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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#128.

चैपटर-9 वेदान्त रहस्यम् :

(13 जनवरी 2002, रविवार, 21:30, मायावन, अराका द्वीप)

सभी ने अब बर्फ की घाटी को सकुशल पार कर लिया था।

जंगलों का सिलसिला एक बार फिर शुरु हो गया था। लेकिन शाम हो जाने की वजह से सुयश ने सभी को एक सुरक्षित स्थान पर ही रात बिताने के लिये रोक दिया था।

वह एक मैदानी क्षेत्र था, जिसमें काफी दूर तक एक ही घना पेड़ था। उसी घने पेड़ के नीचे इन सभी ने रात बिताने का निश्चय किया।

कुछ आगे सभी को फिर से एक ऊंची पहाड़ी नजर आने लगी थी, जिसकी चोटी एक अजीब सी चमक बिखेर रही थी।

सभी दिन भर जंगल से बटोरे फल को खाकर उसी पेड़ के नीचे सो गये। काफी रात हो चुकी थी, पर तौफीक को नींद नहीं आ रही थी।

वह बारी-बारी से सबको सोते हुए देख रहा था।

जेनिथ के प्रति तौफीक के दिमाग में बहुत सी उलझनें थीं। माना कि उसने बदला लेने के लिये, जेनिथ के आस-पास अपना जाल फैलाया, पर वह जेनिथ को मारना नहीं चाहता था।

लगातार जेनिथ के पास रहते-रहते उसे भी जेनिथ से कुछ लगाव सा हो गया था।

इसी लगाव के कारण उसे यह डर हो गया था कि कहीं लॉरेन जेनिथ को सबकुछ बता ना दे। इसी वजह से उसने लॉरेन का कत्ल किया था।

तौफीक जानता था कि अगर जेनिथ उसके बारे में सबकुछ जान गयी तो वह उससे नफरत करने लगेगी।

पर इस जंगल में आने के बाद सभी का उद्देश्य ही परिवर्तित हो गया। अब ना तो किसी से दुश्मनी बची थी और ना किसी से बदला लेने की चाहत।

इसी बातों को आधार मानकर तौफीक ने मगरमच्छ मानव से जेनिथ की जान बचाने की कोशिश की थी।

पर इधर कुछ दिनों से जेनिथ का व्यवहार तौफीक को समझ नहीं आ रहा था? उसे नहीं पता था कि अचानक जेनिथ उससे इतना दूर क्यों रहने लगी है? यही उलझन उसे आज सोने नहीं दे रही थी।

जंगल में गूंजती हुई जंगली जानवरों की आवाजें और झिंगुरों का शोर आपस में मिलकर सन्नाटे को भंग कर रहे थे।

तभी अचानक वातावरण में चल रही हवाओं में थोड़ा तेजी आ गयी।

पेड़ों के गिरे हुए सूखे पत्ते ‘खड़-खड़’ की आवाज के साथ इधर-उधर बिखरने लगे।

तभी एक अजीब सी आवाज ने तौफीक का ध्यान भंग किया-“फड़-फड़-फड़-फड़”

तौफीक ने ध्यान लगा कर सुनने की कोशिश की कि आखिर यह आवाज आ कहां से रही है?

“फड़-फड़-फड़-फड़।”तौफीक को वह आवाज दोबारा से सुनाई दी। लेकिन तौफीक इस बार पूरी तरह से चौकन्ना था।

वह आवाज उसी पेड़ के ऊपर से आ रही थी, जिसके नीचे वह सभी सो रहे थे।

तौफीक ने एक बार फिर से आवाज पर ध्यान दिया। उसे वह आवाज बड़ी विचित्र सी महसूस हुई। अब तौफीक की निगाहें पेड़ के ऊपरी हिस्से की ओर चली गईं।

धीरे-धीरे चल रही हवा में गूंजती उस ‘फड़-फड़’ की आवाज ने तौफीक का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लिया था।

तौफीक ने एक नजर फिर से सो रहे सभी लोगों पर मारी और फिर खड़ा होकर, धीरे-धीरे उस सपाट पेड़ पर चढ़ने लगा।

पेड़ सपाट होने की वजह से उस पर चढ़ना थोड़ा मुश्किल था, पर यहां पर तौफीक की आर्मी की ट्रेनिंग काम आ गयी।

कुछ ही देर में तौफीक उस आवाज के स्रोत तक पहुंच गया।

वह आवाज पेड़ की मोटे तने में मौजूद एक कोटर से आ रही थी। तौफीक ने कुछ देर तक सोचा और फिर अपना दाहिना हाथ पेड़ की उस कोटर में डाल दिया।

हाथ से किसी वस्तु का स्पर्श होते ही तौफीक ने उस वस्तु को बाहर की ओर खींच लिया।

वह वस्तु लाल रंग की मोटी जिल्द वाली एक किताब थी। उसी के पन्ने हवा के कारण खुल-बंद रहे थे, जिससे वह विचित्र सी फड़फड़ की आवाज हो रही थी।

तौफीक उस लाल किताब को लेकर नीचे उतर आया।

तौफीक ने पेड़ के पास बैठकर उस किताब को देखा। वह किताब किसी दूसरी भाषा में थी, जिसे तौफीक पढ़ नहीं पा रहा था।

तौफीक आगे के पृष्ठों को खोलकर देखने लगा।

हर पृष्ठ पर अलग-अलग चित्र बने थे, कुछ चित्र इंसानों के थे, तो कुछ चित्र स्थानों के। उन चित्रों के नीचे दूसरी भाषा में कुछ ना कुछ लिखा था।

तौफीक बिना समझे हुए पृष्ठों को पलटता जा रहा था।

तभी तौफीक को एक पेज पर, एक काँच के अष्टकोण में बंद, एक छोटे से बालक का चित्र दिखाई दिया।

वह बालक काँच में बंद होकर भी मुस्कुरा रहा था।

तौफीक को वह बालक कोई दिव्य आत्मा लगा। तौफीक ने फिर से पन्नों को पलटना शुरु कर दिया।

300 पृष्ठों की पूरी किताब पलटने के बाद तौफीक की नजर आखिरी पेज पर जाकर रुक गयी।

आखिरी पेज पर बहुत ही खूबसूरत सी किसी स्त्री की 2 आँखें बनीं थीं।
इतनी खूबसूरत आँखें देख तौफीक मंत्रमुग्ध हो गया और लगातार उन आँखों को देखने लगा।

कुछ सोचकर तौफीक ने धीरे से उन आँखों को अपने हाथों से स्पर्श किया।

तौफीक के उन आँखों को स्पर्श करते ही, उसे वह दोनों आँखें बहुत ठंडी सी प्रतीत हुईं और इससे पहले कि तौफीक कुछ कर पाता, उसे अपना शरीर उस किताब में खिंचता हुआ सा प्रतीत हुआ।

यह देख तौफीक के मुंह से चीख निकल गयी।

कुछ ही पलों में तौफीक पूरा का पूरा उस किताब में समा गया।

तौफीक के किताब में समाते ही, वह किताब वहीं जमीन पर गिर गयी और उसके खुले हुए पन्ने फड़फड़ा कर बंद हो गये।

तौफीक की चीख सुनकर सभी की नींद खुल गयी।

सभी ने अपने चारो ओर नजर डाली, पर तौफीक का कहीं नामो निशान नहीं था।

“क्या तुम लोगों को भी तौफीक की चीख सुनाई दी थी?” सुयश ने बारी-बारी सबको देखते हुए पूछा।

सभी ने समवेत सिर हिला दिया। तभी शैफाली की नजर वहां पड़ी उस लाल किताब पर गयी।

“कैप्टेन अंकल, वहां पड़ी हुई वह किताब कैसी है?” शैफाली ने कहा।

शैफाली की बात सुनकर सुयश ने आगे बढ़कर वह किताब उठा ली।

सुयश ने किताब को देखा। वह किताब संस्कृत भाषा में थी।

किताब के जिल्द पर उस किताब का नाम लिखा था, जिसे सुयश ने
आसानी से पढ़ लिया।

किताब का नाम था- “वेदान्त रहस्यम्”

“यह किताब यहां कहां से आयी ?” सुयश संस्कृत भाषा में लिखी किताब देखकर आश्चर्य में पड़ गया- “यह हममें से तो किसी की नहीं है। कहीं यह कोई रहस्यमयी किताब तो नहीं ?”

“कहीं इस किताब की वजह से ही तो तौफीक अंकल नहीं गायब हुए?” शैफाली ने कहा- “क्यों कि मैंने सोते समय तौफीक अंकल की चीख के अलावा भी एक आवाज सुनी थी, जो कि शायद इसी किताब के गिरने की आवाज थी।”

सुयश ने शैफाली की बात सुनी और किताब के पन्ने को पलट दिया।

सुयश ने सरसरी तौर पर किताब के पन्नों को पलटकर देखा।

तभी सुयश की नजर भी किताब के उसी पृष्ठ पर पड़ी, जिसमें एक छोटा बालक काँच के अष्टकोण में बंद दिखाई दे रहा था।

उस चित्र को देखते ही अचानक सुयश के सिर में बहुत तेज दर्द सा महसूस हुआ और उसके कानों में कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं-

“मैं इस बालक को ऐसी जगह छिपाऊंगा, जहां तुम कभी भी नहीं पहुंच सकती। यही तुम्हारी करनी का उचित दंड होगा।” ...........

“नहीं...नहीं छोड़ दो उस बालक को...अब मैं कभी भी तुम्हारे सामने नहीं आऊंगी ...मुझे बस मेरा बालक दे दो.........मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं किया?...सबकुछ अंजाने में हुआ है। मुझे बस एक बार प्रायश्चित का मौका दो...मैं फिर से सब कुछ सहीं कर दूंगी।”

सुयश के सिर में कुछ आवाजें गूंज रहीं थीं और इसी वजह से उसके सिर का दर्द बढ़ता जा रहा था।
सुयश अपना सिर पकड़कर वहीं जमीन पर बैठ गया।

“कैप्टेन...कैप्टेन...क्या हुआ आपको?” जेनिथ ने चिल्ला कर कहा- “आप ठीक तो हैं ना?”

“शैफाली तुरंत उस किताब को बंद कर दो।” एक अंजानी आवाज वातावरण में गूंजी।

शैफाली ने आवाज की दिशा में देखा, उसे सामने देवी शलाका और तौफीक खड़े नजर आये।

शैफाली ने आश्चर्य से उस लाल किताब को बंद कर दिया और देवी शलाका व तौफीक को देखने लगी।

जेनिथ और क्रिस्टी की भी निगाहें अब शलाका के ऊपर थीं।

सुयश के सिर का दर्द किताब बंद होते ही खत्म हो गया। अब वो सिर उठाये एकटक शलाका को देख रहा था।

सुयश का दिल कर रहा था कि वह दौड़कर शलाका को गले से लगा ले, पर माहौल की गंभीरता को देखते हुए सुयश ने कुछ नहीं कहा। वह बस जमीन से उठकर खड़ा हो गया।

“तौफीक आप कहां गायब हो गये थे? आप ठीक तो हैं ना?” क्रिस्टी ने तौफीक को देखकर कहा।

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाकर अपने सुरक्षित होने का इशारा किया।

सभी एक दूसरे को देख रहे थे, पर चारो ओर सन्नाटा छाया था, जिसे तोड़ा तौफीक की आवाज ने-

“कैप्टेन, मैंने रात में पन्ने फड़फड़ाने की आवाज सुनी, जो कि इस पेड़ से आ रही थी। मैंने ऊपर जा कर देखा तो मुझे यह किताब मिली। मैंने जब किताब के आखिरी पृष्ठ पर मौजूद 2 आँखों को छुआ, तो मैं खिंचकर उस किताब में समा गया। डर की वजह से मैने अपनी आँखें बंद कर लीं। जब मेरी आँखें खुलीं तो मैंने अपने आपको देवी शलाका के महल में पाया। मैंने जैसे ही इन्हें इस किताब के बारे में बताया, यह तुरंत मुझे लेकर यहां आ गयीं।” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।

“इस बात के लिये हम आपके आभारी हैं देवी शलाका।” सुयश ने शलाका को आभार प्रकट करते हुए कहा।

“तुम मुझे देवी क्यों बोल रहे हो ?” तुम मुझे सिर्फ शलाका कह सकते हो।”

शलाका की आँखों में सुयश के लिये प्यार का सागर लहरा रहा था- “अच्छा शैफाली, तुम अब वो लाल किताब मुझे दे दो, नहीं तो वो तुम
लोगों के लिये और कोई मुसीबत पैदा कर देगी।”

शैफाली ने सुयश कर ओर देखा। सुयश ने हां में सिर हिला कर शैफाली को स्वीकृति दे दी।

शैफाली उस लाल किताब को लेकर शलाका की ओर बढ़ी, तभी एक और जोर की आवाज गूंजी-
“नहीं शैफाली उसे वह लाल किताब मत देना।”

दूसरी ओर से आती हुई आवाज को सुन शैफाली सहित सभी ने नजर घुमाकर देखा।

दूसरी ओर एक और शलाका को देख सभी हैरान हो गये।

“दो-दो देवी शलाका !”

सभी कभी पहली वाली शलाका को तो कभी दूसरी वाली शलाका को देख रहे थे।

दोनों ही बिल्कुल एक जैसी थीं। यह देख सुयश ने आगे बढ़कर तुरंत शैफाली से वह लाल किताब ले लिया।

“तुम दोनों में से असली शलाका कौन है?” सुयश ने गरजते हुए पूछा।

“मैं हूं असली शलाका।” पहली वाली शलाका ने कहा।

सुयश यह सुन दूसरी वाली शलाका की ओर मुड़ा।

“मुझे लगता है कि तुम मुझे आसानी से पहचान जाओगे। क्यों कि एक ही गलती तुम जिंदगी में 2 बार नहीं करते।"

दूसरी वाली शलाका के शब्दों में जादू था, जिसे सुनकर सुयश के चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव आ गये।

“अच्छा तो ऐसे नहीं पता चलेगा ।” सुयश ने कहा- “तुम दोनों ये बताओ कि जब मैं धेनुका का स्वर्ण दुग्ध लाने गया था, तो ऐमू का पीछा कौन सा पंछी कर रहा था?” यह सुनते ही पहली वाली शलाका की आँखें भय से चौड़ी हो गयीं-
“क्या तुम्हें सब कुछ याद आ गया?”

पहली शलाका को भयभीत देखकर सुयश दूसरी वाली शलाका की ओर मुड़ा- “क्या तुम बताना चाहोगी, इस प्रश्न का उत्तर?”

“धेनुका का स्वर्ण दुग्ध लेने, तुम मेरे साथ ही देवलोक में गये थे। जहां पर ऐमू का पीछा एक बाज कर रहा था, जो कि उसे मारना चाहता था।” दूसरी शलाका ने कहा।

यह सुन पहली शलाका ने गुस्से से अपने दाँत को पीसा और एक झमाके के साथ वहां से गायब हो गयी।

“मैंने कहा था कि तुम मुझे पहचान लोगे।” यह कहकर शलाका भागकर सुयश के पास आयी और उसके गले से लिपट गई- “अब मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाना। 5000 वर्ष तक मैंने तुम्हारा इंतजार किया है, अब मैं और नहीं सह सकती।

"नहीं बनना मुझे किसी द्वीप की देवी। l...नहीं होना मुझे अमर....मैं बस एक साधारण इंसान की जिंदगी जीना चाहती हूं, वह भी तुम्हारे साथ अकेले....इस दुनिया से दूर...किसी ऐसी जगह जहां मुझे और तुम्हें कोई ना जानता हो....मैं अपनी सभी शक्तियां तुम्हारे लिये छोड़ने को तैयार हूं.... पर अब...पर अब मुझे अकेले नहीं जीना है।”

शलाका की आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे। वह भावावेश में बोलती ही चली जा रही थी।

उसे कोई फिक्र नहीं थी कि वह कहां खड़ी है? उसे कोई चिंता नहीं थी कि कौन-कौन उसे देख रहा है?

वह तो बस अपने 5000 वर्षों के इंतजार को सुयश को व्यक्त करना चाहती थी।

सुयश ने भी शलाका को कसकर पकड़ रखा था।

दोनों की ही आँखों से आँसू बहे जा रहे थे, पर इस बार यह आँसू दुख के नहीं थे, ये सुख के आँसू थे।

दोनों की ही यह हालत देख जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली की भी आँखों में आँसू आ गये।

तौफीक तो इस बात पर खुश था कि फाइनली अब उन्हें इस रहस्यमय जंगल से छुटकारा मिल जायेगा।

थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही गले लगे रहने के बाद एक दूसरे से अलग हो गये।

“मैंने तो इतने समय से सोच रखा था कि जब देवी शलाका मिलेंगी तो मैं उनसे बहुत सारे वरदान मांगूगी, पर ये तो देवी नहीं आंटी निकलीं।” शैफाली ने भोलेपन से मुस्कुराते हुए कहा।

शैफाली की बात सुन शलाका मुस्कुरा दी।

“तुम अब भी इस जंगल से निकलने के सिवा, जो मांगना चाहो, मांग सकती हो शैफाली।” शलाका ने कहा।

“फिलहाल तो पिज्जा खाने का दिल कर रहा है।” शैफाली ने शैतानी भरे स्वर में कहा।

शैफाली की बात सुन शलाका ने अपना हाथ हवा में लहराया।

शलाका के ऐसा करते ही पिज्जा के 5 बॉक्स प्रकट हो गये।

“येऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ मजा आ गया। इसी बात पर बोलो देवी शलाका की जय।”

शैफाली की शैतानी शलाका को काफी भा रही थी।

“भाभी जी....म..म...मेरा मतलब है कि हे देवी, मेरी पुकार भी सुन लो।” क्रिस्टी भी खुश हो कर पूरा मजा लेने लगी- “मेरा एक छोटा सा प्रेमी कहीं जंगल में गायब हो गया है, उसे भी ढूंढकर मुझे दे दो और हो सके तो मेरे लिये एक अच्छी सी ड्रेस दे दो, यही गंदे कपड़े पहनकर मैं पागल हो गयी हूं।”

क्रिस्टी की बात सुनकर शलाका ने अपना हाथ ऊपर उठाया।

अब शलाका के हाथ में एक चमचमाता हुआ त्रिशूल नजर आने लगा।


जारी रहेगा_______✍️
Lovely update brother ek premi jode ka milan ho gaya, let's see ki Salaka, Cristy ke liye Alex ko wapas lati hai ya nahi par ye possible ho sakta hai kyunki Salaka ne kaha hai ki wo sirf jungle se nikalne mein inn sabki madad nahi kar sakti hai.

BOok ki mystery solve hona abhi baki hai, wo bacha kaun hai, wo aankhe kiski hai aur kisne ye sab kiya hai sabhi ki jawab shesh hain khair mujhe nahi lagta Salaka aur Suyash abhi dono sath rahne wale hain
 

Raj_sharma

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ARCEUS ETERNITY

असतो मा सद्गमय ||
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Let's review Begin's
Toufikk ka vedantam rahyshyam namak kitab mein kaid hona aur sath hi shalaka ka usee bachane se story mein ek new suspense modd bhi aagaya aur bahut se rahasya se pardh hatt bhi gaya .

Tah in dno update se Clear ho gaya ki Suyash ki zindgi mein akirit ki kahi jagah nahi, aur Shayad aakirit iss samay ek villain ki vibe se derahi .
Dekho na abhi chaal se nakli shalka bann kar suyash ko phasane aayi thee .
Mujhe toh lag raha hain suyash ko gayab hone mein iska hath bhi ho sake hai.

Sath hi apne bahut galat kiya men Suyash aur Shailaka ki shadi karayi.fir ju inhe apne alag rakhna aur, wo bhi 5000 sal .
Very bad iske liye shastro mein alag saja ka pravdhan hah.

Sath hi bhala ko taklif jiski wajah se shalala khud samne aana padha .

Lekin gaur karne wali baat hai ki akirit ko amratav prapt kaise hua aur ek aur baat amu ka kya rahasya hoga .

Sath vedant rahasya mein aisi kya cheej hai jisse shalaka suyash ko dur rakhna chahti hain .
Kuch bhi ho raaz par ye khatranaak lag raha .
Shayaad ye kitaab story ke bahut se raaz khole.
Yaha bahut pranshan ab mann mein aarahe ki kya wajah hogi ki suyash ne khud mrityu ka chunav kiya .

Jaisé hamare yaha prampara par ki couple ko chedna ki aur waisi hi. yaha shaffali ne cristi aur jenith ne suyash shalaka ke khoob majee liye .

"Khass mere majee lene ke liye bhi koi miljaye ."mein bhi apne partner ke sath hu tab koi mere majee le .
Ye single ka dukhda kahe khatam nahi hota .

Yaha suyash ke tatto ka bhi clear hogaya , Tatto ki backstory achi thee .

Shandaar update thaa bhai
Bohut se doubt clear huwe sath hi vedant rahasya ki book ka naya rahasya samane alag aagya .

One more point 127 update mein shaffali ka masti bhara andaj aur 128 mein suyash aur shalaka ka 5000 saal ka intezaar story mein alag alag angle create karta hain .

Aise emotional aur masti bhare angle story ko aur khubsurat bana dete hain .

Overall dono update shandar thee
.
Aur ye update story ko aur interesting banate hai .

Waiting for more
 

Raj_sharma

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BOok ki mystery solve hona abhi baki hai, wo bacha kaun hai, wo aankhe kiski hai aur kisne ye sab kiya hai sabhi ki jawab shesh hain khair mujhe nahi lagta Salaka aur Suyash abhi dono sath rahne wale hain
Abhi to ye sochna hi sahi nahi hai, kyu ki jab tak tilisma toot na jaye, koi bhi iss jungle se baahar nahi ja sakta:nono: Yahi baat shalaka ne bhi kahi thi, rahi baat us kitab ki, to use samajhna bhi itna aasaan nahi hai, jiske naam mein hi rahasya ho, wo khud kitni rahasyamayi hogi:roll:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanks:
 

Raj_sharma

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Toufikk ka vedantam rahyshyam namak kitab mein kaid hona aur sath hi shalaka ka usee bachane se story mein ek new suspense modd bhi aagaya aur bahut se rahasya se pardh hatt bhi gaya .
Shalaka ne thodi bachaya tha, wo to Taufiq ko aakriti lekar aai thi :consoling:

Tah in dno update se Clear ho gaya ki Suyash ki zindgi mein akirit ki kahi jagah nahi, aur Shayad aakirit iss samay ek villain ki vibe se derahi .
Dekho na abhi chaal se nakli shalka bann kar suyash ko phasane aayi thee .
Mujhe toh lag raha hain suyash ko gayab hone mein iska hath bhi ho sake hai.
Aakruti suyash ki khair khwaah to bilkul nahi hai, agar aisa hota to wo use yaha marne ke liye nahi aane deti, :nono: Saccha pyar karne wale apni jaan de dete hain pyar ko bachane ke liye:approve: Rahi baat Aaryan ki maut ki, to wo samay per hi pata lage to jyada accha hai👍
Sath hi apne bahut galat kiya men Suyash aur Shailaka ki shadi karayi.fir ju inhe apne alag rakhna aur, wo bhi 5000 sal .
Very bad iske liye shastro mein alag saja ka pravdhan hah.
Apun gareeb aadmi hai bhai, apun ko maaf kar do:pray:
Sath hi bhala ko taklif jiski wajah se shalala khud samne aana padha .
:runaway:
Lekin gaur karne wali baat hai ki akirit ko amratav prapt kaise hua aur ek aur baat amu ka kya rahasya hoga .
Main nahi bataunga:beee:
Sath vedant rahasya mein aisi kya cheej hai jisse shalaka suyash ko dur rakhna chahti hain .
Kuch bhi ho raaz par ye khatranaak lag raha .
Shayaad ye kitaab story ke bahut se raaz khole.
Yaha bahut pranshan ab mann mein aarahe ki kya wajah hogi ki suyash ne khud mrityu ka chunav kiya .
Well "vedant rahasyam" ek aisi kitaab jisko Aaryan ne khud likha, jobkitaab bhavishya , vartmaan, aur bhoot kaal ke kai raaj apne me chipaaye hue hai, jiske sahare kai aayam me jaya ja sake,.... vagarah, ab is se jyada batana khatarnaak hai, varna tum apni yaaddast kho baithoge:roll:
Jaisé hamare yaha prampara par ki couple ko chedna ki aur waisi hi. yaha shaffali ne cristi aur jenith ne suyash shalaka ke khoob majee liye .

"Khass mere majee lene ke liye bhi koi miljaye ."mein bhi apne partner ke sath hu tab koi mere majee le .
Ye single ka dukhda kahe khatam nahi hota .
Kya matlab abhi tak randwa hi hai?:?: Mera Matlab single hi hai?:hehe:

Yaha suyash ke tatto ka bhi clear hogaya , Tatto ki backstory achi thee
:thank_you:Thanks
Shandaar update thaa bhai
Bohut se doubt clear huwe sath hi vedant rahasya ki book ka naya rahasya samane alag aagya .

One more point 127 update mein shaffali ka masti bhara andaj aur 128 mein suyash aur shalaka ka 5000 saal ka intezaar story mein alag alag angle create karta hain .
Thank you:thank_you:
Aise emotional aur masti bhare angle story ko aur khubsurat bana dete hain .
ye to is samay kahani ki jarurat thi bhai:approve:
Overall dono update shandar thee .
Aur ye update story ko aur interesting banate hai .

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Thank you very much for your amazing review and superb support bhai :thankyou:
 

Raj_sharma

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