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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

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इस तरह सोचते सोचते ही मैरी आंखे भारी होने लगी थी। पर कोई फैसला न कर पाने की वजह से आखिरकार हारकर मै चुपचाप सो गया।



अल सुबह,गर्मी की है, मैने कूलर के साथ पंखे के परों को भी कष्ट दिया हुआ था। इतवार (रविवार) का दिन , मै "पिछवाड़ा " उल्टा करके सो रहा था, आधा चद्दर मैने अपने मुह तक कोना पकड़ के खींची हुई है,और बाकी चद्दर पैरों की लंबाई तक फस्सीं हुई, बे तरबी से सिकुडी हुई कराह रही थी।

खैर

कुसुम प्रवेश करती हैं कमरे में चाय लेकर ,सारे ठट कर्मों से निवृत् हो कर मतलब फ्रेश हो कर (सुबह के 8 बज चुके हैं) ,

और चुपचाप बेड के पास पड़ी कुर्सी पर पसर के पैर बेड के कौने तक फैलाकर चाय की चुस्सिकियाँ लेते हुए, अपने फैवरेट शगल में व्यस्त अरे वही अपना इंस्टा रील वीडियो और गाने (comedy) वो भी शुद्ध भोजपुरी मे..........

कुकुकू कूक कूक कू******मुर्गवा मोबाइल बाटे***** चोलिया में बोलत बाटे,,, दिन रात करा करे कुहा कुहू,,,, के दा ssssss ना खाइले रे मुर्गवा कुहू रे कू हू........

((अब आप सोच रहे होंगे ये क्या था?? बात दर असल ये है, की मुझ को कोई भी अलार्म की टोन असर नहीं करती थी, और न ही मुझको जगाने में --कामयाब रहती थी, (चूंकि कुसुम पहली पोस्टिंग आगनबॉडी में थी वहा उसकी साथ काम करने वाली ज्यादतर सहेलिया "जिला बस्ती" की थी, (अरे वही निरहुआ, रविकिशन और मनोज तिवारी का इलाका) ये गाना ही वहाँ के DJ का सरताज था))

हाँ ये कर्कश मगर मजेदार गाना बजते ही
मै तो जैसे सेही का काँटा मेरे खुद के पिछवाड़े में लग गया हो,,,,,,,,,ऐसे उठा????????

मै : क्या हैं ये चिल्लाते हुए इसके बाद "नींद की भाषा" में परग्रहियों की तरह बड़बड़ाया हा नहीं तो!!!!!!!! चैन से मुझ को कभी नहीं सोने देती हो??????? हा नहीं तो!!!!!, खुद की नौकरी में तो कोई टेंशन है नहीं, आराम से बैठी रहती हो..... आज छुट्टी के दिन सुबह सुबह मुझसे लड़ने के मूड में हो क्या..??????

अब आया कुसुम को गुस्सा, उसकी भृकुटियाँ (भवें ) तन चुकीं थी, बोली मैंने तो सिर्फ जगाने के लिए इतना मस्त "मुर्गवा" लगाया था। लेकिन देखो न कौन है लड़ने के मूड में?? पत्नियाँ कभी लड़ने के मूड में नहीं रेहतीं, हमेशा पति रहते हैं। हम तो सिर्फ उनका भला ही सोचते हैं, और वो इसे उल्टा ले लेते हैं।

मै कुसुम का ये रूप देखकर डर के मारे फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया।

(आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ, बाथरूम में साबुन, शैंपू, सब है, shaving क्रीम भी)

आज वापस अपने घर जाना था तो मै फ्रेश होकर दाढ़ी बना कर बाथरूम से निकला। मुस्कुराते हुए और मस्त अंगडाई लेकर (ताकि कुसुम समझ जाये की इन चिकनी बगल के पीछे मेरे प्यारे गोरे चिट्टे dove साबुन का बलिदान है) देखो न तुम्हारा dove साबुन shaving क्रीम से भी बेहतर और मुलायम shave बनाता है???

कुसुम: क्या?????? फिर से????? वो झट से बाथरूम में साबुन का विसरा देख कर कराह कर बोली ई ई ई ई ई ई ई ई उसकी घृणा वाली चीख निकल गयी, और आँखें चौडी हो गयीं,scene देख कर उसके साबुन का postmartum के बाद विसरा बिखरा पड़ा था।

कुसुम गुस्से में अतिदेव (अथार्थ पतिदेव)
म म मेरा मतलब पतिदेव, तुम हर चीज की अति कर देते हैं, इसलिए मैं तुमको अब से "अति देव" ही बोलूँगी। देखो तुमने मेरे साबुन को बालों में लपेट दिया? अति देव देखो आज भी shave और "बगल के बाल" मेरे साबुन को लगा लगा कर बनाएं हैं!!!! मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।

कोई न डार्लिंग तुम शैंपू से नहा लेना वैसे भी वो fiama di wilis वाले तुम्हारा
" चूतिया काट" कर तुम्हे शैंपू से नहलाते हैं और तुम उसे कुछ अलग body wash समझ कर खरीद लाती हो। मेरी प्यारी समझदार "ब्यूटी कांसियस बीवी" बेचारी शैंपू से नहाती है........मै पानी लगे बालों को सेट करते हुए बोला।

ये सुन कर कुसुम का चेहरा तो बस फक !!! हैं .... क्या बॉडीवाश् को शैंपू बोल रहे हो ????????


मैने मुस्की मारते कुछ कुछ उसे चिढ़ाते हुए smile दी।


दोबारा मेरा साबुन मत छूना, वरना तुम्हारी खैर नहीं,,,,,,,,,, कुसुम के चेहरे का जियो ग्राफिया पठारी हो चुका था, eyebrows बिलकुल चीनी लडाकों की मुद्रा में
कनपटीयों तक पहुँच चुकी थी।।


मै मुस्कुराते हुए बोला कुसुम के गाल खीचते हुए बोला हाय मेरा chinese गुस्सा


( Chinese गुस्सा इसलिए की हो सकता है हफ़्तों/ महीनों चले और हो सकता है अभी खत्म हो जाए)


तभी मन्दिर से मम्मी वापस आ गयी।


कुसुम... अरुण तुम दोनों सुबह सुबह फिर से शुरु हो गये.. मम्मी हम पति पत्नी की बहस को आखिरी चरण में खतम करने की नसीहत देते हुए बोली।


मम्मी अब आप ही बताओ? अगर कोई आपके प्यारे साबुन से बगल के बाल बना कर उसको बालों से लपेट देगा? तो क्या आप लड़ोगे या चिल्लाओगे नहीं??? और फिर कहोगे की बीवीयाँ झगडा करती रहती हैं? कुसुम मम्मी से बच्चो की तरह मेरी शिकायत करती हुयी बोली।


मम्मी ने मुझ पर ममतामयी डाँट लगाई और कुसुम से बोली बहू अब नाश्ता लगा दे।


ब्रेकफास्ट करते हुए, कुसुम के बनाये बथुए के पराठों की तारीफ करते हुए मै हास्य पूर्ण व्यंग कसते बोला.......अरे वाह!!! क्या हरियाली वाले पराठे हैं, आज तो मैं तृप्त हो गया !!


ये सुनकर आखिर सब की हँसी निकल पड़ी। हाहा हाहा हाहा


सुबह के नौ बजने वाले थे मेरी मम्मी बोली बेटा अरुण आज दोपहर को हमारे जो रिश्तेदार है उन्होंने गृह प्रवेश में आने का न्यौता दिया है, चल थोड़ी देर हम सभी भी होकर आते है। मैने कुसुम की ओर देखा कुसुम अपनी साड़ी लपेट चुकी थी और बालो को आखिरी स्वरुप दे रही थी की तभी मम्मी की आवाज़ आयी की तैयार हुई की नहीं, सब लोग आ चुके होंगे ज्यादा देर नहीं करते अब।


कुसुम तुरंत कंघा नीचे रखते हुए बोली हो गया बस और कमरे से बाहर निकल गयी। मै और मम्मी तैयार थे रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए। मैंने तुरंत कमरे को ताला लगाया और मम्मी कुसुम के साथ पैदल घर से निकल पड़ी।


वो दोनों कुछ बोलते हुए चल रहे थे पर में किन्ही और ख्यालो में था,


दस मिनट के बाद ही हम रिश्तेदार के मकान के सामने खड़े थे, अंदर काफी चहल पहल थी, कार्यक्रम का माहौल बन चूका था। एक बड़े हाल में सारे पुरुष लोगो के लिए व्यवस्था थी।


वहाँ की मेरी मम्मी कि भाभिया दूसरे थोड़े छोटे कमरे में थी अपने बहू और बेटियों, सहेलियों के साथ, इसलिए थोड़े अभिवादन के बाद हमने उनको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा।


अंदर एक बड़े कमरे में सारी औरते बैठी बातों में मशगूल थी, हमारे आते हैं उन्होंने स्वागत किया और हम लोग बैठ गए। कुछ औरते बातों में मग्न थी कुछ ने खाने की तैयारी कर ली थी। पता चला पूजा आरती का कार्यक्रम शाम 5 बजे होने वाला हैं।


तभी मेरी मम्मी की बड़ी भाभी जो रिश्ते में मेरी मामी लगती है हमारे पास आ गयी उनकी उम्र मेरी मम्मी से कुछ ज्यादा थी दिखने में वो दादी की तरह लग रही थी। मम्मी और कुसुम को अपने साथ कमरे में ले गयी।


मैं अपने पुराने दिनों और विचारो में खो गया और दोपहर होने वाली थी, अब तक आधी औरते और पुरुष खाना खा चुके थे। शायद शाम 5 बजे पूजा की तैयारी में, मगर मेरी हवन पूजा पाठ में रुचि नहीं थी, भीड़ भरा औरतों का माहौल देख कर मुझे शर्म आ रही थी। मैं कमरे से बाहर लघु शंका के बहाने किसी तरह औरतो के पाँव बचाते हुए बाहर निकला। घर की छत का मुआयना करके वापस नीचे आ गया।


मुझे देखते ही कुसुम भी उठ कर बाहर आ गयी फिर मैने पूछा की तुम खाना खा चुकी।


फिर उसने 5 बजे के प्रोग्राम के बारे में बताया। मैंने उसे समझाया की इस भीड़ में तुम आराम नही कर सकती। कुसुम कुछ सोचने लगी। उसकी इस उधेड़बुन को देखते हुए मैंने एक सवाल दाग दिया इन लोगों ने मेहमानों का एक विशेष प्रबंध किया हैं ।
घर की छत पर। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ, और पूछा छत पर तो बहुत गर्मी होगी।


मुझे और कुसुम को टेंशन में बातें करते देख मेरी मम्मी हमारे पास आ गयी, हमने उन्हे पूरी बात बता दी मम्मी बोली यहाँ छत पर आराम करने में कोई प्रॉब्लम नही है, पर बेटा तुझे शाम सात बजे ट्रेन पकड़ना है तो इससे अच्छा हम अपने घर चलते हैं, वैसे भी ढाई बजने वाले है।

कुसुम बोली मम्मी ये ही ठीक रहेगा, हम तीनों अपने घर की ओर निकलने से पहले मम्मी ने कहाँ कि भाभी को बोल ना तो पड़ेगा। और हम तीनो अंदर कमरे में चले गए।

मम्मी अपनी भाभी मतलब मेरी मामी से घर जाने की बात करने लगी मगर मामी मान नही रही थी, फिर मम्मी ने मामी को ये बताया कि सात बजे अरुण कि ट्रेन है उसे वापस अपने घर जाना है पापा के पास नागालैंड। तो उन्होंने मम्मी को रुकने के लिए बोला और मुझे कुसुम को जाने की अनुमति दे दी। और मम्मी से एकदम से खुश हो बोली अरे दीदी आपने ये मुझे बता कर बहुत अच्छा किया । मम्मी ने पूछा क्यो ऐसा क्या हुआ?

मामी बोलि अपने सुनील की पत्नी आपकी बहू को भी सुबह नागालैंड अपने मायके जाना है, मै बहुत परेशान थी अकेली कैसे जायेगी??

मम्मी बोली क्यो सुनील कहाँ है??
मामी बोली अरे वो तो shhiping co. में जॉब करता है चार पांच महीने में एक बार आता है। बस अगले महीने आ जायेगा तो बहू को वापस ले आयेगा। बातो बातों में ही मामी ने अपनी बहू को आवाज देकर बुला लिया। मैने जब मामी की बहू को देखा तो देखता ही रह गया।


सुनील की बीबी सुनीता करीब ३५ की होते हुए भी २५ साल की ही दिख रही थी। खान पान पर कडा नियत्रण और नियमित व्यायाम और योग के कारण उसने अपना आकार एकदम चुस्त रखा था। सुनीता का चेहरा वयस्क लग ही नहीं रहा था। उसके स्तन परिपक्व होते हुए भी तने और कसे हुए थे। उसके स्तन शायद ३४ + और स्तन सी कप साइज के थे। सुनीता की कमर का घुमाव और उसकी गाँड़ इतनी चुस्त और लचीली थी की गजब की सेक्सी लग रही थी।

मै उसकी तरफ आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था, तभी शायद कुसुम ने मेरी नजर को पढ़ लिया और मम्मी को इशारा करते हुए हँस दी। मम्मी कुसुम का इशारा समझ कर बोली बेटा अरुण जेठ है तु !! सुनील तुझसे छोटा है, और कल इसको भी अपने साथ ले जाना।

मै तो अंदर से बड़ा खुश था मै एक आँख मारते हुए मजाक में बोला अभी जेठ (may) का ही महिना चल रहा है।
हाहा हाहा हाहा

हाँ मम्मी ये तो अच्छा हुआ चलो सफर में अब बोरियत नही होगी। मै सुनीता से बोला आप साढ़े छे बजे तक रेड्डी मिलना मै आपको पिक कर लूंगा। फिर मामी के घर से निकल कर मै और कुसुम अपने किराये के घर में आ गये।

मैं पंखे को निहारते हुए सोच रहा था कि तीन घंटे बाद वैसे भी जाना है पता नही कितने दिनों के इंतजार के बाद यह खूबसूरत फल खाने को मिलेगा मुझे। और अगर मेरे जाने के बाद मेरे इस खूबसूरत फल को कोई और खाने लगा तो फिर मेरा क्या होगा।

नही नही ये नही हो सकता, मेरी कुसुम मुझे धोख़ा नही दे सकती, वो किसी गैर मर्द के साथ सोना तो दूर उसके बारे में सोच भी नही सकती है। लेकिन कुसुम के दिल, मन में क्या है इसका पता कैसे लगाया जाये, और अगर कोई और होगा भी तो उसने झूठ बोल दिया कोई नहीं है तो...??? कोई धाँसू आईडिया मिले जिससे वो झूठ ना बोले जो बोले सच बोले मगर कैसे???? क्योकि कोई भी चूतिया पति सिर्फ अपने मन में आये चूतियापे वाली सोच का जबाब अपनी पत्नी से किसी गैर मर्द के साथ सम्बधो / इच्छा की बात पूछकर अपनी खुशहाल जीवन में जहर नही घोलेगा।

मै और मेरी ठरकी सोच को कुसुम हमेशा प्रणाम कर दूर भागती है, वो किचिन में मेरे लिए रास्ते के लिए पूड़ीया बना रही थी। तभी मेरे हवशी मन में विचार आया कि जो लड़किया/लुगाईया अपने मोबाइल में सेक्सी, पोर्न कहानिया/फिल्म देखती है वो चुदड़कड होती हैं।


इसलिए मैने कुसुम के मन में क्या है उस बारे सोचते हुए मोबाइल में एक लिंक खोल कर ग्रुप सेक्स वीडियो देखा जैसे मैने वीडियो चालु किया तो उस वीडियो में एक शादी शुदा जोड़ा अपने दो मित्रों के साथ कोई हिल स्टेशन जाते हैं। संयोग वश उन्हें एक ही कमरे में रुकना पड़ता है। वहाँ वह शादी शुदा जोड़ा की बीबि को कम कपड़ों में देखते हैं।


दो पलंग एकसाथ जुड़े हुए होते हैं और रात को शादी शुदा जोड़ा पति अपनी पत्नी से लिपट कर सोता हैं तभी रात को अचानक ही शादी शुदा जोड़ा उत्तेजित हो जाता है और पति पत्नी से चोदने की रट लगाने लगता है। आखिर में पत्नी पति की बात मानकर कपडे पहने हुए ही अपना घाघरा ऊंचा करके उसे चोदने देती है।


शादी शुदा जोड़ा ने कोई परवाह नहीं की कमरे में दोनों मित्र उन दोनों को नंगा चोदते हुए देख रहे थे। वो दोनों मित्र शादी शुदा जोड़ा को उछृंखलता से चोदते हुए देखते हैं।


पत्नी अपने पति से चुदवाने में मग्न होती हुई अपनी आँखें बंद करके मजा लेती हैं तब उसका पति दोनों मित्रों को आँख मार कर इशारा करता है और फिर एक मित्र उसकी पत्नी की जाँघों पर हाथ रखता है। उसे देख कर दुसरा मित्र उस की पत्नी के स्तन दबाने लगता है। दोनों में होड़ लगती है और उससे पहले की पत्नी अपने पति के खेल को समझे, दोनों मित्र फुर्ती से उसकी बीबी के ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगते हैं। पत्नी समझ जाती हैं; पर जैसे असहाय है ऐसा ढोंग करके अपनी आँखें बंद करके इसका मजा लेती हैं और बाद में बिंदास होकर (अपने पति की इजाजत जो मिल गयी) अलग अलग तरीके से दोनों मित्रो के साथ पति को चोदती है और तीनों से चुदवाती है।


ऐसे कई तरह से एक साथ एक ही समय में एक का लण् चूसना, एक से चूत चुदवाना, और एक से गांड मरवाना, चूँचियों को चूसना और निप्पलों को काटना इत्यादि होता है और आखिर में दोनों मित्र और पति पत्नी की मुह, गांड और चूत में अपना वीर्य निकालते हैं।


उस वीडियो को देखकर मेरी तो हवा निकल गयी। जब मै ही इतना हैरान था, तो इसको कुसुम को दिखाना तो नामुमकिन सा लग रहा था। पर मुझे एक बात अच्छी लगी की मैने वही वीडियो चुना जिसमें पति के सामने पत्नी दूसरे से चुदवाती हैं।


मेरे अंतर्मन ने कहा "तुम निश्चिंत रहो। कुसुम से कहो की कहीं से एक वीडियो मिला है। वह थोड़ा सेक्स के बारेमें है और उसे सिर्फ बीबी के साथ ही देखना है ऐसा कहा गया है। पहले तो कुसुम थोड़ी ना नुक्कड़ करेगी, की यह अच्छा नहीं लगता, पर फिर वह इसे देखती रहेगी और आखिर में तुम खुद देख लेना क्या होता है।"


थोड़ी देर बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैने कुसुम को अपने पास बिस्तर पर बुलाया यह बात कह डाली। मैने उस से कहा की ये वीडियो देखो ये थोड़ा सा अश्लील है। उसे आश्चर्य हुआ जब कुसुम वीडियो देखने के लिए तैयार हो गयी। शायद उसे पता नहीं था की वह क्या देखने वाली थी।


जैसे मैने वीडियो चालु किया और पति पत्नी के रोमांस के सिन आये तो मेरी प्यारी बीबी और करीब बैठ गयी और मेरी टाँगों के बिच हाथ डालकर मेरे ढीले लण्ड को टटोलने लगी। जब पति पत्नी की चुदाई के दृश्य आये तो वह मेरा लण्ड पाजामे में से निकाल कर उसे फुर्ती से हिलाने लगी।


जैसे जैसे परदे पर दृश्य ज्यादा उत्तेजित होने लगे, अपना साड़ी सहित पेटीकोट ऊपर कर कुसुम ने मेरा हाथ उसमें डाला। मैने महसूस किया की मेरी बीबी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उसमें से उसका रस रिस रहा था। मै समझ गया की कुसुम मुझ से उँगलियों से चुदवाना चाहती है।


पर जब कुसुम ने देखा की दोनों मित्र शादी शुदा पत्नी को उसके पति की सहमति पर चढ़कर उन्हें चोदने लगे थे तो उससे रहा नहीं गया वह मुझ से चिपक गयी जैसे वह यह सब देखने से डर गयी हो। तब मैने अपनी उत्तेजित खूबसुरत पत्नी को अपनी बाहों में लिया और उसे यह कह कर प्यार जताने लगा की देखो जानूं यह सब होता रहता है। इसका आनंद लो। एन्जॉय करो।"


मेरे बार बार आश्वासन देने से और अत्यंत उत्तेजक भड़कीले सिन के कारण मै और कुसुम दोनों का उन्माद बढ़ता जा रहा था। जब मैने कुसुम के कपडे उतार कर कुसुम की चूत में उंगलिया डाल कर उसे उकसाना शुरू किया तो वह एकदम उत्तेजित हो गयी उसका पानी कई बार छूट गया। मैने कभी भी अपनी बीबी को इतनी बार निढाल होते हुए नहीं देखा। सिसकरिया लेते हुए हुए वह बोल रही थी, " अरुण ऐसा कभी नहीं हो सकता। यह गलत है।"


तब मैने कुसुम से कहा, "जानू, इस दुनिया में सारी अच्छी चीजें या तो या गलत, या असामाजिक, या तो कानूनी दृष्टि से अवैध मानी जाती है। पर होता सब कुछ है।"

वीडियो खतम होने के बाद मैने सहज रूप में ही अपनी बीबी कुसुम से पूछा वीडियो कैसा लगा तो कुसुम ने कहा, "देखो, सोचने में तो यह बड़ा लुभावना लगता है; और तुम जो चाहे कहो, पर ऐसा वास्तव में हो नहीं सकता। मेरे साथ तो कतई नहीं। गैर मर्द के बारे में तो तुम सोचना भी मत। मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। कमाल करते हो। तुमने क्या सोचा की मैं किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी? नहीं जी नहीं, यह नहीं हो सकता।"

मै अपनी प्यारी बीबी कुसुम की बात सुनकर खुश हो गया। मुझे लगा की मेरा प्लान काम कर गया और मेरी बीबी ने अपने मन में छिपी सच्चाई को बता दिया था। मै सोच में पड़ गया। तब अचानक मुझे कुसुम की दो बातें सूचक लगी।


पहले तो कुसुम ने कहा "देखने में तो यह सब लुभावना लगता है।" इसका मतलब यह हुआ की कुसुम को दो मर्दों से चुदवाने वाली बात लुभावनी लगी।

दुसरा जब कुसुम ने यह कहा की , "मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ जो किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी।" इसका मतलब कुसुम ने यह कहा की वह किसी ऐरे गैरे से चूदवाने के लिए नहीं तैयार होगी और वह वैसे ही नहीं मानेगी। वह एक इज्जतदार औरत है और अपनी इज्जत आसानी से किसी ऐरे गैरे के साथ दाव पर नहीं लगा सकती।

पर जो कुसुम ने नहीं कहा वह यह था की अगर कोई ख़ास व्यक्ति हो तो वह तैयार हो सकती है और उसे काफी मनाना भी पडेगा। शायद बातों बातों में ही कुसुम ने मना करते हुए भी इशारा कर ही दिया की वह मान सकती है। उसे किसी और से चुदवाना लुभावना तो लगता है लेकिन वह आसानी से मानने वाली नहीं है। उसके पीछे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबसे ज्यादा सूचक कुसुम ने यह इशारा किया की वह किसी साधारण व्यक्ति को अपना सर्वस्व समर्पण नहीं करेगी।





जारी है........
 

Ek number

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इस तरह सोचते सोचते ही मैरी आंखे भारी होने लगी थी। पर कोई फैसला न कर पाने की वजह से आखिरकार हारकर मै चुपचाप सो गया।



अल सुबह,गर्मी की है, मैने कूलर के साथ पंखे के परों को भी कष्ट दिया हुआ था। इतवार (रविवार) का दिन , मै "पिछवाड़ा " उल्टा करके सो रहा था, आधा चद्दर मैने अपने मुह तक कोना पकड़ के खींची हुई है,और बाकी चद्दर पैरों की लंबाई तक फस्सीं हुई, बे तरबी से सिकुडी हुई कराह रही थी।

खैर

कुसुम प्रवेश करती हैं कमरे में चाय लेकर ,सारे ठट कर्मों से निवृत् हो कर मतलब फ्रेश हो कर (सुबह के 8 बज चुके हैं) ,

और चुपचाप बेड के पास पड़ी कुर्सी पर पसर के पैर बेड के कौने तक फैलाकर चाय की चुस्सिकियाँ लेते हुए, अपने फैवरेट शगल में व्यस्त अरे वही अपना इंस्टा रील वीडियो और गाने (comedy) वो भी शुद्ध भोजपुरी मे..........

कुकुकू कूक कूक कू******मुर्गवा मोबाइल बाटे***** चोलिया में बोलत बाटे,,, दिन रात करा करे कुहा कुहू,,,, के दा ssssss ना खाइले रे मुर्गवा कुहू रे कू हू........

((अब आप सोच रहे होंगे ये क्या था?? बात दर असल ये है, की मुझ को कोई भी अलार्म की टोन असर नहीं करती थी, और न ही मुझको जगाने में --कामयाब रहती थी, (चूंकि कुसुम पहली पोस्टिंग आगनबॉडी में थी वहा उसकी साथ काम करने वाली ज्यादतर सहेलिया "जिला बस्ती" की थी, (अरे वही निरहुआ, रविकिशन और मनोज तिवारी का इलाका) ये गाना ही वहाँ के DJ का सरताज था))

हाँ ये कर्कश मगर मजेदार गाना बजते ही
मै तो जैसे सेही का काँटा मेरे खुद के पिछवाड़े में लग गया हो,,,,,,,,,ऐसे उठा????????

मै : क्या हैं ये चिल्लाते हुए इसके बाद "नींद की भाषा" में परग्रहियों की तरह बड़बड़ाया हा नहीं तो!!!!!!!! चैन से मुझ को कभी नहीं सोने देती हो??????? हा नहीं तो!!!!!, खुद की नौकरी में तो कोई टेंशन है नहीं, आराम से बैठी रहती हो..... आज छुट्टी के दिन सुबह सुबह मुझसे लड़ने के मूड में हो क्या..??????

अब आया कुसुम को गुस्सा, उसकी भृकुटियाँ (भवें ) तन चुकीं थी, बोली मैंने तो सिर्फ जगाने के लिए इतना मस्त "मुर्गवा" लगाया था। लेकिन देखो न कौन है लड़ने के मूड में?? पत्नियाँ कभी लड़ने के मूड में नहीं रेहतीं, हमेशा पति रहते हैं। हम तो सिर्फ उनका भला ही सोचते हैं, और वो इसे उल्टा ले लेते हैं।

मै कुसुम का ये रूप देखकर डर के मारे फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया।

(आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ, बाथरूम में साबुन, शैंपू, सब है, shaving क्रीम भी)

आज वापस अपने घर जाना था तो मै फ्रेश होकर दाढ़ी बना कर बाथरूम से निकला। मुस्कुराते हुए और मस्त अंगडाई लेकर (ताकि कुसुम समझ जाये की इन चिकनी बगल के पीछे मेरे प्यारे गोरे चिट्टे dove साबुन का बलिदान है) देखो न तुम्हारा dove साबुन shaving क्रीम से भी बेहतर और मुलायम shave बनाता है???

कुसुम: क्या?????? फिर से????? वो झट से बाथरूम में साबुन का विसरा देख कर कराह कर बोली ई ई ई ई ई ई ई ई उसकी घृणा वाली चीख निकल गयी, और आँखें चौडी हो गयीं,scene देख कर उसके साबुन का postmartum के बाद विसरा बिखरा पड़ा था।

कुसुम गुस्से में अतिदेव (अथार्थ पतिदेव)
म म मेरा मतलब पतिदेव, तुम हर चीज की अति कर देते हैं, इसलिए मैं तुमको अब से "अति देव" ही बोलूँगी। देखो तुमने मेरे साबुन को बालों में लपेट दिया? अति देव देखो आज भी shave और "बगल के बाल" मेरे साबुन को लगा लगा कर बनाएं हैं!!!! मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।

कोई न डार्लिंग तुम शैंपू से नहा लेना वैसे भी वो fiama di wilis वाले तुम्हारा
" चूतिया काट" कर तुम्हे शैंपू से नहलाते हैं और तुम उसे कुछ अलग body wash समझ कर खरीद लाती हो। मेरी प्यारी समझदार "ब्यूटी कांसियस बीवी" बेचारी शैंपू से नहाती है........मै पानी लगे बालों को सेट करते हुए बोला।

ये सुन कर कुसुम का चेहरा तो बस फक !!! हैं .... क्या बॉडीवाश् को शैंपू बोल रहे हो ????????


मैने मुस्की मारते कुछ कुछ उसे चिढ़ाते हुए smile दी।


दोबारा मेरा साबुन मत छूना, वरना तुम्हारी खैर नहीं,,,,,,,,,, कुसुम के चेहरे का जियो ग्राफिया पठारी हो चुका था, eyebrows बिलकुल चीनी लडाकों की मुद्रा में
कनपटीयों तक पहुँच चुकी थी।।


मै मुस्कुराते हुए बोला कुसुम के गाल खीचते हुए बोला हाय मेरा chinese गुस्सा


( Chinese गुस्सा इसलिए की हो सकता है हफ़्तों/ महीनों चले और हो सकता है अभी खत्म हो जाए)


तभी मन्दिर से मम्मी वापस आ गयी।


कुसुम... अरुण तुम दोनों सुबह सुबह फिर से शुरु हो गये.. मम्मी हम पति पत्नी की बहस को आखिरी चरण में खतम करने की नसीहत देते हुए बोली।


मम्मी अब आप ही बताओ? अगर कोई आपके प्यारे साबुन से बगल के बाल बना कर उसको बालों से लपेट देगा? तो क्या आप लड़ोगे या चिल्लाओगे नहीं??? और फिर कहोगे की बीवीयाँ झगडा करती रहती हैं? कुसुम मम्मी से बच्चो की तरह मेरी शिकायत करती हुयी बोली।


मम्मी ने मुझ पर ममतामयी डाँट लगाई और कुसुम से बोली बहू अब नाश्ता लगा दे।


ब्रेकफास्ट करते हुए, कुसुम के बनाये बथुए के पराठों की तारीफ करते हुए मै हास्य पूर्ण व्यंग कसते बोला.......अरे वाह!!! क्या हरियाली वाले पराठे हैं, आज तो मैं तृप्त हो गया !!


ये सुनकर आखिर सब की हँसी निकल पड़ी। हाहा हाहा हाहा


सुबह के नौ बजने वाले थे मेरी मम्मी बोली बेटा अरुण आज दोपहर को हमारे जो रिश्तेदार है उन्होंने गृह प्रवेश में आने का न्यौता दिया है, चल थोड़ी देर हम सभी भी होकर आते है। मैने कुसुम की ओर देखा कुसुम अपनी साड़ी लपेट चुकी थी और बालो को आखिरी स्वरुप दे रही थी की तभी मम्मी की आवाज़ आयी की तैयार हुई की नहीं, सब लोग आ चुके होंगे ज्यादा देर नहीं करते अब।


कुसुम तुरंत कंघा नीचे रखते हुए बोली हो गया बस और कमरे से बाहर निकल गयी। मै और मम्मी तैयार थे रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए। मैंने तुरंत कमरे को ताला लगाया और मम्मी कुसुम के साथ पैदल घर से निकल पड़ी।


वो दोनों कुछ बोलते हुए चल रहे थे पर में किन्ही और ख्यालो में था,


दस मिनट के बाद ही हम रिश्तेदार के मकान के सामने खड़े थे, अंदर काफी चहल पहल थी, कार्यक्रम का माहौल बन चूका था। एक बड़े हाल में सारे पुरुष लोगो के लिए व्यवस्था थी।


वहाँ की मेरी मम्मी कि भाभिया दूसरे थोड़े छोटे कमरे में थी अपने बहू और बेटियों, सहेलियों के साथ, इसलिए थोड़े अभिवादन के बाद हमने उनको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा।


अंदर एक बड़े कमरे में सारी औरते बैठी बातों में मशगूल थी, हमारे आते हैं उन्होंने स्वागत किया और हम लोग बैठ गए। कुछ औरते बातों में मग्न थी कुछ ने खाने की तैयारी कर ली थी। पता चला पूजा आरती का कार्यक्रम शाम 5 बजे होने वाला हैं।


तभी मेरी मम्मी की बड़ी भाभी जो रिश्ते में मेरी मामी लगती है हमारे पास आ गयी उनकी उम्र मेरी मम्मी से कुछ ज्यादा थी दिखने में वो दादी की तरह लग रही थी। मम्मी और कुसुम को अपने साथ कमरे में ले गयी।


मैं अपने पुराने दिनों और विचारो में खो गया और दोपहर होने वाली थी, अब तक आधी औरते और पुरुष खाना खा चुके थे। शायद शाम 5 बजे पूजा की तैयारी में, मगर मेरी हवन पूजा पाठ में रुचि नहीं थी, भीड़ भरा औरतों का माहौल देख कर मुझे शर्म आ रही थी। मैं कमरे से बाहर लघु शंका के बहाने किसी तरह औरतो के पाँव बचाते हुए बाहर निकला। घर की छत का मुआयना करके वापस नीचे आ गया।


मुझे देखते ही कुसुम भी उठ कर बाहर आ गयी फिर मैने पूछा की तुम खाना खा चुकी।


फिर उसने 5 बजे के प्रोग्राम के बारे में बताया। मैंने उसे समझाया की इस भीड़ में तुम आराम नही कर सकती। कुसुम कुछ सोचने लगी। उसकी इस उधेड़बुन को देखते हुए मैंने एक सवाल दाग दिया इन लोगों ने मेहमानों का एक विशेष प्रबंध किया हैं ।
घर की छत पर। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ, और पूछा छत पर तो बहुत गर्मी होगी।


मुझे और कुसुम को टेंशन में बातें करते देख मेरी मम्मी हमारे पास आ गयी, हमने उन्हे पूरी बात बता दी मम्मी बोली यहाँ छत पर आराम करने में कोई प्रॉब्लम नही है, पर बेटा तुझे शाम सात बजे ट्रेन पकड़ना है तो इससे अच्छा हम अपने घर चलते हैं, वैसे भी ढाई बजने वाले है।

कुसुम बोली मम्मी ये ही ठीक रहेगा, हम तीनों अपने घर की ओर निकलने से पहले मम्मी ने कहाँ कि भाभी को बोल ना तो पड़ेगा। और हम तीनो अंदर कमरे में चले गए।

मम्मी अपनी भाभी मतलब मेरी मामी से घर जाने की बात करने लगी मगर मामी मान नही रही थी, फिर मम्मी ने मामी को ये बताया कि सात बजे अरुण कि ट्रेन है उसे वापस अपने घर जाना है पापा के पास नागालैंड। तो उन्होंने मम्मी को रुकने के लिए बोला और मुझे कुसुम को जाने की अनुमति दे दी। और मम्मी से एकदम से खुश हो बोली अरे दीदी आपने ये मुझे बता कर बहुत अच्छा किया । मम्मी ने पूछा क्यो ऐसा क्या हुआ?

मामी बोलि अपने सुनील की पत्नी आपकी बहू को भी सुबह नागालैंड अपने मायके जाना है, मै बहुत परेशान थी अकेली कैसे जायेगी??

मम्मी बोली क्यो सुनील कहाँ है??
मामी बोली अरे वो तो shhiping co. में जॉब करता है चार पांच महीने में एक बार आता है। बस अगले महीने आ जायेगा तो बहू को वापस ले आयेगा। बातो बातों में ही मामी ने अपनी बहू को आवाज देकर बुला लिया। मैने जब मामी की बहू को देखा तो देखता ही रह गया।


सुनील की बीबी सुनीता करीब ३५ की होते हुए भी २५ साल की ही दिख रही थी। खान पान पर कडा नियत्रण और नियमित व्यायाम और योग के कारण उसने अपना आकार एकदम चुस्त रखा था। सुनीता का चेहरा वयस्क लग ही नहीं रहा था। उसके स्तन परिपक्व होते हुए भी तने और कसे हुए थे। उसके स्तन शायद ३४ + और स्तन सी कप साइज के थे। सुनीता की कमर का घुमाव और उसकी गाँड़ इतनी चुस्त और लचीली थी की गजब की सेक्सी लग रही थी।

मै उसकी तरफ आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था, तभी शायद कुसुम ने मेरी नजर को पढ़ लिया और मम्मी को इशारा करते हुए हँस दी। मम्मी कुसुम का इशारा समझ कर बोली बेटा अरुण जेठ है तु !! सुनील तुझसे छोटा है, और कल इसको भी अपने साथ ले जाना।

मै तो अंदर से बड़ा खुश था मै एक आँख मारते हुए मजाक में बोला अभी जेठ (may) का ही महिना चल रहा है।
हाहा हाहा हाहा

हाँ मम्मी ये तो अच्छा हुआ चलो सफर में अब बोरियत नही होगी। मै सुनीता से बोला आप साढ़े छे बजे तक रेड्डी मिलना मै आपको पिक कर लूंगा। फिर मामी के घर से निकल कर मै और कुसुम अपने किराये के घर में आ गये।

मैं पंखे को निहारते हुए सोच रहा था कि तीन घंटे बाद वैसे भी जाना है पता नही कितने दिनों के इंतजार के बाद यह खूबसूरत फल खाने को मिलेगा मुझे। और अगर मेरे जाने के बाद मेरे इस खूबसूरत फल को कोई और खाने लगा तो फिर मेरा क्या होगा।

नही नही ये नही हो सकता, मेरी कुसुम मुझे धोख़ा नही दे सकती, वो किसी गैर मर्द के साथ सोना तो दूर उसके बारे में सोच भी नही सकती है। लेकिन कुसुम के दिल, मन में क्या है इसका पता कैसे लगाया जाये, और अगर कोई और होगा भी तो उसने झूठ बोल दिया कोई नहीं है तो...??? कोई धाँसू आईडिया मिले जिससे वो झूठ ना बोले जो बोले सच बोले मगर कैसे???? क्योकि कोई भी चूतिया पति सिर्फ अपने मन में आये चूतियापे वाली सोच का जबाब अपनी पत्नी से किसी गैर मर्द के साथ सम्बधो / इच्छा की बात पूछकर अपनी खुशहाल जीवन में जहर नही घोलेगा।

मै और मेरी ठरकी सोच को कुसुम हमेशा प्रणाम कर दूर भागती है, वो किचिन में मेरे लिए रास्ते के लिए पूड़ीया बना रही थी। तभी मेरे हवशी मन में विचार आया कि जो लड़किया/लुगाईया अपने मोबाइल में सेक्सी, पोर्न कहानिया/फिल्म देखती है वो चुदड़कड होती हैं।


इसलिए मैने कुसुम के मन में क्या है उस बारे सोचते हुए मोबाइल में एक लिंक खोल कर ग्रुप सेक्स वीडियो देखा जैसे मैने वीडियो चालु किया तो उस वीडियो में एक शादी शुदा जोड़ा अपने दो मित्रों के साथ कोई हिल स्टेशन जाते हैं। संयोग वश उन्हें एक ही कमरे में रुकना पड़ता है। वहाँ वह शादी शुदा जोड़ा की बीबि को कम कपड़ों में देखते हैं।


दो पलंग एकसाथ जुड़े हुए होते हैं और रात को शादी शुदा जोड़ा पति अपनी पत्नी से लिपट कर सोता हैं तभी रात को अचानक ही शादी शुदा जोड़ा उत्तेजित हो जाता है और पति पत्नी से चोदने की रट लगाने लगता है। आखिर में पत्नी पति की बात मानकर कपडे पहने हुए ही अपना घाघरा ऊंचा करके उसे चोदने देती है।


शादी शुदा जोड़ा ने कोई परवाह नहीं की कमरे में दोनों मित्र उन दोनों को नंगा चोदते हुए देख रहे थे। वो दोनों मित्र शादी शुदा जोड़ा को उछृंखलता से चोदते हुए देखते हैं।


पत्नी अपने पति से चुदवाने में मग्न होती हुई अपनी आँखें बंद करके मजा लेती हैं तब उसका पति दोनों मित्रों को आँख मार कर इशारा करता है और फिर एक मित्र उसकी पत्नी की जाँघों पर हाथ रखता है। उसे देख कर दुसरा मित्र उस की पत्नी के स्तन दबाने लगता है। दोनों में होड़ लगती है और उससे पहले की पत्नी अपने पति के खेल को समझे, दोनों मित्र फुर्ती से उसकी बीबी के ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगते हैं। पत्नी समझ जाती हैं; पर जैसे असहाय है ऐसा ढोंग करके अपनी आँखें बंद करके इसका मजा लेती हैं और बाद में बिंदास होकर (अपने पति की इजाजत जो मिल गयी) अलग अलग तरीके से दोनों मित्रो के साथ पति को चोदती है और तीनों से चुदवाती है।


ऐसे कई तरह से एक साथ एक ही समय में एक का लण् चूसना, एक से चूत चुदवाना, और एक से गांड मरवाना, चूँचियों को चूसना और निप्पलों को काटना इत्यादि होता है और आखिर में दोनों मित्र और पति पत्नी की मुह, गांड और चूत में अपना वीर्य निकालते हैं।


उस वीडियो को देखकर मेरी तो हवा निकल गयी। जब मै ही इतना हैरान था, तो इसको कुसुम को दिखाना तो नामुमकिन सा लग रहा था। पर मुझे एक बात अच्छी लगी की मैने वही वीडियो चुना जिसमें पति के सामने पत्नी दूसरे से चुदवाती हैं।


मेरे अंतर्मन ने कहा "तुम निश्चिंत रहो। कुसुम से कहो की कहीं से एक वीडियो मिला है। वह थोड़ा सेक्स के बारेमें है और उसे सिर्फ बीबी के साथ ही देखना है ऐसा कहा गया है। पहले तो कुसुम थोड़ी ना नुक्कड़ करेगी, की यह अच्छा नहीं लगता, पर फिर वह इसे देखती रहेगी और आखिर में तुम खुद देख लेना क्या होता है।"


थोड़ी देर बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैने कुसुम को अपने पास बिस्तर पर बुलाया यह बात कह डाली। मैने उस से कहा की ये वीडियो देखो ये थोड़ा सा अश्लील है। उसे आश्चर्य हुआ जब कुसुम वीडियो देखने के लिए तैयार हो गयी। शायद उसे पता नहीं था की वह क्या देखने वाली थी।


जैसे मैने वीडियो चालु किया और पति पत्नी के रोमांस के सिन आये तो मेरी प्यारी बीबी और करीब बैठ गयी और मेरी टाँगों के बिच हाथ डालकर मेरे ढीले लण्ड को टटोलने लगी। जब पति पत्नी की चुदाई के दृश्य आये तो वह मेरा लण्ड पाजामे में से निकाल कर उसे फुर्ती से हिलाने लगी।


जैसे जैसे परदे पर दृश्य ज्यादा उत्तेजित होने लगे, अपना साड़ी सहित पेटीकोट ऊपर कर कुसुम ने मेरा हाथ उसमें डाला। मैने महसूस किया की मेरी बीबी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उसमें से उसका रस रिस रहा था। मै समझ गया की कुसुम मुझ से उँगलियों से चुदवाना चाहती है।


पर जब कुसुम ने देखा की दोनों मित्र शादी शुदा पत्नी को उसके पति की सहमति पर चढ़कर उन्हें चोदने लगे थे तो उससे रहा नहीं गया वह मुझ से चिपक गयी जैसे वह यह सब देखने से डर गयी हो। तब मैने अपनी उत्तेजित खूबसुरत पत्नी को अपनी बाहों में लिया और उसे यह कह कर प्यार जताने लगा की देखो जानूं यह सब होता रहता है। इसका आनंद लो। एन्जॉय करो।"


मेरे बार बार आश्वासन देने से और अत्यंत उत्तेजक भड़कीले सिन के कारण मै और कुसुम दोनों का उन्माद बढ़ता जा रहा था। जब मैने कुसुम के कपडे उतार कर कुसुम की चूत में उंगलिया डाल कर उसे उकसाना शुरू किया तो वह एकदम उत्तेजित हो गयी उसका पानी कई बार छूट गया। मैने कभी भी अपनी बीबी को इतनी बार निढाल होते हुए नहीं देखा। सिसकरिया लेते हुए हुए वह बोल रही थी, " अरुण ऐसा कभी नहीं हो सकता। यह गलत है।"


तब मैने कुसुम से कहा, "जानू, इस दुनिया में सारी अच्छी चीजें या तो या गलत, या असामाजिक, या तो कानूनी दृष्टि से अवैध मानी जाती है। पर होता सब कुछ है।"

वीडियो खतम होने के बाद मैने सहज रूप में ही अपनी बीबी कुसुम से पूछा वीडियो कैसा लगा तो कुसुम ने कहा, "देखो, सोचने में तो यह बड़ा लुभावना लगता है; और तुम जो चाहे कहो, पर ऐसा वास्तव में हो नहीं सकता। मेरे साथ तो कतई नहीं। गैर मर्द के बारे में तो तुम सोचना भी मत। मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। कमाल करते हो। तुमने क्या सोचा की मैं किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी? नहीं जी नहीं, यह नहीं हो सकता।"

मै अपनी प्यारी बीबी कुसुम की बात सुनकर खुश हो गया। मुझे लगा की मेरा प्लान काम कर गया और मेरी बीबी ने अपने मन में छिपी सच्चाई को बता दिया था। मै सोच में पड़ गया। तब अचानक मुझे कुसुम की दो बातें सूचक लगी।


पहले तो कुसुम ने कहा "देखने में तो यह सब लुभावना लगता है।" इसका मतलब यह हुआ की कुसुम को दो मर्दों से चुदवाने वाली बात लुभावनी लगी।

दुसरा जब कुसुम ने यह कहा की , "मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ जो किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी।" इसका मतलब कुसुम ने यह कहा की वह किसी ऐरे गैरे से चूदवाने के लिए नहीं तैयार होगी और वह वैसे ही नहीं मानेगी। वह एक इज्जतदार औरत है और अपनी इज्जत आसानी से किसी ऐरे गैरे के साथ दाव पर नहीं लगा सकती।

पर जो कुसुम ने नहीं कहा वह यह था की अगर कोई ख़ास व्यक्ति हो तो वह तैयार हो सकती है और उसे काफी मनाना भी पडेगा। शायद बातों बातों में ही कुसुम ने मना करते हुए भी इशारा कर ही दिया की वह मान सकती है। उसे किसी और से चुदवाना लुभावना तो लगता है लेकिन वह आसानी से मानने वाली नहीं है। उसके पीछे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबसे ज्यादा सूचक कुसुम ने यह इशारा किया की वह किसी साधारण व्यक्ति को अपना सर्वस्व समर्पण नहीं करेगी।





जारी है........
Shandaar update
 

Sanju@

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Cuckold & Incestuous feelings -- कहीं न कहीं सेक्स के इन दो तत्वों से जूझ रहा है अरूण ।
इन्सेस्ट की फीलिंग्स का कारण समझा जा सकता है । इसके लिए उत्तरदायी वह नही , उसकी मां है लेकिन , ककोल्ड की भावना उसके देर से वैवाहिक बंधन मे बंधना
और कुछ पोर्न एवं एडल्ट किताबें हो सकती है।
इंसान का स्वभाव होता है अपने हर सही - गलत कार्य को खुद द्वारा जस्टीफाई करना । सही गलत का आकलन वह स्वंय सृजन करता है भले ही नियमानुसार कुछ और हो।

और शायद अरूण का प्रॉब्लम भी यही है। कभी-कभार वह भ्रमित भी होता है और इसका कारण उसके आत्मविश्वास का डगमगाना ही है।

एक बार फिर से अरूण की मां ने बाॅल उछाल कर अरूण के हाथों थमा दिया और अब देखना है अरूण क्या करता है !
कुसुम परिपक्व महिला है। मर्दों के हाव-भाव और आंख की भाषा अच्छी तरह पढ़ना जानती है। शर्मा साहब से लेकर आफिस के हर कॉलीग को अच्छी तरह समझती है कि वो लोग किस कैरेक्टर के है और उससे क्या अपेक्षा करते है।
यहां भी यही देखना है कि वो इस रंगीनियत परिवेश से खुद को सुरक्षित रख पाती है या फिर बहक जाती है !

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मनू भाई। आउटस्टैंडिंग अपडेट।
बहुत ही शानदार अपडेट है
कुसुम ने कह दिया है कि उसे बड़ा अफसर बनना है और जल्दी परमोसन लेना है उसके लिए उसको कुछ भी करना पड़े देखते हैं कुसुम क्या करती है अपने दम पर या कोई और तरीका अपनाती है
 

Sanju@

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अध्याय --- 14 ----
------------ ""पतन की शुरुआत "" ------------

“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….

रास्ते में हमने कुछ खाना भी पैक करवा लिया क्योकि साहब की पार्टी में हमने खाया कम और पिया ज्यादा था।
आधे घंटे बाद हम दोनों होटल पहुँच गए, गाड़ी से उतरते ही कुसुम मुझसे एक नशीली कातिल मुस्कान के साथ कान में बोली मेडिकल पर जाइये और एक स्ट्रॉबेरी ले आइये, मै कुसुम की बात समझ नही पाया और कुसुम से दोबारा पूछा क्या??

कुसुम कुछ ज्यादा ही नशे में थी वो मेरे करीब आई और मेरे लंड को छेड़ते हुए बोली इसका स्वाद बदलने की दवाई समझे। हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै तुरंत ख़ुशी से oh अभी आया कुसुम ऊपर होटल के कमरे में चली गई।

हल्के मध्यम रोशनी से पूरा कमरा जगमगा रहा था,हवा में उड़ाती हुई खुशबू ने मेरे नथुनों को भर दिया,मैं आश्चर्य से भर गया जब मैं कमरे में घुसा,अभी कुसुम कही दिखाई तो नही दी लेकिन मोहोल को देखकर जरूर लग रहा था की आज कुसुम रोमांस के फूल मुड़ में है ,मैं धीरे से जब अपने कमरे में पहुचा तो पाया की वो बाथरूम में है और साथ ही बेड में पड़े उसके उत्तेजक अंतः वस्त्रो ने ये बात कन्फर्म कर दी थी की आज वो जलवे बिखेरने वाली थी ,मैंने उन अंतः वस्त्रो को देखा वो बिल्कुल ही नए थे जैसे पहली बार आज ही उनका इस्तेमाल होने वाला हो,वो बहुत ही मुलायम थे इनके मुलायम की उन्हें छूते ही मेरा लिंग अकड़न खाने लगा, मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाजे के पास पहुचा दरवाजा खुला हुआ था मैं अंदर दाखिल हो गया,कुसुम अंदर बिना किसी कपड़े के शावर के नीचे खड़ी हुई थी ,मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े फेके और पीछे से उसे जाकर अपनी बांहो में भर लिया..वो मुस्कुराई ले आये दवाई ..


“हा मेरी जान बड़ी मूड में लग रही हो ..”वो हल्के से हँसी

“और आप हमेशा की तरह जल्दबाजी में ..”वो खिलखिलाई

“कभी तो थोड़ा सब्र करो ,भाग थोड़ी ना रही हु, इतना इंतजाम किया है और आप यही शुरू हो जाओगे,”उसका गीला हाथ मेरे लिंग पर था, सच में मैं यही सोच रहा था की कभी अकड़े हुए लिंग को उसकी गीली योनि में घुसा ही दु ,लेकिन उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा खुद पर कंट्रोल पाने की सोची..

“ऐसे भी मेरे पास कुछ ऐसी खबर है की आप आज रात धमाल मचा दोंगे,पानी गिर गया तो फिर खबर का मजा नही आएगा ..”वो फिर से अपनी चिर परिचित अंदाज में खिलखिलाई और झट से टॉवेल उठाकर बाहर निकल गई ..

उसकी बात सुनकर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई थी ,मेरा दिमाग ही ऐसा था की मैं एक साथ कई पॉसिबिलिटी के बारे में सोचता हू।

उसके साथ ही मैं अपने लंड को सहलाता हुआ बाहर निकला और जल्दी से एक शार्ट पहन लिया ,मेरी उत्तेजना की शिखर ये था की लिंग शार्ट को मानो फाड़कर बाहर आना चाहता था,एक तंबू साफ साफ दिख रहा था,

उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी और उसके ताजे अंतःवस्त्र उसमे से झांकने लगे …

मैंने उसे फिर से जकड़ लिया था मेरा लिंग उसके कूल्हे में गड़ा जा रहा था ,साला सोने का नाम ही नही ले रहा था…

“ओहो चलो खाना तो खा लो “

“मुझे तो बस तुम्हे खाना है ,”मैं उसके गर्दन को चूमने गला वो मचली और तेजी से मुझसे अलग हो गई उसके होठो में शरारत भरी मुस्कान थी ,

“अगर ऐसा किये ना, तो कोई बात नही बतलाऊंगी “वो हसंते हुए बाहर निकल गई और खाना टेबल में सजाने लगी,मैंने अपने लिंग को सहलाया ..

“थोड़ी देर सब्र करले बेटा नही तो कुछ भी नही मिलेगा “

खाना बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था,आज मैं उसकी चुदाई को इतना बेताब था जिसे मैं दो ढाई महीने से चोद रहा था,

हवसी तो मैं पहले से था लेकिन लग रहा था की अपनी फेंटेसी की वजह से मेरी पुरानी हवस फिर के जाग गई है और बड़ी जोर से जागी है …

पूरे खाने के दौरान कुसुम ने मुझे अपने से दूर ही रखा और मैं उसे देखकर अपना लिंग मसलता रहा,मुझे लगा की साला आज तो ये अंदर जाए बिना ही झड़ जाएगा …

मैं अपनी हवस को काबू पाने के लिए थोड़ा इधर उधर चल रहा था,जब ये कम नही हुई तो मैं अपने तकिये को मारने लगा,कुसुम मुझे देखकर हँसने लगी..

“पूरी ताकत यही निकाल दोगे क्या ..”उसे पता था की जब मैं ज्यादा जोश में आता था और मुझे उसका साथ नही मिलता था तब मैं अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए पंच तकिये को मारा करता हू,खासकर उसके पीरियड वाले टाइम में मैं कई घण्टे तक उसे मरता थक जाता था ।

लेकिन फिर कुसुम की टांगो को देखकर उत्तेजित हो जाता,आखिर उस बेचारी को अधिकतर मेरा लिंग अपने मुह और हाथो से मसल कर झडना पड़ता था,कुल मिलाकर मैं हवसी था जिसे कुसुम जैसी समझदार लड़की ही अपने प्यार से मैनेज कर पाती थी …

मैं तुरंत ही उसके ऊपर कूद गया ,उसकी आंखों को देखकर थोड़ा शांत हुआ,और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया..

जब सांसे फूलने लगी तो हम अलग हुए ..

“क्या बताना चाहती थी “

मैं थोड़ा शांत हो चुका था ,

जब मेरी बीवी ने मुझसे कहा की तुम अपनी एक सेक्सुअल फैंटसी(इच्छा) बताओ और बदले मे तुम मेरी सेक्सुअल फैंटसी पूरी करना !

तो मैंने उसे बताया की मुझे आज की ये होटल की रात अपनी हनीमून वाली रात बनानी है तो वो मुस्कुराने लगी और कहनी लगी डिमांड तो बड़ी करी हैं आपने बदले में मैं भी बड़ी डिमांड करुँगी!

मेरी आंखे बड़ी हो गई और लिंग ने फिर से फुंकार जोरो से मार दी ,मैंने अपने लिंग को इतने जोरो से सहलाया की वो हँस पड़ी ..

“क्या तुम भी बस इतनी सी बात पर ऐसा खड़ा कर रहे हो पहले पूरा तो सुन लो “

मैं अधीरता से उसे देखने लगा ..

वो मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई ..

उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था मैंने उसे झट से नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर टूट पड़ा ,पहले तो हंसती रही लेकिन फिर वो सिसकियां लेने लगी ,मैं उसके पूरे बदन को अपने थूक से गीला कर रहा था,

उसे भी पता था की मेरी इस उत्तेजना का कारण क्या है लेकिन हवस थोड़ी ही देर में प्यार की शक्ल लेने लगा,जिस चहरे को तीन महीनों से देख रहा था वो रोज मुझे कुछ नया ही लगता था,हर नजरिये के साथ साथ नजर भी बदलते जाती है ,

वो इतनी मासूम लग रही थी की मुझे खुद पर भी थोड़ा गुस्सा आने लगा की मैने अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को खुद से दूर रहकर अकेले रहकर नौकरी करने की सहमति क्यो दे दी। और अपनी प्यारी कुसुम को दूसरे मर्दो के बीच अकेला छोड़ दिया। जहा हर मर्द उसे फसाना चाह रहा है।

""आज तो कुसुम सिर्फ बातें ही कर रही थी अगर असल जिंदगी में वो किसी के साथ पट गयी तो उसका सामना करना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल होगा…""

उसने मेरी आंखों में झांका मैं अभी भी उसके आंखों में डूबा हुआ था,उसकी आंखे थोड़ी पनियाई जैसे पहले पहले प्यार में अक्सर होता है,शायद ये थोड़ी थोड़ी शरारतें हमारे प्यार को कभी बूढ़ा होने नही देंगी,हम आज भी उसी नए जोड़े की तरह एक दूसरे के साथ व्यव्हार कर रहे थे जैसा की शादी के समय किया करते थे,वो आज भी मेरी आंखों में प्यार देखकर इमोशनल हो जाती और आज भी मैं उसकी आंखों में पानी देखकर उसके प्यार में और उतर गया,

मैंने अपने होठो को उसके आंखों पर लगा दिया,उसका पानी मेरे होठो से मेरे मुह में चला गया था,उसके होठो पर हल्की मुस्कान खिली और हमारे होठ फिर से मिल गए,मन शांत होने लगा और हवस ने हारकर प्यार का रूप ले लिया,कपड़े खुलते गए और हम एक दूजे में सामने लगे,मन और भी शांत हो रहा था,उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन शरीर के तल पर ही वो मन को नही जला पा रही थी,शरीर के तल पर दोनो ही मिल चुके थे ,सांसे भी एक दूसरे में घुलने लगी थी और मन भी ,..........


अब हम दोनों एक दूसरे के सामने आ गए. उसके दोनों मम्में मेरे सीने से चिपक गए थे, आंचल थोड़ा सा हट गया, था तो उसकी खूबसूरत मखमली वक्षरेखा नज़र आई।
गोरे मम्मों के बीच में मंगल सूत्र!

मैंने नीचे को देखकर कहा- ये मंगल सूत्र भी बड़ा किस्मत वाला है।
वो बोली- नहीं, ये नहीं … आप किस्मत वाले हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैंने भी कस कर उसे अपनी आगोश में ले लिया।

15-17 दिनों बाद अपनी बीवी को बांहों में भरा था. मुझे अपनेपन की फीलिंग आई तो मैंने अपनी टांग भी उसके ऊपर रख ली।

अब सब्र सा नहीं हो रहा था तो मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर को उठाई और उसके होंठों पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
बेशक उसने चुम्बन में मेरा साथ दिया, मगर एक कंपकंपी एक हरारत सी मैंने महसूस की।

मैंने पूछा- क्या हुआ कुसुम?
वो बोली- बड़ा अजीब सा लग रहा है।

मैंने कहा- तुम खूबसूरत हो जवान हो, आज पार्टी में बहुत से लोगों ने तुम पर ट्राई किया था।
वो बोली- हाँ किया था, मगर मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहा कि अगर मैंने एक बार गलती कर ली तो हो सकता है, कल वही गलती मेरे साथ साथ मेरी बेटी के भविष्य में उसको नुकसान न पहुंचाए।

मैंने कहा- अरे वाह, बड़ी दूर की सोची, और अगर मुझ से शादी ही न होती तो?

वो बोली- ""सोचना पड़ता है, मर्द और औरत की सोच में बहुत फर्क पड़ता है, आप अगर कोई गलती कर भी लेते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इस समाज में मर्द के लिए सब गुनाह माफ है, मगर मेरे किसी एक गुनाह की सज़ा मेरी बेटी भी भुगते, ये मुझे मंजूर नहीं है।""

मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली हुई कि चलो जिदी, और गुस्से वाली बीवी मिली, मगर इधर उधर मुंह मारने वाली भी नहीं मिली।

मैंने प्यार में आ कर फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार थोड़ा ज़्यादा देर!
और होंठ चूमते वक्त अपनी जीभ से उसके नीचे के होंठ को चाटा भी!
उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को हल्के सी छूआ।

अब मैं थोड़ा ज़्यादा फ्री महसूस कर रहा था, तो मैंने उसके आँचल को हटा कर बड़े अच्छे से उसकी वक्षरेखा को देखा और उसको छूकर कहा- ये मेरी सबसे पसंदीदा चीज़ है. मुझे औरतों के बड़े
और गोल मम्में बहुत पसंद है. और बड़ा क्लीवेज तो मेरी कमजोरी है.

मैंने खुश होकर उसके दो गोल और दूध से सफ़ेद मम्में मेरा मन ललचा गए.
मैंने एक को पकड़ कर दबाया- अरे यार, क्या मस्त चूची है तुम्हारी!

वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।

मैंने दोनों मम्में बारी बारी से दबा कर देखे।

बनियान मैंने पहनी ही नहीं थी, तो मैं अब सिर्फ एक छोटी सी चड्डी में था।

कुसुम मेरी चड्डी को देखा, अब लंड तो मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था, तो अब मेरी चड्डी काफी फूली हुई लग रही थी।

वो बोली- ठीक है, तो ये बताओ, बातें ही करोगे या चोदोगे भी मुझे?
मैंने कहा- चोदूँगा ज़रूर चोदूँगा, मगर तुम्हें चोदने से पहले तुमसे बहुत से बातें भी करूंगा।
वो मुझसे लिपट कर बोली- बातें और सेक्स दोनों साथ भी तो हो सकते हैं।

मैंने कहा- क्यों चूत में बहुत खुजली हो रही है।
वो बोली- 15-17 दिन बाद आज लंड मेरे हाथ में आया है. कहते हुये उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया- अब इसलिए सब्र का पैमाना छलकने को है।


मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया तो उसने हल्की सी सिसकी भरी- सी … आह…
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- 15-16 दिन के बाद लंड को अपने हाथ में पकड़ा है, बहुत तड़पती थी मैं!

मैंने पूछा- तो जब दिल मचलता था, तो कैसे समझाती थी अपने दिल को?
वो बोली- अरे उसके लिए तो रसोई में बहुत कुछ मिल जाता है.
कह कर वो हंस दी।

मैं समझ गया कि खीरा बैंगन गाजर ने इसके सुख दुख में साथ दिया है।

मैंने अपनी चड्डी उतार दी और उस से बोला- लो मिलो अपने पति से … प्यार करो इसे!

वो उठ कर बैठ गई, और तकिये के पास रखे कंडोम के पैकेट से कंडोम निकालकर मेरी जांघ पर सर रख दिया, फिर मेरे लंड की चमड़ी पीछे को हटा कर मेरा टोपा बाहर निकाला और मेरे सुर्ख लाल टोपे के बिल्कुल शिखर पर चूमा और उस पर कंडोम चढ़ा कर फिर उसे मुंह में लेकर चूस ने लगी।

मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ, क्योंकि कुसुम को कुछ कहने या सिखाने की ज़रूरत नहीं थी, उसे पता था, कैसे क्या करना है। पति को क्या पसंद होता है, इसी लिए उसने बिना कहे ही मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।

मैंने पूछा- लंड चूसना अच्छा लगता है?
वो बोली- अरे बहुत, इसे चूसे बिना तो सेक्स का मज़ा ही नहीं आता।
आप भी दिखाइए अपनी जीभ का कमाल।

और उसने घोड़ी बन कर अपनी भरी हुई गाँड मेरी तरफ घुमा दी। उसकी दोनों टाँगों के बीच में अपना सर सेट किया. तो उसने अपनी भोंसड़ी मेरे मुंह पर रख दी।

मैंने पहले उसकी चूत की दरार को चूमा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत की दरार के अंदर डाल कर फेरा.
तो उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर को उठाई। चूत तो उसकी … भर भर के पानी छोड़ रही थी।

एकदम से गीली चिकनी चूत, हल्का नमकीन खट्टा सा पानी का स्वाद मुंह में आया, तो मैंने उसकी सारी चूत को अपने मुंह में भर लिया, और फिर अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत के अंदर और उसके चूत के छोले को चाटने लगा।

मैंने कहा- तुम्हें लंड चूसना पसंद नहीं?
वो बोली- पहले नहीं था. मगर आज तो मैं इतनी बेताब हो गई कि मुझे नहीं लगता आगे से मैं इसे बिना चूसे रह पाऊँगी.
और फिर वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.

क्योंकि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है. और जो मैं मज़े ले ले कर उसकी चूत चाट रहा था कि अचानक वो तड़प उठी, और अकड़ गई. उसने मेरे सर को अपनी जांघों में भींच लिया और मेरे लंड को अपने दाँतों से काट दिया.

उसके मुंह से सिर्फ ‘उम्म … उम …’ की आवाज़ें ही निकली क्योंकि उसके मुंह में तो मेरा लंड घुसा था। मैं समझ गया कि ये तो स्खलित हो गई। मगर मैं फिर भी उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाता रहा।

उसका बहुत सारा पानी मेरे मुंह पे लगा गया, बहुत सारा मैंने निगल लिया।

उसके बाद जब उसने अपनी जांघों की पकड़ ढीली करी तो एकदम से उठ कर मेरे ऊपर चढ़ गई।

“मार डाला ज़ालिम तुमने तो! यार, बस अब एक बार इससे भी स्खलित कर दो मुझे! फिर चाहे जान से मार दो!”

मैं कुछ कहता या करता, उससे पहले ही उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और ऊपर बैठ गई. गीली चूत में मेरा लंड फिसलता हुआ अंदर तक घुस गया।
पूरा लंड अपने अंदर ले कर वो मेरी कमर पर ही बैठ गई।

एक भरा हुआ दूध सा गोरा, नंगा बदन मेरा लंड लेकर मेरी कमर पर बैठा था। मैंने कोई हरकत नहीं करी। एक बार उसने जैसे अपनी पूरी सतुष्टि करी हो कि हाँ एक मजबूत लंड उसकी चूत में अंदर तक घुस चुका है।

उसके बाद उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- आपको मेरी ये बेताबी बुरी तो नहीं लगी? कहीं आप सोचें कि कितनी कामुकता भरी है इसमें?

मैंने कहा- नहीं, बल्कि मुझे जैसी पत्नी चाहिए थी, तुम बिल्कुल वैसी हो. बल्कि मेरी सोच से भी बढ़कर। अब अगर ऊपर चढ़ी हो तो रुको मत, चोद डालो मुझे। मैं हमेशा से चाहता हू कि एक भरी पूरी तगड़ी औरत मुझे हराकर मेरे ऊपर चढ़ कर खुद सेक्स करे, मैं उसे नहीं बल्कि वो मुझे चोदे। और देखो तुम मुझे मिल गई। अब शुरू हो जाओ और अपने दिल में छुपी उस रांड को बाहर निकालो, और मुझे एक ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा दो।

वो बोली- जो हुकुम मेरे सरकार!

और उसके बाद उसने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू करी। पहले सीधी बैठ कर फिर, आगे झुक कर फिर मेरे ऊपर लेट कर, मगर उसने अपनी कमर नहीं रोकी, और मेरा लंड बार बार उसकी चूत में अंदर बाहर जाता रहा। पहली उसकी गीली चूत सूखी. और उसके बाद धीरे फिर से वो पानी छोड़ने लगी।


उसकी कमर चलती रही, उसको सांस चढ़ने लगी।
मैंने पूछा- मैं ऊपर आऊँ”?
वो बोली- नहीं, अब तो मर कर ही नीचे उतरूँगी।
वो मुझे पेलती रही.

धीरे धीरे उसके बदन पसीने से भीगने लगा, कुसुम एक शानदार औरत ही नहीं , एक जानदार औरत भी है।
उसके बड़े बड़े मम्में मेरे चेहरे पर झूल रहे थे जिन्हें मैंने खूब चूसा, और बहुत बार ज़ोर ज़ोर से काटा. इतनी ज़ोर से कि कुसुम की चीख निकाल दी.
मगर वो सिर्फ कामुकता के सैलाब में बहती चली गई, एक बार भी नहीं कहा लो मत काटो दर्द होता है।
उसके मम्मों पर मेरे दांतों के बहुत से निशान बन गए।

वो मुझे चोदती रही, चोदती रही, जब तक के मेरे लंड ने उसकी चूत में वीर्य की उल्टी नहीं कर दी।

जब मेरा माल गिरा तो वो बोली- अरे ये क्या किया, अंदर ही गिरा दिया?
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ,
वो बोली- अरे नहीं, वो बात नहीं, मेरे जिस्म पर गिराते, मेरे स्तनों पर, मेरे मुंह में … मुझे अच्छा लगता है मर्दाना वीर्य में भीगना, उसे टेस्ट करना।

मैंने उसकी चूत से लंड निकाला, जो अभी भी मेरे वीर्य से भीगा हुआ था, और मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया।
वो बड़े शौक से मेरे लंड को चाट गई। जितना भी वीर्य लगा था, सब चाट गई।

उसके बाद हम दोनों वैसे ही कुछ देर लेटे रहे।
हम कुछ कुछ बातें करते रहे।


ओह जान तुम तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम ही बना दोगी..”

मेरे मुह से यही निकला …

मैं थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही वो मेरे सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब मैंने उसकी आंखों में देखा तो वो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…

“सच में मैं किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती हु..”

कुसुम की बात से मेरे भी होठो पर एक मुस्कान खिल गई ..

“मुझे तो बना ही चुकी हो …”

वो हल्के से हँसी ..

“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी गुलाम बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कसीस ने मुझे अपना गुलाम ही बना दिया है…”

उसकी आंखों से छलकती हुई सच्चाई की बूंदों को मैंने अपने होठो में भर लिया …

“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले ,किसी भी मर्द को पागल बना देंगे….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”

मेरी आवाज में कुसुम के लिए बस प्यार ही प्यार था..

और उसके आंखों में आंसू ,जिसे मैं अपने होठो से हल्के हल्के से चूम रहा था,

“इतना ही प्यार करते हो तो हमेशा शक क्यो करते रहते हो ….” आज मम्मी के सामने मुझे कहाँ मुह काला कर के आई हो क्यो बोला था?????

उसकी बात से मैं सकपका गया था,ना जाने क्यो लेकिन उसकी हर बात मुझे अच्छी लगती है उसे मेरे सिवा किसी और की फिक्र ही नही है …

मेरे होठो में हल्की मुस्कान तैरने लगी …

“जलन तो होती है लेकिन फिर भी अच्छा लगता है जब देखता हु की तुम्हारा प्यार बस मेरे लिए है,और उन बेचारों के चहरे में मायूसी देखता हु...मेरे जीवन में सिर्फ तुम ही एक लड़की हो ,मैंने तो कभी कोई लड़की पटाई भी नही लेकिन तुम जिससे बात कर दो वो तुम्हारा दीवाना हो जाता है ,ऐसी बीवी है मेरी तो थोड़ा शक तो बनता है..”

उसने झूठे गुस्से से मुझे मारा ..

“आप भी ना ……..”

लेकिन वो तुरंत ही गंभीर हो गई

“लेकिन अगर किसी से मुझे भी प्यार हो गया तो …”

उसकी बात सुनकर मैं भी गंभीर हो चुका था..

“तो मैं समझूंगा की मेरा प्यार कमजोर था..”

वो थोड़ी देर मुझे देखने लगी ..

“और अगर मैं बहक गई तो ….”

उसकी बातो का इशारा मैं समझ सकता था,

मैं भी गहरे सोच में डूब चुका था..

“मुझे नही पता ….”

मैं बस इतना ही बोल पाया …

उसने प्यार से निहारते हुए मेरे होठो पर अपने होठो को रख दिया ..



जारी है।
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और अगर मै बहक गई तो ….”

उसकी बातो का इशारा मैं समझ सकता था,

मैं भी गहरे सोच में डूब चुका था..

“मुझे नही पता ….”

मैं बस इतना ही बोल पाया …

उसने प्यार से निहारते हुए मेरे होठो पर अपने होठो को रख दिया ..

थोड़ी देर बाद
“जान अब मुझे तुम्हारी गांड चोदनी है!!” मैंने कहा।

“आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

“ठीक है आओ चोद लो पतिदेव!” कुसुम बोली

फिर मैं बहुत खुश हो गया था। मैं अपनी खूबसूरत और सेक्सी बीवी की गांड चोदने जा रहा था। और इस बार मैं उसे उल्टा पेट के बल लिटा दिया। कुसुम की कमर के नीचे मैंने 2 मोटे तकिया लगा दिए। अब उसके पुट्ठे और गांड उपर आ गये थे। मैं लेट गया और उसके सफ़ेद पुट्ठो को सहलाता रहा। फिर मैं हाथ से दबाने लगा। मेरी खूबसूरत बीवी के पुट्ठे माशाअल्ला है मैं उसके पुट्ठे को किस कर रहा था और चाट रहा था। कुछ देर तक उसका चुम्बन लेने के बाद मैंने कुसुम के गोल मटोल पुट्ठे खोल दिए। सामने उसकी गांड थी। मैं जीभ लगाकर चाटने लगा। कुसुम “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….”


की आवाज निकाल रही थी। मैं जल्दी जल्दी उसकी चिकनी और कसी गांड पीने लगा। कुसुम को अलग तरह का सुख और नशा मिल रहा था। 15 मिनट तक मैंने अपनी बीबी की गांड पी। कुसुम पेट के बल लेटी हुई थी।


कुसुम खुद ही doggy sytle में आ गयी। उसने खुद की अपनी गांड के छेद में तेल लगा दिया और जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगी। मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। कुसुम जल्दी जल्दी अपनी गांड में ऊँगली कर रही थी। मैं अपने 9” के लंड को फेट रहा था। कुसुम का सिर बेड पर था और उसने अपनी गांड पीछे से उठा रखी थी। फिर मुझे बहुत जोर की वासना चढ़ गयी थी। मैंने अपने सीधे हाथ की दो ऊँगली में ढेर सारा तेल लगा लिया और कुसुम की गांड में डाल दी। “…..ही ही ही……अ अ अ अ.अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” वो चीख पड़ी।

फिर मैं पीछे से जल्दी जल्दी उसकी गांड में ऊँगली करने लगा। उफ्फ्फ! कितना कसा छेद था मेरी खूबसूरत बीबी की सेक्सी गांड का। मुझे बहुत कसावट मिल रही थी। मुझे भरपूर मजा मिल रहा था। कुसुम doogy style में बनी हुई थी। आज पहली बार वो अपनी गांड चुदाने जा रही थी। धीरे धीरे मैं गांड में अपनी ऊँगली भीतर तक डालने लगा।

दूसरे हाथ की ऊँगली मैं कुसुम की चूत में करने लगा। इससे उसको बहुत आनंद आ रहा था। उसे भरपूर मजा मिल रहा था। मैं इस समय उसकी रसीली चूत और कसी गांड दोनों में ऊँगली कर रहा था। जब चिकनाहट कम हो जाती थी मैं उसकी गांड में थूक देता था। फिर मै खड़ा हो गया और मैंने आपनी बीबी की गांड में अपना लंड डाल दिया। मेरे लंड में तेल लगा हुआ था। इस वजह से वो आराम से अंदर घुस गया था। धीरे धीरे मैं अपनी बीबी के साथ डीप ऐनल सेक्स करने लगा।

तभी मेरा फोन बजने लगा, कुसुम देखो जरा किसका फोन है रात के बारह बजे किसकी सेजवानी में परेशानी हो गयी????

आपकी मम्मी का फोन है, ओह आह मम्मी ??? में सिसकरिया लेते हुए बोला।

चुप करो वो आपकी मम्मी है, मै फोन पिक करती हूँ जरा रुक जाओ, आह आह

हैलो मम्मी आह आह आह ओह उ शि सी सी।

हैलो कुछ तो बोलो और फोन disconnet हो गया।

क्या हुआ कुसुम???

मम्मी हमारी कामुक सिसकरिया सुनकर फोन काट दी, कल सुबह गाली खाने के लिए रेडी रहना पड़ेगा। और जब मैने आपसे रुकने को बोला तब भी आप और जोर से पेलने में लगे थे। मम्मी के नाम से आप को कुछ ज्यादा ही जोश आ रहा था क्या?????

कुसुम “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…मेरी गांड फट गयी!! ओह्ह” इस तरह से चीख रही थी। मुझे अच्छा लग रहा था। हम दोनों बेड पर रासलीला कर रहे थे। मैं खड़े होकर अपनी बीबी की गांड चोद रहा था। दोस्तों मैं समझता था की गांड में कभी लंड नही जाएगा। पर मैं पूरी तरह से गलत था। आज तो मेरा 9” का लंड आराम से अंदर घुस गया था। मैं झुककर किसी कुत्ते की तरह अपनी बीबी की गांड मार रहा था। कुसुम कामुक किलकारियाँ निकाल रही थी। उसकी बड़ी बड़ी चूची नीचे को लटक रही थी। सेक्स के नशे में मैं उसके गोल मटोल पुट्ठो पर कई चांटे चट चट करके मार दिए। कुसुम के सफ़ेद गोरे पुट्ठे पर मेरी ऊँगली गुलाबी रंग की छप गयी। फिर मैं उसके साथ ऐनल सेक्स करने लगा।


वो “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की कामुक आवाजे निकाल रही थी। मेरा लंड उसकी गांड में जल्दी जल्दी और बड़ी आसानी से फिसल रहा था। मैंने अपना बाया हाथ उसकी चूत के दाने पर रख दिया और जल्दी जल्दी उसके चूत के दाने को सहलाने और घिसने लगा। कुसुम को आज परम सुख मिल रहा था। मैं जल्दी जल्दी बेड पर खड़े होकर अपनी बीबी की गांड चोद रहा था। आधे घंटे की गरमा गर्म चुदाई के बाद

हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की कामुक आवाजे निकाल रही थी। मेरा लंड उसकी गांड में जल्दी जल्दी और बड़ी आसानी से फिसल रहा था। मैंने अपना बाया हाथ उसकी चूत के दाने पर रख दिया और जल्दी जल्दी उसके चूत के दाने को सहलाने और घिसने लगा। कुसुम को आज परम सुख मिल रहा था। मैं जल्दी जल्दी बेड पर खड़े होकर अपनी बीबी की गांड चोद रहा था। आधे घंटे की गरमा गर्म चुदाई के बाद मैंने अपना माल उसकी गांड में ही छोड़ दिया। मेरा लंड अब बाहर आ गया। हम दोनों के पसीने छूट गये। कुसुम मेरी उपर लेट गयी और “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हममममअहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” बोलकर गहरी और लम्बी सांसे ले रही थी। साफ था की आज मैंने कसके उसकी गांड चोद ली थी। वो अब भी अपनी गांड के छेद को सहलाये जा रही थी। कुसुम के माथे पर ही पसीना छूट गया था। उसकी पीठ पर ही काफी पसीना आ गया था। उसकी गांड कल्ला गयी थी।


“क्यों मजा आया जान ऐनल सेक्स में????” मैंने पूछा

“ अरुण!! आज तो तुमने मेरी माँ चोद दी” कुसुम बोली।
धीरे धीरे उसकी साँसे तेज से धीरे होनी लगी। मैं उसकी रसीली चूचियों को सहलाने लगा। कुछ देर तक हम दोनों सुस्ताते रहे।

मैने कहा कुसुम मेरी जान अब तुम अपनी sexual fantasy बताओ???

मेरे होठो को चूमते हुए कुसुम बोली अब आपकी जान में जान नही बची है अपनी sexual fantasy बताने की। उधार रही।

हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये।

अगली सुबह

“गुड मॉर्निंग बेबी “

सुबह सुबह जब नींद खुली तो ये प्यारी सी आवाज मेरे कानो में आई.. कुसुम का खिला हुआ चहरा मेरे आंखों के सामने था,वो मुझसे लिपट गई उसके बाल भीगे हुए थे और शरीर से हल्के इत्र की खुश्बू आ रही थी ,

"यार कुसुम, देखो क्या हाल बना लिया तुमने अपना , जब मैं मना कर रहा था उस तरह से करने के लिए तब तो तुमने थप्पड़ मार कर मुझे करने के लिए उकसाया , अब देखो ये क्या हाल हो गया है " मैने कुसुम को लंगड़ाते हुए चलते देखकर कहा ,

"आप चुप करिये जी ! एक सुहागन अगर अपने रूम से लंगड़ाते हुए ना निकली तो उसका सुहाग किस काम का " कुसुम के गालो की लाली और आँखों की थकावट बता रही थी की रात के प्यार का नशा अभी तक उसके ऊपर चढ़ा हुआ था |

“कल जो भी हुआ उसके लिए सॉरी जान ,शायद मैं ज्यादा पी गई थी “उसने मुझसे सटते हुए कहा

“लेकिन बहुत एक्साइटिंग था,कसम से कल का सेक्स मैं कभी नही भूलूंगी “

मैं कुसुम के कमर को और जोरो से अपने ओर खिंचने लगा,वो मेरे आंखों में देख रही थी ,

मैं भी हँस पड़ा ,

“सच में आपको गुस्सा नही आया ??”

“आया ना,लेकिन मजा भी आया ,ये वैसे ही था जैसा तुमने हमारी सुहागरात वाली रात को कहा था,की दर्द तो हुआ लेकिन मजा भी आया,तो बात इसपर डिपेंड है की ज्यादा गुस्सा आया की मजा ”

हम दोनो ही हँसने लगे ..


उसे तैयार होते हुए देखकर ना जाने कितने सवाल मेरे मन में आ रहे थे,मैं यही सोच रहा था की आज वो ऑफिस में राज का सामना कैसे करेगी,या राज शायद आज उसपर और भी ज्यादा लाइन मारेगा..

वो रोज से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी और जाते हुए उसने मुझे जो शैतानी मुस्कान दी थी उससे लगा था की कुछ तो होने वाला था,

कुसुम मै क्या तुम्हे ऑफिस छोड़ने चलु??
मैने हस्ते हुए पूछा।

नही यार तुम आराम करो, हा फ्रेश होकर मम्मी से फोन कर पूछ लो क्या सब्जी लाना है घर जाते हुए खरीद कर लेते जाना, कुसुम ये बोल कर ऑफिस के लिए निकल गयी।

मै भी फ्रेश होकर होटल से घर के लिए निकल गया ।

उधर घर में मम्मी खुद को शीशे में निहार रही थी | क्या मै बूढी हो रही हूँ? अपने चेहरे को गौर से देखते हुए, चेहरे के एक एक हिस्से की गौर से जाँच करते हुआ, जैसे कोई खूबसूरत औरत अधेड़ हो जाने के बाद खुद की खूबसूरती का जायजा लेती है | वो अभी भी जवान है और किसी भी मर्द के होश उडा देने में सक्षम है, ये मुझे भी पता है लेकिन कल रात अपने सगे बेटे और बहू की संभोग करते हुए कामुक सिसकियों की आवाज फोन में सुनकर कुछ ऐसा हुआ जिसने गंभीरतापूर्वक विचार करने पर मजबूर कर दिया, पहली बार मम्मी को अहसास हुआ की अब वो जवानी की दहलीज से फिसलना शुरू कर चुकी है |

50 साल की खूबसूरत मेरी मम्मी बाथरूम से नहाकर बाहर निकलती है और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लेती है, लेकिन आईने तक आते आते तौलिया फिसल जाता है | खुद को नंगे आईने में देखते हुए अपनी हल्की भूरी चूची को रगड़ने लगती है, कुछ ही सेकंडो में मम्मी चुचियाँ कड़ी हो जाती है, वो अपने उरोजो को अपने हाथ में लेकर प्यार से मसलती है, और मम्मी के शरीर में कामसुख की एक लहर दौड़ जाती है |

मम्मी को पता है वो उत्तेजित होती है और सेक्स चाहिए | एक खूबसूरत कामुक अधेड़ उम्र की औरत के लिए उच्च चरित्र का जीवन जीना आसान नहीं होता | उसके सामाजिक दायरे में किसी भी भद्र पुरुष की तरफ वो कभी आकर्षित नहीं हुई सिवाय अपने बेटे के, जिसका नाम अरुण है | समाज में मम्मी को लोग बेहद उच्च चरित्र की महिला मानते है और काफी सम्मान भी देते है | मम्मी ने भी इस गरिमा को बनाकर रखा हुआ है, अपने बेटे अरुण को छोड़कर आजतक किसी और पुरुष के लिए मम्मी मन में कभी विचार नहीं आया, हालाँकि वो अपने बेटे अरुण को भी वो अपने दिल की बात ये सोच कर नहीं बता पाई, कि पता नहीं क्या सोचेगा |


मै बाजार से सब्जी लेकर घर पहुँचा।
मम्मी चाय पी रही थी, मुझे देखकर उन्होंने कोई reaction नही दिया, थोड़ी देर बाद मैने पूछा मम्मी और चाय है क्या ???
वो शांत रही, मै किचिन अपने लिए चाय ग्लास में लेकर वापस मम्मी के पास आकर बैठ गया।

इंतजार करता रहा मम्मी कुछ बोले पर वो खामोश रही, तो मैने ही फिर से पूछा क्या हुआ मम्मी आप इतनी चुप सी क्यों हो???


मम्मी थोड़े गुस्से में सच हलक में अटक गया है, उसे बाहर कैसे निकालू???

कैसा सच मम्मी???

कड़वा सच

मुझे कुछ समझ नही आ रहा है आप क्या बोल रही हो???

बेटा अरुण पिछले दो तीन दिनों में हम दोनों के बीच जो बातें हुयी कैसे तुमने मुझे अपनी बीवी की तरह प्यार से बात की, मेरे ब्रा पैंटी धोये, और भी जो हमारे बीच हुआ वो भूल जा, बेटा वो गलत था और मै भी तुझे रोकने की वजह उकसा रही थी।

""शायद कल रात अपने सगे बेटे और बहू की संभोग करते हुए कामुक सिसकियों की आवाज फोन में सुनकर कुछ ऐसा हुआ जिसने गंभीरतापूर्वक विचार करने पर मजबूर कर दिया, कि मम्मी अपने बेटे के साथ जो कर रही थी, और जो करने की सोच रही थी वो गलत है ""


एक मम्मी अपने शादी शुदा बेटे के उसकी बीवी के रहते हुए उसकी बीवी बनने की सोच भी कैसे सकती है, मुझे माफ कर दे बेटा। मै बहक गयी थी।

मै मम्मी के आँखों के आँसू पौछते हुए बोला मम्मी इसमें गलती आपकी नही मेरी थी, मै आपसे माफी मांगता हू।

हम दोनों अब आगे से कोई भी ऐसा काम नही करेंगे जिससे आपको अपने पति के सामने और मुझे अपनी पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े।

थोड़ी देर बाद मम्मी किचिन में खाना बनाने चली गई,

मै आराम से वेबसाइट में कुछ स्टोरी पड़ने लगा,मुझे उससे कुछ आइडियाज मिले की कैसे एक पति अपने पत्नी के पास काम के वक्त फोन करता है ,मुझे खुद पर हँसी भी आ रही थी की मैं ये क्या पागलपन करने में लगा हुआ हु…

लेकिन फिर भी मैंने कुसुम को काल लगाया ..

“मैं उसे ऑफिस टाइम में तब ही फोन करता था जब मुझे बाहर जाना होता या कोई इम्पार्टेंट काम होता ,

“हैलो आज इस वक्त सब ठीक तो है ना
“बस सोच रहा था की आज राज का क्या रिएक्शन रहा होगा..”वो चुप तो थी लेकिन उसकी हल्की हँसी की आवाज मेरे कानों में पड़ रही थी ,

“आप सच में पगला गए हो ,चलो आपको तो कोई काम है नही लेकिन मेरे पास बहुत काम होता है ,”

“अरे मेरी जान कुछ तो बताओ “

“क्या …? क्या बताऊँ बस साला अजीब से घूर रहा था और पास आने की बात करने की कोशिस कर रहा था लेकिन मैंने उसे कोई चांस नही दिया ,अब वो अपना काम कर रहा है और मैं अपना और आप भी अपना काम करो , लेकिन अब अपनी बीवी की जासूसी करने में मत लग जाओ “वो खिलखिलाई और मैंने भी उसे प्यार से लव यू बोलकर फोन रख दिया,लेकिन जाने अनजाने कुसुम ने मेरे दिमाग में एक दूसरे आईडिया को जन्म दे दिया था, ""कुसुम की जासूसी ….""

मेरे दिमाग में बहुत सारे सवाल उथल पुथल कर रहे थे कि आखिर मै अपनी बीवी की जासूसी करने की शुरुआत कैसे करू???

इसी उधेड़बुन में मै खाना खा कर नीचे आ गया और एक मोबाइल शॉप पर चला गया। मैने एक हेडफोन खरीद कर उससे पूछा एक मोबाइल में दो whatsup, fb, isnta चल सकते है, वो बोला हा।

किसी और का व्हाट्स up चलाना है,
वो हस्ते हुए बोला अपनी बीवी का????
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै भी हँस गया।

वो बोला हा, आप paraell space मे wahtsup fb insta जो भी चाहे download करे और अपनी बीवी का मोबाइल no. डालकर otp से चालू कर ले। उनके सारे मैसेज pics, वीडियो आप के मोबाइल में आने लगेगे।

मै बहुत खुश हो गया और उसको एक vimal की तंबाकू खिला कर कुसुम के मना करने के बाद भी उसे ऑफिस से लेने चला गया।

आधे घंटे ऑफिस के बाहर इंतजार करने के बाद कुसुम आ गयी और बोली आप कैसे टपक पड़े। मै बोला फ्री था time पास नही हो रहा तो तुम्हे लेने आ गया।

मै उसे बैठा कर घर की ओर चल दिया। मैने उससे पूछा कैसा रहा ऑफिस में आज का दिन।

वो बोली मस्त,

ऑफिस में सभी अपने-अपने काम में व्यस्त थे. मैं भी अपने काम में लग गयी. तभी मेरी नजर sdm साहब के साथ बात करते हुए राज पे पड़ी. वो भी मुझे घूर-घूर के देख रहा था.

थोड़ी देर हम एक दूसरे को चोर निगाहों से देखते रहे. फिर मैंने अपनी नज़र हटाली. Sdm साहब अपने cabin में चले गए। एक बजे लंच की शुरुवात हो गयी. सब उठ कर कैंटीन में जाने लगे, मैं मेरी कलिग रोशनी के साथ कैंटीन एक कोने में खड़ी रह कर सब देख रही थी और लंच करने के लिए बैठने के लिए कुर्सी को ढूंढ रही थी. तभी मेरे सामने हाथ में कुर्सी को लाते हुए. देखा तो वही राज था.

“शायद इसे ढूंढ रही है आप”- कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए वो बोला.
मैं- “अअ.. हाँ!. इसे ही ढूंढ रही थी. थैंक यू.” और उसे स्माइल दी.

राज – आप कमाल की खूबसूरत हैं.
मैं- थैंक यू.
राज - आपके शानदार हुस्न का राज क्या है??
मैं- शायद आप गलत नंबर डायल कर रहे है.
राज – तो आप ही दीजिये अपना सही नंबर.
मैं- मैं शादीशुदा हूँ.
राज – तो क्या? शादी शुदा लोग क्या मोबाइल नहीं इस्तेमाल करते?

मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर रोशनी बोली कुसुम ये ऐसा ही है, सबके साथ flirt करता है। और इतना तो चलता है।

मै बोली mr राज ये पंतरे मुझ पर मत चलाना और फिर हम वापस अपने काम में लग गये।

कुसुम मेरे पीठ से पूरी तरह लिपट कर बोली एक बात कहु

मै हाँ बोलो

“जान सच में वो बहुत हैंडसम है ,आज उसके साथ ही लंच किया मजा आ गया ,पूरे ऑफिस की लडकिय उसकी दीवानी है .. मै सोच रही हु .........



जारी है......
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
अब कुसुम राज और एसडीएम साहब का क्या चक्कर है
 

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कुसुम मेरे पीठ से पूरी तरह लिपट कर बोली एक बात कहु


मै हाँ बोलो


“जान सच में वो बहुत हैंडसम है ,आज उसके साथ ही लंच किया ,पूरे ऑफिस की लडकिय उसकी दीवानी है ..सोच रही हु राज से दोस्ती कर ही लू .”


उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था। ये समझने के लिए कि कुसुम पहले जैसी घमण्डी, गुस्से वाली नही रही, उसके बदले हुए स्वभाव को देखकर मुझे बहुत खुशी हुयी।


मै बोला तुम उससे ज्यादा lift मत दो बस। अपने काम से काम रखो। वो अपने आप ही समझ जायेगा यहाँ दाल नही गलने वाली।


बातें करते हुए हम घर के पास पहुँच गए। वहा दो तीन फल के ठेले लगे हुए थे। मै अपनी बाइक एक ठेले के पास रोक कर खड़ा हो गया और ठेले वाला बड़ी डबल मीनिंग में बोला भाई साहब ये देखो पके बड़े बड़े पपीता आप के हाथो में नही समायेंगे। और आपको पसंद भी आयेंगे।


"" स्त्रियाँ एक किताब की तरह होती है, जिन जिन नजरों से वो होकर गुजरती है... वो नजरे अपने अपने विवेक के अनुसार अपनी अपनी समीक्षाएं लिखती है ""


मै उस ठेले वाले की चेहरे की तरफ देख रहा था, वो कुसुम के ब्लाउस के clevage में से दिख रहे बड़े बड़े स्तनो की घाटी देखकर मंद मंद मुस्कुराते हुए बोल रहा था।


""कुसुम कमर से तो पतली है पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए है। कोई भी देखने वाले की नजर कुसुम के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती है। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते , की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव है और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। ""


""कुसुम की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन है। कुसुम उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती है। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा । आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक है।""


कुसुम ने उसके हाथो से पपीता लेकर मुझे दिखाने लगी।


मैने कुसुम के हाथों से पपीता लेकर ठेले वाले से बोला ये तो पिलपिले और मुलायम है, थोड़े कड़क और टाइट कसे हुए दो।


इतने में कुसुम जगह और माहौल को नजर अंदाज कर हस्ती हुयी बोल पड़ी आपके हाथ की पकड़ कमाल है कोई भी टाइट चीज को अपने मजबूत हाथो से दबा कर मुलायम कर देते है।


मै थोड़ा सा अपने आप में शर्मा सा गया, ठगा सा महसूस करने लगा और कड़क आवाज में बोला ठीक ठीक है अब जल्दी से लो और घर चलो।


फिर हम घर की ओर चल दिये, घर के नीचे पहुँच कर मै बाइक स्टैंड पर खड़ी कर रहा था कि कुसुम बोली सुनिये मुझे ऑफिस से आज ऑफिशियल जोइनिंग लेटर मिला है उसकी फोटो कॉपी (xerox) करना है, चलिए वो सामने कि शॉप पर करवॉ लेती हूँ।

मैने कहा चलो, शॉप ऊँची थी, और वहा कुछ स्कूल के टीन एज के लड़के खड़े हुए थे । और उनके हाथों में क्रिकेट के bat थे वो आपस में बड़ी जोर शोर से हँस कर हँसी मजाक कर रहे थे।

कुसुम आगे आगे अपनी कमर नागिन की तरह बलखाती हुयी चल रही थी, मै उसके पीछे था, कुसुम के पारदर्शी ब्लाउस में पसीने की वजह से उसकी लाल रंग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी।

""अपनी पत्नी और सड़क पर चलती औरतों को देख कर मुझे एक चीज़ समझ आई कि भले औरत खुबसूरत न हो, तब भी यदि उसने पारदर्शी ब्लाउज पहना हो जिससे उसकी ब्रा दिखती हो या फिर उसका ब्रा स्ट्रेप दिख रहा हो, तो आदमियों की नज़र सिर्फ उसकी ब्रा पर ही अटक जाती है. इसलिए बहुत सी लुगाईया आजकल जब भी घर से बाहर निकलती है तो पारदर्शी ब्लाउज पहनकर ही जाती है. क्योंकि उनमे यदि खूबसूरत औरत बनने में कोई कमी रह भी जाए तो भी किसी भी आदमी का उस पर ध्यान ही नहीं जाता. वो तो बस उसकी ब्रा को ही देखते रह जाते है !""

कुसुम अपनी कमर में घुसाये हुए मोबाइल फोन और मस्त मस्त बड़े बड़े नितंबो को हिलाते हुए चल रही थी, उसके हिलते हुए कूलहो या गांड को देखकर मुझे अजीब सी छिछोरो वाली फीलिंग्स आ रही थी।

ज्यादातर कुसुम साडी पहनकर ही बाहर निकलती है। उसे जीन्स पहनना टालती है क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसी के ऊपर लगी रहती है। जब कभी कुसुम जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो कुसुम बड़ी ही अजीब महसूस करती है क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी कुसुम की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते है।

भले ही वो मेरी पत्नी है पर मै ठरक से भरा हुआ उसका ठरकी पति जो हू।

हम शॉप पर पहुँच गये, कुसुम ने बैग में से पेपर निकाल कर शॉप वाले लड़के को देते हुए बोली इसकी फोटो कॉपी करना है। शॉप पर एक युवा नौजवान लड़का xerox मशीन पर काम करते हुए हल्की सी मुस्कान देते हुए बड़ी ही flirt वाली अदा से दिवर्थी अंदाज में बोला। भाभीजी आगे और पीछे दोनों तरफ से करवाना है या आगे से ही काम चल जायेगा।

कुसुम बोली वैसे तो आगे से काम चल जायेगा पर तुम पीछे से भी करो कोई प्रोब्लॉम् नही मुझे।

मै अपनी पत्नी कुसुम और उस लड़के की डबल मीनिंग बातें मूक दर्शक की तरह चुप होकर सुन रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि ये कुसुम फोटो कॉपी करवा रही है या गांड मरवा रही है।
हँसी भी आ रही थी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

कुसुम xerox शॉप वाले की दुकान पर रखे स्टूल पर बैठ गयी और मै बहार उन स्कूल के नई उम्र के लौंडो के से हल्का सा दूर खड़ा हो कर उनके मजाक भरी गप्पे सुनने लगा।

लेकिन आज वह जो बातें मजाक मजाक में इन लड़कों के मुंह से सुन रहा था ऐसी बातें मैने आज तक कभी भी अपने कानों में नहीं सुनी थी । एक लड़का उन लड़कों से बोला।

क्या यार आज तुम लोग इस तरह से क्यों बैठे हुए हो मैं तो क्रिकेट खेलने आया था लेकिन तुम लोग क्रिकेट ना खेल कर बस ऐसे ही बैठे हुए हो।
( उसकी बातें सुनकर उनमें से एक लड़का बोला)

हां यार कर भी क्या सकते हैं क्रिकेट खेलने तो हम भी आए थे लेकिन गेंद ही खो गई,,,,,,,,

यार सारा मूड ऑफ हो गया वह बोला,,,,,,)

कोई बात नहीं तो क्या हुआ( दूसरे लड़के की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) अपनी रोहित की मम्मी है ना इसके दोनों बड़े बड़े गेंद कब काम आएंगे,,,,, उनसे ही एक दिन के लिए उधार मांग लेते हैं दबा दबा कर खेलेंगे हम सब,,,,( तभी उसकी बात सुनकर जिसको वह बोल रहा था वही रोहित हंसते हुए बोला।)

हाहाहा हाहाहा हाहाहा

तेरी दीदी के पास भी तोे दो गेंदे है मस्त-मस्त चलो ऊनसे ही मांग लेते हैं। ( रोहित की बात सुनकर लफंगे जैसा दिखने वाला मोहन बोला।)

यार मांग तो लु लेकीन मेरी दीदी कि दोनों गेंदे छोटी छोटी है उनसे क्रिकेट खेलने में मजा नहीं आएगा मजा तो तेरी मम्मी की दोनों गेंदों में आएगा जब मैं उनको अपने हाथों में भरकर अपने कपड़े पर रगड़ते हुए बॉलिंग करुंगा।
( उसकी बात सुनते ही सभी लड़के और मै भी हंसने लगा और वह लड़का भी हंसने लगा।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा


जिसको वह उसकी मम्मी के बारे में कह रहा था। तभी दूसरे लड़के ने उनमें से ही एक लड़के के बारे में संबोधित करते हुए बोला।

यार रोहित की मम्मी को छोड़ अपने राहुल की मम्मी को देख कितनी बुड़ी बुड़ी चुचीयां है और कपड़े तो ऐसे पहनती है जैसे कि दूसरों को ललचा रही हो। कसम से जब भी देखता हूं तो मेरा तो लंड खड़ा हो जाता है।

( ऊस लड़के की बात सुनकर मेरी तो हालत खराब होने लगी मैने इस तरह की खुली और गंदी बातें कभी भी नहीं सुनी थी। लेकिन आज सोसाइटी के ऐसे अच्छे लड़कों के मुंह से ऐसी गंदी बातें सुनकर मै दंग हो गया था। लंड खड़े होने की बात से तो मेरे पेंट मे भी सुरसुराहट सी महसूस होने लगी थी।)


तभी वह लड़का बोल पड़ा जिसकी मम्मी के बारे में दूसरे लड़के ने इतनी गंदी बात कही थी।)

तेरी मम्मी को भी तो देखकर मेरा भी हाल यही होता है, तेरी मम्मी भी जब गांड मटकाते हुए चलती है तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है देखना एक दिन किताब लेने के बहाने तेरे घर आऊंगा तो तेरी मम्मी को चोद कर जाऊंगा।
( उसकी बात सुनकर एक बार फिर से सभी ताली मार के हंसने लगे ।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा


और बड़े आश्चर्य की बात यह थी कि जिसके बारे में यह सब बातें हो रही थी वह भी ईन लोगों की हंसी में शामिल हो जाता था। सभी लोग एक दूसरे की मम्मी के बारे में गंदी बातें कर के मजे ले रहे थे।


मै तो आश्चर्य से खड़ा होकर ऊन लौंडो की बातें सुन रहा था और अजीब-अजीब से ख्याल मेरे मन में आ रहे थे। मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि आजकल के स्कूल के नयी उम्र के लड़के एक दूसरे की मम्मी के बारे में ऐसी गंदी बातें भी करके मजा लेते होंगे।

तभी उनमें से एक लड़के ने दूसरे लड़के को खामोश खड़ा हुआ देखकर बोला।

यार शौर्य तु क्यों खामोश खड़ा है तू भी तो कुछ बोल।
( तभी बीच में दूसरा लड़का बोल पड़ा)

यारों क्या बोलेगा दूसरों की मम्मी की बात सुनकर उसे अपनी मम्मी याद आ गई होगी। ( उस लड़की की बात सुनकर शौर्य को गुस्सा आ गया वह उसे अपनी हद में रहने के लिए बोला लेकिन वह नहीं माना।)

अच्छा दूसरों की मम्मी की गंदी बात सुनकर तो तू खूब मजा ले रहा था और अपनी मम्मी की बारी आई तो गुस्सा करता है। ( उस लड़के के सुर में सुर मिलाता हुआ दूसरा लड़का बोला।)

हां यार शौर्य यह बात तो सच है पूरी सोसाइटी में तेरी मम्मी जैसी सेक्सी दूसरी कोई औरत नहीं है। मुझे पता है जब तेरी मम्मी सोसाइटी से गुजरती है तो सभी की नजरें तेरी मम्मी पर टिकी होती है। तेरी मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड देखकर तो सब का लंड खड़ा हो जाता है। ( इतना सुनते ही शौर्य गुस्सा करने लगा और उस लड़के को चुप रहने को बोला लेकिन वह लड़का कहां मानने वाला था।)


यार गुस्सा क्यों करता है सही बात तो है तेरी मम्मी को चोदने के लिए तो ना जाने कितने लोग तड़पते रहते हैं। और सच कहूं तो तेरी मम्मी की गंदी बातें सोच सोच कर मैंने ना जाने कितनी बार लंड हिला कर मुठ मारा हुं।
( उस लड़के की बात सुनकर सभी लोग ठहाका मार कर हंसने लगे।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

अपनी मम्मी के बारे में ऐसी गंदी बातें सुनकर शौर्य की उस लड़के से हाथापाई शुरु हो गई । दे तेरी कि दे। तेरी माँ का भोसड़ा, मादरचोद, भोसड़ी वाले, बहन के लोडे और भी गंदी गंदी गालिया। एक दूसरे को क्रिकेट के बल्ले से मारने लगे।

हंगामा बढ़ता देख मै उन लड़को का बीच बचाव करने लगा बड़ी मुश्किल से मैने उन दोनों को छुड़ाया और उनको अलग अलग कर दिया। और शौर्य गुस्से में अपने घर की तरफ जाने लगा।)

शोर शराबे की आवाज सुनकर कुसुम भी शॉप से बहार आ गयी थी उसकी नजर मुझे लडाई में बीच बचाव करते हुए देखकर खुश हो गई और मुझसे बोली वाह प्रोफेसर साहब कमाल कर दिया, आपको ही बोलते है पक्का मास्टर।

मैने कहा कुसुम मैडम दस साल का अनुभव है। कुसुम बोली ठीक है प्रभू अब चलो xerox कॉपी हो गयी।

सीढ़ी से उतरते उतरते कुसुम का आँचल उसके सीने से फिसल गया, और उसका ब्लॉउज़ और उसके बीच उसके बड़े स्तनों के बीच की गहराई उस वक्त साफ दिख रही थी। शायद कोई और दिन होता, या कुसुम ने ऑफिस नया नया जॉइन नही किया होता जिससे बन संवर के नही जाती और कुसुम ने पुशअप ब्रा न पहनी होती तो वो गहराई और उसके स्तन शायद छिप जाते मगर आज नहीं। कुसुम को शायद अंदाजा हो गया था कि उसका आँचल फिसल गया है।

"" उन लौंडो ने भी अपनी मम्मी को भी कई बार देखा था कि वो कैसे अपने आँचल को समय समय पर अपनी उंगलियों से उठाकर ब्लॉउज़ को ढंकती थी।""

कुसुम ने भी वही किया। शायद शॉप पर खड़े लड़को ने अब तक कुसुम के ब्लॉउज़ को न देखा हो, उसके स्तनों को नोटिस न किया हो। मै मन ही मन सोचने लगा। मगर शायद तब तक देर हो चुकी थी। उन लड़को के चेहरे की उडी हुई रंगत ये साफ बता रही थी।

इधर मैने कुसुम में एक नई बात महसूस करी थी कि उसको नए लड़के बहुत अच्छे लग रहे थे, क्योकि अक्सर मेरी बीवी कुसुम जैसी देसी भाभिया जब भी किशोरवय लड़के को देखती है, उनकी दबी कुचली सेक्स इच्छाए जाग उठती है और इस बात को लेकर मै बहुत ही परेशान हो रहा था |

आखिर हम बाहर के सब काम निबटा कर घर पहुँच गए।


मम्मी और कुसुम किचन में चलि जाती है।


फिर सब मिल कर खाना खाते है।
तभी मम्मी की मोबाइल की रिंग बजती है।


मम्मी कॉल पिक्क करती है
कॉल कुसुम की मम्मी की थी।


अपनी समधिन की बात सुन कर बहुत खुश होती है मै और कुसुम एक साथ बोल कौन है।
बहू तेरी मम्मी है।


उनके घर जूली की शादी के लिए हमें इनवाइट कर रही है कार्ड पोस्ट कर दिया है।


कुसुम अपनी मम्मी से बात करती है और अपने आने की बात बोल कर फ़ोन मुझे देती है। मै भी अपनी सास से बात करते हुए फोन कट कर देता हूँ।


कुसुम तेरी मम्मी तो ४-५ दिन पहले आने की बोल रही है कब चलना है।


कुसुम : पागल हो गये हो क्या कौन जायेगा मैं नहीं जा रही। अभी ऑफिस जॉइन किये हुए तीन दिन ही हुए है, ऑडिट रिपोर्ट बनानी है।
मै: वो तुम्हारी छोटी बहन की शादी में बुला रही है ।
कुसुम: एक बार मना किया न और अगर जाऊँगी तो उसी दिन आ जाउँगी।


मम्मी: बेटा अरुण एक काम कर तुम अभी निकल जाओ। तुम्हारी भी बहुत कॉलेज की छुटिया हो चुकी है, और फिर से तुम्हे अपनी साली की शादी में और छुट्टी लेनी पड़ेगी वैसे भी बहू सही कह रही है, उसकी अभी नयी नयी नौकरी है, छुट्टी ज्यादा लेना ठीक नहीं होगा, मै और बहू उसी दिन आ जायेंगे। और रिंकी बेटी भी अकेली है, जरा उसके बारे में सोचो मेरी प्यारी फूल सी बच्ची ना जाने किस हाल में होगी..... पूरे घर के काम, पढाई, अकेली कर रही होगी! अरुण बेटा अपनी पत्नी और मम्मी की चिंता छोड़ तू अपनी रिंकी बेटी के बारे में सोच कितना प्यार करती है तुझसे..... तेरी बीबी से भी ज्यादा तेरी बेटी चाहती है तुझे.... उसका ख्याल भी तुझे ही रखना है.... समझा...??

इतने दिन हो गये तूने एक भी बार अपनी बेटी रिंकी से फोन पर बात की है, उसको whats up पर मैसेज ही भेज कर उसका हाल चाल पूछा है क्या.....??? कुसुम तो बेचारी अपनी नई नौकरी के काम की टेशन में भी रोज एक दफा रिंकी से बात कर लेती है। तेरी कुछ जिम्मेदारी है कि नही, तू तो फ्री है अभी.... तेरा भी तो फर्ज बनता है कुछ अपनी बेटी रिंकी के लिए..... या यू ही रिंकीया का पापा बना फिर रहा है।

" मम्मी की बातें सुनकर मै सोच में पड़ गया, आखिर वो सच कह रही थी, मै अपनी बेटी को सच में भूल गया था और मैने इतने दिनों में उसे एक भी बार काल तो दूर मैसेज तक नही किया था "

इतने मै कुसुम ताना देकर हस्ती हुयी मुझसे बोली.... "महाराज कब से कह रही हूँ बीबी का पल्लू छोड़ कर आप अब अपनी बेटी पर भी जरा ध्यान लगाओ"""
हाहा हाहा हाहा हाहा

मै -- कुछ सोचते हुए ठीक है। कल का रिजर्वेशन मैं करा देता हूँ। और उससे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट अपनी अफसर बीवी की बात मानना है।

रात होते-होते मेरा आवेग थोड़ा कम हुआ, मै कमरे से निकलकर छत पर चला गया और कुसुम कमरा और बिस्तर ठीक करने लगी, लेकिन मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही बात थी — ‘आइ केम थिंकिंग अबाउट रिंकी…एंड हिज़ ...........’ रिंकी के बदन और उफनती जवानी का ख़याल आते ही मै नए सिरे से सिहर उठा था. मै जैसे-तैसे करके नीचे कमरे में आया और खाना खा कर वापस फिर से लेट गया. कुछ देर लेटे रहने के बाद मैने अपने सिरहाने रखे फ़ोन को टटोला.

आज की रात मै धड़कते दिल के साथ जगा हुआ था मेरे मन में एक उपाहपोह की स्थिति थी, कि क्या मै अपनी बेटी को मैसेज करू या न करू. जब रात के 11 बजने में कुछ ही मिनट रह गए तो मैने कांपते हाथों से अपने फ़ोन में एक मेसिज टाइप किया,

“ my dear rinki how are you ”
" I miss you.


इधर रिंकी ने पाया कि दो नए मेसेज आए हुए थे, एक बार फिर उसका बदन तप उठा, उस को उस रात देर तक नींद नहीं आयी, और वह एक बार फिर अपने पापा के ख़यालों में खो गयी थी. अगले कुछ पल रिंकी की हालत बेहद ख़राब रही, अचानक अपने अंदर जगी इस आग को बुझाने का उसका हर प्रयत्न विफल रहा. हर बार वह अपने आप को कोसते हुए अगली बार ऐसा ना होने देने का प्रण करती और हर बार अपनी इच्छाओं के सामने बेबस हो जाती. इसी तरह रात जब उसकी कामिच्छा अपने चरम पर थी तो वह मस्ती में सिसकती-सिसकती बोल पड़ी,

‘उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…उम्मा पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ …’

और जब उसे होश आया तो उसकी ग्लानि की कोई सीमा नहीं थी. ‘ओह गॉड, ये मुझे क्या होता जा रहा है? पापा …उम्मम्म…क्यूँ मैं पापा के बारे में ही सोचती रहती हूँ?

जब रात के १२ बजने में कुछ ही मिनट रह गए तो रिंकी ने कांपते हाथों से अपने फ़ोन में एक मेसिज टाइप किया,

"" I am fine my dear papa. "
" I miss you too "

पर फिर जब उसने कुछ देर सोचा तो उसे लगा कि हो सकता है उसके पापा यह रिप्लाई कर दें,

“Thank You rinki ”

यह सोच कर उसका मन थोड़ा खिन्न हो गया था, उसने एक दो बार फिर ट्राई किया और आख़िर एक बड़ा सा मेसेज लिखा.........

"" पापा आज शाम होने को आयी थी। आज ना जाने क्यों मुझे घर में अकेला-अकेला लग रहा था। वो मौसम होता है ना, आंधी के बाद वाला। खुला आसमान, ठंडी हवा, आसमान का रंग हल्का सा केसरी, और मेरी मदहोशी और पागलपन को बढ़ता हुआ। दादाजी अभी बहार डोल रहे होंगे। बाई नीचे किचिन में खाने की तैयारी में लीन होगी। मैं अकेली हूँ, मेरा मन अकेला है, मेरा शरीर अकेला है, और मैं अकेला नहीं रहना चाहती।

मुझे अपनी धड़कन का बढ़ना महसूस हो रहा है। मानो कोई ज़ोर-ज़ोर से मेरे शरीर के अंदर से मेरे दिल के दरवाज़े को बजा रहा हो और चीख रहा हो, “आज, आज, आज, आज!” जब मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने धीरे से अपने कदम पापा आपके बेडरूम की तरफ बढ़ा दिये। मम्मी की अलमारी में से एक पुराना सूटकेस निकाला और वापस अपने कमरे में आकर अपने बिस्तर पर रख दिया। हौले से मैंने दरवाजे के बाहर झाँका और रुक-रुक के बिना आवाज़ किये अपना दरवाज़ा बंद कर के उसकी कुण्डी लगा दी।

अब मैंने हौले से अपने शीशे में झाँका और और अपने हाथ से अपने बालों को अपने कान के पीछे कर अपनी चुन्नी को पकड़ लिया। अपनी आँखों में मुझे भूख दिख रही थी और अपने होठों पे प्यास। मेरे होंठ सूखे थे। हलके से मैंने अपने होंठ को अपने दांतों के बीच में दबाया और अपनी चुन्नी को फर्श पर धकेल दिया। शीशे में मुझे मैं नहीं, एक मच्छली दिख रही थी, जिसे पानी चाहिए था।

शाम का हर पल मुझे पागल कर रहा था। अपनी कुर्सी पर पड़े बैग को मैंने अपने मेज़ पर टिका दिया और कुर्सी पर बैठ कर धीरे से उस सूटकेस को खोला। मेरी सांसें बढ़ने लगीं और दिल की दीवारों को तोड़ वो बहार निकल ही आया था। मैंने आहें भरते हुए अपने होठों को अपनी जीभ से साफ किया और थूक सटका। फिर अपने दरवाजे की ओर देखा और अपना हाथ को सूटकेस में पड़े काले अंडरवियर पर रख दिया।

कपडा अभी भी नम था। हौले से मैंने उसे उठाया और चेहरे पर लगा लिया। धक् धक् , धक् धक् , धक् धक! अपनी बंद आँखों से मुझे बस अपना धड़कता हुआ दिल दिख रहा था और उसकी धड़कन में से उठने वाला नाद जो बार बार एक ही नाम बोल रहा था, “पापा, पापा, पापा, पापा, पापा!” कपडे की नमी मुझे मदहोश कर रही थी। मदहोश छोटा शब्द है। मैं उसे अपने चेहरे पर लगा कर पागलपन और तड़प के बीच घडी की सुई की तरह झूल रही थी जो किसी भी पल पापा को घर लाती होगी।

मैं कुर्सी से उठ कर अपने पलंग पर कूद गयी। आहिस्ता से मेरा हाथ अपने कुर्ते को उठाने लगा। यहाँ मेरी जीभ ने पहली बार उस सुगंध को छुआ था, वहां मेरा हाथ उस सुगंध को वहां ले जाना चाहता था जहाँ अभी बस मेरी तन्हाई बस्ती थी। जिस गति से मैंने अपने कुर्ते को उठा कर अपने सलवार के नाड़े को खोला बस उसे ही शायद कपडे फाड़ना कहते हैं। अपना थूक मैंने उस अंडरवियर पर लगाया और उसे चाटने लगी।

मेरी आँखें बंद थी। अपनी सलवार मैंने नीचे धकेल दी और अपनी पैंटी के इलास्टिक को उठा कर अपने हाथ को धीरे धीरे नीचे ले जाने लगी। पता नहीं क्यों मेरे पैर हिलने लगे और मेरे कानों में अजीब से मचलने वाली गर्मी निकलने लगी। अब आंखें बंद रखना मेरे लिए मुश्किल हो गया। मुझे अपनी आँखों से अपनी बेशर्मी मह्सूस करनी थी। शब्दों में वो वेग कहाँ जो उस स्वाद को बयां कर पाएं।

मेरी जीभ उस स्वाद को महसूस कर रही थी। थोड़ा नमकीन, कुछ ऐसा जैसे संतरा छीलने पर उसकी पहली महक। पहले मैं उस कपडे को सुकून से अपने मुहं में भिगो लेती, दूसरी ओर से अपनी ऊँगली उस चड्डी में डालकर यूं चूसती जैसे मेरे पापा को लंड हो। और उसका स्वाद मेरे मुहं में घुल जाता। फिर में उस नम कपडे को अपनी आँखों पर रख लेती और मंदे से अपने गीले हाथ से अपने मम्मों को दबाती।

ना जाने कितनी बार इस कपडे को पापा के रस का स्पर्श हुआ होगा, कितने ही रोज़ पापा ने इससे उतारा होगा और मम्मी को अपना प्यार दिया होगा। क्या ये दरवाज़ा है उनके प्यार का? अपनी आँखों से मेरी नाक तक और नाक के रास्ते मेरे होठों से रगड़ता हुआ वो गीला कपडा यूँ मेरी गर्दन तक जाता जैसे मुझे मेरे पापा की गर्मी में, उनकी प्यार में, उनकी मर्दानी खुशबू में रंग रहा हो, और उसकी लेहेर बिजली की तरह मेरे पूरे शरीर में दौड़ जाती जो बार-बार मेरी हाथ को मेरे पैरों के बीच धकेलती।

मेरी कल्पना में मेरे पापा मेरे ऊपर अपने वज़न को डाल कर मेरे होठों को अपने होठों से चूस रहे हैं। उनका हाथ मेरे बालों को सेहला रहा है और मेरी आँखों में अपनी आँखें डाल के वो वासना से तृप्त मुस्कान का दीदार मुझे करा रहे हैं। उनका गर्म हाथ मेरी कमर को थाम के मेरे स्तनों की ओर बढ़ रहा है जो उनकी छाती के बोझ के नीचे दबे हैं।

मेरी कल्पना में मेरे पापा अपनी जीभ निकाल कर मेरे होठों को चाटता है और मेरे गालों को, मेरी आँखों को चूमता है, और उसके चेहरे की खुरदरी त्वचा मेरे चेहरे से रगड़ती है। वो मेरी कल्पना में मेरे कानों में अपनी भारी-गहरी आवाज़ से बोलता है, “ रिंकी, मुझे अपना बना ले, सनम।” और जोर से अपने लंड से धक्का देता है; मेरे पैरों को अपने पैरों से दबा लेता है।

जैसे ही मेरी ऊँगली ने मेरे भग-शिशन को छुआ, मैंने उस अंडरवियर को अपने मुहं में भर लिया और कल्पना करने लगी कि यही कपडा पापा के लंड को सहलाता होगा। यही शायद कभी-कभी नींद में उनके रस को अपने अंदर भर लेता होगा, इसी कपडे से लग कर उनके अंडे वो रस बनाते होंगे जो मुझे पीना हैं, जिसने मुझे बनाया है, जिससे मैं हूँ। ऐसा क्या है जो इस कपडे को नसीब हो सकता है लेकिन मुझे नहीं?

कैसा लगा होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा की छाती पर लेटना, मेरे पापा के हाथों को अपने शरीर को छूने देना। पापा के लंड को अपने हाथों में भरना, पापा के होठों से अपने होठों को मिलाना, उसकी खाल का स्पर्श, उसके होठों का एहसास अपने निप्पल्स पर, उसके चेहरे को अपने बालों में ढक लेना, उसकी जीभ को अपने होठों से चूसना और अपने मुहं में भर लेन। कैसा लगा होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा का गरम लंड अपने बूब्स में रगड़ना।

मेरी मम्मी अक्सर कहती है मैं बड़ी हो रही हूँ, पर मैं इतनी बड़ी क्यों नहीं हो रही कि वो कर सकूं जो मेरे पापा ने उन्हे करने दिया, और उसको किया। अपने मुहं से निकाल कर मैंने उस चड्डी को अपनी ब्रा में धकेल दिया और उसकी नर्माहट मुझे अपने बूब्स पर महसूस होने लगी मानो पापा ने अपने हाथों को अपने थूक से नहला के मेरे स्तन को पकड़ लिया हो। मेरी ऊँगली मेरी फुद्दी को यूं सेहला रही थी, कि मेरे पैर जोर-जोर से मेरे पलंग के गद्दे में गढ़ने लगे।

पैर के ऊपर पैर। यहाँ मेरी आँखों में पापा की कामुकता इतनी समां गयी के एक आंसूं मे्रे गोर चेहरे से होते हुआ मेरे होठों पे आ गिरा जो पापा का नाम दोहरा रहे थे। कैसा लगता होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा की गोदी में सोना। कैसा लगता होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा के कन्धों पर अपना सर रखना और पापा का हाथ थाम कर उस खुशनुमा चेहरे को देख कर मुस्कुराना। थाम लेना उस पल को और फिर कल दोबारा से उसे जीना।

मैं इतनी मचल गयी की ज़ोर से मेरा पैर मेरे पलंग के पाए में टकराया और ना जाने कैसे पास रखी मेज पर रखी चाय कि प्याली नीचे गिर गयी और बहुत तेज़ आवाज़ हुई… … गरम चाय ने मेरा पैर तो जला दिया मगर अभी जिंदगी में बहुत मोड़ और पड़ाव बाकी हैं पर मुझे पता नहीं आपको ये अपनी नादान रिंकी की फीलिंग्स पसंद आएगी या नहीं।

पापा मैंने पहले कभी प्रेम कहानियां नहीं पढ़ीं, पर मेरा कौमार्य मुझसे कहता है की मेरे शब्द आपके अंदर की आग को हवा देंगे। पापा अगर मुझे लगा की आपको मेरे शब्द पसंद आये तो उम्मीद करुँगी की आपको मेरा दिल भी पसंद आएगा। मेरा दिल अकेला है और मेरा शरीर कुंवारा। पापा जिस दिन आप वापस आयेंगे आप मेरे दिल का स्पर्श करेंगे। अपना ख्याल रखियेगा। - आपकी राह देखती "रिंकी".......,

उस मेसेज को पढ़-पढ़ कर ही रिंकी की अंगड़ाई टूट रही थी. रात के एक बजने में सिर्फ़ कुछ ही सेकंड बचे थे, रिंकी ने डर के मारे एक बार मेसेज एप बंद कर दिया. पर फिर हड़बड़ाते हुए जल्दी से एप वापस खोला और सेव हुए मेसेज के सेंड बटन को दबा दिया. सिर्फ़ इतना सा करने के साथ ही रिंकी एक बार फिर तड़पते हुए तकये में मुँह दबा कर आनंदित चीतकारें मारने लगी,

‘पापाऽऽऽऽऽऽ, उम्ममा… पापा…उन्ह्ह्ह्ह…’

मै जगा हुआ था कुसुम बाथरूम में थी. तभी मेरी नज़र अपने फ़ोन पर गयी, जिसकी नोटिफ़िकेशन लाइट जल रही थी. यह सोच कर कि देखें किसने मेसेज किया हैं मैने फ़ोन उठा कर देखा. सिर्फ़ एक ही मेसेज था.

मेसेज पढ़ते ही मेरा बदन शोला हो उठा था. मै कुछ समझ नहीं पा रहा था क्या करू, मेरे माथे पर पसीने की बूँदें छलक आयीं थी. तभी कुसुम बाथरूम से निकल आयी, मैने आनन-फ़ानन में फ़ोन एक तरफ़ रख दिया और लेट गया.

कुसुम आकर मेरे बग़ल में लेट गयी. मै कल वापस जाने वाला था सो कुसुम ने मुझको को कुछ सुख देने का सोचा था, लेकिन एक दो बार जब मैने कुसुम के उकसावे का जवाब नहीं दिया तो वह चुपचाप लेट कर सोने लगी.

कुछ देर बाद जब मै आश्वस्त हो गया कि कुसुम सो चुकी है तो मैने एक बार फिर अपनी जवान बेटी का रूख किया. मेरा लंड अब तन चुका था. रिंकी का मेसेज काफ़ी उत्तेजक था, मै मेसेज देखते ही यह तो नहीं समझ सका था कि रिंकी ने ऐसा मेसेज क्यूँ किया लेकिन उसके पीछे दबी बात मुझे समझ ज़रूर आ गयी थी. लेकिन मै इस बात को आगे नही बढाना चाहता था सो मैने रिंकी को रिप्लाई ही नही किया,


उधर रिंकी फ़ोन के पास पड़ी आहें भर रही थी जब मेरा कोई रिप्लाई नही आया. तो उसका सारा नशा उतर गया.. ‘क्या पापा सच में बदल चुके है? और मैं ही ऐसी गंदी बातें सोचने लगी हूँ?’ रिंकी अंतर्द्वंद्व से घिर चुकी थी, उसने अपने आप को ऐसा क़दम उठाने के लिए कोसा और शर्म से पानी-पानी हो गयी


.इधर रात में मै भी ये सोचकर परेशान था कि " रिंकी ने ऐसा मेसेज क्यों किया?

इस तरह सोचते सोचते ही मैरी आंखे भारी होने लगी थी। पर कोई फैसला न कर पाने की वजह से आखिरकार हारकर मै चुपचाप सो गया।



जारी है.......
Jaberdast update hai
 

Sanju@

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इस तरह सोचते सोचते ही मैरी आंखे भारी होने लगी थी। पर कोई फैसला न कर पाने की वजह से आखिरकार हारकर मै चुपचाप सो गया।



अल सुबह,गर्मी की है, मैने कूलर के साथ पंखे के परों को भी कष्ट दिया हुआ था। इतवार (रविवार) का दिन , मै "पिछवाड़ा " उल्टा करके सो रहा था, आधा चद्दर मैने अपने मुह तक कोना पकड़ के खींची हुई है,और बाकी चद्दर पैरों की लंबाई तक फस्सीं हुई, बे तरबी से सिकुडी हुई कराह रही थी।

खैर

कुसुम प्रवेश करती हैं कमरे में चाय लेकर ,सारे ठट कर्मों से निवृत् हो कर मतलब फ्रेश हो कर (सुबह के 8 बज चुके हैं) ,

और चुपचाप बेड के पास पड़ी कुर्सी पर पसर के पैर बेड के कौने तक फैलाकर चाय की चुस्सिकियाँ लेते हुए, अपने फैवरेट शगल में व्यस्त अरे वही अपना इंस्टा रील वीडियो और गाने (comedy) वो भी शुद्ध भोजपुरी मे..........

कुकुकू कूक कूक कू******मुर्गवा मोबाइल बाटे***** चोलिया में बोलत बाटे,,, दिन रात करा करे कुहा कुहू,,,, के दा ssssss ना खाइले रे मुर्गवा कुहू रे कू हू........

((अब आप सोच रहे होंगे ये क्या था?? बात दर असल ये है, की मुझ को कोई भी अलार्म की टोन असर नहीं करती थी, और न ही मुझको जगाने में --कामयाब रहती थी, (चूंकि कुसुम पहली पोस्टिंग आगनबॉडी में थी वहा उसकी साथ काम करने वाली ज्यादतर सहेलिया "जिला बस्ती" की थी, (अरे वही निरहुआ, रविकिशन और मनोज तिवारी का इलाका) ये गाना ही वहाँ के DJ का सरताज था))

हाँ ये कर्कश मगर मजेदार गाना बजते ही
मै तो जैसे सेही का काँटा मेरे खुद के पिछवाड़े में लग गया हो,,,,,,,,,ऐसे उठा????????

मै : क्या हैं ये चिल्लाते हुए इसके बाद "नींद की भाषा" में परग्रहियों की तरह बड़बड़ाया हा नहीं तो!!!!!!!! चैन से मुझ को कभी नहीं सोने देती हो??????? हा नहीं तो!!!!!, खुद की नौकरी में तो कोई टेंशन है नहीं, आराम से बैठी रहती हो..... आज छुट्टी के दिन सुबह सुबह मुझसे लड़ने के मूड में हो क्या..??????

अब आया कुसुम को गुस्सा, उसकी भृकुटियाँ (भवें ) तन चुकीं थी, बोली मैंने तो सिर्फ जगाने के लिए इतना मस्त "मुर्गवा" लगाया था। लेकिन देखो न कौन है लड़ने के मूड में?? पत्नियाँ कभी लड़ने के मूड में नहीं रेहतीं, हमेशा पति रहते हैं। हम तो सिर्फ उनका भला ही सोचते हैं, और वो इसे उल्टा ले लेते हैं।

मै कुसुम का ये रूप देखकर डर के मारे फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया।

(आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ, बाथरूम में साबुन, शैंपू, सब है, shaving क्रीम भी)

आज वापस अपने घर जाना था तो मै फ्रेश होकर दाढ़ी बना कर बाथरूम से निकला। मुस्कुराते हुए और मस्त अंगडाई लेकर (ताकि कुसुम समझ जाये की इन चिकनी बगल के पीछे मेरे प्यारे गोरे चिट्टे dove साबुन का बलिदान है) देखो न तुम्हारा dove साबुन shaving क्रीम से भी बेहतर और मुलायम shave बनाता है???

कुसुम: क्या?????? फिर से????? वो झट से बाथरूम में साबुन का विसरा देख कर कराह कर बोली ई ई ई ई ई ई ई ई उसकी घृणा वाली चीख निकल गयी, और आँखें चौडी हो गयीं,scene देख कर उसके साबुन का postmartum के बाद विसरा बिखरा पड़ा था।

कुसुम गुस्से में अतिदेव (अथार्थ पतिदेव)
म म मेरा मतलब पतिदेव, तुम हर चीज की अति कर देते हैं, इसलिए मैं तुमको अब से "अति देव" ही बोलूँगी। देखो तुमने मेरे साबुन को बालों में लपेट दिया? अति देव देखो आज भी shave और "बगल के बाल" मेरे साबुन को लगा लगा कर बनाएं हैं!!!! मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।

कोई न डार्लिंग तुम शैंपू से नहा लेना वैसे भी वो fiama di wilis वाले तुम्हारा
" चूतिया काट" कर तुम्हे शैंपू से नहलाते हैं और तुम उसे कुछ अलग body wash समझ कर खरीद लाती हो। मेरी प्यारी समझदार "ब्यूटी कांसियस बीवी" बेचारी शैंपू से नहाती है........मै पानी लगे बालों को सेट करते हुए बोला।

ये सुन कर कुसुम का चेहरा तो बस फक !!! हैं .... क्या बॉडीवाश् को शैंपू बोल रहे हो ????????


मैने मुस्की मारते कुछ कुछ उसे चिढ़ाते हुए smile दी।


दोबारा मेरा साबुन मत छूना, वरना तुम्हारी खैर नहीं,,,,,,,,,, कुसुम के चेहरे का जियो ग्राफिया पठारी हो चुका था, eyebrows बिलकुल चीनी लडाकों की मुद्रा में
कनपटीयों तक पहुँच चुकी थी।।


मै मुस्कुराते हुए बोला कुसुम के गाल खीचते हुए बोला हाय मेरा chinese गुस्सा


( Chinese गुस्सा इसलिए की हो सकता है हफ़्तों/ महीनों चले और हो सकता है अभी खत्म हो जाए)


तभी मन्दिर से मम्मी वापस आ गयी।


कुसुम... अरुण तुम दोनों सुबह सुबह फिर से शुरु हो गये.. मम्मी हम पति पत्नी की बहस को आखिरी चरण में खतम करने की नसीहत देते हुए बोली।


मम्मी अब आप ही बताओ? अगर कोई आपके प्यारे साबुन से बगल के बाल बना कर उसको बालों से लपेट देगा? तो क्या आप लड़ोगे या चिल्लाओगे नहीं??? और फिर कहोगे की बीवीयाँ झगडा करती रहती हैं? कुसुम मम्मी से बच्चो की तरह मेरी शिकायत करती हुयी बोली।


मम्मी ने मुझ पर ममतामयी डाँट लगाई और कुसुम से बोली बहू अब नाश्ता लगा दे।


ब्रेकफास्ट करते हुए, कुसुम के बनाये बथुए के पराठों की तारीफ करते हुए मै हास्य पूर्ण व्यंग कसते बोला.......अरे वाह!!! क्या हरियाली वाले पराठे हैं, आज तो मैं तृप्त हो गया !!


ये सुनकर आखिर सब की हँसी निकल पड़ी। हाहा हाहा हाहा


सुबह के नौ बजने वाले थे मेरी मम्मी बोली बेटा अरुण आज दोपहर को हमारे जो रिश्तेदार है उन्होंने गृह प्रवेश में आने का न्यौता दिया है, चल थोड़ी देर हम सभी भी होकर आते है। मैने कुसुम की ओर देखा कुसुम अपनी साड़ी लपेट चुकी थी और बालो को आखिरी स्वरुप दे रही थी की तभी मम्मी की आवाज़ आयी की तैयार हुई की नहीं, सब लोग आ चुके होंगे ज्यादा देर नहीं करते अब।


कुसुम तुरंत कंघा नीचे रखते हुए बोली हो गया बस और कमरे से बाहर निकल गयी। मै और मम्मी तैयार थे रिश्तेदार के यहाँ जाने के लिए। मैंने तुरंत कमरे को ताला लगाया और मम्मी कुसुम के साथ पैदल घर से निकल पड़ी।


वो दोनों कुछ बोलते हुए चल रहे थे पर में किन्ही और ख्यालो में था,


दस मिनट के बाद ही हम रिश्तेदार के मकान के सामने खड़े थे, अंदर काफी चहल पहल थी, कार्यक्रम का माहौल बन चूका था। एक बड़े हाल में सारे पुरुष लोगो के लिए व्यवस्था थी।


वहाँ की मेरी मम्मी कि भाभिया दूसरे थोड़े छोटे कमरे में थी अपने बहू और बेटियों, सहेलियों के साथ, इसलिए थोड़े अभिवादन के बाद हमने उनको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा।


अंदर एक बड़े कमरे में सारी औरते बैठी बातों में मशगूल थी, हमारे आते हैं उन्होंने स्वागत किया और हम लोग बैठ गए। कुछ औरते बातों में मग्न थी कुछ ने खाने की तैयारी कर ली थी। पता चला पूजा आरती का कार्यक्रम शाम 5 बजे होने वाला हैं।


तभी मेरी मम्मी की बड़ी भाभी जो रिश्ते में मेरी मामी लगती है हमारे पास आ गयी उनकी उम्र मेरी मम्मी से कुछ ज्यादा थी दिखने में वो दादी की तरह लग रही थी। मम्मी और कुसुम को अपने साथ कमरे में ले गयी।


मैं अपने पुराने दिनों और विचारो में खो गया और दोपहर होने वाली थी, अब तक आधी औरते और पुरुष खाना खा चुके थे। शायद शाम 5 बजे पूजा की तैयारी में, मगर मेरी हवन पूजा पाठ में रुचि नहीं थी, भीड़ भरा औरतों का माहौल देख कर मुझे शर्म आ रही थी। मैं कमरे से बाहर लघु शंका के बहाने किसी तरह औरतो के पाँव बचाते हुए बाहर निकला। घर की छत का मुआयना करके वापस नीचे आ गया।


मुझे देखते ही कुसुम भी उठ कर बाहर आ गयी फिर मैने पूछा की तुम खाना खा चुकी।


फिर उसने 5 बजे के प्रोग्राम के बारे में बताया। मैंने उसे समझाया की इस भीड़ में तुम आराम नही कर सकती। कुसुम कुछ सोचने लगी। उसकी इस उधेड़बुन को देखते हुए मैंने एक सवाल दाग दिया इन लोगों ने मेहमानों का एक विशेष प्रबंध किया हैं ।
घर की छत पर। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ, और पूछा छत पर तो बहुत गर्मी होगी।


मुझे और कुसुम को टेंशन में बातें करते देख मेरी मम्मी हमारे पास आ गयी, हमने उन्हे पूरी बात बता दी मम्मी बोली यहाँ छत पर आराम करने में कोई प्रॉब्लम नही है, पर बेटा तुझे शाम सात बजे ट्रेन पकड़ना है तो इससे अच्छा हम अपने घर चलते हैं, वैसे भी ढाई बजने वाले है।

कुसुम बोली मम्मी ये ही ठीक रहेगा, हम तीनों अपने घर की ओर निकलने से पहले मम्मी ने कहाँ कि भाभी को बोल ना तो पड़ेगा। और हम तीनो अंदर कमरे में चले गए।

मम्मी अपनी भाभी मतलब मेरी मामी से घर जाने की बात करने लगी मगर मामी मान नही रही थी, फिर मम्मी ने मामी को ये बताया कि सात बजे अरुण कि ट्रेन है उसे वापस अपने घर जाना है पापा के पास नागालैंड। तो उन्होंने मम्मी को रुकने के लिए बोला और मुझे कुसुम को जाने की अनुमति दे दी। और मम्मी से एकदम से खुश हो बोली अरे दीदी आपने ये मुझे बता कर बहुत अच्छा किया । मम्मी ने पूछा क्यो ऐसा क्या हुआ?

मामी बोलि अपने सुनील की पत्नी आपकी बहू को भी सुबह नागालैंड अपने मायके जाना है, मै बहुत परेशान थी अकेली कैसे जायेगी??

मम्मी बोली क्यो सुनील कहाँ है??
मामी बोली अरे वो तो shhiping co. में जॉब करता है चार पांच महीने में एक बार आता है। बस अगले महीने आ जायेगा तो बहू को वापस ले आयेगा। बातो बातों में ही मामी ने अपनी बहू को आवाज देकर बुला लिया। मैने जब मामी की बहू को देखा तो देखता ही रह गया।


सुनील की बीबी सुनीता करीब ३५ की होते हुए भी २५ साल की ही दिख रही थी। खान पान पर कडा नियत्रण और नियमित व्यायाम और योग के कारण उसने अपना आकार एकदम चुस्त रखा था। सुनीता का चेहरा वयस्क लग ही नहीं रहा था। उसके स्तन परिपक्व होते हुए भी तने और कसे हुए थे। उसके स्तन शायद ३४ + और स्तन सी कप साइज के थे। सुनीता की कमर का घुमाव और उसकी गाँड़ इतनी चुस्त और लचीली थी की गजब की सेक्सी लग रही थी।

मै उसकी तरफ आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था, तभी शायद कुसुम ने मेरी नजर को पढ़ लिया और मम्मी को इशारा करते हुए हँस दी। मम्मी कुसुम का इशारा समझ कर बोली बेटा अरुण जेठ है तु !! सुनील तुझसे छोटा है, और कल इसको भी अपने साथ ले जाना।

मै तो अंदर से बड़ा खुश था मै एक आँख मारते हुए मजाक में बोला अभी जेठ (may) का ही महिना चल रहा है।
हाहा हाहा हाहा

हाँ मम्मी ये तो अच्छा हुआ चलो सफर में अब बोरियत नही होगी। मै सुनीता से बोला आप साढ़े छे बजे तक रेड्डी मिलना मै आपको पिक कर लूंगा। फिर मामी के घर से निकल कर मै और कुसुम अपने किराये के घर में आ गये।

मैं पंखे को निहारते हुए सोच रहा था कि तीन घंटे बाद वैसे भी जाना है पता नही कितने दिनों के इंतजार के बाद यह खूबसूरत फल खाने को मिलेगा मुझे। और अगर मेरे जाने के बाद मेरे इस खूबसूरत फल को कोई और खाने लगा तो फिर मेरा क्या होगा।

नही नही ये नही हो सकता, मेरी कुसुम मुझे धोख़ा नही दे सकती, वो किसी गैर मर्द के साथ सोना तो दूर उसके बारे में सोच भी नही सकती है। लेकिन कुसुम के दिल, मन में क्या है इसका पता कैसे लगाया जाये, और अगर कोई और होगा भी तो उसने झूठ बोल दिया कोई नहीं है तो...??? कोई धाँसू आईडिया मिले जिससे वो झूठ ना बोले जो बोले सच बोले मगर कैसे???? क्योकि कोई भी चूतिया पति सिर्फ अपने मन में आये चूतियापे वाली सोच का जबाब अपनी पत्नी से किसी गैर मर्द के साथ सम्बधो / इच्छा की बात पूछकर अपनी खुशहाल जीवन में जहर नही घोलेगा।

मै और मेरी ठरकी सोच को कुसुम हमेशा प्रणाम कर दूर भागती है, वो किचिन में मेरे लिए रास्ते के लिए पूड़ीया बना रही थी। तभी मेरे हवशी मन में विचार आया कि जो लड़किया/लुगाईया अपने मोबाइल में सेक्सी, पोर्न कहानिया/फिल्म देखती है वो चुदड़कड होती हैं।


इसलिए मैने कुसुम के मन में क्या है उस बारे सोचते हुए मोबाइल में एक लिंक खोल कर ग्रुप सेक्स वीडियो देखा जैसे मैने वीडियो चालु किया तो उस वीडियो में एक शादी शुदा जोड़ा अपने दो मित्रों के साथ कोई हिल स्टेशन जाते हैं। संयोग वश उन्हें एक ही कमरे में रुकना पड़ता है। वहाँ वह शादी शुदा जोड़ा की बीबि को कम कपड़ों में देखते हैं।


दो पलंग एकसाथ जुड़े हुए होते हैं और रात को शादी शुदा जोड़ा पति अपनी पत्नी से लिपट कर सोता हैं तभी रात को अचानक ही शादी शुदा जोड़ा उत्तेजित हो जाता है और पति पत्नी से चोदने की रट लगाने लगता है। आखिर में पत्नी पति की बात मानकर कपडे पहने हुए ही अपना घाघरा ऊंचा करके उसे चोदने देती है।


शादी शुदा जोड़ा ने कोई परवाह नहीं की कमरे में दोनों मित्र उन दोनों को नंगा चोदते हुए देख रहे थे। वो दोनों मित्र शादी शुदा जोड़ा को उछृंखलता से चोदते हुए देखते हैं।


पत्नी अपने पति से चुदवाने में मग्न होती हुई अपनी आँखें बंद करके मजा लेती हैं तब उसका पति दोनों मित्रों को आँख मार कर इशारा करता है और फिर एक मित्र उसकी पत्नी की जाँघों पर हाथ रखता है। उसे देख कर दुसरा मित्र उस की पत्नी के स्तन दबाने लगता है। दोनों में होड़ लगती है और उससे पहले की पत्नी अपने पति के खेल को समझे, दोनों मित्र फुर्ती से उसकी बीबी के ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगते हैं। पत्नी समझ जाती हैं; पर जैसे असहाय है ऐसा ढोंग करके अपनी आँखें बंद करके इसका मजा लेती हैं और बाद में बिंदास होकर (अपने पति की इजाजत जो मिल गयी) अलग अलग तरीके से दोनों मित्रो के साथ पति को चोदती है और तीनों से चुदवाती है।


ऐसे कई तरह से एक साथ एक ही समय में एक का लण् चूसना, एक से चूत चुदवाना, और एक से गांड मरवाना, चूँचियों को चूसना और निप्पलों को काटना इत्यादि होता है और आखिर में दोनों मित्र और पति पत्नी की मुह, गांड और चूत में अपना वीर्य निकालते हैं।


उस वीडियो को देखकर मेरी तो हवा निकल गयी। जब मै ही इतना हैरान था, तो इसको कुसुम को दिखाना तो नामुमकिन सा लग रहा था। पर मुझे एक बात अच्छी लगी की मैने वही वीडियो चुना जिसमें पति के सामने पत्नी दूसरे से चुदवाती हैं।


मेरे अंतर्मन ने कहा "तुम निश्चिंत रहो। कुसुम से कहो की कहीं से एक वीडियो मिला है। वह थोड़ा सेक्स के बारेमें है और उसे सिर्फ बीबी के साथ ही देखना है ऐसा कहा गया है। पहले तो कुसुम थोड़ी ना नुक्कड़ करेगी, की यह अच्छा नहीं लगता, पर फिर वह इसे देखती रहेगी और आखिर में तुम खुद देख लेना क्या होता है।"


थोड़ी देर बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैने कुसुम को अपने पास बिस्तर पर बुलाया यह बात कह डाली। मैने उस से कहा की ये वीडियो देखो ये थोड़ा सा अश्लील है। उसे आश्चर्य हुआ जब कुसुम वीडियो देखने के लिए तैयार हो गयी। शायद उसे पता नहीं था की वह क्या देखने वाली थी।


जैसे मैने वीडियो चालु किया और पति पत्नी के रोमांस के सिन आये तो मेरी प्यारी बीबी और करीब बैठ गयी और मेरी टाँगों के बिच हाथ डालकर मेरे ढीले लण्ड को टटोलने लगी। जब पति पत्नी की चुदाई के दृश्य आये तो वह मेरा लण्ड पाजामे में से निकाल कर उसे फुर्ती से हिलाने लगी।


जैसे जैसे परदे पर दृश्य ज्यादा उत्तेजित होने लगे, अपना साड़ी सहित पेटीकोट ऊपर कर कुसुम ने मेरा हाथ उसमें डाला। मैने महसूस किया की मेरी बीबी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उसमें से उसका रस रिस रहा था। मै समझ गया की कुसुम मुझ से उँगलियों से चुदवाना चाहती है।


पर जब कुसुम ने देखा की दोनों मित्र शादी शुदा पत्नी को उसके पति की सहमति पर चढ़कर उन्हें चोदने लगे थे तो उससे रहा नहीं गया वह मुझ से चिपक गयी जैसे वह यह सब देखने से डर गयी हो। तब मैने अपनी उत्तेजित खूबसुरत पत्नी को अपनी बाहों में लिया और उसे यह कह कर प्यार जताने लगा की देखो जानूं यह सब होता रहता है। इसका आनंद लो। एन्जॉय करो।"


मेरे बार बार आश्वासन देने से और अत्यंत उत्तेजक भड़कीले सिन के कारण मै और कुसुम दोनों का उन्माद बढ़ता जा रहा था। जब मैने कुसुम के कपडे उतार कर कुसुम की चूत में उंगलिया डाल कर उसे उकसाना शुरू किया तो वह एकदम उत्तेजित हो गयी उसका पानी कई बार छूट गया। मैने कभी भी अपनी बीबी को इतनी बार निढाल होते हुए नहीं देखा। सिसकरिया लेते हुए हुए वह बोल रही थी, " अरुण ऐसा कभी नहीं हो सकता। यह गलत है।"


तब मैने कुसुम से कहा, "जानू, इस दुनिया में सारी अच्छी चीजें या तो या गलत, या असामाजिक, या तो कानूनी दृष्टि से अवैध मानी जाती है। पर होता सब कुछ है।"

वीडियो खतम होने के बाद मैने सहज रूप में ही अपनी बीबी कुसुम से पूछा वीडियो कैसा लगा तो कुसुम ने कहा, "देखो, सोचने में तो यह बड़ा लुभावना लगता है; और तुम जो चाहे कहो, पर ऐसा वास्तव में हो नहीं सकता। मेरे साथ तो कतई नहीं। गैर मर्द के बारे में तो तुम सोचना भी मत। मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। कमाल करते हो। तुमने क्या सोचा की मैं किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी? नहीं जी नहीं, यह नहीं हो सकता।"

मै अपनी प्यारी बीबी कुसुम की बात सुनकर खुश हो गया। मुझे लगा की मेरा प्लान काम कर गया और मेरी बीबी ने अपने मन में छिपी सच्चाई को बता दिया था। मै सोच में पड़ गया। तब अचानक मुझे कुसुम की दो बातें सूचक लगी।


पहले तो कुसुम ने कहा "देखने में तो यह सब लुभावना लगता है।" इसका मतलब यह हुआ की कुसुम को दो मर्दों से चुदवाने वाली बात लुभावनी लगी।

दुसरा जब कुसुम ने यह कहा की , "मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ जो किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी।" इसका मतलब कुसुम ने यह कहा की वह किसी ऐरे गैरे से चूदवाने के लिए नहीं तैयार होगी और वह वैसे ही नहीं मानेगी। वह एक इज्जतदार औरत है और अपनी इज्जत आसानी से किसी ऐरे गैरे के साथ दाव पर नहीं लगा सकती।

पर जो कुसुम ने नहीं कहा वह यह था की अगर कोई ख़ास व्यक्ति हो तो वह तैयार हो सकती है और उसे काफी मनाना भी पडेगा। शायद बातों बातों में ही कुसुम ने मना करते हुए भी इशारा कर ही दिया की वह मान सकती है। उसे किसी और से चुदवाना लुभावना तो लगता है लेकिन वह आसानी से मानने वाली नहीं है। उसके पीछे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबसे ज्यादा सूचक कुसुम ने यह इशारा किया की वह किसी साधारण व्यक्ति को अपना सर्वस्व समर्पण नहीं करेगी।





जारी है........
Shaandar update hai
ये अरुण नही सुधरे वाला इतनी अच्छी बीवी के होते हुए भी सुनीता को घूर रहा था जिसका पता कुसुम को भी है लगता है कुसुम भी अपनी कोई ऐसी ही फेंटेशी बताए
 
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