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दशहरा की आपको भी खूब-खूब शुभकामनाएं।आप सभी को सपरिवार विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जय भारत के साथ दिन की शुरूआत कर के, चलो, हम आज के दिन हमारे तन और मन से ऊन आसुरी शक्तियों और इच्छाओ का दहन करने का प्रयास करें।
दशहरा की आपको भी खूब-खूब शुभकामनाएं।आप सभी को सपरिवार विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
Purush pradhan samaj me hamesha purusho ka hi bolbala raha hai. Ek stri ko is samaj me sirf stri ya nari nahi rahne diya jaise purush ko sirf purush rahne diya gaya hai. Apke dwara Sundri ki manodasha aur uski dayniya dasha par jo khulasa kiya hai vah ek nari hi samjh sakti hai purush nahi. Hamesha purush koi himakat ya dussahas bhara karya karta hai to kaha jata hai ki Samrath Ku Nahi Dosh Gosai magar koi stri aisa kare to khud dusri aurte aur samaj kahta hai ki ye badchalan hai, randi hai, charitrahin hai iske sath baithna baat karna to door muh dekhna bhi pap hai. Kyo purush pradhan samaj us stri ko sirf stri nahi samajhta kyo usse ek Devi hi bane rahne ki apeksha ki jati hai. Purush apne hisab se stri ko istemal karta hai. Apni maa bahan beti aur patni ko devi swarupa rakhna chahta hai magar dusri aurat ko bhogya. Wahi Munim Seth ki biwi 2 bahuon aur uski beti ko bhogne ke liye Sundri ka seth ke sath sauda karta hai magar Sundari ke Kar Adhikari ke dwara istemal kiye jane se shubdh hai usko sahan nahi hua. Udhar kar adhikari dwara Sundari ko do bar chod kar santusht hone ke bawjud bhi use nanga hi rakh kar uske nange chutdo par register rakh kar hi sign karne mansha ye darshati hai ki wah apni sign ki power ka istemal manmane dhang se hi karega apni sanak aur manmani ke sath hi.Ji bahot shukriya dost sarahna ke liye.
आप कमेंट पर कुछ लिखने के लिए शब्द नहीं है। तो सिर्फ धन्यवाद कहती हूं।
लाल रंग पर प्रकाश डाला गया
आपने इस एपिसोड और उसके पीछे का एपिसोड का हार्ड पकड़ा है। एक भ्रष्ट अधिकारी हार गिफ्ट कराता है मतलब जो सिर्फ लेने में मानता है वह दे जाता है।
गांड पर दस्तावेज रख के साइन करने के पीछे मुझे लगा कि ऐसे शब्दों से सुंदरी की मनोदशा और दयानीयता अशलीलता के साथ-साथ दिखाई जा सकती है।
मुनीम के द्वार की गई हरकत के जरीये दिखाने का प्रयास था कि चाहे कोई भी हो जैसा भी हो जैसी सोच हो पर जब प्रत्यक्ष अपनी बीवी को देखना सहन नहीं होता।
और अंत में एक महिला यह कहेगी कि एक वैश्या को भी अपने आप को वैश्या कहलाना मृत्यु से कम नहीं। उसकी मुस्कुराहट के पीछे ये दर्द था। और उसके शब्दो द्वार उन डालालो को एक कटाक्ष था।
ऐसा मेरा मान ना था जो लिख दिया।
Readers ko achchha laga bad mera kam ho gaya.
Thanks a lot again.
जी बहोत बहोत धन्यवाद आप काAb ye dekhna rochak hoga ki Munim ghar jakar kya react karega wahin Sundari kaise samna karegi. Kaise manayegi apne ruthe balam ko. Vaise to Sundari kalakar hai magar ek sanskari aurat bhi hai koi randi nahi hai akhir kuchh din pahle tak shadi ke itne salo baad bhi vah sirf ek hi mard ke neeche leti thi vo baat alag hai shadi se pahle usne 5 lund jhel kar khel liye the. Magar shadi ke baad vah purn rup se pativrata nari rahi hai usne to sasu dwara sasur ke aage tange kholne tak se mana kar diya tha. Ab 38-40 ki umar me aurat ko jo dusra jawani ka khumar chadhta hai Sundari us daur se gujar rahi hai. Pahli jawani andhi hoti hai magar ab dusri jawani me uske pas anubhav hai hosla hai duniyadari ke danv pech se nipun hai. Aage padhna romanchakari hoga. Intjar me apka pathak.
Purush pradhan samaj me hamesha purusho ka hi bolbala raha hai. Ek stri ko is samaj me sirf stri ya nari nahi rahne diya jaise purush ko sirf purush rahne diya gaya hai. Apke dwara Sundri ki manodasha aur uski dayniya dasha par jo khulasa kiya hai vah ek nari hi samjh sakti hai purush nahi. Hamesha purush koi himakat ya dussahas bhara karya karta hai to kaha jata hai ki Samrath Ku Nahi Dosh Gosai magar koi stri aisa kare to khud dusri aurte aur samaj kahta hai ki ye badchalan hai, randi hai, charitrahin hai iske sath baithna baat karna to door muh dekhna bhi pap hai. Kyo purush pradhan samaj us stri ko sirf stri nahi samajhta kyo usse ek Devi hi bane rahne ki apeksha ki jati hai. Purush apne hisab se stri ko istemal karta hai. Apni maa bahan beti aur patni ko devi swarupa rakhna chahta hai magar dusri aurat ko bhogya. Wahi Munim Seth ki biwi 2 bahuon aur uski beti ko bhogne ke liye Sundri ka seth ke sath sauda karta hai magar Sundari ke Kar Adhikari ke dwara istemal kiye jane se shubdh hai usko sahan nahi hua. Udhar kar adhikari dwara Sundari ko do bar chod kar santusht hone ke bawjud bhi use nanga hi rakh kar uske nange chutdo par register rakh kar hi sign karne mansha ye darshati hai ki wah apni sign ki power ka istemal manmane dhang se hi karega apni sanak aur manmani ke sath hi.
Abhi kuchh fursat me hun to kahani ko dobara padh kar apne vichar pagar kiye hai. Apki kahani hai hi aisi rochak aur saral ki seedhe dil ke andar utarti hai. Ye kahani ka mukta ke sath sath dil aur jehan me ghar kar leti hai.
Apka bahut bahut dhanyvad aap likhte rahe khush rahe mast rahe aur pathko ko masti me sarovar karte rahe. Thanks.
Mast updateअब आगे
अरे! तुम तो बुरा मान गई मेरी रानी, मैं सब की बात नहीं करती सिर्फ मेरे पति की बात करती हु, और वह भला आदमी तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ है, तुम्हे चोदना चाहता है और हमारे में यह सब जानते है की हम औरतो का काम क्या है, चूत है तो लंड को ढीला रखने और करने की जिम्मेदारी हमारी रहती है।“
मादरचोद वह सब घर के लिए होता है बहार के लिए नहीं, यह गाव में ऐसा सिर्फ हर के लिए है, क्या तुम्हारी माँ ने यह नहीं सिखाया? घर के लंडो को ढीला रखने की जिम्मेदारी घर की औरतो की होती है और वह भी औरतो की मंजूरी से, समजी!”
अब मेरा पति भी तो तुम्हारे घर का ही तो है तुम कब से उस से मिलती हो, देखती हो, शायद बचपन से लेकिन अभी तक सिर्फ तुम्हारे नाम की मुठ ही मारता है या मेरी चूत तुम्हारी चूत समज के चोदता है बेचारा।
“बात तो सही है अब तुम्हारा घर और हमारा घर में कोई फर्क तो नहीं पर.. ठीक है।“ सुंदरी ने उसकी चूत में जोर से धक्का देते हुए कहा।
तो मैं क्या समजू? बहु ने भी सुंदरी के चूत में पलटवार करते हुए कहा। मैत्री और नीता की रचना
तो आज ही साथ ले आती, तेरे सामने ही साले का पूरा लंड गपक जाती। तू जब बोल तेरे पतिदेव को अपनी जवानी का मजा दूंगी.. । लेकिन तुम्हे भी तो कुछ करना पड़ेगा।"
दोनो फिर अपने काम में लग गए। सुंदरी बहू के चूत को जीभ और उंगली से एक्सप्लोर कर रही थी। बहू को बहुत मजा आ रहा था। ये पहला मौका था कि कोई उसकी चूत को चूस और चाट रहा था। बहू तो समझती थी कि मर्द औरत सिर्फ चुदाई करती है और चुदाई का मुतलब होता है चूत में लंड को डाल कर खूब जोर-जोर से धक्का देना और पानी गिरा कर सो जाना। आज जब सुंदरी उसकी चूत और क्लिट को चूस-चूस कर मजा ले रही थी तो बहू को भी बहुत मजा आ रहा था। चूस-चूस कर सुंदरी ने बहू को नीचे पटक दिया और सीधा होकर बहू के निपल्स को चूसने लगी।
कुछ देर तक चुची को मसलने और चूसने के बाद सुंदरी बहू के पेट और कमर को चूसा और चूमा और पैरों को फर्श पर मजबूती से रख कर बहू की मोटी मोटी जांघों को खूब फैलाया और मुंह में चूत को लेकर चबाने लगी।
“आह, सुंदरी क्या कर रही हो.. पागल हो के मर जाउंगी.. बहुत मजा आ रहा है.. आह.. पुरे बदन में तूने आग लगा दिया है…. जल्दी से चूत में लंड घुसा…।”
“हरामज़ादी… मार डालेगी क्या…!” बहू कराह उठी,,, "आअहह!" मैत्री और नीता की रचना
तभी परम नंगा होकर अपना तना हुआ लंड हाथ में पकड़े हुए कमरे में दाखिल हुआ। उसने सुंदरी को दूर धकेलते हुए कहा
“हट ज़ा माँ, अब मैं इसकी गर्मी उतारता हूँ।” यह कहते हुए उसने बहू की कमर पकड़ी और एक ही धक्के में उसका लंड बहू की रसीली चूत में गहराई तक उतार दिया।
“आह भाभी.. तू तो बहुत मस्त है..माल ह, कल रात को तेरी टाइट चुची दवाने के बाद ही मेरा लंड तेरी चूत में घुसने को बेताब था..ले साली मज़ा आ गया..मेरे लंड को अब काफी मजा आएगा।”
परम ने भाभी को पूरी ताकत और तेज़ी से चोदा। वह उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे किसी भाप इंजन का पिस्टन रॉड बैरल में अंदर-बाहर हो रहा हो।
“फच्च.. फुच्च, फच्चा…फुच्च..”
भाभी गोरी थी, उसके बाल बहुत लंबे थे। चौड़े कंधे और बहुत बड़े स्तन। वह मोटी ज़रूर थी, लेकिन मोटी नहीं, जबकि सुंदरी का फिगर एकदम सही था। परम को बहू को चोदते देख सुंदरी ने अपनी जांघें फैला दीं और बहू का एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया। परम अब भाभी के बड़े गोल स्तन पकड़े हुए था और उसे तेज़ी से चोद रहा था। कहने की ज़रूरत नहीं कि बहू भी चुदाई का उतना ही मज़ा ले रही थी। चुदाई पूरी गति और ताकत से जारी रही और सुंदरी ने खुद को उंगली से चोदना शुरू कर दिया। बहू ने यह देखा और परम से कहा,
“मेरी चूत ठंडी हो गई है, अब लंड निकाल कर अपनी माँ को चोद डाल.. देख कुतिया कितनी गरम हो गई है…!”
बहू ने परम को कसकर पकड़ लिया और फिर वह शांत हो गई, अब तक वो पहले से ही दो बार झड चुकी थी। लेकिन परम नहीं रुका.
“परम अब उतर जा… हो गया… फिर बाद में मेरी चूत मार लेना…” बहू ने कहा लेकिन परम ने जारी रखा और कुछ मिनटों के बाद उसने बहू की योनी को 'अपने लंड का मीठा रस' से भर दिया।
“अब तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी…” यह कहते हुए परम ने बहू को चूमा और उसके शरीर को सहलाता रहा। सुंदरी ने परम को बहू के शरीर से खींच लिया।
“बहू को थोड़ा सांस लेने दो, बेटे।”
बहू बिस्तर पर लेट गई और उसने परम का आधा लंगड़ा लंड पकड़ लिया।
"लंड का सुपारा (लंड का ऊपरी हिस्सा) कितना मोटा और बड़ा है। बाप रे इतना लंबा और मोटा! और सुपारा तो देखो....आआहहहह...सुंदरी, मजा आ गया परम से चुदवाकर...साला क्या मस्त चुदाई करता है...। सच में यह लंड मुझे माँ बन ने का गौरव प्रदान कर सकता है।"
"बहू, परम का सुपारा क्या देखती है, इसके बाप का सुपारा इससे डबल है...लेकिन हां लंबाई और मोटाई में परम का लंड अपने बाप से ज्यादा है। परम खुश था कि वह तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति में सुंदरी के साथ नग्न बैठा था।
सुन्दरी उठकर रसोई में चली गयी। उसके जाने के बाद बहू ने परम से पूछा,
“माँ को नंगा देख कर उसे चोदने का मन नहीं कर रहा है…!”
परम ने बहू को बाहों में लिया और चूमा। उन्होंने कहा, “रानी आज ही नहीं जब से लंड खड़ा होना चालू हुआ है तबसे मेरा मन सुंदरी को चोदने का करता है, लेकिन क्या करु, कोई माँ को चोदता है क्या?”
बहू ने उसके लंड की मुठ मारते हुए कहा। मैत्री और फनलवर की रचना
"तेरा दोस्त विनोद तो अपनी माँ और बहन को चोदता है, सुंदरी बता रही थी..." बहू ने लंड को चूमा “मौका निकाल कर कुतिया (सुंदरी) को चोद डाल, तेरी माँ सच में मस्त माल है।“
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बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी।
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।।जय भारत।।
Sundari ka naya lund milaअब आगे............
परम ने बात घुमा दी. “भाभी तुम बहुत मस्त हो.. मन करता है तुम्हें नंगा बैठा कर तुम्हारी चुचियों को दबाता रहू और तुम मेरा लंड चूसती रहो। भाभी लंड चूसो ना.. ।”
“छी… लंड कोई चूसने की चीज़ है।”
“भैया का लंड तो रोज़ चूसती होगी।” परम ने भाभी का सिर उसके लंड पर धकेल दिया।
“क्या करु, जब बहुत ज़िद करते हैं तो चूसना ही पड़ता है..” उसने कहा और परम का लंड निगल लिया।
परम उसकी पीठ और स्तनों को सहलाता रहा। धीरे-धीरे उसकी हथेलियाँ बड़े गोल और कसे हुए कूल्हों तक पहुँच गईं। उसने सहलाया और धीरे-धीरे अपनी उंगली दोनों कूल्हों के बीच की दरार पर फिराई। जब उसकी उंगली बहू की कसी हुई गांड में गई तो वह हैरान रह गया। उसे याद आया कि उसने देखा था
सुंदरी की गांड का छेद बहुत टाइट था और वह उसमें उंगली नहीं डाल पा रहा था। लेकिन यहाँ उसकी 3 इंच लंबी पहली उंगली पूरी तरह से गांड में घुस गई। बहू लंड मुँह में ले रही थी और परम उंगली से गांड चोद रहा था।
“भाभी लगता है, भैया तुम्हारी गांड भी बहोत मारते है।”
बहू ने सिर हिलाया.. परम उंगली करता रहा और गांड गीली हो गई। नीचे उसका लंड टाइट हो गया और बहू ने लंड मुँह से बाहर निकाल दिया.
“नहीं, गांड कभी नहीं मरावाउंगी…और तू भी बहुत पागल है, गांड में ऊँगली डाले जा रहा है।” बहू ने परम का हाथ गांड से बाहर निकाल दिया।
लेकिन परम को पता चल गया था की बहु की गांड बजी हुई है। वरना इतनी आसानी से उसकी ऊँगली गांड में नहीं जा सकती। लेकिन साली थोडा नाटक करती है। भाभी रानी इस गांड में मेरा लंड तो अब सफ़र करेगा ही।
सुंदरी गर्म दूध और नाश्ता लेकर लौट आई। तीन नग्न थे। नाश्ता ख़त्म करने के बाद बहू शौचालय चली गई। परम ने सुंदरी से पूछा कि आगे क्या करना है!
“जो करना है कर..बस बहु के सामने मुझे चोदना मत…!” सुंदरी ने उत्तर दिया। तभी बहू लौट आई और दोनों ने उसे बिस्तर पर खींच लिया।
वे एक-दूसरे को सहलाने लगे। वे एक दूसरे को नीचे धकेलने की कोशिश कर रहे थे। कुछ देर बाद परम ने सुंदरी को नीचे धकेल दिया और वह अपने लंड को सुंदरी की योनि से छूता हुआ ऊपर चला गया। बहू ने परम का लंड पकड़ लिया और उसे सुंदरी की चूत में घुसाने की कोशिश की। लेकिन सुंदरी ने अपना चूत का रास्ता पीछे खींचते हुए कहा,
“मादरचोद, जब तेरा बेटा होगा तो अपने बेटे से चुदवाना…!”
“चुदवाऊंगी कुतिया, तेरे सामने चुदवाऊंगी..पहले तू तो अपने बेटे का लंड खा ले।”
इसी तरह वे कुछ देर तक खेलते रहे और फिर बहू ने सुंदरी को अपने बेटे का लंड चूसने के लिए राज़ी कर लिया। पहले सुंदरी ने परम का लंड चूसा और जब लंड झड़ने की स्थिति में आया, तो परम ने अपना लंड माँ की चूत पर रगड़ा, जबकि बहू ने सुंदरी की चूत के होंठ खुले रखे। परम ने माँ की चूत पर वीर्य स्खलित कर दिया। अंत में, परम ने बहू को एक बार फिर डॉगी पोज़ में चोदा, जबकि बहू ने सुंदरी को पूरी तरह से और संतोषजनक चूसा, उसे कई बार झडा दिया।
समय कितनी तेजी से बीत गया उन्हें पता ही नहीं चला. दूसरे दौर की चुदाई के बाद बहू ने घड़ी देखी. दोपहर का एक बज चुका था.
"मुझे घर भी जाना है।"
और उसने कपड़े पहने। परम और सुंदरी ने भी ऐसा ही किया। और अगले 15 मिनट में ड्राइवर ने दरवाज़ा खटखटाया।
जाते समय बहू ने परम को चूमा और उसे अपने घर जल्दी आने को कहा।
परम दरवाजा खोलने के लिए चला गया तभी बहु ने सुंदरी को पास खींचते हुए कहा:” सुंदरी तुम बहोत सुन्दर हो और मस्त माल है तेरे पास उसका इस्तमाल करने दे मेरे पति को! और हा तुमने कहा की मुनीम यानी के परम के पताजी का लंड बहोत मोटा है क्या मुझे उस लंड को चखने देगी!”
सुंदरी ने उसके सामने आँख मारते हुए कहा अब घर है तो तेरी भी जिममेदारी है यहाँ के लंड को शांत करने की है ना!”
बहु मुस्कुराई और कहा जल्द ही मैं मुनीमजी का लंड को मेरी चूत शांत करेगी, मुझे भी उनसे चुदवाना है।
बहू के जाने के बाद सुंदरी ने परम को आंख मारी। “बोल, बेटा मजा आया… बहू को चोदने में!”
“मज़ा तो आया माँ, लेकिन अपनी माँ के चूत में लंड पेलने में जो मजा है उतना मजा किसी और की चूत में नहीं है…।”
परम ने कहा और माँ को चूम लिया। “अब तो बस छोटी बहू को चोदना बाकी है..सेठ के घर में जितनी कुतिया है सबको चोदूंगा।”
दोनों ने लंच किया और फिर दो बजे के बाद परम और सुंदरी सेठजी के ऑफिस के उस विशेष कमरे में दाखिल हुए। परम ने सुंदरी को आराम करने के लिए कहा और वह सेठजी के पास गया।
सेठजी उसे देखकर खुश हुए और पूछा, “माल आयी क्या?”
‘‘हां सेठजी, कमरे में बैठी है.’’ परम ने देखा कि कमरे में करीब 30 साल का एक युवक भी बैठा है। वह पतलून और शर्ट पहने हुए बाहरी व्यक्ति था। वह लगभग 5’10” लंबा और हृष्ट-पुष्ट शरीर का था। वह सांवला और हट्टा-कट्टा था।
सेठ ने कहा कि वह एक वरिष्ठ बिक्री कर अधिकारी है और कमरे में आराम करना चाहता है। सेठ ने दराज से एक पैकेट निकाला और परम को दिया। उसने उसे खोला नहीं, वह जानता था कि यह सुंदरी की इस अजनबी के साथ हुई चुदाई का भुगतान है। सेठजी ने सुंदरी की माल को सौदा के तौर पे उस अजनबी को गिफ्ट किया है।
तीनों कमरे में चले गए। सुंदरी उन्हें देखकर उठ खड़ी हुई। सेठ ने उसे बाहों में लिया और एक झटके में उसकी साड़ी उसके शरीर से उतार दी।
अजनबी ने हांफते हुए कहा, "क्या मस्त माल है, सेठजी बहुत मज़ा आएगा।" सेठ ने सुंदरी को अजनबी की ओर धकेल दिया।
"मेरा खास दोस्त है, पूरा मज़ा देना।" "और उसने परम को दो घंटे बाद सुंदरी को लेने के लिए वापस आने के लिए कहा.. सेठ के कमरे से चले जाने के बाद परम ने कमरा अंदर से बंद कर लिया और वह भी बाहर आ गया और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। अब सुंदरी अजनबी के साथ अकेली थी।
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बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी।
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।।जय भारत।।