भाग:–92
बड़े-बड़े 4 दैत्याकार वुल्फ, बिल्कुल काले बाल और गहरी लाल रंग की आंख, जिनके आंखों की चमक एक अलग ही डर का माहोल पैदा कर दे। गस्त लगाते जब वो आर्यमणि के चारो ओर घूम रहे थे, आर्यमणि चौंककर कभी इधर पलटकर तो कभी उधर पलटकर देख रहा था। तभी उस पर हमला हुआ और उसके ऊपर एक बीस्ट वुल्फ बैठ गयी। वह बीस्ट अपने पंजे आर्यमणि के चेहरे पर चला रही है। चेहरा बिलकुल गायब हो गया था और अगले ही पल आंखें बड़ी थी, जीभ बाहर निकल आया था और आर्यमणि का गला उसके धर से अलग हो गया।
रात के लगभग 2 बज रहे होंगे, ब्लड पैक से जुड़ा हर वुल्फ की नींद खुल चुकी थी। सभी पसीने में तर चौंककर उठे। हर किसी के माथे पर पसीना था और कुछ भयावह घटने का आभास। सभी अपने कमरे से बाहर आकर हॉल में इकट्ठा हुए। पूरा अल्फा पैक वियोग से कर्राहते, अपना शेप शिफ्ट किये हुये थे और हर किसी के आंख से आंसू की धार रिस रही थी।
रूही से तीनों ही लिपट गये। लगभग 5 मिनट बाद सभी सामान्य हुये। रूही ने तुरंत बॉब को वीडियो कॉल लगा दिया। कई घंटियां जाने के बाद भी बॉब कॉल नहीं उठा रहा था और इधर इन सबों का पुरा पारा चढ़ा जा रहा था। आखिरकार बॉब ने कॉल उठा ही लिया…
रूही:- बॉब मुझे आर्य को देखना है अभी..
बॉब उसे आर्य को दिखाते…. "वो अभी कोमा में है, आराम से लेटा हुआ"..
रूही:- फोन को उसके सीने पर रखो..
बॉब ने वैसा ही किया। रूही को जब धड़कन की आवाज सुनाई देने लगी तब सबने राहत की श्वांस ली… "आर्यमणि और ओशुन कोमा में पड़े है, और वहां सभी लोग सो रहे हो। ये तो गैर जिम्मेदाराना हरकत है बॉब।"… रूही चिढ़ती हुई कहने लगी..
बॉब:- यहां नीचे पूर्ण सुरक्षित है। और इसके ऊपर बंकर का दरवाजा भी है।
रूही:- 1000 यूएसडी की जॉब 2 लोगो को दो, जो बंकर के ऊपर खड़े रहकर केवल मेरा फोन उठाने के लिये हर समय मौजूद रहे। मै एक घंटी करूं और वो फोन उठा ले और हमे आर्य को दिखा दे।
बॉब:- हम्मम ! ठीक है समझ गया। मै लोगो को हायर करके उनका नंबर भेजता हूं। आर्यमणि के दिमाग के अंदर कोई अप्रिय घटना हुई है, उसी का गहरा असर पड़ा होगा। जाओ सो जाओ तुम सभी।
अलबेली:- बॉस को वहां रुकने की जरूरत ही क्या थी, चलो चलते है हम सब भी वहीं।
ओजल और इवान भी "हां वहीं चलते है" कहने लगे…
रूही:- सब बावरे ना होने लगो, आर्य अभी खोज पर निकला है, वो जल्द ही हमारे साथ होगा।
चारो बेमन से सोने चले गये। आज सुबह जब सब जागे तब किसी का भी मन नहीं लग रहा था। आर्यमणि के लौटने पर यदि उसे पता चलता की उसके गैर हाजरी में अल्फा पैक ने अभ्यास नहीं किया तो उसे बुरा लगता, इसलिए बेमन ही सही लेकिन सबने पुरा-पुरा अभ्यास किया।
वहीं आज सुबह नाश्ते में सबके प्लेट पर नॉन वेज परोसी गई, लेकिन एक निवाला किसी के गले से नीचे नहीं उतरा। हर किसी के कान में आर्यमणि की बात गूंजती रही, ऐसे खाने हमारे प्रवृति को आक्रमक बनाते है। तीनो टीन वुल्फ के स्कूल का भी वही हाल था और रूही तो पूरा दिन चिंता में निकाल दी। चारो बेमन ही पूरा दिन मायूस सा चेहरा लेकर घूमते रहे। हर कोई बस खामोशी से ही बैठा था और अपनी ही सोच में डूबा हुआ था, "आखिर क्यों आर्यमणि ने ऐसी मुसीबत मोल ले ली।"
फिर से रात के 2 बजे के आसपास वही सदमा सबने मेहसूस किया। हर किसी की बेचैनी और व्याकुलता पिछली रात जैसी ही थी, बल्कि आज की रात तो चारो के अंदर एक और घबराहट ने जन्म ले लीया, आखिर आर्यमणि वहां किस दौड़ से गुजर रहा था?
आज की रात लेकिन कल रात जैसा वाकया नहीं हुआ। फोन एक कॉल में उठ गया और दिल की धड़कने भी जल्द ही सबको सुनाई देने लगी। आर्यमणि की धड़कन तो सामान्य रूप से चल रही थी किन्तु इन लोगो की धड़कने असमन्या हो चुकी थी।
लगातर 4 रातों तक सब सदमा झेलने के बाद आखिरकार उन लोगो ने फैसला कर लिया कि अब वो सब आर्यमणि के पास ही जाकर रुकेंगे और पुरा मामला सुलझाकर ही आएंगे। चारो एक बार फिर मैक्सिको के लिए निकल गये। अल्फा पैक को मैक्सिको आकर भी बहुत ज्यादा फायदा हुआ नहीं, सिवाय इसके की आर्यमणि उनकी नजरों के सामने था।
हर रोज रात के 2 बजे के आसपास वही सब घटना होता और चारो गहरे सदमे से चौंककर जागते। 15 दिन बीत चुके थे और किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। यहां की कहानी जैसे उलझ सी गई हो। रूही अंदर ही अंदर आर्य पर काफी चिढी भी हुई थी।…
"इसकी फालतू की नाक घुसेड़ना और जान बचाने की आदत पहले मैक्सिको लेकर आयी और फिर यहां आकर ये सब कांड हो गया। हर बार इसे सामान्य जिंदगी चाहिए लेकिन आदत से मजबूर बिना मतलब के खुद मुसीबत मोल लेते रहता है। ऐसा ही कुछ किया था इसने नागपुर में भी। इसे तो खुद से सब पता लगाना है। कुछ पता लगा नहीं उल्टा सबसे दुश्मनी मोल लेकर चला आया।"
"वैसे इतनी कहानी की शुरवात ही ना होती अगर ये मैत्री के बाप को थप्पड़ मारने की ख्वाहिश ना रखता। पहले ये ना हुआ कि जाकर भूमि का ही गला दबा दे और पूछ लेता वो मैत्री को क्यों मरवाई? लेकिन इसे तो पहले जर्मनी ही आना था। फिर यहां आकर ब्लैक फॉरेस्ट में बस 2 घंटे रोजाना कि जिंदगी।.. एक मिनट.. 2 घंटे रोजाना ब्लैक फॉरेस्ट मे भी.. और यहां भी, एक ही वक्त मे मरना।"…
ख्यालों में ही रूही को कुछ बातो में समानता दिखी। जब रूही चिढ़कर अपनी भड़ास निकाल रही थी तब उसे आर्यमणि का एक चक्र याद आया। ब्लैक फॉरेस्ट मे जब आर्यमणि फंसा था तब भी वह रोजाना एक ही वक्त में जागता था। और यहां भी आर्यमणि रोज एक ही वक्त में अपने मरने का वियोग दे रहा था। दोनो ही जगहों में वक्त की समानता थी। तो ये भी हो सकता था कि ब्लैक फॉरेस्ट की तरह आर्यमणि यहां भी पूरा एक दिन सोने के बाद एक ही वक्त पर जागता हो। जब जागने के बाद सीधा लड़ेगा तब रणनीति कहां से सोचेगा। रूही के दिमाग में यह बात घूमने लगी और वो उठकर बॉब के पास पहुंचते… "बॉब, अंदर जो हो रहा है इसके दिमाग में क्या वो हम चारो मेहसूस कर रहे है?"
बॉब:- हां शायद, ब्लड पैक से जुड़े हो न इसलिए तुम लोगो को मेहसूस हो रहा हो कि अंदर क्या चल रहा है। मुझे एक बात बताओ वैसे तुम्हे क्या मेहसूस होता है।
रूही:- आर्य मर गया, बस ऐसा ही मेहसूस होता है। अब वो छोड़ो मुझे बताओ यदि मै उसे मेहसूस कर सकती हूं, तो क्या वो भी हमे मेहसूस कर सकता है, क्यों?
बॉब:- हां कर तो सकता है..
रूही:- कर तो सकता है का क्या मतलब, करना ही होगा। अच्छा एक बात बताओ कोई ऐसी दवा है जो हमें धीरे–धीरे 10 घंटे में मौत की ओर ले जाय, लेकिन हम मरे 10 घंटे बाद और प्राण निकलने कि फीलिंग पहले मिनट से आना शुरू हो जाये?
बॉब:- तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है?
रूही:- जो भी चल रहा हो बॉब लेकिन यदि आर्यमणि के वजह से मै मरी ना, तो मै तुम तीनो का (आर्यमणि, ओशुन और बॉब) खून पी जाऊंगी। अब जैसा मैंने पूछा है, क्या वैसा हो सकता है?
बॉब:- हां बिल्कुल संभव है और इसकी जानकारी मुझे तुम्हारे बॉस ने ही दी थी। कस्टर ऑयल प्लांट के फूल। इसके रस को ब्लड में इंजेक्ट करो तो ये ब्लड फ्लो के साथ ट्रैवल तो नहीं करता लेकिन ये इंटरनल सेल को कंप्लीट डैमेज करते हुए धीरे-धीरे शरीर में फैलता है। बहुत दर्दनाक और खतरनाक, जो पल-पल मौत देते बढ़ता है, लेकिन मरने से पहले मरने वाला कई मौत मर जाता है। कई लोग तो उस दर्द को बर्दास्त नहीं कर पाते और 5 मिनट बाद ही सुसाइड कर लेते है।
रूही:- गुड, यहां सिल्वर चेन होगा, उससे हम चारो को बांधो और ये जहर इंजेक्ट कर दो।
बॉब:- लेकिन इसमें खतरा है? अगर जिंदा बच भी गये तो शरीर कि खराब कोसिका पुनर्जीवित नहीं होगी।
रूही:- दुनिया का सबसे बड़ा हीलर लेटा है बॉब, बस हमारी स्वांस चलनी चाहिए। बाकी तो वो है ही। बस प्रार्थना करना की हमारे मरने से पहले आर्य जाग जाये।
बॉब:- एक दिन का वक्त दो। ऐतिहातन मुझे, तुम्हे कुछ मेडिसिन देने होंगे, ताकि तुम सबके शरीर को कुछ तो सपोर्ट मिले, फिर वो इंजेक्शन तुम्हे दूंगा...
रूही, ओजल, इवान और अलबेली ने एक और दर्द भरी रात बिताई। फिर से वैसा ही मरने का एहसास। अगली सुबह तकरीबन 6 बजे रूही ने प्रक्रिया शुरू किया, आर्यमणि के दिमाग को 2 बजे रात के बाद किसी अन्य समय में सक्रिय करने की प्रक्रिया। ये ठीक उसी प्रकार की प्रक्रिया थी जैसे कि ओशुन ने ब्लैक फॉरेस्ट में आर्यमणि के 2 घंटे के जागने के चक्र को तोड़ा था।
साथ मे रूही उसे यह भी एहसास करवाना चाहती थी कि उसका पूरा पैक मर रहा है। चारो का बेड इस प्रकार लगाया गया की आर्यमणि के बदन का कोई ना कोई हिस्सा चारो छु रहे थे। चारो को दर्द मेहसूस ना हो और मानसिक उत्पीड़न से कहीं मर ना जाए, इसके लिए बॉब ने चारो को पूरी गहरी नींद में सुला दिया। उसके बाद ना चाहते हुए भी उसने कैस्टर ऑयल प्लांट के फूल का इंजेक्शन उन चारो के नशों में दे दिया गया।
कोमा के स्तिथि में हर रात आर्यमणि के साथ मौत का खेल चल रहा था। गस्त लगाते 4 बीस्ट वुल्फ और हमले के 15 सेकंड में उसका सर धर से अलग। जैसी ही आर्यमणि को उन चारो के मरने का एहसास हुआ वैसे ही रोज रात के 2 बजे आर्यमणि के जागने का चक्र भी टूट गया। अपने पैक के वियोग में आर्यमणि सुबह के 6 बजे ही जाग चुका था।
एक बार फिर आर्यमणि की आखें खुली। उसे पता नहीं था कि कौन सा वक़्त था। बस अंदर से कर्राहने की आवाज निकल रही थी और एक अप्रिय एहसास.… उसके पैक के तिल-तिल मरने का एहसास। उसे अब किसी भी हालत दिमाग के इस भ्रम जाल से निकलना था। चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा। उसकी वुल्फ की हाईली इंफ्रारेड वाली आखें भी इस अंधेरे को चिर नहीं पा रही थी। सीने में अजीब सी पीड़ा एक लय में उठ रही थी जो कम् होने के बदले धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी।
"जब बेचैनी बढ़ने लगी तो, तो पहले खुद पर काबू करना चाहिए आर्य। तभी तो समस्या को समझ पाओगे, नहीं तो बेकार में ही सारा दिन इधर-उधर भटकोगे। समय और ऊर्जा दोनो व्यर्थ होगी और बड़ी मुश्किल से काम होगा, या नहीं भी हो पाएगा। इसलिए आराम से पहले खुद पर काबू करो फिर समस्या पर काबू पाने की सोचना।"…
दादा जी के बचपन कि सिखाई हुई बात जब वो एक घायल मोर को देखकर घबरा गया था, और उसकी हालत पर आर्यमणि को रोना आ गया था। दादा जी की बात दिमाग में आते ही वो अपनी जगह खड़ा हो गया। गहरी श्वास लेकर पहले तो खुद पर काबू किया फिर अपने आंख मूंदकर सोचने लगा कि वो यहां क्यों आया था?
जैसे ही मन में उसके ये विचार आया उसी के साथ फिर से आर्यमणि को ओशुन की वहीं सिसकती आवाज़ सुनाई देने लगी जो उसे पहले दिन तो सुनाई दी थी। लेकिन उसके बाद फिर कभी आर्यमणि, ओशुन की आवाज सुन नहीं पाया। कुछ देर और खड़ा होकर वो वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया, वो यहां क्यों आया था, और क्यों इतना अंधेरा है?
पुस्तक "उलझी पहेली" का किस्सा दिमाग में आने लगा। फिर आर्यमणि कितनी मौत मरा उसकी यादें ताजा हो गयी। आर्यमणि कुछ भी कर रहा था लेकिन अपने जगह से एक कदम भी हिल नही रहा था, क्योंकि उसे पता था वो जैसे ही आवाज़ के ओर कदम बढ़ाएगा उसपर हमला हो जाएगा। बिना अपने डर को हराए वो ओशुन की मदद भी नहीं कर सकता और ना ही अपने असहनीय पीड़ा का कोई इलाज ढूंढ सकता है। असहनीय पीड़ा जो पल-पल ये एहसास करवा रहा था कि उसके पूरे पैक को मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
"वो वास्तविक दुनिया है लेकिन ये भ्रम जाल। मै यहां मरकर भी जिंदा हूं वो (अल्फा पैक) वहां मरे तो लौटकर नहीं आएंगे। मै खुद में इतना असहाय कभी मेहसूस नहीं किया। शायद रूही की मां फेहरीन को भी पूरे पैक के मरने के संकट का सामना करना पड़ा होगा, जिसके चलते वो प्रहरी और सरदार खान से जंग में घुटने टेक चुकी थी। और अब उसके तीनों बच्चे ना जाने किस मुसीबत में है। कैसे आखिर कैसे मै रोकूं इन 4 बीस्ट अल्फा को।"..
अंतर्मन की उधेड़बुन चल रही थी तभी उसे कुछ ख्याल आया हो और वो मुस्कुराकर आगे बढ़ा। अपनी पीड़ा को दिल में दबाए, अपने पैक और ओशुन के लिए वो आगे बढ़ा। जैसे ही उसने 2 कदम आगे बढ़ाया, फिर से वही मंजर था।
चारो ओर से हृदय में कम्पन पैदा करने वाली वो लाल नजरें और दैत्याकार 4 जानवर, जो आर्यमणि के चारो ओर गस्त लगा रहे थे। आर्यमणि भी उसके हमले के इंतजार में अपना पंजा खोल चुका था। रक्त का काला बहाव पंजे के ओर बढ़ रहा था जिसकी गवाही उसकी उभरी हुई नसें दे रही थी। ऐसा लग रहा था आर्यमणि ने आज तक के हील किये हुए टॉक्सिक को अपने पंजे में उतार रहा था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
रुही तो बहुत होशियार निकलीं नैन भाई
समय का चक्र एक हीं समय हर रोज मरना
मतलब जर्मनी वाला कांड
इसका तोड़ समय से पहले जगा देना ताकि आगे की रणनीति बनाई जा सकें
बहुत दूर की कोड़ी लाई है रुही
समय से पहले जगना आर्य के लिए फायदेमंद साबित हूआ हैं उसे सोचने के लिए समय मिल गया है इस भ्रमजाल को तोड़ने का मार्ग भी
देखते हैं अगले अपडेट में आर्य चार बीस्ट वुल्फ को कैसे मारता हैं और ओशुन को बचाता हैं नैन भाई
इंतजार अगले एक्शन अपडेट का नैन भाई