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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 64 42.1%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 31 20.4%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 57 37.5%

  • Total voters
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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unknown boy 01

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उधर शेखर लता, वर्षा, रूबी और बच्चों के साथ मॉल में घूम रहा था। देखने वाले कोई भी यही समझते की वर्षा और रूबी शेखर की बेटियां हैं। पर शेखर के मन में दोनों को छोड़ने की इच्छा थी। वर्षा ने तो साफ़ मना कर दिया था पर नैना की शादी के चक्कर में वर्षा ना सही रूबी तो तैयार हो गई थी। रूबी वर्षा की तुलना में और भी गदराई माल थी। उसके मुम्मे और गांड दोनों वर्षा के तुलना में बड़े थे। ये अलग बात थी की वर्षा ज्यादा सुन्दर थी और उसके चेहरे पर मासूमियत थी। रूबी और वर्षा दोनों ने साडी पहन रखी थी। दोनों बला कि खूबसूरत लग रही थी।

मौका पाकर शेखर रूबी के बदन को ताड़ रहा था। साडी में उसका बदन और निखार गया था । रूबी के मन में भी ये बात थी की अब तो उसे शेखर से चुदना ही पड़ेगा। उसके अंदर ये सोच कर ही हलचल हो रही थी कि उसके दोनों छेद में फूफा और पापा दोनों का लैंड जाएगा।
शेखर के मन में कई बार आया कि वो रूबी को उसके बदन को टच करे पर हिम्म्मत नहीं हो रही थी। जब टॉक पूर्ण सहमति और समर्पण न हो , उसे मजा नहीं आता था। उसके नजर में गलत भी था। उसकी यही बात लता को भी अच्छी लगती थी और वर्षा को भी। अब रूबी भी इस बात से खुश थी। पर वो चाहती थी कि शेखर पहल करे। आज लता भी खुश थी। उसके मन का बोझ हट गया था। उसकी बेटी और भाई दोनों खुश थे।

कुछ देर इधर उधर घूमने के बाद , थोड़ी शॉपिंग के बाद सब एक रेस्टॉरेंट में घुसे। पेट भरा हुआ था पर रूबी को बेटे को दुध पिलाना था। वो भूखा था। कुछ देर बैठने कि जगह भी चाहिए थी। वो सब एक रेस्टॉरेंट में गए, वहां सीट्स तो अवेलेबल नहीं थी पर वेटर ने बताया एक फॅमिली केबिन खाली है। वहां परदे लगे हुए था। कोई बाहर से देख नहीं सकता था। वहां एक घंटी लगी थी जिससे वेटर को बुला कर आर्डर दिया जा सकता था। अधकांश प्राइवेट पार्टी या कपल ही बैठते थे। या फिर वैसा ग्रुप जिसे दुनिया से अलग बैठना होता था। खैर ये लोग उसमे बैठ गए। वहां हाफ सर्कुलर वे में बैठने का अरेंजमेंट था। बीच में टेबल और चारो तरफ सोफे जैसा सिटींग। बाई चांस ऐसे बैठने का हुआ कि एक तरफ वर्षा थी , फिर उसका बेटा, फिर लता , रूबी और फिर शेखर। रूबी ने कहा कि लता शेखर के बगल में बैठ जाए पर , लता ने जानबूझकर उसे शेखर के बगल में बैठने को कहा। वर्षा भी मुश्कुरा रही थी।
उन लोगों ने वेटर को कुछ खाने और सॉफ्ट ड्रिंक्स के आर्डर किये। लता ने ख़ास तौर पर ब्लैक कॉफ़ी आर्डर किया। वर्षा का बेटा थक गया था तो वो उसके गोद में सर रख कर लेट गया। कुछ देर में वेटर खाने का समान रख गया। जब वो जाने लगा तो लता ने कहा - परदे ठीक से लगा दो और अब डिस्टर्ब न करना , बच्चों को फीड कराना है। समझे ना।
वेटर - जी मैडम , बेफिक्र रहें कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा। इस केबिन को मैं ही सर्व करूँगा। आपको जब मेरी जरूरत हो तो बेल दबा देना।
ये कहकर वेटर ने परदे ठीक कर दिए और चला गया। उसके जाते ही वर्षा ने अपने बेटे से कहा - कुछ खा लो।
उसने कहा - नहीं , मुझे दूधु पीना है।
वर्षा ने कहा - अब तुम बड़े हो गए हो। बंद करो ये सब।
उसने जवाब दिया - नहीं। मुझे चाहिए।
वर्षा ने अपना हाथ साडी के अंदर डाला एयर ब्लॉउज के निचे के दो हुक खोल दिए। अंचल के अंदर से ही उसने अपने मुम्मे निकाल लिए जिसे उसके बेटे ने लपक कर मुँह में भर लिया।
वर्षा - आराम से , दांत मत लगा।
उधर रूबी ने भी अपने ब्लॉउज खोल दिए थे। उसके छोटा बेटा दूध पी रहा था। वो छोटा था तो उसके हिलने डुलने से उसका अंचल इधर उधर हो रहा था और कई बार उसके स्तन बाहर दिख जा रहे थे। और वो बार बार उसे ठीक कर रही थी।
लता ने कहा - रहने दे । हटा दे आंचल। किसी और के आँखों को भी आराम मिलेगा। आज नहीं तो कल देगी ही।
रूबी कुछ करती उससे पहले ही वर्षा ने अपना आंचल हटा दिया। सामने का नज़ारा देख शेखर कि ऑंखें चौड़ी हो गईं। उसके बेटा सो चूका था। ब्लॉउज के सारे बटन खुले हुए थे और उसके दोनों स्तन सामने दिख रहे थे । गोल गोल काले घेरे के बीच में उभरा हुआ निप्पल। शेखर और लता को वर्षा से ये उम्मीद नहीं थी। जब तक वो कुछ और सोच पाते वर्षा ने रूबी कि तरफ इशारा किया।
रूबी ने भी अपना आंचल हटा दिया था। उसका बेटा सो चूका था। उसके भी दोनों स्तन खुले हुए थे। इतनी देर में वर्षा ने अपना ब्लॉउज बंद कर लिया और आंचल भी ठीक कर लिया।
पर रूबी वैसे ही बैठी रही।
लता - सिर्फ देखेंगे या फिर कुछ करेंगे भी ? मन है पीने का पी लीजिये।
शेखर अब भी कुछ नहीं कर रहा था।
लता ने रूबी के बेटे को उसके गोद से ले लिए और अपने गोद में सुला लिया। लता और वर्षा दोनों कोल्ड ड्रिंक पीने लगे। शेखर तो बस एक तक रूबी के मुम्मे ताड़े जा रहा था।
तभी लता ने कहा - आपके लिए ख़ास ब्लैक कॉफी मंगाई है।
शेखर - परमैन तो ब्लैक कॉफी चूड़ो ब्लैक टी तक नहीं पीता। बिना दूध कि चाय तो पसंद ही नहीं है।
लता मुश्कुराते हुए - बगल में जर्सी गाय है। निकाल लो।
शेखर कुछ कहता तभी रूबी ने अपना ब्लॉउज बंद कर लिया और साडी सही करते हुए बोली - ये गाय पब्लिक प्लेस में नहीं दूही जायेगी।
शेखर के साथ खेल हो गया था। उसने चुप चाप एक कोल्ड ड्रिंक उठा लिया। कुछ देर खाने पीने के बाद सब घर कि और चल पड़े।

मेरी माँ, बहने और(aur) उनका परिवार is story per bhi update dijiye​

Reason bhai is story pedne se acha lagta hai or tension kam hoti hai
 
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tharkiman

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उधर अनुराग और नैना ने धमाकेदार ओरल सेक्स के बाद नाहा लिया था। नैना ने एक छोटी सी पेंट और टी शर्ट पहन ली थी । उसके अंदर उसने कुछ भी नहीं पहना था। अनुराग को नहाने के बाद वही पुराने कपडे पहनने पड़े थे। सबके घर लौटने के बाद अनुराग ने अपने घर वापस लौटने की बात की। लता ने बहुत रोकने की कोशिश की पर सब माने नहीं। लता ने फिर कुछ खाने पीने का सामान पैक कर दिया जिसे लेकर अनुराग, वर्षा और रूबी बच्चों के साथ घर लौट गए।

नैना वहीँ सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगी। लता और शेखर भी कपडे बदल कर वहीँ आ गए। लता ने एक छोटी सी नाइटी पहन ली थी जिसमे आगे एक चेन लगा हुआ था। नैना ने लता के गोद में में सर रख लिया। नैना के चेहरे पर सकूं देख कर लता बहुत खुश थी। पर शेखर के साथ तो खेल हो गया था। वो कुछ देर एक सोफे पर बैठा रहा फिर उठ कर ड्रिंक बनाने चला गया।

लता ने नैना के माथे को चूम कर कहा - खुश तो है न ?
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - हाँ। बहुत खुश।

लता उसके बालों में हाथ फेरने लगी। नैना को भी अपनी माँ पर प्यार आया। उसने उसके हाथो को पकड़ा और उन्हें चूम लिया। लता ने भी नैना के हाथों को चूम लिया। तब तक शेखर भी हाथ में ड्रिंक लेकर आ गया था।

नैना ने कहा - क्या हुआ पापा , ड्रिंक लेकर बैठ गए ?
शेखर ने घूँट लगाते हुए कहा - सबकी किस्मत अनुराग जैसी थोड़े ही है।
नैना ने ये सुना तो उसे बुरा लगा और वो उठने लगी। लता ने उसे रोक दिया और धीरे से कहा - रूबी ने बस दिखा कर छोड़ दिया। बेचारे को
लगा की आज पीने को मिलेगा पर खेल हो गया।
नैना को भी अपने पिता पर तरस आया। उसने कहा - कल चले जाइएगा। अब तो आपने और माँ ने अपना वादा पूरा कर दिया। रूबी तो तैयार ही है। मार लीजियेगा उसकी गांड।

नैना के बिंदास बात को सुन कर शेखर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला - हाँ , कब तक खैर मनाएगी। अभी तक सोचा था प्यार से लूंगा अब उसकी गांड और छूट दोनों फाड़ दूंगा।
शेखर के ऊपर नशा होने लगा था। उसने कहा - तूने तो टाइम का फायदा उठाया न ? अनुराग ने मजे दिए की नहीं।

नैना ने अपने पिता के सामने माँ के साथ सेक्स किया था। उसके सामने नंगी भी हो चुकी थी। पर वो अपने पिता के साथ फिर भी इतनी नहीं खुली थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। वो चुप ही रही।

तभी लता बोली - अरे खुद ही पीजिएगा की मुझे भी पिलाइयेगा।
शेखर - जानेमन तुमने पहले बोला होता तो तुम्हारे लिए भी एक ग्लास लेकर आता। रुको अभी ले आता हूँ।
लता - खुद ही पीला दो अपने स्टाइल में।
शेखर मुस्कुराता हुआ उठा। उसने एक सिप लिया और लता के पास खड़ा हो गया। लता ने अपना मुँह खोल दिया। शेखर ने अपने यह से ड्रिंक उसके मुँह में डाल दिया। लता ने उसे पी लिया। कुछ बुँदे नैना के चेहरे पर भी गिरी। लता झुकी और उसने नैना के चेहरे पर गिरी बुँदे chaat ली। उसकी इस हरकत ने नैना के ऊपर कुछ जादू सा किया। नैना ने लता के चेहरे को पकड़ा और चूम लिया।
लता बोली - तुझे भी चाहिए क्या ?
नैना ने सर हिला दिया।

शेखर ये देख चूका था। वो लता के बगल में सोफे के हत्थे पर बैठ गया। उसने दोबारा ड्रिंक लिया और लता के मुँह में अपने मुँह से डाल दिया। इस बार उसने जान बुझ कर और भी कुछ ज्यादा ही बुँदे नैना के ऊपर गिरा दी। लता ने एक घूँट खुद पिया और फिर झुक गई। नैना ने मुँह खोला और लता ने अपने मुँह से ड्रिंक नैने के मुँह में डाल दिया। इस बार दोनों ड्रिंक के बाद एक दुसरे को चूमती रही। इधर शेखर ने लता के नाइटी के चेन को खोल दिया और उसके अंदर हाथ डाल कर उसके मुम्मे दबाने लगा। कुछ पल में शेखर ने लता के दोनों स्तन बाहर निकाल लिए और उन्हें मसलने लगा , लता को मजा आने लगा था। उसने अब अपने हाथों से नैना के मुम्मे दबाने शुरू कर दिए थे। कुछ देर बाद उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया। शेखर ने फिर से कुछ घूँट मुँह में लिया और उसे वैसे ही पिलाने लगा। इस बार उसने कुछ ड्रिंक लता के स्तनों पर भी गिरा दिया। अबकी लता नैना को पिलाने के लिए जब झुकने लगी तो उसने रोक दिया और खुद झुक कर लता के स्तनों पर लगे ड्रिंक्स को पीने लगा। चाटने के बाद उसने ड्रिंक्स की धार लता के स्तनों पर गिराते हुए कहा नैना से कहा - तू भी पी ले।
नैना ने भी लपक कर लता के दुसरे स्तन पर मुँह लगा दिया। कुछ ही देर में लता के कपडे उतर चुके थे। एक तरफ जहाँ लता शेखर के लंड को चूस रही थी वहीँ दूसरी तरफ नैना लता के चूत में मुँह लगा चुकी थी। लता और शेखर नंगे हो चुके थे पर नैना ने कपडे नहीं उतारे थे।
कुछ देर लंड चूसने के बाद लता ने नैना से कहा - तू रहने दे। अब मुझे तेरे बाप का लंड चाहिए।
लता वहीँ सोफे पर घूम कर हाथों के सहारे कड़ी हो गई और शेखर ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया।
लता - आअह, फाड़ दो मेरी चूत। फ़क मी।
शेखर पीछे से उसे चोदने लगा। नैना उन दोनों की चुदाई देख कर दांग रह गई। उसके माँ बाप सच में एक नंबर के चोदू थे। उनकी चुदाई देख कर उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। उसे अनुराग की याद आ रही थी। वो अफ़सोस कर रही थी की वो आज चुदी नहीं। पर उसे एकी था जब उसकी चुदाई होगी तो इस चुदाई से भी भयंकर होगी। अनुराग उसे छोड़ेगा नहीं। इतने दिनों तक इंतजार करने के बाद वो उसकी चूत को बेरहमी से ही चोदेगा।
 

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उधर अनुराग और नैना ने धमाकेदार ओरल सेक्स के बाद नाहा लिया था। नैना ने एक छोटी सी पेंट और टी शर्ट पहन ली थी । उसके अंदर उसने कुछ भी नहीं पहना था। अनुराग को नहाने के बाद वही पुराने कपडे पहनने पड़े थे। सबके घर लौटने के बाद अनुराग ने अपने घर वापस लौटने की बात की। लता ने बहुत रोकने की कोशिश की पर सब माने नहीं। लता ने फिर कुछ खाने पीने का सामान पैक कर दिया जिसे लेकर अनुराग, वर्षा और रूबी बच्चों के साथ घर लौट गए।

नैना वहीँ सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगी। लता और शेखर भी कपडे बदल कर वहीँ आ गए। लता ने एक छोटी सी नाइटी पहन ली थी जिसमे आगे एक चेन लगा हुआ था। नैना ने लता के गोद में में सर रख लिया। नैना के चेहरे पर सकूं देख कर लता बहुत खुश थी। पर शेखर के साथ तो खेल हो गया था। वो कुछ देर एक सोफे पर बैठा रहा फिर उठ कर ड्रिंक बनाने चला गया।

लता ने नैना के माथे को चूम कर कहा - खुश तो है न ?
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - हाँ। बहुत खुश।

लता उसके बालों में हाथ फेरने लगी। नैना को भी अपनी माँ पर प्यार आया। उसने उसके हाथो को पकड़ा और उन्हें चूम लिया। लता ने भी नैना के हाथों को चूम लिया। तब तक शेखर भी हाथ में ड्रिंक लेकर आ गया था।

नैना ने कहा - क्या हुआ पापा , ड्रिंक लेकर बैठ गए ?
शेखर ने घूँट लगाते हुए कहा - सबकी किस्मत अनुराग जैसी थोड़े ही है।
नैना ने ये सुना तो उसे बुरा लगा और वो उठने लगी। लता ने उसे रोक दिया और धीरे से कहा - रूबी ने बस दिखा कर छोड़ दिया। बेचारे को
लगा की आज पीने को मिलेगा पर खेल हो गया।
नैना को भी अपने पिता पर तरस आया। उसने कहा - कल चले जाइएगा। अब तो आपने और माँ ने अपना वादा पूरा कर दिया। रूबी तो तैयार ही है। मार लीजियेगा उसकी गांड।

नैना के बिंदास बात को सुन कर शेखर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला - हाँ , कब तक खैर मनाएगी। अभी तक सोचा था प्यार से लूंगा अब उसकी गांड और छूट दोनों फाड़ दूंगा।
शेखर के ऊपर नशा होने लगा था। उसने कहा - तूने तो टाइम का फायदा उठाया न ? अनुराग ने मजे दिए की नहीं।

नैना ने अपने पिता के सामने माँ के साथ सेक्स किया था। उसके सामने नंगी भी हो चुकी थी। पर वो अपने पिता के साथ फिर भी इतनी नहीं खुली थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। वो चुप ही रही।

तभी लता बोली - अरे खुद ही पीजिएगा की मुझे भी पिलाइयेगा।
शेखर - जानेमन तुमने पहले बोला होता तो तुम्हारे लिए भी एक ग्लास लेकर आता। रुको अभी ले आता हूँ।
लता - खुद ही पीला दो अपने स्टाइल में।
शेखर मुस्कुराता हुआ उठा। उसने एक सिप लिया और लता के पास खड़ा हो गया। लता ने अपना मुँह खोल दिया। शेखर ने अपने यह से ड्रिंक उसके मुँह में डाल दिया। लता ने उसे पी लिया। कुछ बुँदे नैना के चेहरे पर भी गिरी। लता झुकी और उसने नैना के चेहरे पर गिरी बुँदे chaat ली। उसकी इस हरकत ने नैना के ऊपर कुछ जादू सा किया। नैना ने लता के चेहरे को पकड़ा और चूम लिया।
लता बोली - तुझे भी चाहिए क्या ?
नैना ने सर हिला दिया।

शेखर ये देख चूका था। वो लता के बगल में सोफे के हत्थे पर बैठ गया। उसने दोबारा ड्रिंक लिया और लता के मुँह में अपने मुँह से डाल दिया। इस बार उसने जान बुझ कर और भी कुछ ज्यादा ही बुँदे नैना के ऊपर गिरा दी। लता ने एक घूँट खुद पिया और फिर झुक गई। नैना ने मुँह खोला और लता ने अपने मुँह से ड्रिंक नैने के मुँह में डाल दिया। इस बार दोनों ड्रिंक के बाद एक दुसरे को चूमती रही। इधर शेखर ने लता के नाइटी के चेन को खोल दिया और उसके अंदर हाथ डाल कर उसके मुम्मे दबाने लगा। कुछ पल में शेखर ने लता के दोनों स्तन बाहर निकाल लिए और उन्हें मसलने लगा , लता को मजा आने लगा था। उसने अब अपने हाथों से नैना के मुम्मे दबाने शुरू कर दिए थे। कुछ देर बाद उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया। शेखर ने फिर से कुछ घूँट मुँह में लिया और उसे वैसे ही पिलाने लगा। इस बार उसने कुछ ड्रिंक लता के स्तनों पर भी गिरा दिया। अबकी लता नैना को पिलाने के लिए जब झुकने लगी तो उसने रोक दिया और खुद झुक कर लता के स्तनों पर लगे ड्रिंक्स को पीने लगा। चाटने के बाद उसने ड्रिंक्स की धार लता के स्तनों पर गिराते हुए कहा नैना से कहा - तू भी पी ले।
नैना ने भी लपक कर लता के दुसरे स्तन पर मुँह लगा दिया। कुछ ही देर में लता के कपडे उतर चुके थे। एक तरफ जहाँ लता शेखर के लंड को चूस रही थी वहीँ दूसरी तरफ नैना लता के चूत में मुँह लगा चुकी थी। लता और शेखर नंगे हो चुके थे पर नैना ने कपडे नहीं उतारे थे।
कुछ देर लंड चूसने के बाद लता ने नैना से कहा - तू रहने दे। अब मुझे तेरे बाप का लंड चाहिए।
लता वहीँ सोफे पर घूम कर हाथों के सहारे कड़ी हो गई और शेखर ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया।
लता - आअह, फाड़ दो मेरी चूत। फ़क मी।
शेखर पीछे से उसे चोदने लगा। नैना उन दोनों की चुदाई देख कर दांग रह गई। उसके माँ बाप सच में एक नंबर के चोदू थे। उनकी चुदाई देख कर उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। उसे अनुराग की याद आ रही थी। वो अफ़सोस कर रही थी की वो आज चुदी नहीं। पर उसे एकी था जब उसकी चुदाई होगी तो इस चुदाई से भी भयंकर होगी। अनुराग उसे छोड़ेगा नहीं। इतने दिनों तक इंतजार करने के बाद वो उसकी चूत को बेरहमी से ही चोदेगा।
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