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Bahut hi jabardast update 🔥 👍🏻
Seth ne toh sundari ko santusht kar diya aur sundari bko bhi sayad itna maja param aur uske pati ne nhi Diya tha
जी बिलकुल सही कहा आपने


अब आगे भी तो देखना है सुंदरी के पराक्रम
 
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ellysperry

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सुंदरी ने पूछा कि शेठ सुंदरी को फिर नहीं चोदेगा तो शेठ ने जवाब दिया कि अब जब एक बार उसका लंड सुंदरी की चूत का मजा लेकर मस्त हो गया तो आगे भी जिंदगी भर चोदता रहेगा, हो सकेगा तो एक बच्चा भी दे सकता है। शेठ सुंदरी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। अपना लम्बा जीभ निकाल कर चूत को चूसता रहा, चूत को चूसा और सुंदरी मस्त होकर चुतड उछालती रही। तब शेठ ने सुंदरी को कुतिया बना कर चूत में फचाक से लंड पेल दिया। गांड में उंगली करके चुदाई करने लगा, तभी परम धीरे से ताला खोल कर अंदर आया और अपनी माँ सुंदरी के चूत में शेठ के मोटे लंबे लंड को आता-जाता देख कर मजा लेता रहा। परम ने देखा कि उसकी मां खूब चुत्तर हिला-हिला कर लंड का मजा ले रही है। बस वह देखता रहा की शेठ का लंड उसकी माँ की चूत से “हाइड एंड सिक” खेल रहा है, कभी बाहर आके माँ की चूत में अद्रश्य होता है।

“माँ, मज़ा आ रहा है?” परम ने पुछा।

“तू कब आया?” वह ख़ास कुछ चौकी नहीं बल्कि उसकी हाजरी को सहज ले लिया और अपनी चुची मसलते हुए कहा “शेठजी बहुत बढ़िया चुदाई करते हैं, तुम्हारे बाप से बहुत अच्छा।”

शेठ ने कहा, "परम, तू बहुत अच्छा है, तू मदद नहीं करता तो मैं इस मस्त माल को नहीं चोद सकता। अब जिंदगी भर इसे चोदूंगा, तेरा मन करे तो मेरी बेटी को चोद, मेरी बहू को चोद और चाहे तो शेठानी को भी चोद। मेरे सामने भी चोदेगा तो कोई बात नहीं।" धक्के की स्पीड बढ़ते-बढ़ते शेठ ने फिर कहा, "मुझे एक बार अपनी छोटी बहू को चोदना है।"

सुंदरी को चोदते और छोटी बहू की जवानी को याद कद शेठ फिर झड़ गया। परम ने देखा कि उसकी माँ के चूत से सफ़ेद-सफ़ेद माल निकल रहा है। इस बिच सुदंरी भी दो बार झड चुकी थी, और अभी भी सेठजी की ऊँगली उसकी गांड मार रही थी। उसे उस उंगली से अपनी गांड मरवाती हुई देख कर दोनों माँ-बेटा के मुह पर प्रसन्नता छाई हुई थी।


सुंदरी और शेठ दोनों ठंडा हो गए।

बस बने रहिये इस कहानी में
Shandaar update 🔥👍🏻
“मुझे पेशाब करना है।” सुंदरी ने कहा, "बहुत जोर से लगी है, अब इंतज़ार नहीं कर सकती।" आख़िर दो बार शेठ ने उसकी चूत को बड़ा गढ़ा माल से भर दिया था। शेठ नंगा ही इधर उधर देखने लगा। कोने में एक घड़ा (मिट्टी का बर्तन) था जो पिने का पानी के लिए था। परम वो बर्तन लेकर आया, बर्तन आधा खाली था।

“इसी में मुत लो” शेठ ने कहा और सुंदरी ने चूत को बर्तन के मुँह पर पोजीशन किया और मुतने लगी। खूब जोर से दबाव था और उसी चूत से मूत और चुतरस और सेठजी के वीर्य सब कुछ दोनों छेद से बहार आ रहे थे, मूतने की आवाज शायद बाहर तक जा रही थी। दोनो शेठ और परम सुंदरी को मूतते हुए देखते रहे। ज्योंही सुंदरी खड़ी हुई शेठ ने घुटने पर बैठकर फिर कुत्ते की तरह सुंदरी की चूत को चाटने लगा। सुंदरी की चूत से अभी भी पेशाब की बुंदे गिर रही थी और शेठ खूब प्रेम से उन पेशाब की बुंदों और अपने चुदाई के दोनों रस को टपकते हुए, को चाट रहा था।

यह सब देख कर परम भी गर्म हो गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया। परम ने सोचा कि सुंदरी उसके लंड को सहलायेगी लेकिन एक हाथ से सुंदरी को पकड़ कर शेठ ने दुसरे हाथ से परम का लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगा। सेठजी परम के लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके सुपारे को बाहर की और ले आने की कोशिश करने लगा। सुंदरी ने शेठ के मुँह को अपनी चूत से पकड़ कर रखा था और दूसरे हाथ से अपनी एक चुची परम के मुँह में घुसेड़ दी। परम चूचियो को मसलते हुए चूसने लगा और निचे शेठ सुंदरी की चूत को चाटना छोड़ कर परम के मस्त लंड को मुँह में लेकर चूस लिया। उसके लंड के टोपे पर अपनी जीभ फिरा के उसका प्रिकम चाट रहा था। लगभग 20-25 बार लंड को मुँह में लेकर बाहर निकालने के बाद शेठ ने परम के लंड को सुंदरी की चूत से रगड़ा।

“सुदरी, परम का लोडा बहोत मस्त है। बहोत स्वादिस्ट भी है मुझे यह उसका लंड बहोत पसंद आया। उसका सुपारा बहोत ही मस्त है, मुझे लगता है की यह लंड से बहोत ही मस्त और गाढ़ा और टेस्टी माल देता होगा।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“शेठजी नहीं, मेरा बेटा है… उसका लंड चूत से मत सटाओ।।” सुंदरी ने धीरे से कहा और एक पैर को उठा कर बिस्तर पर रख दिया।

"मैं थोड़े ही किसी से कहूँगा। उसे भी तो सबसे मस्त माल के चूत को चोद कर मजा लेने दो!!"

ऐसा कह के उसने फिर से परम का लंड अपने मुह में ले लिया और थोडा आगे पीछे हो के शेठ ने परम के लंड से अपने मुह को चोदने लगा, थोड़ी देर के बाद उसने पूछा “परम तेरी माँ को चोदेगा! या फिर तेरा माल मुझे पिलाएगा?”

“आपको जो ठीक लगे।“परम ने अपना लंड को थोडा बहार की और खिंचा तो शेठ समज गया की वह भी अपनी माँ को चोदना चाहता है।


और शेठ परम के लंड को सुंदरी के चूत में घुसाने लगा।

मेरे साथ बने रहीये आगे कहानी में ...............
Jabardast update
Ab param aur seth dono milkar sundari ko chodenge
 

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अब आगे...............



मुनीम पूनम को फिर से चोदने के लिए बेताब था। इसी ख्याल में वो सो गया और जब उठा तो देखा कि सुंदरी लगभग नंगी उसके बगल में सो रही है। उसके स्तन गहरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था, लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और कमरे से बाहर आ गया। वह बरामदे में आया और देखा कि कोई चारपाई पर सो रहा है, वह समजा पूनम तो यही पर है। उसने अपनी लुंगी उतारी और बिना कोई आवाज़ किए बिस्तर पर उस 'लाश' के पास लेट गया। उसने सोचा कि पूनम होगी, लेकिन वह उसकी अपनी बेटी महक थी जो गहरी नींद में थी। मुनीम ने धीरे से अपना हाथ लाश पर रखा और उसका हाथ कूल्हों के उभारों से छू गया, कूल्हे का आधा हिस्सा कपड़े (फ्रॉक) से ढका हुआ था। उसने कपड़ा ऊपर सरकाया और उसका हाथ महक की बालों वाली चूत पर छू गया।


मुनिम को उसकी चूत पर हाथ पाकर बहुत खुशी हुई। वह सोच रहा था कि जिस लड़की को वह सहला रहा है, वह उसकी बेटी नहीं, पूनम है। उसने चूत और उसके होंठों को रगड़ा और उंगलियाँ अंदर डालीं। चूत अभी भी सूखी और कसी हुई थी। अब मुनीम ने खुद को लड़की की दोनों टांगों के बीच में रख लिया। एक बार उसने लाइट जलाने के बारे में सोचा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि सुंदरी उसे इन लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए देखे। उसने शाम को चूत का स्वाद चखा था और उसे पसंद आया। उसने फिर से चूत पर जीभ फिराई और महक जाग गई।

पहले तो उसने सोचा कि वह कोई कामुक और मीठा सपना देख रही है, लेकिन अब जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे महसूस हुआ कि यह सच है। कोई उसकी चूत चूस रहा है, उसकी चूत मे से चुतरस पी रहा है। वह जानती थी कि यह उसका अपना पिता है जिसने शाम को उसकी सहेली का कौमार्य भंग अपने लंड से किया था।
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता उसकी 'सील' तोड़ें, लेकिन उसने सोचा कि अगर वह मुख मैथुन का आनंद ले तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उसने अपनी टाँगें फैलाईं और पापा के बालों को सहलाया,

“ओह बाबूजी, क्या कर रहे हो... माँ भी घर में है...” और उसने अपना सिर अपनी चूत पर दबा दिया। मुनीम चूत को अंदर-बाहर चाट रहा था और ऐसा करते हुए उसने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक के अंदर डाल दिए और उसकी निपल को पकड़कर सहलाया, थोडा खिंचा। अब उसे चूत और चूचियों का दोहरा मज़ा आ रहा था... और उसे पूरा भरोसा था कि अब वह उसकी बेटी को चोद पाएगा, जो शाम को नहीं कर सकता था। उसने लंड पकड़ा और घुटनों के बल बैठ गया। उसने सुपाड़ा (लंड का ऊपरी हिस्सा) चूत के छेद पर रखा... और उसे अंदर धकेला।

"महक ने लंड को पकड़ लिया और उसे चूत के अंदर सीमित कर दिया, "नहीं बाबूजी, मुझे मत चोदो अभी... घर में सब लोग हैं... और मैं अभी वर्जिन हूं...आपका सुपारा मैं नहीं ले पाऊँगी, चिल्ला दूंगी तो घर में सब को पता चल जाएगा।" उसने लंड को छोड़ा और कहा, बस ऊपर-ऊपर रगड़ कर मजा ले लो।"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

“बेटे अब बर्दाश्त नहीं होता है..लंड को पूरा अंदर जाने दो..पूनम जैसा तुमको भी मजा आएगा।” मुनीम ने जवाब दिया।

“नहीं बाबूजी, नहीं…मुझे मत चोदो।” उसने फिर से सुपाड़े को चूत के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। “पहले केवल मेरी सील फटने दो, जल्दी किसी से चुदवा कर चूत फड़वा लुंगी फिर तुमको जितना मन करे चोदो.. अभी मत चोदो।” महक ने विनती की। लेकिन मुनीम ने महक की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और सुपाड़ा चूत के अंदर दबा दिया। सुपाड़ा चूत के अंदर फिसल गया और उसे दर्द हुआ। महक कैसे बताती की उसका सौदा करने का है और उसकी सिल कोई पैसेवाला तोड़ेगा!!! उसने अपनी माँ से वादा किया हुआ है।

उसका कौमार्य अभी भी बरकरार था और अगर लंड एक इंच और अंदर जाता तो उसकी चूतपटल टूट जाती, और खून से लथपथ हो जाती और उसके माल का भाव नहीं मिलता, जितना माँ-बेटी ने सोच के रखा था।

"बाबूजी लंड निकाल लो...मुझे नहीं चुदवाना।" उसने साफ-साफ कहा, लेकिन मुमीम ने फिर से एक और धक्का देने की कोशिश की और जैसे ही लंड आधा इंच और अंदर गया, महक ने अपने पिता के दोनों गालों पर दो-दो थप्पड़ जड़ दिए। वह चौंक गया। उसने उसे अपने शरीर से दूर धकेल दिया और उठकर बैठ गई।

'साला, बेटीचोद, बहुत बड-बडा के कह रही हूँ, मत चोदो फिर भी लंड को चूत में घुसाने जा रहा है। सुंदरी का चूत समझ लिया है क्या...?” उसने लंड को पकड़ लिया जो अब पूरी तरह से लंगड़ा कर मुठ मार चुका था।

“अरे बोला ना, पहले मुझे किसी दूसरे से चुदवाने दो उसके बाद तुम भी चोदना और जिस से मन करे उस से मेरी चूत चुदवाना।”

उसने अपने पिता का सिर अपने स्तनों पर खींच लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

“ सोरी पप्पा,एक अच्छे लड़के की तरह मुझे चूसते रहो और सो जाओ। चलो मेरा धुध निकाल लो। मुझे दुहोना है तो दुहो।” उसने कहा और अपने पिता को बाहों में ले लिया और दोनों फिर से लेट गये। वह लंड का मुट्ठ मारती रही और अपने पिता से अपने स्तन चुसवाती रही उसने अपने पिता को ऐसे पकड़ रखा था जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है।

“जो चूसना है चूसो लेकिन लंड को चूत से दूर रखना, बाबूजी।” उसने अपने पिता को चेतावनी दी, “कोई और पूनम जैसी कुतिया मिलेगी, तो मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए ले आउंगी। और हां माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा है…। वरना मार डालेगी मुझे, वह आपसे ज्यादा प्रेम करती है। मजा आया ना बाबूजी मेरा चुतरस पि के! माफ़ करना बाबूजी लेकिन बाद में आपसे चुदवाउंगी यह मेरा पक्का वादा है। और शादी के बाद आपका बच्चा भी रख लुंगी लेकिन अभी माफ़ कर दो प्लीज़... । गांड का छेद से खेलो लेकिन मेरा कौमार्य थोड़े दिन के लिए रहने दो।”


मुनीम को भी याद आया की महक का माल भी बेचना है। मैत्री और फनलवर की रचना है



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बने रहीये कहानी के साथ.................आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी....................


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Shandaar update 🔥👍🏻

Jabardast update
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शुक्रिया दोस्त

नया अपडेट भी पोस्ट किया है उसका भी मजा ले और उसके बारे में अपनी राय भी दे ..............
 
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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

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बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
Awesome update
Sundari ekdm mast ho gayi
 

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अब आगे

यहाँ जब शेठ बाहर आया, तो उसके मुनीम (सुंदरी के पति) ने पूछा,

“शेठजी माल कैसा था, मज़ा आया। कैसा था उसका माल! अब आपने पसंद किया है और उसे बुलाया था तो मैं समजता हु की बेस्ट ही होगा उसका खजाना!”

“अरे मुनीम जी पूछो मत, इतना मज़ा पहले कभी किसी को चोदने में नहीं आया था। क्या सही तरीके के छेदों है उसके! उसके छेद देख के कोई भी लंड खड़ा हो सकता है, वाह मजा आ गई आज तो उसे चोदने में, लंड को बेहद शांति मिली है मुनीमजी।” वह मुनीम की ओर देखकर मुस्कुराया जैसे उसे बता रहा हो कि उसने अभी-अभी उसकी पत्नी को चोदा है, उसने आगे कहा, “लेकिन तुम्हें क्या।। तुम तो रोज़ गाँव की सबसे मस्त माल को चोदते हो! अगर सुंदरी मेरी बीबी होती तो मैं रात दिन उसके चूत के अंदर लौड़ा डाल कर घुसा रहता!!”

मुनीम को आश्चर्य हुआ। शेठ पहले भी कईबार सुंदरी की खूबसूरती की तारीफ कर चुके हैं लेकिन शालीन तरीके से, आज शेठ बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था। मुनीम को अच्छा लगा कि शेठ भी उसकी पत्नी को पसंद करता है। उसने सोचा अगर सेठजी उसकी पत्नी को पसंद करता है और उसके पीछे पागल है तो उसका फायदा लिया जा सकता है। सेठजी को सुदरी पसंद है और वो गाव की श्रेष्ठ महिला मानते है पर मेरे नजरो में महक से ज्यादा कोई अच्छा माल नहीं है। हो सकता है सुदरी को सेठजी के साथ भिड़ा देने से मेरे लिए महक की चूत तक का रास्ता साफ़ हो जाए। साली मेरी बेटी है पर क्या माल बनी बैठी है मेरा लंड को हमेशा परेशान करती रहती है। महक अब तो तुम्हे मेरे लंड के नीची आना पड़ेगा, मैं तेरी माँ को सेठजी के लंड तक पहुचा दूंगा तो तेरी चूत मुझे मिलनी चाहिए। और मुझे कोई आपत्ति भी नहीं, मजे सुदरी में कोई रस नहीं है। हो सकता है इस से मुझे सेठानीजी की छुट भी मिल जाए और रेखा की भी।

उसने जवाब दिया,

"हम लोग तो आपके गुलाम हैं, सुंदरी भी आपकी गुलाम हैं। आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। आप जो भी कहेंगे हम करने को तैयार हैं, आप भी तो हमारा ध्यान रखेंगे।" मुनीम ने सोचा कि अगर शेठ उसकी पत्नी को चोदना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी, आखिरकार शेठ ने वास्तव में उनके परिवार की बहुत मदद की है। उसने आगे कहा,

“आपको जब भी मन हो, सुंदरी को अपने घर में रोक लीजिए, वो आपके पैर दबा देगी और सब सेवा करेगी, लेकिन अब तो वो बूढ़ी हो गई है!!” उसने अपनी सेफ साइड भी राखी ताकि सेठजी को कोई संदेह ना हो।

शेठ ने उसे टोका, '' क्या बात करते हो! आज भी सुंदरी से अच्छी माल अपने गांव या आस-पास के गांव में नहीं है...उसको एक बार चोदने के लिए लोग हजारो देंगे....फिर वह धीरे से बोला, ''मेरा भी मन करता है सुंदरी को चोदने को!!!”

“अरे शेठजी, क्या बोल रहे हो आप? आपको पता है किस के बारे में ऐसा बोल रहे हो!उसने एकतरफा नाटक करते हुए कहा।

“अरे मुनिमजी आप तो बेकार ही बुरा मान गए ऐसा कुछ नहीं यह मैं तो सुदरी की सुन्दरता का वजन दे रहा था।“

“ठीक है सेठजी मैं मानता हु की सुदरी जैसी कोई नहीं है पर वो मेरी पत्नी है। कोई मेरे सामने ऐसी बात करे तो मुझे बुरा तो लगेगा ही! समजो अगर मैंने आपकी सेठानिजी के बारे में ऐसा बोला होता तो......!”

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता दोस्त, मैं तो कहूंगा की अगर चांस मिले तो मेरी बीवी को चोद सकते हो!” सेठजी ने भी पत्ता खोला।


कहानी जारी है .........बने रहिये ......
Jabardast update 🔥 👍🏻
Ab toh param ke pita ne bhi bol diya hai sundari ko chodne ke liye
 
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