मुझे लगा की सुंदरी का अब क्या होगा वह ज्यादा सुस्पेंस ना रखु और लिख दू
हालाँकि मुनीम ने खुद उसे सेठजी को संतुष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन उसे यकीन था कि सेठजी को उसका किसी और के साथ चुदना बिल्कुल पसंद नहीं आएगा। उसने खुद को अजनबी की जांघों के बीच और भी करीब खींच लिया। दूसरी ओर, मुनीम को उस समय गहरा सदमा लगा जब उसने एक नग्न आकर्षक महिला को एक नग्न पुरुष की जांघों के बीच अपना सिर घुसाते देखा। मुनीम ने अपनी पत्नी की खुली हुई चूत देखी। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था। मुनीम अन्दर से जानता था की वह औरत कौन है। अजनबी ने मुनीम से कहा कि वह सुंदरी की पीठ पर रजिस्टर रखे। मुनीम बिस्तर पर बैठने से हिचकिचाया, लेकिन वह अपने प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका। चूत को करीब से देखने का मन हुआ और वह सुंदरी के बहुत करीब बैठ गया। मुनीम ने एक-एक करके रजिस्टर खोला और अजनबी ने मनचाही जगहों पर हस्ताक्षर और मोहरें लगाईं।
पन्ने पलटते हुए मुनीम ने सुंदरी को इधर-उधर छुआ और एक बार तो चूत पर अपनी उंगली भी फिराई। वह उसका चेहरा देखना चाहता था, लेकिन सुंदरी का चेहरा उसके घने बालों से पूरी तरह ढका हुआ था। रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने में सिर्फ़ 10 मिनट लगे, लेकिन सुंदरी को तो सालों लग गए। मुनीम के जाने और सेठ के अंदर से दरवाज़ा बंद करने के बाद, सुंदरी ने अपना सिर उठाया।
सेठ मुस्कुराया।
"आप बहुत गंदे हैं," उसने सेठ की तरफ मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे सबके सामने नंगा कर दोगे..." उसने अजनबी का लंड सहलाया और पूछा, "
किसी को चोदना है? कि कपड़े पहन लूँ...?"
अजनबी उठा और सुंदरी को चूमा, "मैं तो थक गया हूँ..." और कपड़े पहनने लगा। सेठ ने कुछ देर तक उसे सहलाया और फिर दोनों बाहर चले गए, सुंदरी को कमरे में अकेला छोड़कर। उसने अंदर से दोनों दरवाज़े बंद कर लिए और बिस्तर पर नंगी पड़ी रही। उसने मुस्कुराते हुए खुद से कहा, "मैं आज से वेश्या बन गई हूँ और मेरा बेटा,पति और सेठजी मेरे दलाल बनगए है!" और अपनी आँखें बंद कर लीं।
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।।जय भारत।।