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Funlover

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कृपया आप ऐसे लोगों की बातों को दिल पर मत लीजिए। अपने बिल्कुल सही कहा कि लेखक अपने और हम जैसे पाठकों की खुशी के लिए लिखते हैं। निजी भद्दे कमेंट्स नहीं करने चाहिए। माफ कीजियेगा
जी शुक्रिया दोस्त आपका

प्लीज़ बने रहिये कहानी आगे जा रही है

आप सब का साथ और सहकार से यह कहानी आगे जा रही है बस बने रहिये और आपकी टिका टिप्पणी देते रहिये
 

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Update nhi aaya..kal hi aane wala tha??
जी माफ़ी चाहती हु कल कुछ काम की वजह से फ़सी पड़ी थी, आज भी ऐसा ही है और कल भी शायद ऐसा ही होगा

थोडा काम का बोज भी है

खेर अभी एक अपडेट दे रही हु प्लीज़ उसका जायका लीजिये और बताइए कैसा है.........
 
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मोटा और कड़ा लंड देख कर सुंदरी के चूत और मुँह दोनों में पानी आ गया। उसने अपना हिस्सा थोड़ा आगे बढ़ाया और दोनों हाथो में लंड पकड़ कर सहलाने लगी। सुंदरी ने लंड को चमड़ी को कई बार आगे पीछे किया तो लंड का सुपाड़ा बाहर निकल आया। सुपाड़ा गीला हो चुका था और सुंदरी ने सुपाड़ा को चूसना शुरू किया। सुंदरी सुपाड़ा ऐसे चूस रही थी जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप चूसता है। सुंदरी ने 2 इंच से ज्यादा लंड मुँह के अंदर नहीं लिया और उसकी उपरी हिस्से को ही चूस रही थी। सेठ का लंड चूसने में इतना मजा आया उसे परम का लंड चूसने में नहीं आया था। उधर शेठ को सुंदरी के मुँह में लंड चुसाने में बहुत मज़ा आ रहा था और अगर उसका ज्यादा चूसा गया तो छूट जाएगा और सुंदरी का लंड चूसती रहेगी तो वो झड़ जाएगा लेकिन शेठ सुंदरी के चूत में पानी गिराना चाहता था। उसने लंड मुँह से खींचा, सुंदरी समझ गई कि शेठ उसे चोदना चाहता है। वो भी पलट कर सीधी हो गई और पैरों को ऊपर की ओर हवा में फैला दिया। शेठ ने सुंदरी के कमर के नीचे एक तकिया रखा। सुंदरी की चूत और ऊपर उठ गयी। शेठ ने सुंदरी की कमर को जकड़ा और सुपाड़ा को चूत के गेट पर रख कर धक्का मारा तो एक धक्के में ही पूरा लंड चूत के अंदर चला गया। आखि़र जाता क्यों नहीं। शेठ पुराना चुद्दाकर था और उसके शरीर का वजन भी 100 किलो से ज्यादा था और कहा सुंदरी मुश्किल से 60 किलो की थी। सुंदरी के मुँह से “अह्ह्ह्ह।।” निकला ओह्ह भेन्च्जोद और उसने कहा: यह मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“शेठ आपका लंड बहुत मोटा है, थोड़ा धीरे-धीरे चोदो और धीरे धक्का मारो, और आराम से चोदो मेरी चूत को।”

शेठ उसे प्यार से चोद रहा था और सुंदरी भी मजे लेकर अपनी चूत मरवा रही थी।

चोदते चोदते शेठ उसकी जरूर जवान चुचियो को भी मसल देता था।

"रानी आज 16-17 साल के इंतजार के बाद तुम्हारी चूत का दर्शन हुआ है। बहुत मजा है, जितना सोचा था तुम्हारी चूत अभी भी उससे ज्यादा टाइट है।" कहते हुए शेठ ने जोर का धक्का मारा।

"ओउच्ह्ह…भेन्चोद, एक दिन में ही चूत का भरता बना दोगे क्या? दोबारा नहीं चोदना है क्या!!!"

“अब तो रानी, बार-बार चोदूंगा…पहले क्यों नहीं मिली…भोसड़ीकी, मादरचोद!”

"आप पहले बुलाते तो मैं आ जाती। कई बार मैं आपके सामने से निकली लेकिन आपने कभी हाथ भी नहीं पकड़ा!"

इस तरह से चुदाई करते रहे और शेठ ने सुंदरी के चूत में अपना पानी से छोड़ दिया और उसके ऊपर चिपक कर लेट गया। सुंदरी को उम्मीद से ज्यादा मजा आया था।

ठंडे होकर दोनों चुम्मा चाटी करते-करते बात करने लगे। बच्चों की बात हुई तो सुंदरी ने कहा कि उसका बेटा परम शेठ की बेटी से बहुत प्यार करता है। रेखा चली जाएगी तो सोच-सोच कर उदास रहता है। शेठ ने कहा कि रेखा भी परम को चाहती है और उसने दोनों को एक दूसरे का बदन सहलाते देखा है। शेठ ने कहा कि अगर रेखा परम से चुदवाएगी तो वो कुछ नहीं बोलेगा। शेठ ने सुंदरी को प्यार करते हुए अनुरोध किया कि वो अपनी छोटी बहू को चोदना चाहता है और इस में सुंदरी उसकी मदद करे।

“सुंदरी तुम जो मांगेगी दूंगा, अगर तुम मेरी बहु को मेरे लंड के निचे ला सको तो।”

सुंदरी ने जवाब दिया कि “पहले उसको आने दो, फिर देखु बहू को कितना गरम कर सकती हूं, उसकी चूत में कितनी भड़क है। इस काम में परम ज्यादा मदद कर सकता है, सेठजी।“

बने रहिये ..............
 

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सुंदरी ने पूछा कि शेठ सुंदरी को फिर नहीं चोदेगा तो शेठ ने जवाब दिया कि अब जब एक बार उसका लंड सुंदरी की चूत का मजा लेकर मस्त हो गया तो आगे भी जिंदगी भर चोदता रहेगा, हो सकेगा तो एक बच्चा भी दे सकता है। शेठ सुंदरी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। अपना लम्बा जीभ निकाल कर चूत को चूसता रहा, चूत को चूसा और सुंदरी मस्त होकर चुतड उछालती रही। तब शेठ ने सुंदरी को कुतिया बना कर चूत में फचाक से लंड पेल दिया। गांड में उंगली करके चुदाई करने लगा, तभी परम धीरे से ताला खोल कर अंदर आया और अपनी माँ सुंदरी के चूत में शेठ के मोटे लंबे लंड को आता-जाता देख कर मजा लेता रहा। परम ने देखा कि उसकी मां खूब चुत्तर हिला-हिला कर लंड का मजा ले रही है। बस वह देखता रहा की शेठ का लंड उसकी माँ की चूत से “हाइड एंड सिक” खेल रहा है, कभी बाहर आके माँ की चूत में अद्रश्य होता है।

“माँ, मज़ा आ रहा है?” परम ने पुछा।

“तू कब आया?” वह ख़ास कुछ चौकी नहीं बल्कि उसकी हाजरी को सहज ले लिया और अपनी चुची मसलते हुए कहा “शेठजी बहुत बढ़िया चुदाई करते हैं, तुम्हारे बाप से बहुत अच्छा।”

शेठ ने कहा, "परम, तू बहुत अच्छा है, तू मदद नहीं करता तो मैं इस मस्त माल को नहीं चोद सकता। अब जिंदगी भर इसे चोदूंगा, तेरा मन करे तो मेरी बेटी को चोद, मेरी बहू को चोद और चाहे तो शेठानी को भी चोद। मेरे सामने भी चोदेगा तो कोई बात नहीं।" धक्के की स्पीड बढ़ते-बढ़ते शेठ ने फिर कहा, "मुझे एक बार अपनी छोटी बहू को चोदना है।"

सुंदरी को चोदते और छोटी बहू की जवानी को याद कद शेठ फिर झड़ गया। परम ने देखा कि उसकी माँ के चूत से सफ़ेद-सफ़ेद माल निकल रहा है। इस बिच सुदंरी भी दो बार झड चुकी थी, और अभी भी सेठजी की ऊँगली उसकी गांड मार रही थी। उसे उस उंगली से अपनी गांड मरवाती हुई देख कर दोनों माँ-बेटा के मुह पर प्रसन्नता छाई हुई थी।

सुंदरी और शेठ दोनों ठंडा हो गए।

बस बने रहिये इस कहानी में
 

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“मुझे पेशाब करना है।” सुंदरी ने कहा, "बहुत जोर से लगी है, अब इंतज़ार नहीं कर सकती।" आख़िर दो बार शेठ ने उसकी चूत को बड़ा गढ़ा माल से भर दिया था। शेठ नंगा ही इधर उधर देखने लगा। कोने में एक घड़ा (मिट्टी का बर्तन) था जो पिने का पानी के लिए था। परम वो बर्तन लेकर आया, बर्तन आधा खाली था।

“इसी में मुत लो” शेठ ने कहा और सुंदरी ने चूत को बर्तन के मुँह पर पोजीशन किया और मुतने लगी। खूब जोर से दबाव था और उसी चूत से मूत और चुतरस और सेठजी के वीर्य सब कुछ दोनों छेद से बहार आ रहे थे, मूतने की आवाज शायद बाहर तक जा रही थी। दोनो शेठ और परम सुंदरी को मूतते हुए देखते रहे। ज्योंही सुंदरी खड़ी हुई शेठ ने घुटने पर बैठकर फिर कुत्ते की तरह सुंदरी की चूत को चाटने लगा। सुंदरी की चूत से अभी भी पेशाब की बुंदे गिर रही थी और शेठ खूब प्रेम से उन पेशाब की बुंदों और अपने चुदाई के दोनों रस को टपकते हुए, को चाट रहा था।

यह सब देख कर परम भी गर्म हो गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया। परम ने सोचा कि सुंदरी उसके लंड को सहलायेगी लेकिन एक हाथ से सुंदरी को पकड़ कर शेठ ने दुसरे हाथ से परम का लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगा। सेठजी परम के लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके सुपारे को बाहर की और ले आने की कोशिश करने लगा। सुंदरी ने शेठ के मुँह को अपनी चूत से पकड़ कर रखा था और दूसरे हाथ से अपनी एक चुची परम के मुँह में घुसेड़ दी। परम चूचियो को मसलते हुए चूसने लगा और निचे शेठ सुंदरी की चूत को चाटना छोड़ कर परम के मस्त लंड को मुँह में लेकर चूस लिया। उसके लंड के टोपे पर अपनी जीभ फिरा के उसका प्रिकम चाट रहा था। लगभग 20-25 बार लंड को मुँह में लेकर बाहर निकालने के बाद शेठ ने परम के लंड को सुंदरी की चूत से रगड़ा।

“सुदरी, परम का लोडा बहोत मस्त है। बहोत स्वादिस्ट भी है मुझे यह उसका लंड बहोत पसंद आया। उसका सुपारा बहोत ही मस्त है, मुझे लगता है की यह लंड से बहोत ही मस्त और गाढ़ा और टेस्टी माल देता होगा।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“शेठजी नहीं, मेरा बेटा है… उसका लंड चूत से मत सटाओ।।” सुंदरी ने धीरे से कहा और एक पैर को उठा कर बिस्तर पर रख दिया।

"मैं थोड़े ही किसी से कहूँगा। उसे भी तो सबसे मस्त माल के चूत को चोद कर मजा लेने दो!!"

ऐसा कह के उसने फिर से परम का लंड अपने मुह में ले लिया और थोडा आगे पीछे हो के शेठ ने परम के लंड से अपने मुह को चोदने लगा, थोड़ी देर के बाद उसने पूछा “परम तेरी माँ को चोदेगा! या फिर तेरा माल मुझे पिलाएगा?”

“आपको जो ठीक लगे।“परम ने अपना लंड को थोडा बहार की और खिंचा तो शेठ समज गया की वह भी अपनी माँ को चोदना चाहता है।

और शेठ परम के लंड को सुंदरी के चूत में घुसाने लगा।

मेरे साथ बने रहीये आगे कहानी में ...............
 

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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

******


बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
 

Thevamp

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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

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बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
बहुत अच्छा अपडेट था ऐसे ही लिखते रहिए।
 
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