फिर सभी लोग बहार आ गए और अपने लंड और छुट को मूत के खाली कर दिया, अच्छे से कपड़े पहने और ऐसे बैठ गए जैसे गाड़ी के अंदर कुछ हुआ ही न हो। हालाँकि, गाड़ी से आ रही खुशबू किसी को भी बता सकती थी कि पिछली सीट पर मैराथन चुदाई का दौर चल चुका है।
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अब आगे.....................
आपने पढ़ा कि दोनों भाई गुलाबो को अपनी वेश्या बनाकर वापस लौट गए। गुलाबो ने खुद को सेठजी के बेटो की रखैल मान लिया। वे सोमवार शाम को वापस लौटे।
सोमवार की शाम थी और हमने महक और पूनम को रविवार रात उनके कमरे पर छोड़ दिया। याद कीजिए कि परम और सुंदरी ने शनिवार और रविवार की रात सेठजी के घर पर बिताई थी। दूसरी रात छोटी बहू और सेठानी ने एक-दूसरे को परम के साथ चुदाई करते हुए देखा। उस रात परम रेखा, बड़ी बहू और सुंदरी के साथ मस्ती नहीं कर सका क्योंकि इन सभी मस्ती-मस्ती का 'पीरियड' हो गया था। परम के साथ चुदाई के बाद, छोटी बहू ने अपने ससुर (सेठजी) के साथ अपने ही बिस्तर पर खूब मस्ती की। आपको याद होगा कि महक पूनम को अपने साथ अपने घर ले गई थी और उस रात दोनों ने एक-दूसरे के जिस्म को चाटा। महक ने उसे अंदर खींच लिया और उसे डाँटा। दोनों ने एक-दूसरे को चूसा और मज़े लिए और सो गए।
बाहर के दरवाज़े पर ज़ोर से दस्तक हुई और महक उठी। उसने उठकर इधर-उधर देखा। सोमवार सुबह के लगभग 6:00 बज रहे थे (जब कलकत्ता में केयरटेकर मौसी ने गुलाबो को अपने दो भाइयों के साथ नंगी सोते हुए देखा)। उसने अपनी सहेली पूनम को गहरी नींद में नंगी देखा और उसे यह याद करके अच्छा लगा कि कैसे दोनों ने एक-दूसरे का मज़ा लिया था।
महक को याद आया कि मुनीम (उसके पिता) आज सुबह लौटने वाले थे, वह मुस्कुराई और अपने पिता को एक अच्छी नज़र देने की सोची, जिन्होंने उसके सामने पूनम का कौमार्य भंग किया था और लगभग उसे चोद भी दिया था। उसे पिता द्वारा की गई चुदाई याद आ गई और उसने अपनी चूत रगड़ी, महक को सबसे ज्यादा मुनीम का लंड अच्छा लगा था, नाही उस सेठ, नहीं परम और नाही विनोद, पर उसके लिए एक अलग प्रकार की स्पेसिअल जगह बना चुका था। मुनीम ने अभी तक अपनी बेटी को दूसरी बार नहीं चोदा था। वह बाहर गई और दरवाज़ा खोला। फनलवर की रचना।
महक ने दरवाज़ा खोला और देखा कि दिन निकल आया है और उसके पिता दो बड़े बैग लिए खड़े हैं। उन्होंने बैग नीचे गिराए और अपनी लगभग 52 किलो वज़नी बेटी को उठाकर चूमा। महक ने अपने पैरों से दरवाज़ा बंद कर दिया और अपने स्तन अपने पिता के चेहरे पर रगड़े। मुनीम अपनी बेटी को नंगी देखकर बहुत खुश हुए। दरअसल, ट्रेन में पूरी रात वह अपनी बेटी के बारे में ही सोच रहा था कि उसे फिर से कैसे चोदने का मौका मिलेगा। मुनीम उसे बेडरूम में ले गया और चिल्लाया,
"साली, ये माल भी यहीं है!" मुनीम ने बेटी को पूनम के बगल में लिटा दिया।
"क्या करेगी बेचारी! ये मेरे बाप के लंड की गुलाम हो गई है, तभी तो वह रोज यहाँ आती है तुमसे चुदवाने।"
महक ने पिता को कपड़े उतारते हुए देखा और खड़ा डंडे से खुश हुई। उसे तैयार करने के लिए लंड को सहलाने की ज़रूरत नहीं है… यह किसी भी चूत में प्रवेश करने के लिए धड़क रहा था। लग तो ऐसा रहा था की अभी एक साथ दोनों चुतो को छेद देगा।
“बस, बाबूजी, लौड़ा पूरा तैयार ही लेके आये है! मुझे कुछ भी मेहनत नहीं करनी है!” उसने लंड को कस कर पकड़ लिया, “साली को चोद-चोद कर अपने बच्चे की माँ बना दीजिये। उसकी चूत अब आपकी ही तो है।” उसका मन तो नहीं था क्यों की वह अपने बाप का लंड कीड़ी और को देना नहीं चाहती थी, वह सिर्फ अपना माल समजती थी। पर क्या करे बेचारी बेबस थी बाप के लंड को नयी चूत देते रहने थी।
लेकिन, मुनीम ने बेटी के ऊपर चढ़ गया। दोनों बोब्लो को प्यार किया, चूमा और कहा…
“रानी, तू अपनी सहेली के सामने मेरा लंड नहीं लेगी! इसलीए पहले तुझे चोदकर अपने बेटे की माँ बनाउंगा और फिर इस कुतिया को अपने इस माल को…!” और मुनीम ने महक को निचे से पैरो को पकड़ कर उठाया और बेड के ऊपर रखा जिस से महक की चूत थोड़ी उजागर हुई और अपना मुस्कुराता हुआ छेद को दिखाया। महक तो पहले से ही तैयार थी, जब से पापा दरवाजे पे आ गए थे। वह तो बहोत ही उस्तुक थी की बबुजीका लंड अब उसके अन्दर जाके अपनी खुदाई करेगा। उसने तुरंत अपने पैरो को फैला दिए और मुनीम का लंड को पकड़ के थोडा सहलाया और बोली: “पापा कब से बेचारी आपके पानी के लिए तरस रही है अब जरा इस जमीन पे अपना डंडा गढ़ाओ और उसमे पानी भरो।“
मुनीम ने आगेपीछे देखे बिना अपने लंड को महक की चूतद्वार पर रखा और अपनी कमर से थोडा सा धक्का दिया और लंड महक की चूत में सैर करने के लिए सरक गया। लेकिन महक को थोड़ी तकलीफ हुई क्योकि बड़ा सुपारा उसकी चूत को छेद रहा था, वह थोडा उछली और अपनी गांड को थोडा पीछे किया थाकी लंड थोडा बहार को आ जाये लेकिन सामने भी तो पक्का चोदु था। मुनीम ने उसे कमर से पकड़ के रखा था और वही से तेज धक्का लगे और लंड को और ज्यादा अन्दर सरका दिया।
“ओम्म्म माँ......यह सुपारा..... पापा.... एक मिनट रुको मुझे सांस तो लेने दो!” उसने अपनी गांड को थोडा एडजस्ट क्या और पूरी तरीके से अपनी चूत को सेट किया और बोली: “पापा अब इस चूत को जितनी हो सके उतनी जल्दी चोद डालो, अब रहा नहीं जाएगा।“
मुनीम: “अरे, बेटी यहाँ भी कौन रुकने वाला है!” पापा ने एक ऊँगली महक की गांड को सटा दिया और लगा धक्के लगाने।
“पप्पाआआ, धीरे ऊऊईई.....माँ....फ.....टी....मे....री...चू.....त!” और मुनीम ने लंड घुसा दिया बेटि की चूत में।
“पापा, प्लीज़ आप मेरी गांड में से ऊँगली निकाल दीजिये दोनों अन्दर तकलीफ दे रहे है।“
“चुप,मेरी लंड की रखैल, माँ एसे ही तो नहीं बना जाता,गांड भी तो देनी ही पड़ेगी।“
तभी पूनम की आवाज आई ”काका जम के चोदना साली कही भी मरवाई नहीं है, डार्लिंग मेरी गांड तुम्हे अच्छी लगती थी अब अपने बाप की ऊँगली से डर रही हो, काका उसकी गांड को मत छोड़ना! आज उसकी गांड का आकर भी अपने लंड के सुपारे जितना बना दो, आराम से अघ (टट्टी) कर सकेगी।“ फनलवर की पेशकश।
“ऊऊऊ....ईईए....”
अब मुनीम का लंड उसकी चूत को फाड़े जा रहा था और साथ साथ में पापा की एक ऊँगली उसकी गांड भी मार रही थी। बस थोड़ी ही देर की तकलीफ थी जो महक ने बड़े आराम से सह ली और अब वह अपनी गांड को उछाल-उछाल के अपने बाप का लंड पूरी गहराई तक ले रही थी और साथ में अपनी गांड भी मरवा रही थी। उसकी गांड में अब मुनीम की मोटी ऊँगली बड़े आराम से अन्दर बाहर आती जाती थी। पूनम देख के बड़ी खुश हुई की एक महक को अपने बाप का तगादा लंड ले ही लिया। उसने अपनी चूत का बाप के लंड से भोसड़ा बनवा ही लिया। बहोत उछल रही थी साली।
पूनम ने अब काका को पकड़ा और उसने लंड को महक की चूत से बहार निकाला और अपने मुंह में ले लिया और थोड़ी देर चूसने के बाद पूनम ने मुनीम का लंड महक की गांड के छेद पर टिका दिया और पीछे से जोर से धक्का दिया, महक की चूत रस की वजह से गांड काफी गीली हो गई थी, महक ने एक बार अपना चुतरस लंड के ऊपर स्त्राव कर दिया था इसलिए लंड को गांड के छेद को भेदने में कोई ज्यादा तल्किफ तो नहीं हुई.....पर भेन्चोद....महक की गांड उस मोटे लंड के लिए तैयार नहीं थी। वह उछली पर पूनम ने पकड कर रखा और काका को आँख से इशारा किया की रास्ता बना लो अपना। मुनीम को और क्या चाहिए था! तुंरत लंड को बहार की ओर खींचा और फिर से तेज रफ़्तार से अन्दर जाने दिया।
“ओ....ऊऊओ....बा....प....रे....म....र....ग...इ....नहीं मरवानी मुझे अपनी गांड प्लीज़ बाबूजी अपना लंड को बहार कर दीजिये अब मेरी चूत आपके लंड से सही हो गई है बस वही मारो अपने लंड से।“ उसे सच में काफी दर्द हुआ। वह सोच रही थी की परम का लंड आराम से गया था और ज्यादा दर्द भी नहीं हुआ था पर यह जालिम लंड आज मुझे डोक्टर के पास जाना ही पड़ेगा। उसने सोचा जो भी होगा देखा जाएगा लेकिन इस गांड की मरामत भी सही तरीके से होनी ही चाहिए। एक झटका और लगा उसे लगा की लंड उसकी अंतरदडे के अन्दर तक चला गया है।
“ऊऊउ....माँ.....फटी....गांड....पलिस बाबूजी धीरे मारिये।“
लेकिन वहा सुन ने वाला कोई नहीं था और तेज धक्के जारी रहे, अब थोड़ी देर में महक की सिस्कारिया चालु हो गई उसकी गांड अब हर धक्के के साथ महक को आनंद प्रदान कर रही थी।
फचा-फच की आवाजे रूम में गूंज रही थी, थोड़ी देर में बाबूजी ने पूनम लेटा दिया और महक की गांड से लंड को बहार लेके बिना कुछ बोले पूनम की चूत में पिरो दिया। पूनम भी उछली पर चिठे धक्के में उसकी चूत ने बाबूजी का लंड को पूरा निगल लिया। लेकिन ज्यादा उन्होंने महक को चोदा। आखिर घडी आ ही गई मुनीम का शारीर कड़क होने लगा और तुरंत उसने अपना लंड निकाल लिया और महक के मुंह में दाल दिया। महक कुछ कहना चाहती थी पर तभी लंड की पिचकारी ने उसे गले को भरने लगी।
उसका चुतरस, पूनम का चुतरस और अपनी गांड के मिलाझुला की वजह से एक स्वादिष्ट व्यंजन महक के मुंह में आया और पेट में जमा हो गया। उसने आखरी बूंद तक बाप के लंड को चुस्ती रही। सोचा की ऐसा मौक़ा जाने नहीं देना चाहिए सब रस का एक मस्त व्यजन था उसके लिए। पूनम भी उस लंड को चतना छह रही थी पर महक ने उसे नजदीक तक नहीं आने दिया और लंड को साफ़ कर दिया।
लंड जैसे ही ढीला होके बहार निकला तब वह बोली:”बाबूजी कभी कहते थे की मेरे बच्चे की माँ बनना है और लंड मुंह में खाली कर रहे हो! मेरी चूत किसके लिए है! आपको अपना माल मेरी चूत को पिलाना था।“
“अरे, नहीं बेटे, अगर मैंने तुम्हारी चूत भरा तो बच्चा हो सकता है।“
दोनों भूखे थे, दोनों गहरी और कड़ी पैठ चाहते थे, मुनीम ने अपनी पूरी ताकत से बेटी को चोदा, वह भी कराह उठी,पूनम शांत रही।
लेकिन इस बात से दोनों हस पड़ी।
“बाबूजी, आप किस दुनिया में रह रहे है?”
“क्यों क्या हुआ बेटी?”
“अरे, मेरे बुद्धू बाबूजी, अब पहले का ज़माना नहीं है जहा लंड चूत में गया तो बच्चे होने की संभावनाए बढ़ जाती है, अब गर्भनिरोधक पिल्स आ गई है,जिस से अब हम चाहे तब बच्चा होगा, आप के चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होता।“
“हा, बेटी पता तो था तेरी माँ भी लेती है।“
“हम्म पप्पा, आपको पता है, हमारे गाव में सब से ज्यादा दवाई की बिक्री किसकी होती है?” फनलवर की प्रस्तुति।
मुनीम प्रश्नार्थ वही खड़ा रहा।
महक: “गर्भनिरोधक की गोलिया हमारे गाँव में सब से ज्यादा बिकती है पापा।“
“तुमको कैसे पता?” मुनीम ने एक ऊँगली दांतों के बिच रखते हुए पूछा।
“टीना ने बताया।“ महक ने पापा के लंड को थोडा सहलाते हुए कहा।
“कौन टीना? मुनीम ने मासूमियत दिखाते हुए पूछा।
“अरे काका, छोटू मेडिकल वाले जीतू अंकल बेटी।“
“अरे हां, ठीक है।“ कहते हुए मुनीम ने पूनम को अपनी ओर खिंचा और उसकी गांड में एक ऊँगली पिरो दी।
“लेकिन आप दोनों को किसने बताया इस गोली के बारे में?”
महक: “हमारी माँ ने और किसने!” महक ने पापा के अंडकोष को सहलाते हुए कहा।
“कब?” अब मुनीम की ऊँगली पूनम की गांड मार रही थी, और पूनम आराम से अपने पैरो को चौड़ा किये उनकी ऊँगली को रास्ता दे रही थी।
“अरे पापा, आप भी न! कुछ नहीं जानते। बेटी की चूत जब लीकेज (पीरियड) होने लगती है ना तब माँ बता देती है की अब कोई लंड से खेलो तो यह गोली मुज से लिया करना, बच्चा नहीं होगा। हर लड़की की माँ ऐसा कहती है और मेरी माँ (सुंदरी) ने भी मुझे यही कहा था।“
मुनीम अवाक होके पूनम की ओर देखा तो वह बोली: मेरे सामने क्या देखते हो! मेरे चोदु काका! मेंरी माँ ने भी मुज से यही कहा था और उसकी माँ ने भी....यह चलता है मैं भी मेरी बेटी को समय आने पे यही बताउंगी। अगर आपकी हुई तो।“
“ठीक है, मेरी समज से यह सब बहार है। मुझे तो बस चोदना आता है।“
बेटी ने सबसे अच्छे लंड से सुबह-सुबह चुदाई का आनंद लिया। शुरुआती उत्तेजना खत्म हो गई थी और अब दोनों आराम के मूड में गांड की चुदाई कर रहे थे।
“बेटी, जब से तुम्हारी मस्त जवानी का मजा लिया है…बस मन करता है रात-दिन तुम्हें ऐसे ही चोदता रहु।”
मुनीम ने कुछ और जोरदार शॉट लगाए और बोला।
“आज तुझे बताता हूं… मैं करीब-करीब 2 साल से तुम्हें चोदने के लिए पागल था, तेरी 'निम्बू' के साइज से बढ़ती हुए बोबले, फैलती हुई जांघें और चुतड को देख कर, मालूम नहीं कितनी बार लंड रगड़ा होगा…।”
पापा ने कबूल किया, "तेरी जवानी के चक्कर में मैंने सुंदरी को चोदना छोड़ दिया (सफ़ेद झूठ)। सारी दुनिया उसे चोदने को पागल है। लेकिन उसे नंगा देख कर भी लौड़ा टाइट नहीं होता है। बस ये लंड अपनी प्यारी बेटी को चोदना चाहता है।"
उन्होंने आगे कहा,
“उस रात भी अगर पूनम नंगी नहीं होती, मेरा लौड़ा नहीं खाती तो आज तक मैं तेरे चूत के नाम पर लौड़ा ही हिलाता रहता।”
“ओहहह…बाबूजी, आपने बेकार का तीन साल बर्बाद कर दिया!” महक ने हवा में चूत को उछल ते हुए कहा…।
“अब तक हज़ारों बार आपके इस मस्त लंड का मजा ले चुकी हूँ…।।आह बाबूजी चोदते रहो।”
उसने पापा को सहलाते हुए कहा…”और लौड़ा रगड़ने की क्या जरुरत थी…किसी रंडी को चोद लेते…रजनी काकी बोलती है कि कोलकाता में सबसे मस्त लौंडिया है। हमेशा चुदने को तैयार…।”
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शुक्रिया दोस्त पढने के लिए।
आज के लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे इस कहानी को खोजेंगे।
फनलवर की तरफ से।
।। जय भारत ।।