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Funlover

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“हा, जाओ!”

परम तुरंत अंदर गया। वहां रेखा सोफा पर बैठी थी। परम को देखते ही उसने दोनो हाथो से अपनी आंखे बंद कर ली।

रेखा ने फ्रॉक पहन रखी थी जो उसके आधे जांघो तक ही थी। परम उसके सामने ज़मीन पर बैठ गया ओर बिना झीझक के रेखा के दोनो घुटनो पर हाथ रख दिया।

रेखा ने अपने दोनो हाथो को आंखे से हटाकर जांघो के बीच रख लिया।

“तुम बहुत गंदे हो, कार मे क्या कर रहे थे!”

“और तुम बहुत सुंदर हो।” परम धीरे धीरे रेखा की नंगी जांघो को सहलाने लगा।

“क्या कर रहे हो, हाथ हटाओ!” रेखा ने फ्रॉक को चूत के उपर और ज़ोर से दबाया।

परम का हाथ धीरे धीरे जांघो पर उपर बढ़ा।

“रेखा तुम्हारी शादी होने वाली है। तेरा घरवाला बहुत किस्मत वाला होगो जो तुम्हारी मस्त जवानी का मज़ा लेगा।” उसने कुछ सोच कर फिर से बोला “तुम मुज से शादी क्यों नहीं कर लेती? तुमको तो पता है ना मैं तुम्हे बचपन से ही कितना प्यार करता हु..!


परम ने रेखा की आंखों में आंसू देखे.. लेकिन सिर झुका लिया..

“झूठ क्यों बोलते हो…..तुम मुझे नहीं पूनमको प्यार करते हो…..तभी तो रोज उसको चूमते हो और उसका माल दबाते हो…..” उसने परम की ओर देखा और कहा…

“वैसे भी तुम हम दोनो (रेखा और पूनम) से बहुत छोटे हो…..हम तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकते…हमें तो मर्द चाइये और तुम अभी बच्चे हो…।” उसने फीकी मुस्कान दी.

रेखा खुद परम को सबसे ज्यादा पसंद करती थी... लेकिन वह यह भी सोच रही थी कि परम उसके या पूनम के लिए अच्छा मैच नहीं है।

अचानक उसे जांघों के अंदरूनी हिस्से पर दबाव महसूस हुआ...

“परम, हाथ हटाओ” लेकिन परम ने फ्रॉक को पूरा उपर तक हटा दिया। अब कमर के नीचे सिर्फ़ चूत का भाग फ्रॉक से ढका था और रेखा ने उसे हाथो से दबा रखा था।

“परम, प्लीज़ छोड़ दो। कोई आ जाएगा!”

“ श... कितनी चिकनी है! बिल्कुल बटर जैसी! मन करता है की चाट जाऊ।”

इतना कहकर परम ने रेखा के पैर को फैलाया और अंदरकी जांघो को चाटने लगा।

रेखा सिहर गयी। उसको भी मज़ा आ रहा था। उसका मन किया की हाथ हटा कर परम को अपनी चूत चटवाए लेकिन उससे लाज आ रही थी। पहला मौका था की कोई उसकी जांघो को चूस रहा था। उसे लगा की परम थोड़ी देर और उसे चुसेगा तो अपने आप को नही रोक पाएगी।

इधर परम की जुबान जांघो के अंदरकी हिस्सो को चूम रही थी। उसकी जुबान ने रेखा के हाथ के नीचे से चूत को छुना चाहा लेकिन रेखा दोनो हाथो से चूत के उपर कपड़े को दबा कर बैठी थी। परम का हाथ रेखा के कमर से उपर बढने लगा और उसने दोनो बोबले को दबोच लिया और कस कर दबाया।

रेखा की चुचि भी बहन महेक के बोबले जैसी टाइट थी लेकिन उससे बड़ी-बड़ी थी। अब रेखा को लगा की अगर उसने परम को नही रोका तो खुद ही नंगी होकर परम से चुदवाएगी। पर उसने मन ही मन निश्चय किया की कुछ भी हो शादी के पहले चूत मे लंड नही लेगी,15 दिन के बाद ही शादी थी।

परम खूब प्यार से जांघो को चाट रहा था और बोब्लो को मसल रहा था। रेखा बोबले पर से परम का हाथ हटाना चाहती थी लेकिन उसे मालूम था की अगर उसने अपना हाथ हटाया तो परम चूत को चाटने लगेगा फिर रेखा चुदाई नही रोक पाएगी।

"आह.. परम बस बहुत हो गया। अभी तुम जाओ, कल तीन बजे आना जो देखना चाहते हो सब दिखाऊँगी।" वह अपने पहले प्यार परम को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती थी और पूनम को परम के साथ सेक्स अनुभव बताना चाहती थी। वह हर बार कहती थी कि परम उसे चूमता था, दबाता था और उसे जलन होती थी। अब शादी तय हो गई थी... तो वह परम के साथ थोड़ी आज़ादी ले सकती थी।


उसने परम को ढकेल दिया और खुद खड़ी हो गयी। परम चुप चाप खडा हो गया।


बने रहिये....आपकी फीडबेक देते रहिये ........
 

Napster

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परम-सुंदरी चैप्टर 1

अपडेट 1

ये घटना उस समय की है जब परम सिर्फ़ 20 साल का था। परम की एक छोटी बहन थी महेक। माँ का नाम था सुंदरी और वो औरत सुंदर फूल की तरह महकती रहती थी। जैसा की उसका नाम था बस वैसे ही दिखती थी। उस समय वो करीब 40 साल की थी। एक दम जवान और मस्त। गठा हुआ बदन, भारी पूरी भंहे, थोड़ा सावला रंग लेकिन गजब की चमक थी चेहरे पर। मस्त हथिनी की तरह कूल्हे हिला-हिला कर चलती थी तो देखनेवालो की साँस रुक जाती थी। मोहल्ले मे अपनी खूबसूरती और हाजिर जवाबी के लिए बहुत पसंद की जाती थी। उसकी एक मुस्कान और मीठी आवाज सुनने के लिए मर्द तो मर्द औरतें भी पागल रहती थी। बड़े-बड़े बोबले थे उसके। शायद 38” या उससे भी बड़े। लंबे काले बाल और मुस्कुराता चेहरा लेकर हरदम बहकती रहती थी लेकिन उसने कभी किसि को दाना नही डाला।


उसे क्या पता था की वो बहुत जल्द बड़ी कामुक और वासना की गुलाम बनने बाली है। शादी के 20 साल बीत गये और उसका घरवाला अब उसमे ज़्यादा रुची नही रखता था। बस यह समज लीजिये की “घर की दाल”, सच तो यह था की वो सुंदरी की प्यास नही बुझा पाता था। चुदाई तो रोज करता था लेकिन थोड़े धक्को के बाद मे पानी गिरा कर सो जाता था और सुंदरी रात भर चूत को सहलाती रहती थी। वो नामर्द या कामजोर मर्द नहीं था..लेकिन अब सुंदरी के पति को अपनी पत्नी से ज्यादा..जवान हो चुकी बेटी महक और उसकी सहेलियों में था...वो रात दिन अपनी बेटी के साथ-साथ उसकी सहेली को चोदने के लिए फिराक में रहता था...लेकिन ना कोई मौका मिला ना ही वो हिम्मत जुटा पाया। उस प्रकार से देखा ए तो ना सुंदरी को अपने पति में रूचि थी और नाही पति को पत्नी में।

उसे मालूम था की एक इशारा करने पर गाव के सारे मर्द उसे चोदने आ जाएँगे लेकिन अभी इतनी बेशरम नही हुई थी। वो पति को खूब खिलाती पिलाती थी लेकिन कोई फायदा नही। वो सुंदरी की गर्मी नही उतार पाता था या फिर वह खुद को मन से नहीं चुद्वाती थी। पति को भी तो अपनी बेटी को चोदना था, और बेटी में ही रूचि थी।

उनका साधारण परिवार था। घरवाला (पतिदेव) एक शेठ के यहा मुनीम था काफ़ी सालो से। शेठ उसे तनख़्वाह के अलावा समय-समय पर कपड़े लत्ते और सुंदरी के लिए गहने भी देता था। शेठ ने कई बार इशारो-इशारो मे सुंदरी की जवानी की बात की और हमेशा उसकी तारीफ़ करता रहता था। पूजा त्योहार के अवसर पर सुंदरी बच्चो के साथ शेठ के घर जाती रहती थी। शेठ उसे घूरता रहता था, इशारा भी करता था लेकिन कभी उसने खुलकर सुंदरी से चुदवाने की बात नही की, डर के मारे।

शेठानी को मालूम था की उसका शेठ सुंदरी को चोदना चाहता है और उसने सुंदरी को जता भी दिया था की शेठ को अपनी जवानी के जलवे दिखाने की ज़रूरत नही है। वैसे भी सुंदरी को शेठ बिल्कुल पसंद नही था। वो सोच भी नही सकती थी की इतना मोटा आदमी शेठानी की चूत मे लंड कैसे पेल पाता होगा। लेकिन अपने पति की तरह वो भी शेठजी को बहुत मानती थी, बहुत सम्मान देती थी।

इधर सुंदरी का बेटा परम जवान हो गया था। उसका लंड उसे तंग करने लगा था। वो अपनी बहन महेक के साथ एक ही कमरे मे अलग अलग बिस्तर पर सोता था। पिछले दो सालो से मूठ भी मार रहा था। लेकिन उसका मन अभी तक अपनी माँ के या बेहन के उपर नही आया था। वो हमेशा शेठजी की बेटी रेखा जो उससे 2 साल बड़ी थी, के बारे मे सोच-सोच कर मूठ मारता था। बचपन से ही परम और शेठजी की बेटी रेखा बहुत घुले मिले थे...रेखा की एक खास सहेली पूनम भी परम की बहुत खास दोस्त थीं। वो बी रेखा की तरह परम से 2 साल बड़ी थी। अब तक दोनों रेखा और पूनम दोनों बिल्कुल कुंवारी थीं।

परम और रेखा दोनों एक दूसरे को मन ही मन बहुत प्यार करते थे। पूनम भी परम को प्यार करती थी लेकिन उसे मालूम था कि परम रेखा को ज्यादा प्यार करता है...इस तरह उसने भी परम को अपना प्यार कभी नहीं जताया और ना कभी किसी निपल को सहलाने और चुम्मा लेने से मना किया। रेखा, यह देख कर बहुत जलती थी लेकिन वो हमेशा चुप रही...उसे मालूम था कि परम सिर्फ उसका है और उसे जलाने के लिए ही पूनम के साथ मस्ती लेता है...

परम को मालूम था की उसकी माँ के बारे मे लोग गंदी बाते करते है लेकिन किसीने भी परम के सामने अबतक सुंदरी को चोदने की बात नही की थी। लेकिन उसने एक दिन अपने ख़ास दोस्त विनोद को सुंदरी के बारे मे कहते सुना।

“ अरे यार, परम की माँ क्या जबरदस्त माल है। साली को देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगता है। मन करता है की रोड पर ही पटक कर चोद दू। कभी उसकी बड़ी-बड़ी गोल गोल निपल देखी है! चूसने मे क्या मज़ा आएगा। साली की जाँघो पर हाथ फ़ेरने मे जो मज़ा आएगा उतना मज़ा मख्खन छूने मे भी नही आएगा। एक बार चोदने के लिए मै उसका गुलाम बनने को तैयार हूँ। मै तो रोज सुंदरी के चूत के बारे मे सोच कर लंड हिलाता रहता हूँ। मादरचोद, परम साला बहुत किस्मतवाला है। रोज उसकी चुचि और चूत देखता होगा। मै उसका बेटा होता तो कबका उसे चोद देता…… मै उस को एक चुदाई का दस हज़ार दूँगा।।।” विनोद बोलता रहा और परम वहा से हट गया।

इतना सुनकर परम को बहुत गुस्सा आया लेकिन वो गुस्सा पी कर रह गया। विनोद उससे उम्र मे बड़ा था और वहा चार पाँच लड़के खूब मस्ती मे विनोद की बातो का मज़ा ले रहे थे।

परम चार बजे घर वापस आया। दरवाजा उसकी माँ, सुंदरी ने खोला। परम बेग रखकर सुंदरी के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर पूछा।

“माँ, तुम बहुत सुंदर हो क्या?”



एपिसोड अभी चालु है .............


बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त प्रारंभ हैं कहानी का मजा आ गया
 

Napster

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“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’

दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......



बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है मजा आ गया
पहली बार परम अपनी माँ सुंदरी के चुचीयों से खेल रहा हैं वो भी माँ की सहमती से
जबरदस्त अपडेट
 

Napster

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“हा माँ, मैने भी देखा है। उसके बोबले भी दबाऊ?”

“मुझे क्या मालूम, वो दबाने देगी तो दबा-दबा कर तुम दोनों भाई-बहन मज़ा ले लेना लेकिन उसे मत बताना की तुमने मेरे बोबले भी दबाये है और मैने तुमसे कहा है उसकी निपल को दबाने को, उसके बोबले को बड़े करने को...लेकिन अभी उसे चोदना मत। तुम छोटे हो उसे खुश नही कर पाओगे।”

अब परम ओर ज़ोर-ज़ोर से निपल और पुरे बोबले को मसल रहा था, सुंदरी ने परम से पूनम और रेखा के बारे में बात की और पूछा कि वो भी तो परम को खूब मजा देती है...अपने बोबले दबवाती है तुम से!


“नहीं माँ, रेखा तो बस सारा समय मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बैठी रहती है लेकिन पूनम कभी-कभी चुची सहलाने और चुम्मा लेने देती है…”

परम ने दोनों हाथों से चूची को खूब मसला दबाया और कहा कि मां की चूची में पूनम की चूची से ज्यादा मांस (flesh) से भरी हुई है... फिर एक हाथ से एक चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से गाल को पकड़ा और माँ के होठों को चूमने लगा...


सुंदरी ने कस कर पैंट के ऊपर हाथ रख-कर जोर से दबाया और परम झड़ गया.. वो ठंडा हो गया। माँ की गोद से उतरा तो माँ ने देखा कि उसका पैंट के सामने गिला हो गया है। परम नजर झुका कर खड़ा था। सुंदरी ने गिले हिस्से को छूने के बहाने पैंट के ऊपर से लंड को सहलाया। लंड ढीला हो गया था लेकिन फिर भी सुंदरी ने नक्शा लिया कि बेटे का लंड बाप के लंड से लंबा और मोटा है…

उसने गिले हिस्से को सहलाते हुए कहा,उसने कहा,

“ अरे कोई बात नही, बेटे... इतनी देर तक कोई भी स्तनों को दबाएगा तो उसका लंड जवाब दे के पानी गिरेगा ही। तुम जाकर कपड़े बदल लो, बहन आती ही होगी।”

सुंदरी जाने लगी तो परम बोला “ माँ तुम सचमुच बहुत सुंदर और मस्त माल हो। विनोद से चुदवाओगी?”

“बेटे, तुमने तो माँ की सुंदरता अभी देखी कहा! और अपने दोस्त को बोलना की मेरे बारे मे सोचना छोडकर अपनी माँ को चोदे।”

ये पहला मौका था की माँ-बेटे ने चुदाई की बात की।


लिख रही हु....
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

Napster

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रात को परम ने अपनी बहन महक को गौर से देखा। उसे दिखाया कि महक की चुची बड़ी हो गई है। सुंदरी के गोलाई से कम लेकिन भरा पूरा। महक ने फ्रॉक पहन रखा था जो घुटनो के ऊपर तक ही था। परम अपनी बहन की जवानी को निहार रहा था लेकिन उसका ध्यान सुंदरी पर ही था। महक लंबी हो गई थी. उसके चूतर में उबर आ गया था। बाल लम्बे लम्बे कमर से नीचे आ गये थे। महक की आँखे भी माँ की तरह नशीली थी। महक माँ की तरह ही सावली थी और परम को लगा कि कुछ सालों के बाद लोग सुंदरी के तरह ही महक को चोदने के लिए पागल हो जायेंगे। महक को देखते-देखते अचानक परम बोल उठा,


“महेक आज हम दोनो साथ सोएंगे!”

परम से अचानक यह सुनकर महेक चोंक गयी। उसे अंदाज़ा नही था की उसका बड़ा भाई उसके साथ मस्ती करना चाहता है। महेक भी जवान हो रही थी। उसकी निपल भी तन जाती थी। कभी कभी तो उसकी चूत में बहुत खाल-बली होने लगती थी।


उसका भी मन करता था की कोई मर्द उसे बाहों मे लेकर खूब ज़ोर ज़ोर से दबाए। लेकिन अभी तक किसीने उसके बोबले को टच नही किया था। उसे विनोद पसंद था लेकिन वो इतना बदनाम था कि महक की हिम्मत नहीं होती थी विनोद के पास जाने की... लेकिन हर 2-3 दिन पर विनोद महक के गालो को सहला लेता था और कहता था कि वो महक से ही शादी करेगा ...महक शर्म से पानी-पानी हो जाती थी लेकिन कह नहीं पाती थी ..की "विनोद मुझे चोदो.."
महक को मालूम था कि गाँव के सारे लोग विनोद से डरते थे और नफ़रत करते थे .. और महक चाहती थी कि विनोद फिर गाँव बालों से दोस्ती कर ले...उसने एक दो बार ये बात विनोद से कहीं भी...



लेकिन विनोद तो महक की माँ सुंदरी को चोदना चाहता था और साथ ही महक से शादी भी करना चाहता था....

महेक यह सब सोच ही रही थी की परम ने फिर पुकारा। महेक अपने भाई के बेड पर आ गयी।

“क्या बात है भैया, आज मेरी ज़रूरत क्यों हो गयी।”

“बस मन कर रहा है तुम्हारे साथ सोने को। कितने सालो से हम लोग साथ नही सोए है।”

परम ने महेक का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। महेक उसके बाहो पर माथा टीका कर लेट गयी। दोनो एक दूसरे की ओर घूमकर बाते करने लगे। परम महेक की पीठ को सहलाने लगा। महेक परम से सट गयी। उसने अपना हाथ भाई के कमर पर रख दिया। परम ने हाफ पैंट पहना था और महेक ने फ्रॉक। महेक ने धीरे धीरे अपना हाथ भाई के गंजी के अंदर डाल दिया। अब वो अपने भाई के नाभि को सहला रही थी। परम ने पीठ सहलाते सहलाते कहा,

“तुम तो जवान हो गयी हो… माँ से भी ज़्यादा सुंदर…”

“नही भैया, माँ बहुत ही सुंदर है। छोटे-बड़े सभी उस पर लाइन मारते है।”

“तुम्हारी भी शादी हो जाएगी फिर तुम्हारा घरवाला भी तुम्हे खूब प्यार करेगा और तुम भी माँ की तरह मस्त हो जाओगी।”

“हट मै शादी नही करूँगी।” महेक ने शर्मा कर कहा और अपनी एक टाँग भाई के टाँग पर चढ़ा दी।

“भैया अब सो जाओ, लाइट बंद कर दो।”उसे शर्म महसूस हुई और उसने भाई से लाइट बंद करने का अनुरोध किया।

असल में महक चुदाई का भी पूरा मज़ा चाहती थी..

परम ने हाथ बढ़ा कर लाइट बंद कर दिया और कमरे मे बिल्कुल अंधेरा छा गया। दोनो की साँसे सुनाई पड रही थी। परम को हिम्मत नही हो रही थी की बगल मे सट कर सोई बहन की चुचि को दबाए या उसकी चूत मे उँगुली करे।

उधर महक भी चाह रही थी कि भाई उसे नंगा करके उसको सहलाएं और प्यार करें। महक चुदाई के लिए भी तैयार थी लेकिन सोचा अभी पहली बार में चुदवाना अच्छा नहीं, लेकिन बाकी मजा तो ले लेना चाहिए..


तभी परम ने कहा, “तेरा कोई यार है?”

महेक यार का मतलब समझती थी। “नही, लेकिन क्यो पूछ रहे हो?”

“क्योकि तुम्हारी गोलाई (चुचि) बहुत बड़ी हो गयी और मैने पढ़ा है की लड़को के हाथ लगाने से ही चुचि बढ़ती है। लगता है विनोद खूब मसलता है तेरी चूची को।”



लिख रही हु.......
बडा ही मस्त और शानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

Napster

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यह सुनकर महेक का पूरा बदन सिहर उठा और भाई से बिल्कुल चिपक गयी।

“नहीं, उसने अब तक इस पर हाथ भी नहीं लगाया..लेकिन तुमको तो पूनम खूब दबाने देती है ना..?” महक ने उत्तर दिया और जोड़ा।

“हट.... तुम ग़लत बोल रहे हो। लड़की जब जवान होती है तो उसकी चुचि अपने आप ही बढ़ने लगती है। मेरी चुचि तो अभी और बढ़ेगी। किसी के छूने से हो सकता है की जल्दी बढ़ जाए।” महेक ने मन ही मन कहा की तुम क्यो नही दबा रहे हो और फिर बिल्कुल चित लेट गयी।

महेक अचानक चित हुई थी और परम का हाथ सीधा महेक की एक चुचि पर रह गया। परम को बहुत अच्छा लगा और उसने हौले से चुचि को दबा दिया। भाई का हाथ चुचि पर पाकर महेक खुश हो गयी।

“भाई, तुमने कभी किसी की चुचि दबाई है? भाई, तुम तो पूनम की चूची खूब दबाते हो, कैसी है उसकी चूची...?" वह भाई से सराहना (appriciation) चाहती थी। महक अच्छी तरह जानती थी कि उसकी चूची पूनम से बड़ी और मांसल है...और भरी हुई है, शायद भाई मेरे इस गोलाई से आकर्षित हो के कुछ देर दबा के दे। थोडा मजा उन्हें और ज्यादा मजा मुझे आये।

“हा बस पूनम की वो भी ठीक से नहीं…तुम्हारे बोबले ज्यादा मांसल और बड़ी भी है…अच्छी गोलाई भी पकड़ ली है तुम्हारे इस बोबले ने...जिसे हर कोई दबाने और चूसने चाहेगा।”

बोलकर परम बहन की चुचि को हौले-हौले मसलने लगा। कभी एक चुचि को तो कभी दूसरी चुचि को। परम ने महसुस किया कि महक की चुची पानी से भरे गुब्बारे की तरह टाइट है जब सुंदरी के धइले स्पंजी (मुलायम) और गुदाज है।
“बहन, तुमने कभी नंगे आदमी को देखा है?”

“नही, भैया” महेक ने धीरे से कहा।

“कभी मन नही करता है?”

“जब सुधा अपनी नौकरानी और अपने पापा की बात सुनाती है तो मेरा भी मन करता है की कोई मुझे भी बाहों मे लेकर खूब मसले और चूमे। मेरे अंग-अंग को दबाए और तब तक दबाता रहे की मै थक ना जाऊ।”

महेक का इतना कहना परम के लिए खुला निमंत्रण था। परम झट से उठकर बैठा और दोनो हाथो से बहन को उठा कर बैठा लिया। महेक को ज़्यादा मालूम था। वो अपनी दोनो टांगे भाई के उगल-बगल रख कर उससे बिल्कुल सट गयी। महेक अपनी भाई के लंड पर बैठी थी। परम दोनो हाथो मे लपेट कर महेक को चूमने लगा। महेक ने भी पूरा साथ दिया। उसकी ताज़ी नोकीली निपल भाई के छाती से बिलकुट सटी हुई थी और नीचे कमर भी उचका रही थी। चूमते चूमते परम बहन को खूब ज़ोर से दबा भी रहा था जैसे की एक लड़की को नही किसी प्लास्टिक की गुड़िया को मसल रहा हो।

“और ज़ोर से दबाऊ? ” उसने बहन से पूछा।

“मुझे तोड़ डालो, मेरी चुचि को मसल-मसल कर चटनी बना दो। जहां मन करता है वहां मसलो खूब दबाओ, बहुत अच्छा लग रहा है।”

परम धइले (स्तन) को मसलता था तो कभी दोनो हाथो मे भर कर पूरी ताक़त से उसे जकड कर बहन की जवानी का मज़ा ले रहा था। लगता ऐसा था की आज ही महक के बोब्लो को अपनी माँ के जैसे बड़े कर देना चाहता हो।

“भाई अभी आपने कहा था की किसी पुरुष से धइले दबवाने से बड़े हो सकते है तो फिर बड़े करो मेरे भी। आपके हाथो से मेरे बोबले बड़े हो इस से ज्यादा और क्या चाहिए आपकी बहन को।“

“कपड़े उतार कर मसलने मे और भी मज़ा आएगा।”

“जो मन करता है करो, बस चोदना मत।”

परम ने फटाफट अपने कपड़े उतारे फिर बहन का फ्रॉक ओर पेंटी उतार दिया और फिर पहले की तरह दोनो चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। परम का तना हुआ लंड महेक के चूत पर दस्तक दे रहा था। महेक एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। परम का ध्यान बहन की चुचि से खेलने मे था। अब उसने निपल (डत्त्ती) को चूसना शुरू किया और उसके चिकने बदन को मसलता रहा।

महेक बहुत गर्म हो गयी थी औरऔर होना ही था पहली बार जो था, ज़ोर ज़ोर से लंड से अपने चूत को रग़ड रही थी। अचानक वो भाई से बिल्कुल चिपक गयी और सिसकारी मारते हुए कहा।

“मै…गयी…भैया” और ज़ोर से चूत का लंड पर धक्का मारा। परम के लंड का सूपड़ा बहन के चूत के अंदर चला गया। लेकिन तुरंत ही महेक को होश आया और उसने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया।

“ओह बहन, लंड बाहर क्यो निकाला अंदर जाने देती!”

महेक पैर फैला कर लेट गयी और कहा “आज बहुत मज़ा आया। पहली बार जवानी का मज़ा लिया है, और जाना की जवानी क्या होती है और अगर इतने से इतनी मजा आती है तो भाई का लंड कैसा मजा देगा। जितने दिन चूत को संभाल सकती हूँ संभालने दो फिर तो तुम्ही को अपनी बहन की सील तोड़नी है। वादा करती हू पहली बार तुम्हारे लंड को ही चूत के अंदर लुंगी और अपना शील आपके लंड को ही गिफ्ट करुँगी।”

महेक लंड को सहलाने लगी और कहा “साला कितनी जल्दी अंदर घुस रहा था, लगता है भूखा है। मै जल्द ही इसके लिए एक मस्त माल लाउंगी।”

परम भी बगल मे बहन के उपर झुक कर लेट गया। उसने बहन की चूत को सहलाया।

इतनी देर मे पहली बार उसने चूत को छुआ था। परमने चूत को सहलाते हुए कहा,

“सुधा कौन है? तुम उसके बारे मे क्या कह रही थी?”


अगले अपडेट तक आप यह कहानी के बारे में अपनी राय बताये ........आशा करती हु की यह पहला एपिसोड आपको पसंद आया होगा.....


बने रहीये मेरे साथ इस कहानी में ...............
बहुत ही गजब का शानदार लाजवाब और गरमागरम कामुक अपडेट है मजा आ गया
पहली बार ही महेक और परम ने एक दुसरे के साथ जबरदस्त मजा ले लिया
खैर देखते हैं आगे
 

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एपिसोड 2

महक ने लंड को दबाते हुए कहा "अरे वही, रजनी काकी की बेटी, सुधा मेरी क्लास मेट है और मेरी अच्छी दोस्त। उसका बाप अपनी नौकरानी को रोज चोदता है और सुधा सब कुच्छ देखती है। सुधा की माँ भी सुबह काम पर चली जाती है। सुधा पूरा वर्णन करके चुदाई की बात बाद में बताती है। उसकी नौकरानी रेनू हमारी ही उम्र है, लेकिन पिछले एक साल से चुदवा रही है। जब पहली बार रेनू चुदवा रही थी तो सुधा ने देखा था और बाद में देखा कि रेनू के चूत से खूब खून निकला है।

महेक ने भाई के लंड को अपनी जांघो से रगड़ा और कहा “चूत मे उँगुली डाल कर मज़ा लो।।’

परम ने चूत मे उँगुली पेल दी और पूछा “ सुधा के बाप को नही मालूम की उसकी बेटी सब कुछ देखती है?”

“ अरे भैया, उसका बाप तो जान बुझकर सुधा को दिखा-दिखा कर रेणु की चुदाई करता है।’

“ तब तो उसने अपनी बेटी को भी चोद डाला होगा।’

“हो सकता है, लेकिन सुधा कहती है अभी तक उसके बाप ने उसे चोदा नही है ना ही कभी चोदने की बात की है। लेकिन सुधा डरती है की जल्द ही उसका बाप उसे चोदेगा।’

अब परम चूत मे दो उंगली डाल कर मज़ा ले रहा था। “बहन तुम्हारी चूत लंड लेने के लिए तैयार है।”

“भैया बस थोड़ा इंतज़ार करो। धीरे धीरे प्यार से मज़ा दूँगी, घर का माल है, जल्दी क्या है?”उसने भाई को चूमा और कहा .."वैसे भी तुमको मजा देने के लिए पूनम और रेखा है ही...तुम उनको चोदते क्यों नहीं हो...?"

उसने भाई को चूमा और बोली:“अब मुझे पकड़ कर सो जाओ।“ महेक परम की ओर पीठ करके सोने की कोशिश करने लगी।

परमने अपनी टाँग बहन के कमर पर रखी और एक स्तन को जकड़ कर सोने की कोशिश करने लगा। महेक ने चुत्तर को आगे पिछे किया और लंड उसकी गांड मे फँस गया। और उसकी गांड का छेद पहले से ही उसके भाई के लंड सुपारे से बात करने के लिए तैयार था। उसने अपनी गांड के छेद को थोड़ा ढीला किया और गांड को अपने भाई के लंड से बाते करने के लिए छोड़ दिया।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

बीच रात मे परम ने लाइट जला दी और आँख फाड़ कर अपनी बहन की नंगी जवानी का दीदार करने लगा। महेक शांत होकर सो रही थी। उसकी गठी हुई चुचि हौले-हौले उपर नीचे हो रही थी। चूत के उपर हल्के-हल्के घुँगराले बाल थे, लेकिन चूत साफ दिख रही थी। उसने हल्के से चूत की फाँक को फैलाया तो उसे गुलाबी माल दिखाई दिया। थोड़ी देर तक देखने के बाद उसने चूत को चूमा और उसकी चूतरस को थोडा चाटा और लाइट ऑन रखकर सोने लगा और कब सो गया मालूम नही।

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
 

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सुबह दरवाजे पर मा की आवाज़ सुनकर दोनो की नींद खुली। फटाफट दोनो ने कपड़े पहने। महेक भाई को चूमकर बाहर निकल गयी और परम आँख बंद कर लेटा रहा। माँ अंदर आई और उसने भी परम को चूमा और बाहर आने को कहा।

परम बहुत खुश था। ना विनोद सुंदरी के बारे मे गंदी बात करता, ना ही परम माँ की मस्त धइले दबा पाता, ना ही अपनी प्यारी बहन की नंगी जवानी से खेल पाता। उसने सोचा की विनोद को थॅंक्स कहे और उससे चुदाई के बारे मे जाने। परम यही सोचता जा रहा था की उसकी बगल मे एक कार आकर रुकी और किसी लड़की ने उसे पुकारा।

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।

उसे यकीन नही हुआ। शेठ की बेटी रेखा उसे बुला रही थी। परम के नज़दीक पहुँचते ही रेखा ने दरवाजा खोलकर उसे अपनी बगल मे बैठा लिया।
रेखा के बगल मे शेठ जी बैठे थे। परम ने उन्हे विश किया। कार चल दी। रेखा उससे बात करने लगी और परम को पता नही चला कब उसने अपना एक हाथ रेखा के जांघो पर रख दिया था।

कार चल रही थी, बात चल रही थी और परम का हाथ रेखा के जांघो पर उपर बढ़ रहा था। परम को तब होश आया जब उसके हाथ को गर्म महसूस हुआ। परम की आँख रेखा से टकराई तो उसने देखा की रेखा मुस्कुरा रही है और परम के हाथ को आँचल से ढक रखा है।

कल की घटना के बाद परम की हिम्मत बहुत बढ़ गयी थी। वो रेखा की जांघो को सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते दोनो जाँघो के बीच ठीक रेखा के चूत के उपर हाथ रखकर दबाया। रेखा ने आँख बंद कर ली और होठों को काटा। परम को लगा की रेखा को मज़ा आ रहा है तो वह कपड़े के उपर से ही चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा। दोनो मज़ा ले ही रहे थे की कार रुकी। परम का कोलेज आ गया था। मन मार कर परम उतरा तो रेखा ने उसकी तरफ नही देखा, शायद शरम से।

लेकिन शेठ जी कार से उतर गये। उन्होने परम को किनारे बुलाया और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा,

“बेटा, अब तुम मेरी मदद कर सकते हो!”

“क्या मदद, शेठजी।”

“मै सुंदरी को चोदना चाहता हूँ, अगर जल्दी नही चोद पाया तो मै पागल हो जाऊंगा।”

“माँ तो आपके घर आती-जाती है, उससे बोलते क्यो नही। मै क्या करू?”

“बेटा कुछ भी करो, जितना बोलेगी दूँगा।। 10,20,30,50 हज़ार दूँगा, ज्वेलरी दूँगा । बस तुम कुछ करो और हम दोनो की मुलाकात करा दो प्लीज़।’

इतना कहकर शेठ जी ने परम का हाथ छोड़ा और कार मे बैठ गये।

कार स्टार्ट होने पर रेखा परम की तरफ देखकर मुस्कुराई। परम कोलेज की तरफ बढ़ा तो उसने देखा की शेठजी ने उसकी हाथ मे 100 के दस नोट रख दिए थे।

“माँ को चुदवाने की पेशगी।’
उसने रुपये पॉकेट मे रख लिए। उसके हाथ मे पहली बार इतना रुपया आया था।

कोलेज मे परम खुलकर विनोद के साथ अपनी माँ के बारे मे बात करने लगा। उसके पूछने पर विनोद ने बताया की चुदाई कैसे की जाती है।


अभी एपिसोड ख़तम नहीं हुआ........
बहुत ही शानदार जानदार और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
ये शेठ सुंदरी को चोदने के लिये बावला हो रहा है उसने परम से ये बोल भी दिया है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

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पहले औरत को नंगा करके उसके अंग–अंग को खूब चूमना चाहिए और मसलना चाहिए और जब औरत खुद गरम हो कर चोदने को बोले तब, चूत मे लंड पेल कर खूब दबा-दबा कर चुदाई करनी चाहिए। उसने कहा की कुछ भी हो सुंदरी को जल्द ही अपना लंड का स्वाद चखाएगा और पलटा कर उसकी मस्त उठी-उठी गांड मारेगा और शहर ले ज़ाकर अपने दोस्तो से भी चुदवाएगा।

उसने परम से कहा की एक चुदाई का दस हज़ार देगा।

परम हसने लगा और बोला, "अरे भोसडिके, उसने शेठजी का 30 हज़ार लौटा दिया और तुम दस हज़ार मे चोदोगे? और वो भी गांड के साथ? मुझे लगता है की 50 हज़ार मे शायद मान जाए।"
विनोद ने यह भी बताया की पिछले एक साल से अपनी माँ और शादीशुदा बड़ी बहन को चोद रहा है। उसके अलावा जब कोलकता जाता है तो रंडी को चोद कर आता है।
परम ने उदास होकर कहा की “उसने अभी तक कोई नंगी औरत भी नही देखी है और सुंदरी तो हाथ भी छुने नही देती है।“

“अरे जब सोती है तो धीरे धीरे उसके बदन को नंगा करो और अपना कड़क लंड दिखाओ। उससे खूब गंदी गंदी बाते करो, साली खुद ही तेरा लंड अपनी रसीली चूत मे लेगी।”
विनोद ने परम को थपथपाया और कहा जल्दी ही मै तुम्हे एक साथ दो-दो चूत के दर्शन कराउंगा लेकिन तुम सुंदरी को चुदवाने के लिए तैयार करो। मेरे लंड को सुदरी की चूत की प्यास है। मेरा लंड सुंदरी की चूत का प्यासा है। मुझे तुम्हारी माँ के सारे छेद चाहिए। और मेरा लंड तुम्हारी माँ की चूत में अपने अंडकोष खाली करने को बेताब है।“



घर वापस आते हुए परम ने कल से लेकर आज तक की बात सोची। उसे सबसे ज़्यादा मज़ा रेखा की चूत को कपड़े के उपर से दबाने मे आया था। लेकिन परम सबसे पहले आपनी माँ को ही चोदना चाहता था। महेक को तो जब चाहे तब चोद सकता है।

उसने अपने भगवान से प्रार्थना की कि रेखा के चूत का दर्शन करवा दे। भगवान ने उसकी सुन ली।
घर वापस आया तो देखा की महेक भी आ चुकी है। परम ने कपड़े बदले और तब उसकी माँ सामने आई। उसने सिर्फ़ पेटिकोट और उपर ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज के उपर से आधे स्तन फुदक के दिख रही थी।

“बेटे, जल्दी से नाश्ता करके कपड़े बदल लो। मुझे शेठानी ने बुलाया है। नाश्ता ख़तम होने के बाद महेक बाथरूम गयी और परम ने पिछे से माँ को जकड़ लिया।
दोनो हाथो से माँ की बोबले को दबाने लगा।

“अभी छोडो, बेटी घर मे है। वापस आकर मौका मिलेगा तो मज़ा दुंगी।”
सुंदरी ने बेटी को कुछ समझाया और फिर साडी पहनकर परम के साथ बाहर निकल गयी। सायकल रिक्शा मे बैठ कर दोनो शेठ के यहा जाने लगे।
परम माँ से सटकर बैठा था और रास्ते मे जान पहचान के लोगो को विश भी करता जा रहा था। सुंदरी आराम से छाती तान कर बैठी थी।
परम ने शेठ और विनोद की सारी बात माँ को बतलाई। परम को लगा की 50 हज़ार का बात सुनकर माँ को अच्छा लगेगा।
सुंदरी ने फुस फुसाकर कहा “आज तक मै शेठ के साथ अकेली नही मिली हूँ। शेठानी या तेरा बाप हमेशा साथ रहता है।”

आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
सुंदरी ने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी जांघो पर रखा और कहा “ मौका मिलेगा तो शायद मै उससे चुदवा लूँगी।’
परम ने हाथ बढ़ा कर माँ के जांघो के बीच हाथ रखकर चूत को दबाया और शेठ का घर आने तक दबाता रहा।

दोनो घर के अंदर गये। शेठानी अपनी बेटी रेखा के साथ दिवान पर बैठी थी। परम को देखते ही रेखा अंदर चली गयी।

परम को सुबह वाली घटना याद आई और उसका मन किया की रेखा को प्यार करे। सुंदरी और शेठानी कुछ बाते कर रहे थे।

“शेठानीजी, क्या मै रेखा के कमरे मे जाऊ?” परम ने पूछा।



जवाब आप लोग भी दे सकते है ...........................रेखा के कमरे में ले जाऊ?????
वाह क्या गजब का शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

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“हा, जाओ!”

परम तुरंत अंदर गया। वहां रेखा सोफा पर बैठी थी। परम को देखते ही उसने दोनो हाथो से अपनी आंखे बंद कर ली।

रेखा ने फ्रॉक पहन रखी थी जो उसके आधे जांघो तक ही थी। परम उसके सामने ज़मीन पर बैठ गया ओर बिना झीझक के रेखा के दोनो घुटनो पर हाथ रख दिया।

रेखा ने अपने दोनो हाथो को आंखे से हटाकर जांघो के बीच रख लिया।

“तुम बहुत गंदे हो, कार मे क्या कर रहे थे!”

“और तुम बहुत सुंदर हो।” परम धीरे धीरे रेखा की नंगी जांघो को सहलाने लगा।

“क्या कर रहे हो, हाथ हटाओ!” रेखा ने फ्रॉक को चूत के उपर और ज़ोर से दबाया।

परम का हाथ धीरे धीरे जांघो पर उपर बढ़ा।

“रेखा तुम्हारी शादी होने वाली है। तेरा घरवाला बहुत किस्मत वाला होगो जो तुम्हारी मस्त जवानी का मज़ा लेगा।” उसने कुछ सोच कर फिर से बोला “तुम मुज से शादी क्यों नहीं कर लेती? तुमको तो पता है ना मैं तुम्हे बचपन से ही कितना प्यार करता हु..!


परम ने रेखा की आंखों में आंसू देखे.. लेकिन सिर झुका लिया..

“झूठ क्यों बोलते हो…..तुम मुझे नहीं पूनमको प्यार करते हो…..तभी तो रोज उसको चूमते हो और उसका माल दबाते हो…..” उसने परम की ओर देखा और कहा…

“वैसे भी तुम हम दोनो (रेखा और पूनम) से बहुत छोटे हो…..हम तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकते…हमें तो मर्द चाइये और तुम अभी बच्चे हो…।” उसने फीकी मुस्कान दी.

रेखा खुद परम को सबसे ज्यादा पसंद करती थी... लेकिन वह यह भी सोच रही थी कि परम उसके या पूनम के लिए अच्छा मैच नहीं है।

अचानक उसे जांघों के अंदरूनी हिस्से पर दबाव महसूस हुआ...

“परम, हाथ हटाओ” लेकिन परम ने फ्रॉक को पूरा उपर तक हटा दिया। अब कमर के नीचे सिर्फ़ चूत का भाग फ्रॉक से ढका था और रेखा ने उसे हाथो से दबा रखा था।

“परम, प्लीज़ छोड़ दो। कोई आ जाएगा!”

“ श... कितनी चिकनी है! बिल्कुल बटर जैसी! मन करता है की चाट जाऊ।”

इतना कहकर परम ने रेखा के पैर को फैलाया और अंदरकी जांघो को चाटने लगा।

रेखा सिहर गयी। उसको भी मज़ा आ रहा था। उसका मन किया की हाथ हटा कर परम को अपनी चूत चटवाए लेकिन उससे लाज आ रही थी। पहला मौका था की कोई उसकी जांघो को चूस रहा था। उसे लगा की परम थोड़ी देर और उसे चुसेगा तो अपने आप को नही रोक पाएगी।

इधर परम की जुबान जांघो के अंदरकी हिस्सो को चूम रही थी। उसकी जुबान ने रेखा के हाथ के नीचे से चूत को छुना चाहा लेकिन रेखा दोनो हाथो से चूत के उपर कपड़े को दबा कर बैठी थी। परम का हाथ रेखा के कमर से उपर बढने लगा और उसने दोनो बोबले को दबोच लिया और कस कर दबाया।

रेखा की चुचि भी बहन महेक के बोबले जैसी टाइट थी लेकिन उससे बड़ी-बड़ी थी। अब रेखा को लगा की अगर उसने परम को नही रोका तो खुद ही नंगी होकर परम से चुदवाएगी। पर उसने मन ही मन निश्चय किया की कुछ भी हो शादी के पहले चूत मे लंड नही लेगी,15 दिन के बाद ही शादी थी।

परम खूब प्यार से जांघो को चाट रहा था और बोब्लो को मसल रहा था। रेखा बोबले पर से परम का हाथ हटाना चाहती थी लेकिन उसे मालूम था की अगर उसने अपना हाथ हटाया तो परम चूत को चाटने लगेगा फिर रेखा चुदाई नही रोक पाएगी।

"आह.. परम बस बहुत हो गया। अभी तुम जाओ, कल तीन बजे आना जो देखना चाहते हो सब दिखाऊँगी।" वह अपने पहले प्यार परम को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती थी और पूनम को परम के साथ सेक्स अनुभव बताना चाहती थी। वह हर बार कहती थी कि परम उसे चूमता था, दबाता था और उसे जलन होती थी। अब शादी तय हो गई थी... तो वह परम के साथ थोड़ी आज़ादी ले सकती थी।


उसने परम को ढकेल दिया और खुद खड़ी हो गयी। परम चुप चाप खडा हो गया।


बने रहिये....आपकी फीडबेक देते रहिये ........
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
लगता है रेखा अपने प्यार परम से पुर्ण मजा लेगी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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