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Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Ajju Landwalia

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मैने नोट किया की वो नाहा धोकर आई थी अब
कपड़े भी बदल लिए थे उसने
एक टी शर्ट और नीचे एक लंबी सी स्कर्ट पहनी हुई थी
शायद उसे पता थे की मैने उसे वहां क्यों बुलाया है

वो चुपचाप आकर मेरे करीब खड़ी हो गयी और बोली : “साहब….आप कुछ भी कर लो, पर मेरे बापू को कल छोड़ देना…”

उसने आते ही आत्मसमर्पण कर दिया था , वैसे भी मैं जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, कंसेंट भी जरुरी होना चाहिए , तभी मजा आता है

मैने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी छाती से चिपका लिया और बोला : “कल क्यों , तू मुझे खुश कर देगी तो आज रात ही ले जा अपने बापू को…”

ये सुनते ही उसका चेहरा खिल सा उठा, जैसे मैने उसे मोटिवेट कर दिया हो
वो खुद ही मुझसे और ज्यादा चिपक कर खड़ी हो गयी
और अपने नन्हे मुन्ने मुम्मे मेरी छाती से रगड़ते हुए बोली : “साहब…आप तो बड़े लोग है, मुझमें ऐसा क्या देख लिया आपने जो ये सब…”

मैने उसके मोटे होंठो पर उंगली रखी और बोली : “तुझे ये जानने की ज़रूरत नही है, बस जिस काम के लिए बुलाया , उसके लिए राज़ी है तो कर , वरना भूल जा अपने बापू को…”

वो कसमसाते हुए बोली : “मैने कब मना किया है साहब…वो तो बस मैं यूँ ही….”

इतना कहते हुए उसने मेरी उस उंगली को मुँह में लेकर खुद ही चूसना शुरू कर दिया
उसके चूसने की शिद्दत बता रही थी की वो एक खेली खाई लड़की है…
और सैक्स के लिए पागल भी

मेरे हाथ सबसे पहले उसके नन्हे अमरूदों पर गये
दिन मे शायद चोली की वजह से ज़्यादा बड़े लग रहे थे पर इस वक़्त सिर्फ़ टी शर्ट थी
अंदर ब्रा भी नहीं थी

एकदम नर्म और छोटे मुममे थे उसके
शायद मेरी सलोनी से भी छोटे
मैने उन्हे ज़ोर से मसल दिया
वो मेरी उंगली चूसते हुए कराह उठी
उस वीराने में उसकी चीख दूर तक गूँज उठी

“उम्म्म्मममममममममममममममम…….अहह……साआआआआआअहब……धीईरेरएsssss …”

मैने उसके जबड़े को ज़ोर से पकड़ा और उसकी आँखो में देख कर गुर्राया : “साहब नही……पापा बोल…पापा”
उसकी आँखे चौड़ी हो गयी ये सुनते ही….
की ये कैसा इंसान है
एक लड़की को चोदने के चक्कर में है और उस से पापा कहलवा रहा है

पर अगले ही पल वो सब समझ गयी
और मुस्कुराइ : “समझ गयी…..साहब…श…मेरा मतलब है….पापा….”

मैं भी मुस्कुरा दिया उसके मुँह से वो सैक्सी स्टाइल में पापा सुनकर

मेरे हाथ उसकी टी शर्ट में दाखिल हो गये और मैने उसके अंगूर पकड़ कर अपनी उंगलियों में भींच दिए

“अहह……पापा…..धीरे……आपकी बेटी हूँ …कोई रंडी नही…..धीरे दबाओssss नाsssss ….पापाsssssss …”

अब वो मेरे खेल में पूरी डूबने लगी थी
और मुझे भी उसके रसीले होंठो से पापा सुनकर एक अलग सा नशा हो रहा था
मैने झट से उसके चेहरे को आगे किया और उसके सिसकते होंठो को मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगा

“अहह…..मेरी जाअँन …….उम्म्म्ममम…..मेरी बच्चीची…..सलोनी…….अहह”



मेरे मुंह से सलोनी सुनकर वो ये भी समझ गयी की मेरी बेटी का नाम भी सलोनी है
अब उसे सब समझ आ चूका था की क्यों शाम को उसका नाम सुनते ही मेरा रवैय्या एकदम से बदल गया था उसके प्रति
वो मंद-२ मुस्कुराती रही और उस स्मूच का मजा लेती रही

करीब 1 मिनट तक मैं लगातार उसकी कच्ची जवानी का रस उसके होंठो से पीता रहा
फिर वो साँस लेने के लिए हांफती हुई सी अलग हुई और मुस्कुराते हुए बोली : “तो उसका नाम भी सलोनी है…..है ना पापा….”

मैने कोई जवाब नही दिया और उसे एक झटका देते हुए नीचे बिठाया और अपनी जीप खोलकर अपना लॅंड उसके सामने लहरा दिया

उसकी आँखे चौड़ी हो गयी इतना मोटा लॅंड देखकर
शायद किसी पुलिस वाले का पहली बार देखा था उसने

“वॉव ….पापा….आपका लॅंड कितना मोटा है…..शायद अपनी बेटी को देखकर ये कुछ ज़्यादा ही खुश है आज….”

मैने हुंकारते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और अपने लॅंड पर दे मारा…
उसने बड़ी मुश्किल से मेरे मोटे लॅंड को मुँह मे लिया…
आख़िर थी तो वो एक छोटी लड़की ही ना….

मैने कुछ ज़्यादा ज़ोर लगाया तो वो वो कसमसाई और बोली “धीरे पापा….दर्द होता है….”

अब उसे क्या बताऊँ मैं
इसी दर्द में तो मुझे मज़ा मिलता है
ऐसे ही डोमिनेट करके सैक्स करना मुझे पसंद है
अपनी बीबी के साथ भी
किसी बाहरवाली के साथ भी
और अब इसके साथ भी

भले ही मेरी बेटी का चोला पहन कर खड़ी थी इस वक़्त ये मेरे सामने
पर अगर मेरी सग़ी बेटी भी होती ना
तब भी मैं ऐसे ही करता
तेज
और तेज
ऐसे ही जंगलिपन में औरतों को ज़्यादा मज़ा मिलता है
अभी कुछ देर मे यही मेरे सामने गिड़गिडाएगी
ऐसा ही करने को
मैने उसके बालों को पकड़ा और उसका मुँह जोरों से चोदने लगा अपने लंड से
गॅप गॅप की आवाज़ों से पूरी पुलिया थर्रा रही थी



कुछ देर तक मैने उसका मुँह चोदा और फिर उसे खड़ा करके एक ही झटके में उसकी टी शर्ट उतार दी
उसके नन्हे बूब्स देखते ही मैं उनपर टूट पड़ा
मेरे चेहरे को बड़ी मुश्किल से पीछे करती हुई वो चिल्लाई

“आअहह…..धीरे….करो ना……पापा……आप तो पूरे जंगली हो……”
हां , हूँ मैं जंगली…क्या कर लेगी
मैने उसके नन्हे निप्पल को मुँह में भरा और उपर की तरफ खींचा जैसे उखाड़ कर घर ही ले जाऊंगा

वो दर्द के मारे दोहरी हो गयी
मैने उसकी गांड में हाथ रखकर उसे अपनी गोद में उठा लिया
उसने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली और मेरे सिर से उपर निकल गयी,
पर उसका बूब अब भी मेरे मुँह में था
हवा में झूलते हुए वो अपने नन्हे थनो से मुझे दूध पीला रही थी



मेरी बाजुओं की शक्ति देखकर ही उसे अंदाज़ा होने लगा था की आज की रात उसकी चूत का कीमा बनने वाला है
मैने उसके दोनो बूब्स को बारी-2 से चूसा और फिर उसे नीचे उतार दिया
उसने खुद ही अपनी स्कर्ट निकाल फेंकी और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी
कमाल की लड़की थी वो



उसे देखकर मुझे अब भी सलोनी की याद आ रही थी, शायद किसी दिन उसे भी ऐसे देखने का मौका मिल जाए

मैने भी अपनी पेंट पूरी नीचे कर दी, अब मेरा मोटा लॅंड अपने दो दोस्तो के साथ झूलता हुआ उसकी आँखो के सामने था
वो आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगी
और आगे आकर अपने दुबले पतले शरीर को मेरे लॅंड वाले हिस्से के चारों तरफ लप्पेट कर अपना जिस्म घिसने लगी

वो मेरे लॅंड को अपने जवान जिस्म के हर हिस्से पर महसूस करना चाहती थी
अब मुझसे और उस से , दोनो से सब्र नही हो रहा था
मैने अपनी कार के बोनट पर उसे उल्टा लिटाया और पीछे से उसकी टाँग उठा कर अपना लॅंड सीधा उसकी चूत में पिरो दिया

“आआआहह…….. ओह…. पपाााआआआआआआ……. उम्म्म्ममममममममममम…….”



उसने जिस आसानी से मेरे लॅंड को अंदर ले लिया, वो सॉफ दर्शाता था की वो कितने लॅंड ले चुकी है
पर फिर भी उसमें काफ़ी कसाव था
ख़ासकर मेरे मोटे लॅंड के लिए
पर आज के बाद मुझसे पतले लॅंड वालो को दिक्कत होने वाली थी
क्योंकि आज से उसके मुंह मोठे लंड का लहू लगने वाला था
अब पतले लॅंड से उसकी प्यास बुझने ही नही वाली थी

वो दोनो टांगो को सीधा नीचे करके खड़ी हो गयी, और अपनी गांद पीछे निकाल दी, उसके नन्हे बूब कार के गर्म बोनट पर घिस्से लगा रहे थे जिसमे उसे एक अलग ही मज़ा मिल रहा था
और पीछे से मेरे धक्के उसे दुगना मज़ा दे रहा थे



मैने उसके चूतड़ों को पकड़कर जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए
और करीब 10 मिनट बाद लगातार झटके देने के बाद जब मेरा देसी घी उसकी नन्ही सी चूत में निकला तो वो 4 बार झड़ चुकी थी
उसकी हालत नही थी की अपने पैरों पर खड़ी रह सके
वो तो मैने उसकी कमर को पकड़ा हुआ था वरना कब की झूल चुकी थी वो

और अंत में जब मेरा लॅंड सिकुड कर बाहर निकला तो मैने उसे छोड़ा, वो निढाल सी होकर नीचे गिर गयी
मैने उसके चेहरे के पास अपना लॅंड लहरा दिया
जिसे उसने अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया
मैं चाहता तो कुछ देर बाद फिर से लॅंड खड़ा करके उसे दोबारा चोद सकता था

पर अभी के लिए मुझे घर जाना था
सलोनी अपनी सहेली के घर थी
लेट आई तो उसका भी तो हिसाब करना पड़ेगा
उसके बाद मैने पोलीस स्टेशन फोन करके उसके बाप को छोड़ने का ऑर्डर दे दिया
वो खुशी-2 अपने कपड़े पहन कर निकल गयी
पर जाने से पहले उसने मेरा नंबर ले लिया
शायद मेरे लॅंड से इंप्रेस हो गयी थी वो

आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा मज़ा मिलने वाला था अब

Gazab ki update he Ashokafun30 Bhai,

Shamsher ka sher to saloni ka naam sunkar pagal hi ho gaya...........

Saloni ko badhiya se choda he shamsher ne...........aage bhi vo use khush karti rahegi.....

Keep rocking Bro
 
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Ashokafun30

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और अंत में जब मेरा लॅंड सिकुड कर बाहर निकला तो मैने उसे छोड़ा, वो निढाल सी होकर नीचे गिर गयी
मैने उसके चेहरे के पास अपना लॅंड लहरा दिया
जिसे उसने अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया
मैं चाहता तो कुछ देर बाद फिर से लॅंड खड़ा करके उसे दोबारा चोद सकता था

पर अभी के लिए मुझे घर जाना था
सलोनी अपनी सहेली के घर थी
लेट आई तो उसका भी तो हिसाब करना पड़ेगा
उसके बाद मैने पोलीस स्टेशन फोन करके उसके बाप को छोड़ने का ऑर्डर दे दिया
वो खुशी-2 अपने कपड़े पहन कर निकल गयी
पर जाने से पहले उसने मेरा नंबर ले लिया
शायद मेरे लॅंड से इंप्रेस हो गयी थी वो
आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा मज़ा मिलने वाला था अब

*************
अब आगे
*************

सलोनी
=====
अपने पापा से पर्मिशन लेने के बाद सलोनी खुद से बात करती है

“पापा से काम निकलवाना अब इतना आसान हो चुका है की पहले जैसा डर ही नहीं लगता, अब तो ऐसा लगता है जैसे वो मेरे इशारों पर नाच रहे है…”

शाम से ही वो अपनी सहेली श्रुति के घर थी

कॉलेज से आने के बाद श्रुति ने जब एक ढीली सी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहनी तो उसके लिए भी एक शॉर्ट और टी शर्ट निकाल दी

ताकि जब तक मैं यहाँ हूँ आराम से बैठूं

मुझे भी सुबह से जीन्स में परेशानी हो रही थी
ये जीन्स कुछ ज़्यादा ही टाइट थी
वो बकरी बनकर मेरी पुस्सी को खा रही थी…



और आज श्रुति के घर आने का एक ख़ास मकसद था
उसके मम्मी पापा घर पर नही थे, इसलिए हम दोनो मिलकर कुछ भी कर सकते थे
पिछली बार जो हमारे बीच हुआ था, उसे एक बार फिर से महसूस करना चाहती थी मैं

मैने अपने कपड़े उतारकर साइड में रख दिए और पंखे की हवा से अपने शरीर के पसीने को सुखाने लगी
तभी श्रुति कमरे में आई और कपड़े उतारते देखकर उसके हाव भाव ही बदल गये

वो मुझे उपर से नीचे तक निहारने लगी



मैं भी उसे अपना नशीला और पसीने से गीला बदन को दिखाकर मूड बना रही थी

वो मेरे करीब आई और मेरी कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया
और अगले ही पल हम दोनो एक गहरी स्मूच में डूब चुके थे

अब पता नही ऐसा क्यों हुआ
जैसे ही उसने मुझे चूमा, मेरी आँखे बंद हो गयी और मुझे ऐसा फील हुआ की मैं पापा को किस्स कर रही हूँ

ये एक ऐसा एहसास था जिसने उस किस्स को और ज़्यादा रोमांच से भर दिया
हम दोनो एक दूसरे के होंठो से गुत्थम गुत्था होकर किस्स कर रहे थे



मैने उसके बूब्स को पकड़कर उन्हे देबाया और उसकी टी शर्ट उतारनी चाही पर उसने रोक दिया
मैं हैरान होकर उसे देखने लगी क्योंकि मेरे हिसाब से ये एक अच्छा मौका था
बिना किसी परेशानी के मज़े लेने का
बिना किसी डर के

वो बोली : “सलोनी…आई एम् सॉरी बट अभी रुकना होगा हमे…मैने नितिन को भी बुलाया है घर पर…”

मैं : “नितिन….आज…पर क्यो…”

मैं तो सोच रही थी की उसके मम्मी पापा घर नही है, खुल कर मज़े करेंगे
पर इसने तो अपने यार को बुला रखा है..
साली कामिनी
और ये नितिन तो इस वक़्त मुझे अपनी सौतन जैसा लग रहा था

पर फिर अचानक मुझे वो मूवी हॉल का सीन याद आ गया जहाँ नितिन अपनी गर्लफ्रेंड श्रुति के बूब्स को प्रेस कर रहा था और उसे किस्स भी…
उस वक़्त मुझे ऐसा फील हुआ था की काश वो मेरे साथ भी ऐसा कुछ करे

तब तो मेरी हिम्मत नही हुई थी उस से कुछ ऐसा कहने की पर अब मेरे और श्रुति के बीच की परिस्थितिया बदल चुकी थी
शायद आज मैं उसके बाय्फ्रेंड के साथ कुछ मज़े ले पाऊं और वो मुझे मना ना करे..
ये सोचकर मैं चुप हो गयी
वरना आज जो इसने हरकत की थी, उसके बाद तो इससे 2 हफ्ते की लड़ाई बनती थी

मुझे गुस्से में आता देखकर वो मेरे नंगे बदन से लिपट गयी और बोली : “यार, नाराज़ मत हो…मुझे नितिन ने सब बताया था की उस दिन तू कैसे हम दोनो को देख कर एंजाय कर रही थी…तो मैने सोचा आज फिर से तेरे लिए वो सीन घर पर ही क्रियेट कर दूँ…और अगर तू चाहे तो , यू कैन आल्सो जॉइन अस ”

मैं जो कुछ पल पहले सोच रही थी
वो उसने खुलकर खुद ही बोल दिया
मेरी तो आँखे चौड़ी हो गयी
वो मेरे चेहरे के भाव देखकर समझी की मुझे बुरा लग गया

श्रुति : “देख यार…मेरे लिए तुझसे प्यारा इस दुनिया में कोई नही है…ये नितिन जैसे लड़के तो आते जाते रहते है, मुझे बस अपनी मस्ती से मतलब है और मेरी दोस्त की खुशी से…अगर तू इसमें खुश है तो ठीक वरना उसे अभी मना कर देती हूँ …फिर हम दोनो जो चाहे करेंगे"

अब मेरे चेहरे पर एकदम से गहरी सोच के भाव आ गये
जिसे पढ़कर वो भी समझ गयी की मैं भी अंदर से यही चाहती हूँ बस बोल नही पा रही

“देख सलोनी…उसको आने दे, तुझे जहाँ भी कोई इश्यू हुआ तो बता दियो , मैं वही ये सब रोक दूँगी….ओके ”

इतना कहकर उसने मेरे लिप्स को चूम लिया…
एक तो मैं नंगी ऊपर से उसकी बाते सुनकर मेरे निप्पल्स बिल्कुल कड़क हो चुके थे
शायद आने वाले पलों को सोचकर मैं अभी से उत्तेजित हो रही थी

खैर, मैने जल्दी से उसकी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए
हम दोनो अब एक जैसी ही लग रहीं थी
जवान
बिना ब्रा और पेंटी के
हम दोनो के कड़क निप्पल्स और ताज महल जैसी चूत को दूर से ही देखा जा सकता था



हम दोनो एक दूसरे को निहार ही रहे थे की तभी बाहर की बेल बजी, नितिन आ चूका था
अंदर आते ही उसने हम दोनो को घूर का देखा मानो आँखो से ही खा जाएगा

श्रुति ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
मुझे तो लगा था की आने के बाद वो कुछ टाइम लेंगे पर ये आते ही शुरू हो गया
साला ठरकी नितिन



मेरी ही आँखो के सामने वो दोनो एक दूसरे के होंठो को भूखे कुत्ते की तरह नोच रहे थे
और मैं उनके सिर्फ़ 1 फुट दूर खड़ी हुई अपने पैरों के अंगूठे से ज़मीन कुरेद रही थी

नितिन की नज़रें मुझे ही देख रही थी किस्स करते -2 , हालाँकि श्रुति की आँखे पूरी बंद थी

वेलकम किस के बाद हम तीनो श्रुति के बेडरूम में चले गये
नितिन तो अंदर जाते ही उसके बेड पर ऐसे पसर गया मानो अपनी ससुराल आया हो
श्रुति हम तीनो के लिए जूस लेने किचन में चली गयी

नितिन : “सो सलोनी….तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड नही है क्या….”

मैं एकदम से चोंक गयी ये सवाल सुनकर : “मे….मेरा….नही तो…..अभी तो नही है…क्यों ? ”

क्यों मैने जानबूझकर बोला था आख़िर में में….
मुझे लगा की वो बोलेगा की मुझे भी अपना बाय्फ्रेंड ही समझो


नितिन : “नही…वो मुझे लगा की होता तो आज उसे भी बुला सकती थी यहाँ …हम सब मिलकर मज़े करते”

मैं : “वो तो अब भी कर सकते है…”

इतना कहकर मैने उसे एक आँख मार दी
यानी मेरी तरफ से मैंने उसे लाइन दे दी थी
मेरी इस हरकत से उसका चेहरा देखने लायक था
और तभी हँसती हुई श्रुति अंदर दाखिल हुई : “क्या कर सकते हो…”

मैने जल्दी से बात बदली : “कुछ नही….बस कहीं घूमने का प्लान बना रहे थे, हिल स्टेशन पर…”
श्रुति : “वाउ….मज़ा आ जाएगा कसम से…पर वो तेरे पुलिस पापा का क्या, वो जाने की परमिशन देंगे तुझे ?”
मैं मुस्कुराइ और बोली : “उन्हे हेंडल करना अब मुझे आ गया है…”

मेरी बात सुनकर वो भी मुस्कुरा दी
पर नितिन का चेहरा देखने लायक था,
वो अभी तक उसी बात को सोच रहा था जो मैने कही थी

वो सोच रहा था की क्या सच में ऐसा हो सकता है
ये तो तभी पता चलेगा जब खेल शुरू होगा
और इस खेल की शुरूवात उसी को करनी होगी
 
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Ashokafun30

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उसने जल्दी से जूस पिया और श्रुति को अपनी तरफ खींच लिया, वो भी बिना किसी नखरे के सीधा जाकर उसकी गोद में बैठ गयी और वो दोनो फिर से एक गहरी स्मूच में डूब गये

अब ये सिचुएशन बड़ी ओकवर्ड थी मेरे लिए…
वो दोनो मज़े कर रहे थे, मेरे ही सामने
ऐसे में मुझे वहां से चले जाना चाहिए था
पर मैने ऐसा नही किया
मैं जूस का सीप लेते हुए अपना मोबाइल देखने का नाटक करने लगी
हालाँकि मेरा सारा ध्यान उन्ही की तरफ था

नितिन का भी सारा ध्यान मेरी तरफ ही था
भले ही उसकी गोद में श्रुति बैठी थी, जो उसे पागलों की तरह किस्स कर रही थी
उसके हाथों को अपनी छाती पर रखकर उन्हे दबवा रही थी
पर नितिन रह रहकर मुझे ही घूर रहा था

अचानक श्रुति ज़ोर से सीसीया उठी

“आहह…….उम्म्म्ममममममममममममममम…..यससस्स…..बैबी…..”

मेरा ध्यान उस तरफ गया तो देखा की नितिन का हाथ श्रुति की शॉर्ट में था और वो उसकी पुस्सी में फिंगरिंग कर रहा था
ये एक ऐसा हमला होता है जिसमे लड़की पिघल कर रह जाती है
उसके बाद वो खुद को परोस कर रख देती है अपने यार के सामने

श्रुति ने भी वही किया
वहां उसकी चूत में उंगली घुसी
यहाँ उसने अपनी टी शर्ट खुद ब खुद उतार दी और नितिन के चेहरे को पकड़ कर अपना एक निप्पल उसके सुपुर्द कर दिया
नितिन भी किसी भूखे भेड़िए की तरह एक एक करके उसके दोनो बूब्स और उनपर लगी चेरियों को चूसने लगा



अब मैं भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी
जूस का ग्लास मेरे हाथ से गिरते-2 बचा
मैने उसे टेबल पर रख दिया और अपना जूस से भरा मुम्मा पकड़ कर उसे सहलाने लगी

इतनी बेशर्मी से उन दोनो के सामने अपने अंगो को मैं इतनी आसानी से आज इसलिए सहला पा रही थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों में मेरी लाइफ में सैक्स के प्रति जो चेंजस आए थे उनसे मुझे ऐसा करने का होसला मिला था

और ये एक संकेत था की यही समय है इस सैक्स को एक्सप्लोर करने का
फिर चाहे वो अपनी सहेली के साथ हो, उसके बाय्फ्रेंड के या फिर मेरे खुद के पापा के साथ

पापा का ध्यान आते ही मेरी आँखो के सामने उनका रोबीला चेहरा और कसरती बदन आ गया
ये नितिन तो उनके सामने चूज़ा था

पर इस वक़्त यही चूज़ा खुद भी मज़े ले रहा था और श्रुति को भी दे रहा था
मेरा मन तो कर रहा था की खुद ही कूद जाऊं उनके बीच
थ्रीसम हो जाएगा आज
पर अभी तक इतनी हिम्मत नही हुई थी मेरी
बस मैं अपने बूब्स को दबा कर अपनी पीड़ा थोड़ी कम ज़रूर कर रही थी

मैने आँखे बंद कर ली और पापा के लॅंड का ध्यान करते हुए अपने बूब्स को आराम से दबाने लगी
जब वो मेरे रूम में आए थे और मुझे सोता देखकर उन्होने अपना वो मोटा लॅंड वही खड़े होकर मसला था
उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
कितनी उत्तेजना थी उस पल में

अचानक मुझे अपनी जाँघ पर कुछ महसूस हुआ
ये नितिन का हाथ था
उसका एक हाथ श्रुति की चूत में था, दूसरा मेरी जाँघ पर
और उसका मुँह उसके बूब्स के बीच
साले की कितनी सही किस्मत है

दो जवान और कुँवारी लड़कियाँ उसके सामने थी

वो मेरी जाँघो को अपने हाथ से सहलाने लगा
मैने भी मना नही किया

धीरे-2 उसका हाथ मेरी चूत की तरफ खिसकने लगा
मेरा दिल धाड़-2 करके बजने लगा
ये पहला मौका था जब कोई मर्द मेरी सबसे कीमती चीज़ को छूने की कोशिश कर रहा था
और उसने छू भी लिया

किसी बाज की तरह उसने अपना पूरा पँजा फेलाकर मेरी चूत को उसमें दबोच लिया
अब सीसीयाने की बारी मेरी थी

“अहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. उम्म्म्मममममममममममममम…..”

मेरी आवाज़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी उस तरफ गया और नितिन का हाथ मेरी चूत पर देखकर वो भी मुस्कुरा दी
नितिन ने बिना कहे ही अपना काम कर दिया था

पूरे कमरे में हम तीनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी
श्रुति की तरफ से हरी झंडी मिलते ही नितिन ने मुझे भी अपनी गोद में खींच लिया
श्रुति ने मेरे लिए जगह बनाई और अब हम दोनो उसकी 1-1 टाँग पर बैठे थे

और वहां पहुचते ही उसने सीधा मेरे होंठो पर हमला किया और उन्हे चूसने लगा….
मैं भी
ये मेरी पहली किस्स नही थी
स्कूल टाइम में भी एक लड़के ने मुझे बहुत किस्स की थी
पर उस से आगे मैने उसे कभी जाने नही दिया

यहाँ तक की अपने बूब्स को भी टच नही करने देती थी मैं
पर आज मैं सब कुछ करने को तैयार थी
वो नही
पर बाकी सब कुछ…

नितिन इतना बुरा भी नही था
देखने में एकदम चिकना, दुबला पतला सा लड़का था वो
पर किस्स बड़े ही सैक्सी तरीके से कर रहा था
काफ़ी एक्सपीरियेन्स था उसे

करीब 5 मिनट तक उसने मेरे गुलाबी होंठो को चूस-चूस्कर लाल कर दिया
फिर श्रुति ने उसे अपनी तरफ खींच लिया
इस बीच मैने भी हिम्मत करके अपनी टी शर्ट उतार दी
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ जब उसने अपनी आँखो के सामने मेरे मोटे बूब्स लहराते देखे
एक तरफ ब्रॉन कलर के श्रुति के बूब और दूसरी तरफ मेरे गोरे बूब्स



दोनो की तुलना करते उसकी आँखे थक नही रही थी
और लार भी टपक रही थी उसकी
उसने उन लार टपकाते होंठो से सीधा मेरे बूब्स पर हमला कर दिया
वहां किसी मर्द का पहला स्पर्श था…पहली किस्स भी

वो तो पागल सा हो गया उन नर्म मलाई की कटोरियों को चाटकर
मेरा भी बुरा हाल था
होंठो से ज़्यादा यहाँ चुसवाने में ज़्यादा उत्तेजना हो रही थी मुझे



और अगर इसने मुझे वहां नीचे चूसा तो
हाएsssssss
मेरे तो पूरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ये सोचते ही
कैसा फील होगा जब वो मेरी चूत को चूसेगा
उसमें अपनी जीभ डालेगा
मेरे दाने को, जिसे मैं आजतक अपनी उंगलियो से सहलाती आ रही थी, उसे अपनी जीभ से कुरेदेगा
मेरी तो डैथ ही हो जानी है बाइ गॉड

मेरी चूत किसी टूटी की तरह रिस रही थी उसकी जाँघो पर
और शायद उसकी दूसरी जाँघ का भी यही हाल था
दोनो टांगे हम दोनो सहेलियो ने अपने घी से चुपड़ दी थी उसकी

अब वो बारी-2 से कभी मेरे बूब्स और कभी श्रुति के बूब्स
कभी मेरे लिप्स तो कभी उसके लिप्स
चूसने में मगन था
और कसम से कहूं, मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था इसमें
बीच-२ में जब वो मेरे या श्रुति के बूब्स चूसता तो श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ चूसने लगते

आज तो ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी किस्मत सोने की कलम से लिखवा कर आया है
हम जैसी दो लड़कियों के कुंवारे जिस्म से खेलने का मौका इस बंदर जैसे नितिन को मिला था

श्रुति का तो पता नही पर मैं चाहती तो कॉलेज के सबसे स्मार्ट लड़के को अपनी अदाओं से दीवाना बनाकर उसके साथ ये सब कर सकती थी
पर कभी हिम्मत ही नही हुई
और आज ये सब हुआ तो कुछ सोचने समझने का मौका भी नही मिला
लंगूर के हाथ हूर लग चुकी थी
अब क्या ही हो सकता था

वैसे मज़ा तो मुझे भी आ रहा था इसमें
लड़का चाहे किसी भी तरह का हो
उन्हे मज़े देना बेख़ुबी आता है
इसलिए सब कुछ भूलकर मैं उस मज़े को लेने में लग गयी
 

Ashokafun30

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श्रुति ने नितिन को खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगी
उसने भी जल्दी-2 अपनी जीन्स खोलकर नीचे गिरा दी और फिर अंडरवीयर भी
और फिर जो मैने देखा, उसे देखकर मुझे भी विश्वास नही हुआ
उसका लॅंड काफ़ी मोटा और लंबा था
पर मेरे पापा से बड़ा नही
उनका वो पोलिसिआ लॅंड तो हर मुक़ाबले में जीत जाए

अब लार टपकाने की बारी हम दोनो की थी
मेरा तो ये पहला मौका था
पर श्रुति पहले कई लॅंड चूस चुकी थी
इस नितिन का भी और ना जाने कितनों का
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था

वो लपक कर आगे आई और घुटनो के बल नितिन के सामने बैठ गयी
मुझे भी इशारा करके उसने वहां बुलाया, मैं भी मोरनी बनकर उसके सामने अपनी गांड फेला कर बैठ गयी

अब उस खड़े लॅंड के पीछे हम दोनो का सैक्सी चेहरा था, जिसे देखकर उसका लॅंड फ़र्राटे मार रहा था हवा में
श्रुति ने उसे पकड़ा और सीधा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी
सडप -2 की आवाज़ों से पता चल रहा था की उसकी चूसाई में कितनी शिद्दत थी



मैं अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई अपनी बारी का इंतजार कर रही थी
और साथ ही उसे देखकर सीख भी रही थी की कैसे करना है
वो अपने दांतो से बचा कर किसी कुलफी की तरह उसे चूस रही थी
बस मुझे अपने पैने दांतो से उसके लॅंड को बचा कर रखना था
बाकी मज़ा तो उसे आ ही जाना था
मज़ा तो उसे आ ही रहा था
क्योंकि जैसे ही श्रुति ने उसके लॅंड को चूसना शुरू किया उसकी आँखे बंद और सिर पीछे चला गया था
मुझे उसके गोल मटोल बॉल्स को देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था
इन्हे तो मैं ज़रूर चूसूंगी
बस एक बार मेरी बारी आ जाए
और वो आ भी गयी

श्रुति ने अपने मुँह से उसका लॅंड निकाला और मेरी तरफ लहरा दिया
उसकी लार में भीगा मोटा लॅंड अब मेरे चेहरे के सामने था
मैने ढेर सारी लार अपने मुँह में इकट्ठा की और मुँह खुल कर उसके सुपाड़े को उस से नहला दिया और उपर से अपने होंठो की सील लगाती हुई नीचे तक आई
वो तो कब से मेरे मुँह मे जाने के लिए तड़प रहा था

मेरे गुलाबी होंठो को अपने लॅंड के चारों तरफ लिपटता देख वो उत्तेजना की हर सीमा पार करता चला गया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपने लॅंड पर दबा दिया

" आअह्हह्ह्ह्ह सालूूओऊऊनीईईई

नतीजन उसका पूरा लॅंड मेरे टॉन्सिल्स से जाकर टकराया और मुझे साँस तक लेने में दिक्कत होने लगी
मेरी छटपटाहट देखकर उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैं खाँसती हुई अपने आँसू पोछने लगी
उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी
जैसे कोई जंग जीत ली हो मुझे लॅंड चुस्वाकार

शायद कई लड़कों का अरमान होगा मेरे कॉलेज में
पर पूरा हुआ इस कमीने का

श्रुति ने एक बार फिर से उसके लॅंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया
और अब मुझे वो करना था जिसके लिए मैं पहले सोच रही थी
मैने उसकी बॉल्स को सहलाया और नीचे मुँह करके उन्हे मुँह में भर लिया
ऐसे लगा जैसे कोई खुरदुरा और रसीला गुलाब जामुन मुँह में ले लिया हो
पर उसे चूसने में मज़ा बहुत आया

वो पहले से ही क्लीन शेव करके आया था नीचे की, इसलिए उसके चिकने जामुन को चूसने में एक अलग ही मज़ा मिल रहा था


कुछ ही देर में नितिन के मुँह से सिसकाटियां निकलने लगी जो इस बात का संकेत था की वो झड़ने वाला है
मैं नीचे से उसकी बाल्स चूस रही थी और उपर से श्रुति उसका लॅंड
इसलिए झड़ना तो बनता ही था
अगले ही पल उसके लॅंड से एक के बाद एक पिचकारियाँ निकलकर उसके मुँह में जाने लगी



उसने मुँह हटाया तो वो पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई दिखाई दी
जो मेरे चेहरे पर भी गिरी और कुछ मेरे होंठो पर
मैने उन्हे चाटा तो कसेला सा स्वाद लगा पर बाद में मक्खन की तरह मेरे गले से उतरता चला गया

मैने उसके लॅंड को पकड़कर अपने मुँह से लगाया और बची खुचि बूंदे अपने मुँह में समेट कर उन्हे पी गयी
अब पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लगी वो

नितिन की हालत पस्त हो चुकी थी
वो निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया
मैने श्रुति की तरफ हंसते हुए देखा
और वो मुझे लेकर बेड पर आकर लेट गयी
और हम दोनो एक दूसरे के चेहरे पर गिरी बूंदे चाटकर सॉफ करने लगे
असली आग तो अब लगी थी हम दोनो के जिस्मों में
जिसे हम एक दूसरे के होंठो से बुझाने का असफल प्रयास कर रहे थे



पर असली आग तो नीचे लगी थी
टांगो के बीच
चूत में
और हमारी ये गुहार नितिन ने सुन ली
जो कुछ देर सुस्ताने के बाद हमारी मेहनत का भुगतान अपने होंठो से करने को तैयार था

श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ और चेहरा चाटने में बिज़ी थे और तभी मुझे अपनी टांगो के बीच गर्म सांसो का एहसास हुआ
मेरी धड़कने एक बार फिर से तेज हो गयी

और अगले ही पल उसके होंठो ने मेरी छुई मुई सी पुस्सी को अपनी जकड़ में लेकर चूसना शुरू कर दिया
ये एहसास तो अभी तक के सभी एहसासों से पूरी तरह से अलग था
सूपर से भी उपर

वो मेरी चूत को मुँह में लेकर चॉकलेट की तरह चूस रहा था
जीभ से बीच की लकीर को फैलाकर अंदर घुस रहा था
मेरी क्लिट को जीभ और हल्के दांतो की पकड़ से चुभला रहा था
अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था उसके पास चूत चूसने का



मैने उसके सिर को पकड़कर उसे गाईड करना शुरू कर दिया
की यहाँ चाट, यहाँ जीभ घुसा साले

और फिर यही काम उसने श्रुति के साथ भी किया
और जब वो तड़प रही थी जीभ अंदर लेकर तो मैं अपने होंठो से उसे सांत्वना दे रही थी, उसके नन्हे बूब्स चूस्कर
ये काम नितिन ने करीब आधे घंटे तक किया
और उस आधे घंटे में उसने हम दोनो का पानी अच्छे से निकाल कर रख दिया

आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे
नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी
यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था
पर मैं नही

एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी
उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था
मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी
इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई

पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें
सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था
जगह - 2 से रिस रहा था वो
उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
 

malikarman

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श्रुति ने नितिन को खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगी
उसने भी जल्दी-2 अपनी जीन्स खोलकर नीचे गिरा दी और फिर अंडरवीयर भी
और फिर जो मैने देखा, उसे देखकर मुझे भी विश्वास नही हुआ
उसका लॅंड काफ़ी मोटा और लंबा था
पर मेरे पापा से बड़ा नही
उनका वो पोलिसिआ लॅंड तो हर मुक़ाबले में जीत जाए

अब लार टपकाने की बारी हम दोनो की थी
मेरा तो ये पहला मौका था
पर श्रुति पहले कई लॅंड चूस चुकी थी
इस नितिन का भी और ना जाने कितनों का
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था

वो लपक कर आगे आई और घुटनो के बल नितिन के सामने बैठ गयी
मुझे भी इशारा करके उसने वहां बुलाया, मैं भी मोरनी बनकर उसके सामने अपनी गांड फेला कर बैठ गयी

अब उस खड़े लॅंड के पीछे हम दोनो का सैक्सी चेहरा था, जिसे देखकर उसका लॅंड फ़र्राटे मार रहा था हवा में
श्रुति ने उसे पकड़ा और सीधा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी
सडप -2 की आवाज़ों से पता चल रहा था की उसकी चूसाई में कितनी शिद्दत थी



मैं अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई अपनी बारी का इंतजार कर रही थी
और साथ ही उसे देखकर सीख भी रही थी की कैसे करना है
वो अपने दांतो से बचा कर किसी कुलफी की तरह उसे चूस रही थी
बस मुझे अपने पैने दांतो से उसके लॅंड को बचा कर रखना था
बाकी मज़ा तो उसे आ ही जाना था
मज़ा तो उसे आ ही रहा था
क्योंकि जैसे ही श्रुति ने उसके लॅंड को चूसना शुरू किया उसकी आँखे बंद और सिर पीछे चला गया था
मुझे उसके गोल मटोल बॉल्स को देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था
इन्हे तो मैं ज़रूर चूसूंगी
बस एक बार मेरी बारी आ जाए
और वो आ भी गयी

श्रुति ने अपने मुँह से उसका लॅंड निकाला और मेरी तरफ लहरा दिया
उसकी लार में भीगा मोटा लॅंड अब मेरे चेहरे के सामने था
मैने ढेर सारी लार अपने मुँह में इकट्ठा की और मुँह खुल कर उसके सुपाड़े को उस से नहला दिया और उपर से अपने होंठो की सील लगाती हुई नीचे तक आई
वो तो कब से मेरे मुँह मे जाने के लिए तड़प रहा था

मेरे गुलाबी होंठो को अपने लॅंड के चारों तरफ लिपटता देख वो उत्तेजना की हर सीमा पार करता चला गया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपने लॅंड पर दबा दिया

" आअह्हह्ह्ह्ह सालूूओऊऊनीईईई

नतीजन उसका पूरा लॅंड मेरे टॉन्सिल्स से जाकर टकराया और मुझे साँस तक लेने में दिक्कत होने लगी
मेरी छटपटाहट देखकर उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैं खाँसती हुई अपने आँसू पोछने लगी
उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी
जैसे कोई जंग जीत ली हो मुझे लॅंड चुस्वाकार

शायद कई लड़कों का अरमान होगा मेरे कॉलेज में
पर पूरा हुआ इस कमीने का

श्रुति ने एक बार फिर से उसके लॅंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया
और अब मुझे वो करना था जिसके लिए मैं पहले सोच रही थी
मैने उसकी बॉल्स को सहलाया और नीचे मुँह करके उन्हे मुँह में भर लिया
ऐसे लगा जैसे कोई खुरदुरा और रसीला गुलाब जामुन मुँह में ले लिया हो
पर उसे चूसने में मज़ा बहुत आया

वो पहले से ही क्लीन शेव करके आया था नीचे की, इसलिए उसके चिकने जामुन को चूसने में एक अलग ही मज़ा मिल रहा था


कुछ ही देर में नितिन के मुँह से सिसकाटियां निकलने लगी जो इस बात का संकेत था की वो झड़ने वाला है
मैं नीचे से उसकी बाल्स चूस रही थी और उपर से श्रुति उसका लॅंड
इसलिए झड़ना तो बनता ही था
अगले ही पल उसके लॅंड से एक के बाद एक पिचकारियाँ निकलकर उसके मुँह में जाने लगी



उसने मुँह हटाया तो वो पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई दिखाई दी
जो मेरे चेहरे पर भी गिरी और कुछ मेरे होंठो पर
मैने उन्हे चाटा तो कसेला सा स्वाद लगा पर बाद में मक्खन की तरह मेरे गले से उतरता चला गया

मैने उसके लॅंड को पकड़कर अपने मुँह से लगाया और बची खुचि बूंदे अपने मुँह में समेट कर उन्हे पी गयी
अब पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लगी वो

नितिन की हालत पस्त हो चुकी थी
वो निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया
मैने श्रुति की तरफ हंसते हुए देखा
और वो मुझे लेकर बेड पर आकर लेट गयी
और हम दोनो एक दूसरे के चेहरे पर गिरी बूंदे चाटकर सॉफ करने लगे
असली आग तो अब लगी थी हम दोनो के जिस्मों में
जिसे हम एक दूसरे के होंठो से बुझाने का असफल प्रयास कर रहे थे



पर असली आग तो नीचे लगी थी
टांगो के बीच
चूत में
और हमारी ये गुहार नितिन ने सुन ली
जो कुछ देर सुस्ताने के बाद हमारी मेहनत का भुगतान अपने होंठो से करने को तैयार था

श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ और चेहरा चाटने में बिज़ी थे और तभी मुझे अपनी टांगो के बीच गर्म सांसो का एहसास हुआ
मेरी धड़कने एक बार फिर से तेज हो गयी

और अगले ही पल उसके होंठो ने मेरी छुई मुई सी पुस्सी को अपनी जकड़ में लेकर चूसना शुरू कर दिया
ये एहसास तो अभी तक के सभी एहसासों से पूरी तरह से अलग था
सूपर से भी उपर

वो मेरी चूत को मुँह में लेकर चॉकलेट की तरह चूस रहा था
जीभ से बीच की लकीर को फैलाकर अंदर घुस रहा था
मेरी क्लिट को जीभ और हल्के दांतो की पकड़ से चुभला रहा था
अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था उसके पास चूत चूसने का



मैने उसके सिर को पकड़कर उसे गाईड करना शुरू कर दिया
की यहाँ चाट, यहाँ जीभ घुसा साले

और फिर यही काम उसने श्रुति के साथ भी किया
और जब वो तड़प रही थी जीभ अंदर लेकर तो मैं अपने होंठो से उसे सांत्वना दे रही थी, उसके नन्हे बूब्स चूस्कर
ये काम नितिन ने करीब आधे घंटे तक किया
और उस आधे घंटे में उसने हम दोनो का पानी अच्छे से निकाल कर रख दिया

आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे
नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी
यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था
पर मैं नही

एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी
उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था
मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी
इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई

पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें
सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था
जगह - 2 से रिस रहा था वो
उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
Waah maza aa gaya
Shandar update 👍🏻🥰
 
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इंस्पेक्टर की बेटी

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था
Saloni ki hawa tight ho gai Papa ko dekh kar.
 

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क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पुलिस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था
मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी
आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था

*********
आगे
**********
घर पहुँची तो मामला कुछ और ही निकला
माँ ने दरवाजा खोला
उनके चेहरे पर पहले से बारह बज रहे थे, हवाइयाँ उड़ रही थी
मैं समझ गयी की उन्हे भी पता है की पापा ने मुझे क्लब में देख लिया है

मैं अंदर आई, मेरे मुँह से घबराहट के मारे कुछ नही निकल रहा था

माँ : “बेटा….वो ..... वो……आ ........ आज तेरे पापा घर जल्दी आ गये थे…..और तब तक तो तू भी कॉलेज से आ ही जाती है….घर पर तू नही मिली तो…तो..उन्होने मुझे बहुत डांटा और मजबूरन मुझे बताना ही पड़ा की तू कहाँ गयी है….आई एम् सॉरी मेरी बच्ची ….ये सब…ये सब…मेरी वजह से हुआ है….”

इतना कहकर वो फफक -2 कर रोने लगी….
मैने गोर से देखा तो उनके चेहरे पर उंगलियो के निशान थे…..
यानी पापा ने उन्हे मारा भी था…

ये वहशी इंसान…..
मन तो करता है उनपर एफ आई आर कर दूँ …
फिर सड़ते रहेंगे पूरी लाइफ जेल में

ऐसे और भी विचार मेरे दिमाग़ में पहले भी कई बार आ चुके थे
पर मैं कितनी डरपोक थी ये सब करने में, ये मुझे भी पता था

अब जैसे भी उन्हे पता चला, खैर तो मेरी नही थी इन सबमे..
सच कहूं तो आज जितना डर मुझे अपनी लाइफ में कभी नही लगा था
हालाँकि आज के जमाने में इतना तो चलता ही है
कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे अपने दोस्तो के साथ मूवी और क्लब्बिंग के लिए जाते है
ये तो आम बात है

पर पता नही मेरे पापा को ही इसमें इतनी दिक्कत क्यों है
माँ भी तो मेरा साथ देती है, उन्हे तो ये सब बुरा नही लगता
उन्हे तो पता है की मैं अगर ये काम कर भी रही हूँ तो समझदारी से कर रही हूँ
पता नही पापा को ही क्यो दिक्कत है

मेरी आँखो से आँसू निकल आए ये सोचते-2
माँ ने लपककर मुझे अपने गले से लगा लिया और बोली
“मत रो सलोनी….तू अपने रूम में जा …और पापा के आने पर भी बाहर मत आना, मैं बोल दूँगी की तू सो रही है….बाकी मैं देख लूँगी….पर किसी भी हालत में बाहर मत आना”

माँ का यही प्यार मुझे एक सुरक्षा कवच का एहसास देता था
पर मुझे क्या पता था की मुझे तो सुरक्षा मिल रही है माँ से, माँ को कौन सुरक्षा देगा उस राक्षस से…

मैं अपने रूम में गयी और कपड़े बदल कर बेड पर लेट गयी
रह रहकर मुझे क्लब की बातें और पापा का गुस्से से भरा चेहरा नज़र आ रहा था
करीब 1 घंटे बाद बाहर की बेल बजी

मेरे दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गयी
बाहर पापा ही थे
अंदर आते ही उनकी और माँ की तेज आवाज़ें आने लगी
पापा गुस्से में गालियां दिए जा रहे थे
और वो मेरे बारे में ही बोल रहे थे

ऐसे शब्द जो मैने आज से पहले अपने बारे में उनके मुँह से कभी नही सुने थे

“कहाँ है वो रंडी साली….क्लब में छोटे कपड़े पहन कर लड़को के साथ डांस कर रही थी…आज तो उसकी गांड मैं लाल करूँगा….बाहर निकाल उसे…आज उसे पता चलेगा की पुलिस वाले का डंडा जब चलता है तो कैसे फट जाती है….निकाल उस हरामजादी को बाहर…”

माँ : “कुछ तो शर्मा करो, जवान बेटी को ऐसे कौन गालियां देता है….मानती हूँ उस से ग़लती हो गयी, मैने समझा दिया है, आगे से वो ऐसा कुछ नही करेगी, तुमसे पूछ कर ही करेगी वो सब…”

चटाख की एक जोरदार आवाज़ से पापा ने माँ को चुप करा दिया और बोले : “साली…..ये तेरी सरपरस्ती में ही बिगड़ रही है….कॉलेज शुरू होते ही इसे चाचा जी के पास भेज देना था, वो इसका सही से इलाज करते…”

पापा के चाचा जी, यानी रंजीत अंकल, वो पंजाब में रहते है, आर्मी से रिटाइर्ड है और अपने घर को भी उन्होने आर्मी केंट की तरह अनुशासन में बाँध कर रखा हुआ है, उनके बच्चे, बहु, नाती पोते सब उनसे डरते है, कोई उनके खिलाफ जाने की जुर्रत नही करता

पापा ने अपने पिताजी के गुजर जाने के बाद उन्ही को अपना आदर्श माना था
और परिणामस्वरूप वो भी उन्ही की तरह बन गये थे
और उनके घर का माहौल अपने घर पर लागू करने की फिराक में हमेशा रहते थे

यही कारण था की मेरे उपर इतनी पाबंदिया थी, ये तो माँ थी वरना उन्होने मुझे सच में अपने चाचा के पास भेज देना था
और वहां की लाइफ सोचकर ही मैं काँप उठती थी

पापा गुस्से में गालियां देते हुए मेरे कमरे की तरफ आ ही रहे थे की अचानक पता नही क्या हुआ की उनकी आवाज़ निकलना ही बंद हो गयी
माँ की भी कोई आवाज़ नही आ रही थी

मैने कान लगाकर सुनने की कोशिश की पर कुछ सुनाई नही दिया…

थोड़ी देर बाद बहुत धीरे से पापा के कराहने की आवाज़ सुनाई दी
ओह्ह माय गॉड

कहीं माँ ने उनके सिर पर तो कुछ नही दे मारा…
मैं झट्ट से उठी और दरवाजे का हेंडल खोलने के लिए लपकी
पर हेंडल तक मेरा हाथ जाने से पहले ही मुझे पापा की एक आवाज़ सुनाई दी
ये एक लंबी सिसकारी थी

“आआआआआआहह………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….”

ये…..ये सिसकारी तो मैं पहचानती हूँ

ये ठीक वैसी ही थी जैसे श्रुति के मुंह से निकल रही थी जब उसका बाय्फ्रेंड किस्स कर रहा था और उसके बूब को दबा रहा था
यानी……यानी….मॉम इस वक़्त पापा के साथ
मेरा तो दिमाग़ ठनक सा गया
मैं दबे पाँव दरवाजे तक आई

और कान लगाकर सुना
मेरा अंदाज़ा सही था
ये वही सिसकारी थी
पिताजी के मुँह से निकल रही थी ये..

“ओह्ह साआआली…..अपनी बेटी को बचाने का सही तरीका ढूँढ निकाला है तूने भेंन की लोड़ी …..आआहह….चूस ज़ोर से मादरचोद ….और ज़ोर से चूस मेरा लॅंड”

पिताजी के मुँह से आख़िरी शब्द “लॅंड” सुनकर मेरा पूरा शरीर झनझना उठा
यानी इस वक़्त माँ मेरे रूम के बाहर बैठकर पिताजी का लॅंड चूस रही थी…
हे भगवान् …

पर अगले ही पल मेरे दिल में माँ के प्रति एकदम से प्यार उभर आया
मुझे बचाने के लिए उन्हे पिताजी के साथ….उनके…उनके….लॅंड की सकिंग करनी पड़ रही है…

मैं जानती थी की उनकी उम्र की औरतों में पहले शायद ये सब नही होता था
श्रुति ने भी मुझे कई बार ऐसी ज्ञान की बाते बताई थी की पहले की औरतों को डिक सकिंग करना अच्छा नही लगता था
ये तो आजकल के नोजवानों का कल्चर सा बन चूका है
पहले उपर के होंठ चूस्टे है और फिर दोनो एक दूसरे के नीचे के हिस्से को

पर माँ ऐसा कर रही थी तो सिर्फ़ मेरे लिए…हां, मुझे बचाने के लिए..
क्योंकि श्रुति ने बताया था की मर्द चाहे आज का हो या पहले का, उसे लॅंड चुसवाना बहुत पसंद आता है

पहले के जमाने में लॅंड चुसाई होती नही थी इसलिए अपनी बिबियो से उन्हे ये सुख मिल नही पाया मर्दों को
पर आजकल की एडल्ट मूवीस में ये सब देखकर उन्हे भी ये इच्छा होती है की उनका भी कोई चूसे…
और शायद इसी वजह से आज पिताजी को जब ये सुख मिला तो वो अपनी सुध बुध खोकर उस मज़े का लुत्फ़ ले रहे थे

मैं तो अंदर थी पर मेरे दिमाग़ ने पिक्चर बनानी शुरू कर दी की कैसे पिताजी जब गुस्से में अंदर आ रहे होंगे तो एकदम से माँ उनके सामने आकर बैठ गयी…उनकी जीप खोलकर उनका लॅंड बाहर निकाला और उसे चूसने लगी
ठीक मेरे रूम के बाहर

उफफफ्फ़



मेरे निप्पल्स एकदम से टाइट हो गये
बूब्स में थोड़ी और हवा भर गयी
ये वही एहसास था जो मैने मूवी हाल में महसूस किया था
जब श्रुति और नितिन एक दूसरे को स्मूच कर रहे थे
mast update hai. Saloni ki chuchiyan tight to hongi ye sab sun kar.
 

Premkumar65

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हााआआययययी
ये एक ही दिन में मेरे साथ क्या-2 हो रहा है
पहले वो देखा और अब ये…

पहले वाला सीन तो मेरी आँखो के सामने चल रहा था और वो ग़लत भी नही था
मेरी सहेली अपने बाय्फ्रेंड के साथ मज़े कर रही थी

पर ये….
ये तो मेरी नज़रों के सामने भी नही था
और मेरे खुद के माँ बाप मेरे रूम के बाहर वो सब कर रहे थे
जो सरासर ग़लत था
उनका मेरे रूम के बाहर इस तरह से खुलेआम सकिंग करना और मेरा इस तरह से उनकी आवाज़ें सुनना
ये दोनों गलत था

पर फिर भी मेरे अंदर पहले से ज़्यादा उत्तेना का संचार हो रहा था
एक ग़लत चीज़ के लिए मेरी बॉडी इस तरह से क्यो रिएक्ट कर रही थी
ये तो सरासर ग़लत है

मैने अपने कानो पर हाथ रखकर बाहर से आ रही आवाज़ों को दबा दिया और फिर से वापिस अपने बेड पर जाकर लेट गयी
मेरा सीना उपर नीचे हो रहा था
मेरी 36 साइज़ के बूब्स फूलकर 38 के हो चुके थे
मेरा हाथ फिर से उनकी तरफ सरक गया और मैने उन्हे ज़ोर से दबा दिया
और परिणाम स्वरूप फिर से वही मूवी हाल वाली सिसकारी मेरे मुँह से निकल गयी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………….आआआआआआआआअहह”

मैं एकदम से चोंक कर बैठ गयी
कहीं मेरी आवाज़ बाहर ना चली जाए
कुछ देर तक तो मैं वैसे ही लेटी रही पर बाहर से आ रही आवाज़ों से पता चल रहा था की उन्हे कुछ सुनाई नही दिया है
या फिर वो अपने में कुछ ज़्यादा ही मस्त है इसलिए

अब मेरे अंदर की शैतान भी जाग रही थी
बाहर पिताजी मेरी माँ यानी अपनी बीबी के साथ जिस रासलीला में लगे हुए थे
वही जो कुछ देर पहले तक मेरी कुटाई करने को तैयार थे
ये सैक्स भी साला क्या बड़िया चीज़ है
इंसान को पत्थर से मोम बना देता है

मैने डरते-2 धीरे से दरवाजा खोलकर बाहर झाँका
और बाहर का सीन देखकर मेरे तो होश ही उड़ गये

बाहर पिताजी पूरे नंगे खड़े थे और सामने बैठी माँ उनका मोटा लॅंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी
उनके भी कपड़े कब उतर गये थे शायद इसका अंदाज़ा उन्हे भी नही था


]

पहली बार मैं किसी को ऐसे करता देख रही थी….
श्रुति ने ही मुझे एक-2 बार पॉर्न में ऐसे सीन दिखाए थे
जिसे देखकर मुझे तो घिन्न सी आ गयी थी की कोई कैसे किसी का पेनिस चूस सकता है….

पर यहाँ माँ को देखकर लग रहा था की जैसे इस से अच्छी कोई चीज़ ही नही है…
भले ही वो आजकल के जमाने की नही थी पर चुसाई में किसी पॉर्न स्टार को भी पीछे छोड़ रही थी…

और पिताजी की तो बात ही अलग थी…
ऊँचा और भारी भरकम शरीर
और करीब 9 इंच का लंबा और मोटा लॅंड…
एकदम काला भुसन्ड

जिसे देखकर पहली बार में तो उबकाई आ जाए,
पर माँ जिस तरह से उसे चूस रही थी उसे देखकर लग रहा था की उसमें से शहद निकल रहा है शायद

पिताजी अपनी आँखे बंद किए उपर मुँह करके धीरे-2 हुंकार भर रहे थे…
उनका हाथ माँ के सिर पर था,
जिसे वो आगे पीछे करके अपने पेनिस को अंदर स्लाइड कर रहे थे…

माँ के मुँह से ढेर सारी लार निकल कर उनके मोटे मुम्मो पर गिर रही थी..
जो उन्हे और भी सैक्सी बना रही थी
याआआर…..

माँ के बूब्स देखकर पता नही क्यों मेरे मुँह में पानी आ रहा था
मुझे याद है, मैं करीब 10 साल तक माँ के बूब्स चूसती रही थी,
ऐसी गंदी आदत बनी थी मेरी की मैं उन्हे बिना चूसे सो ही नही पाती थी

माँ ने बड़ी मुश्किल से उनपर लाल मिर्च लगा कर मेरी ये आदत छुड़वाई थी
आज फिर से उन्हे देखकर मेरा उन्हे चूसने का मन कर रहा था
पर इस वक़्त तो पिताजी के वश में थी माँ

पता नही आज से पहले भी माँ ने उनका पेनिस चूसा था के नही
या आज मुझे बचाने के लिए उन्होने ऐसा किया
पर जो भी था,
आज उन्होने मुझे पापा के प्रकोप से बचा लिया था

मेरा पूरा बदन जलने सा लगा था उन दोनो को नंगा देखकर
मन तो कर रहा था की मैं भी कूद जाऊं उनके बीच
जो होगा देखा जाएगा
पर सोचने और करने मे काफ़ी फ़र्क है

पर इस जिस्म की जलन का कुछ तो करना ही पड़ेगा ना
मैने आनन फानन में अपने सारे कपड़े निकाल फेंके
और पूरी नंगी हो गयी
मेरा कच्ची जवानी से भरा जिस्म अँधेरे कमरे में भी चमक रहा था


]

अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था
मैने अपनी 2 उंगलिया मुँह में डालकर ढेर सारी थूक में डुबोई और उसे लेजाकर सीधा अपनी चूत में घुसेड दिया
चर्र मर्र करती हुई मेरी दोनो उंगलिया उस संकरी सी गुफा में फिसलती चली गयी

और मेरे मुँह से एक धीमी सी हिसिसाहट निकल कर पूरे कमरे में फैल गयी
और साथ ही निकली लार
जो सीधा मेरे निप्पल को भिगोती हुई मेरे पेट पर आ गिरी
मेरी आँखे बंद होती चली गयी
और मेरी उंगलिया किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगी मेरी नन्ही सी पुसी के



मैने बाहर देखा
माँ अब और ज़ोर से पापा का लॅंड चूस रही थी
शायद वो ऑर्गॅज़म के निकट थे
क्योंकि वो अपने पंजो पर खड़े होकर धीरे-2 कुछ बुदबुदा रहे थे
पता नही क्या पर मैने सिर्फ़ चोद दूँगा…रंडी साली…ये शब्द ही सुने

और अगले ही पल उनके शरीर ने काँपते हुए अपना हिस्से के बच्चे माँ के मुँह में निकालने शुरू कर दिए
यही उनकी चूत में जाते तो मेरे 2-4 भाई बन जाते आने वाले समय में



और ये गाड़ी मलाई देखकर मेरे हाथ भी और तेज़ी से चलने लगे
और जल्द ही मैने अपने हिस्से के बच्चे अपनी चूत से निकालने शुरू कर दिए
अअअअअहह

एक शरारत भरी बात अचानक मेरे दिमाग़ में आई की पापा और मेरा कम अगर मिल जाता तो वो 2-4 बच्चे मैं ही पैदा कर देती
अपनी बात पर मुझे ही हँसी आ गयी
चल पागल, ऐसा थोड़े ही होता है



अब सब शांत हो चूका था
मैं भी
पापा भी
और माँ भी

पिताजी लड़खड़ाते कदमो से बाथरूम में जाकर नहाने लगे
पीछे-2 माँ ने भी अपने और पापा के कपड़े इकट्ठे किए और अपने बेडरूम की तरफ चल दी
उनकी चाल मे एक अलग ही लचक थी आज
शायद अपनी बेटी को बचाने का रोब था उनकी कमर में
आज तो बचा लिया था माँ ने मुझे पापा से,
पर अगले दिन जब मैं उनके सामने जाउंगी तो पता नही क्या होगा
Bahut hi mast story likh rahe ho. ekdam alag tarika hai likhne ka.
 
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