अब आगे
अरे! तुम तो बुरा मान गई मेरी रानी, मैं सब की बात नहीं करती सिर्फ मेरे पति की बात करती हु, और वह भला आदमी तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ है, तुम्हे चोदना चाहता है और हमारे में यह सब जानते है की हम औरतो का काम क्या है, चूत है तो लंड को ढीला रखने और करने की जिम्मेदारी हमारी रहती है।“
मादरचोद वह सब घर के लिए होता है बहार के लिए नहीं, यह गाव में ऐसा सिर्फ हर के लिए है, क्या तुम्हारी माँ ने यह नहीं सिखाया? घर के लंडो को ढीला रखने की जिम्मेदारी घर की औरतो की होती है और वह भी औरतो की मंजूरी से, समजी!”
अब मेरा पति भी तो तुम्हारे घर का ही तो है तुम कब से उस से मिलती हो, देखती हो, शायद बचपन से लेकिन अभी तक सिर्फ तुम्हारे नाम की मुठ ही मारता है या मेरी चूत तुम्हारी चूत समज के चोदता है बेचारा।
“बात तो सही है अब तुम्हारा घर और हमारा घर में कोई फर्क तो नहीं पर.. ठीक है।“ सुंदरी ने उसकी चूत में जोर से धक्का देते हुए कहा।
तो मैं क्या समजू? बहु ने भी सुंदरी के चूत में पलटवार करते हुए कहा। मैत्री और नीता की रचना
तो आज ही साथ ले आती, तेरे सामने ही साले का पूरा लंड गपक जाती। तू जब बोल तेरे पतिदेव को अपनी जवानी का मजा दूंगी.. । लेकिन तुम्हे भी तो कुछ करना पड़ेगा।"
दोनो फिर अपने काम में लग गए। सुंदरी बहू के चूत को जीभ और उंगली से एक्सप्लोर कर रही थी। बहू को बहुत मजा आ रहा था। ये पहला मौका था कि कोई उसकी चूत को चूस और चाट रहा था। बहू तो समझती थी कि मर्द औरत सिर्फ चुदाई करती है और चुदाई का मुतलब होता है चूत में लंड को डाल कर खूब जोर-जोर से धक्का देना और पानी गिरा कर सो जाना। आज जब सुंदरी उसकी चूत और क्लिट को चूस-चूस कर मजा ले रही थी तो बहू को भी बहुत मजा आ रहा था। चूस-चूस कर सुंदरी ने बहू को नीचे पटक दिया और सीधा होकर बहू के निपल्स को चूसने लगी।
कुछ देर तक चुची को मसलने और चूसने के बाद सुंदरी बहू के पेट और कमर को चूसा और चूमा और पैरों को फर्श पर मजबूती से रख कर बहू की मोटी मोटी जांघों को खूब फैलाया और मुंह में चूत को लेकर चबाने लगी।
“आह, सुंदरी क्या कर रही हो.. पागल हो के मर जाउंगी.. बहुत मजा आ रहा है.. आह.. पुरे बदन में तूने आग लगा दिया है…. जल्दी से चूत में लंड घुसा…।”
“हरामज़ादी… मार डालेगी क्या…!” बहू कराह उठी,,, "आअहह!" मैत्री और नीता की रचना
तभी परम नंगा होकर अपना तना हुआ लंड हाथ में पकड़े हुए कमरे में दाखिल हुआ। उसने सुंदरी को दूर धकेलते हुए कहा
“हट ज़ा माँ, अब मैं इसकी गर्मी उतारता हूँ।” यह कहते हुए उसने बहू की कमर पकड़ी और एक ही धक्के में उसका लंड बहू की रसीली चूत में गहराई तक उतार दिया।
“आह भाभी.. तू तो बहुत मस्त है..माल ह, कल रात को तेरी टाइट चुची दवाने के बाद ही मेरा लंड तेरी चूत में घुसने को बेताब था..ले साली मज़ा आ गया..मेरे लंड को अब काफी मजा आएगा।”
परम ने भाभी को पूरी ताकत और तेज़ी से चोदा। वह उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे किसी भाप इंजन का पिस्टन रॉड बैरल में अंदर-बाहर हो रहा हो।
“फच्च.. फुच्च, फच्चा…फुच्च..”
भाभी गोरी थी, उसके बाल बहुत लंबे थे। चौड़े कंधे और बहुत बड़े स्तन। वह मोटी ज़रूर थी, लेकिन मोटी नहीं, जबकि सुंदरी का फिगर एकदम सही था। परम को बहू को चोदते देख सुंदरी ने अपनी जांघें फैला दीं और बहू का एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया। परम अब भाभी के बड़े गोल स्तन पकड़े हुए था और उसे तेज़ी से चोद रहा था। कहने की ज़रूरत नहीं कि बहू भी चुदाई का उतना ही मज़ा ले रही थी। चुदाई पूरी गति और ताकत से जारी रही और सुंदरी ने खुद को उंगली से चोदना शुरू कर दिया। बहू ने यह देखा और परम से कहा,
“मेरी चूत ठंडी हो गई है, अब लंड निकाल कर अपनी माँ को चोद डाल.. देख कुतिया कितनी गरम हो गई है…!”
बहू ने परम को कसकर पकड़ लिया और फिर वह शांत हो गई, अब तक वो पहले से ही दो बार झड चुकी थी। लेकिन परम नहीं रुका.
“परम अब उतर जा… हो गया… फिर बाद में मेरी चूत मार लेना…” बहू ने कहा लेकिन परम ने जारी रखा और कुछ मिनटों के बाद उसने बहू की योनी को 'अपने लंड का मीठा रस' से भर दिया।
“अब तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी…” यह कहते हुए परम ने बहू को चूमा और उसके शरीर को सहलाता रहा। सुंदरी ने परम को बहू के शरीर से खींच लिया।
“बहू को थोड़ा सांस लेने दो, बेटे।”
बहू बिस्तर पर लेट गई और उसने परम का आधा लंगड़ा लंड पकड़ लिया।
"लंड का सुपारा (लंड का ऊपरी हिस्सा) कितना मोटा और बड़ा है। बाप रे इतना लंबा और मोटा! और सुपारा तो देखो....आआहहहह...सुंदरी, मजा आ गया परम से चुदवाकर...साला क्या मस्त चुदाई करता है...। सच में यह लंड मुझे माँ बन ने का गौरव प्रदान कर सकता है।"
"बहू, परम का सुपारा क्या देखती है, इसके बाप का सुपारा इससे डबल है...लेकिन हां लंबाई और मोटाई में परम का लंड अपने बाप से ज्यादा है। परम खुश था कि वह तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति में सुंदरी के साथ नग्न बैठा था।
सुन्दरी उठकर रसोई में चली गयी। उसके जाने के बाद बहू ने परम से पूछा,
“माँ को नंगा देख कर उसे चोदने का मन नहीं कर रहा है…!”
परम ने बहू को बाहों में लिया और चूमा। उन्होंने कहा, “रानी आज ही नहीं जब से लंड खड़ा होना चालू हुआ है तबसे मेरा मन सुंदरी को चोदने का करता है, लेकिन क्या करु, कोई माँ को चोदता है क्या?”
बहू ने उसके लंड की मुठ मारते हुए कहा। मैत्री और फनलवर की रचना
"तेरा दोस्त विनोद तो अपनी माँ और बहन को चोदता है, सुंदरी बता रही थी..." बहू ने लंड को चूमा “मौका निकाल कर कुतिया (सुंदरी) को चोद डाल, तेरी माँ सच में मस्त माल है।“
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बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी।
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।।जय भारत।।