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Ashiq Baba

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एक संस्कारी स्त्री के दोराहे पर खड़े होने का चरित्र चित्रण बहुत अच्छे से किया है आपने । एक तरफ उसकी प्यासी कामुकता उसे लालायित कर रही है क्योंकि सामने एक गबरू जवान लड़का जजसका औजार उसके लिए उपयुक्त परिपक्व है दूसरी तरफ उसके संस्कार उसे आगे बढ़ने नही दे रहे । वह निर्णय और अनिर्णय के बीच झूल रही है । अब ये देखना रोचक रहेगा कि उसकी अतृप्त कामुकता जीतती है या उसके संस्कार । इंतजार रहेगा अगले अपडेट का । बहुत शानदार तरीके से पेश किया है एक और अधेड़ संस्कारी औरत के अंतर्द्वंद को आपने । देखते है वह हिम्मत करती है या फिर हार जाती है समाज के बनाये हुए अच्छे और बुरे मापदंड के हिसाब से ।
 

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“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”

परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।

रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”

परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।

उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।

जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”


परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।

“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”

परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।

“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”

लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”

तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।

रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”

कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।

वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“
मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है



जाइएगा नहीं लिख रही हु ..................
Mast updates diye aapne
 
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शेठजीने उसे बैठने के लिये कहा।

परम :- “शेठजी, सुंदरी आपसे चुदवाने को तैयार हो गयी है, और वह आपके लंड को शांत करने के लिए रेडी हो गई है, आखिर आप हमारे अन्नदाता जो हो। उसने रुपये लाने को कहा है। पूरा 50000/- जो आपने कहा था…!”

शेठ के चेहरा ख़ुशी से चमक उठा। उन्होंने परम का हाथ पकड़ा और पूछा, “सच में!!! सुंदरी ने ऐसा कहा?"

“हाँ, शेठजी....वैसे मुझे उसको मनाने में काफी पसीना बहाना पड़ा, पर खेर आखिर मान ही गई,और कौन कहेगा आपका माल है अब आपको ही तो संभालना है लेकिन आप उसे चोदेंगे कहाँ पर? आपके घर में…? शेठानी तैयार नहीं होगी… !”

“अरे नहीं, यही पीछे वाले कमरे में।"

उन्होंने आगे बोला “उस कमरे को दो दरवाजे है। एक दरवाजा इस कार्यालय से और एक दरवाजा पीछे से है। मैं और मेरे दोस्त इस कमरे का उपयोग आराम करने के लिए करते है। एक चाबी तुम अपने पास रख लो और सुंदरी को पीछले दरवाजे से अंदर ले आना।“

शेठजीने उनके मुनीमको (सुंदरी के पति) आवाज देकर बुलाया और उसे कुछ निर्देश दिये।

परम के पिता ने तिजोरी से पैसे निकाल लिए और एक बैग में डालके शेठ को दिये । मुनीम के कमरे से बाहर जाने के बाद शेठजीने वो बैग परम के हाथ में थमा दिया और कहा,


“कल शाम को सुंदरी को साथ लेकर आना.... मैं वो पीछे वाला कमरा तैयार रक्खुंगा और किसीको इस बात का पता भी नही चलने दुंगा…! तुम्हारी माँ को आराम से छोड़ कर वापिस आराम से उसके घर ले जा सकोगे।”

“मेरे बाप को इस बारेमे भनक भी नही पडनी चाहीए....वर्ना भेन्चोद मेरे जैसा बुरा ..... इस बात का भी आपको खयाल रखना पडेगा…”, परम ने कहा ।

एक नौकर शरबत के दो गिलास ले आया। अपने बेटे के साथ शेठ इतनी अच्छी तरह पेश आ रहा है यह देखकर मुनीम को आश्चर्य हुआ। वो बेचारा तो इस बात से अनजान था कि कल पीछे के कमरे में उसकी नाक के नीचे उसकी अपनी बीवी शेठ के लंड अपने मुँह में और चूत में लेने वाली है। उसकी बीवी का सौदा जो हो चुका था।

शरबत पिते पिते परम ने अचानक पूछा, “शेठजी, आपकी बेटी रेखा बहोत प्यारी है, जब वो ससुराल चली जाएगी …आप बहोत अकेला महसूस करेंगे।"

“हाँ परम, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इकलौती बेटी है वो मेरी!” और मुझे पता है, वह भी तुम्हे बहुत ज्यादा पसंद करती है। है ना?"

“हाँ… शेठजी, शादी के बाद वो कही दूर चली जाएगी ये सोच के ही मुझे बहुत दु:ख होता है। उसने मेरी जिंदगी खुशियोंसे भर दी थी…।।!”

शेठजी को कहां पता था यह जवान लड़का पहले ही उसकी मोटी बिवी की चूत से खेला है और बेटी की गांड मार चुका है।

परम:- “शेठजी, आप सुंदरी के पीछे क्यों पडे हैं ? क्या शेठानी आपको अच्छी नही लगती? मुझे तो वो बहुत प्यारी लगती है।"

शेठजी:- “तू बच्चा है, तुझे नहीं मालूम, साली (शेठानी) बिल्कुल थूल-थूल हो गयी है। उसमें कुछ मजा नहीं है कही भी हाथ लगाओ तो लगता है की माँस के लोथडे (मीट लोफ) को दबा रहा हूँ। लेकिन तेरी माँ सुंदरी को देखते ही पूरे बदन में खुन दौड़ने लगता है, बहुत मजा आएगा साली को दबाने में…चोदने में।”
आप नीता और मैत्री की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

शेठ पुरा गरमा गया था । परम ने फिर पूछा, “शेठानी के अलावा और किस-किस को चोदा है अब तक?”

“अरे बेटे, जवानी के दिनों में तो बहुतो को चोदा है, जो औरत घर में आती थी सबको बहला फुसलाकर या पैसा देकर चोद लेता था…!”

“तो फिर सुंदरी को क्यों नहीं चोदा? वो भी तो आपके घर में आती-जाती थी! आज 36 साल की उम्रमें ऐसी मस्त माल लगती है तो पहले कैसी लगती होगी…?”


आपकी राय की अपेक्षा.........
Behtreen update
 
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“पुछ मत बेटा, उसको देख-देखकर मैंने जितना पानी गिराया है उतना मैंने तेरी शेठानी को चोदकर भी नहीं गिराया होगा। लेकिन साली सुंदरी ने कभी मौका ही नहीं दिया, अभी तक मैं उसका हाथ नहीं पकड़ पाया, पर अब तुम साथ दे रहे हो तो तेरी माँ को चोदने का मौक़ा मिलेगा, कल तेरी माँ को चोदूँगा।“

सेठ ने आगे कहा, "तुम्हें पता है, तुम्हारी माँ समय के साथ और भी अच्छी होती जा रही है। वो इतनी चुदासी कभी नहीं थी जितनी अब दिखती है। इस गाव का सब से अच्छा माल बस मेरे नजरिये से सिर्फ और सिर्फ तेरी माँ है।"
सेठ बिल्कुल युवा लोगो की तरह मस्त हो गया था। 50 साल से ऊपर था और 18 साल के लड़के के साथ चुदाई की बात कर रहा था।
“अब क्या कहू बेटा, तेरी माँ की चूत ही मेरे लंड को शांत कर ने के काबिल है, उसे लंड चूसा-चूसा कर चोदूँगा…”, शेठ वासना के नशे में बडबडाता रहा,

“ बढती उम्र के साथ-साथ तुम्हारी मां की जवानी भी खिलती जा रही है…और मैं बहनचोद अभी तक मेरे लंड को उसकी चूत का भोसड़ा बनाने का मौक़ा नहीं मिला,कभी-कभी मुज पर लानत समजता हु बेटे, मुझे तेरी माँ की चूत और गांड चाहिए बेटा उसके लिए कुछ भी कर और कुछ भी करने को तैयार हु।“

शेठजी ने अपने लंड को दबाते हुए कहा: “वो पहले कभी इतनी चुदासी नही दिखी।।…जितनी अब दिखती है। जब देखो साली लंड को परेशान करती रहती है।”

शेठ बिल्कुल जवान लौन्डो की तरह मस्ता गया था।

परम ने मौके को समजते हुए, परम शेठ की बहुओं के बारे में भी गंदी बाते करना चाह रहा था…। इसलिए उसने पूछा,

“ शेठजी, अगर आपको मेरी बहन महेक, रेखा और आपकी दोनों बहुओं में से सिर्फ किसी एक को चोदनेका मौका दिया जाए, तो आप किसको चोदना चाहेंगे?”

शेठ गहरी सोंच में डूब गया। परम को लगा की कहीं यह सुनकर शायद शेठ उस पर गुस्सा न हो जाये। थोड़ी सी गांड फटी उसकी। लेकिन शेठ तो मन ही मन चारों लडकियोंकी तुलना करने में मशगुल था।

थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “ युं तो तुम्हारी बहन उम्र में सबसे छोटी होने की वजह से माल बहोत ही कसा हुआ होगा, चुदाई का बहूत मजा देगी, और उसको चोद ने में भी ज्यादा मजा आएगा, तेरी बहन सिलपेक होगी और ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता की उसका सिल मेरे लंड से टूटे, लेकिन फिर भी मै अपनी छोटी बहु लीला को चोदना पसंद करूँगा …वो गजब की सुन्दर और चुस्त शरीर की मालकिन है…। इसलिए सुंदरी के अलावा अगर मै किसी और के चूत में अपना लंड डालने के लिए बेक़रार हूँ तो वोह है मेरी छोटी बहु…लीला!”
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

परम:- “लेकिन मैं तो आपकी बेटी रेखा को चोदना चाहता हूँ…। साली बहुत मस्त-मस्त और चुस्त माल है…क्या बेटी पैदा की है आपके इस लंड ने।“

परम भी अपने दाव खेलने लगा,”क्या आपने कभी अपनी छोटी बहु को नंगा देखा है?”

शेठने इधर-उधर देखा और कहा- “देखा तो नहीं है लेकिन देखना चाहता हूँ…मादरचोद को मादरजात स्वरुप में देखना चाहता हु।”

शेठने परम की पीठ थपथपाई और फिर से कहा, “मैंने लीला बहू को कपड़े बदलते हुए देखा है और चोरी-चोरी कई बार कुतिया को खाली पेटीकोट और ब्रा में देखा है, क्या टाइट माल है,बेटा।

सुंदरी को पटाने के बाद उसे ही बोलूँगा की वो मेरी छोटी बहू को मेरा लंड के लिए तैयार करे…!”

दरवाज़े पर दस्तक हुई और परम के पिता की आवाज़ आई जो शेठ को किसी व्यापारी के आने की खबर दे रहे थे। शेठ उठे और परम से कहा कि “बेटा,कल दोपहर 2 बजे सुंदरी-मेरी माल को पिछले गेट से ले आना।“


“जी शेठजी आप फिकर ना करे, समजो आपकी परी आपके लंड पर आ गई,” परम ने 50,000 रुपये से भरा बैग लिया और अपने घर के लिए निकल पड़ा।

क्रमश:
Wha bhyi beta hi maa ka dalaal bana. Mast update
 
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Update 04



रात के खाने के बाद सुधा महेक के साथ उसके बिस्तर पर बैठी और परम उसके बिस्तर पर लेटा। महेक ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सीधे मुद्दे पर आ गयी।

जब परम रूम में घुसा उस से पहले दोनों सहेलिया आपस में बात करती हुई....

महक: “आजा सुधा यहाँ आके बैठ।“

सुधा उसके पास जाके पलंग पर बैठी और बोलती है, “हां बोल क्या बात है?”

महक; “वैसे तो तुजे सब पता है अब बोलने में क्या है जो है अब एक्शन ही होगा ना!” उसने सुधा को अपनी ओर खींचते हुए और उसके बोबले को थोडा पकड़ते हुए बोली।

सुधा: “अरे यार ये क्या कर रही हो! छोडो यह सब तुम जानती तो हो की मेरा बाप और नौकरानी की चुदाई देख-देख के मई कितनी चुदासी महसूस कर रही हु और तू है की खजाने पर हाथ रख के उस आग को भडका रही हो।

महक: “हां, तो क्या बुरा है इस आग को बढ़ने दे ना यहाँ कौनसा तेरा बाप आके तुजे रोकनेवाला है!”

वैसे महक ने सुबह से ही तय किया था की आज अपने भाई को एक नया ताज़ा माल देगी और उसके लिए उसे सुधा से बात कर के थोड़ी गरम कर के उसकी चूत को गीली कर के भाई के सामने पेश करना होगा। और उसके लिए ही वह आज उसके साथ बाते करके सुधा को अपने भाई के लिए तैयार करने में लगी हुई थी।
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

सुधा:”हा बात तो सही है लेकिन क्या करू कुछ समज नहीं आता! एक तरफ लगता है की कोई लंड ले लू और दूसरी तरफ डर भी लगता है की कही कुछ ऐसा वैसा ना हो जाए जिस से मेरी और माँ-बाप की इज्जत पर लांछन ना लग जाए।

महक:”अब इतना सोचेगी तो कुछ होनेवाला नहीं है, चल छोड़ अब ऐसी बाते नहीं करते जिस से तुम्हारी इज्जत जाने का डर बना रहे।

सुधा को लगा की बात कुछ बिगड़ गई, तो उसने तुरंत जवाब दिया; “अरे ऐसा भी नहीं है की हम बात नहीं कर सकते, वैसे भी मैंने कहा ना मुझे चुदासी का अनुभव होता है पर डर भी लगता है, वैसे एक बात कहू कोई भरोसेमंद लड़का भी तो मिलना चाहिए।“

महक को लगा ली अब रेलगाड़ी पटरी पे आई है;”देख ऐसा है और तू तैयार है तो मई आने भाई से बात करके तेरा शील तोड़ने का प्रबंध कर सकती हु। लेकिन तेरी रजामंदी होनी जरुरी है आखिर मैं भी तो फिमेल हु और मुझे तेरी फिकर भी है। महक ने दाना डाला।

सुधा: ”तू तो मेरी सबसे अच्छी सहेली है अब तुज से कुछ छुपा नहीं है , पर क्या परम मेरे बारे में ऐसा सोचता होगा!”

महक: “अरे, सोचता क्या होगा! वह तो कब से तेरी आस लगाए बैठा हुआ है तुम्हे क्या पता मेरी डार्लिंग!”

धीरे-धीरे महक ने सुधा के पेड़ो को चौड़ा कर दिया और उसकी परी पर अपना हाथ रखते हुए बोली: “देख अगर तू तेरा शील मेरे भाई के लंड को गिफ्ट करेगी तो मैं भी कुछ सोचूंगी ना तेरे बाप के बारे में!”

“ओह्ह तो तू भी मेरे बाप के साथ......!” सुध ने महक का हाथ थोडा दबाते हुए कहा।

अब हमारी चूत है की लंड के हाथ मार खाने को तो फिर सोच्नेवाल्ली क्या बात है हम दोनों मिल के कुछ करेंगे. लेकिन अभी नहीं, अभी तो सिर्फ तू मेरे भाई के लंड को ठंडा कर और खुद भी चुदाई का मजा ले, बस सिर्फ तू चाहे तो!”

थोड़ी सोचने के बाद सुधा ने हामी भर दी लेकिन शर्त राखी के वह अकेली नहीं रहेगी और महक भी साथ रहे गी और कुछ साथ भी देगी। इसतरह दोनों की सम्मति हो गई और दोनों ने मुस्कुराते हुए अपने-अपने हाथ एकदुसरे के बोबले पे रख दिया। और महक ने बता भी दीया की वह और परम एकदूसरे के साथ सोते है और एक दुसरे के साथ खेल भी चुके है बस चुदाई नहीं हुई।


तभी परम ने रूम में एंट्री मारी....
Bhout hi lucky character dhala hai Param ki toh lottery hi nikal parhi hai nice update
 
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सुबह सुंदरी उठी और देखा कि बच्चों का कमरा खुला है। अन्दर आई तो जो देखा और वह अवाक रह गई। दोनो लड़किया बिल्कुल नंगी परम के शरीर पर जांघें रख कर सोयी है। सुंदरी नजरीक गई, बेड पर खून के स्पॉट दिखे, वह समझ गई कि रात को परम ने सुधा की सील तोड़ी है। 'क्या पता अपनी बहन की भी चुदाई करता हो। माँ को तो चोद ही चुका है।'

सुंदरी ने थोड़ी देर तक दोनों की चूत को सहलाया और यह तय किया कि रात को अपनी बेटी के सामने परम से चुदवायेगी और बेटी को अपनी चूतरस का स्वाद चखायेगी। उसने परम के लंड की ओर देखा और उस लंड पर उसे प्रेम आया पर वह कुछ नहीं कर सकी। फिर से उसने अपनी बेटी की चूत पर हाथ रखा और देखा की बेटी की चूत गीली होक सुख गई थी और सुधा की चूत पर परम का वीर्य अभी भी सुख के जैम गया था, और काफी खून भी बह निकला था। उसने एक ऊँगली से सुधा की चूतद्वार पे ले गई और थोडा रब कर के अपनी ऊँगली पर उस चूत की गंदकी को लिया और सीधा अपने मुह में रख दिया। “स्वादिष्ट हो तुम सुधा!” वह थोडा मुस्कुराई और सुधा की गांड की और देखा उसने सोचा अभी गांड परम ने छोड़ दी है क्यों ??? और वह धीरे से कमरे से बहार निकल गई।

अगली सुबह परम बेहद खुश था। रात में सुधा की वर्जिन चूत का मजा लिया, उसकी सिल को तहस नहस किया और खून से भर दिया। सुंदरी के पूछने पर परम ने चुदाई का पूरा किस्सा सुनाया। बाद में परम और महेक सुधा को लेकर उसके घर पहुंच गए। सुधा की चूत रात की चुदाई से अभी तक दर्द हो रहा था, उसे चलने में थोडा असहज महसूस हो रहा था पर रात के आराम की वजह ज्यादा भी नहीं। लेकिन यह तय था की सुधा की चाल में थोडा बदलाव जरुर था।

परम सुधा को घर छोड़ कर कोलेज गया। वहा गेट पर हाय विनोद मिल गया। परम ने खुश होकर विनोद से कहा कि उसने कल सुंदरी को पूरा नंगा कर दिया और उसकी मस्त मस्त निपल भी दबायी। उसने बताया कि सुंदरी, विनोद से चुदवाने को तैयार हो गई है। यह सुनकर विनोद बहुत खुश हुआ। परम ने कहा कि कल दोपहर में वो पूरा रुपया लेकर उसके घर आ जाए ठीक 2 बजे। विनोद हां सुनकर इतना खुश हुआ कि उसने परम का हाथ पकड़ कहा चल आज तुझे एक साथ दो-दो चूत का मजा दिलावाता हूं। विनोद, परम को लेकर सीधा अपने घर पर आया। वहा विनोद की बहन (उससे बड़ी) बहार के बरामदे पर कुछ लोगो के साथ बैठ कर कागजात देख रही थी और लोगो से रुपया वसूल कर रही थी। परम उसे जानता था इसलिए उसने उसे उसकी खबर पूछी।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

उसने उसे थपथपाया और डांटा कि “क्यों आजकल तू यहाँ उसके घर नहीं आ रहा है?


विनोद ने उससे कहा कि “जल्दी काम ख़त्म करो और दरवाज़ा बंद करके अंदर आ जाओ”।
अपने विचार जरुर दीजिये
Yeh Gao hai ke kya hai sub dalaal bane hue hai. Gajab ki kahani hai
 
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अब आगे........

“तूने रेखा को चोद लिया क्या?” शेठानी ने पूछा।




परम को सेठानी के सवाल की कहा पड़ी थी। परम ने सीधा सेठानी के ऊपर हमला कर दिया,परम ने शेठानी को पूरा नंगा कर दिया और उसके मांसल शरीर को सहलाते हुए कहा “नहीं रानी, तेरी बेटी की सिल नहीं तोड़ी है खाली चूत चाटी है और अपना लंड चुसाया है, और तेरी बेटी ने बड़े प्यार से मेरा लंड चूसा है और मेरा वीर्य को निगल गई और सो गई है, आ जा अब तुझे भी लंड चुसाता हूं।”

“अच्छा ठीक है लेकिन रेखा ने अच्छे से तेरे इस लौड़े को चूसा ना! ठीक से लंड का माल निकाला ना!”

“अभी सिख रही है तेरी बेटी, आदत हो जायेगी फिर वह भी तुम्हारे तरह मुझे अच्छे से चूसेगी और अपनी गांड भी फड़वाएगी तुम चिंता ना करो मेरे लंड की रानी। बस तुम अपने छेदों को जी भर के मेरे लंड को चोदने दो। तुम दोनों माँ-बेटी को मेरे लंड की आदत पड़ जाने दो। रानी, सही कह रहा हु न!”

“मुझे बस रेखा की चिंता थी बेटे, लेकिन अब तुम एक भरोसेमंद चोदु हो तो मुझे कोई तकलीफ नहीं आराम से उसके मुह को चोद और उसकी गांड की भी केर करता रह। फिर जब शादी के बाद आती है तो तेरा इस लंड से उसको गर्भवती भी कर देना और क्या चाहिए तुम्हे और मुझे भी! लेकिन इस रेखा के चक्कर में मेरी इस भोस को मत भूलना बेटे, आते जाते उसमे भी पानी डालते रहना। खुश हो के आशीर्वाद देगी बेचारी मेरी चूत।“

परम: “अरे, रानी फिकर क्यों करती हो,तुम चाहो तो अभी मेरे इस लंड से बच्चा ले सकती हो।“

अरे नहीं बेटे, मैं तो इस लिए कह रही थी की सब मर्दों को जवान और कमसिन माल में रस होता है, उसकी जवानी को तोड़ने में मजा होता है तो मैं समजी की तुम मुझे रेखा की मखमली चूत के सामने मुझे भूल जाओगे, इसलिए मैंने कहा बाकी मुझे मेरी बेटी को तुमसे चुदवाने में कोई रंज नहीं है, रेखा को जितना चोदेगा उतना तुम दोनों को मजा है और मुझे मेरी चूत में तेरा पानी ना सुख जाए बस।“

शेठानी गद्दे पर बैठ गई और परम के लंड को प्यार से चूसने लगी। थोड़ा देर चूसने के बाद परम से उसकी चूत चाटने को कहा। परम 69 पोजीशन में होकर चूत चूसने लगा। शेठानी की चूत सुंदरी की चूत का साइज से दोगुना हो गया। डबल रोटी जैसा फूला हुआ, लंबी फांक, करीब एक इंच लंबा क्लिट और फुद्दी / पंखुड़ियां बाहर निकले हुए। परम हर पार्ट्स को खूब मजे ले लेकर, जैसे कि चिकन की टांग चबा रहा हो, चूस रहा था। शेठानी भी लंड को कैंडी के जैसा प्यार से चाट रही थी। परम ने दोनों हाथो से मोटी मोटी जांघों को नीचे की तरफ खींच कर चूत को ऊपर उठा दिया था और उसकी गांड भी खुल गई थी। तभी शेठानी ने लंड मुँह से निकाला और कहा, “बेटा जल्दी चोदो नहीं तो कोई आ जाएगा तो मजा ख़राब हो जाएगा।”

परम निचे उतर कर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रख कर फचा-फच, फचा-फच चुदाई करने लगा। परम खूब दम लगा कर चोद रहा था।

“रानी, गांड मरवाओगी?”


"आज नहीं। शादी ख़त्म होने दो फिर दिनभर तुम्हारे लौड़े को चूत और गांड के अन्दर ही रखूंगी। अभी फटा-फट चोद के चूत को ठंडा कर दो।ज्यादा जोर से मारो बेटे, मेरी चूत कब से तेरे इस डंडे से मार खाने को तड़प रही है।" परम प्यार से मोटी-मोटी निपल दबा और शेठानी के होठों को चूम-चूम कर अपना लंड पाओ-रोटी जैसी चूत में पेलता रहा। शेठानी भी चुत्तर उछाल उछाल मजा ले रही थी और अपनी किस्मत को सराह रही थी की एक 45-46 साल की चूत को 20 साल का लौंडा प्यार से चोद रहा था। जैम के उसकी चूत की सर्विस कर रहा था। मैत्री और फनलव की अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


कोमेंट बॉक्स में आप के सहकार की अपेक्षा सह:
Awesome update and dialogues
 
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एक संस्कारी स्त्री के दोराहे पर खड़े होने का चरित्र चित्रण बहुत अच्छे से किया है आपने । एक तरफ उसकी प्यासी कामुकता उसे लालायित कर रही है क्योंकि सामने एक गबरू जवान लड़का जजसका औजार उसके लिए उपयुक्त परिपक्व है दूसरी तरफ उसके संस्कार उसे आगे बढ़ने नही दे रहे । वह निर्णय और अनिर्णय के बीच झूल रही है । अब ये देखना रोचक रहेगा कि उसकी अतृप्त कामुकता जीतती है या उसके संस्कार । इंतजार रहेगा अगले अपडेट का । बहुत शानदार तरीके से पेश किया है एक और अधेड़ संस्कारी औरत के अंतर्द्वंद को आपने । देखते है वह हिम्मत करती है या फिर हार जाती है समाज के बनाये हुए अच्छे और बुरे मापदंड के हिसाब से ।
Bahot bahot dhanyawad aapka

Ji vastavik hota to shayad kuchh aur jit sakta tha par avastavikta me aapke soch ke anurup hi chalna chahiye......

Dekhte hai aage kya hota hai. Kaun si soch powerful hai.

Shukriya again.
 
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