sunoanuj
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chapter 31
सुबह होते ही काजल की नींद खुलती है काजल अपने आप को अभय के बाहों मे पूरी चिपके हुवे पाती है काजल देखती है उसका एक पैर अभय के ऊपर है सिन कुछ ऐसा था काजल के चूचे पूरा बदन यहा तक की काजल की चुत भी आयन के लंड से चिपकी हुई थी सुबह लरको का लंड खरा रेहता है लेकिन यहा तो दो रीजन थे पहला काजल की चुत की गर्मी अभय के लंड को मिल रही थी दूसरा तो नॉर्मल सुबह खरा रेहता ही है लेकिन इस बार काजल को अभय का लंड फिल होता है अपनी चुत मे तो काजल के रोम रोम काप् जाते है और सर्म से पानी पानी हो जाती है
बात ये थी अभय बेचारा तो सोया था लेकिन लिये अपने लंड पे उसका कंट्रोल रही था नही तो आयन ऐसा होने नही देता खैर काजल को रात कांड भी याद आता है तो सासे तेज हो जाती है
काजल अभय को देख मन मे - रात जो हुआ पता नही कैसे सब हुआ दूसरी अभय बेटा के बाहों मे सोने से मुझे अच्छी नींद और सुकून मिला मुझे समझ नही आ रहा सब क्या है
काजल अपने आप को अभय के बाहों से आजाद होके खरी होती है फिर अपने सुबह के काम पे लग जाती है
सुबह के 9 बज गये थे लेकिन अभय मजे से सोने मे लगा था काजल रेडी होने के बाद अभय को जगाने आती है
काजल अभय के सर को सेहलाते हुवे - अभय बेटा उठ जा सुबह के 9 बज गये है कब तक सोयेगा
काजल की मिठी आवाज अभय के कान मे जाती है तो अभय अपनी आखे खोलता है और सामने देखता है काजल को जिसे देख फिर अभय के अंदर कुछ होने लगता है
काजल पीली सारी पीली ब्लाउस के कयामत लग रही थी लेकिन अभय की नजर को अपनी बुआ के ब्लाउस मे कसे बरे चूचे और दो चूचे के बीच दरार मे ठीकी हुई थी ( अभय मन मे उफ बुआ एक दिन मेरी जान लेके रहेगी
काजल अभय की नजर को देख समझ जाती है अभय क्या देखने मे खोया है तो काजल सर्म से लाल हो जाती है
अभय बिस्तर से खरा होके काजल के पास जाता है और बाहों मे भर किस करना सुरु कर देता है काजल हैरान हुई अचानक से अभय को किस करता देख लेकिन काजल कुछ ना कहती है ना रोकती
plymouth church whittier
काजल खुद अभय का साथ देती है दोनो बुआ भतीजे सुबह सुबह का नास्ता होठो की रस मलाई से करना सुरु कर देते है 2 मिनट तक दोनो कोई कसर नही छोरते और जी भर के एक दूसरे का रस पीते है
अभय फिर किस तोर जल्दी से काजल के सीने से सारी हटा के काजल को बिस्तर पे बैठा के कमर पकर् काजल के गर्दन पे किस करना सुरु कर देता है काजल के मुह से सिसकिया निकलने लगती है अभय काजल के मुलायम कमर को पकरे किस कर रहा था वही काजल के बरे चूचे ब्लाउस मे कैद बाहर झाक रहे थे काजल के कमर चूचे हाय देखने मे क्या लग रहा थे
phantasmagoria poem
काजल कापते होठो से अभय बेटा मत कर अभी रेडी होके आई हु दूसरा कोई आ जायेगा उफ प्लेस रोक जा ना ( अभय गर्दन पे किस करते हुवे - बुआ बस एक मिनट प्यार करने दीजिये ( काजल बरी मुश्किल से अपने आप को काबू किये हुवे रहती है
अभय काजल को बिस्तर पे लेता कर बरे दोनो चूचे ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगता है और अपना मुह चूचे पे लगा देता है ये हमला काजल सेह नही पाती पूरा सरीर काप् जाता है और तेज सिसकिया तेज सासे लेने लगती है काजल अभय को दूर करते हुवे कापति आवाज मे बस बहोत हो गया
काजल अभय को दूर कर जल्दी से सारी सही बाल सही कर अभय को देख जाके नहा के तैयार हो जा
अभय अब होस मे आता है और सर्म से नजरे नीचे कर - जी बुआ
अभय चला जाता है और काजल बिस्तर पे बैठ तेज सासे लेते हुवे मन मे - ये लरका बहोत बिगर गया है कही भी कभी भी सुरु हो जाता है
अभय खेत से आके नहा के रेडी होता है ममता खाना निकाल अभय को देती है अभय बैठ खाना खाने लगता है ममता बैठी अपनी बेटी को लिये हुवे थी
ममता - तो अभी निकले गे या साम को
अभय ममता को देख - भाभी अभी ही निकलना होगा आपको पता ही ना अब कुछ दिन ही बचे है बहोत तैयार करनी बाकी है
ममता - हा बात तो सही कही आपने
अभय - वो तो है लेकिन आपको भाई फूफा सब को सादी से 2 दिन पहले आ जाना है जैसे भी हो
ममता मुस्कुराते हुवे - हा बाबा आ जाउंगी भला देवर जी की सादी मे कैसे मिस कर सकती हु
अभय मुस्कुराते हुवे - ये हुई ना बात
अभय का खाना पीना हो जाता है
अभय ममता के पास आके सत् के बैठ - भाभी फिर एक गीली किस्सी मिलेगी क्या
ममता अभय को देख सर्म से - देवर जी आपका हक नही है फिर भी एक बार आपको मेने दी लेकिन बार बार गलत है
तभी काजल अंदर आते हुवे - अभय बेटा खाना खा लिया तूने
अभय खरा होते हुवे - जी बुआ अब हमे निकलना चाहिये
काजल - हा मे भी रेडी हु ( काजल ममता को देख) बहु मे जा रही हु अपना बच्चे घर और सब का ख्याल रखना
ममता - जी मम्मी जी आप चिंता मत कीजिये
काजल -ठीक है चले बेटा
अभय ममता को देखता है फफिर- जी बुआ
अभय बैग लेके बाइक के आगे अच्छे से रख देता है फिर बाइक निकाल बैठ चालू करता है काजल भी बैठ जाती है ममता पास ही खरी थी
काजल ममता को देख - अच्छा बहु हम जाते है साम को फोन करुगी
ममता अभय को देखती है जो कान पकर इसारे से माफी मांग रहा था
ममाता - जी मम्मी जी आप आराम से जाये
काजल - ठीक है फिर चलो बेटा
अभय ममता को देख - भाभी अपना ख्याल रखना
ममता मुस्कुराते हुवे - आप अपना भी ख्याल रखना और फोन करते रहिये गा
अभय मुस्कुराते हुवे - जी जरूर
फिर अभय निकल परता है काजल पीछे एक तरफ पैर किये एक हाथ अभय के कंधे रखी बैठी थी काजल को अजीब खुशी एहसास फिल हो रहा था बाइक पे अभय के साथ जाने मे बैठने मे और सफर का मजा लेने मे
5 मिनट हो जाते है घर से निकले लेकिन अभय एक शब्द भी नही बोलता काजल अभय को बात ना करता देख समझते देर नही लगती अभय कियु बात नही कर रहा और कियु रूठा हुआ है
काजल अपनी बरी गांड को खिसका कर अभय से टच कर सत् जाती है अभय का लंड एक झकता मारता है कियुंकी औरत के गांड जान्धे बाकी सरीर से बहोत गर्म रहते है हमेसा और अभय को काजल के सरीर की गर्मी तो फिल हो ही रही थी लेकिन गांड की गर्मी बहोत जायदा फिल हो रही थी
काजल मुस्कुराते हुवे - मेरा भतीजा कियु रूठा हुआ इस लिये तो नही कियुंकी मेने सारी पहनी है सूट नही पहना
अभय रूठे आवाज मे - आपको जब पता था फिर फिर भी
काजल - माफ कर से ना बात ये है बेटे मे जायदा तर सारी पहनती हु आते समय तेरे कहने पे सूट पहना था जाते सुबह सारी पहनी थी फिर अगर सूट पेहन लेती तो बहु को अजीब लगता इस लिये समझ ना
अभय - अच्छा ठीक है लेकिन सफर का मजा खराब हो गया मेरा
काजल मुस्कुराते हुवे - उसके लिये माफी
काजल को पता नही क्या सूझता है थोरा घूम अपने चूचे आयन के पीछे कस के दबा देती है अभय बेचरा एकदम से हैरान हो जाता है लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे चूचे को फिल कर मजे लेता है
काजल फिर सीधा होके बैठ जाती है और सर्म से लाल हुवे थी
अभय मुस्कुराते हुवे - बुआ आप बहोत अच्छी है और आपके बरे मुलायम चूचे भी
काजल अभय के पीट पर मारते हुवे शर्मा के - कितना गंदा बोलता है
अभय हस्ते हुवे - सच ही तो कहा वैसे बुआ सच मे आपके चूचे बहोत बरे बोल टाइट है मे हैरान हु इस उमर मे भी आप फिट है
काजल और सर्म से पानी पानी हो जाती है
काजल सर्म से - बस कर अजीब लग रहा है
अभय के घर
मिनीता आसा कमरे मे बाते कर रहे थे
मिनीता - दीदी मुझे लगता है अभय ननद जी घर से निकल गये होगे
आसा - हा रे निकल गये है लाला ने फोन कर बताया था
मिनीता हस्ते हुवे - ऐसा ना हो आपका लाला ननद जी को किस करता हुआ लेत आये
आसा हस्ते हुवे - ये तो वो दोनो ही जाने लेकिन जहा तक मुझे पता है लाला किस बिना रहा तो नही होगा
मिनीता हस्ते हुवे - दीदी ये भी कोई कहने की बात है अभय बेटा बिना किस के रहे हो नही सकता
आसा मुस्कुराते हुवे - हा वैसे भी ननद जी बहोत अच्छी है अभय को प्यार भी बहोत करती है
मिनीता - आपने बात तो सही कही लेकिन हम भी अभय बेटे से बहोत प्यार करते है
आसा मुस्कुराते हुवे - हा जानती हु किस्मत वाला है मेरा लाला जिसे तुम लोगो का प्यार मिलता है
मिनीता - ऐसी बात नही है दीदी वो है की कितना अच्छा कोई भी उससे घुल मिल जाता है
आसा - हा ये तो है
अदिति अंदर आते हुवे - मा भाई को फोन करू निकले की नही
मिनीता अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - कियु एक दिन भी भाई के बिना नही रहा जाता क्या
अदिति आसा के पास बैठ मुस्कुराते हुवे - एक दिन बहोत है एक पल भी भाई को देखे बगैर रेह नही पाती लेकिन क्या करू हमेसा मेरे नजरो के सामने रेह तो नही सकते ना
मिनीता मुस्कुराते हुवे - अच्छा ऐसी बात है लेकिन जब तेरी सादी होगी फिर मा भाई भाभी को छोर कर जाउंगी तो कैसे रहोगी
मिनीता कि बात अदिति के दिल मे हचल मिठा दर्द पैदा कर देती है लेकिन अदिति इस फीलिंग दर्द को समझ नही पाती
अदिति मिनीता को देख मुस्कुराते हुवे - मे सादी नही करुगी अगर मा भाई ने फोर्स किया तो घर जमाई लेके आउंगी
अदिति मन मे - घण्टा भाई को छोर जाउंगी ही नही सादी बिना भी जिंदगी जी जा सकती है
मिनीता हस्ते हुवे - हा ये हो सकता है घर जमाई ला सकती हो लेकिन सादी करनी ही परेगी कियु दीदी
आसा अदिति को देख - मेरी बच्ची जो चाहेगी वही होगा मे अपनी लाडली को किसी चीज के लिये दबाव नही डाल सकती
अदिति आसा के गले लगते हुवे - मेरी प्यारी अच्छी मा
मिनीता सब देख - दीदी मे समझ रही हु आपके सब के बीच कियु इतना गहरा प्यार है आपने सब को प्यार से पाला है और किसी चीज के लिये फोर्स कभी नही क्या ना कोई बातो पे किसी को डाटा है
आसा मुस्कुराते हुवे - हा सही कहा बच्चे मेरी जान है मे कैसे अपने बचें पे गुस्सा कर सकती हु मारना तो दूर की बात है
मिनीता - मेरे भी दो बच्चे है लेकिन सब अपने मे लगे रहते है लेकिन आपका लाडला है जो आपसे चिपका रहता है
आसा मुस्कुरा देती है
दिशा के घर - एक कमरे मे
पूजा गुस्से से - दीदी इस बार जब भी जीजा जी आयेगे देखना अपना बदला लेके रहूगी मेरे बम का दम निकाल दिया मार के ऐसा कोई करता है क्या
दिशा जोर जोर से हस्ते हुवे - मेरी छोटी बेहना मुझे लगता है तुम जान बुझ कर उनसे लरने जाती हो जब भी मुझसे मिलने आते है तुम टपक परती हो तो गुस्सा आ जाता है
पूजा मुह बनाते हुवे - मे कियु लरने जाऊ भला पता नही ठरकी जीजा से आपको इतना प्यार कियु है
दिशा पूजा को देख - सच पता तुझे जीजा अच्छे लगते है या बुरे
पूजा दिशा को देख - बहोत बुरे ठरकी लगते नही है दीदी
दिशा - अच्छा अगर ऐसा है तो तुम कहोगी तो मे इस सादी को तोर देती हु
पूजा हैरान दिशा को देख - अरे दीदी सादी तोरने की क्या जरूरत है ठरकी है लेकिन थोरा अच्छे भी है
दिशा पूजा को देख मन मे - पागल दिखाती है जैसे उनको पसंद नही करती लेकिन अंदर मे बहोत पसंद करती है
नोट - पसंद प्यार वाला नही एक अच्छे इंसान वाला पसंद
मधु सिला - खेत मे
सिला घास काट रही थी मधु बैठी हुई थी
सिला मधु को देख मुस्कुराते हुवे - आज भाई नही आने वाला था इस लिये मेरे साथ आ गई है ना
मधु मुस्कुराते हुवे - आपने सही कहा बुआ को लेके आ रहे है तो 11 या 12 बज ही जायेंगे ऐसे मे साम को ही मिलने आयेगे
सिला मुस्कुराते हुवे - हा तेरा केहना सही है
मधु मुस्कुराते हुवे - भाई आयेगे तो कहूगी भूमाने लेके जाये
सिला हस्ते हुवे - अच्छा जी घूमने जाना है
मधु - हा जाउंगी वैसे भी भाई ने वादा क्या है
सिला - ओ ऐसा क्या ये तो अच्छी बात है
मधु सिला को देख - उन्होंने तो कहा था एक किसी दिन आपको भी अकेले घुमाने लेके जायेंगे
सिला सर्म से - अच्छा मा हु तो लेके जायेगा ही ना
मधु मुस्कुराते हुवे - हा भाई के हॉट मा है आप
सिला हैरान मधु को देख सर्म से - बहोत मारुगी शैतान
मधु जोर जोर से हसने लगती है
रोड से ठोरी दूर ही मधु अपनी मा के साथ खेत मे थी रोड साइड एक पेर के नीचे 2 लरके खरे मधु को देख रहे है
लरका 2 - भाई यार कब तक ऐसे ही देखते रहोगे
लरका 1 - मोक्के का इंतज़ार कर रहा हु मुझे पता नही था यहा आने के बाद मुझे करक माल दिख जायेंगी
लरका 2 - कियु आपके गाव मे कोई मधु जैसी माल नही है क्या
लरका 1 - नही है रे कल ही मेने इसे साम को घर के बाहर देखा था कसम से साली को देखती ही मेरा लंड फन फन करने लगा अभी जवान हुई है लेकिन साली कि बॉडी हाय बरे चूचे सूट के अंदर दबे थे लेकिन चूचे का उभार साफ बता रहा था कितना टाइट बरे चूचे है मधु के और कमर गांड जब चल रही थी तो हाय दाय बाय हिल रहे थे
लरका 2 - लेकिन आप आगे करने क्या वाले है
लरका 1 - पहले प्यार मे गीराऊगा नही मानी तो खेत मे ही रेप कर दुगा
लरका 2 समझ गया लेकिन उसके घर कोई एक लरका आता जाता है
लरका हैरान गुस्से से - कोन है वो सा....
आगे कुछ केहता पेर से कोई नीचे आके सीधा एक लात लरका 1 को मारता है लरका वन धराम से नीचे गिरता है और दर्द मे चीख मारता है
लरका 1 हैरान सामने देखता लरका 2 भी दर्द मे पीछे मूर देखता है सामने कोई था जिसका चेहरा मास्क से ढका हुआ था कपड़े मास्क सब काले थे हाथ मे एक कंजर लेकिन गोर से देखने मे पता चलता h ही वो एक लरकी है दोनो लरके लरकी को इस तरह काले कपड़े मे हाथ मे खंजर देख डर से कापते हुवे - तुम कोन हो कियु मुझे मारा
dark poems about depression
लरकी खंजर लिये दोनो लरके को गुस्से मे देख - जिस लरकी के बारे मे तुम लोग गंदे बाते कर रहे थे वो मेरी मैडम है और जिस लरके को तुम गाली लेने वाले थे वो मेरे बॉस है कमीने
लरकी तेजी से जाके दोनो मे एक एक पंच पेट मे जोर से मारती है दोनो लरके पेट पकरे दर्द मे घुटने मे आ जाते है और दर्द से चीलाने लगते है लरकी दोनो के पास बैठ - सांत नही तो गला काट दुगी
दोनो लरके डर से चुप हो जाते है लेकिन सरीर थर थर काप् रहा था
लरकी आगे पीछे देखती है कोई आ तो नही रहा जब कोई दिखाई नही देता तक लरकी दोनो को देख मुस्कुराते हुवे एक लरके के मुह बंद कर उंगली को मरोरने लगती है लरके को जान निकलने वाली दर्द होता है लेकिन आवाज दब कर रेह जाती है लरका छतपटाने लगता है पैर जोर जोर से मारने लगता है लेकिन लरकी के पकर से छुट नही पाता बस दर्द मे तरपता रोता रेह जाता है
लरकी दूसरे लरके को मुस्कुराते हुवे देख - भागने की गलती मत करना नही तो मारे जाओगे
लरका 2 की हालत देख लरका 1 डर से कापते हुवे पैंट मे मूत देता है
लरकी लरका 2 को देख - छी कितनी गंद फैला दी तुम से
लरकी लरके 1 की उंगली तोरती नही बस दर्द देती हो बेहइंतिहा दर्द और लरका 2 कापते हुवे देखता रेह जाता है 5 मिनट बाद
लरकी लरका 2 के उंगली को छोर - मुह से हाथ हटा रही हु याद रखना चु की आवाज भी निकली जान से मार दुगी
लरकी लरके के मुह छोर देती है लरका दर्द मे उंगली को पकरे आसु बहाये जा रहा था
लरकी दोनो को देख - याद रहे आज दर्द दिया है लेकिन अगली बार मेरे मैडम के पास पास दिखे जान से मार दुगी दूसरा किसी को बताना भी मत अब भागो यहा से
लरकी के कहती ही दोनो लरके तेजी भाग निकलते है डरे इतने थे कि पीछे देखते भी नही
लरकी दोनो लरके को भागते देखती है फिर मधु को देख मुस्कुराते हुवे एक चलाग् मार पेर के ऊपर एक जगह छुप के बैठ मधु पे नजर रखने लगती है
अभय काजल
काजल आगे देखती है वही जगह जिस दिन आते वक़्त काजल को कुछ लरके गंदे कोमेंट कर रहे थे और अभय ने पीटा था
काजल - बेटा आगे उस पेर के पास बाइक रोक दो
अभय हस्ते हुवे - कियु फिर खेत मे जाना है किया
काजल सर्म से अभय को मारते हुवे - कितना बिगर गया है
अभय मुस्कुराते हुवे पेर के छाव मे बाइक रोक देता है काजल बाइक से उतर पेर के नीचे बैठ जाती है
पेर के चारों तरफ दीवार बना के मिट्टी डाल पलस्तर किया गया था तो उचाई जन्धो तक थी काजल साइड मे पैर नीचे कर बैठी हुई थी
अभय बाइक लगा के काजल के पास बैठ - क्या बात है खेत मे नही जाना
काजल अभय को शर्मा के - बहोत मारुगी मे बस थोरा इस खोले गजह का मजा लेना चाहती हु
अभय काजल को देखता है फिर - मुझे पता है आपकी लाइफ सुरु से बच्चो के पालने बरा करने सादी करने से लेकर अब तक आप सिर्फ घर मे ही रही घर है बाहर घूमने का मोक्का नही मिला होगा
काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - सही कहा इसी लिये तेरे साथ इस सफर मे मुझे बहोत अच्छा और मजा आता है जैसे मे आजाद हु दिल मेरा भी करता था कई घूमने जाऊ अच्छी जगह पे घुमू मजे करू खूबसूरत जगह का आंनद लू लेकिन अब उमर गई मेरी
काजल दुखी हो जाती है
अभय काजल को दुखी देख अच्छा नही लगता है
अभय को देख - बुआ आप मेरी गोदी मे आके बैठ जाइये
काजल सर्म से आगे पीछे देख - कोई देख लेगा
अभय - बुआ इस रास्ते से बहोत कम लोग आते जाते है अगर कोई आया तो उठ जाना
काजल सर्म से खरी होके अभय के तरफ अपनी बरी फैली गांड कर अभय के गोद मे बैठ जाती है काजल के बैठते ही अभय को अपने लंड जन्धो पे काजल की चुत गांड जन्धो की तेज गर्मी फिल होती है तो अभय का लंड कई बार झटका मारता है
अभय काजल को बाहों मे कस - बुआ मेरी मा का भी यही है रही बात उमर जाने की तो किसने कहा अभी भी आज बहोत जवान थे कसम से मे सिर्फ रुका हु सादी तक उसके बाद मे पहले हि प्लान किया है मा दिशा सब के साथ 1 महीने के लिये हरे भरे पहार् बहती नदिया हरे भरे बरे जंगल कहा सिर्फ सांति सुकून होगा वहा कैम्प करने जाउंगा ताकि सब नेचर का खूबसूरत वादियों का सुकून सांति का मजा ले सके दूसरी आप भी मेरी मा के बाद बेस्ट प्यार देने वाली दूसरी है तो मे वादा करता हु आपको भी हर खूबसूरत अच्छी जगह घुमाउग
अभय की बात सुन काजल इमोसनल होके अभय की तरफ देख - सच केह रहा है
अभय काजल के गाल सेहलाते हुवे - आपकी कसम बुआ आपने मुझे वो सब करने दिया जो कोई करने नही देता और मुझे भी आपके साथ बात करना मस्ती करना प्यार करना बहोत अच्छा लगता है
काजल खुश भी होती है और बहोत शर्मा भी जाती है
अभय धीरे से काजल के चूचे पे हाथ रख दबाने लगता है काजल एकदम से सिसक् परती है मचल उठती है अभय पुरे चूचे को पकर नही पा रहा था जितना पकर पा रहा था दबाने लगता है काजल कापते हुवे सिसकिया लेते हुवे - बेटा मत कर ना कोई देख लेगा मान जा
अभय काजल के कान मे - घर जाने के बाद मुझे आपके चूचे मुह मे लेके पीना है पिलाऊँगी ना बुआ
काजल हैरान होती है लेकिन फिर भी मना नही कर पाती काजल के गांड अपने अपने आगे पीछे होने लगते है यानी की काजल कि बॉडी खुद चलने लगती है काजल गांड आगे पीछे कर अभय के लंड पे अपनी चुत रगरने लगती है
अभय - बोलिये मा बुआ
काजल मदहोसि मे सिसकिया लेते हुवे - ठीक है बेटा अब छोर दे मेरे चूचे को
अभय धीरे से - एक सवाल जब मे आपके चूचे को दबाता हु तो ये टाइट कियु हो जाते है
काजल पूरी मदहोसि मे गुम - आह बेटा मुझे नही पता अब जाने छोर से
अभय -ठीक है छोर दुगा लेकिन अभी मुझे आपके चूचे देखने है
काजल सिसकिया लेते - रात को देखा तो था
अभय काजल के चूचे दबाते हुवे - रात को अच्छे से नही दिखा अंधेरा था
काजल अपनी गांड उठाते हुवे मदहोसि मे - ठीक है दिखा दुगी अब छोर दे दर्द हो रहा है
अभय काजल के चूचे छोर देता है काजल कापते पैरों के साथ खरी होती है और अभय की तरफ देख शर्मा के नजरे नीचे कर ब्लाउस से दोनो चूचे बाहर निकाल देती है
अभय काजल के पास आके गोर से काजल के चूचे को देखते हुवे मन मे उफ कितने बरे है मुह मे लेके चूस कर पीने मे मजा आयेगा आह सोच कर ही कुछ हो रहा है मुझे ( अभय काजल के निपल को पकर दबा देता है काजल तेज सिसकिया लेती है फिर जल्दी से चूचे अंदर कर सर्म से लाल नजरे नीचे किये ( मे खेत से आती हु) haste हुवे मे चलु क्या
काजल से - कोई जरूरत नही है बेशर्म कही का
काजल तेजी से खेत मे पीछे जाके चारों तरफ देखती है फिर सारी उठा के टांगे फैला बैठ तेज धार मारती है सुई की आवाज तेज से गुजने लगती है पिसाब करने के बाद काजल अभय के पास आती है
काजल शर्मा भी बहोत रही थी अभय काजल के कमर पकर सीने से सता के काजल के चेहरे को प्यार से पकर आखो मे देख - आपका ये खूबसूरत चेहरा आपका ये सर्माना आपकी ये अदा कसम से बुआ मेरे दिल की धरकन तेज कर देती है
काजल अभय को देख शर्मा के - बेटा तेरी ऐसी बाते सुन मुझे अजीब का फिल होता मेरी धरकन भी तेज हो जाती है तेरी मस्तिया बाते हरकते तेरे साथ वक़्त बिताना मुझे भी बहोत अच्छा लगता है दोनो एक दूसरे को प्यार से देखते है
फिर दोनो के होठ आपस मे मिल जाते है दोनो एक दूसरे को बाहों मे पकरे जोरों सोरों से एक दूसरे का रस पीना सुरु कर देते है दो मिनट बाद दोनो के होठ अलग होते है
काजल अभय को देख सर्म से - बेटा अब चलना चाहिये
अभय मुस्कुराते हुवे - ये बताइये रस पीने मे कितना मजा आता है
काजल अभय के कान मे धीरे से - इतना की दिल करता है पीती रहु
अभय मुस्कुरा देता है अभय फिर बाइक चालू करता है काजल बैठ जाती है अभय को पकर अभय फिर घर की तरफ निकल परता है
10 बजे निकले थे 12 बजे घर पहुँचते है
अभय काजल घर के अंदर जाते है अदिति आसा अभय काजल को देख बहोत खुश होते है
आज के लिये इतना ही![]()
बहुत ही गरमा गरम अपडेट है !