कुसुम मेरे पीठ से पूरी तरह लिपट कर बोली एक बात कहु
मै हाँ बोलो
“जान सच में वो बहुत हैंडसम है ,आज उसके साथ ही लंच किया ,पूरे ऑफिस की लडकिय उसकी दीवानी है ..सोच रही हु राज से दोस्ती कर ही लू .”
उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था। ये समझने के लिए कि कुसुम पहले जैसी घमण्डी, गुस्से वाली नही रही, उसके बदले हुए स्वभाव को देखकर मुझे बहुत खुशी हुयी।
मै बोला तुम उससे ज्यादा lift मत दो बस। अपने काम से काम रखो। वो अपने आप ही समझ जायेगा यहाँ दाल नही गलने वाली।
बातें करते हुए हम घर के पास पहुँच गए। वहा दो तीन फल के ठेले लगे हुए थे। मै अपनी बाइक एक ठेले के पास रोक कर खड़ा हो गया और ठेले वाला बड़ी डबल मीनिंग में बोला भाई साहब ये देखो पके बड़े बड़े पपीता आप के हाथो में नही समायेंगे। और आपको पसंद भी आयेंगे।
"" स्त्रियाँ एक किताब की तरह होती है, जिन जिन नजरों से वो होकर गुजरती है... वो नजरे अपने अपने विवेक के अनुसार अपनी अपनी समीक्षाएं लिखती है ""
मै उस ठेले वाले की चेहरे की तरफ देख रहा था, वो कुसुम के ब्लाउस के clevage में से दिख रहे बड़े बड़े स्तनो की घाटी देखकर मंद मंद मुस्कुराते हुए बोल रहा था।
""कुसुम कमर से तो पतली है पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए है। कोई भी देखने वाले की नजर कुसुम के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती है। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते , की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव है और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। ""
""कुसुम की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन है। कुसुम उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती है। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा । आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक है।""
कुसुम ने उसके हाथो से पपीता लेकर मुझे दिखाने लगी।
मैने कुसुम के हाथों से पपीता लेकर ठेले वाले से बोला ये तो पिलपिले और मुलायम है, थोड़े कड़क और टाइट कसे हुए दो।
इतने में कुसुम जगह और माहौल को नजर अंदाज कर हस्ती हुयी बोल पड़ी आपके हाथ की पकड़ कमाल है कोई भी टाइट चीज को अपने मजबूत हाथो से दबा कर मुलायम कर देते है।
मै थोड़ा सा अपने आप में शर्मा सा गया, ठगा सा महसूस करने लगा और कड़क आवाज में बोला ठीक ठीक है अब जल्दी से लो और घर चलो।
फिर हम घर की ओर चल दिये, घर के नीचे पहुँच कर मै बाइक स्टैंड पर खड़ी कर रहा था कि कुसुम बोली सुनिये मुझे ऑफिस से आज ऑफिशियल जोइनिंग लेटर मिला है उसकी फोटो कॉपी (xerox) करना है, चलिए वो सामने कि शॉप पर करवॉ लेती हूँ।
मैने कहा चलो, शॉप ऊँची थी, और वहा कुछ स्कूल के टीन एज के लड़के खड़े हुए थे । और उनके हाथों में क्रिकेट के bat थे वो आपस में बड़ी जोर शोर से हँस कर हँसी मजाक कर रहे थे।
कुसुम आगे आगे अपनी कमर नागिन की तरह बलखाती हुयी चल रही थी, मै उसके पीछे था, कुसुम के पारदर्शी ब्लाउस में पसीने की वजह से उसकी लाल रंग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी।
""अपनी पत्नी और सड़क पर चलती औरतों को देख कर मुझे एक चीज़ समझ आई कि भले औरत खुबसूरत न हो, तब भी यदि उसने पारदर्शी ब्लाउज पहना हो जिससे उसकी ब्रा दिखती हो या फिर उसका ब्रा स्ट्रेप दिख रहा हो, तो आदमियों की नज़र सिर्फ उसकी ब्रा पर ही अटक जाती है. इसलिए बहुत सी लुगाईया आजकल जब भी घर से बाहर निकलती है तो पारदर्शी ब्लाउज पहनकर ही जाती है. क्योंकि उनमे यदि खूबसूरत औरत बनने में कोई कमी रह भी जाए तो भी किसी भी आदमी का उस पर ध्यान ही नहीं जाता. वो तो बस उसकी ब्रा को ही देखते रह जाते है !""
कुसुम अपनी कमर में घुसाये हुए मोबाइल फोन और मस्त मस्त बड़े बड़े नितंबो को हिलाते हुए चल रही थी, उसके हिलते हुए कूलहो या गांड को देखकर मुझे अजीब सी छिछोरो वाली फीलिंग्स आ रही थी।
ज्यादातर कुसुम साडी पहनकर ही बाहर निकलती है। उसे जीन्स पहनना टालती है क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसी के ऊपर लगी रहती है। जब कभी कुसुम जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो कुसुम बड़ी ही अजीब महसूस करती है क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी कुसुम की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते है।
भले ही वो मेरी पत्नी है पर मै ठरक से भरा हुआ उसका ठरकी पति जो हू।
हम शॉप पर पहुँच गये, कुसुम ने बैग में से पेपर निकाल कर शॉप वाले लड़के को देते हुए बोली इसकी फोटो कॉपी करना है। शॉप पर एक युवा नौजवान लड़का xerox मशीन पर काम करते हुए हल्की सी मुस्कान देते हुए बड़ी ही flirt वाली अदा से दिवर्थी अंदाज में बोला। भाभीजी आगे और पीछे दोनों तरफ से करवाना है या आगे से ही काम चल जायेगा।
कुसुम बोली वैसे तो आगे से काम चल जायेगा पर तुम पीछे से भी करो कोई प्रोब्लॉम् नही मुझे।
मै अपनी पत्नी कुसुम और उस लड़के की डबल मीनिंग बातें मूक दर्शक की तरह चुप होकर सुन रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि ये कुसुम फोटो कॉपी करवा रही है या गांड मरवा रही है।
हँसी भी आ रही थी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
कुसुम xerox शॉप वाले की दुकान पर रखे स्टूल पर बैठ गयी और मै बहार उन स्कूल के नई उम्र के लौंडो के से हल्का सा दूर खड़ा हो कर उनके मजाक भरी गप्पे सुनने लगा।
लेकिन आज वह जो बातें मजाक मजाक में इन लड़कों के मुंह से सुन रहा था ऐसी बातें मैने आज तक कभी भी अपने कानों में नहीं सुनी थी । एक लड़का उन लड़कों से बोला।
क्या यार आज तुम लोग इस तरह से क्यों बैठे हुए हो मैं तो क्रिकेट खेलने आया था लेकिन तुम लोग क्रिकेट ना खेल कर बस ऐसे ही बैठे हुए हो।
( उसकी बातें सुनकर उनमें से एक लड़का बोला)
हां यार कर भी क्या सकते हैं क्रिकेट खेलने तो हम भी आए थे लेकिन गेंद ही खो गई,,,,,,,,
यार सारा मूड ऑफ हो गया वह बोला,,,,,,)
कोई बात नहीं तो क्या हुआ( दूसरे लड़के की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) अपनी रोहित की मम्मी है ना इसके दोनों बड़े बड़े गेंद कब काम आएंगे,,,,, उनसे ही एक दिन के लिए उधार मांग लेते हैं दबा दबा कर खेलेंगे हम सब,,,,( तभी उसकी बात सुनकर जिसको वह बोल रहा था वही रोहित हंसते हुए बोला।)
हाहाहा हाहाहा हाहाहा
तेरी दीदी के पास भी तोे दो गेंदे है मस्त-मस्त चलो ऊनसे ही मांग लेते हैं। ( रोहित की बात सुनकर लफंगे जैसा दिखने वाला मोहन बोला।)
यार मांग तो लु लेकीन मेरी दीदी कि दोनों गेंदे छोटी छोटी है उनसे क्रिकेट खेलने में मजा नहीं आएगा मजा तो तेरी मम्मी की दोनों गेंदों में आएगा जब मैं उनको अपने हाथों में भरकर अपने कपड़े पर रगड़ते हुए बॉलिंग करुंगा।
( उसकी बात सुनते ही सभी लड़के और मै भी हंसने लगा और वह लड़का भी हंसने लगा।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
जिसको वह उसकी मम्मी के बारे में कह रहा था। तभी दूसरे लड़के ने उनमें से ही एक लड़के के बारे में संबोधित करते हुए बोला।
यार रोहित की मम्मी को छोड़ अपने राहुल की मम्मी को देख कितनी बुड़ी बुड़ी चुचीयां है और कपड़े तो ऐसे पहनती है जैसे कि दूसरों को ललचा रही हो। कसम से जब भी देखता हूं तो मेरा तो लंड खड़ा हो जाता है।
( ऊस लड़के की बात सुनकर मेरी तो हालत खराब होने लगी मैने इस तरह की खुली और गंदी बातें कभी भी नहीं सुनी थी। लेकिन आज सोसाइटी के ऐसे अच्छे लड़कों के मुंह से ऐसी गंदी बातें सुनकर मै दंग हो गया था। लंड खड़े होने की बात से तो मेरे पेंट मे भी सुरसुराहट सी महसूस होने लगी थी।)
तभी वह लड़का बोल पड़ा जिसकी मम्मी के बारे में दूसरे लड़के ने इतनी गंदी बात कही थी।)
तेरी मम्मी को भी तो देखकर मेरा भी हाल यही होता है, तेरी मम्मी भी जब गांड मटकाते हुए चलती है तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है देखना एक दिन किताब लेने के बहाने तेरे घर आऊंगा तो तेरी मम्मी को चोद कर जाऊंगा।
( उसकी बात सुनकर एक बार फिर से सभी ताली मार के हंसने लगे ।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
और बड़े आश्चर्य की बात यह थी कि जिसके बारे में यह सब बातें हो रही थी वह भी ईन लोगों की हंसी में शामिल हो जाता था। सभी लोग एक दूसरे की मम्मी के बारे में गंदी बातें कर के मजे ले रहे थे।
मै तो आश्चर्य से खड़ा होकर ऊन लौंडो की बातें सुन रहा था और अजीब-अजीब से ख्याल मेरे मन में आ रहे थे। मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि आजकल के स्कूल के नयी उम्र के लड़के एक दूसरे की मम्मी के बारे में ऐसी गंदी बातें भी करके मजा लेते होंगे।
तभी उनमें से एक लड़के ने दूसरे लड़के को खामोश खड़ा हुआ देखकर बोला।
यार शौर्य तु क्यों खामोश खड़ा है तू भी तो कुछ बोल।
( तभी बीच में दूसरा लड़का बोल पड़ा)
यारों क्या बोलेगा दूसरों की मम्मी की बात सुनकर उसे अपनी मम्मी याद आ गई होगी। ( उस लड़की की बात सुनकर शौर्य को गुस्सा आ गया वह उसे अपनी हद में रहने के लिए बोला लेकिन वह नहीं माना।)
अच्छा दूसरों की मम्मी की गंदी बात सुनकर तो तू खूब मजा ले रहा था और अपनी मम्मी की बारी आई तो गुस्सा करता है। ( उस लड़के के सुर में सुर मिलाता हुआ दूसरा लड़का बोला।)
हां यार शौर्य यह बात तो सच है पूरी सोसाइटी में तेरी मम्मी जैसी सेक्सी दूसरी कोई औरत नहीं है। मुझे पता है जब तेरी मम्मी सोसाइटी से गुजरती है तो सभी की नजरें तेरी मम्मी पर टिकी होती है। तेरी मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड देखकर तो सब का लंड खड़ा हो जाता है। ( इतना सुनते ही शौर्य गुस्सा करने लगा और उस लड़के को चुप रहने को बोला लेकिन वह लड़का कहां मानने वाला था।)
यार गुस्सा क्यों करता है सही बात तो है तेरी मम्मी को चोदने के लिए तो ना जाने कितने लोग तड़पते रहते हैं। और सच कहूं तो तेरी मम्मी की गंदी बातें सोच सोच कर मैंने ना जाने कितनी बार लंड हिला कर मुठ मारा हुं।
( उस लड़के की बात सुनकर सभी लोग ठहाका मार कर हंसने लगे।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
अपनी मम्मी के बारे में ऐसी गंदी बातें सुनकर शौर्य की उस लड़के से हाथापाई शुरु हो गई । दे तेरी कि दे। तेरी माँ का भोसड़ा, मादरचोद, भोसड़ी वाले, बहन के लोडे और भी गंदी गंदी गालिया। एक दूसरे को क्रिकेट के बल्ले से मारने लगे।
हंगामा बढ़ता देख मै उन लड़को का बीच बचाव करने लगा बड़ी मुश्किल से मैने उन दोनों को छुड़ाया और उनको अलग अलग कर दिया। और शौर्य गुस्से में अपने घर की तरफ जाने लगा।)
शोर शराबे की आवाज सुनकर कुसुम भी शॉप से बहार आ गयी थी उसकी नजर मुझे लडाई में बीच बचाव करते हुए देखकर खुश हो गई और मुझसे बोली वाह प्रोफेसर साहब कमाल कर दिया, आपको ही बोलते है पक्का मास्टर।
मैने कहा कुसुम मैडम दस साल का अनुभव है। कुसुम बोली ठीक है प्रभू अब चलो xerox कॉपी हो गयी।
सीढ़ी से उतरते उतरते कुसुम का आँचल उसके सीने से फिसल गया, और उसका ब्लॉउज़ और उसके बीच उसके बड़े स्तनों के बीच की गहराई उस वक्त साफ दिख रही थी। शायद कोई और दिन होता, या कुसुम ने ऑफिस नया नया जॉइन नही किया होता जिससे बन संवर के नही जाती और कुसुम ने पुशअप ब्रा न पहनी होती तो वो गहराई और उसके स्तन शायद छिप जाते मगर आज नहीं। कुसुम को शायद अंदाजा हो गया था कि उसका आँचल फिसल गया है।
"" उन लौंडो ने भी अपनी मम्मी को भी कई बार देखा था कि वो कैसे अपने आँचल को समय समय पर अपनी उंगलियों से उठाकर ब्लॉउज़ को ढंकती थी।""
कुसुम ने भी वही किया। शायद शॉप पर खड़े लड़को ने अब तक कुसुम के ब्लॉउज़ को न देखा हो, उसके स्तनों को नोटिस न किया हो। मै मन ही मन सोचने लगा। मगर शायद तब तक देर हो चुकी थी। उन लड़को के चेहरे की उडी हुई रंगत ये साफ बता रही थी।
इधर मैने कुसुम में एक नई बात महसूस करी थी कि उसको नए लड़के बहुत अच्छे लग रहे थे, क्योकि अक्सर मेरी बीवी कुसुम जैसी देसी भाभिया जब भी किशोरवय लड़के को देखती है, उनकी दबी कुचली सेक्स इच्छाए जाग उठती है और इस बात को लेकर मै बहुत ही परेशान हो रहा था |
आखिर हम बाहर के सब काम निबटा कर घर पहुँच गए।
मम्मी और कुसुम किचन में चलि जाती है।
फिर सब मिल कर खाना खाते है।
तभी मम्मी की मोबाइल की रिंग बजती है।
मम्मी कॉल पिक्क करती है
कॉल कुसुम की मम्मी की थी।
अपनी समधिन की बात सुन कर बहुत खुश होती है मै और कुसुम एक साथ बोल कौन है।
बहू तेरी मम्मी है।
उनके घर जूली की शादी के लिए हमें इनवाइट कर रही है कार्ड पोस्ट कर दिया है।
कुसुम अपनी मम्मी से बात करती है और अपने आने की बात बोल कर फ़ोन मुझे देती है। मै भी अपनी सास से बात करते हुए फोन कट कर देता हूँ।
कुसुम तेरी मम्मी तो ४-५ दिन पहले आने की बोल रही है कब चलना है।
कुसुम : पागल हो गये हो क्या कौन जायेगा मैं नहीं जा रही। अभी ऑफिस जॉइन किये हुए तीन दिन ही हुए है, ऑडिट रिपोर्ट बनानी है।
मै: वो तुम्हारी छोटी बहन की शादी में बुला रही है ।
कुसुम: एक बार मना किया न और अगर जाऊँगी तो उसी दिन आ जाउँगी।
मम्मी: बेटा अरुण एक काम कर तुम अभी निकल जाओ। तुम्हारी भी बहुत कॉलेज की छुटिया हो चुकी है, और फिर से तुम्हे अपनी साली की शादी में और छुट्टी लेनी पड़ेगी वैसे भी बहू सही कह रही है, उसकी अभी नयी नयी नौकरी है, छुट्टी ज्यादा लेना ठीक नहीं होगा, मै और बहू उसी दिन आ जायेंगे। और रिंकी बेटी भी अकेली है, जरा उसके बारे में सोचो मेरी प्यारी फूल सी बच्ची ना जाने किस हाल में होगी..... पूरे घर के काम, पढाई, अकेली कर रही होगी! अरुण बेटा अपनी पत्नी और मम्मी की चिंता छोड़ तू अपनी रिंकी बेटी के बारे में सोच कितना प्यार करती है तुझसे..... तेरी बीबी से भी ज्यादा तेरी बेटी चाहती है तुझे.... उसका ख्याल भी तुझे ही रखना है.... समझा...??
इतने दिन हो गये तूने एक भी बार अपनी बेटी रिंकी से फोन पर बात की है, उसको whats up पर मैसेज ही भेज कर उसका हाल चाल पूछा है क्या.....??? कुसुम तो बेचारी अपनी नई नौकरी के काम की टेशन में भी रोज एक दफा रिंकी से बात कर लेती है। तेरी कुछ जिम्मेदारी है कि नही, तू तो फ्री है अभी.... तेरा भी तो फर्ज बनता है कुछ अपनी बेटी रिंकी के लिए..... या यू ही रिंकीया का पापा बना फिर रहा है।
" मम्मी की बातें सुनकर मै सोच में पड़ गया, आखिर वो सच कह रही थी, मै अपनी बेटी को सच में भूल गया था और मैने इतने दिनों में उसे एक भी बार काल तो दूर मैसेज तक नही किया था "
इतने मै कुसुम ताना देकर हस्ती हुयी मुझसे बोली.... "महाराज कब से कह रही हूँ बीबी का पल्लू छोड़ कर आप अब अपनी बेटी पर भी जरा ध्यान लगाओ"""
हाहा हाहा हाहा हाहा
मै -- कुछ सोचते हुए ठीक है। कल का रिजर्वेशन मैं करा देता हूँ। और उससे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट अपनी अफसर बीवी की बात मानना है।
रात होते-होते मेरा आवेग थोड़ा कम हुआ, मै कमरे से निकलकर छत पर चला गया और कुसुम कमरा और बिस्तर ठीक करने लगी, लेकिन मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही बात थी — ‘आइ केम थिंकिंग अबाउट रिंकी…एंड हिज़ ...........’ रिंकी के बदन और उफनती जवानी का ख़याल आते ही मै नए सिरे से सिहर उठा था. मै जैसे-तैसे करके नीचे कमरे में आया और खाना खा कर वापस फिर से लेट गया. कुछ देर लेटे रहने के बाद मैने अपने सिरहाने रखे फ़ोन को टटोला.
आज की रात मै धड़कते दिल के साथ जगा हुआ था मेरे मन में एक उपाहपोह की स्थिति थी, कि क्या मै अपनी बेटी को मैसेज करू या न करू. जब रात के 11 बजने में कुछ ही मिनट रह गए तो मैने कांपते हाथों से अपने फ़ोन में एक मेसिज टाइप किया,
“ my dear rinki how are you ”
" I miss you.
इधर रिंकी ने पाया कि दो नए मेसेज आए हुए थे, एक बार फिर उसका बदन तप उठा, उस को उस रात देर तक नींद नहीं आयी, और वह एक बार फिर अपने पापा के ख़यालों में खो गयी थी. अगले कुछ पल रिंकी की हालत बेहद ख़राब रही, अचानक अपने अंदर जगी इस आग को बुझाने का उसका हर प्रयत्न विफल रहा. हर बार वह अपने आप को कोसते हुए अगली बार ऐसा ना होने देने का प्रण करती और हर बार अपनी इच्छाओं के सामने बेबस हो जाती. इसी तरह रात जब उसकी कामिच्छा अपने चरम पर थी तो वह मस्ती में सिसकती-सिसकती बोल पड़ी,
‘उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…उम्मा पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ …’
और जब उसे होश आया तो उसकी ग्लानि की कोई सीमा नहीं थी. ‘ओह गॉड, ये मुझे क्या होता जा रहा है? पापा …उम्मम्म…क्यूँ मैं पापा के बारे में ही सोचती रहती हूँ?
जब रात के १२ बजने में कुछ ही मिनट रह गए तो रिंकी ने कांपते हाथों से अपने फ़ोन में एक मेसिज टाइप किया,
"" I am fine my dear papa. "
" I miss you too "
पर फिर जब उसने कुछ देर सोचा तो उसे लगा कि हो सकता है उसके पापा यह रिप्लाई कर दें,
“Thank You rinki ”
यह सोच कर उसका मन थोड़ा खिन्न हो गया था, उसने एक दो बार फिर ट्राई किया और आख़िर एक बड़ा सा मेसेज लिखा.........
"" पापा आज शाम होने को आयी थी। आज ना जाने क्यों मुझे घर में अकेला-अकेला लग रहा था। वो मौसम होता है ना, आंधी के बाद वाला। खुला आसमान, ठंडी हवा, आसमान का रंग हल्का सा केसरी, और मेरी मदहोशी और पागलपन को बढ़ता हुआ। दादाजी अभी बहार डोल रहे होंगे। बाई नीचे किचिन में खाने की तैयारी में लीन होगी। मैं अकेली हूँ, मेरा मन अकेला है, मेरा शरीर अकेला है, और मैं अकेला नहीं रहना चाहती।
मुझे अपनी धड़कन का बढ़ना महसूस हो रहा है। मानो कोई ज़ोर-ज़ोर से मेरे शरीर के अंदर से मेरे दिल के दरवाज़े को बजा रहा हो और चीख रहा हो, “आज, आज, आज, आज!” जब मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने धीरे से अपने कदम पापा आपके बेडरूम की तरफ बढ़ा दिये। मम्मी की अलमारी में से एक पुराना सूटकेस निकाला और वापस अपने कमरे में आकर अपने बिस्तर पर रख दिया। हौले से मैंने दरवाजे के बाहर झाँका और रुक-रुक के बिना आवाज़ किये अपना दरवाज़ा बंद कर के उसकी कुण्डी लगा दी।
अब मैंने हौले से अपने शीशे में झाँका और और अपने हाथ से अपने बालों को अपने कान के पीछे कर अपनी चुन्नी को पकड़ लिया। अपनी आँखों में मुझे भूख दिख रही थी और अपने होठों पे प्यास। मेरे होंठ सूखे थे। हलके से मैंने अपने होंठ को अपने दांतों के बीच में दबाया और अपनी चुन्नी को फर्श पर धकेल दिया। शीशे में मुझे मैं नहीं, एक मच्छली दिख रही थी, जिसे पानी चाहिए था।
शाम का हर पल मुझे पागल कर रहा था। अपनी कुर्सी पर पड़े बैग को मैंने अपने मेज़ पर टिका दिया और कुर्सी पर बैठ कर धीरे से उस सूटकेस को खोला। मेरी सांसें बढ़ने लगीं और दिल की दीवारों को तोड़ वो बहार निकल ही आया था। मैंने आहें भरते हुए अपने होठों को अपनी जीभ से साफ किया और थूक सटका। फिर अपने दरवाजे की ओर देखा और अपना हाथ को सूटकेस में पड़े काले अंडरवियर पर रख दिया।
कपडा अभी भी नम था। हौले से मैंने उसे उठाया और चेहरे पर लगा लिया। धक् धक् , धक् धक् , धक् धक! अपनी बंद आँखों से मुझे बस अपना धड़कता हुआ दिल दिख रहा था और उसकी धड़कन में से उठने वाला नाद जो बार बार एक ही नाम बोल रहा था, “पापा, पापा, पापा, पापा, पापा!” कपडे की नमी मुझे मदहोश कर रही थी। मदहोश छोटा शब्द है। मैं उसे अपने चेहरे पर लगा कर पागलपन और तड़प के बीच घडी की सुई की तरह झूल रही थी जो किसी भी पल पापा को घर लाती होगी।
मैं कुर्सी से उठ कर अपने पलंग पर कूद गयी। आहिस्ता से मेरा हाथ अपने कुर्ते को उठाने लगा। यहाँ मेरी जीभ ने पहली बार उस सुगंध को छुआ था, वहां मेरा हाथ उस सुगंध को वहां ले जाना चाहता था जहाँ अभी बस मेरी तन्हाई बस्ती थी। जिस गति से मैंने अपने कुर्ते को उठा कर अपने सलवार के नाड़े को खोला बस उसे ही शायद कपडे फाड़ना कहते हैं। अपना थूक मैंने उस अंडरवियर पर लगाया और उसे चाटने लगी।
मेरी आँखें बंद थी। अपनी सलवार मैंने नीचे धकेल दी और अपनी पैंटी के इलास्टिक को उठा कर अपने हाथ को धीरे धीरे नीचे ले जाने लगी। पता नहीं क्यों मेरे पैर हिलने लगे और मेरे कानों में अजीब से मचलने वाली गर्मी निकलने लगी। अब आंखें बंद रखना मेरे लिए मुश्किल हो गया। मुझे अपनी आँखों से अपनी बेशर्मी मह्सूस करनी थी। शब्दों में वो वेग कहाँ जो उस स्वाद को बयां कर पाएं।
मेरी जीभ उस स्वाद को महसूस कर रही थी। थोड़ा नमकीन, कुछ ऐसा जैसे संतरा छीलने पर उसकी पहली महक। पहले मैं उस कपडे को सुकून से अपने मुहं में भिगो लेती, दूसरी ओर से अपनी ऊँगली उस चड्डी में डालकर यूं चूसती जैसे मेरे पापा को लंड हो। और उसका स्वाद मेरे मुहं में घुल जाता। फिर में उस नम कपडे को अपनी आँखों पर रख लेती और मंदे से अपने गीले हाथ से अपने मम्मों को दबाती।
ना जाने कितनी बार इस कपडे को पापा के रस का स्पर्श हुआ होगा, कितने ही रोज़ पापा ने इससे उतारा होगा और मम्मी को अपना प्यार दिया होगा। क्या ये दरवाज़ा है उनके प्यार का? अपनी आँखों से मेरी नाक तक और नाक के रास्ते मेरे होठों से रगड़ता हुआ वो गीला कपडा यूँ मेरी गर्दन तक जाता जैसे मुझे मेरे पापा की गर्मी में, उनकी प्यार में, उनकी मर्दानी खुशबू में रंग रहा हो, और उसकी लेहेर बिजली की तरह मेरे पूरे शरीर में दौड़ जाती जो बार-बार मेरी हाथ को मेरे पैरों के बीच धकेलती।
मेरी कल्पना में मेरे पापा मेरे ऊपर अपने वज़न को डाल कर मेरे होठों को अपने होठों से चूस रहे हैं। उनका हाथ मेरे बालों को सेहला रहा है और मेरी आँखों में अपनी आँखें डाल के वो वासना से तृप्त मुस्कान का दीदार मुझे करा रहे हैं। उनका गर्म हाथ मेरी कमर को थाम के मेरे स्तनों की ओर बढ़ रहा है जो उनकी छाती के बोझ के नीचे दबे हैं।
मेरी कल्पना में मेरे पापा अपनी जीभ निकाल कर मेरे होठों को चाटता है और मेरे गालों को, मेरी आँखों को चूमता है, और उसके चेहरे की खुरदरी त्वचा मेरे चेहरे से रगड़ती है। वो मेरी कल्पना में मेरे कानों में अपनी भारी-गहरी आवाज़ से बोलता है, “ रिंकी, मुझे अपना बना ले, सनम।” और जोर से अपने लंड से धक्का देता है; मेरे पैरों को अपने पैरों से दबा लेता है।
जैसे ही मेरी ऊँगली ने मेरे भग-शिशन को छुआ, मैंने उस अंडरवियर को अपने मुहं में भर लिया और कल्पना करने लगी कि यही कपडा पापा के लंड को सहलाता होगा। यही शायद कभी-कभी नींद में उनके रस को अपने अंदर भर लेता होगा, इसी कपडे से लग कर उनके अंडे वो रस बनाते होंगे जो मुझे पीना हैं, जिसने मुझे बनाया है, जिससे मैं हूँ। ऐसा क्या है जो इस कपडे को नसीब हो सकता है लेकिन मुझे नहीं?
कैसा लगा होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा की छाती पर लेटना, मेरे पापा के हाथों को अपने शरीर को छूने देना। पापा के लंड को अपने हाथों में भरना, पापा के होठों से अपने होठों को मिलाना, उसकी खाल का स्पर्श, उसके होठों का एहसास अपने निप्पल्स पर, उसके चेहरे को अपने बालों में ढक लेना, उसकी जीभ को अपने होठों से चूसना और अपने मुहं में भर लेन। कैसा लगा होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा का गरम लंड अपने बूब्स में रगड़ना।
मेरी मम्मी अक्सर कहती है मैं बड़ी हो रही हूँ, पर मैं इतनी बड़ी क्यों नहीं हो रही कि वो कर सकूं जो मेरे पापा ने उन्हे करने दिया, और उसको किया। अपने मुहं से निकाल कर मैंने उस चड्डी को अपनी ब्रा में धकेल दिया और उसकी नर्माहट मुझे अपने बूब्स पर महसूस होने लगी मानो पापा ने अपने हाथों को अपने थूक से नहला के मेरे स्तन को पकड़ लिया हो। मेरी ऊँगली मेरी फुद्दी को यूं सेहला रही थी, कि मेरे पैर जोर-जोर से मेरे पलंग के गद्दे में गढ़ने लगे।
पैर के ऊपर पैर। यहाँ मेरी आँखों में पापा की कामुकता इतनी समां गयी के एक आंसूं मे्रे गोर चेहरे से होते हुआ मेरे होठों पे आ गिरा जो पापा का नाम दोहरा रहे थे। कैसा लगता होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा की गोदी में सोना। कैसा लगता होगा मेरी मम्मी को मेरे पापा के कन्धों पर अपना सर रखना और पापा का हाथ थाम कर उस खुशनुमा चेहरे को देख कर मुस्कुराना। थाम लेना उस पल को और फिर कल दोबारा से उसे जीना।
मैं इतनी मचल गयी की ज़ोर से मेरा पैर मेरे पलंग के पाए में टकराया और ना जाने कैसे पास रखी मेज पर रखी चाय कि प्याली नीचे गिर गयी और बहुत तेज़ आवाज़ हुई… … गरम चाय ने मेरा पैर तो जला दिया मगर अभी जिंदगी में बहुत मोड़ और पड़ाव बाकी हैं पर मुझे पता नहीं आपको ये अपनी नादान रिंकी की फीलिंग्स पसंद आएगी या नहीं।
पापा मैंने पहले कभी प्रेम कहानियां नहीं पढ़ीं, पर मेरा कौमार्य मुझसे कहता है की मेरे शब्द आपके अंदर की आग को हवा देंगे। पापा अगर मुझे लगा की आपको मेरे शब्द पसंद आये तो उम्मीद करुँगी की आपको मेरा दिल भी पसंद आएगा। मेरा दिल अकेला है और मेरा शरीर कुंवारा। पापा जिस दिन आप वापस आयेंगे आप मेरे दिल का स्पर्श करेंगे। अपना ख्याल रखियेगा। - आपकी राह देखती "रिंकी".......,
उस मेसेज को पढ़-पढ़ कर ही रिंकी की अंगड़ाई टूट रही थी. रात के एक बजने में सिर्फ़ कुछ ही सेकंड बचे थे, रिंकी ने डर के मारे एक बार मेसेज एप बंद कर दिया. पर फिर हड़बड़ाते हुए जल्दी से एप वापस खोला और सेव हुए मेसेज के सेंड बटन को दबा दिया. सिर्फ़ इतना सा करने के साथ ही रिंकी एक बार फिर तड़पते हुए तकये में मुँह दबा कर आनंदित चीतकारें मारने लगी,
‘पापाऽऽऽऽऽऽ, उम्ममा… पापा…उन्ह्ह्ह्ह…’
मै जगा हुआ था कुसुम बाथरूम में थी. तभी मेरी नज़र अपने फ़ोन पर गयी, जिसकी नोटिफ़िकेशन लाइट जल रही थी. यह सोच कर कि देखें किसने मेसेज किया हैं मैने फ़ोन उठा कर देखा. सिर्फ़ एक ही मेसेज था.
मेसेज पढ़ते ही मेरा बदन शोला हो उठा था. मै कुछ समझ नहीं पा रहा था क्या करू, मेरे माथे पर पसीने की बूँदें छलक आयीं थी. तभी कुसुम बाथरूम से निकल आयी, मैने आनन-फ़ानन में फ़ोन एक तरफ़ रख दिया और लेट गया.
कुसुम आकर मेरे बग़ल में लेट गयी. मै कल वापस जाने वाला था सो कुसुम ने मुझको को कुछ सुख देने का सोचा था, लेकिन एक दो बार जब मैने कुसुम के उकसावे का जवाब नहीं दिया तो वह चुपचाप लेट कर सोने लगी.
कुछ देर बाद जब मै आश्वस्त हो गया कि कुसुम सो चुकी है तो मैने एक बार फिर अपनी जवान बेटी का रूख किया. मेरा लंड अब तन चुका था. रिंकी का मेसेज काफ़ी उत्तेजक था, मै मेसेज देखते ही यह तो नहीं समझ सका था कि रिंकी ने ऐसा मेसेज क्यूँ किया लेकिन उसके पीछे दबी बात मुझे समझ ज़रूर आ गयी थी. लेकिन मै इस बात को आगे नही बढाना चाहता था सो मैने रिंकी को रिप्लाई ही नही किया,
उधर रिंकी फ़ोन के पास पड़ी आहें भर रही थी जब मेरा कोई रिप्लाई नही आया. तो उसका सारा नशा उतर गया.. ‘क्या पापा सच में बदल चुके है? और मैं ही ऐसी गंदी बातें सोचने लगी हूँ?’ रिंकी अंतर्द्वंद्व से घिर चुकी थी, उसने अपने आप को ऐसा क़दम उठाने के लिए कोसा और शर्म से पानी-पानी हो गयी
.इधर रात में मै भी ये सोचकर परेशान था कि " रिंकी ने ऐसा मेसेज क्यों किया?
इस तरह सोचते सोचते ही मैरी आंखे भारी होने लगी थी। पर कोई फैसला न कर पाने की वजह से आखिरकार हारकर मै चुपचाप सो गया।
जारी है.......