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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Nevil singh

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Update 109
तीनो त्रिदेव भुजंग की हालत देख कर हस रहे थे ,ब्रम्हाजी बोले ,आज तक किसी को भूत या कोई डरावना जानवर देखकर डरते हुवे देखा है ,पर भुजंग तो आप की आवाज से ही डर गया भगवान विष्णु ,और वो शिवाय आपकी आवाज निकाल कर उसे डरा रहा है ,पहली बार किसी व्यक्ति को भगवान की आवाज निकालकर दूसरे को डराते हुवे देख रहै है हम ,यह शिवाय भुजंग को बहुत सताने वाला ,
भगवान विष्णु हसकर ,शिवाय भुजंग को वो डर दिखाएगा जो उसने कभी सोचा नही होगा ,उसे बहुत शौक है ना वरदान लेना त्रिदेवो से ,आप बस देखिये उसके वरदान ही उसे कितने घातक परिणाम देने वाले है ,
भगवान महादेव के चेहरे पर यह बात से एक मुस्कान आ गयी ,पहले तो भुजंग के पीछे शिवा पड़ा था ,वो कम था आपने अपने एक अंश को शिवाय में समा दिया है ,मुझे अब पूरा यकीन हो गया है ,आप भुजंग को बहुत बुरा दण्ड देने वाले है ,
भगवान विष्णु ,महादेव यह सब खेल आपका ही रचाया है ,जिसमे आपने मुझे भी शामिल कर लिया है शिवाय के रूप में ,तो मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ना ,
भगवान विष्णु की बात से तीनों हसने लग गए थे ,तीनो त्रिदेविया अपने पतीं को ऐसे मुस्कुराते देखकर खुश हो रही थी ,पर मन ही मन उन्हें अपने तीसरे वरदान की बात याद आ जाती थी ,उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था अपने तीसरे वरदान को याद करके ,उनके पति के चेहरे की मुस्कुराहट उनके दुख को और बढ़ा रही थी ,त्रिदेवो को तीसरे वरदान का पता होकर भी वो कुछ नही बोले थे ,उस वरदान की कोई भी काट नही थी ,यह बात वो तीनो जानती थी ,इस लिये उनके चेहरे पर खुशी के भाव होकर भी वो अंदर से बहुत ज्यादा दर्द में थी ,
राक्षसलोक में भुजंग के चेहरे का डर कम होने का नाम नही ले रहा था ,तभी उसके कानों में उसके बेटे की आवाज आयी ,पिताजी में आप से कुछ कहना चाहता हु ,यह आवाज भोकाल की थी ,उसकी तरफ देखकर भुजंग ने कहा ,बोलो भोकाल क्या कहना चाहते हो ,भोकाल ने अपने पिता से कहा ,पिताजी में आपको दो राक्षसो से मिलाना चाहता हु ,जो मेरे साथ ही रहते है ,बचपन से मेंनें इन्हें पाल पोस कर बड़ा किया है ,यह दोनो बहुत ही बलवान और शक्तिशाली है ,आप उन दोनों को देखकर बहुत खुश होंगे ,इन्होंने मेरी हर लड़ाई में बहुत ज्यादा मदत की है ,यह दोनो नही होते तो में सिहलोक और गरुड़ लोक के राजाओं को कभी नही मार पाता ,यह दोनो बहुत ही ज्यादा माहिर है लडने में ,भुजंग अपने बेटे भोकाल को बहुत अच्छे से जानता था वो कभी किसी की तारीफ नही करता था ,अगर वो किसी की तारीफ कर रहा होगा तो वो जरूर कुछ खास होंगे ,भुजंग ने भोकाल से कहा ,कौन है वो राक्षस ,मुझे देखना है ,कौन है वो दोनो ,भोकाल ने तुंरत कालराक्षस और शिवाय को आगे बुला लिया ,अपने सामने भुजंग ने अपने से भी बलावान और तगडे दो जवान राक्षस देखे ,उनको देख कर ही कोई भी उनकी ताकद का अंदाजा लगा सकता था ,भुजंग भी बहादुरी की कद्र करता था ,पर वो सिर्फ किसी की बात सुनकर उसपे यकीन करने वालो में से नही था ,उसने दोनो की तरफ देख कर कहा ,भोकाल की बात पर में यकीन कर सकता हु ,वो कभी मुझसे झूठ नही बोलता ,पर तुम्हारी ताकद का नमूना में भी एक बार देखना चाहता हु ,तुम दोनो मेरे किसी भी एक बेटे को हराकर अपनी ताकद दिखा सकते हो ,कोई युध्द नही करना है ,यह मेरे 20 बेटे है जिसमे से किसी एक को तुम खुद चुनकर मल्लयुद्ध में हराकर दिखा दो ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटे हसने लगे ,उन्हें यह बात पता थी कि उनके जो यह 20 भाई है वो कितने ताक़दवर है ,कालराक्षस और शिवाय भले उनसे लम्बे चौड़े हो पर उन सब मे बहुत ज्यादा ताकद थी ,उनके सामने कोई स्वर्ग लोक का देवता भी नही टिक पाता था ,उन 20 भाइयो में से कोई एक भी पूरे देवताओं पर भारी था ,कालराक्षस और शिवाय को वो एक पल में हरा सकते थे ,
कालराक्षस सबसे पहले आगे कर बोला ,महाराज भुजंग को मेरा प्रणाम में कालराक्षस हु और यह मेरा भाई शिवाय है ,हम आपकी बात कभी नही टाल सकते पर राजकुमार के ऊपर हाथ उठाना हमे शोभा नही देता ,आज हम जो कुछ भी है आपके वजह से ही है ,और आप पर हाथ उठाना मुझे गलत लगता है ,उन्हें हराना मतलब उनका अपमान करना ही होगा न महाराज ,भुजंग को कालराक्षस की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा था ,उसे समझ गया था कि यह बहुत ही स्वमिनिष्ठ और सही ख्याल वाला राक्षस है ,पर उसके 20 बेटो को वो कायर और डरपोक लगने लगा था ,वो कालराक्षस की तरफ देखकर हस रहे थे ,उनमें से एक बोला ,कालराक्षस तुम डरो मत हम तुम दोनो भाइयों को मारने नही वाले है ,सिर्फ तुम्हारी ताकद देखने वाले है ,तुम दोनो हमारे सामने नही टिक सकते यह बात हमे पता है ,पर तुम दोनो को भी पता चलना चहिये ना कि महाराज भुजंग के बेटो में कितना दम है ,भुजंग को अपने बेटे की बात बिल्कुल पसन्द नही आयी थी ,जो राक्षस उनका इतना सन्मान करता हो उसके साथ ऐसा बर्ताव करना एक राजकुमार को शोभा नही देता था ,भुजंग ने बहुत ही क्रोधित होकर अपने उस बेटे की तरफ देख कर कहा ,मूर्ख तुझे क्या लगता है यह तुझ से डर रहा है , यह बेचारा तो तुम्हे समांन दे रहा था ,पर तुम इसकी बातो को समझ नही सकते ,कालराक्षस और शिवाय में तुम्हे आज्ञा देता हूं ,तुम मल्लयुद्ध में इनसे लड़ो ,जरा इन्हें भी अपना दम दिखा दो ,में तुम्हारी बातो से यह तो जान गया हूं,की तुम में बल के साथ बुद्धि भी है ,थोड़ा ज्ञान इनको भी सीखा दो आज ,
भुजंग की बात सुनकर कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध के लिये चुन लिया जो कालराक्षस को सुना रहा था ,विकट नाम उसका ,कालराक्षस की वजह से उसके पिता ने पहली बार उसका अपमान किया था ,इस वजह से वो बहुत ज्यादा गुस्से में था ,उसे कालराक्षस की गर्दन तोड़ने की इच्छा हो रही थी ,और जब कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध को चुना उसे और गुस्सा आ गया ,उसने सोच लिया कि कालराक्षस को अब जिंदा नही छोड़ना है ,मल्लयुद्ध मे ही वो कालराक्षस को मार देने की बात वो सोच चुका था ,दोनो एक आखडे मे आ गए जो भुजंग ने अपनी माया से बना लिया था ,कालराक्षस 300 फिट का था तो विकट भी 280 फिट का एकदम तगडा राक्षस था ,उसने आखडे में आते ही कालराक्षस ओर आक्रमण कर दिया ,कालराक्षस भी चौकना था उसने विकट को अपने हाथों से पहले ही रोक लिया ,विकट और कालराक्षस दोनो एक दूसरे को अपने हाथों से पकड़ कर पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे थे ,दोनो किसी पहाड़ जैसे एक दूसरे के सामने खड़े थे ,विकट अपनी पूरी ताकद लगाकर कालराक्षस को पीछे ढकेल रहा था ,पर कालराक्षस को वो अपनी जगह से हिला भी नही पा रहा था ,दोनो का बदन पसीने से भीग गया था ,विकट लगातार अपनी कोशिश कर रहा था पर उसकी ताकद के सामने कालराक्षस मजबूती से खड़ा था ,मैदान के बाहर सबको यही लग रहा था कि विकट कालराक्षस से खेल रहा है पर भुजंग को छोड़कर कोई नही जानता था कि कालराक्षस ही विकट से खेल रहा है ,भुजंग को अपने बेटे के हाल से ज्यादा कालराक्षस की ताकद देख कर खुशी हो रही थी ,कालराक्षस ने विकट के हाथों को छोड़ कर एक ही पल में उसे जमीन से उठाकर नीचे पटक दिया ,विकट को उसने इतनी जोर से पटका था कि पुरी जमीन हिल गयी थी ,विकट के मुह से खुन निकल गया था ,उसकी कमर की हड्डि तक टूट गई थी ,इतने जोर से पटकने से वो बेहोश हो गया था ,कालराक्षस ने उसके पास जाकर उसे उठाने की बहुत कोशिश की पर वो नही उठा ,फिर कालराक्षस ने उसे अपनी गोद मे उठाकर आखडे से बाहर लेकर आया ,भुजंग ने अपनी माया से एक पलँग बना दिया ,जिसपर कालराक्षस ने विकट को सुला दिया ,भुजंग के सभी बेटे कालराक्षस की ताकद देख कर हैरान हो गए थे ,विकट जैसे महाबली को उसने किसी बच्चे की तरह हरा दिया था ,उन्हें कालराक्षस पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,अपने भाई के ऐसे हाल करने वाले को वो जिंदा नही छोड़ने वाले थे अब ,पर भुजंग के वजह से सब चुप थे ,भुजंग के यहा से जाते ही वो कालराक्षस को मार डालने की सोच चुके थे ,भुजंग ने कालराक्षस के कंधे पर एक हाथ रख दिया ,बहुत खूब कालराक्षस तुम सही में एक बलावान हो ,आज से तुम मेरे साथ ही रहा करोगे ,तुम आज से मेरे खास अंगरक्षक हो ,तुम्हे राक्षसलोक में कही भी जाने की आझादी होगी ,अगर किसी ने तुम्हारे नाखून को भी नुकसान पोहचने की सोची तो वो जिंदा नही बचेगा मेरे हाथों से ,यह आखरी बात उसने अपने बेटो की तरफ देख कर कही थी जिनके विचार वो जान गया था ,अपने मूर्ख बेटो के लिये वो ऐसे बलावान और स्वमिनिष्ठ को खोना नही चाहता था ,भुजंग के सब बेटो के गांण्ड के बाल जल गए थे भुजंग की बात सुनकर वो अब भुजंग का कुछ भी नही कर सकते थे ,अगर कालराक्षस को कुछ भी उन्होंने नुकसान किया तो भुजंग के कहर से वो बच नही पाते थे ,सब अपने गुस्से के वजह से लाल पीले हो रहे थे ,भुजंग ने कालराक्षस से कहा ,तुम्हारा बल तो देख लिया मेंनें अब बारी है तुम्हारे भाई की जरा देखे तो सही वो भी तुम्हारी तरह बलावान है कि नही शिवाय तुम्हे किस के साथ मलयुद्ध करना है ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटो की आंखे एकदम चमक उठी ,कालराक्षस नही उसके भाई को मारने का मौका उन्हें मिल सकता था पर कालराक्षस की बात से उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया ,कालराक्षस ने भुजंग से कहा ,महाराज आप शिवाय को लडने मत देना ,यह एक बार किसी के साथ लड़ना शुरू करता है तो वो सामने वाली की जान ही लेकर रहता है ,वो बहुत गुस्सेल है ,उसे अपने गुस्से में कुछ भी याद नही रहता ,वो अपने गुस्से में किसी राजकुमार की जान भी ले सकता है ,बाद में आप ही उसे मार देंगे उसकी हरकत से ,में आपसे विनतीं करता हु ,आप शिवाय को लड़ने के लिये मत कहिए ,कालराक्षस की बात सुनकर भुजंग तो समझ गया कि उसकी बात एकदम सही है ,पर उसके बेटो को यह बात बहुत लग गई थी ,वो अपने पिता की तरफ देखने लगे थे ,उन्हें चिन्ता होने लगी कि उनके पिता इस कालराक्षस कि बात मान न ले ,भुजंग के बेटो में से एक बोला ,डरो मत कालराक्षस हम वादा करते है अगर शिवाय के साथ मल्लयुद्ध में कोई मारा भी गया तो हम या हमारे पिता उसे कोई नुकसान नही करंगे और अगर शिवाय मलयुद्ध में मर गया तो भी तुम बुरा नही मानोगे ,
भुजंग को अपने बेटे की बात से बहुत ज्यादा क्रोध आ गया उसने उसके तरफ देखकर कहा ,कभी भी बात करने से पहले उसके परिणाम भी सोचने चाहिए ,तुमको शिवाय से लड़ने का बहुत ज्यादा शौक है ना ,तो ठीक है में वादा करता हु कालराक्षस शिवाय के हाथों कोई मर भी गया तो में उसे कुछ नहीं करूंगा ,पर शिवाय से कोई हार गया और शिवाय ने उसे नही मारा तो में खुद उसे मार दूँगा ,
भुजंग की बातों से सबको डर लगने लगा था ,पर शिवाय को मार देने का भुत उनके सर से नही उतरा था ,वो शिवाय की तरफ बहुत गुस्से से देख रहे थे ,शिवाय ने भी उसी राजकुमार को चुना जिसने भुजंग से बात की थी ,उसका नाम अशुभ था ,अपने नाम की तरह वो हमेशा बुरे कामो में माहिर था ,सबसे ज्यादा पापी और नीच वही था राक्षसलोक में ,उसके पापों की सजा देने ही शिवाय ने उसे चुना था ,अशुभ बहुत ज्यादा गुस्से में था ,वो बलावान के साथ बहुत ज्यादा बुद्धिशाली भी था ,उसे पता था कि शिवाय की अगर ताकद उससे ज्यादा निकली तो कैसे छल से इसे हराना है ,दोनो आखडे में उतर गए थे ,एक दूसरे की तरफ देख कर वो अंदाजा ले रहे थे ,जहा शिवाय के चेहरे पर मुस्कान थी तो अशुभ के चेहरे पर गुस्सा ,अशुभ ने शिवाय से कहा ,शिवाय तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है मुझे चुनकर ,में तुम्हे मारूंगा नही पर तुम्हे ऐसी जिंदगी दूँगा जो मौत से बद्दतर होगी ,
शिवाय ने उस हसकर कहा ,में भी तुम्हारा नाम अशुभ है ना उसे आज मिटा दूँगा ,मुझे तुम नही तुम्हारा नाम पसन्द नही आया ,इसीलिए मेंनें तुम्हे चुना है ,एक काम करो अपना नाम बदल लो आज से में तुम्हे नही मारूंगा फिर ,किसी दूसरे भाई से लड़ लूँगा ,तुम अपना नाम बदलकर यहा से भाग जाना फिर , शिवाय की बात से अशुभ और ज्यादा गुस्से में आ गया ,अशुभ की बात सबने सुन ली थी ,भुजंग का अखाड़ा ऐसी माया से बना था कि आखडे में लड़ने वाले कि बात सब आराम से सुन सकते थे ,पर शिवाय ने जो कहा था वो किसीने नही सुना था उसकी बजाए उन्हें यह सुनाई दिया कि शिवाय अशुभ से लड़ने से पहले माफी मांग रहा है ,शिवाय कह रहा था कि ,अगर वो यह मुकाबला जीत भी गया तो महाराज भुजंग को आपको मारने नही देगा ,वो महाराज के पैर पकड़ लेगा पर अशुभ को कुछ नही होने देगा ,शिवाय की बात सुनकर भुजंग को भी बहुत खुशी हुवीं की शिवाय भी कालराक्षस की तरह स्वामी निष्ठ है ,पर उसे क्या पता शिवाय कैसी चीज थी ,आज वो अशुभ को सबके सामने बहुत बुरी मौत मारने वाला था ,और अपनी ताकद के साथ सबके मन मे अपना डर बिठाने वाला था ,उसने कालराक्षस को पहले ही समझा दिया था कि क्या करना है ,वो दोनो एक दुसरे के मन मे बात कर रहे थे ,शिवाय के अंदर का ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में समा गया था ,यह बात शिवाय को भी पता थी और कालराक्षस को भी ,सीधा ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में नही समा सकता था ,क्योकि वो एक पूर्ण राक्षस अंश का था इसलियें पहले वो शिवाय जो एक शिव अंश था उसमे समाया और फिर शिवाय के शरीर से निकल कर कालराक्षस में समा गया था ,अगर सीधा वो कालराक्षस में समा जाते तो कालराक्षस की मौत हो सकती थी ,शिवाय ऐसा था जिसमे ब्रम्हा ,विष्णु और महेश तीनो के अंश थे ,उसमे शिवा से भी बहुत ज्यादा ताकद और शक्तिया थी ,दुनिया का यह पहला व्यक्ति था शिवाय जिसमे तीनो के अंश थे ,शिवा भी जितना खास नही था उतना शिवाय खास बन गया था ,इसके पीछे वजह थी भगवान विष्णु की सोच ,जब त्रिदेवो को भुजंग के तीसरे वरदान का पता चला सबसे ज्यादा क्रोधित भगवान विष्णु ही हो गए थे ,और भुजंग ने उनसे वरदान मांगा की आज के बाद वो किसी को कोई वरदान या शक्ति नही देंगे ,तब उन्होंने उनका सबसे शक्तिशाली अंश शिवाय के लिये बना कर शिवाय में समा दिया था ,भगवान विष्णु का बस चलता तो वो भुजंग को ही मारने से नही चूकते थे ,पर उनके हाथ भुजंग की तपसाधना से बंधे हुवे थे ,पर भगवान विष्णु किसी नीच और पापी को कभी नही छोड़ते थे ,उनकी दूर की सोच और बुद्धिमानी से हर कोई परिचित था ,भुजंग को भी सबक सिखाने के लिये उन्होंने ऐसी चाल चली थी भुजंग उसीके बनाये जाल में फंसकर मरने वाला था ,जो खेल शिवजी का था उसमे विष्णुजी भी अब खेलने वाले थे ,कपट का जवाब कपट से और छल का जवाब छल से देंना कोई उनसे ही सिख सकता था ,और भुजंग के सामने वो खुद एक अंश बनकर शिवाय के रूप में खड़े थे ,जो उनका बहुत ज्यादा प्रिय और पसन्द का था पहले से ,शिवाय की तरफ एक तेज चीख के साथ अशुभ ने छलाँग लगा दी ,शिवाय को जमीन पर गिराकर वो उसकी छाती पर बैठ गया और शिवाय के चेहरे पर अपने तेज मुक्कों की बरसात करने लगा ,शिवाय को अशुभ किसी कुते की तरह मार रहा था ,अपने लात और गुस्से से उसने शिवाय को लहूलुहान कर दिया था ,शिवाय को पटक पटक के अशुभ मार रहा था ,शिवाय भी उसका मार झेल रहा था ,अशुभ गुस्से से पागल हो गया था ,वो मल्लयुद्ध को कबसे छोड़कर शिवा पर अपनी तलवार से वार करने लगा था ,यह गलत होता देखकर भुजंग को कालराक्षस ने कहा ,महाराज आप राजकुमार् को रोक दीजिये ,यह मल्लयुद्ध नही हो रहा है ,शिवाय के हाथ मे कोई शस्र नही है और राजकुमार तलवार से उसे मार रहे है ,
भुजंग कितना भी अच्छा बनने का नाटक करे पर था तो वो अंदर से नीच ही ,उसने कालराक्षस से कहा ,नही अब यह मुकाबला किसी की जान जाने के बाद ही रुकने वाला है ,अगर शिवाय के हाथ मे तलवार होती और अशुभ निहत्था तो भी हम यह मुकाबला नही रोकते ,जब तक दोनो में से कोई मर नही जाता यह मुकाबला नही रुकने वाला ,तुम ही कहते थे ना शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,जरा हम भी तो देखे तुम्हारे भाई का गुस्सा ,कबसे अशुभ की मार खा रहा है वो ,मुझे नही लगता अशुभ उसे जिंदा छोड़ेगा ,ही ही ही
शिवाय तो कबसे इसी बात का इंतजार था कि कब भुजंग का असली रूप सामने आए, शिवाय भुजंग के सामने ही उसके बेटे को मारने वाला था आज ,कबसे वो अशुभ की मार इसलिये खा रहा था ताकि उसे मारते वक्क्त किसी को यह नही लगे कि जानबूझकर शिवाय ने अशुभ को मारा हो ,सबको वो यही दिखाने वाला था कि अशुभ को अपनी जान बचाने के लिये ही मारना पड़ा उसको ,जैसे ही अशुभ ने अपनी तलवार का एक वार शिवाय पर किया तो शिवाय उसके वार से खुद को बचा लिया ,अशुभ ने शिवाय के बदन पर बहुत से वार किए थे ,पर यह पहला मौका था जब शिवाय खुद को बचा सका हो ,शिवाय अशुभ के वार से बचकर उसे एक तेज मुक्का मार दिया जो सीधा अशुभ के चेहरे पर लग गया ,अब शिवाय ने अशुभ को धोना शुरू कर दिया ,वो अशुभ के हर वार से बच कर उसे धोने लगा था ,उसने अशुभ का चेहरा पूरा खुन से लाल कर दिया था ,अशुभ के मुह से हर एक दांत उसने तोड़ दिया था अपने मुक्कों से ,अशुभ के हाथ से शिवाय ने उसकी तलवार छीन ली थी और उसी तलवार से अशुभ के दोनो हाथ एक पल में काट दिए थे ,कालराक्षस यह देख कर तेजीसी आखडे की तरफ लपक गया पर उसके आने से पहले ही शिवाय ने अशुभ के दोनो पैर काट दिए और उसके सिर को भी एक वार में काट दिया था ,अशुभ का सिर जाकर सीधा भुजंग के पैर में गिर गया था ,भुजंग सहित सभी यह देख कर भौचक्के हो गए थे ,उनके सामने ही अशुभ को शिवाय ने किसी गाजर मूली की तरह काट दिया था ,और वो कुछ भी नहीं कर सके थे ,उन सबका ध्यान कालराक्षस की आवाज से टूटा था ,जो शिवाय को आखडे में मार रहा था ,उसे रोकने सबसे पहले भोकाल ही आगे बढ गया ,उसने कालराक्षस को पकड़ कर शिवाय से दूर कर दिया और शिवाय के सामने खड़े होकर बहुत ही क्रोध से बोला ,कालराक्षस तुम भूलो मत तुम कहा खड़े हो ,मेरे पिता ने वचन दिया था कि शिवाय जीतेगा और किसी को मार भी देगा तो वो कुछ नही कहंगे ,तुम भले ही मेरे पिता के अंगरक्षक बन गए हो ,पर मेरे पिता की बात के खिलाफ तुम गये ,तो तुम्हे में ही मार दूँगा ,
भोकाल की बात सुनकर कालराक्षस बोला ,माफ कर दे राजकुमार पर आप इस नीच को मत बचाइए इसने अपने गुस्से में हमारे राजकुमार को मार दिया है ,यह अपने गुस्से में अपने मालिक को कैसे भूल सकता है ,
भोकाल ,उसे मेरे भाई अशुभ ने कितना मारा यह तुमने नही देखा ,अगर वो अशुभ भाई को नही मारता तो उसका मरना तय था ,हमारा भाई अशुभ और शिवाय में मुकाबला किसी के मरने के बाद ही खत्म होना था ,मेरे पिता ने भी यही कहा था ,उनकी बात हमारे लिये जान से बढ़कर होती है ,तुमने आज के बाद शिवाय को हाथ भी लगाया तो में तुम्हे जान से मार दूँगा ,
भोकाल की बातों से भुजंग भी कुछ नही कर सकता था ,उसे मजबूरन अपना गुस्सा पीना पड़ा ,अपने ही बेटे को मारने वाले को वो कुछ नही कर सकता था ,भोकाल अगर बीच मे नही आता तो भुजंग अपनी बातों को भूल पर शिवाय को जान से मार देता था ,पर भोकाल की बातों से भुजंग भी शांत हो गया ,उसने कहा ,कालराक्षस हम बहादुरी की कद्र करते है ,तुमने पहले ही कहा था कि शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,हमने ही तुम्हारी बात नही मानी ,शिवाय को गलत भी नही कहा जा सकता ,उसने बस अपनी जान बचाने के लिये ही अशुभ को मारा है ,भोकाल अपने बड़े भाई के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी तुम्हारी है ,यह मुकाबला यही खत्म हुवा ,कालराक्षस और शिवाय तुम दोनो मेरे साथ आओ मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है ,भुजंग दोनो को लेकर राक्षसलोक में कही चला गया ,पीछे उसके सभी बेटे अपने भाई की मौत से बहुत ज्यादा गुस्से में आ गए थे ,सबने सोच लिया था कालराक्षस बिचारा अच्छा है पर इस शिवाय को जिंदा छोड़ना बहुत बड़ी भूल होगी ,इसे मारने पर पिताजी भी कुछ नही कहने वाले ,कालराक्षस ही उनका चहेता है ,शिवाय के मरने पर उन्हें खुशी ही मिलेगी ,
भुजंग उन दोनो को लेकर अपने खास महल में आ गया ,रानी महल में वो नही गया था ,वो उन दोनों को लेकर अपने एक अलग ही महल में आया था ,जिसके बारे में उसके सिवा किसी को नही पता था ,भुजंग उन दोनों को एक कमरे में लेकर आया ,दोनो को बिठाकर वो महल के अन्दर चला गया कुछ देर बाद उसके साथ दो बहुत ही बूढ़े राक्षस आ गए ,भुजंग ने उनसे कहा आप मे से एक इसका इलाज कीजिये और दूसरा विकट के महल में चला जाये ,उसे भी चोट लगी है ,भुजंग की बात सुनकर एक राक्षस वहां से चला गया और दूसरे राक्षस ने शिवाय के शरीर के सारे जख्म कुछ ही पल में ठीक कर दिए अपने पास की दवाइयों से ,फिर भुजंग से विदा लेकर वो भी चला गया ,भुजंग ने कहा ,यह दोनो भाई हमारे राजवैद्य है ,यह हजारो साल के है ,महाराज रावण से भी इनकी उम्र ज्यादा है ,यह दोनो 70 हजार साल से भी ज्यादा उम्र के है ,अपनी तपसाधना और अनुभव से बहुत ज्ञानी बन गए है ,यह सिर्फ़ किसी मरे हुवे को ठीक नही कर सकते ,बाकी हर बीमारी और जख्म को यह पल भर में ठीक कर सकते है ,यह मेरा सबसे खास महल है जिसके बारे में मेरे सिवा कोई नही जानता राक्षसलोक में ,मेरे बेटे और रानीमहल से भी कोई नही इसके बारे में जानने वाला ,यह महल मेंनें राक्षसलोक के नीचे बनाया है ,इसमे सिर्फ में जिसे चाहूं वही यहा आ सकता है ,मेंनें 1000 साल की तपसाधना करके त्रिदेवियों से यह महल बनवाया है ,इसकी माया कोई नही तोड़ सकता ,खुद त्रिदेव भी इस माया को नही तोड़ सकते ,मेरे इस महल में क्या होता है ,यहा में क्या करता हु कोई नही जान सकता ,ना त्रिदेव ना त्रिदेविया ,इस महल में मेरी बहुत सी ऐसी ताकद और शक्तिया है जिसके बारे में कोई नही जान सकता ,तुम दोनो को में यहा में किस लिये लाया हूं यही तुम सोच रहे हो ना ,हां हा हा ,डरो मत इस महल में किसी के भी मन की बात में सुन सकता हु भले ही वो कोई भी हो ,तुम दोनो के मन को में बाहर भी पढ सकता हु ,मेंनें तुम्हारे मन की हर एक बात जान ली थी ,तुम्हारे बारे में इस महल में आने के बाद मुझे सब पता चल गया है ,तुम दोनो खुद को कोई आम राक्षस समझ रहे होंगे आज तक ,पर तुम दोनो रावण के वंश से हो ,जो कि बहुत बडी बात है राक्षसलोक में ,हमारे राक्षसलोक में मेरे वंश के अलावा तुम दोनो ही रावण के वंश से हो ,में भी तुम दोनो की ताकद से पहले हैरान था कि आम राक्षस में इतनी ताकद और शक्ति कैसे हो सकती है ,पर इस महल में आकर मेरी सभी शंका दूर हो गई है ,अगर तुम दोनो कोई बहरूपिये होते तो तुम्हारा असली स्वरुप यह महल तुरंत दिखा कर बन्दी कर लेता ,पर तुम दोनो में असली राक्षस के अंश है ,और इस महल में जिसके अंदर राक्षस का अंश हो वही टिक सकता है ,मुझे इस बात की बहुत खुशी हुवीं की तुम दोनो असली रावण के वंश से हो ,में तुम्हे आज अपनी बेटियों से मिलाना चाहता हु ,इनके बारे में कोई भी नही जानता ,यह दोनो मेरी तपसाधना के वजह से पैदा हुवीं है ,यह दोनो भी दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुवीं है ,इनके सामने राक्षसलोक में कोई नही टिक सकता में भी इनके सामने कुछ नही हु,इनकी आज तक।शादी नही हुवीं है ,अगर उन दोनों को तुम दोनो में से कोई पसन्द आ गया तो में उनकी शादी उनके पसन्द से करवा दूँगा ,में तो चाहता हु की कालराक्षस से ही दोनो की शादी हो ,तुम बहुत ही अच्छे और भले लगे हो मुझे ,शिवाय का गुस्सा मुझे पसन्द नही है ,पर असली राक्षश की पहचान ही उसका गुस्सा होती है ,तुमने मेरे सामने मेरे बेटे को मार कर अपना गुस्सा दिखाया है ,में चाहता तो तुम्हे मार भी सकता था पर में एक बात से पीछे हट गया ,जो थी मेरी बेटिया वो दोनो भी बहुत गुस्से वाली है ,उनके लिये तुम भी सही हो ,पर दो गुस्से वाले कभी एक नही हो सकते ऐसा में मानता हूं ,देखते है तुम दोनो में से उन्हें कोई पसन्द आता है या नही ,उन दोनों को मेंनें आज तक बहुत से राक्षस वीर को दिखाया था पर उन्हें कोई पसन्द नही आया ,उनके नापसंद करने के बाद मेंनें उन सबको मार दिया था ,अबतक मे ऐसे 16हजार से ज्यादा राक्षसविरो को मार चुका हूं ,अगर उन दोनों ने तुम्हे नापसंद कर दिया तो वो जिसे नापसंद करेगी में उसे मार दूँगा ,
भुजंग के बाद खत्म होने के बाद दो बहुत ही बड़ी और सूंदर राक्षस कन्या वहां पर आ गयी ,वो भी भुजंग ,कालराक्षस और शिवाय की तरह 300 फिट की थी ,एकदम तगड़ी राक्षस कन्या होकर भी वो गजब की सुंदर थी ,दोनो ने आकर अपने पिता को नमन किया ,भुजंग उन दोनों से कहा ,बेटी गजाली और सुहाली यह दोनो भी हमारे राक्षसलोक के है ,भोकाल के साथ यह दोनो हजार साल से पाताल में रहते थे ,मेंनें इन्हें आज तुम्हे दिखाने लाया हूं ,दोनो भी रावण वंश के है और बहुत ही शक्तिशाली और ताक़दवर हे ,विकट और अशुभ को इन्होंने आसानी से हरा दिया ,खास कर इस शिवाय ने तो अशुभ की गर्दन ही काटकर उसे मार दिया ,इतना सुनकर दोनो एकदम गुस्से से पागल हो गयी ,अपने कमर पर लटकी तलवार निकाल कर वो शिवा को मारने ही वाली थी कि ,भुजंग बोला ,रको बेटी ,इन्हें मारो मत मेरे सामने ही यह मुकाबला हुवा था ,मेंनें ही ऐसा मुकाबला लगाया था कि किसी एक को मरना ही था ,इसने जानबूझकर नही मारा अशुभ को ,कालराक्षस और शिवाय दोनो एक दुसरे की तरफ देख रहे थे ,
कालराक्षस मन मे बोला ,मुझे लगता है यह भुजंग आज ही मरने वाला है ,यह दोनो हम दोनो को पसन्द करने से रही ,और भुजंग की औकात नही है हमे मारने की ,यह महल तुझे क्यो नही मिला था अभीतक ,तुझे इस महल के बारे में नही पता था ,
शिवाय ,नही भाई मुझे इस महल के बारे में कुछ भी नही पता ,तूने सुना नही भुजंग ने क्या कहा था कि त्रिदेवियों ने इस महल को बनाया है ,जहा त्रिदेव इस महल को नही जान सके आज तक तो हम कैसे जान लेते ,हम तो उनके सिर्फ एक अंश तो है
कालराक्षस ,इस भुजंग ने इस महल में हमे मार दिया तो हम इसका कुछ नही कर पाएंगे ,हमारी कोई भी ताकद यहा काम नही करेगी ,सिर्फ हम मन मे ही बात कर सकते है इस महल में ,अगर हम दोनो में ब्रह्मा और विष्णु जी के अंश नही होते तो हम दोनो मन मे भी बात नही कर पाते और पकड़े भी जाते ,
शिवाय ,इसमे एक बात गलत है ,हम दोनो में राक्षस के अंश होने से हम पकड़े नही गये और दूसरी बात एकदम सही है कि हम दोनो में मोजूद ब्रम्हा और विष्णु जी के अंश होने से यहा हम दोनो मन मे किसी के सुनाए दिए बिना बात कर सकते है ,
कालराक्षस ,लगता है यह गजाली और सुहाली हम दोनो को मार न दे नापसंद कर के ,
गजाली ,पिताजी हम चाहते है कि हम दोनो जरा इनका दम देख ले ,हम भी तो देखे हमारे भाइयो को मारने वाला कितना पानी मे है
सुहाली ,हा पिताजी आप सही कह रहे है ,आप से हम दोनो बहुत नाराज है ,आपने तपसाधना में जाने से पहले हमारा यहा से बाहर जाना बंद कर दिया था ,आपको पता है कोई असुर और एक राक्षस की पतीं पत्नी है जिन्होंने पूरे राक्षसलोक में बहुत मार काट की है ,हमारे अरबो राक्षस को उन्होंने मार दिया है ,हम अपने जादुई दर्पण में उनकी शक्कल तो नही देख पाए पर हमने एक काम कर दिया था ,लामन को हमने महल से बाहर निकाल दिया था ,वो जल्द ही उनका पता लगा लेगा ,हम दोनो अपने हाथों से उसे मारने वाले है ,में तो बस लामन का ही इंतजार कर रही हु,वो कहा रह गया यह समझ नही आ रहा है ,उसे अबतक तो आ जाना चाहिये था ,
कालराक्षस ने शिवाय के मन मे कहा ,भाई अब यह लामन कौन है ,तू जानता है क्या उसके बारे में ,
शिवाय ,अरे भाई पहले नही जानता था ,पर जब मेरे अंदर विष्णु जी का अंश आ गया था तब मेंनें उसे देख लिया था ,भाई बहुत खतरनाक चीज़ है यह लामन ,पता नही कहा से लाया है साला यह लामन को भुजंग ,मेरे ख्याल से इसने अपने किसी तपसाधना से ही उसे हासिल किया होगा त्रिदेवियों से ,
कालराक्षस ,पर वो है क्या चीज और अब कहा है वो
शिवाय हसकर बोला ,वो लामन अब मेरे अंदर ही है ,उसे मेंनें तू जहा रहता था वहां से बन्दी बना लिया था ,अगर मेरे अंदर उस वक्क्त त्रिदेवो के तीनों अंश नही होते तो में भी इसके हाथो मारा जाता ,यह लामन सिर्फ त्रिदेव और त्रिदेवियों के ही वश में आ सकता था ,मेंनें बड़ी मुश्किल से इसे बन्दी।बनाया था ,यह महल में आकर और ज्यादा ताक़दवर हो गया है ,में इसे काबू करने की कबसे कोशिश कर रहा हु पर पता नही यह कबतक मेरे काबू में रहेगा ,
कालराक्षस ,अरे पर है क्या यह लामन यह तो बता मेरे बाप ,कबसे उसके बारे में बता कर मुझे भी डरा रहा है ,पहले यह दोनो राक्षस कन्या कम थी जो तू लामन की बाते बता रहा है ,
शिवाय ,भाई यह लामन ही नही इसकी बीवी लामनी और इसकी दो बेटियां भी इस महल में है ,यह मुझे यही बात बता रहा है ,वो तीनो इससे भी खतरनाक और शक्तिशाली है ,उन तीनों को इस लामन कि कबसे ख़ुश्बू आ रही है ,जब वो तीनो इसे धुंडने यहा पर आएगी तो यह अपने आप मेरे कैद से छूट जाएगा ,
कालराक्षस ,अरे पर यह तो बता यह लामन कौन है ,और उसकी बीवी और बेटिया कौन है ,बाकी कुछ भी मत बोल ,
शिवाय ,एक काम कर एक अपडेट और रुक जा ,उसके बाद तुझे सब पता चल जाएगा ।
Majedaar update mitr
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Update kaha h yaar had h...
Kya had ho gai bhai goldy bhai se jya jaldi update or regular update Dene wala writer Maine aajtak is form per nahi dekha.
 

Raj_sharma

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Wah Goldy bhaiya kya khoov likha hai. Are ji karta haath choom lu tumhare😁😁😁👌👌👌
Dono ke dono update Lajabaab the.
Ab to kaal rakhsas or shivay dono bhujang ki beti chodenge.
Or ye bhosdi wala laman kon aagaya? Is ne dimag ghuma diya.
Bhai orjaldi se shiva ko bhi baki ki ansh dilwa hi do.
 

Yamraaj

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Update 109
तीनो त्रिदेव भुजंग की हालत देख कर हस रहे थे ,ब्रम्हाजी बोले ,आज तक किसी को भूत या कोई डरावना जानवर देखकर डरते हुवे देखा है ,पर भुजंग तो आप की आवाज से ही डर गया भगवान विष्णु ,और वो शिवाय आपकी आवाज निकाल कर उसे डरा रहा है ,पहली बार किसी व्यक्ति को भगवान की आवाज निकालकर दूसरे को डराते हुवे देख रहै है हम ,यह शिवाय भुजंग को बहुत सताने वाला ,
भगवान विष्णु हसकर ,शिवाय भुजंग को वो डर दिखाएगा जो उसने कभी सोचा नही होगा ,उसे बहुत शौक है ना वरदान लेना त्रिदेवो से ,आप बस देखिये उसके वरदान ही उसे कितने घातक परिणाम देने वाले है ,
भगवान महादेव के चेहरे पर यह बात से एक मुस्कान आ गयी ,पहले तो भुजंग के पीछे शिवा पड़ा था ,वो कम था आपने अपने एक अंश को शिवाय में समा दिया है ,मुझे अब पूरा यकीन हो गया है ,आप भुजंग को बहुत बुरा दण्ड देने वाले है ,
भगवान विष्णु ,महादेव यह सब खेल आपका ही रचाया है ,जिसमे आपने मुझे भी शामिल कर लिया है शिवाय के रूप में ,तो मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ना ,
भगवान विष्णु की बात से तीनों हसने लग गए थे ,तीनो त्रिदेविया अपने पतीं को ऐसे मुस्कुराते देखकर खुश हो रही थी ,पर मन ही मन उन्हें अपने तीसरे वरदान की बात याद आ जाती थी ,उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था अपने तीसरे वरदान को याद करके ,उनके पति के चेहरे की मुस्कुराहट उनके दुख को और बढ़ा रही थी ,त्रिदेवो को तीसरे वरदान का पता होकर भी वो कुछ नही बोले थे ,उस वरदान की कोई भी काट नही थी ,यह बात वो तीनो जानती थी ,इस लिये उनके चेहरे पर खुशी के भाव होकर भी वो अंदर से बहुत ज्यादा दर्द में थी ,
राक्षसलोक में भुजंग के चेहरे का डर कम होने का नाम नही ले रहा था ,तभी उसके कानों में उसके बेटे की आवाज आयी ,पिताजी में आप से कुछ कहना चाहता हु ,यह आवाज भोकाल की थी ,उसकी तरफ देखकर भुजंग ने कहा ,बोलो भोकाल क्या कहना चाहते हो ,भोकाल ने अपने पिता से कहा ,पिताजी में आपको दो राक्षसो से मिलाना चाहता हु ,जो मेरे साथ ही रहते है ,बचपन से मेंनें इन्हें पाल पोस कर बड़ा किया है ,यह दोनो बहुत ही बलवान और शक्तिशाली है ,आप उन दोनों को देखकर बहुत खुश होंगे ,इन्होंने मेरी हर लड़ाई में बहुत ज्यादा मदत की है ,यह दोनो नही होते तो में सिहलोक और गरुड़ लोक के राजाओं को कभी नही मार पाता ,यह दोनो बहुत ही ज्यादा माहिर है लडने में ,भुजंग अपने बेटे भोकाल को बहुत अच्छे से जानता था वो कभी किसी की तारीफ नही करता था ,अगर वो किसी की तारीफ कर रहा होगा तो वो जरूर कुछ खास होंगे ,भुजंग ने भोकाल से कहा ,कौन है वो राक्षस ,मुझे देखना है ,कौन है वो दोनो ,भोकाल ने तुंरत कालराक्षस और शिवाय को आगे बुला लिया ,अपने सामने भुजंग ने अपने से भी बलावान और तगडे दो जवान राक्षस देखे ,उनको देख कर ही कोई भी उनकी ताकद का अंदाजा लगा सकता था ,भुजंग भी बहादुरी की कद्र करता था ,पर वो सिर्फ किसी की बात सुनकर उसपे यकीन करने वालो में से नही था ,उसने दोनो की तरफ देख कर कहा ,भोकाल की बात पर में यकीन कर सकता हु ,वो कभी मुझसे झूठ नही बोलता ,पर तुम्हारी ताकद का नमूना में भी एक बार देखना चाहता हु ,तुम दोनो मेरे किसी भी एक बेटे को हराकर अपनी ताकद दिखा सकते हो ,कोई युध्द नही करना है ,यह मेरे 20 बेटे है जिसमे से किसी एक को तुम खुद चुनकर मल्लयुद्ध में हराकर दिखा दो ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटे हसने लगे ,उन्हें यह बात पता थी कि उनके जो यह 20 भाई है वो कितने ताक़दवर है ,कालराक्षस और शिवाय भले उनसे लम्बे चौड़े हो पर उन सब मे बहुत ज्यादा ताकद थी ,उनके सामने कोई स्वर्ग लोक का देवता भी नही टिक पाता था ,उन 20 भाइयो में से कोई एक भी पूरे देवताओं पर भारी था ,कालराक्षस और शिवाय को वो एक पल में हरा सकते थे ,
कालराक्षस सबसे पहले आगे कर बोला ,महाराज भुजंग को मेरा प्रणाम में कालराक्षस हु और यह मेरा भाई शिवाय है ,हम आपकी बात कभी नही टाल सकते पर राजकुमार के ऊपर हाथ उठाना हमे शोभा नही देता ,आज हम जो कुछ भी है आपके वजह से ही है ,और आप पर हाथ उठाना मुझे गलत लगता है ,उन्हें हराना मतलब उनका अपमान करना ही होगा न महाराज ,भुजंग को कालराक्षस की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा था ,उसे समझ गया था कि यह बहुत ही स्वमिनिष्ठ और सही ख्याल वाला राक्षस है ,पर उसके 20 बेटो को वो कायर और डरपोक लगने लगा था ,वो कालराक्षस की तरफ देखकर हस रहे थे ,उनमें से एक बोला ,कालराक्षस तुम डरो मत हम तुम दोनो भाइयों को मारने नही वाले है ,सिर्फ तुम्हारी ताकद देखने वाले है ,तुम दोनो हमारे सामने नही टिक सकते यह बात हमे पता है ,पर तुम दोनो को भी पता चलना चहिये ना कि महाराज भुजंग के बेटो में कितना दम है ,भुजंग को अपने बेटे की बात बिल्कुल पसन्द नही आयी थी ,जो राक्षस उनका इतना सन्मान करता हो उसके साथ ऐसा बर्ताव करना एक राजकुमार को शोभा नही देता था ,भुजंग ने बहुत ही क्रोधित होकर अपने उस बेटे की तरफ देख कर कहा ,मूर्ख तुझे क्या लगता है यह तुझ से डर रहा है , यह बेचारा तो तुम्हे समांन दे रहा था ,पर तुम इसकी बातो को समझ नही सकते ,कालराक्षस और शिवाय में तुम्हे आज्ञा देता हूं ,तुम मल्लयुद्ध में इनसे लड़ो ,जरा इन्हें भी अपना दम दिखा दो ,में तुम्हारी बातो से यह तो जान गया हूं,की तुम में बल के साथ बुद्धि भी है ,थोड़ा ज्ञान इनको भी सीखा दो आज ,
भुजंग की बात सुनकर कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध के लिये चुन लिया जो कालराक्षस को सुना रहा था ,विकट नाम उसका ,कालराक्षस की वजह से उसके पिता ने पहली बार उसका अपमान किया था ,इस वजह से वो बहुत ज्यादा गुस्से में था ,उसे कालराक्षस की गर्दन तोड़ने की इच्छा हो रही थी ,और जब कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध को चुना उसे और गुस्सा आ गया ,उसने सोच लिया कि कालराक्षस को अब जिंदा नही छोड़ना है ,मल्लयुद्ध मे ही वो कालराक्षस को मार देने की बात वो सोच चुका था ,दोनो एक आखडे मे आ गए जो भुजंग ने अपनी माया से बना लिया था ,कालराक्षस 300 फिट का था तो विकट भी 280 फिट का एकदम तगडा राक्षस था ,उसने आखडे में आते ही कालराक्षस ओर आक्रमण कर दिया ,कालराक्षस भी चौकना था उसने विकट को अपने हाथों से पहले ही रोक लिया ,विकट और कालराक्षस दोनो एक दूसरे को अपने हाथों से पकड़ कर पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे थे ,दोनो किसी पहाड़ जैसे एक दूसरे के सामने खड़े थे ,विकट अपनी पूरी ताकद लगाकर कालराक्षस को पीछे ढकेल रहा था ,पर कालराक्षस को वो अपनी जगह से हिला भी नही पा रहा था ,दोनो का बदन पसीने से भीग गया था ,विकट लगातार अपनी कोशिश कर रहा था पर उसकी ताकद के सामने कालराक्षस मजबूती से खड़ा था ,मैदान के बाहर सबको यही लग रहा था कि विकट कालराक्षस से खेल रहा है पर भुजंग को छोड़कर कोई नही जानता था कि कालराक्षस ही विकट से खेल रहा है ,भुजंग को अपने बेटे के हाल से ज्यादा कालराक्षस की ताकद देख कर खुशी हो रही थी ,कालराक्षस ने विकट के हाथों को छोड़ कर एक ही पल में उसे जमीन से उठाकर नीचे पटक दिया ,विकट को उसने इतनी जोर से पटका था कि पुरी जमीन हिल गयी थी ,विकट के मुह से खुन निकल गया था ,उसकी कमर की हड्डि तक टूट गई थी ,इतने जोर से पटकने से वो बेहोश हो गया था ,कालराक्षस ने उसके पास जाकर उसे उठाने की बहुत कोशिश की पर वो नही उठा ,फिर कालराक्षस ने उसे अपनी गोद मे उठाकर आखडे से बाहर लेकर आया ,भुजंग ने अपनी माया से एक पलँग बना दिया ,जिसपर कालराक्षस ने विकट को सुला दिया ,भुजंग के सभी बेटे कालराक्षस की ताकद देख कर हैरान हो गए थे ,विकट जैसे महाबली को उसने किसी बच्चे की तरह हरा दिया था ,उन्हें कालराक्षस पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,अपने भाई के ऐसे हाल करने वाले को वो जिंदा नही छोड़ने वाले थे अब ,पर भुजंग के वजह से सब चुप थे ,भुजंग के यहा से जाते ही वो कालराक्षस को मार डालने की सोच चुके थे ,भुजंग ने कालराक्षस के कंधे पर एक हाथ रख दिया ,बहुत खूब कालराक्षस तुम सही में एक बलावान हो ,आज से तुम मेरे साथ ही रहा करोगे ,तुम आज से मेरे खास अंगरक्षक हो ,तुम्हे राक्षसलोक में कही भी जाने की आझादी होगी ,अगर किसी ने तुम्हारे नाखून को भी नुकसान पोहचने की सोची तो वो जिंदा नही बचेगा मेरे हाथों से ,यह आखरी बात उसने अपने बेटो की तरफ देख कर कही थी जिनके विचार वो जान गया था ,अपने मूर्ख बेटो के लिये वो ऐसे बलावान और स्वमिनिष्ठ को खोना नही चाहता था ,भुजंग के सब बेटो के गांण्ड के बाल जल गए थे भुजंग की बात सुनकर वो अब भुजंग का कुछ भी नही कर सकते थे ,अगर कालराक्षस को कुछ भी उन्होंने नुकसान किया तो भुजंग के कहर से वो बच नही पाते थे ,सब अपने गुस्से के वजह से लाल पीले हो रहे थे ,भुजंग ने कालराक्षस से कहा ,तुम्हारा बल तो देख लिया मेंनें अब बारी है तुम्हारे भाई की जरा देखे तो सही वो भी तुम्हारी तरह बलावान है कि नही शिवाय तुम्हे किस के साथ मलयुद्ध करना है ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटो की आंखे एकदम चमक उठी ,कालराक्षस नही उसके भाई को मारने का मौका उन्हें मिल सकता था पर कालराक्षस की बात से उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया ,कालराक्षस ने भुजंग से कहा ,महाराज आप शिवाय को लडने मत देना ,यह एक बार किसी के साथ लड़ना शुरू करता है तो वो सामने वाली की जान ही लेकर रहता है ,वो बहुत गुस्सेल है ,उसे अपने गुस्से में कुछ भी याद नही रहता ,वो अपने गुस्से में किसी राजकुमार की जान भी ले सकता है ,बाद में आप ही उसे मार देंगे उसकी हरकत से ,में आपसे विनतीं करता हु ,आप शिवाय को लड़ने के लिये मत कहिए ,कालराक्षस की बात सुनकर भुजंग तो समझ गया कि उसकी बात एकदम सही है ,पर उसके बेटो को यह बात बहुत लग गई थी ,वो अपने पिता की तरफ देखने लगे थे ,उन्हें चिन्ता होने लगी कि उनके पिता इस कालराक्षस कि बात मान न ले ,भुजंग के बेटो में से एक बोला ,डरो मत कालराक्षस हम वादा करते है अगर शिवाय के साथ मल्लयुद्ध में कोई मारा भी गया तो हम या हमारे पिता उसे कोई नुकसान नही करंगे और अगर शिवाय मलयुद्ध में मर गया तो भी तुम बुरा नही मानोगे ,
भुजंग को अपने बेटे की बात से बहुत ज्यादा क्रोध आ गया उसने उसके तरफ देखकर कहा ,कभी भी बात करने से पहले उसके परिणाम भी सोचने चाहिए ,तुमको शिवाय से लड़ने का बहुत ज्यादा शौक है ना ,तो ठीक है में वादा करता हु कालराक्षस शिवाय के हाथों कोई मर भी गया तो में उसे कुछ नहीं करूंगा ,पर शिवाय से कोई हार गया और शिवाय ने उसे नही मारा तो में खुद उसे मार दूँगा ,
भुजंग की बातों से सबको डर लगने लगा था ,पर शिवाय को मार देने का भुत उनके सर से नही उतरा था ,वो शिवाय की तरफ बहुत गुस्से से देख रहे थे ,शिवाय ने भी उसी राजकुमार को चुना जिसने भुजंग से बात की थी ,उसका नाम अशुभ था ,अपने नाम की तरह वो हमेशा बुरे कामो में माहिर था ,सबसे ज्यादा पापी और नीच वही था राक्षसलोक में ,उसके पापों की सजा देने ही शिवाय ने उसे चुना था ,अशुभ बहुत ज्यादा गुस्से में था ,वो बलावान के साथ बहुत ज्यादा बुद्धिशाली भी था ,उसे पता था कि शिवाय की अगर ताकद उससे ज्यादा निकली तो कैसे छल से इसे हराना है ,दोनो आखडे में उतर गए थे ,एक दूसरे की तरफ देख कर वो अंदाजा ले रहे थे ,जहा शिवाय के चेहरे पर मुस्कान थी तो अशुभ के चेहरे पर गुस्सा ,अशुभ ने शिवाय से कहा ,शिवाय तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है मुझे चुनकर ,में तुम्हे मारूंगा नही पर तुम्हे ऐसी जिंदगी दूँगा जो मौत से बद्दतर होगी ,
शिवाय ने उस हसकर कहा ,में भी तुम्हारा नाम अशुभ है ना उसे आज मिटा दूँगा ,मुझे तुम नही तुम्हारा नाम पसन्द नही आया ,इसीलिए मेंनें तुम्हे चुना है ,एक काम करो अपना नाम बदल लो आज से में तुम्हे नही मारूंगा फिर ,किसी दूसरे भाई से लड़ लूँगा ,तुम अपना नाम बदलकर यहा से भाग जाना फिर , शिवाय की बात से अशुभ और ज्यादा गुस्से में आ गया ,अशुभ की बात सबने सुन ली थी ,भुजंग का अखाड़ा ऐसी माया से बना था कि आखडे में लड़ने वाले कि बात सब आराम से सुन सकते थे ,पर शिवाय ने जो कहा था वो किसीने नही सुना था उसकी बजाए उन्हें यह सुनाई दिया कि शिवाय अशुभ से लड़ने से पहले माफी मांग रहा है ,शिवाय कह रहा था कि ,अगर वो यह मुकाबला जीत भी गया तो महाराज भुजंग को आपको मारने नही देगा ,वो महाराज के पैर पकड़ लेगा पर अशुभ को कुछ नही होने देगा ,शिवाय की बात सुनकर भुजंग को भी बहुत खुशी हुवीं की शिवाय भी कालराक्षस की तरह स्वामी निष्ठ है ,पर उसे क्या पता शिवाय कैसी चीज थी ,आज वो अशुभ को सबके सामने बहुत बुरी मौत मारने वाला था ,और अपनी ताकद के साथ सबके मन मे अपना डर बिठाने वाला था ,उसने कालराक्षस को पहले ही समझा दिया था कि क्या करना है ,वो दोनो एक दुसरे के मन मे बात कर रहे थे ,शिवाय के अंदर का ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में समा गया था ,यह बात शिवाय को भी पता थी और कालराक्षस को भी ,सीधा ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में नही समा सकता था ,क्योकि वो एक पूर्ण राक्षस अंश का था इसलियें पहले वो शिवाय जो एक शिव अंश था उसमे समाया और फिर शिवाय के शरीर से निकल कर कालराक्षस में समा गया था ,अगर सीधा वो कालराक्षस में समा जाते तो कालराक्षस की मौत हो सकती थी ,शिवाय ऐसा था जिसमे ब्रम्हा ,विष्णु और महेश तीनो के अंश थे ,उसमे शिवा से भी बहुत ज्यादा ताकद और शक्तिया थी ,दुनिया का यह पहला व्यक्ति था शिवाय जिसमे तीनो के अंश थे ,शिवा भी जितना खास नही था उतना शिवाय खास बन गया था ,इसके पीछे वजह थी भगवान विष्णु की सोच ,जब त्रिदेवो को भुजंग के तीसरे वरदान का पता चला सबसे ज्यादा क्रोधित भगवान विष्णु ही हो गए थे ,और भुजंग ने उनसे वरदान मांगा की आज के बाद वो किसी को कोई वरदान या शक्ति नही देंगे ,तब उन्होंने उनका सबसे शक्तिशाली अंश शिवाय के लिये बना कर शिवाय में समा दिया था ,भगवान विष्णु का बस चलता तो वो भुजंग को ही मारने से नही चूकते थे ,पर उनके हाथ भुजंग की तपसाधना से बंधे हुवे थे ,पर भगवान विष्णु किसी नीच और पापी को कभी नही छोड़ते थे ,उनकी दूर की सोच और बुद्धिमानी से हर कोई परिचित था ,भुजंग को भी सबक सिखाने के लिये उन्होंने ऐसी चाल चली थी भुजंग उसीके बनाये जाल में फंसकर मरने वाला था ,जो खेल शिवजी का था उसमे विष्णुजी भी अब खेलने वाले थे ,कपट का जवाब कपट से और छल का जवाब छल से देंना कोई उनसे ही सिख सकता था ,और भुजंग के सामने वो खुद एक अंश बनकर शिवाय के रूप में खड़े थे ,जो उनका बहुत ज्यादा प्रिय और पसन्द का था पहले से ,शिवाय की तरफ एक तेज चीख के साथ अशुभ ने छलाँग लगा दी ,शिवाय को जमीन पर गिराकर वो उसकी छाती पर बैठ गया और शिवाय के चेहरे पर अपने तेज मुक्कों की बरसात करने लगा ,शिवाय को अशुभ किसी कुते की तरह मार रहा था ,अपने लात और गुस्से से उसने शिवाय को लहूलुहान कर दिया था ,शिवाय को पटक पटक के अशुभ मार रहा था ,शिवाय भी उसका मार झेल रहा था ,अशुभ गुस्से से पागल हो गया था ,वो मल्लयुद्ध को कबसे छोड़कर शिवा पर अपनी तलवार से वार करने लगा था ,यह गलत होता देखकर भुजंग को कालराक्षस ने कहा ,महाराज आप राजकुमार् को रोक दीजिये ,यह मल्लयुद्ध नही हो रहा है ,शिवाय के हाथ मे कोई शस्र नही है और राजकुमार तलवार से उसे मार रहे है ,
भुजंग कितना भी अच्छा बनने का नाटक करे पर था तो वो अंदर से नीच ही ,उसने कालराक्षस से कहा ,नही अब यह मुकाबला किसी की जान जाने के बाद ही रुकने वाला है ,अगर शिवाय के हाथ मे तलवार होती और अशुभ निहत्था तो भी हम यह मुकाबला नही रोकते ,जब तक दोनो में से कोई मर नही जाता यह मुकाबला नही रुकने वाला ,तुम ही कहते थे ना शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,जरा हम भी तो देखे तुम्हारे भाई का गुस्सा ,कबसे अशुभ की मार खा रहा है वो ,मुझे नही लगता अशुभ उसे जिंदा छोड़ेगा ,ही ही ही
शिवाय तो कबसे इसी बात का इंतजार था कि कब भुजंग का असली रूप सामने आए, शिवाय भुजंग के सामने ही उसके बेटे को मारने वाला था आज ,कबसे वो अशुभ की मार इसलिये खा रहा था ताकि उसे मारते वक्क्त किसी को यह नही लगे कि जानबूझकर शिवाय ने अशुभ को मारा हो ,सबको वो यही दिखाने वाला था कि अशुभ को अपनी जान बचाने के लिये ही मारना पड़ा उसको ,जैसे ही अशुभ ने अपनी तलवार का एक वार शिवाय पर किया तो शिवाय उसके वार से खुद को बचा लिया ,अशुभ ने शिवाय के बदन पर बहुत से वार किए थे ,पर यह पहला मौका था जब शिवाय खुद को बचा सका हो ,शिवाय अशुभ के वार से बचकर उसे एक तेज मुक्का मार दिया जो सीधा अशुभ के चेहरे पर लग गया ,अब शिवाय ने अशुभ को धोना शुरू कर दिया ,वो अशुभ के हर वार से बच कर उसे धोने लगा था ,उसने अशुभ का चेहरा पूरा खुन से लाल कर दिया था ,अशुभ के मुह से हर एक दांत उसने तोड़ दिया था अपने मुक्कों से ,अशुभ के हाथ से शिवाय ने उसकी तलवार छीन ली थी और उसी तलवार से अशुभ के दोनो हाथ एक पल में काट दिए थे ,कालराक्षस यह देख कर तेजीसी आखडे की तरफ लपक गया पर उसके आने से पहले ही शिवाय ने अशुभ के दोनो पैर काट दिए और उसके सिर को भी एक वार में काट दिया था ,अशुभ का सिर जाकर सीधा भुजंग के पैर में गिर गया था ,भुजंग सहित सभी यह देख कर भौचक्के हो गए थे ,उनके सामने ही अशुभ को शिवाय ने किसी गाजर मूली की तरह काट दिया था ,और वो कुछ भी नहीं कर सके थे ,उन सबका ध्यान कालराक्षस की आवाज से टूटा था ,जो शिवाय को आखडे में मार रहा था ,उसे रोकने सबसे पहले भोकाल ही आगे बढ गया ,उसने कालराक्षस को पकड़ कर शिवाय से दूर कर दिया और शिवाय के सामने खड़े होकर बहुत ही क्रोध से बोला ,कालराक्षस तुम भूलो मत तुम कहा खड़े हो ,मेरे पिता ने वचन दिया था कि शिवाय जीतेगा और किसी को मार भी देगा तो वो कुछ नही कहंगे ,तुम भले ही मेरे पिता के अंगरक्षक बन गए हो ,पर मेरे पिता की बात के खिलाफ तुम गये ,तो तुम्हे में ही मार दूँगा ,
भोकाल की बात सुनकर कालराक्षस बोला ,माफ कर दे राजकुमार पर आप इस नीच को मत बचाइए इसने अपने गुस्से में हमारे राजकुमार को मार दिया है ,यह अपने गुस्से में अपने मालिक को कैसे भूल सकता है ,
भोकाल ,उसे मेरे भाई अशुभ ने कितना मारा यह तुमने नही देखा ,अगर वो अशुभ भाई को नही मारता तो उसका मरना तय था ,हमारा भाई अशुभ और शिवाय में मुकाबला किसी के मरने के बाद ही खत्म होना था ,मेरे पिता ने भी यही कहा था ,उनकी बात हमारे लिये जान से बढ़कर होती है ,तुमने आज के बाद शिवाय को हाथ भी लगाया तो में तुम्हे जान से मार दूँगा ,
भोकाल की बातों से भुजंग भी कुछ नही कर सकता था ,उसे मजबूरन अपना गुस्सा पीना पड़ा ,अपने ही बेटे को मारने वाले को वो कुछ नही कर सकता था ,भोकाल अगर बीच मे नही आता तो भुजंग अपनी बातों को भूल पर शिवाय को जान से मार देता था ,पर भोकाल की बातों से भुजंग भी शांत हो गया ,उसने कहा ,कालराक्षस हम बहादुरी की कद्र करते है ,तुमने पहले ही कहा था कि शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,हमने ही तुम्हारी बात नही मानी ,शिवाय को गलत भी नही कहा जा सकता ,उसने बस अपनी जान बचाने के लिये ही अशुभ को मारा है ,भोकाल अपने बड़े भाई के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी तुम्हारी है ,यह मुकाबला यही खत्म हुवा ,कालराक्षस और शिवाय तुम दोनो मेरे साथ आओ मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है ,भुजंग दोनो को लेकर राक्षसलोक में कही चला गया ,पीछे उसके सभी बेटे अपने भाई की मौत से बहुत ज्यादा गुस्से में आ गए थे ,सबने सोच लिया था कालराक्षस बिचारा अच्छा है पर इस शिवाय को जिंदा छोड़ना बहुत बड़ी भूल होगी ,इसे मारने पर पिताजी भी कुछ नही कहने वाले ,कालराक्षस ही उनका चहेता है ,शिवाय के मरने पर उन्हें खुशी ही मिलेगी ,
भुजंग उन दोनो को लेकर अपने खास महल में आ गया ,रानी महल में वो नही गया था ,वो उन दोनों को लेकर अपने एक अलग ही महल में आया था ,जिसके बारे में उसके सिवा किसी को नही पता था ,भुजंग उन दोनों को एक कमरे में लेकर आया ,दोनो को बिठाकर वो महल के अन्दर चला गया कुछ देर बाद उसके साथ दो बहुत ही बूढ़े राक्षस आ गए ,भुजंग ने उनसे कहा आप मे से एक इसका इलाज कीजिये और दूसरा विकट के महल में चला जाये ,उसे भी चोट लगी है ,भुजंग की बात सुनकर एक राक्षस वहां से चला गया और दूसरे राक्षस ने शिवाय के शरीर के सारे जख्म कुछ ही पल में ठीक कर दिए अपने पास की दवाइयों से ,फिर भुजंग से विदा लेकर वो भी चला गया ,भुजंग ने कहा ,यह दोनो भाई हमारे राजवैद्य है ,यह हजारो साल के है ,महाराज रावण से भी इनकी उम्र ज्यादा है ,यह दोनो 70 हजार साल से भी ज्यादा उम्र के है ,अपनी तपसाधना और अनुभव से बहुत ज्ञानी बन गए है ,यह सिर्फ़ किसी मरे हुवे को ठीक नही कर सकते ,बाकी हर बीमारी और जख्म को यह पल भर में ठीक कर सकते है ,यह मेरा सबसे खास महल है जिसके बारे में मेरे सिवा कोई नही जानता राक्षसलोक में ,मेरे बेटे और रानीमहल से भी कोई नही इसके बारे में जानने वाला ,यह महल मेंनें राक्षसलोक के नीचे बनाया है ,इसमे सिर्फ में जिसे चाहूं वही यहा आ सकता है ,मेंनें 1000 साल की तपसाधना करके त्रिदेवियों से यह महल बनवाया है ,इसकी माया कोई नही तोड़ सकता ,खुद त्रिदेव भी इस माया को नही तोड़ सकते ,मेरे इस महल में क्या होता है ,यहा में क्या करता हु कोई नही जान सकता ,ना त्रिदेव ना त्रिदेविया ,इस महल में मेरी बहुत सी ऐसी ताकद और शक्तिया है जिसके बारे में कोई नही जान सकता ,तुम दोनो को में यहा में किस लिये लाया हूं यही तुम सोच रहे हो ना ,हां हा हा ,डरो मत इस महल में किसी के भी मन की बात में सुन सकता हु भले ही वो कोई भी हो ,तुम दोनो के मन को में बाहर भी पढ सकता हु ,मेंनें तुम्हारे मन की हर एक बात जान ली थी ,तुम्हारे बारे में इस महल में आने के बाद मुझे सब पता चल गया है ,तुम दोनो खुद को कोई आम राक्षस समझ रहे होंगे आज तक ,पर तुम दोनो रावण के वंश से हो ,जो कि बहुत बडी बात है राक्षसलोक में ,हमारे राक्षसलोक में मेरे वंश के अलावा तुम दोनो ही रावण के वंश से हो ,में भी तुम दोनो की ताकद से पहले हैरान था कि आम राक्षस में इतनी ताकद और शक्ति कैसे हो सकती है ,पर इस महल में आकर मेरी सभी शंका दूर हो गई है ,अगर तुम दोनो कोई बहरूपिये होते तो तुम्हारा असली स्वरुप यह महल तुरंत दिखा कर बन्दी कर लेता ,पर तुम दोनो में असली राक्षस के अंश है ,और इस महल में जिसके अंदर राक्षस का अंश हो वही टिक सकता है ,मुझे इस बात की बहुत खुशी हुवीं की तुम दोनो असली रावण के वंश से हो ,में तुम्हे आज अपनी बेटियों से मिलाना चाहता हु ,इनके बारे में कोई भी नही जानता ,यह दोनो मेरी तपसाधना के वजह से पैदा हुवीं है ,यह दोनो भी दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुवीं है ,इनके सामने राक्षसलोक में कोई नही टिक सकता में भी इनके सामने कुछ नही हु,इनकी आज तक।शादी नही हुवीं है ,अगर उन दोनों को तुम दोनो में से कोई पसन्द आ गया तो में उनकी शादी उनके पसन्द से करवा दूँगा ,में तो चाहता हु की कालराक्षस से ही दोनो की शादी हो ,तुम बहुत ही अच्छे और भले लगे हो मुझे ,शिवाय का गुस्सा मुझे पसन्द नही है ,पर असली राक्षश की पहचान ही उसका गुस्सा होती है ,तुमने मेरे सामने मेरे बेटे को मार कर अपना गुस्सा दिखाया है ,में चाहता तो तुम्हे मार भी सकता था पर में एक बात से पीछे हट गया ,जो थी मेरी बेटिया वो दोनो भी बहुत गुस्से वाली है ,उनके लिये तुम भी सही हो ,पर दो गुस्से वाले कभी एक नही हो सकते ऐसा में मानता हूं ,देखते है तुम दोनो में से उन्हें कोई पसन्द आता है या नही ,उन दोनों को मेंनें आज तक बहुत से राक्षस वीर को दिखाया था पर उन्हें कोई पसन्द नही आया ,उनके नापसंद करने के बाद मेंनें उन सबको मार दिया था ,अबतक मे ऐसे 16हजार से ज्यादा राक्षसविरो को मार चुका हूं ,अगर उन दोनों ने तुम्हे नापसंद कर दिया तो वो जिसे नापसंद करेगी में उसे मार दूँगा ,
भुजंग के बाद खत्म होने के बाद दो बहुत ही बड़ी और सूंदर राक्षस कन्या वहां पर आ गयी ,वो भी भुजंग ,कालराक्षस और शिवाय की तरह 300 फिट की थी ,एकदम तगड़ी राक्षस कन्या होकर भी वो गजब की सुंदर थी ,दोनो ने आकर अपने पिता को नमन किया ,भुजंग उन दोनों से कहा ,बेटी गजाली और सुहाली यह दोनो भी हमारे राक्षसलोक के है ,भोकाल के साथ यह दोनो हजार साल से पाताल में रहते थे ,मेंनें इन्हें आज तुम्हे दिखाने लाया हूं ,दोनो भी रावण वंश के है और बहुत ही शक्तिशाली और ताक़दवर हे ,विकट और अशुभ को इन्होंने आसानी से हरा दिया ,खास कर इस शिवाय ने तो अशुभ की गर्दन ही काटकर उसे मार दिया ,इतना सुनकर दोनो एकदम गुस्से से पागल हो गयी ,अपने कमर पर लटकी तलवार निकाल कर वो शिवा को मारने ही वाली थी कि ,भुजंग बोला ,रको बेटी ,इन्हें मारो मत मेरे सामने ही यह मुकाबला हुवा था ,मेंनें ही ऐसा मुकाबला लगाया था कि किसी एक को मरना ही था ,इसने जानबूझकर नही मारा अशुभ को ,कालराक्षस और शिवाय दोनो एक दुसरे की तरफ देख रहे थे ,
कालराक्षस मन मे बोला ,मुझे लगता है यह भुजंग आज ही मरने वाला है ,यह दोनो हम दोनो को पसन्द करने से रही ,और भुजंग की औकात नही है हमे मारने की ,यह महल तुझे क्यो नही मिला था अभीतक ,तुझे इस महल के बारे में नही पता था ,
शिवाय ,नही भाई मुझे इस महल के बारे में कुछ भी नही पता ,तूने सुना नही भुजंग ने क्या कहा था कि त्रिदेवियों ने इस महल को बनाया है ,जहा त्रिदेव इस महल को नही जान सके आज तक तो हम कैसे जान लेते ,हम तो उनके सिर्फ एक अंश तो है
कालराक्षस ,इस भुजंग ने इस महल में हमे मार दिया तो हम इसका कुछ नही कर पाएंगे ,हमारी कोई भी ताकद यहा काम नही करेगी ,सिर्फ हम मन मे ही बात कर सकते है इस महल में ,अगर हम दोनो में ब्रह्मा और विष्णु जी के अंश नही होते तो हम दोनो मन मे भी बात नही कर पाते और पकड़े भी जाते ,
शिवाय ,इसमे एक बात गलत है ,हम दोनो में राक्षस के अंश होने से हम पकड़े नही गये और दूसरी बात एकदम सही है कि हम दोनो में मोजूद ब्रम्हा और विष्णु जी के अंश होने से यहा हम दोनो मन मे किसी के सुनाए दिए बिना बात कर सकते है ,
कालराक्षस ,लगता है यह गजाली और सुहाली हम दोनो को मार न दे नापसंद कर के ,
गजाली ,पिताजी हम चाहते है कि हम दोनो जरा इनका दम देख ले ,हम भी तो देखे हमारे भाइयो को मारने वाला कितना पानी मे है
सुहाली ,हा पिताजी आप सही कह रहे है ,आप से हम दोनो बहुत नाराज है ,आपने तपसाधना में जाने से पहले हमारा यहा से बाहर जाना बंद कर दिया था ,आपको पता है कोई असुर और एक राक्षस की पतीं पत्नी है जिन्होंने पूरे राक्षसलोक में बहुत मार काट की है ,हमारे अरबो राक्षस को उन्होंने मार दिया है ,हम अपने जादुई दर्पण में उनकी शक्कल तो नही देख पाए पर हमने एक काम कर दिया था ,लामन को हमने महल से बाहर निकाल दिया था ,वो जल्द ही उनका पता लगा लेगा ,हम दोनो अपने हाथों से उसे मारने वाले है ,में तो बस लामन का ही इंतजार कर रही हु,वो कहा रह गया यह समझ नही आ रहा है ,उसे अबतक तो आ जाना चाहिये था ,
कालराक्षस ने शिवाय के मन मे कहा ,भाई अब यह लामन कौन है ,तू जानता है क्या उसके बारे में ,
शिवाय ,अरे भाई पहले नही जानता था ,पर जब मेरे अंदर विष्णु जी का अंश आ गया था तब मेंनें उसे देख लिया था ,भाई बहुत खतरनाक चीज़ है यह लामन ,पता नही कहा से लाया है साला यह लामन को भुजंग ,मेरे ख्याल से इसने अपने किसी तपसाधना से ही उसे हासिल किया होगा त्रिदेवियों से ,
कालराक्षस ,पर वो है क्या चीज और अब कहा है वो
शिवाय हसकर बोला ,वो लामन अब मेरे अंदर ही है ,उसे मेंनें तू जहा रहता था वहां से बन्दी बना लिया था ,अगर मेरे अंदर उस वक्क्त त्रिदेवो के तीनों अंश नही होते तो में भी इसके हाथो मारा जाता ,यह लामन सिर्फ त्रिदेव और त्रिदेवियों के ही वश में आ सकता था ,मेंनें बड़ी मुश्किल से इसे बन्दी।बनाया था ,यह महल में आकर और ज्यादा ताक़दवर हो गया है ,में इसे काबू करने की कबसे कोशिश कर रहा हु पर पता नही यह कबतक मेरे काबू में रहेगा ,
कालराक्षस ,अरे पर है क्या यह लामन यह तो बता मेरे बाप ,कबसे उसके बारे में बता कर मुझे भी डरा रहा है ,पहले यह दोनो राक्षस कन्या कम थी जो तू लामन की बाते बता रहा है ,
शिवाय ,भाई यह लामन ही नही इसकी बीवी लामनी और इसकी दो बेटियां भी इस महल में है ,यह मुझे यही बात बता रहा है ,वो तीनो इससे भी खतरनाक और शक्तिशाली है ,उन तीनों को इस लामन कि कबसे ख़ुश्बू आ रही है ,जब वो तीनो इसे धुंडने यहा पर आएगी तो यह अपने आप मेरे कैद से छूट जाएगा ,
कालराक्षस ,अरे पर यह तो बता यह लामन कौन है ,और उसकी बीवी और बेटिया कौन है ,बाकी कुछ भी मत बोल ,
शिवाय ,एक काम कर एक अपडेट और रुक जा ,उसके बाद तुझे सब पता चल जाएगा ।
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