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sunoanuj

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अब आगे............


“वह सब तुम मुज पर छोड़ दो, सब मैं कर दूंगी, और हां मेरा सौदा कर ही दिया है तो मैं तुम्हे निराश तो नहीं करुँगी पर सोचूंगी लेकिन किसी को यह पता नहीं चलना चाहिए की पति को पता है, इस से तुम्हारी इज्जत बनी रहेगी और यह बात हम दोनों ही जानेगे। बच्चो को भि नहीं वह सब मैं संभाल लुंगी तुम सिर्फ पैसे गिनते रहना।


सुंदरी ने आगे कहा “ देखो पति महाराज अगर सौदा करना है तो महक का भी कर देंगे उसकी सिल अभी नहीं टूटी तो किसी अच्छे लंड से तोड़वा देंगे बाद में उसका माल तुम खाए जाना, लेकिन यह बात सिर्फ हम दोनों के बिच में रहनी चाहिए। हमारे घर एपिसो कमी नहीं होगी अब। लेकिन यह सब मैं सोच के बताउंगी।“ सुंदरी को लगा अब साफ सेफ है।

“लेकिन सुंदरी, तुम्हे कैसे पता चला की मैं महक की चूत चाहता हु?”
मैत्री और फनलवरकी अनुवादित रचना

“माँ हूँ और औरत भी हु, वैसे भी हमऔरते और यहाँ इस गाव की औरते जो कभी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती तो पुरुष हो या बाप उसकी नजर बेटी हो या बहु चूत को तलाशती है, मैंने कई बार देखा है आपको उसकी चूत पर नजर करते हुए लेकिन कभी कुछ बोला नहीं क्यों की यह गाव में होता रहता है और लंड है तो चूत को तो खोजेगा ही। और जब से महक बड़ी हुई है तबसे वह भी तो अपने छेड़ की परवाह किये बिना आपके सामने बैठ जाती है और उठ भी जाती है ताकि अपने बाप की नजर उसकी चूत को देखे।“

सुंदरी तुम कितनी अच्छी हो, मैं वैसे भी तुम पे फ़िदा था, जब कोई मुझे कहता की मै नसीबवाला हु की एक मस्त औरत का माल चोदे जा रहा हु। लेकिन आज तुम पे और ज्यादा फ़िदा हो गया। उसने सुंदरी की चूत में ऊँगली करना चाहां पर सुंदरी ने झट से उसकी ऊँगली बाहर निकाल दी क्यों की उस चूत में विनोद का वीर्य भरा पड़ा था। तो मुनीम ने उसकी गांड में ऊँगली कर दी। सुंदरी ने उस ऊँगली से अपनी गांड मरवाई। और बोली “अब कुछ करती हु।“

“लेकिन याद रहे की जो भी बाते हुए सिर्फ हम दोनों तक रहे। और हां ठीक से गांड मारो।“ सुंदरी ने खुद ही अपने कुल्हे को चौड़ा कर दिया और ऊँगली के लिए अपनी गांड को खोल दिया।

*******



इधर परम के कमरे में...

महक पूनम को अपने साथ एक बिस्तर पर ले गईं और परम दूसरे पर सोने चला गया। परम, पूनम को देखकर खुश हो गया। वह उसे पसंद करता था लेकिन उस तरह नहीं जैसे वह रेखा को पसंद करता था और वह जानता था कि रेखा और पूनम बहुत अच्छी दोस्त हैं।

महक ने पूनम को कपड़े उतारने और परम के बिस्तर पर जाने के लिए कहा.. लेकिन पूनम ने यह कहते हुए मना कर दिया कि चूँकि मुनीम ने उसे पहले ही चोद दिया है इसलिए वह मुनीम के बेटे से नहीं चुदवाएगी। बाप बेटे से चुदाई करवाना पाप होगा।

"लेकिन तुमने शाम को देखा होगा कि मेरे पापा ने अपनी ही बेटी को लगभग चोद ही दिया था।” महक फुसफुसाई।

“आदमी कुछ भी कर सकते हैं, वो माँ-बहनों को भी चोद सकते हैं, लेकिन हमें औरतों को संयम बरतना चाहिए..” पूनम ने कहा। लेकिन

महक सुनने को तैयार नहीं थी। उसने पूनम के कपड़े उतारने की कोशिश की। पूनम ने विरोध किया और यह देखकर परम भी बिस्तर पर आ गया।

और दोनों भाई-बहन पूनम को नंगा कर दिया। परम ने पूनम की खूबसूरती की तारीफ की और उसके स्तनों को सहलाया, जबकि महक पूनम का हाथ अपनी चूत से हटाने की कोशिश कर रही थी।

पूनम ने परम से विनती की कि वह उसे न चोदे और जब उसका कोई असर नहीं हुआ, तो उसने धमकी दी कि वह रेखा को बता देगी कि उसने उसे नंगा करके चोदने की कोशिश की है। परम ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और कहा कि चाहे तुम पूरी दुनिया को बता दो, मैं तुम्हें चोदूँगा। परम ने पूनम के शरीर को अपने शरीर से ढक लिया और उसे चूमा। उसने निप्पल पर उंगलियाँ फिराईं और उन्हें चुटकी काटी। उसने स्तनों को चूमा और उसकी जांघों के बीच नीचे की ओर बढ़ा। पूनम ने उसका सिर पकड़ रखा था, लेकिन परम फिर भी अपना मुँह उसकी चूत पर ले आया और उसने पूनम की चूत को चबाया, जहा पहले से ही उसके बाप का वीर्य पड़ा हुआ था, उसे भी वह चाट गया। धीरे-धीरे पूनम शांत हुई और उसने खुद को समर्पित कर दिया। यह देखकर कि पूनम अब अपने भाई से चुदने वाली है,महक कमरे से बाहर आई और बाहर से कुंडी बंद करके बाहर चली गई। वह माता-पिता के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी और ठीक उसी समय सुंदरी मुनीम के लंड को मुट्ठी में भर रही थी। अपने पिता का लंड देखकर उसकी चूत में खुजली होने लगी और उसने उसे सहलाया। मुनीम के दूसरी तरफ़ मुड़ने और सुंदरी के लंड छोड़ने के बाद, महक उसी चारपाई पर चली गई जहाँ शाम को उसके पिता ने उन्हें चोदा था। वह लेट गई और जल्द ही सो गई।

अंदर कुछ देर फोरप्ले के बाद परम ने पूनम की चूत में लंड डाल दिया। पूनम अभी तैयार नहीं थी और उसने अपना शरीर और कड़ा कर लिया। परम को उसकी चूत में लंड डालने में दिक्कत हो रही थी जो डर के मारे अभी भी गीली नहीं थी।

“ओह्ह्ह्ह… निकाल लो.. दर्द कर रहा है…” पूनम फुसफुसाई… और परम यह सोचकर खुश हुआ कि पूनम कुंवारी है। परम ने पूनम को चोदा। उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन पूनम को वह आनंद नहीं मिला जो मुनीम ने उसे शाम को दिया था। उसने सोचा कि रेखा परम के साथ कैसे मज़े करती है..!

चूत रगड़ने के बाद पूनम को उत्तेजना और आनंद मिलने लगा। उसने अनायास ही अपनी कमर हिलाई और लंड चूत में गहराई तक चला गया। आख़िरकार पूनम एक जवान लड़की थी और सिर्फ़ तीसरी बार और दूसरे लंड से चुद रही थी। पूनम ने देखा कि परम का लंड अब चूत में गहराई तक जा रहा है और उसकी स्पीड उसके पिता से भी ज़्यादा है। उसे परम की चुदाई की स्पीड बहुत पसंद आई।


“तुमने रेखा को कितनी बार चोदा है..” उसने पूछा। मैत्री और नीता कि अनुवादित रचना

एक बार भी नहीं..” परम ने उसकी चूत पर तेज़ धक्का लगाते हुए जवाब दिया।

“आह्ह…लेकिन वो तो बोलती है तुम उसको बहुत मज़ा देते हो…”

“तुमको मज़ा नहीं आ रहा है।”


“आह्ह…बहुत मज़ा आ रहा है…” और दोनों ने मज़ा लिया।



********


इस एपिसोड के बारे में आपकी राय....
Nice and sexy update …
 

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Mehak me abhi jhijhak hai Sheth ke pas jane ko. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
जी अभी शुरुआत है और छोटी भी है
 
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S M H R

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जय भारतके साथ अब आगे.........


मुनीम उसे पकड़ कर चूमना चाहता था लेकिन वहाँ कई राहगीर थे। उन्होंने नियंत्रण किया। पूनम के घर आये और उन्होंने देखा कि पूनम के पिता बाहर खड़े थे। पूनम अंदर चली गई लेकिन मुनीम ने उसके पिता से कुछ बात की और फिर वह ऑफिस की ओर चला गया।

घर पर, परम और महक अपने कॉलेज के लिए तैयार हो गए। इस दौरान सुंदरी ने परम से पूनम के बारे में पूछा तो परम ने जवाब दिया कि वह भी कुंवारी थी। इस पर महक हैरान रह गई और उसने सोचा कि उसका भाई भले ही कम औरतों के साथ संभोग करता हो, फिर भी नौसिखिया है, वरना उसे कैसे पता नहीं चलता कि पूनम के साथ पहले भी संभोग हो चुका है! परम ने फिर कहा कि वह उसके साथ चुदाई करना चाहता है और महक के खूबसूरत जिस्म से खेलना चाहता है। उसने एक साथ माँ और बहन, दोनों के स्तन दबा दिए।

सुंदरी ने कहा कि “आज रात वह बेटी की मौजूदगी में फिर से उससे चुदवाएगी, ठीक है!।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“लेकिन आज रात में तुम्हारी गांड मारूँगा।” परम ने दोनों की जांघों के बीच हाथ डाला और उनकी चूत रगड़ी। “कभी गांड मरवाई हो, माँ?”

“नहीं रे.. लेकिन सुना है कि गांड मरवाने में भी मज़ा आता है…।” सुंदरी ने सोचा की वह भी सफ़ेद झूठ बोल सकती है।

“तभी तो रेखा रोज़ मेरे लंड से गांड मरवाती है…” परम ने जवाब दिया और उनकी गांड में उंगली डाली।

“आह… भैया…। उतना बोलते ही परम घर से बहार निकल गया।

महक ने अपनी माँ की तरफ रुख करते “मम्मी, मेरी चूत की प्यास कब बुझेगी? माँ अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है, जल्दी से मेरे लिए लंड का इंतज़ाम करो नहीं तो मैं बाबूजी का लंड ही चूत के अन्दर ले लुंगी। महक ने सुंदरी की चुची को दबाया और कहा:

“बाप रे कितना बड़ा और मस्त सुपाड़ा है, चूत को तो फाड़ ही डालता होगा..तुम कैसे रोज रोज चुदवाती हो माँ..!”

“अब तो आदत हो गई है बेटी, लेकिन तू चिंता मत कर, आज ही मैं सेठ को बोलती हूं कि तुम्हारी सील तोड़ने के लिए किसी सेठ को ढूंढो…” सुंदरी ने जवाब दिया और महक का हाथ अपनी चूत से खींच लिया।

सुंदरी ने देखा की अब कोई नहीं है तो दो बात महक से भी की जाए।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“हां, तो अब तुम्हे तुम्हारे बाबूजी का लंड पसंद आने लगा है। परम और विनोद तो अब बेचारे की केटेगरी में चले गए।“ सुंदरी ने महक की फ्रोक को थोडा ऊपर किया और चूत की दरार को थोडा फैलाया।

महक ने सुदरी का हाथ को थोडा ऊपर पेट तक ले गई और बोली: “ओह्ह मम्मी, आपको चुदते हुए देखा, सुधा की सिल मेरे सामने टूटी, और अब पूनम की सिल भी टूट गई। आप समजो मेरी मनोदशा क्या होती होगी जब इतने लडकिया को अपने ही सामने औरत बनते देखा और सामने परम और बाबूजी का लंड हो फिर भी कुछ पैसो के लिए आपने मेरी सिल को बंद कर के रखा है।“

“हा बेटी, मैं समज सकती हु।“ सुंदरी को कल रात की बात याद आ गई और उसे लगा की अब मौक़ा है बेटी को अपने बाप की ओर धकेलना।

“देखो बेटी, अब मुझे यह बताओ की तुम्हारे बाबूजी का लोडा कैसा लगा! तुम्हारी चूत के लायक है?”

“देखो मम्मी, मुझे बाबूजी लोडा बहोत अच्छा लगा लेकिन परम का लंड भी कुछ कम नहीं।और आप ही कह रही थी की हम चूतो का काम ही है लंडो को ढीला करना। मैंने बस बाबूजी का लंड देखा।“

“सच????? देख झूठ मत बोल।” उसने शरारती आँखों से महक की निपल को खिंचा।
मैत्री और फनलवर की रचना है

“मम्मी......” महक ने सिर्फ इतना कहा और अपनी निपल को छुड़ाया।

मम्मी ने फिर से आँखे चौड़ी की और उसके सामने देखा।

महक ने जमीन की ओर नजर रख के बोला ”तुमको कैसे पता??”

“देखो बेटी, जब बेटी की उम्र हो जाती है, चूत में फड़क आने लगती है तब वह भूल जाती है की उसकी माँ भी वही राह से गुजर चुकी है, जिस राह पर तुम चल रही हो, और माँ को चोदु बनाने लगती है, और देखो हर माँ चोदु बनती भी है,जानबुज कर। जब तुम अपनी जवानी पर थी तब तुम अपने पापा के सामने छोटे फ्रॉक पहनके उनके सामने बैठती हो और जैसे सामान्य है उस तरह से पापा की नजर को देखती हो की उनकी नजर तुम्हारी चूत पर पड़ती है या नहीं, अपनी चूत को खोलना फिर तुरंत सिकोड़ना.....पापा भी मजे लेते है और दोनों यह समजते है की माँ को कुछ पता नहीं चलता। पर मैं तुम्हारी माँ हु, और सब से पहले मैं भी उस राह से जा चुकी हु और इन सब से खास बात मैं औरत हु। पर जैसे की अपने गाँव में ऐसा होता आया है और आगे होगा भी यह समज के मैंने तुम को मौन रह के खुली छुट दे राखी थी ताकि अपने पापा को ललचा सको और अपने प्रति आकर्षण बना रखो।“

“ओह्ह माँ, सो सोरी। मुझे यह सब समजना चाहिए था।“ महक सुंदरी के नजदीक आई और उसके गाल पर किस कर दी और एक ऊँगली उसकी गांड में पेरो दी।

मम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया और थोडा झुकी ताकि उसकी ऊँगली सफलता पा सके।

“और आज सुबह तुम्हे पता था फिर भी तुमने उनके लंड को अपनी झांगो के बिच आराम करने दिया, मैंने यह देखा था और हाँ, मैंने ही उनको रूम में भेजा था और उनको नहीं बताया की महक वह नंगी सो रही है।“

“थेंक यु मम्मी, लेकिन अब मुझे लंड की जरुरत है।” उसने अपनी ऊँगली सुंदरी की गांड में आगे पीछे करती हुई बोली।

“देख बेटे, बस थोड़ी देर और रुक जा तेरा सिल एक मालदार व्यक्ति को भेट कर दे और बाद में मैं तुम्हे अपने सामने तेरे बाबूजी से चुदवाउंगी। मेरी सौतन बनेगी ना, इमली काकी की तरह!”

“हां मम्मी, अगर तुम पति-पत्नी मुझे स्विकारोगी तो मैं तो तैयार हु पर सौतन नहीं बनूँगी, लेकिन शादी के बाद अगर बाबूजी का लंड चाहेगा तो मैं उनके लंड से फुग्गा फुला लुंगी (प्रेग्नेंट बन जाउंगी)।“

“तब तो तुम्हे मुझे माँ नहीं पर सुंदरी ही कहना पड़ेगा। हा... हा... हा.... हा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है बेटे, जिस से मन करे चुदवाओ लेकिन बस पैसा लाओ। अभी फिलहाल तो तेरे इस माल को सही सलामत रखो। जल्द ही कुछ करती हु बेटे। लेकिन फिलहाल तो यह सब बाते हम दोनों के बिच में ही रखो। ओके?“



उसी समय एक दस्तक हुई। मैत्री और फनलवर की रचना है


बने रहिये और इस एपिसोड के बारेमे आपका मन्तव्य दे..............प्लीज़...................


जय भारत

शुक्रिया
Erotic conversation between
Mahek & Sundari
 

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जय भारत


उसी समय एक दस्तक हुई।


अब आगे


सुंदरीने दरवाज़ा खोला और देखा सेठ दरवाजे पर खड़ा है। उसने उसे अंदर जाने दिया और खाट पर बैठने को कहा। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। सेठ ने काफी समय से महक को नहीं देखा है। वह उसकी सुंदरता और युवा शरीर को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। सेठ ने महक को अपने पास बैठने के लिए कहा और उसने उसकी पीठ पर अपना हाथ फिराया। दूसरे हाथ से उसने उसके गाल थपथपाये। वह उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर सकता था,

"सुंदरी, तेरी बेटी तो पूरी जवान हो गई है, इसके लिए कोई लड़का देखा की नहीं..." उसने महक को अपने शरीर पर खींच लिया।

“सेठजी, शादी के लिए तो बहुत लड़का मिल जाएगा लेकिन मैं चाहती थी कि पहले कोई इसकी सील तोड़े।”
मैत्री और नीता की रचना

..सुंदरी ने सेठ की ओर देखा और सवाल किया, "आप ही क्यों नहीं इसकी सील तोड़ने का पुण्य लेते हैं" बेचारी आपको आशीर्वाद देगी। वह पूरी तरह से कुंवारी है। किसी ने उसे नहीं देखा है... उसके माल को।” सेठ को पता था कि पिछले दस दिनों से उसका अपना भाई हर रात उसकी 'मालिश' से खेल रहा था और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया था।

सेठ प्रस्ताव पर उत्साहित तो हुआ, लेकिन बोला, "तुम तो जानती हो सुंदरी, अब (तुम्हें चोदने के बाद) मैं इसकी सील कैसे तोड़ सकता हूँ..?"

उसने महक के गालो को चूमा।

“तू एक काम कर, इसे रोज मेरे घर ले कर आया करो, वहा अभी रोज शाम को कई लोग आते हैं..इसका सील तोड़ने वाला जल्दी मिल जाएगा…।”

सेठ को महक के कसे हुए स्तन अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे!
मैत्री और फनलवर की रचना

“वैसे महक तुमने अपना माल का सही तरीके से विकास किया है। और इसकी चूत का पटल तोड़ने की क्या कीमत रखती हो?”

“अब मैं क्या कहू सेठजी? जो ज्यादा से ज्यादा देगा चूत उसकी पर एक रात के लिए।“

“फिर भी कुछ सोचा तो होगा ना तुम लोगो ने मिलके?”

“कमसे कम दो लाख..” सुंदरी ने कहा और फिर पूछा “ज्यादा है क्या?”

सेठ ने महक को अपने सामने खींच लिया। उसने उसकी ऊपर से नीचे तक जांच की और फिर उसे वापस कर दिया। फिर वह अपनी सिट से उठ कर महक के सामने आया और उसकी फ्रॉक को ऊपर उठाया और उसकी चूत का दर्शन किया। सुंदरी भी पास में ही खड़ी थी, सेठजी उसके पास गए और उसका पेटीकोट उठाया और उसकी चूत देखि और फिर सुंदरी के सतनो को थोडा मसला और बोले:

तभी परम भी अन्दर आ चुका था।
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, ज्यादा तो नहीं है… दो लाख से ज्यादा देने वाले भी मिल जायेंगे..”? सेठ ने कहा और जारी रखा। उसने बताया कि बारातियों के मनोरंजन के लिए उसने 4-5 तवायफ़ (नर्तकियाँ) रखी हैं जो शाम को नाचेंगी और गाएँगी और रात में चुदाई के लिए भी उपलब्ध रहेंगी। सेठ ने सुंदरी से फिर कहा कि उसे वी.वी.आई.पी. के मनोरंजन के लिए कुछ गाँव की औरतें चाहिए और उसने सुंदरी से शादी के दौरान दो रातों के लिए खुद को मुक्त रखने का अनुरोध किया, खूब चुदवाना है बरातियो को खुश रखना है और उसकी जिम्मेदारी तुम्हे देने आया था। सेठ ने कहा कि वह उन्हें अच्छी तनख्वाह देता है।

सुंदरी ने परम की तरफ देखा। लेकिन महक ने कहा,

“पूनम और सुधा को मैं मना लूँगी…”

परम ने कहा कि वह विनोद की बहन को इसके लिए राज़ी कर लेगा।

सेठ को राहत मिली, वह उठा और परम से बोला

“आज सुंदरी को लेकर ठीक दो बजे ऑफिस के बाले रूम में ले आना..बेटे।”

फिर उसने सुंदरी से कहा,

“चलो नीचे कमरे में चलो.. तुमसे कुछ काम है..।”
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

सुंदरी ने अपनी आँखें नीची करके बैठी रही। उसे पता था कि क्या काम है। परम भी जानता था कि सेठ सुंदरी को चोदना चाहता है, इसलिए परम ने उसे ऊपर खींचा और कमरे में ले गया। सेठ ने सुंदरी को बाहों में ले लिया और जल्द ही दोनों नंगे हो गए और सेठजी का लंड सुंदरी के अंदर था।

महक को यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा इंसान भी इतनी अच्छी तरह से चुदाई कर सकता है। उसने सेठजी का लंड उसकी माँ की चूत में अंदर-बाहर होते देखा। महक ने देखा कि पूनम की तरह सुंदरी भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और वह सेठजी को सहला रही थी और चूम रही थी। लेकिन इस बार सिर्फ़ 6-7 मिनट बाद ही सेठजी स्खलित हो गए और उसके बदन से उतर गए। महक ने सेठजी का लंड देखा जो 6 इंच से ज़्यादा लंबा और काफ़ी मोटा था, लेकिन उसे अंदाज़ा हो गया कि सेठजी का सुपाड़ा पतला था। उसे खुशी हुई कि उसके बाप और भाई का लंड सेठजी से कहीं ज़्यादा अच्छा था। सेठ ने अपने कुर्ते से नोटों के बंडल निकाले और सुंदरी के नंगे बदन पर नोट बिखेर दिए।

महक ने रंडियों के बारे में सुना था, लेकिन आज उसने अपने घर पर ही एक रंडी देखी। सुंदरी बिस्तर पर ही रही और सेठ कपड़े पहनकर बाहर आ गया। सेठ जब बाहर आ रहा था, तब सुंदरी ने सेठजी से कहा कि वह अपनी बड़ी बहू 'उषा' को उसके घर भेज दे और सेठ मान गया।

उसे नहीं पता था कि सुंदरी ने परम को बड़ी बहू से चुदवाने की योजना बना ली है। उसे ज़रा भी शर्म नहीं आई कि परम और महक ने भी उसे नंगा देखा। वह उन पर मुस्कुराया और महक को याद दिलाया कि वह शाम को उसके घर आए। और यह भरोसा भी दिलाया की उसकी चूत का कोई ना कोई मोल मिल ही जाएगा। उसने महक को भी थोडा अपनी तरफ खींचा लेकिन महक नहि खिंची।

सेठजी ने सुंदरी और परम के सामने देखते हुए कहा, “महक को अभी काफी सीखना है, ज़रा तुम अपनि स्किल उसे दे दो। लंड को देख के थोडा तो मुस्करा करो मेरी जान।“


अब सुंदरी ने महक को थोडा धक्का दिया और कहा “सेठजी है अपने है और भरोसे मंद है तुम्हे कोई चोट नहीं पहुचाएंगे। जाओ बेटी उनके पास जाओ अपे माल का थोडा हुन्नर भी दिखाओ ताकि तुम्हारी तारीफ़ वह आगे कर सके और तुम्हे जल्द से जल्द चूत का पटल खुले, बाकी आए लम्बी राह है।“
बस आज लिए यही तक। कल अगले अपडेट में मुलाक़ात होगी
तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले

प्रतीक्षा तो रहेगी ही

जय भारत
Mast randiyon wala update
 

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वैसे मुझे नहीं पता है की रंडियों वाला अपडेट कैसा होता है
 
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