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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

ajay bhai

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chapter 32

अभय काजल घर आते है आसा अदिति अभय को देख खुश होके गले लगा लेते है पर काजल खरी सब देखते हुवे

काजल हस्ते हुवे - भाभी आपका लाला एक दिन के लिये ही गया था लेकिन आप मिल ऐसे रही है जैसे एक साल बाद आया हो

आसा काजल को देख मुस्कुराते हुवे - एक दिन एक पल लाला को देखे बिना रहना मुश्किल है
अदिति - हा मा ने कही कहा

काजल सभी को देख मुस्कुराते हुवे - हर बार आप लोगो के बीच प्यार देखती हु तो हैरान हो जाती हु

आसा काजल को देख - अरे करी कियु है चलिये बैठ कर बाते करते है
काजल मुस्कुराते हुवे - नही भाभी पहले सभी से जाके मिल लेती हु साम को आउंगी तो देर तक बाते करेगे

आसा मुस्कुराते हुवे - चलो ये भी अच्छा है

काजल अभय को देख - बेटा चल ना मेरे साथ थोरि देर मे आ जाना
अदिति काजल को देख हस्ते हुवे - बुआ भाई आपको लेने गये लेकर आये फिर यहा से घर भी छोरने जाये
काजल अदिति को देख - हा तो क्या बुआ भी इतना तो करना परेगा
आसा हस्ते हुवे - ठीक है भाई अभय बेटा जाओ बुआ के साथ

अभय मुस्कुराते हुवे - जी मा

काजल अभय घर से बहार निकल मिनिता के घर की तरफ चल देते है अभय काजल के एक उंगली पकर चलने लगता है काजल हैरान अभय को अपनी उंगली पकर चलता देख मुस्कुरा देती है

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - बुआ आते टाइम बहोत मजा आया
काजल सब सीन याद कर सर्म से लाल होके - बेशर्म

अभय काजल मिनिता के घर आते है मिनिता काजल को देख बहोत खुश होती है दोनो गले मिलने लगते है लेकिन अभय मिनिता को देख आख मारता है तो मिनिता हैरान सर्म से लाल हो जाती है

मिनिता काजल को देखते हुवे - ननद जी गई और आ भी गई लगता है अब अपने घर दिल नही लग रहा
काजल हस्ते हुवे - भाभी ऐसा नही है हा ये सच है यहा ज्यादा मजा आता है उसके अलावा ( अभय को देख) भतीजे की शादी मे सुरु से अच्छे से देखना चाहती हु
मिनिता अभय को देख मुस्कुराते हुवे - हा ये भी सही है

अभय मिनिता को देख - विजय बंदरिया दिख नही रहे कहा है दोनो

मिनिता मुस्कुराते हुवे - कोमल दोस्त के यहा गई है विजय पता नही कहा गया है
अभय - अच्छा

काजल - मे थोरा फ्रेस् होके आती हु

काजल चली जाती है काजल के जाते ही मिनिता अभय को देखती है अभय मिनिता के पास जाके बाहों मे भर आखो मे अभय के दोनो हाथ मिनिता के पीछे गांड से थोरा उपर था दोनो की बॉडी एक दूसरे से चिपकी हुई थी अभय मिनिता के कमर कस्ता है
अभय जब ऐसा करता है तो मिनिता के चुत अभय के लंड से पूरा चिपक जाती है और अभय मिनिता की फूली गर्म चुत के गर्मी का एहसास फिल करने लगता है

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कमाल की बात ये थी मिनिता भी खुद अपनी पूरी बॉडी अभय के बॉडी से चिपका देती है बीच मे हवा भी पास नही कर सकती थी दोनो एक दूसरे के बॉडी को गर्मी को अच्छे से फिल कर पा रहे थे मिनिता के चूचे अभय के सीने से पूरे चिपक फैल गये थे दोनो की आखे एक दूसरे को देखने मे लगी थी मिनिता सोच रही थी एक दिन अभय नही था तो वो बेचैन हो गई थी लेकिन अब उसकी बाहों मे आके उसे बहोत अच्छा सुकून मिल रहा उसके साथ ये क्या हो रहा है कियु
अभय मिनिता के आखो मे देख आपको बहोत मिस किया
मिनिता सर्म से अभय को प्यार से देख - मेने भी
अभय मिनिता के कान मे - बुआ जल्दी आ जायेगी चलिये ना अपना कोटा फुल कर लेते है
अभय की बात मिनिता के शरीर मे सिहरन पैदा कर देती है मिनिता सर्म कापते होठो से - हा हा ठीक है

हा सुनते ही अभय के एक साइड आके अपना एक हाथ मिनिता के कमर से सेहलाते गांड से होते हुवे गांड के थोरा नीचे रुक जाता है दूसरा हाथ मिनिता के पीट पे रख एकदम से मिनिता को गोद मे उठा लेता है मिनिता हैरान सर्म से पानी पानी हो जाती है अपने आप को इस तरह अभय के गोद मे उठाये जाने और अभय के गोद मे मिनिता को जो फिल एक अलग एहसास को मिनिता समझने मे लगी थी

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मिनिता अभय की गोद मे थी और मिनिता की बरी फैली गांड झूल रही थी सीन बहोत रोमांटिक के साथ बहोत कामुक् भी था दोनो की आखे मिलती है लेकिन दोनो आखो हि आखो मे एक दूसरे को समझने जानने की कोसिस कर रहे थे की वो क्या कर रहे है किस तरफ जा रहे है लेकिन उसी के साथ दोनो इस पल का मजा भी ले रहे थे मिनिता एक हाथ अभय के गर्दन मे डाले अभय को देखने मे खोई थी अभय भी दोनो एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे एक साल बाद दोनो मिले हो

अभय मिनिता को गोदी मे उठाये कमरे मे लेके आता है और आराम से मिनिता को नीचे उतार फिर से बाहों मे कस लेता है मिनिता भी खुद अभय के चिपक जाती है फिर दोनो एक दूसरे को बिना कुछ बोले देखने मे लग जाते है

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दोनो की आखे एक दूसरे से जैसे बाते कर केह रही हो अब आगे किया फिर क्या था दोनो की आखे एक दूसरे को बताती है आगे किस करना है तो दोनो के होठ एक दूसरे के करीब जाने लगते है और मिलते ही

दोनो एक दूसरे पे टूट परते है एक दूसरे के होठो का रस चूस चूस कर पीने लगते है मिनिता मन मे रस पीते हुवे -एक दिन अभय बेटा नही था मेने अभय बेटा के होठो का रस नही पिया लेकिन आज पी रही हु तो मुझे और भी मिठा स्वाद लग रहा है मेरे दिल को सुकून मिल रहा है जैसे मेरा दिल इसी के लिये बेचैन था उसे यही चाहिये था

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अभय मिनिता के गांड के थोरा उपर एक हाथ दबाता है ताकि मिनिता की चुत अच्छे से उसके लंड से चिपक जाये अभय हैरान तक होता है जब मिनिता खुद अपनी कमर गांड आगे कर अपनी चुत अभय के लंड से चिपका देती है ये तो अच्छा था अभय अपने लंड को काबू मे रखा था नही तो मिनिता अपने के तगरे मोटे लंड फिल डर से भाग जाती 3 मिनट तक किस करने के बाद दोनो अपने गिले लार से सने होठ अलग कर एक दूसरे की आखो मे देखते है

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मिनिता जायदा देर अभय की आखो मे दे देख नही पाती और सर्म से नजरे फेर दूसरी तरफ देखने लगती है अभय मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे धीरे से कान मे - अब मुझे सुकून मिला ऑन्टी
मिनिता कापते हुवे सर्म से - वो मुझे भी


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तभी कल चलने की आवाज सुनाई देती है तो दोनो समझ जाते है काजल आ गई है तो मिनिता जल्दी से सारी बाल सही करती है और आईने के पास जाके जो लीबिस्टिक अभय चूस कर खा गया था फिर से लगा लेती है फिर दोनो आराम से बैठ बाते करने लगते है जैसे कुछ दोनो मे क्या ही नही

काजल अंदर आते हुवे दोनो को देख - अच्छा यहा हो
काजल फिर अभय के पास बैठ जाती है फिर तीनों के बीच बाते सुरु होने लगती है

मिनिता काजल को देख हस्ते हुवे - ननद रानी अभय बेटा आपको ले गया ले आया ये मत केहना फिर आप जायेगा तो अभय बेटे के साथ ही जायेगी या नंदोई जी सब के साथ जायेगी

मिनिता की बात सुन काजल अपनी नजरे नीचे कर अभय को देखती है अभय काजल के गोद मे लेता था अभय भी काजल की आखो मे देखता है

काजल मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - जाहिर है अभय बेटा हि मुझे छोरने जायेगा ( काजल अभय को देख)कियु अभय बेटा सही कहा ना
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल बुआ

मिनिता हस्ते हुवे - ननद रानी अभय बेटा शादी के बाद तुरंत बाहर कैसे निकल सकता है
काजल मुस्कुराते हुवे - हा पता है लेकिन मे कुछ दिन और रुकूगी फिर जाउंगी

मिनिता हैरान काजल को देख - लगता है नंदोई जी को अब अकेले सोने की आदत डालनी परेगी

काजल सर्म से - भाभी आप भी ना
मिनिता अभय को देख - तो कर शोपिंग करने जाना है खरीदारी शादी की बाकी है ना
अभय मिनिता को देख - हा लेकिन कल जायेंगे सब खरीदारी कर के आयेगें
काजल - बहोत अच्छा रहेगा अब से कुछ दिन ही बचे है

20 मिनट बाते करने के बाद अभय दोनो को देख - अब मे जाता हु
काजल मिनिता - ठीक है बेटा

अभय घर के लिये निकल परता है काजल मिनिता कुछ देर बाते कर अपने कमरे मे लेत आराम करने लगते है

मिनिता अभी जो हुआ एक एक पल मोमेंट को याद कर सर्म से लाल हुवे जा रही थी और उसी के साथ ये समझने कि कोसस कर रही थी अभय के साथ उसकी बाहों मे उसकी हरकत प्यार से उसे इतना सुकून मजा कियु आता है कियु

काजल भी सेब वही सोच बिस्तर पे सर्म से लाल हुवे परी थी


अभय घर आता है और सीधे मा के कमरे मे जाता है तो अभय देखता है आसा अलमारी खोले खरे कुछ कर रही थी लेकिन आसा बैक साइड से कयामत लग रही थी आसा के दूध जैसे पीठ कमर बरे गांड जो बाहर निकले हुवे थे ये सीन किसी के लंड को झटके मारने मे मजबूर कर देगा लेकिन ये सीन देखने वाला अभय था

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अभय अपनी मा को उपर से नीचे तक अच्छे से देखता ही फिर धीरे धीरे जाके आसा के पास आ जाता है आसा को एहसास हो जाता है अभय उसके पीछे है तो आसा मुस्कुराती है और अंजान बनने का नाटक करती है

अभय आसा से पूरा चुपक् जाता है पीछे से आसा सिहर उठती है लेकिन फिर भी सांत रहती है अभय पूरा चिपका था और आसा के बरे बाहर निकले गांड अभय को अच्छे से फिल हो रहा था उसकी मा की गांड कितनी बरी फैली गर्म है लेकिन अभय गंदा नही सोच पाता

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अभय अपना एक हाथ आगे ले जाने कमर पे रख सेहलाते हुवे गहरी ढोरी की तरफ ले जाने लगता है अपने बेटे के ऐसी हरकत अपने कमर पे हाथ चलता फिल कर आसा की मुठी कस जाती है उसी के साथ आसा के मुह से एक कामुक् सिसकिया फुट परती है आह उफ़ आसा की सासे तेज हो जाती है रोये खरे

तभी आसा पीछे मूर अभय को देख मुस्कुराते हुवे - मेरा प्यारा लाला
अभय अपनी मा की कीचनी कमर को एक हाथ से पकर बाहों मे लेके आखो मे देख - मेरी प्यारी डार्लिंग मा आपको कब कैसे पता चला मे आया हु

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आसा अभय की आखो मे प्यार से देख - लाला तु मेरा बेटा है 9 महीने पेट मे रखने के बाद जब तुम इस दुनिया मे तब से मेने तुझे सीने से लगाये आज तक रखा है इस लिये मेरे रोम रोम हर अंग मेरे दिल को जब तुम मेरे करीब होते हो तो पता चल जाता है तुम मेरे पास हो

अभय अपनी मा के होठो के पास अपना होठ लाते हुवे - आपके रोम रोम हर अंग को कैसे पता चल जाता है जब मे आपके पास होता हु तो
दोनो मा बेटे के चेहरे होठ करीब थे दोनो की गर्म सासे एक दूसरे से टकरा रही थी आसा अभय दोनो एक दूसरे से आखे मिलाते है

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आसा तेज बेचैन सासे लेते हुवे थोरि कापति आवाज मे - कियुंकी तेरी हरकत जो तु मेरे साथ हर वक़्त करता है इस लिये मेरे रोम रोम हर अंग दिल तेरी हरकत से अच्छे से वाक़िफ़ है इस लिये पता चल जाता है ( अभय आसा की आखो मे देख - अच्छा ये बात है) फिर दोनो एक दूसरे की आखो मे देखते रहते है

आसा अभय मा बेटे के दोनो दिल क्या चाहते है एक दूसरे से अच्छे से जानते थे तो दोनो के होठ एक दूसरे के करीब आके मिल बाते हो

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दोनो एक दूसरे के होठ मुह मे लेके एक छोटा किस करते है अभय तो गीली किस्सी करना चाहता था लेकिन अपनी मा के बातो का मान रखते हुवे पीछे हट जाता है

अब जाके आसा अभय होस मे आते है

अभय मुस्कुराते हुवे आसा को देख - मा मुझे आपकी एक सेक्सी पोस मे देखना है जैसे मॉडल करते है

आसा हैरान सर्म से अभय को देख - लाला ये क्या है मुझसे नही होगा मुझे तो पता भी नही कैसा सेक्सी पोस् होता है या करते है

अभय आसा के थोरा पास आके मुस्कुराते हुवे - मा आप जो एक बार देख लेती है अच्छे से सिख कर लेती है तो कोई परेसानी वाली बात हि नही है

आसा सर्म से अभय को देख - लाला क्या बोल रहा है समझ नही आया

अभय अपना फोन निकाल एक फोटो अपनी मा को दिखाते हुवे - देखिये ऐसे ही पोस मारना है
आसा फोटो देख सर्म से - अच्छा कोसिस करती हु
अभय खुश होके - मुझे पता है मेरी मा कर लेगी

आसा सर्म से मुस्कुराते हुवे एक जगह खरा होके एक गहरी सासे लेके अपनी आप को रेडी करने के बाद अपनी आखे बंद कर एक पोस मारती है खतरनाक वाला आसा के हाथ गले सीने के बीच चूचे से सटे हुवे थे आसा के चेहरे का इपमरेसंन भी बहोत कामुक् था लेकिन उससे ज्यादा कामुक् तो आसा ने अपने बरे गांड जिस पीछे किये और सीना आगे किये जिस तरह खरी थी वो कयामत से कयामत तक था
खूबसूरत चेहरा गुलाबी होठ बालों मे गजरा कमर बढे गांड इस उमर मे भी आसा की बॉडी पुरे सेप् फिट थी

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आसा को ऐसे देख किसी का पानी निकल जाये लंड खरा हो जाये लेकिन अभय के साथ कुछ और होता है अभय का दिल कुछ पल के लिये धरकना बंद कर देता है फिर तेज धक धक करना सुरु करता है अभय कापते हुवे फोन मे उस फोटो को देखता है फिर आसा को देख मन मे - मा ने तो इस मॉडल की वाट लगा ली मा तो इस मॉडल से कई सेक्सी अंदाज पोस मे खरी है अभय जल्दी से एक फोटो ले लेता है

आसा - बेटा हो गया अब मे थक गई हु
अभय - हा मा हो गया

आसा फिर तेज सासे लेते हुवे - उफ़ चलो तेरा हुआ तो सही
अभय आसा के पास जाके जो फोटो लिया था आसा को दिखाता है जिसे देख आसा खुद हैरान सॉक हो जाती है आसा सर्म से पानी पानी होते हुवे मन मे - क्या ये मे हु यकीन नही होता मेने ऐसे पोस दिये मुझे बहोत सर्म आ रही है अब खुद देख कर

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अभय - मा आप सच मे बहोत सेक्सी है उसी के साथ आप बहोत टैलेंटेड भी है ( आसा अभय को देख सर्म से - बेटा ये फोटो किसी को मत देखना प्लेस ( अभय- मा ये फोटो तो मेने आपको दिखाने के लिये लिया था मुझे इसकी क्या जरूरत जब मे खुद सामने से आपको जब चाहे देख सकता हु ( आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है फिर से

तभी अदिति अंदर आते हुवे - आप दोनो क्या कर रहे है
आसा अभय अदिति की तरफ देखते है

अभय मुस्कुराते हुवे अदिति को देख - गुरिया कुछ नही बाते कर रहे थे
अदिति अभय के पास आके मुह फुला के - मे कमरे मे आपका इंतज़ार कर रही थी लेकिन आप तो यहा बिजी है

आसा मुस्कुराते हुवे - अले अले तेरी गुरिया फिर से नाराज हो गई
अभय मुस्कुराते हुवे - तो मे किस लिये हु

अभय अदिति के पास जाके कमर से पकर एक हाथ से अदिति के चेहरे को पकर प्यार से अदिति को देख - मेरी गुरिया बहोत नाराज है

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अदिति नाराज भरी आवाज मे - हा आपकी गुरिया बहोत नाराज है आपसे ( अभय मुस्कुराते हुवे - ऐसा क्या

अभय ये कहते अदिति को बिस्तर पे गिरा के अदिति को गुडगुडी करने लगता है अदिति जोर जोर से हस्ते हुवे - नही नही भाई ऐसा मत करो मा बचाओ मुझे बहोत ( आसा तो बस मुस्कुराते देखती रहती है

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अभय हस्ते हुवे - बोलो कोन नाराज है मुझसे ( अदिति बेचारी हस्ते हुवे - मे नही हु नाराज भाई छोर दो मुझे मेरी सास फुल रही है ( अदिति कि बात सुन अभय रुक जाता है

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अदिति तेज तेज सासे लेते हुवे अभय को देख - भाई आप बहोत बुरे है ( अदिति फिर अभय के ऊपर आके अभय के होठ पे किस करते हुवे - लेकिन आप मेरे सब कुछ भी है

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अभय अदिति को सीने से लगा के - तू भी गुरिया और मा बाकी सब भी ( आसा भी अभय के पास बिस्तर पे लेत जाती है

आसा अदिति को देख - अब नाराजगी चली गई
अदिति आसा को देख मुस्कुराते हुवे - हा मा चली गई
आसा मुस्कुराते हुवे - सब तेरा नाटक है और कुछ नही

10 मिनट बाते करते हुवे सब सो जाते है 3 बजे सब उठते है अभय फ्रेस् होके मधु के घर निकल परता है

अभय बाइक लगा के अंदर मधु के कमरे मे जाता है मधु रेडी थी कियुंकी अभय मधु को घुमाने ले जाने वाला था

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मधु अभय को देखती है वो प्यार से अदा से मधु जीन्स टिसर्ट मे बहोत ही सेक्सी लग रही थी जीन्स मधु के पैरो से चिपका था तीसर्ट मधु के चूचे से पूरा चिपके हुवे थे अभय मधु को देख उसके पास जाता है

अभय मधु के पास जाके कमर मे हाथ डाल बाहों मे लेके आखो मे देख - वाह गुरिया जीन्स टिसर्ट में तुम बहोत हॉट लग रही हो
मधु सर्म से अभय को देख - सच मे हॉट लग रही हु
अभय मधु के कान मे धीरे से - हा लेकिन उस दिन जिस हालत मे जो मेने देखा उसके सामने सब फेल है

अभय की बात मधु के शरीर मे सिहरन पैदाकर देती है मधु सर्म से पानी पानी होते हुवे कापते होठो से - भाई

तभी सिला आते हुवे - आ गया बेटा

अभय सिला को देखता है जो रोज की तरह कमाल लग रही थी अभय सिला के पास जाके बाहों मे लेके सिला को देख मुस्कुराते हुवे - हा मा आ गया गुरिया को घुमाने लेके जा रहा हु
सिला अभय के होठो पे किस करते हुवे - वादा क्या है निभाना परेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - आपने बात तो सही कही

सिला - ठीक है अच्छे से जाना
अभय सिला के कान मे धीरे से - एक दिन हम दोनो ही चलेंगे फिर खूब घूमेगे मस्ती करेगे
सिला तेज सासे लेके धीरे से - मेरा बेटा लेके जायेगा तो जरूर जाउंगी

अभय सिला को छोर - ठीक है मा हम जाते है

अभय मधु बाहर आते है मधु तो खुशी से नाच रही थी अभय बाइक पी बैठ जाता है मधु भी पीछे दोनो तरफ पैर कर बैठ अभय को पकर लेती है अभय बाइक लेके निकल परता है

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मधु के चेहरे पे जो खुशी थी भाई के साथ घूमने जाने कि उसे कोई बया नही कर सकता था मधु हर पल का मजा लेने मे लगी हुई थी मधु पूरी तरह से अभय से चिपक बैठी हुई थी


25 मिनट का रास्ता तय कर अभय मधु को एक खूबसूरत समुंदर के किनारे लेके आता है और एक जगह बाइक रोक देता है मधु बाइक से उतर समुंदर के खूबसूरत नजारे को देखने लगती है साम के वक़्त समुंदर और भी खूबसूरत देखने मे लग रहा था

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अभय मधु के पीछे सत् के कमर को पकर खरा हो जाता है - कैसा लगा रहा है गुरिया ( मधु खूबसूरत समुंदर के नजारे को देखते हुवे - भाई बहोत खूबसूरत नजारा है दिल को सुकून मिल गया आप मे पहली बार ऐसी खूबसूरत जगह देख रही हु आपकी वजह से मे आज बहोत खुश भी

अभय अदिति फिर एक जगह नीचे बैठ बाते करने लगते है
मधु - भाई दिल कर रहा है यहा से जाऊ ही ना और आपके साथ इस खूबसूरत नजारे को देखती रही ( अभय मुस्कुराते हुवे - जाना तो पड़ेगा लेकिन जब टाइम मिलेगा हम आते रहेगे ( मधु खुश होते हुवे - क्या सच मे ( अभय मुस्कुराते हुवे - हा

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मधु - भाई दीदी को पता है उन्हें पता चलेगा आप मुझे लेके यहा आये और दीदी को नही लाये तो नाराज हो जाइयेगी ( अभय मुस्कुराते हुवे - पता है उसे ( मधु हैरान होके - क्या लेकिन फिर आपको आने दिया
अभय मुस्कुराते हुवे - उसने भी मुझसे वादा लिया है तब आने दिया
मधु मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है

अभय मधु के आखो मे देख - गुरिया क्या अपने भाई को गीली किस्सी नही दोगी
अभय की बात सुन मधु तेज सासे लेते हुवे अभय को देख - मे अपने प्यारे भाई को बना कैसे कर सकती हु जब मेरे भाई ने पहली बार मुझसे कुछ मंगा है

अभय मधु की आखो मे देखता है मधु अभय के फिर दोनो के होठ करीब जाने लगते फिर मिल जाते है

अभय बरे प्यार से मधु के होठ जिब मुह मे लेके चूसने लगता है वही मधु गिला गर्म अपने जिब को मजे से अभय को चुस्ता फिल कर मधु के पूरे सरीर मे करेंट डोर जाता है मधु का शरीर एक झटका मारता है पहले असली किस का स्वाद मजा फीलिंग मधु को मिल रहा था लेकिन ये किस उससे भी कही जयादा अलग फीलिंग मधु को दे रहा था जब मधु ये सोच रही थी की उसका भाई उसकी जिब को होठ को मजे से चूस रहा है ( मधु मन मे - ये एहसास ये फीलिंग जो मुझे मिल रही है मे मरते दम नही भुलुगी

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मधु भी अभय को कस के पकर किस करना सुरु कर देती है दोनो एक दूसरे के कभी होठ कभी जिब लेके चूस चूस कर मजे से गट गट रस पिये जा रहे थे ( अभय रस मधु के होठो का रस पीटे हुवे मन मे - ये फीलिंग एहसास सब से अलग मुझे फिल हो रहा है मधु के होठ जिब का गर्म लार मेरे गले के नीचे जाते ही मुझे बहोत मजा आ रहा है दिल कर रहा है चुस्ता रहु 2 मिनट बाद दोनो अलग होते है

मधु सर्म से नजरे नीचे किये तेज सासे लिये जा रही थी अभय बस मधु को देखे जा रहा था थोरि देर बाद

अभय - गुरिया चलो तोरी मस्ती करते है घूमते है

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अभय फिर मधु के हाथ पकर नाचते हुवे बीच के किनारे चलते हुवे खुद मजे करते है

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अभय कभी मधु को गोदी मे उठा के घुमाने लगता है ऐसे ही दोनो भाई बेहन मौज मस्ती करते हुवे मजे करते है फिर अभय मधु को लेके घर की तरफ जाने लगता है साम 5 बजने वाले थे


उदय बंगलो

आज फिर आरोही का बाप जगमोहन एक कुवारी लरकी के सिल तोर चुदाई करने मे लगा हुआ था लरकी आखो मे आसु लिये अपना पैर इधर उधर मारते हुवे दर्द मे - प्लेस अंकल प्लेस बहोत दर्द हो रहा है मा कसम अंकल सेह नही पाउंगी प्लेस धीरे कीजिये नही तो मे मर जाउंगी दया कीजिये अंकल प्लेस दया करो धीरे करो

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लरकी पेट के बल लेती हुई थी जगमोहन उसके उपर था और अपना लंड लरकी की चुत मे धना धन पेले जा रहा था लरकी की दर्द भरी गुहार सुन जगमोहन को दया नही बल्की और जोस दिला रही थी जगमोहन - बेटी तेरी कुवारी टाइट गर्म चुत के सील तोर तेरी चुदाई करने मे बहोत मजा आ रहा है मे रुक नही सकता आह आह आह ( लरकी रोते हुवे - अंकल प्लेस अंदर जलन हो रही है दर्द भी बहोत हो रहा है प्लेस आप धीरे करो ना ताकि दर्द कम होगा प्लेस ( जगमोहन हस्ते हुवे एक जोर का धक्का मारता है लरकी जोर से चिल्लाते हुवे - मा मर गई मे जगमोहन पानी चुत मे छोर देता है


कमरे के दरवाजे पे खरे उदय सब देख नीचे जाते मुस्कुराते हुवे - ये हुई ना बात अब हमारी जोरि 100 पे 100 मैच कर गई

लरकी बिस्तर पे नंगी रोये जा रही थी बिस्तर पे खून और लरकी कि चुत से जगमोहन का पानी निकल बिस्तर पे गिर रहा था

जगमोहन लरकी के पास पैसों का एक गद्दी फेक - बहोत मजा आया बेटा तेरी सिल तोर चुदाई करने मे ये पैसे रख लो बहोत है तेरे लिये लिये

जगमोहन फिर नीचे आके उदय के पास बैठ जाता है उदय ने पैक बना कर रहा था

उदय जगमोहन को देख - तो आज कितना मजा आया
जगमोहन मुस्कुराते हुवे - पूरी जवान थी मजा आ गया
उदय एक ग्लास आगे करते हुवे - आप खुश मे खुश
जगमोहन ग्लास उठा के दोनो चेस् करते हुवे पीने लगते है

उदय सराब का घुट पीते हुवे मन मे - अब वो वक़्त है जो मुझे चाहिये मांगने का

उदय ग्लास लीचे रख जगमोहन को देख - ससुर जी किया मे आपसे दोस्त की तरह बात कर सकता हु

जगमोहन चखना खाते हुवे - हा हा कियु नही दामाद जि हम ससुर दामाद है हि लेकिन दोस्त भी है

उदय मुस्कुराते हुवे - हा वो तो हम हैं मे ये केह रहा था आप सुबह से साम यहा कुवारी लरकी औरतो का मजा लेते है साम को घर जाते है तो सासु मा को प्यार करते है या नही

जगमोहन से ये सवाल उदय पहले पूछता तो मामला बहोत बिगर जाता लेकिन उदय एक चालाक लोमड़ी था पहले उदय जगमोहन को मजे करवाये अपने जैसा शैतान बनाया जब उसे लगा अब सही मोक्का है पासा फेकने का तो उदय मे फेक दिया

जगमोहन उदय को देख हस्ते हुवे - दामाद जी आपकी सासु मा बहोत अच्छी लेकिन गर्म औरत है पर कुछ सालों से हमारे बीच सब बहोत कम होता है

उदय - क्या सासु मा का दिल नही करता
जगमोहन - बहोत करता है पर उमर देख मेने कम कर दी
उदय मुस्कुराते हुवे - तो सासु मा का दिल करता है वैसे कैसा है उसका खजाना यानी चुत

उदय की बात सुनते ही जगमोहन का नसा उतर जाता है और पूरे गुस्से से पागल खरा होके उदय को चिलाते हुवे - दामाद जी आ...

इसके आगे जगमोहन कुछ देख उसकी आवाज नही निकलती

असल मे उदय ने आरोही की नंगी फोटो जगमोहन के सामने कर दी थी जगमोहन अपनी बेटी की नंगी फोटो देख सॉक हैरान हो जाता लेकिन फिर जगमोहन गौर से अपनी बेटी के नंगे बॉडी को उपर से नीचे तक देखता है फिर दो जगह जगमोहन की नजर अपनी बेटी के बरे चूचे और मोटी जांघे के बीच टाइट चुत पे जिसे देख जगमोहन का लंड तीन बार झटका मारता है उदय जगमोहन को देख मन मे मुस्कुराते हुवे - चिरिया ने दाना चुग लिया है

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जगमोहन अपनी बेरी आरोही के नंगे बदन को देखते हुवे - दामाद जी ये सब दिखाने का मतलब क्या है ( उदय मुस्कुराते हुवे - ससुर जी जरा सोचिये आपने सासु जी के टाँगे फैला के चुत मे लंड दाल पानी गिराया उस पानी से आपकी बेटी आरोही पैदा हुई देखिये आज कितनी खूबसूरत जवान है देखिये उसे नंगे बदन को सोचिये ससुर जी किया होगा जब आपकी बेटी ऐसे ही नंगे आपके सामने लेते आपसे कहेगी पापा डाल दीजिये अपनी बेटी के चुत मे लंड

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उदय दूसरी आरोही के नंगी फोटो दिखाते हुवे - फिर आप अपनी बेटी के चुत पे अपना लंड थूक लगा के जब एक जोर का धक्का मारेगे तो आपकी बेटी दर्द मे कहेगी पापा दर्द हो रहा है फिर आप अपनी बेटी के चुत की गर्मी और अपने लंड को कसा मेहसूस कर तेज धक्का मारने लगेगे आपकी बेटी दर्द मे रोते हुवे कहती रहेगी पापा बहोत दर्द हो रहा हो धीरे कीजिये लेकिन आप धक्का मारते रहेगे एंड मे आप अपनी बेटी के चुत से अपनी निकाल देगे फिर एक जोर का धक्का मार अपनी बेटी की चुत मे अपना पानी भी छोर देगे

बस इतना काफी था जगमोहन का लंड आज फटने के कगार पे आ गया था उदय ये देख मुस्कुराने लगता है

जगमोहन बैठते हुवे उदय को देख - दामाद जी आप चाहते क्या है
उदय मुस्कुराते हुवे - सासु जी यानी आपकी बीवी कि चुत उसके बदले मे आपकी आपकी बेटी की चुत दिलवाउंगा


सिला के घर

अभय मधु को लेकर घर आता है अंदर जाके सिला से मिलता है

सिला मुस्कुराते हुवे - घूम आये
मधु खुश होके सिला से - मा आज बहोत मजा आया भाई मुझे समुंदर के किराने ले गये आपको पता है बहोत खूबसूरत नजारा था बहोत सांति थी दिल तो आने का कर ही नही रहा था
सिला हस्ते हुवे - वाह क्या बात है लगता है आज बहोत मजे किये
मधु खुश होते हुवे - ये भी कहने की बात है भाई जहा लेके जायेंगे मजा तो आयेगा ही
सिला मुस्कुराते हुवे - ये बात तो है

अभय - मा गुरिया अब मुझे जाना होगा देर हो रही है
सिला - ठीक है बेटा किसी दिन इस मा के घर भी रुक जाना

अभय मधु सिला दोनो को बाहों मे लेके -मा guriya मेने आपको अपना दिल से माना है आज नही लेकिन फिर कभी जरूर रुकुगा
सिला मुस्कुराते हुवे - ठीक है मेरा बच्चा


अभय फिर बाइक पे बैठ मधु को देख मुस्कुराते हुवे - गुरिया तेरे होठो का रस बहोत मिठा था फिर पिलाओगी ना
मधु सर्म से लाल होते हुवे - जरूर भाई
अभय - ठीक है गुरिया कल शोपिंग पे जाना है मे लेने आऊगा
मधु खुश होते हुवे - जी भाई


अभय फिर घर आ जाता है रात 9 बजे मिनिता काजल कोमल विजय फिर अभय के घर डेरा जमा लेते है

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
 
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