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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Raj

Well-Known Member
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Update 105
शिवा की नींद अपने लन्ड पर हिलते पायल की धक्कों से खुल गई ,शिवा के लन्ड पर पायल न जाने कबसे उछलकूद कर रही थी ,उसके चुत के पानी से शिवा की जांघे तक गीली हो गयी थी ,पायल ने शिवा की आंखे खुली देखकर कहा ,लगता है आपका लन्ड भी आपकी तरह सो रहा था ,जाने कबसे उसको अपना माल निकलाने पर लगी हुवीं हु ,पर वो मान ही नही रहा 10 बार अपना पानी छोड़ चुकी हूं में इसकी वजह से ,पायल की इस प्यारी शिकायत को सुनकर शिवाने उसे पलट दिया ,और खुद पायल की चुत में जबरदस्त धक्के लगाने लगा ,उसकी चुत को कुछ ही देरमे अपनी गर्म मलाई से भरकर उसके होठो को चूमकर कहा ,अब खुश हो ना पायल ,हो गई तुम्हारी मन की मुराद पूरी ,पायल ने अपनी आंखें खोल कर शरारत से कहा ,नही अभी पीछे वाली भी मांग रही है ,थोड़ा उसपे भी रहम कर दीजिए ,बाद में अपने पेट को में खुद भर लुंगी ,पायल बहुत ही ज्यादा गर्म करने लगी थी शिवा को अपनी बातों से ,शिवा से इस कदर चुदने वाली वो पहली लड़की थी ,जो बेझिझक अपनी बातें कह देती थी ,शिवाने उसकी बात मानकर तबियत से उसकी गांण्ड को बजाया और उसे भी अपने माल से लभालब कर दिया ,पायल में जलतत्व की ताकद आ जाने से वो शिवा का माल चुत में हो या गांण्ड में बहुत जल्दी सोख लेती थी ,शिवाने पायल की 120 दिन तक चुदाई की समयमनी ,उसके चुत और गांण्ड को अपने माल से भरता ही रहा था वो दिन रात ,पायल ने सैकड़ो बार उसका माल अपने मुह से चूसकर पेट भर के पी लिया था ,जलतत्व की शक्ति आने से और शिवा के हलबी लन्ड से 120 दिन लगातार चुदने से नाजुक सी पायल एकदम बदल गई थी ,जहा उसकी फीगर 34 28 36 की थी वो किसी गदराई औरत की तरह 40 28 42 की हो गयी थी ,शिवा का माल पीकर तो उसका पूरा बदन चमकने लग गया था ,उसकी प्यास को बुझाकर शिवाने उसे समयमनी से बाहर लेकर आ गया ,पायल अपने कपड़े पहनने लगी तो उसकी पैंटी और ब्रा उसे बहुत छोटी होने लगी थी ,उसने शिवा की तरफ देखकर कहा ,अपनी शादी का तो में छिपा लुंगी पर इन दोनों का क्या बोलूंगी ,यह इतने बढ गये है कि सब समझ जाएंगे ,अपनी गांण्ड और चुचिया शिवा को दिखाकर पायल झूठे गुस्से से बोलने लगी थी ,शिवाने उसे नंगी ही अपने बाहो में भरकर उसके गांण्ड को दोनो हाथो से दबाकर कहा ,थोड़े दिन रुक जाओ ,तुम्हारे खानदान में सबसे बड़ी चुचिया और गांण्ड कि मालकिन तुम ही बनने वाली हो ,अभी तो शुरूआत हुवीं है थोड़ा और इंतजार कर लो ,में इन दोनों को 50 का बनाने वाला हु ,
पायल हसकर ,नही अभी यह नही बढ़ने वाले ,बस तुमसे एक दो बच्चे पैदा करने के बाद थोड़े बड़े हो सकते है 2 इंच पर अब जिंदगी भर में ऐसी दिखने वाली हु,
शिवा उसके होठो को चूमकर ,तुमको मुझपर यकीन नही है जो ऐसा बोल रही हो ,मुझे तो पूरा यकिन है यह बढ़ने वाले है मेरी ठुकाई से ,
पायल उसके होठों को बहुत देर तक चूसकर बोली ,मुझे भी पता है आप मानेंगे नही और ना आपका यह मूसल मानने वाला है ,जितना मन करे उतना बड़ा कर दो इन दोनों को ,वैसे भी अब यह मेरे नही तुम्हारे गुलाम हो चुके है ,
शिवा के साथ पायल बहुत देर तक बात करती रही ,उसे अपने जलतत्व की शक्ति का पूरा ज्ञान हो गया था ,उसका इस्तेमाल करने का तरीका भी उसे पता चल गया था ,शिवा के अंदर भी अब जल शक्ति का संचार हो चुका था ,शिवा ने उसे माही और फ़ातिमा के बारे में बता दिया कि उन दोनों से उसे अग्नितत्व की शक्ति मिल गई है ,पायल यह सुनकर बहुत खुश हो गईं,उसने उन दोनों से मिलने की जिद की तो पायल को लेकर शिवा सीधा माही और फ़ातिमा के कमरे में पहुच गया ,जो शिवा के बारे में बात कर रही थी ,अपने सामने शिवा और पायल को देखकर दोनो समज गई कि शिवा ने पायल को अपना बना लिया है ,तीनो एक दुसरे के गले लगकर बहुत खुशी से चहकने लगी ,शिवा ने नेत्रा को भी बुला लिया था ,नेत्रा को देख कर पायल हैरत से उसे देखने लगी ,तो नेत्रा ने उसे बता दिया कि शिवा और काल एक ही है ,और बाकी 4 तत्व की लड़कियां उनकी बहन है ,यह सुनकर पायल और ज्यादा खुश हो गयी ,उसने शिवा से कहा ,आप ने पूजा और मोना को भी पटा लो हम सभी बहने आपको मिलकर बहुत खुश रखेंगे ,शिवा पायल के बात से सकपका गया और हसकर बात को टालने के लिये बोला में थोड़ा काम से बाहर जा रहा हु ,तुम्हे जब घर जाना हो नेत्रा को बोल देना वो तुम्हे घर छोड़ देगी ,माही और फ़ातिमा की चुत की आग और तीन दिन तक शांत रहने वाली थी ,उसके बाद उन दोनों को भी रोज तगड़ी चुदाई की जरूरत पड़ने वाली थी ,पायल की आग कभी नही बुझने वाली थी ,उसे रोज चुदाई की जरूरत पड़ने वाली थी ,हर तत्व की बात अलग थी ,शिवा जितना जल्दी हो सके सभी ताकद को हासिल करने में लगा हुवा था ,उसने नेत्रा को मन मे बोल दिया कि शाम के पाँच बजे वो बलिलोक जाने वाले है ,साथ मे हिमांनी ,कामिनी और शिवानी को भी लेकर जाना है ,आज वो हिमांनी से शादी करने वाला था ,शिवा ने जब पायल को उन तीनों के साथ छोड़कर बाहर आया तब 3 बज रहे थे ,उसने ज्वाला ,सुनीता को समयमनी में 10 दिन तक अपने बड़े लन्ड से मजे दिए ,उसके बाद निता को 30 दिन तक लगातार समयमनी में चोदता रहा ,10 दिन सीमा को समयमनी में चोदकर शिवा एक घण्टे में सर्पलोक जाकर मंदा से मिलकर आ गया ,5 बजे शिवा नेत्रा के साथ बाकी तीनो को लेकर बलिलोक पहुच गया ,वहां पर उसने हिमांनी से शादी कर ली ,शिवा की शादी होने के बाद नेत्रा ,केतकी और शिवानी वापस घर लौट गए ,एक तो बलिलोक में धरती के मुकाबले समय बहुत धीमा होता था ,यहा के 30 दिन यानी धरती का एक घण्टा होता था ,हिमांनी को शिवा आज अपना पूरा वक्क्त देना चाहता था ,हिमांनी से शिवा की ज्यादा बातचीत भी नही होती थी ,लेकिन आज वो शिवा की पत्नी बन चुकी थी ,और शिवा उसे पूरी तरह से अपना बना लेने वाला था ,उसकी ताकद के साथ वो उसकी आत्मा को भी अपना बनाने वाला था ,हिमांनी के सामने ही उसने समयमनी को निकाल कर उसके अंदर दोनो को लेकर आया ,समयमनी के बारे में हिमांनी को बताते हुवे शिवा ने उसे एक बहुत ही सुंदर सी सुहाग की सेज पर बिठा दिया ,हिमांनी बस शिवा की तरफ देख रही थी एकटक ,वो शिवा की बाते सुनती रही बिनाबोले ,शिवा ने हिमांनी के पास बैठकर उसे पूछा, क्या बात है हिमांनी तुम इतनी चुप क्यों हो ,क्या कोई बात से तुम नाराज हो ,कही मुझसे शादी तुमने किसी दबाव में तो नहीं की है ना ,बोलो हिमांनी क्या बात है ,
हिमांनी एकदम शिवा के गले लग कर रोने लगी ,शिवा ने भी उसे रोने दिया ,जब तक वो रोती रही शिवा बस उसकी पीठ को सहलाता रहा बिना कुछ कहे ,हिमांनी का रोना कम होने के बाद शिवा ने उसके आसु भरे चेहरे को बड़े प्यार से पोछ लिया और उसे पीने के लिये पानी दे दिया ,हिमांनी ने वो पानी पीकर फिर शिवा के गले लगकर उसके बाहो में खुद को कसकर पकड़ के बैठ गयी ,मानो वो छोड़ देगी तो शिवा कही भाग न जाये उसे छोड़कर ,शिवा ने उसके सर को बड़े प्यार से सहलाकर कहा ,हिमांनी क्या बात है ,क्या हुवा है तुमको
हिमांनी ,आपसे प्यार हो गया है और में अपने प्यार की बाहो में आकर खुशी महसुस कर रही हु ,मेरी किस्मत में आप जैसा पतीं होगा इस बात का मुझे अभी तक यकीन नही हो रहा है ,
शिवा हसकर ,मेरी कितनी पत्निया है यह तुम जानती हो फिर भी मुझसे शादी करके खुश हो
हिमांनी ,आप खुद की कीमत क्या है यह नही जानते ,आप जैसे इंसान की पत्नी बनना तो भाग्य की बात है ,आप से विवाह करने वाली और आपके साथ रहने वाली हर लड़की भाग्यशाली है ,आप से मिलकर ही में जान पायी की असली मर्द कैसा होता है ,आपसे मिलने से पहले मेंनें सिर्फ वहशी जानवर ही देखे है ,जो अपनी सगी बेटी के लिये भी गलत विचार रखते थे ,भले कुछ प्रजाति में अपनी बेटी से विवाह होता है ,पर हमारे सर्पलोक में ऐसा पाप माना जाता है ,मेरा पिता खुद मेरी शक्ति पाने के लिये मुझसे शादी करने की इच्छा रखता था ,मेंनें पहली बार तुम्हे देखा था तब तुम नेत्रा को छोड़कर चले गए थे ,मुझे यकीन नही था कि तुम विषलोक में कभी वापिस आओगे ,पर तुम वापिस आये ऐसा काम करके जो कोई सोच भी नही सकता ,महानाग बनकर तुमने नेत्रा को ही नही मुझे भी बचा लिया ,तुम कभी खुद की पर्वा नही करते ,दूसरे के दुख दूर करने के लिये तुम एक पल में अपनी जान की बाजी लगा देते हो ,धरती पर आकर तुम्हारे एक एक कारनामे मेंनें अपने नजरो से देखे है ,जो इंसान बस दूसरे को खुशी देना जानता हो ,ऐसा मेरा पति बना है ,तो सोचो में कितनी भाग्यशाली हु ,तुमसे मुंबई के घर मे मौजूद हर लड़की प्यार करती है ,सब तुमपर अपनी जान एक पल में लुटाने को तैयार है ,पर तुम सिर्फ सबकी जिंदगी सवार रहे हो ,इतनी ताकद ,इतनी अद्भुत शक्तिया पाकर भी कभी तुमने उसका इस्तेमाल खुद के भले के लिये नही किया ,शिवाय ने तुम्हारे कहने पर एक दिन में दुनियाभर की दौलत जमा कर ली पर उसका एक पैसा तुमने नही रखा ,सब पैसा गरीबो के लिये खर्च कर रहे हो ,ना पैसे की भूक ,ना दौलत की चाह ,ना औरत के जिस्म की भूख ,आखिर तुम हो कौन ,जो थोड़ा भी मतलबी नही है ,कभी खुद के बारे में सोचा है तुमने ,कभी अपने दिल पर हाथ रख कर पूछा है अपने दिल से क्या चाहता है वो ,कभी खुद के लिये भी जीना नही चाहोगे ,तुम हम सबसे शादी करके हमारी तकलीफ़ खुद के सिर लेकर दुनिया भर से लड़ते हो ,कभी आज तक चैन की नींद भी सोये हो ,नही ,कभी नही ,में तुम्हारी पत्नी बनकर तुम्हारे सुख की नही दुख की भी भागीदार बनना चाहती हु ,
शिवा हिमांनी की बातों से यह समज गया था की हिमांनी उसे दिल से पसन्द करती है ,उसके दिल मे अपनी जगह देख कर शिवा ने उससे कहा ,हिमांनी बहुत सी बातें ऐसी है ,जो में तुम्हे नही बता सकता ,मेरे भी कुछ राज है जो शायद मेंनें सभी से छिपा कर रखे है ,में इतना भी अच्छा और भला नही हु,मुझमे भी बुराइयां है ,बहुत सी कमियां मुझमे भी है जो में दूर करने की हमेशा कोशिश करता हु ,बस में तुम्हे भी जब तक जिंदा हु हमेशा खुश रखने की पूरी कोशिश करूंगा ,तुम्हे कोई तकलीफ ना हो इस बात का में हमेशा ख्याल रखा करूँगा ,
हिमांनी शिवा के आंखों में देखकर बहुत प्यार से कहा ,आप की बनना तो मेरा सपना था जो आज पूरा हो गया है ,बस जिंदगी भर आपके साथ रहू यही में चाहती हु ,
हिमांनी एक नीली नागिन थी जो दुनिया की एकमात्र नागिन थी ,उसके बारे में कोई भी नही जानता था ,ना उसकी शक्तियो के बारे में ,बस एक बात सबको यही पता थी कि हिमांनी में बहुत सी दिव्य शक्तिया है जो उसके शादी के बाद उसके पति और उसे मिलने वाली है ,उसका पति महानाग होगा यह उसके जन्म के वक्त ही तय हो गया था ,या महानाग की पत्नी बनने ही उसने जन्म लिया था ,पर उसके जन्म के हजारो साल बाद महानाग का जन्म हुवा था ,कुदरत का खेल भी बड़ा निराला था ,शिवा की बहुत सी पत्निया उससे पैदा होने से पहले ही जन्म ले चुकी थी ,कुछ का निर्माण उसके लिए हुवा था तो कुछ उसके किस्मत से उसे मिल गई थी ,हर एक पत्नी ने उसे नई ताकद ही दी थी ,हिमांनी तो सबसे अलग थी ,उसकी ताकद और शक्तिया एक रहस्य थी ,शिवा को भी कुछ पता नही था कि उसे हिमांनी से शादी करके कौनसी ताकद मिलने वाली है ,हिमांनी शिवा के घर मे रहकर शिवा के सब कारनामे देख चुकी थी ,उसके मन मे शिवा के लिये एक सन्मान था ,शिवा ने हिमांनी के चेहरे को अपने दोनो हाथो में पकड़कर उसके नरम ग़ुलाबी ओठो को बड़े प्यार से चूमने लगा ,हिमांनी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी ,वो दुनिया की एकमात्र निलनागिन होने से उसकी सब बातें निराली ही थी ,आज शिवा से मिलन करते वक्त वो अपने असली रूप में आ गयी थी ,पूरे नीले बदन की हिमांनी के बदन की चमक उसे बहुत ज्यादा खूबसूरत बना रही थी ,उसके सिर्फ होठ ही गुलाबी थे ,बाकी सारा बदन नीला था ,उसके दांत तक नीले रंग के थे ,उसके बालो का रंग भी एकदम नीला ही था ,शिवा इस अद्भुत हसीना को देख रहा था ,40 30 44 की उसकी गजब की फीगर ,7 फिट के आसपास उसकी लम्बाई ,एकदम कमाल का कटाव लिया उसका मादक रूप शिवा को भड़काने के लिये काफी था और जब हिमांनी अपने असली रूप में आ गई तब उसकी चुत से निकलती तेज गन्ध से शिवा का दिमाग घूमना शुरू हो गया था ,शिवा ने हिमांनी को एक पल में ही पूरा नंगा कर दिया अपनी माया से ,और खुद भी नंगा हो गया ,हिमांनी के बदन पर उसके होंठ ,उसके निप्पल और चुत का छेद तीनो ग़ुलाबी थे और बाकी सारा बदन एकदम नीला ,शिवा को इस बात का अंदाजा था कि इस कयामत के गांण्ड का छेद भी गुलाबी ही होगा ,शिवा को हिमांनी की चुत की गंध बहुत ज्यादा बैचेन करने लगी थी ,उसने सबसे पहले उन दूध के 40 के साइज के मटकों पे हमला कर दिया ,शिवा किसी भूखे बच्चे की तरह हिमांनी की चुचियो को निचोड़ रहा था ,दोनो चुचिया दबाकर उनके निप्पल को काटकर शिवा ने हिमांनी को भी मदहोश कर दिया था ,हिमांनी की चुत से पानी टपकने लग गया था ,हिमांनी को अपनी चुचिया को इस तरह मसलने से अद्भुत आनंद मिल रहा था ,शिवा ने उसकी चुचिया छोड़के उसके नाक में कबसे उसे आने वाली सुगन्ध की तरफ अपना रुख कर लिया ,किसी बड़ी सी पावरोटी जैसी एकमात्र नीली चुत को शिवा बड़े विस्मय से देख रहा था ,उसने उस चुत के बड़े और मोटे ओठो को चूमकर उसका रस चाट लिया ,हिमांनी के मुह से एक मादक सिसकी निकल गयी ,इस तरह से उसकी चुत पर शिवा की जीभ का स्पर्श ने उसे और मजा आने लगा ,शिवा उसकी चुत को कुते किबतरः चाटने लगा उसके ओठो को फैलाकर अपनी जीभ हिमांनी के गुलाबी छेद में घुस्साकर वो छेड़छाड़ करने लग गया ,हिमांनी मजे से झड़ती गई और शिवा उसके रस को पिता गया ,शिवा ने बहुत बार हिमांनी की चुत को चाट चाट कर ही झड़ंने पर मजबूर करता गया ,हिमांनी के चुत का रस उसे बहुत पसंद आया था ,उसने अपना मन भरने तक इस अनमोल रस को पीता रहा ,शिवा ने हिमांनी के गांण्ड के गुलाबी छेद को भी नही छोड़ा था उसे पी चूम कर चटाकर उसमे अपनी जीभ घुसाकर उसका भी स्वाद ले लिया था ,हिमांनी के चुत और गांण्ड का स्वाद शिवा को बहुत ही भा गया था ,इस हसीना को भोगने के भाग्य उसके नसीब में है इस बात की उसे बहुत खुशी हो रही थी ,शिवा ने हिमांनी को पीठ के बल सुलाकर उसकी चुत पर अपना लन्ड टिका दिया ,शिवा के इस दहकते 20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे लन्ड का हाल भी बुरा हो गया था ,उसे जल्द ही हिमानी के अंदर घुसने की ललक हो रही थी ,शिवा ने हिमांनी की बड़ी सी 44 की गांण्ड को मजबूती से पकड़ कर एक ही जबरदस्त धक्के में अपना लन्ड जड़ तक घुसा दिया ,शिवा के इस हमले को हिमांनी झेल नही सकी उसके मुह से बहुत ही ज्यादा भयानक चीख निकल गई ,शिवा के मूसल ने हिमांनी के नाजुक चुत को पूरा तहस नहस कर दिया था ,उसकी चुत को फाड़कर शिवा का लन्ड जड़ तक अंदर घुस गया था ,हिमांनी के चुत से खून निकल रहा था ,जिसका रंग एकदम नीला ही था ,शिवा का लन्ड उसके खुन को अपने आप सोख रहा था ,शिवा किसी पागल हाथी की तरह हिमांनी को रौंद रहा था ,उसके बदन में अलग ही नशा और जोश भर गया था ,उसके तूफानी धक्के हिमांनी की चीखें निकाल रहे थे ,पर शिवा को उसके दर्द की परवाह ही नही हो रही थी ,वो खुद के होश में ही नही था ,उसपर हिमांनी के चुत का जादू चल गया था ,हिमांनी के चुत का कसाव और गर्मी उसे बहुत ही मजा द्व रही थी ,उसके लन्ड पर हिमांनी के चुत की पकड़ एकदम कसकर हो गयी थी ,शिवा उसके चुत में लम्बे धक्के मारकर अपने लन्ड को और ज्यादा गहराई तक पहुचाने की कोशिश कर रहा था ,हिमांनी को गांड़ का तो उसने अपने मजबूत पंजो से दबादबाकर बुरा हाल कर दिया था ,हिमांनी इस लन्ड के प्रहार से दर्द में ही एक बार झड चुकी थी ,एक बार झड़ंने के बाद उसके दर्द में कुछ कमी हुवीं ,उसे भी अब शिवा के लन्ड के धक्के अपनी चुत में पसन्द आने लगे ,वो भी अपनी गांण्ड उठा उठाकर शिवा का साथ देंने लगी ,हर 10 मिनीट बाद हिमांनी झड जाती शिवा के लन्ड के मार से ,शिवा ने दस बार हिमांनी का पानी एक ही आसन में चोदकर निकाल दिया था ,शिवा का लन्ड आसानी से हिमांनी के चुत में अब अंदर बाहर हो रहा था ,शिवा ने हिमांनी को घोडी बनाकर उसे और बुरी तरीके से चोदना शुरू कर दिया ,हिमांनी को अब शिवा के लन्ड और ज्यादा मजा आने लगा था ,उसकी मुह से मादक सिसकिया निकाल कर वो अपनी खुशी का इजहार करती रही ,शिवा ने दो बार हिमांनी को घोडी बनाकर चोदा और तीसरी बार जब हिमांनी झड़ंगे लगी उस वक्त उसने अपने लन्ड से हिमांनी के चुत में अपनी गर्म मलाई की बौछार कर दी ,शिवा के लन्ड ने बहुत ज्यादा मात्रा में हिमांनी के चुत में अपना माल भर दिया था ,हिमांनी के चुत को इस गर्म गाढ़ी मलाई ने सुकून पहुचा दिया था ,अपने चुत के हर कोने में शिवा के माल को वो महसूस कर रही थी ,उसकी चुत बडे चाव से इस माल को पचाने लग गयी थी ,घोडी बनी हिमांनी के गांण्ड का छोटा सा छेद शिवा के कबसे बैचेन कर रहा था ,उसमे उंगलिया घुसाकर उसकी नरमाई का मजा तो वो कबसे ले चुका था पर उसके लन्ड को उस छेद का मजा लेना था ,शिवा ने अपने लन्ड का माल हिमांनी की चुत में भरने के एक बाद ,एक पल में ही हिमांनी के गुलाबी गांण्ड के छेद को अपने लन्ड के दो धक्के में ही फाड़ दिया था ,शिवा का लन्ड हिमांनी के गांण्ड में जड़ तक घुस कर एकदम खुश हो गया था ,हिमांनी का दर्द से बुरा हाल हो गया था ,अपने चुत के दर्द से वो अभी ही सम्भल पायी थी कि ,शिवा ने उसकी गांण्ड को फाड़कर वापिस उसके मुह से चीखे निकालने शुरू कर दी ,शिवा बिना रुके हिमांनी के गांण्ड को मारता रहा ,बहुत जल्द ही हिमांनी के गांण्ड का दर्द कम हो गया ,वो मजेसे शिवा के लन्ड के धक्के अपने गांण्ड मे लेकर अपनी गांण्ड शिवा के लन्ड पर पटकने लगी ,हिमांनी के गांण्ड को अपने माल से भरकर ही शिवाने दम लिया ,हिमांनी की गांण्ड मारने के बाद शिवा वापिस उसकी चुत पर टूट पड़ा ,हिमांनी के चुत में लन्ड घुस्साकर उसे कुतिया बनाकर शिवा उसे चोदता रहा ,कभी चुत तो कभी गांण्ड शिवा एक पल का भी आराम नही कर रहा था ,ना वो थक रहा था ना हिमांनी तक रही थी ,समय मनी में उनकी चुदाई बस चलते जा रही थी करीब समय मनी 100 साल तक दोनो चुदाई कर चुके थे पर दोनो की हवस कम नही हो रही थी ,200 साल हो जाने के बाद दोनो की हवस थोड़ी कम हो गई पर वो रुके नही जब समयमनी में 300 साल पूरे हुवे तब जाकर दोनो सन्तुष्ट हो गए थे ,हिमांनी की चुत और गांण्ड को शिवा ने अनगिनत बार अपने माल से भरे दिया था ,हिमांनी के चुत का पानी पीकर अपनी प्यास भी वो बूझा चुका था ,साथ मे हिमांनी को अपनी गर्म गाढ़ी मलाई का तो उसने दीवाना बना दिया था ,वो दोनो जब 300 साल समय मनी में गुजारकर बाहर आये तब बलि लोक में 90 दिन हो गए थे ,हिमांनी के रोम रोम में अब शिवा बस गया था ,उसकी हर धड़कन अब बस उसकी ही बन गई थी ,हिमांनी और शिवा बाहर आये शिवा का रूप एक निलनाग मे बदल गया जिसके 100 से ज्यादा सर थे ,हिमांनी भी शिवा की तरह 100 सर वाली नागिन में बदल गई थी ,दोनो में बहुत सी ताकते आ गयी थी ,समयमनी में 300 साल गुजर जाने से दोनो को अपनी सारी ताकद की जानकारी हो गयी थी ,हिमांनी का निर्माण त्रिदेव और त्रिदेवियों ने मिलकर किया था ,उसमे उन सबकी प्राप्त दिव्य शक्तिया थी ,जो अब शिवा की भी हो गयी थी ,जब तक शिवा और हिमांनी को साथ मे नही मारा जाता तब तक वो मर नही सकते थे ,दोनो को एक साथ मारने पर ही वो मर सकते थे ,उन दोनों को मारने के लिये त्रिदेव और त्रिदेवियों ने मिलकर बनाये किसी अस्त्र से ही मारा जा सकता था ,और ऐसे दो अस्रो की जरूरत उन दोनों को मारने के लिये पड़ने वाली थी ,और ऐसा कोई भी शस्र नही बनाया गया था उनके द्वारा ,शिवा और हिमांनी को ना ब्रह्मास्त्र ,नारायणास्त्र और नाही पशूपतीं अस्र नुकसान पहुचा सकते है ,ये तीनो भी अगर एक साथ उनपर छोड़ दिये तो वो नही मर सकते थे ,पर उन दोनों को एक ही व्यक्ति मार सकती है वो है तेजा ,जिसे त्रिदेवियों ने अपने पति से शक्ति लेकर निर्माण किया है ,तेजा एक पल में ही शिवा और हिमांनी को मार सकती है ,शिवा ने हिमांनी से कुछ देर बाते की और उसे धरती पर छोड़ दिया ,धरती पर रात के 9 बजे उसे छोड़कर शिवा पहले 1 घण्टा अश्वलोक गया फिर वहां से सिहलोक 1 घण्टा समय बिताकर वो तेजा के पास गरुड़ लोक चला गया ,वहां 6 घण्टे यानी सिहलोक के 6 साल तेजा और अपने बच्चों के साथ बिताकर वापिस धरती पर आ गया ,आज रात में ही नरगिस और उसका प्रतिरूप दुबई से लौट आए थे ,शिवा अपने कमरे में आने के बाद उसका प्रतिरूप शिवा में समा गया ,आज शिवा ने सोच लिया था कि वो सीमा की दोनो बेटिया और मनीषा और हेमा की बेटीयो से शादी कर लेगा ,6 तत्व की शक्तियां मिलने के बाद वो शिवानी के दर्द को खत्म कर सकेगा ,शिवानी का दर्द दूर करके ही उसे अब आराम मिलने वाला था ।




AWESOME EXCELLENT MIND BLOWING AND INTERESTING UPDATE BHAI
 

Raj

Well-Known Member
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158
Update 106
शिवाय विचित्र के महल में बाहर से आ रहे शोर को सुनकर देखने चला आया ,महल के बाहर जिमाली और तामली की माँ खड़ी थी ,महल में अंदर आने के लिये वो राक्षस सैनिकों की विनतीं कर रही थी ,शिवाय ने तुंरत अपने गुलाम विचित्र को बाहर बुलाया ,उसे कपड़े पहनाकर शिवाय ने सुंदरी से मिलने भेज दिया ,सुंदरी ने जब विचित्र के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी सास ही अटक गई ,विचित्र के चेहरे पर नाखूनों के बहुत से निशान थे ,सुंदरी को अपनी बेटियों को बहुत चिंता होने लगी ,उसने विचित्र के आगे हाथ जोड़कर कहा ,आप ऐसा क्यों कर रहे राजकुमार ,जिमाली और तामली को आप राणी महल से लाकर आप अच्छा नही कर रहे ,आपके पिता को अगर यह बात मालूम चली तो आपको वो दंड देने से पीछे नही हटने वाले ,आप मेरी दोनो बेटीयो को मेरे हवाले कर दीजिये, में आपके पिता को कुछ भी नही कहूंगी ,कृपया आप मुझ पर दया कीजिये ,
विचित्र ,सुंदरी में तो आपको भी यहा लाने की सोच रहा था ,बस कुछ दिन रुक जाइये आपकी बेटीयो के मजे लेने के बाद आप का ही नम्बर लगने वाला है ही ही ही
सुंदरी विचित्र की बात सुनकर डर गई ,उसे भुजंग के सभी बेटो की हवस की कहानियां पता थी ,खुद भुजंग ने ही रानीमहल के सभी औरतो को रानीमहल से बाहर जाने की मनाई की थी ,जब भुजंग राक्षसलोक में होता तभी वो रानीमहल से बाहर निकलती थी ,वो भी जब भुजंग उनके साथ होता तो ही वो बाहर आती ,सुंदरी ने विचित्र की बहुत मिन्नतें की पर वो नही माना ,सुंदरी रोते हुवे वापस रानीमहल लौट गई ,राक्षसलोक में भुजंग के किसी और बेटे के पास जाना मतलब खुद उनका शिकार बनना था ,राक्षसलोक में कोई ऐसा नही था जो सुंदरी की मदद कर सकें ,भुजंग के आने में अभी महीने भर का समय था ,तब तक विचित्र अपनी बेटियों का क्या हाल करेगा यही सोच कर सुंदरी मर रही थी ,रोती बिलखती वो रानीमहल में विलाप कर रही थी ,रानीमहल में अब डर का माहौल हो गया था ,सबको अब अपनी इज्जत खतरे में दिखने लगी थी ,विचित्र ने जिस तरह जिमाली और तामली को रानीमहल का सुरक्षा कवच तोड़कर ले गया था ,उसका अब कोई भरोसा नही था कि किस वक्क्त वो वापिस यहा पर आकर और किसी को उठाकर ले न जाये ,सब औरते बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गई थी ,भुजंग को अपने सुरक्षा कवच पर बहुत ज्यादा विश्वास था ,उसको तोड़कर कोई अंदर नही जा सकता इस बात से वो निश्चित होकर ही तपसाधना पर चला गया था पर विचित्र ने उस कवच को तोड़कर रानीमहल में एक भय का माहौल बना दिया था ,उनकी मदद के लिये अब राक्षसलोक में कोई भी नही था ,विचित्र के सभी भाई उसके खिलाफ न जाकर उसे और उकसा कर रानीमहल की औरतों का शिकार करने के लिये उसे और बल देने वाले थे ,उनके लिये यह बात तो खुशी की होगी कि विचित्र रानीमहल के सुरक्षा कवच को तोड़कर अंदर जा सकता है ,
और हुवा भी वैसा ही जैसे ही राक्षसलोक के अंदर यह खबर पहुच गई कि विचित्र ने रानीमहल के कवच को तोड़ कर दो राजकुमारीयो को उठा लाया है ,सारे भुजंग के बेटो में खुशी दौड़ गई ,उनके लिये विचित्र बहुत ही प्यारा हो गया था ,हर कोई राजकुमार विचित्र के पास जाकर उसे अपने लिये कोई रानीमहल की हसीना लाने की बात सोचने लगा था ,उन सबके मन मे हवस के नए अरमान जागने लगे थे ,कब विचित्र से मिलकर वो अपनी बात उसे कहे ऐसा उन्हें हो गया था ,विचित्र को खुश करने के लिये क्या किया जाए यही वो सोच कर उसे मिलने को जा रहे थे ,अपने पिता का उन्हें कोई डर नही था ,उनके पिता ने कभी उन्हें नही रोका था ,उन्होंने अपने पिता की न जाने कितनी पत्नियों को भोगा था और अपनी ही सौतेली बहनो का शिकार किया था ,उनके पिता उन्हें कभी कुछ नही कहते थे ,
विचित्र के महल में सुबह से उसे मिलने 300 से ज्यादा राजकुमार आकर चले गए थे ,हर कोई विचित्र के साथ खड़ा था उसके इस काम मे और वो विचित्र से अपने लिये भी किसी हसीना को लाने की विनतीं कर चुके थे ,विचित्र ने उससे मिलने आये सभी को हा कह कर खुश कर दिया था ,विचित्र ने सबको यही कह दिया था कि आज जिसे भी रानीमहल की औरते चाहिए वो मेरे महल के सामने दोपहर तक आ जाये ,विचित्र की यह बात भुजंग के सभी बेटो को मालूम हो गयी ,विचित्र के महल के बाहर दोपहर में उसके राक्षसलोक में मौजूद सभी भाई जमा हो गए थे ,विचित्र ने अपनी माया से एक बहुत बड़े मैदान का निर्माण करके अपने सभी भाइयो को वहां बैठने का प्रबंध कर दिया ,
विचित्र ने सब भाइयोंको को बिठाने के बाद सबके सामने खड़ा होकर बोला ,मेरे भाइयो में आप सबके लिये रानीमहल से औरते लाकर देने के लिये तैयार हूं ,पर वहां पर सिर्फ 50 रानियां और 70 राजकुमारियां है ,कुल मिलाकर वहां पर 120 औऱते है हम सब भाई संख्या में 879 के करीब है ,हमारे 100 भाई पाताल लोक गये है ,उनके आने के बाद वो भी इन औरतो की कामना जरूर करेंगे ,आप सभी को पता है कि रानी महल की औरतें कितनी हसीन और लाजवाब है ,अगर हमने उन्हें एक बार भी भोग लिया तो हम किसी दूसरे को उसे नही दे सकते ,उनके मादक जिस्म को हम अपने भाइयों को भी नही दे सकते है ,ऐसी खूबसूरत औरतो को हम हमेशा अपने पास ही रखना चाहेंगे ,इस लिये में चाहता हु ,की इस बात का फैसला हम मर्दांगी के बल पर करे ,हम भाइयों में जो भी आपस मे लड़कर जीत जाएगा वो ही इन औरतो का मालिक बनेगा ,हमे एक दुसरे पर जानलेवा हमले नही करने है ,बस मलविद्या में हम अपना बल आजमा कर ही यह फैसला करेंगें ,जो भी 119भाई जीत जायेगे इन 879 में से उनको रानीमहल की एक औरत मिल जाएगी ,और हमारे हारे हुवे भाई इस बात को मान जायँगे की जितने वाले उनके भाई ही उन औरतो के असली हकदार है ,सबसे पहले जो प्रवेश द्वार की रखवाली करते है इस जगह से चले जाइये ,उन सबको रानीमहल की सुंदर और कवारी दासिया में खुद देने वाला हु ,और जिन भाइयो को आपसे में मुकाबला नही करना है वो भी यहा से जा सकते है ,हम सब भाई है कोई शत्रु नही यह बात आप सब हमेशा याद रखिये ,
विचित्र की बात सबको सही लगी ,उसकी बुद्धिमानी और चतुराई को सब जानते थे ,उसने अपने 10 भाइयों को सबसे पहले पहरेदारी पर भेजकर अपनी बुद्धिमानि का सबूत दे दिया था ,लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें यह बात पसन्द नही थी ,आपस मे लड़ना उन्हें कतई पसन्द नही था ,पर उन सबकी संख्या बहुत कम थी ,बस 60 भाई ऐसे थे जो मुकाबले के खिलाफ थे ,पर वो बाकी सभी को समझाने में नाकामयाब हो रहे थे ,बहुत देर तक वो अपने भाइयों को समझाते रहे ,पर कोई नही माना आखिर वो 60 भाई वहां से चले गए ,अब विचित्र ने सब भाइयो को एक बार और पूछा किसी को मंजूर नही हो तो वो भी यहा से जा सकता है ,उसके बाद विचित्र ने बचे हुवे सभी भाइयो को आपस मे मलविद्या एक मुकाबला लगा दिया ,विचित्र के बनाये मायावी आखडे में उसके भाई एक दूसरे पर अपना जोर दिखाने लगे ,पहले जो सिर्फ मलविद्या का मुकाबला होने वाला था वो धीरे धीरे एक खूनी जंग में बदल गया ,हर कोई अपने सामने वाले को मारकर इस मुकाबले को जीतने की कोशिश करने लगा ,कुछ ही देर में वहां पर भुजंग के 400 से ज्यादा बेटे एक दूसरे से लड़कर मर चुके थे ,विचित्र के इस मुकाबले को जीतने के लिये अपनी हवस के चक्कर मे वो एक दूसरे के खुन के प्यासे हो गए थे ,एक दूसरे को मारकर उनमे से आखिर 120 भाई बच गए थे ,679 इस मुकाबले में मारे गए थे ,जितने वाले सभी भुजंग के बेटो को अपने भाइयों के मरने का कोई गम नही था ,उनके नजरो के सामने तो बस रानीमहल की हसीन औरते घूम रही थी ,पूरे राक्षसलोक में विचित्र के इस खूनी खेल की खबर पहोच गयी थी ,एक साथ भुजंग के इतने बेटो के मरने से राक्षसलोक में खलबली मच गई थी ,कुछ दुखी हो रहे थे ,तो बहुत से राक्षस खुश हो गए थे ,भुजंग के बेटो से सताये जाने वालों में तो खुशी का माहौल हो गया था ,रानीमहल में भी इस बात की खबर हो गयी थी ,विचित्र को बहुत सी गन्दी गालिया और श्राप देती वो औरते अपने नसीब को कोस रही थी ,विचित्र ने अपने वादे के मुताबिक रानी महल की औरतो को अपने भाइयों को सौप दिया था ,सब भाइयो को एक एक औऱत देकर उनको विदा कर दिया था ,अपने महल के सामने पड़ी अपनी भाइयो की लाशों को विचित्र ने आग लगाकर जला दिया ,उस आग की लपटें पूरे राक्षसलोक में दिख रही थी ,सब भाइयो की लाशें एक जगह जमा करने के बाद उसका बहुत बड़ा ढेर लगाकर विचित्र ने आग लगाई थी ,कालराक्षस ,भोकासुर ,और बीरा इतनी बड़ी आग को देख रहे थे ,
बीरा ,यह इतनी प्रचंड आग कैसे लग गई ,और इस मांस के जलने की बदबू कैसे आ रही है ,
कालराक्षस ,कुछ नही बीरा यह बदबू भुजंग के बेटो की लाश जलने के वजह से आ रही है ,एक साथ भुजंग के 679 बेटे मर गए है आज ,उनकी ही लाशें जल रही है
बीरा हैरानी से ,उन सबकी एक साथ कैसे मौत हो गयी ,
कालराक्षस ने फिर उसे विचित्र की सारी कहानी बता दी ,शिवाय के बारे में उसे कुछ भी नही बताया ,बीरा को विचित्र पर बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा ,किसी औरत पर अत्याचार करने वाले को नही छोड़ना चाहिये ऐसा उसे लग रहा था ,कालराक्षस ने बीरा से इतना ही कहा ,तुम बिल्कुल चिंता मत करो ,किसी भी औरत पर एक खरोच तक नही आएगी ,बस भुजंग के आने तक तुम शांत रहना ,इस विचित्र को सजा वही देने वाला है ,तुम भूलकर भी उस विचित्र पर हमला मत करना ,नही तो सब कुछ बिगड़ जाएगा ,अपने गुस्से पर काबू रखो ,तुम्हारा गुस्सा कम करने का प्रबंध में अभी कर देता हूं ,इतना कहते है भोकासुर और कालराक्षस के शरीर से उनके लाखों प्रतिरूप तैयार हो गए ,जो सभी राक्षस की तरह दिखने लगे ,सिर्फ उनका आकार और कपड़े राक्षसलोक के सैनिकों की तरह थे ,सबकी शक्कल अलग अलग थी ,कोई भी भोकासुर या कालराक्षस जैसा नही दिख रहा था ,कालराक्षस ने अपनी माया से बीरा के शरीर पर एक कवच लगा दिया जिसकी वजह से वो औरत है या मर्द यह समझ नही आ रहा था ,सब करने के बाद बीरा से कालराक्षस ने कहा ,तुम जाओ इन सबके साथ ,जितने भी पापी और दृष्ट राक्षस तुम्हे मिले सबको मार दो ,इस राक्षसलोक मे हर पापी ,नीच और दृष्ट को मार दो ,कोई भी तुम्हे नही रोक सकेगा ,सिर्फ जब में तुम्हारे सामने आ जाऊ तब तुम इन सबके साथ गायब होकर अपने इसी घर मे आ जाना ,बीरा और भोकासुर अपने लाखो राक्षस सेना के साथ निकल पड़े थे ,सबके अंदर दिव्य शक्तिया थी ,हर राक्षस का मन पढ़कर और उससे बात करके वो जान लेते की यह पापी है या अच्छा ,फिर क्या था पूरे राक्षसलोक में कोहराम मच गया था ,हर तरफ नीच और पापी राक्षस गाजर मूली की तरह काटे जाने लगे थे ,250 अरब राक्षस में से चुन चुन बुरे और पापियो को मारा जाना चालू हो गया था ,
कालराक्षस सीधा उन 60 भाइयों की तरफ आया जो विचित्र से बहुत ज्यादा नाराज और गुस्सा था ,अपने भाइयों के मारे जाने से वो विचित्र पर बहुत ज्यादा भड़क गए थे ,जब कालराक्षस उनसे मिलने पहुचा था तो वो सभी उस पर भी अपने क्रोध की नजरों से देख रहे थे ,क्योंकि कालराक्षस तो विचित्र की सेना का सेनापति जो था ,
कालराक्षस ने सभी राजकुमारो को आदर से नमन किया और कहा ,आप सब मुझसे क्यो नाराज है में जानता हु ,पर में तो बस एक नौकर हु आपका ,में आपके हुकुम का बस एक गुलाम हु ,राजकुमार विचित्र की हरकत का में समर्थन भी नही कर सकता और विरोध भी ,आप मेरी मजबूरी समझ लिजिये ,में यहा आप को यही बताने आया था कि राक्षसलोक में कोहराम मच गया है ,जो राजकुमार मारे गए है उनकी सेना अपने राजकुमार के हत्या का बदला लेने के लिये पागल हो गयी है ,वो सब मिलकर जितने वाले राजकुमार के विभाग में हमला कर रहे है ,में यही बात बताने राजकुमार विचित्र के पास गया था पर उन्होंने मेरी कोई बात सुनी ही नही ,यह वक्क्त आप का मुझ पर गुस्सा करने का नही है ,हमे सबको मिलकर राक्षसलोक में चल रहे इस सब गड़बड़ी को रोकना होगा ,आप सबके होने से यह काम बहुत जल्दी होगा ,सबको कालराक्षस की बात सही लगी ,वो सब कालराक्षस के साथ निकल पड़े राक्षसलोक में हो रही मार काट रोकने ,पर कालराक्षस उसी जगह उन्हें लेकर जाता जहा पर बीरा ,भोकासुर और उसके प्रतिरूप ना हो ,यह लड़ाई अब कुछ अलग ही हो गई थी ,पहले भोकासुर और बीरा के साथ सभी प्रतिरूप पापियो को मार कर चले जाते ,उनके जाने के बाद जब कालराक्षस भुजंग के बेटो के साथ उस जगह सेना पर पहुच जाते तो सबको यही लगता यह इनका ही काम है उस जगह के सभी राक्षस इन पर टूट पड़ते थे ,कालराक्षस भी चुन चुन कर पापियो को मार देता था ,पूरे दस दिन तक यह खेल चल रहा था राक्षसलोक में 250 अरब का राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गए थे ,शिवाय इस सब मे कहा पीछे रहने वाला था ,वो कालराक्षस की सेना में एक राक्षस बन कर घुस गया था ,उसने अकेले ने ही 50 भुजंग के बेटो को मार दिया था ,सिर्फ 10 को ही जीवित छोड़ा था उनमें से ,वो सभी 10 भाई कालराक्षस के दीवाने हो गए थे ,कालराक्षस किसी ढाल की तरह उनके सामने रहता था ,उनपर आने वाला हर वार वो खुद पर झेल कर उनकी रक्षा करता था ,कालराक्षस के बदन पर बहुत से चोट के निशान बन गए थे ,जो असली लगने के लिये शिवाय ही शक्कल बदल बदल कर वार कर देता ,कालराक्षस के बहादुरी के किस्से पूरे राक्षसलोक में फैल गए थे ,एक साथ 1000 राक्षस के साथ लड़कर उसने अपना सिक्का सब पर जमा दिया था ,सबको क्या मालूम कि उनके ही आदमियों को मार कर कालराक्षस उनकी ताकद कम कर रहा है ,जिस 120 भाइयो के पास रानीमहल की औरते थी वो सभी शिवाय ने अपने गुलाम बना दिये थे ,उन सभी ने उन 120 औरतो को अपने अपने महल में नंगा करके बांध कर रख दिया था ,सभी औरतो के हाथ पांव पर नाखूनों के निशान बनाकर उन सबको बेहोश कर दिया था ,शिवाय उन भाइयों के द्वारा उन सभी औरतो को सिर्फ हाथ पांव पर ही जख्म करने को लगाता ,किसी भी औरत के नंगे शरीर को उसने किसी को भी देखने नही दिया था ,शिवाय का एक ही मकसद था भुजंग से पाप करवाना ,और अपने इस काम मे वो आधे से ज्यादा कामयाब हो चुका था ,शिवाय ने विचित्र को रानी महल में दो बार भेजकर पूरा रानीमहल देख लिया था ,सिर्फ एक ही हिस्सा ऐसा था जहाँ पर विचित्र नही जा पाया था ,उस जगह पर बेहद ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,उस जगह भुजंग ने क्या रखा था इस बात की शिवाय को बहुत ज्यादा उत्सुकता थी ,उस जगह पर सिर्फ शिवा ही जा सकता है ऐसा शिवाय को लगता था ,इसीलिए उसने कालराक्षस को बोलकर एक बार राक्षसलोक के प्रवेश द्वार को खोल कर बाहर जाने को कहा था ,कालराक्षस ने भी 10 राजकुमारों को अपने साथ राक्षसलोक के बाहर की सुरक्षा देखने का हवाला करके अपने साथ बाहर लाया था ,जब शिवा को उसने मानसिक सन्देश दिया तो शिवा ने कालराक्षस और शिवाय को अपने पास बुलाया और अपने अंदर लेकर जलतत्व की शक्ति के साथ ,हिमांनी से मिली शक्ति को अपने सभी अंशो में मिला लिया ,काल2 को शिवा ने कालराक्षस औऱ शिवाय के साथ राक्षसलोक भेज दिया ,शिवा को यकीन था कि काल2 भुजंग के सुरक्षा कवच को जरूर तोड़ देगा ,तीनो जब कुछ ही देर में राक्षसलोक के प्रवेश द्वार पर आए कालराक्षस का प्रतिरूप वही भुजंग के बेटो के साथ खड़ा था ,कालराक्षस अपने प्रतिरूप में समा गया ,काल2 और शिवाय दोनो राक्षसलोक में चले गए ,काल2 सभी काल या शिवा ही समझ रहे थे ,जब काल2 रानीमहल में दाखिल हुवा तो उसके सामने एक बहुत ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,जिसे तोड़ना किसी के बस का नही था ,जिसके पास त्रिदेव और त्रिदेवियों की मिली हुवीं शक्ति होगी वही इसको तोड़ सकता है ,जिसने अबतक कोई पाप न किया हो ऐसा ही पुण्यवान उस कवच के पार जा सकता था ,सबमें काल2 ही ऐसा था जिसने आज तक कुछ भी नही किया था ,ना किसी को मारा था ,न जख्मी किया था ,न किसीसे झूठ बोला था ,शिवा के साथ उसके सभी अंश भी काल2 जितने पुण्यवान नही थे ,हिमांनी की ताकद मिलने से काल2 की ताकद भी बढ गई थी ,उसने आसानी से वो कवच को पार कर लिया ,उस कवच के पार करते ही वो कवच टूट कर बिखर गया ,काल 2 के सामने दो बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिव्य कन्या खड़ी थी ,ऊँचाई में 7 फिट के आसपास वो कन्या अपनी आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठी थी ,जब काल2 ने उस कवच को तोड़ कर उसमे प्रवेश किया तो उनकी आंखें खुल गई ,काल2 जो खुद को अदृश समझ रहा था ,उसके तरफ वो दोनो कन्या एक टक देख रही थी ,काल2 बिना बोले एक ही जगह पर खड़ा था उसे समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए ,तभी उसमे से एक कन्या बोली ,तुमने आज तक कोई भी पाप नही किया है ,अद्भुत बात है ,फिर भी तुम्हारे पास त्रिदेव और त्रिदेवियों की शक्तिया है ,तुम्हारे अंदर मुझे बहुत सी दिव्य शक्तिया दिख रही है ,तुम्हारा निर्माण खुद अश्व देवता ने किया है ,तुम जो भी हो आज से तुम हम दोनो के पतीं हो मेरा नाम तेजाली और यह मेरी बहन तेजस्वी है ,हम दोनो का निर्माण त्रिदेवियों ने किया है ,हम दोनो को इस कवच में उन्होंने ही रखा था ,हम से शादी करने के बाद भुजंग दुनिया का सबसे बलवान और शक्तिशाली पुरुष बनने वाला था ,पर तुमने उसके इस कवच के तोड़ने से पहले ही यहा आकर बहुत अच्छा काम किया है ,तुम्हारी वजह से हम दोनो किसी पापी की पत्निया नही बन सकी ,तुम्हारा हम पर बहुत बड़ा अहसान है ,
काल 2 ,आप दोनो को में एक बात बता दु में किसी का अंश हु ,उनके शरीर से मेरा निर्माण हुवा है ,में खुद कुछ भी नही हु ,आप को मुझसे नही उनसे विवाह करना चाहिए ,मेरे अंदर जो भी शक्तिया है वो सिर्फ नाम मात्र है असली शक्तिया और ताकद का मालिक वो है जिनका में अंश हु ,
दोनो लड़कियों ने कल2 का हाथ पकड़ लिया और वहां से गायब हो गयी ,वो तीनो पहले राक्षसलोक के बाहर आ गए ,उन दोनों के वजह से ही राक्षसलोक में कोई भी मानसिक संपर्क नही कर पाता था ,उनके जाने के बाद शिवाय ,कालराक्षस ,भोकासुर शिवा और बाकी सभी से मानसिक संपर्क कर पा रहे थे ,काल 2 ने सबसे पहले शिवा से अपने मन से बात करके उसे सब बता दिया शिवा अभी घर मे ही था ,उसने सब सुनने के बाद अपना एक प्रतिरूप घर पर छोड़ दिया और खुद अपनी नीलमणि की ताकद से खुद का चेहरा ढक कर काल2 और उन दो लड़कियों के सामने पहुच गया ,अपने सामने किसी को देखकर वो दोनो उसकी शक्कल देखने की और उसके बारे में जानने की कोशिश करने लगी ,पर वो न उसकी शक्कल देख पा रही थी और न ही उसके बारे में कुछ जान पा रही थी ,शिवा आसानी से उन दोनों के मन की बात पढ सकता था ,उनके मन की बात जानकर शिवा ने हसकर दोनो से कहा ,तेजाली और तेजस्वी आप जो सोच रही है वो बिल्कुल सही है ,में ही काल का भाई हु ,आप दोनो को में एक बात बोल दु में कोई पुण्यवान नही हु ,मेंनें बहुत से पाप किये है ,झूठ तो में हर पल बोलता रहता हूं ,आप को मुझसे नही मेरे भाई काल से ही शादी करनी चाहिए ,वो बहुत ही सरल ,सीधा और भला आदमी है ,वो मेरा अंश नही है ,वो खुद एक इंसान है ,उसे अश्वदेवता ने निर्माण किया है ,उसकी अभीतक एक भी शादी नही हुवीं है और मेरी कितनी शादिया हुवीं है मुझे ही याद नही है ,में बहुत व्यभिचारी भी हु ,आप दोनो के लिये काल ही एकदम सरल वर है ,आप इसके साथ शादी कर लीजिए यह आप दोनो के सिवा कभी किसिको नही देखेगा ,शिवा ने इतना कहने के बाद वहां से काल2 के मन मे कहा ,मेरे भाई खुद को मेरा अंश कभी मत समझ ,तेरा भी वजूद है मेरे पास जो सूवर्ण कि पेटी है जो मुझे सर्पलोक में मिली थी वो में तुझे दे रहा हु ,तू इन दोनों के साथ वहां जाकर शादी कर ले अंदर तुझे शामली मिल जाएगी ,उस सूवर्ण पेटी में समय चक्र नही होता है ,तुम उसमे हजारो साल भी रहोगे तो धरती पर एक ही दिन खत्म हुवा होगा ,शामली को मेंनें सब समाझा दिया है तेरे हाथ मे मेरे जाने के बाद वो सूवर्ण की पेटी आ जायेगी, चल में चलता हूं ,जब भी मुझे तेरी जरूरत होगी में शामली से बोल दूँगा वो तुझे बता देगी ,
शिवा के वहा से जाते ही काल2 के हाथ मे सूवर्ण की पेटी आ गयी ,काल2 ने उन दोनों से कहा ,आप दोनो का क्या फैसला है अब,दोनो बहने एक साथ ,हम आपसे ही विवाह करने वाले है ,
काल2 उन दोनों के साथ उस सूवर्ण पेटी में चला गया ,उन तीनों के उस सूवर्ण पेटी में जाने के बाद वो सूवर्ण पेटी भी गायब होकर वापिस शिवा के शरीर मे जाकर समा गई ,
त्रिदेव और त्रिदेविया साथ मे ही यह सब देख रहे थे ,सबने शिव जी से एक ही सवाल किया वो भी साथ मे ,शिवाने ऐसा क्यों किया ,इतनी बड़ी ताकद जो भुजंग के खिलाफ उसे काम मे आ सकती थी ,काल2 से शादी करने के बजाय उसने खुद उनसे शादी करनी चाहिए थी ,
महादेव हसकर ,यही तो शिवा की खासियत है ,वो शक्ति का भूखा नही है ,भुजंग से लड़ने के लिये भले ही ये दोनो उसके काम आ सकती थी ,पर शिवा ने उन दोनों से शादी न करके बहुत अच्छा काम किया है ,आज तक शिवा ही काल2 को ताकद देता था ,पर आज के बाद काल2 भी एक अलग ताकद से शिवा के साथ खड़ा होने वाला है ,और काल2 ही उन दोनों का असली वर था ,शिवा को यह बात पता थी ,शिवा भी कभी उस कवच को नही तोड़ पाता ,काल2 नही वह कबच तोड़ कर उनसे शादी करने का हक प्राप्त किया था ,त्रिदेवियों का दूसरा वर भी हमारे सामने आ गया है ,अब बारी है तीसरे वर की जो आप त्रिदेवियों ने उस भुजंग को दिया है ,उसके सामने आने के बाद ही भुजंग और शिवा की लड़ाई का मजा आने वाला है ,
महादेव की बात सुनकर तीनो देवियों के चेहरे चिंता से दुखी हो गए ,उन्होंने भुजंग को जो तीसरा वर दिया था उसे याद करके उन्हें अब बहुत ज्यादा चिंता होने लगी थी ,उनकी शक्कल देखकर त्रिदेव हस दिए ,भगवान विष्णु ने कहा ,आप तीनो नाराज मत होइए देवी ,आप ने भुजंग को जो भी वर दिया था वो उसकी तपसाधना के वजह से आपको देना पड़ा ,कुछ ही वक्त बाद हम तीनों से भी वो अपनी तपसाधना से तीन वर मांगने वाला है ,हमे भी उसे तीन वर देने होंगे ,हम किसी भी भक्त को उसके तपसाधना के बदले जो उचित हो वही देते है ,आप बिलकुल चिंता मत कीजिये आज तक जिसने भी अपनी तपसाधना के बदले मिली शक्ति का गलत इस्तेमाल किया वो कभी सफल नही रहा है ,भुजंग भले 100 और वर मांग ले पर उसके बुरे कर्म उसका सर्वनाश ही करने वाले है ,शिवाय ने राक्षसलोक तबाह करके उसकी बर्बादी को शुरू कर दिया है ,और मुझे पूरा यकीन है शिवाय भुजंग को बहुत ज्यादा सताने वाला है ,शिवा के गुस्से से बना वो अंश है जो अभीतक अपने असली रूप को नही जान पाया है ,जिस दिन उसे अपनी असलियत का भान होगा ,शिवा से ज्यादा वो खतरनाक होने वाले है भुजंग के लिये ।



SHAANDAAR MIND BLOWING EXCELLENT AND INTERESTING UPDATE BHAI
 

sunoanuj

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Bahut hi behtarin updates tha yeh wala Bhujang ki bhi faad di Shivay ne …

🌷🌷🌷👏🏻👏🏻👏🏻
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Update 107
पाताल के अँधरे में बनी एक जगह जिसका निर्माण सिर्फ पुण्यवान लोगो को भक्ति करने के लिए किया गया था ,इस जगह पर पहले महाराज बलि तप किया करते थे ,आज उस जगह पर बैठकर तप करने वाला कोई और नही बल्कि भुजंग था पिछले हजार वर्षों से वो त्रिदेवो की आराधना कर रहा था ,उसके सामने एकदम लाखो सूर्य एकसाथ उदय होने के बाद दिखने वाला दिव्य प्रकाश हो गया ,उसकी आंखें एक दिव्य आवाज से खुल गई जो स्वयं भगवान विष्णु की थी ,उठो भुजंग हम तुम्हारी साधना से खुश हो गए है ,तुम अपनी आंखें खोल सकते हो ,अपने कानों में इस आवाज के पड़ते ही भुजंग की आंखे खुल गई ,उसके सामने तीनो त्रिदेव खड़े थे ,भुजंग ने उन तीनों को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया ,तीनो ने उसे आशिर्वाद दिया ,जिसकी वजह से हजारो साल से तप में बैठकर भुजंग का शरीर एकदम कमजोर हो गया था ,वो एकदम से बिल्कुल स्वस्थ हो गया था ,भुजंग ने त्रिदेवो से कहा ,आपका में सदैव में ऋणी हु भगवान आपके इस दास पर आपकी कृपा हमेशा ऐसे ही बनाकर रखिये ,
भगवान विष्णु बोले ,जब तक तुम नेक राह पर चलते रहोगे हम सदैव तुम्हारे पीछे होंगें पर जिस दिन तुम गलत राह पर निकलोगे उस वक्त तुम हमारे पिछे नही होने वाले
भुजंग बहुत ही नम्र भाव से बोला ,भगवान ना में कभी सत्कर्म छोडूंगा और न ही कभी कोई गलत काम करने की कोशिश करूँगा ,में सदैव आपकी भक्ति ही करना चाहता हु ,
भगवान विष्णु हसकर बोले ,तुम हो एकदम चतुर ,40 हजार साल के तुम हो गए हो उसमे से तुमने सिर्फ बचपन के 500 वर्ष और अपने राक्षसलोक मे उसे बसाकर 2 हजार साल रहकर बिताए है ,बाकी तुमने 37 हजार 500 वर्ष सिर्फ तपस्या ही कि हे ,तुमने पहली बार तपसाधना करके ज्ञान का वर लिया ,दूसरी बार दिव्य दृष्टि ,तीसरी बार माया विद्या ,चौथी बार दीर्घ आयु ,पांचवी बार दिव्य सन्तान ,छठी बार से तुमने सिर्फ हम तीनों से हमारे अस्रो का ही वर लिया है ,तुम्हारे पास हम तीनो के शस्र है वो भी 2 की संख्या में ,तुम्हारे पास त्रिदेवियों के द्वारा प्राप्त बहुत से दिव्य वरदान भी मिले हुवे है ,तुम दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हो जिसके पास इतना सा कुछ है ,फिर भी तुम तपसाधना करके कुछ हासिल करने का मोह रखते हो ,बोलो तुम्हे क्या चाहिये हम तीनों से ,यह तुम्हारा आखरी मौका है हमसे कुछ मांगने का ,इसके बाद हम तुम्हे कोई वरदान नही देंनेवाले है चाहे तुम हमारी कितनी भी तपश्चर्या कर लो ,एक व्यक्ति को जितना दिया जाए उसके मुकाबले तुम्हे 10 गुना ज्यादा ही मिल चुका है ,आजतक के सबसे बलवान और शक्तिशाली राक्षस हो तुम ,जितनी तुम्हारे अंदर शक्तिया है उतनी आज से पहले किसीके पास नही थी ,तुम एक राक्षस होकर भी हमने कभी तुम्हे कुछ देने में संकोच नही रखा है ,ना अब करने वाले है ,तुम हमसे अमर होने के अलावा जो चाहे वो योग्य वरदान मांग सकते हो ,पर कुछ मांगने से पहले एक बार अपने राक्षसलोक को देख लो ,क्योकि तुम्हे वरदान मांगने के बाद कोई पछतावा न हो कि तुमको यह बात पहले क्यो पता नही थी ,अपनी दिव्य दृष्टि का उपयोग कर के देख लो ,फिर अपने वरदान मांगने के बारे में सोचना ,
भगवान विष्णु की बात सुनकर भुजंग थोड़ा हिल गया ,उसने तुरंत अपने दिव्य दृष्टि का इस्तेमाल करके राक्षसलोक का ध्यान किया ,जब उसने सम्पूर्ण राक्षसलोक को अच्छे से देखा तो वो दर्द और गुस्से के कारण एकदम लालपिला हो गया ,उसे क्या कहे समझ नही आ रहा था ,भुजंग का बसाया राक्षसलोक बर्बाद हो गया था ,उसके सिर्फ 141 बेटे जिंदा थे राक्षसलोक में ,20 उसके साथ पाताल में मौजूद थे ,839 बेटे मारे गए थे ,रानीमहल को भी पूरा ध्वस्त कर दिया गया था ,रानीमहल में भुजंग की एक भी पत्नी या बेटी नही थी ,सब की सब उसके बेटो को घरमे नंगी हालात में बंधी हुवीं थी ,राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस आपस मे लड़कर मारे गए थे ,यहा तक उसकी त्रिदेवियों से प्राप्त दो दिव्य कन्याए भी रानीमहल से गायब हो गयी थी ,अपनी हजारो वर्षों की मेहनत से खड़े किये राक्षसलोक को इस बुरी हाल में देखकर भुजंग को बहुत बुरा लग रहा था ,इस सबकी जड़ विचित्र के लिये उसके मन मे बहुत ज्यादा नफरत औरत गुस्सा भर गया था ,अपने गुस्से पर काबू करता भुजंग अपनी आंखें बंद करके थरथर कांप रहा था ,आज जीवन मे पहली बार उसकी ऐसी हालत हो गयी थी ,किसी दुश्मन ने ऐसा किया होता तो वो उसे जान से मार कर अपना बदला पूरा करता पर अपने ही बेटो की इस हरकत से उसे बहुत ज्यादा बुरा लगने लगा था ,अपने आप को शांत करके उसने त्रिदेवो से कहा ,राक्षसलोक की हालत देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है प्रभु ,राक्षसलोक की ऐसी हालत कभी होगी ऐसा मेंनें सपने में भी नही सोचा था ,मेरे बेटे कितने हवसी है इस बात का मुझे पता था ,पर अपनी हवस के चलते एक दुसरे की जान तक ले सकते है इस बात का मुझे थोड़ा भी आभास नहीं था ,क्या में आप से एक बात पूछ सकता हु ,
भगवान विष्णु ,भुजंग मेंनें पहले ही कह दिया है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान पाने का उसके बाद तुम कितनी भी तपसाधना कर लो हम कोई भी वरदान नही देंगे तुम्हे ,ना ही त्रिदेविया कोई वरदान देगी ,तुम्हारी तपसाधना के बदले सिर्फ सुख और शांति का ही आशीर्वाद मिलेगा ,
भुजंग यह सब सुनकर बहुत बड़ी सोच में पड़ गया ,उसने पहले जो वरदान मांगने के बारे में सोचा था वो मांगे या अपने सभी बेटो को जीवदान मांगे वो यही सोच रहा था ,उसे अपने सभी बेटो से बहुत ज्यादा प्यार था ,उसका दिमाग काम नही कर रहा था ,की वो क्या मांगे ,बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने तीनो वर मांगने का फैसला कर लिया ,उसने त्रिदेवो से कहा ,आप मुझे अमर नही कर सकते पर में दूसरा जो भी वर आपसे मांगु वो मुझे मिल जाएगा ना भगवान ,
भगवान विष्णु ,सिर्फ उचित वरदान ही मिल सकता है ,तुम कुछ भी नही मांग सकते ,
भुजंग फिर एक बार सोचकर बोला ,ठीक है में आपके सामने मेरी इच्छा रखता हूं आप हा या ना में मुझे बता दे ,में पहला वरदान यह चाहता हु की मेरे सभी बेटे फिर से पहले जैसे शक्तिशाली थे उसी तरह जीवित हो जाये ,भगवान विष्णु ने कहा ,तथास्तु ,ऐसा ही होगा जब तुम राक्षसलोक पहुच जाओगे तुम्हारे सभी बेटे तुम्हारे सामने जीवित हो जाएंगे ,उनकी मृत्यु हुवीं थी यह बात भी उन्हें याद नही रहेगी ,उनको अपनी मृत्यु कैसे और किस तरह हुवीं थी इसका अंदाजा नही रहेगा ,
भुजंग का चेहरा इस बात से उतर गया था ,उसे पता था भगवान विष्णु कितने चतुर है ,उन्होंने उसके बेटो को जिंदा कर दिया पर जिन 102 बेटो की राक्षसलोक के बाहर मृत्यु हुवीं थी ,उनको मारने वाले के बारे में जानने की भुजंग की इच्छा अधूरी ही रह गई ,उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था ,अगर ठीक तरीके से वरदान मांगा होता तो ऐसी कोई गड़बड़ नही होती ,अपने बाकी दो वरदान को अब वो बहुत ही सोच विचार करके मांगने वाला था ,अपने 102 बेटो को मारने वाला शत्रु कोई आम तो नही हो सकता था ,उसके बेटो के सामने देवता तक नही जाते थे ,जो भी उसके बेटो को मारने वाला था वो सामान्य नही हो सकता था ,इतने हजार साल में पहली बार किसीने भुजंग के सामने खड़े होने की हिम्मत की थी ,उसने भगवान शिव की तरफ देखकर कहा ,भगवान में दूसरे वर में आपसे यह मांगना चाहता हु जब भी कोई मुझे मारे तो मेरे मरने के 24 घण्टे बाद ही में दुबारा जीवित हो जाऊं ,मेरे खुद के 1000 अंश बन जाने चाहिये ,हर एक मे मेरी सभी शक्तिया हो ,जिसने मुझे मारा होगा उसकी भी सभी शक्तिया मेरे हर एक अंश में आ जानी चाहिये ,मेरे सभी 1000 अंशो को एक साथ मारने पर ही मेरी मौत होनी चाहिये ,मेरा एक भी अंश बच गया तो बाकी सभी अंश नष्ट नही होने चाहिये ,भगवान शिव ने कहा एक ही वरदान में बहुत कुछ मांग रहे हो ,लेकिन ठीक है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान मांगने का तो में तुम्हे यह वरदान भी दे दूंगा ,तभी भगवान विष्णु बोले ,क्षमा करें महादेव ,में कुछ कहना चाहता हु ,भुजंग का मुह एकदम उतर गया ,उसे पता था भोलेनाथ कभी कोई वरदान देते हुवे शर्त नही रखते वो खुले मन से सबको जो चाहे दे देते है ,पर भगवान विष्णु हर मामले में ऐसा कोई तोड़ निकाल देते की कभी कोई महादेव का फायदा न उठा सके ,भगवान विष्णु बोले ,तुम्हे महादेव वरदान तो दे देंगे पर एक बात याद रखना एक ही वरदान में तुम बहुत कुछ मांग रहे हो ,इसके बदले तुम्हे एक बात बतानी है ,त्रिदेवियों ने जो तुम्हे तीन वरदान दिए है वो तुम्हारी एक बार मृत्यु होने के बाद खत्म हो जाएंगे ,तुम्हारे 1000 अंश भी बनेंगे और तुम्हारे अंदर तुम्हे मारने वाले के सभी शक्तिया आ जायेगी पर तुम्हारे किसी भी अंश के पास त्रिदेवियों के तीनों वरदान नही रहने वाले ,
भुजंग का चेहरा यह सुनकर सफेद पड़ गया ,उसे त्रिदेवियों के वरदान गवाना मंजूर नही होने वाला था ,पर अचानक उसे याद आया कि त्रिदेवियों के एक वरदान से मिली दो दिव्य कन्याओं को तो वह पहले ही खो चुका है ,बाकी के दो वरदान ही उसके पास है ,एक वरदान में मिली उसे सुरक्षा शक्ति बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थी ,अगर किसी ने भुजंग को मार दिया तो वो शक्ति उसे कदापि जीवित नही छोड़ने वाली ,भुजंग के मरने के बाद उसे मारने वाले कि मौत भी एकदम पक्की थी ,उसने थोड़ी देर सोचकर कहा ,मुझे मंजूर है भगवान आपकी शर्त ,भुजंग के इतना कहते ही भगवान महादेव ने उसे तथास्तु कहकर दूसरा वरदान दे दिया ,भुजंग ने भगवान ब्रह्मा की तरफ देख कर कहा ,भगवान में तीसरे वरदान में आपसे यह चाहता हु की आप आज के बाद दुनिया मे किसी को भी कोई दिव्य शक्ति ,वरदान नही देंगे ,आज के बाद आप मेरे खिलाफ खड़े होने वाले कि कोई भी मदद नही करंगे ,तीनो त्रिदेव भुजंग के इस मांग से सोच में पड़ गए ,कुछ देर बाद विष्णु जी के हा कहने पर ब्रम्हा जी ने भुजंग को तथास्तु कहकर तीसरा वरदान दे दिया ,भुजंग को आशिर्वाद देकर त्रिदेव वहां से चले गए ,त्रिदेव सीधे उसी जगह पहुच गये जहा पर तीनों त्रिदेविया यह सब देख रही थी ,अपने सामने त्रिदेवो को देखकर मा पार्वती बोली ,आप तीनो ने यह क्या कर दिया ,भुजंग को आपने पहला वरदान दिया वो समझ सकते है ठीक था ,पर बाकी दो वरदान देकर आपने उसे एकदम अजेय बना दिया है ,
भगवान महादेव हसकर बोले ,देवी आप बिल्कुल चिंता ने करे राक्षस कोई छल करे और भगवान विष्णु उसका तोड़ न निकाले ऐसा कभी हो सकता है ,भुजंग को वरदान तो मिल गए है पर उससे पहले हम तीनों ने बहुत कुछ कर भी दिया है ,आज तक किसी भी राक्षस का वध करने के लिये भगवान विष्णु या मेंनें ही कोई अवतार लिया था ,पर भुजंग को मारने के लिये उसके सामने एक साथ त्रिदेव के अंश होने वाले है ,उसे वरदान देने से पहले ही हमने उसकी व्यवस्था कर दी है ,ब्रह्मा जी और विष्णु जी का अंश उनके लाडले शिवाय में समा चुका है ,मेरा अंश भी एक खास में समा गया है ,भुजंग खुद को बहुत चतुर समझाता है पर उसकी चतुराई उसपर ही भारी पड़ने वाली है ,वो मूर्ख आगर चाहता तो उसके बेटो के द्वारा तपसाधना करवा सकता था ,उसके पास 1000 बेटे थे ,अपने बेटो को अगर वो तपसाधना करवा कर हमें प्रसन्न करवा लेता तो उसे बहुत ज्यादा फायदा हो सकता था ,पर वो अपने राक्षस स्वभाव के चलते कभी अच्छी बातें नही सोच सकता ,अपने शत्रु को कुछ न मिल पाए इस वजह से उसने अपना भी नुकसान करवा लिया है ,उसके दिमाग से आज हम तीनों को आपके द्वारा उसे दिया गया तीसरा वरदान भी समझ गया है ,उसने खुद अपने दिमाग में आपके तीनो वरदान के बारे में सोचा था उस वजह से हमे वो पता चल गया ,न ही हमने उसे कुछ पूछा ना ही कोई छल किया ,आप तो जानती है कि हम सिर्फ आप तीनो के सिवा किसी के भी दिमाग को पढ़ लेते है ,
माता लक्ष्मी हसकर बोली ,हमने सब देख लिया है ,मेरे पति कभी किसी को छोड़ते है जो भुजंग उनकी बातों से न फ़साता ,उन्होंने उसे इतना डरा दिया कि वो अपनी मजबूरी में सब सोचने से खुद को रोक नही सका ,हमने उसे कहा था जब तक वो खुद हमारे तीनो वरदान को अपने दिमाग मे नही लाएगा कोई भी उसके दिमाग से जान नही पायेगा ,लेकिन हमारे पतीं तो बस इन राक्षस लोगो को हमेशा अपने खेल में आसानी से फसा लेते है ,
त्रिदेव यह सुनकर हसने लग गए ,तीनो को हँसता देखकर ,मा सरस्वती बोली ,भगवान आप सब तीसरे वरदान को जानकर भी हस रहे है ,हमे तो अपने तीसरे वरदान को याद करके ही बहुत चिंता होती है ,उस नीच भुजंग के ऐसे वरदान मांगने से हम तीनो भी बहुत गुस्सा हुवे थे पर उसके तपसाधना की वजह से हम उसे मार नही सके थे ,आपको उस वरदान से कोई चिंता नही हो रही है ,
भगवान विष्णु बोले ,आप ने शिवा के जीवन के सफर् को नही देखा आजतक वो कभी खुद का नही सोचता ,वो दुनिया को बचाने के लिये हर वो काम कर देगा जो कोई सोच भी नही सकता ,बस शिवा को अपने आप पर यकीन रखना होगा आख़िरतक ,उसकी परीक्षा पहले से बहुत कठोर थी और हम सबके वरदान भुजंग को मिल जाने से शिवा की मुश्किलें बढ़ने वाली है ,पर हम सब शिवा की जितनी मदद कर सकते थे उतनी कर चुके है ,यह लड़ाई अब उन दोनों में ही होने वाली है ,भुजंग और शिवा दोनो को अपने दिमाग से काम लेना होगा ,
त्रिदेव और त्रिदेविया अब राक्षसलोक की तरफ देखने लगे जहा वो पहुच चुका था ,भुजंग और उसके 20 बेटे राक्षसलोक के दरवाजे पर पहुचे तो वहां पर खड़े इतने भयानक मायावी जीवो को देखकर आश्चर्य चकित हो गये थे ,भुजंग के आने से पहले ही शिवाय निकल जाने वाला था पर तभी उसके बदन में दो दिव्य अंश समा गये थे ,उसके अंदर ब्रह्या और विष्णु के दो अंश एक साथ समा गए थे ,शिवाय को अपने अंदर इन दो अंशो के समान के बाद सबकुछ समझ गया था ,उसमे भी बहुत सी अद्धभुत शक्तिया आ गयी थी ,शिवा के पास भी कुछ शक्तिया नही थी ऐसी शक्तिया उसमे आ गयी थी ,सबसे बड़ी ताकद उसमे आ गई थी मोहिनी विद्या और माया की विद्या ,उसके जैसा दुनिया मे कोई मायावी नही होने वाला था ,भुजंग को भले ही माया विद्या वरदान में मिली हो पर शिवाय के अंदर तो खुद भगवान विष्णु का अंश आ गया था ,उसके सामने लाख भुजंग भी एक साथ आ जाये तो उसकी माया को समझ नही पा सकते थे ,शिवाय ने अपनी आंखें बंद करके दोनो देवो का धन्यवाद किया ,शिवाय ने सबसे पहले एक राक्षस का रूप ले लिया जो कालराक्षस जैसा ही ताक़दवर और शक्तिशाली था ,पर चेहरा थोड़ा अलग कर लिया ,शिवाय ने कालराक्षस के सामने जाकर प्रकट हो गया ,कालराक्षस अपने सामने शिवाय को देखकर एकदम चकित हो गया ,उसने शिवाय से कहा ,तुम गये नही अभीतक यहा से ,अब तो प्रवेशद्वार से भी जाने की जरूरत नही है ,हम सीधा यहा से कही भी जा सकते है ,भुजंग कभी भी यहा पर आ सकता है ,तुम्हे उसके आने से पहले ही यहा से जाना होगा ,वो आने के बाद उसकी नजर से तुम नही बच पाओगे ,शिवाय उसकी बात सुनकर हस दिया और उसने कहा ,तुम उसकी चिंता छोड़ दो ,में तुम्हे कुछ बताना चाहता हु ,भोकासुर और बीरा को भी यही बुला लेते है ,उन दोनो के आने के बाद शिवाय ने अपनी माया विद्या का उपयोग उन तीनों पर कर दिया ,फिर उन तीनों से कहा ,में तुम्हे एक बात बताना चाहता हु ,भुजंग ने अपने अभी बेटो को जिंदा कर दिया है ,पर उन सबको यह नही पता रहने वाला है कि उनकी मौत कैसे हुवीं है ,मेंनें अपनी माया से तुम तीनो को एकदम सुरक्षित कर दिया है ,भुजंग तुम तीनो के मन को पढ़ने की कोशिश करेगा ,पर ना तुम्हारा मन पढ़कर वो कुछ जान पायेगा और ना ही तुम्हारी असलियत के बारे में वो पता कर पायेगा ,बीरा को भी वह कभी नही पहचान पायेगा ,में भोकाल के दिमाग पर अपनी माया से सब कुछ बिठा दूँगा ,बस उसे एक बार जीवित होने दो ,वो हमें उसका खास कहकर ही भुजंग से मिला देगा ,मेंनें भुजंग के बाकी 10 बेटो को भी अपनी माया में ले लिया है ,भुजंग के लिये हम दोनो अब बहुत खास होने वाले है ,आज से तुम और में दोनो भाई है यह तुम याद रखना ,बाकी तुम किसी बात की चिंता मत करना ,में सब सम्भाल लूंगा ,कालराक्षस ने भी शिवाय की बात मान ली ,कुछ ही पलों में भुजंग अपने 20 बेटो के साथ राक्षसलोक मे दाखिल हो गया ,राक्षसलोक में चारो तरफ राक्षस के शव पड़े हुवे थे ,भुजंग ने सबसे पहले अपनी माया से सब शव गायब कर दिए ,उसने अपनी माया से एक ही पल में राक्षसलोक को पहले जैसा कर दिया ,पूरा राक्षसलोक भुजंग के सामने खड़ा हो गया था ,भुजंग ने सबको अपने घर जाने के लिये कह दिया ,भुजंग के एक बार कहने पर ही सब वहां से चले गए ,भुजंग ने सबसे पहले विचित्र को अपने सामने बुलाया ,विचित्र के मन मे कोई डर नही था अपने पिता के पास जाने का वो एक अकड़ के साथ ही अपने पिता के सामने पहुच गया ,भुजंग ने विचित्र के आंखों में एक बार देख कर सब कुछ जानने की कोशिश की ,उसे ऐसा लग रहा था कि विचित्र को किसी ने अपने वश में करके उससे यह सब करवाया होगा ,इसलिए उसने सबसे पहले विचित्र को अपनी माया से अच्छी तरह जाँच कर देखा ,पर शिवाय की माया समझना उसके बस का नही था ,विचित्र के दिमाग को पढ़कर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा था ,उसने यह तो पता कर लिया था कि विचित्र किसी के वश में नही है ,उसने अपने मन से ही सब किया था ,अपनी दिव्य दृष्टि से भुजंग ने अपनी प्यारी पत्नियों और बेटीयो को भी देख लिया ,जो जख्मी हालत में बिल्कुल नंगी पड़ी हुवीं थी ,उनके हाथपांव को बांध कर उन पर किये गए अत्याचार उनके शरीर के जख्म दिखा रहे थे ,विचित्र के वजह से ही यह सब हुवा था ,उसके वजह से ही उसकी पत्निया और बेटिया ऐसी हालत में पोहच गयी थी ,उसके बाकी के सभी 120 बेटे भी भुजंग के सामने खड़े थे ,उन सब की हवस के चलते राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गये थे ,उन सब पर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,भुजंग ने विचित्र और उन सभी 120 बेटो को अपनी माया से बन्दी बना लिया ,विचित्र की तरफ देख कर भुजंग ने कहा ,तुम लोगो को में आज तक कभी कुछ नही कहता था पर तुम लोग अपनी सीमा भूल गए हो ,तुमने रानी महल में घुसने की हिम्मत कैसे की ,उसकी बात सुनकर विचित्र ने बिना डरे कहा ,पिताजी आप इतनी सुंदर औरतो का उपभोग करते है इतने सालों से ,हमने उसमे से थोड़ा अपने लिये ले लेने से कोई नुकसान तो नही हुवा ना ,क्या हमको ऐसी सुंदर औरतो का उपभोग करना गलत है ,हम भी तो आपके बेटे ही तो है ,ऐसा क्या गलत कर दिया हमने ,पहले भी तो हमने कितनी बार ऐसी हरकत की है ,तब आपने हमे कुछ नही कहा था ,आज ऐसा क्या हो गया ,जो आप हम सबको बन्दी बनाकर रख रहे हो ,
विचित्र की बात सुनकर तो भुजंग को और गुस्सा आ गया ,उसने कुछ गलत नही कहा था ,पर रानीमहल की सभी औऱते भुजंग के बहुत दिल के करीब थी ,अपने इस पुत्र की नीच बातो से भुजंग ने अपने क्रोध में आकर एक ही पल में अपने तलवार से उसका सर काट दिया ,विचित्र को ऐसा मारने से उसके बाकी सभी भाई भी डर गए थे ,जिन बेटो को भुजंग ने बन्दी बना लिया था ,उनकी अब अपने पिता का यह रूप देखकर गांण्ड फटने लगी थी ,भुजंग ने उन सभी की तरफ देख कर कहा ,तुम सबको में बहुत प्यार करता हु ,पर तुम लोग अपने हवस के चक्कर मे एप्निया मा और बहनो को भी नही छोड़ रहे हो ,तुम्हारे वजह से राक्षसलोक में इतने राक्षस मर गये ,अपने सगे भाइयों को भी तुमने मारने में कुछ गलत नही लग रहा था ,तुम सब को एक ही सजा मिलनी चाहिये ताकि राक्षसलोक में आगे कोई ऐसी हरकत नही करे ,आज के बाद तुम्हारी मौत देखकर सबको पता चल जाएगा कि गलती की सजा क्या हो सकती है ,भुजंग ने उन सभी 120 बेटो को एक बहुत बुरी मौत दे दी ,सभी 120 बेटों के गर्दन को उसने एक जगह पर लटका दिया ,और उनके धड़ को अपने हाथ मे एक अग्निबाण बनाकर जला दिया ,भुजंग के सामने अब उसके 879 बेटे थे ,उनमे से सिरफ 40 ही ऐसे थे जो पहले से जिंदा थे बाकी सब तो भुजंग राक्षसलोक आने बाद ही जीवित हो गए थे ,उन सबके सामने भुजंग ने इन 121 बेटो को मार दिया था ,अपने पिता का ऐसा रूप सब पहली बार देख रहे थे ,भुजंग ने उन सबसे कहा ,आज के बाद तुम सबने अपने किसी बहन या मा के साथ कोई गलत हरकत की तो वो अपनी मौत से नही बच सकता ,तुम सबको में यह पहली और आखरी बार बोल रहा हु ,इसके बाद जो भी गलती करेगा उसकी सजा एक ही होगी मौत ,
भुजंग की बात सबने सुन लि थी ,सबने अब सोच लिया था कि आज के बाद ऐसी कोई हरकत नही करनी है जिससे भुजंग नाराज हो जाये ,भुजंग ने सबसे बात करने के बाद एक बार अपनी आंखें बंद कर ली ,सबसे पहले उसने अपनी आंखें बंद करके विषलोक को अपनी दिव्यदृष्टि से देखने लगा ,पर विषलोक तो पूरा तबाह हो चुका था ,और विषलोक में हिमांनी भी नही थी ,हिमांनी एक नीली नागिन है और उसमे बहुत सी दिव्य शक्तिया है यह बात उसे पता थी ,महानाग ही विषलोक को तबाह कर सकता है यह भी उसे पता थी ,विषलोक तबाह होने से भुजंग समझ गया था कि महानाग आ चुका है ,हिमांनी भी उसके साथ ही गयी होगी ,उसके बाद भुजंग ने अपनी नजरो से शिवानी को देखना चाहा ,जो पाताल में बलिलोक में रहती है ,पर पूरा बलिलोक खाली था ,ना उसमे केतकी दिख रही थी ना ही शिवानी ,उसके बाद उसने धरती पर मरे हुवे राक्षस लोगो के दिव्य अस्र जिस बिल्व ऋषि के आश्रम में रखे थे उसके आसपास देखकर उन दिव्य अस्रो को महससुस करना चाहा ,पर उसकी दिव्यदृष्टि बिल्व ऋषि के आश्रम के अंदर नही जा सकती थी ,पर उसे यह समझ मे आ गया था कि वहाँ पर अब कोई भी दिव्य अस्र नही है ,उन दिव्य अस्रो को वो दूर से भी महसूस कर सकता था ,भुजंग को एक के बाद एक झटके लग रहे थे ,उसके तपसाधना में बैठने के बाद बहुत कुछ हो गया था दुनिया मे ,जो शक्तिया वो तपसाधना होने के बाद पाने वाला था वो सभी अब नही थे ,उसके त्रिदेवियों के वरदान से प्राप्त दो दिव्य कन्याओ को भी वह खो चुका था ,भुजंग को इस बात का यकीन हो गया था कि यह सब करने वाला कोई एक ही होगा ,उसीने भुजंग के बेटो को भी मारा होगा ,भुजंग का चेहरा गुस्से से लाल होने लगा था ,तभी उसके कान में अपने बेटे कनक की आवाज आयी ,कनक बोल रहा था ,पिताजी में अपने अंदर अपनी दिव्य तलवार को महसूस नही कर पा रहा हु ,लगता है मेरे अंदर मेरी दिव्य तलवार नही है ,धीरे धीरे जो उसके बेटे जीवित हो गए सभी एक एक करके यही कहने लगे कि उन्हें अपने अन्दर अपने दिव्य अस्र महसूस नही हो रहे है ,भुजंग समझ गया यह सब उसीके वरदान को सही तरीके से न मागने की वजह है ,उसने अपने मुह से एक जोरदार चीख निकाल ली ,भगवान विष्णु आपने यह सही नही किया मेरे साथ ,मुझे आपने वरदान तो दे दिए पर मेरे बेटो की शक्तियां छीन ली आप ने ,यह आपने बहुत गलत किया है मेरे साथ ,में आज के बाद कभी आप त्रिदेवो की भक्ति नही करूँगा ,आपने मेरी तपसाधना का भी फल मुझे सही तरीके से नही दिया है ,तभी उसके कानों में भगवान विष्णु की आवाज गूंज गई ,मूर्ख भुजंग अपने मुह से वरदान तूने खुद मांग लिए थे ,हमने उसमे कुछ भी नही किया ,तुझे वरदान मांगने नही आते सही तरीके से और तू हमे दोष दे रहा है ,एक बात का ख्याल रख तू हमारे सामने कुछ भी नही है ,अगर में गुस्से में आ गया न फिर तुझे तेरा कोई भी वरदान नही बचा सकता ,एक पल में तेरा खेल खत्म हो जाएगा ,तुझ जैसे दृष्टो को मारने से कोई भी मुझे नही रोक पायेगा ,इस लिये अपनी औकात में रहा कर ,में तुझे इसीलिए कभी पसन्द नही करता था ,आज के बाद तूने अगर हमारे बारे में कुछ भी बुरा कहा तो में उसी पल तुझे खत्म कर दूंगा ,
भुजंग की तो गांण्ड ही फट गई थी ,उसे पता था भगवान विष्णु से पंगा लेना मतलब अपनी मौत को दावत देना है ,उसने तुंरत अपने हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से माफी मांगना शुरू कर दिया ,अपने पिता को ऐसा हाथ जोड़कर बड़बड़ाते देख कर सब हैरान हो गए थे ,आज पहली बार उन्होंने अपने पिता के चेहरे पर डर को देखा था ।
Wah Bhai kya baat hai awesome update.

Bhujang Ki watt laga di.
Bhagwan vishnu ji ne.
Ab bhujang or shiva ka takraav hoga. Or wo dosra aadmi kon tha. Jisko bhgwan shiv ka ansh samaya tha? Aur wo ladki kon hai jisme Trideviyo ki sakti samai thi?
 
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