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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

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मेरी जीवनसंगिनी, मेरी पत्नी कुसुम जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी साथ निभाना है वो मुझसे दूर जा रही थी।

मैने अपने आँखों के आँसू पोंछे। नौकरी के पहले दिन ही इसे हवा लग गयी
मेरे अंदर गुस्से का उबाल भरा हुआ था मैने सोच लिया था आज मै अपनी पत्नी को अपना ओरिजिनल इंडियन हसबैंड वाला रूप दिखाऊँगा अब ये नौकरी जरूर करेगी लेकिन सिर्फ मेरी मै कुसुम की जितनी अकड़ गांड में भरी हुई है वो निकाल कर रहूँगा। मुझे सबके सामने डायलॉग चिपका कर गयी है। खुद को कलेक्टर समझ रही थी।

शाम साढ़े छे बजे मै घर पहुँचा।
कुसुम मेरी मम्मी के साथ खिल खिल करके हँस ते हुए भिंडी काट रही थी और उसने जैसे ही मुझे देखा तो बड़ी ही style में बोली आ गये महाराज
मुझे लगा था कि पानी में बह गये।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै गुस्से में चुप कर खिलखिलाना बहुत हो गया।

कितने बजे घर आई ये बता मुझे???

मेरी मम्मी क्या हुआ बेटा ऐसे गुस्से में क्यो है।
मम्मी आप अपनी बहू से पूछो आज किसके साथ ऑफिस से छूटने के बाद मुह काला कर के आई है।

कुसुम पूरे गुस्से में मुझे भिंडी काटने वाला चाकू दिखाते हुए बोली एक मिनिट क्या कहा फिर से कहना. . . ..???
मै-- कुसुम के हाथ में चाकू देखकर डर गया मै को लगा ये पागल कही मुझे मार ना दे। मै डरते हुए बोला जब सुना नही तो छोड़ो।

कुसुम -- फिर से कहना

अरुण चुप कर क्या बोल रहा है बहू से कुछ पता है तुझे, मेरी मम्मी चिल्लाकर मुझसे बोली।
मम्मी -- चुप करो तुम दोनों, कैसे कुत्ता बिल्ली की तरह लड़ रहे हो। अब मै जिससे जो पूछूँगी वो ही बोलेगा।

मै चुप हो गया।

अरुण तू बता बेटा क्या हुआ है??
मै-- मम्मी मै इसे ऑफिस से वापस लाने के लिए जा रहा था तो रास्ते में गाड़ी बंद पड़ गयी। काफी कोशिश की पर स्टार्ट नही हुई सामने आपकी बहू अपने अफसर के साथ गाड़ी में बैठ कर आई और मुझे डाइलोग मारते हुई बोली यहाँ क्यो खड़े हो, जल्दी घर आ जाओ।

कुसुम-- बीच में मेरी बात काट करती हुई बोली तो इसमें गलत क्या बोला मैने। तुम वहा सड़क पर भरे गंदे पानी में जो खड़े थे ।

मम्मी--- बहू अभी तू नही बोल पहले अरुण की बात पूरी करने दो। वैसे बेटा बहू कह तो सही रही थी। इसमें इतनी गुस्सा वाली बात क्या है???

मै मम्मी की बात का क्या जबाब दू क्योकि मै मम्मी से ही व्हाट्स अप chat कर रहा था.

मै-- इसने ये बात जिस अदा से कही थी वो मुझे अच्छा नही लगा।
कुसुम -- मैने क्या गाली देकर कहा था??

मै--- तुम्हारे कहने का तरीका भी गाली से कम नही था।
कुसुम-- मुह टेढ़ा करके मुझे चिढ़ती हुई बोली ओह मेला बाबू शोना यहाँ क्यो थडा है ऐसे पूछती sdm sir के सामने।


ये सुनकर मेरी हँसी छूट गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मेरा गुस्सा कम हो गया
खैर छोड़ो ये बात मुझे ये बताओ तुम अपने अफसर के साथ अकेली गाड़ी में क्यो आई?? मै तुम्हे लेने आ तो रहा था??

कुसुम--- ओह तो ये असल बात है तुम्हें ये देखकर मिर्ची लग गयी कि मै sdm sir के साथ आई।

मै--- हा।
कुसुम--- मै अपनी मर्जी से नही आई gov ऑफिस है पूरा स्टाफ जल्दी घर जाने का बहाना ढुढ़ता है, जैसे मौसम खराब हुआ सब भग गये। मै अकेली रह गयी तुम्हारा इंतजार कर रही थी पर मौसम खराब के कारण मैने तुम्हे फोन नही किया क्योकि तुम्हें क्यो परेशान करू।

बारिश बंद हुई तो मै भी निकलने लगी तभी sdm sir भी निकल रहे थे उन्होंने फोर्स किया तो मै उनके साथ गाड़ी में बैठ गयी और mr अरुण मै अकेली नही थी मेरे साथ एक लड़की और थी हम दोनों बीच वाली सीट पर थे वो पिछले चौराहे पर उतर गयी थी उसका घर आ गया था समझे महाराज।

मै क्या बोलू मेरे पास अब कोई जबाब ही नही था। मै अटकते हुए वो वो वो

कुसुम -- वो वो वो क्या कर रहे हो, अपनी गलती मानने की वजह मुझ पर भड़क रहे हो। शादी के तीन महीने हो गये पर अब तक तुम मुझे समझ नही पाये मुझे लगता है सारी जिंदगी लग जायेगी तुम्हे पर मुझे कभी समझ नही पाओगे। और जब गाड़ी खराब हो गयी थी तो उसे किसी mechnic के पास ले जाते तुम तो गंदे पानी में खड़े होकर मुस्की छोड़ रहे थे।

मम्मी-- बस करो अब बहुत हो गया बहू पति है तेरा। चलो अब किचिन में खाना बनाना है वैसे भी सात बज गये।

कुसुम और मम्मी किचिन में चले गए।

""मै सोच रहा था शायद कुसुम की गलती नही है मै बेवजह उस पर भड़क गया ""

(कुसुम और मम्मी किचिन में बातें कर रही थी। जिसकी आवाज मुझे साफ सुनाई दे रही थी।)

मम्मी--- सच कहु बहू वैसे गलती तेरी है तुझे अरुण रास्ते में मिल गया था तो तुझे साहब की गाड़ी से उतर जाना था और अपने पति के साथ घर आना था। अगर तेरी जगह मै होती तो अपने पति के साथ ही आती।

कुसुम-- आप मम्मी अब भी मेरी गलती मान रही हो, अब मै क्या बोलू आपको

मम्मी-- बोल दे बहू सच बोल दे जो तेरे दिल, मन और दिमाग में सब आज बता ही दे तू क्या सोचती है मेरे बेटे के बारे में ।
मेरा बेटा तो तुझे कितना प्यार करता है। ख़ुशनसीब है जो इतना प्यार करने वाला पति मिला है।

कुसुम --- वही तो सबसे बड़ी प्रॉब्लम है आपके बेटे को सिवाय प्यार करने के अलावा कुछ नही आता है, प्यार के अलावा उसे ना ही कुछ दिखता है, सूझता है, और ना ही सोचता है। उसके इसी प्यार से मुझे irritate होता है। हद से ज्यादा प्यार गुलाम बना देता है। उसके इसी प्यार की वजह से मै पेट से हो गयी। वो तो आजाद घूम रहे है, पर मै फँस गयी अब एक साल तक पेट फुला के घर में बैठो।

अरुण की filospi भी इतनी छोटी है कि मुझे सुनकर ही गुस्सा आता है, मुझे हमेशा एक ही बात बोलते है मै 15 हजार रुपये महिना कमा रहा हूँ, पापा की पेंशन आ रही है, खुद का घर है, एक मिडिल क्लास फैमिली को क्या चाइये। वो बस इसी में खुश है और इससे ज्यादा करने की ना सोचते है और ना करने की कोशिश करते हैं। मेरे सपने बड़े है मुझे clerk बने रह कर पूरी लाइफ बर्बाद नही करना है। मुझे senior officer बनना है, जल्दी से जल्दी प्रमोशन चाहिए, मेरे नीचे भी बत्ती वाली गाड़ी लगी हो, gun man, assitant, gov बंगला, एक vip की तरह रहना है, इसके लिए मुझे जो करना चाहिए वो मै करूँगी।


इस दुनिया में आप जैसी सासु माँ के लिए उसका बेटा कभी गलत हो नही सकता हमेशा बहू ही गलत होती है। तारीफ तो तब है जब आप जैसी मम्मी अपने बेटे की माँ की जगह एक दिन के लिए पत्नी बन कर देखो तब आप को पता चलेगा कैसा है आपका लाडला बेटा ।


""कुसुम को नही पता था इस बार उसने बिना कुछ सोचे समझे बहुत गंदी और गलत बात बोल दी थी ""


मम्मी-- बहू बोलने से पहले कुछ सोच लिया तो कर।
कुसुम-- इसमें सोचना क्या है मै सच बोल रही हूँ वैसे भी एक माँ और पत्नी के रिश्ते में कोई ज्यादा फर्क नही है दोनों एक जैसे है। सिवाय रात को मर्द के साथ बिस्तर गरम करने से ही पत्नी और माँ का रिश्ता बदल जाता है, बस यही से सोच, और फीलिंग्स बदल जाती है। मै आपसे शर्त लगाती हूँ कि आप उसे एक दिन केवल पत्नी की तराह ट्रीट कर के देखो एक दिन में ही दूध का दूध और पानी का पानी सब समझ आ जायेगा। और आप की अकल ठिकाने ना आये तो कहना।


मम्मी-- बहू इतना घमंड अच्छा नही है, क्यो अपने ego की वजह से अपनी खुशयो में आग लगा रही है।


कुसुम बड़ी जोर से हँस पड़ी हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा


मेरी प्यारी मम्मी आप तो serious हो गयी मै मजाक कर रही हूँ। आपका लाडला बेटा और मेरा पति थोड़ा टेढ़ा है पर सिर्फ मेरा है, मम्मी के गाल नोचते हुए कुसुम बोली


""मै कुसुम और मम्मी के एक दिन की पति बनने की शर्त को सुनकर शॉकड हो गया था।""


मम्मी चल अब बहुत हो गया हँसी मजाक रोटी बना जल्दी।


खाना बनने के बाद हम तीनो खाने बैठ गये। कुसुम मुझसे बोली अब आप वापस कब जा रहे है आपकी अब यहाँ कोई जरूरत नही है मै और मम्मी अब आराम से सेट हो गये है, आप क्यो अपनी छुटिया बढा रहे हो।


मम्मी -- तुझे अरुण को वापस भेजने की बड़ी जल्दी है। दो चार दिन रह लेगा तो तुझे क्या परेशानी है।


कुसुम--- मुझे कोई परेशानी नही है आपका बेटा ही बोल रहा था मै नही रूकूँगा वापस जाना है कॉलेज की छुट्टी ज्यादा हो गयी है। मै तो चाहती हूँ वो खुश रहे यहाँ रहे या वहा रहे।


कुसुम-- मुझे शांत हो के क्यो बैठे हो कुछ बाते करो मुझसे।


मैने कुसुम से पूछा कैसा रहा आज gov office का पहला दिन???

कुसुम बोली मस्त, साहब बोले कभी कभी ऑफिस जाना और कमरे पर आराम करना छुट्टी पर जाना तो पहले 15 दिन बता देना और वापसी तारीख पर present होना है। साहब ने कह दिया तनखाह बन्ने में समय लगेगा पेसे चाहो तो कैशियर बाबू से ले लेना । पहले मुझे साहब से थोड़ा डर लग रहा था। लेकिन Sdm साहब सिर्फ फोन से ही बात करते है मीटिंग में कभी कभी सामने आते है तो मेरी तरफ देखते ही नहीं फिर मेरा डर दूर हो गया।


खाना खा कर कपड़े चेंज करके कुसुम मम्मी सोने लगी तो मैंने कहा- मम्मी मै आज भी होटल चला जाता हूँ सोने ।


तो मम्मी बोली क्यों न बेटा आज हम एक ही कमरे में सो जाये।


मैने ने कहा- सो सकते हैं, आइडिया बुरा नहीं है. पर


मेरा होटल बेडरूम बेहतर है ac भी लगा है। यहाँ मच्छर भी ज्यादा है इसलिए मै जाता हूँ. वैसे भी एक रात की बात है कल मै टिकिट करा कर चला जाऊंगा।


मम्मी बोली कल कही मत जा और एक दो दिन रुक ले। मै बोला ठीक है सोच कर बताता हूँ।


मै जैसे ही जाने को हुआ तो कुसुम पीछे से बोली आपको सुबह जल्दी आने की जरूरत नही है मै ऑफिस अकेले आ जा सकती हू। वैसे भी वो ऑफिस है कोई स्कूल नही कि बच्चे को छोड़ने जाओ और लेने आओ। आप आराम से आइयेगा।


मै होटल के लिए निकल गया।


मैं रात भर बिस्तर पर करवट बदलते रहा पर नींद आँखों से दूर थी, आज कुसुम और मेरी मम्मी के बीच किचिन में जो बातें हुयी उन्हे याद कर के मेरा दिल बैठा जा रहा था,
एक ही सवाल मेरे दिमाग में बार बार आ रहा था।


क्या मै एक अच्छा पति नही हू????
पर इसका जबाब मेरे पास नही था तो मैने सोचा क्यो ना जैसे कुसुम ने कहा कि एक दिन के लिए मै अपनी मम्मी का बेटे का रिश्ता भूल कर अगर पति बन जाऊ तो शायद मुझे अपने अंदर चल रहे सवाल का जवाब मिल सकता है कि एक अच्छा पति हू या नही??


इधर मेरी मम्मी का भी यही हाल था वो भी अपनी बहू को झूठा साबित करना चाहती थी कि उनका लाडला बेटा एक अच्छा पति भी है।


मै और मम्मी इसी कश्मकश में finaly इस dicision पर पहुँचे कि कल का दिन हम दोनों एक पति पत्नी के तरह ही रहेंगे।


अगली सुबह


मै मम्मी के मैसेज का इंतजार कर रहा था कि शायद वो आज के दिन एक नये रिश्ते की शुरुआत करे।


इधर कुसुम ऑफिस के लिए चली जाती है, घर का काम ख़तम करने के बाद, मम्मी थोड़ा आराम करती है, उसके बाद मुझे मैसेज.. . ..


मम्मी : कहा हो।


मै: होटल में।


मम्मी: तो घर आ जाओ।


मै: कहीं जाना है।


मम्मी: तू अपनी पत्नी कुसुम से भी इस तरह पूछ सकता है क्या...??


मै: नहीं


मम्मी: तो फटाफट आ जाओ


मै: ओके मम्मी।


१ घंटे में मै घर आ गया।


मम्मी: अरुन बेटा कहाँ घुमाने ले जा रहे हो मुझे।


मै: कब


मम्मी; आज और अभी ।


मै; कहाँ जाना है आप बताओ।


मम्मी: मूवी चले।


मै: ओके चले
मम्मी: क्या पहनु।
मै: आप की मर्ज़ि।
मम्मी:बताओ ना
मै: क्या बोलू
मम्मी: हा।
मै: कोई सूट पहन लो।
मम्मी; मेरे पास अच्छे नहीं है।
मै: कुसुम का कोई सूट डाल लो।
मम्मी: पर वो मेरे को नहीं आयेंगे।
मै:क्यु
मम्मी: उसके साइज में और मेरे साइज में फर्क है।
मै: आप का क्या साइज है
मम्मी: 40-36-40
मै; कुछ नहीं बोला।
मम्मी: क्या हुआ ज्यादा मोटी हूँ।
मै: नहीं कुछ सोचते हुए।
मम्मी: बोल न क्या हुआ।
मै:क्या मस्त फिगर है।
मम्मी: क्या बोला।
मै: कुछ नही।

मम्मी: बोल न क्या बोला।
मै :कुछ नहीं चलो आज मूवी नहीं चलते आप के लिए कुछ सूट खरीदते है।


मम्मी: ओके अब क्या पहनू।
मै: ब्लू वाली साडी पहन लो और
मम्मी: और
मै: कुछ नही
मम्मी: बोल न और।
मै: पेटीकोट और ब्लाउज और
मम्मी: और
मै: और
मम्मी: है बोल ना
मै: और कुछ नहीं बोल के मै कमरे से बाहर निकल आया।

मम्मी कुछ तो समझ जाती है पर कन्फर्म करना चाहती है इसलिए मैसेज करती है
" और क्या पहनु बेटा""

मै थोड़ी देर ख़ामोश रहता हू।
और मम्मी को मैसेज भेज कर बता दिया।

"" ब्लू पेंटी और ब्रा"" सब मैचिंग मैचिंग
मम्मी मेसेज पढ कर हस देती है ।
उनके पति ने कभी नहीं कहा क्या पहनना है, और बेटा ब्रा और पेंटी का कलर बता रहा है।
हाहा हाहा हाहा हाहा

मम्मी का कुछ reply नहीं आया और शायद वही पहनती है जो मैने बोला था ।
और मेकअप के बाद
रूम से बाहर आती है ।

मम्मी: चल

मै: हाँ चलो।

बाहर बाइक के पास आते आते मम्मी मुझसे बोली आज तो ब्लू कलर बोल दिया कल वाइट या पिंक मत बोल देना मेरे पास वो कलर नहीं है, और मुस्करा देती है ।

मै मम्मी की ओर देखते हुए नये खरीद लेते है।
मम्मी: क्या।
मै: वही पिंक या वहाइट।
मम्मी: वो अपनी बीवी को दिलाना ।
मै: उसके पास है अब आप भी खरीद लो हस्ते हुए।

मम्मी मेरे पीठ में कोहनी मारती है और बाइक पर बैठ जाती है।

ऐसे ही बैठे हुए हम दोनों मॉल पहुच गये।

और शॉप देखते हुए दोने गारमेंट्स की दुकान पर गये
और मम्मी के साइज के सुट देखने लगे।

कफी देर देखने के बाद ३ सूट पसंद आये जो पैक करा लिए २ चूडीदार और १ पटिआला सुट।
एक पिंक कलर ,बलैक ,एण्ड ग्रीन।
खरीदने के बाद शॉप से बाहर आते हुए।
मम्मी:कर ली अपने मन की।
मै: अभी कहा।
मम्मी: अब क्या बाकि है।
मै: इनके मैचिंग की अंदर पहनने के लिये।
मम्मी: समझ तो गयी पर मेरे मुह से सुनना चाहती थी।क्या
मै: बोलू ।
मम्मी: हा
मै: ब्रा पैंटी

मम्मी जा अपनी बीवी को दिलाना इस सुट्स की मैचिंग ब्रा और पैंटी।

तू बहुत बेशरम हो गया है अपनी मम्मी को कोई बेटा ब्रा पेंटी दिलाता है ।

मै: हां वो तो है कोई बेटा अपनी मम्मी की ब्रा पेंटी धोके भी नहीं डालता।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

हस्ते हुए हम दोनों घर की और चल देते है।

घर पहुच कर

दोनो थोड़ी देर आराम करते है


डोरबेल बाजति है।


मम्मी घडी देख कर लगता है बेटा तेरी बीवी आ गयी है ।

""मेरी मम्मी और मेरे बीच बन रहे नजाजज् रिश्ते का सच हमारी आँखों में एक डर के साथ साफ साफ दिख रहा था ""

कुसुम क्या हुआ । मम्मी बेटा एक साथ क्यो खड़े हुए है।

मम्मी: कुछ नहीं बहू बेडशीट गन्दी थी उसे चेंज कर रही थी।

कुसुम मुझसे बोली सुनिये आप फटाफट तैयार हो जाये हम दोनों को साहब ने खाने पर बुलाया है। नीचे साहब की गाड़ी खड़ी है खास हम दोनों को ले जाने के लिए।

मै वाह वाह कमाल है मैडम आपको जॉइन किये हुए आज दूसरा दिन है और आपके साहब ने अपने घर आने का न्यौता कर दिया।

कुसुम-- ओहो तुमसे तो बात करना ही बेकार है,

मै-- तो अच्छा है ना तुम्हे जिसके साथ बातें करना अच्छा लगता है उस के साथ ही जाओ।

कुसुम-- मम्मी मै आपको बताती हूँ साहब के यहाँ एक छोटी सी पार्टी है ऑफिस के सब लोग आ रहे है, अरुण को साहब मिल चुके है इसलिए अरुण को भी साथ लाने को बोला है। उन्हे ये नही पता है कि आप भी आई है otherwise आपको भी invite करते। मम्मी आप अपने बेटे को समझाओ ना प्लीज पार्टी में जायेंगे तो नये नये contact बनेंगे, जान पहचान होगी, इससे मुझे जल्दी प्रमोशन मिल सकता है।

मम्मी--- बेटा अरुण तैयार हो जा चला जा बहु के साथ अपनी प्यारी मम्मी की बात मान ले। मम्मी ने कुसुम की बात का समर्थन करते हुए मुझसे कहा।

मम्मी आप कह रही हो तो मै चला जाता हूँ, वैसे आपको अकेला छोड़ कर जाने का मन नही कर रहा है।

कुसुम-- हस्ती हुयी मुझसे बोलि अगर माँ बेटे का सोलो ड्रामा खतम हो गया हो तो अब चले।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

हम घर से निकल गये, रास्ते में कुसुम गुर्राते हुए बोली अब ऐसे मुह मत लटकाओ थोड़ा हँसो, मै तुम्हे कोई मरियत में नही ले जा रही हू, वापस आकर अपनी अम्मा का खूब मन भर कर दूध पी लेना। "हद है यार इन माँ बेटे की नौटंकी।"

आधे घँटे बाद हम पार्टी में पहुँच गए, कुसुम अपनी साथ काम करने वाली लड़कियों के पास चली गई, कुसुम को देखकर उसके सर उसके पास आ गये और कुसुम से बातें करने लगे।

और मै एक साइड खड़ा हो गया।

“ये साली कुसुम तो साड़ी में और भी कमाल लगती है ..पिछवाड़ा तो देख इसका ”
एक अजनबी आवाज को सुनकर मैं अचानक ही रुक गया,ये कुसुम की ऑफिस पार्टी थी और मैं उसके लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेने गया हुआ था,

मैंने उन लड़को को घूरा जो कुसुम की ऐसी तारीफ कर रहे थे,कुछ लड़को का ग्रुप था जिनमे एक लड़का बहुत ही हैंडसम टाइप था,डोले शोले और अच्छी हाइट ने उसे और भी आकर्षक बना रखा था,लेकिन उसकी नजर अभी कुसुम के उन्नत पिछवाड़े पर ही टिकी थी साथ ही बाकी लोग भी उसे खा जाने वाली निगाह से देख रहे थे,कुसुम अभी अपने sdm. सर शर्मा जी से हँस हँस कर बाते कर रही थी इन सबसे अनजान की उसके ही ऑफिस के लड़के उसे ऐसी नजरो से घूर रहे है…….

लेकिन मेरे अंदर भी कुछ बदल रहा था,उन लोगो की बात का मुझपर दोहरा असर हो रहा था,एक तरफ ऐसा लगा की सालो के दांत तोड़ दु तो दूसरी तरफ मुझे एक उत्तेजना सी महसूस हुई ,मेरे साथ यही होता रहा है,जब भी मैं किसी को कुसुम को घूरते हुए देखता तो एक अजीब सी जलन और मजा मेरे अंदर घर कर जाता है,


मुझे पहले पहल तो लगा की ये कोई रोग है लेकिन जब मैं इसके बारे में पता किया तो पता चला की ये एक कामन सी चीज है जो हर मर्द में होती है,ज्यादा या कम मात्रा में,ये असल में जलन का ही एक रूप है जब आपकी कोई इन्फिरियरटी के कारण आप खुद को दुसरो से कम समझते है ,और जब कोई आपकी प्रोपर्टी की तरफ देखता है तो कुछ नही कर पाने का दुख उमड़ता है,लेकिन मन धीरे धीरे इसमें मजे लेने लगता है, मर्दानगी का ईगो आप मे जलन पैदा करता है और साथ ही अवचेतन में छुपी हुई कुछ कुंठाये आपके भीतर एक उत्तेजना का संचार भी करती है,ये जितना नार्मल है उतना ही एबनार्मल भी है……


मैं इन सब से पिछले दो महीनों से जूझ रहा हूँ और मुझे एक ही रास्ता दिखा की मैं कुसुम को ही ये फैसला करने दु की उसे क्या चाहिए,मैं किसी भी तरह से उसके ऊपर कोई भी फैसला थोपना नही चाहता ,अगर मैं ऐसा करता तो मेरे मन में ही अंतर्द्वंद की स्तिथि उमड़ जाती ……

मैं अपने ख्यालों से सम्हलता की वही हट्टा कट्टा लड़का बोल उठा,

“शर्मा इसकी लेता है क्या कैसे हँस हँस कर बात कर रही है..”

सभी लड़के मुस्कुरा उठे,

“नही यार साला बुड्डा ठरकी तो है लेकिन इसे नही पटा पायेगा, साली बड़ी नखरे वाली और तेज है लड़को को घुमा कर छोड़ दे “

उस लड़के की आंखों में एक अजीब सा नशा चढ़ गया

“तब तो ये मेरे लायक है ..”

वो बड़े ही शान से बोला ..

मैं चलता हुआ कुसुम तक पहुच गया मुझे देखकर शर्मा जो जोरो से हँस रहा था, उसकी हँसी थोड़ी कम हो गई जैसे झेंप गया हो या मेरा आना उसे पसंद नही आया हो …

“कैसे हो अरुण ..”

“अच्छा हु सर ,नाइस पार्टी भाभी जी नही दिख रही “

मेरी बात सुनकर उसका चहरा पूरी तरह से उतर गया..

“होंगी यही ओके तुम दोनो एन्जॉय करो मैं बाकी के गेस्ट से मिलता हु ..”

उसके जाने के बाद कुसुम ने और मैंने एक दूसरे को घूरा और हँस पड़े ,

“साला ठरकी ,अच्छा हुआ की तुम जल्दी आ गए नही तो इसे सम्हालना बहुत मुश्किल हो जाता है ,साला चिपके ही जाता है “

कुसुम की चंचल हँसी को मैं बस देखता ही रह गया…

वो सच में कमाल की लग रही थी ,मादकता उसके जिस्म के हर हिस्से से फूटे जा रही थी , तीन महीने हो चुके है हमारी शादी को लेकिन जब भी उसे देखता हू पता नही साला मेरा बाबूराव ऐसे क्यो अकड़ जाता है, मेरी हवस भरी निगाहों को वो आसानी से पहचान गई ..

“यंहा तो सब्र करो,अपनी ही बीवी को ऐसे घूर रहे हो..”

उसके आवाज में थोड़ी मस्ती थी ,

“तुम हो ही ऐसी ,सोचो मेरा ये हाल हो रहा है तो दुसरो का क्या हो रहा होगा,उस बेचारे शर्मा का क्या दोष और उन लड़को का जो तुम्हे देखकर आहे भर रहे है ..”

उसने अपनी आंखे बड़ी कर ली

“कौन लड़के ??”

मैंने हल्के आंखों से उन लोगो की तरफ इशारा किया,वो भी बहाने से पलटी ..और फिर मेरी तरफ देखने लगी ,

“ये साले ऑफिस के ठरकी लोग है ,इनका काम ही यही है,हा लेकिन वो नया लड़का थोड़ा अलग है ,उसमे एक बात है..हैंडसम भी है ..”

कुसुम ने थोड़ी शरारत फिर से दिखाई, उसे भी मुझे थोड़ा जलाने में मजा आता है, मैंने आंखों में ही पूछ लिया की वो किसकी बात कर रही है,

“चलो मिलावाती हु ..”

वो मुड़ी और थोड़े ही देर में हम उन्ही लड़को के पास थे..

“हाय कैसी चल रही है तुम लोगो की पार्टी..शर्मा कभी कभी तो मेहरबान होता है,फोकट की दारू ज्यादा मत पी लेना ..”

कुसुम का अंदाज बहुत ही फ्रेंडली था,मैं भी थोड़े आश्चर्य में था की ये वही लड़के है जिन्हें ये अभी गालियां दे रही थी ..

“ओह इनसे मिलो मेरे पतिदेव अरुण ..”

कुसुम ने मेरा सभी से परिचय करवाया और सभी ने बड़े ही अच्छे ढंग से मुझसे हाथ मिलाया ,लेकिन आखिर में ..

“और ये है हमारे ऑफिस के सीनियर मेंबर राज , अभी ही आया है..”

ये वही लड़का था जिसके बारे में कुसुम ने मुझसे कहा था,और साथ ही वो जो कुसुम को पटाने की बात कर रहा था,

साला था तो दिखने में बेहद हैंडसम ,लेकिन उसकी बात सच हो पाएगी या नही ये मैं नही कह सकता क्योकि मैं कुसुम को जानते हुए भी नही जानता हू, उसका अंदाज जितना बिंदास ,अदाएं उतनी ही कातिलाना लेकिन दिमाग उससे भी ज्यादा तेज ,किसी लड़के की वो फेंटेसी हो सकती है लेकिन उसे पाना कोई आसान काम तो नही लगता….

पार्टी अपने सबाब पर पहुच चुकी थी और कुसुम के साथ साथ मैं भी कुछ ड्रिंक्स अंदर कर चुके था, कुसुम पीने के बाद और भी मतवाली हो जाती है,वो दुनिया की फिक्र भूल कर मेरे साथ डांस करने लगी,लगभग सभी डांस फ्लोर में आ चुके थे…..

मैंने कुसुम को कस रखा था और कभी कभी उसके जिस्म को मसल भी देता था,उसकी आंखों में भी वासना की लहरे नाचने लगी थी,लेकिन अभी हम इसे कम नही करना चाहते थे,आज तो बिस्तर में भूचाल आना तय था लेकिन अभी उसे आग और भड़काने का दिल था……..

“मुझे एक और ड्रिंक चाहिए “ कुसुम मेरे कानो में चिल्लाई

“कितना पीयेगी बेवड़ी “

मैं उसके कानो में चिल्लाया और वो खिलखिला के हँस पड़ी ..

“प्लीज़ जान “ वो फिर से चिल्लाई और मैं मुस्कुराते हुए उसके लिए ड्रिंक लाने चला गया, डांस फ्लोर में अंधेरा था लेकिन डांस लाइट के कारण उजाला और अंधेरा बार बार हो रहा था,कभी जैसे आधे सेकंड के लिए रोशनी हो जाती फिर से आधे सेकंड का अंधेरा ..

मैं बार में खड़ा हुआ अपने पैक का इंतजार कर रहा था,और मेरी निगाहे अभी भी कुसुम पर थी जो अभी भी मस्त हुई नाच रही थी ,तभी किसी ने उसे पीछे से जकड़ लिया,वो कोई नही राज था,उसने कुसुम के कानो में कुछ कहा वो पलटी और उसे देखकर हँसने लगी,दोनो साथ डांस कर रहे थे …….


लेकिन अभी तक मुझे कुछ भी गलत नही लगा लेकिन राज ने अपने हाथ आगे बढ़ाये और कुसुम की कमर को सहलाने लगा, कुसुम नशे में थी या शायद उसे उसके ऐसा करने में कोई आपत्ति नही थी ,उसकी कोई प्रतिक्रिया नही आयी और राज ने उसे थोड़ा और अपने पास खिंचा,

मेरी मतवाली और मदहोश बीवी के साथ उस खूबसूरत मर्द को देखकर एक अजीब सा अहसास मेरे अंदर आ गया,मैं कोई प्रतिक्रिया नही कर रहा था लेकिन एक उत्तेजना मेरे अंदर बढ़ रही थी,मेरा लिंग अकड़न खा रहा था,तभी राज ने कुसुम को और जोरो से अपने करीब खिंच लिया ,और उसके कानो में कुछ कहने लगा,कुसुम हंसते हुए उसके सीने में एक मुक्का मार गई

,दोनो के चहरे बेहद करीब थे ,राज का हाथ कुसुम के कमर को जकड़े था जो उसकी साड़ी के कारण खुला हुआ था,सीधे चमड़ी का स्पर्श राज के अंदर क्या भावना जगा रहा होगा ये तो मुझे नही पता लेकिन मेरी हालत खराब थी ,मैं बेहद ही उत्तेजित महसूस कर रहा था,मैंने अपनी बीवी को किसी मर्द के इतने पास अपने कंपोंडर दोस्त के बाद आज देखा था…

मेरी ड्रिंक्स आ चुकी थी और मैं उसे लेकर फिर से कुसुम की तरफ बढ़ा,राज ने मुझे आते देख लिया और वो कुसुम से थोड़ा दूर हो गया,मैंने कुसुम को उसकी ड्रिंक दी और राज को एक हल्की स्माइल वो झेंपा लेकिन मुस्कुराता हुआ हमसे अलग हो गया…

ड्रिंक खत्म होने के बाद मैं कुसुम से चीपक चुका था,कुसुम मेरे सीने में अपना सर रखे हुए थी और मैं उसे अपनी बांहो में भरा हुआ था,गाना भी रोमांटिक चल रहा था

मिलाओ ना निगाह हमसे, करोगे कैसे निकाह हमसे
ए दिल ए दिल ए दिल

और कुसुम भी नशे में चूर हो चुकी थी……

“क्या हो रहा था उसके साथ “

मैंने हल्के से उसके कानो में कहा,वो मुझसे थोड़ी और चीपक गई

“बस थोड़ी मस्ती ,आपको कोई ऐतराज तो नही …”

मैं उसका चहरा देखने उससे थोड़ा अलग हुआ ,उसके होठो में एक नशीली सी मुस्कान थी जैसे कह रही हो की देखो
"मैं कितनी कमीनी हु…"

“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….




जारी है.......
 
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Cuckold & Incestuous feelings -- कहीं न कहीं सेक्स के इन दो तत्वों से जूझ रहा है अरूण ।
इन्सेस्ट की फीलिंग्स का कारण समझा जा सकता है । इसके लिए उत्तरदायी वह नही , उसकी मां है लेकिन , ककोल्ड की भावना उसके देर से वैवाहिक बंधन मे बंधना
और कुछ पोर्न एवं एडल्ट किताबें हो सकती है।
इंसान का स्वभाव होता है अपने हर सही - गलत कार्य को खुद द्वारा जस्टीफाई करना । सही गलत का आकलन वह स्वंय सृजन करता है भले ही नियमानुसार कुछ और हो।

और शायद अरूण का प्रॉब्लम भी यही है। कभी-कभार वह भ्रमित भी होता है और इसका कारण उसके आत्मविश्वास का डगमगाना ही है।

एक बार फिर से अरूण की मां ने बाॅल उछाल कर अरूण के हाथों थमा दिया और अब देखना है अरूण क्या करता है !
कुसुम परिपक्व महिला है। मर्दों के हाव-भाव और आंख की भाषा अच्छी तरह पढ़ना जानती है। शर्मा साहब से लेकर आफिस के हर कॉलीग को अच्छी तरह समझती है कि वो लोग किस कैरेक्टर के है और उससे क्या अपेक्षा करते है।
यहां भी यही देखना है कि वो इस रंगीनियत परिवेश से खुद को सुरक्षित रख पाती है या फिर बहक जाती है !

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मनू भाई। आउटस्टैंडिंग अपडेट।
 
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Ek number

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मेरी जीवनसंगिनी, मेरी पत्नी कुसुम जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी साथ निभाना है वो मुझसे दूर जा रही थी।

मैने अपने आँखों के आँसू पोंछे। नौकरी के पहले दिन ही इसे हवा लग गयी
मेरे अंदर गुस्से का उबाल भरा हुआ था मैने सोच लिया था आज मै अपनी पत्नी को अपना ओरिजिनल इंडियन हसबैंड वाला रूप दिखाऊँगा अब ये नौकरी जरूर करेगी लेकिन सिर्फ मेरी मै कुसुम की जितनी अकड़ गांड में भरी हुई है वो निकाल कर रहूँगा। मुझे सबके सामने डायलॉग चिपका कर गयी है। खुद को कलेक्टर समझ रही थी।

शाम साढ़े छे बजे मै घर पहुँचा।
कुसुम मेरी मम्मी के साथ खिल खिल करके हँस ते हुए भिंडी काट रही थी और उसने जैसे ही मुझे देखा तो बड़ी ही style में बोली आ गये महाराज
मुझे लगा था कि पानी में बह गये।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै गुस्से में चुप कर खिलखिलाना बहुत हो गया।

कितने बजे घर आई ये बता मुझे???

मेरी मम्मी क्या हुआ बेटा ऐसे गुस्से में क्यो है।
मम्मी आप अपनी बहू से पूछो आज किसके साथ ऑफिस से छूटने के बाद मुह काला कर के आई है।

कुसुम पूरे गुस्से में मुझे भिंडी काटने वाला चाकू दिखाते हुए बोली एक मिनिट क्या कहा फिर से कहना. . . ..???
मै-- कुसुम के हाथ में चाकू देखकर डर गया मै को लगा ये पागल कही मुझे मार ना दे। मै डरते हुए बोला जब सुना नही तो छोड़ो।

कुसुम -- फिर से कहना

अरुण चुप कर क्या बोल रहा है बहू से कुछ पता है तुझे, मेरी मम्मी चिल्लाकर मुझसे बोली।
मम्मी -- चुप करो तुम दोनों, कैसे कुत्ता बिल्ली की तरह लड़ रहे हो। अब मै जिससे जो पूछूँगी वो ही बोलेगा।

मै चुप हो गया।

अरुण तू बता बेटा क्या हुआ है??
मै-- मम्मी मै इसे ऑफिस से वापस लाने के लिए जा रहा था तो रास्ते में गाड़ी बंद पड़ गयी। काफी कोशिश की पर स्टार्ट नही हुई सामने आपकी बहू अपने अफसर के साथ गाड़ी में बैठ कर आई और मुझे डाइलोग मारते हुई बोली यहाँ क्यो खड़े हो, जल्दी घर आ जाओ।

कुसुम-- बीच में मेरी बात काट करती हुई बोली तो इसमें गलत क्या बोला मैने। तुम वहा सड़क पर भरे गंदे पानी में जो खड़े थे ।

मम्मी--- बहू अभी तू नही बोल पहले अरुण की बात पूरी करने दो। वैसे बेटा बहू कह तो सही रही थी। इसमें इतनी गुस्सा वाली बात क्या है???

मै मम्मी की बात का क्या जबाब दू क्योकि मै मम्मी से ही व्हाट्स अप chat कर रहा था.

मै-- इसने ये बात जिस अदा से कही थी वो मुझे अच्छा नही लगा।
कुसुम -- मैने क्या गाली देकर कहा था??

मै--- तुम्हारे कहने का तरीका भी गाली से कम नही था।
कुसुम-- मुह टेढ़ा करके मुझे चिढ़ती हुई बोली ओह मेला बाबू शोना यहाँ क्यो थडा है ऐसे पूछती sdm sir के सामने।


ये सुनकर मेरी हँसी छूट गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मेरा गुस्सा कम हो गया
खैर छोड़ो ये बात मुझे ये बताओ तुम अपने अफसर के साथ अकेली गाड़ी में क्यो आई?? मै तुम्हे लेने आ तो रहा था??

कुसुम--- ओह तो ये असल बात है तुम्हें ये देखकर मिर्ची लग गयी कि मै sdm sir के साथ आई।

मै--- हा।
कुसुम--- मै अपनी मर्जी से नही आई gov ऑफिस है पूरा स्टाफ जल्दी घर जाने का बहाना ढुढ़ता है, जैसे मौसम खराब हुआ सब भग गये। मै अकेली रह गयी तुम्हारा इंतजार कर रही थी पर मौसम खराब के कारण मैने तुम्हे फोन नही किया क्योकि तुम्हें क्यो परेशान करू।

बारिश बंद हुई तो मै भी निकलने लगी तभी sdm sir भी निकल रहे थे उन्होंने फोर्स किया तो मै उनके साथ गाड़ी में बैठ गयी और mr अरुण मै अकेली नही थी मेरे साथ एक लड़की और थी हम दोनों बीच वाली सीट पर थे वो पिछले चौराहे पर उतर गयी थी उसका घर आ गया था समझे महाराज।

मै क्या बोलू मेरे पास अब कोई जबाब ही नही था। मै अटकते हुए वो वो वो

कुसुम -- वो वो वो क्या कर रहे हो, अपनी गलती मानने की वजह मुझ पर भड़क रहे हो। शादी के तीन महीने हो गये पर अब तक तुम मुझे समझ नही पाये मुझे लगता है सारी जिंदगी लग जायेगी तुम्हे पर मुझे कभी समझ नही पाओगे। और जब गाड़ी खराब हो गयी थी तो उसे किसी mechnic के पास ले जाते तुम तो गंदे पानी में खड़े होकर मुस्की छोड़ रहे थे।

मम्मी-- बस करो अब बहुत हो गया बहू पति है तेरा। चलो अब किचिन में खाना बनाना है वैसे भी सात बज गये।

कुसुम और मम्मी किचिन में चले गए।

""मै सोच रहा था शायद कुसुम की गलती नही है मै बेवजह उस पर भड़क गया ""

(कुसुम और मम्मी किचिन में बातें कर रही थी। जिसकी आवाज मुझे साफ सुनाई दे रही थी।)

मम्मी--- सच कहु बहू वैसे गलती तेरी है तुझे अरुण रास्ते में मिल गया था तो तुझे साहब की गाड़ी से उतर जाना था और अपने पति के साथ घर आना था। अगर तेरी जगह मै होती तो अपने पति के साथ ही आती।

कुसुम-- आप मम्मी अब भी मेरी गलती मान रही हो, अब मै क्या बोलू आपको

मम्मी-- बोल दे बहू सच बोल दे जो तेरे दिल, मन और दिमाग में सब आज बता ही दे तू क्या सोचती है मेरे बेटे के बारे में ।
मेरा बेटा तो तुझे कितना प्यार करता है। ख़ुशनसीब है जो इतना प्यार करने वाला पति मिला है।

कुसुम --- वही तो सबसे बड़ी प्रॉब्लम है आपके बेटे को सिवाय प्यार करने के अलावा कुछ नही आता है, प्यार के अलावा उसे ना ही कुछ दिखता है, सूझता है, और ना ही सोचता है। उसके इसी प्यार से मुझे irritate होता है। हद से ज्यादा प्यार गुलाम बना देता है। उसके इसी प्यार की वजह से मै पेट से हो गयी। वो तो आजाद घूम रहे है, पर मै फँस गयी अब एक साल तक पेट फुला के घर में बैठो।

अरुण की filospi भी इतनी छोटी है कि मुझे सुनकर ही गुस्सा आता है, मुझे हमेशा एक ही बात बोलते है मै 15 हजार रुपये महिना कमा रहा हूँ, पापा की पेंशन आ रही है, खुद का घर है, एक मिडिल क्लास फैमिली को क्या चाइये। वो बस इसी में खुश है और इससे ज्यादा करने की ना सोचते है और ना करने की कोशिश करते हैं। मेरे सपने बड़े है मुझे clerk बने रह कर पूरी लाइफ बर्बाद नही करना है। मुझे senior officer बनना है, जल्दी से जल्दी प्रमोशन चाहिए, मेरे नीचे भी बत्ती वाली गाड़ी लगी हो, gun man, assitant, gov बंगला, एक vip की तरह रहना है, इसके लिए मुझे जो करना चाहिए वो मै करूँगी।


इस दुनिया में आप जैसी सासु माँ के लिए उसका बेटा कभी गलत हो नही सकता हमेशा बहू ही गलत होती है। तारीफ तो तब है जब आप जैसी मम्मी अपने बेटे की माँ की जगह एक दिन के लिए पत्नी बन कर देखो तब आप को पता चलेगा कैसा है आपका लाडला बेटा ।


""कुसुम को नही पता था इस बार उसने बिना कुछ सोचे समझे बहुत गंदी और गलत बात बोल दी थी ""


मम्मी-- बहू बोलने से पहले कुछ सोच लिया तो कर।
कुसुम-- इसमें सोचना क्या है मै सच बोल रही हूँ वैसे भी एक माँ और पत्नी के रिश्ते में कोई ज्यादा फर्क नही है दोनों एक जैसे है। सिवाय रात को मर्द के साथ बिस्तर गरम करने से ही पत्नी और माँ का रिश्ता बदल जाता है, बस यही से सोच, और फीलिंग्स बदल जाती है। मै आपसे शर्त लगाती हूँ कि आप उसे एक दिन केवल पत्नी की तराह ट्रीट कर के देखो एक दिन में ही दूध का दूध और पानी का पानी सब समझ आ जायेगा। और आप की अकल ठिकाने ना आये तो कहना।


मम्मी-- बहू इतना घमंड अच्छा नही है, क्यो अपने ego की वजह से अपनी खुशयो में आग लगा रही है।


कुसुम बड़ी जोर से हँस पड़ी हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा


मेरी प्यारी मम्मी आप तो serious हो गयी मै मजाक कर रही हूँ। आपका लाडला बेटा और मेरा पति थोड़ा टेढ़ा है पर सिर्फ मेरा है, मम्मी के गाल नोचते हुए कुसुम बोली


""मै कुसुम और मम्मी के एक दिन की पति बनने की शर्त को सुनकर शॉकड हो गया था।""


मम्मी चल अब बहुत हो गया हँसी मजाक रोटी बना जल्दी।


खाना बनने के बाद हम तीनो खाने बैठ गये। कुसुम मुझसे बोली अब आप वापस कब जा रहे है आपकी अब यहाँ कोई जरूरत नही है मै और मम्मी अब आराम से सेट हो गये है, आप क्यो अपनी छुटिया बढा रहे हो।


मम्मी -- तुझे अरुण को वापस भेजने की बड़ी जल्दी है। दो चार दिन रह लेगा तो तुझे क्या परेशानी है।


कुसुम--- मुझे कोई परेशानी नही है आपका बेटा ही बोल रहा था मै नही रूकूँगा वापस जाना है कॉलेज की छुट्टी ज्यादा हो गयी है। मै तो चाहती हूँ वो खुश रहे यहाँ रहे या वहा रहे।


कुसुम-- मुझे शांत हो के क्यो बैठे हो कुछ बाते करो मुझसे।


मैने कुसुम से पूछा कैसा रहा आज gov office का पहला दिन???

कुसुम बोली मस्त, साहब बोले कभी कभी ऑफिस जाना और कमरे पर आराम करना छुट्टी पर जाना तो पहले 15 दिन बता देना और वापसी तारीख पर present होना है। साहब ने कह दिया तनखाह बन्ने में समय लगेगा पेसे चाहो तो कैशियर बाबू से ले लेना । पहले मुझे साहब से थोड़ा डर लग रहा था। लेकिन Sdm साहब सिर्फ फोन से ही बात करते है मीटिंग में कभी कभी सामने आते है तो मेरी तरफ देखते ही नहीं फिर मेरा डर दूर हो गया।


खाना खा कर कपड़े चेंज करके कुसुम मम्मी सोने लगी तो मैंने कहा- मम्मी मै आज भी होटल चला जाता हूँ सोने ।


तो मम्मी बोली क्यों न बेटा आज हम एक ही कमरे में सो जाये।


मैने ने कहा- सो सकते हैं, आइडिया बुरा नहीं है. पर


मेरा होटल बेडरूम बेहतर है ac भी लगा है। यहाँ मच्छर भी ज्यादा है इसलिए मै जाता हूँ. वैसे भी एक रात की बात है कल मै टिकिट करा कर चला जाऊंगा।


मम्मी बोली कल कही मत जा और एक दो दिन रुक ले। मै बोला ठीक है सोच कर बताता हूँ।


मै जैसे ही जाने को हुआ तो कुसुम पीछे से बोली आपको सुबह जल्दी आने की जरूरत नही है मै ऑफिस अकेले आ जा सकती हू। वैसे भी वो ऑफिस है कोई स्कूल नही कि बच्चे को छोड़ने जाओ और लेने आओ। आप आराम से आइयेगा।


मै होटल के लिए निकल गया।


मैं रात भर बिस्तर पर करवट बदलते रहा पर नींद आँखों से दूर थी, आज कुसुम और मेरी मम्मी के बीच किचिन में जो बातें हुयी उन्हे याद कर के मेरा दिल बैठा जा रहा था,
एक ही सवाल मेरे दिमाग में बार बार आ रहा था।


क्या मै एक अच्छा पति नही हू????
पर इसका जबाब मेरे पास नही था तो मैने सोचा क्यो ना जैसे कुसुम ने कहा कि एक दिन के लिए मै अपनी मम्मी का बेटे का रिश्ता भूल कर अगर पति बन जाऊ तो शायद मुझे अपने अंदर चल रहे सवाल का जवाब मिल सकता है कि एक अच्छा पति हू या नही??


इधर मेरी मम्मी का भी यही हाल था वो भी अपनी बहू को झूठा साबित करना चाहती थी कि उनका लाडला बेटा एक अच्छा पति भी है।


मै और मम्मी इसी कश्मकश में finaly इस dicision पर पहुँचे कि कल का दिन हम दोनों एक पति पत्नी के तरह ही रहेंगे।


अगली सुबह


मै मम्मी के मैसेज का इंतजार कर रहा था कि शायद वो आज के दिन एक नये रिश्ते की शुरुआत करे।


इधर कुसुम ऑफिस के लिए चली जाती है, घर का काम ख़तम करने के बाद, मम्मी थोड़ा आराम करती है, उसके बाद मुझे मैसेज.. . ..


मम्मी : कहा हो।


मै: होटल में।


मम्मी: तो घर आ जाओ।


मै: कहीं जाना है।


मम्मी: तू अपनी पत्नी कुसुम से भी इस तरह पूछ सकता है क्या...??


मै: नहीं


मम्मी: तो फटाफट आ जाओ


मै: ओके मम्मी।


१ घंटे में मै घर आ गया।


मम्मी: अरुन बेटा कहाँ घुमाने ले जा रहे हो मुझे।


मै: कब


मम्मी; आज और अभी ।


मै; कहाँ जाना है आप बताओ।


मम्मी: मूवी चले।


मै: ओके चले
मम्मी: क्या पहनु।
मै: आप की मर्ज़ि।
मम्मी:बताओ ना
मै: क्या बोलू
मम्मी: हा।
मै: कोई सूट पहन लो।
मम्मी; मेरे पास अच्छे नहीं है।
मै: कुसुम का कोई सूट डाल लो।
मम्मी: पर वो मेरे को नहीं आयेंगे।
मै:क्यु
मम्मी: उसके साइज में और मेरे साइज में फर्क है।
मै: आप का क्या साइज है
मम्मी: 40-36-40
मै; कुछ नहीं बोला।
मम्मी: क्या हुआ ज्यादा मोटी हूँ।
मै: नहीं कुछ सोचते हुए।
मम्मी: बोल न क्या हुआ।
मै:क्या मस्त फिगर है।
मम्मी: क्या बोला।
मै: कुछ नही।

मम्मी: बोल न क्या बोला।
मै :कुछ नहीं चलो आज मूवी नहीं चलते आप के लिए कुछ सूट खरीदते है।


मम्मी: ओके अब क्या पहनू।
मै: ब्लू वाली साडी पहन लो और
मम्मी: और
मै: कुछ नही
मम्मी: बोल न और।
मै: पेटीकोट और ब्लाउज और
मम्मी: और
मै: और
मम्मी: है बोल ना
मै: और कुछ नहीं बोल के मै कमरे से बाहर निकल आया।

मम्मी कुछ तो समझ जाती है पर कन्फर्म करना चाहती है इसलिए मैसेज करती है
" और क्या पहनु बेटा""

मै थोड़ी देर ख़ामोश रहता हू।
और मम्मी को मैसेज भेज कर बता दिया।

"" ब्लू पेंटी और ब्रा"" सब मैचिंग मैचिंग
मम्मी मेसेज पढ कर हस देती है ।
उनके पति ने कभी नहीं कहा क्या पहनना है, और बेटा ब्रा और पेंटी का कलर बता रहा है।
हाहा हाहा हाहा हाहा

मम्मी का कुछ reply नहीं आया और शायद वही पहनती है जो मैने बोला था ।
और मेकअप के बाद
रूम से बाहर आती है ।

मम्मी: चल

मै: हाँ चलो।

बाहर बाइक के पास आते आते मम्मी मुझसे बोली आज तो ब्लू कलर बोल दिया कल वाइट या पिंक मत बोल देना मेरे पास वो कलर नहीं है, और मुस्करा देती है ।

मै मम्मी की ओर देखते हुए नये खरीद लेते है।
मम्मी: क्या।
मै: वही पिंक या वहाइट।
मम्मी: वो अपनी बीवी को दिलाना ।
मै: उसके पास है अब आप भी खरीद लो हस्ते हुए।

मम्मी मेरे पीठ में कोहनी मारती है और बाइक पर बैठ जाती है।

ऐसे ही बैठे हुए हम दोनों मॉल पहुच गये।

और शॉप देखते हुए दोने गारमेंट्स की दुकान पर गये
और मम्मी के साइज के सुट देखने लगे।

कफी देर देखने के बाद ३ सूट पसंद आये जो पैक करा लिए २ चूडीदार और १ पटिआला सुट।
एक पिंक कलर ,बलैक ,एण्ड ग्रीन।
खरीदने के बाद शॉप से बाहर आते हुए।
मम्मी:कर ली अपने मन की।
मै: अभी कहा।
मम्मी: अब क्या बाकि है।
मै: इनके मैचिंग की अंदर पहनने के लिये।
मम्मी: समझ तो गयी पर मेरे मुह से सुनना चाहती थी।क्या
मै: बोलू ।
मम्मी: हा
मै: ब्रा पैंटी

मम्मी जा अपनी बीवी को दिलाना इस सुट्स की मैचिंग ब्रा और पैंटी।

तू बहुत बेशरम हो गया है अपनी मम्मी को कोई बेटा ब्रा पेंटी दिलाता है ।

मै: हां वो तो है कोई बेटा अपनी मम्मी की ब्रा पेंटी धोके भी नहीं डालता।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

हस्ते हुए हम दोनों घर की और चल देते है।

घर पहुच कर

दोनो थोड़ी देर आराम करते है


डोरबेल बाजति है।


मम्मी घडी देख कर लगता है बेटा तेरी बीवी आ गयी है ।

""मेरी मम्मी और मेरे बीच बन रहे नजाजज् रिश्ते का सच हमारी आँखों में एक डर के साथ साफ साफ दिख रहा था ""

कुसुम क्या हुआ । मम्मी बेटा एक साथ क्यो खड़े हुए है।

मम्मी: कुछ नहीं बहू बेडशीट गन्दी थी उसे चेंज कर रही थी।

कुसुम मुझसे बोली सुनिये आप फटाफट तैयार हो जाये हम दोनों को साहब ने खाने पर बुलाया है। नीचे साहब की गाड़ी खड़ी है खास हम दोनों को ले जाने के लिए।

मै वाह वाह कमाल है मैडम आपको जॉइन किये हुए आज दूसरा दिन है और आपके साहब ने अपने घर आने का न्यौता कर दिया।

कुसुम-- ओहो तुमसे तो बात करना ही बेकार है,

मै-- तो अच्छा है ना तुम्हे जिसके साथ बातें करना अच्छा लगता है उस के साथ ही जाओ।

कुसुम-- मम्मी मै आपको बताती हूँ साहब के यहाँ एक छोटी सी पार्टी है ऑफिस के सब लोग आ रहे है, अरुण को साहब मिल चुके है इसलिए अरुण को भी साथ लाने को बोला है। उन्हे ये नही पता है कि आप भी आई है otherwise आपको भी invite करते। मम्मी आप अपने बेटे को समझाओ ना प्लीज पार्टी में जायेंगे तो नये नये contact बनेंगे, जान पहचान होगी, इससे मुझे जल्दी प्रमोशन मिल सकता है।

मम्मी--- बेटा अरुण तैयार हो जा चला जा बहु के साथ अपनी प्यारी मम्मी की बात मान ले। मम्मी ने कुसुम की बात का समर्थन करते हुए मुझसे कहा।

मम्मी आप कह रही हो तो मै चला जाता हूँ, वैसे आपको अकेला छोड़ कर जाने का मन नही कर रहा है।

कुसुम-- हस्ती हुयी मुझसे बोलि अगर माँ बेटे का सोलो ड्रामा खतम हो गया हो तो अब चले।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

हम घर से निकल गये, रास्ते में कुसुम गुर्राते हुए बोली अब ऐसे मुह मत लटकाओ थोड़ा हँसो, मै तुम्हे कोई मरियत में नही ले जा रही हू, वापस आकर अपनी अम्मा का खूब मन भर कर दूध पी लेना। "हद है यार इन माँ बेटे की नौटंकी।"

आधे घँटे बाद हम पार्टी में पहुँच गए, कुसुम अपनी साथ काम करने वाली लड़कियों के पास चली गई, कुसुम को देखकर उसके सर उसके पास आ गये और कुसुम से बातें करने लगे।

और मै एक साइड खड़ा हो गया।

“ये साली कुसुम तो साड़ी में और भी कमाल लगती है ..पिछवाड़ा तो देख इसका ”
एक अजनबी आवाज को सुनकर मैं अचानक ही रुक गया,ये कुसुम की ऑफिस पार्टी थी और मैं उसके लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेने गया हुआ था,

मैंने उन लड़को को घूरा जो कुसुम की ऐसी तारीफ कर रहे थे,कुछ लड़को का ग्रुप था जिनमे एक लड़का बहुत ही हैंडसम टाइप था,डोले शोले और अच्छी हाइट ने उसे और भी आकर्षक बना रखा था,लेकिन उसकी नजर अभी कुसुम के उन्नत पिछवाड़े पर ही टिकी थी साथ ही बाकी लोग भी उसे खा जाने वाली निगाह से देख रहे थे,कुसुम अभी अपने sdm. सर शर्मा जी से हँस हँस कर बाते कर रही थी इन सबसे अनजान की उसके ही ऑफिस के लड़के उसे ऐसी नजरो से घूर रहे है…….

लेकिन मेरे अंदर भी कुछ बदल रहा था,उन लोगो की बात का मुझपर दोहरा असर हो रहा था,एक तरफ ऐसा लगा की सालो के दांत तोड़ दु तो दूसरी तरफ मुझे एक उत्तेजना सी महसूस हुई ,मेरे साथ यही होता रहा है,जब भी मैं किसी को कुसुम को घूरते हुए देखता तो एक अजीब सी जलन और मजा मेरे अंदर घर कर जाता है,


मुझे पहले पहल तो लगा की ये कोई रोग है लेकिन जब मैं इसके बारे में पता किया तो पता चला की ये एक कामन सी चीज है जो हर मर्द में होती है,ज्यादा या कम मात्रा में,ये असल में जलन का ही एक रूप है जब आपकी कोई इन्फिरियरटी के कारण आप खुद को दुसरो से कम समझते है ,और जब कोई आपकी प्रोपर्टी की तरफ देखता है तो कुछ नही कर पाने का दुख उमड़ता है,लेकिन मन धीरे धीरे इसमें मजे लेने लगता है, मर्दानगी का ईगो आप मे जलन पैदा करता है और साथ ही अवचेतन में छुपी हुई कुछ कुंठाये आपके भीतर एक उत्तेजना का संचार भी करती है,ये जितना नार्मल है उतना ही एबनार्मल भी है……


मैं इन सब से पिछले दो महीनों से जूझ रहा हूँ और मुझे एक ही रास्ता दिखा की मैं कुसुम को ही ये फैसला करने दु की उसे क्या चाहिए,मैं किसी भी तरह से उसके ऊपर कोई भी फैसला थोपना नही चाहता ,अगर मैं ऐसा करता तो मेरे मन में ही अंतर्द्वंद की स्तिथि उमड़ जाती ……

मैं अपने ख्यालों से सम्हलता की वही हट्टा कट्टा लड़का बोल उठा,

“शर्मा इसकी लेता है क्या कैसे हँस हँस कर बात कर रही है..”

सभी लड़के मुस्कुरा उठे,

“नही यार साला बुड्डा ठरकी तो है लेकिन इसे नही पटा पायेगा, साली बड़ी नखरे वाली और तेज है लड़को को घुमा कर छोड़ दे “

उस लड़के की आंखों में एक अजीब सा नशा चढ़ गया

“तब तो ये मेरे लायक है ..”

वो बड़े ही शान से बोला ..

मैं चलता हुआ कुसुम तक पहुच गया मुझे देखकर शर्मा जो जोरो से हँस रहा था, उसकी हँसी थोड़ी कम हो गई जैसे झेंप गया हो या मेरा आना उसे पसंद नही आया हो …

“कैसे हो अरुण ..”

“अच्छा हु सर ,नाइस पार्टी भाभी जी नही दिख रही “

मेरी बात सुनकर उसका चहरा पूरी तरह से उतर गया..

“होंगी यही ओके तुम दोनो एन्जॉय करो मैं बाकी के गेस्ट से मिलता हु ..”

उसके जाने के बाद कुसुम ने और मैंने एक दूसरे को घूरा और हँस पड़े ,

“साला ठरकी ,अच्छा हुआ की तुम जल्दी आ गए नही तो इसे सम्हालना बहुत मुश्किल हो जाता है ,साला चिपके ही जाता है “

कुसुम की चंचल हँसी को मैं बस देखता ही रह गया…

वो सच में कमाल की लग रही थी ,मादकता उसके जिस्म के हर हिस्से से फूटे जा रही थी , तीन महीने हो चुके है हमारी शादी को लेकिन जब भी उसे देखता हू पता नही साला मेरा बाबूराव ऐसे क्यो अकड़ जाता है, मेरी हवस भरी निगाहों को वो आसानी से पहचान गई ..

“यंहा तो सब्र करो,अपनी ही बीवी को ऐसे घूर रहे हो..”

उसके आवाज में थोड़ी मस्ती थी ,

“तुम हो ही ऐसी ,सोचो मेरा ये हाल हो रहा है तो दुसरो का क्या हो रहा होगा,उस बेचारे शर्मा का क्या दोष और उन लड़को का जो तुम्हे देखकर आहे भर रहे है ..”

उसने अपनी आंखे बड़ी कर ली

“कौन लड़के ??”

मैंने हल्के आंखों से उन लोगो की तरफ इशारा किया,वो भी बहाने से पलटी ..और फिर मेरी तरफ देखने लगी ,

“ये साले ऑफिस के ठरकी लोग है ,इनका काम ही यही है,हा लेकिन वो नया लड़का थोड़ा अलग है ,उसमे एक बात है..हैंडसम भी है ..”

कुसुम ने थोड़ी शरारत फिर से दिखाई, उसे भी मुझे थोड़ा जलाने में मजा आता है, मैंने आंखों में ही पूछ लिया की वो किसकी बात कर रही है,

“चलो मिलावाती हु ..”

वो मुड़ी और थोड़े ही देर में हम उन्ही लड़को के पास थे..

“हाय कैसी चल रही है तुम लोगो की पार्टी..शर्मा कभी कभी तो मेहरबान होता है,फोकट की दारू ज्यादा मत पी लेना ..”

कुसुम का अंदाज बहुत ही फ्रेंडली था,मैं भी थोड़े आश्चर्य में था की ये वही लड़के है जिन्हें ये अभी गालियां दे रही थी ..

“ओह इनसे मिलो मेरे पतिदेव अरुण ..”

कुसुम ने मेरा सभी से परिचय करवाया और सभी ने बड़े ही अच्छे ढंग से मुझसे हाथ मिलाया ,लेकिन आखिर में ..

“और ये है हमारे ऑफिस के सीनियर मेंबर राज , अभी ही आया है..”

ये वही लड़का था जिसके बारे में कुसुम ने मुझसे कहा था,और साथ ही वो जो कुसुम को पटाने की बात कर रहा था,

साला था तो दिखने में बेहद हैंडसम ,लेकिन उसकी बात सच हो पाएगी या नही ये मैं नही कह सकता क्योकि मैं कुसुम को जानते हुए भी नही जानता हू, उसका अंदाज जितना बिंदास ,अदाएं उतनी ही कातिलाना लेकिन दिमाग उससे भी ज्यादा तेज ,किसी लड़के की वो फेंटेसी हो सकती है लेकिन उसे पाना कोई आसान काम तो नही लगता….

पार्टी अपने सबाब पर पहुच चुकी थी और कुसुम के साथ साथ मैं भी कुछ ड्रिंक्स अंदर कर चुके था, कुसुम पीने के बाद और भी मतवाली हो जाती है,वो दुनिया की फिक्र भूल कर मेरे साथ डांस करने लगी,लगभग सभी डांस फ्लोर में आ चुके थे…..

मैंने कुसुम को कस रखा था और कभी कभी उसके जिस्म को मसल भी देता था,उसकी आंखों में भी वासना की लहरे नाचने लगी थी,लेकिन अभी हम इसे कम नही करना चाहते थे,आज तो बिस्तर में भूचाल आना तय था लेकिन अभी उसे आग और भड़काने का दिल था……..

“मुझे एक और ड्रिंक चाहिए “ कुसुम मेरे कानो में चिल्लाई

“कितना पीयेगी बेवड़ी “

मैं उसके कानो में चिल्लाया और वो खिलखिला के हँस पड़ी ..

“प्लीज़ जान “ वो फिर से चिल्लाई और मैं मुस्कुराते हुए उसके लिए ड्रिंक लाने चला गया, डांस फ्लोर में अंधेरा था लेकिन डांस लाइट के कारण उजाला और अंधेरा बार बार हो रहा था,कभी जैसे आधे सेकंड के लिए रोशनी हो जाती फिर से आधे सेकंड का अंधेरा ..

मैं बार में खड़ा हुआ अपने पैक का इंतजार कर रहा था,और मेरी निगाहे अभी भी कुसुम पर थी जो अभी भी मस्त हुई नाच रही थी ,तभी किसी ने उसे पीछे से जकड़ लिया,वो कोई नही राज था,उसने कुसुम के कानो में कुछ कहा वो पलटी और उसे देखकर हँसने लगी,दोनो साथ डांस कर रहे थे …….


लेकिन अभी तक मुझे कुछ भी गलत नही लगा लेकिन राज ने अपने हाथ आगे बढ़ाये और कुसुम की कमर को सहलाने लगा, कुसुम नशे में थी या शायद उसे उसके ऐसा करने में कोई आपत्ति नही थी ,उसकी कोई प्रतिक्रिया नही आयी और राज ने उसे थोड़ा और अपने पास खिंचा,

मेरी मतवाली और मदहोश बीवी के साथ उस खूबसूरत मर्द को देखकर एक अजीब सा अहसास मेरे अंदर आ गया,मैं कोई प्रतिक्रिया नही कर रहा था लेकिन एक उत्तेजना मेरे अंदर बढ़ रही थी,मेरा लिंग अकड़न खा रहा था,तभी राज ने कुसुम को और जोरो से अपने करीब खिंच लिया ,और उसके कानो में कुछ कहने लगा,कुसुम हंसते हुए उसके सीने में एक मुक्का मार गई

,दोनो के चहरे बेहद करीब थे ,राज का हाथ कुसुम के कमर को जकड़े था जो उसकी साड़ी के कारण खुला हुआ था,सीधे चमड़ी का स्पर्श राज के अंदर क्या भावना जगा रहा होगा ये तो मुझे नही पता लेकिन मेरी हालत खराब थी ,मैं बेहद ही उत्तेजित महसूस कर रहा था,मैंने अपनी बीवी को किसी मर्द के इतने पास अपने कंपोंडर दोस्त के बाद आज देखा था…

मेरी ड्रिंक्स आ चुकी थी और मैं उसे लेकर फिर से कुसुम की तरफ बढ़ा,राज ने मुझे आते देख लिया और वो कुसुम से थोड़ा दूर हो गया,मैंने कुसुम को उसकी ड्रिंक दी और राज को एक हल्की स्माइल वो झेंपा लेकिन मुस्कुराता हुआ हमसे अलग हो गया…

ड्रिंक खत्म होने के बाद मैं कुसुम से चीपक चुका था,कुसुम मेरे सीने में अपना सर रखे हुए थी और मैं उसे अपनी बांहो में भरा हुआ था,गाना भी रोमांटिक चल रहा था

मिलाओ ना निगाह हमसे, करोगे कैसे निकाह हमसे
ए दिल ए दिल ए दिल

और कुसुम भी नशे में चूर हो चुकी थी……

“क्या हो रहा था उसके साथ “

मैंने हल्के से उसके कानो में कहा,वो मुझसे थोड़ी और चीपक गई

“बस थोड़ी मस्ती ,आपको कोई ऐतराज तो नही …”

मैं उसका चहरा देखने उससे थोड़ा अलग हुआ ,उसके होठो में एक नशीली सी मुस्कान थी जैसे कह रही हो की देखो
"मैं कितनी कमीनी हु…"

“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….




जारी है.......
Shandaar update
Kusum baat baat mai bol gayi ki usko bada afser banna hai prmotion chahiye . Jaldi iske liye usko kuch bhi karna pade . Ab dekho aage kya hota hai
 

manu@84

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Cuckold & Incestuous feelings -- कहीं न कहीं सेक्स के इन दो तत्वों से जूझ रहा है अरूण ।
इन्सेस्ट की फीलिंग्स का कारण समझा जा सकता है । इसके लिए उत्तरदायी वह नही , उसकी मां है लेकिन , ककोल्ड की भावना उसके देर से वैवाहिक बंधन मे बंधना
और कुछ पोर्न एवं एडल्ट किताबें हो सकती है।
इंसान का स्वभाव होता है अपने हर सही - गलत कार्य को खुद द्वारा जस्टीफाई करना । सही गलत का आकलन वह स्वंय सृजन करता है भले ही नियमानुसार कुछ और हो।

और शायद अरूण का प्रॉब्लम भी यही है। कभी-कभार वह भ्रमित भी होता है और इसका कारण उसके आत्मविश्वास का डगमगाना ही है।

एक बार फिर से अरूण की मां ने बाॅल उछाल कर अरूण के हाथों थमा दिया और अब देखना है अरूण क्या करता है !
कुसुम परिपक्व महिला है। मर्दों के हाव-भाव और आंख की भाषा अच्छी तरह पढ़ना जानती है। शर्मा साहब से लेकर आफिस के हर कॉलीग को अच्छी तरह समझती है कि वो लोग किस कैरेक्टर के है और उससे क्या अपेक्षा करते है।
यहां भी यही देखना है कि वो इस रंगीनियत परिवेश से खुद को सुरक्षित रख पाती है या फिर बहक जाती है !

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मनू भाई। आउटस्टैंडिंग अपडेट।
बहुत बहुत शुक्रिया आभार व्यक्त करते हुए मै कुछ और भी लिखना चाहता हूँ.....

Incest, cuckold, wife swap, homosexul, age gape relation.

ये बबहुत ही सेंसटिव विषय है, इन में अक्सर कोई कब कैसे क्यो फँस जाता हैं इसका कोई सटीक जबाब नही है, लेकिन ये मनोरोग, हो सकते हैं जिनका इलाज संभव नहीं है।

KUSUM एक महत्व कान्छी लड़की है, वो अन्य लड़कियों की तरह नही है जो सिर्फ घर, बच्चे, और पति के बिस्तर से बंधी रहती है। पहले कुसुम शायद अकेले खड़े होने से डरती थी, उसे लगता था समाज उसका बहिष्कार करेगा। लेकिन अब अकेले अपने बलबूते पर खड़े होकर खुद समाज को डराना चाहती हैं।

अरुण की माँ उम्र के उस पड़ाव में है जहाँ अक्सर नादानी और तर्जुबे का बटवारा हो रहा है।

अंत में आपका रिव्यू कहानी लिखने में बहुत मजा दे रहा है।
धन्यवाद
 

manu@84

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Shandaar update
Kusum baat baat mai bol gayi ki usko bada afser banna hai prmotion chahiye . Jaldi iske liye usko kuch bhi karna pade . Ab dekho aage kya hota hai

Dhanyavaad

औरत की तरक्की पर हमेशा शक किया गया है, अफसोस कि बात ये है उन शक करने वालो में औरतो की ही भरमार ज्यादा होती, मर्द की तरक्की पर नही इसी भेदभाव को दूर करेगी कुसुम....
 

manu@84

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अध्याय --- 14 ----
------------ ""पतन की शुरुआत "" ------------

“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….

रास्ते में हमने कुछ खाना भी पैक करवा लिया क्योकि साहब की पार्टी में हमने खाया कम और पिया ज्यादा था।
आधे घंटे बाद हम दोनों होटल पहुँच गए, गाड़ी से उतरते ही कुसुम मुझसे एक नशीली कातिल मुस्कान के साथ कान में बोली मेडिकल पर जाइये और एक स्ट्रॉबेरी ले आइये, मै कुसुम की बात समझ नही पाया और कुसुम से दोबारा पूछा क्या??

कुसुम कुछ ज्यादा ही नशे में थी वो मेरे करीब आई और मेरे लंड को छेड़ते हुए बोली इसका स्वाद बदलने की दवाई समझे। हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै तुरंत ख़ुशी से oh अभी आया कुसुम ऊपर होटल के कमरे में चली गई।

हल्के मध्यम रोशनी से पूरा कमरा जगमगा रहा था,हवा में उड़ाती हुई खुशबू ने मेरे नथुनों को भर दिया,मैं आश्चर्य से भर गया जब मैं कमरे में घुसा,अभी कुसुम कही दिखाई तो नही दी लेकिन मोहोल को देखकर जरूर लग रहा था की आज कुसुम रोमांस के फूल मुड़ में है ,मैं धीरे से जब अपने कमरे में पहुचा तो पाया की वो बाथरूम में है और साथ ही बेड में पड़े उसके उत्तेजक अंतः वस्त्रो ने ये बात कन्फर्म कर दी थी की आज वो जलवे बिखेरने वाली थी ,मैंने उन अंतः वस्त्रो को देखा वो बिल्कुल ही नए थे जैसे पहली बार आज ही उनका इस्तेमाल होने वाला हो,वो बहुत ही मुलायम थे इनके मुलायम की उन्हें छूते ही मेरा लिंग अकड़न खाने लगा, मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाजे के पास पहुचा दरवाजा खुला हुआ था मैं अंदर दाखिल हो गया,कुसुम अंदर बिना किसी कपड़े के शावर के नीचे खड़ी हुई थी ,मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े फेके और पीछे से उसे जाकर अपनी बांहो में भर लिया..वो मुस्कुराई ले आये दवाई ..


“हा मेरी जान बड़ी मूड में लग रही हो ..”वो हल्के से हँसी

“और आप हमेशा की तरह जल्दबाजी में ..”वो खिलखिलाई

“कभी तो थोड़ा सब्र करो ,भाग थोड़ी ना रही हु, इतना इंतजाम किया है और आप यही शुरू हो जाओगे,”उसका गीला हाथ मेरे लिंग पर था, सच में मैं यही सोच रहा था की कभी अकड़े हुए लिंग को उसकी गीली योनि में घुसा ही दु ,लेकिन उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा खुद पर कंट्रोल पाने की सोची..

“ऐसे भी मेरे पास कुछ ऐसी खबर है की आप आज रात धमाल मचा दोंगे,पानी गिर गया तो फिर खबर का मजा नही आएगा ..”वो फिर से अपनी चिर परिचित अंदाज में खिलखिलाई और झट से टॉवेल उठाकर बाहर निकल गई ..

उसकी बात सुनकर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई थी ,मेरा दिमाग ही ऐसा था की मैं एक साथ कई पॉसिबिलिटी के बारे में सोचता हू।

उसके साथ ही मैं अपने लंड को सहलाता हुआ बाहर निकला और जल्दी से एक शार्ट पहन लिया ,मेरी उत्तेजना की शिखर ये था की लिंग शार्ट को मानो फाड़कर बाहर आना चाहता था,एक तंबू साफ साफ दिख रहा था,

उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी और उसके ताजे अंतःवस्त्र उसमे से झांकने लगे …

मैंने उसे फिर से जकड़ लिया था मेरा लिंग उसके कूल्हे में गड़ा जा रहा था ,साला सोने का नाम ही नही ले रहा था…

“ओहो चलो खाना तो खा लो “

“मुझे तो बस तुम्हे खाना है ,”मैं उसके गर्दन को चूमने गला वो मचली और तेजी से मुझसे अलग हो गई उसके होठो में शरारत भरी मुस्कान थी ,

“अगर ऐसा किये ना, तो कोई बात नही बतलाऊंगी “वो हसंते हुए बाहर निकल गई और खाना टेबल में सजाने लगी,मैंने अपने लिंग को सहलाया ..

“थोड़ी देर सब्र करले बेटा नही तो कुछ भी नही मिलेगा “

खाना बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था,आज मैं उसकी चुदाई को इतना बेताब था जिसे मैं दो ढाई महीने से चोद रहा था,

हवसी तो मैं पहले से था लेकिन लग रहा था की अपनी फेंटेसी की वजह से मेरी पुरानी हवस फिर के जाग गई है और बड़ी जोर से जागी है …

पूरे खाने के दौरान कुसुम ने मुझे अपने से दूर ही रखा और मैं उसे देखकर अपना लिंग मसलता रहा,मुझे लगा की साला आज तो ये अंदर जाए बिना ही झड़ जाएगा …

मैं अपनी हवस को काबू पाने के लिए थोड़ा इधर उधर चल रहा था,जब ये कम नही हुई तो मैं अपने तकिये को मारने लगा,कुसुम मुझे देखकर हँसने लगी..

“पूरी ताकत यही निकाल दोगे क्या ..”उसे पता था की जब मैं ज्यादा जोश में आता था और मुझे उसका साथ नही मिलता था तब मैं अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए पंच तकिये को मारा करता हू,खासकर उसके पीरियड वाले टाइम में मैं कई घण्टे तक उसे मरता थक जाता था ।

लेकिन फिर कुसुम की टांगो को देखकर उत्तेजित हो जाता,आखिर उस बेचारी को अधिकतर मेरा लिंग अपने मुह और हाथो से मसल कर झडना पड़ता था,कुल मिलाकर मैं हवसी था जिसे कुसुम जैसी समझदार लड़की ही अपने प्यार से मैनेज कर पाती थी …

मैं तुरंत ही उसके ऊपर कूद गया ,उसकी आंखों को देखकर थोड़ा शांत हुआ,और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया..

जब सांसे फूलने लगी तो हम अलग हुए ..

“क्या बताना चाहती थी “

मैं थोड़ा शांत हो चुका था ,

जब मेरी बीवी ने मुझसे कहा की तुम अपनी एक सेक्सुअल फैंटसी(इच्छा) बताओ और बदले मे तुम मेरी सेक्सुअल फैंटसी पूरी करना !

तो मैंने उसे बताया की मुझे आज की ये होटल की रात अपनी हनीमून वाली रात बनानी है तो वो मुस्कुराने लगी और कहनी लगी डिमांड तो बड़ी करी हैं आपने बदले में मैं भी बड़ी डिमांड करुँगी!

मेरी आंखे बड़ी हो गई और लिंग ने फिर से फुंकार जोरो से मार दी ,मैंने अपने लिंग को इतने जोरो से सहलाया की वो हँस पड़ी ..

“क्या तुम भी बस इतनी सी बात पर ऐसा खड़ा कर रहे हो पहले पूरा तो सुन लो “

मैं अधीरता से उसे देखने लगा ..

वो मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई ..

उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था मैंने उसे झट से नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर टूट पड़ा ,पहले तो हंसती रही लेकिन फिर वो सिसकियां लेने लगी ,मैं उसके पूरे बदन को अपने थूक से गीला कर रहा था,

उसे भी पता था की मेरी इस उत्तेजना का कारण क्या है लेकिन हवस थोड़ी ही देर में प्यार की शक्ल लेने लगा,जिस चहरे को तीन महीनों से देख रहा था वो रोज मुझे कुछ नया ही लगता था,हर नजरिये के साथ साथ नजर भी बदलते जाती है ,

वो इतनी मासूम लग रही थी की मुझे खुद पर भी थोड़ा गुस्सा आने लगा की मैने अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को खुद से दूर रहकर अकेले रहकर नौकरी करने की सहमति क्यो दे दी। और अपनी प्यारी कुसुम को दूसरे मर्दो के बीच अकेला छोड़ दिया। जहा हर मर्द उसे फसाना चाह रहा है।

""आज तो कुसुम सिर्फ बातें ही कर रही थी अगर असल जिंदगी में वो किसी के साथ पट गयी तो उसका सामना करना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल होगा…""

उसने मेरी आंखों में झांका मैं अभी भी उसके आंखों में डूबा हुआ था,उसकी आंखे थोड़ी पनियाई जैसे पहले पहले प्यार में अक्सर होता है,शायद ये थोड़ी थोड़ी शरारतें हमारे प्यार को कभी बूढ़ा होने नही देंगी,हम आज भी उसी नए जोड़े की तरह एक दूसरे के साथ व्यव्हार कर रहे थे जैसा की शादी के समय किया करते थे,वो आज भी मेरी आंखों में प्यार देखकर इमोशनल हो जाती और आज भी मैं उसकी आंखों में पानी देखकर उसके प्यार में और उतर गया,

मैंने अपने होठो को उसके आंखों पर लगा दिया,उसका पानी मेरे होठो से मेरे मुह में चला गया था,उसके होठो पर हल्की मुस्कान खिली और हमारे होठ फिर से मिल गए,मन शांत होने लगा और हवस ने हारकर प्यार का रूप ले लिया,कपड़े खुलते गए और हम एक दूजे में सामने लगे,मन और भी शांत हो रहा था,उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन शरीर के तल पर ही वो मन को नही जला पा रही थी,शरीर के तल पर दोनो ही मिल चुके थे ,सांसे भी एक दूसरे में घुलने लगी थी और मन भी ,..........


अब हम दोनों एक दूसरे के सामने आ गए. उसके दोनों मम्में मेरे सीने से चिपक गए थे, आंचल थोड़ा सा हट गया, था तो उसकी खूबसूरत मखमली वक्षरेखा नज़र आई।
गोरे मम्मों के बीच में मंगल सूत्र!

मैंने नीचे को देखकर कहा- ये मंगल सूत्र भी बड़ा किस्मत वाला है।
वो बोली- नहीं, ये नहीं … आप किस्मत वाले हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैंने भी कस कर उसे अपनी आगोश में ले लिया।

15-17 दिनों बाद अपनी बीवी को बांहों में भरा था. मुझे अपनेपन की फीलिंग आई तो मैंने अपनी टांग भी उसके ऊपर रख ली।

अब सब्र सा नहीं हो रहा था तो मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर को उठाई और उसके होंठों पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
बेशक उसने चुम्बन में मेरा साथ दिया, मगर एक कंपकंपी एक हरारत सी मैंने महसूस की।

मैंने पूछा- क्या हुआ कुसुम?
वो बोली- बड़ा अजीब सा लग रहा है।

मैंने कहा- तुम खूबसूरत हो जवान हो, आज पार्टी में बहुत से लोगों ने तुम पर ट्राई किया था।
वो बोली- हाँ किया था, मगर मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहा कि अगर मैंने एक बार गलती कर ली तो हो सकता है, कल वही गलती मेरे साथ साथ मेरी बेटी के भविष्य में उसको नुकसान न पहुंचाए।

मैंने कहा- अरे वाह, बड़ी दूर की सोची, और अगर मुझ से शादी ही न होती तो?

वो बोली- ""सोचना पड़ता है, मर्द और औरत की सोच में बहुत फर्क पड़ता है, आप अगर कोई गलती कर भी लेते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इस समाज में मर्द के लिए सब गुनाह माफ है, मगर मेरे किसी एक गुनाह की सज़ा मेरी बेटी भी भुगते, ये मुझे मंजूर नहीं है।""

मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली हुई कि चलो जिदी, और गुस्से वाली बीवी मिली, मगर इधर उधर मुंह मारने वाली भी नहीं मिली।

मैंने प्यार में आ कर फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार थोड़ा ज़्यादा देर!
और होंठ चूमते वक्त अपनी जीभ से उसके नीचे के होंठ को चाटा भी!
उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को हल्के सी छूआ।

अब मैं थोड़ा ज़्यादा फ्री महसूस कर रहा था, तो मैंने उसके आँचल को हटा कर बड़े अच्छे से उसकी वक्षरेखा को देखा और उसको छूकर कहा- ये मेरी सबसे पसंदीदा चीज़ है. मुझे औरतों के बड़े
और गोल मम्में बहुत पसंद है. और बड़ा क्लीवेज तो मेरी कमजोरी है.

मैंने खुश होकर उसके दो गोल और दूध से सफ़ेद मम्में मेरा मन ललचा गए.
मैंने एक को पकड़ कर दबाया- अरे यार, क्या मस्त चूची है तुम्हारी!

वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।

मैंने दोनों मम्में बारी बारी से दबा कर देखे।

बनियान मैंने पहनी ही नहीं थी, तो मैं अब सिर्फ एक छोटी सी चड्डी में था।

कुसुम मेरी चड्डी को देखा, अब लंड तो मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था, तो अब मेरी चड्डी काफी फूली हुई लग रही थी।

वो बोली- ठीक है, तो ये बताओ, बातें ही करोगे या चोदोगे भी मुझे?
मैंने कहा- चोदूँगा ज़रूर चोदूँगा, मगर तुम्हें चोदने से पहले तुमसे बहुत से बातें भी करूंगा।
वो मुझसे लिपट कर बोली- बातें और सेक्स दोनों साथ भी तो हो सकते हैं।

मैंने कहा- क्यों चूत में बहुत खुजली हो रही है।
वो बोली- 15-17 दिन बाद आज लंड मेरे हाथ में आया है. कहते हुये उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया- अब इसलिए सब्र का पैमाना छलकने को है।


मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया तो उसने हल्की सी सिसकी भरी- सी … आह…
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- 15-16 दिन के बाद लंड को अपने हाथ में पकड़ा है, बहुत तड़पती थी मैं!

मैंने पूछा- तो जब दिल मचलता था, तो कैसे समझाती थी अपने दिल को?
वो बोली- अरे उसके लिए तो रसोई में बहुत कुछ मिल जाता है.
कह कर वो हंस दी।

मैं समझ गया कि खीरा बैंगन गाजर ने इसके सुख दुख में साथ दिया है।

मैंने अपनी चड्डी उतार दी और उस से बोला- लो मिलो अपने पति से … प्यार करो इसे!

वो उठ कर बैठ गई, और तकिये के पास रखे कंडोम के पैकेट से कंडोम निकालकर मेरी जांघ पर सर रख दिया, फिर मेरे लंड की चमड़ी पीछे को हटा कर मेरा टोपा बाहर निकाला और मेरे सुर्ख लाल टोपे के बिल्कुल शिखर पर चूमा और उस पर कंडोम चढ़ा कर फिर उसे मुंह में लेकर चूस ने लगी।

मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ, क्योंकि कुसुम को कुछ कहने या सिखाने की ज़रूरत नहीं थी, उसे पता था, कैसे क्या करना है। पति को क्या पसंद होता है, इसी लिए उसने बिना कहे ही मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।

मैंने पूछा- लंड चूसना अच्छा लगता है?
वो बोली- अरे बहुत, इसे चूसे बिना तो सेक्स का मज़ा ही नहीं आता।
आप भी दिखाइए अपनी जीभ का कमाल।

और उसने घोड़ी बन कर अपनी भरी हुई गाँड मेरी तरफ घुमा दी। उसकी दोनों टाँगों के बीच में अपना सर सेट किया. तो उसने अपनी भोंसड़ी मेरे मुंह पर रख दी।

मैंने पहले उसकी चूत की दरार को चूमा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत की दरार के अंदर डाल कर फेरा.
तो उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर को उठाई। चूत तो उसकी … भर भर के पानी छोड़ रही थी।

एकदम से गीली चिकनी चूत, हल्का नमकीन खट्टा सा पानी का स्वाद मुंह में आया, तो मैंने उसकी सारी चूत को अपने मुंह में भर लिया, और फिर अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत के अंदर और उसके चूत के छोले को चाटने लगा।

मैंने कहा- तुम्हें लंड चूसना पसंद नहीं?
वो बोली- पहले नहीं था. मगर आज तो मैं इतनी बेताब हो गई कि मुझे नहीं लगता आगे से मैं इसे बिना चूसे रह पाऊँगी.
और फिर वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.

क्योंकि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है. और जो मैं मज़े ले ले कर उसकी चूत चाट रहा था कि अचानक वो तड़प उठी, और अकड़ गई. उसने मेरे सर को अपनी जांघों में भींच लिया और मेरे लंड को अपने दाँतों से काट दिया.

उसके मुंह से सिर्फ ‘उम्म … उम …’ की आवाज़ें ही निकली क्योंकि उसके मुंह में तो मेरा लंड घुसा था। मैं समझ गया कि ये तो स्खलित हो गई। मगर मैं फिर भी उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाता रहा।

उसका बहुत सारा पानी मेरे मुंह पे लगा गया, बहुत सारा मैंने निगल लिया।

उसके बाद जब उसने अपनी जांघों की पकड़ ढीली करी तो एकदम से उठ कर मेरे ऊपर चढ़ गई।

“मार डाला ज़ालिम तुमने तो! यार, बस अब एक बार इससे भी स्खलित कर दो मुझे! फिर चाहे जान से मार दो!”

मैं कुछ कहता या करता, उससे पहले ही उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और ऊपर बैठ गई. गीली चूत में मेरा लंड फिसलता हुआ अंदर तक घुस गया।
पूरा लंड अपने अंदर ले कर वो मेरी कमर पर ही बैठ गई।

एक भरा हुआ दूध सा गोरा, नंगा बदन मेरा लंड लेकर मेरी कमर पर बैठा था। मैंने कोई हरकत नहीं करी। एक बार उसने जैसे अपनी पूरी सतुष्टि करी हो कि हाँ एक मजबूत लंड उसकी चूत में अंदर तक घुस चुका है।

उसके बाद उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- आपको मेरी ये बेताबी बुरी तो नहीं लगी? कहीं आप सोचें कि कितनी कामुकता भरी है इसमें?

मैंने कहा- नहीं, बल्कि मुझे जैसी पत्नी चाहिए थी, तुम बिल्कुल वैसी हो. बल्कि मेरी सोच से भी बढ़कर। अब अगर ऊपर चढ़ी हो तो रुको मत, चोद डालो मुझे। मैं हमेशा से चाहता हू कि एक भरी पूरी तगड़ी औरत मुझे हराकर मेरे ऊपर चढ़ कर खुद सेक्स करे, मैं उसे नहीं बल्कि वो मुझे चोदे। और देखो तुम मुझे मिल गई। अब शुरू हो जाओ और अपने दिल में छुपी उस रांड को बाहर निकालो, और मुझे एक ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा दो।

वो बोली- जो हुकुम मेरे सरकार!

और उसके बाद उसने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू करी। पहले सीधी बैठ कर फिर, आगे झुक कर फिर मेरे ऊपर लेट कर, मगर उसने अपनी कमर नहीं रोकी, और मेरा लंड बार बार उसकी चूत में अंदर बाहर जाता रहा। पहली उसकी गीली चूत सूखी. और उसके बाद धीरे फिर से वो पानी छोड़ने लगी।


उसकी कमर चलती रही, उसको सांस चढ़ने लगी।
मैंने पूछा- मैं ऊपर आऊँ”?
वो बोली- नहीं, अब तो मर कर ही नीचे उतरूँगी।
वो मुझे पेलती रही.

धीरे धीरे उसके बदन पसीने से भीगने लगा, कुसुम एक शानदार औरत ही नहीं , एक जानदार औरत भी है।
उसके बड़े बड़े मम्में मेरे चेहरे पर झूल रहे थे जिन्हें मैंने खूब चूसा, और बहुत बार ज़ोर ज़ोर से काटा. इतनी ज़ोर से कि कुसुम की चीख निकाल दी.
मगर वो सिर्फ कामुकता के सैलाब में बहती चली गई, एक बार भी नहीं कहा लो मत काटो दर्द होता है।
उसके मम्मों पर मेरे दांतों के बहुत से निशान बन गए।

वो मुझे चोदती रही, चोदती रही, जब तक के मेरे लंड ने उसकी चूत में वीर्य की उल्टी नहीं कर दी।

जब मेरा माल गिरा तो वो बोली- अरे ये क्या किया, अंदर ही गिरा दिया?
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ,
वो बोली- अरे नहीं, वो बात नहीं, मेरे जिस्म पर गिराते, मेरे स्तनों पर, मेरे मुंह में … मुझे अच्छा लगता है मर्दाना वीर्य में भीगना, उसे टेस्ट करना।

मैंने उसकी चूत से लंड निकाला, जो अभी भी मेरे वीर्य से भीगा हुआ था, और मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया।
वो बड़े शौक से मेरे लंड को चाट गई। जितना भी वीर्य लगा था, सब चाट गई।

उसके बाद हम दोनों वैसे ही कुछ देर लेटे रहे।
हम कुछ कुछ बातें करते रहे।


ओह जान तुम तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम ही बना दोगी..”

मेरे मुह से यही निकला …

मैं थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही वो मेरे सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब मैंने उसकी आंखों में देखा तो वो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…

“सच में मैं किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती हु..”

कुसुम की बात से मेरे भी होठो पर एक मुस्कान खिल गई ..

“मुझे तो बना ही चुकी हो …”

वो हल्के से हँसी ..

“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी गुलाम बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कसीस ने मुझे अपना गुलाम ही बना दिया है…”

उसकी आंखों से छलकती हुई सच्चाई की बूंदों को मैंने अपने होठो में भर लिया …

“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले ,किसी भी मर्द को पागल बना देंगे….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”

मेरी आवाज में कुसुम के लिए बस प्यार ही प्यार था..

और उसके आंखों में आंसू ,जिसे मैं अपने होठो से हल्के हल्के से चूम रहा था,

“इतना ही प्यार करते हो तो हमेशा शक क्यो करते रहते हो ….” आज मम्मी के सामने मुझे कहाँ मुह काला कर के आई हो क्यो बोला था?????

उसकी बात से मैं सकपका गया था,ना जाने क्यो लेकिन उसकी हर बात मुझे अच्छी लगती है उसे मेरे सिवा किसी और की फिक्र ही नही है …

मेरे होठो में हल्की मुस्कान तैरने लगी …

“जलन तो होती है लेकिन फिर भी अच्छा लगता है जब देखता हु की तुम्हारा प्यार बस मेरे लिए है,और उन बेचारों के चहरे में मायूसी देखता हु...मेरे जीवन में सिर्फ तुम ही एक लड़की हो ,मैंने तो कभी कोई लड़की पटाई भी नही लेकिन तुम जिससे बात कर दो वो तुम्हारा दीवाना हो जाता है ,ऐसी बीवी है मेरी तो थोड़ा शक तो बनता है..”

उसने झूठे गुस्से से मुझे मारा ..

“आप भी ना ……..”

लेकिन वो तुरंत ही गंभीर हो गई

“लेकिन अगर किसी से मुझे भी प्यार हो गया तो …”

उसकी बात सुनकर मैं भी गंभीर हो चुका था..

“तो मैं समझूंगा की मेरा प्यार कमजोर था..”

वो थोड़ी देर मुझे देखने लगी ..

“और अगर मैं बहक गई तो ….”

उसकी बातो का इशारा मैं समझ सकता था,

मैं भी गहरे सोच में डूब चुका था..

“मुझे नही पता ….”

मैं बस इतना ही बोल पाया …

उसने प्यार से निहारते हुए मेरे होठो पर अपने होठो को रख दिया ..



जारी है।
 

Ek number

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अध्याय --- 14 ----
------------ ""पतन की शुरुआत "" ------------

“फिलहाल तो आज तुम होटल मेरे साथ चलो तुम्हारी पूरी मस्ती निकलता हु “वो खिलखिलाई और “आप ठरकी हो ये तो पता था लेकिन इतने हो ये नही पता था,इन पोर्न वेबसाइट्स और कहानियों ने अपका दिमाग खराब कर रखा है..”वो गुस्से में थी लेकिन होठो में मुस्कान लेकर ..

पूरे रास्ते कुसुम बेहद ही उत्तेजित लग रही थी वही हाल मेरा भी था,मेरे सामने बार बार कुसुम और उसके चाहने वाले राज का चहरा घूम रहा था,जब राज ने कुसुम के कमर में हाथ डाला था वो सीन ही मुझे गुस्से के साथ साथ उत्तेजित कर दे रहा था….

रास्ते में हमने कुछ खाना भी पैक करवा लिया क्योकि साहब की पार्टी में हमने खाया कम और पिया ज्यादा था।
आधे घंटे बाद हम दोनों होटल पहुँच गए, गाड़ी से उतरते ही कुसुम मुझसे एक नशीली कातिल मुस्कान के साथ कान में बोली मेडिकल पर जाइये और एक स्ट्रॉबेरी ले आइये, मै कुसुम की बात समझ नही पाया और कुसुम से दोबारा पूछा क्या??

कुसुम कुछ ज्यादा ही नशे में थी वो मेरे करीब आई और मेरे लंड को छेड़ते हुए बोली इसका स्वाद बदलने की दवाई समझे। हाहाहा हाहाहा हाहाहा

मै तुरंत ख़ुशी से oh अभी आया कुसुम ऊपर होटल के कमरे में चली गई।

हल्के मध्यम रोशनी से पूरा कमरा जगमगा रहा था,हवा में उड़ाती हुई खुशबू ने मेरे नथुनों को भर दिया,मैं आश्चर्य से भर गया जब मैं कमरे में घुसा,अभी कुसुम कही दिखाई तो नही दी लेकिन मोहोल को देखकर जरूर लग रहा था की आज कुसुम रोमांस के फूल मुड़ में है ,मैं धीरे से जब अपने कमरे में पहुचा तो पाया की वो बाथरूम में है और साथ ही बेड में पड़े उसके उत्तेजक अंतः वस्त्रो ने ये बात कन्फर्म कर दी थी की आज वो जलवे बिखेरने वाली थी ,मैंने उन अंतः वस्त्रो को देखा वो बिल्कुल ही नए थे जैसे पहली बार आज ही उनका इस्तेमाल होने वाला हो,वो बहुत ही मुलायम थे इनके मुलायम की उन्हें छूते ही मेरा लिंग अकड़न खाने लगा, मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाजे के पास पहुचा दरवाजा खुला हुआ था मैं अंदर दाखिल हो गया,कुसुम अंदर बिना किसी कपड़े के शावर के नीचे खड़ी हुई थी ,मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े फेके और पीछे से उसे जाकर अपनी बांहो में भर लिया..वो मुस्कुराई ले आये दवाई ..


“हा मेरी जान बड़ी मूड में लग रही हो ..”वो हल्के से हँसी

“और आप हमेशा की तरह जल्दबाजी में ..”वो खिलखिलाई

“कभी तो थोड़ा सब्र करो ,भाग थोड़ी ना रही हु, इतना इंतजाम किया है और आप यही शुरू हो जाओगे,”उसका गीला हाथ मेरे लिंग पर था, सच में मैं यही सोच रहा था की कभी अकड़े हुए लिंग को उसकी गीली योनि में घुसा ही दु ,लेकिन उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा खुद पर कंट्रोल पाने की सोची..

“ऐसे भी मेरे पास कुछ ऐसी खबर है की आप आज रात धमाल मचा दोंगे,पानी गिर गया तो फिर खबर का मजा नही आएगा ..”वो फिर से अपनी चिर परिचित अंदाज में खिलखिलाई और झट से टॉवेल उठाकर बाहर निकल गई ..

उसकी बात सुनकर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई थी ,मेरा दिमाग ही ऐसा था की मैं एक साथ कई पॉसिबिलिटी के बारे में सोचता हू।

उसके साथ ही मैं अपने लंड को सहलाता हुआ बाहर निकला और जल्दी से एक शार्ट पहन लिया ,मेरी उत्तेजना की शिखर ये था की लिंग शार्ट को मानो फाड़कर बाहर आना चाहता था,एक तंबू साफ साफ दिख रहा था,

उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी और उसके ताजे अंतःवस्त्र उसमे से झांकने लगे …

मैंने उसे फिर से जकड़ लिया था मेरा लिंग उसके कूल्हे में गड़ा जा रहा था ,साला सोने का नाम ही नही ले रहा था…

“ओहो चलो खाना तो खा लो “

“मुझे तो बस तुम्हे खाना है ,”मैं उसके गर्दन को चूमने गला वो मचली और तेजी से मुझसे अलग हो गई उसके होठो में शरारत भरी मुस्कान थी ,

“अगर ऐसा किये ना, तो कोई बात नही बतलाऊंगी “वो हसंते हुए बाहर निकल गई और खाना टेबल में सजाने लगी,मैंने अपने लिंग को सहलाया ..

“थोड़ी देर सब्र करले बेटा नही तो कुछ भी नही मिलेगा “

खाना बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था,आज मैं उसकी चुदाई को इतना बेताब था जिसे मैं दो ढाई महीने से चोद रहा था,

हवसी तो मैं पहले से था लेकिन लग रहा था की अपनी फेंटेसी की वजह से मेरी पुरानी हवस फिर के जाग गई है और बड़ी जोर से जागी है …

पूरे खाने के दौरान कुसुम ने मुझे अपने से दूर ही रखा और मैं उसे देखकर अपना लिंग मसलता रहा,मुझे लगा की साला आज तो ये अंदर जाए बिना ही झड़ जाएगा …

मैं अपनी हवस को काबू पाने के लिए थोड़ा इधर उधर चल रहा था,जब ये कम नही हुई तो मैं अपने तकिये को मारने लगा,कुसुम मुझे देखकर हँसने लगी..

“पूरी ताकत यही निकाल दोगे क्या ..”उसे पता था की जब मैं ज्यादा जोश में आता था और मुझे उसका साथ नही मिलता था तब मैं अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए पंच तकिये को मारा करता हू,खासकर उसके पीरियड वाले टाइम में मैं कई घण्टे तक उसे मरता थक जाता था ।

लेकिन फिर कुसुम की टांगो को देखकर उत्तेजित हो जाता,आखिर उस बेचारी को अधिकतर मेरा लिंग अपने मुह और हाथो से मसल कर झडना पड़ता था,कुल मिलाकर मैं हवसी था जिसे कुसुम जैसी समझदार लड़की ही अपने प्यार से मैनेज कर पाती थी …

मैं तुरंत ही उसके ऊपर कूद गया ,उसकी आंखों को देखकर थोड़ा शांत हुआ,और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया..

जब सांसे फूलने लगी तो हम अलग हुए ..

“क्या बताना चाहती थी “

मैं थोड़ा शांत हो चुका था ,

जब मेरी बीवी ने मुझसे कहा की तुम अपनी एक सेक्सुअल फैंटसी(इच्छा) बताओ और बदले मे तुम मेरी सेक्सुअल फैंटसी पूरी करना !

तो मैंने उसे बताया की मुझे आज की ये होटल की रात अपनी हनीमून वाली रात बनानी है तो वो मुस्कुराने लगी और कहनी लगी डिमांड तो बड़ी करी हैं आपने बदले में मैं भी बड़ी डिमांड करुँगी!

मेरी आंखे बड़ी हो गई और लिंग ने फिर से फुंकार जोरो से मार दी ,मैंने अपने लिंग को इतने जोरो से सहलाया की वो हँस पड़ी ..

“क्या तुम भी बस इतनी सी बात पर ऐसा खड़ा कर रहे हो पहले पूरा तो सुन लो “

मैं अधीरता से उसे देखने लगा ..

वो मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई ..

उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था मैंने उसे झट से नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर टूट पड़ा ,पहले तो हंसती रही लेकिन फिर वो सिसकियां लेने लगी ,मैं उसके पूरे बदन को अपने थूक से गीला कर रहा था,

उसे भी पता था की मेरी इस उत्तेजना का कारण क्या है लेकिन हवस थोड़ी ही देर में प्यार की शक्ल लेने लगा,जिस चहरे को तीन महीनों से देख रहा था वो रोज मुझे कुछ नया ही लगता था,हर नजरिये के साथ साथ नजर भी बदलते जाती है ,

वो इतनी मासूम लग रही थी की मुझे खुद पर भी थोड़ा गुस्सा आने लगा की मैने अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को खुद से दूर रहकर अकेले रहकर नौकरी करने की सहमति क्यो दे दी। और अपनी प्यारी कुसुम को दूसरे मर्दो के बीच अकेला छोड़ दिया। जहा हर मर्द उसे फसाना चाह रहा है।

""आज तो कुसुम सिर्फ बातें ही कर रही थी अगर असल जिंदगी में वो किसी के साथ पट गयी तो उसका सामना करना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल होगा…""

उसने मेरी आंखों में झांका मैं अभी भी उसके आंखों में डूबा हुआ था,उसकी आंखे थोड़ी पनियाई जैसे पहले पहले प्यार में अक्सर होता है,शायद ये थोड़ी थोड़ी शरारतें हमारे प्यार को कभी बूढ़ा होने नही देंगी,हम आज भी उसी नए जोड़े की तरह एक दूसरे के साथ व्यव्हार कर रहे थे जैसा की शादी के समय किया करते थे,वो आज भी मेरी आंखों में प्यार देखकर इमोशनल हो जाती और आज भी मैं उसकी आंखों में पानी देखकर उसके प्यार में और उतर गया,

मैंने अपने होठो को उसके आंखों पर लगा दिया,उसका पानी मेरे होठो से मेरे मुह में चला गया था,उसके होठो पर हल्की मुस्कान खिली और हमारे होठ फिर से मिल गए,मन शांत होने लगा और हवस ने हारकर प्यार का रूप ले लिया,कपड़े खुलते गए और हम एक दूजे में सामने लगे,मन और भी शांत हो रहा था,उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन शरीर के तल पर ही वो मन को नही जला पा रही थी,शरीर के तल पर दोनो ही मिल चुके थे ,सांसे भी एक दूसरे में घुलने लगी थी और मन भी ,..........


अब हम दोनों एक दूसरे के सामने आ गए. उसके दोनों मम्में मेरे सीने से चिपक गए थे, आंचल थोड़ा सा हट गया, था तो उसकी खूबसूरत मखमली वक्षरेखा नज़र आई।
गोरे मम्मों के बीच में मंगल सूत्र!

मैंने नीचे को देखकर कहा- ये मंगल सूत्र भी बड़ा किस्मत वाला है।
वो बोली- नहीं, ये नहीं … आप किस्मत वाले हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैंने भी कस कर उसे अपनी आगोश में ले लिया।

15-17 दिनों बाद अपनी बीवी को बांहों में भरा था. मुझे अपनेपन की फीलिंग आई तो मैंने अपनी टांग भी उसके ऊपर रख ली।

अब सब्र सा नहीं हो रहा था तो मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर को उठाई और उसके होंठों पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
बेशक उसने चुम्बन में मेरा साथ दिया, मगर एक कंपकंपी एक हरारत सी मैंने महसूस की।

मैंने पूछा- क्या हुआ कुसुम?
वो बोली- बड़ा अजीब सा लग रहा है।

मैंने कहा- तुम खूबसूरत हो जवान हो, आज पार्टी में बहुत से लोगों ने तुम पर ट्राई किया था।
वो बोली- हाँ किया था, मगर मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहा कि अगर मैंने एक बार गलती कर ली तो हो सकता है, कल वही गलती मेरे साथ साथ मेरी बेटी के भविष्य में उसको नुकसान न पहुंचाए।

मैंने कहा- अरे वाह, बड़ी दूर की सोची, और अगर मुझ से शादी ही न होती तो?

वो बोली- ""सोचना पड़ता है, मर्द और औरत की सोच में बहुत फर्क पड़ता है, आप अगर कोई गलती कर भी लेते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इस समाज में मर्द के लिए सब गुनाह माफ है, मगर मेरे किसी एक गुनाह की सज़ा मेरी बेटी भी भुगते, ये मुझे मंजूर नहीं है।""

मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली हुई कि चलो जिदी, और गुस्से वाली बीवी मिली, मगर इधर उधर मुंह मारने वाली भी नहीं मिली।

मैंने प्यार में आ कर फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार थोड़ा ज़्यादा देर!
और होंठ चूमते वक्त अपनी जीभ से उसके नीचे के होंठ को चाटा भी!
उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को हल्के सी छूआ।

अब मैं थोड़ा ज़्यादा फ्री महसूस कर रहा था, तो मैंने उसके आँचल को हटा कर बड़े अच्छे से उसकी वक्षरेखा को देखा और उसको छूकर कहा- ये मेरी सबसे पसंदीदा चीज़ है. मुझे औरतों के बड़े
और गोल मम्में बहुत पसंद है. और बड़ा क्लीवेज तो मेरी कमजोरी है.

मैंने खुश होकर उसके दो गोल और दूध से सफ़ेद मम्में मेरा मन ललचा गए.
मैंने एक को पकड़ कर दबाया- अरे यार, क्या मस्त चूची है तुम्हारी!

वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।

मैंने दोनों मम्में बारी बारी से दबा कर देखे।

बनियान मैंने पहनी ही नहीं थी, तो मैं अब सिर्फ एक छोटी सी चड्डी में था।

कुसुम मेरी चड्डी को देखा, अब लंड तो मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था, तो अब मेरी चड्डी काफी फूली हुई लग रही थी।

वो बोली- ठीक है, तो ये बताओ, बातें ही करोगे या चोदोगे भी मुझे?
मैंने कहा- चोदूँगा ज़रूर चोदूँगा, मगर तुम्हें चोदने से पहले तुमसे बहुत से बातें भी करूंगा।
वो मुझसे लिपट कर बोली- बातें और सेक्स दोनों साथ भी तो हो सकते हैं।

मैंने कहा- क्यों चूत में बहुत खुजली हो रही है।
वो बोली- 15-17 दिन बाद आज लंड मेरे हाथ में आया है. कहते हुये उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया- अब इसलिए सब्र का पैमाना छलकने को है।


मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया तो उसने हल्की सी सिसकी भरी- सी … आह…
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- 15-16 दिन के बाद लंड को अपने हाथ में पकड़ा है, बहुत तड़पती थी मैं!

मैंने पूछा- तो जब दिल मचलता था, तो कैसे समझाती थी अपने दिल को?
वो बोली- अरे उसके लिए तो रसोई में बहुत कुछ मिल जाता है.
कह कर वो हंस दी।

मैं समझ गया कि खीरा बैंगन गाजर ने इसके सुख दुख में साथ दिया है।

मैंने अपनी चड्डी उतार दी और उस से बोला- लो मिलो अपने पति से … प्यार करो इसे!

वो उठ कर बैठ गई, और तकिये के पास रखे कंडोम के पैकेट से कंडोम निकालकर मेरी जांघ पर सर रख दिया, फिर मेरे लंड की चमड़ी पीछे को हटा कर मेरा टोपा बाहर निकाला और मेरे सुर्ख लाल टोपे के बिल्कुल शिखर पर चूमा और उस पर कंडोम चढ़ा कर फिर उसे मुंह में लेकर चूस ने लगी।

मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ, क्योंकि कुसुम को कुछ कहने या सिखाने की ज़रूरत नहीं थी, उसे पता था, कैसे क्या करना है। पति को क्या पसंद होता है, इसी लिए उसने बिना कहे ही मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।

मैंने पूछा- लंड चूसना अच्छा लगता है?
वो बोली- अरे बहुत, इसे चूसे बिना तो सेक्स का मज़ा ही नहीं आता।
आप भी दिखाइए अपनी जीभ का कमाल।

और उसने घोड़ी बन कर अपनी भरी हुई गाँड मेरी तरफ घुमा दी। उसकी दोनों टाँगों के बीच में अपना सर सेट किया. तो उसने अपनी भोंसड़ी मेरे मुंह पर रख दी।

मैंने पहले उसकी चूत की दरार को चूमा और फिर अपनी जीभ की नोक से उसकी चूत की दरार के अंदर डाल कर फेरा.
तो उसने अपनी कमर थोड़ी ऊपर को उठाई। चूत तो उसकी … भर भर के पानी छोड़ रही थी।

एकदम से गीली चिकनी चूत, हल्का नमकीन खट्टा सा पानी का स्वाद मुंह में आया, तो मैंने उसकी सारी चूत को अपने मुंह में भर लिया, और फिर अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत के अंदर और उसके चूत के छोले को चाटने लगा।

मैंने कहा- तुम्हें लंड चूसना पसंद नहीं?
वो बोली- पहले नहीं था. मगर आज तो मैं इतनी बेताब हो गई कि मुझे नहीं लगता आगे से मैं इसे बिना चूसे रह पाऊँगी.
और फिर वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.

क्योंकि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है. और जो मैं मज़े ले ले कर उसकी चूत चाट रहा था कि अचानक वो तड़प उठी, और अकड़ गई. उसने मेरे सर को अपनी जांघों में भींच लिया और मेरे लंड को अपने दाँतों से काट दिया.

उसके मुंह से सिर्फ ‘उम्म … उम …’ की आवाज़ें ही निकली क्योंकि उसके मुंह में तो मेरा लंड घुसा था। मैं समझ गया कि ये तो स्खलित हो गई। मगर मैं फिर भी उसकी चूत में अपनी जीभ घुमाता रहा।

उसका बहुत सारा पानी मेरे मुंह पे लगा गया, बहुत सारा मैंने निगल लिया।

उसके बाद जब उसने अपनी जांघों की पकड़ ढीली करी तो एकदम से उठ कर मेरे ऊपर चढ़ गई।

“मार डाला ज़ालिम तुमने तो! यार, बस अब एक बार इससे भी स्खलित कर दो मुझे! फिर चाहे जान से मार दो!”

मैं कुछ कहता या करता, उससे पहले ही उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और ऊपर बैठ गई. गीली चूत में मेरा लंड फिसलता हुआ अंदर तक घुस गया।
पूरा लंड अपने अंदर ले कर वो मेरी कमर पर ही बैठ गई।

एक भरा हुआ दूध सा गोरा, नंगा बदन मेरा लंड लेकर मेरी कमर पर बैठा था। मैंने कोई हरकत नहीं करी। एक बार उसने जैसे अपनी पूरी सतुष्टि करी हो कि हाँ एक मजबूत लंड उसकी चूत में अंदर तक घुस चुका है।

उसके बाद उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- आपको मेरी ये बेताबी बुरी तो नहीं लगी? कहीं आप सोचें कि कितनी कामुकता भरी है इसमें?

मैंने कहा- नहीं, बल्कि मुझे जैसी पत्नी चाहिए थी, तुम बिल्कुल वैसी हो. बल्कि मेरी सोच से भी बढ़कर। अब अगर ऊपर चढ़ी हो तो रुको मत, चोद डालो मुझे। मैं हमेशा से चाहता हू कि एक भरी पूरी तगड़ी औरत मुझे हराकर मेरे ऊपर चढ़ कर खुद सेक्स करे, मैं उसे नहीं बल्कि वो मुझे चोदे। और देखो तुम मुझे मिल गई। अब शुरू हो जाओ और अपने दिल में छुपी उस रांड को बाहर निकालो, और मुझे एक ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा दो।

वो बोली- जो हुकुम मेरे सरकार!

और उसके बाद उसने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू करी। पहले सीधी बैठ कर फिर, आगे झुक कर फिर मेरे ऊपर लेट कर, मगर उसने अपनी कमर नहीं रोकी, और मेरा लंड बार बार उसकी चूत में अंदर बाहर जाता रहा। पहली उसकी गीली चूत सूखी. और उसके बाद धीरे फिर से वो पानी छोड़ने लगी।


उसकी कमर चलती रही, उसको सांस चढ़ने लगी।
मैंने पूछा- मैं ऊपर आऊँ”?
वो बोली- नहीं, अब तो मर कर ही नीचे उतरूँगी।
वो मुझे पेलती रही.

धीरे धीरे उसके बदन पसीने से भीगने लगा, कुसुम एक शानदार औरत ही नहीं , एक जानदार औरत भी है।
उसके बड़े बड़े मम्में मेरे चेहरे पर झूल रहे थे जिन्हें मैंने खूब चूसा, और बहुत बार ज़ोर ज़ोर से काटा. इतनी ज़ोर से कि कुसुम की चीख निकाल दी.
मगर वो सिर्फ कामुकता के सैलाब में बहती चली गई, एक बार भी नहीं कहा लो मत काटो दर्द होता है।
उसके मम्मों पर मेरे दांतों के बहुत से निशान बन गए।

वो मुझे चोदती रही, चोदती रही, जब तक के मेरे लंड ने उसकी चूत में वीर्य की उल्टी नहीं कर दी।

जब मेरा माल गिरा तो वो बोली- अरे ये क्या किया, अंदर ही गिरा दिया?
मैंने पूछा- क्यों, क्या हुआ,
वो बोली- अरे नहीं, वो बात नहीं, मेरे जिस्म पर गिराते, मेरे स्तनों पर, मेरे मुंह में … मुझे अच्छा लगता है मर्दाना वीर्य में भीगना, उसे टेस्ट करना।

मैंने उसकी चूत से लंड निकाला, जो अभी भी मेरे वीर्य से भीगा हुआ था, और मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया।
वो बड़े शौक से मेरे लंड को चाट गई। जितना भी वीर्य लगा था, सब चाट गई।

उसके बाद हम दोनों वैसे ही कुछ देर लेटे रहे।
हम कुछ कुछ बातें करते रहे।


ओह जान तुम तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम ही बना दोगी..”

मेरे मुह से यही निकला …

मैं थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही वो मेरे सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब मैंने उसकी आंखों में देखा तो वो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…

“सच में मैं किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती हु..”

कुसुम की बात से मेरे भी होठो पर एक मुस्कान खिल गई ..

“मुझे तो बना ही चुकी हो …”

वो हल्के से हँसी ..

“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी गुलाम बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कसीस ने मुझे अपना गुलाम ही बना दिया है…”

उसकी आंखों से छलकती हुई सच्चाई की बूंदों को मैंने अपने होठो में भर लिया …

“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले ,किसी भी मर्द को पागल बना देंगे….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”

मेरी आवाज में कुसुम के लिए बस प्यार ही प्यार था..

और उसके आंखों में आंसू ,जिसे मैं अपने होठो से हल्के हल्के से चूम रहा था,

“इतना ही प्यार करते हो तो हमेशा शक क्यो करते रहते हो ….” आज मम्मी के सामने मुझे कहाँ मुह काला कर के आई हो क्यो बोला था?????

उसकी बात से मैं सकपका गया था,ना जाने क्यो लेकिन उसकी हर बात मुझे अच्छी लगती है उसे मेरे सिवा किसी और की फिक्र ही नही है …

मेरे होठो में हल्की मुस्कान तैरने लगी …

“जलन तो होती है लेकिन फिर भी अच्छा लगता है जब देखता हु की तुम्हारा प्यार बस मेरे लिए है,और उन बेचारों के चहरे में मायूसी देखता हु...मेरे जीवन में सिर्फ तुम ही एक लड़की हो ,मैंने तो कभी कोई लड़की पटाई भी नही लेकिन तुम जिससे बात कर दो वो तुम्हारा दीवाना हो जाता है ,ऐसी बीवी है मेरी तो थोड़ा शक तो बनता है..”

उसने झूठे गुस्से से मुझे मारा ..

“आप भी ना ……..”

लेकिन वो तुरंत ही गंभीर हो गई

“लेकिन अगर किसी से मुझे भी प्यार हो गया तो …”

उसकी बात सुनकर मैं भी गंभीर हो चुका था..

“तो मैं समझूंगा की मेरा प्यार कमजोर था..”

वो थोड़ी देर मुझे देखने लगी ..

“और अगर मैं बहक गई तो ….”

उसकी बातो का इशारा मैं समझ सकता था,

मैं भी गहरे सोच में डूब चुका था..

“मुझे नही पता ….”

मैं बस इतना ही बोल पाया …

उसने प्यार से निहारते हुए मेरे होठो पर अपने होठो को रख दिया ..



जारी है।
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