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चलिए अब आगे चलते है..............



दस मिनट बाद सुंदरी और परम वापस आ गए। उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि उनकी अनुपस्थिति में इतना मासूम मुनीम दोनों लड़कियों को चख चुका है। उन्होंने बातें कीं, खाना खाया और फिर अपने-अपने कमरों में चले गए। सुंदरी मुनीम के पास उसके बेडरूम में चली गई और महक पूनम को अपने साथ ले के, परम के साथ सोने के लिए ले गई। हालाँकि पूनम को परम द्वारा चुदते देखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। यह याद आते ही वह सिहर उठी कि उसके पिता उसे लगभग चोद ही चुके थे, सुपारा तो उसकी चूत का स्वाद ले ही चुका था। उसे अभी भी पापा के लंड के सुपाड़े का अहसास उनकी चूत में था। वह सोच रही थी कि पापा का लंड उसकी चूत में पूरी तरह जाने में कितना समय लेगा।

हालाँकि उसके भाई का लंड उसके पिता के लंड से कम से कम एक इंच लंबा था, लेकिन पिता का सुपाड़ा दोगुना मोटा था और इससे उसे ज़्यादा मज़ा ज़रूर आएगा, उसने सोचा। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

अपना काम पूरा करने के बाद सुंदरी अपने कमरे में दाखिल हुई और देखा कि मुनीम लेटा हुआ मुस्कुरा रहा है।

वह उसके बगल में लेट गई और बोली,

"क्या बात है, आज बहुत खुश दिख रहे हो!" उसने उसके बालों वाले सीने को सहलाया। मुनीम उन कुंवारी लड़कियों के साथ मज़े करके वाकई बहुत खुश था। पहले तो उसने सुंदरी को चोदने के बारे में सोचा, लेकिन फिर खुद पर काबू रखा क्योंकि वह अपनी ऊर्जा 'पूनम' को फिर से चोदने के लिए जमा करना चाहता था। उसे यकीन था कि वह उसके साथ चुदाई के लिए ज़रूर आएगी। मुनीम सुंदरी की तरफ मुँह करके करवट बदल गया और उसके स्तन सहलाए।

"सेठजी, तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे है। है क्या! पहले से ही कर रहे थे।"

"क्या बोला?" सुंदरी ने पूछा...

“लगता है की सेठ तुम्हें चोदना चाहता है” मुनीम ने कहा और अपने निपल्स को मसल दिया।

“छी….क्या बोल रहे हो!”

“सच कहते हो!, सेठ ने खुद कहा?”

मुनीम ने जवाब दिया "वो तुम्हे चोदना चाहता है।"

“सुनकर तुम्हें गुस्सा नहीं आया?” छी कोई इतनी आसानी से बात भी कहता है!” सुंदरी शांत रही और बोली "मैं उनसे कितनी छोटी हूं।“

“रानी कोई और बोलता तो मैं उसका गला काट डालता” मुनीम ने उत्तर दिया और कहा कि उसने हमारी बहुत अच्छी देखभाल की है। उन्हों ने कहा अगर सुंदरी सेठजी से चुदवा ले तो परिवार और उसे कोई आपत्ति नहीं होने देगा। शायद यह सच भी है!”

“मैं क्या कोई रंडी या वेश्या हूँ? उस बेटीचोद ने मुझे क्या समजा है?” सुंदरी ने कहा… और वह उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी। हालाकि यह बात सुन के उसकी चूत एकदम सिकुड़ गई थी, उसे डर लगा की कही मुनीम को उसके प्रक्रमो के बारे में पता तो नहीं चला! क्या उस की गृहस्ती टूट गई? उसकी छुट से दो बूंद मूत के छुट गए। कही मुनीम उसकी परीक्षा तो नहीं ले रहा! क्या मुनीम को कोई संदेह हो गया है, शंका आ गई है मेरे बारे में या किसी ने कुछ कहा???? बहोत सारे सवाल उसके मस्तिष्क में घुमने लगे और अगर वह अपनी चूत पे कंट्रोल ना करती तो शायद वह वही बेड पर ही मूत जाती। वह सबकुछ कर सकती थी लेकिन मुनीम को भी वह बहोत प्यार करती थी, अपने बच्चो से बहोत प्यार करती थी। वह कभी नहीं चाहती थी की उसका पति उसे छोड़ दे। वह चूत देती थी पर दिल नहीं, दिल से तो वह मुनीम से ही हार चुकी थी।

"नहीं, सुंदरी, तुम बहुत अच्छी हो, मुझे मालूम है कि तुमने किसी को भी दाना नहीं डाला है, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम सेठजी को खुश कर दो। उनके बहुत एहसान हैं हमारे ऊपर..मैं सेठजी से कहूंगा कि किसी को पता ना चले..।"
मैत्रीपटेल और फनलवर की अनुवादित रचना है

“नहीं, मैं नहीं चुदवाऊंगी..!” सुंदरी ने धीरे से जवाब दिया. दरअसल वह बहुत खुश थी कि उसका पति ऑफर लेकर आया है और अब वह खुलकर सेठजी और दूसरों से चुदाई करवा सकती है।

“प्लीज सुंदरी मान जाओ… सेठजी ने पहली बार कुछ मांगा है.. अपनी जवानी उनको दे दो।”

“तुम मुझे छोड़ना चाहते हो.. मैं एक बड़े सेठ का लंड लुंगी और तुम मुझे घर से बाहर निकाल दोगे…” उसने जवाब दिया।

मुनीम ने सुंदरी के स्तनों को कुचलते हुए कहा, “जो कसम चाहो ले लो.. तुम मेरी रानी बनकर रहोगी…, अब बस जल्दी मौका निकाल कर सेठ का लंड अपनी प्यारी चूत में ले लो.. ।”

नहीं मेरा मन नहीं मान रहा , लगता है की तुम मुज से थक गए हो। क्या मैं तुम्हे रोज चोदने का मौक़ा नहीं देती,क्या तुम को कभी मैंने मन किया है? आज तक मुझे याद है एक दिन भी नहीं गुजरा तुमने मुझे बिना चोदे! यहाँ तक की माहवारी में भी तुमने मेरी गांड मार ली है।“

“सुंदरी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा की मैं तुम्हे छोड़ दू। लेकिन सेठजी का भी ख़याल रखना पड़ता है उन्हों ने हमारी जरुरियाते पूरी की है और दावा भी किया है की अगर सुंदरी सेठजी से चुदेगी तो मेरे परिवार को कोई तकलीफ नहीं होने देगा।“ मुनीम ने सफाई पेश की।

और आप मान भी गए! क्या आपको पलगत अहि की मैं इतनी आसानी से मेरा माल उस खडुस को दे दूंगी और वह अपना वीर्यदान मेरी चूत मे करेगा?

नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं सिर्फ तुम्हारी हु। सुंदरी को अब लगा की यह परीक्षा नहीं है पर सच में सेठजी ने उसे ऑफर किया है और वह अब मुझे मना रहा है। फिर भी सोचा की असल बात जान के राजी हो जाउंगी।
नीता और मैत्री की अनुवादित रचना है

“आप मुझे या तो सब सच बताये या फिर सो जाए। ऐसी बेकार की बाते करके मेरा मन भी ख़राब ना करो।“


आपको यह एपिसोड कैसा लगा????


कृपया कोमेंट बोक्स में अपनी राय दीजिये..........
 

S M H R

TERE DAR PE SANAM CHALE AYE HUM
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रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में आया तो देखा की उसकी बहन बिल्कुल नंगी बैठी है और चूत को मसल रही है। परम ने महेक को बांहों में जकड़कर चूमा और चूची को दबाया। महेक ने फटाफट अपने भाई को भी नंगा कर दिया और बेड पर सीधा लिटा दिया। महेक भाई की जांघों के बीच घुटनों पर बैठ गयी और झुककर भाई के लंड से खेलने के लिए उसकी चमड़ी को ऊपर कर के लंड का सुपारे को बाहर आते देखा तो वह ज्यादा उत्साहित हो गई और मुँह में ले लिया। एक हाथ से लंड को जड़ से पकड़ी थी और दूसरे हाथ से बाल्स को भी दबा रही थी।

परम को बहुत अच्छा लग रहा था। ये पहला मौका था की किसी ने उसके लंड को मुँह में लिया था। परम बहन के बालों को सहला रहा था और आह्ह… आह्ह… करके मजा ले रहा था। महेक अपनी जीभ को पूरे लंड पर चला रही थी और कभी-कभी लंड को मुँह से निकालकर बोल्स को चाटती थी और गांड के छेद पर भी जीभ चलाती थी। इस तरह महेक खूब मजे से भाई के लंड का मजा ले रही थी। जीभ से सहला-सहलाकर गांड का छेद खुल गया था। महेक ने भाई की गांड में एक उंगली गाड़ दी और उंगली से भाई की गांड मारने लगी। फिर उसने गांड पर थूका और दो उंगली घुसाकर गांड मारने लगी। करीब 15 मिनट तक लंड को चूसने और गांड मारने के बाद परम के लंड ने पानी छोड़ दिया और जोश में अपनी बहन के सिर को लंड पर दबा दिया। महेक ने पूरा पानी गले के नीचे उतार लिया। लंड को जीभ से साफ करने के बाद उसने मुँह से लंड को निकाला और छपाक से दोनों उंगली को गांड से बाहर निकाला।
परम ने बहन को अपने सीने पर खींच लिया और पूछा-

“कहाँ से ये सीखा… बहुत मजा आया बहना…”

महेक ने भाई को किस करते हुवे कहा की उसकी दोस्त सुधा ने सिखाया- “आज उसका बाप और नौकरानी रिंकू ऐसे ही प्यार कर रहे थे। अब तुम मेरी चूत चाटो…” महेक दोनों पाँव फैलाकर सीधा लेट गयी- “भैया मेरी चूत तुम्हारा इंतजार कर रही है…”

परम ने जांघों के बीच बैठकर दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़कर चूत के क्लिट पर जीभ को ऊपर-नीचे किया।
महेक- “आहह… भैया… बहुत अच्छा…”
परम अपनी उंगली और जीभ से बहन की चूत और गांड को चाट रहा था। कभी-कभी दाँत से क्लिट को दबाकर खींचता था और महेक उछल पड़ती थी। चूत को चाटते-चाटते परम दोनों हाथ आगे बढ़ाकर टाइट बोबले को भी दबाने लगा। कभी उंगली से चूत की फांक को फैलाकर जीभ अंदर करता, तो कभी गांड चूसने लगता था। करीब 10 मिनट चाटने के बाद उसने एक उंगली बहन की गांड में घुसाया। गांड गीली हो गयी थी और एक नहीं दो-दो उंगली आराम से गांड के अंदर चली गयी। महेक ने अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया ताकि भाई की उंगलिया आराम से उसकी गांड मार सके। हाला की थोडा दर्द हो रहा था पर उस आनंद के सामने यह दर्द कुछ भी नहीं था।

महेक ने अपने हाथों से दोनों टांगों को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया था और चूतड़ उछाल-उछाल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी। परम एक साथ चूची दबा रहा था, चूत चाट रहा था और बहन की गांड में उंगली पेल रहा था। महेक खूब जोर-जोर से कमर उछाल रही थी और भाई से चुसाई का मजा ले रही थी, साथ-साथ अपनी गांड भी मरवा रही थी और उसका एक अलग ही आनंद ले रही थी।


लेकिन थोडा समय के बाद उसकी मंजिल आ ही गई,महेक की चूत ने पानी छोड़ दिया। चूत से सफेद गाढ़ा चूतरस बाहर आने लगा और परम ने चूत फैलाकर सारा रस चाट लिया। परम ने बहन की चूत चाटते हुए सोचा की कल दो और चूत, सुंदरी और रेखा की भी इसी तरह चाटेगा। परम से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसे लगा की झड़ जाएगा और फटाक से सीधा बैठकर लोडे को बहन की चूत पर रखा। लंड से सफेद रस निकलकर चूत पर फैलने लगा। महेक ने रस को चूत पर फैलाया और हाथों में उठा-उठाकर रस को प्यार से चाटने लगी। दोनों थक चुके थे। एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गये।

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Mast update
 

Ek number

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हालाँकि उसके भाई का लंड उसके पिता के लंड से कम से कम एक इंच लंबा था, लेकिन पिता का सुपाड़ा दोगुना मोटा था और इससे उसे ज़्यादा मज़ा ज़रूर आएगा, उसने सोचा। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

अपना काम पूरा करने के बाद सुंदरी अपने कमरे में दाखिल हुई और देखा कि मुनीम लेटा हुआ मुस्कुरा रहा है।

वह उसके बगल में लेट गई और बोली,

"क्या बात है, आज बहुत खुश दिख रहे हो!" उसने उसके बालों वाले सीने को सहलाया। मुनीम उन कुंवारी लड़कियों के साथ मज़े करके वाकई बहुत खुश था। पहले तो उसने सुंदरी को चोदने के बारे में सोचा, लेकिन फिर खुद पर काबू रखा क्योंकि वह अपनी ऊर्जा 'पूनम' को फिर से चोदने के लिए जमा करना चाहता था। उसे यकीन था कि वह उसके साथ चुदाई के लिए ज़रूर आएगी। मुनीम सुंदरी की तरफ मुँह करके करवट बदल गया और उसके स्तन सहलाए।

"सेठजी, तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे है। है क्या! पहले से ही कर रहे थे।"

"क्या बोला?" सुंदरी ने पूछा...

“लगता है की सेठ तुम्हें चोदना चाहता है” मुनीम ने कहा और अपने निपल्स को मसल दिया।

“छी….क्या बोल रहे हो!”

“सच कहते हो!, सेठ ने खुद कहा?”

मुनीम ने जवाब दिया "वो तुम्हे चोदना चाहता है।"

“सुनकर तुम्हें गुस्सा नहीं आया?” छी कोई इतनी आसानी से बात भी कहता है!” सुंदरी शांत रही और बोली "मैं उनसे कितनी छोटी हूं।“

“रानी कोई और बोलता तो मैं उसका गला काट डालता” मुनीम ने उत्तर दिया और कहा कि उसने हमारी बहुत अच्छी देखभाल की है। उन्हों ने कहा अगर सुंदरी सेठजी से चुदवा ले तो परिवार और उसे कोई आपत्ति नहीं होने देगा। शायद यह सच भी है!”

“मैं क्या कोई रंडी या वेश्या हूँ? उस बेटीचोद ने मुझे क्या समजा है?” सुंदरी ने कहा… और वह उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी। हालाकि यह बात सुन के उसकी चूत एकदम सिकुड़ गई थी, उसे डर लगा की कही मुनीम को उसके प्रक्रमो के बारे में पता तो नहीं चला! क्या उस की गृहस्ती टूट गई? उसकी छुट से दो बूंद मूत के छुट गए। कही मुनीम उसकी परीक्षा तो नहीं ले रहा! क्या मुनीम को कोई संदेह हो गया है, शंका आ गई है मेरे बारे में या किसी ने कुछ कहा???? बहोत सारे सवाल उसके मस्तिष्क में घुमने लगे और अगर वह अपनी चूत पे कंट्रोल ना करती तो शायद वह वही बेड पर ही मूत जाती। वह सबकुछ कर सकती थी लेकिन मुनीम को भी वह बहोत प्यार करती थी, अपने बच्चो से बहोत प्यार करती थी। वह कभी नहीं चाहती थी की उसका पति उसे छोड़ दे। वह चूत देती थी पर दिल नहीं, दिल से तो वह मुनीम से ही हार चुकी थी।

"नहीं, सुंदरी, तुम बहुत अच्छी हो, मुझे मालूम है कि तुमने किसी को भी दाना नहीं डाला है, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम सेठजी को खुश कर दो। उनके बहुत एहसान हैं हमारे ऊपर..मैं सेठजी से कहूंगा कि किसी को पता ना चले..।"
मैत्रीपटेल और फनलवर की अनुवादित रचना है

“नहीं, मैं नहीं चुदवाऊंगी..!” सुंदरी ने धीरे से जवाब दिया. दरअसल वह बहुत खुश थी कि उसका पति ऑफर लेकर आया है और अब वह खुलकर सेठजी और दूसरों से चुदाई करवा सकती है।

“प्लीज सुंदरी मान जाओ… सेठजी ने पहली बार कुछ मांगा है.. अपनी जवानी उनको दे दो।”

“तुम मुझे छोड़ना चाहते हो.. मैं एक बड़े सेठ का लंड लुंगी और तुम मुझे घर से बाहर निकाल दोगे…” उसने जवाब दिया।

मुनीम ने सुंदरी के स्तनों को कुचलते हुए कहा, “जो कसम चाहो ले लो.. तुम मेरी रानी बनकर रहोगी…, अब बस जल्दी मौका निकाल कर सेठ का लंड अपनी प्यारी चूत में ले लो.. ।”

नहीं मेरा मन नहीं मान रहा , लगता है की तुम मुज से थक गए हो। क्या मैं तुम्हे रोज चोदने का मौक़ा नहीं देती,क्या तुम को कभी मैंने मन किया है? आज तक मुझे याद है एक दिन भी नहीं गुजरा तुमने मुझे बिना चोदे! यहाँ तक की माहवारी में भी तुमने मेरी गांड मार ली है।“

“सुंदरी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा की मैं तुम्हे छोड़ दू। लेकिन सेठजी का भी ख़याल रखना पड़ता है उन्हों ने हमारी जरुरियाते पूरी की है और दावा भी किया है की अगर सुंदरी सेठजी से चुदेगी तो मेरे परिवार को कोई तकलीफ नहीं होने देगा।“ मुनीम ने सफाई पेश की।

और आप मान भी गए! क्या आपको पलगत अहि की मैं इतनी आसानी से मेरा माल उस खडुस को दे दूंगी और वह अपना वीर्यदान मेरी चूत मे करेगा?

नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं सिर्फ तुम्हारी हु। सुंदरी को अब लगा की यह परीक्षा नहीं है पर सच में सेठजी ने उसे ऑफर किया है और वह अब मुझे मना रहा है। फिर भी सोचा की असल बात जान के राजी हो जाउंगी।
नीता और मैत्री की अनुवादित रचना है

“आप मुझे या तो सब सच बताये या फिर सो जाए। ऐसी बेकार की बाते करके मेरा मन भी ख़राब ना करो।“


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Nice update
 

Mass

Well-Known Member
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Episode post kar diya hai dosto

Apni raay de....
Madam, raay to yehi hai ki update ekdum hot hai... :)
shayad aapne notice kiya hoga...aapki ye story kaafi popular ho gayi hai...aur views bhi mast badh rahe hai. Badhai ho aapko!!

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