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एपिसोड 2

महक ने लंड को दबाते हुए कहा "अरे वही, रजनी काकी की बेटी, सुधा मेरी क्लास मेट है और मेरी अच्छी दोस्त। उसका बाप अपनी नौकरानी को रोज चोदता है और सुधा सब कुच्छ देखती है। सुधा की माँ भी सुबह काम पर चली जाती है। सुधा पूरा वर्णन करके चुदाई की बात बाद में बताती है। उसकी नौकरानी रेनू हमारी ही उम्र है, लेकिन पिछले एक साल से चुदवा रही है। जब पहली बार रेनू चुदवा रही थी तो सुधा ने देखा था और बाद में देखा कि रेनू के चूत से खूब खून निकला है।

महेक ने भाई के लंड को अपनी जांघो से रगड़ा और कहा “चूत मे उँगुली डाल कर मज़ा लो।।’

परम ने चूत मे उँगुली पेल दी और पूछा “ सुधा के बाप को नही मालूम की उसकी बेटी सब कुछ देखती है?”

“ अरे भैया, उसका बाप तो जान बुझकर सुधा को दिखा-दिखा कर रेणु की चुदाई करता है।’

“ तब तो उसने अपनी बेटी को भी चोद डाला होगा।’

“हो सकता है, लेकिन सुधा कहती है अभी तक उसके बाप ने उसे चोदा नही है ना ही कभी चोदने की बात की है। लेकिन सुधा डरती है की जल्द ही उसका बाप उसे चोदेगा।’

अब परम चूत मे दो उंगली डाल कर मज़ा ले रहा था। “बहन तुम्हारी चूत लंड लेने के लिए तैयार है।”

“भैया बस थोड़ा इंतज़ार करो। धीरे धीरे प्यार से मज़ा दूँगी, घर का माल है, जल्दी क्या है?”उसने भाई को चूमा और कहा .."वैसे भी तुमको मजा देने के लिए पूनम और रेखा है ही...तुम उनको चोदते क्यों नहीं हो...?"

उसने भाई को चूमा और बोली:“अब मुझे पकड़ कर सो जाओ।“ महेक परम की ओर पीठ करके सोने की कोशिश करने लगी।

परमने अपनी टाँग बहन के कमर पर रखी और एक स्तन को जकड़ कर सोने की कोशिश करने लगा। महेक ने चुत्तर को आगे पिछे किया और लंड उसकी गांड मे फँस गया। और उसकी गांड का छेद पहले से ही उसके भाई के लंड सुपारे से बात करने के लिए तैयार था। उसने अपनी गांड के छेद को थोड़ा ढीला किया और गांड को अपने भाई के लंड से बाते करने के लिए छोड़ दिया।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

बीच रात मे परम ने लाइट जला दी और आँख फाड़ कर अपनी बहन की नंगी जवानी का दीदार करने लगा। महेक शांत होकर सो रही थी। उसकी गठी हुई चुचि हौले-हौले उपर नीचे हो रही थी। चूत के उपर हल्के-हल्के घुँगराले बाल थे, लेकिन चूत साफ दिख रही थी। उसने हल्के से चूत की फाँक को फैलाया तो उसे गुलाबी माल दिखाई दिया। थोड़ी देर तक देखने के बाद उसने चूत को चूमा और उसकी चूतरस को थोडा चाटा और लाइट ऑन रखकर सोने लगा और कब सो गया मालूम नही।

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सुबह दरवाजे पर मा की आवाज़ सुनकर दोनो की नींद खुली। फटाफट दोनो ने कपड़े पहने। महेक भाई को चूमकर बाहर निकल गयी और परम आँख बंद कर लेटा रहा। माँ अंदर आई और उसने भी परम को चूमा और बाहर आने को कहा।

परम बहुत खुश था। ना विनोद सुंदरी के बारे मे गंदी बात करता, ना ही परम माँ की मस्त धइले दबा पाता, ना ही अपनी प्यारी बहन की नंगी जवानी से खेल पाता। उसने सोचा की विनोद को थॅंक्स कहे और उससे चुदाई के बारे मे जाने। परम यही सोचता जा रहा था की उसकी बगल मे एक कार आकर रुकी और किसी लड़की ने उसे पुकारा।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

उसे यकीन नही हुआ। शेठ की बेटी रेखा उसे बुला रही थी। परम के नज़दीक पहुँचते ही रेखा ने दरवाजा खोलकर उसे अपनी बगल मे बैठा लिया।
रेखा के बगल मे शेठ जी बैठे थे। परम ने उन्हे विश किया। कार चल दी। रेखा उससे बात करने लगी और परम को पता नही चला कब उसने अपना एक हाथ रेखा के जांघो पर रख दिया था।

कार चल रही थी, बात चल रही थी और परम का हाथ रेखा के जांघो पर उपर बढ़ रहा था। परम को तब होश आया जब उसके हाथ को गर्म महसूस हुआ। परम की आँख रेखा से टकराई तो उसने देखा की रेखा मुस्कुरा रही है और परम के हाथ को आँचल से ढक रखा है।

कल की घटना के बाद परम की हिम्मत बहुत बढ़ गयी थी। वो रेखा की जांघो को सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते दोनो जाँघो के बीच ठीक रेखा के चूत के उपर हाथ रखकर दबाया। रेखा ने आँख बंद कर ली और होठों को काटा। परम को लगा की रेखा को मज़ा आ रहा है तो वह कपड़े के उपर से ही चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा। दोनो मज़ा ले ही रहे थे की कार रुकी। परम का कोलेज आ गया था। मन मार कर परम उतरा तो रेखा ने उसकी तरफ नही देखा, शायद शरम से।

लेकिन शेठ जी कार से उतर गये। उन्होने परम को किनारे बुलाया और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा,

“बेटा, अब तुम मेरी मदद कर सकते हो!”

“क्या मदद, शेठजी।”

“मै सुंदरी को चोदना चाहता हूँ, अगर जल्दी नही चोद पाया तो मै पागल हो जाऊंगा।”

“माँ तो आपके घर आती-जाती है, उससे बोलते क्यो नही। मै क्या करू?”

“बेटा कुछ भी करो, जितना बोलेगी दूँगा।। 10,20,30,50 हज़ार दूँगा, ज्वेलरी दूँगा । बस तुम कुछ करो और हम दोनो की मुलाकात करा दो प्लीज़।’

इतना कहकर शेठ जी ने परम का हाथ छोड़ा और कार मे बैठ गये।

कार स्टार्ट होने पर रेखा परम की तरफ देखकर मुस्कुराई। परम कोलेज की तरफ बढ़ा तो उसने देखा की शेठजी ने उसकी हाथ मे 100 के दस नोट रख दिए थे।

“माँ को चुदवाने की पेशगी।’
उसने रुपये पॉकेट मे रख लिए। उसके हाथ मे पहली बार इतना रुपया आया था।

कोलेज मे परम खुलकर विनोद के साथ अपनी माँ के बारे मे बात करने लगा। उसके पूछने पर विनोद ने बताया की चुदाई कैसे की जाती है।


अभी एपिसोड ख़तम नहीं हुआ........
 

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पहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।

उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।

परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“

“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“



घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।

उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।

“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।

“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।

दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।

परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।

“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।



जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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पहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।

उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।

परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“

“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“



घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।

उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।

“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।

“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।

दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।

परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।

“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।



जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????

Bahut hi majedar updates Funlover Ji,

Sundari, Mahak, Rekha aur na jaane kitni chuto ka aanand lene wala he apna param..........

Maja aa raha he story me

Keep rocking
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi jabardast or kamuk kahani hai !

Keep posting …,
 

Sushil@10

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पहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।

उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।

परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“

“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“



घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।

उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।

“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।

“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।

दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।

परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।

“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।



जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????
Nice update
 

Funlover

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Bahut hi majedar updates Funlover Ji,

Sundari, Mahak, Rekha aur na jaane kitni chuto ka aanand lene wala he apna param..........

Maja aa raha he story me

Keep rocking
जी हां सही कहा आपने बहोत सी फिमेल पात्र आगे आयेगे और यह कहना मुश्किल है की प्सिर्फ़ परम ही है या फिर और बहोत से .......... जान ने के लिए बने रहिये


शुक्रिया दोस्त आपकी राय देते रहिये
 

Funlover

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Bahut hi jabardast or kamuk kahani hai !

Keep posting …,
शुक्रिया मित्र

बस आप लोग साथ और सहकार देते रहिये मैं आगे लिखती रहूंगी ..................
 

Funlover

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