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Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Ashokafun30

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सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली, ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा
ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”
बबलू : “जी…”
ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”
वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी, क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से, पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे
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अब आगे
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दोस्तो, जैसा पिछले अपडेट मे मैने कहा था की कहानी के पात्रों के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
शुरू की कहानी आपने सलोनी के नज़रिए से पढ़ी और पिछला अपडेट आपने सलोनी की माँ ज्योति के नज़रिए से
आज का अपडेट आप सलोनी के इनस्पेक्टर बाप यानी शमशेर सिंह की नज़र से पढ़ेंगे

इनस्पेक्टर शमशेर सिंह
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सभी की लाइफ बदल रही थी
सलोनी की
उसकी माँ ज्योति की
सलोनी की सबसे करीबी दोस्त श्रुति की
और सबसे ज़्यादा तो सलोनी के पापा शमशेर की

जिसे जाने या अंजाने में ही सही
अपनी बेटी के रसीले शरीर को स्पर्श करने का सुखद एहसास मिल गया था
और जब से वो कल रात वाला वाक़या हुआ था, उसकी तो नींद ही उड़ चुकी थी
उसके दिल में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी
आख़िर था तो वो एक बाप ही

अपनी ही बेटी के बारे में इस तरह से सोचना कितना अनैतिक है ये भी वो अच्छी तरह से जानता था
पर इसी अनैतिक कार्य को करने और सोचने में इतना आनंद क्यों मिल रहा है
इतनी उत्तेजना क्यों महसूस हो रही है
ऐसी उत्तेजना तो आज तक उसने कभी महसूस नही की थी
रात भर वो ढंग से सो भी नही पाया था
रह रहकर उसे अपनी बेटी का नर्म शरीर और उसका स्पर्श याद आ रहा था
ख़ासकर उसकी गर्म गांड का वो एहसास जब वो उसकी गोद में बैठी थी
ठीक उसके कड़क लॅंड के उपर

और सबसे ख़ास वो पल जब उसने अपनी शर्ट उपर करके उसके चेहरे को पोंछा था
उसके गुदाज स्तन का वो स्पर्श उसे अब तक झींझोड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था

सुबह उठकर उसका मन तो हुआ की एक बार जाकर देखे उसके कमरे में
पर पता नही क्यों उसके चोर दिल ने हिम्मत ही नही की
(अगर चला जाता तो उसे नंगा सोते देखकर वहीं चोद देता शायद)

घर से निकलकर वो सीधा पुलिस स्टेशन पहुँचा
और वहां पहुँचते ही उसे वही लड़की फिर से बाहर ही मिल गयी जिसके बाप को उसने दो दिन पहले रेड लाइट एरिया की रेड में पकड़ा था

लड़की : “साहब…साहब…अब तो मेरे बापू को छोड़ दो….वो किसी का समान देने गया था, ये रही उसकी पर्ची, सेठ ने ही भेजा था उसे समान पहुँचाने, आपने बेकार में पकड़ लिया…वो निर्दोष है साहब….छोड़ दो उन्हे…”

मैने उस लड़की को उपर से नीचे तक गोर से देखा
घाघरा चोली पहन रखी थी उसने
काला रंग उपर से महीनो से नहाई भी नही थी शायद…
अब ऐसी जवान लड़कियां जो सड़क किनारे बने झोपडे में रहती है, कहाँ ही नहा पाती होंगी…

मैने पूछा : “तेरा नाम क्या है…क्या काम करती है तू…”

उसने झिझकते हुए नीचे नज़रें करके कहा : “जी….जी…सलोनी..”

सलोनी सुनते ही मेरे पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये
कहाँ तो मेरी फूल जैसी गोरी बेटी और कहाँ ये काली कलूटी , मैली कुचेली लड़की
पर उम्र दोनो की एक ही थी लगभग

और हां , इसकी आँखे कुछ ज़्यादा ही सुंदर थी



अब मैने गोर से देखना शुरू किया उसे
काले रंग की चोली में उसके स्तन बड़ी मुश्किल से दबा कर रखे थे उसने
शायद चोली छोटी हो गयी थी उसकी
जिसकी वजह से उसका यौवन उपर से बाहर निकल रहा था
गले में 2-4 मोटी माला पहन रखी थी उसने
जैसे बंजारे पहनते है, हाथों में भी कई सारी चूड़िया थी उसके

नीचे उसका सेक्सी सा पेट जिसमें नाभि अंदर तक धँसी थी
और नीचे उसका फेला हुआ नितंब जिसपर उसने गाँठ लगाकर लहँगा पहन रखा था
लहंगे में भी कई पेबंद लगे थे
एक जगह से फटा भी हुआ था पर गोर से देखने पर भी कुछ पता नही चल रहा था क्योंकि अंदर उसकी टांगे भी काली थी पूरी

कुल मिलाकर एक जवान सी लड़की को ग़रीबी का लिबास पहना कर खड़ा किया हुआ था उसकी किस्मत ने मेरे सामने

फिर वो बोली : “और मैं, चोराहों और रेड लाइट पर डांस करके अपने बापू का सहयोग देती हूँ …मेरी माँ भी मेरे साथ काम करती थी पहले, पर एक तेज रफ़्तार कार ने उसकी टांगे कुचल दी, तभी से मैं और बापू कमाते है और वो घर रहती है…”

ऐसे किस्से कहानियां तो मैं कई बार सुन चुका था
पर इस लड़की के सलोनी नाम की वजह से कुछ ख़ास दिलचस्पी होने लगी थी मुझे इसमें अब

मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला : “चल अंदर…देखते है मैं क्या कर सकता हूँ …”

उसे लेजाकर मैं सीधा अपने केबिन में गया और 2 चाय लाने को बोला मैंने एक हवलदार को

अब मैं उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में आ चूका था
मेरी बेटी का नाम लेकर घूमेगी तो ऐसे ही थोड़े जाने दूँगा इसे

मैं बोला : “देख, तेरे बापू को रेड में रंगे हाथो पकड़ा है एक धंधे वाली के साथ, भले ही वो सेठ के काम से गया था वहां, पर है तो वो इंसान ही ना, मचल गया होगा किसी को देखकर उसका दिल”

सलोनी : “नही साहब, मेरे बापू ऐसे नही है…”

मैने गुस्से से टेबल पर हाथ पटका और गुर्राया : “तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ …मैने खुद उसे कोठा नंबर 7 से पकड़ा है, पूरा नंगा होकर गांड मार रहा था वो एक रंडी की, तेरी ही उम्र की थी वो भी….”

मेरे इतना कहने के बाद उसका चेहरा देखने लायक था
शायद मैं ऐसा कुछ बोल दूँगा इसकी उसे भी उम्मीद नही थी
पर मुझे तो उसके एक्सप्रेशन देखकर मज़ा आ रहा था

उसने सिर झुका लिया, शायद वो समझ चुकी थी की उसका बाप ही ठरकी है

मैं : “देख, ये सारे काम बरसो से होते आ रहे है…हमे भी पता है, हर इंसान की मजबूरी और ज़रूरत होती है, उसी को पूरा करने तेरा बाप गया था वहां …पर उसकी किस्मत खराब थी, उस दिन उपर आर्डर था रेड मारने का, वरना किसी को पता भी नही चलता , अब वो फँस गया है इसमें , निकलना मुश्किल है 3 महीने से पहले…”

वो रोने लगी ये सुनते ही

“नही साहब, ऐसा मत बोलो…घर पर मेरी अपाहिज माँ पड़ी है, बापू जैल में रहेंगे तो मुश्किल हो जाएगी हमारे लिए….कुछ करो ना आप….कुछ ले देकर…”

इतना कहकर वो चुप हो गयी
मैं सब समझता था ये ले देकर वाली बात
हम पुलिस वालो को तो जनता ने रिश्वतखोर बना कर रख दिया है
और ये सिस्टम की माँग भी है
मैं भी शुरू में कुछ नही लेता था
पर सिस्टम ही ऐसा बना हुआ था कि ना चाहते हुए भी सब करना पड़ता है

पर इस वक़्त मेरा दिमाग़ कुछ और ही माँगने के चक्कर में था
जो आज तक नही किया था मैने

मैं बोला : “तू क्या देगी मुझे….तेरे पास है ही क्या…”

उसने सकुचाते हुए अपने फटे हुए घाघरे के अंदर हाथ डालकर एक थैली निकाली और उसमें से 100-200 के 4-5 नोट, और एक 500 का नोट निकाल कर मेरे सामने रख दिया

मैने उसे डांटा :”ये क्या मंडी से घिया तोरई खरीदने आई है….पता भी है उसपर 372 धारा लगी है , कच्ची उम्र की लड़की का शोंक है उसे, कोई औरत के साथ कर रहा होता तो छोड़ भी देता, पर एक नाबालिग के साथ पकड़ा है उसे, अब बचना मुश्किल है”

उसका चेहरा रुंआसा सा हो गया, उसने वो मैले कुचेले नोट उठा कर फिर से अपनी जेब में रख लिए

अब शायद वो समझ चुकी थी की उसे उन पैसे से कुछ ज़्यादा देना पड़ेगा
और एक जवान लड़की इसे अच्छे से समझती है
ख़ासकर ऐसे काम धंधे करने वाली लड़कियां
जिनका हरामी टाइप के लोगो से रोजाना वास्ता पड़ता है

वो धीरे से बोली : “क..क्या करना होगा मुझे साहब….”
मैं मुस्कुराया और धीरे से बोला : “शाम को 8 बजे हाइवे के पास पुरानी पुलिया के नीचे मिल मुझे…”

उसने घूर कर मुझे देखा, क्योकि वो जगह वहां से काफ़ी दूर थी
पर मैं भी कोई रिस्क नही लेना चाहता था

पर आज उसे इस बात का एहसास होने वाला था की उसके माँ बाप ने उसका नाम सलोनी रखकर कितनी बड़ी भूल कर दी है
क्योंकि ना तो वो मुझे अपना वो नाम बताती और ना ही मेरे दिलो दिमाग़ में ये सब आता

उसके बाद वो चली गयी
और मैं अपने दूसरे कामो में व्यस्त हो गया
शाम को सारे काम ख़त्म करके मैने अपनी शर्ट चेंज की और अपनी कार लेकर निकल गया हाइवे की तरफ

वो पुलिआ पहले काफ़ी बिज़ी रहती थी पर जब से हाइवे बना है तब से उस तरफ लोगो ने जाना छोड़ दिया है
उस पुलिया के नीचे गाड़ी खड़ी करने और बैठने की अच्छी ख़ासी जगह थी
पहले भी कई बार मैने यहा लाकर आइटम लोगो के साथ मज़े लिए है
पर आज इस कच्चे अमरूद को खाना था मुझे

मैं उसका इंतजार करते हुए अपना मोबाइल निकाल कर देखने लगा और व्हाट्सएप पर जाकर मैने सलोनी की डीपी देखी
जिसमें वो बड़ी क्यूट सी लग रही थी



मैं उसे ज़ूम कर-करके उसकी आँखे और होंठ देख रहा था की तभी मोबाइल की घंटी बजी, वो सलोनी का ही कॉल था
मैं तो एकदम से घबरा सा गया
अभी उसी की डीपी देख रहा था और एकदम से उसका कॉल आ गया

मैं : “हेलो बेटा…क्या हुआ, सब ठीक तो है ना…”

सलोनी : “यस पापा…मैने तो बस इसलिए कॉल किया था की मैं अभी श्रुति के घर हूँ , थोड़ा लेट हो जाएगा आने में …”

मैं :”इट्स ओके बेटा…आराम से आना, कहो तो मैं लेने आ जाऊं .”

सलोनी : “नही पापा..मैं आ जाउंगी , सी यू एट होम….बाय ”

इतना कहकर उसने कॉल रख दिया
मैं मुस्कुरा दिया

क्योंकि आज वो बड़े ही प्यार से मुझसे बात कर रही थी
वैसे ग़लती तो मेरी ही थी, जिसका मुझे कल एहसास भी हो चूका था
मैने ही उसे डरा धमका कर रखा हुआ था
वरना इतनी प्यारी बेटी है मेरी….
उपर से जवान भी…
उफ़फ्फ़….
ये फिर से मेरा ट्रेक दूसरी तरफ क्यों घूम रहा है..

और तभी मुझे दूर से वो दूसरी सलोनी आती दिखाई दी
 
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