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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ye Naga Reddy bhaap chuka hai Romesh ki jaroorat or Kamjori ko jane ab kya hoga or jane kya karega Romesh ek tarf BIVI naraj dosre tarf Dushman ko uski Kamjori pata hai
Thank you very much bhai ❣️ for the wonderful review and support ❣️ DEVIL MAXIMUM 💐💐💐
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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# 14

उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



जारी रहेगा.....✍️✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Nice update....

Bohot badiya update 💯💯💯💯💯💯💯💯

Ye raat kab sard hogi :sad:
Anyway
Aaj se padhna shuru

Nice starting

Bahut hi sandaar aur lajwab update hai romi aur vijay dono ek bahut badi hasti State ke CM se panga le rahe hai isme dono ko bahut khtra hia

intezaar rahega....

Awesome super duper thriller , the best jasusi writing suspense se saraabor
✔️✔️✔️✔️✔️✔️✔️
👌👌👌👌👌👌
💯💯💯💯💯

lekhni kya hi kahoon or update sansanikhej romanchak lajawab jabardast ab dekhte hain vijay or ramesh ab kya karte hain utsukta se intjar next update ka :ban::fight3::thankyou:

Badhiya update

Ab ek or naya bawal ye shankar naga reddy ne romesh ko hila dala romesh se hi katl karwana chhahta ha wo bhi romesh ke dushman ka janardan naga reddy ka or maje ki bat isne offer bhi 25 lakh kiye han sala ye 25 lakh ki mystery nahi sulajh rahi pehle seema ab ye shankar kher abhi to romesh ne mana kar diya ha iske offer ko

Idhar maya das ne romesh ko dhamki di ha ki ab agla number vijay ka higa dekhte han ki ab ronesh kaise bachhata ha vijay ko

Awesome update
Romesh ki pareshani khatam hone ka nam nhi le rahi hai ek musibat tali nhi ab ye Shankar Reddy ek aur case lekr aa gya
Jisme kahi na kahi Seema judi lag rahi hai 25 lakh fees ka sunkr
Vaise 2 din ho gaye Seema ka kuchh bhi aata pata nahi romesh na sahi Vijay ko to malum krna chahiye tha
Udhr Batala bahar aa gya hai , aur mayadasa ne romesh ko challange kr diya hai
Dekhte aage kya Naya twist aane wala hai
Kya romesh accept krega Shankar ka offer jisme úske ek panth do kaj wali situation hai

Dono hi updates ek se badhkar ek he Raj_sharma Bhai,

Jarurart se jyada imandar hona bhi aaj ke samay me ek abhishap hi he..........

Raomesh ne batala ka case na ladkar JN ko apne khilaf kar liya he............iska parinam bhi seema ke sath huyi badsaluki ke dwara use mil bhi gaya

Ab ye naya character aa gya he kahani me Shankar naga reddy, jo romesh ke hatho cm ka murder karwana chahta he..................

Ho sakta he ye koi CM ka hi aadmi ho....jp romesh ko fanswana chahta ho............

Keep rocking bro

उसे पच्चीस लाख चाहिए,और ये पच्चीस लाख देगा।

ये रिश्ता क्या कहलाता है....

सीमा तो किसी सिंडिकेट से जुड़ी लगती है मुझे, 3 दिन हो गए और कोई अता पता नहीं, पुलिस के खबरी भी पता नही कर पाए उसका?

और मर्डर करवाने से अच्छा था कि इसी केस में मदद कर देता, तो जेएन को फांसी ही होती।

By the way, आज के युग में टाइपराइटर कौन वकील इस्तेमाल करता है 😌

Shandar jabardast update 👌

Mujhe bhi pacchis lakh chahiye ab ye kahani padhne ke liye…
Romesh ka pyar yu ruswa hote dekhna aacha nahi lag raha hai..
Kahi ye chakkar seema ki past life se to nahi juda hai ya Romesh ke kisi purane case ka badla pahle seema ko phasakar aur Romesh ko pareshan karke liya ja rha hai.. jis tarah se ye story aap aage badha rhe ho aisa lagta hai kya kya nahi soch rakha hoga aapne… awesome bhi kum h bahut hu umda wala plot , lekhan, aur kitna saadh kar aap likh rhe ho …

Aise hi aacha likhte rahiye… ye wo teesri aisi kahani h jiske update mai baad mai bhi kai baar padhta hu bahut hi shaandar bhai..

Baki taarif payment milne ke baad ki jayegi 😂

Ye 25 lakh ka offer kuch sus lag raha hai, aur wo bhi itne satik mauke pe, jab Romesh ki patni use chodke gayi...

रोमेश साहब की इमानदारी और उनके पेशे के प्रति सच्चाई की दाद तो बनती है शर्मा जी । ऐसे डिफेंस लाॅयर कहां मिलेंगे जो सिर्फ बेगुनाह और बेकसूर मुल्जिम का केस अपने हाथ मे लेते हैं !
हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट मे दो ऐसे विश्व विख्यात लाॅयर हैं जो सिर्फ मुजरिम , गुनाहगार , रेपिस्ट , भ्रष्टाचार मे लिप्त पाए गए लोग , खुनी और आतंकवादियों का केस का ही डिफेंड करते हैं । और ताज्जुब यह कि यह लोग समाज के संभ्रांत वर्ग मे गिने जाते हैं ।

वैसे इमानदार होना बहुत अच्छी बात है लेकिन बेवकूफ होना अच्छी बात नही मानी जाती और वह भी एक पढ़े लिखे इंसान को । ऊपर से तब जब वह एक फेमस वकील भी हो ।
मैने पहले भी कहा कि सता पर काबिज लोगों से आप तभी लड़ सकते हैं जब आपके साथ जनता की ताकत होती है ।
चीफ मिनिस्टर कोई अव्वल दर्जे का बिजनेस मैन नही , कोई आम सेलिब्रिटी नही , कोई आम राजनेता नही जिसे आप येन-केन-प्रकारेण आखिरकार मसल ही दें !

रोमेश साहब का अपनी पत्नी सीमा मैडम के प्रति ' तुलसीदास ' अवतार भी मेरे समझ से परे है । उनकी वजह से उनकी पत्नी को कुछ शारीरिक चोट आई , समझ मे आता है । उनकी वजह से उन्हे जिल्लत का सामना करना पड़ा यह भी समझ मे आता है । उनकी पत्नी घर छोड़कर चली गई यह भी समझ मे आने लायक है । लेकिन उनका पच्चीस लाख रुपए डिमांड करना कहीं से भी गले नही उतर रहा है । क्या फायदा उन पच्चीस लाख रुपए का जब उनकी आबरू ही लूट लिया जाए और उनकी आत्मा परमात्मा मे विलीन हो जाए !

जनार्दन साहब के एक प्रतिद्वंदी शंकर साहब ने रोमेश साहब को एक लुभावनी ऑफर दी कि वो जनार्दन साहब का राम नाम सत्य कर दें । यह बंदा जरूर उनका रिश्तेदार लगता है और शायद पोलिटिकल नेता भी । शायद उसकी नजर चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर होगी ।
यह एक शुभ संकेत लग रहा है । रोमेश साहब को चाहिए इस मौके को अपने सोच के अनुसार भुनाने की । इस तरह की सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

एक नया किरदार -- शंकर नागा रेड्डी, और उसकी भी वही समस्या! भाई, ये रोमेश साइकोपैथिक खूनियों का “चुम्बक” बन गया है!
इस बार तो वो रोमेश को ही खून करने को कह रहा है। और पच्चीस लाख की पेशकश भी है! सीमा को जो चाहिए, तो ये शख़्श दे रहा है।
और खून करना है, जनार्दन नागा रेड्डी का! दोनों भाई हैं क्या?
फिजिकल खून करना है या पोलिटिकल?

बहुत ही गजब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अब कहानी में एक नया मोड आने वाला हैं
एक ओर मायादास से धमकी तो वही दुसरी ओर जे एन का कत्ल वो भी रोमेश के हाथों से उसके लिये पच्चीस लाख रुपये मिलेगे जो सीमा की डिमांड हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

Intzar rahega 😊

वाह भाई बहुत ही शानदार अपडेट लिखें है एक दम रोमांच पैदा हो गया.... मुझे यहां सीमा का झोल भी नज़र आ रहा है वो इतनी आसानी से घर नहीं छोड़ सकती हो सकता है सब कुछ प्री प्लान्ड है मुख्यमंत्री के पी ए ने कुछ पैसे दिए हों कि उसका पति मान जाये.... या हो सकता है शंकर रेड्डी जनार्दन रेड्डी का बेटा हो / भाई हो और अपने बाप/भाई को मरवा कर खुद ही सत्ता हासिल करना चाहता हो.... क्योंकि सीधा पच्चीस लाख रुपए बोला तो कुछ तो तगड़ा झोल है और हो सकता है सीमा का कोई लिंक हो शंकर रेड्डी के साथ क्लब जो जाती है

Ye Naga Reddy bhaap chuka hai Romesh ki jaroorat or Kamjori ko jane ab kya hoga or jane kya karega Romesh ek tarf BIVI naraj dosre tarf Dushman ko uski Kamjori pata hai

मस्त अपडेट
Ghost Rider ❣️
Hell Strom



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Rekha rani

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उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



जारी रहेगा.....✍️✍️
Awesome update
आखिर रोमेष ने अपने हालातो के आगे हार मानकर जेएन रेड्डी के कतल के लिए हां भर दी
और वैशाली को अपने उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया
एंड में नाटकीय रूप से रोमेश कुछ खरीदारी कर रहा है आखिर कैसे क्या करेगा इंटरस्टिंग रहेगा नेक्स्ट अपडेट
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Mast dhamakedar update

To akhir kar romesh ne janardan ko marne ka faisla kar hi liya shankar ki bat man li akhirkar usne lekin shankar katla karwakar bhi romesh se pichha chhuda sakta tha lekin usne romesh ko kaha ha ki use katl karke adalat se bari hoke ana ha jaise ki bahar uska koi chahne wala uska intezar kar raha hoga jo use jail me nahi dekhna chhahta ab wo sima hi ho sakti ha or jo bich me sima ke secret cousin ki bat hui thi kahin wo shankar to nahi kya pata seema ke sath wo sab kuchh hone ke bad uske man me badle ki bhavna jagi ho or uska badla tab pura ho jab romesh yani uska pyar janardan ko mar de jisse romesh ki bhi dil ki agg shant ho jaye kyonki 25 lakh seema or shankar dono me common ha or ye mahaj ittefak to ho nahi sakta

Idhar shefali ki sari jimmedariyan sambhal ke romesh nikal chuka ha janardan ko marne uski puri jankari nikal chuka ha ab dekhte han ki kaise marta ha wo janardan ko or fir kaise bachata ha wo khud ko
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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आखिर रोमेष ने अपने हालातो के आगे हार मानकर जेएन रेड्डी के कतल के लिए हां भर दी
और वैशाली को अपने उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया
एंड में नाटकीय रूप से रोमेश कुछ खरीदारी कर रहा है आखिर कैसे क्या करेगा इंटरस्टिंग रहेगा नेक्स्ट अपडेट
Yahi to sochne wali baat hai sarkaar, ki romesh karega kaise??
Parsaasan se seedhi takkar le kar koi bacha hai kya?
Thank you very much for your wonderful review and support ❣️ Rekha rani
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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To akhir kar romesh ne janardan ko marne ka faisla kar hi liya shankar ki bat man li akhirkar usne lekin shankar katla karwakar bhi romesh se pichha chhuda sakta tha lekin usne romesh ko kaha ha ki use katl karke adalat se bari hoke ana ha jaise ki bahar uska koi chahne wala uska intezar kar raha hoga jo use jail me nahi dekhna chhahta ab wo sima hi ho sakti ha or jo bich me sima ke secret cousin ki bat hui thi kahin wo shankar to nahi kya pata seema ke sath wo sab kuchh hone ke bad uske man me badle ki bhavna jagi ho or uska badla tab pura ho jab romesh yani uska pyar janardan ko mar de jisse romesh ki bhi dil ki agg shant ho jaye kyonki 25 lakh seema or shankar dono me common ha or ye mahaj ittefak to ho nahi sakta

Idhar shefali ki sari jimmedariyan sambhal ke romesh nikal chuka ha janardan ko marne uski puri jankari nikal chuka ha ab dekhte han ki kaise marta ha wo janardan ko or fir kaise bachata ha wo khud ko
Dekhne wali baat hogi ki romesh ne sankar ki baat man kar sahi kiya ya nahi? Or sochne wali baat ye hai ki wo khoon kar raha hai to uska dhindhora kyu peet raha hai?
Thank you very much for your wonderful review and support ❣️ dev61901 bhai :hug:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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# 14

उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था। बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी। वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा
था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?ञवह शराब पीता रहा। जनार्दन नागा रेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था।

ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है। पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है? किसके लिए वकील लड़ता है? यहाँ तो जज भी बिकते हैं। ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती? क्यों? क्यों है यह विधान?

"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा। हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है। मेरे और विजय के
करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है।"

उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है। लेकिन वह जा नहीं पा रहा है। उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख !
पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!

पच्चीस लाख मिल सकता है। शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल। कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये ।
क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखनेके लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?

मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागा रेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।

सुबह रोमेश डस्टबिन से विजि टिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये। रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा।

शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था। उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया।

शंकर दस लाख लेकर आ गया। उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया।

"गिन लीजिये, दस लाख हैं।"

"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठा कर एक तरफ रख दिया ।

"साथ में मेरी ओर से बधाई।"

"बधाई किस बात की ?"

"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए। आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ।"

"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे। पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"

"नागा रेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा। हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा, तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे।"

"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे।"

"हाँ, यह सही है। इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे। आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है। यही दो बातें इस सौदे में हैं।"

"ठीक है, काम हो जायेगा।"

"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा। एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा। मैं अखबार, रेडियो और टी .वी . पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा। जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा।"

दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया।

अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया।

"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा,

"यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा।"

कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा। उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया।

"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ।" रोमेश ने कहा।

"क्या सर ?"

"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी।"

"मगर...। "

"पहले मेरी बात पूरी सुनो। ध्यान से सुनो। गौर से सुनो। आज के बाद मैं इस
चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो। मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा हूं, क्यों कि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ। एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा। यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है। हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा।"

"मैं कुछ समझी नहीं सर।"

"मैंने जनार्दन नागा रेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा।"

"आप क्या कह रहे हैं?" वैशाली का दिल बैठने लगा।

"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ। इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी। तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है। यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे। मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है।"

"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं?"

"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े। चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ। अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब
भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये। यह तुम्हारा उसूल रहेगा। अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो। जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता। विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे। यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है।"

वैशाली की आंखें डबडबा आयीं। वह कुछ बोली नहीं।

रोमेश उसका कंधा थपथपाता हुआ बाहर निकल गया। जाते जाते उसने कहा,

"कभी मेरे घर की तरफ मत आना। यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ। मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक। और मेरा फैसला भी ठीक ही है।" रोमेश बाहर निकल गया।

रोमेश ने काम शुरू कर दिया। सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था।

उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है? कौन उसके करीब हैं? उसे क्या-क्या शौक हैं ?

रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं। सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था। माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था। वह भी गोपनीय तरीके से।

उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था। उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे।

जे.एन. यहाँ वी .आई.पी . गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था। सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था, और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी। वह दो बार सजा भी काट चुका था। किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था।

इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था। यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे। यह कोड
माया भी प्रयोग करती थी। रोमेश के पास काफी जानकारियां थी।

एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने
के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं। वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है।

अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी। हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े।

जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी।

इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं। समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा। टी .वी . पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था। उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है। चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।


एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है। नया साल शुरू होने वाला था।

रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे। वह जे.एन. को
कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था।

उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया। एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी। स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा।

"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ।"

"अभी मंगाते हैं।" सेल्समैन ने कहा। शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया।

"क्या प्राइस है?"

"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"

"इससे मैच करती एक काली पैंट।"

सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा। रोमेश ने एक पैंट पसन्द की।

"काली शर्ट ?" रोमेश बोला।

"जी।" सेल्समैन ने सिर हिला या।

अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था। रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की।

"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा।" रोमेश बोला। मफलर भी आ गया।

"काले दस्ताने।"

"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये,

"काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते।"

"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया।

"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है।" सेल्समैन बोला,

"यहीं मंगा दूँ ?"

चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया। उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया।

"अब एक काला फेल्ट हैट।"

"हूँ!"

सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था। काला हैट !"
काला हैट भी आ गया।

"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा।

"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा।"

सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया। रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया।

"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा , नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"

"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा।"

दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉ स्ट्यू म पहनकर बाहर आया।

"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला।

"ऐ बड़ा जमता है यार।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा,

"फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं।"

"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो , रोमेश सक्सेना।"

"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा।"

"नहीं , नाम जरूर।"

"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी।"

"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया।

बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"

"वही तो।" सेल्समैन बोला,

"हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे।"

"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है।"

"ख… खून।" सेल्समैन चौंका।

"हाँ , खून !"



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