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कुछ देर बाद ऋषभ केबिन में बापिस आ गया और उसने दरवाजा बंद करते हुए कहा
ऋषभ- सब तैयार हैं.. कोच सर भी
ऋषभ की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- क्या…… कोच सर भी... ऋषभ तुम पक्का आज मुझे मरवाओगे
ऋषभ- अरे नहीं मेरी जान तुम्हें नहीं तुम्हारी चूत और गांड को मरवाऊँगा और मारूँगा भी
इतना बोलकर उसने मेरे होंठो पर एक किस कर लिया। फिर वो मुझे पैसों का एक बंडल देते हुए बोला
ऋषभ- इन्हें रखो। यह तो पता नहीं कितने हैं पर 60-70 हजार से ज्यादा ही होंगे। जिसके पास जितना कैस था वो सारा दे दिया है। हम लोग कल इन्दौर पहुँचकर ए.टी.एम. से अपने लिए पैसे निकाल लेंगे।
मैंने चुपचाप ऋषभ से बो पैसे लेकर अपने हैंड बैग में रख लिए। जिसके बाद ऋषभ मेरे कंबल के अंदर घुस गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा। अब तक मैं भी अपने पूरे मूड में आ गई थी। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद ऋषभ ने मेरा कैमिसोल ऊपर करके मेरे बूब्स के साथ खेलने लगा। जिस कारण मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईडेट हो गई थी और मेरी चूत पानी छोडने लगी थी।
फिर ऋषभ ने अपना पेंट और अंडर बियर भी निकला दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर करके अपने एक हाथ से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगा। जिस कारण मैं ज्यादा देर तक अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रख पाई और झर गई। मेरे झरते ही मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। जिसे ऋषभ ने लिकाल लिया और उसे सुंघते हुए बोला
ऋषभ- अब ये मेरी हुई
ऋषभ की बात सुनकर मैं कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- तुम क्या करोगे इसका
ऋषभ- इसपर तुम्हारा पानी लगा हुआ है। तो जब तुम्हारी याद आऐगी तो मैं इसे सूँघकर और अपने लण्ड पर रगड कर मजे ले लिया करूँगा
ऋषभ की इस अजीब से फैंटसी को सुनकर मुझे हंसी के साथ साथ शर्म भी आ रही थी। पर मैं उसे मना करके उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है रख लेना। पर अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कभी इसे देख लिया तो
ऋषभ- तो क्या… मैं बोल दूँगा की मेरी एक्स की है। पर पक्का इसे फेंकूँगा नहीं। चाहे ब्रेकअप हो जाए। तुम्हारे साथ उस दिन मैंने अपनी जिंदगी का पहला सेक्स किया था। तो अपने पहले सेक्स पार्टनर की निशानी को मैं कैसे फैंक सकता हूँ।
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर रह गई। क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। बैसे भी मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि वो मेरी पैंटी के साथ क्या करने बाला है। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को सहलाने से मैं फिर से गर्म हो गई थी। जिसके बाद ऋषभ मेरे ऊपर चड गया और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चुदाई करने लगा। मैं भी अब पूरे जोश में आकर अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
पिछली बार की तुलना में इस बार ऋषभ ने कुछ ज्यादा देर तक मेरी चुदाई की थी और मुझे चुदाई के दौरान झरने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद उसने भी अपना पानी मेरी चूत में निकाल दिया। ऋषभ की इस बार की चुदाई से मैं पूरी तरह से सैटिस्फाई हो गई थी। बैसे भी एक लड़की यही तो चाहती है कि उसका पार्टनर उसे भी डिस्चार्ज करने में हेल्प करे, ना ही खुद डिस्चार्ज होकर करवट लेकर सो जाए।
जैसे ही ऋषभ का पानी निकल गया तो वो कुछ देर मुझे चुमने के बाद अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया। ऋषभ के जाने के कुछ देर बाद एक दूसका लड़का उस केबिन में अंदर आकर मेरी बगल में लेट गया। अंदर आकर उसने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद किया और कंबल के अंदर घुस कर मुझे सहलाने लगा। पिछले 16-17 दिनों से एक के बाद एक चुदाई करवाने का मुझे अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो गया था और आदत भी हो गई थी।
जिस कारण मैं पहले से ही अपने आपको तैयार कर चुकी थी। बैसे भी चलती बस में यह सब करने के बारे में सोच सोच कर मैं काफी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। कुछ देर मुझे यूँ ही सहालाने के बाद वो लड़की भी मेरे ऊपर चड गया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। इस तरह पूरे रास्ते वो लडके एक के बाद एक मेरी केविन में आकर मुझे चोद कर बाहर निकल जाते। आखिर में उनका कोच भी मेरी केबिन के अंदर आ गया। उसकी उम्र करीब 28-30 साल के आस पास थी।
अंदर आते ही वो भी किसी भूखे भेडिये की तरह मुझ पर टूट पडा। अब तक मैं 8 लडको से चुदवा चुकी थी और काफी थक गई थी। हालाँकि ऋषभ को छोडकर बाकी कोई लड़का ज्यादा देर नहीं टिका था। पर ओवर ऑल पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से मेरी लगातार चुदाई हो रही थी। जो किसी नॉर्मल सेक्स से बहुत ज्यादा थी। हालाँकि मेरा मन अब और ज्यादा चुदने का नहीं था, पर मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं चुपचाप उस कोच का साथ देने लगी। मुझे अच्छे से चूमने और सहलान के बाद वो मेरे ऊपर सवार हो गया और मुझे चोदने लगा।
कोच का लण्ड बाकी लडकों से बड़ा था। जिस कारण मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था। पर मैं उस दर्द को बरदास्त करके उसका पूरा साथ दे रही थी। कोच के साथ कुछ देर की ही चुदाई के बाद ही मैं झर गई थी। जिस कारण मेरे झरते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे करवट लेकर लेटने के लिए कहा। उसकी बात सुनकर मैं समझ गई की ये अब मुझे पीछे से चोदना चाहता है। चूँकि उस केविन की हाईट कम थी। जिस कारण कुतिया बनाकर वो मुझे चोद नहीं सकता था।
इसलिए मैंने चुपचाप करवट ले ली और उसकी तरफ अपनी गाँड कर दी। लेकिन वो कोच तो किसी और ही मूड में था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने के स्थान पर मेरी गांड से टिका दिया और अंदर घुसाने लगा। पर अब मैं उसे रोकने की हालत में नहीं थी। उसके लण्ड पर बाकी लडकों का बीर्य लगा हुआ था, जो उन्होंने मेरी चूत में ही छोड दिया था, जिसके साथ मेरी मेरी चूत का पानी भी उसमें मिला हुआ था। जिस कारण मेरी गांड में उस कोच का लण्ड जाने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई।
हाँलाकी मुझे काफी तेज दर्द हो रहा था। पर मैं जानती थी कि यह दर्द कुछ ही देर में खत्म हो जाऐगा। इसलिए अपने दर्द को बरदास्त करने और अपनी आबाज को रोकने के लिए मैंने अपने एक हाथ से अपना मूँह बंद कर रखा था। कुछ देर धीरे धीरे मेरी गांड मारने के बाद उस कोच ने अपनी स्पीड बड़ा दी। अब तक मेरा दर्द भी लगभग खत्म हो चुका था। इसलिए मैं भी उसका साथ देने लगी थी। वो कोच काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा और जब उसका पानी मेरी गाँड में निकलता, तब तक हम लोग इंदौर पहूँच चुके थे।
इसलिए काम खत्म होते ही कोच अपने कपडे पहनकर तुरंत केबिन से बाहर निकल गया। मैं कुछ देर उसी केविन में लेटी खुद को नॉर्मल करने के साथ साथ बाकी लोगों के जाने का इंतजार करने लगी। जब पूरी बस खाली हो गई तो मैं उठी और कंबल को लपेटकर अच्छी तरह से तह करके बैग में रखने लगी। ठीक तभी उस बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम कहाँ चली। सारे रास्ते उन बच्चों को मजे दिए हैं तो हममें क्या बुराई है
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं गुस्से में उसे घूरते हुए बोली
निशा- यह क्या बकवास कर रहे हो तुम
कंडक्टर- वकवास नहीं कर रहा मैडम जी, मैंने खुद अपनी आँखों से सारी रात एक के बाद एक लडकों को तुम्हारे केबिन के अंदर जाते और बाहर आते देखा है और खुद तुम्हारी इस केबिन के पास आकर अंदर की आवजें सुनी हैं।
उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि अब इससे अब कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं है। बैसे भी ये बाकी लोगों की तरह ही मुझे केवल चोदना चाहता है। अब क्या फर्क पडता है। जब रास्ते में 9 लोगों से चुदवा चुकी हूँ तो 1-2 से और क्या फर्क पडेगा। इसलिए मैं बोली
निशा- देखो मिस्टर ये मेरा काम है और मैं इस काम के पैसे लेती हूँ। फ्री में रबडी नहीं बाटती फिरती। अगर मजे लेने हैं तो पैसे ढीले करने पडेंगे।
कंडक्टर- तो हम कौन सा मना कर रहे हैं। बोला ना क्या रेट है
मैं पहले से ही काफी थकी हुई थी, इसलिए मैं इस वक्त और ज्याद चुदने के बिल्कुल भी मूढ में नहीं थी। जिस कारण मैं उसे टालते हुए बोली
निशा- 10 हजार एक शॉट का
मेरी बात सुनकर कंडक्टर थोडा हैरान होते हुए बोला
कंडक्टर- यह तो बहुत ज्यादा है।
निशा- माल की कीमत होती है कंडक्टर सहाब। अब मैं कोई रोड छाप रण्डी तो हूँ नहीं
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर बारगेनिंग करते हुए बोला
कंडक्टर- देख लो हम दो लोग हैं। मैं और ड्रायबर सहाब
निशा- कोई फर्क नहीं पडता। दो हों या चार
कंडक्टर- दोनों के 10 ले लेना
कंडक्टर की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- मुझे देर हो रही है। रास्ता छोडो मेरा
मेरी इस धमकी से वो कंडक्टर लगभग गिडगिडाने लगा और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम नाराज क्यों हो रही हो। मैं कसम खाता हूँ कि हमारे पास इतने ही पैसे हैं। बाकी के पैसे गाडी मालिक को देने के लिए रखे हैं। अगर उनमें से दे दिए तो हमारी नौकरी चली जाऐगी और रात भर से हम दोनों यही सोच सोच कर अपना लण्ड खड़ा करके बैठे हैं कि सुबह हमें भी मौका मिलेगा
निशा- देखो मैं काफी थक गई हूँ। उन लोगों ने सारी रात सोने नहीं दिया है। दिन में मुझे बहुत जरूरी काम भी निपटाने हैं। उसके बाद रात को ही बापिस भोपाल भी लौटना है। इसलिए मेरा समय खराब मत करो
मेरी बात सुनकर कंडक्टर मुझे मनाने की कोशिश करते हुए बोला
कंडक्टर- तो फिर रात को तुम हमारी बस से ही बापिस चलना। हम तुमसे किराया भी नहीं लेगे।
निशा- तो फिर रात में ही कर लेना
कंडक्टर- रात में कहाँ कर पाऐंगे। फिर तो कल सुबह भोपाल पहुंचकर ही कर पाऐंगे। तब तक तो सोच सोच कर हमारी हालत ही खराब हो जाऐगी।
निशा- तो इसमें मैं क्या करूँ। देखो मैं पैसे लेकर मजे देती हूँ। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि मैं थोडा घमंडी हूँ या लालची हूँ पर ऐसा नहीं है। जिस दिन एक बार मेरी ले लोगे, उस दिन समझ में आ जाऐगा कि मैं इतने पैसे क्यों लेती हूँ।
कंडक्टर- अरे मुझे कुछ नहीं समझना। मैं पहले ही उन लडकों की सारी बातें सुन चुका हूँ। तुम बस हमें एक बार करने दो। देखो हम तुम्हें 10 हजार रुपये तो दे ही रहे हैं। साथ में रात को फ्री में बापिस भी ले जाऐंगे। कहो तो अभी एडवांस में ही टिकिट काट कर दे देता हूँ और रात में बापसी के समय तुम्हारे लिए 4-5 कस्टमर की भी इंतजाम कर लेंगे। तो उनसे कमा लेना पैसे। माँ कसम हमारे साथ एक बार करवाने के बाद तुम घाटे में बिल्कुल भी नहीं रहोगी।
उस कंडक्टर के इतने रिक्वेस्ट करने के बाद मैंने सोचा चलो करवा ही लेती हूँ। बैसे भी मैं रेलवे स्टेशन के यार्ड में 5-5 हजार में पहले भी करवा चुकी हूँ। ऊपर से अगर इसने बाकई में 1-2 कस्टमर रात के लिए बुक कर लिए तो इसमें मेरा ही फायदा है। पैसे और मजे के साथ साथ किराया भी नहीं लगेगा। यह सब सोचकर मैंने उससे कहा।
निशा- चलो ठीक है तुम लोग भी कर लो। पर अपना वादा याद रखना। वर्ना शाम को टिकिट के पैसे माँगने लगो और हाँ बैसे तो मुझे उम्मीद नहीं है कि तुम्हें कोई कस्टमर मिलेगा। पर अगर मिले भी तो उससे पैसों की डीलिंग तुम्हें करनी पडेगी। क्योंकि मैं पैसे तुमसे लूँगी, बस में किसी कस्टमर से पैसे माँगकर मैं कोई तमाशा नहीं करूना चाहती।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ ठीक है। हम पैसे ले लेंगे और टिकिट तुम एडवांस में ही अपने साथ ले जाना।
इतना बोलकर उनसे तुरंत अपने छोले से बिल बुक निकाली और मेरे नाम से एक टिकिट काटकर मुझे दे दिया। जिस पर उसी सीट का नम्बर था। जिससे मैं अभी अभी आई थी। फिर उसने अपने बैग में से 10 हजार रूपये निकालकर मुझे दे दिए। जो मैंने तुरंत ही अपने हैण्ड बैग में रख लिए। पैसे लेने के बाद मैं बापिस से अपनी सीट पर लेट गई। मेरे लेटते ही कंडक्टर भी केबिन के अंदर आ गया और केविन को अंदर से बंद करके मेरे ऊपर चड गया। वो पूरी रात से इसी पल का इंतजार कर रहा था।
जिस कारण मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं भी पूरे मन से उसका साथ दे रही थी। वो कंडक्टर शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था। जिस कारण उसकी स्पीड काफी ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगा कि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पायेगा। पर वो लगातार 30 मिनट तक फुल स्पीड से मेरी चुदाई करता रहा और फिर आखिर में अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया। कंडक्टर के जाने के बाद बस ड्रायबर भी मेरे केबिन में आ गया और एक बार फिर मेरी चूदाई शुरू हो गई। मुझे कंडक्टर की तुलना में ड्रायबर कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस लगा।
क्योंकि उसे कोई जल्दी नहीं थी। वो आराम से मेरे पूरे मजे ले रहा था और मुझे भी भरपूर मजे दे रहा था। काफी देर चुदाई करने के बाद आखिर कार ड्राबर भी ठण्डा हो गया। ड्रायबर के जाते ही मैंने अपने कपडे ठीक किए और अपना बैग लेकर बस से नीचे उतर कर बस स्टैण्ड से बाहर जाने लगी।
कुछ देर बाद ऋषभ केबिन में बापिस आ गया और उसने दरवाजा बंद करते हुए कहा
ऋषभ- सब तैयार हैं.. कोच सर भी
ऋषभ की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- क्या…… कोच सर भी... ऋषभ तुम पक्का आज मुझे मरवाओगे
ऋषभ- अरे नहीं मेरी जान तुम्हें नहीं तुम्हारी चूत और गांड को मरवाऊँगा और मारूँगा भी
इतना बोलकर उसने मेरे होंठो पर एक किस कर लिया। फिर वो मुझे पैसों का एक बंडल देते हुए बोला
ऋषभ- इन्हें रखो। यह तो पता नहीं कितने हैं पर 60-70 हजार से ज्यादा ही होंगे। जिसके पास जितना कैस था वो सारा दे दिया है। हम लोग कल इन्दौर पहुँचकर ए.टी.एम. से अपने लिए पैसे निकाल लेंगे।
मैंने चुपचाप ऋषभ से बो पैसे लेकर अपने हैंड बैग में रख लिए। जिसके बाद ऋषभ मेरे कंबल के अंदर घुस गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा। अब तक मैं भी अपने पूरे मूड में आ गई थी। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद ऋषभ ने मेरा कैमिसोल ऊपर करके मेरे बूब्स के साथ खेलने लगा। जिस कारण मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईडेट हो गई थी और मेरी चूत पानी छोडने लगी थी।
फिर ऋषभ ने अपना पेंट और अंडर बियर भी निकला दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर करके अपने एक हाथ से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगा। जिस कारण मैं ज्यादा देर तक अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रख पाई और झर गई। मेरे झरते ही मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। जिसे ऋषभ ने लिकाल लिया और उसे सुंघते हुए बोला
ऋषभ- अब ये मेरी हुई
ऋषभ की बात सुनकर मैं कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- तुम क्या करोगे इसका
ऋषभ- इसपर तुम्हारा पानी लगा हुआ है। तो जब तुम्हारी याद आऐगी तो मैं इसे सूँघकर और अपने लण्ड पर रगड कर मजे ले लिया करूँगा
ऋषभ की इस अजीब से फैंटसी को सुनकर मुझे हंसी के साथ साथ शर्म भी आ रही थी। पर मैं उसे मना करके उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है रख लेना। पर अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कभी इसे देख लिया तो
ऋषभ- तो क्या… मैं बोल दूँगा की मेरी एक्स की है। पर पक्का इसे फेंकूँगा नहीं। चाहे ब्रेकअप हो जाए। तुम्हारे साथ उस दिन मैंने अपनी जिंदगी का पहला सेक्स किया था। तो अपने पहले सेक्स पार्टनर की निशानी को मैं कैसे फैंक सकता हूँ।
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर रह गई। क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। बैसे भी मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि वो मेरी पैंटी के साथ क्या करने बाला है। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को सहलाने से मैं फिर से गर्म हो गई थी। जिसके बाद ऋषभ मेरे ऊपर चड गया और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चुदाई करने लगा। मैं भी अब पूरे जोश में आकर अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
पिछली बार की तुलना में इस बार ऋषभ ने कुछ ज्यादा देर तक मेरी चुदाई की थी और मुझे चुदाई के दौरान झरने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद उसने भी अपना पानी मेरी चूत में निकाल दिया। ऋषभ की इस बार की चुदाई से मैं पूरी तरह से सैटिस्फाई हो गई थी। बैसे भी एक लड़की यही तो चाहती है कि उसका पार्टनर उसे भी डिस्चार्ज करने में हेल्प करे, ना ही खुद डिस्चार्ज होकर करवट लेकर सो जाए।
जैसे ही ऋषभ का पानी निकल गया तो वो कुछ देर मुझे चुमने के बाद अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया। ऋषभ के जाने के कुछ देर बाद एक दूसका लड़का उस केबिन में अंदर आकर मेरी बगल में लेट गया। अंदर आकर उसने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद किया और कंबल के अंदर घुस कर मुझे सहलाने लगा। पिछले 16-17 दिनों से एक के बाद एक चुदाई करवाने का मुझे अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो गया था और आदत भी हो गई थी।
जिस कारण मैं पहले से ही अपने आपको तैयार कर चुकी थी। बैसे भी चलती बस में यह सब करने के बारे में सोच सोच कर मैं काफी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। कुछ देर मुझे यूँ ही सहालाने के बाद वो लड़की भी मेरे ऊपर चड गया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। इस तरह पूरे रास्ते वो लडके एक के बाद एक मेरी केविन में आकर मुझे चोद कर बाहर निकल जाते। आखिर में उनका कोच भी मेरी केबिन के अंदर आ गया। उसकी उम्र करीब 28-30 साल के आस पास थी।
अंदर आते ही वो भी किसी भूखे भेडिये की तरह मुझ पर टूट पडा। अब तक मैं 8 लडको से चुदवा चुकी थी और काफी थक गई थी। हालाँकि ऋषभ को छोडकर बाकी कोई लड़का ज्यादा देर नहीं टिका था। पर ओवर ऑल पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से मेरी लगातार चुदाई हो रही थी। जो किसी नॉर्मल सेक्स से बहुत ज्यादा थी। हालाँकि मेरा मन अब और ज्यादा चुदने का नहीं था, पर मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं चुपचाप उस कोच का साथ देने लगी। मुझे अच्छे से चूमने और सहलान के बाद वो मेरे ऊपर सवार हो गया और मुझे चोदने लगा।
कोच का लण्ड बाकी लडकों से बड़ा था। जिस कारण मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था। पर मैं उस दर्द को बरदास्त करके उसका पूरा साथ दे रही थी। कोच के साथ कुछ देर की ही चुदाई के बाद ही मैं झर गई थी। जिस कारण मेरे झरते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे करवट लेकर लेटने के लिए कहा। उसकी बात सुनकर मैं समझ गई की ये अब मुझे पीछे से चोदना चाहता है। चूँकि उस केविन की हाईट कम थी। जिस कारण कुतिया बनाकर वो मुझे चोद नहीं सकता था।
इसलिए मैंने चुपचाप करवट ले ली और उसकी तरफ अपनी गाँड कर दी। लेकिन वो कोच तो किसी और ही मूड में था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने के स्थान पर मेरी गांड से टिका दिया और अंदर घुसाने लगा। पर अब मैं उसे रोकने की हालत में नहीं थी। उसके लण्ड पर बाकी लडकों का बीर्य लगा हुआ था, जो उन्होंने मेरी चूत में ही छोड दिया था, जिसके साथ मेरी मेरी चूत का पानी भी उसमें मिला हुआ था। जिस कारण मेरी गांड में उस कोच का लण्ड जाने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई।
हाँलाकी मुझे काफी तेज दर्द हो रहा था। पर मैं जानती थी कि यह दर्द कुछ ही देर में खत्म हो जाऐगा। इसलिए अपने दर्द को बरदास्त करने और अपनी आबाज को रोकने के लिए मैंने अपने एक हाथ से अपना मूँह बंद कर रखा था। कुछ देर धीरे धीरे मेरी गांड मारने के बाद उस कोच ने अपनी स्पीड बड़ा दी। अब तक मेरा दर्द भी लगभग खत्म हो चुका था। इसलिए मैं भी उसका साथ देने लगी थी। वो कोच काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा और जब उसका पानी मेरी गाँड में निकलता, तब तक हम लोग इंदौर पहूँच चुके थे।
इसलिए काम खत्म होते ही कोच अपने कपडे पहनकर तुरंत केबिन से बाहर निकल गया। मैं कुछ देर उसी केविन में लेटी खुद को नॉर्मल करने के साथ साथ बाकी लोगों के जाने का इंतजार करने लगी। जब पूरी बस खाली हो गई तो मैं उठी और कंबल को लपेटकर अच्छी तरह से तह करके बैग में रखने लगी। ठीक तभी उस बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम कहाँ चली। सारे रास्ते उन बच्चों को मजे दिए हैं तो हममें क्या बुराई है
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं गुस्से में उसे घूरते हुए बोली
निशा- यह क्या बकवास कर रहे हो तुम
कंडक्टर- वकवास नहीं कर रहा मैडम जी, मैंने खुद अपनी आँखों से सारी रात एक के बाद एक लडकों को तुम्हारे केबिन के अंदर जाते और बाहर आते देखा है और खुद तुम्हारी इस केबिन के पास आकर अंदर की आवजें सुनी हैं।
उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि अब इससे अब कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं है। बैसे भी ये बाकी लोगों की तरह ही मुझे केवल चोदना चाहता है। अब क्या फर्क पडता है। जब रास्ते में 9 लोगों से चुदवा चुकी हूँ तो 1-2 से और क्या फर्क पडेगा। इसलिए मैं बोली
निशा- देखो मिस्टर ये मेरा काम है और मैं इस काम के पैसे लेती हूँ। फ्री में रबडी नहीं बाटती फिरती। अगर मजे लेने हैं तो पैसे ढीले करने पडेंगे।
कंडक्टर- तो हम कौन सा मना कर रहे हैं। बोला ना क्या रेट है
मैं पहले से ही काफी थकी हुई थी, इसलिए मैं इस वक्त और ज्याद चुदने के बिल्कुल भी मूढ में नहीं थी। जिस कारण मैं उसे टालते हुए बोली
निशा- 10 हजार एक शॉट का
मेरी बात सुनकर कंडक्टर थोडा हैरान होते हुए बोला
कंडक्टर- यह तो बहुत ज्यादा है।
निशा- माल की कीमत होती है कंडक्टर सहाब। अब मैं कोई रोड छाप रण्डी तो हूँ नहीं
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर बारगेनिंग करते हुए बोला
कंडक्टर- देख लो हम दो लोग हैं। मैं और ड्रायबर सहाब
निशा- कोई फर्क नहीं पडता। दो हों या चार
कंडक्टर- दोनों के 10 ले लेना
कंडक्टर की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- मुझे देर हो रही है। रास्ता छोडो मेरा
मेरी इस धमकी से वो कंडक्टर लगभग गिडगिडाने लगा और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम नाराज क्यों हो रही हो। मैं कसम खाता हूँ कि हमारे पास इतने ही पैसे हैं। बाकी के पैसे गाडी मालिक को देने के लिए रखे हैं। अगर उनमें से दे दिए तो हमारी नौकरी चली जाऐगी और रात भर से हम दोनों यही सोच सोच कर अपना लण्ड खड़ा करके बैठे हैं कि सुबह हमें भी मौका मिलेगा
निशा- देखो मैं काफी थक गई हूँ। उन लोगों ने सारी रात सोने नहीं दिया है। दिन में मुझे बहुत जरूरी काम भी निपटाने हैं। उसके बाद रात को ही बापिस भोपाल भी लौटना है। इसलिए मेरा समय खराब मत करो
मेरी बात सुनकर कंडक्टर मुझे मनाने की कोशिश करते हुए बोला
कंडक्टर- तो फिर रात को तुम हमारी बस से ही बापिस चलना। हम तुमसे किराया भी नहीं लेगे।
निशा- तो फिर रात में ही कर लेना
कंडक्टर- रात में कहाँ कर पाऐंगे। फिर तो कल सुबह भोपाल पहुंचकर ही कर पाऐंगे। तब तक तो सोच सोच कर हमारी हालत ही खराब हो जाऐगी।
निशा- तो इसमें मैं क्या करूँ। देखो मैं पैसे लेकर मजे देती हूँ। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि मैं थोडा घमंडी हूँ या लालची हूँ पर ऐसा नहीं है। जिस दिन एक बार मेरी ले लोगे, उस दिन समझ में आ जाऐगा कि मैं इतने पैसे क्यों लेती हूँ।
कंडक्टर- अरे मुझे कुछ नहीं समझना। मैं पहले ही उन लडकों की सारी बातें सुन चुका हूँ। तुम बस हमें एक बार करने दो। देखो हम तुम्हें 10 हजार रुपये तो दे ही रहे हैं। साथ में रात को फ्री में बापिस भी ले जाऐंगे। कहो तो अभी एडवांस में ही टिकिट काट कर दे देता हूँ और रात में बापसी के समय तुम्हारे लिए 4-5 कस्टमर की भी इंतजाम कर लेंगे। तो उनसे कमा लेना पैसे। माँ कसम हमारे साथ एक बार करवाने के बाद तुम घाटे में बिल्कुल भी नहीं रहोगी।
उस कंडक्टर के इतने रिक्वेस्ट करने के बाद मैंने सोचा चलो करवा ही लेती हूँ। बैसे भी मैं रेलवे स्टेशन के यार्ड में 5-5 हजार में पहले भी करवा चुकी हूँ। ऊपर से अगर इसने बाकई में 1-2 कस्टमर रात के लिए बुक कर लिए तो इसमें मेरा ही फायदा है। पैसे और मजे के साथ साथ किराया भी नहीं लगेगा। यह सब सोचकर मैंने उससे कहा।
निशा- चलो ठीक है तुम लोग भी कर लो। पर अपना वादा याद रखना। वर्ना शाम को टिकिट के पैसे माँगने लगो और हाँ बैसे तो मुझे उम्मीद नहीं है कि तुम्हें कोई कस्टमर मिलेगा। पर अगर मिले भी तो उससे पैसों की डीलिंग तुम्हें करनी पडेगी। क्योंकि मैं पैसे तुमसे लूँगी, बस में किसी कस्टमर से पैसे माँगकर मैं कोई तमाशा नहीं करूना चाहती।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ ठीक है। हम पैसे ले लेंगे और टिकिट तुम एडवांस में ही अपने साथ ले जाना।
इतना बोलकर उनसे तुरंत अपने छोले से बिल बुक निकाली और मेरे नाम से एक टिकिट काटकर मुझे दे दिया। जिस पर उसी सीट का नम्बर था। जिससे मैं अभी अभी आई थी। फिर उसने अपने बैग में से 10 हजार रूपये निकालकर मुझे दे दिए। जो मैंने तुरंत ही अपने हैण्ड बैग में रख लिए। पैसे लेने के बाद मैं बापिस से अपनी सीट पर लेट गई। मेरे लेटते ही कंडक्टर भी केबिन के अंदर आ गया और केविन को अंदर से बंद करके मेरे ऊपर चड गया। वो पूरी रात से इसी पल का इंतजार कर रहा था।
जिस कारण मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं भी पूरे मन से उसका साथ दे रही थी। वो कंडक्टर शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था। जिस कारण उसकी स्पीड काफी ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगा कि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पायेगा। पर वो लगातार 30 मिनट तक फुल स्पीड से मेरी चुदाई करता रहा और फिर आखिर में अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया। कंडक्टर के जाने के बाद बस ड्रायबर भी मेरे केबिन में आ गया और एक बार फिर मेरी चूदाई शुरू हो गई। मुझे कंडक्टर की तुलना में ड्रायबर कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस लगा।
क्योंकि उसे कोई जल्दी नहीं थी। वो आराम से मेरे पूरे मजे ले रहा था और मुझे भी भरपूर मजे दे रहा था। काफी देर चुदाई करने के बाद आखिर कार ड्राबर भी ठण्डा हो गया। ड्रायबर के जाते ही मैंने अपने कपडे ठीक किए और अपना बैग लेकर बस से नीचे उतर कर बस स्टैण्ड से बाहर जाने लगी।
कुछ देर बाद ऋषभ केबिन में बापिस आ गया और उसने दरवाजा बंद करते हुए कहा
ऋषभ- सब तैयार हैं.. कोच सर भी
ऋषभ की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- क्या…… कोच सर भी... ऋषभ तुम पक्का आज मुझे मरवाओगे
ऋषभ- अरे नहीं मेरी जान तुम्हें नहीं तुम्हारी चूत और गांड को मरवाऊँगा और मारूँगा भी
इतना बोलकर उसने मेरे होंठो पर एक किस कर लिया। फिर वो मुझे पैसों का एक बंडल देते हुए बोला
ऋषभ- इन्हें रखो। यह तो पता नहीं कितने हैं पर 60-70 हजार से ज्यादा ही होंगे। जिसके पास जितना कैस था वो सारा दे दिया है। हम लोग कल इन्दौर पहुँचकर ए.टी.एम. से अपने लिए पैसे निकाल लेंगे।
मैंने चुपचाप ऋषभ से बो पैसे लेकर अपने हैंड बैग में रख लिए। जिसके बाद ऋषभ मेरे कंबल के अंदर घुस गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा। अब तक मैं भी अपने पूरे मूड में आ गई थी। जिस कारण मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद ऋषभ ने मेरा कैमिसोल ऊपर करके मेरे बूब्स के साथ खेलने लगा। जिस कारण मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईडेट हो गई थी और मेरी चूत पानी छोडने लगी थी।
फिर ऋषभ ने अपना पेंट और अंडर बियर भी निकला दिया और मेरी स्कर्ट ऊपर करके अपने एक हाथ से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगा। जिस कारण मैं ज्यादा देर तक अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रख पाई और झर गई। मेरे झरते ही मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। जिसे ऋषभ ने लिकाल लिया और उसे सुंघते हुए बोला
ऋषभ- अब ये मेरी हुई
ऋषभ की बात सुनकर मैं कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- तुम क्या करोगे इसका
ऋषभ- इसपर तुम्हारा पानी लगा हुआ है। तो जब तुम्हारी याद आऐगी तो मैं इसे सूँघकर और अपने लण्ड पर रगड कर मजे ले लिया करूँगा
ऋषभ की इस अजीब से फैंटसी को सुनकर मुझे हंसी के साथ साथ शर्म भी आ रही थी। पर मैं उसे मना करके उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैं बोली
निशा- ठीक है रख लेना। पर अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने कभी इसे देख लिया तो
ऋषभ- तो क्या… मैं बोल दूँगा की मेरी एक्स की है। पर पक्का इसे फेंकूँगा नहीं। चाहे ब्रेकअप हो जाए। तुम्हारे साथ उस दिन मैंने अपनी जिंदगी का पहला सेक्स किया था। तो अपने पहले सेक्स पार्टनर की निशानी को मैं कैसे फैंक सकता हूँ।
ऋषभ की बात सुनकर मैं मुस्कुराकर रह गई। क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। बैसे भी मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि वो मेरी पैंटी के साथ क्या करने बाला है। कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को सहलाने से मैं फिर से गर्म हो गई थी। जिसके बाद ऋषभ मेरे ऊपर चड गया और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चुदाई करने लगा। मैं भी अब पूरे जोश में आकर अपनी कमर हिलाकर उसका साथ दे रही थी।
पिछली बार की तुलना में इस बार ऋषभ ने कुछ ज्यादा देर तक मेरी चुदाई की थी और मुझे चुदाई के दौरान झरने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद उसने भी अपना पानी मेरी चूत में निकाल दिया। ऋषभ की इस बार की चुदाई से मैं पूरी तरह से सैटिस्फाई हो गई थी। बैसे भी एक लड़की यही तो चाहती है कि उसका पार्टनर उसे भी डिस्चार्ज करने में हेल्प करे, ना ही खुद डिस्चार्ज होकर करवट लेकर सो जाए।
जैसे ही ऋषभ का पानी निकल गया तो वो कुछ देर मुझे चुमने के बाद अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया। ऋषभ के जाने के कुछ देर बाद एक दूसका लड़का उस केबिन में अंदर आकर मेरी बगल में लेट गया। अंदर आकर उसने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद किया और कंबल के अंदर घुस कर मुझे सहलाने लगा। पिछले 16-17 दिनों से एक के बाद एक चुदाई करवाने का मुझे अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो गया था और आदत भी हो गई थी।
जिस कारण मैं पहले से ही अपने आपको तैयार कर चुकी थी। बैसे भी चलती बस में यह सब करने के बारे में सोच सोच कर मैं काफी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। कुछ देर मुझे यूँ ही सहालाने के बाद वो लड़की भी मेरे ऊपर चड गया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। इस तरह पूरे रास्ते वो लडके एक के बाद एक मेरी केविन में आकर मुझे चोद कर बाहर निकल जाते। आखिर में उनका कोच भी मेरी केबिन के अंदर आ गया। उसकी उम्र करीब 28-30 साल के आस पास थी।
अंदर आते ही वो भी किसी भूखे भेडिये की तरह मुझ पर टूट पडा। अब तक मैं 8 लडको से चुदवा चुकी थी और काफी थक गई थी। हालाँकि ऋषभ को छोडकर बाकी कोई लड़का ज्यादा देर नहीं टिका था। पर ओवर ऑल पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से मेरी लगातार चुदाई हो रही थी। जो किसी नॉर्मल सेक्स से बहुत ज्यादा थी। हालाँकि मेरा मन अब और ज्यादा चुदने का नहीं था, पर मैं अब कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं चुपचाप उस कोच का साथ देने लगी। मुझे अच्छे से चूमने और सहलान के बाद वो मेरे ऊपर सवार हो गया और मुझे चोदने लगा।
कोच का लण्ड बाकी लडकों से बड़ा था। जिस कारण मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था। पर मैं उस दर्द को बरदास्त करके उसका पूरा साथ दे रही थी। कोच के साथ कुछ देर की ही चुदाई के बाद ही मैं झर गई थी। जिस कारण मेरे झरते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे करवट लेकर लेटने के लिए कहा। उसकी बात सुनकर मैं समझ गई की ये अब मुझे पीछे से चोदना चाहता है। चूँकि उस केविन की हाईट कम थी। जिस कारण कुतिया बनाकर वो मुझे चोद नहीं सकता था।
इसलिए मैंने चुपचाप करवट ले ली और उसकी तरफ अपनी गाँड कर दी। लेकिन वो कोच तो किसी और ही मूड में था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने के स्थान पर मेरी गांड से टिका दिया और अंदर घुसाने लगा। पर अब मैं उसे रोकने की हालत में नहीं थी। उसके लण्ड पर बाकी लडकों का बीर्य लगा हुआ था, जो उन्होंने मेरी चूत में ही छोड दिया था, जिसके साथ मेरी मेरी चूत का पानी भी उसमें मिला हुआ था। जिस कारण मेरी गांड में उस कोच का लण्ड जाने में ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई।
हाँलाकी मुझे काफी तेज दर्द हो रहा था। पर मैं जानती थी कि यह दर्द कुछ ही देर में खत्म हो जाऐगा। इसलिए अपने दर्द को बरदास्त करने और अपनी आबाज को रोकने के लिए मैंने अपने एक हाथ से अपना मूँह बंद कर रखा था। कुछ देर धीरे धीरे मेरी गांड मारने के बाद उस कोच ने अपनी स्पीड बड़ा दी। अब तक मेरा दर्द भी लगभग खत्म हो चुका था। इसलिए मैं भी उसका साथ देने लगी थी। वो कोच काफी देर तक मेरी गाँड मारता रहा और जब उसका पानी मेरी गाँड में निकलता, तब तक हम लोग इंदौर पहूँच चुके थे।
इसलिए काम खत्म होते ही कोच अपने कपडे पहनकर तुरंत केबिन से बाहर निकल गया। मैं कुछ देर उसी केविन में लेटी खुद को नॉर्मल करने के साथ साथ बाकी लोगों के जाने का इंतजार करने लगी। जब पूरी बस खाली हो गई तो मैं उठी और कंबल को लपेटकर अच्छी तरह से तह करके बैग में रखने लगी। ठीक तभी उस बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम कहाँ चली। सारे रास्ते उन बच्चों को मजे दिए हैं तो हममें क्या बुराई है
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं गुस्से में उसे घूरते हुए बोली
निशा- यह क्या बकवास कर रहे हो तुम
कंडक्टर- वकवास नहीं कर रहा मैडम जी, मैंने खुद अपनी आँखों से सारी रात एक के बाद एक लडकों को तुम्हारे केबिन के अंदर जाते और बाहर आते देखा है और खुद तुम्हारी इस केबिन के पास आकर अंदर की आवजें सुनी हैं।
उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि अब इससे अब कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं है। बैसे भी ये बाकी लोगों की तरह ही मुझे केवल चोदना चाहता है। अब क्या फर्क पडता है। जब रास्ते में 9 लोगों से चुदवा चुकी हूँ तो 1-2 से और क्या फर्क पडेगा। इसलिए मैं बोली
निशा- देखो मिस्टर ये मेरा काम है और मैं इस काम के पैसे लेती हूँ। फ्री में रबडी नहीं बाटती फिरती। अगर मजे लेने हैं तो पैसे ढीले करने पडेंगे।
कंडक्टर- तो हम कौन सा मना कर रहे हैं। बोला ना क्या रेट है
मैं पहले से ही काफी थकी हुई थी, इसलिए मैं इस वक्त और ज्याद चुदने के बिल्कुल भी मूढ में नहीं थी। जिस कारण मैं उसे टालते हुए बोली
निशा- 10 हजार एक शॉट का
मेरी बात सुनकर कंडक्टर थोडा हैरान होते हुए बोला
कंडक्टर- यह तो बहुत ज्यादा है।
निशा- माल की कीमत होती है कंडक्टर सहाब। अब मैं कोई रोड छाप रण्डी तो हूँ नहीं
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर बारगेनिंग करते हुए बोला
कंडक्टर- देख लो हम दो लोग हैं। मैं और ड्रायबर सहाब
निशा- कोई फर्क नहीं पडता। दो हों या चार
कंडक्टर- दोनों के 10 ले लेना
कंडक्टर की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- मुझे देर हो रही है। रास्ता छोडो मेरा
मेरी इस धमकी से वो कंडक्टर लगभग गिडगिडाने लगा और बोला
कंडक्टर- अरे मैडम नाराज क्यों हो रही हो। मैं कसम खाता हूँ कि हमारे पास इतने ही पैसे हैं। बाकी के पैसे गाडी मालिक को देने के लिए रखे हैं। अगर उनमें से दे दिए तो हमारी नौकरी चली जाऐगी और रात भर से हम दोनों यही सोच सोच कर अपना लण्ड खड़ा करके बैठे हैं कि सुबह हमें भी मौका मिलेगा
निशा- देखो मैं काफी थक गई हूँ। उन लोगों ने सारी रात सोने नहीं दिया है। दिन में मुझे बहुत जरूरी काम भी निपटाने हैं। उसके बाद रात को ही बापिस भोपाल भी लौटना है। इसलिए मेरा समय खराब मत करो
मेरी बात सुनकर कंडक्टर मुझे मनाने की कोशिश करते हुए बोला
कंडक्टर- तो फिर रात को तुम हमारी बस से ही बापिस चलना। हम तुमसे किराया भी नहीं लेगे।
निशा- तो फिर रात में ही कर लेना
कंडक्टर- रात में कहाँ कर पाऐंगे। फिर तो कल सुबह भोपाल पहुंचकर ही कर पाऐंगे। तब तक तो सोच सोच कर हमारी हालत ही खराब हो जाऐगी।
निशा- तो इसमें मैं क्या करूँ। देखो मैं पैसे लेकर मजे देती हूँ। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि मैं थोडा घमंडी हूँ या लालची हूँ पर ऐसा नहीं है। जिस दिन एक बार मेरी ले लोगे, उस दिन समझ में आ जाऐगा कि मैं इतने पैसे क्यों लेती हूँ।
कंडक्टर- अरे मुझे कुछ नहीं समझना। मैं पहले ही उन लडकों की सारी बातें सुन चुका हूँ। तुम बस हमें एक बार करने दो। देखो हम तुम्हें 10 हजार रुपये तो दे ही रहे हैं। साथ में रात को फ्री में बापिस भी ले जाऐंगे। कहो तो अभी एडवांस में ही टिकिट काट कर दे देता हूँ और रात में बापसी के समय तुम्हारे लिए 4-5 कस्टमर की भी इंतजाम कर लेंगे। तो उनसे कमा लेना पैसे। माँ कसम हमारे साथ एक बार करवाने के बाद तुम घाटे में बिल्कुल भी नहीं रहोगी।
उस कंडक्टर के इतने रिक्वेस्ट करने के बाद मैंने सोचा चलो करवा ही लेती हूँ। बैसे भी मैं रेलवे स्टेशन के यार्ड में 5-5 हजार में पहले भी करवा चुकी हूँ। ऊपर से अगर इसने बाकई में 1-2 कस्टमर रात के लिए बुक कर लिए तो इसमें मेरा ही फायदा है। पैसे और मजे के साथ साथ किराया भी नहीं लगेगा। यह सब सोचकर मैंने उससे कहा।
निशा- चलो ठीक है तुम लोग भी कर लो। पर अपना वादा याद रखना। वर्ना शाम को टिकिट के पैसे माँगने लगो और हाँ बैसे तो मुझे उम्मीद नहीं है कि तुम्हें कोई कस्टमर मिलेगा। पर अगर मिले भी तो उससे पैसों की डीलिंग तुम्हें करनी पडेगी। क्योंकि मैं पैसे तुमसे लूँगी, बस में किसी कस्टमर से पैसे माँगकर मैं कोई तमाशा नहीं करूना चाहती।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ ठीक है। हम पैसे ले लेंगे और टिकिट तुम एडवांस में ही अपने साथ ले जाना।
इतना बोलकर उनसे तुरंत अपने छोले से बिल बुक निकाली और मेरे नाम से एक टिकिट काटकर मुझे दे दिया। जिस पर उसी सीट का नम्बर था। जिससे मैं अभी अभी आई थी। फिर उसने अपने बैग में से 10 हजार रूपये निकालकर मुझे दे दिए। जो मैंने तुरंत ही अपने हैण्ड बैग में रख लिए। पैसे लेने के बाद मैं बापिस से अपनी सीट पर लेट गई। मेरे लेटते ही कंडक्टर भी केबिन के अंदर आ गया और केविन को अंदर से बंद करके मेरे ऊपर चड गया। वो पूरी रात से इसी पल का इंतजार कर रहा था।
जिस कारण मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं भी पूरे मन से उसका साथ दे रही थी। वो कंडक्टर शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था। जिस कारण उसकी स्पीड काफी ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगा कि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पायेगा। पर वो लगातार 30 मिनट तक फुल स्पीड से मेरी चुदाई करता रहा और फिर आखिर में अपना पानी मेरी चूत में छोड दिया। कंडक्टर के जाने के बाद बस ड्रायबर भी मेरे केबिन में आ गया और एक बार फिर मेरी चूदाई शुरू हो गई। मुझे कंडक्टर की तुलना में ड्रायबर कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस लगा।
क्योंकि उसे कोई जल्दी नहीं थी। वो आराम से मेरे पूरे मजे ले रहा था और मुझे भी भरपूर मजे दे रहा था। काफी देर चुदाई करने के बाद आखिर कार ड्राबर भी ठण्डा हो गया। ड्रायबर के जाते ही मैंने अपने कपडे ठीक किए और अपना बैग लेकर बस से नीचे उतर कर बस स्टैण्ड से बाहर जाने लगी।
Update 035 -
सारी रात की चुदाई के कारण मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जिस कारण मुझे चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। साथ में पेंटी ना पहने के कारण मेरी चूत के अंदर भरा बीर्य भी रिसकर मेरे जाँघों से होता हुआ मेरे पैरों तर आ रहा था। जिससे मुझे काफी गंदा फील हो रहा था।
मैंने मोबाईल में समय देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे। मेरा ऑफिस बस स्टेण्ड से ज्यादा दूर नहीं था। जिस कारण मैंने बस स्टेण्ड से बाहर आकर एक ऑटो किया और अपने ऑफिस का ऐड्रेश बता कर उसके आस पास ही किसी लॉज में ले जाने के लिए बोल दिया। ऑटो बाले ने मेरे ऑफिस के एकदम पास में ही एक लॉज के बाहर मुझे छोड दिया। जिसके बाद मैंने उसका पेमेंट करने के बाद अपने लिए एक रूम बुक किया और चाबियाँ लेकर सीधे कमरे में चली गई।
कमरे में आकर मैंने सबसे पहले अपने पर्स से एक पेन किलर निकाल कर खाई। उसके बाद बिना कपडे चेंज किए रूम को अंदर से लॉक करके सो गई। दोपहर करीब 12 बजे मेरी आँख खुली तो मैं तुरंत ही बाथरूम में घुस गई। फ्रेस होने के बाद मैंने अच्छे से नहाया औऱ फिर कपडे पहनने के बाद अपना लैपटॉप बैग लेकर ऑफिस के लिए निकल गई। मैंने इस वक्त टाईट फिटिंग में ब्लैक कलर की फार्मल पैंट और महरून शर्ट पहनी हुई थी साथ में सन ग्लासेस भी लगा रखे थे। देखने में मैं एकदम प्रोफेशनल लेकिन कॉफी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। ऑफिस मेरे लॉज के एकदम पास में ही था। इसलिए मैं पैदल ही उस तरफ बड गई।
ऑफिस पहुँचकर मैं पूरे स्टॉफ से मिली। उन लोगों को पहले ही बॉस का फोन आ गया था कि एक सीनियर ऑफिसर ब्रांच बिजिट के लिए कभी भी आ सकता है। जिस कारण वो पहले से ही काफी डरे हुए थे और पूरी तैयारी से बैठे थे। ऑफिस के ज्यादातर मेल स्टॉफ तिरछी नजर से मेरे सेक्सी बदन को निहार रहे थे। जिसे मैं पहले ही नोटिस कर चुकी थी। पर मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा और उनकी इस हरकत को इग्नोर करके सारा काम देखने लगी। मैंने काफी फ्रेंडली होकर उनसे बात की थी और उनके अच्छे कामों की तारीफ के साथ साथ कुछ कमियों को भी उन्हें बताया था।
वो सभी मेरे नेचर से काफी खुश थे। इस दौरान ऑफिस स्टॉफ ने मेरे लिए लंच भी मंगवा लिया था। मैं उस दिन शाम के 7 बजे तक ऑफिस का सारा काम देखती रही। इसके अलावा मैंने ऑफिस की कैश बुक को भी अच्छी तरह से चैक कर लिया था। जिसमें मुझे कुछ गडबड लग रही थी। जिस कारण मैंने सारे बिलस् को भी क्राश चैक करने के बाद सब कुछ अपनी रिपोर्ट में लिख लिंया था। ऑफिस से फ्री होकर मैं बापिस लॉज में चली गई। मैं काफी थक गई थी इसलिए कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैं करीब 9 बजे चैक ऑऊट करके लॉज से निकल गई।
सबसे पहले मैंने पास के ही एक रेस्टोरेंट में हल्का फुल्का डिनर लिया और फिर ऑटो लेकर बस स्टैंड जा पहुँची। मेरी बस रात के 10 बजे की थी, हाँलाकि बस ढूँडने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। क्योंकि मैं उसी बस से सुबह इंदौर आई थी। बस के बाहर ही मुझे कंडक्टर मिल गया था। उसने मुझे बताया कि उसने मेरे लिए 5 कस्टमर बुक किए हैं। जो बस से भोपाल जा रहे हैं और एक कस्टमर तो अभी से मेरी सीट पर मेरा इंतजार कर रहा है। जिसके बाद कंडक्टर ने मुझे पैसे देते हुए कहा
कंडक्टर- मैडम पूरे 70 हजार हैं। 5 कस्टमर हैं और दो हम। सच कहूँ मैडम मजा आ गया आज तो आपके साथ। हमने इतनी सुंदर लड़की के साथ पहले कभी नहीं किया था और अभी तो आप और भी ज्यादा मस्त लग रही हो। बिल्कुल किसी हीरोईन की तरह।
कंडक्टर की बात सुनकर मैं थोडा हैरान होते हुए बोली
निशा- सुबह तो तुम्हारे पास पूरे पैसे नहीं थे। तो फिर अब कहाँ से इतने पैसे आ गए
मेरी बात सुनकर कंडक्टर बगलें झांकने लगा तो मैं बोली
निशा- सच सच बताओ…. मुझे झूठ बोलने बाले लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं है। बैसे भी मैं इस महिने मैं 4-5 बार भोपाल से इंदौर आने बाली हूँ। अगर तुम झूठ बोलोगे तो मैं अगली बार किसी दूसरी बस से आऊंगी।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर तुरंत बोला
कंडक्टर- अरे नहीं नहीं मैं बताता हूँ ना। असल में मैंने 10 हजार की जगह 15 हजार रुपये में बुकिंग की है तुम्हारी। तो तुम्हारे रेट के हिसाब से पैसे देने के बाद हमने अपने भी पैसे दे दिए, बो भी पूरे। बाकि 5 हजार बचे हैं बो भी आपको बापिस कर देंगे।
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि तुमने कितने पैसों में बुकिंग की है। मेरी बात जितने में तुमसे हुई है। मैं केबल उतने ही पैसे लूँगी। पर कई बार ज्यादा पैसे के बाद कस्टमर अलग अलग प्रकार की डिमांड भी करने लगते है। इसलिए तुम उनसे जितने पैसे लो, वो मुझे पहले ही बता दिया करो। ताकि मैं पहले से ही तैयार रहूँ।
मेरी बात सुनकर कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ मैं समझ गया। तो क्या वो 5 हजार रूपये अब तुम्हें नहीं चाहिए
निशा- नहीं वो तुम रखो। समझ लेना कि मेरा बस का किराया है।
इतना बोलकर मैंने उस कंडक्टर का मोबाईल नम्बर उससे लिया और फिर अपना नम्बर उसे बताकर मैं बस में चड गई। जब मैं अपनी केबिन में पहुँची तो वहाँ एक 50-55 साल का बूडा आदमी मेरा ही इंतजार कर रहा था। उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि इतनी कम उम्र की जवान और खूबसूरत लड़की आज उसे चोदने के लिए मिलेगी। उसकी हालत देखकर मैं मुस्कुराई और केबिन के अंदर जाकर मैंने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। जिसके बाद मैंने अपने बैग से कंबल निकला कर बैग को एक साईड कोने में ऱखा और अपने सारे कपडे उतार दिए और कंबल ओड कर लेट गई। फिर मैं उस बुड्डे से बोली
निशा- कुछ करना भी है या केवल देखना है
मेरी बात सुनकर वो आदमी जैसे होश में आया। अभी बस चलने में काफी देर थी। इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी। लेकिन मेरे बोलने पर वो थोडा जोश में आ गया था, इसलिए उसने भी जल्दी से अपने कपडे उतार दिए और मेरे साथ कंबल के अंदर आकर मेरे मजे लेने लगा। मैं चुपचाप लेटी उसे अपने जिस्म से खेलने दे रही थी। जब मुझे लगा कि यह आदमी कुछ ज्यादा ही समय ले रहा है। तो मैं कंबल के अंदर से ही नीचे की तरफ खिसक गई और उसका लण्ड मूँह में लेकर चूसने लगी।
उस बुड्डे को मेरी इस हरकत की उम्मीद नहीं थी। जिस कारण वो ज्यादा देर बरदास्त नहीं कर पाया और उसने मेरे मूँह के अंदर ही अपना पानी छोड दिया। जिसे मैं सारा निगल गई और चाट कर उसका लण्ड साफ कर दिया। जिसके बाद मैं बापिस अपनी जगह पर आते हुए बोली
निशा- क्या अंकल तुम तो बडी जल्दी ठण्डे पड गए
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा थोडा झेंपते हुए बोला
बुड्डा- वो वो मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम यह सब करोगी। बैसे भी किसी ने पहली बार मेरा अपने मूँह में लेकर चूसा है, तो मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईटेड हो गया था। अब दूसरे राउण्ड में देखना तुम, मैं क्या कमाल दिखाता हूँ।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- सॉरी अंकल दूसरे राऊंड का मौका अब नहीं मिलेगा आपको। मेरे दूसरे कस्टमर भी आने बाले होंगे। बैसे भी आपने केबल एक ही राऊंड का पेमेंट किया है।
मेरी बात सुनकर वो बुड्ढा बोला
बुड्डा- अभी बस चलने में काफी देर है। बैसे भी पूरी रात पडी है बाकी कस्टमर के लिए। मैं तो इंदौर निकलते ही बस से उतर जाऊंगा। रही बात पैसों की दो मैं दे रहा हूँ ना दूसरे राऊँड का पैसा।
इतना बोलकर उस बुड्डे ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर मुझे दे दिए। जिन्हें मैंने बिना गिने चुपचाप अपने पर्स में रख लिया और बोली
निशा- पर अंकल अभी तो आपको फिर से तैयार होने में समय लगेगा
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा बोला
बुड्डा- तुम उसकी फिक्र मत करो। मुझे दुसरे राऊंड के लिए तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता। बैसे भी वियग्रा खाकर आया हूँ। तो बस 5-10 मिनट में मैं फिर से तैयार हो जाऊँगा।
इतना बोलकर वो बुड्डा फिर से मेरे शरीर से छेडछाड करने लगा, और जैसा उसने कहा था बो सच में ही 5-10 मिनट में फिर से पूरी तरह से तैयार था। इस बार मैंने उसे मनमानी करने की पूरी छूट दे दी थी। जिस कारण जैसे ही बो तैयार हुआ तो मेरे ऊपर चड कर मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं चुपचाप आँखें बंद किये हुए उसका पूरा साथ दे रही थी। इस दौरान बस में बाकी सबारियाँ भी चड गई थी और बस स्टार्ट होकर भोपाल हाईवे की तरफ चल पडी थी। वो बुड्डा बाकई में खिलाडी था। क्योंकि वो काफी देर से मेरी चुदाई कर रहा था। पर इस बार उसने अभी तक अपना पानी नहीं छोडा था।
जब मैंने ध्यान दिया तो समझ में आया कि जैसे ही उस बुड्डे का पानी निकलने बाला होता है, वो कुछ देर के लिए रुक जाता है और चूमने और सहलाने के कुछ देर बाद वो दोबारा चुदाई शुरू कर देता है। जिस कारण उसकी टाईमिंग काफी ज्यादा लम्बी हो गई थी। मैं उस बुड्डे की इस टैक्निक से काफी इम्प्रैस थी और दिल्ली जाकर अपने पति अमन पर भी इस टैक्निक को आजमाने का मन ही मन फैसला कर चुकी थी। लेकिन इस बार वो अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाया और आखिरकार अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड दिया। कुछ देर मेरे ऊपर यूँ पडे रहने के बाद बो मुझसे अलग हुआ और अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया।
उस बुड्डे के जाने के कुछ देर बाद ही। एक दूसरा आदमी मेरे केबिन के अंदर आ गया। इस दूसरे आदमी ने ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए सीधे अपने कपडे उतारे और कुछ देर मुझे चूमने और सहलाने के बाद ही मेरी चुदाई शुरू कर दी। इसी तरह एक एक करके सभी लोग मुझे चोद चुके थे। अभी भोपाल आने में समय था। इसलिए उनमें से एक आदमी दूसरे राऊँड के लिए दोबारा मेरे पास आ गया, तो मैंने उससे भी दूसरे राऊँड के अलग से पैसे ले लिए। जिसके बाद उस आदमी ने दूसरे राऊँड में मेरी गाँड मारी।
जब तक बो दूसरे राऊँड में ठण्डा हुआ। तब तक हमारी बस भोपाल पहुँच चुकी थी। जिसके बाद भोपाल बस स्टैंड पर बस खाली होने के बाद कंडक्टर और ड्रायबर ने भी इस बार मेरी जम कर गाँड मारी। उन दोनों को खुश करने के बाद मैंने अपने कपडे पहने और बस से उतर कर ऑटो लेकर अपने होटल जा पहुँची। सुबह के करीब 3 बज रहे थे। इसलिए अपने रूम में पहुँचकर मैंने कपडे चेंज किए और पेन किलर खाकर सो गई।
अगले दिन से पूरा एक हफ्ता मैंने अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने और मस्ती करने में बिता दिऐ थे। भोपाल में अपने से 4-5 साल छोटे नये बने दोस्तों के साथ मैंने बहुत मस्ती की थी। इस दौरान मेरे और रवि के बीच भी सब कुछ नॉर्मल हो गया था। क्योंकि आखिरकार मुझे भी रवि पर दया आ गई थी। मेरे और रवि के बीच सब कुछ नॉर्मल होने के बाद भी मैंने अब तक उसे अपने साथ फिजीकल नहीं हो दिया था। पता नहीं क्यों पर जब से मैंने उसके पिता के साथ रात बिताई थी। उस दिन के बाद से मुझे रवि के साथ सेक्स करना ठीक नहीं लग रहा था।
इसलिए इस पूरे हफ्ते तक मैं सारा दिन दोस्तों के साथ मस्ती करती और रात को या तो असमल के बताए कस्टमर के पास जाती या फिर रघु की बाहों में अपनी रात रंगीन करती। मुझे अपनी यह लाईफ काफी अच्छी लग रही थी। मन कर रहा था कि सारी जिंदगी यूँ ही गुजार दूँ। इन कुछ दिनों में मेरे पास करीब 22 लाख और रूपये इकट्ठे हो गए थे। जिन्हें आज ही मैं अपने नये बैंक अकॉऊंट में जमा करके अपने दोस्तों के पास मस्ती करने चली गई थी।
शाम करीब 7 बजे जब मैं अपने होटल बापिस आई तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया। उन्होंने बताया कि गगन के पिता जेल से भाग गए हैं और उनके समान में मेरा फोटो मिला है। हरीश अंकल की यह बात सुनकर तो मेरी बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि पक्का अब मैं किसी नई मुसीबत में पडने बाली हूँ। इसलिए मैंने तय किया कि कल ही मैं यहाँ से दिल्ली बापिस निकल जाऊँगी। बैसे भी मेरे सारे काम अब खत्म हो चुके थे। रही बात मौज मस्ती की तो वो तो मैं दिल्ली में भी कर सकती थी।
हरीश अंकल का फोन कट होने के बाद मैं इस बारे में अभी सोच ही रही थी कि तभी मेरे पास एक अंजान नम्बर से कॉल आया। जब मैंने कॉल रिसीव की तो दूसरी तरफ से एक अनजान आदमी ने मुझे एक जरूरी इनफोर्मेशन देने के लिए पास के ही एक पार्क में बुलाया। मुझे लगा कि पार्क में इस समय काफी लोग होंगे, इसलिए अगर वो कोई गलत आदमी भी हुआ तो कम से कम इतने सारे लोगों के बीच मुझे कुछ नहीं करेगा। यही सब सोचकर मैंने उस आदमी से मिलने का फैसला कर लिया। इसलिए मैं जल्दी से अपने रूम की तरफ जाने लगी। ताकि अपना सामान वहाँ रखकर पार्क में उस अनजान आदमी से मिलने जा सकूँ।
सारी रात की चुदाई के कारण मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जिस कारण मुझे चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। साथ में पेंटी ना पहने के कारण मेरी चूत के अंदर भरा बीर्य भी रिसकर मेरे जाँघों से होता हुआ मेरे पैरों तर आ रहा था। जिससे मुझे काफी गंदा फील हो रहा था।
मैंने मोबाईल में समय देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे। मेरा ऑफिस बस स्टेण्ड से ज्यादा दूर नहीं था। जिस कारण मैंने बस स्टेण्ड से बाहर आकर एक ऑटो किया और अपने ऑफिस का ऐड्रेश बता कर उसके आस पास ही किसी लॉज में ले जाने के लिए बोल दिया। ऑटो बाले ने मेरे ऑफिस के एकदम पास में ही एक लॉज के बाहर मुझे छोड दिया। जिसके बाद मैंने उसका पेमेंट करने के बाद अपने लिए एक रूम बुक किया और चाबियाँ लेकर सीधे कमरे में चली गई।
कमरे में आकर मैंने सबसे पहले अपने पर्स से एक पेन किलर निकाल कर खाई। उसके बाद बिना कपडे चेंज किए रूम को अंदर से लॉक करके सो गई। दोपहर करीब 12 बजे मेरी आँख खुली तो मैं तुरंत ही बाथरूम में घुस गई। फ्रेस होने के बाद मैंने अच्छे से नहाया औऱ फिर कपडे पहनने के बाद अपना लैपटॉप बैग लेकर ऑफिस के लिए निकल गई। मैंने इस वक्त टाईट फिटिंग में ब्लैक कलर की फार्मल पैंट और महरून शर्ट पहनी हुई थी साथ में सन ग्लासेस भी लगा रखे थे। देखने में मैं एकदम प्रोफेशनल लेकिन कॉफी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। ऑफिस मेरे लॉज के एकदम पास में ही था। इसलिए मैं पैदल ही उस तरफ बड गई।
ऑफिस पहुँचकर मैं पूरे स्टॉफ से मिली। उन लोगों को पहले ही बॉस का फोन आ गया था कि एक सीनियर ऑफिसर ब्रांच बिजिट के लिए कभी भी आ सकता है। जिस कारण वो पहले से ही काफी डरे हुए थे और पूरी तैयारी से बैठे थे। ऑफिस के ज्यादातर मेल स्टॉफ तिरछी नजर से मेरे सेक्सी बदन को निहार रहे थे। जिसे मैं पहले ही नोटिस कर चुकी थी। पर मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा और उनकी इस हरकत को इग्नोर करके सारा काम देखने लगी। मैंने काफी फ्रेंडली होकर उनसे बात की थी और उनके अच्छे कामों की तारीफ के साथ साथ कुछ कमियों को भी उन्हें बताया था।
वो सभी मेरे नेचर से काफी खुश थे। इस दौरान ऑफिस स्टॉफ ने मेरे लिए लंच भी मंगवा लिया था। मैं उस दिन शाम के 7 बजे तक ऑफिस का सारा काम देखती रही। इसके अलावा मैंने ऑफिस की कैश बुक को भी अच्छी तरह से चैक कर लिया था। जिसमें मुझे कुछ गडबड लग रही थी। जिस कारण मैंने सारे बिलस् को भी क्राश चैक करने के बाद सब कुछ अपनी रिपोर्ट में लिख लिंया था। ऑफिस से फ्री होकर मैं बापिस लॉज में चली गई। मैं काफी थक गई थी इसलिए कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैं करीब 9 बजे चैक ऑऊट करके लॉज से निकल गई।
सबसे पहले मैंने पास के ही एक रेस्टोरेंट में हल्का फुल्का डिनर लिया और फिर ऑटो लेकर बस स्टैंड जा पहुँची। मेरी बस रात के 10 बजे की थी, हाँलाकि बस ढूँडने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। क्योंकि मैं उसी बस से सुबह इंदौर आई थी। बस के बाहर ही मुझे कंडक्टर मिल गया था। उसने मुझे बताया कि उसने मेरे लिए 5 कस्टमर बुक किए हैं। जो बस से भोपाल जा रहे हैं और एक कस्टमर तो अभी से मेरी सीट पर मेरा इंतजार कर रहा है। जिसके बाद कंडक्टर ने मुझे पैसे देते हुए कहा
कंडक्टर- मैडम पूरे 70 हजार हैं। 5 कस्टमर हैं और दो हम। सच कहूँ मैडम मजा आ गया आज तो आपके साथ। हमने इतनी सुंदर लड़की के साथ पहले कभी नहीं किया था और अभी तो आप और भी ज्यादा मस्त लग रही हो। बिल्कुल किसी हीरोईन की तरह।
कंडक्टर की बात सुनकर मैं थोडा हैरान होते हुए बोली
निशा- सुबह तो तुम्हारे पास पूरे पैसे नहीं थे। तो फिर अब कहाँ से इतने पैसे आ गए
मेरी बात सुनकर कंडक्टर बगलें झांकने लगा तो मैं बोली
निशा- सच सच बताओ…. मुझे झूठ बोलने बाले लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं है। बैसे भी मैं इस महिने मैं 4-5 बार भोपाल से इंदौर आने बाली हूँ। अगर तुम झूठ बोलोगे तो मैं अगली बार किसी दूसरी बस से आऊंगी।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर तुरंत बोला
कंडक्टर- अरे नहीं नहीं मैं बताता हूँ ना। असल में मैंने 10 हजार की जगह 15 हजार रुपये में बुकिंग की है तुम्हारी। तो तुम्हारे रेट के हिसाब से पैसे देने के बाद हमने अपने भी पैसे दे दिए, बो भी पूरे। बाकि 5 हजार बचे हैं बो भी आपको बापिस कर देंगे।
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि तुमने कितने पैसों में बुकिंग की है। मेरी बात जितने में तुमसे हुई है। मैं केबल उतने ही पैसे लूँगी। पर कई बार ज्यादा पैसे के बाद कस्टमर अलग अलग प्रकार की डिमांड भी करने लगते है। इसलिए तुम उनसे जितने पैसे लो, वो मुझे पहले ही बता दिया करो। ताकि मैं पहले से ही तैयार रहूँ।
मेरी बात सुनकर कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ मैं समझ गया। तो क्या वो 5 हजार रूपये अब तुम्हें नहीं चाहिए
निशा- नहीं वो तुम रखो। समझ लेना कि मेरा बस का किराया है।
इतना बोलकर मैंने उस कंडक्टर का मोबाईल नम्बर उससे लिया और फिर अपना नम्बर उसे बताकर मैं बस में चड गई। जब मैं अपनी केबिन में पहुँची तो वहाँ एक 50-55 साल का बूडा आदमी मेरा ही इंतजार कर रहा था। उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि इतनी कम उम्र की जवान और खूबसूरत लड़की आज उसे चोदने के लिए मिलेगी। उसकी हालत देखकर मैं मुस्कुराई और केबिन के अंदर जाकर मैंने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। जिसके बाद मैंने अपने बैग से कंबल निकला कर बैग को एक साईड कोने में ऱखा और अपने सारे कपडे उतार दिए और कंबल ओड कर लेट गई। फिर मैं उस बुड्डे से बोली
निशा- कुछ करना भी है या केवल देखना है
मेरी बात सुनकर वो आदमी जैसे होश में आया। अभी बस चलने में काफी देर थी। इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी। लेकिन मेरे बोलने पर वो थोडा जोश में आ गया था, इसलिए उसने भी जल्दी से अपने कपडे उतार दिए और मेरे साथ कंबल के अंदर आकर मेरे मजे लेने लगा। मैं चुपचाप लेटी उसे अपने जिस्म से खेलने दे रही थी। जब मुझे लगा कि यह आदमी कुछ ज्यादा ही समय ले रहा है। तो मैं कंबल के अंदर से ही नीचे की तरफ खिसक गई और उसका लण्ड मूँह में लेकर चूसने लगी।
उस बुड्डे को मेरी इस हरकत की उम्मीद नहीं थी। जिस कारण वो ज्यादा देर बरदास्त नहीं कर पाया और उसने मेरे मूँह के अंदर ही अपना पानी छोड दिया। जिसे मैं सारा निगल गई और चाट कर उसका लण्ड साफ कर दिया। जिसके बाद मैं बापिस अपनी जगह पर आते हुए बोली
निशा- क्या अंकल तुम तो बडी जल्दी ठण्डे पड गए
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा थोडा झेंपते हुए बोला
बुड्डा- वो वो मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम यह सब करोगी। बैसे भी किसी ने पहली बार मेरा अपने मूँह में लेकर चूसा है, तो मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईटेड हो गया था। अब दूसरे राउण्ड में देखना तुम, मैं क्या कमाल दिखाता हूँ।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- सॉरी अंकल दूसरे राऊंड का मौका अब नहीं मिलेगा आपको। मेरे दूसरे कस्टमर भी आने बाले होंगे। बैसे भी आपने केबल एक ही राऊंड का पेमेंट किया है।
मेरी बात सुनकर वो बुड्ढा बोला
बुड्डा- अभी बस चलने में काफी देर है। बैसे भी पूरी रात पडी है बाकी कस्टमर के लिए। मैं तो इंदौर निकलते ही बस से उतर जाऊंगा। रही बात पैसों की दो मैं दे रहा हूँ ना दूसरे राऊँड का पैसा।
इतना बोलकर उस बुड्डे ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर मुझे दे दिए। जिन्हें मैंने बिना गिने चुपचाप अपने पर्स में रख लिया और बोली
निशा- पर अंकल अभी तो आपको फिर से तैयार होने में समय लगेगा
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा बोला
बुड्डा- तुम उसकी फिक्र मत करो। मुझे दुसरे राऊंड के लिए तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता। बैसे भी वियग्रा खाकर आया हूँ। तो बस 5-10 मिनट में मैं फिर से तैयार हो जाऊँगा।
इतना बोलकर वो बुड्डा फिर से मेरे शरीर से छेडछाड करने लगा, और जैसा उसने कहा था बो सच में ही 5-10 मिनट में फिर से पूरी तरह से तैयार था। इस बार मैंने उसे मनमानी करने की पूरी छूट दे दी थी। जिस कारण जैसे ही बो तैयार हुआ तो मेरे ऊपर चड कर मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं चुपचाप आँखें बंद किये हुए उसका पूरा साथ दे रही थी। इस दौरान बस में बाकी सबारियाँ भी चड गई थी और बस स्टार्ट होकर भोपाल हाईवे की तरफ चल पडी थी। वो बुड्डा बाकई में खिलाडी था। क्योंकि वो काफी देर से मेरी चुदाई कर रहा था। पर इस बार उसने अभी तक अपना पानी नहीं छोडा था।
जब मैंने ध्यान दिया तो समझ में आया कि जैसे ही उस बुड्डे का पानी निकलने बाला होता है, वो कुछ देर के लिए रुक जाता है और चूमने और सहलाने के कुछ देर बाद वो दोबारा चुदाई शुरू कर देता है। जिस कारण उसकी टाईमिंग काफी ज्यादा लम्बी हो गई थी। मैं उस बुड्डे की इस टैक्निक से काफी इम्प्रैस थी और दिल्ली जाकर अपने पति अमन पर भी इस टैक्निक को आजमाने का मन ही मन फैसला कर चुकी थी। लेकिन इस बार वो अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाया और आखिरकार अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड दिया। कुछ देर मेरे ऊपर यूँ पडे रहने के बाद बो मुझसे अलग हुआ और अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया।
उस बुड्डे के जाने के कुछ देर बाद ही। एक दूसरा आदमी मेरे केबिन के अंदर आ गया। इस दूसरे आदमी ने ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए सीधे अपने कपडे उतारे और कुछ देर मुझे चूमने और सहलाने के बाद ही मेरी चुदाई शुरू कर दी। इसी तरह एक एक करके सभी लोग मुझे चोद चुके थे। अभी भोपाल आने में समय था। इसलिए उनमें से एक आदमी दूसरे राऊँड के लिए दोबारा मेरे पास आ गया, तो मैंने उससे भी दूसरे राऊँड के अलग से पैसे ले लिए। जिसके बाद उस आदमी ने दूसरे राऊँड में मेरी गाँड मारी।
जब तक बो दूसरे राऊँड में ठण्डा हुआ। तब तक हमारी बस भोपाल पहुँच चुकी थी। जिसके बाद भोपाल बस स्टैंड पर बस खाली होने के बाद कंडक्टर और ड्रायबर ने भी इस बार मेरी जम कर गाँड मारी। उन दोनों को खुश करने के बाद मैंने अपने कपडे पहने और बस से उतर कर ऑटो लेकर अपने होटल जा पहुँची। सुबह के करीब 3 बज रहे थे। इसलिए अपने रूम में पहुँचकर मैंने कपडे चेंज किए और पेन किलर खाकर सो गई।
अगले दिन से पूरा एक हफ्ता मैंने अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने और मस्ती करने में बिता दिऐ थे। भोपाल में अपने से 4-5 साल छोटे नये बने दोस्तों के साथ मैंने बहुत मस्ती की थी। इस दौरान मेरे और रवि के बीच भी सब कुछ नॉर्मल हो गया था। क्योंकि आखिरकार मुझे भी रवि पर दया आ गई थी। मेरे और रवि के बीच सब कुछ नॉर्मल होने के बाद भी मैंने अब तक उसे अपने साथ फिजीकल नहीं हो दिया था। पता नहीं क्यों पर जब से मैंने उसके पिता के साथ रात बिताई थी। उस दिन के बाद से मुझे रवि के साथ सेक्स करना ठीक नहीं लग रहा था।
इसलिए इस पूरे हफ्ते तक मैं सारा दिन दोस्तों के साथ मस्ती करती और रात को या तो असमल के बताए कस्टमर के पास जाती या फिर रघु की बाहों में अपनी रात रंगीन करती। मुझे अपनी यह लाईफ काफी अच्छी लग रही थी। मन कर रहा था कि सारी जिंदगी यूँ ही गुजार दूँ। इन कुछ दिनों में मेरे पास करीब 22 लाख और रूपये इकट्ठे हो गए थे। जिन्हें आज ही मैं अपने नये बैंक अकॉऊंट में जमा करके अपने दोस्तों के पास मस्ती करने चली गई थी।
शाम करीब 7 बजे जब मैं अपने होटल बापिस आई तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया। उन्होंने बताया कि गगन के पिता जेल से भाग गए हैं और उनके समान में मेरा फोटो मिला है। हरीश अंकल की यह बात सुनकर तो मेरी बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि पक्का अब मैं किसी नई मुसीबत में पडने बाली हूँ। इसलिए मैंने तय किया कि कल ही मैं यहाँ से दिल्ली बापिस निकल जाऊँगी। बैसे भी मेरे सारे काम अब खत्म हो चुके थे। रही बात मौज मस्ती की तो वो तो मैं दिल्ली में भी कर सकती थी।
हरीश अंकल का फोन कट होने के बाद मैं इस बारे में अभी सोच ही रही थी कि तभी मेरे पास एक अंजान नम्बर से कॉल आया। जब मैंने कॉल रिसीव की तो दूसरी तरफ से एक अनजान आदमी ने मुझे एक जरूरी इनफोर्मेशन देने के लिए पास के ही एक पार्क में बुलाया। मुझे लगा कि पार्क में इस समय काफी लोग होंगे, इसलिए अगर वो कोई गलत आदमी भी हुआ तो कम से कम इतने सारे लोगों के बीच मुझे कुछ नहीं करेगा। यही सब सोचकर मैंने उस आदमी से मिलने का फैसला कर लिया। इसलिए मैं जल्दी से अपने रूम की तरफ जाने लगी। ताकि अपना सामान वहाँ रखकर पार्क में उस अनजान आदमी से मिलने जा सकूँ।
सारी रात की चुदाई के कारण मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जिस कारण मुझे चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। साथ में पेंटी ना पहने के कारण मेरी चूत के अंदर भरा बीर्य भी रिसकर मेरे जाँघों से होता हुआ मेरे पैरों तर आ रहा था। जिससे मुझे काफी गंदा फील हो रहा था।
मैंने मोबाईल में समय देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे। मेरा ऑफिस बस स्टेण्ड से ज्यादा दूर नहीं था। जिस कारण मैंने बस स्टेण्ड से बाहर आकर एक ऑटो किया और अपने ऑफिस का ऐड्रेश बता कर उसके आस पास ही किसी लॉज में ले जाने के लिए बोल दिया। ऑटो बाले ने मेरे ऑफिस के एकदम पास में ही एक लॉज के बाहर मुझे छोड दिया। जिसके बाद मैंने उसका पेमेंट करने के बाद अपने लिए एक रूम बुक किया और चाबियाँ लेकर सीधे कमरे में चली गई।
कमरे में आकर मैंने सबसे पहले अपने पर्स से एक पेन किलर निकाल कर खाई। उसके बाद बिना कपडे चेंज किए रूम को अंदर से लॉक करके सो गई। दोपहर करीब 12 बजे मेरी आँख खुली तो मैं तुरंत ही बाथरूम में घुस गई। फ्रेस होने के बाद मैंने अच्छे से नहाया औऱ फिर कपडे पहनने के बाद अपना लैपटॉप बैग लेकर ऑफिस के लिए निकल गई। मैंने इस वक्त टाईट फिटिंग में ब्लैक कलर की फार्मल पैंट और महरून शर्ट पहनी हुई थी साथ में सन ग्लासेस भी लगा रखे थे। देखने में मैं एकदम प्रोफेशनल लेकिन कॉफी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। ऑफिस मेरे लॉज के एकदम पास में ही था। इसलिए मैं पैदल ही उस तरफ बड गई।
ऑफिस पहुँचकर मैं पूरे स्टॉफ से मिली। उन लोगों को पहले ही बॉस का फोन आ गया था कि एक सीनियर ऑफिसर ब्रांच बिजिट के लिए कभी भी आ सकता है। जिस कारण वो पहले से ही काफी डरे हुए थे और पूरी तैयारी से बैठे थे। ऑफिस के ज्यादातर मेल स्टॉफ तिरछी नजर से मेरे सेक्सी बदन को निहार रहे थे। जिसे मैं पहले ही नोटिस कर चुकी थी। पर मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा और उनकी इस हरकत को इग्नोर करके सारा काम देखने लगी। मैंने काफी फ्रेंडली होकर उनसे बात की थी और उनके अच्छे कामों की तारीफ के साथ साथ कुछ कमियों को भी उन्हें बताया था।
वो सभी मेरे नेचर से काफी खुश थे। इस दौरान ऑफिस स्टॉफ ने मेरे लिए लंच भी मंगवा लिया था। मैं उस दिन शाम के 7 बजे तक ऑफिस का सारा काम देखती रही। इसके अलावा मैंने ऑफिस की कैश बुक को भी अच्छी तरह से चैक कर लिया था। जिसमें मुझे कुछ गडबड लग रही थी। जिस कारण मैंने सारे बिलस् को भी क्राश चैक करने के बाद सब कुछ अपनी रिपोर्ट में लिख लिंया था। ऑफिस से फ्री होकर मैं बापिस लॉज में चली गई। मैं काफी थक गई थी इसलिए कुछ देर रेस्ट करने के बाद मैं करीब 9 बजे चैक ऑऊट करके लॉज से निकल गई।
सबसे पहले मैंने पास के ही एक रेस्टोरेंट में हल्का फुल्का डिनर लिया और फिर ऑटो लेकर बस स्टैंड जा पहुँची। मेरी बस रात के 10 बजे की थी, हाँलाकि बस ढूँडने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी। क्योंकि मैं उसी बस से सुबह इंदौर आई थी। बस के बाहर ही मुझे कंडक्टर मिल गया था। उसने मुझे बताया कि उसने मेरे लिए 5 कस्टमर बुक किए हैं। जो बस से भोपाल जा रहे हैं और एक कस्टमर तो अभी से मेरी सीट पर मेरा इंतजार कर रहा है। जिसके बाद कंडक्टर ने मुझे पैसे देते हुए कहा
कंडक्टर- मैडम पूरे 70 हजार हैं। 5 कस्टमर हैं और दो हम। सच कहूँ मैडम मजा आ गया आज तो आपके साथ। हमने इतनी सुंदर लड़की के साथ पहले कभी नहीं किया था और अभी तो आप और भी ज्यादा मस्त लग रही हो। बिल्कुल किसी हीरोईन की तरह।
कंडक्टर की बात सुनकर मैं थोडा हैरान होते हुए बोली
निशा- सुबह तो तुम्हारे पास पूरे पैसे नहीं थे। तो फिर अब कहाँ से इतने पैसे आ गए
मेरी बात सुनकर कंडक्टर बगलें झांकने लगा तो मैं बोली
निशा- सच सच बताओ…. मुझे झूठ बोलने बाले लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं है। बैसे भी मैं इस महिने मैं 4-5 बार भोपाल से इंदौर आने बाली हूँ। अगर तुम झूठ बोलोगे तो मैं अगली बार किसी दूसरी बस से आऊंगी।
मेरी बात सुनकर वो कंडक्टर तुरंत बोला
कंडक्टर- अरे नहीं नहीं मैं बताता हूँ ना। असल में मैंने 10 हजार की जगह 15 हजार रुपये में बुकिंग की है तुम्हारी। तो तुम्हारे रेट के हिसाब से पैसे देने के बाद हमने अपने भी पैसे दे दिए, बो भी पूरे। बाकि 5 हजार बचे हैं बो भी आपको बापिस कर देंगे।
उस कंडक्टर की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि तुमने कितने पैसों में बुकिंग की है। मेरी बात जितने में तुमसे हुई है। मैं केबल उतने ही पैसे लूँगी। पर कई बार ज्यादा पैसे के बाद कस्टमर अलग अलग प्रकार की डिमांड भी करने लगते है। इसलिए तुम उनसे जितने पैसे लो, वो मुझे पहले ही बता दिया करो। ताकि मैं पहले से ही तैयार रहूँ।
मेरी बात सुनकर कंडक्टर खुश होते हुए बोला
कंडक्टर- हाँ हाँ मैं समझ गया। तो क्या वो 5 हजार रूपये अब तुम्हें नहीं चाहिए
निशा- नहीं वो तुम रखो। समझ लेना कि मेरा बस का किराया है।
इतना बोलकर मैंने उस कंडक्टर का मोबाईल नम्बर उससे लिया और फिर अपना नम्बर उसे बताकर मैं बस में चड गई। जब मैं अपनी केबिन में पहुँची तो वहाँ एक 50-55 साल का बूडा आदमी मेरा ही इंतजार कर रहा था। उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि इतनी कम उम्र की जवान और खूबसूरत लड़की आज उसे चोदने के लिए मिलेगी। उसकी हालत देखकर मैं मुस्कुराई और केबिन के अंदर जाकर मैंने केबिन का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। जिसके बाद मैंने अपने बैग से कंबल निकला कर बैग को एक साईड कोने में ऱखा और अपने सारे कपडे उतार दिए और कंबल ओड कर लेट गई। फिर मैं उस बुड्डे से बोली
निशा- कुछ करना भी है या केवल देखना है
मेरी बात सुनकर वो आदमी जैसे होश में आया। अभी बस चलने में काफी देर थी। इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी। लेकिन मेरे बोलने पर वो थोडा जोश में आ गया था, इसलिए उसने भी जल्दी से अपने कपडे उतार दिए और मेरे साथ कंबल के अंदर आकर मेरे मजे लेने लगा। मैं चुपचाप लेटी उसे अपने जिस्म से खेलने दे रही थी। जब मुझे लगा कि यह आदमी कुछ ज्यादा ही समय ले रहा है। तो मैं कंबल के अंदर से ही नीचे की तरफ खिसक गई और उसका लण्ड मूँह में लेकर चूसने लगी।
उस बुड्डे को मेरी इस हरकत की उम्मीद नहीं थी। जिस कारण वो ज्यादा देर बरदास्त नहीं कर पाया और उसने मेरे मूँह के अंदर ही अपना पानी छोड दिया। जिसे मैं सारा निगल गई और चाट कर उसका लण्ड साफ कर दिया। जिसके बाद मैं बापिस अपनी जगह पर आते हुए बोली
निशा- क्या अंकल तुम तो बडी जल्दी ठण्डे पड गए
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा थोडा झेंपते हुए बोला
बुड्डा- वो वो मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम यह सब करोगी। बैसे भी किसी ने पहली बार मेरा अपने मूँह में लेकर चूसा है, तो मैं कुछ ज्यादा ही एक्साईटेड हो गया था। अब दूसरे राउण्ड में देखना तुम, मैं क्या कमाल दिखाता हूँ।
उस बुड्डे की बात सुनकर मैं हंसते हुए बोली
निशा- सॉरी अंकल दूसरे राऊंड का मौका अब नहीं मिलेगा आपको। मेरे दूसरे कस्टमर भी आने बाले होंगे। बैसे भी आपने केबल एक ही राऊंड का पेमेंट किया है।
मेरी बात सुनकर वो बुड्ढा बोला
बुड्डा- अभी बस चलने में काफी देर है। बैसे भी पूरी रात पडी है बाकी कस्टमर के लिए। मैं तो इंदौर निकलते ही बस से उतर जाऊंगा। रही बात पैसों की दो मैं दे रहा हूँ ना दूसरे राऊँड का पैसा।
इतना बोलकर उस बुड्डे ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर मुझे दे दिए। जिन्हें मैंने बिना गिने चुपचाप अपने पर्स में रख लिया और बोली
निशा- पर अंकल अभी तो आपको फिर से तैयार होने में समय लगेगा
मेरी बात सुनकर वो बुड्डा बोला
बुड्डा- तुम उसकी फिक्र मत करो। मुझे दुसरे राऊंड के लिए तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता। बैसे भी वियग्रा खाकर आया हूँ। तो बस 5-10 मिनट में मैं फिर से तैयार हो जाऊँगा।
इतना बोलकर वो बुड्डा फिर से मेरे शरीर से छेडछाड करने लगा, और जैसा उसने कहा था बो सच में ही 5-10 मिनट में फिर से पूरी तरह से तैयार था। इस बार मैंने उसे मनमानी करने की पूरी छूट दे दी थी। जिस कारण जैसे ही बो तैयार हुआ तो मेरे ऊपर चड कर मेरी चुदाई शुरू कर दी। मैं चुपचाप आँखें बंद किये हुए उसका पूरा साथ दे रही थी। इस दौरान बस में बाकी सबारियाँ भी चड गई थी और बस स्टार्ट होकर भोपाल हाईवे की तरफ चल पडी थी। वो बुड्डा बाकई में खिलाडी था। क्योंकि वो काफी देर से मेरी चुदाई कर रहा था। पर इस बार उसने अभी तक अपना पानी नहीं छोडा था।
जब मैंने ध्यान दिया तो समझ में आया कि जैसे ही उस बुड्डे का पानी निकलने बाला होता है, वो कुछ देर के लिए रुक जाता है और चूमने और सहलाने के कुछ देर बाद वो दोबारा चुदाई शुरू कर देता है। जिस कारण उसकी टाईमिंग काफी ज्यादा लम्बी हो गई थी। मैं उस बुड्डे की इस टैक्निक से काफी इम्प्रैस थी और दिल्ली जाकर अपने पति अमन पर भी इस टैक्निक को आजमाने का मन ही मन फैसला कर चुकी थी। लेकिन इस बार वो अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाया और आखिरकार अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड दिया। कुछ देर मेरे ऊपर यूँ पडे रहने के बाद बो मुझसे अलग हुआ और अपने कपडे पहनकर केबिन से बाहर निकल गया।
उस बुड्डे के जाने के कुछ देर बाद ही। एक दूसरा आदमी मेरे केबिन के अंदर आ गया। इस दूसरे आदमी ने ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए सीधे अपने कपडे उतारे और कुछ देर मुझे चूमने और सहलाने के बाद ही मेरी चुदाई शुरू कर दी। इसी तरह एक एक करके सभी लोग मुझे चोद चुके थे। अभी भोपाल आने में समय था। इसलिए उनमें से एक आदमी दूसरे राऊँड के लिए दोबारा मेरे पास आ गया, तो मैंने उससे भी दूसरे राऊँड के अलग से पैसे ले लिए। जिसके बाद उस आदमी ने दूसरे राऊँड में मेरी गाँड मारी।
जब तक बो दूसरे राऊँड में ठण्डा हुआ। तब तक हमारी बस भोपाल पहुँच चुकी थी। जिसके बाद भोपाल बस स्टैंड पर बस खाली होने के बाद कंडक्टर और ड्रायबर ने भी इस बार मेरी जम कर गाँड मारी। उन दोनों को खुश करने के बाद मैंने अपने कपडे पहने और बस से उतर कर ऑटो लेकर अपने होटल जा पहुँची। सुबह के करीब 3 बज रहे थे। इसलिए अपने रूम में पहुँचकर मैंने कपडे चेंज किए और पेन किलर खाकर सो गई।
अगले दिन से पूरा एक हफ्ता मैंने अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने और मस्ती करने में बिता दिऐ थे। भोपाल में अपने से 4-5 साल छोटे नये बने दोस्तों के साथ मैंने बहुत मस्ती की थी। इस दौरान मेरे और रवि के बीच भी सब कुछ नॉर्मल हो गया था। क्योंकि आखिरकार मुझे भी रवि पर दया आ गई थी। मेरे और रवि के बीच सब कुछ नॉर्मल होने के बाद भी मैंने अब तक उसे अपने साथ फिजीकल नहीं हो दिया था। पता नहीं क्यों पर जब से मैंने उसके पिता के साथ रात बिताई थी। उस दिन के बाद से मुझे रवि के साथ सेक्स करना ठीक नहीं लग रहा था।
इसलिए इस पूरे हफ्ते तक मैं सारा दिन दोस्तों के साथ मस्ती करती और रात को या तो असमल के बताए कस्टमर के पास जाती या फिर रघु की बाहों में अपनी रात रंगीन करती। मुझे अपनी यह लाईफ काफी अच्छी लग रही थी। मन कर रहा था कि सारी जिंदगी यूँ ही गुजार दूँ। इन कुछ दिनों में मेरे पास करीब 22 लाख और रूपये इकट्ठे हो गए थे। जिन्हें आज ही मैं अपने नये बैंक अकॉऊंट में जमा करके अपने दोस्तों के पास मस्ती करने चली गई थी।
शाम करीब 7 बजे जब मैं अपने होटल बापिस आई तभी मेरे पास हरीश अंकल का कॉल आया। उन्होंने बताया कि गगन के पिता जेल से भाग गए हैं और उनके समान में मेरा फोटो मिला है। हरीश अंकल की यह बात सुनकर तो मेरी बुरी तरह से फट गई थी। मुझे लगा कि पक्का अब मैं किसी नई मुसीबत में पडने बाली हूँ। इसलिए मैंने तय किया कि कल ही मैं यहाँ से दिल्ली बापिस निकल जाऊँगी। बैसे भी मेरे सारे काम अब खत्म हो चुके थे। रही बात मौज मस्ती की तो वो तो मैं दिल्ली में भी कर सकती थी।
हरीश अंकल का फोन कट होने के बाद मैं इस बारे में अभी सोच ही रही थी कि तभी मेरे पास एक अंजान नम्बर से कॉल आया। जब मैंने कॉल रिसीव की तो दूसरी तरफ से एक अनजान आदमी ने मुझे एक जरूरी इनफोर्मेशन देने के लिए पास के ही एक पार्क में बुलाया। मुझे लगा कि पार्क में इस समय काफी लोग होंगे, इसलिए अगर वो कोई गलत आदमी भी हुआ तो कम से कम इतने सारे लोगों के बीच मुझे कुछ नहीं करेगा। यही सब सोचकर मैंने उस आदमी से मिलने का फैसला कर लिया। इसलिए मैं जल्दी से अपने रूम की तरफ जाने लगी। ताकि अपना सामान वहाँ रखकर पार्क में उस अनजान आदमी से मिलने जा सकूँ।