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Premkumar65

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चलिए अब आगे बढ़ते है इस कहानी में एक नए एपिसोड के साथ............



पूनम ने महक को पकड़ लिया और उसकी फ्रॉक उतारने की कोशिश की। महक ने कुछ देर तक विरोध किया और फिर पूनम के आगे झुक गई। वैसे महक खुद्यः चाहती थी की उसके साथ इन दोनों में से कोई एक या दोनों उसके साथ जबरदस्ती करे। क्यों की अब तक जो भी हुआ था उस कारण उसकी चूत २ बार तो झड ही चुकी थी और उसका रस उसकी झंगो के बिच से नीच बह रहा था। एक बार तो बड़ा सा लौंदा उसकी छुट ने उगल दिया था जब वह रसोईघर में थी। महक ने अपनी फ्रॉक अपने बदन से अलग होने दी और अब बाकी दोनों की तरह वह भी नंगी थी। उसके स्तन सूजे हुए थे और निप्पल तने हुए थे। वह पूनम से कहीं ज़्यादा सेक्सी और खूबसूरत थी। पूनम का फिगर दुबला-पतला था, जबकि महक स्वस्थ और मालदार थी। उसके स्तन बड़े थे। टाँगें लंबी और जांघें मोटी और सुडौल थीं।


पूनम ने महक को बिस्तर पर लिटा दिया और एक मर्द की तरह उसके ऊपर सवार हो गई। उसने अपनी चूत महक की चूत से रगड़ी, साथ ही स्तनों को दबाया और महक को चूमा। मुनीम उनके पास बैठा था। उसने अपना हाथ पूनम के कूल्हों पर रखा। पहले उसने उन छोटे उभारों को सहलाया और धीरे-धीरे अपना हाथ चूत की दरार पर सरका दिया। उसका हाथ दोनों लड़कियों की चूत को सहला रहा था। महक भी उतनी ही उत्तेजित थी। उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया और दोनों योनियाँ आपस में जुड़ गईं। मुनीम ने अपनी बेटी की चूत का चीरा देखा और दोनों हाथों से चूत के होंठ खींचे। महक को मजा आया और वह कराह उठी। पूनम की चूत महक की पूरी तरह से उजागर चूत पर घूम रही थी। मुनीम ने भी अब उसका हाथ पूनम की कुलहो पर रगड़ दिया और धीरे धीरे उसकी गांड की दरार को फैलाने लगा, जब वह फैलाता तब उसकी गांड का छेद उसे मुस्कुराके स्वागत कर रही थी। तो वहा पूनम की चूत में मुनीम का बचा हुआ माल स्पष्ट दिख रहा था। मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

महक के चूत के अंदर का गुलाबी माल मुनीम को साफ दिख रहा था। वो घुटने पर बैठा और अपने लंड को दोनो चूत के ऊपर पोजीशन किया। मुनीम का लंड बेटी के चूत को रगड़ रहा था और हर रगड़ के साथ महक ऊपर से उछल रही थी।

मुनीम के लंड को बेटी के चूत का छेद मिल गया था और मुनीम अपने सुपाड़े को बेटी के चूत में दबाने लगा। महक भी गरम थी उसने भी नीचे से धक्का लगाया और सुपाड़ा चूत में, बेटी के चूत के मुँह में घुस गया.. शायद महक को होश आ गया था। उसने जल्दी से हाथ बढ़ा कर लंड को चूत के बाहर खींच लिया और उसकी पोजीशन में लंड को पूनम के चूत की ओर से डायरेक्ट किया। तभी पूनम अलग हो गई और 69 पोजीशन में हो गई।

अब दोनो एक दूसरे का चूत चाट रही हो। पूनम ने देखा कि मुनीम का लंड तना हुआ है और मुनीम ने दोनो हाथों से अपनी बेटी का चूत के होठों को पूरा फैला दिया है और लंड चूत से रगड़ खा रहा है। पूनम एक साथ महक का चूत के नीचे का माल भी खा रही थी और साथ ही साथ मुनीम के लंड को भी चाट रही थी। कुछ देर चाटने के बाद पूनम ने मुनीम से पीछे जाकर चूत में लंड घुसाने को कहा।

मुनीम पीछे गया और बेटी के मुँह के ऊपर चला गया तो महक समज गई उसने पिताजी का लंड को पकड़ा और पूनम के चूतद्वार के आगे रख दिया और वह मुनीम के अंडकोष से खेल ने लगी। महक ने थोडा ऊपर देखा और बाबाजी को आँख मार के कहा माल को छोड़ो और मुनीम ने पूनम के चूत में लंड पेल दिया। चूत बिल्कुल गिली हो गई थी। और उसकी गांड का छेड़ भी पूनम के गीलेपन से चमक रही थी। अब महक एक साथ पूनम का लंड और अपने बाप का लंड जो पूनम के चूत के अंदर जा रहा था उससे चाट रही थी। पूनम की चूत से बूंद बूंद महक के मुंह में टपक रहा था। एक बाद चुदाई करते करते मुनीम का लंड चूत से फिसल कर बाहर निकल गया तो मुनीम ने उसे बेटी के मुँह में घुसेड़ दिया।

महक ने लंड को चाटा और फिर पूनम के चूत में घुसा दिया। इस तरह तीनो मजा लेते रहे। लेकिन यह सब कितनी देर चलता! आखिर वह मुकाम भी आ गया और मुनीम के लंड ने वीर्य का फुवारा छोड़ दिया, मुनीम झड़ गया। उसने वीर्य को पूनम के चूत में गिरा दिया और लंड को थोडा बाहर खींच लिया.. पूनम के चूत से रस टपक टपक के महक के होंठ पर गिरने लगे और महक उसे बड़े मजे से अपने मुह में समाने लगी। फिर मुनीम ने लंड को बाहर निकाला तो महक ने उसके बाप का लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और तब तब चूसा जब तक लंड पूरा ढीला नहीं हो गया। उसकी हर एक बूंद और मिक्स रस उसने अपने मुंह के द्वारा अपने पेट में उतार दिया। उसने थोड़ी देर अपनी बाप का ढीला लंड को चूसा और अंडकोष के साथ चाट चाट कर उसे क्लीन कर दिया।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

एक तरफ महक खुश थी की उसने अपने बाप का माल अपने पेट में जमा कर दिया था, उसके लिए अब एक नया रास्ता खुला था और दूसरी तरफ मुनीम भी इसलिए खुश था की, यह मुनीम के लिए पहला मौका था जब किसी ने उसका लंड को चूसा था… और वह भी दो दो मस्त कमसिन लडकियों ने उसके अंडकोष को खाली कर दिया था, खास कर उसकी बेटी ने जो की उसका लैंड को एकदम साफ़ कर के छोड़ा था।

उसने सोचा कि आज रात वो सुंदरी से लंड चुसवायेगा। उसे क्या पता कि पिछले कुछ दिनों में सुंदरी तीन लंड को चूस कर मजा ले चुकी है।

तीनो खड़े हो गए। पूनम ने कहा कि बहुत मजा आया और दोनो से रिक्वेस्ट किया कि जो हुआ है उसके बारे में कोई किसी ना कहे। सबने एक दुसरे को प्रोमिस कर दिया। टाइम देखा तो रात के 9 बज गए थे। मुनीम ने दोनों से मुंह हाथ धो कर तयार होने को कहा। लेकिन महक कुछ और चाहती थी। उसने अपना एक पैर उठाया, पिता का सिर खींचा और उसे अपनी खुली चूत पर धकेल दिया। वह अपने आपे में नहीं थी वह एक बार और झाडना चाहती थी और वह भी अपने बाबूजी के मुंह में। वह अभी भी बिन चुदी ही अधूरी सी थी।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

पूनम: “ठीक है, ठीक है काका, चूस लो वह बेचारी अभी अधूरी है। समय मिलने पर बेचारी की चूत को भोसड़ा बना देना काका।“

"जल्दी जल्दी चूस कर मज़ा लो"

मुनीम ने उसका सिर हटाने की कोशिश की, लेकिन महक ने उसे अपनी चूत पर ही रखा। मुनीम को अपनी बेटी की चूत के होंठों पर जीभ फेरनी पड़ी और महक ने अपनी चूत के होंठ चौड़े करके अपनी चूत पूरी तरह खोल दी ताकि बाबूजी की जीभ अन्दर तक जा सके। मुनीम ने अंदर से चूसा। उसका मुँह और नाक चूत रस से भीग गए। कुछ देर बाद महक ने उसे छोड़ दिया, लेकिन फिर पूनम ने उसे अपनी चूत पर खींच लिया और अपनी जीभ से उसकी चूत साफ़ करवाई। जब वह दोनों के साथ समाप्त हो गया, तो उन्होंने एक-दूसरे को चूमा, अपने चेहरे धोए और ऐसे कपड़े पहने जैसे कुछ हुआ ही न हो। फिर भी वह लडकिया ने अब बाउजी के सामने उन दोनों की गांड के छेद से खेलती रही लेकिन अब मुनीम को इंटरेस्ट नहीं रहा था।



******
आज के लिए बस इतना

बने रहिये कहानी के साथ

इस एपिसोड के बारे में आपकी राय देना ना भूले प्लीज़
Do do kamsin ladkiyan sath me to jannat hoti hai.
 

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उसके बाद मुनीम ने वह सब बताया जो उसे बताना चाहिए था। मतलब की सेठजी का ऑफर, उन्होंने मुनीम को सेठानी को और मौक़ा मिले तो रेखा को और उसकी बहुओ को चोदने के सम्मति दे दी है। यह एक प्रकार का अच्छा सौदा है। उसने यह नहीं बताया की उसका और सेठजी का गांड और मुंह का भी रिश्ता बन चूका है।


“यह सौदा आपके लिए अच्छा है मेरे लिए क्या सिर्फ सेठजी का लंड???” मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।

“तो तुम क्या चाहती हो? क्या चाहिए तुम्हे यह भी बता दो?” मुनीम को कैसे भी कर के सुंदरी का सौदा करना था और उसे फ्री करना था ताकि महक की चूत की लालसा उसके मन में थी।

चलो एक बार मैं मान भी लू की सेठजी से मैं चुदवा लू पर फिर क्या? और उसके बाद मुझे और लोगो से भी चुदवाने का मन करे तो…” सुंदरी ने अपना पत्ता फेंका।

लेकिन बाद में उसे लगा की कुछ ज्यादा हो गया है यह सब छुट धीरे धीरे लेनी थी तो उसने अपनी बात टालने के लिए कहा:” आप समजदार हो और जानते भिहो की एक बार औरत ल्न्द्खोर हो जाती है और खास कर अपने पति से छुट पा के तो उसको ज्यादा लंड की जरुरत महसूस होती है। अभी तो मैं तैयार नहीं हु लेकिन आगे जा के सब कुछ हो सकता है, आप को पूरा सोच लेना चाहिए फिर बाद में कुछ भी हो सकता है, और फिर आप मेरी जान ही ले लोगे, डर लगता है ऐसी बाते सोच कर भी।“

देखो रानि ऐसा कुछ होगा नहीं अगर तुम्हे और लंड की जरुरत पड़ेगी तो मुझे कह देना मैं तुम्हारी भोस के बारे में सोचूंगा या फिर अच्छे लंड का बंदोबस्त कर दूंगा ताकि हम खुश रह सके और हां मैं तो तुम्हे चोदुंगा ही।“ मुनीम ने समजाते हुए कहा

“और अपने गाव में सब जानते है की गाव की कोई भी औरत या लड़की बिना चुदवाये कहा रही है, फिर वह तेरी माँ हो या मेरी सब जानते है लेकिंघर की बात घर में कोई कुछ बोलता नहीं, होगी तुम्हारे जैसी कुछ औरते जो अपना माल दूसरो को नहीं देती, अब सौदा कर सकते है, वैसे भी गाव में तुम से ज्यादा अच्छा माल किसी के पास नहीं है, अगर हम चाहे तो यही माल का अच्छे से इस्तमाल करके अपनी पिछली जिंदगी जो सुधर सकते है।“

“यानी की मुजे वेश्या तक बना डालने का प्लान है तुम्हारा? सुंदरी मन ही मन खुश होती हुई। “ हां मैं सब जानती हु मेरी माँ बाहें और सभी के बारे में और तुम्हारी माँ और बाकि लोगो के बारे में भी पर मैंने कभी यह नहीं सोचा था की मुझे वेश्या बन के जीना पड़ेगा।“

“देखो सुंदरी, तुम बात को समजो, यह एक सौदा होगा जिसमे तुम्हार अमाल बेचेंगे और आमदनी होगी लेकिन इस से भी ज्यादा मुझे खिशी है की तुम्हारी चूत को भोसड़ा बन ने का भ मौक़ा मिलेगा बिना रोक टोक तुम चुदवा सकती हो।”

सुनकर सुंदरी काफी खुश हुई और मुस्कुराती हुई बोली: “और कुछ कहना है मेरे पतिदेव?”
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।

यह सवाल मुनीम को अचंबित कर गया और डर के मारे उसने आज का अकस्मात् के बारे में बता दिया की उसने पूनम की चूत को चख के मस्त औरत बना दिया है। हालाकि उसने महक के बारे में कम ही बताया।

“तुमको जब और जिस से चुदवाने का मन करे लेकिन आज रात पूनम को मेरे लंड के नीचे ले आओ..”

अब मुनीम अपनी पत्नी की उपस्थिति में पूनम का आनंद लेना चाहता था।

“क्या… ? तुम पागल हो गए हो....?” वह लगभग चिल्लाई।

वह खुश थी कि अब वह सेठ वगैरह से चुदाई करेगी लेकिन उसने सोचा भी नहीं था कि बदले में उसका इतना मासूम पति अपनी ही बेटी की सहेली को चोदना चाहेगा। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि मुनीम ने बेटी को लगभग चोद ही दिया है।

“वो तुम्हारी बेटी के बराबर है…” सुंदरी ने सिर्फ कहने को कहा।

मुनीम ने बात काटते हुए कहा, “जबसे साली को देखा है मेरा लंड उसकी चूत में घुसने के लिए बेकार है… आज तो मैं उसको चोदूंगा ही… पहले मैं उसकी मां को चोदना चाहता था लेकिन जब तुमसे शादी हुई तो मैं उसको भूल गया.. लेकिन आज पूनम को अपने घर में देख कर मेरा लंड उसकी चूत फाड़ने को तरस रहा है…।”

“तो मुझे चोद कर लंड ठंडा कर लो…मई तो हमेशा के लिए तुम्हारी हूँ।” कहते हुए सुन्दरी ने मुनीम का लंड लूंगी के बाहर निकल कर सहलाने लगी।

“साली क्या मैंने गुनाह किया की तुम को अपने मन की बात बताई? आज तो लंड सच में फूला हुआ है.. उस कुतिया को चोदने के लिए.. मेरी चूत के लिए तो इतना टाइट कभी नहीं हुआ”

सुंदरी ने लंड को कस कर भींच लिया और बोली उसकी चूत तो तुमको नहीं मिलेगी। मुझे ही चोद कर मजा ले लो..” वह भी अब मुनीम की मजा ले रही थी।

सुंदरी ने लंड रिलीज कर दिया और सोचा कि मुनीम उसके ऊपर चढ़ कर चूत में लंड घुसेगा लेकिन मुनीम यह कहता हुए की “सेठ से जल्दी चुदवाओ” उल्टा घूम कर आँखे बंद कर लिया। सुंदरी भी सोने का प्रयास करने लगी।

फिर सुंदरी ने उसके कान में कहा की “मुझे पता है की तुम महक की चूत के पीछे भी पड़े हो।“

मुनीम भी अब मूत गया। “क्या....... साली तुम क्या बक रही हो तुम्हे पता भी है? वह मेरी बेटी है मेरे लंड की पैदाश।“

तो क्या हुआ! चूत तो चूत होती है चाहे किसी की भी हो। यह मुझे मेरी सांस ने कहा था याद है न जब वह मुझे मेरे ससुर से चुदवाने पे तुली हुई थी। और तुम यह भी जानते हो की तुम्हारी ही बहन उसके बाप का लंड ले के माँ बनी हुई है।“

“हा....हा...पता है फिर भी वह मेरी बच्ची है...!” उसने अपनी बात तो कही पर अपनी लालसा छुपा नही सका।

सुंदरी ने मुनीम के सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा महक भी लड़की है और उसकी भी चूत है और वह भी चोदने के लायक है पर अभी नहीं समजे! समय को आने दो, मुझे कोई एतराज़ नहीं होगा बहोत सी लडकिया अपने बाप से चुदती है यह गाव ह इन्यारा और अनोखा है और घर में सब चलता है।“

मुनीम खुश हो गया और बोला: “कब समय आएगा सुंदरी?”
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है।


********


बने रहिये मेरे साथ और जानेंगे कुछ नया इस कहानी के अगले एपिसोड में।

आशा है की आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा।


उम्मीद रख सकती हु न??? आपके कोमेंट की???????
Ab to Munim ko Sundari ki bhi permission mil gai hai Mehak ko chodne ki.
 

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अब आगे............


“वह सब तुम मुज पर छोड़ दो, सब मैं कर दूंगी, और हां मेरा सौदा कर ही दिया है तो मैं तुम्हे निराश तो नहीं करुँगी पर सोचूंगी लेकिन किसी को यह पता नहीं चलना चाहिए की पति को पता है, इस से तुम्हारी इज्जत बनी रहेगी और यह बात हम दोनों ही जानेगे। बच्चो को भि नहीं वह सब मैं संभाल लुंगी तुम सिर्फ पैसे गिनते रहना।


सुंदरी ने आगे कहा “ देखो पति महाराज अगर सौदा करना है तो महक का भी कर देंगे उसकी सिल अभी नहीं टूटी तो किसी अच्छे लंड से तोड़वा देंगे बाद में उसका माल तुम खाए जाना, लेकिन यह बात सिर्फ हम दोनों के बिच में रहनी चाहिए। हमारे घर एपिसो कमी नहीं होगी अब। लेकिन यह सब मैं सोच के बताउंगी।“ सुंदरी को लगा अब साफ सेफ है।

“लेकिन सुंदरी, तुम्हे कैसे पता चला की मैं महक की चूत चाहता हु?”
मैत्री और फनलवरकी अनुवादित रचना

“माँ हूँ और औरत भी हु, वैसे भी हमऔरते और यहाँ इस गाव की औरते जो कभी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती तो पुरुष हो या बाप उसकी नजर बेटी हो या बहु चूत को तलाशती है, मैंने कई बार देखा है आपको उसकी चूत पर नजर करते हुए लेकिन कभी कुछ बोला नहीं क्यों की यह गाव में होता रहता है और लंड है तो चूत को तो खोजेगा ही। और जब से महक बड़ी हुई है तबसे वह भी तो अपने छेड़ की परवाह किये बिना आपके सामने बैठ जाती है और उठ भी जाती है ताकि अपने बाप की नजर उसकी चूत को देखे।“

सुंदरी तुम कितनी अच्छी हो, मैं वैसे भी तुम पे फ़िदा था, जब कोई मुझे कहता की मै नसीबवाला हु की एक मस्त औरत का माल चोदे जा रहा हु। लेकिन आज तुम पे और ज्यादा फ़िदा हो गया। उसने सुंदरी की चूत में ऊँगली करना चाहां पर सुंदरी ने झट से उसकी ऊँगली बाहर निकाल दी क्यों की उस चूत में विनोद का वीर्य भरा पड़ा था। तो मुनीम ने उसकी गांड में ऊँगली कर दी। सुंदरी ने उस ऊँगली से अपनी गांड मरवाई। और बोली “अब कुछ करती हु।“

“लेकिन याद रहे की जो भी बाते हुए सिर्फ हम दोनों तक रहे। और हां ठीक से गांड मारो।“ सुंदरी ने खुद ही अपने कुल्हे को चौड़ा कर दिया और ऊँगली के लिए अपनी गांड को खोल दिया।

*******



इधर परम के कमरे में...

महक पूनम को अपने साथ एक बिस्तर पर ले गईं और परम दूसरे पर सोने चला गया। परम, पूनम को देखकर खुश हो गया। वह उसे पसंद करता था लेकिन उस तरह नहीं जैसे वह रेखा को पसंद करता था और वह जानता था कि रेखा और पूनम बहुत अच्छी दोस्त हैं।

महक ने पूनम को कपड़े उतारने और परम के बिस्तर पर जाने के लिए कहा.. लेकिन पूनम ने यह कहते हुए मना कर दिया कि चूँकि मुनीम ने उसे पहले ही चोद दिया है इसलिए वह मुनीम के बेटे से नहीं चुदवाएगी। बाप बेटे से चुदाई करवाना पाप होगा।

"लेकिन तुमने शाम को देखा होगा कि मेरे पापा ने अपनी ही बेटी को लगभग चोद ही दिया था।” महक फुसफुसाई।

“आदमी कुछ भी कर सकते हैं, वो माँ-बहनों को भी चोद सकते हैं, लेकिन हमें औरतों को संयम बरतना चाहिए..” पूनम ने कहा। लेकिन

महक सुनने को तैयार नहीं थी। उसने पूनम के कपड़े उतारने की कोशिश की। पूनम ने विरोध किया और यह देखकर परम भी बिस्तर पर आ गया।

और दोनों भाई-बहन पूनम को नंगा कर दिया। परम ने पूनम की खूबसूरती की तारीफ की और उसके स्तनों को सहलाया, जबकि महक पूनम का हाथ अपनी चूत से हटाने की कोशिश कर रही थी।

पूनम ने परम से विनती की कि वह उसे न चोदे और जब उसका कोई असर नहीं हुआ, तो उसने धमकी दी कि वह रेखा को बता देगी कि उसने उसे नंगा करके चोदने की कोशिश की है। परम ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और कहा कि चाहे तुम पूरी दुनिया को बता दो, मैं तुम्हें चोदूँगा। परम ने पूनम के शरीर को अपने शरीर से ढक लिया और उसे चूमा। उसने निप्पल पर उंगलियाँ फिराईं और उन्हें चुटकी काटी। उसने स्तनों को चूमा और उसकी जांघों के बीच नीचे की ओर बढ़ा। पूनम ने उसका सिर पकड़ रखा था, लेकिन परम फिर भी अपना मुँह उसकी चूत पर ले आया और उसने पूनम की चूत को चबाया, जहा पहले से ही उसके बाप का वीर्य पड़ा हुआ था, उसे भी वह चाट गया। धीरे-धीरे पूनम शांत हुई और उसने खुद को समर्पित कर दिया। यह देखकर कि पूनम अब अपने भाई से चुदने वाली है,महक कमरे से बाहर आई और बाहर से कुंडी बंद करके बाहर चली गई। वह माता-पिता के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी और ठीक उसी समय सुंदरी मुनीम के लंड को मुट्ठी में भर रही थी। अपने पिता का लंड देखकर उसकी चूत में खुजली होने लगी और उसने उसे सहलाया। मुनीम के दूसरी तरफ़ मुड़ने और सुंदरी के लंड छोड़ने के बाद, महक उसी चारपाई पर चली गई जहाँ शाम को उसके पिता ने उन्हें चोदा था। वह लेट गई और जल्द ही सो गई।

अंदर कुछ देर फोरप्ले के बाद परम ने पूनम की चूत में लंड डाल दिया। पूनम अभी तैयार नहीं थी और उसने अपना शरीर और कड़ा कर लिया। परम को उसकी चूत में लंड डालने में दिक्कत हो रही थी जो डर के मारे अभी भी गीली नहीं थी।

“ओह्ह्ह्ह… निकाल लो.. दर्द कर रहा है…” पूनम फुसफुसाई… और परम यह सोचकर खुश हुआ कि पूनम कुंवारी है। परम ने पूनम को चोदा। उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन पूनम को वह आनंद नहीं मिला जो मुनीम ने उसे शाम को दिया था। उसने सोचा कि रेखा परम के साथ कैसे मज़े करती है..!

चूत रगड़ने के बाद पूनम को उत्तेजना और आनंद मिलने लगा। उसने अनायास ही अपनी कमर हिलाई और लंड चूत में गहराई तक चला गया। आख़िरकार पूनम एक जवान लड़की थी और सिर्फ़ तीसरी बार और दूसरे लंड से चुद रही थी। पूनम ने देखा कि परम का लंड अब चूत में गहराई तक जा रहा है और उसकी स्पीड उसके पिता से भी ज़्यादा है। उसे परम की चुदाई की स्पीड बहुत पसंद आई।


“तुमने रेखा को कितनी बार चोदा है..” उसने पूछा। मैत्री और नीता कि अनुवादित रचना

एक बार भी नहीं..” परम ने उसकी चूत पर तेज़ धक्का लगाते हुए जवाब दिया।

“आह्ह…लेकिन वो तो बोलती है तुम उसको बहुत मज़ा देते हो…”

“तुमको मज़ा नहीं आ रहा है।”


“आह्ह…बहुत मज़ा आ रहा है…” और दोनों ने मज़ा लिया।



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इस एपिसोड के बारे में आपकी राय....
Bahut mast ladkiyan hain Mehak, Punam aur Rekha.
 

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मुनीम पूनम को फिर से चोदने के लिए बेताब था। इसी ख्याल में वो सो गया और जब उठा तो देखा कि सुंदरी लगभग नंगी उसके बगल में सो रही है। उसके स्तन गहरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था, लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और कमरे से बाहर आ गया। वह बरामदे में आया और देखा कि कोई चारपाई पर सो रहा है, वह समजा पूनम तो यही पर है। उसने अपनी लुंगी उतारी और बिना कोई आवाज़ किए बिस्तर पर उस 'लाश' के पास लेट गया। उसने सोचा कि पूनम होगी, लेकिन वह उसकी अपनी बेटी महक थी जो गहरी नींद में थी। मुनीम ने धीरे से अपना हाथ लाश पर रखा और उसका हाथ कूल्हों के उभारों से छू गया, कूल्हे का आधा हिस्सा कपड़े (फ्रॉक) से ढका हुआ था। उसने कपड़ा ऊपर सरकाया और उसका हाथ महक की बालों वाली चूत पर छू गया।


मुनिम को उसकी चूत पर हाथ पाकर बहुत खुशी हुई। वह सोच रहा था कि जिस लड़की को वह सहला रहा है, वह उसकी बेटी नहीं, पूनम है। उसने चूत और उसके होंठों को रगड़ा और उंगलियाँ अंदर डालीं। चूत अभी भी सूखी और कसी हुई थी। अब मुनीम ने खुद को लड़की की दोनों टांगों के बीच में रख लिया। एक बार उसने लाइट जलाने के बारे में सोचा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि सुंदरी उसे इन लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए देखे। उसने शाम को चूत का स्वाद चखा था और उसे पसंद आया। उसने फिर से चूत पर जीभ फिराई और महक जाग गई।

पहले तो उसने सोचा कि वह कोई कामुक और मीठा सपना देख रही है, लेकिन अब जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे महसूस हुआ कि यह सच है। कोई उसकी चूत चूस रहा है, उसकी चूत मे से चुतरस पी रहा है। वह जानती थी कि यह उसका अपना पिता है जिसने शाम को उसकी सहेली का कौमार्य भंग अपने लंड से किया था।
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता उसकी 'सील' तोड़ें, लेकिन उसने सोचा कि अगर वह मुख मैथुन का आनंद ले तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उसने अपनी टाँगें फैलाईं और पापा के बालों को सहलाया,

“ओह बाबूजी, क्या कर रहे हो... माँ भी घर में है...” और उसने अपना सिर अपनी चूत पर दबा दिया। मुनीम चूत को अंदर-बाहर चाट रहा था और ऐसा करते हुए उसने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक के अंदर डाल दिए और उसकी निपल को पकड़कर सहलाया, थोडा खिंचा। अब उसे चूत और चूचियों का दोहरा मज़ा आ रहा था... और उसे पूरा भरोसा था कि अब वह उसकी बेटी को चोद पाएगा, जो शाम को नहीं कर सकता था। उसने लंड पकड़ा और घुटनों के बल बैठ गया। उसने सुपाड़ा (लंड का ऊपरी हिस्सा) चूत के छेद पर रखा... और उसे अंदर धकेला।

"महक ने लंड को पकड़ लिया और उसे चूत के अंदर सीमित कर दिया, "नहीं बाबूजी, मुझे मत चोदो अभी... घर में सब लोग हैं... और मैं अभी वर्जिन हूं...आपका सुपारा मैं नहीं ले पाऊँगी, चिल्ला दूंगी तो घर में सब को पता चल जाएगा।" उसने लंड को छोड़ा और कहा, बस ऊपर-ऊपर रगड़ कर मजा ले लो।"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

“बेटे अब बर्दाश्त नहीं होता है..लंड को पूरा अंदर जाने दो..पूनम जैसा तुमको भी मजा आएगा।” मुनीम ने जवाब दिया।

“नहीं बाबूजी, नहीं…मुझे मत चोदो।” उसने फिर से सुपाड़े को चूत के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। “पहले केवल मेरी सील फटने दो, जल्दी किसी से चुदवा कर चूत फड़वा लुंगी फिर तुमको जितना मन करे चोदो.. अभी मत चोदो।” महक ने विनती की। लेकिन मुनीम ने महक की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और सुपाड़ा चूत के अंदर दबा दिया। सुपाड़ा चूत के अंदर फिसल गया और उसे दर्द हुआ। महक कैसे बताती की उसका सौदा करने का है और उसकी सिल कोई पैसेवाला तोड़ेगा!!! उसने अपनी माँ से वादा किया हुआ है।

उसका कौमार्य अभी भी बरकरार था और अगर लंड एक इंच और अंदर जाता तो उसकी चूतपटल टूट जाती, और खून से लथपथ हो जाती और उसके माल का भाव नहीं मिलता, जितना माँ-बेटी ने सोच के रखा था।

"बाबूजी लंड निकाल लो...मुझे नहीं चुदवाना।" उसने साफ-साफ कहा, लेकिन मुमीम ने फिर से एक और धक्का देने की कोशिश की और जैसे ही लंड आधा इंच और अंदर गया, महक ने अपने पिता के दोनों गालों पर दो-दो थप्पड़ जड़ दिए। वह चौंक गया। उसने उसे अपने शरीर से दूर धकेल दिया और उठकर बैठ गई।

'साला, बेटीचोद, बहुत बड-बडा के कह रही हूँ, मत चोदो फिर भी लंड को चूत में घुसाने जा रहा है। सुंदरी का चूत समझ लिया है क्या...?” उसने लंड को पकड़ लिया जो अब पूरी तरह से लंगड़ा कर मुठ मार चुका था।

“अरे बोला ना, पहले मुझे किसी दूसरे से चुदवाने दो उसके बाद तुम भी चोदना और जिस से मन करे उस से मेरी चूत चुदवाना।”

उसने अपने पिता का सिर अपने स्तनों पर खींच लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

“ सोरी पप्पा,एक अच्छे लड़के की तरह मुझे चूसते रहो और सो जाओ। चलो मेरा धुध निकाल लो। मुझे दुहोना है तो दुहो।” उसने कहा और अपने पिता को बाहों में ले लिया और दोनों फिर से लेट गये। वह लंड का मुट्ठ मारती रही और अपने पिता से अपने स्तन चुसवाती रही उसने अपने पिता को ऐसे पकड़ रखा था जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है।

“जो चूसना है चूसो लेकिन लंड को चूत से दूर रखना, बाबूजी।” उसने अपने पिता को चेतावनी दी, “कोई और पूनम जैसी कुतिया मिलेगी, तो मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए ले आउंगी। और हां माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा है…। वरना मार डालेगी मुझे, वह आपसे ज्यादा प्रेम करती है। मजा आया ना बाबूजी मेरा चुतरस पि के! माफ़ करना बाबूजी लेकिन बाद में आपसे चुदवाउंगी यह मेरा पक्का वादा है। और शादी के बाद आपका बच्चा भी रख लुंगी लेकिन अभी माफ़ कर दो प्लीज़... । गांड का छेद से खेलो लेकिन मेरा कौमार्य थोड़े दिन के लिए रहने दो।”


मुनीम को भी याद आया की महक का माल भी बेचना है। मैत्री और फनलवर की रचना है



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बने रहीये कहानी के साथ.................आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी....................


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Ekdam randi family hai Munim ki. Paise ke liye kuchh bhi karne ko tayyar hain.
 

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Ab to Munim ko Sundari ki bhi permission mil gai hai Mehak ko chodne ki.
जी बिलकुल शायद अब यह घर असली रंग पर आ रहा है धीरे धीरे
 
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Bahut mast ladkiyan hain Mehak, Punam aur Rekha.
जी बिलकुल लेकिन अपनी हिरोइन जैसी नहीं। आप किसी भी पात्र से पूछो...........
 
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