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Sorry, could not post earlier..very sexy updates and you (or your story) is exploring new terrories and relations!!
Great going.

Jai Bharat!!

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I can understand your condition
Never mind
Thanks
 
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अअहा शायद मेरा एपिसोड आप लोगो को आकर्षित नहीं कर पाया।
अगर आप लोगो को कहानी में मजा नहीं आती या एपिसोड में मजा नहीं आई तो भी बताना ताकि मैं ग=फिर कहानी को लम्बाई ना देते हुए जल्द ही ख़तम करे।
 

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Update 08



सुंदरी ने अपनी टैंगो को ऊपर उठाया हुआ कहा।

“उसने कहा क्या?” परम ने पूछा.. “मैंने तो कल ही उसकी बड़ी-बड़ी चूची दबाई और उसे चूमा।”

“तो आज चोद लेना, लेकिन पहले हम दोनों मस्ती ले-ले उसके बाद।” सुंदरी ने परम को सहलाया और जारी रखा:

“पहले हम दोनो नंगी होकर एक दूसरे को चूमेंगे और चाटेंगे और उसके बाद तुम आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल देना.. ।”

“माँ, मैं तुम्हें बाबूजी के सामने भी चोदना चाहता हूँ…!”

“जल्दी मौका दूंगी, सब एक साथ तो नहीं होता ना बेटे! समय समय पे सा सब होगा।” सुंदरी ने उसे धक्का दे दिया। उसने परम को ठीक से कपड़े पहनने को कहा। उषा को ये अंदाज़ा नहीं लगना चाहिए कि हम मादरचोद हैं।

उन्होंने अच्छे से कपड़े पहने। सुंदरी ने सामान व्यवस्थित किया और लगभग 11 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। सुंदरी ने दरवाजा खोला।

बड़ी बहू ड्राइवर के साथ थी। परम सुंदरी के साथ फ्रेम में नहीं था। सुंदरी ने ड्राइवर से कहा कि वह दो घंटे बाद आकर उसे (बहू को) ले जाए।

सुंदरी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, बहू को बाहों में लिया और उसे चूम लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना

"मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ!"

उसने बहू को अपने बिस्तर पर बिठाया। वह दो गिलास मीठा पेय लेकर वापस आई। जब दोनों पी रहे थे, परम भी वहाँ आ गया। वह बहू को देखकर मुस्कुराया, लेकिन बहू ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसे पिछली रात की बात याद आ गई और याद आया कि रात में जब उसका पति उसे चोद रहा था, तो उसने कल्पना की थी कि परम का लंड उसकी चूत में है।

उन्होंने कुछ देर बातें कीं और फिर सुंदरी ने परम को बाहर जाने और किसी को अंदर न आने देने के लिए कहा। उसने उसे भी अंदर न आने की चेतावनी दी। परम बाहर आ गया। सुंदरी ने दरवाजा बंद कर दिया। बहू उठ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हालाँकि पहले उसने अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सहलाया था, लेकिन हमेशा कपड़ों के ऊपर से। कल रात ही उसने सुंदरी के कपड़े ऊपर करके उसकी रसीली चूत देखी और सहलाई। पीछे से सुंदरी ने बहू के बड़े-बड़े स्तनों को दबाया और बहू ने भी सुंदरी को अपनी तरफ खींचकर नंगी कर दिया। दोनों एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगीं। ऐसा करते हुए सुंदरी ने बहू को नंगी कर दिया।

"बोल रानी क्या चाहिए.?." सुंदरी ने पूछा।

"मैं तुम्हें चोदूँगी..." बहू ने जवाब दिया।

"कैसे चोदेगी कुतिया!"

लेकिन तभी सुंदरी की चूत से परम के वीर्य का एक बड़ा गट्ठा चूत से बाहर आ गया। वो तो अच्छा था की बहु की नजर नहीं पड़ी और वह वीर्य सीधा निचे जमीन पर गिर गया। सुंदरी को अब अफ़सोस हुआ की परम का लोडा बाद में लेना चाहिए था, उसने थोडा अपनी चूत की मांस पट्टीओ पर डाला ताकि बाकि बचा हुआ वीर्य भी निकल जाए पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हुआ भी तो उसकी मात्रा कम थी।

सुंदरी ने पलटवार किया और बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया। अपनी मोटी और मांसल जांघों से बहू ने सुंदरी की जांघों को अलग किया और उसके स्तनों को अपने आकार में कर लिया। नीचे की ओर कूल्हों को हिलाते हुए बहू सुंदरी की चूत पर धक्के मारने लगी। परम ने देखा कि बहू की चूत बड़ी, चौड़ी और लंबी दरार वाली थी। वो भी क्लीन शेव थी, शायद सुबह ही शेव की होगी। बहू अपनी चूत सुंदरी की चूत पर रगड़ रही थी। सुंदरी ने अपनी जांघें बहू की पीठ पर गड़ा दीं। बहू अपनी कमर उतनी तेज़ी से नहीं हिला पा रही थी जितनी वो चाहती थी।

"साली मस्त चुतवाली, जांघें खोलकर रख.. मुझे खूब पेलने दे... ।"
मैत्री और फनलवर की रचना

सुंदरी ने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और अपने दोनों हाथों से बहू के गोल और बड़े कूल्हों को दबा दिया।

“मादरचोद, तेरी गांड तो बहुत मस्त है.. लगता है खूब गांड मरवाती है…!” सुंदरी ने उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए कहा।

"चुप हरामी,,, मुझे अपनी जैसा वेश्या समझ लिया है क्या...तेरी चूत है की 'भट्ठी'। थोड़ा देर और रगड़ दूंगी तो मेरी चूत जल जाएगी.. ।"

इतना बोलकर और जोर-जोर से बहु सुंदरी के चूत पर अपनी चूत से धक्का लगाने लगी। करीब दस मिनट तक धक्का धुक्की करने के बाद बहू सुंदरी के ऊपर 69 पोजीशन आ गई। सुंदरी ने बहू के जांघो को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुँह पर ला कर जीभ से चाटने लगी। जैसी ही सुंदरी ने बहू के क्लिट को चूसा तो बहू उछल पड़ी।

“क्या कर रही है कुतीया, बहुत अच्छा लगा.. ।”

“तो मादरचोद उछल क्यों गई, अपना चूत चूसने दे और मुझे चोद।”

सुन्दरी ने कहा और फिर से अपनी उस चूत को मुँह पर खींच ली। अब बहू सुंदरी की चूत में उंगली कर रही थी। वह एक साथ निचोड़ रही थी और उंगली कर रही थी। उसे लगा की चूत में वीर्य जैसा कुछ है पर बाद में वह समजी की उसका चुतरस है।

“सुंदरी सच बोल कितना लंड खा चुकी है, इस चूत में..?”

“बस एक लंड.. परम के बाप का… सुंदरी ने अपने कूल्हे को झटका दिया और बहू ने सुंदरी के होंठों को उंगलियों से खोल दिया।

“सच बोलती हूँ सुंदरी, तेरी चूत बहुत मस्त है.. तभी तो मेरा पति भी तेरा दीवाना है।” साला रात को मुझे चोदता है लेकिन बात तुम्हारी करता है। बहू ने सुंदरी की चूत में अपनी मुट्ठी घुसाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी,

उसने सुंदरी से अनुरोध किया, “सुंदरी एक बाद मेरे पति का लंड अपनी चूत में ले ले।”
मैत्री और नीता की रचना

सुंदरी: पता नहीं क्यों पर सब मुझे ही क्यों चोदना चाहते है! मैं कोई वेश्या नहीं की जो आये मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी छुट में पेले और लंड खली कर के चला जाये। यह वेश्या रंडी जैसे शब्द सिर्फ हमारे बिच काम करते वक़्त अच्चा लगता है बाकी असल में मैं कोई वेश्या या रंडी नहीं की जो चाहे माह मेरी गांड और चूत को चोदे, मुझे चोदना इतना आसान नहीं चाहो तो गाव में किसी से पूछ लो!"
जारी रहेगा
। आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी

****


।।जय भारत।
 
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अब आगे.......



मोड़ पार करने के बाद महक ने विनोद को अपनी साइकिल के साथ खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। विनोद परम और महक के कॉलेज जाने का इंतज़ार कर रहा था ताकि वह बिना किसी रुकावट के सुंदरी के साथ मज़े कर सके। लेकिन जब उसने देखा कि सिर्फ़ महक ही घर से बाहर आ रही है, तो वह उदास हो गया और उससे बचने की कोशिश करने लगा। लेकिन महक ने उसे नाम से पुकारा और उसे रुकना पड़ा।

"तु यहाँ क्या कर रहा है.." महक ने पूछा... ।

विनोद को कोई जवाब नहीं सूझा... "ठीक है, आज देर हो गई है.. जल्दी कॉलेज चलो.. ।"

विनोद ने महक से साइकिल पर बैठने का अनुरोध किया ताकि वे कॉलेज जल्दी पहुँच सकें। महक ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे साइकिल पर बैठी और विनोद साइकिल चलाने लगा। साइकिल चलाते हुए उसके घुटने महक के कसे हुए और गोल कूल्हों से और दूसरी तरफ उसकी जांघों से लग रहे थे। हालाँकि विनोद ने कई औरतों को चोदा था, लेकिन उसने अभी तक किसी जवान लड़की को नहीं चोदा था। वह महक की अपनी 20 साल की शादीशुदा बहन को ही चोद पाया था, जबकि महक उससे भी छोटी थी।
मैत्री और नीता की रचना

अब तक वो सुंदरी के लिए पागल था और उसे पूरा मज़ा लेने का मौका मिल गया था। आज भी वो उसकी रसीली चूत के बीच घुसने का मौका ढूँढ रहा था, लेकिन जैसे ही महक के जवान और कसे हुए बदन का स्पर्श मिला, वो सुंदरी को भूल गया और उसके दिमाग में एक विचार आया। क्यों न महक से शादी कर ली जाए!

महक भी उतनी ही उत्तेजित हो गई। हालाँकि पिछले दस दिनों में उसने तीन लंड देखे थे, परम का, पापा का और आज घर पर सेठजी का। परम और मुनीम ने उसकी चूत और चुची भी चूसी थी और उसे पसंद भी आई थी और खुद भी उसने भाई और पापा का लंड चूसने का मज़ा लिया था। जैसे ही विनोद का बदन उसके कूल्हों से छुआ, उसकी चूत गीली हो गई। वो चाहती थी कि विनोद उसके बदन को सहलाए और उसे चोदे भी। वो अपने कौमार्य के बदले मिलने वाले दो लाख रुपये भी भूलने को तैयार थी। वो विनोद का और ज़्यादा स्पर्श चाहती थी।

उसने अपने कूल्हों को तब तक पीछे धकेला जब तक उसके कूल्हों और जांघों को विनोद के बदन का लगातार स्पर्श नहीं मिलने लगा।

वे इधर-उधर की बातें कर रहे थे लेकिन समय तेजी से बीतता गया और कॉलेज का गेट आ गया। विनोद ने साइकिल को ब्रेक लगाया और महक को नीचे उतरने में मदद करने के लिए हाथ दिया और महक ने अपनी चुची को विनोद के हाथ से छूने दिया।

“शाम को मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा, मेरा इंतज़ार करना…!” विनोद ने कहा,

“लेकिन मुझे सीधा सेठजी के घर जाना है..वो दूसरा रास्ता है.. ।”

“कोई बात नहीं, मेरा इंतज़ार करना.. ।”

दोनों अलग हो गए लेकिन सुधा (वह लड़की जिसे पहले परम ने महक की मौजूदगी में चोदा था) सहित कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल से उतरते देखा था।
मैत्री और फनलवर की रचना

“क्या रे महक.. तू इस साले से कैसे पट गई… साला हरामी है, सब लड़कियों को घूरता रहता है और गन्दी गन्दी बातें करता है…” सुधा ने कहा, “कहीं तुम इससे तो नहीं चुदवा रही हो?

“चुप रंडी… विनोद तो खाली बात करता है, बाकी लोग तो चुदाई ही कर डालते हैं… तेरा बाप तेरे सामने नौकरानी को चोदता है.. परम ने मुझे नंगी कर मेरे सामने तेरी चुदाई की,,,… जाने दे.. मैंने अभी तक किसिका लंड नहीं खाया है..”

महक फिर बोली "तेरा बाप तुझे अभी तक चोदा की नहीं..?"

“नहीं, साला रोज लंड खड़ा करके रिंकू को चोदता है..मुझे उसने अभी तक हाथ भी नहीं लगाया है..लगता है मुझे ही उसके लंड को पकड़ कर चूत के नीचे लेना पड़ेगा..”

सुधा फुसफुसाई.

“जानती हो, मेरे बाप का सुपाड़ा इतना मोटा है..” महक ने बड़ा सा 'ओ' का संकेत बनाया।

“तूने कब देखा…?” सुधा ने पूछा

फिर महक ने उसे बताया कि कैसे उसके पिता ने पूनम को चोदा और उसने देखा। उसने यह नहीं बताया कि सुपाड़ा उसकी चूत में भी घुस गया था लेकिन सुधा को बताया कि वह खुद इतनी उत्तेजित थी कि नंगी होकर उन दोनों की चुदाई देखती रही और अंततः उसने खुद को संतुष्ट करने के लिए पूनम से अपनी चूत चुसवाई।

तभी क्लास की घंटी बजी और विनोद, महक और सुधा सहित सभी अपनी-अपनी क्लास में चले गए..

****

अब देखो सुंदरी क्या कर रही है!

परम जम-जम के अपनी माँ को चोद रहा था और खूब मस्ती से उसके चुचियो को मसल मसल कर चूत का मजा ले रहा था।

“बेटा आराम से चोद, कोई जल्दी नहीं है…” सुंदरी भी नीचे से चुतद उछाल-उछाल कर बेटे के लंड के धक्के का पूरा जवाब दे रही थी। सुंदरी ने परम से रेखा के बादे मे पुछाना शुरू किया। सुंदरी को चुदाई करते समय गंदी बाते सुनने की आदत थी।

“बेटा, तू रेखा की गांड बहुत मार रहा है कि खाली गप्पा मार रहा है..?”
मैत्री और फनलवर की रचना

“तेरी चूत की कसम माँ, मैंने उसकी गांड एक नहीं दो नहीं कई बाद मारी है.. कल भी जब सेठानी ने मुझे इलाज भेजा तो मैं रेखा को लंड चुसवाने और गांड मारने गया था।”

“तूने उसे चोदा की नहीं…!”

परम ने प्यार से माँ को चूमते हुए कहा, मुझे चोदना तो चाहिए था और और चोद डालता तो साली कुतिया भी जम कर चुदवाती लेकिन उसने अनुरोध किया कि मैं उसे ना चोदु, जिसके पति को वर्जिन चूत मिले।

परम ने सुंदरी से कहा कि उसने उसका पूरा आनंद लिया है और जब भी उसने आनंद लिया तो अपने आधे लंड को उसकी चूत में जाने दिया। परम ने सुंदरी को बताया कि उसने सेठानी को भी पहली बार तब चोदा था जब वह रसोई में थी। उसकी इच्छा थी कि अब वह सेठ की दोनों बहुओं को चोदना चाहता है।


“कल तो तुमने बड़ी बहू को चोद डाला!” मैत्री और नीता की रचना


आगे और भी है बने रहीये और अपनी कोमेंट देते रहिये...........


फिर मिलते है.......


। जय भारत
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
 

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सुंदरी ने अपनी टैंगो को ऊपर उठाया हुआ कहा।

“उसने कहा क्या?” परम ने पूछा.. “मैंने तो कल ही उसकी बड़ी-बड़ी चूची दबाई और उसे चूमा।”

“तो आज चोद लेना, लेकिन पहले हम दोनों मस्ती ले-ले उसके बाद।” सुंदरी ने परम को सहलाया और जारी रखा:

“पहले हम दोनो नंगी होकर एक दूसरे को चूमेंगे और चाटेंगे और उसके बाद तुम आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल देना.. ।”

“माँ, मैं तुम्हें बाबूजी के सामने भी चोदना चाहता हूँ…!”

“जल्दी मौका दूंगी, सब एक साथ तो नहीं होता ना बेटे! समय समय पे सा सब होगा।” सुंदरी ने उसे धक्का दे दिया। उसने परम को ठीक से कपड़े पहनने को कहा। उषा को ये अंदाज़ा नहीं लगना चाहिए कि हम मादरचोद हैं।

उन्होंने अच्छे से कपड़े पहने। सुंदरी ने सामान व्यवस्थित किया और लगभग 11 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। सुंदरी ने दरवाजा खोला।

बड़ी बहू ड्राइवर के साथ थी। परम सुंदरी के साथ फ्रेम में नहीं था। सुंदरी ने ड्राइवर से कहा कि वह दो घंटे बाद आकर उसे (बहू को) ले जाए।

सुंदरी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, बहू को बाहों में लिया और उसे चूम लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना

"मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ!"

उसने बहू को अपने बिस्तर पर बिठाया। वह दो गिलास मीठा पेय लेकर वापस आई। जब दोनों पी रहे थे, परम भी वहाँ आ गया। वह बहू को देखकर मुस्कुराया, लेकिन बहू ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसे पिछली रात की बात याद आ गई और याद आया कि रात में जब उसका पति उसे चोद रहा था, तो उसने कल्पना की थी कि परम का लंड उसकी चूत में है।

उन्होंने कुछ देर बातें कीं और फिर सुंदरी ने परम को बाहर जाने और किसी को अंदर न आने देने के लिए कहा। उसने उसे भी अंदर न आने की चेतावनी दी। परम बाहर आ गया। सुंदरी ने दरवाजा बंद कर दिया। बहू उठ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हालाँकि पहले उसने अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सहलाया था, लेकिन हमेशा कपड़ों के ऊपर से। कल रात ही उसने सुंदरी के कपड़े ऊपर करके उसकी रसीली चूत देखी और सहलाई। पीछे से सुंदरी ने बहू के बड़े-बड़े स्तनों को दबाया और बहू ने भी सुंदरी को अपनी तरफ खींचकर नंगी कर दिया। दोनों एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगीं। ऐसा करते हुए सुंदरी ने बहू को नंगी कर दिया।

"बोल रानी क्या चाहिए.?." सुंदरी ने पूछा।

"मैं तुम्हें चोदूँगी..." बहू ने जवाब दिया।

"कैसे चोदेगी कुतिया!"

लेकिन तभी सुंदरी की चूत से परम के वीर्य का एक बड़ा गट्ठा चूत से बाहर आ गया। वो तो अच्छा था की बहु की नजर नहीं पड़ी और वह वीर्य सीधा निचे जमीन पर गिर गया। सुंदरी को अब अफ़सोस हुआ की परम का लोडा बाद में लेना चाहिए था, उसने थोडा अपनी चूत की मांस पट्टीओ पर डाला ताकि बाकि बचा हुआ वीर्य भी निकल जाए पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हुआ भी तो उसकी मात्रा कम थी।

सुंदरी ने पलटवार किया और बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया। अपनी मोटी और मांसल जांघों से बहू ने सुंदरी की जांघों को अलग किया और उसके स्तनों को अपने आकार में कर लिया। नीचे की ओर कूल्हों को हिलाते हुए बहू सुंदरी की चूत पर धक्के मारने लगी। परम ने देखा कि बहू की चूत बड़ी, चौड़ी और लंबी दरार वाली थी। वो भी क्लीन शेव थी, शायद सुबह ही शेव की होगी। बहू अपनी चूत सुंदरी की चूत पर रगड़ रही थी। सुंदरी ने अपनी जांघें बहू की पीठ पर गड़ा दीं। बहू अपनी कमर उतनी तेज़ी से नहीं हिला पा रही थी जितनी वो चाहती थी।

"साली मस्त चुतवाली, जांघें खोलकर रख.. मुझे खूब पेलने दे... ।"
मैत्री और फनलवर की रचना

सुंदरी ने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और अपने दोनों हाथों से बहू के गोल और बड़े कूल्हों को दबा दिया।

“मादरचोद, तेरी गांड तो बहुत मस्त है.. लगता है खूब गांड मरवाती है…!” सुंदरी ने उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए कहा।

"चुप हरामी,,, मुझे अपनी जैसा वेश्या समझ लिया है क्या...तेरी चूत है की 'भट्ठी'। थोड़ा देर और रगड़ दूंगी तो मेरी चूत जल जाएगी.. ।"

इतना बोलकर और जोर-जोर से बहु सुंदरी के चूत पर अपनी चूत से धक्का लगाने लगी। करीब दस मिनट तक धक्का धुक्की करने के बाद बहू सुंदरी के ऊपर 69 पोजीशन आ गई। सुंदरी ने बहू के जांघो को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुँह पर ला कर जीभ से चाटने लगी। जैसी ही सुंदरी ने बहू के क्लिट को चूसा तो बहू उछल पड़ी।

“क्या कर रही है कुतीया, बहुत अच्छा लगा.. ।”

“तो मादरचोद उछल क्यों गई, अपना चूत चूसने दे और मुझे चोद।”

सुन्दरी ने कहा और फिर से अपनी उस चूत को मुँह पर खींच ली। अब बहू सुंदरी की चूत में उंगली कर रही थी। वह एक साथ निचोड़ रही थी और उंगली कर रही थी। उसे लगा की चूत में वीर्य जैसा कुछ है पर बाद में वह समजी की उसका चुतरस है।

“सुंदरी सच बोल कितना लंड खा चुकी है, इस चूत में..?”

“बस एक लंड.. परम के बाप का… सुंदरी ने अपने कूल्हे को झटका दिया और बहू ने सुंदरी के होंठों को उंगलियों से खोल दिया।

“सच बोलती हूँ सुंदरी, तेरी चूत बहुत मस्त है.. तभी तो मेरा पति भी तेरा दीवाना है।” साला रात को मुझे चोदता है लेकिन बात तुम्हारी करता है। बहू ने सुंदरी की चूत में अपनी मुट्ठी घुसाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी,

उसने सुंदरी से अनुरोध किया, “सुंदरी एक बाद मेरे पति का लंड अपनी चूत में ले ले।”
मैत्री और नीता की रचना

सुंदरी: पता नहीं क्यों पर सब मुझे ही क्यों चोदना चाहते है! मैं कोई वेश्या नहीं की जो आये मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी छुट में पेले और लंड खली कर के चला जाये। यह वेश्या रंडी जैसे शब्द सिर्फ हमारे बिच काम करते वक़्त अच्चा लगता है बाकी असल में मैं कोई वेश्या या रंडी नहीं की जो चाहे माह मेरी गांड और चूत को चोदे, मुझे चोदना इतना आसान नहीं चाहो तो गाव में किसी से पूछ लो!"
जारी रहेगा
। आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी

****


।।जय भारत।
बहुत ही शानदार लाजवाब और गरमागरम कामुक मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ajju Landwalia

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Update 08



सुंदरी ने अपनी टैंगो को ऊपर उठाया हुआ कहा।

“उसने कहा क्या?” परम ने पूछा.. “मैंने तो कल ही उसकी बड़ी-बड़ी चूची दबाई और उसे चूमा।”

“तो आज चोद लेना, लेकिन पहले हम दोनों मस्ती ले-ले उसके बाद।” सुंदरी ने परम को सहलाया और जारी रखा:

“पहले हम दोनो नंगी होकर एक दूसरे को चूमेंगे और चाटेंगे और उसके बाद तुम आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल देना.. ।”

“माँ, मैं तुम्हें बाबूजी के सामने भी चोदना चाहता हूँ…!”

“जल्दी मौका दूंगी, सब एक साथ तो नहीं होता ना बेटे! समय समय पे सा सब होगा।” सुंदरी ने उसे धक्का दे दिया। उसने परम को ठीक से कपड़े पहनने को कहा। उषा को ये अंदाज़ा नहीं लगना चाहिए कि हम मादरचोद हैं।

उन्होंने अच्छे से कपड़े पहने। सुंदरी ने सामान व्यवस्थित किया और लगभग 11 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। सुंदरी ने दरवाजा खोला।

बड़ी बहू ड्राइवर के साथ थी। परम सुंदरी के साथ फ्रेम में नहीं था। सुंदरी ने ड्राइवर से कहा कि वह दो घंटे बाद आकर उसे (बहू को) ले जाए।

सुंदरी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, बहू को बाहों में लिया और उसे चूम लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना

"मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ!"

उसने बहू को अपने बिस्तर पर बिठाया। वह दो गिलास मीठा पेय लेकर वापस आई। जब दोनों पी रहे थे, परम भी वहाँ आ गया। वह बहू को देखकर मुस्कुराया, लेकिन बहू ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसे पिछली रात की बात याद आ गई और याद आया कि रात में जब उसका पति उसे चोद रहा था, तो उसने कल्पना की थी कि परम का लंड उसकी चूत में है।

उन्होंने कुछ देर बातें कीं और फिर सुंदरी ने परम को बाहर जाने और किसी को अंदर न आने देने के लिए कहा। उसने उसे भी अंदर न आने की चेतावनी दी। परम बाहर आ गया। सुंदरी ने दरवाजा बंद कर दिया। बहू उठ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हालाँकि पहले उसने अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सहलाया था, लेकिन हमेशा कपड़ों के ऊपर से। कल रात ही उसने सुंदरी के कपड़े ऊपर करके उसकी रसीली चूत देखी और सहलाई। पीछे से सुंदरी ने बहू के बड़े-बड़े स्तनों को दबाया और बहू ने भी सुंदरी को अपनी तरफ खींचकर नंगी कर दिया। दोनों एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगीं। ऐसा करते हुए सुंदरी ने बहू को नंगी कर दिया।

"बोल रानी क्या चाहिए.?." सुंदरी ने पूछा।

"मैं तुम्हें चोदूँगी..." बहू ने जवाब दिया।

"कैसे चोदेगी कुतिया!"

लेकिन तभी सुंदरी की चूत से परम के वीर्य का एक बड़ा गट्ठा चूत से बाहर आ गया। वो तो अच्छा था की बहु की नजर नहीं पड़ी और वह वीर्य सीधा निचे जमीन पर गिर गया। सुंदरी को अब अफ़सोस हुआ की परम का लोडा बाद में लेना चाहिए था, उसने थोडा अपनी चूत की मांस पट्टीओ पर डाला ताकि बाकि बचा हुआ वीर्य भी निकल जाए पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हुआ भी तो उसकी मात्रा कम थी।

सुंदरी ने पलटवार किया और बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया। अपनी मोटी और मांसल जांघों से बहू ने सुंदरी की जांघों को अलग किया और उसके स्तनों को अपने आकार में कर लिया। नीचे की ओर कूल्हों को हिलाते हुए बहू सुंदरी की चूत पर धक्के मारने लगी। परम ने देखा कि बहू की चूत बड़ी, चौड़ी और लंबी दरार वाली थी। वो भी क्लीन शेव थी, शायद सुबह ही शेव की होगी। बहू अपनी चूत सुंदरी की चूत पर रगड़ रही थी। सुंदरी ने अपनी जांघें बहू की पीठ पर गड़ा दीं। बहू अपनी कमर उतनी तेज़ी से नहीं हिला पा रही थी जितनी वो चाहती थी।

"साली मस्त चुतवाली, जांघें खोलकर रख.. मुझे खूब पेलने दे... ।"
मैत्री और फनलवर की रचना

सुंदरी ने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और अपने दोनों हाथों से बहू के गोल और बड़े कूल्हों को दबा दिया।

“मादरचोद, तेरी गांड तो बहुत मस्त है.. लगता है खूब गांड मरवाती है…!” सुंदरी ने उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए कहा।

"चुप हरामी,,, मुझे अपनी जैसा वेश्या समझ लिया है क्या...तेरी चूत है की 'भट्ठी'। थोड़ा देर और रगड़ दूंगी तो मेरी चूत जल जाएगी.. ।"

इतना बोलकर और जोर-जोर से बहु सुंदरी के चूत पर अपनी चूत से धक्का लगाने लगी। करीब दस मिनट तक धक्का धुक्की करने के बाद बहू सुंदरी के ऊपर 69 पोजीशन आ गई। सुंदरी ने बहू के जांघो को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुँह पर ला कर जीभ से चाटने लगी। जैसी ही सुंदरी ने बहू के क्लिट को चूसा तो बहू उछल पड़ी।

“क्या कर रही है कुतीया, बहुत अच्छा लगा.. ।”

“तो मादरचोद उछल क्यों गई, अपना चूत चूसने दे और मुझे चोद।”

सुन्दरी ने कहा और फिर से अपनी उस चूत को मुँह पर खींच ली। अब बहू सुंदरी की चूत में उंगली कर रही थी। वह एक साथ निचोड़ रही थी और उंगली कर रही थी। उसे लगा की चूत में वीर्य जैसा कुछ है पर बाद में वह समजी की उसका चुतरस है।

“सुंदरी सच बोल कितना लंड खा चुकी है, इस चूत में..?”

“बस एक लंड.. परम के बाप का… सुंदरी ने अपने कूल्हे को झटका दिया और बहू ने सुंदरी के होंठों को उंगलियों से खोल दिया।

“सच बोलती हूँ सुंदरी, तेरी चूत बहुत मस्त है.. तभी तो मेरा पति भी तेरा दीवाना है।” साला रात को मुझे चोदता है लेकिन बात तुम्हारी करता है। बहू ने सुंदरी की चूत में अपनी मुट्ठी घुसाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी,

उसने सुंदरी से अनुरोध किया, “सुंदरी एक बाद मेरे पति का लंड अपनी चूत में ले ले।”
मैत्री और नीता की रचना

सुंदरी: पता नहीं क्यों पर सब मुझे ही क्यों चोदना चाहते है! मैं कोई वेश्या नहीं की जो आये मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी छुट में पेले और लंड खली कर के चला जाये। यह वेश्या रंडी जैसे शब्द सिर्फ हमारे बिच काम करते वक़्त अच्चा लगता है बाकी असल में मैं कोई वेश्या या रंडी नहीं की जो चाहे माह मेरी गांड और चूत को चोदे, मुझे चोदना इतना आसान नहीं चाहो तो गाव में किसी से पूछ लो!"
जारी रहेगा
। आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी

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।।जय भारत।

Sabhi updates ek se bdahkar ek he Funlover Ji

Aag hi laga rakhi he is story ne.........

Uttejna apne charam par hoti he padhte samay

Keep posting Dear
 
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