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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 62 41.6%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 30 20.1%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 57 38.3%

  • Total voters
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pussylover1

Milf lover.
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कुछ देर डॉगी स्टाइल में चुदने के बाद लता ने शेखर से कहा - रुको , मेरी बेटी भी प्यासी ह। उसकी चूत की आग भी बुझाना जरूरी है।
शिकार ने अपना लंड निकाल लिया। लता नैना के पास पहुंची। वो उसके पैरों के बीच में पहुँच गई और उसकी पेंट उतारने लगी। नैना ने पहले तो मना किया फिर आखिर में हवस की जीत हुई। नैना के पेंट उतारते ही लता उसके चूत पर भीड़ गई। अब वो जमीन पर कुटिया बनी हुई थी।
शिकार उन दोनों को देख रहा था।
लता - बहनचोद , देख क्या रहे हो। चोदो मुझे।
शेखर जो नैना की खूबसूरती में खोया हुआ था उसे होश आया। वो भी वहीँ बैठा और पीछे से लता के चूत में लंड डाल कर दोबारा चोदने लगा। शेखर के हर झटके से लता का मुँह नैना के चूत पर रगड़ खाता। नैना की आँखें बंद हो गई थी। वो पूरी तरह से मदहोश थी। कमरे में उसकी सिसकारियां और लता की चीखें गूँज रही थी। कुछ ही देर में शेखर के लंड ने पानी छोड़ दिया। कांपते हुए उसने अपने लंड का पूरा पानी लता के चूत में उड़ेल दिया। फिर वहीँ निढाल होकर बैठ गया। पता नहीं लता को आज क्या हुआ था। वो बहुत चुदास हो रखी थी।
उसने कहा - इतनी जल्दी खलास हो गए। अपनी भांजी को क्या चोद पाओगे। वो टी मुझसे भी बड़ी चुदास है।
शेखर कुछ नहीं बोला। लता उठी और नैना को खींचते हुए वापस बड़े सोफे पर लेकर गई। उसने नैना को वहां लेटा दिया और उसका एक पेअर हाथो से सीधा उठा दिया। उसने नैना के उठे हुए पैरों के बीच में अपनी चूत सताई और कैंची नुमा स्टाइल में उसे वही सोफे पर चोदने लगी। शेखर चकित था अपनी बीबी की चुदास देख कर। सिर्फ वही नहीं नैना भी आज अपनी माँ के इस रूप को देख कर हैरान थी। पर उसे तो मजा आ रहा था। आज इतनी बार झड़ने के बाद भी उसकी चूत अपनी माँ के चूत से रगड़ खा रही थी और वो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।
नैना - उफ्फ्फ्फ़ माँ , क्या कर रही हो। मजाआआ आ रहा है। कैसे कर लेती हो ये सब ?
लता - चुप भोसड़ी के। बहन की लौड़ी। आज मौका था चुदी नहीं। अब भाई की कसार बहन ही निकालेगी ना। आआह। बता ऐसा मजा सुलेखा ने दिया था ?
नैना - उफ्फ्फ्फ़ , आह। ये वाला तो नहीं माँ। रगड़ दो मेरी चूत को। बहुत सत्ता रही है। आह आह पापा , आपकी बीबी बहुत चुदासी है।
शेखर का लंड दोबारा खड़ा हो गया था। उसने अपना लंड अपने हाथ में ले लिया था।
नैना ने ये देखा तो बोली - आज अब अपना पानी मत निकालिये। अब आपको रूबी की मस्त चुदाई करनी है। अपना माल संभाल कर रखिये।
शेखर शांत हो गया। नैना और लता की गुथम गुँथाई देख कर उसके लंड एकदम बेकरार था पर उसने संयम रखा। वो उठा और एक ड्रिंक और बना कर लाया और आराम से पीते पीते दोनों की रगड़ाई देखने लगा। कुछ ही देर में नैना और लता अपने चरम पर पहुँच कर कांपते हुए स्खलित होने लगीं। लता वही नैना के ऊपर ही गिर पड़ी। नैना ने उसे अपने बाँहों में ले लिया।
शेखर दोनों की हालत देख कर उठा और दो और ग्लास में ड्रिंक लेकर आ गया।
उसने धीरे से कहा - बहुत पानी निकाल लिया ये लो पीयो।
लता और नैना दोनों उठ कर बैठ गईं। लता तो नंगी ही रही पर नैना ने अपने पेंट से अपने जांघों के बीच का एरिया ढक लिया । तीनो ड्रिंक पीने लगे। कमरे में तूफ़ान के बाद की शांति थी।

इधर तूफ़ान शांत हुआ था पर उधार दूसरा तूफ़ान आया हुआ था। रात में बच्चों के सोने के बाद रूबी , वर्षा और अनुराग सोफे पर बैठे हुए थे। टीवी देखते हुए वर्षा ने कहा - पापा , मुझे ससुराल जाना है।
ये सुनते ही जैसे एक धमाका सा हुआ। अनुराग चौंक कर बोला - क्या हुआ ? अचानक ?
अनुराग को शक सा हुआ की कहीं वर्षा अनुराग और नैना की बढ़ती नजदीकियों और शादी से दुखी तो नहीं है। यही बात रूबी भी सोच रही थी।
दोनों को चिंता में देख कर वर्षा मुस्कुराते हुए बोली - अरे हमेशा के लिए नहीं। कुछ दिनों के लिएजाना चाहती हूँ।
रूबी - तुम तो डाइवोर्स लेने की बात कर रही थी। फिर ये अचानक वापस जाने की बात।
वर्षा - दरअसल मुझे लग रहा है , मैं शायद दोबारा माँ बन जाऊं।
अनुराग - क्या मतलब ?
वर्षा ने सर झुका लिया और बोली - इस समय मेरा सबसे अच्छा फर्टाइल टाइम चल रहा है। पापा के साथ जिस तरह से टाइम बीत रहा है मुझे लग रहा है कहीं मैं अपने ही भाई या बहन की माँ ना बन जाऊं। वैसे भी अब बेटू बड़ा हो रहा है। मेरा दूध भी कम हो रहा है। दूसरा होने से पापा को कोई दिक्कत नहीं होगी।
रूबी बोली - पर उसके लिए वहां जाने की क्या जरूरत है ?
वर्षा - तू भी पागल है। लोग क्या सोचेंगे ? मैं सोच रही हूँ , वहां जाउंगी , अपने पति के साथ कुछ रात बिताउंगी। वो साला चोद तो पायेगा नहीं। एक दो हफ्ते वहां बिता कर लड़ झगड़ कर आ जाउंगी। इस बार आते समय डाइवोर्स को बात फ़ाइनल कर आउंगी। मेरे सास ससुर को मेरे पति की कमियां पता है। उन्हें पता है मेरे पति लड़कियों से ज्यादा लड़के में इंटरेस्टेड हैं। ये बात पूरी तरह से खुलवाउंगी और डाइवोर्स फ़ाइनल करके ही आउंगी।
अनुराग - पर मान लो सच में बच्चा उसका ही हुआ तो। बेटू भी तो उसका है।
वर्षा - मैं देखती हूँ। कुछ तो करुँगी। पर अगर उसका हुआ तो क्या आपको ऐतराज है क्या ?
अनुराग - नहीं। मेरे लिए तेरे कोख से निकला बच्चा मेरा अपना ही है। अब तुम और तुम्हारे बच्चे मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे कोई फक नहीं पड़ता इस बात से की असली बाप कौन है। पर अबकी जब वापस आओगी तो फिर लौट कर नहीं जाओगी।
वर्षा की आँखे भर आई। वो बोली - पापा , आपको सब सौंप चुकीं हूँ। अब कहाँ जाउंगी।
रूबी - वावू पापा। आपकी वल्ले वल्ले है। एक लंड पर दो दो चूत दीवानी।
वर्षा - चुप। ऐसे बोल रही है जैसे तू दीवानी नहीं हुई है।
रूबी - सच कहूं तो दीवानी तो मैं भी हूँ। पर मेरे ससुराल वाले मेरा इतना ख्याल रखते हैं की उन्हें नहीं छोड़ सकती हूँ। वर्ना मैं भी यहीं आकर बस जाती। पापा , आप टेंशन मत लो। आपके दूध के लिए मैं दोनों बच्चों में गैप रखूंगी।
अनुराग - तू भी ना। चलो सोते हैं। वर्षा , तुम कल अपने ससुराल में वहां आने की बात कर लेना । बाकी मैं भी तुम्हारे सास और ससुर से बात कर लूंगा।
अनुराग उठ कर कमरे में जाने लगा। रूबी ने वर्षा से कहा - अरे तू भी जा अपने सैयां के पास बच्चा नहीं करना है क्या ?
वर्षा - मुझे लगा , तुम आज रात बिताओगी।
रूबी - नहीं दी। मुझे एक दो दिन प्यासा रहना है ताकि जब फूफा का लौड़ा लून तो मजा आये। प्यासी चूत बढ़िए से निचोड़ेगी उन्हें।
वर्षा हँसते हुए - बड़ी कमिनी है तू।
रूबी - वो तो हूँ।
फिर रूबी अपने कमरे में बच्चों के पास पहुँच गई। वर्षा किचन में जाकर एक जग पानी लेती है और अनुराग के कमरे में जा पहुँचती है।
वर्षा ने पानी का जग रखते हुए कहा - सो गए क्या पापा ?
अनुराग - नहीं। अब बिस्तर पर अकेले नींद नहीं आती है।
वर्षा ने कहा - रूबी को भेज दूँ ?
अनुराग - नहीं। अब तो जब तक तू अपने ससुराल नहीं जाती रात में तू ही चाहिए।
वर्षा खिलखिलाते हुए - अच्छा तो अपने नाती का बाप बनने का मन है।
अनुराग - अब सब रिश्ते घुल से गए हैं। अब तो बस आदमी और औरत का ही रिश्ता समझ आता है।
वर्षा बिस्तर पर अनुराग के पास पहुँचती है और बगल में बैठते हुए बोलती है - आप सच सच बताइयेगा , मुझे और रूबी को छोड़ते समय हम आपको औरत दिखती हैं या बेटी ?
अनुराग ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा - बेटी।
वर्षा ने अनुराग के सीने पर हाथ फेरते हुए बोली - तो आपको बेटी चोदने में मजा आता है। हम्म्म।
अनुराग ने उसके नाइटी को बदन से हटाते हुए कहा - हम्म
वर्षा ने अनुराग के लुंगी के अंदर हाथ डाल कर उसके अकड़ते हुए लंड को पकड़ कर कहा - और बुआ को चोदते समय ?
अनुराग - बहन।
वर्षा ने कहा - अगर मौका मिला होता तो आप आप मादरचोद भी बन जाते।
अनुराग अब पूरी तरह से उत्तेजित हो रखा था। उसने वर्षा को पलट कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश की तो वर्षा ने उसे रोक दिया और बोली - आज मैं चढ़ाई करुँगी। पर उससे पहले आप दूध पी लो।
अनुराग ने उसके मुम्मे पर मुँह लगा दिया और उसके निप्पल को चूसने लगा।
वर्षा बोली - वैसे आप मेरा दूध पी चुके हो। इस तरह तो आप मेरे बेटे हुए और मादरचोद भी।
अनुराग ने उसके निप्पल छूटे हुए कहा - हम्म्म।
वर्षा - पी लो मेरे बेटे। अच्छे से पी लो दूध अपनी माँ का। क्योंकि इसके बाद तुम अपनी माँ चोदोगे।
अनुराग ने उसके निप्पल उमेठते हुए कहा - अभी आज तो माँ छोड़ेगी अपने बेटे को।

वर्षा अब उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी। पर अनुराग तो उसके मुम्मे देख कर पागल सा हो जाता था। वर्षा ने अपने बेटे से ज्यादा दूध तो बाप को ही पिलाया था। उसके और रूबी के मुम्मे अब लगभग बराबरी पर थे। रूबी के थोड़े बड़े थे पर वर्षा के मुम्मे कुछ ख़ास थे। उसके मुम्मो का कला घेरा कला और बड़ा था और निप्पल तो एक काले बड़े अंगूर जैसे।
Wah shandaar update
 

tharkiman

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वर्षा के स्तनों में अब दूध बिलकुल नहीं बचा था फिर भी अनुराग उसके निप्पल चूसे जा रहा था। अब उसने उसके मुम्मे मथने भी शुरू कर दिए थे। वर्षा अब पूरी तरह से चुदास हो चुकी थी। उसने अब अनुराग को पीठ के बल लेता दिया और खुद उसके कमर के दोनों तरफ पैर करके बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को चूत में नहीं डाला बल्कि ाउसके दोनों लबो के बीच में रख कर कमर हलके हलके से आगे पीछे करने लगी। उसके हाथ अनुराग के सीने पर थे और उंगलिया अनुराग के छोटे छोटे चुचकों को पिंच कर रहे थे।
वर्षा - क्यों बेटा , अब दूध पाइक माँ चोदेगा या अपनी बेटी ?
अनुराग के हाथ भी उसके मुम्मो पर पहुँच गए और उन्हें मसलते हुए बोला - माँ चोदूूँगा।
वर्षा - अच्छा बेटा , पहले माँ की चूत की मालिश तो कर दे।
अनुराग - अब प्लीज चोदने दो ना।
वर्षा - पहले मेरी मालिश होने दो।
वर्षा धीरे धीरे कमर हिला रही थी। अनुराग की हालत ख़राब थी। पर इस पॉजिशन में उसका लंड वर्षा के क्लीट पर रगड़ खा रहा था और वर्षा आँखे बंद करके मजे ले रही थी। अनुराग भी निचे से उसके मुम्मे मीज रहा था। कुछ ही देर में वर्षा के चूत ने पानी बहना शुरू कर दिया। उसका शरीर कांपने लगा। वर्षा - पापाअअअअअआआ , मैं तो गई। आआआआअह
वर्षा अनुराहगे के ऊपर लेट गई। अनुराग के लंड को कोई आराम नहीं था। अनुराग चाहता था की वो अब उसे चोद दे पर वर्षा आज पुरे कण्ट्रोल में थी। कुछ देर बा वर्षा बोली - पापा मजा आया ?
अनुराग - बेटा , बजा तो तुम्हे आया। मेरा लंड तो प्यासा ही रह गया।
वर्षा ने अपने हाथ को अंदर किया और उसके लंड को पकड़ कर बोली - अभी इस मुन्ने को भी मजा देती हूँ।

ऐसा कहकर उसने अपने कमर को अनुराग के ऊपर लेटे लेटे ऊपर उठाया और उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखा दिया। उसकी चूत इतनी पनिया चुकी थी की अनुराग का लंड उसमे फिसलता चला गया। अंदर जाते ही अनुराग ने निचे से धक्का देने की कोशिश की। लता ने पूरी ताकत लगा कर उसे रोक दिया और उसके कान में फुसफुसा कर बोली - आज मैं खेलूंगी। आप चुप चाप मजे लेंगे।

अनुराग कुछ न कर सका और वर्षा उसके ऊपर लेटे लेटे फिर से अपने कमर को आगे पीछे करने लगी। साथ ही वो बड़े ही मादक तरीके से अनुराग के पुरे चेहरे को चाट रही थी। उसने अपने हाथों से अनुराग के हाथो को ऊपर की तरफ फैला दिया और अपनी टांगो को भी निचे फैला लिया दोनों को ऊपर से कोई देखे तो लग रहा था जैसे कोई मेढ़की अपनी टाँगे छितरा कर लेटी हुई हो। इसी अवस्था में वर्षा धीरे धीरे अपने कमर को हिला रही थी। अनुराग तो दूसरी दुनिया में पहुँच गया था। उसकी आँखे बंद थी। उसका चेहरा वर्षा के थूक सा सना था जिसे वो खुद ही गिरा रही थी और चाट भी रही थी। वर्षा कभी अपने स्पीड को तेज करती कभी धीरे। उसकी चूत तो निचे से लगातार बह रही थी जिसकी वजह से दोनों के कमर के बीच गीलापन भी फ़ैल गया था। वर्षा को जब लगता अनुराग आने वाला है वो रुक जाती। अनुराग जब निचे से धक्के मारने की कोशिश करता वो जोर लगा कर उसे दबा देती।
कुछ देर में अनुराग बोला - अब मत करो ऐसा , मेरा लंड फट जाएगा। प्लीज चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
वर्षा - अच्छा , फिर बोलो , मेरी माँ मुझे चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
अनुराग - मेरी माँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। प्लीज मेरे लंड कापानी चोद कर निकल दो।
वर्षा - अच्छा बेटा अब माँ चोदेगा ?
अनुराग - हाँ , प्लीज।
अब वर्षा उठ कर बैठ गई और कमर हिलाते हुए बोली - एक बात सच सच बताओ पापा। क्या सच में आप अपनी माँ चोदना चाहते थे ?
अनुराग - सच में। सुलेखा को भी ये पता था। मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। पर क्या करें मेरी शादी के कुछ टाइम बाद ही तेरे दादा दादी एक्सीडेंट में चल बसे थे।
वर्षा ने कमर की थिरकन को तेज कर दिया था। अनुराग के हाथ फिर से उसके मुम्मे तक पहुँच गए थे।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , आआह । अगर दादी जिंदा होती तो आप उन्हें चोद लेते ?
अनुराग - हाँ , तेरी माँ ने तो पूरी तैयारी कर ली थी उन्हें अपने ग्रिप में लेने की
वर्षा - आह , माँ तुम कितनी कमिनी थी। पर हमें क्यों नहीं चुदने दिया।
अनुराग ने भी अब निचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया था ।
अनुराग - तेरी माँ तो चाहती थी। पर मैंने ही मन कर दिया था।
वर्षा तेजी से कमर हिलाते हुए - क्यों पापा। चोद लेते न हमें। अब तो चोद ही रहे हो। आह आह पापा , आपने मुझे बेटी और माँ दोनों बनाकर चोद लिया। आह आह माआआआ। काश तुम भी होती।
दोनों के कमर एक ले से हिल रहे थे। कमरा सिसकारियों की आवाज से गुन्ज रहा था। तूफ़ान अपने चरम पर था। अब अनुराग ने तुरंत पाला बदला और वर्षा को निचे कर दिया। कुछ ही देर में वर्षा का शरीर कांपने लगा। वर्षा को देख कर लग तो लग रहा था जैसे उसे करेंट के झटके लग रहे हो। अनुराग अपने लंड को वर्षा की चूत में पुरे अंदर तक डाल रहा था। जैसे ही अनुराग के लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया , वर्षा ने अपने पैरों के जोर से उसे पूरी तरह से भींच लिया। अनुराग का लंड उसके चूत के एकदम अंदर तक धार छोड़ रहा था। वर्षा ने भी अपने छोट को ऐसे सिकोड़ लिया था जैसे कोई सक्शन पाइप के अंदर लंड हो। वो दरअसल उसके वीर्य के एक एक बूँद को नोचोद लेना चाहती थी। उसका शरीर और मन होश में नहीं था। पर माँ बनने की चाहत ने उसके दिमाग को जाग्रत रखा हुआ था। उसने अनुराग को अपने बंधन से तब तक मुक्त नहीं किया जब तक उसने उसके लंड के एक एक बूँद को अंदर नहीं गिरा लिया। उसे यकीन था की इधर बीच हुई चुदाई से वो पक्का प्रेग्नेंट हो जाएगी। उसका बेस्ट टाइम चल रहा था।
कुछ देर में दोनों निढाल होकर लेट गए। वर्षा पीठ के बल ही लेटी रही। अनुराग बैठ गया था। वो उसके बालो को सहलाते हुए बोला - क्या तुम्हे सच में ससुराल जाना है ?
वर्षा - आपको बच्चा नहीं चाहिए तो बोलिये ?
अनुराग ने झुक कर उसे चूमते हुए कहा - चाहिए मेरी माँ।
वर्षा खिलखिला उठी - माँ , बेटी या बीवी।
अनुराग - मेरी जान।
वर्षा - फिर कल बात कर लीजियेगा। और मैं दो दिन में चली जाउंगी। उसके बाद रूबी के साथ मजे कीजियेगा। मन करे तो नैना को पटक कर चोद लीजियेगा। पर तब तक आपका ये लंड मेरी चूत में ही पानी डालेगा।
अनुराग उसके बगल में लेट गया और बोला - कहो तो अभी फिर से डाल दूँ।
वर्षा - मैं थक गई हूँ। सुबह।
दोनों फिर सो गए।
 

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Garam garam update
Ummid hai agla update jaldi aayega
वर्षा के स्तनों में अब दूध बिलकुल नहीं बचा था फिर भी अनुराग उसके निप्पल चूसे जा रहा था। अब उसने उसके मुम्मे मथने भी शुरू कर दिए थे। वर्षा अब पूरी तरह से चुदास हो चुकी थी। उसने अब अनुराग को पीठ के बल लेता दिया और खुद उसके कमर के दोनों तरफ पैर करके बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को चूत में नहीं डाला बल्कि ाउसके दोनों लबो के बीच में रख कर कमर हलके हलके से आगे पीछे करने लगी। उसके हाथ अनुराग के सीने पर थे और उंगलिया अनुराग के छोटे छोटे चुचकों को पिंच कर रहे थे।
वर्षा - क्यों बेटा , अब दूध पाइक माँ चोदेगा या अपनी बेटी ?
अनुराग के हाथ भी उसके मुम्मो पर पहुँच गए और उन्हें मसलते हुए बोला - माँ चोदूूँगा।
वर्षा - अच्छा बेटा , पहले माँ की चूत की मालिश तो कर दे।
अनुराग - अब प्लीज चोदने दो ना।
वर्षा - पहले मेरी मालिश होने दो।
वर्षा धीरे धीरे कमर हिला रही थी। अनुराग की हालत ख़राब थी। पर इस पॉजिशन में उसका लंड वर्षा के क्लीट पर रगड़ खा रहा था और वर्षा आँखे बंद करके मजे ले रही थी। अनुराग भी निचे से उसके मुम्मे मीज रहा था। कुछ ही देर में वर्षा के चूत ने पानी बहना शुरू कर दिया। उसका शरीर कांपने लगा। वर्षा - पापाअअअअअआआ , मैं तो गई। आआआआअह
वर्षा अनुराहगे के ऊपर लेट गई। अनुराग के लंड को कोई आराम नहीं था। अनुराग चाहता था की वो अब उसे चोद दे पर वर्षा आज पुरे कण्ट्रोल में थी। कुछ देर बा वर्षा बोली - पापा मजा आया ?
अनुराग - बेटा , बजा तो तुम्हे आया। मेरा लंड तो प्यासा ही रह गया।
वर्षा ने अपने हाथ को अंदर किया और उसके लंड को पकड़ कर बोली - अभी इस मुन्ने को भी मजा देती हूँ।

ऐसा कहकर उसने अपने कमर को अनुराग के ऊपर लेटे लेटे ऊपर उठाया और उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखा दिया। उसकी चूत इतनी पनिया चुकी थी की अनुराग का लंड उसमे फिसलता चला गया। अंदर जाते ही अनुराग ने निचे से धक्का देने की कोशिश की। लता ने पूरी ताकत लगा कर उसे रोक दिया और उसके कान में फुसफुसा कर बोली - आज मैं खेलूंगी। आप चुप चाप मजे लेंगे।

अनुराग कुछ न कर सका और वर्षा उसके ऊपर लेटे लेटे फिर से अपने कमर को आगे पीछे करने लगी। साथ ही वो बड़े ही मादक तरीके से अनुराग के पुरे चेहरे को चाट रही थी। उसने अपने हाथों से अनुराग के हाथो को ऊपर की तरफ फैला दिया और अपनी टांगो को भी निचे फैला लिया दोनों को ऊपर से कोई देखे तो लग रहा था जैसे कोई मेढ़की अपनी टाँगे छितरा कर लेटी हुई हो। इसी अवस्था में वर्षा धीरे धीरे अपने कमर को हिला रही थी। अनुराग तो दूसरी दुनिया में पहुँच गया था। उसकी आँखे बंद थी। उसका चेहरा वर्षा के थूक सा सना था जिसे वो खुद ही गिरा रही थी और चाट भी रही थी। वर्षा कभी अपने स्पीड को तेज करती कभी धीरे। उसकी चूत तो निचे से लगातार बह रही थी जिसकी वजह से दोनों के कमर के बीच गीलापन भी फ़ैल गया था। वर्षा को जब लगता अनुराग आने वाला है वो रुक जाती। अनुराग जब निचे से धक्के मारने की कोशिश करता वो जोर लगा कर उसे दबा देती।
कुछ देर में अनुराग बोला - अब मत करो ऐसा , मेरा लंड फट जाएगा। प्लीज चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
वर्षा - अच्छा , फिर बोलो , मेरी माँ मुझे चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
अनुराग - मेरी माँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। प्लीज मेरे लंड कापानी चोद कर निकल दो।
वर्षा - अच्छा बेटा अब माँ चोदेगा ?
अनुराग - हाँ , प्लीज।
अब वर्षा उठ कर बैठ गई और कमर हिलाते हुए बोली - एक बात सच सच बताओ पापा। क्या सच में आप अपनी माँ चोदना चाहते थे ?
अनुराग - सच में। सुलेखा को भी ये पता था। मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। पर क्या करें मेरी शादी के कुछ टाइम बाद ही तेरे दादा दादी एक्सीडेंट में चल बसे थे।
वर्षा ने कमर की थिरकन को तेज कर दिया था। अनुराग के हाथ फिर से उसके मुम्मे तक पहुँच गए थे।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , आआह । अगर दादी जिंदा होती तो आप उन्हें चोद लेते ?
अनुराग - हाँ , तेरी माँ ने तो पूरी तैयारी कर ली थी उन्हें अपने ग्रिप में लेने की
वर्षा - आह , माँ तुम कितनी कमिनी थी। पर हमें क्यों नहीं चुदने दिया।
अनुराग ने भी अब निचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया था ।
अनुराग - तेरी माँ तो चाहती थी। पर मैंने ही मन कर दिया था।
वर्षा तेजी से कमर हिलाते हुए - क्यों पापा। चोद लेते न हमें। अब तो चोद ही रहे हो। आह आह पापा , आपने मुझे बेटी और माँ दोनों बनाकर चोद लिया। आह आह माआआआ। काश तुम भी होती।
दोनों के कमर एक ले से हिल रहे थे। कमरा सिसकारियों की आवाज से गुन्ज रहा था। तूफ़ान अपने चरम पर था। अब अनुराग ने तुरंत पाला बदला और वर्षा को निचे कर दिया। कुछ ही देर में वर्षा का शरीर कांपने लगा। वर्षा को देख कर लग तो लग रहा था जैसे उसे करेंट के झटके लग रहे हो। अनुराग अपने लंड को वर्षा की चूत में पुरे अंदर तक डाल रहा था। जैसे ही अनुराग के लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया , वर्षा ने अपने पैरों के जोर से उसे पूरी तरह से भींच लिया। अनुराग का लंड उसके चूत के एकदम अंदर तक धार छोड़ रहा था। वर्षा ने भी अपने छोट को ऐसे सिकोड़ लिया था जैसे कोई सक्शन पाइप के अंदर लंड हो। वो दरअसल उसके वीर्य के एक एक बूँद को नोचोद लेना चाहती थी। उसका शरीर और मन होश में नहीं था। पर माँ बनने की चाहत ने उसके दिमाग को जाग्रत रखा हुआ था। उसने अनुराग को अपने बंधन से तब तक मुक्त नहीं किया जब तक उसने उसके लंड के एक एक बूँद को अंदर नहीं गिरा लिया। उसे यकीन था की इधर बीच हुई चुदाई से वो पक्का प्रेग्नेंट हो जाएगी। उसका बेस्ट टाइम चल रहा था।
कुछ देर में दोनों निढाल होकर लेट गए। वर्षा पीठ के बल ही लेटी रही। अनुराग बैठ गया था। वो उसके बालो को सहलाते हुए बोला - क्या तुम्हे सच में ससुराल जाना है ?
वर्षा - आपको बच्चा नहीं चाहिए तो बोलिये ?
अनुराग ने झुक कर उसे चूमते हुए कहा - चाहिए मेरी माँ।
वर्षा खिलखिला उठी - माँ , बेटी या बीवी।
अनुराग - मेरी जान।
वर्षा - फिर कल बात कर लीजियेगा। और मैं दो दिन में चली जाउंगी। उसके बाद रूबी के साथ मजे कीजियेगा। मन करे तो नैना को पटक कर चोद लीजियेगा। पर तब तक आपका ये लंड मेरी चूत में ही पानी डालेगा।
अनुराग उसके बगल में लेट गया और बोला - कहो तो अभी फिर से डाल दूँ।
वर्षा - मैं थक गई हूँ। सुबह।
दोनों फिर सो गए।
 

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वर्षा के स्तनों में अब दूध बिलकुल नहीं बचा था फिर भी अनुराग उसके निप्पल चूसे जा रहा था। अब उसने उसके मुम्मे मथने भी शुरू कर दिए थे। वर्षा अब पूरी तरह से चुदास हो चुकी थी। उसने अब अनुराग को पीठ के बल लेता दिया और खुद उसके कमर के दोनों तरफ पैर करके बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को चूत में नहीं डाला बल्कि ाउसके दोनों लबो के बीच में रख कर कमर हलके हलके से आगे पीछे करने लगी। उसके हाथ अनुराग के सीने पर थे और उंगलिया अनुराग के छोटे छोटे चुचकों को पिंच कर रहे थे।
वर्षा - क्यों बेटा , अब दूध पाइक माँ चोदेगा या अपनी बेटी ?
अनुराग के हाथ भी उसके मुम्मो पर पहुँच गए और उन्हें मसलते हुए बोला - माँ चोदूूँगा।
वर्षा - अच्छा बेटा , पहले माँ की चूत की मालिश तो कर दे।
अनुराग - अब प्लीज चोदने दो ना।
वर्षा - पहले मेरी मालिश होने दो।
वर्षा धीरे धीरे कमर हिला रही थी। अनुराग की हालत ख़राब थी। पर इस पॉजिशन में उसका लंड वर्षा के क्लीट पर रगड़ खा रहा था और वर्षा आँखे बंद करके मजे ले रही थी। अनुराग भी निचे से उसके मुम्मे मीज रहा था। कुछ ही देर में वर्षा के चूत ने पानी बहना शुरू कर दिया। उसका शरीर कांपने लगा। वर्षा - पापाअअअअअआआ , मैं तो गई। आआआआअह
वर्षा अनुराहगे के ऊपर लेट गई। अनुराग के लंड को कोई आराम नहीं था। अनुराग चाहता था की वो अब उसे चोद दे पर वर्षा आज पुरे कण्ट्रोल में थी। कुछ देर बा वर्षा बोली - पापा मजा आया ?
अनुराग - बेटा , बजा तो तुम्हे आया। मेरा लंड तो प्यासा ही रह गया।
वर्षा ने अपने हाथ को अंदर किया और उसके लंड को पकड़ कर बोली - अभी इस मुन्ने को भी मजा देती हूँ।

ऐसा कहकर उसने अपने कमर को अनुराग के ऊपर लेटे लेटे ऊपर उठाया और उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखा दिया। उसकी चूत इतनी पनिया चुकी थी की अनुराग का लंड उसमे फिसलता चला गया। अंदर जाते ही अनुराग ने निचे से धक्का देने की कोशिश की। लता ने पूरी ताकत लगा कर उसे रोक दिया और उसके कान में फुसफुसा कर बोली - आज मैं खेलूंगी। आप चुप चाप मजे लेंगे।

अनुराग कुछ न कर सका और वर्षा उसके ऊपर लेटे लेटे फिर से अपने कमर को आगे पीछे करने लगी। साथ ही वो बड़े ही मादक तरीके से अनुराग के पुरे चेहरे को चाट रही थी। उसने अपने हाथों से अनुराग के हाथो को ऊपर की तरफ फैला दिया और अपनी टांगो को भी निचे फैला लिया दोनों को ऊपर से कोई देखे तो लग रहा था जैसे कोई मेढ़की अपनी टाँगे छितरा कर लेटी हुई हो। इसी अवस्था में वर्षा धीरे धीरे अपने कमर को हिला रही थी। अनुराग तो दूसरी दुनिया में पहुँच गया था। उसकी आँखे बंद थी। उसका चेहरा वर्षा के थूक सा सना था जिसे वो खुद ही गिरा रही थी और चाट भी रही थी। वर्षा कभी अपने स्पीड को तेज करती कभी धीरे। उसकी चूत तो निचे से लगातार बह रही थी जिसकी वजह से दोनों के कमर के बीच गीलापन भी फ़ैल गया था। वर्षा को जब लगता अनुराग आने वाला है वो रुक जाती। अनुराग जब निचे से धक्के मारने की कोशिश करता वो जोर लगा कर उसे दबा देती।
कुछ देर में अनुराग बोला - अब मत करो ऐसा , मेरा लंड फट जाएगा। प्लीज चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
वर्षा - अच्छा , फिर बोलो , मेरी माँ मुझे चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
अनुराग - मेरी माँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। प्लीज मेरे लंड कापानी चोद कर निकल दो।
वर्षा - अच्छा बेटा अब माँ चोदेगा ?
अनुराग - हाँ , प्लीज।
अब वर्षा उठ कर बैठ गई और कमर हिलाते हुए बोली - एक बात सच सच बताओ पापा। क्या सच में आप अपनी माँ चोदना चाहते थे ?
अनुराग - सच में। सुलेखा को भी ये पता था। मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। पर क्या करें मेरी शादी के कुछ टाइम बाद ही तेरे दादा दादी एक्सीडेंट में चल बसे थे।
वर्षा ने कमर की थिरकन को तेज कर दिया था। अनुराग के हाथ फिर से उसके मुम्मे तक पहुँच गए थे।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , आआह । अगर दादी जिंदा होती तो आप उन्हें चोद लेते ?
अनुराग - हाँ , तेरी माँ ने तो पूरी तैयारी कर ली थी उन्हें अपने ग्रिप में लेने की
वर्षा - आह , माँ तुम कितनी कमिनी थी। पर हमें क्यों नहीं चुदने दिया।
अनुराग ने भी अब निचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया था ।
अनुराग - तेरी माँ तो चाहती थी। पर मैंने ही मन कर दिया था।
वर्षा तेजी से कमर हिलाते हुए - क्यों पापा। चोद लेते न हमें। अब तो चोद ही रहे हो। आह आह पापा , आपने मुझे बेटी और माँ दोनों बनाकर चोद लिया। आह आह माआआआ। काश तुम भी होती।
दोनों के कमर एक ले से हिल रहे थे। कमरा सिसकारियों की आवाज से गुन्ज रहा था। तूफ़ान अपने चरम पर था। अब अनुराग ने तुरंत पाला बदला और वर्षा को निचे कर दिया। कुछ ही देर में वर्षा का शरीर कांपने लगा। वर्षा को देख कर लग तो लग रहा था जैसे उसे करेंट के झटके लग रहे हो। अनुराग अपने लंड को वर्षा की चूत में पुरे अंदर तक डाल रहा था। जैसे ही अनुराग के लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया , वर्षा ने अपने पैरों के जोर से उसे पूरी तरह से भींच लिया। अनुराग का लंड उसके चूत के एकदम अंदर तक धार छोड़ रहा था। वर्षा ने भी अपने छोट को ऐसे सिकोड़ लिया था जैसे कोई सक्शन पाइप के अंदर लंड हो। वो दरअसल उसके वीर्य के एक एक बूँद को नोचोद लेना चाहती थी। उसका शरीर और मन होश में नहीं था। पर माँ बनने की चाहत ने उसके दिमाग को जाग्रत रखा हुआ था। उसने अनुराग को अपने बंधन से तब तक मुक्त नहीं किया जब तक उसने उसके लंड के एक एक बूँद को अंदर नहीं गिरा लिया। उसे यकीन था की इधर बीच हुई चुदाई से वो पक्का प्रेग्नेंट हो जाएगी। उसका बेस्ट टाइम चल रहा था।
कुछ देर में दोनों निढाल होकर लेट गए। वर्षा पीठ के बल ही लेटी रही। अनुराग बैठ गया था। वो उसके बालो को सहलाते हुए बोला - क्या तुम्हे सच में ससुराल जाना है ?
वर्षा - आपको बच्चा नहीं चाहिए तो बोलिये ?
अनुराग ने झुक कर उसे चूमते हुए कहा - चाहिए मेरी माँ।
वर्षा खिलखिला उठी - माँ , बेटी या बीवी।
अनुराग - मेरी जान।
वर्षा - फिर कल बात कर लीजियेगा। और मैं दो दिन में चली जाउंगी। उसके बाद रूबी के साथ मजे कीजियेगा। मन करे तो नैना को पटक कर चोद लीजियेगा। पर तब तक आपका ये लंड मेरी चूत में ही पानी डालेगा।
अनुराग उसके बगल में लेट गया और बोला - कहो तो अभी फिर से डाल दूँ।
वर्षा - मैं थक गई हूँ। सुबह।
दोनों फिर सो गए।
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