Premkumar65
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Wowww Jyoti ka bhara hua badan koi bhi jawan ladka machal jayega. Meri mausi bhi aisi hi thi jab main unke sath rahta tha.मेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली, अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया
और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी
अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था, अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा, और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी
मुझे भी पता नही चला
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अब आगे
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दोस्तो , कहानी के किरदार के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
अभी तक कहानी सलोनी के नज़रिए से चल रही थी
अब उसकी माँ ज्योति के नज़रिए से कहानी का ये हिस्सा पढ़ते हैं
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ज्योति
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अपने पति को ऑफीस भेजने के बाद करीब 1 घंटे का समय होता था ज्योति के पास
उसमें वो आराम से नहाती, मेकअप करती और फिर अपनी लाडली के लिए नाश्ता नाश्ता और फिर उसे उठाने जाती
आज फिर से वही रुटीन वाली जॉब करते हुए जब वो उसके कमरे में गयी तो एक बार फिर से ज़मीन पर पड़े उसके कपड़े देखकर वो बुदबुदाने लगी
“हे भगवान, फिर से सारे कपड़े निकाल कर सो गयी ये, कितनी बार बोला है अब तू जवान हो गयी है, ये बच्चों वाली हरकत करना छोड़ दे, पर फिर भी नही मानती ये तो…”
और कपड़े उठाते हुए अचानक से वो ठिठक कर रुक गयी
“अर्रे…ये कपड़े…ये तो सलोनी को मना किए थे इसके पापा ने, फिर ये क्यो पहने इसने…”
अपनी बेटी के प्रति उसका लाड ही था जो उसके लिए किसी अनहोनी की आशंका के साथ ही चिंता मे बदल जाता था
कहीं उसके पापा ने उसे इन कपड़ो में देख लिया तो क्या बोलेंगे, फिर से डांट पड़ेगी, पिटाई करेंगे
और अपनी जवान बेटी को वो ये सब सहन करते हुए वो नही देख सकती थी
वो उठी और उसकी तरफ गयी
पर एक बार फिर से ठिठक कर रुक गयी
उसका मुँह खुला का खुला रह गया
सलोनी अपनी चादर में से आधे से ज़्यादा बाहर निकली हुई थी और गहरी नींद में थी
उसने कुछ पहना तो नही था इसलिए उसके तने हुए बूब्स उसकी आँखो के सामने थे
एक पल के लिए तो उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये
ठीक ऐसे ही थे उसके बूब्स भी उस वक़्त
करीब 34 का साइज़ और गोरे चिट्टे
उसने गोर से देखा तो सलोनी के निप्पल के पास भी उसे अपनी तरह का एक काला तिल दिखाई दिया
वो मुस्कुरा दी
इसे कहते है मा की कार्बन कॉपी होना
कुछ देर पहले का गुस्सा अब प्यार में बदल चूका था
उसने आगे बढ़कर सलोनी के माथे को धीरे से सहलाया
और बोली : “सलोनी….ओ मेरी बच्ची …उठ जा लाडो….देख 9 बज गये है, कॉलेज भी तो जाना है ना…”
सलोनी ने माँ के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसे अपने गाल के नीचे दबाकर फिर से सो गयी
वो उम्म्म्म की आवाज करके फिर से सो गयी
ज्योति ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार से देखा और बोली : “ओके …सो जा कुछ देर और…फिर आ जाना..”
इतना कहकर उसने अपना हाथ खींच कर बाहर निकाला
और हाथ निकालते हुए वो उसके बूब से टकरा गया…
एक पल के लिए उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी…
ये पहला अवसर था जब उसने अपनी बेटी के बूब को टच किया था
बड़ा ही मुलायम था वो…
एकदम किसी जेल्ली बॉल जैसा
उसके हाथ खुद ब खुद उसके निप्पल्स की तरफ खींचते चले गये
एक औरत का अपनी ही बेटी के शरीर को इस प्रकार से देखना और छूना कितना ग़लत था
ये वो भी अच्छी तरह से जानती थी
पर थी तो वो एक इंसान ही ना
नंगे शरीर को देखकर जो फ़ितरत अंदर से आती है
वो भला कहा जाएगी
उसने हल्की उंगलियों से उसके निप्पल पर अपनी पकड़ बना ली और उन्हे होले से दबा दिया..
सलोनी अभी आधी नींद में थी
पर उसे कुछ भी पता नही चल रहा था
उसने फिर से उसके निप्पल को अपनी उँगलियों में भींच सा दिया
इस बार उसके शरीर में हलचल सी हुई
मॉर्निंग इरेक्शन उसके निप्पल्स में पहले से था
ज्योति की इस हरकत ने उसे पूरे शबाब पर ला दिया
वो गहरी साँसे लेने लगी
शायद वो कोई सपना देख रही थी
जिसमें उसे ये लग रहा था की कोई उसके निप्पल्स को दबा रहा है या चूस रहा है
इस वक़्त ज्योति को भी होश नही रह गया था की वो अगर जाग गयी तो उसके बारे में क्या सोचेगी
उसे पता नही क्या मज़ा मिल रहा था
उसके गुलाबी निप्पल्स को सहलाने में
रगड़ने में
मसलने में
अचानक ज्योति के होंठ सूख से गये
उसने जीभ से उन्हे गीला किया पर कुछ नही हुआ
पर जब उसकी नज़रें उन रसीले निप्पल्स पर गयी तो अपने आप ढेर सारा पानी लार बनकर मुँह में आ गया
अब उसे पता था की क्या करना है
वो धीरे से अपनी बेटी की छाती पर झुकी और उसने सलोनी के निप्पल को मुँह में लेकर चूस लिया
और यही वो पल था जब एक जोरदार सिसकारी मारती हुई सलोनी नींद से जाग गयी
और हड़बड़ाते हुए जब उसने अपनी माँ को अपने सामने बैठे देखा तो सकपका सी गयी
चादर काफ़ी नीचे थी , इसलिए वो अपनी छातिया भी ढक नही सकती थी
उसने अपने हाथ बूब्स पर रखे पर उसका भी कोई फायदा नही था
ज्योति (मुस्कुराते हुए) : “जब नंगे सोने में कोई शर्म नही है तो अपनी माँ के सामने क्यो छुपा रही है…”
सलोनी भी मुस्कुरा दी और उसने अपने हाथ नीचे कर लिए
ये पहली बार था जब वो इतने खुलेपन से अपनी तनी हुई छातियाँ माँ के सामने लेकर बैठी थी
ज्योति ने उन्हे गोर से देखा, गोरे बूब्स पर नीले रंग की नसें दिखाई दे रही थी
इतना गोरा शरीर था उसका
सलोनी : “मोम …..आर यू ओके ….ऐसे क्या देख रहे हो….मुझे शर्म आ रही है…”
ज्योति अपनी जगह से उठते हुए : “अब शर्म आ रही है, कितनी बार बोला है रात को कपड़े पहन कर सोया कर…पर तुझे समझ ही नही आती, किसी दिन मेरी जगह पापा आ गये ना कमरे में , तब तो तेरी खैर ही नही है…”
ज्योति की बात सुनकर सलोनी मुस्कुरा दी और फिर बड़ी ही बेशर्मी से बोली : “आ जाए तो आ जाए, जिस दिन उन्होने मुझे ऐसे देख लिया ना तो अगले दिन से ही मुझे डांटना बंद कर देंगे…देखना”
ज्योति (आँखे चौड़ी करते हुए) “बेशरम…अपने बाप के लिए ऐसा बोलती है…ठहर तुझे अभी बताती हूँ …”
उसकी माँ के चेहरे पर गुस्सा नही बल्कि मुस्कान आई थी ये सुनकर…
इसलिए सलोनी भी खिलखिला कर हंस दी
और बोली : "माँ, आप भी करके देखना ऐसे किसी दिन, बड़ा मज़ा आता है "
और अपनी माँ से बचने के लिए वो किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई बाथरूम में घुस गयी
अब ज्योति को फिर से झटका लगा
उसके सामने ही उसकी 22 साल की जवान बेटी नंगी भागती हुई जा रही थी उसके सामने से
ज्योति कुछ देर तक तो वही खड़ी रही और फिर किचन की तरफ चल दी
उसके जहन में अभी तक अपनी जवान बेटी का नंगा जिस्म कौंध रहा था
करीब आधे घंटे बाद सलोनी अपने रूम से तैयार होकर निकली और नाश्ते का टिफ़िन लेकर कॉलेज के लिए निकल गयी
वो केंटीन में जाकर ब्रेकफास्ट करती थी
सलोनी के जाते ही ज्योति ने दरवाजा बंद किया और अपनी कुर्ती निकाल कर दूर ज़मीन पर फेंक दी
जिस बात की नसीहत वो बेटी को दे रही थी, वही ग़लत काम वो खुद कर रही थी
पर इसमे कितना रोमांच था ये उसे अब महसूस हुआ
सलोनी सही कह रही थी, मजा तो आ रहा था उसे भी
पूरे घर में वो अकेली थी इस वक़्त
उसने ब्रा भी निकाल दी और नीचे की सलवार और पेंटी भी
पूरे ड्राइंग रूम में उसके कपड़े बिखर कर रह गये
और उनके बीच वो खड़ी थी जैसे कोई कमल का फूल
पूरी नंगी
उसने शीशे मे अपने आप को देखा और खुद ही इतरा उठी
कुछ ज़्यादा फ़र्क नही था उसमें और सलोनी के जिस्म में
बस उम्र के साथ थोड़ी चर्बी चढ़ गयी थी उसके जिस्म पर
पर वो चर्बी उसे और सैक्सी बना रही था
एकदम चब्बी टाइप की औरत थी वो
जैसी आजकल के मर्दो को
ख़ासकर जवान लड़को को पसंद है






















