अब आगे...............
मुनीम पूनम को फिर से चोदने के लिए बेताब था। इसी ख्याल में वो सो गया और जब उठा तो देखा कि सुंदरी लगभग नंगी उसके बगल में सो रही है। उसके स्तन गहरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था, लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और कमरे से बाहर आ गया। वह बरामदे में आया और देखा कि कोई चारपाई पर सो रहा है, वह समजा पूनम तो यही पर है। उसने अपनी लुंगी उतारी और बिना कोई आवाज़ किए बिस्तर पर उस 'लाश' के पास लेट गया। उसने सोचा कि पूनम होगी, लेकिन वह उसकी अपनी बेटी महक थी जो गहरी नींद में थी। मुनीम ने धीरे से अपना हाथ लाश पर रखा और उसका हाथ कूल्हों के उभारों से छू गया, कूल्हे का आधा हिस्सा कपड़े (फ्रॉक) से ढका हुआ था। उसने कपड़ा ऊपर सरकाया और उसका हाथ महक की बालों वाली चूत पर छू गया।
मुनिम को उसकी चूत पर हाथ पाकर बहुत खुशी हुई। वह सोच रहा था कि जिस लड़की को वह सहला रहा है, वह उसकी बेटी नहीं, पूनम है। उसने चूत और उसके होंठों को रगड़ा और उंगलियाँ अंदर डालीं। चूत अभी भी सूखी और कसी हुई थी। अब मुनीम ने खुद को लड़की की दोनों टांगों के बीच में रख लिया। एक बार उसने लाइट जलाने के बारे में सोचा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि सुंदरी उसे इन लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए देखे। उसने शाम को चूत का स्वाद चखा था और उसे पसंद आया। उसने फिर से चूत पर जीभ फिराई और महक जाग गई।
पहले तो उसने सोचा कि वह कोई कामुक और मीठा सपना देख रही है, लेकिन अब जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे महसूस हुआ कि यह सच है। कोई उसकी चूत चूस रहा है, उसकी चूत मे से चुतरस पी रहा है। वह जानती थी कि यह उसका अपना पिता है जिसने शाम को उसकी सहेली का कौमार्य भंग अपने लंड से किया था। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।
वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता उसकी 'सील' तोड़ें, लेकिन उसने सोचा कि अगर वह मुख मैथुन का आनंद ले तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उसने अपनी टाँगें फैलाईं और पापा के बालों को सहलाया,
“ओह बाबूजी, क्या कर रहे हो... माँ भी घर में है...” और उसने अपना सिर अपनी चूत पर दबा दिया। मुनीम चूत को अंदर-बाहर चाट रहा था और ऐसा करते हुए उसने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक के अंदर डाल दिए और उसकी निपल को पकड़कर सहलाया, थोडा खिंचा। अब उसे चूत और चूचियों का दोहरा मज़ा आ रहा था... और उसे पूरा भरोसा था कि अब वह उसकी बेटी को चोद पाएगा, जो शाम को नहीं कर सकता था। उसने लंड पकड़ा और घुटनों के बल बैठ गया। उसने सुपाड़ा (लंड का ऊपरी हिस्सा) चूत के छेद पर रखा... और उसे अंदर धकेला।
"महक ने लंड को पकड़ लिया और उसे चूत के अंदर सीमित कर दिया, "नहीं बाबूजी, मुझे मत चोदो अभी... घर में सब लोग हैं... और मैं अभी वर्जिन हूं...आपका सुपारा मैं नहीं ले पाऊँगी, चिल्ला दूंगी तो घर में सब को पता चल जाएगा।" उसने लंड को छोड़ा और कहा, बस ऊपर-ऊपर रगड़ कर मजा ले लो।" मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना।
“बेटे अब बर्दाश्त नहीं होता है..लंड को पूरा अंदर जाने दो..पूनम जैसा तुमको भी मजा आएगा।” मुनीम ने जवाब दिया।
“नहीं बाबूजी, नहीं…मुझे मत चोदो।” उसने फिर से सुपाड़े को चूत के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। “पहले केवल मेरी सील फटने दो, जल्दी किसी से चुदवा कर चूत फड़वा लुंगी फिर तुमको जितना मन करे चोदो.. अभी मत चोदो।” महक ने विनती की। लेकिन मुनीम ने महक की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और सुपाड़ा चूत के अंदर दबा दिया। सुपाड़ा चूत के अंदर फिसल गया और उसे दर्द हुआ। महक कैसे बताती की उसका सौदा करने का है और उसकी सिल कोई पैसेवाला तोड़ेगा!!! उसने अपनी माँ से वादा किया हुआ है।
उसका कौमार्य अभी भी बरकरार था और अगर लंड एक इंच और अंदर जाता तो उसकी चूतपटल टूट जाती, और खून से लथपथ हो जाती और उसके माल का भाव नहीं मिलता, जितना माँ-बेटी ने सोच के रखा था।
"बाबूजी लंड निकाल लो...मुझे नहीं चुदवाना।" उसने साफ-साफ कहा, लेकिन मुमीम ने फिर से एक और धक्का देने की कोशिश की और जैसे ही लंड आधा इंच और अंदर गया, महक ने अपने पिता के दोनों गालों पर दो-दो थप्पड़ जड़ दिए। वह चौंक गया। उसने उसे अपने शरीर से दूर धकेल दिया और उठकर बैठ गई।
'साला, बेटीचोद, बहुत बड-बडा के कह रही हूँ, मत चोदो फिर भी लंड को चूत में घुसाने जा रहा है। सुंदरी का चूत समझ लिया है क्या...?” उसने लंड को पकड़ लिया जो अब पूरी तरह से लंगड़ा कर मुठ मार चुका था।
“अरे बोला ना, पहले मुझे किसी दूसरे से चुदवाने दो उसके बाद तुम भी चोदना और जिस से मन करे उस से मेरी चूत चुदवाना।”
उसने अपने पिता का सिर अपने स्तनों पर खींच लिया। मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है।
“ सोरी पप्पा,एक अच्छे लड़के की तरह मुझे चूसते रहो और सो जाओ। चलो मेरा धुध निकाल लो। मुझे दुहोना है तो दुहो।” उसने कहा और अपने पिता को बाहों में ले लिया और दोनों फिर से लेट गये। वह लंड का मुट्ठ मारती रही और अपने पिता से अपने स्तन चुसवाती रही उसने अपने पिता को ऐसे पकड़ रखा था जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है।
“जो चूसना है चूसो लेकिन लंड को चूत से दूर रखना, बाबूजी।” उसने अपने पिता को चेतावनी दी, “कोई और पूनम जैसी कुतिया मिलेगी, तो मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए ले आउंगी। और हां माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा है…। वरना मार डालेगी मुझे, वह आपसे ज्यादा प्रेम करती है। मजा आया ना बाबूजी मेरा चुतरस पि के! माफ़ करना बाबूजी लेकिन बाद में आपसे चुदवाउंगी यह मेरा पक्का वादा है। और शादी के बाद आपका बच्चा भी रख लुंगी लेकिन अभी माफ़ कर दो प्लीज़... । गांड का छेद से खेलो लेकिन मेरा कौमार्य थोड़े दिन के लिए रहने दो।”
मुनीम को भी याद आया की महक का माल भी बेचना है। मैत्री और फनलवर की रचना है।
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बने रहीये कहानी के साथ.................आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी....................
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