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Funlover

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बहुत शानदार अपडेट है ये । अब कुछ नए रंग दिख रहे है जिनसे नई कहानियां जन्म लेगी । विनोद अब महक से शादी करने को सोच रहा है मतलब एक तीर से दो निशाने लगाना चाहता है । गाँव की सबसे खूबसूरत लड़की उसकी बीवी बने और गाँव की सबसे खूबसूरत गदराई कामुक कामदेवी उसकी सासु बन जाए तो उसके दोनों हाथो में लड्डू आ जाये । इधर सुन्दरी अपने बेटे से अपनी चूत की खुजली मिटवा रही है साथ ही ये जायजा भी ले रही है कि परम खुद सुन्दरी जे अलावा किस किस का स्वाद ले रहा है ।
आपकी कहानी पढ़ने में मजा आ रहा है । अपडेट छोटा ही सही लेकिन रोजाना आ रहा है ये बहुत ही सुखद और सुकून भरा है ।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
जी बहोत बहोत धन्यवाद आपका।


जी बिलकुल आपने सही तरीके से तराशा है, परम, सुंदरी और विनोद अपने अपने तरीके से सोच रहे है, विनोद को दोनों लड्डू अपने हाथो में चाहिए जब की सुंदरी की क्या सोच है वह भी आगे हम जानेंगे।

अभी फिल्हात तो शुरुआत है इसलिए परम बेहतर है,हाँ अब हीरो है तो देखते है परम कितना आगे ह=जाता है और कौन कौन उसे मदद कर रहा है नयी चिडयाओ को पाने के लिए।

लेकिन उसके लिए आप बने रहे कहानी में

अब रही बात छोटे अपडेट्स की तो शायद आपकी बात सही है, दोनों एक ही जैसा है दोस्त, मैं एक बार में 2 से 3 हजार वर्ड्स लिखू और हर तीसरे दिन पोस्ट करू या हर रोज 1 हजार से 1500 वर्ड्स लिखू और हररोज पोस्ट करू, मुझे लगता है रोजाना सही रहेगा......लेकिन अगर रीडर्स कहेंगे तो मैं दूसरा ऑप्शन पर भी जा सकती हूँ।



शुक्रिया दोस्त
 

Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
जी बिलकुल कोशिश जारी है
 

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यह सुनकर महेक का पूरा बदन सिहर उठा और भाई से बिल्कुल चिपक गयी।

“नहीं, उसने अब तक इस पर हाथ भी नहीं लगाया..लेकिन तुमको तो पूनम खूब दबाने देती है ना..?” महक ने उत्तर दिया और जोड़ा।

“हट.... तुम ग़लत बोल रहे हो। लड़की जब जवान होती है तो उसकी चुचि अपने आप ही बढ़ने लगती है। मेरी चुचि तो अभी और बढ़ेगी। किसी के छूने से हो सकता है की जल्दी बढ़ जाए।” महेक ने मन ही मन कहा की तुम क्यो नही दबा रहे हो और फिर बिल्कुल चित लेट गयी।

महेक अचानक चित हुई थी और परम का हाथ सीधा महेक की एक चुचि पर रह गया। परम को बहुत अच्छा लगा और उसने हौले से चुचि को दबा दिया। भाई का हाथ चुचि पर पाकर महेक खुश हो गयी।

“भाई, तुमने कभी किसी की चुचि दबाई है? भाई, तुम तो पूनम की चूची खूब दबाते हो, कैसी है उसकी चूची...?" वह भाई से सराहना (appriciation) चाहती थी। महक अच्छी तरह जानती थी कि उसकी चूची पूनम से बड़ी और मांसल है...और भरी हुई है, शायद भाई मेरे इस गोलाई से आकर्षित हो के कुछ देर दबा के दे। थोडा मजा उन्हें और ज्यादा मजा मुझे आये।

“हा बस पूनम की वो भी ठीक से नहीं…तुम्हारे बोबले ज्यादा मांसल और बड़ी भी है…अच्छी गोलाई भी पकड़ ली है तुम्हारे इस बोबले ने...जिसे हर कोई दबाने और चूसने चाहेगा।”

बोलकर परम बहन की चुचि को हौले-हौले मसलने लगा। कभी एक चुचि को तो कभी दूसरी चुचि को। परम ने महसुस किया कि महक की चुची पानी से भरे गुब्बारे की तरह टाइट है जब सुंदरी के धइले स्पंजी (मुलायम) और गुदाज है।
“बहन, तुमने कभी नंगे आदमी को देखा है?”

“नही, भैया” महेक ने धीरे से कहा।

“कभी मन नही करता है?”

“जब सुधा अपनी नौकरानी और अपने पापा की बात सुनाती है तो मेरा भी मन करता है की कोई मुझे भी बाहों मे लेकर खूब मसले और चूमे। मेरे अंग-अंग को दबाए और तब तक दबाता रहे की मै थक ना जाऊ।”

महेक का इतना कहना परम के लिए खुला निमंत्रण था। परम झट से उठकर बैठा और दोनो हाथो से बहन को उठा कर बैठा लिया। महेक को ज़्यादा मालूम था। वो अपनी दोनो टांगे भाई के उगल-बगल रख कर उससे बिल्कुल सट गयी। महेक अपनी भाई के लंड पर बैठी थी। परम दोनो हाथो मे लपेट कर महेक को चूमने लगा। महेक ने भी पूरा साथ दिया। उसकी ताज़ी नोकीली निपल भाई के छाती से बिलकुट सटी हुई थी और नीचे कमर भी उचका रही थी। चूमते चूमते परम बहन को खूब ज़ोर से दबा भी रहा था जैसे की एक लड़की को नही किसी प्लास्टिक की गुड़िया को मसल रहा हो।

“और ज़ोर से दबाऊ? ” उसने बहन से पूछा।

“मुझे तोड़ डालो, मेरी चुचि को मसल-मसल कर चटनी बना दो। जहां मन करता है वहां मसलो खूब दबाओ, बहुत अच्छा लग रहा है।”

परम धइले (स्तन) को मसलता था तो कभी दोनो हाथो मे भर कर पूरी ताक़त से उसे जकड कर बहन की जवानी का मज़ा ले रहा था। लगता ऐसा था की आज ही महक के बोब्लो को अपनी माँ के जैसे बड़े कर देना चाहता हो।


“भाई अभी आपने कहा था की किसी पुरुष से धइले दबवाने से बड़े हो सकते है तो फिर बड़े करो मेरे भी। आपके हाथो से मेरे बोबले बड़े हो इस से ज्यादा और क्या चाहिए आपकी बहन को।“

“कपड़े उतार कर मसलने मे और भी मज़ा आएगा।”

“जो मन करता है करो, बस चोदना मत।”

परम ने फटाफट अपने कपड़े उतारे फिर बहन का फ्रॉक ओर पेंटी उतार दिया और फिर पहले की तरह दोनो चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। परम का तना हुआ लंड महेक के चूत पर दस्तक दे रहा था। महेक एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। परम का ध्यान बहन की चुचि से खेलने मे था। अब उसने निपल (डत्त्ती) को चूसना शुरू किया और उसके चिकने बदन को मसलता रहा।

महेक बहुत गर्म हो गयी थी औरऔर होना ही था पहली बार जो था, ज़ोर ज़ोर से लंड से अपने चूत को रग़ड रही थी। अचानक वो भाई से बिल्कुल चिपक गयी और सिसकारी मारते हुए कहा।

“मै…गयी…भैया” और ज़ोर से चूत का लंड पर धक्का मारा। परम के लंड का सूपड़ा बहन के चूत के अंदर चला गया। लेकिन तुरंत ही महेक को होश आया और उसने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया।

“ओह बहन, लंड बाहर क्यो निकाला अंदर जाने देती!”

महेक पैर फैला कर लेट गयी और कहा “आज बहुत मज़ा आया। पहली बार जवानी का मज़ा लिया है, और जाना की जवानी क्या होती है और अगर इतने से इतनी मजा आती है तो भाई का लंड कैसा मजा देगा। जितने दिन चूत को संभाल सकती हूँ संभालने दो फिर तो तुम्ही को अपनी बहन की सील तोड़नी है। वादा करती हू पहली बार तुम्हारे लंड को ही चूत के अंदर लुंगी और अपना शील आपके लंड को ही गिफ्ट करुँगी।”

महेक लंड को सहलाने लगी और कहा “साला कितनी जल्दी अंदर घुस रहा था, लगता है भूखा है। मै जल्द ही इसके लिए एक मस्त माल लाउंगी।”

परम भी बगल मे बहन के उपर झुक कर लेट गया। उसने बहन की चूत को सहलाया।

इतनी देर मे पहली बार उसने चूत को छुआ था। परमने चूत को सहलाते हुए कहा,

“सुधा कौन है? तुम उसके बारे मे क्या कह रही थी?”


अगले अपडेट तक आप यह कहानी के बारे में अपनी राय बताये ........आशा करती हु की यह पहला एपिसोड आपको पसंद आया होगा.....


बने रहीये मेरे साथ इस कहानी में ...............
Mast update. Kacchi jawani kaa majja mast hai.
 

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अब आगे.......



मोड़ पार करने के बाद महक ने विनोद को अपनी साइकिल के साथ खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। विनोद परम और महक के कॉलेज जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वह बिना किसी रुकावट के सुंदरी के साथ मज़े कर सके। लेकिन जब उसने देखा कि सिर्फ़ महक ही घर से बाहर आ रही है, तो वह उदास हो गया और उससे बचने की कोशिश करने लगा। लेकिन महक ने उसे नाम से पुकारा और उसे रुकना पड़ा।

"तु यहाँ क्या कर रहा है.." महक ने पूछा... ।

विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"

विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी।
मैत्री और नीता की रचना

अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!

महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।

उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।

वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।

“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,

“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”

“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”

दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था।
मैत्री और फनलवर की रचना

“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?

“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”

महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"

“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”

सुधा फुसफुसाई.

“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।

“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा

फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।

तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..

****

अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!

परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।

“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।

“बेटा, तू रेखा की गांड बहुत मार रहा है कि खाली गप्पा मार रहा है..?”
मैत्री और फनलवर की रचना

“तेरी चूत की कसम माँ, मैंने उसकी गांड एक नहीं दो नहीं कई बाद मारी है.. कल भी जब सेठानी ने मुझे इलाज भेजा तो मैं रेखा को लंड चुसवाने और गांड मारने गया था।”

“तूने उसे चोदा की नहीं…!”

परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।

परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।


“कल तो तुमने बड़ी बहू को चोद डाला!” मैत्री और नीता की रचना


आगे और भी है बने रहीये और अपनी कोमेंट देते रहिये...........


फिर मिलते है.......


। जय भारत
 
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