• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
मेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली, अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया

और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी

अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था, अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा, और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी

मुझे भी पता नही चला

*************
अब आगे
*************

दोस्तो , कहानी के किरदार के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
अभी तक कहानी सलोनी के नज़रिए से चल रही थी
अब उसकी माँ ज्योति के नज़रिए से कहानी का ये हिस्सा पढ़ते हैं
*************************************************************

ज्योति
******



अपने पति को ऑफीस भेजने के बाद करीब 1 घंटे का समय होता था ज्योति के पास
उसमें वो आराम से नहाती, मेकअप करती और फिर अपनी लाडली के लिए नाश्ता नाश्ता और फिर उसे उठाने जाती

आज फिर से वही रुटीन वाली जॉब करते हुए जब वो उसके कमरे में गयी तो एक बार फिर से ज़मीन पर पड़े उसके कपड़े देखकर वो बुदबुदाने लगी

“हे भगवान, फिर से सारे कपड़े निकाल कर सो गयी ये, कितनी बार बोला है अब तू जवान हो गयी है, ये बच्चों वाली हरकत करना छोड़ दे, पर फिर भी नही मानती ये तो…”

और कपड़े उठाते हुए अचानक से वो ठिठक कर रुक गयी

“अर्रे…ये कपड़े…ये तो सलोनी को मना किए थे इसके पापा ने, फिर ये क्यो पहने इसने…”

अपनी बेटी के प्रति उसका लाड ही था जो उसके लिए किसी अनहोनी की आशंका के साथ ही चिंता मे बदल जाता था
कहीं उसके पापा ने उसे इन कपड़ो में देख लिया तो क्या बोलेंगे, फिर से डांट पड़ेगी, पिटाई करेंगे
और अपनी जवान बेटी को वो ये सब सहन करते हुए वो नही देख सकती थी

वो उठी और उसकी तरफ गयी
पर एक बार फिर से ठिठक कर रुक गयी
उसका मुँह खुला का खुला रह गया
सलोनी अपनी चादर में से आधे से ज़्यादा बाहर निकली हुई थी और गहरी नींद में थी
उसने कुछ पहना तो नही था इसलिए उसके तने हुए बूब्स उसकी आँखो के सामने थे



एक पल के लिए तो उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये
ठीक ऐसे ही थे उसके बूब्स भी उस वक़्त
करीब 34 का साइज़ और गोरे चिट्टे
उसने गोर से देखा तो सलोनी के निप्पल के पास भी उसे अपनी तरह का एक काला तिल दिखाई दिया
वो मुस्कुरा दी
इसे कहते है मा की कार्बन कॉपी होना
कुछ देर पहले का गुस्सा अब प्यार में बदल चूका था
उसने आगे बढ़कर सलोनी के माथे को धीरे से सहलाया
और बोली : “सलोनी….ओ मेरी बच्ची …उठ जा लाडो….देख 9 बज गये है, कॉलेज भी तो जाना है ना…”

सलोनी ने माँ के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसे अपने गाल के नीचे दबाकर फिर से सो गयी

वो उम्म्म्म की आवाज करके फिर से सो गयी

ज्योति ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार से देखा और बोली : “ओके …सो जा कुछ देर और…फिर आ जाना..”

इतना कहकर उसने अपना हाथ खींच कर बाहर निकाला
और हाथ निकालते हुए वो उसके बूब से टकरा गया…

एक पल के लिए उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी…
ये पहला अवसर था जब उसने अपनी बेटी के बूब को टच किया था
बड़ा ही मुलायम था वो…
एकदम किसी जेल्ली बॉल जैसा

उसके हाथ खुद ब खुद उसके निप्पल्स की तरफ खींचते चले गये
एक औरत का अपनी ही बेटी के शरीर को इस प्रकार से देखना और छूना कितना ग़लत था
ये वो भी अच्छी तरह से जानती थी

पर थी तो वो एक इंसान ही ना
नंगे शरीर को देखकर जो फ़ितरत अंदर से आती है
वो भला कहा जाएगी
उसने हल्की उंगलियों से उसके निप्पल पर अपनी पकड़ बना ली और उन्हे होले से दबा दिया..

सलोनी अभी आधी नींद में थी
पर उसे कुछ भी पता नही चल रहा था

उसने फिर से उसके निप्पल को अपनी उँगलियों में भींच सा दिया
इस बार उसके शरीर में हलचल सी हुई

मॉर्निंग इरेक्शन उसके निप्पल्स में पहले से था
ज्योति की इस हरकत ने उसे पूरे शबाब पर ला दिया
वो गहरी साँसे लेने लगी

शायद वो कोई सपना देख रही थी
जिसमें उसे ये लग रहा था की कोई उसके निप्पल्स को दबा रहा है या चूस रहा है

इस वक़्त ज्योति को भी होश नही रह गया था की वो अगर जाग गयी तो उसके बारे में क्या सोचेगी
उसे पता नही क्या मज़ा मिल रहा था

उसके गुलाबी निप्पल्स को सहलाने में
रगड़ने में
मसलने में

अचानक ज्योति के होंठ सूख से गये
उसने जीभ से उन्हे गीला किया पर कुछ नही हुआ
पर जब उसकी नज़रें उन रसीले निप्पल्स पर गयी तो अपने आप ढेर सारा पानी लार बनकर मुँह में आ गया
अब उसे पता था की क्या करना है

वो धीरे से अपनी बेटी की छाती पर झुकी और उसने सलोनी के निप्पल को मुँह में लेकर चूस लिया



और यही वो पल था जब एक जोरदार सिसकारी मारती हुई सलोनी नींद से जाग गयी
और हड़बड़ाते हुए जब उसने अपनी माँ को अपने सामने बैठे देखा तो सकपका सी गयी
चादर काफ़ी नीचे थी , इसलिए वो अपनी छातिया भी ढक नही सकती थी
उसने अपने हाथ बूब्स पर रखे पर उसका भी कोई फायदा नही था

ज्योति (मुस्कुराते हुए) : “जब नंगे सोने में कोई शर्म नही है तो अपनी माँ के सामने क्यो छुपा रही है…”

सलोनी भी मुस्कुरा दी और उसने अपने हाथ नीचे कर लिए
ये पहली बार था जब वो इतने खुलेपन से अपनी तनी हुई छातियाँ माँ के सामने लेकर बैठी थी
ज्योति ने उन्हे गोर से देखा, गोरे बूब्स पर नीले रंग की नसें दिखाई दे रही थी
इतना गोरा शरीर था उसका

सलोनी : “मोम …..आर यू ओके ….ऐसे क्या देख रहे हो….मुझे शर्म आ रही है…”

ज्योति अपनी जगह से उठते हुए : “अब शर्म आ रही है, कितनी बार बोला है रात को कपड़े पहन कर सोया कर…पर तुझे समझ ही नही आती, किसी दिन मेरी जगह पापा आ गये ना कमरे में , तब तो तेरी खैर ही नही है…”

ज्योति की बात सुनकर सलोनी मुस्कुरा दी और फिर बड़ी ही बेशर्मी से बोली : “आ जाए तो आ जाए, जिस दिन उन्होने मुझे ऐसे देख लिया ना तो अगले दिन से ही मुझे डांटना बंद कर देंगे…देखना”

ज्योति (आँखे चौड़ी करते हुए) “बेशरम…अपने बाप के लिए ऐसा बोलती है…ठहर तुझे अभी बताती हूँ …”

उसकी माँ के चेहरे पर गुस्सा नही बल्कि मुस्कान आई थी ये सुनकर…
इसलिए सलोनी भी खिलखिला कर हंस दी

और बोली : "माँ, आप भी करके देखना ऐसे किसी दिन, बड़ा मज़ा आता है "

और अपनी माँ से बचने के लिए वो किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई बाथरूम में घुस गयी
अब ज्योति को फिर से झटका लगा

उसके सामने ही उसकी 22 साल की जवान बेटी नंगी भागती हुई जा रही थी उसके सामने से

ज्योति कुछ देर तक तो वही खड़ी रही और फिर किचन की तरफ चल दी
उसके जहन में अभी तक अपनी जवान बेटी का नंगा जिस्म कौंध रहा था



करीब आधे घंटे बाद सलोनी अपने रूम से तैयार होकर निकली और नाश्ते का टिफ़िन लेकर कॉलेज के लिए निकल गयी
वो केंटीन में जाकर ब्रेकफास्ट करती थी

सलोनी के जाते ही ज्योति ने दरवाजा बंद किया और अपनी कुर्ती निकाल कर दूर ज़मीन पर फेंक दी
जिस बात की नसीहत वो बेटी को दे रही थी, वही ग़लत काम वो खुद कर रही थी
पर इसमे कितना रोमांच था ये उसे अब महसूस हुआ
सलोनी सही कह रही थी, मजा तो आ रहा था उसे भी

पूरे घर में वो अकेली थी इस वक़्त
उसने ब्रा भी निकाल दी और नीचे की सलवार और पेंटी भी
पूरे ड्राइंग रूम में उसके कपड़े बिखर कर रह गये
और उनके बीच वो खड़ी थी जैसे कोई कमल का फूल
पूरी नंगी



उसने शीशे मे अपने आप को देखा और खुद ही इतरा उठी
कुछ ज़्यादा फ़र्क नही था उसमें और सलोनी के जिस्म में
बस उम्र के साथ थोड़ी चर्बी चढ़ गयी थी उसके जिस्म पर
पर वो चर्बी उसे और सैक्सी बना रही था
एकदम चब्बी टाइप की औरत थी वो
जैसी आजकल के मर्दो को
ख़ासकर जवान लड़को को पसंद है
Wowww Jyoti ka bhara hua badan koi bhi jawan ladka machal jayega. Meri mausi bhi aisi hi thi jab main unke sath rahta tha.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
जवान लड़के का ध्यान आते ही उसके जहन में अपने धोभी का लड़का बबलू आ गया

जो रोज उसके घर से कपड़े लेने आता था
वो करीब 24 साल का था, उसकी नज़रों के सामने ही बड़ा हुआ था वो
सोसायटी के नीचे ही धोभि ने एक झोपड़ी डाली हुई थी, जिसमें वो अपनी पहाड़न बीबी और एक लड़के के साथ रहता था
घर से कपड़े लेने-देने का काम शुरू से ही ये बबलू करता था
उसे देखकर हमेशा उसे कुछ होता था अंदर से

कई बार तो वो अपने पति से सैक्स करते समय भी उसके बारे में सोचकर ही झड़ा करती थी
और आज जब वो इस तरह से उत्तेजना में भरकर नंगी खड़ी थी तो उसे बबलू ही याद आया

उसने अपने मुँह से ढेर सारी लार निकाल कर अपनी उंगलियो मे इकट्ठा की और सीधा लेजाकर अपनी चूत में घुसेड दिया उसे
और चिल्ला पड़ी

“आआआआआआआआआहह ओह बबल्ूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ उम्म्म्मममममममममम”



यहाँ उसने आवाज़ मारी और बाहर एकदम से बेल बज गयी

और बबलू की आवाज़ आई : “मेमसाब …..कपड़े…”

ज्योति तो एकदम से भोचक्की रह गयी उसकी आवाज़ सुनकर
और डर भी गयी की कहीं उसने कुछ सुन तो नही लिया

साले ने आकर अच्छे भले मूड की माँ बहन एक कर दी
अभी तो पहली डुबकी ही लगाई थी उसने अपनी चूत में उसके नाम की
एक तो उसका काम बीच मे रोक दिया
उपर से कपड़े -2 चिल्ला रहा है बाहर खड़ा होकर
अब कौनसे कपड़े दूँ इसे
ये ,जो ज़मीन पर पड़े है…
हे भगवान
इसे भी अभी आना था

उसने जल्दी से ज़मीन पर पड़े कपड़े उठाए और उन्हे बेड पर जाकर रख दिया
उसकी फिर से आवाज़ आई : “मेडम जी…..कपड़े…”

ज्योति चिल्लाई : “आ रही हूँ ……नहा रही थी….रुक जा..”

नहा रही थी
ये सुनते ही बाहर खड़े बबलू के मुँह से भी लार टपक गयी
वो भी साला एक नंबर का ठरकी था

सोसाइटी की ऐसी औरतों को ताड़ने में उसे भी काफ़ी मज़ा आता था
कुछ के साथ तो वो काफ़ी घुल मिल गया था और मज़ाक भी कर लेता था
पर ये इनस्पेक्टर का घर था
इसलिए उसे डर लगा रहता था की कही साहब को पता ना चल जाए
वरना उनकी बीबी तो एक नंबर की गोल बोटी वाला माल थी

वो उनके बारे मे सोच ही रहा था की अंदर का दरवाजा खुला और ज्योति की आवाज़ आई : “अंदर आ जा बबलू…कपड़े निकालती हूँ मैं ”

वो अंदर आया और उसने दरवाजा बंद कर दिया
और जैसे ही वो पलटा ज्योति भाभी को देखकर उसके कान लाल हो गये
वो एक टॉवल में खड़ी थी जिसे उसने अपनी छाती के चारों तरफ लपेट रखा था
जिसमें उसके मोटे बूब्स काफ़ी मुस्किल से समा पा रहे थे
आधे से ज़्यादा तो वो बाहर थे




एकदम गोरे चिट्टे
पहाड़ जैसे बड़े
ठीक उसकी माँ जैसे
उन्हे भी वो छुप -2 कर देखा करता था
पर ये मेमसाहब के तो और भी ज़्यादा गोरे और मोटे थे
और नीचे उनकी मोटी थाइ
उफफफ्फ़
उसका बस चलता तो यहीं लेटाकर उन्हे चूम लेता
नंगा करके
पर बाहर नेम प्लेट पर जो इनस्पेक्टर लिखा है
उसकी याद आते ही उसका जोश ठंडा हो गया

ज्योति : “रुका नही जाता तुझसे भी, कपड़े-2 चिल्ला कर सारा मूड खराब कर दिया….अच्छी भली मैं …”

कहते-2 वो रुक गयी
फिर बोली “नहा रही थी….बेकार में आकर टोक दिया…”

बबलू : “सॉरी मेडम जी….मैं बाद में आता हूँ …आप एंजाय कर लो…मेरा मतलब है…नहा लो…”

उसकी बात सुनकर वो मुस्कुराइ
और बोली : “अब आया है तो ले ही जा …वरना बाद में फिर से परेशान होगा इतना उपर आकर…”

इतना कहकर वो चल दी और अपने कमरे से प्रेस वाले कपड़े निकाल कर ले आई
कपड़े गिनकर बबलू ने एक गठरी बना ली और जैसे ही चलने को हुआ उसकी नज़र कुर्सी के नीचे गिरी पेंटी पर गयी
जिसे ज्योति उठाना भूल गयी थी

बबलू की नज़रों का पीछा करते हुए ज्योति ने जब वहां देखा तो वो खुद ही शर्मा गयी
और बोली : “इशhhhhhh….ये यहाँ पड़ी है, मैने नहाने के बाद पहननी थी, पता नही कब गिर गयी”

वो उसे उठाने के लिए जैसे ही झुकी, टावल ने उसका साथ छोड़ दिया
उसने टाइट करके उसे बाँधा था, झुकने की वजह से वो खुल गया और उसके हाथों पर आकर झूल गया

और वो उसके सामने नंगी खड़ी थी अब



बबलू की तो ज़ुबान ज़मीन पर आ लगी ये नज़ारा देखकर
और ज्योति का तो शर्म के मारे बुरा हाल था
हालाँकि अभी कुछ देर पहले वो उसकी के नाम का मास्टरबेट कर रही थी
पर ये स्थिति अलग थी

ज्योति के भी पैर जहाँ के तहाँ जमे रह गये
शर्म के मारे उसका बुरा हाल था, उसने आँखे बंद कर ली

सामने खड़े बबलू को अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
उसके ठीक सामने उसकी मनपसंद भाभी नंगी खड़ी थी
मोठे-२ मुम्मे और गोल मटोल गांड थी उनकी

लॅंड भी उसका एकदम टाइट हो चुका था
अभी थूक लगाकर अंदर पेल दे तो सरसरता हुआ पूरी गुफा नाप लेगा वो
क्योंकि भाभी की चूत भी तो पनिया रही थी

पर ये एकदम से स्टेचू क्यों हो गयी
कही ये उसके लिए कोई निमंत्रण तो नही है
उसने हिम्मत करते हुए कपड़ो की गठरी साइड मे रखी और उनके करीब आया
और भाभी का कंधा पकड़ कर उन्हे धीरे से सहलाया
फिर वो धीरे-२ उनके पीछे की तरफ आ खड़ा हुआ

“ओह्ह भाभी…आपको कही चोट तो नही लगी ना….”
Jab Jyoti itni sex se bhari hui hai to beti Saloni ko to bomb hona hi tha. Bahut khub likh rahe ho.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
ज्योति को उसका लॅंड अपनी गांड पर चुभता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था
ये तो एकदम सपने जैसा था
बेशर्म तो वो बन ही चुकी थी, अपना जिस्म दिखाकर
अब उस से क्या छिपाना
इसलिए उसने खुद को हालत के भरोसे छोड़ दिया
की देखते है आज क्या होता है

बबलू के दोनो हाथ उसके कंधो पर थे
उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी, जिसकी वजह से उसका सीना उपर नीचे हो रहा था
बबलू का कद उस से लंबा था, इसलिए वो उसके पीछे से खड़ा होकर उसके उठते-गिरते सीने को देख पा रहा था
इतने विशाल मुम्मे उसने आज तक नही देखे थे

मन तो उसका कर रहा था की आगे हाथ बढ़ाकर उन्हे दबोच ले
पर वो जल्दबाज़ी में कोई गड़बड़ी नही करना चाहता था
पर धीरे-2 वो अपने हाथो से ज्योति के कंधो की मसाज करने लगा
कंधो पर सख़्त मर्द के हाथ लगते ही औरत पिघल सी जाती है
यही ज्योति के साथ भी हुआ
वो एक लंबी सांस लेकर उसके कंधे पर पीछे की तरफ झुकती चली गयी
ये एक मौन स्वीकृति थी उसके लिए
अब उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर उसकी कमर को दबाना शुरू किया, और धीरे-2 उसे पेट की तरफ ले जाने लगा
ज्योति अब अपने पंजो पर खड़ी हो चुकी थी
और उपर नीचे होकर वो उसके लॅंड को अपनी गांड पर घिस्से मरवा रही थी

सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा ये तो दोनो ने नही सोचा था
बबलू ने अपनी पेंट की जीप खोल दी और अपने अटके हुए लॅंड को बाहर निकाल लिया
लॅंड बाहर निकलते ही वो सीधा ज्योति के नर्म कुल्हो से टकराया
एक बिजली सी कौंध गयी उसके पुर जिस्म में
ज्योति ने भी हिम्मत करते हुए हाथ पीछे करके उसके साँप को पकड़ लिया
और बबलू ने हिम्मत करके उसके मुम्मे को

उफफफफफ्फ़
कितना फुफकारता है ये
इसका तो जहर निकालना पड़ेगा
वो आँखे बंद किए-2 ही पलटी और सीधा उसके सामने बैठ कर उसके साँप को निगल गयी
और गपा गॅप करके निकालने लगी उसका सारा जहर

बबलू को तो यकीन ही नही हुआ की ये ये रसीली भाभी उसका लॅंड चूस रही है
आज से पहले उसने सिर्फ़ 2 औरतों के साथ ही सैक्स किया था
पर किसी ने भी उसका लॅंड नही चूसा था
ये तो कमाल हो गया
वो मन ही मन उस पल का धनयवाद कर रहा था जब वो आया और उसका भी जब वो टॉवल निकल गया उनके बदन से

औरत इतनी आसानी से हाथ आ जाती है ये तो उसे पता ही नही था
आजतक वो ना जाने कितनी औरतों को चोद चुका होता

पर अब इसी एक्सपीरियेन्स का इस्तेमाल करके वो आने वाले दिनों में तबाही मचाने वाला था
जितनी भी भाभियाँ , आंटियां और लड़कियां उस से हंस कर बात करती थी वो उनपर ट्राइ करने वाला था आज के बाद
आई तो आई वरना देखी जाएगी

पर अभी के लिए तो वो आसमान पर था
क्योंकि उसका लॅंड ज्योति भाभी किसी मंझी हुई रांड की तरह चूस रही थी



ज्योति को भी अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था की वो इतनी बेशर्मी से एकदम से पिघल जाएगी और धोबी का लॅंड अपने मुँह में लेगी
एक इनस्पेक्टर की बीबी और वो भी धोभी के साथ
सोचकर की कितना अजीब लगता है
पर ये अनोखापन ही ज्योति को अंदर से उत्तेजित कर रहा था
वो चाहती थी की उसे इसी तरह के काम करने वाले लोग जैसे धोभी, ड्राइवर, चोकीदार , सब्जी वाला वो सब उसे चोदे

क्योंकि ये मेहनती इंसान जब अपनी रोज़ी रोटी के लिए जी जान लगा देते है तो सोचो चोदने के लिए क्या कारनामे करते होंगे
बस यही वो महसूस करना चाहती थी
यही फॅंटेसी थी उसकी
और आज अपनी फॅंटेसी का पहला एहसास पाकर उसे अंदर से बहुत खुशी हो रही थी

अब उसने आँखे खोली
एकदम मोटा और लंबा लॅंड था बबलू का
ब्राऊन कलर का

और उपर बबलू अपनी आँखे बंद किए उस लॅंड चुसाई का मज़ा ले रहा था



उसने और ज़ोर से उसके लॅंड को चूसना शुरू कर दिया
आज वो उसका सारा जहर पी जाना चाहती थी
और वही हुआ
जिसके लिए वो मेहनत कर रही थी
उसके नाग ने एक के बाद एक पिचकारी मारकर अपना सारा जहर उसके चेहरे और मुँह के अंदर जमा करवाना शुरू कर दिया



उफ़फ्फ़
ये गरमा गरम हलवा इतना स्वादिष्ट होगा, उसे भी पता नही था
वो चपर -2 करके सारा रस पी गई उसका

सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली
ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा

ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”

बबलू : “जी…”

ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”

वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी
क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से
पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे
Uffff Jyoti to Saloni se jyada chuddakad hai. pahli baar me hi dhobi ka lund munh me le liya.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली, ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा
ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”
बबलू : “जी…”
ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”
वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी, क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से, पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे
***********
अब आगे
************
दोस्तो, जैसा पिछले अपडेट मे मैने कहा था की कहानी के पात्रों के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
शुरू की कहानी आपने सलोनी के नज़रिए से पढ़ी और पिछला अपडेट आपने सलोनी की माँ ज्योति के नज़रिए से
आज का अपडेट आप सलोनी के इनस्पेक्टर बाप यानी शमशेर सिंह की नज़र से पढ़ेंगे

इनस्पेक्टर शमशेर सिंह
***********************
सभी की लाइफ बदल रही थी
सलोनी की
उसकी माँ ज्योति की
सलोनी की सबसे करीबी दोस्त श्रुति की
और सबसे ज़्यादा तो सलोनी के पापा शमशेर की

जिसे जाने या अंजाने में ही सही
अपनी बेटी के रसीले शरीर को स्पर्श करने का सुखद एहसास मिल गया था
और जब से वो कल रात वाला वाक़या हुआ था, उसकी तो नींद ही उड़ चुकी थी
उसके दिल में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी
आख़िर था तो वो एक बाप ही

अपनी ही बेटी के बारे में इस तरह से सोचना कितना अनैतिक है ये भी वो अच्छी तरह से जानता था
पर इसी अनैतिक कार्य को करने और सोचने में इतना आनंद क्यों मिल रहा है
इतनी उत्तेजना क्यों महसूस हो रही है
ऐसी उत्तेजना तो आज तक उसने कभी महसूस नही की थी
रात भर वो ढंग से सो भी नही पाया था
रह रहकर उसे अपनी बेटी का नर्म शरीर और उसका स्पर्श याद आ रहा था
ख़ासकर उसकी गर्म गांड का वो एहसास जब वो उसकी गोद में बैठी थी
ठीक उसके कड़क लॅंड के उपर

और सबसे ख़ास वो पल जब उसने अपनी शर्ट उपर करके उसके चेहरे को पोंछा था
उसके गुदाज स्तन का वो स्पर्श उसे अब तक झींझोड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था

सुबह उठकर उसका मन तो हुआ की एक बार जाकर देखे उसके कमरे में
पर पता नही क्यों उसके चोर दिल ने हिम्मत ही नही की
(अगर चला जाता तो उसे नंगा सोते देखकर वहीं चोद देता शायद)

घर से निकलकर वो सीधा पुलिस स्टेशन पहुँचा
और वहां पहुँचते ही उसे वही लड़की फिर से बाहर ही मिल गयी जिसके बाप को उसने दो दिन पहले रेड लाइट एरिया की रेड में पकड़ा था

लड़की : “साहब…साहब…अब तो मेरे बापू को छोड़ दो….वो किसी का समान देने गया था, ये रही उसकी पर्ची, सेठ ने ही भेजा था उसे समान पहुँचाने, आपने बेकार में पकड़ लिया…वो निर्दोष है साहब….छोड़ दो उन्हे…”

मैने उस लड़की को उपर से नीचे तक गोर से देखा
घाघरा चोली पहन रखी थी उसने
काला रंग उपर से महीनो से नहाई भी नही थी शायद…
अब ऐसी जवान लड़कियां जो सड़क किनारे बने झोपडे में रहती है, कहाँ ही नहा पाती होंगी…

मैने पूछा : “तेरा नाम क्या है…क्या काम करती है तू…”

उसने झिझकते हुए नीचे नज़रें करके कहा : “जी….जी…सलोनी..”

सलोनी सुनते ही मेरे पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये
कहाँ तो मेरी फूल जैसी गोरी बेटी और कहाँ ये काली कलूटी , मैली कुचेली लड़की
पर उम्र दोनो की एक ही थी लगभग

और हां , इसकी आँखे कुछ ज़्यादा ही सुंदर थी



अब मैने गोर से देखना शुरू किया उसे
काले रंग की चोली में उसके स्तन बड़ी मुश्किल से दबा कर रखे थे उसने
शायद चोली छोटी हो गयी थी उसकी
जिसकी वजह से उसका यौवन उपर से बाहर निकल रहा था
गले में 2-4 मोटी माला पहन रखी थी उसने
जैसे बंजारे पहनते है, हाथों में भी कई सारी चूड़िया थी उसके

नीचे उसका सेक्सी सा पेट जिसमें नाभि अंदर तक धँसी थी
और नीचे उसका फेला हुआ नितंब जिसपर उसने गाँठ लगाकर लहँगा पहन रखा था
लहंगे में भी कई पेबंद लगे थे
एक जगह से फटा भी हुआ था पर गोर से देखने पर भी कुछ पता नही चल रहा था क्योंकि अंदर उसकी टांगे भी काली थी पूरी

कुल मिलाकर एक जवान सी लड़की को ग़रीबी का लिबास पहना कर खड़ा किया हुआ था उसकी किस्मत ने मेरे सामने

फिर वो बोली : “और मैं, चोराहों और रेड लाइट पर डांस करके अपने बापू का सहयोग देती हूँ …मेरी माँ भी मेरे साथ काम करती थी पहले, पर एक तेज रफ़्तार कार ने उसकी टांगे कुचल दी, तभी से मैं और बापू कमाते है और वो घर रहती है…”

ऐसे किस्से कहानियां तो मैं कई बार सुन चुका था
पर इस लड़की के सलोनी नाम की वजह से कुछ ख़ास दिलचस्पी होने लगी थी मुझे इसमें अब

मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला : “चल अंदर…देखते है मैं क्या कर सकता हूँ …”

उसे लेजाकर मैं सीधा अपने केबिन में गया और 2 चाय लाने को बोला मैंने एक हवलदार को

अब मैं उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में आ चूका था
मेरी बेटी का नाम लेकर घूमेगी तो ऐसे ही थोड़े जाने दूँगा इसे

मैं बोला : “देख, तेरे बापू को रेड में रंगे हाथो पकड़ा है एक धंधे वाली के साथ, भले ही वो सेठ के काम से गया था वहां, पर है तो वो इंसान ही ना, मचल गया होगा किसी को देखकर उसका दिल”

सलोनी : “नही साहब, मेरे बापू ऐसे नही है…”

मैने गुस्से से टेबल पर हाथ पटका और गुर्राया : “तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ …मैने खुद उसे कोठा नंबर 7 से पकड़ा है, पूरा नंगा होकर गांड मार रहा था वो एक रंडी की, तेरी ही उम्र की थी वो भी….”

मेरे इतना कहने के बाद उसका चेहरा देखने लायक था
शायद मैं ऐसा कुछ बोल दूँगा इसकी उसे भी उम्मीद नही थी
पर मुझे तो उसके एक्सप्रेशन देखकर मज़ा आ रहा था

उसने सिर झुका लिया, शायद वो समझ चुकी थी की उसका बाप ही ठरकी है

मैं : “देख, ये सारे काम बरसो से होते आ रहे है…हमे भी पता है, हर इंसान की मजबूरी और ज़रूरत होती है, उसी को पूरा करने तेरा बाप गया था वहां …पर उसकी किस्मत खराब थी, उस दिन उपर आर्डर था रेड मारने का, वरना किसी को पता भी नही चलता , अब वो फँस गया है इसमें , निकलना मुश्किल है 3 महीने से पहले…”

वो रोने लगी ये सुनते ही

“नही साहब, ऐसा मत बोलो…घर पर मेरी अपाहिज माँ पड़ी है, बापू जैल में रहेंगे तो मुश्किल हो जाएगी हमारे लिए….कुछ करो ना आप….कुछ ले देकर…”

इतना कहकर वो चुप हो गयी
मैं सब समझता था ये ले देकर वाली बात
हम पुलिस वालो को तो जनता ने रिश्वतखोर बना कर रख दिया है
और ये सिस्टम की माँग भी है
मैं भी शुरू में कुछ नही लेता था
पर सिस्टम ही ऐसा बना हुआ था कि ना चाहते हुए भी सब करना पड़ता है

पर इस वक़्त मेरा दिमाग़ कुछ और ही माँगने के चक्कर में था
जो आज तक नही किया था मैने

मैं बोला : “तू क्या देगी मुझे….तेरे पास है ही क्या…”

उसने सकुचाते हुए अपने फटे हुए घाघरे के अंदर हाथ डालकर एक थैली निकाली और उसमें से 100-200 के 4-5 नोट, और एक 500 का नोट निकाल कर मेरे सामने रख दिया

मैने उसे डांटा :”ये क्या मंडी से घिया तोरई खरीदने आई है….पता भी है उसपर 372 धारा लगी है , कच्ची उम्र की लड़की का शोंक है उसे, कोई औरत के साथ कर रहा होता तो छोड़ भी देता, पर एक नाबालिग के साथ पकड़ा है उसे, अब बचना मुश्किल है”

उसका चेहरा रुंआसा सा हो गया, उसने वो मैले कुचेले नोट उठा कर फिर से अपनी जेब में रख लिए

अब शायद वो समझ चुकी थी की उसे उन पैसे से कुछ ज़्यादा देना पड़ेगा
और एक जवान लड़की इसे अच्छे से समझती है
ख़ासकर ऐसे काम धंधे करने वाली लड़कियां
जिनका हरामी टाइप के लोगो से रोजाना वास्ता पड़ता है

वो धीरे से बोली : “क..क्या करना होगा मुझे साहब….”
मैं मुस्कुराया और धीरे से बोला : “शाम को 8 बजे हाइवे के पास पुरानी पुलिया के नीचे मिल मुझे…”

उसने घूर कर मुझे देखा, क्योकि वो जगह वहां से काफ़ी दूर थी
पर मैं भी कोई रिस्क नही लेना चाहता था

पर आज उसे इस बात का एहसास होने वाला था की उसके माँ बाप ने उसका नाम सलोनी रखकर कितनी बड़ी भूल कर दी है
क्योंकि ना तो वो मुझे अपना वो नाम बताती और ना ही मेरे दिलो दिमाग़ में ये सब आता

उसके बाद वो चली गयी
और मैं अपने दूसरे कामो में व्यस्त हो गया
शाम को सारे काम ख़त्म करके मैने अपनी शर्ट चेंज की और अपनी कार लेकर निकल गया हाइवे की तरफ

वो पुलिआ पहले काफ़ी बिज़ी रहती थी पर जब से हाइवे बना है तब से उस तरफ लोगो ने जाना छोड़ दिया है
उस पुलिया के नीचे गाड़ी खड़ी करने और बैठने की अच्छी ख़ासी जगह थी
पहले भी कई बार मैने यहा लाकर आइटम लोगो के साथ मज़े लिए है
पर आज इस कच्चे अमरूद को खाना था मुझे

मैं उसका इंतजार करते हुए अपना मोबाइल निकाल कर देखने लगा और व्हाट्सएप पर जाकर मैने सलोनी की डीपी देखी
जिसमें वो बड़ी क्यूट सी लग रही थी



मैं उसे ज़ूम कर-करके उसकी आँखे और होंठ देख रहा था की तभी मोबाइल की घंटी बजी, वो सलोनी का ही कॉल था
मैं तो एकदम से घबरा सा गया
अभी उसी की डीपी देख रहा था और एकदम से उसका कॉल आ गया

मैं : “हेलो बेटा…क्या हुआ, सब ठीक तो है ना…”

सलोनी : “यस पापा…मैने तो बस इसलिए कॉल किया था की मैं अभी श्रुति के घर हूँ , थोड़ा लेट हो जाएगा आने में …”

मैं :”इट्स ओके बेटा…आराम से आना, कहो तो मैं लेने आ जाऊं .”

सलोनी : “नही पापा..मैं आ जाउंगी , सी यू एट होम….बाय ”

इतना कहकर उसने कॉल रख दिया
मैं मुस्कुरा दिया

क्योंकि आज वो बड़े ही प्यार से मुझसे बात कर रही थी
वैसे ग़लती तो मेरी ही थी, जिसका मुझे कल एहसास भी हो चूका था
मैने ही उसे डरा धमका कर रखा हुआ था
वरना इतनी प्यारी बेटी है मेरी….
उपर से जवान भी…
उफ़फ्फ़….
ये फिर से मेरा ट्रेक दूसरी तरफ क्यों घूम रहा है..

और तभी मुझे दूर से वो दूसरी सलोनी आती दिखाई दी
Inspector bhi ekdam chodu hai. Ab kamsin saloni ka shikaar karega.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
मैने नोट किया की वो नाहा धोकर आई थी अब
कपड़े भी बदल लिए थे उसने
एक टी शर्ट और नीचे एक लंबी सी स्कर्ट पहनी हुई थी
शायद उसे पता थे की मैने उसे वहां क्यों बुलाया है

वो चुपचाप आकर मेरे करीब खड़ी हो गयी और बोली : “साहब….आप कुछ भी कर लो, पर मेरे बापू को कल छोड़ देना…”

उसने आते ही आत्मसमर्पण कर दिया था , वैसे भी मैं जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, कंसेंट भी जरुरी होना चाहिए , तभी मजा आता है

मैने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी छाती से चिपका लिया और बोला : “कल क्यों , तू मुझे खुश कर देगी तो आज रात ही ले जा अपने बापू को…”

ये सुनते ही उसका चेहरा खिल सा उठा, जैसे मैने उसे मोटिवेट कर दिया हो
वो खुद ही मुझसे और ज्यादा चिपक कर खड़ी हो गयी
और अपने नन्हे मुन्ने मुम्मे मेरी छाती से रगड़ते हुए बोली : “साहब…आप तो बड़े लोग है, मुझमें ऐसा क्या देख लिया आपने जो ये सब…”

मैने उसके मोटे होंठो पर उंगली रखी और बोली : “तुझे ये जानने की ज़रूरत नही है, बस जिस काम के लिए बुलाया , उसके लिए राज़ी है तो कर , वरना भूल जा अपने बापू को…”

वो कसमसाते हुए बोली : “मैने कब मना किया है साहब…वो तो बस मैं यूँ ही….”

इतना कहते हुए उसने मेरी उस उंगली को मुँह में लेकर खुद ही चूसना शुरू कर दिया
उसके चूसने की शिद्दत बता रही थी की वो एक खेली खाई लड़की है…
और सैक्स के लिए पागल भी

मेरे हाथ सबसे पहले उसके नन्हे अमरूदों पर गये
दिन मे शायद चोली की वजह से ज़्यादा बड़े लग रहे थे पर इस वक़्त सिर्फ़ टी शर्ट थी
अंदर ब्रा भी नहीं थी

एकदम नर्म और छोटे मुममे थे उसके
शायद मेरी सलोनी से भी छोटे
मैने उन्हे ज़ोर से मसल दिया
वो मेरी उंगली चूसते हुए कराह उठी
उस वीराने में उसकी चीख दूर तक गूँज उठी

“उम्म्म्मममममममममममममममम…….अहह……साआआआआआअहब……धीईरेरएsssss …”

मैने उसके जबड़े को ज़ोर से पकड़ा और उसकी आँखो में देख कर गुर्राया : “साहब नही……पापा बोल…पापा”
उसकी आँखे चौड़ी हो गयी ये सुनते ही….
की ये कैसा इंसान है
एक लड़की को चोदने के चक्कर में है और उस से पापा कहलवा रहा है

पर अगले ही पल वो सब समझ गयी
और मुस्कुराइ : “समझ गयी…..साहब…श…मेरा मतलब है….पापा….”

मैं भी मुस्कुरा दिया उसके मुँह से वो सैक्सी स्टाइल में पापा सुनकर

मेरे हाथ उसकी टी शर्ट में दाखिल हो गये और मैने उसके अंगूर पकड़ कर अपनी उंगलियों में भींच दिए

“अहह……पापा…..धीरे……आपकी बेटी हूँ …कोई रंडी नही…..धीरे दबाओssss नाsssss ….पापाsssssss …”

अब वो मेरे खेल में पूरी डूबने लगी थी
और मुझे भी उसके रसीले होंठो से पापा सुनकर एक अलग सा नशा हो रहा था
मैने झट से उसके चेहरे को आगे किया और उसके सिसकते होंठो को मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगा

“अहह…..मेरी जाअँन …….उम्म्म्ममम…..मेरी बच्चीची…..सलोनी…….अहह”



मेरे मुंह से सलोनी सुनकर वो ये भी समझ गयी की मेरी बेटी का नाम भी सलोनी है
अब उसे सब समझ आ चूका था की क्यों शाम को उसका नाम सुनते ही मेरा रवैय्या एकदम से बदल गया था उसके प्रति
वो मंद-२ मुस्कुराती रही और उस स्मूच का मजा लेती रही

करीब 1 मिनट तक मैं लगातार उसकी कच्ची जवानी का रस उसके होंठो से पीता रहा
फिर वो साँस लेने के लिए हांफती हुई सी अलग हुई और मुस्कुराते हुए बोली : “तो उसका नाम भी सलोनी है…..है ना पापा….”

मैने कोई जवाब नही दिया और उसे एक झटका देते हुए नीचे बिठाया और अपनी जीप खोलकर अपना लॅंड उसके सामने लहरा दिया

उसकी आँखे चौड़ी हो गयी इतना मोटा लॅंड देखकर
शायद किसी पुलिस वाले का पहली बार देखा था उसने

“वॉव ….पापा….आपका लॅंड कितना मोटा है…..शायद अपनी बेटी को देखकर ये कुछ ज़्यादा ही खुश है आज….”

मैने हुंकारते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और अपने लॅंड पर दे मारा…
उसने बड़ी मुश्किल से मेरे मोटे लॅंड को मुँह मे लिया…
आख़िर थी तो वो एक छोटी लड़की ही ना….

मैने कुछ ज़्यादा ज़ोर लगाया तो वो वो कसमसाई और बोली “धीरे पापा….दर्द होता है….”

अब उसे क्या बताऊँ मैं
इसी दर्द में तो मुझे मज़ा मिलता है
ऐसे ही डोमिनेट करके सैक्स करना मुझे पसंद है
अपनी बीबी के साथ भी
किसी बाहरवाली के साथ भी
और अब इसके साथ भी

भले ही मेरी बेटी का चोला पहन कर खड़ी थी इस वक़्त ये मेरे सामने
पर अगर मेरी सग़ी बेटी भी होती ना
तब भी मैं ऐसे ही करता
तेज
और तेज
ऐसे ही जंगलिपन में औरतों को ज़्यादा मज़ा मिलता है
अभी कुछ देर मे यही मेरे सामने गिड़गिडाएगी
ऐसा ही करने को
मैने उसके बालों को पकड़ा और उसका मुँह जोरों से चोदने लगा अपने लंड से
गॅप गॅप की आवाज़ों से पूरी पुलिया थर्रा रही थी



कुछ देर तक मैने उसका मुँह चोदा और फिर उसे खड़ा करके एक ही झटके में उसकी टी शर्ट उतार दी
उसके नन्हे बूब्स देखते ही मैं उनपर टूट पड़ा
मेरे चेहरे को बड़ी मुश्किल से पीछे करती हुई वो चिल्लाई

“आअहह…..धीरे….करो ना……पापा……आप तो पूरे जंगली हो……”
हां , हूँ मैं जंगली…क्या कर लेगी
मैने उसके नन्हे निप्पल को मुँह में भरा और उपर की तरफ खींचा जैसे उखाड़ कर घर ही ले जाऊंगा

वो दर्द के मारे दोहरी हो गयी
मैने उसकी गांड में हाथ रखकर उसे अपनी गोद में उठा लिया
उसने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली और मेरे सिर से उपर निकल गयी,
पर उसका बूब अब भी मेरे मुँह में था
हवा में झूलते हुए वो अपने नन्हे थनो से मुझे दूध पीला रही थी



मेरी बाजुओं की शक्ति देखकर ही उसे अंदाज़ा होने लगा था की आज की रात उसकी चूत का कीमा बनने वाला है
मैने उसके दोनो बूब्स को बारी-2 से चूसा और फिर उसे नीचे उतार दिया
उसने खुद ही अपनी स्कर्ट निकाल फेंकी और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी
कमाल की लड़की थी वो



उसे देखकर मुझे अब भी सलोनी की याद आ रही थी, शायद किसी दिन उसे भी ऐसे देखने का मौका मिल जाए

मैने भी अपनी पेंट पूरी नीचे कर दी, अब मेरा मोटा लॅंड अपने दो दोस्तो के साथ झूलता हुआ उसकी आँखो के सामने था
वो आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगी
और आगे आकर अपने दुबले पतले शरीर को मेरे लॅंड वाले हिस्से के चारों तरफ लप्पेट कर अपना जिस्म घिसने लगी

वो मेरे लॅंड को अपने जवान जिस्म के हर हिस्से पर महसूस करना चाहती थी
अब मुझसे और उस से , दोनो से सब्र नही हो रहा था
मैने अपनी कार के बोनट पर उसे उल्टा लिटाया और पीछे से उसकी टाँग उठा कर अपना लॅंड सीधा उसकी चूत में पिरो दिया

“आआआहह…….. ओह…. पपाााआआआआआआ……. उम्म्म्ममममममममममम…….”



उसने जिस आसानी से मेरे लॅंड को अंदर ले लिया, वो सॉफ दर्शाता था की वो कितने लॅंड ले चुकी है
पर फिर भी उसमें काफ़ी कसाव था
ख़ासकर मेरे मोटे लॅंड के लिए
पर आज के बाद मुझसे पतले लॅंड वालो को दिक्कत होने वाली थी
क्योंकि आज से उसके मुंह मोठे लंड का लहू लगने वाला था
अब पतले लॅंड से उसकी प्यास बुझने ही नही वाली थी

वो दोनो टांगो को सीधा नीचे करके खड़ी हो गयी, और अपनी गांद पीछे निकाल दी, उसके नन्हे बूब कार के गर्म बोनट पर घिस्से लगा रहे थे जिसमे उसे एक अलग ही मज़ा मिल रहा था
और पीछे से मेरे धक्के उसे दुगना मज़ा दे रहा थे



मैने उसके चूतड़ों को पकड़कर जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए
और करीब 10 मिनट बाद लगातार झटके देने के बाद जब मेरा देसी घी उसकी नन्ही सी चूत में निकला तो वो 4 बार झड़ चुकी थी
उसकी हालत नही थी की अपने पैरों पर खड़ी रह सके
वो तो मैने उसकी कमर को पकड़ा हुआ था वरना कब की झूल चुकी थी वो

और अंत में जब मेरा लॅंड सिकुड कर बाहर निकला तो मैने उसे छोड़ा, वो निढाल सी होकर नीचे गिर गयी
मैने उसके चेहरे के पास अपना लॅंड लहरा दिया
जिसे उसने अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया
मैं चाहता तो कुछ देर बाद फिर से लॅंड खड़ा करके उसे दोबारा चोद सकता था

पर अभी के लिए मुझे घर जाना था
सलोनी अपनी सहेली के घर थी
लेट आई तो उसका भी तो हिसाब करना पड़ेगा
उसके बाद मैने पोलीस स्टेशन फोन करके उसके बाप को छोड़ने का ऑर्डर दे दिया
वो खुशी-2 अपने कपड़े पहन कर निकल गयी
पर जाने से पहले उसने मेरा नंबर ले लिया
शायद मेरे लॅंड से इंप्रेस हो गयी थी वो

आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा मज़ा मिलने वाला था अब
Woww inspector ne asli ghoos vasool li Saloni se.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,890
8,766
173
श्रुति ने नितिन को खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगी
उसने भी जल्दी-2 अपनी जीन्स खोलकर नीचे गिरा दी और फिर अंडरवीयर भी
और फिर जो मैने देखा, उसे देखकर मुझे भी विश्वास नही हुआ
उसका लॅंड काफ़ी मोटा और लंबा था
पर मेरे पापा से बड़ा नही
उनका वो पोलिसिआ लॅंड तो हर मुक़ाबले में जीत जाए

अब लार टपकाने की बारी हम दोनो की थी
मेरा तो ये पहला मौका था
पर श्रुति पहले कई लॅंड चूस चुकी थी
इस नितिन का भी और ना जाने कितनों का
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था

वो लपक कर आगे आई और घुटनो के बल नितिन के सामने बैठ गयी
मुझे भी इशारा करके उसने वहां बुलाया, मैं भी मोरनी बनकर उसके सामने अपनी गांड फेला कर बैठ गयी

अब उस खड़े लॅंड के पीछे हम दोनो का सैक्सी चेहरा था, जिसे देखकर उसका लॅंड फ़र्राटे मार रहा था हवा में
श्रुति ने उसे पकड़ा और सीधा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी
सडप -2 की आवाज़ों से पता चल रहा था की उसकी चूसाई में कितनी शिद्दत थी



मैं अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई अपनी बारी का इंतजार कर रही थी
और साथ ही उसे देखकर सीख भी रही थी की कैसे करना है
वो अपने दांतो से बचा कर किसी कुलफी की तरह उसे चूस रही थी
बस मुझे अपने पैने दांतो से उसके लॅंड को बचा कर रखना था
बाकी मज़ा तो उसे आ ही जाना था
मज़ा तो उसे आ ही रहा था
क्योंकि जैसे ही श्रुति ने उसके लॅंड को चूसना शुरू किया उसकी आँखे बंद और सिर पीछे चला गया था
मुझे उसके गोल मटोल बॉल्स को देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था
इन्हे तो मैं ज़रूर चूसूंगी
बस एक बार मेरी बारी आ जाए
और वो आ भी गयी

श्रुति ने अपने मुँह से उसका लॅंड निकाला और मेरी तरफ लहरा दिया
उसकी लार में भीगा मोटा लॅंड अब मेरे चेहरे के सामने था
मैने ढेर सारी लार अपने मुँह में इकट्ठा की और मुँह खुल कर उसके सुपाड़े को उस से नहला दिया और उपर से अपने होंठो की सील लगाती हुई नीचे तक आई
वो तो कब से मेरे मुँह मे जाने के लिए तड़प रहा था

मेरे गुलाबी होंठो को अपने लॅंड के चारों तरफ लिपटता देख वो उत्तेजना की हर सीमा पार करता चला गया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपने लॅंड पर दबा दिया

" आअह्हह्ह्ह्ह सालूूओऊऊनीईईई

नतीजन उसका पूरा लॅंड मेरे टॉन्सिल्स से जाकर टकराया और मुझे साँस तक लेने में दिक्कत होने लगी
मेरी छटपटाहट देखकर उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैं खाँसती हुई अपने आँसू पोछने लगी
उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी
जैसे कोई जंग जीत ली हो मुझे लॅंड चुस्वाकार

शायद कई लड़कों का अरमान होगा मेरे कॉलेज में
पर पूरा हुआ इस कमीने का

श्रुति ने एक बार फिर से उसके लॅंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया
और अब मुझे वो करना था जिसके लिए मैं पहले सोच रही थी
मैने उसकी बॉल्स को सहलाया और नीचे मुँह करके उन्हे मुँह में भर लिया
ऐसे लगा जैसे कोई खुरदुरा और रसीला गुलाब जामुन मुँह में ले लिया हो
पर उसे चूसने में मज़ा बहुत आया

वो पहले से ही क्लीन शेव करके आया था नीचे की, इसलिए उसके चिकने जामुन को चूसने में एक अलग ही मज़ा मिल रहा था


कुछ ही देर में नितिन के मुँह से सिसकाटियां निकलने लगी जो इस बात का संकेत था की वो झड़ने वाला है
मैं नीचे से उसकी बाल्स चूस रही थी और उपर से श्रुति उसका लॅंड
इसलिए झड़ना तो बनता ही था
अगले ही पल उसके लॅंड से एक के बाद एक पिचकारियाँ निकलकर उसके मुँह में जाने लगी



उसने मुँह हटाया तो वो पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई दिखाई दी
जो मेरे चेहरे पर भी गिरी और कुछ मेरे होंठो पर
मैने उन्हे चाटा तो कसेला सा स्वाद लगा पर बाद में मक्खन की तरह मेरे गले से उतरता चला गया

मैने उसके लॅंड को पकड़कर अपने मुँह से लगाया और बची खुचि बूंदे अपने मुँह में समेट कर उन्हे पी गयी
अब पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लगी वो

नितिन की हालत पस्त हो चुकी थी
वो निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया
मैने श्रुति की तरफ हंसते हुए देखा
और वो मुझे लेकर बेड पर आकर लेट गयी
और हम दोनो एक दूसरे के चेहरे पर गिरी बूंदे चाटकर सॉफ करने लगे
असली आग तो अब लगी थी हम दोनो के जिस्मों में
जिसे हम एक दूसरे के होंठो से बुझाने का असफल प्रयास कर रहे थे



पर असली आग तो नीचे लगी थी
टांगो के बीच
चूत में
और हमारी ये गुहार नितिन ने सुन ली
जो कुछ देर सुस्ताने के बाद हमारी मेहनत का भुगतान अपने होंठो से करने को तैयार था

श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ और चेहरा चाटने में बिज़ी थे और तभी मुझे अपनी टांगो के बीच गर्म सांसो का एहसास हुआ
मेरी धड़कने एक बार फिर से तेज हो गयी

और अगले ही पल उसके होंठो ने मेरी छुई मुई सी पुस्सी को अपनी जकड़ में लेकर चूसना शुरू कर दिया
ये एहसास तो अभी तक के सभी एहसासों से पूरी तरह से अलग था
सूपर से भी उपर

वो मेरी चूत को मुँह में लेकर चॉकलेट की तरह चूस रहा था
जीभ से बीच की लकीर को फैलाकर अंदर घुस रहा था
मेरी क्लिट को जीभ और हल्के दांतो की पकड़ से चुभला रहा था
अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था उसके पास चूत चूसने का



मैने उसके सिर को पकड़कर उसे गाईड करना शुरू कर दिया
की यहाँ चाट, यहाँ जीभ घुसा साले

और फिर यही काम उसने श्रुति के साथ भी किया
और जब वो तड़प रही थी जीभ अंदर लेकर तो मैं अपने होंठो से उसे सांत्वना दे रही थी, उसके नन्हे बूब्स चूस्कर
ये काम नितिन ने करीब आधे घंटे तक किया
और उस आधे घंटे में उसने हम दोनो का पानी अच्छे से निकाल कर रख दिया

आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे
नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी
यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था
पर मैं नही

एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी
उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था
मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी
इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई

पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें
सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था
जगह - 2 से रिस रहा था वो
उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
Suru me laga tha ki ye sirf Baap beti ki story hogi. Par aapne ek alag hi tadka dala hua hai dusre characters ko bhi laker. Bahut bhadiya chal rahi hai story.
 
  • Like
Reactions: Ashokafun30

Ashokafun30

Active Member
1,571
6,507
159
Suru me laga tha ki ye sirf Baap beti ki story hogi. Par aapne ek alag hi tadka dala hua hai dusre characters ko bhi laker. Bahut bhadiya chal rahi hai story.
Thanks Premkumar65 for your lovely comments on each update
yahi mai dusre readers ko bhi bolta hu, agar aap enjoy kar rahe ho to express bhi to karo, hum writers ka hosla bana rehta hai, varna wo story par aate hai, padte hai aur last me likh jaate hai NEXT.

Anyways, Thank you again.
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

allanderose

-:যাযাবর:-
45
88
18
Story to badhiya hain bhai lekin agar bahar ke kisiko add karna hi tha to story ko incest se hata ke adultery me dal do na .🙂
 
  • Like
Reactions: Ashokafun30
Top