कुछ देर डॉगी स्टाइल में चुदने के बाद लता ने शेखर से कहा - रुको , मेरी बेटी भी प्यासी ह। उसकी चूत की आग भी बुझाना जरूरी है।
शिकार ने अपना लंड निकाल लिया। लता नैना के पास पहुंची। वो उसके पैरों के बीच में पहुँच गई और उसकी पेंट उतारने लगी। नैना ने पहले तो मना किया फिर आखिर में हवस की जीत हुई। नैना के पेंट उतारते ही लता उसके चूत पर भीड़ गई। अब वो जमीन पर कुटिया बनी हुई थी।
शिकार उन दोनों को देख रहा था।
लता - बहनचोद , देख क्या रहे हो। चोदो मुझे।
शेखर जो नैना की खूबसूरती में खोया हुआ था उसे होश आया। वो भी वहीँ बैठा और पीछे से लता के चूत में लंड डाल कर दोबारा चोदने लगा। शेखर के हर झटके से लता का मुँह नैना के चूत पर रगड़ खाता। नैना की आँखें बंद हो गई थी। वो पूरी तरह से मदहोश थी। कमरे में उसकी सिसकारियां और लता की चीखें गूँज रही थी। कुछ ही देर में शेखर के लंड ने पानी छोड़ दिया। कांपते हुए उसने अपने लंड का पूरा पानी लता के चूत में उड़ेल दिया। फिर वहीँ निढाल होकर बैठ गया। पता नहीं लता को आज क्या हुआ था। वो बहुत चुदास हो रखी थी।
उसने कहा - इतनी जल्दी खलास हो गए। अपनी भांजी को क्या चोद पाओगे। वो टी मुझसे भी बड़ी चुदास है।
शेखर कुछ नहीं बोला। लता उठी और नैना को खींचते हुए वापस बड़े सोफे पर लेकर गई। उसने नैना को वहां लेटा दिया और उसका एक पेअर हाथो से सीधा उठा दिया। उसने नैना के उठे हुए पैरों के बीच में अपनी चूत सताई और कैंची नुमा स्टाइल में उसे वही सोफे पर चोदने लगी। शेखर चकित था अपनी बीबी की चुदास देख कर। सिर्फ वही नहीं नैना भी आज अपनी माँ के इस रूप को देख कर हैरान थी। पर उसे तो मजा आ रहा था। आज इतनी बार झड़ने के बाद भी उसकी चूत अपनी माँ के चूत से रगड़ खा रही थी और वो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।
नैना - उफ्फ्फ्फ़ माँ , क्या कर रही हो। मजाआआ आ रहा है। कैसे कर लेती हो ये सब ?
लता - चुप भोसड़ी के। बहन की लौड़ी। आज मौका था चुदी नहीं। अब भाई की कसार बहन ही निकालेगी ना। आआह। बता ऐसा मजा सुलेखा ने दिया था ?
नैना - उफ्फ्फ्फ़ , आह। ये वाला तो नहीं माँ। रगड़ दो मेरी चूत को। बहुत सत्ता रही है। आह आह पापा , आपकी बीबी बहुत चुदासी है।
शेखर का लंड दोबारा खड़ा हो गया था। उसने अपना लंड अपने हाथ में ले लिया था।
नैना ने ये देखा तो बोली - आज अब अपना पानी मत निकालिये। अब आपको रूबी की मस्त चुदाई करनी है। अपना माल संभाल कर रखिये।
शेखर शांत हो गया। नैना और लता की गुथम गुँथाई देख कर उसके लंड एकदम बेकरार था पर उसने संयम रखा। वो उठा और एक ड्रिंक और बना कर लाया और आराम से पीते पीते दोनों की रगड़ाई देखने लगा। कुछ ही देर में नैना और लता अपने चरम पर पहुँच कर कांपते हुए स्खलित होने लगीं। लता वही नैना के ऊपर ही गिर पड़ी। नैना ने उसे अपने बाँहों में ले लिया।
शेखर दोनों की हालत देख कर उठा और दो और ग्लास में ड्रिंक लेकर आ गया।
उसने धीरे से कहा - बहुत पानी निकाल लिया ये लो पीयो।
लता और नैना दोनों उठ कर बैठ गईं। लता तो नंगी ही रही पर नैना ने अपने पेंट से अपने जांघों के बीच का एरिया ढक लिया । तीनो ड्रिंक पीने लगे। कमरे में तूफ़ान के बाद की शांति थी।
इधर तूफ़ान शांत हुआ था पर उधार दूसरा तूफ़ान आया हुआ था। रात में बच्चों के सोने के बाद रूबी , वर्षा और अनुराग सोफे पर बैठे हुए थे। टीवी देखते हुए वर्षा ने कहा - पापा , मुझे ससुराल जाना है।
ये सुनते ही जैसे एक धमाका सा हुआ। अनुराग चौंक कर बोला - क्या हुआ ? अचानक ?
अनुराग को शक सा हुआ की कहीं वर्षा अनुराग और नैना की बढ़ती नजदीकियों और शादी से दुखी तो नहीं है। यही बात रूबी भी सोच रही थी।
दोनों को चिंता में देख कर वर्षा मुस्कुराते हुए बोली - अरे हमेशा के लिए नहीं। कुछ दिनों के लिएजाना चाहती हूँ।
रूबी - तुम तो डाइवोर्स लेने की बात कर रही थी। फिर ये अचानक वापस जाने की बात।
वर्षा - दरअसल मुझे लग रहा है , मैं शायद दोबारा माँ बन जाऊं।
अनुराग - क्या मतलब ?
वर्षा ने सर झुका लिया और बोली - इस समय मेरा सबसे अच्छा फर्टाइल टाइम चल रहा है। पापा के साथ जिस तरह से टाइम बीत रहा है मुझे लग रहा है कहीं मैं अपने ही भाई या बहन की माँ ना बन जाऊं। वैसे भी अब बेटू बड़ा हो रहा है। मेरा दूध भी कम हो रहा है। दूसरा होने से पापा को कोई दिक्कत नहीं होगी।
रूबी बोली - पर उसके लिए वहां जाने की क्या जरूरत है ?
वर्षा - तू भी पागल है। लोग क्या सोचेंगे ? मैं सोच रही हूँ , वहां जाउंगी , अपने पति के साथ कुछ रात बिताउंगी। वो साला चोद तो पायेगा नहीं। एक दो हफ्ते वहां बिता कर लड़ झगड़ कर आ जाउंगी। इस बार आते समय डाइवोर्स को बात फ़ाइनल कर आउंगी। मेरे सास ससुर को मेरे पति की कमियां पता है। उन्हें पता है मेरे पति लड़कियों से ज्यादा लड़के में इंटरेस्टेड हैं। ये बात पूरी तरह से खुलवाउंगी और डाइवोर्स फ़ाइनल करके ही आउंगी।
अनुराग - पर मान लो सच में बच्चा उसका ही हुआ तो। बेटू भी तो उसका है।
वर्षा - मैं देखती हूँ। कुछ तो करुँगी। पर अगर उसका हुआ तो क्या आपको ऐतराज है क्या ?
अनुराग - नहीं। मेरे लिए तेरे कोख से निकला बच्चा मेरा अपना ही है। अब तुम और तुम्हारे बच्चे मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे कोई फक नहीं पड़ता इस बात से की असली बाप कौन है। पर अबकी जब वापस आओगी तो फिर लौट कर नहीं जाओगी।
वर्षा की आँखे भर आई। वो बोली - पापा , आपको सब सौंप चुकीं हूँ। अब कहाँ जाउंगी।
रूबी - वावू पापा। आपकी वल्ले वल्ले है। एक लंड पर दो दो चूत दीवानी।
वर्षा - चुप। ऐसे बोल रही है जैसे तू दीवानी नहीं हुई है।
रूबी - सच कहूं तो दीवानी तो मैं भी हूँ। पर मेरे ससुराल वाले मेरा इतना ख्याल रखते हैं की उन्हें नहीं छोड़ सकती हूँ। वर्ना मैं भी यहीं आकर बस जाती। पापा , आप टेंशन मत लो। आपके दूध के लिए मैं दोनों बच्चों में गैप रखूंगी।
अनुराग - तू भी ना। चलो सोते हैं। वर्षा , तुम कल अपने ससुराल में वहां आने की बात कर लेना । बाकी मैं भी तुम्हारे सास और ससुर से बात कर लूंगा।
अनुराग उठ कर कमरे में जाने लगा। रूबी ने वर्षा से कहा - अरे तू भी जा अपने सैयां के पास बच्चा नहीं करना है क्या ?
वर्षा - मुझे लगा , तुम आज रात बिताओगी।
रूबी - नहीं दी। मुझे एक दो दिन प्यासा रहना है ताकि जब फूफा का लौड़ा लून तो मजा आये। प्यासी चूत बढ़िए से निचोड़ेगी उन्हें।
वर्षा हँसते हुए - बड़ी कमिनी है तू।
रूबी - वो तो हूँ।
फिर रूबी अपने कमरे में बच्चों के पास पहुँच गई। वर्षा किचन में जाकर एक जग पानी लेती है और अनुराग के कमरे में जा पहुँचती है।
वर्षा ने पानी का जग रखते हुए कहा - सो गए क्या पापा ?
अनुराग - नहीं। अब बिस्तर पर अकेले नींद नहीं आती है।
वर्षा ने कहा - रूबी को भेज दूँ ?
अनुराग - नहीं। अब तो जब तक तू अपने ससुराल नहीं जाती रात में तू ही चाहिए।
वर्षा खिलखिलाते हुए - अच्छा तो अपने नाती का बाप बनने का मन है।
अनुराग - अब सब रिश्ते घुल से गए हैं। अब तो बस आदमी और औरत का ही रिश्ता समझ आता है।
वर्षा बिस्तर पर अनुराग के पास पहुँचती है और बगल में बैठते हुए बोलती है - आप सच सच बताइयेगा , मुझे और रूबी को छोड़ते समय हम आपको औरत दिखती हैं या बेटी ?
अनुराग ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा - बेटी।
वर्षा ने अनुराग के सीने पर हाथ फेरते हुए बोली - तो आपको बेटी चोदने में मजा आता है। हम्म्म।
अनुराग ने उसके नाइटी को बदन से हटाते हुए कहा - हम्म
वर्षा ने अनुराग के लुंगी के अंदर हाथ डाल कर उसके अकड़ते हुए लंड को पकड़ कर कहा - और बुआ को चोदते समय ?
अनुराग - बहन।
वर्षा ने कहा - अगर मौका मिला होता तो आप आप मादरचोद भी बन जाते।
अनुराग अब पूरी तरह से उत्तेजित हो रखा था। उसने वर्षा को पलट कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश की तो वर्षा ने उसे रोक दिया और बोली - आज मैं चढ़ाई करुँगी। पर उससे पहले आप दूध पी लो।
अनुराग ने उसके मुम्मे पर मुँह लगा दिया और उसके निप्पल को चूसने लगा।
वर्षा बोली - वैसे आप मेरा दूध पी चुके हो। इस तरह तो आप मेरे बेटे हुए और मादरचोद भी।
अनुराग ने उसके निप्पल छूटे हुए कहा - हम्म्म।
वर्षा - पी लो मेरे बेटे। अच्छे से पी लो दूध अपनी माँ का। क्योंकि इसके बाद तुम अपनी माँ चोदोगे।
अनुराग ने उसके निप्पल उमेठते हुए कहा - अभी आज तो माँ छोड़ेगी अपने बेटे को।
वर्षा अब उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी। पर अनुराग तो उसके मुम्मे देख कर पागल सा हो जाता था। वर्षा ने अपने बेटे से ज्यादा दूध तो बाप को ही पिलाया था। उसके और रूबी के मुम्मे अब लगभग बराबरी पर थे। रूबी के थोड़े बड़े थे पर वर्षा के मुम्मे कुछ ख़ास थे। उसके मुम्मो का कला घेरा कला और बड़ा था और निप्पल तो एक काले बड़े अंगूर जैसे।