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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#123.

श्वेत महल:
(8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)

कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।

चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।

पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?

“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।

..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”

यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।

कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।

लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।

यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।

जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।

अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।

चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।

चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।

यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।

कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।

मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।

कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।

कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।

गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।

माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।

हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।

पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।

पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।

कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।

हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।

कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।

“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।

कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।

समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।

आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।

काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।

पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।

उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।

उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।

“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?

कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।

“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।

वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।

पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”

“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।

“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”

कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”

“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”

“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”

यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”

विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।

मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।

चैपटर-7

मैग्ना शक्ति:
(13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)

खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।

जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।

एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।

“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।

“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”

“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”

सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।

“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।

“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”

क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-

“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।

इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।

फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”

क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।

उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”

तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।

सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।

वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।

“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”

अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।

फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।

जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।

अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।

शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।

“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।

जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।

पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।

सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?

पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।

शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।

तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।

यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”

लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।

यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।

सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।

“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।

उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।

यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।

पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।

“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।

पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।

कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।

शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।

“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।

“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।

“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।

थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।

शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।

झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।


जारी रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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मोडरेटर साहब , आप लोगों का तो हमे पता नही पर हम जैसे साधारण लोगों के लिए इस फोरम को ओपन करना बहुत मुश्किल हो गया है ।
कभी-कभार तो लगता है यह फोरम भी गाॅसिप की तरह शट डाउन हो जाएगा । फिलहाल यह फोरम ओपन तो हो रहा है , लेकिन हर पन्द्रह मिनट बाद प्रोब्लम भी पैदा हो रही है । नेक्स्ट पेज ओपन करने के लिए कभी पीछे तो कभी आगे के पेज पर जाना पड़ रहा है । कुछ कमेंट करो तो कमेंट पोस्ट करने मे दिक्कतें आ रही है ।
बहरहाल , जैसा कि मैने पहले भी कहा है आप बहुत सुंदर लिख रहे है और वह सुन्दरता हर अपडेट के बाद और भी बढ़ती जा रही है ।
इस अटलांटिस सभ्यता के अराका और समारा द्वीप मे , खासकर अराका द्वीप के मायावन मे एक से बढ़कर एक चमत्कारिक घटनाएं देखने को मिल रही है ।
डायनासोर प्रकरण देखकर ' जुरासिक पार्क ' और ' द लास्ट वर्ल्ड ' की यादें ताजा हो गई ।

जहां तक बात है वेगा की , इसकी हत्या करने की कोशिश निरंतर जारी है लेकिन इसका कारण क्या है ? कौन इसकी हत्या करना चाहता है । अब दो नए किरदार भी इस लिस्ट मे शामिल हो गए जो इन साहबान के जान के पीछे पड़े हैं - धरा और मयूर । यह लोग वेगा के जान के पीछे क्यों पड़े है ?

क्रिस्टी के लख्ते जिगर एलेक्स साहब को जिंदा देखकर बहुत खुशी हुई पर यह खुशी कपूर की माफिक छर्र से उड़ गई । साहब आसमान से गिरकर खजूर पर आ टपके है ।

सम्राट के सिर्फ शायद छ पैसेंजर बचे हैं । देखते हैं एलेक्स साहब अगले शिकार होते है या फिर अंत तक कैप्टन सुयश साहब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मायावन का तिलिस्म तोड़ते है !

सुयश साहब के लिए एक शेर अर्ज है -
" कैद मे है बुलबुल सैय्यद मुस्कराए ,
कहा भी न जाए , चुप रहा भी न जाए । "
सुयश उर्फ आर्यन साहब की बुलबुल सदियों से कैद मे है । कम से कम कुछ तो ऐसा करें कि साहब के चेहरे पर मुस्कराहट आता दिखे !

सभी अपडेट बेहद ही खूबसूरत थे शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

Abhi tak 11 update tak hi pahuchi ju ne bhut update de diye i m too slow btw nice story

Are wah tab toh zaroor padhugi 😍

बहुत ही जबरदस्त शानदार लाजवाब और अद्भुत रमणिय रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Agar ready hai toh de Dena update ki baat ho rahi hai .

Mstt update 👌👌👌
Dekhte hain aage kya kya रहस्य छुपा हुआ है

Awe

Awesome update and nice story

Ye gonjalo wahi hai na, jo makota ka bhediya jaisa sevak hai??🤔 batao usme bhi itni sakti hai? To makota me kitni hogi? Aur uss shetaan me kitni jisko wo jinda karna chahte hai?🤯
Awesome update and superb story bhai ji 👌🏻👌🏻

अद

अद्भुत अद्भुत अद्भुत बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Maza aa gya bhai update padhkar agle update ka intezar h ab

Shandar update bro

Bhut hi badhiya update Bhai
To klika ne sabhi darvajo ko par karke prkash shakti hashil kar li or uske tarko ko sunkar yakshraj ne use ek vardan bhi de Diya
Vahi dusri or jenith ki vajah se sabhi ki jaan bach gayi
Dhekte hai ab aage kya hota hai

Nice update....

nice update

Awesome update and nice story

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

Sabhi ne ek behad hi khatarnak musibat ko paar kiya hai par ye musibat ka ant nahi hai phir se inke samne ek nayi musibat kaise aur kis roop mein aa jayegi kisi ko nahi pata hai, they will have to be very careful till the end.

Wonderful and lovely update brother 🌹 🌹

Gajab ka update👌👌🔥🔥

Lets review Begin's
Toh kalika madam ne fourth aur fifth question ke answer bhi dediye aur prakash shakiti ko hasil bhi kiya .
Aur sath mein yaksh maharaj ne ek additional wish bhi diya aur wo wish ek heem shakti ke roop meon kalika ke bache ko diya .

Yaha kalika ke bache ko bhi mention kiya toh samjh aagaya ki kalika ki beti bhi story mein important rahegi .

Then mera yaha question hai ki story ke character ko aise khatarnaak khatarnaak power mil rahi toh kya iss story ka villian itna powerful hai ki usee harane ke liye sare tatv ki shakti ko ikhatha kiya jaraha hai .

Background mein set bahut hogaya
ab real mein ab dheere sare character ki kadiya judne ko dekhne ke liye aatur hu .

Then baat kare suyash ki toh suyash and team har khatre ko paar kar apni manjil ki aur ja rahe hai lekin mujhe inka safar ab todha lamba lagne laga , ek tarah ye nayi musibat mein faste aur fir musibat par kar bach bhi jate hai .
Yaha mujhe lag raha ki inka itni sari musibaat par karna issilye horaha kyuki ye antim yudd ke liye taiyaar ho rahe hai.

Overall update hamesha ki tarah shandaar
Waiting for more
lekin mein yaha story mein small small dhamake ji Jagah ek bada dhamaka jisse sab shock hojaye iss ke intazaar mein hu .

बहुत ही सुंदर update....

romanchak update. kalika ne sabhi sawalo ka sahi jawab diya aur apne buddhi aur sanyam ka parichay dete huye Prakash shakti ko prapt kar liya jisse gyan ka Prakash faila sake ..par uske ladki ka naam nahi pata chal paya jisko himshakti ka vardan diya yaksh ne ..

khunkhar chitiya aur uske baad khooni tejaab ki barish se bach paaye sab sirf jenith ki wajah se ..ab aage aur kya musibat aayegi dekhte hai ..

Nice update....

राज भाई मुझे तो यह चैप्टर सभी से मजेदार लगा त्रिकाली और व्योम का एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधना
पर बिचारे व्योम को तो मालूम ही नहीं है कि उसने त्रिकाली को जो रक्षा सूत्र बांधा एंव बंधवाया है वह त्रिकाली और व्योम को एक दूसरे से जोड़ दिया है जिसे देवी काली ने भी स्वीकार कर लिया है

Sign in nahi ho raha tha isliye mujhe password create karna pada dekhte hain phir se google sign hota hai ya nahi.

Addicted ko pm nahi kiya hai lekin ask staff section mein query file kar diya hai.

Bahut hi behtareen update he Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar Kalika ne prakashshakti ko prapt kar hi liya aur apni beti ke liye Himshakti bhi lel li.............

Suyash and party ka musbato ke sath choli daman ka sath ho gaya he.........

Keep rocking Bhai

115:
भाई चाहे कुछ कहो - कई तीर्थों में मैंने भव्य आरतियाँ होती देखी हैं। सच में, शंख, घंटे, ढोल, मृदंग इत्यादि की ध्वनियाँ जब गूंजती हैं, तो ऐसा माहौल बनता है कि क्या कहें! एकदम दिव्य! मन कहीं और ही चला जाता है। आपने उतना बड़ा लिखा नहीं - कहानी का वो उद्देश्य ही नहीं है - लेकिन अगर लिखते, तो आनंद आ जाता! :)

गुरुत्व शक्ति व्योम को मिली, उधर उस डिबिया में वापस भी आ गई। यह रोचक बात है। जैसा कि आपने एक्सप्लेन किया है, कि अगर गुरुत्व शक्ति किसी सुयोग्य व्यक्ति को मिलती है - हमारे केस में ‘व्योम’ को - तो वो उसका रिप्लेसमेंट भी वापस अपने सही स्थान पर चला जाता है। बढ़िया। पॉजिटिव मल्टिप्लिकेशन! 👍

चिकनी अंडाकार चट्टानें - यह सुनते ही मुझको पहला शब्द जो चमका वो था “अंडे”! हा हा! 😂

टेरोसौर (Pterosaur) उड़ने वाले डायनासौर की एक प्रजाति थी। शायद कुछ पाठकों को न मालूम हो, लेकिन वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आधुनिक चिड़ियें, दरअसल, डायनासौर से ही विकसित हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया की कुछ चिड़ियाँ, जैसे, ऐमू, कैसोवरी, या फिर अफ्रीका के ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग) देखने में डायनासौर जैसे ही प्रतीत होते हैं।

ख़ैर…

वर्णन थोड़ा अतिशय लगा - स्पीलबर्ग की जुरैसिक पार्क फिल्मों जैसा! छोटे चूज़े बहुत निर्बल होते हैं, ख़ास कर बड़ी प्रजाति के चिड़ियों के। वो पूरी तरह से अपनी माँ / पिता पर आश्रित होते हैं खाने पीने के लिए। उनके लिए ऐसे शिकार कर पाना... अगर असंभव नहीं है, तो देखा नहीं गया है। बेहतर होता आगर आप बड़े टेरोसौर को यह करते दिखाते।

कहाँ सोचा था कि तौफ़ीक़ नपेगा, लेकिन यहाँ तो अल्बर्ट ही चला गया। 😢


अल्बर्ट के जाने से अब इस ग्रुप को वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि देने वाला कोई नहीं बचा। शेफ़ाली तार्किक रूप से संपन्न है, लेकिन उसका अलग महत्त्व है।


116:
यार वो मछली गायब कैसे और किधर हो गई? पहले और दूसरे वार से वेगा को जोडिएक घड़ी ने बहुत हद तक बचा लिया। लेकिन प्रश्न ये है कि इतने कम समय में इतनी बार हमला! वेगा को मार कर किसको क्या हासिल होने वाला है? जिस तरह से मछली और नाग गायब हुए हैं, यह बहुत ही रहस्यमय है।

लेकिन सांड़ नहीं गायब हुआ? वो कैसे? छुट्टा सांड़ अमेरिका की सड़कों पर यूँ नहीं घूमते।

लेकिन… अब दोहरी मुसीबत एक साथ ही वेगा के सर पर मँडरा रही है।

117:
एलेक्स ज़िंदा है? हम्म्म!

एक तो अनगिनत पात्र हैं और थोक के भाव मर रहे हैं; ऐसे में किस किस का ब्यौरा रखा जाए भला! :confused3:

एलेक्स की हरकत समझ नहीं आई - पहले तो भाई का पृष्ठभाग मेडुसा को देख कर फ़ट गया, फिर वो उसका पीछा भी करने लगा। अरे यार - कोई मुसीबत के पीछे जान-बूझ कर क्यों जाना चाहेगा? इस समय उसकी हालत आसमान से गिरे, खजूर पर अटके जैसी ही है।

फिर भी उंगली करने की गज़ब की खुजली है उसमें।

विषधर ने सही कहा - एलेक्स सौ फ़ीसदी मूर्ख है। घंटा कोई अच्छाई है उसमें - पहले बार-बार बार-बार उंगली करना, फिर बोलने वाले सर्प की बात मानना (ओल्ड टेस्टामेंट और कृष्ण लीला की कहानियों से भी कुछ नहीं सीखा इसने)! लेकिन विषधर के बचने से क्या प्रभाव होगा? देखने वाली बात रहेगी।

118:
क्रिस्टी की हिम्मत और हौसले, तेजी और बुद्धिमत्ता की दाद देनी ही पड़ेगी। सच में - यही सब तो मनुष्य के हथियार हैं। इन्ही के बल बूते पर उसने इस आधुनिक संसार की रचना करी है।

वाह भाई! 👏

119:
यार ये बात समझ में नहीं आई कि इतना खतरा होने पर भी राजकुमारी त्रिकाली महादेवी की पूजा करने क्यों निकले?

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।” -- हो सकता है, होना भी चाहिए -- लेकिन जिस समय आपने यह लिखा, उस समय असंभव है। जब गाँ* फटती है, तो किसी पर मोहित होने वाला विचार सबसे अंत में आता है। इस समय त्रिकाली को व्योम की मदद करने का विचार आना चाहिए था। इसलिए थोड़ा अटपटा लगा यहाँ।

हाँ - गोंजालो की पराजय के बाद वो व्योम पर मोहित होती, तो सब समझ में आता।

तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!! 😂😂

त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा! 😂😂👏

120:
सुयश को भी पाने बुद्धि कौशल को आजमाने का मौका मिला।

121:
आपने रूपकुण्ड झील के बारे में लिखा - मैंने वहाँ दो बार ट्रेक किया है (करीब बीस साल पहले)। क़रीब साढ़े सोलह हज़ार फ़ीट ऊँचाई पर है यह और त्रिशूल और नंदा-घुंटी पीक्स के बीच है। बहुत बड़ी नहीं है - कोई 38-40 मीटर ही होगा इसका डायमीटर। गोल नहीं है, अंडाकार है। लेकिन एक छोटी झील के लिए इसकी गहराई में बहुत अंतर रहता है - शायद 3 से 50 मीटर तक! ट्रेकिंग करते समय बेदनी बुग्याल (बहुत ही सुन्दर जगह… यहाँ पर ब्रह्म कमल मिलते हैं), भगवाबासा, कालु विनायक स्टॉप्स आते हैं। कालु विनायक में भगवन गणेश की काले रंग की मूर्ति है। इसलिए उसका नाम यह है।

जिन नर कंकालों का आपने ज़िक्र किया है, उनके दो समय काल बताए जाते हैं। नौवीं (राजजात यात्रा उसी समय शुरू हुई थी, इसलिए यह इंडिकेशन होता है ये लोग धार्मिक यात्रा पर आए हुए थे) और उन्नीसवीं शताब्दी (इनका डीएनए टेस्ट बताता है कि ये लोग ईस्टर्न मेडिटेरेनियन से रहे होंगे)। यह एक बेहद महत्वपूर्ण झील है, जिसका समुचित संरक्षण होना चाहिए। लेकिन ढीली ढाली सरकारों और लम्पट ट्रेकर्स, टूरिस्ट्स, और धर्म-यात्रियों के चलते, झील को बहुत नुक़सान हो रहा है। झील क्या, हर चीज़ को। बीस साल पहले जब गया था वहाँ, तो बेदनी बुग्याल में ढेरों ब्रह्म कमल मिलते थे, लेकिन तीन साल पहले एक मित्र वहाँ गए, उनको एक नहीं दिखा।

कलिका --- अनंत किरदारों की फ़ेहरिस्त में एक और!!

कलिका का द्वार चुनाव और तर्क बहुत बढ़िया लगा। मेरा भी यही तर्क था।
मेरे हिसाब से उस स्त्री को “पति के सर और भाई के धड़” वाले व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसकी चेतना, स्मृतियों, और व्यक्तित्व से बनती है, जो उसके मस्तिष्क में निहित होती हैं। पति के सर वाला व्यक्ति उस स्त्री का वैवाहिक साथी है, जिसके साथ उसका भावनात्मक और सामाजिक बंधन है। विवाह में संतान आवश्यक हैं, लेकिन कहानी में स्त्री के संतानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए यह कह नहीं सकते कि उसकी कोई संतान है या नहीं। अतः, यह भी मान सकते हैं कि स्त्री और उसके पति की संतान हो चुकी हों और उन्होंने अपना ऋण उतार दिया है।

122:
कलिका के तर्क वितर्क के लिए, “अहो,” “अहो,”! देवि, तुम धन्य हो!
मैं भी महर्षि व्यास को चुनता, क्योंकि गुरु ही “प्रकाश” का अर्थ समझाते हैं… प्रकाश (ज्ञान) और अन्धकार (जड़ता) के भेद को बताते हैं।


Raj_sharma राज भाई - यह कहानी न केवल मनोरंजन ही करती है, बल्कि नीति, दर्शन, और संस्कृति से परिचय भी कराती है। सच में - फ़ोरम तो क्या, बाहर बड़े बड़े नामचीन लेखकों की लिखी कहानियों/उपन्यासों में से भी कोई भी इसके निकट नहीं फ़टकती दिखती। यह एक कालजयी रचना है भाई!

अति उत्तम! वाह! वाह! 👏👍♥️

आपने इसके लिए न जाने कितना शोध किया होगा! और फिर उनको अपनी कल्पना के तार से पिरोया! अत्यंत कठिन कार्य है।
रचना को निःशुल्क हमारे संग साझा कर रहे हैं, हमको आपका धन्यवाद करना चाहिए! 🙏

वैसे, इस बार भी मैंने फिर से फ़ूफागिरी (जबरदस्ती का ज्ञान बघारू) दिखा दी। 😂😂😂😂

Raj_sharma bhai update waiting :waiting:

Update Posted Friends :declare:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Mujhe pata hai ki aap me se kuch ko aaj thodi nirasha hogi, kyunki maine 2 part ek sath dikhaye, aur dono me hi kadiya kuch adhuri si rahi, per yakeen maniye kahani ko har aur se aage badhane ke liye ye bhi jaruri tha, mere khayal se agle update ke baad sab patri pe aa jayega:hmm2:
 

kas1709

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#123.

श्वेत महल:
(8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)

कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।

चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।

पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?

“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।

..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”

यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।

कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।

लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।

यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।

जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।

अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।

चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।

चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।

यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।

कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।

मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।

कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।

कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।

गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।

माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।

हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।

पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।

पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।

कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।

हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।

कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।

“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।

कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।

समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।

आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।

काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।

पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।

उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।

उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।

“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?

कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।

“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।

वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।

पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”

“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।

“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”

कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”

“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”

“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”

यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”

विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।

मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।

चैपटर-7

मैग्ना शक्ति:
(13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)

खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।

जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।

एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।

“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।

“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”

“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”

सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।

“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।

“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”

क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-

“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।

इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।

फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”

क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।

उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”

तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।

सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।

वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।

“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”

अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।

फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।

जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।

अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।

शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।

“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।

जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।

पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।

सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?

पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।

शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।

तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।

यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”

लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।

यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।

सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।

“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।

उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।

यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।

पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।

“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।

पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।

कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।

शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।

“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।

“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।

“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।

थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।

शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।

झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।


जारी रहेगा______✍️
Nice update....
 

parkas

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श्वेत महल:
(8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)

कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।

चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।

पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?

“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।

..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”

यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।

कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।

लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।

यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।

जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।

अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।

चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।

चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।

यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।

कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।

मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।

कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।

कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।

गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।

माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।

हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।

पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।

पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।

कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।

हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।

कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।

“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।

कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।

समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।

आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।

काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।

पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।

उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।

उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।

“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?

कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।

“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।

वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।

पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”

“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।

“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”

कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”

“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”

“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”

यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”

विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।

मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।

चैपटर-7

मैग्ना शक्ति:
(13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)

खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।

जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।

एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।

“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।

“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”

“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”

सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।

“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।

“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”

क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-

“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।

इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।

फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”

क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।

उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”

तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।

सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।

वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।

“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”

अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।

फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।

जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।

अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।

शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।

“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।

जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।

पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।

सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?

पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।

शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।

तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।

यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”

लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।

यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।

सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।

“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।

उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।

यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।

पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।

“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।

पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।

कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।

शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।

“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।

“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।

“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।

थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।

शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।

झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।


जारी रहेगा______✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

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Ajju Landwalia

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श्वेत महल:
(8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)

कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।

चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।

पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?

“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।

..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”

यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।

कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।

लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।

यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।

जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।

अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।

चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।

चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।

यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।

कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।

मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।

कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।

कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।

गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।

माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।

हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।

पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।

पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।

कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।

हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।

कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।

“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।

कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।

समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।

आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।

काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।

पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।

उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।

उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।

“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?

कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।

“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।

वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।

पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”

“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।

“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”

कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”

“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”

“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”

यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”

विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।

मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।

चैपटर-7

मैग्ना शक्ति:
(13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)

खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।

जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।

एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।

“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।

“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”

“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”

सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।

“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।

“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”

क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-

“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।

इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।

फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”

क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।

लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।

उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”

तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।

सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।

वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।

“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”

अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।

फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।

जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।

अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।

शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।

“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।

जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।

पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।

सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?

पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।

शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।

तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।

यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”

लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।

यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।

सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।

“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।

उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।

यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।

पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।

“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।

पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।

कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।

शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।

“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।

“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।

“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।

थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।

शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।

झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।


जारी रहेगा______✍️

Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Ab is story me itna ulajh gaya hoon ki raat ko sapne me bhi suyash and party aate he........

Naa jane kaise niklenge vo in musibato se..........

Keep rocking Bro
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Ab is story me itna ulajh gaya hoon ki raat ko sapne me bhi suyash and party aate he........

Naa jane kaise niklenge vo in musibato se..........

Keep rocking Bro
Mera manna hai ki padho to aise hi padho, ki aap khud ko waha mahsoos karo, taki kahani ki aatma se jud sako, and mujhe yakeen hai ki aasp wo aanand utha paoge jo sabkoi na le paye☺️
Baki suyash & co. Hamari fev. Hai, to bhala hum unko kaise kuch hone denge :roll: Thank you very much for your valuable review and support bhai :hug:
 
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