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अब आगे............

चलिए वापिस वाही पूनम और महक के पास चलते है.....


मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"तुम दोनों फाईट कर रही थी क्या?" उसने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। उसने ज़मीन पर पायजामा के जोड़े पड़े देखे, लेकिन वह कल्पना नहीं कर पा रहा था कि वे किस तरह की चुदाई कर रही हैं। उसके लिए सेक्स का मतलब उसकी पत्नी सुंदरी की 'चूत' है और पिछले एक साल से उसे सुंदरी को चोदने में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, हालाँकि वह लगभग हर रात उसे रोज़ाना चोदता था और अपना पानी निकाल देता था।

लेकिन आज मुनीम इन लड़कियों को, खासकर पूनम को, चोदना चाहता था। वह उसे जानता था और दरअसल पूनम उसके एक करीबी दोस्त की बेटी थी और पूनम की माँ उसका पहला प्यार थी। लेकिन, सुंदरी को अपनी पत्नी बनाने के बाद, पूनम की माँ में उसकी रुचि खत्म हो गई। अब वह अपने पहले प्यार की बेटी को चोदना चाहता था। मुनीम उसी चारपाई पर बैठ गया जिस पर दो लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं। उसने देखा कि चादर एक जगह गीली है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने दोनों को बुलाया। वे आँखें नीची किए पास आईं। मुनीम ने हाथ बढ़ाकर उन्हें अपनी ओर खींचा और उन्हें अपने पास, एक-एक करके, बिठा लिया। वह अपने हाथ उनके कंधे पर ले गया और उनकी बांहों पर दबाव डालकर उन्हें करीब खींच लिया। लड़कियाँ उसके करीब आ गईं और मुनीम को अपने सीने पर उनके स्तनों की गर्मी और जकड़न का अनुभव हुआ। पूनम गर्मी में थी, वो किसी से भी बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी। महक ने उसकी योनी को चाटकर उसकी सेक्स इच्छा को जगाया लेकिन उसकी बांहों पर दबाव महसूस होने से महक घबरा गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"बाबूजी, आप मुंह हाथ धोकर कपड़े बदल लो मैं नाश्ता लगाती हूं.."कह कर महक ने अपने को अलग किया और खड़ी हो गई। उसने पूनम की ओर देखा। वो मुनीम जी से बिल्कुल सट कर बैठी थी। महक ने देखा कि पूनम की एक चूची मुनीम जी के सीने से चिपकी हुई है.. पूनम बैठी रही। महक किचन मे चली गई, महक के अंदर जाते ही मुनीम ने पूनम के गालों को सहलाया और होल से चूम लिया। पूनम मुस्कुरा दी, तो मुनीम की हिम्मत बढ़ी और इस बार उसने जोर से पूनम को अपनी छाती से चिपका लिया..और पूनम की दोनों छाती मुनीम के छाती से चिपक गई। मुनीम को पूनम की चूची की गर्मी बहुत अच्छी लगी...लेकिन पूनम को अच्छा नहीं लगा कि मुनीम इतना कपड़े पहन कर बैठा है। पूनम उठ गयी और कहा,

“काका, आप हल्के हो जाइए…” कह कर वो भी किचन में चली गयी। दोनो लड़किया एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगी। थोड़ी देर बाद दोनों नास्ता की प्लेट लेकर बाहर आइ तो देखा कि मुनीम जी सिर्फ एक लुंगी पहन कर खाट पर बैठे हैं। महक ने पहले भी अपने बाप को इस ड्रेस में देखा है लेकिन आज बाप को सिर्फ लुंगी पहन कर महक सिहर गई। उसका मन ने कह दिया की बाप की बालों वाली छाती से चिपक जाए और बाप अपनी मजबूत भुजाओं को लेकर उसे तोड़ डाले, दरअसल महक ने अपने बाप का लंड देखा हुआ था और उस लंड से पागल भी हो चुकी थी लकिन आगे नहीं बढ़ी क्यों की वह बाप था, मादरचोद। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


पूनम की भी यही हालत थी, पूनम मुनीम का लंड चूत में लेने को पूरी तरह से तैयार थी। महक ने चूत चटकारे से उसे गिला कर दिया था। चूत लंड के लिए तड़प रही थी। दोनों पूनम और महक सामने फ्लोर पर बैठ गईं। नास्ता करते-करते कई बार मुनीम ने झुक कर दोनों के गालों और जाँघों को छुआ। मुनीम उपर बैठा था और वो दोनों लड़कियों की क्लीवेज और स्तन के ऊपरी हिस्से को देख रहा था। नास्ता करते-करते ही मुनीम का लंड खड़ा होने लगा। मुनीम ने टांगों को फैला दिया कि लड़कियां उसके टाइट होते लंड को देख सकें। और लड़कियों ने देखा कि लुंगी के नीचे जांघों के बीच लंड ऊपर नीचे हो रहा है। सबका नास्ता ख़तम होने के बाद दोनों खाली प्लेटें लेकर अंदर चली गईं। दोनों लड़कियाँ शर्म महसूस कर रही थीं।

उन्हें पता था कि उनके साथ कुछ होने वाला है। वे फिर बाहर आइ और उन्हें देखकर मुनीम ने उन्हें अपने पास बैठने को कहा। वे खड़े ही रहते हैं। मुनीम ने पूनम को खींच कर अपने पास बैठा लिया। उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे फिर से अपनी छाती की ओर खींचा। उसने अपना सिर झुकाया और उसके गालों को चूम लिया। महक देखती रही। वह उत्तेजित हो रही थी और सोच रही थी कि अगर वह यहाँ रही तो खुद पर काबू नहीं रख पाएगी और शायद उसके पिता के साथ उसकी चुदाई हो जाए। उसे अपने पिता को अपने स्तन और चूत सहलाने देने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी, लेकिन वह किसी और की मौजूदगी में नहीं करना चाहती थी। पूनम को एक बाँह में पकड़े हुए मुनीम ने अपनी बेटी को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया। लेकिन महक यह कहकर रसोई में वापस चली गई कि सुंदरी के वापस आने से पहले उसे खाना खत्म करना है।

जैसे ही महक नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने पूनम के स्तन सहलाए और उसकी तारीफ़ की, मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"तुम तो पूरी जवान हो गई हो... तुम्हारे बाप से कहना पड़ेगा कि जल्दी तुम्हारी शादी कर दे..." उसने उसे गहराई से चूमा और पूनम ने भी जवाब दिया। उसने उसके चौड़े और बालों वाले सीने को सहलाया।

“काका, शादी की क्या जरूरत है..तुम ही पूरा खाना खा लो..” पूनम ने अपने स्तन दबाये और अपना हाथ लुंगी के उभार के ऊपर रख दिया। लंड पूरा टाइट था और उसने मुठ मार ली, वो आई थी परम का लंड चूसने और अपनी वर्जिन चूत में लेने लेकिन यहां परम के बदले उसके बाप का मस्तया लंड को छू कर पूनम भी मस्त हो गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


जाइयेगा नहीं आगे और भी है.................


इस एपिसोड के बारे में आपकी राय जान ने के बाद ..........लिखती हूँ ................
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

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बहुत
आगे चलते है ..............आपके धैर्य की प्रसंशा करती हूँ


उसने कहा, "काका, तुम्हारी बेटी भी पूरी तरह से तैयार है, उसके लिए भी कोई 'मर्द' का इंतज़ाम कर दो कि उसकी गर्मी को उतार सके।"

“बेटी, महक की गर्मी तो बाद में मैं ही उतारूंगा, पहले तू अपना फ्रॉक उतार दे।” चुचियो को मसलते हुए मुनीम ने कहा। पूनम ने एक मिनट भी देर नहीं की। उसने खड़ी होकर फ्रॉक हेड के ऊपर से निकल दिया और मुनीम के सामने खड़ी हो गई। मुनीम उसे देखता ही रहा।

5'4'' हाइट, कमसिन बदन, 32'' साइज़ के ब्रेस्ट और 22'' के कम्ड। पतली जांघें और जांघों के बीच की झांटों से जघन क्षेत्र का भदा हुआ। मुनीम को पुनम बहुत मस्त और चुदासी लगी. मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।

पूनम ने मुनीम के लंड को लुंगी के ऊपर से सहलाया और लुंगी खींच कर अलग कर दी। मुनीम का लंड लोहे के रॉड की तरह तन गया था। लंड का सुपारा बाकी लंड से ज्यादा मोटा था, जैसा की पहले बताया हुआ था। पूनम ने उसे मुठियाते हुए कहा, "बाप रे इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर कैसे जाएगी। मुनीम ने पूनम के पीछे कमर पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया और एक हाथ से उसके कुल्हे को सहलाते हुए एक चूची को चूसने लगा।"
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम जोर से सिस्कारी मारने लगी। पोनम की सिस्कारी किचन के अंदर महेक को सुनाई दी। महक समझ गई कि बाहर क्या हो रहा है, लेकिन वो बाहर नहीं आइ। अब मुनीम पूनम की चूतड को दोनो हाथो से मसलते हुए उसकी दोनो चूचियो को चूस रहा था, निपल्स बिल्कुल टाइट हो गए थे। नीचे पूनम भी लंड को मसला रही थी और अपनी चूत से रगड़ रही थी। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"काका अब देर मत करो। वह मादरचोद आपकी बेटी, महक ने पहले ही चाट-चाट कर गरम कर दिया है,,, अब बहुत चुदासी हो रही है.. ।"

मुनीम अब पूनम की टाइट गांड को मसल रहा था और पीछे से ही चूत में उंगली घुसा रहा था। चूत बहोत ही टाईट थी, पूरा सिल-पेक।

“महेक ने क्या चाटा? मुनीम ने पूछा।

“ओह, काका, उस भोसड़ीकी ने, मेरी चूत चाट-चाट कर गिला कर दिया है.. मन करता है किसिका भी लंड चूत में समा लू… तुम्हारी बेटी बहुत हरामज़ादी है… चूत ऐसी चाट रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप या लंड चूसता है… उसकी जवानी भी बहुत मस्त है.. आपकी बेटी का माल बहोत स्वादिष्ट है काका.....उसकी चूची मेरी चूची से बड़ी और एक दम गोल गोल है. उसे दबाने में आपको बहुत मजा आएगा.. उसको भी अपना मोटा लंड का मजा दीजिए.. उसे।“
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

मुनीम ने उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी जांघों को पूरा खोल दिया। मुनीम ने पहले तो कुछ देर तक उसकी चूत को सहलाया और कई बार चुमा। वह जानता था की एक कच्चा माल को कैसे चोदा जाता है ताकि उसे बहोत नुकशान ना हो। उसे याद नहीं है आखिरी बाद कब उसने सुंदरी की चूत को चूमा और सहलाया था। पूनम अपना कमर उठा कर मुनीम को जल्दी से लंड घुसाने के लिए इशारा कर रही थी। पूनम ने उंगलियों से झांटों को अलग किया और मुनीम को पूनम के चूत का छेद दिखाया। यह एक बहुत ही संकीर्ण छेद था.. वह अपना अंगूठा डाला और थोड़ी परेशानी के साथ अंदर चला गया। मुनीम ने कभी सुंदरी की योनि का स्वाद नहीं चखा और न ही योनि के साथ खेला। मुनीम ने लंड को चूत के छेद पर रखा और लंड को दबाया… मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

“काका, दर्द होता है..!”

“बेटे पहले थोड़ा दर्द करेगा और फिर बहुत मजा आएगा।” मुनीम ने कहा।

“हां, पता है काका माँ ने और बाकी सहेलियों ने मुझे बतया हुआ है।“ उसने अपनी चूत को थोडा ढीला करते हुए कहा।

“वाह, बेटी, तेरी माँ ने सही सिखाया है।“

मुनीम को याद आया जब पहली बार उसने सुंदरी को चोदा था तो सुंदरी बहुत जोर से चिल्लाई थी और उसने डर कर लंड बाहर निकाल लिया था। लंड के बाहर निकलते ही सुंदरी ने जोर से उसके गालों पर थप्पड मारते हुए कहा था 'साला, रंडवा, लंड बाहर क्यों निकला.. मैं पागल हो जाऊं तो भी लंड बाहर मत निकलना.. मुझे चोदते रहना..। आज मुनीम दूसरी बार एक वर्जिन को चोदने वाला था। मुनीम ने पूनम के स्तनों को पकड़ा और जोर का धक्का लगाया..लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया और पूनम का बदन टाइट हो गया और वो उछल के चिल्ला उठी..

“म….आ….र….गयी।”

“म….आ….र….गयीईई।”

अंदर किचन में महक को भी "मर गई" सुनाई पड़ा और वो दौड़ती हुई बाहर आई... उसने देखा कि उसका बाप पूनम के नंगे बदन पर झुका हुआ है। पूनम की जांघें फैली हुई हैं और मुनीम का सुपाड़ा चूत के अन्दर घुसा हुआ है… पूनम को बहुत दर्द हो रहा है। वो मुट्ठी से मुनीम को पीछे मार रही है और चिल्ला रही है,

“आ…आ..हह… पागल हो गई… लंड बाहर निकालो, मुझे नहीं चुदवाना… अपनी बेटी को चोदो… काका उतर जाओ… तुम्हारे पाओ पड़ती हूं… पागल हो जाउंगी..।”
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।” मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

आपके कोमेंट की प्रतीक्षा में .............आशा करती हु की आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा,,,,,
ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
पुनम को मुनिम ने कच्ची कली से फुल बना दिया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
 

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..........पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।”



अब आगे

मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

और मुनीम ने भी महक को देखा और वह ओर जोश में आ गया,एक और ज़ोरदार धक्का दिया और इस बार पूरा लंड अंधेरी पतली सुरंग में चला गया। महक ने देखा कि उसके पिता का लंड पूनम की चूत में पूरी तरह से समा गया है। अब मुनीम उसके स्तनों और होंठों को चूम और सहला रहा था। वह लगभग 3-4 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा। महक ने देखा की पापा का लंड ने पूनम की चूत फाड़ दी और उसका शील हरण कर दिया, पूनम की चूत से खून निकल कर निचे चादर पर बह रहा था। पूनम का शरीर शिथिल हो गया और वह मुनीम की पीठ सहलाने लगी। और कुछ पल बाद उसने अपनी कमर ऊपर की ओर झटका दिया। यह मुनीम के लिए एक संकेत था। उसने धीमे और लयबद्ध धक्कों के साथ चुदाई शुरू कर दी। महक पूनम के नजदीक आई और महक ने पूनम की आँखें पोंछीं और बोली: “बस कुछ देर और फिर तेरी चूत से मजा छूटेगी पूनम” उसने थोड़ी देर तक उसके स्तनों को सहलाया फिर वह अंदर चली गई। चुदाई उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने अपने भाई को सुधा और सुंदरी की चुदाई करते देखा था।

मुनीम पूनम के कसे हुए और कुँवारे बदन को चोद रहा था और उसका आनंद ले रहा था। अब दोनों चुदाई करते हुए किस कर रहे थे।

"अब दर्द हो रहा है? लंड बाहर निकल लूं..!"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"साला, बेटीचोद लंड बाहर निकालेगा तो लंड काट कर चूत के अंदर रख लूंगी। मादरचोद मुझे चोदते रहो..जब तक मेरी चूत फट नहीं जाती...फिर अपनी बेटी को चोदना.. ।"

मुनीम ने उसे चूमा और उसकी चुदाई करता रहा। अब पूनम को मजा आ रहा था। वह इधर-उधर बड़बड़ाती रही। अचानक मुनीम को पूनम की माँ की याद आई और उसने पूनम की चूत में एक जोरदार धक्का दे दिया।

“आआआअह्हह्हह….मार डालेगा क्या..अपनी घरवाली सुंदरी याद आ गयी क्या..”? पूनम ने पूछा,

"नहीं, तेरी माँ याद आ गई। वो पहली औरत है जिसे चोदने का मन किया था.. उसे छू भी नहीं पाया, लेकिन आज इतने सालो बाद तुझे यानी की उसकी बेटी को चोद रहा हूँ, लगता है जैसे तेरी माँ को ही चोद रहा हूँ।"

“तो और जोर-जोर से धक्का मारो ना। मेरी माँ तो अब खाई हुई औरत है। मस्ती से चूत मारो उसकी ही समज के मेरी मारो।” पूनम ने मुनीम को जकड़ते हुए कहा: “जो भी मन में आये, जिसको भी चोदना चाहो लेकिन इस माल में आपका लंड रुकना नहीं चाहिए, यह माल अब पूरी तरह से आपके लंड के काबू में है। रुकना नहीं बस चोदते रहो इस चूत को और अपनी सुहाने और स्वादिष्ट रस इस चूत में भर के इसे अच्छे से सींच दो। अब तक पता नहीं था की लंड का स्वाद इतना मस्त ओगा वरना मैं, बहोत पहले ही आपके लंड पर बैठ जाती।“

“अभी तुम इतनी बड़ी भी नहीं हुई हो, और पहले की बात कर रही हो! अगर पहले आती तो छोटी समज के छोड़ देता, पर अब सही समय है बेटी और सही समय पर तुमने अपना सिल मेरे लंड को समर्पित किया है। अपनी माँ के बारे में सोचना जरा मुझे उसके चूत की भूख कब से है।”

अपनी माँ के बारे में सुनते ही पूनम ने मुनीम को चूमा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“मुझे भी तुम्हारे मोटे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा है… मैं तो आई थी परम का लंड सहलाने लेकिन मुझे क्या पता था आज मेरी चूत आप फाड़ डालोगे.. आह्ह… अब बहुत अच्छा लग रहा है।”

“रानी, एक बार रात में तुजे फिर से चोदूंगा… रात में मैं इसी बिस्तर पर रहूंगा.. तू आ जाना, फिर से मैं तेरी माँ समज के तेरी चुदाई करूँगा…।”

“लेकिन काकी (सुंदरी) को पता चलेगा तो! वह क्या सोचेगी की एक बाप जैसी उम्र का आदमी एक फुल सी कच्ची कलि को चोद रहा है, और वह मेरे बारे में क्या सोचेगी! मुझे तो वह रंडी ही कहेगी।“

“अरे, डर मत, तो उसके सामने भी तुजे आज चोदूंगा…। बस तू आज चुदवाने आ जाना । भले परम चोद दे तुजे, फिर भी।”

दोनो मजे लेकर चुदाई कर रहे थे और दोनो का झड़ने का समय आ गया, वैसे पूनम की चूत दो बार पहले ही झड चुकी थी यह तीसरी बार था की वह काका के साथ ही झडेगी। पूनम मुनीम से चिपक गई। कमर को ऊपर उठाया और टांगो से मुनीम की कमर को पकड़ लिया और फिर अचानक उछली और ठंडी पड़ गई। वो मुनीम को चूमती रही और फिर मुनीम ने पूनम की चूत को अपना वीर्यदान कर दिया। माल के अंदर जाते ही पूनम पूरी तरह से ठंडी हो गई।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

वे कुछ समय तक एक-दूसरे की बाहों में रहे और फिर अलग हो गए। तभी महक दो गिलास गुड़ मिला हुआ गर्म दूध लेकर अन्दर आई और उन्हें दे दिया। दोनों नग्न थे। मुनीम ने अपने लंड को लुंगी से ढकने की कोशिश की लेकिन पूनम ने लुंगी खींच कर एक तरफ फेंक दी।

“क्या काका, मुझे तो चोद डाला, कम से कम महक को आपका लंड तो देखने दो..” उसने महक की ओर देखा और उसे अपने पास बैठने के लिए कहा।

"मजा आया?" महक ने पूछा।

पूनम ने फिर मुनीम के लंड को मुठ मारते हुए कहा:

“पहले तो बहुत दर्द किया, लगा पागल हो जाऊंगी या फिर मर ही जाउंगी, लेकिन बाद में बहुत मजा आया…।”

उसने लंड चूमा और बोली।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“देखो तो थोड़ी देर पहले कितना बुरा और टाइट था अब ढीला हो गया है.. यह सुपारा ही खतरनाक है, जिस माल में जाएगा वह इस सुपारे को कभी नहीं भूल पाएगी।”

महक ने अपने पापा की ओर देखा और आँखे निचे कर के पूछा “पापा आपके लंड को तसल्ली मिल गई? मजा आया?”

मुनीम ने महक को हाथ से थोडा खिंचा और बोला: ”तुम्हे क्या लगता है बेटी? इतनी टाईट चूत चोदने को मिले तो कौन मजा नहीं लेगा? लेकिन लगता है तुम्हे आनंद नहीं आया यह देख के!”

“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“

बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

******


आज के लिए बस इतना ही कल तक के लिए आपसे विदा लेती हूँ.............लेकिन इस एपिसोड के बारे में आप अपनी राय कोमेंटबॉक्स में देना ना भूलिए.......... आपके मंतव्य ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करते है......................



मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
पुनम तो चुद गयी मुनिम के तगडे लंड से अब देखना है महक की चुदाई कौन करके उसे कली से फुल बनाता हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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बहुत
ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
पुनम को मुनिम ने कच्ची कली से फुल बना दिया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
जी बहोत बहोत शुक्रिया


जी मुनीम को तो घर बैठे चांदी हो गई है
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
पुनम तो चुद गयी मुनिम के तगडे लंड से अब देखना है महक की चुदाई कौन करके उसे कली से फुल बनाता हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
जी बिलकुल आपके जैसी ही मेरी इंतजारी है इस कहानी में आगे जाने की ................

सहयोग देते रहिये
 
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