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Adultery दिल और जिस्म

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rahul334

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ये एक रियल स्टोरी है। मेरा नाम बनवारी जाटव है, और मैं एक सरकारी प्रोफेसर हूँ। मेरी शादी हाल ही में काजल से हुई है, जो बेहद खूबसूरत है। वो बहुत मॉडर्न लड़की है। उसकी मुस्कान, उसकी आँखों की चमक, और उसका सौम्य स्वभाव मुझे हर पल उसकी ओर खींचता है। हमने शहर में एक नया घर बनाया है, जो हमारी नई शुरुआत का प्रतीक है। हमारा घर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।


पिछली रात की बात है, हमने अपने दोस्तों के साथ एक छोटी-सी पार्टी की थी। मेरे करीबी दोस्त मुकेश, जो पास की दुकान चलाता है, भी आया था। काजल और मुकेश की अच्छी बनती थी, और वो दोनों खूब हँसी-मजाक कर रहे थे। उनकी यह नजदीकी मुझे थोड़ा असुरक्षित कर रही थी, हालाँकि मैं जानता था कि यह सिर्फ दोस्ती है। फिर भी, मेरे मन में एक अजीब-सी जलन थी। हमने खूब हँसी-मजाक किया, खाना खाया, और देर रात तक गपशप चली। लेकिन मेरे दिमाग में काजल की खूबसूरती और उसकी साड़ी में वो अद्भुत अंदाज़ बार-बार घूम रहा था। रात को जब सब चले गए, तो मेरे मन में एक अजीब-सी उत्तेजना थी, शायद काजल की खूबसूरती और मुकेश के साथ उसकी हँसी-मजाक की वजह से।

काजल की खूबसूरती देखते ही बनती थी, मानो वो किसी चित्रकार की कृति हो। उसकी कमर पतली और लचकदार थी, लगभग 28 इंच की, जिस पर उसका गहरा नाभि और छोटा-सा तिल हर किसी का ध्यान खींचता था। उसके कूल्हे गोल और भरे हुए थे, करीब 36 इंच के, जो उसकी साड़ी या टाइट लेगिंग्स में और भी आकर्षक लगते थे। काजल के मम्मे सुडौल और उभरे हुए थे, लगभग 34 इंच के, जो उसकी टाइट टीशर्ट या ब्लाउज़ में हर धक्के के साथ लयबद्ध ढंग से हिलते थे, और उसके निप्पल्स तने हुए आसमान की ओर इशारा करते थे। उसकी छाती चौड़ी और आकर्षक थी, जो उसकी साँसों के साथ हर बार उभरकर और मादक लगती थी। काजल का चेहरा गोरा और नशीला था


सुबह का माहौल​


सुबह जब मैं उठा, तो काजल पहले ही रसोई में चाय बना रही थी। मैं ऑफिस के लिए तैयार होने लगा। बाहर हल्की बारिश की फुहारें थीं, और मौसम में ठंडक थी

ऑफिस में काम करते वक्त मेरा ध्यान बार-बार भटक रहा था। मैं सोच रहा था कि क्या काजल भी वैसी ही उत्तेजना महसूस कर रही होगी, जैसी मैं रात से महसूस कर रहा हूँ? मेरे दिमाग में बार-बार एक खयाल आ रहा था कि कहीं मुकेश, जो हमारा करीबी दोस्त है, आज सुबह घर तो नहीं गया? क्या वो और काजल... नहीं, नहीं, मैंने अपने दिमाग को झटका। ये सब सिर्फ मेरी असुरक्षा की वजह से थी। फिर भी, मन की बेचैनी कम नहीं हो रही थी।

आखिरकार, जब काम में मन नहीं लगा, तो मैंने मुकेश को फोन लगाया।

पहली बार में उसने फोन नहीं उठाया। मेरे दिमाग में फिर वही खयाल आया—कहीं वो घर तो नहीं गया? कहीं काजल के साथ...? मैंने खुद को शांत किया और फिर से फोन लगाया।

मुकेश: "हाँ भाई, कैसे याद किया?"


मैं: "कहाँ है तू?"


मुकेश: "अरे, दुकान पर हूँ। आज सुबह से थोड़ा व्यस्त हूँ। तू बता, सब ठीक?"


मैं: (राहत की साँस लेते हुए) "हाँ, बस यूँ ही। तूने तो रात को खूब मस्ती की थी!"


मुकेश: (हँसते हुए) "अरे, वो तो बनता है! काजल भाभी ने भी तो खूब खाना खिलाया। तू लकी है भाई, ऐसी बीवी मिली!"


मैंने फोन रख दिया, लेकिन मन अभी भी पूरी तरह शांत नहीं था। काजल और मुकेश की दोस्ती मेरे दिमाग में बार-बार आ रही थी। मैंने सोचा, जल्दी घर जाकर काजल से बात करूँगा।


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घर वापसी​


शाम को जब मैं घर लौटा, तो काजल दरवाजे पर थी।


काजल: (मुस्कुराते हुए) "आ गए आप? चलिए, मैं चाय बनाती हूँ।"

मैं फ्रेश होकर बेड पर बैठ गया और टीवी ऑन कर लिया। लेकिन मेरा ध्यान टीवी पर नहीं था। मेरा हाथ अनायास ही मेरी चड्डी में चला गया, और मैं सोचने लगा कि कैसे रात को काजल और मैं एक-दूसरे के करीब थे। मेरे मन में फिर वही उत्तेजना जागने लगी, लेकिन साथ ही मुकेश के साथ उसकी दोस्ती का खयाल भी आ रहा था। मैंने चड्डी नीचे खींची और धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। मैं सोच रहा था कि कैसे काजल की साड़ी में वो इतनी खूबसूरत लग रही थी, और मेरे दिमाग में रात की सारी बातें घूम रही थीं।

तभी काजल चाय लेकर कमरे में आई।

काजल: (हल्के से चौंककर, फिर हँसते हुए) "अरे! ये क्या कर रहे हो?"

मैं: (थोड़ा घबराते हुए) "अरे, तू... तू कब आ गई?"

काजल: (मुस्कुराते हुए, चाय का कप मेरी ओर बढ़ाते हुए) "लो, चाय पियो। इतनी फीलिंग आ रही है आज आपको?"

मेरा लंड अभी भी बाहर था, और धीरे-धीरे बैठ रहा था। काजल उसे देख रही थी, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारत भरी चमक थी। हम दोनों ने चाय पी, और मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।

मैं: "काजल, ज़रा इसे सहला ना।"

काजल ने हल्के से हँसते हुए मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी।

काजल: (मुस्कुराते हुए) "अरे, आज क्या हो गया आपको? इतनी जल्दी फीलिंग?"

मैं: (हँसते हुए) "क्या बताऊँ, तू आज इतनी सेक्सी लग रही है। मन मचल रहा है।"

काजल हँसने लगी, और उसने मेरे लंड को और प्यार से सहलाया। उसकी उंगलियों का स्पर्श मुझे और उत्तेजित कर रहा था। लेकिन मेरे दिमाग में फिर वही असुरक्षा का खयाल आया—काजल और मुकेश की दोस्ती। मैंने उसे और करीब खींचा, जैसे उसे अपने पास रखकर अपनी सारी शंकाएँ दूर करना चाहता था।

काजल: (हल्के से शरमाते हुए) " दिन का समय है। कोई आ गया तो?"

मैं: (उसके गाल पर चूमते हुए) "कोई नहीं आएगा, मेरी जान। बस तू और मैं हैं।"

काजल की साड़ी धीरे-धीरे खुलने लगी, और उसकी खूबसूरती मेरे सामने और निखर आई। उस पल में, मेरे दिमाग की सारी बेचैनी और असुरक्षा गायब हो गई।
 
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rahul334

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काजल का पेटीकोट नीचे गिर चुका था, और वो मेरे सामने अपनी पूरी खूबसूरती के साथ थी। उसकी त्वचा की चमक, उसकी आँखों में शरम और चाहत का मिश्रण, और उसकी साँसों की गर्माहट मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसे और करीब खींचा, मेरे हाथ उसके कूल्हों पर फिसलते हुए उसकी कमर तक गए। उसका शरीर मेरे स्पर्श से हल्का सा काँप उठा।


काजल: (सिसकारी लेते हुए, धीमी आवाज़ में) "... धीरे... कोई सुन लेगा..."


मैं: (उसके कानों में फुसफुसाते हुए) "कोई नहीं सुन रहा, मेरी जान। आज बस तू और मैं हैं।"


मैंने अपने होंठ उसके गले पर रखे और धीरे-धीरे चूमना शुरू किया। काजल की साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसकी उंगलियाँ मेरे कंधों पर कस रही थीं। मैंने अपने हाथों से उसके कूल्हों को सहलाया और धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ा। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे मन में और उत्तेजना भर रही थी।


काजल: (हल्के से हँसते हुए, शरमाते हुए) "अरे, तुम तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे! इतनी जल्दी क्या है?"


मैंने उसे फिर से अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया। काजल ने भी अब शरम छोड़ दी थी और मेरे प्यार में पूरी तरह खो गई थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और अब हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब थे कि हर साँस, हर स्पर्श में सिर्फ़ प्यार और चाहत थी।


काजल: (हाँफते हुए, मेरे कानों में) "बंवारी... तुम... तुम बहुत शरारती हो..."


मैं: (हँसते हुए) "शरारती? अभी तो मैंने शुरू भी नहीं किया!"


मैंने उसे बिस्तर पर धीरे से लिटाया और उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू किया। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसकी हर सिसकारी मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी। मेरे हाथ उसके शरीर के हर हिस्से पर फिसल रहे थे, और काजल भी मेरे स्पर्श का जवाब दे रही थी। बस काजल थी, उसका प्यार, और हमारा ये अंतरंग पल।


हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह खो गए। कमरे में सिर्फ़ हमारी साँसों की आवाज़ और प्यार की गर्माहट थी। काजल की हर हरकत, उसकी हर सिसकारी, और उसकी आँखों में वो प्यार भरी चमक मुझे और करीब खींच रही थी।




सुबह की शुरुआत​


सुबह जब मैं उठा, तो काजल मेरे बगल में सो रही थी। उसका चेहरा शांत और सुकून भरा था, जैसे रात का हर पल उसे भी उतना ही आनंद दे गया था जितना मुझे। मैंने धीरे से उसके माथे पर एक चुम्बन दिया और बिस्तर से उठा।


काजल भी थोड़ी देर बाद जाग गई। उसने मुझे देखा और हल्के से मुस्कुराई।


काजल: (उठते हुए, साड़ी ठीक करते हुए) "क्या बात है, प्रोफेसर साहब? सुबह-सुबह इतने रोमांटिक?"


मैं: (हँसते हुए) "रोमांटिक? ये तो बस शुरुआत है। तू तैयार रहना, आज ऑफिस से जल्दी लौटूँगा।"


काजल: (शरारत भरी मुस्कान के साथ) "अच्छा? तो फिर मैं भी आज बैकलेस ब्लाउज़ और साड़ी नीचे बाँधकर तैयार रहूँगी!"


हम दोनों हँस पड़े। काजल रसोई में चाय बनाने चली गई, और मैं ऑफिस के लिए तैयार होने लगा।
 

rahul334

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काजल का दर्द और नस सेट करना​


अगले दिन मेरी मम्मी, यानी काजल की सास, घर आई। अब दो प्रेमियों के बीच एक रोड़ा आ गया था।
मैने घर के कमरों में hidden कैमरे लगवा दिए और उनका कंट्रोल मेरे मोबाइल से था ताकि में निश्चिंत हो जाऊ मेरी अनुपस्थिति में नजर रख सकूं।
कुछ दिनों बाद दोपहर को ऑफिस में मेरे पास काजल का फोन आया। उसकी आवाज़ में दर्द और घबराहट थी।




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काजल: "बंवारी, जल्दी घर आ जाओ! मेरा पेट बहुत दर्द कर रहा है।"

मैं घबरा गया। मैंने तुरंत अपने मोबाइल में घर के कैमरे की फुटेज चेक की, जो मैंने सिक्योरिटी के लिए लगवाया था। काजल सचमुच दर्द में थी, वो बिस्तर पर लेटी हुई थी और अपना पेट पकड़े हुए थी। मैंने तुरंत अपने बॉस प्रिंसिपल से बात की और आधे दिन की छुट्टी लेकर घर के लिए निकल गया।


घर पहुँचते ही मैंने काजल को डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने कुछ टैबलेट्स दीं, और घर आने के बाद काजल को थोड़ा आराम मिला। लेकिन गोली का असर खत्म होते ही उसका दर्द फिर शुरू हो जाता था। मैं परेशान हो गया। मम्मी ने काजल का पेट देखा और उसकी नाभि की जाँच की।


मम्मी: (गंभीरता से) "बेटा, तुम्हारी नस चली गई है। कोई भारी वजन उठाया होगा।"


काजल: (दर्द से कराहते हुए) "हाँ मम्मी,कल सुबह मैं पानी भर रही थी। मटका उठाकर रखा था, तभी से दर्द शुरू हुआ। पहले भी कॉलेज टाइम में ऐसा होता था, तो पड़ोस के मंदिर में पंडितजी थे वो सेट कर देते थे।"

मम्मी: "यहाँ शहर में कोई ऐसा ढूँढो जो नस बैठा सके।"

बचपन में मेरी चाची की भी नस कई बार खिसक जाती थी, और गाँव में पड़ोस से घर बुला के पेट की मालिश करके उसे ठीक किया जाता था। मेरे मन में एक अजीब-सी उत्तेजना थी कि कोई काजल के पेट को मेरे सामने छुएगा, लेकिन साथ ही उसकी हालत देखकर चिंता भी हो रही थी।


मैंने कई जगह पूछताछ की, लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला जो नस सेट करने में माहिर हो। रात को मैं अपने दोस्तों, मुकेश और अमन, के साथ बैठा था। मैंने उनसे इस बारे में बात की।

मैं: "यार, काजल का पेट दर्द कर रहा है। लगता है नस खिसक गई है। कोई ऐसा जानता है जो इसे ठीक कर सके?"


अमन: "हाँ, एक भाभी थीं जो ऐसा करती थीं, लेकिन वो अब यहाँ नहीं रहतीं।"


मुकेश: (सोचते हुए) "हाँ, एक नफीस चाचा हैं, टेलर हैं। उनके घर पर लोग नस सेट करवाने जाते हैं। वो इस काम में माहिर हैं। उनका घर यहाँ से 45 मिनट की दूरी पर है।"


मैंने सोचा कि काजल को आराम दिलाने के लिए इतनी दूर जाना भी ठीक है। मैं घर लौटा और काजल को बताया।


काजल: (दर्द से कराहते हुए) "कोई मिला क्या नस सेट करने वाला?"


मैं: "हाँ, मुकेश ने बताया कि नफीस चाचा हैं, टेलर हैं। वो ये काम करते हैं। उनका घर 45 मिनट की दूरी पर है, मैं तुझे कार से ले जाऊँगा।"


काजल: (हल्की राहत के साथ) "अच्छा, ठीक है।"




नफीस चाचा के घर​


अगली सुबह मैंने काजल को कार में बिठाया और नफीस चाचा के घर की ओर निकल पड़ा। 45 मिनट का सफर था, और काजल रास्ते में दर्द से परेशान थी। उसने अपनी साड़ी को पेट के ऊपर हल्का सा कसकर बाँध रखा था ताकि दर्द थोड़ा कम हो। मैं उसे देखकर चिंतित था, लेकिन साथ ही मेरे मन में एक अजीब-सी उत्तेजना भी थी, क्योंकि कोई और उसका पेट छूने वाला था।


नफीस चाचा का घर एक साधारण-सा मकान था। जैसे ही हम पहुँचे, हमने देखा कि चाचा एक औरत की नस सेट कर रहे थे। वो औरत चटाई पर लेटी थी, और चाचा उसके पेट पर तेल लगाकर मालिश कर रहे थे। उनकी उंगलियाँ उसकी गहरी नाभि के आसपास गोल-गोल घूम रही थीं, और वो गहरे दबाव के साथ नाभि को दबा रहे थे। औरत का चेहरा दर्द से सिकुड़ा हुआ था, और वो हल्की-हल्की कराह रही थी, "उई... मम्मी... आह..."। कुछ देर बाद चाचा ने कहा, "अबीदा बेटी, उठ जाओ। तुम्हारी नस ठीक हो गई है।"



अबीदा ने राहत की साँस ली और अपनी साड़ी ठीक करके उठ गई। घर में कुछ और महिलाएँ भी थीं, जो कपड़े सिलवाने आई थीं। वो सब चुपचाप इस प्रक्रिया को देख रही थीं। मैंने और काजल ने भी पूरा दृश्य देखा। काजल थोड़ा झिझक रही थी, लेकिन दर्द की वजह से उसने कुछ नहीं कहा।


नफीस चाचा: (काजल की ओर देखते हुए) "बेटी, अब तुम चटाई पर लेट जाओ।"

काजल ने चटाई पर लेटने के लिए साड़ी को थोड़ा ऊपर किया, जिससे उसका पेट पूरी तरह दिखने लगा। उसकी नाभि बेहद खूबसूरत थी, गहरी और गोल, और उसके पास एक छोटा-सा तिल था, जो तेल लगने के बाद चमक रहा था। मेरे मन में फिर वही उत्तेजना और चिंता का मिश्रण था। काजल ने अपनी आँखें बंद कर लीं, शायद शरम और दर्द की वजह से।




नस सेट करने की प्रक्रिया​


नफीस चाचा ने एक छोटी-सी तेल की बोतल निकाली और काजल के पेट पर हल्का-सा तेल लगाया। उनकी उंगलियाँ काजल की नाभि के आसपास घूम रही थीं, और वो धीरे-धीरे पेट को दबाकर देख रहे थे। मैंने गौर किया कि चाचा का स्पर्श थोड़ा अजीब था—वो ज़रूरत से ज़्यादा समय तक कुछ जगहों पर रुक रहे थे, खासकर काजल की नाभि के नीचे और पेट के किनारों पर। उनकी उंगलियाँ कभी-कभी नाभि के ठीक नीचे, कमर के पास, या तिल के आसपास ज़्यादा देर तक रुकती थीं, जो मुझे गलत लगा। लेकिन काजल को आराम मिलना ज़रूरी था, तो मैं चुप रहा।


नफीस चाचा: (गंभीर आवाज़ में) "हाँ, नस खिसक गई है। यहाँ दाहिनी तरफ ऊपर की ओर चली गई है।"


चाचा ने काजल को करवट लेने को कहा। पहले बायीं तरफ, फिर दाहिनी तरफ। हर बार वो उसके पेट पर तेल लगाकर मालिश करते, और उनके हाथ कभी-कभी काजल की कमर के पास या नाभि के ठीक नीचे ज़्यादा देर तक रुकते। वो बातें भी कर रहे थे, जैसे सब कुछ सामान्य हो।

काजल की आँखें बंद थीं, और वो दर्द से हल्की-हल्की कराह रही थी, "उई... मम्मी... आह..."। घर में मौजूद महिलाएँ भी चुपचाप देख रही थीं, और मुझे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था।


काजल: (दर्द से) "उफ़... चाचा, धीरे..."

नफीस चाचा: "बेटी, थोड़ा दर्द होगा। नस को अपनी जगह पर लाना पड़ता है।"

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चाचा ने अब एक छोटा-सा मूसल निकाला और उसे काजल की नाभि के पास रखकर दबाव डालना शुरू किया। यह दबाव इतना गहरा था कि काजल के मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली, "उई... मम्मी... आह...!"। मैं पास में खड़ा था, और मेरे मन में एक अजीब-सी सनसनी थी। एक तरफ काजल का दर्द देखकर चिंता हो रही थी, तो दूसरी तरफ चाचा की उंगलियों और मूसल का काजल की चमकती नाभि और तिल पर स्पर्श देखकर मेरे शरीर में उत्तेजना हो रही थी। मैंने खुद को संभाला, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार काजल के पेट और चाचा की उंगलियों पर जा रहा था।


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चाचा ने काजल को अपने घुटनों को छाती की ओर खींचने को कहा, और जैसे ही उसने ऐसा किया, चाचा ने दोनों हाथों से उसके पेट पर, दाहिनी तरफ, एक तेज़ दबाव डाला। काजल की चीख पूरे कमरे में गूँज उठी।

काजल: (चीखते हुए) "आआहहह... मम्मी!"


मैं घबरा गया, लेकिन चाचा शांत रहे। उन्होंने कुछ सेकंड तक दबाव बनाए रखा, फिर धीरे से मूसल हटाया। काजल हाँफ रही थी, उसकी आँखें नम थीं, लेकिन उसके चेहरे पर अब दर्द के साथ-साथ राहत भी दिख रही थी। चाचा ने एक बार फिर काजल की नाभि के पास हल्का-सा तेल लगाया और अपनी उंगलियों से गोल-गोल मालिश की, जो इस बार ज़्यादा कोमल थी। लेकिन उनकी उंगलियाँ फिर से नाभि के नीचे और तिल के पास ज़्यादा देर तक रुकीं, जो मुझे असहज लगा।


नफीस चाचा: (संतुष्टि से) "बस, अब नस अपनी जगह पर आ गई है।"


चाचा ने काजल के पेट पर एक साफ कपड़ा बाँध दिया और कहा कि आधे घंटे बाद इसे खोल देना।




इलाज के बाद​


मैंने चाचा को उनकी फीस दी।


मैं: "चाचा, ये लीजिए आपकी फीस। 600 रुपये, ना?"


नफीस चाचा: (पैसे लेते हुए) "हाँ, बेटा, ठीक है।


काजल: (कृतज्ञता से) "धन्यवाद, चाचा।"

मैं: "काजल, अब कैसा लग रहा है?"


काजल: (राहत भरी साँस लेते हुए) "हाँ, अब दर्द नहीं है। थोड़ा-थोड़ा था, वो भी अब गायब है।"
फिर हम घर आ गए
 
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नफीस चाचा के घर से काजल को लेकर जब हम वापस लौटे, तो मैंने मम्मी को सारी बात बताई।


मैं: "मम्मी, काजल की नस चली गई थी। नफीस चाचा ने देखकर ठीक कर दी।"


मम्मी: (राहत के साथ) "अच्छा हुआ, बेटा। मैं आज पास के मंदिर गई थी। वहाँ आरती के बाद मैंने कुछ औरतों से बात की। सुषमा की बहू ने बताया कि यहाँ पास में ही, जो परचून की दुकान है ना, उसके बगल वाले घर में एक और व्यक्ति है जो नस बैठाता है। उसकी भी पेट दर्द की समस्या थी, और उसने वहीं से ठीक करवाया।"

मैं: (हैरानी से) "अच्छा? ये तो आप पहले बता देतीं, मम्मी! हम तो 45 मिनट की दूरी पर गए थे।"

मम्मी: (हँसते हुए) "अरे, मुझे क्या पता था कि तुम इतनी दूर चले जाओगे! खैर, अब काजल ठीक है ना?"

काजल: (मुस्कुराते हुए) "हाँ, मम्मी। अब बिल्कुल ठीक है।"

मम्मी ने फिर बात को आगे बढ़ाया।


मम्मी: "बेटा, एक और बात है। तुम्हारी बुआ की लड़की प्रिया की शादी है। हमें वहाँ जाना है। दो दिन रुकना होगा।"


मैं: "ठीक है, मम्मी। मैं कॉलेज से छुट्टी ले लूँगा।"


काजल ने भी उत्साह से सिर हिलाया। उसे शादी में जाने का विचार पसंद आया, क्योंकि गाँव की शादियों में वो खूब मस्ती करती थी। मैंने कॉलेज में छुट्टी के लिए बात की और अगले दिन हम शादी के लिए निकल पड़े।



प्रिया की शादी में काजल का जलवा​


प्रिया की शादी गाँव में थी, और वहाँ का माहौल उत्सव से भरा था। हम दो दिन के लिए रुके। शादी का घर रंग-बिरंगे फूलों और लाइटों से सजा था। ढोल-नगाड़ों की आवाज़ और गानों की गूंज से माहौल और भी जीवंत हो गया था। काजल ने लाल रंग की भारी-भरकम साड़ी पहनी थी, जो नाभि से काफी नीचे बँधी थी। उसने स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था, जिसमें उसकी बाहें और कंधे पूरी तरह निखर रहे थे। उसकी नाभि का तिल, जो तेल की चमक के बिना भी आकर्षक था, साड़ी के नीचे से हल्का-सा झलक रहा था। काजल सचमुच दुल्हन से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया


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पहली रात बारात आई, और हम सब ने खूब नाच-गाना किया। काजल अपने चचेरी बहनों के साथ डांस फ्लोर पर थी। वो "नाच मेरी रानी" गाने पर थिरक रही थी, और उसके नाच के साथ उसके स्तन हल्के-हल्के उछल रहे थे, जो उसकी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ में और आकर्षक लग रहे थे। मेरे चचेरे भाई मज़ाक में मुझसे कहने लगे, "भैया, इनकी कोई छोटी बहन हो तो हमसे शादी करवा दो!" मैं हँस पड़ा, लेकिन मेरे मन में फिर वही असुरक्षा का खयाल आया। काजल की हँसी और नाच की थिरकन देखकर सब तालियाँ बजा रहे थे।


दूसरे दिन शादी की रस्में हुईं। काजल ने मम्मी के साथ मिलकर बुआ की मदद की, और मैंने अपने रिश्तेदारों के साथ हँसी-मज़ाक किया। खाने में पूड़ी, कचौड़ी, और गुलाब जामुन की खुशबू पूरे घर में फैली थी। विदाई के समय प्रिया की आँखों में आँसू थे



शादी से वापसी और काजल की तबीयत​


दो दिन बाद हम गाँव से वापस शहर लौट आए। काजल थोड़ी थकी हुई थी, लेकिन उसका चेहरा शादी की खुशी और मस्ती से चमक रहा था। घर पहुँचते ही मम्मी ने हमें बैठाकर चाय पिलाई और शादी की बातें शुरू कर दीं।


मम्मी: "बंवारी, काजल ने तो शादी में सबका दिल जीत लिया। औरतें उसकी बहुत तारीफ कर रही थीं। बोल रही थीं, 'बड़ी सुंदर है तुम्हारी बहू, दुल्हन से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी!'"


काजल: (शरमाते हुए) "अरे, मम्मी, बस करिए।"


मैं: (हँसते हुए) "सच में, काजल, तूने तो सबको दीवाना बना दिया। मेरे भाई लोग तो तेरी छोटी बहन ढूँढने लगे!"


हम सब हँस पड़े। लेकिन अगले कुछ दिनों में काजल की तबीयत खराब होने लगी। उसे बार-बार उल्टियाँ हो रही थीं, और वो ठीक से कुछ खा-पी नहीं पा रही थी। मैं और मम्मी बहुत चिंतित हो गए।


मम्मी: (चिंता से) "पता नहीं किसकी नज़र लग गई मेरी बहू को। शादी में इतनी खूबसूरत लग रही थी, शायद किसी की बुरी नज़र लग गई।"


मैं: "मम्मी, ऐसा कुछ नहीं। शायद थकान की वजह से हो। फिर भी, मैं उसे डॉक्टर के पास ले जाता हूँ।"


मैंने काजल को फिर से डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट करवाए और बताया कि शायद शादी की थकान और खान-पान में बदलाव की वजह से उसकी तबीयत खराब हुई है। उन्होंने कुछ दवाइयाँ दीं और आराम करने की सलाह दी। मैंने काजल का पूरा ख्याल रखा, और मम्मी ने भी उसे घर का बना हल्का खाना खिलाया।


काजल: (कमज़ोर आवाज़ में) "बंवारी, मुझे अब थोड़ा बेहतर लग रहा है। तुम और मम्मी इतना परेशान मत हो।"
 

rahul334

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उल्टियाँ और कमज़ोरी की वजह से मम्मी को लग रहा था कि किसी की नज़र लग गई है। डॉक्टर की दवाइयों से थोड़ा आराम तो मिला, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं हुआ। एक सुबह मैं बाथरूम में नहाकर बाहर निकला, तो हॉल में एक हैरान करने वाला दृश्य देखा। काजल चटाई पर लेटी हुई थी, और एक आदमी उसके पेट पर तेल लगाकर मालिश कर रहा था। मम्मी पास के पलंग पर बैठी थीं और सब कुछ ध्यान से देख रही थीं।


मुझे देखते ही मम्मी ने कहा, "बेटा, काजल की नस फिर से चली गई थी। ये कृष्णा है, जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था। परचून की दुकान के पास वाले घर में रहता है।"


मेरे मन में एक अजीब-सी हलचल शुरू हो गई। मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। काजल की साड़ी को कृष्णा ने इतना नीचे खींच रखा था कि उसकी चूत के कुछ बाल हल्के-से दिख रहे थे। बीच-बीच में उसका हाथ साड़ी को पकड़ने के चक्कर में काजल की चूत के ऊपर हल्का-सा छू रहा था, जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गई। काजल की गहरी नाभि, जिसके पास वो छोटा-सा तिल चमक रहा था, और तेल की चमक उसे और आकर्षक बना रही थी। उसकी साड़ी इतनी नीचे थी कि उसकी कमर की सुडौलता और हल्का-सा उभरा हुआ निचला हिस्सा साफ दिख रहा था। ये दृश्य देखकर मेरे शरीर में एक गर्माहट सी दौड़ गई।


ऐसा पहले भी होता था, जब गाँव में माँ, चाची या बुआओं के पेट दर्द होने पर पड़ोस की तिवाइन को बुलाया जाता था। मैं तब छोटा था, लेकिन जब वो उनके पेट और नाभि को मालिश करती थीं, तो मुझे एक अजीब-सी उत्तेजना होती थी। उनकी नाभि देखके मेरा लंड खड़ा हो जाता था।इनमें सबसे अच्छी नाभि थी मेरी चाची की गोल गहरी नाभि थी जब भी उनकी पेट की मालिश देखता था तो मूठ जरूर मारता था।उनका चक्कर दुकानदार हरि से था ये बात सब गांव वालों को पता थी। मैंने भी अपने बड़े भाई की बीवी मालती भाभी को 2-3 बार चोदा था।खैर ये पुरानी बाते बाद में करेंगे।

मेरी चाची की गहरी नाभि

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अब अपनी बीवी काजल के साथ वही दृश्य देखकर वैसी ही सनसनी हो रही थी, बल्कि इस बार ये और तीव्र थी, क्योंकि ये मेरी अपनी बीवी थी, और उसकी खूबसूरती मुझे हमेशा दीवाना बनाती थी।


मैं जल्दी से अंदर गया, कपड़े पहने, और बाहर आकर एक कुर्सी पर बैठ गया। मैं कृष्णा से बात करने लगा, लेकिन मेरी नज़र बार-बार काजल के पेट, उसकी नाभि, और साड़ी के नीचे हल्के-से दिखते चूत के बालों पर जा रही थी।


मैं: (हल्के से) "कृष्णा भाई, आप ये काम कैसे सीखे?"


कृष्णा: (मालिश करते हुए, मुस्कुराते हुए) "अरे, भैया, मैं तो प्राइवेट कंपनी में सेल्स का काम करता हूँ। लेकिन गाँव में मेरे नाना से ये नस सेट करने की कला सीखी थी। मैं ये काम फ्री में करता हूँ, बस लोगों की मदद के लिए।"


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कृष्णा बातें करते हुए काजल के पेट पर तेल लगाकर मालिश कर रहा था। उसकी उंगलियाँ काजल की नाभि के आसपास गोल-गोल घूम रही थीं, और वो गहरे दबाव के साथ पेट को अंदर तक दबा रहा था। बीच-बीच में उसका हाथ साड़ी को ठीक करने के बहाने काजल की चूत के ऊपर हल्का-सा छू जाता था, जो शायद अनजाने में हो रहा था, लेकिन मेरे लिए वो हर स्पर्श एक सनसनी की तरह था। काजल की आँखें बंद थीं, और वो दर्द से हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थी, "उई... आह..."। उसकी सिसकारियों में दर्द के साथ-साथ एक अजीब-सी मादकता थी, जो मेरे शरीर में आग लगा रही थी।


उसने काजल को करवट लेने को कहा और उसके पैरों को हल्के से जटके दिए, जैसे नस को अपनी जगह पर लाने के लिए। फिर उसने अपने अंगूठे से काजल की नाभि पर गहरा दबाव डाला, जिससे काजल के मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली, "आह... मम्मी...!"। उसकी साड़ी और नीचे खिसक गई, जिससे उसकी चूत का हिस्सा और साफ दिखने लगा। मैं कुर्सी पर बैठा था, लेकिन मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो गया था, और मुझे अपनी उत्तेजना को छुपाने के लिए कुर्सी पर थोड़ा सिकुड़ना पड़ा।


मम्मी पास में बैठी थीं और शांत भाव से सब देख रही थीं। मैंने खुद को संभाला और बातें करने की कोशिश की।


मैं: "कृष्णा, ये कितनी बार होता है? मतलब, नस बार-बार क्यों खिसकती है?"


कृष्णा: (मालिश जारी रखते हुए) "भैया, ये भारी सामान उठाने से या कुछ झटका लगने से हो जाता है। भाभी ने शायद फिर कुछ भारी उठाया होगा।"

मम्मी बोली शादी में बहोत डांस किया था शायद उससे हो गया हो।मम्मी मेरी तरफ इशारा करके बोली इसकी चाची की भी नस पहले बहुत जाती थी हर 5-6 दिन मे दिखाना पड़ता था पर खेत पर कोई ना कोई ठीक करने वाला मिल जाता था पर आजकल ये चीज जानने वाले बहुत कम मिलते है।

कृष्णा ने अब अपने दोनों हाथों से काजल के पेट पर, दाहिनी तरफ, गहरा दबाव डाला। उसका एक हाथ फिर से साड़ी के पास गया, और अनजाने में उसकी उंगलियाँ काजल की चूत के ऊपर हल्का-सा छू गईं। काजल की चीख हॉल में गूँज उठी, "आआहह... मम्मी...!"। उसका चेहरा दर्द से सिकुड़ गया, लेकिन कुछ ही पल बाद राहत भी दिखने लगी। काजल की साँसें तेज़ थीं, और उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी, जिससे उसका स्लीवलेस ब्लाउज़ और भी टाइट लग रहा था। उसकी नाभि और तिल तेल में चमक रहे थे, और मैं उस दृश्य से अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहा था।


कृष्णा ने कुछ सेकंड तक दबाव बनाए रखा, फिर धीरे से अपने हाथ हटाए। काजल हाँफ रही थी, उसकी आँखें नम थीं, लेकिन उसके चेहरे पर अब दर्द के साथ-साथ राहत भी दिख रही थी। कृष्णा ने काजल के पेट पर एक साफ कपड़ा बाँध दिया और कहा, "आधे घंटे बाद इसे खोल देना। अब नस अपनी जगह पर आ गई है।"

मैंने कृष्णा को धन्यवाद दिया। मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि उसने फीस नहीं माँगी, क्योंकि उसने कहा था कि वो ये काम फ्री में करता है।


मैं: "कृष्णा भाई, बहुत-बहुत धन्यवाद। कुछ पैसे तो लो।"


कृष्णा: (हँसते हुए) "अरे, भैया, मैं ये काम सेवा के लिए करता हूँ। बस भाभी ठीक हो जाएँ, यही काफी है।"


मैंने उसे गेट तक छोड़ा। काजल अब उठकर बैठ गई थी और अपनी साड़ी ठीक कर रही थी। उसकी साड़ी अभी भी थोड़ी नीचे थी, और उसका तिल और चमकता हुआ पेट मेरी नज़रों में बसा हुआ था। मम्मी ने उसे पानी का ग्लास दिया।


मम्मी: "बेटा, अब ध्यान रखना। कोई भारी सामान नहीं उठाना।"


काजल: (हल्के से मुस्कुराते हुए) "हाँ, मम्मी। अब नहीं उठाऊँगी।"
 
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कृष्णा की हमारे घर में अच्छी जान-पहचान हो गई। वो अब कभी-कभी घर आता और मम्मी व काजल के साथ हँसी-मज़ाक करता। उसका स्वभाव खुला और मज़ेदार था, जिससे घर का माहौल हल्का-फुल्का हो जाता। कभी वो काजल को हल्के से छेड़ देता, जैसे उसकी साड़ी की तारीफ करके या उसके नाच की बातें करके। काजल भी उसकी बातों पर हँसती और जवाब में कुछ शरारत भरा कह देती। मम्मी को भी उसका ये अंदाज़ पसंद था, और वो हँसते हुए कहतीं, "कृष्णा, तू तो बड़ा नटखट है!"


कृष्णा ने एक-दो बार मम्मी के पीठ और पेट के दर्द को भी ठीक किया। वो अपने हाथों से तेल लगाकर उनकी मालिश करता, और मम्मी को काफी राहत मिलती। मैं देखता कि वो मम्मी के साथ भी उतनी ही सहजता से बात करता था, जितनी काजल के साथ। मुझे पता चला कि कृष्णा के स्थानीय नेता से अच्छे रिश्ते थे, जिसकी वजह से मैंने भी उससे दोस्ती बनाए रखने की सोची। सोचा, कहीं न कहीं ये रिश्ता काम आ सकता है।

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एक दिन कृष्णा फिर से घर आया। उसने काजल को देखकर मज़ाक में कहा, "भाभी, आपकी साड़ी तो हर बार कमर से नीचे ही बँधती है! कोई नया स्टाइल लाओ ना!" काजल ने हँसते हुए जवाब दिया, "कृष्णा भाई, ये स्टाइल तुम्हें ही तो पसंद है!" मम्मी हॉल में बैठी थीं और उनकी बातें सुनकर हँस रही थीं। मैं भी पास में बैठा था, और उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था, लेकिन मेरे मन में फिर से वही अजीब-सी उत्तेजना और असुरक्षा का मिश्रण उभर रहा था। खासकर जब कृष्णा ने काजल की कमर की तारीफ की, तो मेरे दिमाग में उस दिन का दृश्य घूम गया, जब उसने काजल की नस सेट की थी। उसकी उंगलियाँ काजल की नाभि और साड़ी के नीचे हल्के-से दिखते चूत के बालों के पास गई थीं।


मैंने खुद को संभाला और बात को हल्का करने के लिए कहा, "कृष्णा, तू तो सबको अपनी बातों से हँसा देता है! कोई और हुनर भी है क्या?"


कृष्णा: (हँसते हुए) मेरे एक दोस्त हैं, जो लोकल पॉलिटिशियन हैं। कभी ज़रूरत पड़े तो बताना, मैं बात करवा दूँगा।"


मैंने मुस्कुराकर सिर हिलाया, लेकिन मेरे मन में एक हल्का-सा शक था। कृष्णा का काजल के साथ इतना सहज होना और उसकी छेड़खानी मुझे थोड़ा परेशान कर रही थी। फिर भी, मैंने सोचा कि वो बस मज़ाक कर रहा है, और उसकी कोई गलत मंशा नहीं होगी

कुछ दिनों बाद मम्मी को गाँव जाना पड़ा। वहाँ कुछ पारिवारिक काम थे, और वो कुछ हफ्तों के लिए चली गईं। घर में अब सिर्फ मैं और काजल थे। कृष्णा की हमारे घर में अच्छी जान-पहचान हो चुकी थी, और वो अब नियमित रूप से आता था। उसका हँसता-खेलता स्वभाव काजल को खूब पसंद था, और वो अक्सर उसकी तारीफ करती। एक दिन सुबह, जब हम चाय पी रहे थे, काजल ने मुझसे कहा, "बंवारी, तुमने कृष्णा का ड्रेसिंग सेंस देखा? कितने स्टाइलिश कपड़े पहनता है! तुम्हें भी वैसे ही कपड़े पहनने चाहिए।"
मैंने हँसते हुए जवाब दिया, "अरे, मेरी जान, मैं तो प्रोफेसर हूँ, मेरा स्टाइल तो किताबों और चॉक-डस्टर में है!" लेकिन काजल की बात मेरे मन में थोड़ी खटक गई। मुझे लगा कि वो कृष्णा की तारीफ कुछ ज़्यादा ही करने लगी थी। फिर भी, मैंने सोचा कि शायद ये बस उसका मज़ाक करने का तरीका है।
कुछ दिन बाद काजल ने मुझे बताया कि उसने एक जिम जॉइन कर लिया है। वो बोली, "शादी में इतना नाच-गाना किया, अब थोड़ा फिट रहना चाहिए।" मैंने उसका उत्साह देखकर हामी भरी, लेकिन जब उसने बताया कि वो उसी जिम में जा रही है, जहाँ कृष्णा जाता है, तो मेरे मन में फिर से वही असुरक्षा का खयाल आया। मैंने मन में सोचा, "कृष्णा वहाँ भी होगा? क्या ये संयोग है, या काजल जानबूझकर वहाँ जा रही है?"

काजल ने जिम जाना शुरू कर दिया। वो रोज़ सुबह तैयार होती, और जिम चली जाती। उसका नया लुक देखकर मैं तो हर बार उसे निहारने लगता। उसकी कमर और नाभि, जो अब जिम के कपड़ों में और साफ दिखता था, मुझे हमेशा की तरह दीवाना बना रहा था। लेकिन मेरे मन में ये खयाल भी आता कि कृष्णा भी उसी जिम में है, और वो काजल को इन कपड़ों में देखेगा। मेरी उत्तेजना और असुरक्षा दोनों एक साथ बढ़ रही थीं।
एक दिन मैंने काजल से पूछा, "जिम में सब ठीक है ना? कृष्णा भी वहाँ मिलता है?"
काजल: (हँसते हुए) "हाँ, मिलता है। वो तो सबको हँसाता रहता है। आज तो उसने मेरी लेगिंग्स की तारीफ की, बोला 'भाभी, आप तो जिम की स्टार बन गई हैं!'"
मैंने हल्का सा मुस्कुराया, लेकिन मेरे मन में जलन की एक लहर दौड़ गई। मैंने सोचा कि कृष्णा का काजल के साथ इतना खुलापन अब हद से ज़्यादा हो रहा है। फिर भी, मैंने खुद को शांत रखा और कुछ नहीं कहा।
एक शाम काजल जिम से लौटी, तो उसका चेहरा चमक रहा था। वो थोड़ा पसीने से भीगी थी, और उसकी टाइट लेगिंग्स और क्रॉप टॉप में उसकी फिगर और ज़्यादा निखर रही थी। मैं उसे देखकर फिर से खो सा गया। उसने मुझे देखा और शरारत से बोली, "क्या देख रहे हो, प्रोफेसर साहब? जिम में मेहनत कर रही हूँ, अब तो तुम्हें भी मेरे साथ आना चाहिए!"
मैं: (हँसते हुए) "हाँ, चलूँगा। लेकिन ये बता, कृष्णा वहाँ क्या-क्या करता है?"
काजल: (हल्के से आँख मारते हुए) "अरे, वो तो बस अपनी सेल्स वाली बातें करता है, और हाँ, जिम में सबको मोटिवेट करता है। उसने मुझे आज पुश-अप्स सिखाए। बोला, 'भाभी, आपकी कमर और ज़्यादा टोन्ड हो जाएगी!'"
मैंने हँसी में टाल दिया, लेकिन मेरे मन में एक तूफान चल रहा था। मैंने सोचा कि अब कृष्णा के साथ खुलकर बात करनी होगी। उसका काजल के साथ इतना घुलना-मिलना और उसकी तारीफें मुझे परेशान कर रही थीं।

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कुछ दिन बाद कृष्णा फिर से घर आया। इस बार वो प्रोटीन पाउडर लेकर आया और बोला, "भाभी, आपने बोला था ना मांगने के लिए ये वाली कंपनी का बेस्ट है।" काजल ने पाउडर का डिब्बा और उसे चाय के लिए बुलाया। मैं घर पर था और उनकी बातें सुन रहा था। कृष्णा ने फिर से काजल की तारीफ शुरू कर दी।
कृष्णा: "भाभी, जिम में आप तो कमाल कर रही हैं। आज ट्रेनर भी बोल रहा था कि आप बहुत जल्दी सीख रही हैं।"
काजल: (मुस्कुराते हुए) "अरे, कृष्णा भाई, तुम तो बस तारीफ ही करते रहते हो। बंवारी को भी बुला लो जिम, ये तो बस कॉलेज में किताबें पढ़ता रहता है।"
मैंने हल्का सा मुस्कुराया, लेकिन मेरे मन में जलन बढ़ रही थी। कृष्णा का काजल के साथ इतना खुलापन और उसका जिम में उसके साथ समय बिताना मुझे असहज कर रहा था। मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है कि मैं कृष्णा से साफ-साफ बात करूँ। लेकिन साथ ही, मुझे ये भी डर था कि कहीं मेरी असुरक्षा काजल के साथ मेरे रिश्ते को खराब न कर दे।
उसी रात, जब मैं और काजल बिस्तर पर थे, मैंने उससे बात शुरू की।
मैं: "काजल, तुझे कृष्णा के साथ इतना मज़ाक करना अच्छा लगता है?"
काजल: (हैरानी से) "क्या बात है, बंवारी? तुझे कुछ परेशानी हो रही है? कृष्णा तो बस मज़ाक करता है, वो ऐसा ही है।"
मैं: (हल्के से) "हाँ, लेकिन उसकी तारीफें और जिम में इतना समय... मुझे थोड़ा अजीब लगता है।"
काजल ने मेरी तरफ देखा और मेरे गाल पर हल्के से चपत लगाई।
काजल: (शरारत से) "अरे, मेरे जलनशील प्रोफेसर! तुझे लगता है मैं तुझसे ज़्यादा किसी और को देखूँगी? कृष्णा बस दोस्त है, और वो सबके साथ ऐसा ही मज़ाक करता है।"
 
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कुछ दिन बाद एक सुबह काजल को पेट दर्द होने लगा। मैं कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था, तभी कृष्णा घर आया। काजल उसे देखकर थोड़ा झल्लाते हुए बोली, "कृष्णा, तुम्हें कितनी बार पहले बुलाया था, अब आ रहे हो!"


कृष्णा: (हँसते हुए) "अरे भाभी, मैं तो ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। चलो, अब देर न करो, अंदर चलकर लेट जाओ।"


काजल ने हल्का सा मुस्कुराया और हॉल में चटाई बिछाकर लेट गई। उसने टीशर्ट और पजामा पहन रखा था।


मैं: "ठीक है, मैं कॉलेज जा रहा हूँ। ध्यान रखना।"




शाम का माहौल​


शाम को जब मैं घर लौटा, तो काजल बहुत खुश थी। उसका चेहरा चमक रहा था, और वो हल्के-हल्के गुनगुना रही थी। हमने साथ में खाना खाया, और फिर काजल बोली, "मैं सोने जा रही हूँ। आज जिम में भी थक गई, और पेट का दर्द भी अब ठीक है।"


मैं: "ठीक है, तू सो जा। मुझे थोड़ा ऑफिस का काम निपटाना है।"


काजल सोने चली गई, और मैं अपने कमरे में लैपटॉप लेकर बैठ गया। लेकिन मेरा ध्यान काम पर नहीं था। मेरे पास काजल की नाभि की मालिश की कई पुरानी रिकॉर्डिंग्स थीं, जो मैंने घर के कैमरे से ली थीं। हर बार काजल की नाभि, उसका तिल, और साड़ी का नीचे खिसकना मेरे लिए एक अजीब-सी उत्तेजना का कारण बनता था।


मुझे याद आया कि मैं अक्सर काजल के साथ सेक्स से पहले उसकी नाभि में तेल डालकर मालिश करता था और उसे चूमता था। लेकिन मुझे उसमें उतना मज़ा नहीं आता था, जितना किसी और को काजल की मालिश करते देखकर आता था। शायद ये मेरी बचपन की आदत थी, जब मैं गाँव में घर की औरतों की मालिश होते देखता था। उस समय की सनसनी अब भी मेरे अंदर कहीं न कहीं बसी थी।

मैंने आज की रिकॉर्डिंग चेक करने लगा।
 
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वीडियो में दिखा दृश्य​


वीडियो में काजल चटाई पर लेटी थी, और कृष्णा उसके पेट को दबा-दबाकर देख रहा था। उसने काजल से कहा, "भाभी, आपकी नाभि नीचे खिसक गई है। पजामा थोड़ा नीचे कर दो, ताकि मैं ठीक से देख सकूँ।"


काजल ने हल्का सा झिझकते हुए अपना पजामा नीचे खींचा। पजामा इतना नीचे चला गया कि उसकी चूत के कुछ बाल हल्के-से दिखने लगे। कृष्णा ने तेल लिया और काजल के पेट पर मालिश शुरू की। उसकी उंगलियाँ काजल की नाभि के आसपास गोल-गोल घूम रही थीं, और वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसने कहा, "भाभी, नस यहाँ चली गई है," और उसका हाथ काजल की चूत के पास तक दबाता चला गया।


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काजल की साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसने अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा लिए, जैसे वो उत्तेजना को छुपाने की कोशिश कर रही हो। उसकी आँखें बंद थीं, और उसका चेहरा दर्द और उत्तेजना के मिश्रण से सिकुड़ा हुआ था।

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कृष्णा ने देखा कि काजल का कोई विरोध नहीं है, तो उसने अपने दूसरे हाथ से काजल की चूत को हल्के-हल्के मसलना शुरू कर दिया। फिर उसने धीरे से एक उंगली काजल की चूत के अंदर डाल दी और उसे अंदर-बाहर करने लगा।

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काजल पूरी तरह मादहोश होने लगी। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं, उसका शरीर हल्का-हल्का काँपने लगा, और उसने अपने होंठ और सख्ती से दबा लिए। उसकी सिसकारियाँ अब और गहरी हो गई थीं, "उई... आह...!" और उसकी छाती तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी, जिससे उसकी टाइट टीशर्ट में उसकी छाती और ज़्यादा उभर रही थी।


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कृष्णा ने काजल के पजामे और पैंटी को और नीचे खींच दिया, जिससे उसकी चूत पूरी तरह नंगी हो गई। काजल ने एक पल के लिए अपनी आँखें खोलीं, और उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल हो गया। उसने हल्के से अपने पैरों को सिकोड़ा, जैसे वो इस अंतरंग स्पर्श को रोकना चाहती हो, लेकिन उसकी साँसों की तेज़ी और मादहोश सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो इस सनसनी में पूरी तरह डूब चुकी थी। ये कृष्णा के लिए एक ग्रीन सिग्नल था, जैसे काजल इस अंतरंग पल के लिए तैयार थी।


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कृष्णा ने धीरे से काजल की टीशर्ट को ऊपर उठाया और उसकी छाती को निहारने लगा। काजल के निप्पल आसमान की तरफ तने हुए थे। उसने अपने हाथों से काजल की छाती को हल्के-हल्के दबाया और उसके निप्पल्स को उंगलियों से सहलाया। काजल की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गईं, और उसने अपने सिर को पीछे की ओर झटका, जैसे वो इस स्पर्श की गहराई में खो रही हो। कृष्णा ने अपने होंठ काजल के होंठों से लगा दिए और उसे गहराई से चूमना शुरू कर दिया। काजल ने पहले एक पल के लिए झिझकी, लेकिन फिर उसने भी जवाब में कृष्णा के होंठों को चूमा। वो दोनों एक-दूसरे के होंठों को गहराई से चूम रहे थे, कभी काजल अपनी जीभ कृष्णा के मुँह में डालती, तो कभी कृष्णा उसकी जीभ को अपने मुँह में ले लेता। काजल की साँसें और तेज़ हो गईं, और उसका शरीर अब पूरी तरह उत्तेजना में काँप रहा था।


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कृष्णा ने एक हाथ से काजल की चूत में उंगली अंदर-बाहर करना जारी रखा, जबकि दूसरे हाथ से उसने काजल के सिर को पकड़कर उसे और गहराई से चूमना शुरू किया। फिर उसने अपने होंठ काजल की छाती पर ले जाकर उसके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। वो एक हाथ से काजल का दूसरा मम्मा मसल रहा था, और अपने मुँह से उसके निप्पल के चारों तरफ हल्के-हल्के काट रहा था। काजल मस्ती में "उई... आअहह..." की आवाजें निकाल रही थी और उसने उत्तेजना में कृष्णा का लंड पकड़कर दबाना शुरू कर दिया। उसकी सिसकारियाँ अब और गहरी हो गई थीं, "आअहह... ऊऊओअहह..." और वो अपने शरीर को और करीब लाने की कोशिश कर रही थी।


कृष्णा ने काजल के पैरों के पास जाकर उसकी टाँगें उठाईं और अपने कंधों पर रख लीं। उसका लंड काजल की चूत की दीवार के साथ रगड़ गया। उसने अपने लंड को काजल की चूत के ऊपर घिसना शुरू किया। काजल तड़प गई और ज़ोर से बोली, "अब अंदर भी डाल दे...!" कृष्णा ने काजल की चूत की दरार पर अपना लंड टिकाया और एक धक्का मारा, जिससे उसका आधा लंड काजल की चूत में चला गया। काजल चिल्लाई, "जरा धीरे कर...!"


कृष्णा ने दूसरा धक्का मारा और अपना पूरा लंड काजल की चूत के अंदर पेल दिया। उसने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और काजल "ऊऊआहह... उउउइयाआ..." की आवाजें निकालने लगी। कृष्णा ने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी और दोनों हाथों से काजल के मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। काजल के मम्मे जोर-जोर से हिल रहे थे, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो खुद भी "आआहह... ऊऊयय्याआ..." की आवाजें निकाल रहा था, और काजल भी "उआहह... ऊऊआहह... और जोर से चोद..." की आवाजें निकाल रही थी। उनके टट्टे काजल की चूत से टकराकर "ठप... ठप..." की आवाजें निकाल रहे थे।


कृष्णा ने काजल को घोड़ी बनने को कहा, और काजल तुरंत घुटनों और हाथों के बल हो गई। उसकी हिलती हुई छाती और कसी हुई कमर कृष्णा को और उत्तेजित कर रही थी। कृष्णा ने पीछे से काजल की चूत में अपना लंड डाला और तेज़ी से धक्के मारने लगा। काजल की चीखें अब और तेज़ हो गई थीं, "आआहह... और तेज़...!" और उसके मम्मे हर धक्के के साथ जोर-जोर से हिल रहे थे। कृष्णा ने एक हाथ से काजल की कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से उसके मम्मों को मसलना जारी रखा।

काजल ने अपनी टाँगों से कृष्णा की पीठ पर दबाव बढ़ा दिया, और उसकी सिसकारियाँ चरम पर पहुँच गईं। वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी, "आआहह... और तेज़...!"


लगभग 40 मिनट तक दोनों ने एक-दूसरे के साथ अंतरंग पल बिताए, और अंत में काजल ने एक ज़ोरदार चीख के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया। कृष्णा ने भी जल्द ही अपनी चरम सीमा हासिल की और काजल के पास हाँफते हुए लेट गया। वो दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे, हाँफते हुए और एक-दूसरे को हल्के-हल्के चूमते हुए। काजल की साँसें अभी भी तेज़ थीं, और उसका चेहरा मादहोशी और संतुष्टि से चमक रहा था।

अंतरंग पल के बाद की बातचीत-

कृष्णा और काजल एक-दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे, अभी भी हल्के-हल्के हाँफते हुए। कमरे में एक अजीब-सी शांति थी, सिर्फ उनकी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी। काजल ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और कृष्णा की ओर देखा, उसका चेहरा अभी भी उत्तेजना और संतुष्टि से चमक रहा था।

काजल: (धीमी, मादक आवाज़ में) "कृष्णा, ये... ये सब क्या था? इतना सब कुछ हो गया..."

कृष्णा: (हल्के से मुस्कुराते हुए, काजल के बालों को सहलाते हुए) "भाभी, मैं तो बस आपका दर्द दूर करने आया था। लेकिन तुम... तुमने तो मुझे बिल्कुल बेकाबू कर दिया।"

काजल ने हल्के से शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे कीं, लेकिन उसकी मुस्कान में एक शरारत थी।

काजल: (हल्के से सिसकारी के साथ) "मुझे भी नहीं पता था कि ये इतना... इतना अच्छा लगेगा। लेकिन... ये गलत तो नहीं था ना?"

कृष्णा: (उसके चेहरे को अपने करीब लाते हुए) "गलत-सही की बात नहीं, भाभी। ये पल... ये हम दोनों के बीच का था। तुम्हें जो लगा, वो मैंने भी महसूस किया। ये जुनून था, शायद कुछ ऐसा जो हम दोनों में पहले से ही कहीं दबा हुआ था।"

काजल ने एक गहरी साँस ली और कृष्णा की छाती पर अपना सिर टिका दिया। उसकी आवाज़ में एक हल्का-सा संकोच था, लेकिन साथ ही एक अजीब-सी राहत भी।

काजल: (धीरे से) "मुझे बनवारी के लिए थोड़ा बुरा लग रहा है... लेकिन ये जो हुआ, वो जैसे मेरे काबू में नहीं था। तुम्हारी हर छुअन, हर स्पर्श... मैं बस खो गई थी।"

कृष्णा: (उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्बन देते हुए) "भाभी, ये जुनून था, और इसमें कोई कमी नहीं थी। तुम्हें संतुष्टि मिली, मैंने तुम्हारी आँखों में वो चमक देखी। लेकिन अगर तुम्हें लगता है कि ये गलत था, तो हम इसे यहीं रोक सकते हैं।"

काजल ने एक पल के लिए चुप्पी साध ली, जैसे वो अपने मन के भावनाओं को समझने की कोशिश कर रही हो। फिर उसने कृष्णा की ओर देखा, उसकी आँखों में एक मिश्रित भाव था—पछतावा, जुनून, और शायद कुछ अनकही चाहत।

काजल: (हल्के से मुस्कुराते हुए) "नहीं, कृष्णा। मुझे पछतावा नहीं है। ये... ये जो हुआ, वो बहुत खूबसूरत था। लेकिन मैं बंवारी से बहुत प्यार करती हूँ। शायद ये बस एक पल था, जो हम दोनों को बहा ले गया।"

कृष्णा: (उसके हाथ को पकड़ते हुए) "भाभी, मैं तुम्हारी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। ये हमारा छोटा-सा राज़ रहेगा। और अगर तुम्हें कभी फिर से मेरी ज़रूरत पड़े... नस सेट करने के लिए या..." (हल्के से हँसते हुए) "किसी और चीज़ के लिए, मैं हाज़िर हूँ।"

काजल ने हल्के से हँस दिया और कृष्णा के सीने पर एक हल्की-सी चपत मारी। "बस, अब बहुत हो गया, शरारती! चलो, अब मुझे कपड़े तो पहनने दे।"

वो दोनों एक-दूसरे की बाहों में कुछ देर और लेटे रहे, हल्की-हल्की बातें करते हुए। काजल की बातों में संतुष्टि थी, लेकिन साथ ही एक हल्का-सा पछतावा भी था, जो बंवारी के प्रति उसकी वफादारी से जुड़ा था। फिर भी, उसकी मादक मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी सहजता बता रही थी कि ये पल उनके लिए जुनून और चाहत का मिश्रण था, जिसमें कोई अधूरापन नहीं था।

10-15 मिनट बाद, कृष्णा ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "भाभी, आपका पेट भी तो सही करना है। इसका दूसरा तरीका भी है।" उसने काजल को सीधा लेटने को कहा और उसने काजल से मंगलसूत्र वाली चैन खोलने को कहा उससे काजल की नाभि से दोनों निप्पल्स की दूरी नापने लगा। उसने मंगलसूत्र वाली चैन का एक सिरा काजल की नाभि पर रखकर दबाया और उससे से पहले एक निप्पल को हल्के से दबाया, फिर दूसरे निप्पल को। उसने कहा, "देखा भाभी, दोनों की दूरी अलग है।" मतलब आपकी नाभि हट गई है।

काजल ने हल्के से हँसते हुए कहा, "चल हट, बदमाश! जल्दी से मेरा पेट सही कर, बहुत दर्द हो रहा है।" कृष्णा ने काजल को पूरी तरह नंगा लिटाया और उसके पेट की मालिश कर उसकी नाभि ठीक कर दी।

इसके बाद, दोनों ने अपने कपड़े पहने और काजल ने किचन में जाकर फ्रीज़ से आइसक्रीम निकाली। वो हल्की-हल्की बातें करते हुए आइसक्रीम खाने लगे। काजल ने मुस्कुराते हुए कहा, "कृष्णा, इतना अच्छा सेक्स मैंने आज तक नहीं किया। पता नहीं, ये मेरी ज़िंदगी का बेस्ट सेक्स था।" उसने कृष्णा की ओर देखा और एक मादक मुस्कान के साथ उसे हल्के से चूम लिया। कृष्णा ने भी जवाब में उसे चूमा और एक स्लैप उसकी गांड़ पर रसीद कर दिया और फिर बाहर चला गया।
 
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rahul334

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वीडियो देखने के बाद मन उलझनों और भावनाओं के तूफान में फँस गया। काजल और कृष्णा के बीच का अंतरंग दृश्य, उनकी सिसकारियाँ, और चरम सुख का पल देखकर मेरा शरीर उत्तेजना से भर गया था, लेकिन साथ ही उसके मन में गहरा गुस्सा, जलन, और विश्वासघात का अहसास भी था। काजल की मादहोश सिसकारियाँ और कृष्णा के साथ उसकी अंतरंगता ने मुझको अंदर तक हिला दिया। समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दे।

मैं: (मन में सोचते हुए) "काजल... तूने ऐसा कैसे कर लिया? मैंने तुझ पर इतना भरोसा किया, और तू... कृष्णा के साथ... ये सब?"

मेरे मन में उत्तेजना थी, मुझे काजल की वो मादक मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी सहजता देखकर जलन हो रही थी। काजल का ये कहना कि ये उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स था, मेरे लिए जैसे एक तमाचा था।

मैं: (मन में) "क्या मैं काजल को वो सुख नहीं दे पाया? क्या उसकी चाहतें मेरे साथ पूरी नहीं हो रही थीं? या ये बस एक कमज़ोरी का पल था?"

मेरा मन पछतावे, गुस्से, और उत्तेजना के बीच झूल रहा था। मुझे काजल से प्यार था, और उसकी मादहोशी देखकर मुझे एक अजीब-सी सनसनी भी हुई थी, लेकिन साथ ही यह डर था कि काजल अब मुझसे दूर हो जाएगी। सोच रहा था कि क्या मुझे काजल से इस बारे में बात करनी चाहिए, या कृष्णा को सीधे मना करना चाहिए कि वो अब उनके घर न आए। लेकिन काजल की वो संतुष्ट मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी बातचीत देखकर मुझे लग रहा था कि काजल ने इसमें पूरी तरह हिस्सा लिया था, और शायद वो इसे दोहराना भी चाहेगी।

मैं: (मन में) "मुझे काजल से बात करनी होगी। लेकिन कैसे? अगर मैंने गुस्सा दिखाया, तो शायद वो मुझसे और दूर हो जाए। और अगर मैं चुप रहा, तो ये सब फिर हो सकता है।"
 
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