जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........
सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।
“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“
सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”
महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“
“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“
महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“
“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।
लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।
महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।
महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।
सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“
सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“
महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“
“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।
सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“
सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।
सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की। मैत्री और फनलवर की रचना।
“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”
परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''
परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”
“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।
सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“
मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”
ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।
दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“
“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई। मैत्री और फनलवर की रचना है।
महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....
आगे और भी है...............
आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:
।।जय भारत।।