बहुत ही शानदार लाजवाब और अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया#123.
श्वेत महल: (8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)
कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।
चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।
पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?
“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।
..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”
यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।
कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।
लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।
यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।
जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।
अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।
चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।
चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।
यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।
कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।
मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।
कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।
कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।
गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।
माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।
हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।
पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।
पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।
कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।
हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।
कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।
“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।
कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।
समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।
आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।
काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।
पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।
उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।
उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।
“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?
कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।
“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।
वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।
पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”
“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।
“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”
कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”
“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”
“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”
यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”
विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।
मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।
चैपटर-7
मैग्ना शक्ति: (13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)
खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।
जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।
एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।
“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।
“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”
“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”
सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।
“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।
“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”
क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-
“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।
इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।
फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”
क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।
लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।
उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”
तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।
सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।
वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।
“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”
अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।
फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।
जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।
अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।
शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।
“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।
जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।
पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।
सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?
पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।
शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।
तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।
यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”
लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।
यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।
सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।
“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।
उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।
यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।
पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।
तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।
“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।
पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।
कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।
शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।
“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।
“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।
“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।
थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।
शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।
झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।
जारी रहेगा______![]()
ये कैस्पर कंट्रोल रुम छोडकर शीत महल गया तो क्या उसका फायदा सुयश टीम को मिलेगा
शेफाली झील की तली से कौनसा रहस्य उजागर करेगी
खैर देखते हैं आगे