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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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komaalrani

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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

भाग १०२ - सुगना और उसके ससुर -सूरजबली सिंह पृष्ठ १०७३

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Last edited:

Shetan

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अगले अपडेट से सुगना और उनके ससुर सूरजबली सिंह का किस्सा शुरू होगा जो शायद आठ दस भागो में कम से कम चलेगा

सुगना भौजी और उनके ससुर के बारे में पहले भी इस कहानी में जिक्र आ चूका है

भाग ८२ पृष्ठ ८३० में

सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
ससुर के सामने अभी भी हाथ भर का घूंघट काढती, पर्दा करती, परछाईं तक बेराती। घर में एक काम वालियां रहती हीं, कूटना, पीसना, सबके सामने बहुत सम्हल कर, गांव क रीत रिवाज, तुरंत क गौने उतरी बहुरिया,

लेकिन अब ससुर के सामने वो किसी न किसी बहाने, भले ही परदे में,...

कभी चूड़ी खनकाती, कभी पायल झनकाती, कभी कभी आँचल लहराती।

अंगिया भी उसी डारे पर सूखने के लिए डालती जहाँ ससुर बैठते, और टांगती उतारती भी तभी जब ससुर जी आस पास ही हों.
और ससुर को खाने खिलाते उनका दिल भी टटोलती, आग लगाती, उकसाती,...
" भूखे मत रह जाइयेगा, वरना सोचियेगा की कैसी बहू लाया हूँ ससुर को भूखा रखती है, मेरे रहते आप भूखे रहें मुझे अच्छा नहीं लगेगा
। "
और उसके बाद अँजोरिया अस चेहरा और दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखे उठा के देखती तो ससुर जी का टनटना उठता। एक दिन उनके मुंह से निकल गया,
" अरे बार बार मागूंगा, तो तू इतनी सुकुवार देते देते थक जायेगी ".


" अरे बाऊ जी, आप मांग कर के तो देखिये, ... आप भले थक जाएँ, मैं देते देते कभी नहीं थकूँगी,... सुकुवार हूँ, लेकिन जवान भी हूँ,... आपकी बहू हूँ, ..." हँसते हुए कटोरी में दही डालते वो बोली।
--
सुगना खुद भी तो सुलग रही थी और ख़ास तौर से जिस दिन माहवारी ख़त्म होती, बाल धोती वो,... और ससुर जी के सामने, वो भी समझ जाते, ...

तो उस दिन वही दिन था, सुगना सुलग रही रही थी सोच रही बहुत हुआ चोर सिपहिया,

और उस दिन ससुर जी की भी हालत ख़राब थी,... बाल धोने के बाद बहू जब आंगन में आयी थी अलग ही रूप छलक रहा था, चेहरे पे कैसी जबरदस्त प्यास थी । उन्हें मालूम नहीं था क्या की जिस दिन औरत की पांच दिन की छुट्टी खतम होती है वो कितना तड़पती है, सुगना की भी वही हालत थी ।
---

सुगना और उसके ससुर - सुरजबली सिंह

अगले भाग से इसी सप्ताह
यह वाला किस्सा आपने स्टोरी मे थोड़ा ही दिया था. यह किस्सा सबने बहोत एन्जॉय किया था. ऐसा कुछ इस बार फिर से हो जाए.

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Satyaultime123

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अगले अपडेट से सुगना और उनके ससुर सूरजबली सिंह का किस्सा शुरू होगा जो शायद आठ दस भागो में कम से कम चलेगा

सुगना भौजी और उनके ससुर के बारे में पहले भी इस कहानी में जिक्र आ चूका है

भाग ८२ पृष्ठ ८३० में

सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
ससुर के सामने अभी भी हाथ भर का घूंघट काढती, पर्दा करती, परछाईं तक बेराती। घर में एक काम वालियां रहती हीं, कूटना, पीसना, सबके सामने बहुत सम्हल कर, गांव क रीत रिवाज, तुरंत क गौने उतरी बहुरिया,

लेकिन अब ससुर के सामने वो किसी न किसी बहाने, भले ही परदे में,...

कभी चूड़ी खनकाती, कभी पायल झनकाती, कभी कभी आँचल लहराती।

अंगिया भी उसी डारे पर सूखने के लिए डालती जहाँ ससुर बैठते, और टांगती उतारती भी तभी जब ससुर जी आस पास ही हों.
और ससुर को खाने खिलाते उनका दिल भी टटोलती, आग लगाती, उकसाती,...
" भूखे मत रह जाइयेगा, वरना सोचियेगा की कैसी बहू लाया हूँ ससुर को भूखा रखती है, मेरे रहते आप भूखे रहें मुझे अच्छा नहीं लगेगा
। "
और उसके बाद अँजोरिया अस चेहरा और दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखे उठा के देखती तो ससुर जी का टनटना उठता। एक दिन उनके मुंह से निकल गया,
" अरे बार बार मागूंगा, तो तू इतनी सुकुवार देते देते थक जायेगी ".


" अरे बाऊ जी, आप मांग कर के तो देखिये, ... आप भले थक जाएँ, मैं देते देते कभी नहीं थकूँगी,... सुकुवार हूँ, लेकिन जवान भी हूँ,... आपकी बहू हूँ, ..." हँसते हुए कटोरी में दही डालते वो बोली।
--
सुगना खुद भी तो सुलग रही थी और ख़ास तौर से जिस दिन माहवारी ख़त्म होती, बाल धोती वो,... और ससुर जी के सामने, वो भी समझ जाते, ...

तो उस दिन वही दिन था, सुगना सुलग रही रही थी सोच रही बहुत हुआ चोर सिपहिया,

और उस दिन ससुर जी की भी हालत ख़राब थी,... बाल धोने के बाद बहू जब आंगन में आयी थी अलग ही रूप छलक रहा था, चेहरे पे कैसी जबरदस्त प्यास थी । उन्हें मालूम नहीं था क्या की जिस दिन औरत की पांच दिन की छुट्टी खतम होती है वो कितना तड़पती है, सुगना की भी वही हालत थी ।
---

सुगना और उसके ससुर - सुरजबली सिंह

अगले भाग से इसी सप्ताह
Ma bete aur bahu ka scene kyu nhi ho Raha hai, bar bar jab bhi unka scene hone lagta hai, kahani ko kahi aur mod Diya jata hai
 

komaalrani

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Ma bete aur bahu ka scene kyu nhi ho Raha hai, bar bar jab bhi unka scene hone lagta hai, kahani ko kahi aur mod Diya jata hai
Ilsiye ki beta apni saali ko lekar Lucknow chala gaya hai, bataya to tha lasst part men
 

komaalrani

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Update का इंतजार है कोमलजी.

Screenshot-20230904-082901
Phagun ke din chaar aur Joru ka Gullam dono men khoob lambe lambe update post huye hain bas sunday ko yahan bhi . aur ab main comments ka wait kar rhi hun un dono stories pe
 

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Nayi nayi shadi me esi hi tadap hoti hai. Kahi bhi kabhi bhi
Ekdam sahi kaaha aapne josh bhi hota hai jaldibaazi bhi aur isliye meri kahaniyon men baar baar pati patni ka kissa aata hai
 

komaalrani

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Intejaar rahega is shubh ghadi ka. Vese mujhe maa bete pr story achhi nhi lagti. Lekin apne jis tarike se story ka context set kiya hai, mujhe bhi intejar hai us waqt ka
अभी तो सुगना का किस्सा शुरू हो रहा है, सुगना और उसके ससुर का, थोड़ी बहुत झलक पहले भी आ चुकी है पर अब हाल खुलासा होगा और काफी कुछ फ्लैश बैक में भी चलेगा जब सुगना पैदा भी नहीं हुयी थी, सूरज बली सिंह, शादी के नाम से घबड़ाते थे

आठ दस पोस्टो में

हाँ दो बातें और, एक तो बाकी दोनों कहानियों पर भी कभी समय निकाल के अपने हस्ताक्षर अंकित कराइये

और दूसरी आपने जो बात कही थी, मेरे भी विचार मिलते जुलते हैं, मजाक, छेड़खानी की बात और है लेकिन,
पाए बहुत से पाठक मित्र चाहते भी है है तो इसलिए अभी तो काफी दिन
सुगना का ही किस्सा चलेगा
 

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सुगना भौजी और उनके ससुर के बारे में पहले भी इस कहानी में जिक्र आ चूका है

भाग ८२ पृष्ठ ८३० में

सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
ससुर के सामने अभी भी हाथ भर का घूंघट काढती, पर्दा करती, परछाईं तक बेराती। घर में एक काम वालियां रहती हीं, कूटना, पीसना, सबके सामने बहुत सम्हल कर, गांव क रीत रिवाज, तुरंत क गौने उतरी बहुरिया,

लेकिन अब ससुर के सामने वो किसी न किसी बहाने, भले ही परदे में,...

कभी चूड़ी खनकाती, कभी पायल झनकाती, कभी कभी आँचल लहराती।

अंगिया भी उसी डारे पर सूखने के लिए डालती जहाँ ससुर बैठते, और टांगती उतारती भी तभी जब ससुर जी आस पास ही हों.
और ससुर को खाने खिलाते उनका दिल भी टटोलती, आग लगाती, उकसाती,...
" भूखे मत रह जाइयेगा, वरना सोचियेगा की कैसी बहू लाया हूँ ससुर को भूखा रखती है, मेरे रहते आप भूखे रहें मुझे अच्छा नहीं लगेगा
। "
और उसके बाद अँजोरिया अस चेहरा और दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखे उठा के देखती तो ससुर जी का टनटना उठता। एक दिन उनके मुंह से निकल गया,
" अरे बार बार मागूंगा, तो तू इतनी सुकुवार देते देते थक जायेगी ".


" अरे बाऊ जी, आप मांग कर के तो देखिये, ... आप भले थक जाएँ, मैं देते देते कभी नहीं थकूँगी,... सुकुवार हूँ, लेकिन जवान भी हूँ,... आपकी बहू हूँ, ..." हँसते हुए कटोरी में दही डालते वो बोली।
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सुगना खुद भी तो सुलग रही थी और ख़ास तौर से जिस दिन माहवारी ख़त्म होती, बाल धोती वो,... और ससुर जी के सामने, वो भी समझ जाते, ...

तो उस दिन वही दिन था, सुगना सुलग रही रही थी सोच रही बहुत हुआ चोर सिपहिया,

और उस दिन ससुर जी की भी हालत ख़राब थी,... बाल धोने के बाद बहू जब आंगन में आयी थी अलग ही रूप छलक रहा था, चेहरे पे कैसी जबरदस्त प्यास थी । उन्हें मालूम नहीं था क्या की जिस दिन औरत की पांच दिन की छुट्टी खतम होती है वो कितना तड़पती है, सुगना की भी वही हालत थी ।
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सुगना और उसके ससुर - सुरजबली सिंह
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komaalrani

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