chapter 40
अभय - गुरिया मा के पास चलना है खेत मे
मधु - नही भाई अभी कपड़े धोने है
अभय - अच्छा ठीक है तो मे जाता हु
मधु अभय के होठ पे किस करते हुवे सर्म से - हु
अभय मधु के चेहरे को पकर आखो मे देखते हुवे प्यार से - तुम्हारे होठ के रस का कोई जवाब नही गुरिया
मधु अभय की आखो मे देखते हुवे सर्म से - भाई
अभय मधु के सर सेहलाते हुवे मुस्कुराते हुवे - अच्छा मे जाता हु
मधु - जी
अभय फिर बाइक लेके खेत मे आता है
सिला खेत मे घास काट रही थी सिला की नजर अभय पे जाती अभय को देख मुस्कुराते हुवे - आजा मेरे लाल
अभय सिला के पीछे से गले लग कर - मा इतना काम मत किया करो
सिला अभय के हाथ पकर हस्ते हुवे - अरे काम तो करना परेगा ना
अभय सिला के आगे आके चेहरे को पकर आखो मे देख - मे तो बस आपके खूबसूरत चेहरे को देखते रहन चाहता हु
सिला सर्म से अभय की आखो मे देख - जितना देखा है देख
अभय सिला के होठ पे उंगली फेरते हुवे - और ये आपके खूबसूरत रसीले होठ का रस भी पीना है
सिला तेज सासे लेते हुवे सर्म से अभय को देख - तो पीले ना
अभय अपना होठ सिला के होठ के पास ले जाके धीरे से - जब दिल करेगा पियुगा
सिला आखे बंद किये सर्म से कापते होठो से - पी लेना
सिला अभय के होठ आमने सामने थे तेज गर्म सासे दोनों की आपस मे टकरा रही थी
अभय अपना होठ सिला के गुलाबी नर्म होठ से सता देता है सिला काप् जाती है सिला के हाथ अभय को घेर कस लेते है दोनों बैठे अभय सिला को कस लेता है
अभय पहले सिला के होठ चुस्ता है सिला का ये पहला गिला किस वाला एहसास था सिला अपनी मुठी कसी हुई थी और अपने होठ पे अभय के होठ फिल कर मद्होस होती जा रही थी अभय होठ चूसने के बाद सिला के जिब को मुह मे लेके चूसने लगता है सिला और काप् जाती है पूरे सरीर मे तेज बिजली डोर जाती है सिला की बाहे अभय को और कस लेती है सिला पहले गिले किस मे खो सी जाती है

सिला को किस करना नही होता था सिला को तो पता भी नही था इस तरह किस भी किया जाता है लेकिन सिला का दिल करता है और अभय जैसे कर रहा था वैसे ही अभय के जिब को चूस एक घुट पीती है वैसे ही सिला एक नये एहसास मे सो जाती है उसके बाद तो सिला भी जैसे आता था वैसे अभय के होठ जिब जोरों से चूस कर पीते चली जाती है) सिला मन मे उफ ये कैसा नया एहसास फीलिंग है किया किस करने मे रस पीने मे इतना मजा आता है उफ 2 मिनट बाद
अभय सिला के होठ अलग होते है दोनों के होठ लार से गीले थे सिला ने आज नया अनुभव किया था एक अलग मजे था सिला सर्म से लाल नजरे नीचे किये हुवे थी
अभय सिला के चेहरे को उपर कर आखो मे देख प्यार से - मेरी मा आपके होठ का रस बहोत मीठा है सुकून मिल गया अब जब भी आऊगा आपको पिलाना पड़ेगा अपने होठो का रस
सिला अभय को सर्म से देखते हुवे - हु जरूर पिलाउगी अपने बेटे को
अभय खुश होके - सुक्रिया मा
सिला अभय के गाल सेहलाते हुवे - तेरे आने से मेरी लाइफ बदल गई मधु की भी उसे एक प्यारा भाई मुझे बेटा मिला नही तो पहले दिन कई साल के ब्राबर लगते थे घर खाली खाली सा लगता था लाइफ मे कोई मजा सुकून नही था लेकिन अब है तेरे आने से
अभय सिला के माथे पे किस करते हुवे - मुझे भी एक प्यार गुरिया और आप जैसी हॉट खूबसूरत मा मिली है आप सब को पाके मे बहोत खुश हु
सिला सर्म से - पागल
अभय हस्ते हुवे - अच्छा मा मे चलता हु
सिला अभय को देख प्यार से - हु
अभय जाने लगता है सिला अभय को देखती है और अपने होठ पे उंगली फेरते हुवे सर्म से लाल मन मे -गीली किस्सी इसी को कहते है अजीब एहसास था लेकिन सुकून भरा था
अभय बाइक लेके अपने अंधे की तरफ जाने लगता है अभय जब मेन रोड पे आता है और कुछ दूर जाता है तो अभय को फिर नीतिका दिखाई देती है तो रोड साइड सारी पहने खरी थी
अभय नीतिका को देख मॉल वाला सीन याद आ जाता है तो अभय डर से मन मे - बेटा अभय चुप चाप निकल ले
लेकिन अभय की बुरी किस्मत नीतिका अभय को बाइक से अपनी तरफ आता देख जल्दी से अभय के बाइक के सामने आके खरी हो जाती है अभय हैरान जल्दी से ब्रेक मार कर रोकता है
अभय नीतिका को कापते हुवे देखता है लेकिन अभय की नजर नीचे जाती है तो नीतिका की गहरी ढोरी पे ठीक जाती फिर भाई भूल जाते है सब कुछ और नीतिका की गहरी ढोरी देखने मे खो जाते है सब भूल कर उसके अंजाम को भूल कर

नीतिका अभय को देखती है फिर पाती है अभय की नजर उसके गहरी ढोरी को देखने मे लगी है तो नीतिका गुस्से वाली आवाज मे - देख लिया जितना देखना था या अच्छे से और दिखाऊ
करक् गुस्से वाली आवाज जब अभय की कानों मे जाती है तब अभय होस मे आता और एहसास होता है भाई ने फिर गलती कर दी है
अभय डरते कापते नीतिका को देख - ऑन्टी मुझे जाना है बाय
अभय बाइक आगे बढ़ाता है लेकिन नीतिका फिर अभय को रोक अभय को सैतानी मुस्कान मुस्कुराते हुवे - बेटा आज नही बच के जा पाओगी
नीतिका की सैतानी हसी देख अभय के पसीने छूटने लगते है अभय बाइक लगा के जल्दी से नीतिका के के सामने घुटने पे आके हाथ जोर नीतिका को देख - प्यारी ऑन्टी इस नादान बालक को माफ करो दो मुझे जाने दो प्लेस
नीतिका अभय को देख मुस्कुराते हुवे -ओहो तुम नादान बालक हो मुझे बेवकूफ समझते हो किया कोई नादान बालक किसी औरत के बदन को खा जाने वाली नजरो से नही देखता समझ गये
अभय डरते हुवे मन मे - कहा फस गया मे आज तो लग गई मेरी इस खतरनाक औरत से ही मुझे टकराना था ऊपर से मेरी आदत साला मुझे बार बार फसा देती है
नीतिका अभय को देख - कहा खो गये
अभय नीतिका के पैर परते हुवे - मेरी प्यारी ऑन्टी इस बालक को माफ कर दो आगे से कोई गलती नही होगी
नीतिका अभय को देख उसकी हरकत को देख बरी मुश्किल से अपनी हसी रोक हुवे थी
नीतिका - हु माफी चाहिये
अभय नीतिका को देख हाथ जोर मासूम चेहरा बना के - हा प्लेस इस नादान बालक को जाने दीजिये ना
नीतिका अपनी हसी रोकते हुवे अभय को देख करक् आवाज मे - ठीक है माफ कर दुंगी लेकिन एक सर्त पे जब मे बुलाउ आना पड़ेगा जो बोलू करना परेगा तब मे सब भूल जाउंगी
अभय खुश होते हुवे -मुझे मंजूर है
नीतिका अभय को देख मुस्कुराते हुवे - हु अभी फिल्हाल तुम जा सकते हो
जा सकते हो सुनते ही अभय जल्दी से बाइक पे बैठता है और तेजी से बाइक भगा देता है बिना पीछे देखे अभय को इतनी तेजी से भागता देख नीतिका हैरान होके देखती रह जाती है और अगले हि पल जोर जोर से हसने लगते है
नीतिका हस्ते हुवे - नादान बालक बहोत डरपोक है
अभय तेजी से बाइक से जाते डर से मन मे - आज तो मे गया था काम से बच गया नही तो उस लेडी का कोई भरोसा नही कब जेल मे डाल के मेरी खाल उधेर दे
अभय अपने ठिकाने पे आता है और सब काम देखता है कुछ चीजो प्लान पे बाते करता है फिर घर आ जाता है
दोपहर के 1 बज रहे थे
अभय अपनी मा के कमरे मे जाता है सामने का सीन देख अभय कुछ पल के लिये थम सा जाता है आसा पेट के पल लेते सोई हुई थी सारी पेकीकोट आधे उपर की तरफ उठे हुवे थे

आसा की मोटी दूध जैसी उजले जांघे साफ दिखाई दे रही की अभी कि नजर आसा के टाँगों के बीच रुक जाती है तभी अभय अपने दिमाग को झटक कमरे से बाहर आता है

अभय फिर अदिति के कमरे मे जाता है तो अदिति भी सेम आसा की तरह पेट के बल लेती सोई हुई थी अदिति ने सूट टाइट लेगिंस पहना था और अदिति की गांड की उभार साफ नजर आ रही थी
गाव मे जायदा तर लोग दोपहर को एक नींद ले ही लेते है करने को कुछ नही होता सुबह या साम ही गाव मे सब के लिये कुछ करने का होता है
अभय अपने कमरे मे जाते हुवे - सब सो गये है तो मे भी एक नींद ली ही लेता हु वैसे तो दिल कर रहा है बुआ की चुदाई करने का लेकिन सब की होने से वो भी नही कर पाऊगा
अभय बिस्तर पे लेत कुछ सोचना परेगा
आरोही बंगलो )
आरोही फुल गुस्से मे थी कियुंकी आरोही का मिसन फेल हो गया था और जिस लोगो को उसने भेजा था रिया को किड्नैप करने के लिये उसका भी कोई अता पता नही था
अमर कमरे मे आता है और आरोही को देख - कियु गुस्से से लाल है
आरोही अमर को देख गुस्से से - रिया को किपनैप करने के लिये लोग भेजे थे लेकिन उनका कोई आतापटा नही है साले सब कहा गायब हो गय
अमर आरोही के पास बैठ - देखो बहना कुछ तो जरूर हुआ होगा सांत रहो आराम से पता लगाओ गुस्से से काम बिगरता है
आरोही सांत होते हुवे - आपने सही कहा पहले पता करना है मेरे लोगो के साथ किया हुआ फिर मे रिया कमीनी को देख लुगी
अमर आरोही के चुचे दबाते हुवे - छोटीभी बहना चिल करो
आरोही दर्द मे आह करते हुवे अमर को देख - भाई
अमर आरोही को देख - बहना तेरे उपर कपड़े मुझे अच्छे नही लग रहे
आरोही अमर को नशे वाली आखो से देख - अगर ऐसा है तो
आरोही खरी होके एक एक कर सारे कपड़े निकाल नंगी अपने भाई के सामने खरी होके अमर को देख - भाई अब मे अच्छी लग रही हु

अमर हवस भरी नजरो से अपनी छोटी बेहन के चुचे कमर चुत हर अंग को अच्छे से देखते हुवे - हा बहना अब तुम अच्छी नही बहोत अच्छी लग रही हो
आरोही बिस्तर पे लेत टाँगे फैला के - भाई चुत चाटो ना अपनी छोटी बेहन की खुजली हो रही है
अमर आरोही के टाँगों के बीच आके चुत को देखते हुवे - बहना तेरा बरा भाई है ना

अमर आरोही के चुत को मुह मे लेके मजे से चूसने लगता है साथ मे अपनी छोटी बेहन की चुचे भी दबाने लगता है चाटने लगता है आरोही बिस्तर पे आह उफ भाई चाटो चूस के पी जाओ अपनी बेहन के चुत का रस आह उफ भाई मजा आ रहा है आह उफ बहोत मजा 2 मिनट बाद आरोही आह भाई कहते झर जाती है
अमर आरोही को देख मुस्कुराते हुवे - उफ बेहना आगे पुरा झुक अपनी गांड उपर उठा दो
आरोही अपने भाई को देखती हवस वाली नजरो से फिर मुस्कुराते हुवे बिस्तर पे पे आगे से पुरा झुक अपनी गांड पुरा उपर उठा के - भाई आपकी बेहन झुक गई आपके जैसा कहा अब डाल दीजिये
अमर आरोही के गांड के पास आके अपना लंड चुत पे रख एक धक्का मारता है पुरा लंड आरोही के चुत मे घुस जाता है अमर फिर धक्का मारना सुरु करता है आरोही दर्द मे आह उफ भाई आह आपका लंड चुत मे लेके अब सुकून मिला है आह उफ

अमर आरोही के एक हाथ से गांड पकर चुदाई करते हुवे मेरी छोटी बेहन तु कमाल की रण्डि है तेरी गर्म चुत मारने मे एक अगल मजा आता है अमर तेज शॉट मारता है आरोही दर्द मे रो परती है आरोही रोते हुवे भाई दर्द होता है आह धीरे करो ना उफ ये दर्द
साम 4 बजे )
आसा सब उठ चुके थे
अभय आसा के कमरे मे जाता है आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे - लाला
अभय आसा को बाहों मे लेके आखो मे देख - दोपहर को आया तो देखा आप सो रही थी ( अभय आसा के कान मे धीरे से) लेकिन जिस तरह सो रही थी आप बहोत कयामत लग रही थी
अभय की बात सुन आसा की सासे तेज चेहरा सर्म से लाल हो जाता है
आसा सर्म से मन मे - लाला ने मुझे कैसे सोता देखा होगा तो मे उसे कयामत लग रही थी
अभय आसा के होठ पे किस करते हुवे - मा फिल्हाल तो मे ऑन्टी को भूमाने लेके जा रहा हु रात को आराम से बात करेगे
आसा हैरानी से अभय को देख - किया सब को लेके जाता है लेकिन मुझे एक भी दिन लेके नही गया ( आसा नाराज होते हुवे) बहोत केहता है लेके जाउंगा आपको भूमाउंगा
अभय आसा के चेहरे को दोनों हाथो से पकर आखो मे देख प्यार से - मा आप मेरे लिये बहोत खास है मेरा सब कुछ है मे कैसे भूल सकता हु अपनी मा से किया वादा जल्दी ही मे आपको लेके जाउंगा मे और आप दोनों रहेगे
आसा अभय के गले लगा के - मेरा बच्चा जैसा तुम कहो
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है मा मे जाता हु
आसा मुस्कुराते हुवे - हु
अभय बाहर आता है तो अदिति अभय को देख - भाई
अभय अदिति को बाहों मे लेके - गुरिया अभी जा रहा हु ऑन्टी को भूमाने लेके
अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे - मुझे कब लेके जायेंगे
अभय अदिति के होठ पे किस करते हुवे - बहोत जल्द
अदिति मुस्कुराते हुवे - हु
अभय फिर मिनिता के घर आता है मिनिता रेडी थी काजल मिनिता बाहर आते है अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे आख मारता है काजल भी सर्मा के आख मार देती है
मिनिता अभय के पास आके मुह बना के - मेने जोर दिया तो लेके जा रहा है अपने दिल से लेके जाता तो बहोत खुशी होती मुझे
अभय मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - आप भी ना मेने आपको भूमाने ले जाने का सोच रखा था
मिनिता मुह बना के बाइक पे बैठ - झूठा
काजल अभय को देख हस्ते हुवे - भाभी बहोत नाराज है जब आओगे तो भाभी की नाराजगी खतम होनी चाहिये समझ गये
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - बुआ फिकर मत करो
काजल मुस्कुराते हुवे - ठीक है जाओ फिर
अभय भी मिनिता को लेके निकल परता है अभय मन मे - मा आपको ऐसे हि तोरी लेके जाउंगा घुमाने मेने प्लान बना रखा है मे चाहता हु आप वो पल कभी ना भूले इस लिये तैयारी कर रहा हु
अभय मिनिता को लेके बीच पे आता है बिचेस् ही एक ऐसी सांत सुकून वाली जगह होती है जहा आके हर किसी का दिल मन सांत हो जाता है अभय बाइक लगा देता है मिनिता समुंदर को देखते हुवे निकारे आके खरी खूबसूरत नजारे मे खो जाती है
अभय भी मिनिता के पास आके खरा हो जाता है जगह सांत थी आस पास कोई नही था बस लहरे की आवाजे ही कानों मे सुनाई दे रही थी

मिनिता पहली बार इतनी खूबसूरत बिचेस् पे आई थी सांत खूबसूरत जगह मिनिता के दिल को सुकून पहुँचा रहा था अभय मिनिता के एक उंगली को पकर लेता है मिनिता अभय को देखती है फिर खूबसूरत नजारे को देखते हुवे - कितना खूबसूरत सांत सुकून वाली जगह है
अभय मिनिता को देख - आपको अच्छा लगा
मिनिता अभय को देख मुस्कुराते हुवे - बहोत बहोत अच्छा लगा
अभय - आपको अच्छा लगा मुझे जान राहत मिली
अभय फिर मिनिता से - ऑन्टी थोरा घूम ले
मिनिता अभय की आखो मे देख - हु
अभय मिनिता पानी के किनारे किनारे बाते करते हुवे चलने लगते है
अभय - आप अब तो मुझसे नाराज नही है ना
मिनिता अभय को प्यार से देख - तुमसे नाराज कभी थी ना हो सकती हु
अभय मिनिता को प्यार से देख - वो कियु भला
मिनिता सर्म की लाली लिये - कियुंकी तुमसे कोई नाराज हो ही नही सकता

अभय - आपको अब अच्छा फिल तो हो रहा है ना
मिनिता खूबसूरत नजारे को देखते हुवे - बहोत ऐसा लग रहा है आज कई साल बाद मे कैद से आदाज हुई हु
अभय मिनिता को खुश देख बहोत खुश होता है और अपने मन मे - मेरी मा ने भी बहोत दुख झेला है दर्द सहा है मा आपका लाल आपको हर जगह घुमायेगा आपकी हर खुशी का ख्याल रखेगा बस कुछ दिन इंतज़ार कर लीजिये
अभय फिर मिनिता को बाहों मे पकर लेता है मिनिग सर्म से अभय की आखो मे देखती रहती है अभय मिनिता को एकदम से नीचे झुक गोद मे उठा देता है मिनिता हैरान डरते हुवे - बेटा गिर जायुगी
अभय मिनिता को प्यार से देख - मुझपे भरोसा नही
मिनिता सांत अभय को देख - बहोत है
दोनों एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है फिर दोनों के होठ आपस मे मिल जाते है

अभय का दोनों हाथ मिनिता के दोनों बड़े मुलायम गांड पे थे अभय नीचे से मिनिता के गांड को पकरे उठाये हुवे था दोनों एक दूसरे के होठ का रस पीने मे लग जाते है मिनिता मन मे - हर बार नया एहसास नई फीलिंग सुकून मिलता है जब अभय मुझे किस करता है
2 मिनट बाद
अभय धीरे से मिनिता को नीचे उतार अपने से पुरा सता के मिनिता की आखो मे देख प्यार से - आपने कहा था आपकी गारी मे नही चला सकता
मिनिता अभय की बात सुन समझते हुवे काप् जाती है सासे तेज दिल धक धक करने लगता है
मिनिता सर्म से नजरे नीचे कर - हा कहा था
अभय मिनिता के चेहरे को उपर कर आखो मे देख प्यार से - मे आपके बातो का मान रखुंगा लेकिन मेरे सामने इतनी खूबसूरत प्यारी ऑन्टी के होते कुछ ना कर पाउ तो दिल बेचैन हो जाता है
मिनिता नीचे देखते हुवे अपने अंगुटे से रेट को दबाते हुवे सर्म से कापते होठो से - बेटा बात को समझ मे मजबूर हु ( मिनिता अपने होठ दातो से दबाने लगती है
अभय मिनिता को देख - समझता हु चलिये चलते है घर
अभय मिनिता को छोर देता है और आगे कदम बढ़ाता है तो मिनिता अभय का हाथ पकर लेती है अभय पीछे देखता है मिनिता नजरे नीचे किये कापते होठो से - मजबूरी है गारी की सवारी नही करने दे सकती ना गारी को दिखा सकती हु उसके अलावा तु जो कहे अगर मेरे बस मे हुआ तो जरूर करूगी
अभय मिनिता को हैरान सॉक मे देखता रहता है और फिर मुस्कुराते हुवे मिनिता को अपने बाहों मे भर - कोई जरूरत नही मुझे पता है मेरी ऑन्टी बहोत साफ अच्छे दिल की है मे आपके मर्ज़ी दिल के कुछ नही करवाना चाहता
मिनिता अभय को कस के पकर - मे मर्ज़ी से पूरे दिल से करूगी बस तु बोल मेरे अंदर रहा तो करूगी
अभय सोचता है फिर धीरे से मिनिता के कान मे......ये कर सकती है
अभय की बात सुन मिनिता काप् जाती है तेज तेज सासे लेने लगती है दिल जोर जोर से धरकने लगता है सरीर के रोये खरे हो जाते है
मिनिता सर्म से पानी पानी होके अभय के सीने मे अपना चेहरा छुपा के धीरे कापते आवाज मे बस इतना ही कहती है - हु
अभय भी हा सुन मिनिता के चेहरे को पकर प्यार से आखो मे देख - आपका सुक्रिया मेरी प्यारी ऑन्टी
मिनिता सर्म से लाल धीरे से - कोई बात नही
अभय - चले घर
मिनिता सर्म से - हु
अभय मिनिता को गोद मे उठा लेता है मिनिता अभय के गले मे हाथ डाल प्यार से अभय को देखते हुआ मन मे - मे नही जानती मे जो कर रही हु सही है या गलत लेकिन अभय बेटे के लिये इतना मे कर ही सकती हु जिसने मेरे बेटे की की जान बचाई मेरा ख्याल रखता है हसाता है अभय बेटे की वजह से ही मेरी लाइफ मे इतनी खुसिया है हर दिन मजे से गुजरता है
अभय मिनिता को देखता है तो मिनिता सर्म से नजरे दूसरी तरफ कर लेती है अभय ये देख मुस्कुरा देता है अभय बाइक के पास आके मिनिता को नीचे उतार बाइक चालू करता है मिनिता पीछे बैठ अभय के कंधे पकर लेती है अभय फिर बाइक लेके घर आ जाता है
साम 9 बज रहे थे काजल मिनिता आसा बैठ बाते कर रहे थे कोमल अदिति कमरे मे बाते कर रहे थे अभय कमरे मे अपनी बीवी से
आसा मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - छोटकी मजा आया घुमने मे
मिनिता आसा को देख थोरा सर्म से - दीदी बहोत मजा आया अभय बेटा मुझे समुंदर किनारे लेके गया था बहोत खूबसूरत नजारा था चारों तरफ सन्ति थी समुंदर की लहरे कानों मे संगीत की तरह सुनाई दे रही थी दिल तो आने का कर ही नही रहा था
काजल मिनिता को देख हस्ते हुवे - भाभी तो आई हि कियु रह जाती अभय बेटे के साथ वही पे
मिनिता हस्ते हुवे - तो दीदी मुझे मार ही डालती
आसा मुस्कुराते हुवे - और नही तो क्या मेरे लाला बगैर मे कैसे रहती
काजल - बात तो सही है
आसा मुह बना के - सब को ले गया मेरा लाला लेकिन मुझे नही ले गया घुमाने
काजल आसा को देख - भाभी ऐसा हो ही नही सकता अभय बेटा आपको भूल जाये जरूर वो आपके लिये अच्छा करने का प्लान बना रहा होगा ताकि आपको सरप्राइज दे सके
मिनिता आसा को देख - हा दीदी ननद जी सही केह रही है अभय बेटा आपको भूल जाये सपने मे भी नही देखा आपको बहोत अच्छा सरप्राइज देगा जिसे देख आप हैरान हो जाउंगी
आसा काजल मिनिता की बात सुन बहोत खुश होती है
आसा मन मे - अगर ऐसा है तो मे भी देखती हु मेरा लाला मेरे लिये किया करता है कैसा सरप्राइज देता है
कोमल अदिति )
कोमल - अदिति तेरा भाई शादी के बाद बीवी के पल्लू मे ही रहने वाला है तुझपे ध्यान ही नही देगा
अदिति कोमल को देख - कभी नही भाई मेरे भले ही भाभी के पल्लू मे रहे लेकिन मा मुझे उतना टाइम प्यार देते रहेगे मेरे भइया सब से अलग है
कोमल अदिति को देख - इतना भरोसा है अरे बीवी आने के बाद सब दर्द बदल जाते है
अदिति कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - लेकिन मेरे भइया नही दीदी ना भाभी खुद चाहेगी भइया सिर्फ उसके पीछे आस पास रहे हर वक़्त
कोमल हैरान से - ऐसा कियु हर बीवी चाहती है उसका पति हर वक़्त उसके पास रहे
अदिति कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - कियुंकी जैसे मेरे भइया है वैसे ही मेरी प्यारी भाभी है भाभी भी उतना ही प्यार मुझे मा को करती है जितना भाई पंडित जी मे भी कहा था दोनों एक दूसरे के लिये बने है
कोमल अदिति को देखते हुवे - वाह इतना भरोसा प्यार तु सही है मेने खुद देखा मेहसूस किया है मेने तो बस तुझसे ऐसे ही पूछ लिया
कोमल मन मे गुस्से से - कमीना कुता है तेरा भाई मेरे होठो का पहला रस पति से पहले तेरे भाई ने पी लिया बंदर कही का
अभय दिशा )
अभय - जान दिन नही लगता तेरे बिना
दिशा सर्म से - मेरा भी वही हाल है
अभय - साला दिन भी साल के बराबर लग रहा है मुझे
दिशा हस्ते हुवे - आप भी ना
अभय - अच्छा सुनो सासु मा को फोन दो बात कर लेता हु
दिशा - जी अभी देती हु
दिशा तारा के कमरे मे आके - मा आपका प्यारा दामाद है
तारा मुस्कुराते हुवे - ला
तारा फोन लेके - हा दामाद जी बोलिये
अभय - मेरी हॉट सासु मा कैसी है
तारा सर्म से - मे अच्छी हु आप कैसे है
अभय हस्ते हुवे - बेटी तो आपने अपने घर रखा है तो दिल ही नही लग रहा
दिशा खरी सब सुन रही थी दिशा अपनी मा के सामने बहोत जयादा शर्मा जाती है चेहरा लाल हो जाता है
तारा दिशा को देख हस्ते हुवे - उसका भी वही हाल है
दिशा तारा को देख सर्म से - मा
तारा हस्ते हुवे - हा हर वक़्त घूम सुम् बैठी रहती है आपसे बात करने के बाद ही उसके चेहरे मे खुशी दिखती है
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है
दिशा सर्म से तारा से फोन लेके - सो जाइये आप.
तारा हस्ते हुवे - हा हा मे तो सोने ही जा रही थी
दिशा सर्म से कमरे मे आती है और गुस्सा करते हुवे - आप बहोत बेशर्म है
अभय हस्ते हुवे - आज पता चला उस रात डाल रहा था और तुम आह उफ़ कर रही थी तब पता नही चला
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - आप नही सुधरने वाले कभी
अभय हस्ते हुवे - सही कहा
5 मिनट और बात कर अभय फोन रख देता है
तभी ममता का फोन आता है
अभय मुस्कुराते हुवे - भाभी खाना हो गया
ममता - हु आपका
अभय - हा थोरि देर पहले ही
ममता - अच्छा
अभय मुस्कुराते हुवे - भाभी भइया ने आज प्यार किया की नही
ममता सर्म से - नही
अभय हैरानी से - कियु
ममता सर्म से - किया है ना देवर जी कभी कभी बहोत थके आते है तो खाते ही सो जाते है
अभय - अच्छा समझ गया वैसे मेरा किस मत भूलियेगा
ममता सर्म से हस्ते हुवे - नही भुलुगी देवर जी
4 मिनट अभय ममता से मस्ती मजाक करता है फिर फोन कट.
तभी काजल कमरे मे आती है अभय काजल को देख बहोत खुश हो जाता है काजल सर्म से लाल अंदर आती है अभय काजल को बाहों मे भर लेता है और काजल को देख - बुआ रहा नही जा रहा अब
काजल अभय को देख सर्म से - बेटा पता है ना हम कुछ नही कर सकते है अभी
अभय काजल के चुचे दबाते हुवे - जानता हु लेकिन
काजल आह उफ करते हुवे - लेकिन किया
अभय काजल के चुचे दबाते हुवे - बस 10 मिनट काफी है आपकी चुत से पानी निकालने के लिये मुझे पता है आप यहा चुत मे लंड लेके के लिये ही आई है
काजल नासिलि आखो से अभय को देख - हा आई हु लेकिन डर
अभय काजल के सारी उठाते हुवे - 10 मिनट मे काम कर लेगे जल्दी से बस आप आवाज मत निकालना
काजल सर्म से मन मे - उफ 2 साल बाद मेरी चुत मे लंड गया है वो भी मोटा तगरा मेरी चुत तो अब अभय बेटे के लंड को ही याद कर रोती रहती है अभी चुत मे लंड नही लिया तो रात को मुझे सोने नही देगी
काजल सर्म से अभय को देख - 10 मिनट
अभय मुस्कुराते हुवे - हु आप नीचे पुरा झुक जाओ गांड उपर कर के
काजल सर्म से लाल सर नीचे गांड उपर कर झुक जाती है अभय जल्दी से पैंट नीचे करते हुवे - अभी चुदाई नही की तो रात को सो नही पाऊगा रिस्क है लेकिन लेना पड़ेगा
अभय नीचे से नँगा हो जाता है और काजल की सारी उठा देता है काजल की बरी गोरी चिकनी गांड अभय के सामने आ जाती है अभय अपना थूक लंड पे लगा के गिला कर देता है
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काजल घोरी बनी अपने दात् से होठ दबाये दिल थामे झुकी हुई थी इंतज़ार मे कब उसकी फूली गर्म चुत मे अभय का मोटा लम्बा लंड अंदर तक घुसेगा अभय अच्छे से लंड पे थूक लगा के बाद हाथ पे थूक रख काजल के गांड फैला के चुत पे अच्छे से लगाने लगता है काजल चुत पे गर्म थूक अभय की उंगली फिल कर काप् जाती रोये खरे हो जाते है अभय अब रेडी था
kajal दोनों हाथो जमीन पे किये गांड उठाये हुवे थी अभय अपना लंड पकर काजल की चुत के छेद पे रख धीरे धीरे अंदर घुसाने लगता है काजल अच्छे से फिल करती है उसकी चुत फैल रही है और एक मोटा लम्बा गर्म लंड उसकी चुत को चीरते हुवे अंदर जा रहा है काजल धीरे से दर्द मे आह करती है फिर दात् से होठ दबा लेती है ताकि सिसकिया आह की आवाज बाहर ना जाये नही तो दोनों के लग जायेंगे

अभय का लंड धीरे धीरे काजल की चुत को फैलाते हुवे अंदर जाने लगता है अभय को टाइट कसा अंदर बाहर गर्म मेहसूस फिल कर पा रहा था अभय भी मुश्किल से अपने आह सासे रोके पुरा लंड काजल की चुत के अंदर तक घुसा देता है काजल दर्द मे रो परती है लंड इस पोजिसन मे पुरा अंदर बचेदानी मे जा लगा था अभय भी अपनी बुआ की टाइट चुत और अंदर गर्म लावा फिल कर के पागल हो जाता है
अभय काजल के गांड को एक हाथ से पकरे धक्का मारना सुरु करता है काजल आखो मे आसु लिये मुह पे हाथ रखे अपनी चुत की गहराई मे लंड आते जाते मेहसूस कर के दर्द मे मजे लेने लगती है कोई कुछ बोल नही सकता था ना कोई आह उह्ह्ह् की आवाज निकाल सकता था अभय भी संभल के धक्का मार रहा था ताकि आवाज ना हो

काजल घोरी बनी अपनी चुत मे लंड लेते हुवे मन मे - उफ अभय बेटे का लंड कितना बरा मोटा है मेरी चुत फैल गई है आह मा अंदर तक मे लंड जाते फिल कर पा रही हु उफ कसम से एक लरका जो मेरा भतीजा है वो मेरी ऐसी चुदाई करेगा दर्द देगा रुला देगा लेकिन उससे जायदा सुकून मजा देगा सोचा नही था उफ लेकिन अब मे उसकी दीवानी हु मे उसकी वो मेरा है उफ अभय बेटे चोद अच्छे से अपनी बुआ को निकाल दे मेरी चुत से गर्म पानी ( अभय मन मे चुदाई करते हुवे उफ ये कैसा एहसास है चोरी छुपे बुआ की चुदाई करने का आह मजा रहा है बुआ के अंदर चुत मे बहोत गर्मी है मेरा लंड जल रहा है
9 मिनट बाद काजल कापने लगती है खुद गांड आगे पीछे कर लंड लेने लगती है अभय भी समझ जाता है और थोरा तेज करने लगता है फिर दोनों एक आह की आवाज के साथ झर जाते है
काजल थकी हुई खरी होती है सारी नीचे करती हैं लेकिन अभय के लंड का पानी काजल की चुत से निकल मोटे जांघों से होते नीचे आ रहा था वो फिल कर काजल को एक अलग ही सुकून मजा दे रहा था
अभय भी जल्दी से अपना पैंट पेहन के काजल को बाहों मे लेके काजल के आसु साफ करते हुवे - दर्द हुआ
काजल सर्म से नजरे नीचे किये - पहला दर्द दर्द देता है लेकिन उसके बाद वाला हर दर्द औरत को सुकून देता है
अभय आखो मे देख - बुआ मेरी जान अब आपकी चुत को सुकून मिला मेरे लंड को तो मिल गया
काजल नजरे नीचे कर सर्म से - हा बेटा मिल गया सुकून तेरे मोटे लम्बे लंड मे मेरी चुत को सांत कर दिया सच कहु अब मुझे बहोत अच्छा फिल हो रहा है
अभय काजल के चेहरे को उपर कर आखो मे देख - - बुआ नजरे नीचे कर के बाते मत करिये
काजल अभय की आखो मे देख सर्म से - ठीक है अब मे जाऊ
अभय काजल के होठ पे किस करते हुवे - आई लव यू
काजल अभय को किस करते हुवे - आई लव यू तु
काजल फिर बाहर आती है मिनिता काजल को देख - आ गई मे भी आती हु मिल के फिर चलेंगे
काजल - जी
मिनिता कमरे मे आती है अभय मिनिता के पास जाके बाहों मे लेके आखो मे देख - ऑन्टी आपने जो कहा
मिनिता सर्म से अभय को देख - करूगी लेकिन कल अभी जाना होगा
अभय मिनिता को देख - जैसा आप कहे
मिनिता अभय के होठ को देख सर्म से - लेकिन किस
अभय मुस्कुराते हुवे - हु
दोनों फिर एक दूसरे का रस अच्छे से दो मिनट तक पीते है फिर मिनिता अभय को देख सर्म से - जाऊ
अभय मुस्कुराते हुवे धीरे से कान मे - कल अच्छे से करना होगा
मिनिता सर्म से कमरे से बाहर आके कोमल को बुला के आसा को देख - दीदी हम जाते है
आसा काजल मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - हु
काजलकोमल मिनिता घर जाने लगते है पीछेकाजल चल रही थी लेकिन चुत से पानी जांघों पे जाते फिल कर मन मे - उफ अभय बेटे ने कितना पानी मेरी चुत मे निकाला है तभी तक मेरी चुत से पानी निकल मेरी जांघों से नीचे आ रहा है
काजल मिनिता कोमल को देखती है दोनों बाते कर चल रहे थे काजल चारों तरफ देखती है फिर सारी उठा के टाँगे फैला के अंदर चुत पे हाथ रख सेहला के बाहर निकाल मुह मे लेके चूस के - उफ अभय बेटे के पानी लंड के पानी का स्वाद कितना अच्छा है ( काजल सर्म से लाल होते हुवे - अभय बेटे ने मुझे पागल कर दिया है उफ
अभय फिर अपनी मा के कमरे मे जाता है आसा बिस्तर पे लेती अभय को देख - आ गया लाला
अभय अपनी मा को देखता है
आज के लिये इतना ही


