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Funlover

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“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“



बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।

******

अब आगे

“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“

“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“

“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”

“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”

“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”

महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“

“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“

“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“

“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“

बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।

महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“

पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।

पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।

“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।

“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।

मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।

उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है



एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।


बने रहिये और इस एपिसोड के लिए अपनी राय, मंतव्य दे................
 

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बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।

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अब आगे

“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“

“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“

“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”

“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”

“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”

महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“

“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“

“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“

“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“

बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।

महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“

पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।

पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।

“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।

“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।

मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।

उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है



एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।


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Nice update
 

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Update 07



पूनम को लगा की कुछ ज्यादा बाप-बेटी में वार्तालाप हो गया है, शायद महक खुल के ना बोल देगी तो!!!!

पूनमने अपनी जांघें फैला दीं और फिर पूछा, "महक देख तो, मेरी चूत फटी तो नहीं?" और उसने खुद ही अपनी चूत के होंठों को सहलाया और दूर खींच लिया।

"मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि इतना मोटा लंड इस पतली सी चूत में कैसे घुस गया..घुस भी गया और उसका भयानक रूप भी दिखा दिया अन्दर उसने काफी धमाल की थी। सच में!"

मुनीम ने दूध खत्म किया और नंगा ही टॉयलेट चला गया। जब वह आधा खड़ा, और लहराता लंड लेकर लौटा, तो पूनम टॉयलेट चली गई। जैसे ही पूनम नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने महक को खींच लिया। उसने उसे एक बाँह में लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया। वह सिहर उठी। हालाँकि पिछले पंद्रह दिनों से वह अपने भाई के साथ अनाचार का आनंद ले रही थी, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका इतना सीधा-सादा दिखने वाला पिता उसकी दोस्त के साथ संभोग करेगा और बेटी साथ नंगा बैठने में कोई आपत्ति नहीं करेगा। वह यह सब सोच ही रही थी कि मुनीम ने उसे बाहों में ले लिया और एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुए बोला,

“बेटे, माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हारी सहेली को चोदा है।”

“नहीं बाबूजी, आप नाहक चिंता कर रहे हो, यह भी किसी को कहने की बात है भला! घर की तो बात है और मैं समज सकती हु की परिश्थिति जी कुछ ऐसी बन गई थी की यह सब होना ही था, आखिर आपका भी तो लंड है और जवान माल सामने हो तो कोई भी अपना लंड शांत करने की कोशिश करेगा, आप डरिये मत, यह सब घर की ही बात है और मैं किसी को नहीं बोलूंगी।”

उसने अपना हाथ नहीं हटाया और मुनीम ने उसका हाथ अपनी बेटी के स्तन पर फिसलने दिया। उसने उन्हें धीरे से दबाया।

“तुम्हारी बोबले तो पूनम से बड़े है।” के सहलाता रहा और दबाता रहा। उसने देखा के महक का कोई विरोध नहीं है तो उसको थोड़ी हिम्मत आई।

“बेटे, एक बार कपड़े उतार कर अपनी पूरी जवानी दिखाओ ना!” मुनीम ने उसकी जाँघों के बीच हाथ फिराया।

“मुझे शर्म आ रही है.. घर में कोई नहीं होगा तो दिखा दूंगी..”

महक ने जवाब दिया, पर वह अपनी चूत पर अपने पिता के हाथ का दबाव महसूस कर सकती थी। मुनीम खूब आराम से एक हाथ से अपनी जवान बेटी की मस्त बोबले को रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से फ्रॉक के ऊपर बेटी की चूत को दबा रहा था। मुनीम ने उसके थन को दबाते हाथ को फ्रॉक के नीचे घुसाया और मुनीम का हाथ बेटी की गरम चूत से सुत गया..

"बाबूजी मत करो..!" महक फुसफुसा कर बोली। हलाकि उसने अपने पिता का हाथ वहा से हटाया नहीं।

“बस एक बार मेरे इस लंड को अपनी चिकनी चूत से रगड़ने दो!”
यह मैत्री और फनलवर से अनुवादित कहानी है

मुनीम ने बेटी की स्तन को छोड़ कर, बेटी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। लंड टाइट होने लगा था, मुनीम ने महेक के चूत को मसलते हुए कहा:

“बेटी लंड को सहलाओ।”

महक लंड को मुठ मारने लगी और लंड बहुत टाइट होने लगा…उसका बड़ा सुपारा अब उसकी चमड़ी से बाहर आके अन्दर जाने लगा।”

“साली पूनम ने इतना मोटा लौड़ा चूत के अंदर लिया कैसे..?” उसने खुद से फुसफुसाया।

मुनीम ने फ्रॉक उठाकर अपनी बेटी की चूत देखी।

“बेटी, चूत को लंड से सटाओ..।”

“नहीं बाबूजी, अभी नहीं…पूनम के सामने नहीं…।” मौका मिलने पर पूरा लंड चूत में समा दूंगी…। ऊपर से करो बस।“

वे एक-दूसरे को सहला रहे थे और उसी समय उन्हें पूनम के कदमों की आवाज़ सुनाई दी। तुरन्त महक चारपाई से उतर कर मुनीम से दूर कड़ी हो गई। पूनम नंगी आ गयी, उसने मुनीम का लंड पकड़ लिया और बोली:

“साला, काका तुमने इतना जोर-जोर से चूत में धक्का मारा की टट्टी (स्टूल) निकल गया। और चूत तो खून से लथपथ हो गई है।”

वह नीचे झुकी और सुपाड़े पर एक चुम्बन ले लिया।
यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है

“मेरे चूत का मालिक हो गया अब तो यह लंड! मस्त सुपर है यह उसीने मेरी चूत की झिल्ली को फाड़ डाली और अब मैं एक औरत हो गई हु। बेटीचोद फिर से तुन गया है.. अब किसका चूत फाड़ेगा?” उसने महक की ओर देखा और कहा, “आजा महक अब तू चुदवा ले..।”

“आज तू ही चुदवा, पहली बार बहुत दर्द हुआ था ना..इस बार चुदवायेगी तो बहुत मजा आएगा।” उसने मुनीम की ओर देखा और कहा,

“बाबूजी एक बाद फिर से इसे चोदो..” उसने बाबूजी को आँखों से इशारा कर के आगे बढ़ने को कहा। और खुद ने सोचा मुझे इस राक्षसी लंड से बचना ही होगा।

“तेरा बाप मुझे चोदे इससे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी… तुमने ने मेरा चूत चाट कर इतना गरम कर दिया था कि मेरे तुम्हारे बाप का लंड से चूत को ठंडा करना पड़ा। तुम्हे पता भी है की इस मोटे लंड ने मुझे कितनी बार झडा दिया! मेरी इस मुनिया बहोत बार झड़ी है अब मुझे नहीं लगता की मेरी चूत में अब और पानी होगा।”

“बेटी, चूत तो पानी का दरिया है और वह पानी छोडती रहती है और मेरा लंड भी तो पानी भरेगा। चूत तो जितनी बार झाडे उतना चूत का लिए और बाकि शरीर के लिए अच्छा ही है।“
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“जी बाबूजी, आप सही कह रहे हो।“ महक ने बाबूजी की बात में हामी भरी और पिताजी को उकसाने की कोशिश करी।

पूनम: अब ज्यादा शानी मत बन महक! क्या सिर्फ तुम्हारी माँ ही तुम्हे यह सब सिखाती है! मेरी माँ ने मुझे नहीं सिखाया होगा!”


पूनम महक के पास गई और उसका फ्रॉक ऊपर कर दिया और बोली : काका, जो आपने कहा वह सब मैं जानती हु, लेकिन यह माल भी देखिये, शायद आपको अच्छा लगे, वैसे मैं अभी थकी हुई भी हु लेकिन मेरा मन कह रहा है इस मस्त लंड को जाने मत दे और समा ले अपनी चूत में फिर से।“



******


आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी.................
 

Premkumar65

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हालाकि आज मुनीमजी की गांड भी सेठजी ने बजाई थी, और सेठजी की गांड का स्वाद उसके लंड को भी मिला था, दोनों ने एक दुसरे का लंड को गांड मार मार के चाट के साफ़ किया था। फिर भी घर में अक अजीब सी छुट की सुगंध फ़ैल राखी थी। और वैसे भी उसे पता था की आज महक अकेली है क्यों की सुंदरी और परम सेठजी के घर जाने वाले थे तो उसने सेठजी से कह रखा था की आज जल्दी घर जाएगा। सेठजी ने काफी बार पूछने पर उसे सेठजी को बता दिया की वह महक (अपनी बेटी को चोद ने के प्रयास में है पर मौक़ा नहीं मिला रहा लेकिन आज सुंदरी और परम आपके घर जानेवाले है तो शायाद मौक़ा मिल जाए तो मेरे इस लंड की प्यास बुज जाए।

सेठजी ने कहा अरे वाह अपनी बेटी से बहोत प्यार है तुजे और अब हम एक जैसे ही है तो मैं तुम्हे मन नहीं करूँगा पर तुम तो जानते हो आज सुंदरी नहीं आएगी क्योकि शाम को घर आएगी और वह मुझे उसको चोदने का कोई मौक़ा नहीं मिलेगा शायद सेठानी और अहू होंगे तो!

मुनीम: “हां, यह तो है आज सुंदरी को नहीं चोद पायेंगे आप।“

सेठजी: “पर अब मुझे कोई चिंता नहीं, क्योकि हमारे बिच अच्छा सौदा हुआ है तुमको मैंने सुदरी के बदले में सेठानी दी है और साथ में बहु और मौक़ा मिले तो रेखा भी और पैसा भी!”

मुनीम: “जी सेठजी पर उसका मतलब यह नहीं की सुंदरी को मेरे सामने चोदो, कहिपर छोड़ो लेकिन उसे मालूम नही होना चाहिए की मुझे मालूम है और मैंने उसे आपको एक तरीके से बेच दिया है।“

सेठजी: “देखो मुनीमजी चुतिया जैसी बात मत करो, यह सब हमारे बिच में हुआ है और हमारे बिच में ही रहेगा, और यह सब बार-बार बताने की भी जरुरत नहीं।“ कह कर उसे आगे बोला: “हमारी एक डील और भी है पता है ना!”

मुनीम: “अरे हा, पता क्यों नहीं होगा? यह हमारे बिच का आपस का मजा है।” मुनीम चाहता था की सेठजी कुछ पहल करे उसकी गांड में कुछ कुछ होने लगा था पर सेठजी ने कुछ नहीं किया था। वह थोडा निराश था, आज सुबह से वह अपनी गांड को तैयार कर के काम पे आया था।

सेठजी:” एक काम और भी है मेरी बहु आ रही है शायद आज कोई मौक़ा नहीं मिलेगा और सुदरी ऐसे ही कोरी रह जायेगी।“ वह सिर्फ सुंदरी के बारे में ही सोच रहा था।

अब मुनीम से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, और इसकी यह परवशता की वजह से उसका हाथ सेठजी की धोती के आसपास जाने लगे। सेठजी समज गया था वह उसकी परीक्षा कर रहा था की वह पहल कर सकता है या नहीं!
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

सेठजी उठ के पीछे के रूम की तरफ चले गए और मुनीम उनके पीछे-पीछे चला गया।

अन्दर जा के सेठजी सोफे पर बैठ गए जब की मुनीम वही खड़ा रहा। सेठजी को लगा की शर्म की वजह से मुनीम कुछ बोल नहीं रहा या कुछ कर नहीं रहा।

सेठजी: “देखो मुनीम,मैं धंधे में तुम्हारा सेठ हु और तुम मेरे मुनीम लेकिन उसके बाद हम एकदूसरे की बीवीया है समजे कुछ?”

मुनीम: “सेठजी कुछ कुछ समजा! लेकिन जरा खुल के बताओ तो ठीक रहेगा।“

सेठजी: “डियर, उसका मतलब है अगर तुम्हारी इच्छा है की तुमको मेरी गांड मारना है आया मेरा लंड से तुम्हारी गांड मरवाना है तो तुम बेधड़क कह सकते हो, जैसे तुम्हारी बीवी का हाथ पकड़ कर कोने में जा सकते हो वैसे ही मई या तुम एक दुसरे के साथ कर सकते है। हम दोनों में कोई बंधन शर्म नहीं होनी चाहिए। अब समजे!”

मुनीम ने बिना कोई जवाब दिए अपनी धोती को खोल दी और उसका लंड सेठजी के सामने लहराने लगा। सेठजी हसे और बोले “चुतिया, अभी तक शरमा रहा था! चल ला इस महेंगे माल को मेरे मुह में। अब्तुम्हे पता होना चाहिए की मेरा मुह और पेट तेरे वीर्य का कितना भूखा है। और हरदम रहेगा।“

मुनीम थोडा आगे की ओर खिसका और लंड को अपने हाथो से पकड़ के सेठजी के मुह में दाल दिया। सेठजी शायद यही चाहते थे उसने भी बिना मौक़ा गवाए उस लंड को अपने मुह में गायब कर दिया। मुनीम ने उसका मुह चोदना चालू कर दिया जैसे एक चूत को बेरहमी से चोद रहा हो।

और कुछ देर के बाद चित्र यह था की मुनीम का लंड सेठजी की गांड को भोसड़ा बनाने में लग गया था और सेठजी बड़े शौक से उसके हर धक्के को खा रहे थे। जब तक मुनीम का लंड काबू में था तब तक सेठजी की गांड बजती रही बाद में मुनीम ने उसके लंड को निकाल के सेठजी के मुह में रख दिया और अपना पानी उसके मुंह में छोड़ दिया।


थोड़ी देर माहोल शांत रहा पर थोड समय के बाद सेठजी का लंड मुनीम के मुह में था और सेठजी मुनीम की गांड को चाट रहे थे। बस इस तरह सेठजी ने मुनीम की गांड का बाजा बजाया, दोनों खुश थे। एकदूसरे की क=गांड को चाट के साफ़ किया और दोनों ने एक दुसरे के लैंड को चाट के साफ़ किया। और दोनों थोड़ी देर के बाद अपनी चाल में बदलाव के साथ कमरे से बाहर आ गये, जैसे कुछ हुआ ही नही लेकिन दोनों थोड़े थोड़े समय पर अपनी गांड को सहलाते रहे।
बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
Bahut hi sexy tarike se likh rahe ho. Sab ek dusre ki maa, behan beti chodne me lage hue hain.
 

Premkumar65

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अब आगे............

चलिए वापिस वाही पूनम और महक के पास चलते है.....


मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"तुम दोनों फाईट कर रही थी क्या?" उसने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। उसने ज़मीन पर पायजामा के जोड़े पड़े देखे, लेकिन वह कल्पना नहीं कर पा रहा था कि वे किस तरह की चुदाई कर रही हैं। उसके लिए सेक्स का मतलब उसकी पत्नी सुंदरी की 'चूत' है और पिछले एक साल से उसे सुंदरी को चोदने में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, हालाँकि वह लगभग हर रात उसे रोज़ाना चोदता था और अपना पानी निकाल देता था।

लेकिन आज मुनीम इन लड़कियों को, खासकर पूनम को, चोदना चाहता था। वह उसे जानता था और दरअसल पूनम उसके एक करीबी दोस्त की बेटी थी और पूनम की माँ उसका पहला प्यार थी। लेकिन, सुंदरी को अपनी पत्नी बनाने के बाद, पूनम की माँ में उसकी रुचि खत्म हो गई। अब वह अपने पहले प्यार की बेटी को चोदना चाहता था। मुनीम उसी चारपाई पर बैठ गया जिस पर दो लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं। उसने देखा कि चादर एक जगह गीली है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने दोनों को बुलाया। वे आँखें नीची किए पास आईं। मुनीम ने हाथ बढ़ाकर उन्हें अपनी ओर खींचा और उन्हें अपने पास, एक-एक करके, बिठा लिया। वह अपने हाथ उनके कंधे पर ले गया और उनकी बांहों पर दबाव डालकर उन्हें करीब खींच लिया। लड़कियाँ उसके करीब आ गईं और मुनीम को अपने सीने पर उनके स्तनों की गर्मी और जकड़न का अनुभव हुआ। पूनम गर्मी में थी, वो किसी से भी बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी। महक ने उसकी योनी को चाटकर उसकी सेक्स इच्छा को जगाया लेकिन उसकी बांहों पर दबाव महसूस होने से महक घबरा गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"बाबूजी, आप मुंह हाथ धोकर कपड़े बदल लो मैं नाश्ता लगाती हूं.."कह कर महक ने अपने को अलग किया और खड़ी हो गई। उसने पूनम की ओर देखा। वो मुनीम जी से बिल्कुल सट कर बैठी थी। महक ने देखा कि पूनम की एक चूची मुनीम जी के सीने से चिपकी हुई है.. पूनम बैठी रही। महक किचन मे चली गई, महक के अंदर जाते ही मुनीम ने पूनम के गालों को सहलाया और होल से चूम लिया। पूनम मुस्कुरा दी, तो मुनीम की हिम्मत बढ़ी और इस बार उसने जोर से पूनम को अपनी छाती से चिपका लिया..और पूनम की दोनों छाती मुनीम के छाती से चिपक गई। मुनीम को पूनम की चूची की गर्मी बहुत अच्छी लगी...लेकिन पूनम को अच्छा नहीं लगा कि मुनीम इतना कपड़े पहन कर बैठा है। पूनम उठ गयी और कहा,

“काका, आप हल्के हो जाइए…” कह कर वो भी किचन में चली गयी। दोनो लड़किया एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगी। थोड़ी देर बाद दोनों नास्ता की प्लेट लेकर बाहर आइ तो देखा कि मुनीम जी सिर्फ एक लुंगी पहन कर खाट पर बैठे हैं। महक ने पहले भी अपने बाप को इस ड्रेस में देखा है लेकिन आज बाप को सिर्फ लुंगी पहन कर महक सिहर गई। उसका मन ने कह दिया की बाप की बालों वाली छाती से चिपक जाए और बाप अपनी मजबूत भुजाओं को लेकर उसे तोड़ डाले, दरअसल महक ने अपने बाप का लंड देखा हुआ था और उस लंड से पागल भी हो चुकी थी लकिन आगे नहीं बढ़ी क्यों की वह बाप था, मादरचोद। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


पूनम की भी यही हालत थी, पूनम मुनीम का लंड चूत में लेने को पूरी तरह से तैयार थी। महक ने चूत चटकारे से उसे गिला कर दिया था। चूत लंड के लिए तड़प रही थी। दोनों पूनम और महक सामने फ्लोर पर बैठ गईं। नास्ता करते-करते कई बार मुनीम ने झुक कर दोनों के गालों और जाँघों को छुआ। मुनीम उपर बैठा था और वो दोनों लड़कियों की क्लीवेज और स्तन के ऊपरी हिस्से को देख रहा था। नास्ता करते-करते ही मुनीम का लंड खड़ा होने लगा। मुनीम ने टांगों को फैला दिया कि लड़कियां उसके टाइट होते लंड को देख सकें। और लड़कियों ने देखा कि लुंगी के नीचे जांघों के बीच लंड ऊपर नीचे हो रहा है। सबका नास्ता ख़तम होने के बाद दोनों खाली प्लेटें लेकर अंदर चली गईं। दोनों लड़कियाँ शर्म महसूस कर रही थीं।

उन्हें पता था कि उनके साथ कुछ होने वाला है। वे फिर बाहर आइ और उन्हें देखकर मुनीम ने उन्हें अपने पास बैठने को कहा। वे खड़े ही रहते हैं। मुनीम ने पूनम को खींच कर अपने पास बैठा लिया। उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे फिर से अपनी छाती की ओर खींचा। उसने अपना सिर झुकाया और उसके गालों को चूम लिया। महक देखती रही। वह उत्तेजित हो रही थी और सोच रही थी कि अगर वह यहाँ रही तो खुद पर काबू नहीं रख पाएगी और शायद उसके पिता के साथ उसकी चुदाई हो जाए। उसे अपने पिता को अपने स्तन और चूत सहलाने देने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी, लेकिन वह किसी और की मौजूदगी में नहीं करना चाहती थी। पूनम को एक बाँह में पकड़े हुए मुनीम ने अपनी बेटी को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया। लेकिन महक यह कहकर रसोई में वापस चली गई कि सुंदरी के वापस आने से पहले उसे खाना खत्म करना है।

जैसे ही महक नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने पूनम के स्तन सहलाए और उसकी तारीफ़ की, मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"तुम तो पूरी जवान हो गई हो... तुम्हारे बाप से कहना पड़ेगा कि जल्दी तुम्हारी शादी कर दे..." उसने उसे गहराई से चूमा और पूनम ने भी जवाब दिया। उसने उसके चौड़े और बालों वाले सीने को सहलाया।

“काका, शादी की क्या जरूरत है..तुम ही पूरा खाना खा लो..” पूनम ने अपने स्तन दबाये और अपना हाथ लुंगी के उभार के ऊपर रख दिया। लंड पूरा टाइट था और उसने मुठ मार ली, वो आई थी परम का लंड चूसने और अपनी वर्जिन चूत में लेने लेकिन यहां परम के बदले उसके बाप का मस्तया लंड को छू कर पूनम भी मस्त हो गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


जाइयेगा नहीं आगे और भी है.................


इस एपिसोड के बारे में आपकी राय जान ने के बाद ..........लिखती हूँ ................
Wah Munim ki kismat badi achhi hai. Punam jaisi kunwari chut milne wali hai.
 

Premkumar65

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आगे चलते है ..............आपके धैर्य की प्रसंशा करती हूँ


उसने कहा, "काका, तुम्हारी बेटी भी पूरी तरह से तैयार है, उसके लिए भी कोई 'मर्द' का इंतज़ाम कर दो कि उसकी गर्मी को उतार सके।"

“बेटी, महक की गर्मी तो बाद में मैं ही उतारूंगा, पहले तू अपना फ्रॉक उतार दे।” चुचियो को मसलते हुए मुनीम ने कहा। पूनम ने एक मिनट भी देर नहीं की। उसने खड़ी होकर फ्रॉक हेड के ऊपर से निकल दिया और मुनीम के सामने खड़ी हो गई। मुनीम उसे देखता ही रहा।

5'4'' हाइट, कमसिन बदन, 32'' साइज़ के ब्रेस्ट और 22'' के कम्ड। पतली जांघें और जांघों के बीच की झांटों से जघन क्षेत्र का भदा हुआ। मुनीम को पुनम बहुत मस्त और चुदासी लगी. मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।

पूनम ने मुनीम के लंड को लुंगी के ऊपर से सहलाया और लुंगी खींच कर अलग कर दी। मुनीम का लंड लोहे के रॉड की तरह तन गया था। लंड का सुपारा बाकी लंड से ज्यादा मोटा था, जैसा की पहले बताया हुआ था। पूनम ने उसे मुठियाते हुए कहा, "बाप रे इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर कैसे जाएगी। मुनीम ने पूनम के पीछे कमर पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया और एक हाथ से उसके कुल्हे को सहलाते हुए एक चूची को चूसने लगा।"
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम जोर से सिस्कारी मारने लगी। पोनम की सिस्कारी किचन के अंदर महेक को सुनाई दी। महक समझ गई कि बाहर क्या हो रहा है, लेकिन वो बाहर नहीं आइ। अब मुनीम पूनम की चूतड को दोनो हाथो से मसलते हुए उसकी दोनो चूचियो को चूस रहा था, निपल्स बिल्कुल टाइट हो गए थे। नीचे पूनम भी लंड को मसला रही थी और अपनी चूत से रगड़ रही थी। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"काका अब देर मत करो। वह मादरचोद आपकी बेटी, महक ने पहले ही चाट-चाट कर गरम कर दिया है,,, अब बहुत चुदासी हो रही है.. ।"

मुनीम अब पूनम की टाइट गांड को मसल रहा था और पीछे से ही चूत में उंगली घुसा रहा था। चूत बहोत ही टाईट थी, पूरा सिल-पेक।

“महेक ने क्या चाटा? मुनीम ने पूछा।

“ओह, काका, उस भोसड़ीकी ने, मेरी चूत चाट-चाट कर गिला कर दिया है.. मन करता है किसिका भी लंड चूत में समा लू… तुम्हारी बेटी बहुत हरामज़ादी है… चूत ऐसी चाट रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप या लंड चूसता है… उसकी जवानी भी बहुत मस्त है.. आपकी बेटी का माल बहोत स्वादिष्ट है काका.....उसकी चूची मेरी चूची से बड़ी और एक दम गोल गोल है. उसे दबाने में आपको बहुत मजा आएगा.. उसको भी अपना मोटा लंड का मजा दीजिए.. उसे।“
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

मुनीम ने उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी जांघों को पूरा खोल दिया। मुनीम ने पहले तो कुछ देर तक उसकी चूत को सहलाया और कई बार चुमा। वह जानता था की एक कच्चा माल को कैसे चोदा जाता है ताकि उसे बहोत नुकशान ना हो। उसे याद नहीं है आखिरी बाद कब उसने सुंदरी की चूत को चूमा और सहलाया था। पूनम अपना कमर उठा कर मुनीम को जल्दी से लंड घुसाने के लिए इशारा कर रही थी। पूनम ने उंगलियों से झांटों को अलग किया और मुनीम को पूनम के चूत का छेद दिखाया। यह एक बहुत ही संकीर्ण छेद था.. वह अपना अंगूठा डाला और थोड़ी परेशानी के साथ अंदर चला गया। मुनीम ने कभी सुंदरी की योनि का स्वाद नहीं चखा और न ही योनि के साथ खेला। मुनीम ने लंड को चूत के छेद पर रखा और लंड को दबाया… मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

“काका, दर्द होता है..!”

“बेटे पहले थोड़ा दर्द करेगा और फिर बहुत मजा आएगा।” मुनीम ने कहा।

“हां, पता है काका माँ ने और बाकी सहेलियों ने मुझे बतया हुआ है।“ उसने अपनी चूत को थोडा ढीला करते हुए कहा।

“वाह, बेटी, तेरी माँ ने सही सिखाया है।“

मुनीम को याद आया जब पहली बार उसने सुंदरी को चोदा था तो सुंदरी बहुत जोर से चिल्लाई थी और उसने डर कर लंड बाहर निकाल लिया था। लंड के बाहर निकलते ही सुंदरी ने जोर से उसके गालों पर थप्पड मारते हुए कहा था 'साला, रंडवा, लंड बाहर क्यों निकला.. मैं पागल हो जाऊं तो भी लंड बाहर मत निकलना.. मुझे चोदते रहना..। आज मुनीम दूसरी बार एक वर्जिन को चोदने वाला था। मुनीम ने पूनम के स्तनों को पकड़ा और जोर का धक्का लगाया..लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया और पूनम का बदन टाइट हो गया और वो उछल के चिल्ला उठी..

“म….आ….र….गयी।”

“म….आ….र….गयीईई।”

अंदर किचन में महक को भी "मर गई" सुनाई पड़ा और वो दौड़ती हुई बाहर आई... उसने देखा कि उसका बाप पूनम के नंगे बदन पर झुका हुआ है। पूनम की जांघें फैली हुई हैं और मुनीम का सुपाड़ा चूत के अन्दर घुसा हुआ है… पूनम को बहुत दर्द हो रहा है। वो मुट्ठी से मुनीम को पीछे मार रही है और चिल्ला रही है,

“आ…आ..हह… पागल हो गई… लंड बाहर निकालो, मुझे नहीं चुदवाना… अपनी बेटी को चोदो… काका उतर जाओ… तुम्हारे पाओ पड़ती हूं… पागल हो जाउंगी..।”
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।” मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

आपके कोमेंट की प्रतीक्षा में .............आशा करती हु की आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा,,,,,
Sexy update. Punam ki seal to khul hi gai, ab Mahak ka number lagega.
 

Premkumar65

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..........पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।”



अब आगे
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

और मुनीम ने भी महक को देखा और वह ओर जोश में आ गया,एक और ज़ोरदार धक्का दिया और इस बार पूरा लंड अंधेरी पतली सुरंग में चला गया। महक ने देखा कि उसके पिता का लंड पूनम की चूत में पूरी तरह से समा गया है। अब मुनीम उसके स्तनों और होंठों को चूम और सहला रहा था। वह लगभग 3-4 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा। महक ने देखा की पापा का लंड ने पूनम की चूत फाड़ दी और उसका शील हरण कर दिया, पूनम की चूत से खून निकल कर निचे चादर पर बह रहा था। पूनम का शरीर शिथिल हो गया और वह मुनीम की पीठ सहलाने लगी। और कुछ पल बाद उसने अपनी कमर ऊपर की ओर झटका दिया। यह मुनीम के लिए एक संकेत था। उसने धीमे और लयबद्ध धक्कों के साथ चुदाई शुरू कर दी। महक पूनम के नजदीक आई और महक ने पूनम की आँखें पोंछीं और बोली: “बस कुछ देर और फिर तेरी चूत से मजा छूटेगी पूनम” उसने थोड़ी देर तक उसके स्तनों को सहलाया फिर वह अंदर चली गई। चुदाई उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने अपने भाई को सुधा और सुंदरी की चुदाई करते देखा था।

मुनीम पूनम के कसे हुए और कुँवारे बदन को चोद रहा था और उसका आनंद ले रहा था। अब दोनों चुदाई करते हुए किस कर रहे थे।

"अब दर्द हो रहा है? लंड बाहर निकल लूं..!"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"साला, बेटीचोद लंड बाहर निकालेगा तो लंड काट कर चूत के अंदर रख लूंगी। मादरचोद मुझे चोदते रहो..जब तक मेरी चूत फट नहीं जाती...फिर अपनी बेटी को चोदना.. ।"

मुनीम ने उसे चूमा और उसकी चुदाई करता रहा। अब पूनम को मजा आ रहा था। वह इधर-उधर बड़बड़ाती रही। अचानक मुनीम को पूनम की माँ की याद आई और उसने पूनम की चूत में एक जोरदार धक्का दे दिया।

“आआआअह्हह्हह….मार डालेगा क्या..अपनी घरवाली सुंदरी याद आ गयी क्या..”? पूनम ने पूछा,

"नहीं, तेरी माँ याद आ गई। वो पहली औरत है जिसे चोदने का मन किया था.. उसे छू भी नहीं पाया, लेकिन आज इतने सालो बाद तुझे यानी की उसकी बेटी को चोद रहा हूँ, लगता है जैसे तेरी माँ को ही चोद रहा हूँ।"

“तो और जोर-जोर से धक्का मारो ना। मेरी माँ तो अब खाई हुई औरत है। मस्ती से चूत मारो उसकी ही समज के मेरी मारो।” पूनम ने मुनीम को जकड़ते हुए कहा: “जो भी मन में आये, जिसको भी चोदना चाहो लेकिन इस माल में आपका लंड रुकना नहीं चाहिए, यह माल अब पूरी तरह से आपके लंड के काबू में है। रुकना नहीं बस चोदते रहो इस चूत को और अपनी सुहाने और स्वादिष्ट रस इस चूत में भर के इसे अच्छे से सींच दो। अब तक पता नहीं था की लंड का स्वाद इतना मस्त ओगा वरना मैं, बहोत पहले ही आपके लंड पर बैठ जाती।“

“अभी तुम इतनी बड़ी भी नहीं हुई हो, और पहले की बात कर रही हो! अगर पहले आती तो छोटी समज के छोड़ देता, पर अब सही समय है बेटी और सही समय पर तुमने अपना सिल मेरे लंड को समर्पित किया है। अपनी माँ के बारे में सोचना जरा मुझे उसके चूत की भूख कब से है।”

अपनी माँ के बारे में सुनते ही पूनम ने मुनीम को चूमा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“मुझे भी तुम्हारे मोटे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा है… मैं तो आई थी परम का लंड सहलाने लेकिन मुझे क्या पता था आज मेरी चूत आप फाड़ डालोगे.. आह्ह… अब बहुत अच्छा लग रहा है।”

“रानी, एक बार रात में तुजे फिर से चोदूंगा… रात में मैं इसी बिस्तर पर रहूंगा.. तू आ जाना, फिर से मैं तेरी माँ समज के तेरी चुदाई करूँगा…।”

“लेकिन काकी (सुंदरी) को पता चलेगा तो! वह क्या सोचेगी की एक बाप जैसी उम्र का आदमी एक फुल सी कच्ची कलि को चोद रहा है, और वह मेरे बारे में क्या सोचेगी! मुझे तो वह रंडी ही कहेगी।“

“अरे, डर मत, तो उसके सामने भी तुजे आज चोदूंगा…। बस तू आज चुदवाने आ जाना । भले परम चोद दे तुजे, फिर भी।”

दोनो मजे लेकर चुदाई कर रहे थे और दोनो का झड़ने का समय आ गया, वैसे पूनम की चूत दो बार पहले ही झड चुकी थी यह तीसरी बार था की वह काका के साथ ही झडेगी। पूनम मुनीम से चिपक गई। कमर को ऊपर उठाया और टांगो से मुनीम की कमर को पकड़ लिया और फिर अचानक उछली और ठंडी पड़ गई। वो मुनीम को चूमती रही और फिर मुनीम ने पूनम की चूत को अपना वीर्यदान कर दिया। माल के अंदर जाते ही पूनम पूरी तरह से ठंडी हो गई।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

वे कुछ समय तक एक-दूसरे की बाहों में रहे और फिर अलग हो गए। तभी महक दो गिलास गुड़ मिला हुआ गर्म दूध लेकर अन्दर आई और उन्हें दे दिया। दोनों नग्न थे। मुनीम ने अपने लंड को लुंगी से ढकने की कोशिश की लेकिन पूनम ने लुंगी खींच कर एक तरफ फेंक दी।

“क्या काका, मुझे तो चोद डाला, कम से कम महक को आपका लंड तो देखने दो..” उसने महक की ओर देखा और उसे अपने पास बैठने के लिए कहा।

"मजा आया?" महक ने पूछा।

पूनम ने फिर मुनीम के लंड को मुठ मारते हुए कहा:

“पहले तो बहुत दर्द किया, लगा पागल हो जाऊंगी या फिर मर ही जाउंगी, लेकिन बाद में बहुत मजा आया…।”

उसने लंड चूमा और बोली।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“देखो तो थोड़ी देर पहले कितना बुरा और टाइट था अब ढीला हो गया है.. यह सुपारा ही खतरनाक है, जिस माल में जाएगा वह इस सुपारे को कभी नहीं भूल पाएगी।”

महक ने अपने पापा की ओर देखा और आँखे निचे कर के पूछा “पापा आपके लंड को तसल्ली मिल गई? मजा आया?”

मुनीम ने महक को हाथ से थोडा खिंचा और बोला: ”तुम्हे क्या लगता है बेटी? इतनी टाईट चूत चोदने को मिले तो कौन मजा नहीं लेगा? लेकिन लगता है तुम्हे आनंद नहीं आया यह देख के!”

“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“

बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

******


आज के लिए बस इतना ही कल तक के लिए आपसे विदा लेती हूँ.............लेकिन इस एपिसोड के बारे में आप अपनी राय कोमेंटबॉक्स में देना ना भूलिए.......... आपके मंतव्य ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करते है......................



मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है
Munim punam ke baad apni beti ki seal todne ki soch raha hai.
 

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Update 07



पूनम को लगा की कुछ ज्यादा बाप-बेटी में वार्तालाप हो गया है, शायद महक खुल के ना बोल देगी तो!!!!

पूनमने अपनी जांघें फैला दीं और फिर पूछा, "महक देख तो, मेरी चूत फटी तो नहीं?" और उसने खुद ही अपनी चूत के होंठों को सहलाया और दूर खींच लिया।

"मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि इतना मोटा लंड इस पतली सी चूत में कैसे घुस गया..घुस भी गया और उसका भयानक रूप भी दिखा दिया अन्दर उसने काफी धमाल की थी। सच में!"

मुनीम ने दूध खत्म किया और नंगा ही टॉयलेट चला गया। जब वह आधा खड़ा, और लहराता लंड लेकर लौटा, तो पूनम टॉयलेट चली गई। जैसे ही पूनम नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने महक को खींच लिया। उसने उसे एक बाँह में लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया। वह सिहर उठी। हालाँकि पिछले पंद्रह दिनों से वह अपने भाई के साथ अनाचार का आनंद ले रही थी, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका इतना सीधा-सादा दिखने वाला पिता उसकी दोस्त के साथ संभोग करेगा और बेटी साथ नंगा बैठने में कोई आपत्ति नहीं करेगा। वह यह सब सोच ही रही थी कि मुनीम ने उसे बाहों में ले लिया और एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुए बोला,

“बेटे, माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हारी सहेली को चोदा है।”

“नहीं बाबूजी, आप नाहक चिंता कर रहे हो, यह भी किसी को कहने की बात है भला! घर की तो बात है और मैं समज सकती हु की परिश्थिति जी कुछ ऐसी बन गई थी की यह सब होना ही था, आखिर आपका भी तो लंड है और जवान माल सामने हो तो कोई भी अपना लंड शांत करने की कोशिश करेगा, आप डरिये मत, यह सब घर की ही बात है और मैं किसी को नहीं बोलूंगी।”

उसने अपना हाथ नहीं हटाया और मुनीम ने उसका हाथ अपनी बेटी के स्तन पर फिसलने दिया। उसने उन्हें धीरे से दबाया।

“तुम्हारी बोबले तो पूनम से बड़े है।” के सहलाता रहा और दबाता रहा। उसने देखा के महक का कोई विरोध नहीं है तो उसको थोड़ी हिम्मत आई।

“बेटे, एक बार कपड़े उतार कर अपनी पूरी जवानी दिखाओ ना!” मुनीम ने उसकी जाँघों के बीच हाथ फिराया।

“मुझे शर्म आ रही है.. घर में कोई नहीं होगा तो दिखा दूंगी..”

महक ने जवाब दिया, पर वह अपनी चूत पर अपने पिता के हाथ का दबाव महसूस कर सकती थी। मुनीम खूब आराम से एक हाथ से अपनी जवान बेटी की मस्त बोबले को रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से फ्रॉक के ऊपर बेटी की चूत को दबा रहा था। मुनीम ने उसके थन को दबाते हाथ को फ्रॉक के नीचे घुसाया और मुनीम का हाथ बेटी की गरम चूत से सुत गया..

"बाबूजी मत करो..!" महक फुसफुसा कर बोली। हलाकि उसने अपने पिता का हाथ वहा से हटाया नहीं।

“बस एक बार मेरे इस लंड को अपनी चिकनी चूत से रगड़ने दो!”
यह मैत्री और फनलवर से अनुवादित कहानी है

मुनीम ने बेटी की स्तन को छोड़ कर, बेटी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। लंड टाइट होने लगा था, मुनीम ने महेक के चूत को मसलते हुए कहा:

“बेटी लंड को सहलाओ।”

महक लंड को मुठ मारने लगी और लंड बहुत टाइट होने लगा…उसका बड़ा सुपारा अब उसकी चमड़ी से बाहर आके अन्दर जाने लगा।”

“साली पूनम ने इतना मोटा लौड़ा चूत के अंदर लिया कैसे..?” उसने खुद से फुसफुसाया।

मुनीम ने फ्रॉक उठाकर अपनी बेटी की चूत देखी।

“बेटी, चूत को लंड से सटाओ..।”

“नहीं बाबूजी, अभी नहीं…पूनम के सामने नहीं…।” मौका मिलने पर पूरा लंड चूत में समा दूंगी…। ऊपर से करो बस।“

वे एक-दूसरे को सहला रहे थे और उसी समय उन्हें पूनम के कदमों की आवाज़ सुनाई दी। तुरन्त महक चारपाई से उतर कर मुनीम से दूर कड़ी हो गई। पूनम नंगी आ गयी, उसने मुनीम का लंड पकड़ लिया और बोली:

“साला, काका तुमने इतना जोर-जोर से चूत में धक्का मारा की टट्टी (स्टूल) निकल गया। और चूत तो खून से लथपथ हो गई है।”

वह नीचे झुकी और सुपाड़े पर एक चुम्बन ले लिया।
यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है

“मेरे चूत का मालिक हो गया अब तो यह लंड! मस्त सुपर है यह उसीने मेरी चूत की झिल्ली को फाड़ डाली और अब मैं एक औरत हो गई हु। बेटीचोद फिर से तुन गया है.. अब किसका चूत फाड़ेगा?” उसने महक की ओर देखा और कहा, “आजा महक अब तू चुदवा ले..।”

“आज तू ही चुदवा, पहली बार बहुत दर्द हुआ था ना..इस बार चुदवायेगी तो बहुत मजा आएगा।” उसने मुनीम की ओर देखा और कहा,

“बाबूजी एक बाद फिर से इसे चोदो..” उसने बाबूजी को आँखों से इशारा कर के आगे बढ़ने को कहा। और खुद ने सोचा मुझे इस राक्षसी लंड से बचना ही होगा।

“तेरा बाप मुझे चोदे इससे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी… तुमने ने मेरा चूत चाट कर इतना गरम कर दिया था कि मेरे तुम्हारे बाप का लंड से चूत को ठंडा करना पड़ा। तुम्हे पता भी है की इस मोटे लंड ने मुझे कितनी बार झडा दिया! मेरी इस मुनिया बहोत बार झड़ी है अब मुझे नहीं लगता की मेरी चूत में अब और पानी होगा।”

“बेटी, चूत तो पानी का दरिया है और वह पानी छोडती रहती है और मेरा लंड भी तो पानी भरेगा। चूत तो जितनी बार झाडे उतना चूत का लिए और बाकि शरीर के लिए अच्छा ही है।“
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“जी बाबूजी, आप सही कह रहे हो।“ महक ने बाबूजी की बात में हामी भरी और पिताजी को उकसाने की कोशिश करी।

पूनम: अब ज्यादा शानी मत बन महक! क्या सिर्फ तुम्हारी माँ ही तुम्हे यह सब सिखाती है! मेरी माँ ने मुझे नहीं सिखाया होगा!”


पूनम महक के पास गई और उसका फ्रॉक ऊपर कर दिया और बोली : काका, जो आपने कहा वह सब मैं जानती हु, लेकिन यह माल भी देखिये, शायद आपको अच्छा लगे, वैसे मैं अभी थकी हुई भी हु लेकिन मेरा मन कह रहा है इस मस्त लंड को जाने मत दे और समा ले अपनी चूत में फिर से।“



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आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी.................
Bahut hi mast update hai. Mehak bhi jaldi hi chudegi.
 
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