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Ashiq Baba

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कृपया करके विनोद और सुन्दरी की कामलीला एक बार और जल्दी करवाइए और अपडेट थोड़ा बड़ा और धमाकेदार और थोड़ा हार्डकोर बनाइए ।
ये एक रिक्वेस्ट है इसे दबाव मत समझियेगा । धन्यवाद ।
 
Last edited:

Ashiq Baba

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बहुत शानदार अपडेट है ये । अब कुछ नए रंग दिख रहे है जिनसे नई कहानियां जन्म लेगी । विनोद अब महक से शादी करने को सोच रहा है मतलब एक तीर से दो निशाने लगाना चाहता है । गाँव की सबसे खूबसूरत लड़की उसकी बीवी बने और गाँव की सबसे खूबसूरत गदराई कामुक कामदेवी उसकी सासु बन जाए तो उसके दोनों हाथो में लड्डू आ जाये । इधर सुन्दरी अपने बेटे से अपनी चूत की खुजली मिटवा रही है साथ ही ये जायजा भी ले रही है कि परम खुद सुन्दरी जे अलावा किस किस का स्वाद ले रहा है ।
आपकी कहानी पढ़ने में मजा आ रहा है । अपडेट छोटा ही सही लेकिन रोजाना आ रहा है ये बहुत ही सुखद और सुकून भरा है ।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
 

S M H R

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जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
Nice update
 

S M H R

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जय भारत के साथ..........


मोड़ पार करने के बाद महक ने विनोद को अपनी साइकिल के साथ खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। विनोद परम और महक के कॉलेज जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वह बिना किसी रुकावट के सुंदरी के साथ मज़े कर सके। लेकिन जब उसने देखा कि सिर्फ़ महक ही घर से बाहर आ रही है, तो वह उदास हो गया और उससे बचने की कोशिश करने लगा। लेकिन महक ने उसे नाम से पुकारा और उसे रुकना पड़ा।


"तु यहाँ क्या कर रहा है.." महक ने पूछा... । मैत्री और नीता की रचना

विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"

विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी।

अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!

महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।

उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।

वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।

“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,

“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”

“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”

दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था।

“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?

“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”

महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”

सुधा फुसफुसाई.

“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।

“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा

फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।

तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..

****

अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!

परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।

“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।

“बेटा, तू रेखा की गांड बहुत मार रहा है कि खाली गप्पा मार रहा है..?”
फनलवर और मैत्री की रचना

“तेरी चूत की कसम माँ, मैंने उसकी गांड एक नहीं दो नहीं कई बाद मारी है.. कल भी जब सेठानी ने मुझे इलाज भेजा तो मैं रेखा को लंड चुसवाने और गांड मारने गया था।”

“तूने उसे चोदा की नहीं…!”

परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।

परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।


“कल तो तुमने बड़ी बहू को चोद डाला!”


बस आजे लिए यहाँ तक ............आपके कोमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी


जय भारत
Mast update
 

prkin

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मोड़ पार करने के बाद महक ने विनोद को अपनी साइकिल के साथ खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। विनोद परम और महक के कॉलेज जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वह बिना किसी रुकावट के सुंदरी के साथ मज़े कर सके। लेकिन जब उसने देखा कि सिर्फ़ महक ही घर से बाहर आ रही है, तो वह उदास हो गया और उससे बचने की कोशिश करने लगा। लेकिन महक ने उसे नाम से पुकारा और उसे रुकना पड़ा।


"तु यहाँ क्या कर रहा है.." महक ने पूछा... । मैत्री और नीता की रचना

विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"

विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी।

अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!

महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।

उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।

वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।

“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,

“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”

“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”

दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था।

“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?

“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”

महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”

सुधा फुसफुसाई.

“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।

“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा

फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।

तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..

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अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!

परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।

“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।

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“तूने उसे चोदा की नहीं…!”

परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।

परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।


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विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"

विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी।

अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!

महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।

उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।

वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।

“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,

“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”

“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”

दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था।

“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?

“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”

महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”

सुधा फुसफुसाई.

“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।

“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा

फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।

तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..

****

अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!

परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।

“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।

“बेटा, तू रेखा की गांड बहुत मार रहा है कि खाली गप्पा मार रहा है..?”
फनलवर और मैत्री की रचना

“तेरी चूत की कसम माँ, मैंने उसकी गांड एक नहीं दो नहीं कई बाद मारी है.. कल भी जब सेठानी ने मुझे इलाज भेजा तो मैं रेखा को लंड चुसवाने और गांड मारने गया था।”

“तूने उसे चोदा की नहीं…!”

परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।

परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।


“कल तो तुमने बड़ी बहू को चोद डाला!”


बस आजे लिए यहाँ तक ............आपके कोमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी


जय भारत
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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कृपया करके विनोद और सुन्दरी की कामलीला एक बार और जल्दी करवाइए और अपडेट थोड़ा बड़ा और धमाकेदार और थोड़ा हार्डकोर बनाइए ।
ये एक रिक्वेस्ट है इसे दबाव मत समझियेगा । धन्यवाद ।

जी बिलकुल

आगे कोई ऐसा मौक़ा आएगा तो विनोद और सुंदरी की कामलीला लिखूंगी दोस्त

शुक्रिया दोस्त............
 
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