सुंदरी ने पूछा कि शेठ सुंदरी को फिर नहीं चोदेगा तो शेठ ने जवाब दिया कि अब जब एक बार उसका लंड सुंदरी की चूत का मजा लेकर मस्त हो गया तो आगे भी जिंदगी भर चोदता रहेगा, हो सकेगा तो एक बच्चा भी दे सकता है। शेठ सुंदरी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। अपना लम्बा जीभ निकाल कर चूत को चूसता रहा, चूत को चूसा और सुंदरी मस्त होकर चुतड उछालती रही। तब शेठ ने सुंदरी को कुतिया बना कर चूत में फचाक से लंड पेल दिया। गांड में उंगली करके चुदाई करने लगा, तभी परम धीरे से ताला खोल कर अंदर आया और अपनी माँ सुंदरी के चूत में शेठ के मोटे लंबे लंड को आता-जाता देख कर मजा लेता रहा। परम ने देखा कि उसकी मां खूब चुत्तर हिला-हिला कर लंड का मजा ले रही है। बस वह देखता रहा की शेठ का लंड उसकी माँ की चूत से “हाइड एंड सिक” खेल रहा है, कभी बाहर आके माँ की चूत में अद्रश्य होता है।
“माँ, मज़ा आ रहा है?” परम ने पुछा।
“तू कब आया?” वह ख़ास कुछ चौकी नहीं बल्कि उसकी हाजरी को सहज ले लिया और अपनी चुची मसलते हुए कहा “शेठजी बहुत बढ़िया चुदाई करते हैं, तुम्हारे बाप से बहुत अच्छा।”
शेठ ने कहा, "परम, तू बहुत अच्छा है, तू मदद नहीं करता तो मैं इस मस्त माल को नहीं चोद सकता। अब जिंदगी भर इसे चोदूंगा, तेरा मन करे तो मेरी बेटी को चोद, मेरी बहू को चोद और चाहे तो शेठानी को भी चोद। मेरे सामने भी चोदेगा तो कोई बात नहीं।" धक्के की स्पीड बढ़ते-बढ़ते शेठ ने फिर कहा, "मुझे एक बार अपनी छोटी बहू को चोदना है।"
सुंदरी को चोदते और छोटी बहू की जवानी को याद कद शेठ फिर झड़ गया। परम ने देखा कि उसकी माँ के चूत से सफ़ेद-सफ़ेद माल निकल रहा है। इस बिच सुदंरी भी दो बार झड चुकी थी, और अभी भी सेठजी की ऊँगली उसकी गांड मार रही थी। उसे उस उंगली से अपनी गांड मरवाती हुई देख कर दोनों माँ-बेटा के मुह पर प्रसन्नता छाई हुई थी।
सुंदरी और शेठ दोनों ठंडा हो गए।
बस बने रहिये इस कहानी में