पेंट और अंडर बियर भी निकला दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर करके अपने एक हाथ से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगा। जिस कारण मैं ज्यादा देर तक अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रख पाई और झर गई। मेरे झरते ही मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। जिसे ऋषभ ने लिकाल लिया और उसे सुंघते हुए बोला
ऋषभ- अब ये मेरी हुई
ऋषभ की बात सुनकर मैं कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- तुम क्या करोगे इसका
ऋषभ- इसपर तुम्हारा पानी लगा हुआ है। तो जब तुम्हारी याद आऐगी तो मैं इसे सूँघकर और अपने लण्ड पर रगड कर मजे ले लिया करूँगा
ऋषभ की इस अजीब से फैंटसी को सुनकर मुझे हंसी के साथ साथ शर्म भी आ रही थी। पर मैं उसे मना करके उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है रख लेना। पर अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कभी इसे देख लिया तो
ऋषभ- तो क्या… मैं बोल दूँगा की मेरी एक्स की है। पर पक्का इसे फेंकूँगा नहीं। चाहे ब्रेकअप हो जाए। तुम्हारे साथ उस दिन मैंने अपनी जिंदगी का पहला सेक्स किया था। तो अपने पहले सेक्स पार्टनर की निशानी को मैं कैसे फैंक सकता हूँ।
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर रह गई। क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। बैसे भी मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि वो मेरी पैंटी के साथ क्या करने बाला है। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को सहलाने से मैं फिर से गर्म हो गई थी। जिसके बाद ऋषभ मेरे ऊपर चड गया और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चुदाई करने लगा। मैं भी अब पूरे जोश में आकर अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
पिछली बार की तुलना में इस बार ऋषभ ने कुछ ज्यादा देर तक मेरी चुदाई की थी और मुझे चुदाई के दौरान झरने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद उसने भी अपना पानी मेरी चूत में निकाल दिया। ऋषभ की इस बार की चुदाई से मैं पूरी तरह से सैटिस्फाई हो गई थी। बैसे भी एक लड़की यही तो चाहती है कि उसका पार्टनर उसे भी डिस्चार्ज करने में हेल्प करे, ना ही खुद डिस्चार्ज होकर करवट लेकर सो जाए।
जैसे ही ऋषभ का पानी निकल गया तो वो कुछ देर मुझे चुमने के बाद अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया। ऋषभ के जाने के कुछ देर बाद एक दूसका लड़का उस केबिन में अंदर आकर मेरी बगल में लेट गया। अंदर आकर उसने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद किया और कंबल के अंदर घुस कर मुझे सहलाने लगा। पिछले 16-17 दिनों से एक के बाद एक चुदाई करवाने का मुझे अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो गया था और आदत भी हो गई थी।
जिस कारण मैं पहले से ही अपने आपको तैयार कर चुकी थी। बैसे भी चलती बस में यह सब करने के बारे में सोच सोच कर मैं काफी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। कुछ देर मुझे यूँ ही सहालाने के बाद वो लड़की भी मेरे ऊपर चड गया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। इस तरह पूरे रास्ते वो लडके एक के बाद एक मेरी केविन में आकर मुझे चोद कर बाहर निकल जाते। आखिर में उनका कोच भी मेरी केबिन के अंदर आ गया। उसकी उम्र करीब 28-30 साल के आस पास थी।
अंदर आते ही वो भी किसी भूखे भेडिये की तरह मुझ पर टूट पडा। अब तक मैं 8 लडको से चुदवा चुकी थी और काफी थक गई थी। हालाँकि ऋषभ को छोडकर बाकी कोई लड़का ज्यादा देर नहीं टिका था। पर ओवर ऑल पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से मेरी लगातार चुदाई हो रही थी। जो किसी नॉर्मल सेक्स से बहुत ज्यादा थी। हालाँकि मेरा मन अब और ज्यादा चुदने का नहीं था, पर मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं चुपचाप उस कोच का साथ देने लगी। मुझे अच्छे से चूमने और सहलान के बाद वो मेरे ऊपर सवार हो गया और मुझे चोदने लगा।
कोच का लण्ड बाकी लडकों से बड़ा था। जिस कारण मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था। पर मैं उस दर्द को बरदास्त करके उसका पूरा साथ दे रही थी। कोच के साथ कुछ देर की ही चुदाई के बाद ही मैं झर गई थी। जिस कारण मेरे झरते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे करवट लेकर लेटने के लिए कहा। उसकी बात सुनकर मैं समझ गई की ये अब मुझे पीछे से चोदना चाहता है। चूँकि उस केविन की हाईट कम थी। जिस कारण कुतिया बनाकर वो मुझे चोद नहीं सकता था।
इसलिए मैंने चुपचाप करवट ले ली और उसकी तरफ अपनी गाँड कर दी। लेकिन वो कोच तो किसी और ही मूड में था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने के स्थान पर मेरी गांड से टिका दिया और अंदर घुसाने लगा। पर अब मैं उसे रोकने की हालत में नहीं थी। उसके लण्ड पर बाकी लडकों का बीर्य लगा हुआ था, जो उन्होंने मेरी चूत में ही छोड दिया था, जिसके साथ मेरी मेरी चूत का पानी भी उसमें मिला हुआ था। जिस कारण मेरी गांड में उस कोच का लण्ड जाने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई।
हाँलाकी मुझे काफी तेज दर्द हो रहा था। पर मैं जानती थी कि यह दर्द कुछ ही देर में खत्म हो जाऐगा। इसलिए अपने दर्द को बरदास्त करने और अपनी आबाज को रोकने के लिए मैंने अपने एक हाथ से अपना मूँह बंद कर रखा था। कुछ देर धीरे धीरे मेरी गांड मारने के बाद उस कोच ने अपनी स्पीड बड़ा दी। अब तक मेरा दर्द भी लगभग खत्म हो चुका था। इसलिए मैं भी उसका साथ देने लगी थी। वो कोच काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा और जब उसका पानी मेरी गाँड में निकलता, तब तक हम लोग इंदौर पहूँच चुके थे।
इसलिए काम खत्म होते ही कोच अपने कपडे पहनकर तुरंत केबिन से बाहर निकल गया। मैं कुछ देर उसी केविन में लेटी खुद को नॉर्मल करने के साथ साथ बाकी लोगों के जाने का इंतजार करने लगी। जब पूरी बस खाली हो गई तो मैं उठी और कंबल को लपेटकर अच्छी तरह से तह करके बैग में रखने लगी। ठीक तभी उस बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम कहाँ चली। सारे रास्ते उन बच्चों को मजे दिए हैं तो हममें क्या बुराई है
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं गुस्से में उसे घूरते हुए बोली
निशा- यह क्या बकवास कर रहे हो तुम
कंडक्टर- वकवास नहीं कर रहा मैडम जी, मैंने खुद अपनी आँखों से सारी रात एक के बाद एक लडकों को तुम्हारे केबिन के अंदर जाते और बाहर आते देखा है और खुद तुम्हारी इस केबिन के पास आकर अंदर की आवजें सुनी हैं।
उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि अब इससे अब कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं है। बैसे भी ये बाकी लोगों की तरह ही मुझे केवल चोदना चाहता है। अब क्या फर्क पडता है। जब रास्ते में 9 लोगों से चुदवा चुकी हूँ तो 1-2 से और क्या फर्क पडेगा। इसलिए मैं बोली
निशा- देखो मिस्टर ये मेरा काम है और मैं इस काम के पैसे लेती हूँ। फ्री में रबडी नहीं बाटती फिरती। अगर मजे लेने हैं तो पैसे ढीले करने पडेंगे।
कंडक्टर- तो हम कौन सा मना कर रहे हैं। बोला ना क्या रेट है
मैं पहले से ही काफी थकी हुई थी, इसलिए मैं इस वक्त और ज्याद चुदने के बिल्कुल भी मूढ में नहीं थी। जिस कारण मैं उसे टालते हुए बोली
निशा- 10 हजार एक शॉट का
मेरी बात सुनकर कंडक्टर थोडा हैरान होते हुए बोला
कंडक्टर- यह तो बहुत ज्यादा है।
निशा- माल की कीमत होती है कंडक्टर सहाब। अब मैं कोई रोड छाप रण्डी तो हूँ नहीं
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर बारगेनिंग करते हुए बोला
कंडक्टर- देख लो हम दो लोग हैं। मैं और ड्रायबर सहाब
निशा- कोई फर्क नहीं पडता। दो हों या चार
कंडक्टर- दोनों के 10 ले लेना
कंडक्टर की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- मुझे देर हो रही है। रास्ता छोडो मेरा
मेरी इस धमकी से वो कंडक्टर लगभग गिडगिडाने लगा और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम नाराज क्यों हो रही हो। मैं कसम खाता हूँ कि हमारे पास इतने ही पैसे हैं। बाकी के पैसे गाडी मालिक को देने के लिए रखे हैं। अगर उनमें से दे दिए तो हमारी नौकरी चली जाऐगी और रात भर से हम दोनों यही सोच सोच कर अपना लण्ड खड़ा करके बैठे हैं कि सुबह हमें भी मौका मिलेगा
निशा- देखो मैं काफी थक गई हूँ। उन लोगों ने सारी रात सोने नहीं दिया है। दिन में मुझे बहुत जरूरी काम भी निपटाने हैं। उसके बाद रात को ही बापिस भोपाल भी लौटना है। इसलिए मेरा समय खराब मत करो
मेरी बात सुनकर कंडक्टर मुझे मनाने की कोशिश करते हुए बोला
कंडक्टर- तो फिर रात को तुम हमारी बस से ही बापिस चलना। हम तुमसे किराया भी नहीं लेगे।
निशा- तो फिर रात में ही कर लेना
कंडक्टर- रात में कहाँ कर पाऐंगे। फिर तो कल सुबह भोपाल पहुंचकर ही कर पाऐंगे। तब तक तो सोच सोच कर हमारी हालत ही खराब हो जाऐगी।
निशा- तो इसमें मैं क्या करूँ। देखो मैं पैसे लेकर मजे देती हूँ। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि मैं थोडा घमंडी हूँ या लालची हूँ पर ऐसा नहीं है। जिस दिन एक बार मेरी ले लोगे, उस दिन समझ में आ जाऐगा कि मैं इतने पैसे क्यों लेती हूँ।
कंडक्टर- अरे मुझे कुछ नहीं समझना। मैं पहले ही उन लडकों की सारी बातें सुन चुका हूँ। तुम बस हमें एक बार करने दो। देखो हम तुम्हें 10 हजार रुपये तो दे ही रहे हैं। साथ में रात को फ्री में बापिस भी ले जाऐंगे। कहो तो अभी एडवांस में ही टिकिट काट कर दे देता हूँ और रात में बापसी के समय तुम्हारे लिए 4-5 कस्टमर की भी इंतजाम कर लेंगे। तो उनसे कमा लेना पैसे। माँ कसम हमारे साथ एक बार करवाने के बाद तुम घाटे में बिल्कुल भी नहीं रहोगी।
उस कंडक्टर के इतने रिक्वेस्ट करने के बाद मैंने सोचा चलो करवा ही लेती हूँ। बैसे भी मैं रेलवे स्टेशन के यार्ड में 5-5 हजार में पहले भी करवा चुकी हूँ। ऊपर से अगर इसने बाकई में 1-2 कस्टमर रात के लिए बुक कर लिए तो इसमें मेरा ही फायदा है। पैसे और मजे के साथ साथ किराया भी नहीं लगेगा। यह सब सोचकर मैंने उससे कहा।
निशा- चलो ठीक है तुम लोग भी कर लो। पर अपना वादा याद रखना। वर्ना शाम को टिकिट के पैसे माँगने लगो और हाँ बैसे तो मुझे उम्मीद नहीं है कि तुम्हें कोई कस्टमर मिलेगा। पर अगर मिले भी तो उससे पैसों की डीलिंग तुम्हें करनी पडेगी। क्योंकि मैं पैसे तुमसे लूँगी, बस में किसी कस्टमर से पैसे माँगकर मैं कोई तमाशा नहीं करूना चाहती।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ ठीक है। हम पैसे ले लेंगे और टिकिट तुम एडवांस में ही अपने साथ ले जाना।
इतना बोलकर उनसे तुरंत अपने छोले से बिल बुक निकाली और मेरे नाम से एक टिकिट काटकर मुझे दे दिया। जिस पर उसी सीट का नम्बर था। जिससे मैं अभी अभी आई थी। फिर उसने अपने बैग में से 10 हजार रूपये निकालकर मुझे दे दिए। जो मैंने तुरंत ही अपने हैण्ड बैग में रख लिए। पैसे लेने के बाद मैं बापिस से अपनी सीट पर लेट गई। मेरे लेटते ही कंडक्टर भी केबिन के अंदर आ गया और केविन को अंदर से बंद करके मेरे ऊपर चड गया। वो पूरी रात से इसी पल का इंतजार कर रहा था।
जिस कारण मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं भी पूरे मन से उसका साथ दे रही थी। वो कंडक्टर शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था। जिस कारण उसकी स्पीड काफी ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगा कि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पायेगा। पर वो लगातार 30 मिनट तक फुल स्पीड से मेरी चुदाई करता रहा और फिर आखिर में अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया। कंडक्टर के जाने के बाद बस ड्रायबर भी मेरे केबिन में आ गया और एक बार फिर मेरी चूदाई शुरू हो गई। मुझे कंडक्टर की तुलना में ड्रायबर कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस लगा।
क्योंकि उसे कोई जल्दी नहीं थी। वो आराम से मेरे पूरे मजे ले रहा था और मुझे भी भरपूर मजे दे रहा था। काफी देर चुदाई करने के बाद आखिर कार ड्राबर भी ठण्डा हो गया। ड्रायबर के जाते ही मैंने अपने कपडे ठीक किए और अपना बैग लेकर बस से नीचे उतर कर बस स्टैण्ड से बाहर जाने लगी।
कुछ देर बाद ऋषभ केबिन में बापिस आ गया और उसने दरवाजा बंद करते हुए कहा
ऋषभ- सब तैयार हैं.. कोच सर भी
ऋषभ की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- क्या…… कोच सर भी... ऋषभ तुम पक्का आज मुझे मरवाओगे
ऋषभ- अरे नहीं मेरी जान तुम्हें नहीं तुम्हारी चूत और गांड को मरवाऊँगा और मारूँगा भी
इतना बोलकर उसने मेरे होंठो पर एक किस कर लिया। फिर वो मुझे पैसों का एक बंडल देते हुए बोला
ऋषभ- इन्हें रखो। यह तो पता नहीं कितने हैं पर 60-70 हजार से ज्यादा ही होंगे। जिसके पास जितना कैस था वो सारा दे दिया है। हम लोग कल इन्दौर पहुँचकर ए.टी.एम. से अपने लिए पैसे निकाल लेंगे।
मैंने चुपचाप ऋषभ से बो पैसे लेकर अपने हैंड बैग में रख लिए। जिसके बाद ऋषभ मेरे कंबल के अंदर घुस गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा। अब तक मैं भी अपने पूरे मूड में आ गई थी। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद ऋषभ ने मेरा कैमिसोल ऊपर करके मेरे बूब्स के साथ खेलने लगा। जिस कारण मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईडेट हो गई थी और मेरी चूत पानी छोडने लगी थी।
फिर ऋषभ ने अपना पेंट और अंडर बियर भी निकला दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर करके अपने एक हाथ से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगा। जिस कारण मैं ज्यादा देर तक अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रख पाई और झर गई। मेरे झरते ही मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। जिसे ऋषभ ने लिकाल लिया और उसे सुंघते हुए बोला
ऋषभ- अब ये मेरी हुई
ऋषभ की बात सुनकर मैं कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- तुम क्या करोगे इसका
ऋषभ- इसपर तुम्हारा पानी लगा हुआ है। तो जब तुम्हारी याद आऐगी तो मैं इसे सूँघकर और अपने लण्ड पर रगड कर मजे ले लिया करूँगा
ऋषभ की इस अजीब से फैंटसी को सुनकर मुझे हंसी के साथ साथ शर्म भी आ रही थी। पर मैं उसे मना करके उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है रख लेना। पर अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कभी इसे देख लिया तो
ऋषभ- तो क्या… मैं बोल दूँगा की मेरी एक्स की है। पर पक्का इसे फेंकूँगा नहीं। चाहे ब्रेकअप हो जाए। तुम्हारे साथ उस दिन मैंने अपनी जिंदगी का पहला सेक्स किया था। तो अपने पहले सेक्स पार्टनर की निशानी को मैं कैसे फैंक सकता हूँ।
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर रह गई। क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। बैसे भी मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि वो मेरी पैंटी के साथ क्या करने बाला है। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को सहलाने से मैं फिर से गर्म हो गई थी। जिसके बाद ऋषभ मेरे ऊपर चड गया और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चुदाई करने लगा। मैं भी अब पूरे जोश में आकर अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
पिछली बार की तुलना में इस बार ऋषभ ने कुछ ज्यादा देर तक मेरी चुदाई की थी और मुझे चुदाई के दौरान झरने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद उसने भी अपना पानी मेरी चूत में निकाल दिया। ऋषभ की इस बार की चुदाई से मैं पूरी तरह से सैटिस्फाई हो गई थी। बैसे भी एक लड़की यही तो चाहती है कि उसका पार्टनर उसे भी डिस्चार्ज करने में हेल्प करे, ना ही खुद डिस्चार्ज होकर करवट लेकर सो जाए।
जैसे ही ऋषभ का पानी निकल गया तो वो कुछ देर मुझे चुमने के बाद अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया। ऋषभ के जाने के कुछ देर बाद एक दूसका लड़का उस केबिन में अंदर आकर मेरी बगल में लेट गया। अंदर आकर उसने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद किया और कंबल के अंदर घुस कर मुझे सहलाने लगा। पिछले 16-17 दिनों से एक के बाद एक चुदाई करवाने का मुझे अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो गया था और आदत भी हो गई थी।
जिस कारण मैं पहले से ही अपने आपको तैयार कर चुकी थी। बैसे भी चलती बस में यह सब करने के बारे में सोच सोच कर मैं काफी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। कुछ देर मुझे यूँ ही सहालाने के बाद वो लड़की भी मेरे ऊपर चड गया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। इस तरह पूरे रास्ते वो लडके एक के बाद एक मेरी केविन में आकर मुझे चोद कर बाहर निकल जाते। आखिर में उनका कोच भी मेरी केबिन के अंदर आ गया। उसकी उम्र करीब 28-30 साल के आस पास थी।
अंदर आते ही वो भी किसी भूखे भेडिये की तरह मुझ पर टूट पडा। अब तक मैं 8 लडको से चुदवा चुकी थी और काफी थक गई थी। हालाँकि ऋषभ को छोडकर बाकी कोई लड़का ज्यादा देर नहीं टिका था। पर ओवर ऑल पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से मेरी लगातार चुदाई हो रही थी। जो किसी नॉर्मल सेक्स से बहुत ज्यादा थी। हालाँकि मेरा मन अब और ज्यादा चुदने का नहीं था, पर मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं चुपचाप उस कोच का साथ देने लगी। मुझे अच्छे से चूमने और सहलान के बाद वो मेरे ऊपर सवार हो गया और मुझे चोदने लगा।
कोच का लण्ड बाकी लडकों से बड़ा था। जिस कारण मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था। पर मैं उस दर्द को बरदास्त करके उसका पूरा साथ दे रही थी। कोच के साथ कुछ देर की ही चुदाई के बाद ही मैं झर गई थी। जिस कारण मेरे झरते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे करवट लेकर लेटने के लिए कहा। उसकी बात सुनकर मैं समझ गई की ये अब मुझे पीछे से चोदना चाहता है। चूँकि उस केविन की हाईट कम थी। जिस कारण कुतिया बनाकर वो मुझे चोद नहीं सकता था।
इसलिए मैंने चुपचाप करवट ले ली और उसकी तरफ अपनी गाँड कर दी। लेकिन वो कोच तो किसी और ही मूड में था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने के स्थान पर मेरी गांड से टिका दिया और अंदर घुसाने लगा। पर अब मैं उसे रोकने की हालत में नहीं थी। उसके लण्ड पर बाकी लडकों का बीर्य लगा हुआ था, जो उन्होंने मेरी चूत में ही छोड दिया था, जिसके साथ मेरी मेरी चूत का पानी भी उसमें मिला हुआ था। जिस कारण मेरी गांड में उस कोच का लण्ड जाने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई।
हाँलाकी मुझे काफी तेज दर्द हो रहा था। पर मैं जानती थी कि यह दर्द कुछ ही देर में खत्म हो जाऐगा। इसलिए अपने दर्द को बरदास्त करने और अपनी आबाज को रोकने के लिए मैंने अपने एक हाथ से अपना मूँह बंद कर रखा था। कुछ देर धीरे धीरे मेरी गांड मारने के बाद उस कोच ने अपनी स्पीड बड़ा दी। अब तक मेरा दर्द भी लगभग खत्म हो चुका था। इसलिए मैं भी उसका साथ देने लगी थी। वो कोच काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा और जब उसका पानी मेरी गाँड में निकलता, तब तक हम लोग इंदौर पहूँच चुके थे।
इसलिए काम खत्म होते ही कोच अपने कपडे पहनकर तुरंत केबिन से बाहर निकल गया। मैं कुछ देर उसी केविन में लेटी खुद को नॉर्मल करने के साथ साथ बाकी लोगों के जाने का इंतजार करने लगी। जब पूरी बस खाली हो गई तो मैं उठी और कंबल को लपेटकर अच्छी तरह से तह करके बैग में रखने लगी। ठीक तभी उस बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम कहाँ चली। सारे रास्ते उन बच्चों को मजे दिए हैं तो हममें क्या बुराई है
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं गुस्से में उसे घूरते हुए बोली
निशा- यह क्या बकवास कर रहे हो तुम
कंडक्टर- वकवास नहीं कर रहा मैडम जी, मैंने खुद अपनी आँखों से सारी रात एक के बाद एक लडकों को तुम्हारे केबिन के अंदर जाते और बाहर आते देखा है और खुद तुम्हारी इस केबिन के पास आकर अंदर की आवजें सुनी हैं।
उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि अब इससे अब कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं है। बैसे भी ये बाकी लोगों की तरह ही मुझे केवल चोदना चाहता है। अब क्या फर्क पडता है। जब रास्ते में 9 लोगों से चुदवा चुकी हूँ तो 1-2 से और क्या फर्क पडेगा। इसलिए मैं बोली
निशा- देखो मिस्टर ये मेरा काम है और मैं इस काम के पैसे लेती हूँ। फ्री में रबडी नहीं बाटती फिरती। अगर मजे लेने हैं तो पैसे ढीले करने पडेंगे।
कंडक्टर- तो हम कौन सा मना कर रहे हैं। बोला ना क्या रेट है
मैं पहले से ही काफी थकी हुई थी, इसलिए मैं इस वक्त और ज्याद चुदने के बिल्कुल भी मूढ में नहीं थी। जिस कारण मैं उसे टालते हुए बोली
निशा- 10 हजार एक शॉट का
मेरी बात सुनकर कंडक्टर थोडा हैरान होते हुए बोला
कंडक्टर- यह तो बहुत ज्यादा है।
निशा- माल की कीमत होती है कंडक्टर सहाब। अब मैं कोई रोड छाप रण्डी तो हूँ नहीं
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर बारगेनिंग करते हुए बोला
कंडक्टर- देख लो हम दो लोग हैं। मैं और ड्रायबर सहाब
निशा- कोई फर्क नहीं पडता। दो हों या चार
कंडक्टर- दोनों के 10 ले लेना
कंडक्टर की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- मुझे देर हो रही है। रास्ता छोडो मेरा
मेरी इस धमकी से वो कंडक्टर लगभग गिडगिडाने लगा और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम नाराज क्यों हो रही हो। मैं कसम खाता हूँ कि हमारे पास इतने ही पैसे हैं। बाकी के पैसे गाडी मालिक को देने के लिए रखे हैं। अगर उनमें से दे दिए तो हमारी नौकरी चली जाऐगी और रात भर से हम दोनों यही सोच सोच कर अपना लण्ड खड़ा करके बैठे हैं कि सुबह हमें भी मौका मिलेगा
निशा- देखो मैं काफी थक गई हूँ। उन लोगों ने सारी रात सोने नहीं दिया है। दिन में मुझे बहुत जरूरी काम भी निपटाने हैं। उसके बाद रात को ही बापिस भोपाल भी लौटना है। इसलिए मेरा समय खराब मत करो
मेरी बात सुनकर कंडक्टर मुझे मनाने की कोशिश करते हुए बोला
कंडक्टर- तो फिर रात को तुम हमारी बस से ही बापिस चलना। हम तुमसे किराया भी नहीं लेगे।
निशा- तो फिर रात में ही कर लेना
कंडक्टर- रात में कहाँ कर पाऐंगे। फिर तो कल सुबह भोपाल पहुंचकर ही कर पाऐंगे। तब तक तो सोच सोच कर हमारी हालत ही खराब हो जाऐगी।
निशा- तो इसमें मैं क्या करूँ। देखो मैं पैसे लेकर मजे देती हूँ। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि मैं थोडा घमंडी हूँ या लालची हूँ पर ऐसा नहीं है। जिस दिन एक बार मेरी ले लोगे, उस दिन समझ में आ जाऐगा कि मैं इतने पैसे क्यों लेती हूँ।
कंडक्टर- अरे मुझे कुछ नहीं समझना। मैं पहले ही उन लडकों की सारी बातें सुन चुका हूँ। तुम बस हमें एक बार करने दो। देखो हम तुम्हें 10 हजार रुपये तो दे ही रहे हैं। साथ में रात को फ्री में बापिस भी ले जाऐंगे। कहो तो अभी एडवांस में ही टिकिट काट कर दे देता हूँ और रात में बापसी के समय तुम्हारे लिए 4-5 कस्टमर की भी इंतजाम कर लेंगे। तो उनसे कमा लेना पैसे। माँ कसम हमारे साथ एक बार करवाने के बाद तुम घाटे में बिल्कुल भी नहीं रहोगी।
उस कंडक्टर के इतने रिक्वेस्ट करने के बाद मैंने सोचा चलो करवा ही लेती हूँ। बैसे भी मैं रेलवे स्टेशन के यार्ड में 5-5 हजार में पहले भी करवा चुकी हूँ। ऊपर से अगर इसने बाकई में 1-2 कस्टमर रात के लिए बुक कर लिए तो इसमें मेरा ही फायदा है। पैसे और मजे के साथ साथ किराया भी नहीं लगेगा। यह सब सोचकर मैंने उससे कहा।
निशा- चलो ठीक है तुम लोग भी कर लो। पर अपना वादा याद रखना। वर्ना शाम को टिकिट के पैसे माँगने लगो और हाँ बैसे तो मुझे उम्मीद नहीं है कि तुम्हें कोई कस्टमर मिलेगा। पर अगर मिले भी तो उससे पैसों की डीलिंग तुम्हें करनी पडेगी। क्योंकि मैं पैसे तुमसे लूँगी, बस में किसी कस्टमर से पैसे माँगकर मैं कोई तमाशा नहीं करूना चाहती।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ ठीक है। हम पैसे ले लेंगे और टिकिट तुम एडवांस में ही अपने साथ ले जाना।
इतना बोलकर उनसे तुरंत अपने छोले से बिल बुक निकाली और मेरे नाम से एक टिकिट काटकर मुझे दे दिया। जिस पर उसी सीट का नम्बर था। जिससे मैं अभी अभी आई थी। फिर उसने अपने बैग में से 10 हजार रूपये निकालकर मुझे दे दिए। जो मैंने तुरंत ही अपने हैण्ड बैग में रख लिए। पैसे लेने के बाद मैं बापिस से अपनी सीट पर लेट गई। मेरे लेटते ही कंडक्टर भी केबिन के अंदर आ गया और केविन को अंदर से बंद करके मेरे ऊपर चड गया। वो पूरी रात से इसी पल का इंतजार कर रहा था।
जिस कारण मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं भी पूरे मन से उसका साथ दे रही थी। वो कंडक्टर शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था। जिस कारण उसकी स्पीड काफी ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगा कि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पायेगा। पर वो लगातार 30 मिनट तक फुल स्पीड से मेरी चुदाई करता रहा और फिर आखिर में अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया। कंडक्टर के जाने के बाद बस ड्रायबर भी मेरे केबिन में आ गया और एक बार फिर मेरी चूदाई शुरू हो गई। मुझे कंडक्टर की तुलना में ड्रायबर कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस लगा।
क्योंकि उसे कोई जल्दी नहीं थी। वो आराम से मेरे पूरे मजे ले रहा था और मुझे भी भरपूर मजे दे रहा था। काफी देर चुदाई करने के बाद आखिर कार ड्राबर भी ठण्डा हो गया। ड्रायबर के जाते ही मैंने अपने कपडे ठीक किए और अपना बैग लेकर बस से नीचे उतर कर बस स्टैण्ड से बाहर जाने लगी।