पहले वो नीचे गयी फिर उसके थोड़ी देर बाद मैं नीचे गया,
नीचे पहुँच कर मैने कमरे के दरवाजे की तरफ देखा तो दंग रह गया, पूरे कमरे में धुँआ भरा हुआ था।
मै जल्दी से कमरे के अंदर गया और मै और कुसुम हम दोनो अपने अपने बिस्तरों मे एक दूसरे की तरफ़ करवट लेकर एक दूसरे की आँखों मे देखते हुए बैठ गये।
"बादशाह हुआ करते थे हम भी, बेगम मिली है तब से जोकर हो गये है..... "
मम्मी किचिन में पूडी बना रही थी। जिसकी वजह से पूरे कमरे में धुँआ भर गया था, उन्होंने शायद कल की कुसुम के हाथ की बनी वासी पूड़ी की जगह ताजी पूड़ी बनाना उचित जाना होगा।
मम्मी ने किचिन में से ही मुझे आवाज दी बेटा अरुण सवा तीन बजने वाले है, मैने पानी भी गर्म कर दिया है जल्दी से फ्रेश हो जा फिर तुझे मामी के घर सुनील की बहू को भी लेने जाना है।
मै बोला ठीक है, मैने कुसुम की ओर देखा हम दोनो ही बड़े अचंभे में थे कि मम्मी एकदम नॉर्मल react कर रही है जैसे कुछ हुआ ही नहीं और उन्होंने कुछ देखा ही नही था।
मैंने तोलिया उठाई और लैट्रिन कि ओर चल दिया मेरे चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी थी क्योकि मेरे और कुसुम के बीच सेक्स कई बार हुआ पर आज रात की संभोग क्रिया ने इस छत को और रात को हमेशा के लिए यादगार बना दिया.
मै कपड़े निकालकर लैट्रिन में बैठ गया पर सभोग करके वीर्य निकल जाने के बाद पेट तो पूरा खाली था जिससे प्रेसर बन ही नहीं रहा था, पर लैट्रिन का होना भी जरूरी है, ऊपर से आँखों में अब नींद भी भर आई थी और मै बैठे बैठे थोड़ी देर पहले गुजरा हुआ हसीन वक्त के बारे में आँख बंद कर सोचने लगा।
पर जैसे ही आँख बंद की तो मम्मी का चेहरा आ गया और मेरे मन बहुत से सवाल उठने लगे।
मम्मी सीधे छत पर आ गयी या छुप छुप के सीढ़ियों के दरवाजे की ओट से हमें देख रही थी |
मतलब क्या मम्मी हमें पहले से देख रही थी? कही हमें देखकर वो.....
नही नही - अरुण साले तेरी मम्मी है कुछ तो लिहाज रख।
मै अपने आप से ही हगते हुए मन ही मन सवाल जबाब करने लगा।
फिर मम्मी हमें छुप छुप कर क्यों देख रही थी इसका मतलब है वो हमें देखकर उत्तेजित हो रही थी, काफी दिनों से अकेले रहने के कारन वो कुंठित हो गयी है | खुद अकेली है इसलिए दूसरो का सेक्स देखती है और एन्जॉय करती है | मैने मम्मी को मोबाइल में कामिनी आंटी के भेजे गए पोर्न वीडियो क्लिप देखते हुए भी उस दिन देखा था।
अचानक से मेरी आंखे खुल गयी - अबे साले बेटा अरुण मम्मी चुदासी है और कोई बात नहीं |
नही नही.....तू क्या सोच रहा है अरुण, साले.........ये गलत है |
मम्मी तेरे बाप की धर्म पत्नी है उनकी सेक्स पूर्ति का अधिकार सिर्फ पापा का है।
हो सकता है पापा अब भी उन्हें चोदते हो, लेकिन मम्मी को देखकर लगता नहीं कि वो संतुष्ट होती होगी |
मुझे इस बारे में मम्मी पापा दोनों से बात करनी पड़ेगी और ज्यादा हो तो कुसुम से बोलूँगा कि मम्मी से एक बार उनकी सेक्स desire और शरीरिक जरूरत पर बात करे।
अरुण बेटा - तू मरेगा और कुसुम को भी मरवाएगा |
नही नही नही ये मैंने तय कर लिया है | कि अपनी मम्मी को इस तरह तड़पते हुए नही देख सकता मुझे या कुसुम को उनसे बात करनी ही होगी????
अगर कुसुम नही मानी तो मै ख़ुद मम्मी के पास आँखों में आंसू लेकर जाउगां, उनसे छत पर हुई घटना के लिए माफ़ी मांगूगा, उनसे रिक्वेस्ट करूगां की मुझे जीवन के रहस्य बताये, मै उन्हें इमोशंस से ब्लैकमेल करूगां, ।
क्योकि ये बात पापा से पूछना बड़ा शर्मिन्द्दगी भरा होगा |
मै अहसास करवा के रहूगां की मै मम्मी की किन किन बातो से अनजान रह गया हूँ, और मै मम्मी की वो कमी पूरी कर सकता हूँ मुझे बेटे वाले रिश्ते, को भूलकर एक दोस्त समझ कर उनके दिल में होने वाली हर गुप्त बात के बारे में बता सकती है |
तभी बड़ी जोर से लैट्रिन के दरवाजे की बजने के साथ साथ कुसुम की आवाज आई, अरे महात्मा अब बाहर निकल आओ अंदर आधे घंटे से बैठ कर क्या तपस्या कर रहे हो????? जल्दी करो मुझे भी जोर से टट्टी आ रही है।
ये सुनकर मैरी हँसी छूट गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
मै बाहर निकल आया कुसुम छत पर टेहल रही थी, मैने उससे पूछा बड़ी जोरों से लगी है, कंट्रोल नही होता तो इतना खाती क्यो हो??? कुसुम पाद मारती हुयी बोली चुप करो। बहुत बोलते हो।
मुझे बड़ी जोरों से हँसी आ गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
मैने हस्ते हुए कहा कुसुम अब खड़ी खड़ी पाद मत मारो जाओ हग आओ, फिर मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। वो बोली जा रही हूँ, थोड़ा प्रेशर और बनने दो।
मै बोला कुसुम एक काम है करोगी???
क्या काम??? कुसुम मेरे पास आकर खड़ी हो कर बोली।
मै ---- तुम मम्मी से बात करो उन्होंने आज कुछ ऐसा तो नही देख लिया जो उन्हे नही देखना चाहिए था और अगर देखा है तो क्यो??? मुझे लगता है मम्मी को अंदर ही अंदर कुछ प्रॉब्लम है। तुम उनकी बहू के साथ साथ एक औरत भी हो अगर तुम उनसे इस मैटर पर बात करो तो बढ़िया रहेगा।
कुसम् हस्ती हुयी बोली जैसा आप सोच रहे हो वैसा नही है, मम्मी ठीक है, उन्हे कोई प्रॉब्लम नही है और मैने अभी उनसे बात करी है वो खुद शर्मिंदा है वो बोल रही थी कि वो हमें जगाने आई थी, आपको अभि जो जाना है उसके लिए। और वो जब आई मै उस समय हम सेक्स नही कर रहे थे, मै अपनी ब्लाउस पहने हुए बैठी थी। तुम भी अपना चादर से ढके हुए थे।
मै--- मतलब
कुसुम मेरे गाल नोचते हुए मेरे बुद्धू बलम मम्मी ने हमारी नंगी फिल्म नही देखी वो जब तक आई फिल्म खतम हो चुकी थी।
मै बोला मुझे विश्वास नहीं है हो रहा है।
कुसुम लैट्रिन मे घुसते हुए बोली तो एक काम करो जाकर अपनी मम्मी से खुद पूछ लो ???? ? ?
कुसुम की बात सुनकर मुझे कुछ तसल्ली तो हुयी पर मन मान नही रहा था तो काफी सोचने के बाद मैने dicision लिया कि मम्मी से ख़ुद मै पूछ लेता हूँ आखिर वो मेरी मम्मी है उनके सुख दुख की चिंता करना मेरा फर्ज है। वैसे भी कुसुम किसी की, feelings को ज्यादा serious नही लेती है। वो अपने आप से ही ज्यादा मतलब रखती है।
कुसुम के लैट्रिन में घुसने के बाद मै भी नीचे कमरे में डरते डरते दबे पाँव अंदर आ गया, मम्मी किचिन में फोन पर बात कर रही थी! ! उनके बातें करते हुए मै समझ गया दूसरी ओर कामिनी आंटी है और मम्मी उन्ही से बात कर रही थी। मम्मी मेरे लिए रास्ते में खाने के लिए और पापा के लिए भी कुछ नास्ता बना रही थी!!!
मम्मी का फोन लाउड speaker पर था इसलिए मुझे कामिनी आंटी की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी।
तभी मम्मी ने अभी हाल ही घटना का जिक्र कामिनी आंटी से करने लगी....
कुछ देर बाद मम्मी ने कामिनी आंटी को फ़ोन पर छत पर जो कुछ हो रहा था वो सब बता दिया |
कामिनी आंटी ने आश्चर्य प्रकट करते हुए मम्मी से कहा - --- तुम मजाक तो नहीं कर रही हो, क्या तुमने सच में देखा है |
"""मैने अंदाजा लगाया की इसका मतलब ये है की मम्मी पहले से ही छत पर दरवाजे की ओट से झांक रही थी और मै और कुसुम जो भी कर रहे थे वो सब मम्मी ने कुछ देर रूककर देखा होगा |""""
मम्मी - हाँ और कामिनी आंटी से तुम्हे यकीन नहीं हो रहा मुझे भी नहीं हो रहा था, लेकिन ये सच है मेरा बेटा अरुण बहू की चूची चूस रहा था, उसके स्तन दबा रहा था और उसकी जांघो के बीच सहला रहा था और इसमे कुसुम भी साथ दे रही थी | अरुण ने तो कुसुम की चूची और स्तन पर दांत भी गडाए |
कामिनी आंटी माफ़ी से मांगते हुए बोली – मै माफ़ी चाहती हूँ बात ही ऐसी है की यकीन होना मुश्किलहै।
अरुण पढ़ा लिखा है और बहू भी समझदार है वो इस खुले में छत पर ऐसा नहीं करेंगे तुम्हारा बेटा और बहू दोनों ही बड़े संस्कारी है। हो सकता है अरुण अब वापस आ रहा है तो बहू उदास हो रही होगी और अरुण प्यार से उसे गले लगा कर समझा रहा होगा। और तुम्हे अंधेरे में दूर से ठीक से दिखा नही होगा।
मम्मी थोड़ी नाराज होती हुई कामिनी आंटी से बोली - ओफ़ ओ हे कामिनी अब मै तुमको कैसे बताऊ मैंने तो अरुण की चड्डी तम्बू की तरह तनी देखि है | और तो और वो बहू की चूत चाटने के बारे में भी पूछ रहा था |
अपने बेटे की वर्तमान स्थिति को देखकर मै इतना तो समझ ही गई थी कि मेरा बेटा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा है तभी तो उसका लंड भी इस कदर टंनटनाकर खड़ा था। अरुण की स्थिति से मै अपने पति की स्थिति का अनुमान लगाते हुए एक अजीब सी उलझन महसूस कर रही थी क्योंकि मुझे इतना जरूर मालूम था कि,,, शुरू के दिनों में जब भी कभी उत्तेजित अवस्था में अरुण के पापा मुझसे प्यार करते थे तब,,,,,
मुझ को अच्छी तरह से याद है कि उस समय उत्तेजना की वजह से जब भी अरुण के पापा के लंड में तनाव आता था तो उनका अंडर वियर इस हद तक तंबू नहीं बना पाता था। बल्कि लंड वाले स्थान पर बस हल्का सा उभरा हुआ नजर आता था।
मेरी हालत पूरी तरह से खराब थी मेरी उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था और मैने आज तक इस तरह की उत्तेजना अपने बदन में कभी महसूस नहीं की थी हां एसी उत्तेजना मुझे तभी महसूस होती थी जब मै अपने पति के साथ बिस्तर पर होती थी लेकिन जिस तरह से,,,, मै अपने बिस्तर पर पति के होने के बावजूद भी प्यासी रह जाती थी इस समय भी मेरा हाल ऐसा ही है मेरी उत्तेजना का कोई भी तोड़ नहीं है। अरुण का चड्डी में टनटनाया हुआ लंड मुझे बुरी तरह से परेशान किए हुए है।
ये सुनकर कामिनी आंटी थोड़ी serious हो गयी - और मम्मी से बोली ठीक तुमने बता दिया ये भी अच्छा किया अब परेशान न हो लेकिन तब तक तुम इस बारे में अपने बेटे और बहू से infact किसी और से कोई बात नहीं करना इतनी रिक्वेस्ट है मेरी | बेवजह लोग बाते बनायेगें नहीं तो | और हाँ एक बात और तुम अपनी बहू कुसुम पर कोई सख्ती मत करना, आखिर वो भी तुम्हारी बच्ची ही तो है |
मम्मी ने फ़ोन रखा और वो हल्की हल्की शर्म महसूस कर रही थी, आखिर चूत लंड और चूची जैसे शब्दों के साथ उन्होंने कामिनी आंटी से बात की | लेकिन उनके मन में संतोष भी था, की उन्होंने कामिनी आंटी की एक पक्की सहेली होने के नाते अपना फर्ज निभाया |
अगर वो कामिनी आंटी को अपने बहू और बेटे की आँखों देखी संभोग करते हुए नँगी फिल्म के बारे में नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, लेकिन उन्होंने जो भी किया उसको उनको संतोष था | इसी विचार के साथ वो खाने को टिफिन में पैक कर किचिन से बाहर आ गयी |
"" मै मम्मी की इस हरकत से ये बात समझ गया औरतो के पेट में कभी भी कोई भी बात, कैसी भी बात हो नही पचती, कोई भी औरत कोई भी राज अपने सीने में छिपा कर नही रख सकती, चाहे उस राज या बात से उसका फायदा हो या नुकसान वो बिना कुछ सोचे समझे सब कुछ उगल देती है """"
मम्मी ने मुझे देखा और नॉर्मल react करते हुए बोली तेरा टिफिन पैक हो गया है अब जा जल्दी नहा ले।। मैने कहा अभी ठंड है घर पहुँच कर नहाऊंगा अभी आप चाय दे दो।
मै और मम्मी दोनों आराम से फर्श पर बैठ गए और चाय पीने लगे, मै बस सिप मार रहा था और सुनिश्चित कर रहा था की मम्मी कुछ बोलना शुरु करे | जैसे ही मम्मी ने मुझसे नॉर्मल होकर मुझसे कहा बेटा कुछ प्रॉब्लम है क्या इतना चुप क्यों है | जाने का मन नही है क्या???
मैने बड़े प्यार से मम्मी से बात करी, और बड़ी सावधानी से हर वो सवाल पूछ लिया जो मुझे पूछना चाहिए था | मुझे पता था मम्मी झूठ नहीं बोलेगी, मम्मी ने ईमानदारी से जो कुछ भी मै, अपनी पत्नी कुसुम के साथ कर रहा था सब बता दिया लेकिन मम्मी ने एक बात जोर देकर और कसम खाकर कही कि जब में छत पर आई तब
बहू का ब्लाउस बिलकुल ठीक था | मैने उसको अभी बताया है यकीन नही है तो बहू को अभि आ जाने दे उससे तेरे सामने पूछवा देती हूँ।
"" पता नही मम्मी पूरी सच्चाई मुझसे और कुसुम से क्यो छिपा रही थी """
हालांकि मुझे अपनी मम्मी से इस तरह की बात करना मुझे गलत लग रहा था | लेकिन मन में जो तूफान और सवाल उठ रहे थे उनके जबाब मिलना भी मेरे लिए बहुत जरूरी था इसलिए मै थोड़ा सा बिना झिझके शर्म, मर्यादा और मम्मी बेटे के रिश्ते को भूलकर मम्मी से पूछने लगा????
मम्मी तुम मुझे और कुसुम की हरकतों को काफी देर से छत पर दरवाजे की ओट लेकर देख रही थी न...
मम्मी एकदम हडबडाते हुए-तुम क्या बकवास कर रहे हो अरुण , लगता है तुम्हारा दिमाग खराब है | नींद पूरी नही हुई है इसलिए.......
मै भी serious होकर ही बोला ---- -नहीं..... तुम्हे अच्छी तरह से पता है मै आपसे क्या पूछ रहा हूँ | आपने कामिनी आंटी को फ़ोन पर कहा की बहू का ब्लाउस ऊपर था और उसके दोनों स्तन बिन्कुल नग्न थे, अरुण एक एक निप्पल मुहँ में लेकर चूस था और बीच में बहू के स्तन को मसला भी था |
लेकिन कुसुम ने मुझे बताया जब आप छत पर आई थी तब कुसुम के स्तन पुरे तरह से ब्लाउस से ढके थे | इससे मै इस निष्कर्ष पर पंहुचा की आप छत पर बहुत देर से झांक रही थी,
मैने मम्मी की आँखों में आँखे डालकर बड़े प्यार से समझते हुए कहा मम्मी इससे मै एक और निष्कर्ष पर पंहुचा कि तुम बेहद अकेली हो और तुमारा मन और शरीर वासना की आग में जल रहा है | इसलिए अंतरवासना की तलब ने तुमारा ये हाल कर दिया है।
मम्मी बहुत आसान है एक मर्द की तलाश करना जो तुम्हे प्यार करे, बस तुम ईमानदार रहो एक औरत के रूप में तुम चाहती क्या हो....??सब उसे सौंप दो, वह सब जो तुम्हे औरत बनाती है, बड़े बालों की खुशबू, स्तनों के बीच की कस्तूरी, और तुम्हारी वो सब स्त्री भूख......
सबसे बड़ी बात ये कि कामिनी आंटी जो आपको whatsup पर पोर्न क्लिप भेजती है उन्हे देखकर आपका दिमाग इतना खराब हो गया है कि अब आप अपने सगे बेटी और बहू के शरीरिक संबंध स्थापित करते हुए देखने की ललक से छिप कर झाँक रही हो और अपनी काम वासना की कुंठा को मिटाने की असफल कोशिश कर रही हो |
""मैने ये बेहद ही विनम्र भाषा में बोला था –
मम्मी पहले से ही वासना के नशे में धुत थी ऊपर से मेरे विनम्रता से बोले गए शब्दों ने पता नहीं क्या जादू किया, मम्मी मेरे कंधे पर सर रखकर बेतहाशा रोने लगी | मम्मी को भी नहीं पता था कि मेरे शब्दों में क्या जादू था कि सालो से मम्मी के अन्दर दबी भावनाए, कुंठा, हताशा निराशा, सब आंसुओं के डगर बाहर निकलने लगी |
कुछ देर बाद खुद को काबू करते हुए, आंसुओं से भरी आँखों से मुझे देखते हुए- बोली--- मुझे नहीं पता अरुण बेटा, मै क्या कहू, मुझे नहीं पता मुझे क्या चाहिए पता नही मै बिगड़ रही हूँ या ख़तम हो रही हूँ, दिल मेरा अब किसी भी बात पर बहस नही करना चाहता। थक सी गयी हू समझा समझा कर अब जो मुझे जैसा समझे........ दिल अब किसी को समझाना नही चाहता।""
मम्मी की आँखों में आँसू देखकर मेरी आँखे भी भर गयी मै भावुक होते हुए मम्मी से बोला --- मम्मी तुम्हे कुछ कहने की जरुरत नहीं है, तुम्हे बस खुद को प्यार करने की जरुरत है जिससे तुम्हे खुसी मिले वो करो, अपने शरीर के सुख के लिए तुम्हे जो करना पड़े करो | क्या सही है क्या गलत है, दुनिय क्या सोचेगी, लोग क्या कहेगे ये सब फालतू की बातो पर अपना दिमाग मत लगाओ |
"" औरत का पाप फूल की तरह होता है, जो पानी में डूबता नही, बल्कि तैरकर मुह से बोलता है। मर्दो का पाप पथरो की तरह पानी में डूब जाते है, किसी को कानों कान खबर नही लगती ""
इतना कहकर मैने मम्मी को गले लगा लिया और मम्मी भी जोर से मुझसे से लिपट गयी, मै, मम्मी की बांह के ऊपर सिरे पर हलके हलके हाथो से सहलाने लगा |
मम्मी भी मुझे टाइट हग करती है। और प्यार से चूमती है... " पुरुष चूमते है तब वे सुख में होते है, स्त्री चूमती है उन्हे जब वे दुख मे होते है "
और मेरे कान मैं धीरे से कहती है ।
" बस यही फर्क है तेरे और मेरे जीने में "
तभी अचानक से कुसुम आ गयी और मुझे और मम्मी को एक दूसरे को आलिंगन में लिपटे हुए देख हँसने लगी धन्य हो आप दोनों माँ बेटे और धन्य है आपका प्यार!!!अरे मेरी प्यारी सासु माँ आपका बेटा कही विदेश नही जा रहा है, अपने घर जा रहा है अपने पापा के पास और आप दोनों की आँखों में ऐसे आँसू निकल रहे हैं जैसे प्रेमी प्रेमिका बिछड़ने पर रोते है।
"" कुसुम इस बात से अंजान कि मेरे और मम्मी के बीच क्या बातें हुयी मजाक करती हुयी हँस रही थी """
फिर वो आकर मेरी मम्मी से लिपट गयी और बोली मम्मी आप इतनी टेंशन ना लो इन्हे जाने दो मै भी आपकी बेटी हू और आपकी इतनी सेवा करूँगी कि आप अपने बेटे को भूल जाएगी।
मम्मी बोली मुझे किसी से सेवा मेवा नही करवानी चल हट अब बहुत टाइम हो गया अरुण को अब निकलना है।
और खड़ी हो जाती है
मै ममी और कुसुम दोनो की ऑंखों में देखते हुए।
सोच में से निकलते हुए है जा रहा हू।
बाय।
मम्मी: बाय पहुच कर कॉल करना।
मै:ओके बाय।
और चला जाता हू।
मम्मी सोचते हुए ये क्या हो रहा है वो बातें जो मुझे अपने पति से करनी चाहिए वो मैं अरुन से कर रही हू और शर्मा जाती है।
मैने बाइक उठाई और मम्मी के बारे में सोचते हुए होटल वाले को उसकी बाइक वापस करने के लिए होटल की ओर चल दिया।
बाइक चलाते हुए रह रह कर मै मम्मी के बारे में सोच रहा था मेरी आँखों के सामने मेरे अतीत के पुराने दिन याद आने लगे।
पापा मम्मी को अकेला छोड़कर साल साल भर के लिए नौकरी पर चले जाते थे, एक दो साल में दो तीन दिन के लिए घर आते थे!!!तब से लेकर अब तक मम्मी ने ही माँ और बाप बनकर मुझे इतना बड़ा किया था |और शायद मेरी अभी तक की जिंदगी में सबसे ज्यादा करीब में मम्मी के ही रहा हू।
मै जब बड़ा हुआ और जवानी मेरे अंदर फूटने लगी या यू कहे कि मैने जबसे होश संभाला है और मुझे आदमी और औरत के शरीर के अंतर और दोनों की जिस्मो के बीच होने वाली जरूरतों को समझा तब से मैने बहुत बार अपनी मम्मी को रात को उठ उठ कर अकेलेपन की वजह से तड़पते हुए, करवटे बदलते हुए, बिलखते हुए, और रोते हुए देखा है।
""एक कुंवारी लड़की के अकेलेपन से ज्यादा बुरा खतरनाक और भयानक एक शादीशुदा लड़की का अकेलापन होता है, उसका अकेलापन,तन्हाई, उसे हमेशा खाने को दोड़ती है और वो औरत अपनी जिंदगी एक शादीशुदा विधवा बनकर जीती है, ""
अभी हाल ही में कुछ साल पहले की बात जो मुझे आज भी याद है जिसे मैं कभी नही भूल सकता हूँ जब मेरी पहली पत्नी सुहागरात की रात बिना मेरे साथ संभोग किए अपनी आशकी के चक्कर में मुझे शादी के पहले दिन ही छोड़ कर चली गई थी और मै शर्म, अकेलेपन के कारण डिप्रेशन में चला गया था।
और मै लोगों के तानो "" अरुण कि बीवी सुहाग रात की रात को ही भग गयी, अरुण का खड़ा नही हुआ होगा, अरुण का छोटा होगा, अरुण का पानी चूत देखते ही निकल गया होगा, अरुण का ढीला होगा, अरुण हिजडा है, अरुण गांडू है, अरुण gay है, अरुण गांड मरवाता है, अरुण औरत को खुश नही कर सकता है, अरुण की बीवी सुहागरात की रात को अरुण के खड़े लंड पर लात मार के भग गयी। अरुण दुनिया का पहला लड़का है जिसने अपनी सुहागरात अपने हाथ से अपना लंड हिला कर मुठ मार के मनाई थी।
मुझे बुरा भी लगता और झूठी हसी भी आती कह तो सच रहे हैं, पर मै अंदर ही अंदर कुड़ता रहता।
यहाँ तक मेरे खास दोस्त जिनके साथ जब कभी मै ड्रिंक वगेरा करता वो भी मजा लेकर कहते अरुण तू चूतिया था अपनी सुहाग रात को मुझे लेकर चलता तेरा नाम हो जाता और मेरा काम हो जाता।
मेरे साथ के स्टाफ वाले कलिग सब लड़के और लड़किया मुझे सिम्पैथी देते हुए कहते दुनिया में सबसे बदनसीब इंसान अगर है कोई है तो अरुण है, भला सुहागरात के दिन जिसकी बीवी लात मार दे उससे बदनसीब कौन हो सकता है। मुझे उनकी सिम्पैथी गाली जैसी लगती।
उन सभी के हर जोक, चुटकुले, और मजाक शुरू किसी से भी हो पर खतम मुझ पर और मेरी सुहागरात पर आकर खतम होता।
इनसे भी गंदी बातें सुन सुन कर मै बहुत टूट गया था । लेकिन हद तो तब हो गयी जब एक दिन मेरे पापा से बहस के समय पापा ने मुझसे गुस्से में कह दिया था कि कैसा मर्द है, अपनी बीवी को तो सुहाग रात की रात मर्द बनकर काबू कर नही पाया और मुझसे बहस करता है।
पापा के मुह से ये सुनकर मेरा आत्म हत्या करने का मन कर रहा था।
तब मेरी मम्मी ने पापा को डान्ते हुए एक दोस्त बनकर मेरा साथ दिया, मुझे motivate किया, मुझे फिर से जीने की इच्छाये दी, मेरी मम्मी ने एक बार से मुझे दूसरी अपनी कोख से ना सही पर अपने प्यार से विश्वास से दोबारा जनम दिया था। और कसम खाई कि मै अपने बेटे अरुण की एक बार फिर शादी करके दुनिया के साथ साथ पापा का भी मुह बंद कर दूँगी।
मेरी पहली बीबी के छोड़ के जाने के पहले भी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही लेकिन जितना मै आकर्षित अपनी मम्मी की तरफ होता था उतना किसी लड़की की तरफ नहीं होता था | मैने कई बार अपने दिल की बात मम्मी को बताने की सोची लेकिन हर बार पीछे हट गया | अपने पापा की जवान पत्नी और अपनी सगी मम्मी से इस तरह की बात करना मुझे गलत लगा |
मम्मी ने कई बार मेरी दूसरी लड़कियों से रिलेशन शिप बनाने को कहा लेकिन किसी भी लड़की से इतना लगाव नहीं हुआ की उसको मै अपनी बना लू |
अपनी मम्मी की खातिर मैने एक दो बार समझौता करने के कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली |
जब भी मम्मी को देखता एक बार ये ख्याल जरुर आता की मै अपने दिल की बात मम्मी से कह दू |
"बढ़ती हुई उम्र के साथ वो और खूबसूरत हुई जा रही हैं खामोश खड़ी हुई भी लगती हैं जैसे कोई गजल गुनगुना रही हो गजब नजाकत से बक्शा है खुदा ने, लगता है जैसे हर एक मोहब्बत की दास्तान बस उन्ही के लिए लिखी गई हो।""
आखिर मै भी अकेला था और मम्मी भी शादीशुदा होने के बाबजूद अकेली थी | पिछले 15 सालों से पापा मम्मी अलग अलग सोते थे, वो दोनों सिर्फ नाम के पति पत्नी थे, उन दिनों के बीच झगडा ज्यादा और बातें कम होती, शायद इसकी वजह मै था, या फिर मम्मी पापा की सोच, ख्वाइश, जरूरत, इच्चाए या उम्र का अंतर।
मेरी मम्मी खूबसूरत है, भरा पूरा शरीर है हालाँकि मेकअप नहीं लगाती फिर भी बच्चे से बूढ़ा जो भी एक बार देख लेता है फिर नजरो से ओझल होने तक उनको ही देखता रहता है |
मै कभी कभी शादी पार्टी में जब ड्रिंक पीकर धुत होता था तब अकसर मेरी मम्मी की बांहों में सिमट के घर आता था और ऐसा मैं जानबूझकर करता था | जब भी मेरी मम्मी मुझे कार में बैठाती, मै नीद के बहाने अपना सर मेरी मम्मी के सीने पर रख देता और छोटे बच्चे की तरह सोने का नाटक करने लगता,हालाँकि इतना करीब होने के बावजूद भी मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई की मेरी मम्मी के सीने से सर उठाकर उनके चेहरे तक ले जाये और उनके रसीले ओठ चूम ले | ।
साल दर साल इसी तरह गुजरते रहे, दिल की तमन्ना दिल के कोने में ही दबी रह गयी | शायद मेरी मम्मी भी मेरा साथ चाहती थी लेकिन रिश्तो की मर्यादा लोकलाज और खुद की बनायीं इमेज में मेरी मम्मी कि सारी खवाइश दब गयी | | कभी खुद की बनायीं लक्ष्मण रेखा लांघी ही नहीं |
मेरी मम्मी सिर्फ मेरे पापा की बीबी नहीं थी बल्कि मेरी सबसे बड़ी फैंटेसी थी जिसके लिए मै अलग अलग लडकियों को देखकर अपनी फैंटेसी पूरा कर पाने की खीझ मिटाता था | और अपनी इसी फैंटेसी को पूरा करने के लिए मै कुसुम को देखने गया था, और कुसुम में मुझे अपनी मम्मी की छबि, दिखाई दी और हमारी शादी हो गयी।
या यू कहे कि दूसरी शादी हो गयी।
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
लेकिन मुझे आज की घटना के बाद लगने लगा है, मेरी मम्मी इतने साल अकेले रहने के कारण क्या वो सेक्सुअली अवसाद में तो नहीं चली गयी | मेरी मम्मी ने कई सालो से सेक्स नहीं किया है और कामिनी आंटी के जरिये वाहट्सप् पर भेजे गए पोर्न क्लिप ज्यादा देखने की वजह से सेक्सुअल चीजो को लेकर कुंठित हो गयी है |
अपने बेटे और बहू को आवाज देकर खासने से पहले काफी देर तक झांक कर उनकी फन एक्टिविटी को सेक्स बता रही है | लगता है मेरी मम्मी को सेक्स की तलब है, उनको चुदाई चाहिए | लेकिन अगले पल ही मेरे दिमाग में सवाल आया ये मै कैसे कर सकता हूँ? क्या ये एक बेटे का फर्ज है? क्या मै अपनी पत्नी कुसुम के आँखों में दुख के आँसू भर कर, मम्मी की सालों से सूखी
आखों में खुशी के आँसू ला सकता हूँ??
मुझे कुछ समझ नही आ रहा है मै क्या करू????
जारी है.....