अब आगे.......
मोड़ पार करने के बाद महक ने विनोद को अपनी साइकिल के साथ खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। विनोद परम और महक के कॉलेज जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वह बिना किसी रुकावट के सुंदरी के साथ मज़े कर सके। लेकिन जब उसने देखा कि सिर्फ़ महक ही घर से बाहर आ रही है, तो वह उदास हो गया और उससे बचने की कोशिश करने लगा। लेकिन महक ने उसे नाम से पुकारा और उसे रुकना पड़ा।
"तु यहाँ क्या कर रहा है.." महक ने पूछा... ।
विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"
विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी। मैत्री और नीता की रचना।
अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!
महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।
उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।
वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।
“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,
“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”
“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”
दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था। मैत्री और फनलवर की रचना।
“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?
“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”
महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"
“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”
सुधा फुसफुसाई.
“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।
“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा
फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।
तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..
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अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!
परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।
“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।
“बेटा, तू रेखा की गांड बहुत मार रहा है कि खाली गप्पा मार रहा है..?” मैत्री और फनलवर की रचना।
“तेरी चूत की कसम माँ, मैंने उसकी गांड एक नहीं दो नहीं कई बाद मारी है.. कल भी जब सेठानी ने मुझे इलाज भेजा तो मैं रेखा को लंड चुसवाने और गांड मारने गया था।”
“तूने उसे चोदा की नहीं…!”
परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।
परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।
“कल तो तुमने बड़ी बहू को चोद डाला!” मैत्री और नीता की रचना।
आगे और भी है बने रहीये और अपनी कोमेंट देते रहिये...........
फिर मिलते है.......
।। जय भारत ।।