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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

DesiPriyaRai

प्यार मैं मृत्यु है, मुक्ति नहीं..
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#.13

दो दिन बाद रोमेश बैडरूम से बाहर निकला। इस बीच उसने कुछ खाया पिया न था।
उसने पुलिस से मदद लेने से भी इन्कार कर दिया। वैशाली इन दो दिनों उसी फ्लैट पर थी और कौशिश कर रही थी कि रोमेश अपनी रूटीन की जिन्दगी में लौट आये। इस बीच रोमेश बराबर शराब पीता रहा था।
वैशाली अन्तत: अपनी कौशिश में कामयाब हुई।
रोमेश ने स्नान किया और नाश्ते की टेबिल पर आ गया।

"सीमा का कोई फोन तो नहीं आया?" रोमेश ने पूछा।

"आप धीरज रखिये, हम सीमा भाभी को मना कर ले ही आयेंगे, वह भी तो आपको बहुत चाहती हैं। दो चार दिन में गुस्सा उतर जायेगा, आ जायेंगी।"

"और किसी का फोन मैसेज वगैरा?"

"कोई शंकर नागा रेड्डी है, तीन-चार बार उसका फोन आया था। वह आपसे मुलाकात का वक्त तय करना चाहता है।"

"शंकर नागा रेड्डी, मैंने तो यह नाम पहली बार सुना, हाँ जनार्दन नागा रेड्डी का नाम जरूर जेहन से चिपक सा गया है।"

"जनार्दन नहीं शंकर नागा रेड्डी।"

"क्यों मिलना चाहता है?"

"किसी केस के सम्बन्ध में।"

"केस क्या है?"

"यह तो उसने नहीं बताया, उसका फोन फिर आयेगा। आप समय तय कर लें, तो मैं उसे बता दूँ।"

"ठीक है, आज शाम सात बजे का समय तय कर लेना। मैं घर पर ही हूँ, कहीं नहीं जाऊंगा। फिलहाल कोर्ट के मैटर तुम देख लेना।"

"वह तो मैं देख ही रही हूँ सर, उसकी तरफ से आप चिन्ता न करें।"

दोपहर एक बजे शंकर का फोन फिर आया। वैशाली ने मुलाकात का समय तय कर दिया। दिन भर रोमेश, वैशाली के साथ शतरंज खेलता रहा। विजय भी एक चक्कर लगा गया था, उसने भी एक बाजी खेली, सब सामान्य देखकर उसने वैशाली की पीठ
थपथपायी।

"पुलिस में मामला मत उठाना।" रोमेश बोला, "वैसे तो मैं खुद बाद में यह मामला उठा सकता था। मगर इससे मेरी बदनामी होगी, कैसे कहूँगा कि मेरी बीवी …।"

"ठीक है, मैं समझ गया।"

"जिनके साथ बलात्कार होता है, पता नहीं वह महिला और उसके अभिवावकों पर क्या गुजरती होगी, जब वह कानूनी प्रक्रिया से गुजरते होंगे। कल बटाला को पेश किया जाना है ना?"

"हाँ, मुझे उम्मीद है रिमाण्ड मिल जायेगा और उसकी जमानत नहीं होगी। एम.पी . सावन्त की पत्नी भी सक्रिय है, वह बटाला की किसी कीमत पर जमानत नहीं होने देंगे।

मुझे उम्मीद है जब मैं जे.एन. को __________लपेटूंगा, तो पूरी लाठी मेरे हाथ होगी और कोई ताज्जुब नहीं कि कोई आन्दोलन खड़ा हो जाये।"

"तुम काम करते रहो।" रोमेश ने कहा।

सात बजे शंकर नागा रेड्डी उससे मिलने आया। रोमेश सोच रहा था कि वह शख्स अधेड़ आयु का होगा किन्तु शंकर एकदम जवान पट्ठा था। रंगत सांवली जरूर थी किन्तु व्यक्तित्व आकर्षक था। लम्बा छरहरा बदन और चेहरे पर फ्रेंचकट दाढ़ी थी।

"मुझे शंकर नागा रेड्डी कहते हैं।"

"हैल्लो !" रोमेश ने हाथ मिलाया और शंकर को बैठने का संकेत किया।शंकर बैठ गया।

फ्लैट का एक कमरा रोमेश का दफ्तर होता था। दायें बायें अलमारियों में कानून की किताबें भरी हुई थीं। मेज की टॉप पर इन्साफ की देवी का एक छोटा बुत रखा हुआ था, बायीं तरफ टाइपराइटर था।

"कहिए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ ?"

"मेरा एक केस है, मैं वह केस आपको देना चाहता हूँ ? "

"केस क्या है ?"

"कत्ल का मुकदमा।"

"ओह, क्या आप मेरे बारे में कुछ जानकारी रखते हैं ?"

"जी हाँ, कुछ नहीं काफी जानकारी रखता हूँ। मसलन आप एक ईमानदार वकील हैं। किसी अपराधी का केस नहीं लड़ते। आप पहले केस को इन्वेस्टीगेट करके खुद पता करते हैं कि जिसकी आप पैरवी करने जा रहे हैं, वह निर्दोष है या नहीं।"

"बस-बस इतनी जानकारी पर्याप्त है। अब बताइये कि किसका मर्डर हुआ और किसने किया ?"

"मर्डर अभी नहीं हुआ और जब मर्डर हुआ ही नहीं, तो हत्यारा भी अभी कोई नहीं है।"

"क्या मतलब ?"

"पहले तो आप यह जान लीजिये कि मैं आपसे केस किस तरह का लड़वाना चाहताहूँ, मुझे मर्डर से पहले इस बात की गारंटी चाहिये कि मर्डर में जो भी अरेस्ट होगा,वह बरी होगा और यह गारंटी मुझे एक ही सूरत में मिल सकती है।"

"वह सूरत क्या है ?"

"यह कि मर्डर आप खुद करें।"

"व्हाट नॉनसेंस।" रोमेश उछल पड़ा, "तुम यहाँ एक वकील से बात करने आए हो या किसी पेशेवर कातिल से।"

"मैं जानता हूँ कि जब आप खुद किसी का कत्ल करेंगे, तो दुनिया की कोई अदालत आपको सजा नहीं दे पायेगी, यही एक गारन्टी है।"

"बस अब तुम जा सकते हो।"

"रास्ता मुझे मालूम है वकील साहब, लेकिन जाने से पहले मैं दो बातें और करूंगा !!

पहली बात तो यह कि मैं उस केस की आपको कुल मिला कर जो रकम दूँगा, वह पच्चीस लाख रुपया होगा।"

"प…पच्चीस लाख ! तुम बेवकूफ हो क्या, अरे किसी पेशेवर कातिल से मिलो , हद से हद तुम्हारा काम लाख दो लाख में हो जायेगा, फिर पच्चीस लाख।"

रोमेश को एकदम ध्यान आया कि सीमा ने इतनी ही रकम मांगी थी,

"प…पच्चीस लाख ही क्यों ?

"पच्चीस लाख क्यों ? अच्छा सवाल है। बिना शक कोई पेशेवर कातिल बहुत सस्ते में यह काम कर देगा, लेकिन उस हालत में देर-सवेर फंदा मेरे गले में ही आकर गिरेगा और आपके लिए मैंने यह रकम इसलिये लगाई है, क्यों कि मैं जानता हूँ, इससे कम में आप
शायद ऐसा डिफिकल्ट केस नहीं लेंगे।"

रोमेश ने उसे घूरकर देखा।

"दूसरी बात क्या थी ?"

"आपने यह तो पूछा ही नहीं, कत्ल किसका करना है। दूसरी बात यह है, हो सकता है कि कत्ल होने वाले का नाम सुनकर आप तैयार हो जायें, उसका नाम है जनार्दन
नागा रेड्डी। "

"ज…जनार्दन…?"

"हाँ वही, चीफ मिनिस्टर जनार्दन नागा रेड्डी यानि जे.एन.। मैं जानता हूँ कि जब आप यह कत्ल करोगे, तो अदालत आपको रिहा भी करेगी और मुझ तक पुलिस कभी न पहुंच सकेगी।"

"नेवर, यह नहीं होगा, यह हो ही नहीं सकता।"

"यह रहा मेरा कार्ड, इसमें मेरा फोन नम्बर लिखा है। अगर तैयार हो, तो फोन कर देना, मैं आपको दस लाख एडवांस भिजवा दूँगा। बाकी काम होने के बाद।"

"अपना विजिटिंग कार्ड टेबिल पर रखकर शंकर नागा रेड्डी गुडबाय करता हुआ बाहर निकल गया।
रोमेश ने कार्ड उठाया और उसके टुकड़े-टुकड़े करके डस्टबिन में फेंक दिया।

"कैसे-कैसे लोग मेरे पास आने लगे हैं।"

अगले दिन रोमेश को पता चला कि पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण बटाला को जमानत हो गई, विजय उसकी रिमाण्ड नहीं ले सका। उसके आधे घण्टे बाद मायादास का फोन आया।


"देखा हमारा कमाल, वह अगली तारीख तक बरी भी हो जायेगा। तुम जैसे वकीलों की औकात क्या है, तुमसे ऊपर जज होता है साले ! अब हम उस दरोगा की वर्दी उतरायेंगे।
तू उसकी वर्दी बचाने के लिए पैरवी करना, जरूर करना और तब तुझे पता चलेगा कि मुकदमा तू भी हार सकता है। क्यों कि तू उसकी वर्दी नहीं बचा पायेगा, जे.एन. से टक्कर लेने का अंजाम तो मालूम होना ही चाहिये।"

रोमेश कुछ नहीं बोला। फोन कट गया।





जारी रहेगा.....✍️✍️
Ye 25 lakh ka offer kuch sus lag raha hai, aur wo bhi itne satik mauke pe, jab Romesh ki patni use chodke gayi...
 
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रोमेश साहब की इमानदारी और उनके पेशे के प्रति सच्चाई की दाद तो बनती है शर्मा जी । ऐसे डिफेंस लाॅयर कहां मिलेंगे जो सिर्फ बेगुनाह और बेकसूर मुल्जिम का केस अपने हाथ मे लेते हैं !
हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट मे दो ऐसे विश्व विख्यात लाॅयर हैं जो सिर्फ मुजरिम , गुनाहगार , रेपिस्ट , भ्रष्टाचार मे लिप्त पाए गए लोग , खुनी और आतंकवादियों का केस का ही डिफेंड करते हैं । और ताज्जुब यह कि यह लोग समाज के संभ्रांत वर्ग मे गिने जाते हैं ।

वैसे इमानदार होना बहुत अच्छी बात है लेकिन बेवकूफ होना अच्छी बात नही मानी जाती और वह भी एक पढ़े लिखे इंसान को । ऊपर से तब जब वह एक फेमस वकील भी हो ।
मैने पहले भी कहा कि सता पर काबिज लोगों से आप तभी लड़ सकते हैं जब आपके साथ जनता की ताकत होती है ।
चीफ मिनिस्टर कोई अव्वल दर्जे का बिजनेस मैन नही , कोई आम सेलिब्रिटी नही , कोई आम राजनेता नही जिसे आप येन-केन-प्रकारेण आखिरकार मसल ही दें !

रोमेश साहब का अपनी पत्नी सीमा मैडम के प्रति ' तुलसीदास ' अवतार भी मेरे समझ से परे है । उनकी वजह से उनकी पत्नी को कुछ शारीरिक चोट आई , समझ मे आता है । उनकी वजह से उन्हे जिल्लत का सामना करना पड़ा यह भी समझ मे आता है । उनकी पत्नी घर छोड़कर चली गई यह भी समझ मे आने लायक है । लेकिन उनका पच्चीस लाख रुपए डिमांड करना कहीं से भी गले नही उतर रहा है । क्या फायदा उन पच्चीस लाख रुपए का जब उनकी आबरू ही लूट लिया जाए और उनकी आत्मा परमात्मा मे विलीन हो जाए !

जनार्दन साहब के एक प्रतिद्वंदी शंकर साहब ने रोमेश साहब को एक लुभावनी ऑफर दी कि वो जनार्दन साहब का राम नाम सत्य कर दें । यह बंदा जरूर उनका रिश्तेदार लगता है और शायद पोलिटिकल नेता भी । शायद उसकी नजर चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर होगी ।
यह एक शुभ संकेत लग रहा है । रोमेश साहब को चाहिए इस मौके को अपने सोच के अनुसार भुनाने की । इस तरह की सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
Last edited:

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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एक नया किरदार -- शंकर नागा रेड्डी, और उसकी भी वही समस्या! भाई, ये रोमेश साइकोपैथिक खूनियों का “चुम्बक” बन गया है!
इस बार तो वो रोमेश को ही खून करने को कह रहा है। और पच्चीस लाख की पेशकश भी है! सीमा को जो चाहिए, तो ये शख़्श दे रहा है।
और खून करना है, जनार्दन नागा रेड्डी का! दोनों भाई हैं क्या?
फिजिकल खून करना है या पोलिटिकल?
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
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अपडेट 1

अंधेरे को चीरती हुई एक कार , जो की बोहोत ही तेजी से अपने गन्तव्य की ओर बढी जा रही थी।
कि अचानक कार के ब्रेक चीख पडें!!

कार के ब्रेकों के चीखने का शोर इतना तीव्र था कि अपने घोंसलों में सोते पक्षी भी फड़फड़ा कर उड़ चले ।
रात की नीरवता खण्ड-विखण्ड हो कर रह गयी ।


"क्या हुआ ?" सेठ कमलनाथ ने पूछा!

"एक आदमी गाड़ी के आगे अचानक कूद गया।

" ड्राइवर ने थर्राई आवाज में उत्तर
दिया , "मेरी कोई गलती नहीं सेठ जी ! मैंनेतो पूरी कौशिश की ।"

"अरे देखो तो , जिन्दा है या मर गया !"

ड्राइवर ने फुर्ती से दरवाजा खोला । हेडलाइट्स अभी भी ऑन थी , वह ड्राइविंग सीट से उतरकर आगे आ गया । गाड़ी के नीचे एक व्यक्ति औंधा पड़ा था , उसके जिस्म पर आगे के पहिये उतर चुके थे ।
चूँकि पहियों के बीच में अन्धेरा था ,
इसलिये कुछ ठीक से नजर नहीं आ रहा ...।"

"जी के बच्चे जो मैं कह रहा हूँ, वह कर, नहीं तो तू सीधा अन्दर होगा ।"
"लेकिन सेठ जी , कपड़े क्यों ?"

"सवाल नहीं करने का , समझे ! जो बोला वह करो।"
इस बार सेठ कमलनाथ मवालियों
जैसे अन्दाज में बोला ।

सोमू ने डरते हए कपड़े उतार डाले । इसी बीच सेठ कमलनाथ ने अपने भी कपड़े उतारे
और खुद कार की पिछली सीट पर आ गया । उसने कार में रखी एक चादर लपेट ली ।

"मेरे कपड़े लाश को पहना दे सोमू ।" सेठ कमलनाथ ने खलनायक वाले अन्दाज में कहा ।

"सोमू के कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है ? अपने मालिक का हुक्म मानते हुए उसने सेठ कमलनाथ के कपड़े लाश को पहना दिये ।

"मेरी घड़ी , मेरी अंगूठी , मेरे गले की चेन भी इसे पहना दे ।"
कमलनाथ ने अपनी घड़ी , चेन और अंगूठी भी सोमू को थमा दी ।

सोमू ने सेठ कमलनाथ को ऐसी निगाहों से देखा , जैसे सेठ पागल हो गया हो !! फिर उसने वह तीनों चीजें भी लाश को पहना दी ।

"अब कार में आजा ...।"

सोमू कार में आ गया ।

"इसका चेहरा इस तरह कुचल दे, जो पहचाना न जा सके ।"

सोमू ने यह काम भी कर दिखाया । इस बीच वह हांफने भी लगा था । चादर ओढ़े सेठ ने एक बार फिर लाश का निरीक्षण किया और फिर से गाड़ी में आ बैठा ।

"हमें किसी ने देखा तो नहीं ?"

"इतनी रात गये इस सड़क पर कौन आयेगा ।"

"हूँ !! चलो ! छुट्टी हुई, मैं मर गया ।"

"क… क्या कह रहे हैं ?"

"अबे गाड़ी चला , रास्ते में तुझे सब बता दूँगा कि सेठ कमलनाथ कैसे मरा और किसने मारा , चल बेफिक्र हो कर गाड़ी चला ।"

गाड़ी आगे बढ़ गई, इसके साथ ही सेठ कमलनाथ का कहकहा गूँज उठा ।।

इस घटना के कुछ समय बाद :

जब सेठ कमलनाथ की मौत का समाचार बासी हो चुका था , किसी को अब उस हादसे में कोई दिलचस्पी भी नहीं थी । लोगों की आदत होती है, बड़े-बड़े हादसे चंद दिन में ही भूल जाते हैं । और फिर कमलनाथ ऐसा महत्वपूर्ण व्यक्ति भी नहीं था , जो चर्चा में रहता ।

मुकदमा मुम्बई सेशन कोर्ट में पेश था ।
कटघरे में एक मुलजिम खड़ा था , नाम था सोमू !

"योर ऑनर ! यह नौजवान सोमू जो आपके सामने कटघरे में खड़ा है, एक वहशी हत्यारा है, जिसने अपने मालिक सेठ कमलनाथ का निर्दयता पूर्वक कत्ल कर डाला ।

मैं अदालत के सामने सभी सबूतों के साथ-साथ गवाहों को पेश करने की भी इजाजत चाहूँगा।"

"इजाजत है । "
जज ने अनुमति प्रदान कर दी ।

पब्लिक प्रोसिक्यूटर राजदान मिर्जा ने मुकदमे की पृष्ठभूमि से पर्दा उठाना शुरू किया ।

"उस रात सेठ कमलनाथ मुम्बई गोवा हाईवे पर सफर कर रहे थे । वह कारोबार की उगाही करके लौट रहे थे! और उनके सूटकेस में एक लाख रुपया नकद मौजूद था । रात के एक बजे जल्दी पहुंचने की गरज से ड्राइवर सोमू ने कार को एक शॉर्टकट मार्ग पर मोड़ा,
और एक सुनसान सड़क पर गाड़ी को ले गया । असल में मुजरिम का मकसद जल्दी पहुंचना नहीं था बल्कि वह तो सेठ को कभी भी घर न पहुंचने देने के लिए प्लान कर चुका था ।"

कुछ रुककर मिर्जा ने कहा ।

"योर ऑनर, सुनसान और सन्नाटेदार सड़क पर आते ही इस वफादार नौकर ने अपनी नमक हरामी का सबसे बड़ा सिला यह दिया कि सुनसान जगह कार रोककर सेठ से रुपयों का सूटकेस माँगा । सोमू उस वक्त रुपया लेकर भागजाने का इरादा रखता था , इसी लिये वह उस सुनसान सड़क पर पहुंचा , ताकि सेठ अगर चीख पुकार मचाए भी , तो कोई सुनने वाला न हो , कोई उसकी मदद के लिए न आये और यही हुआ ।

लेकिन सेठ ने जब पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने और भुगत लेने की धमकी दी , तो सोमू ने सेठ का कत्ल कर डाला ।

“जी हाँ योर ऑनर”, गाड़ी से कुचलकर उसने सेठ को मार डाला । यहाँ तक कि लाश का चेहरा ऐसा बिगाड़ दिया कि कोई पहचान भी न सके ।"

अदालत खामोश थी । लोग राजदान मिर्जा की दलीलें चुपचाप सुन रहे थे । किसी ने टोका -टाकी नहीं की ।

"लेकिन मीलार्ड, कहते हैं अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, उससे कोई-न-कोई भूल तो हो ही जाती है, और कानून के लम्बे हाथ उसी भूल का फायदा उठा कर मुजरिम के गिरेबान तक जा पहुंचते हैं ।

मुलजिम सोमू ने हत्या तो कर दी , लेकिन सेठ कमलनाथ के जिस्म पर उसकी शिनाख्त की कई चीजें छोड़ गया । अंगूठी , घड़ी और पर्स तक जेब में पड़ा रह गया । जिससे न सिर्फ लाश की शिनाख्त हो गई बल्कि यह भी पता चल गया कि उस रात सेठ एक लाख रुपया लेकर मुम्बई लौट रहा था ।

इसने सेठ कमलनाथ का कत्ल किया और लाश का हुलिया बिगाड़ने के लिए पूरा चेहरा गाड़ी के पहिये से कुचल डाला ।
इसलिये भारतीय दण्ड विधान धारा 302 के तहत मुलजिम को कड़ी -से-कड़ी सजा दी जाये ।


“दैट्स आल योर ऑनर ।"

सरकारी वकील राजदान मिर्जा ने मुलजिम के विरुद्ध आरोप दाखिल किया और अपनी सीट पर आ बैठा ।

"मुलजिम सोमू "

थोड़ी देर में न्यायाधीश की आवाज कोर्ट में गूंजी ,


"तुम पर जो आरोप लगाए गये हैं, क्या वह सही हैं ?"

मुलजिम सोमू कटघरे में निर्भीक खड़ा था । उसने एक नजर अदालत में बैठे लोगों पर डाली और फिर वह दृष्टि एक नौजवान लड़की पर ठहर गई थी , जो उसी अदालत के एक कोने में बैठी थी और डबडबाई आँखों से सोमू को देख रही थी ।
वहाँ से सोमू की दृष्टि पलटी और सीधा न्यायाधीश की ओर उठ गई ।

"क्या तुम अपने जुर्म का इकबाल करते हो ?" आवाज गूँज रही थी ।

"जी हाँ योर ऑनर ! मैं अपने जुर्म का इकबाल करता हूँ । वह हत्या मैंने ही की और एक लाख रूपए के लालच में की ।

मेरा सेठ बहुत ही कंजूस और कमीना था । मैंने उससे अपनी बहन की शादी के लिए कर्जा माँगा , तो उसने एक फूटी कौड़ी भी देने से इन्कार कर
दिया । उस रात मुझे मौका मिल गया और मैंने उसका क़त्ल कर डाला ।"

"नहीं..s..s..s. ।"

अचानक अदालत में किसी नारी की चीख-सी सुनाई दी । सबका ध्यान उस
चीख की तरफ आकर्षित हो गया ।

"सोमू झूठ बोल रहा है, यह किसी का कत्ल नहीं कर सकता , यह झूठ है ।"

कुछ क्षण पहले जो लड़की डबडबाई आँखों से सोमू को निहार रही थी , वह उठ खड़ी हुई ।

"तुम्हें जो कुछ कहना है, कटघरे में आकर कहो ।"

युवती अदालत में खाली पड़े दूसरे कटघरे में पहुंच गई ।

"मेरा नाम वैशाली है जज साहब” !
मैं इसकी बहन हूँ । मुझसे अधिक सोमू को कोई नहीं जानता , यह किसी की हत्या नहीं कर सकता ।"

"परन्तु वह इकबाले जुर्म कर रहा है ।"
"मीलार्ड ।"

सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ, "कोई भी बहन अपने भाई को हत्यारा
कैसे मान सकती है । जबकि मुलजिम अपने जुर्म का इकबाल कर रहा है, तो इसमें सच्चाई की कोई गुंजाइश ही कहाँ रह जाती है ।"

"मैं कह चुका हूँ योर ऑनर ! मैंने कत्ल किया है, मैं कोई सफाई नहीं देना चाहता और न ही यह मुकदमा आगे चलाना चाहता हूँ ।

वैशाली तुम्हें यहाँ अदालत में नहीं आना चाहिये था , तुम घर जाओ ।"
वैशाली सुबकती हुई कटघरे से बाहर आई और फिर अदालत से ही बाहर चली गई ।
अदालत ने अगली कार्यवाही के लिए तारीख दे दी ।

जारी रहेगा…✍✍
वाह क्या प्लान बनाया है सेठ कमलनाथ ने लेकिन क्यों और कोई अपनी ही हत्या का नाटक क्यों करेगा क्या इसमें कोई गहरी साज़िश है या किसी से छुटकारा पाना है... बहुत ही बेहतरीन शुरुआत है उम्मीद है आगे भी ऐसी ही धांसू अपडेट मिलते रहेंगे... भविष्य के लिए अग्रिम शुभकामनाएं 🎉
 

Ben Tennyson

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Update 2.

नेहरू नगर, मुम्बई गोरेगाँव ।
⁸उसी नगर की एक चाल में वैशाली का निवास था । उदास मन से वैशाली घर पहुंची । घर में अपाहिज बाप और माँ थी । उस समय घर में एक और अजनबी शख्स मौजूद था ।

वैशाली ने इस व्यक्ति को देखा , वह अधेड़ और दुबला -पतला आदमी था । सिर के आधे बाल उड़े हुये थे ।

"बेटी ये हैं करुण पटेल, सोमू के दोस्त ।"

"मेरे कू करुण पटेल बोलता ।

" वह व्यक्ति बोला, "तुम सोमू का बैन वैशाली होता ना ।"

"हाँ , मैं ही वैशाली हूँ । मगर आपको पहले कभी सोमू के साथ देखा नहीं ।"

"कभी अपुन तुम्हारे घर आया ही नहीं , देखेगा किधर से और अगर हम पहले आ गया होता , तो भी गड़बड़ होता ।"

"क्या मतलब ?"


"अभी कुछ दिन पहले तुम्हारे भाई ने हमको एक लाख रुपया दिया था । हम उसका पूरा सेफ्टी किया , इधर पुलिस वाला लोग आया होगा , उनको एक लाख रुपया का रिकवरी करना था । अब मामला फिनिश है, सोमू ने इकबाले जुर्म कर लिया ।
अब पुलिस को सबूत जुटाने का जरूरत नहीं पड़ेगा ।

देखो बैन तुम्हारा डैडी भी सेठ के यहाँ काम करता था , फैक्ट्री में टांग कट गया , तो उसको पूरा हर्जाना देना होता था कि नहीं ?"

"तो क्या सोमू ने सचमुच… ?"

"अरे अब आलतू-फालतू नहीं सोचने का । सेठ का मर्डर करके सोमू ने ठीक किया , साला ऐसा लोग को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं ।

अरे उसकू फांसी नहीं होगा और दस बारह साल अन्दर भी रहेगा , तो कोई फर्क नहीं पड़ता । तुम अपना शादी धूमधाम से मनाओ और किसी पचड़े में नहीं पड़ने का ।"

"लेकिन मेरा दिल कहता है, मेरा भाई काति ल नहीं हो सकता ।"

"दिल क्या कहता है बैन, उसको छोड़ो । अपुन की बात पर भरोसा करो , वो ही कत्ल किया है, माल हमको दे गया था । हम उसकी अमानत लेके आया है । हम तुम्हारा मम्मी डैडी को भी बरोबर समझा दिया , किसी लफड़े में पड़ेगा , तो पुलिस तुमको भी तंग करेगा ।

इसलिये चुप लगा के काम करने का , तुम्हारा डैडी -मम्मी ने जो रिश्ता देखा है, उन छोकरा लोग को बोलो कि शादी का तारीख पक्की करें ।
पीछे मुड़के नहीं देखने का है । काहे को देखना भई, इस दुनिया में मेहनत मजदूरी से कमाने वाला सारी जिन्दगी इतना नहीं कमा सकता कि अपनी बेटी का शादी धूमधाम से कर दे । नोट इसी माफिक आता है ।"

"बेटी ! अब हमारी फिक्र दूर हो गई, सिर का बोझ उतर गया । तेरे हाथ पीले हो जायेंगे, तो हमारा बोझ उतर जायेगा । सोमू के जेल से आने तक हम किसी तरह गुजारा कर ही लेंगे ।

"अच्छा हम चलता , कभी जरूरत पड़े तो बता ना । हमने माई को अपना एड्रेस दे दिया है । ओ.के. वैशाली बैन, हम तुम्हारी शादी पर भी आयेगा ।

"करुण पटेल चलता बना । उसके जाने के बाद वैशाली ने पूछा ।

"रुपया कहाँ है माँ ?"


"सम्भाल के रख दिया है ।"

"रुपया मेरे हवाले करदो माँ ।"

"क्यों , तू क्या करेगी ?"

"शादी तो मेरी होगी न, किसी बैंक में जमा कर दूंगी । "


वैशाली की माँ पार्वती देवी अपनी बेटी की मंशा नहीं भांप पायी । उसकी सुन्दर सुशील बेटी यूँ भी पढ़ी लिखी थी , बी .ए. करने के बाद एल.एल.बी . कर रही थी । लेकिन माँ इस बात को भी अच्छी तरह जानती थी , बेटी चाहे जितनी पढ़ लिख जाये पराया धन ही होती है और निष्ठुर समाज में बिना दान दहेज के पढ़ी- लिखी लड़की का भी विवाह नहीं होता बल्कि पढ़ -लिखने के बाद तो उसके लिये वर और भी महँगा पड़ता है ।"

"बेटी , तू इस पैसे को जमा कर आ, हमें कोई ऐतराज नहीं । वैसे भी घर में इतना पैसा रखना ठीक नहीं , जमाना बड़ा खराब है ।" पार्वती देवी ने रुपयों से भरा ब्रीफकेस वैशाली के सामने रख दिया ।


वैशाली ने ब्रीफकेस खोला । ब्रीफकेस में नये नोटों की गड्डियां रखी थी , वैशाली ने उन्हें गिना , वह एक लाख थे । उसने ब्री फकेस बन्द किया ।

"माँ , मैं थोड़ी देर में लौट आऊंगी ।"

"रुपया सम्भालकर ले जाना बेटी ।" अपाहिज पिता जानकी दास ने कहा।

"आप चिन्ता न करें डैडी ।"


वैशाली चाल से बाहर निकली । उसने बस से जाने की बजाय ऑटो किया और ऑटो में बैठ गई ।

"कि धर जाने का मैडम ।" ऑटो वाले ने पूछा ।

"थाने चलो ।"

"ठाणे, ठाणे तो इधर से बहुत दूर पड़ेला ।" ड्राइवर ने आश्चर्य से वैशाली को घूरा ।

"ठा _णे नहीं पुलिस स्टेशन ।" ऑटो वाले ने वैशाली को जरा चौंककर देखा , फिर गर्दन हिलाई और ऑटो स्टार्ट कर दिया ।

…………………………..जहां दो दिन पहले ही इंस्पेक्टर विजय ने गोरेगाव पुलिस स्टेशन का चार्ज सम्भाला था।

गोरेगांव में फिलहाल क्रिमिनल्स का ऐसा कोई गैंग नहीं था , जो उसे अपनी विशेष प्रतिभा का परिचय देना पड़ता । विजय अपने जूनियर ऑफिसर सब-इंस्पेक्टर बलदेव से इलाके के छंटे -छटाये बदमाशों का ब्यौरा प्राप्त कर रहा था ।

"दारू के अड्डे वालों का तो हफ्ता बंधा ही रहता है सर ।"

"हूँ ।"

"वैसे तो इलाके में हड़कम्प मच ही गया है, बदमाश लोग इलाका छोड़ रहे हैं, सबको पता है कि आपके इलाके में ये लोग धंधा नहीं कर सकते । हमने नकली दारू वालों को बता दिया है कि धंधा समेट लें, जुए के अड्डे भी बन्द हो गये हैं ।"

"ये लोग क्या अपनी सोर्स इस्तेमाल नहीं करते ।"

"आपके नाम के सामने कोई सोर्स नहीं चलती सबको पता है ।"

इंस्पेक्टर विजय अभी यह सब रिकार्ड्स देख ही रहा था कि एक सिपाही ने आकर सूचना दी कि कोई लड़की मिलना चाहती है ।

"अन्दर भेज दो ।" विजय ने कहा ।

कुछ ही सेकंड बाद हरे सूट में सजी-संवरी वैशाली ने जैसे स्टेशन इंचार्ज के कक्ष में हरियाली फैला दी । विजय ने वैशाली को देखा तो देखता रह गया ।
वैशाली ने भी विजय को देखा तो ठगी -सी रह गई ।

"बलदेव !"
विजय को सहसा कुछ आभास हुआ,"जरा तुम बाहर जाओ ।

" बलदेव ने वैशाली को सिर से पाँव तक देखा । उसकी कुछ समझ में नहीं आया , फिर भी वह उठकर बाहर चला गया ।

"बैठिये ।" विजय ने सन्नाटा भंग किया । वैशाली ने विजय के चेहरे से दृष्टि हटाई, "अ… आप मेरा मतलब।"

"हाँ , मैं विजय ही हूँ ।" विजय के होंठों पर मुस्कान आ गई, "बैठिये !"

वैशाली कुर्सी पर बैठ गई । "हाँ , मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा है ।"

"बहुत कम सर्विस है मेरी और इस कम सर्विस में ही मैंने अच्छा काम किया है वैशाली।"

"आपको इस रूप में देखकर मुझे बेहद खुशी हुई ।"


"तुम यहीं रहती हो वैशा ली ?"

"नेहरू नगर की चाल नम्बर 18 में ।"

"इन्टर तक तो हम साथ-साथ पढ़े, मेरा इसके बाद ही पुलिस में सलेक्शन हो गया था और मैं पुलिस ऑफिसर बन गया ,

" कैसा लगता हूँ पुलिस ऑफिसर के रूप में ?"

"बहुत अच्छे लग रहे हो विजय ।"

"क्या तुम्हा री शादी हो गई ?" विजय ने पूछा ।

"नहीं । " वैशाली ने उत्तर दिया ।

"मेरी भी नहीं हुई ।"

वैशाली की आँखें शर्म से झुक गई ।

''अरे हाँ , यह पूछना तो मैं भूल ही गया , तुम यहाँ किस काम से आई हो।"

"दरअसल मैं आपको … ।"

''यह आप-वाप छोड़ो , पहले की तरह मुझे सिर्फ विजय कहो । अच्छा लगेगा ।"

वैशा ली मुस्करा दी । "पहले तो बहुत कुछ था , मगर… ।"


"अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, खैर यह घरेलू बातें तो किसी दूसरी जगह होंगी , फिलहाल तुम यह बताओ कि पुलिस स्टेशन में क्यों आना हुआ ?"

वैशाली ने ब्रीफकेस विजय के सामने रख दिया और फिर सारी बात बता दी।

विजय ध्यानपूर्वक सुनता रहा । सारी बात सुनने के बाद विजय बोला ,

"एक तरफ तो तुम्हारा दिल गवाही दे रहा है कि सोमू ने कत्ल नहीं किया । दूसरी तरफ यह रुपया चीख-चीख कर कह रहा है कि सोमू ने ही कत्ल किया है, और कानून कभी जज्बात नहीं देखता , सबूत देखता है ।
नो चांस, इकबाले जुर्म के बाद क्या बच जाता है ।"

"असल में मैं यहाँ पुलिस से मदद लेने नहीं यह लूट का माल जमा करने आई थी , ताकि अगर मेरे भाई ने सचमुच खून किया है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिल सके, और मैं इस दौलत से अपनी मांग भी नहीं सजा सकती ।"

"मैं जानता हूँ वैशाली तुम शुरू से ही कानून का सम्मान करती हो , फिर भी मैं तुम्हें एक निजी मशवरा दूँगा , बेशक यह रुपया तुम पुलिस स्टेशन में जमा कर दो , मगर एक बार किसी अच्छे वकील से मिलकर उसकी पैरवी तो की जा सकती है ।"

"इकबाले जुर्म और इस सबूत के बाद भी क्या कोई वकील उसे बचा सकता है ?"

"हाँ , बचा सकता है । इस शहर में एक वकील है रोमेश सक्सेना । वह अगर इस केस को हाथ में ले लेगा , तो समझो सोमू बरी हो गया । रोमेश की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह आज तक कोई मुकदमा हारा नहीं है, रोमेश की दूसरी विशेषता यह है कि वह मुकदमा ही तब हाथ में लेता है, जब उसे विश्वास हो जाता है कि मुलजिम निर्दोष है ।"


"क्या बात कह रहे हो , किसी भी वकील को भला इस बात से क्या मतलब कि वह किसी निर्दोष का मुकदमा लड़ रहा है या दोषी का ?,
मुकदमा लड़ना तो उसका पेशा है ।"


"यही तो अद्भुत बात इस वकील में है, वह जरायम पेशा लोगों की कतई पैरवी नहीं करता । वैसे तो वह मेरा मित्र भी है, लेकिन तुम खुद ही उससे सम्पर्क करो , मैं उसका एड्रेस दे देता हूँ, वह बांद्रा विंग जैग रोड पर रहता है।"

"यह रुपया ।"

"रुपया तुम यहाँ जमा कर सकती हो, अगर यह लूट का माल न हुआ, तो तुम्हें वापि स मिल जायेगा , लेकिन तुम रोमेश से तुरन्त सम्पर्क कर लो , उसके बाद मुझे बताना , कल मैं ड्यूटी के बाद तुमसे मिलने घर पर आऊँगा ।

" वैशाली जब पुलिस स्टेशन से बाहर निकली , तो उसका मन काफी कुछ हल्का हो गया था । किस्मत ने उसे एक बार विजय से मिला दिया था ।

इंटर तक दोनों साथ-साथ पढ़े थे । वह बड़ौदा में थी उस वक्त, फिर परिवार मुम्बई आ गया और वैशाली का बीच में एक वर्ष बेकार चला गया। उसने पुनः अपनी शिक्षा जारी रखी । वह विजय से प्यार करती थी , विजय भी उसे उतना ही चाहता था , परन्तु उस वक्त यह प्यार मुखरित नहीं हो पाया ।
इस अधूरे प्यार के बाद दोनों कभी नहीं मिले और आज संयोग ने उन्हें मिला दिया था ।

"क्या विजय आज भी मुझे उतना ही चाहता है ?" यह सोचती हुई वह अपने आप में खोई बढ़ी चली जा रही थी ।


जारी रहेगा..✍✍️
बहुत ही बढ़िया अपडेट भाई पुरानी मोहब्बत का सामने आना भी मुकम्मल इश्क़ की पैरवी होना ही है.... देखते हैं अब वकील साहब क्या नया एंगल लेकर आते हैं इस कहानी में
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Maza aa gya. Ye SSP wala scene to Singham movie ki yad dila diya.... Mast update
Thank you very much priye aapke is pyare review and support ke liye💖💖 itne din kaha gayab thi aap? 13 tak update ho chuke hai or agley ki taiyari chal rahi hai. Thank you 💐
 

Raj_sharma

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वाह क्या प्लान बनाया है सेठ कमलनाथ ने लेकिन क्यों और कोई अपनी ही हत्या का नाटक क्यों करेगा क्या इसमें कोई गहरी साज़िश है या किसी से छुटकारा पाना है... बहुत ही बेहतरीन शुरुआत है उम्मीद है आगे भी ऐसी ही धांसू अपडेट मिलते रहेंगे... भविष्य के लिए अग्रिम शुभकामनाएं 🎉
Thank you very much ❣️ bhai Ben Tennyson ab aisa kyu hai iska jabaab aapko aage ke update me mil jayega, aap padhte rahiye👍
 

Raj_sharma

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बहुत ही बढ़िया अपडेट भाई पुरानी मोहब्बत का सामने आना भी मुकम्मल इश्क़ की पैरवी होना ही है.... देखते हैं अब वकील साहब क्या नया एंगल लेकर आते हैं इस कहानी में
Mohabbat to mohabbat hai bhai kya nai kya purani :D Is kahani ka main hiro vijay or vakeel hi to hai, thank you very much for your wonderful review and support 💐💖
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ye 25 lakh ka offer kuch sus lag raha hai, aur wo bhi itne satik mauke pe, jab Romesh ki patni use chodke gayi...
Yahi to me soch raha hu ki ye kaise ho raha hai??? Romesh ki biwi usko chodker kyu gai??

Thank you so much for your valuable review and support DesiPriyaRai ❣️
 

Raj_sharma

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रोमेश साहब की इमानदारी और उनके पेशे के प्रति सच्चाई की दाद तो बनती है शर्मा जी । ऐसे डिफेंस लाॅयर कहां मिलेंगे जो सिर्फ बेगुनाह और बेकसूर मुल्जिम का केस अपने हाथ मे लेते हैं !
हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट मे दो ऐसे विश्व विख्यात लाॅयर हैं जो सिर्फ मुजरिम , गुनाहगार , रेपिस्ट , भ्रष्टाचार मे लिप्त पाए गए लोग , खुनी और आतंकवादियों का केस का ही डिफेंड करते हैं । और ताज्जुब यह कि यह लोग समाज के संभ्रांत वर्ग मे गिने जाते हैं ।

वैसे इमानदार होना बहुत अच्छी बात है लेकिन बेवकूफ होना अच्छी बात नही मानी जाती और वह भी एक पढ़े लिखे इंसान को । ऊपर से तब जब वह एक फेमस वकील भी हो ।
मैने पहले भी कहा कि सता पर काबिज लोगों से आप तभी लड़ सकते हैं जब आपके साथ जनता की ताकत होती है ।
चीफ मिनिस्टर कोई अव्वल दर्जे का बिजनेस मैन नही , कोई आम सेलिब्रिटी नही , कोई आम राजनेता नही जिसे आप येन-केन-प्रकारेण आखिरकार मसल ही दें !

रोमेश साहब का अपनी पत्नी सीमा मैडम के प्रति ' तुलसीदास ' अवतार भी मेरे समझ से परे है । उनकी वजह से उनकी पत्नी को कुछ शारीरिक चोट आई , समझ मे आता है । उनकी वजह से उन्हे जिल्लत का सामना करना पड़ा यह भी समझ मे आता है । उनकी पत्नी घर छोड़कर चली गई यह भी समझ मे आने लायक है । लेकिन उनका पच्चीस लाख रुपए डिमांड करना कहीं से भी गले नही उतर रहा है । क्या फायदा उन पच्चीस लाख रुपए का जब उनकी आबरू ही लूट लिया जाए और उनकी आत्मा परमात्मा मे विलीन हो जाए !

जनार्दन साहब के एक प्रतिद्वंदी शंकर साहब ने रोमेश साहब को एक लुभावनी ऑफर दी कि वो जनार्दन साहब का राम नाम सत्य कर दें । यह बंदा जरूर उनका रिश्तेदार लगता है और शायद पोलिटिकल नेता भी । शायद उसकी नजर चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर होगी ।
यह एक शुभ संकेत लग रहा है । रोमेश साहब को चाहिए इस मौके को अपने सोच के अनुसार भुनाने की । इस तरह की सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
आपके इस प्यारे रिव्यू के लिए बोहोत बोहोत आभार SANJU ( V. R. ) भाई, आपका अनुमान कुछ हद तक ठीक भी है, देखते है आगे क्या हो सकता है? साथ बनाए रखना भाई वैसे संकर वाले मामले मे हो सकता है आपका अनुमान सही भी ? Thank you very much for your wonderful review and support :dost: ❣️
 
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