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sunoanuj

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अब आगे...............



मुनीम पूनम को फिर से चोदने के लिए बेताब था। इसी ख्याल में वो सो गया और जब उठा तो देखा कि सुंदरी लगभग नंगी उसके बगल में सो रही है। उसके स्तन गहरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था, लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और कमरे से बाहर आ गया। वह बरामदे में आया और देखा कि कोई चारपाई पर सो रहा है, वह समजा पूनम तो यही पर है। उसने अपनी लुंगी उतारी और बिना कोई आवाज़ किए बिस्तर पर उस 'लाश' के पास लेट गया। उसने सोचा कि पूनम होगी, लेकिन वह उसकी अपनी बेटी महक थी जो गहरी नींद में थी। मुनीम ने धीरे से अपना हाथ लाश पर रखा और उसका हाथ कूल्हों के उभारों से छू गया, कूल्हे का आधा हिस्सा कपड़े (फ्रॉक) से ढका हुआ था। उसने कपड़ा ऊपर सरकाया और उसका हाथ महक की बालों वाली चूत पर छू गया।


मुनिम को उसकी चूत पर हाथ पाकर बहुत खुशी हुई। वह सोच रहा था कि जिस लड़की को वह सहला रहा है, वह उसकी बेटी नहीं, पूनम है। उसने चूत और उसके होंठों को रगड़ा और उंगलियाँ अंदर डालीं। चूत अभी भी सूखी और कसी हुई थी। अब मुनीम ने खुद को लड़की की दोनों टांगों के बीच में रख लिया। एक बार उसने लाइट जलाने के बारे में सोचा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि सुंदरी उसे इन लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए देखे। उसने शाम को चूत का स्वाद चखा था और उसे पसंद आया। उसने फिर से चूत पर जीभ फिराई और महक जाग गई।

पहले तो उसने सोचा कि वह कोई कामुक और मीठा सपना देख रही है, लेकिन अब जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे महसूस हुआ कि यह सच है। कोई उसकी चूत चूस रहा है, उसकी चूत मे से चुतरस पी रहा है। वह जानती थी कि यह उसका अपना पिता है जिसने शाम को उसकी सहेली का कौमार्य भंग अपने लंड से किया था।
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता उसकी 'सील' तोड़ें, लेकिन उसने सोचा कि अगर वह मुख मैथुन का आनंद ले तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उसने अपनी टाँगें फैलाईं और पापा के बालों को सहलाया,

“ओह बाबूजी, क्या कर रहे हो... माँ भी घर में है...” और उसने अपना सिर अपनी चूत पर दबा दिया। मुनीम चूत को अंदर-बाहर चाट रहा था और ऐसा करते हुए उसने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक के अंदर डाल दिए और उसकी निपल को पकड़कर सहलाया, थोडा खिंचा। अब उसे चूत और चूचियों का दोहरा मज़ा आ रहा था... और उसे पूरा भरोसा था कि अब वह उसकी बेटी को चोद पाएगा, जो शाम को नहीं कर सकता था। उसने लंड पकड़ा और घुटनों के बल बैठ गया। उसने सुपाड़ा (लंड का ऊपरी हिस्सा) चूत के छेद पर रखा... और उसे अंदर धकेला।

"महक ने लंड को पकड़ लिया और उसे चूत के अंदर सीमित कर दिया, "नहीं बाबूजी, मुझे मत चोदो अभी... घर में सब लोग हैं... और मैं अभी वर्जिन हूं...आपका सुपारा मैं नहीं ले पाऊँगी, चिल्ला दूंगी तो घर में सब को पता चल जाएगा।" उसने लंड को छोड़ा और कहा, बस ऊपर-ऊपर रगड़ कर मजा ले लो।"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

“बेटे अब बर्दाश्त नहीं होता है..लंड को पूरा अंदर जाने दो..पूनम जैसा तुमको भी मजा आएगा।” मुनीम ने जवाब दिया।

“नहीं बाबूजी, नहीं…मुझे मत चोदो।” उसने फिर से सुपाड़े को चूत के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। “पहले केवल मेरी सील फटने दो, जल्दी किसी से चुदवा कर चूत फड़वा लुंगी फिर तुमको जितना मन करे चोदो.. अभी मत चोदो।” महक ने विनती की। लेकिन मुनीम ने महक की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और सुपाड़ा चूत के अंदर दबा दिया। सुपाड़ा चूत के अंदर फिसल गया और उसे दर्द हुआ। महक कैसे बताती की उसका सौदा करने का है और उसकी सिल कोई पैसेवाला तोड़ेगा!!! उसने अपनी माँ से वादा किया हुआ है।

उसका कौमार्य अभी भी बरकरार था और अगर लंड एक इंच और अंदर जाता तो उसकी चूतपटल टूट जाती, और खून से लथपथ हो जाती और उसके माल का भाव नहीं मिलता, जितना माँ-बेटी ने सोच के रखा था।

"बाबूजी लंड निकाल लो...मुझे नहीं चुदवाना।" उसने साफ-साफ कहा, लेकिन मुमीम ने फिर से एक और धक्का देने की कोशिश की और जैसे ही लंड आधा इंच और अंदर गया, महक ने अपने पिता के दोनों गालों पर दो-दो थप्पड़ जड़ दिए। वह चौंक गया। उसने उसे अपने शरीर से दूर धकेल दिया और उठकर बैठ गई।

'साला, बेटीचोद, बहुत बड-बडा के कह रही हूँ, मत चोदो फिर भी लंड को चूत में घुसाने जा रहा है। सुंदरी का चूत समझ लिया है क्या...?” उसने लंड को पकड़ लिया जो अब पूरी तरह से लंगड़ा कर मुठ मार चुका था।

“अरे बोला ना, पहले मुझे किसी दूसरे से चुदवाने दो उसके बाद तुम भी चोदना और जिस से मन करे उस से मेरी चूत चुदवाना।”

उसने अपने पिता का सिर अपने स्तनों पर खींच लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

“ सोरी पप्पा,एक अच्छे लड़के की तरह मुझे चूसते रहो और सो जाओ। चलो मेरा धुध निकाल लो। मुझे दुहोना है तो दुहो।” उसने कहा और अपने पिता को बाहों में ले लिया और दोनों फिर से लेट गये। वह लंड का मुट्ठ मारती रही और अपने पिता से अपने स्तन चुसवाती रही उसने अपने पिता को ऐसे पकड़ रखा था जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है।

“जो चूसना है चूसो लेकिन लंड को चूत से दूर रखना, बाबूजी।” उसने अपने पिता को चेतावनी दी, “कोई और पूनम जैसी कुतिया मिलेगी, तो मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए ले आउंगी। और हां माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा है…। वरना मार डालेगी मुझे, वह आपसे ज्यादा प्रेम करती है। मजा आया ना बाबूजी मेरा चुतरस पि के! माफ़ करना बाबूजी लेकिन बाद में आपसे चुदवाउंगी यह मेरा पक्का वादा है। और शादी के बाद आपका बच्चा भी रख लुंगी लेकिन अभी माफ़ कर दो प्लीज़... । गांड का छेद से खेलो लेकिन मेरा कौमार्य थोड़े दिन के लिए रहने दो।”


मुनीम को भी याद आया की महक का माल भी बेचना है। मैत्री और फनलवर की रचना है



***********


बने रहीये कहानी के साथ.................आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी....................


*******

बहुत ही जबरदस्त लिख रहे हो आप! कहानी का जो प्लॉट सेट किया है उसको बहुत ही खूबसूरत तरीके से तैयार कर रहे है !

👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

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जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
 
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बहुत ही जबरदस्त लिख रहे हो आप! कहानी का जो प्लॉट सेट किया है उसको बहुत ही खूबसूरत तरीके से तैयार कर रहे है !

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Ji shukriya dost

Aap ko aur bako sabhi readers ko mari likhavat pasand aayi aur aage aayega us se jyada lekhika ko kya chahiye......

Aap sab kaa saath aur sahkar bana rahega wahi ummid ke saath likhti hu.
 

Premkumar65

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अब आगे.................


महक ने मुनीम को कुछ देर तक अपनी चूत और बोबले चूसने दिया और फिर वह उठ कर अपनी नंगी माँ के पास सो गयी। परम के साथ दो बार चुदाई के बाद परम ने पूनम को मुनीम के साथ बाहर जाने की इजाजत नहीं दी। पूनम को मानना पड़ा कि रेखा और महक परम के लंड के बारे में सही थीं। इसमें किसी भी चुत को मजा देने की ताकत है। मैत्री और फनलवर की रचना


लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


सुंदरी हमेशा की तरह सुबह सबसे पहले उठी और सबसे पहले उसने अपनी खूबसूरत और सेक्सी बेटी की छोटे बालों वाली चूत देखी। उसने देखा की उसकी एक ऊँगली अभी भी उसकी गांड में फँसी हुई है, सुंदरी ने बड़े आराम से उसकी ऊँगली को गांड के छेद से मुक्त किया और उसको चाट गई, उसने महक के कुल्हे को चूमा और ढक लिया।

उसने खुद को देखा। वह सिर्फ़ पेटीकोट में थी और उसने पाया कि उसकी रसीली निपल उसकी छाती पर मजबूती से टिकी हुई थी। उसने उसे धीरे से दबाया खिंचा और छोड़ दिया और उसी हालत में वह कमरे से बाहर आ गई।

उसने परम के कमरे का दरवाज़ा धक्का दिया और देखा कि परम और पूनम दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए नग्न सो रहे हैं। वह मुस्कुराई और परम के आधे खड़े लंड को दबा दिया। उसने पूनम को घूर कर देखा, काफी चुदी हुई चूत दिख रही थी उसकी और परम का माल उस चूत से धीरे धीरे बहार भी आता दिखाई देता था। उसका शरीर बहुत दुबला-पतला था। उसने धीरे से पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया। सुंदरी ने पूनम के पैर अलग किए और उसकी चूत को देखा। वह भी बहुत सारे जघन बालों से ढका हुआ था और उसने उसे धीरे से सहलाया। पूनम कराह उठी और सुंदरी कमरे से बाहर आ गई। वह नहीं चाहती थी कि पूनम को पता चले कि उसने उन्हें नग्न अवस्था में देखा है।

तभी सुंदरी ने अपने पति को बरामदे में बिल्कुल नग्न लेटा देखा। उसने उसे जगाया और कहा कि अगर वह अभी भी सोना चाहता है तो अंदर चला जाए। सुंदरी ने उसे उसकी लुंगी दी और मुनीम उसे लेकर अपने कमरे में चला गया। बिना यह सोचे कि उसकी बेटी चादर के अंदर सो रही है, उसने भी चादर उठा ली और महक के बगल में सो गया। अनजाने में महक भी करवट बदल गई और बिना यह जाने कि उसके बगल में कौन सो रहा है, उसने अपनी टाँगें उठाकर मुनीम की जांघों पर रख दीं। मुनीम ने भी उसे बाहों में ले लिया और दोनों कुछ देर और सोते रहे, जब तक कि सुंदरी ने उन्हें जगा नहीं दिया। महक सबसे पहले उठी और उसने अपने आप को देखा। बाबूजी का लंड उसकी दोनो झांगो के बिच ठीक अपनी चूत के द्वार पर आराम कर रहा था। उसे शर्म आ रही थी कि माँ ने उसे पिता के साथ नग्न सोते हुए देख लिया। उसने अपना बचाव करने की कोशिश की

“माँ, यहाँ तो तुम सोई थी, बाबूजी कब आ गए…, मुझे मालूम ही नहीं पड़ा..?”
मैत्री और नीता द्वारा रचित कहानी

सुंदरी ने उसके गाल थपथपाये और बोली, “कोई बात नहीं… बाप ने कुछ किया तो नहीं? और हां पकड़ कर देख ले बाप का ही लंड था ना!” सुंदरी ने यह सब जानबुज कर किया था और इसीलिए वह मुस्कुरा रही थी।

“छि… माँ, बाबुजी का लंड मैं कैसे पकड़ सकती हु! और धीरे से जैसे कुछ टेके की सहारा लेती हो ऐसे उसने बाबूजी के लंड पर हाथ रखा और उसकी झांगो के बिच से लंड को थोडा सहलाते हुए साइड में कर दिया।” और महक बाहर चली गई। उसने परम और पूनम को जगाया।

महक ने पूनम से कहा, "क्यों रानी कुछ मजा आया ना! एक रात में दो-दो लंड का मजा मिला।" महक ने पूनम को बाहों में ले लिया और उसे कसकर गले लगाते हुए कहा, "किसका लंड ज्यादा मजा दिया..?"

“रानी, तुम खुद दोनों का स्वाद लेकर फैसला करो, कौन सा ज्यादा अच्छा है, मैं क्यों बताऊं।” पूनम ने महक को दूर धकेला और कपड़े पहने। सब खुश थे। सब तैयार हुए, नाश्ता किया और साढ़े आठ बजे तक जब मुनीम अपने ऑफिस जाने वाला था,

सुंदरी ने उसे सुझाव दिया कि वह पूनम को अपने साथ ले जाए और उसे रास्ते में पड़ने वाले घर तक छोड़ दे। मुनीम पूनम के साथ बाहर आया और नीचे चला गया। वह समज गया की सुंदरी की तरफ से इशारा है। उसने पूनम से शिकायत की कि उसने इंतज़ार किया, लेकिन वह नहीं आई। पूनम ने जवाब दिया कि वह तो आना तो चाहती थी, लेकिन परम ने उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया। मुनीम ने यह भी नहीं पूछा कि क्या परम ने उसे भी चोदा! पूनम ने जवाब तो नहीं दिया पर आँख के इशारे में हां कहा तो मुनीम को बात समझ में आ गई। वह दुखी तो हुआ, लेकिन चुप रहा।

पूनम समझ गई और बोली,
मैत्री और फनलवर से रचित कहानी

"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

“आज शाम को आ जाओ, महक भी नहीं होगी, हम दोनो खूब चुदाई करेंगे..!”


“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


बने रहिये इस कहानी में और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजियेगा जरुर........


शुक्रिया
Wah kya mast chuddakad family hai.
 
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