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Non-Erotic समाज का बदलता स्वरूप

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Lovely Anand

Love is life
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प्रिय पाठकों,
मेरी दो नई कहानीयां
जो इस फोरम पर चल रहे कहानी प्रतियोगिता में पोस्ट की गई है।

बदलते रिश्ते और मानसी
जीवन -ज्योति

आपकी प्रतिक्रिया और मूल्यवान सुझावों की प्रतीक्षा में
 

Lovely Anand

Love is life
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मदद
आम आदमी की जिंदगी में समय की कमी हमेशा रहती है
 
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ये दुनिया मतलब की है। जहां हमे दिखता है कि इस काम मे हमारा फायदा है वही काम करते है। महिलाओं की मदद करने के लिए सब आगे आ जाते है ।परंतु गरीब आदमी की मदद के लिए कोई भी आगे नही आना चाहता क्योंकि गरीब आदमी की मदद करने से कोई फायदा होने की कोई उम्मीद नही होती
 
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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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मदद
आम आदमी की जिंदगी में समय की कमी हमेशा रहती है शर्मा जी भी इससे अछूते नहीं थे। हफ्ते में 2 दिन की छुट्टी मिलती जिसमें घर की साफ सफाई से लेकर राशन पानी जुटाने की सारी जिम्मेदारी उनकी होती।
रागिनी का कुछ ना कुछ हमेशा दर्द करता था। उसे शक की बीमारी थी कभी उसे लगता उसके माथे में दर्द है कभी धड़कन तेज हो जाती। वह ऐसी तरह-तरह की व्याधियों उसे घिरी रहती. इनमें से कुछ तो प्रकृति प्रदत्त थी कुछ रागिनी ने आमंत्रित की थी।

शर्मा जी और रागिनी दोनों ही ग्रामीण परिवेश से थे जब तक दोनों अपने हाथों से कार्य करते तब तक दोनों का स्वास्थ्य ठीक ठाक था परंतु पैसों से उन्होंने आराम तो खरीद लिया था पर जिम जाकर अपने शरीर का ख्याल रखना भूल गए थे। इन दो दिनों की छुट्टियों में वह अपना कार्य करते और रागिनी का इलाज कराते कभी इस डॉक्टर के पास कभी उस डॉक्टर के पास।
एक दिन रास्ते वह डॉक्टर के पास जा रहे थे। सामने एक लड़की अपनी मां को स्कूटी से लेकर जा रही थी तभी पीछे जा रही ऑटो ने उसे टक्कर मार दी। दोनों मां बेटी रोड के किनारे गिर पड़े शर्मा जी ने अपनी कार रोक दी। उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास हुआ। रागिनी मन ही मन कुढती रही परंतु शर्मा जी में मानवता जाग गई थी। उन्होंने उनकी गिरी हुई स्कूटी उठाई और मां बेटी से हालचाल लिया। दोनों के ही पैरों में चोट आई थी.
शर्मा जी ने पास खड़े ढाबे पर स्कूटी खड़ी की और मां बेटी को अपनी कार में बैठाकर हॉस्पिटल की तरफ चल पड़े। वह दोनों ही शर्मा जी की इंसानियत की कायल हो गयीं। रागिनी भी अब उस महिला से प्रेम से बात कर रही थी उसके पास कोई चारा नहीं बचा था। बातों ही बातों में उसने बताया उसके पति शालीमार थाने के प्रभारी है। शर्मा जी मन ही मन प्रसन्न हो गए कुछ ही देर में नंबरों का आदान प्रदान भी हो गया शर्मा जी ने उनके पति को फोन भी कर दिया।
कुछ ही देर में शर्मा जी रागिनी के साथ उन दोनों मां बेटी को लिए हुए हॉस्पिटल में खड़े थे। उनकी मरहम पट्टी कराने के बाद शर्मा जी ने उन दोनों को घर छोड़ने की पेशकश की परंतु महिला ने कहा जी नहीं हम लोग ऑटो लेकर चले जाएंगे। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद आप जैसे इंसानों की ही की वजह से लोगों का मानवता पर भरोसा कायम है। उसने अपने हाथ जोड़ लिए थे शर्मा जी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। वह मन ही मन प्रसन्न थे कि आज एक जरूरतमंद इंसान की उन्होंने मदद की थी।
रागिनी को दवा दिलाने के बाद शर्मा जी प्रसन्न हो गए थे। अब रागिनी भी खुश दिखाई दे रही थी डॉक्टर ने उसकी बीमारी के बारे में कुछ अच्छी खबर दी थी। दोनों हंस हंस कर बातें कर रहे थे धीरे धीरे वह दोनों रोमांटिक हो गए रागिनी की इच्छा को भांप कर शर्मा जी उसे लेकर एक अच्छे रेस्टोरेंट में आ गए। दोनों ने अच्छे माहौल में डिनर किया और मन ही मन सुखद रात्रि बिताने के लिए घर की तरफ से वापस लौट पड़े।
रात के 9:00 बज चुके थे। रास्ता सुनसान था एक बूढ़ा व्यक्ति साइकिल पर कैरियर में लकड़िया बांधे धीरे-धीरे जा रहा था। अचानक रोड पर आए नीलगाय के झुंड से बचने की कोशिश में वह बुरा व्यक्ति रोड पर गिर गया उसके हाथ की हड्डी टूट गयी। वह कराह रहा था और मदद की गुहार लगा रहा था। शर्मा जी की गाड़ी भी रुकी हुयी थी। वो नील गायों के जाने का इंतजार कर रहे थे। शर्मा जी की निगाह उस बुजुर्ग पर पड़ी एक बार फिर उनके अंदर से आवाज आई। उस बुजुर्ग को निश्चय ही मदद की जरूरत थी। रागिनी मन ही मन कोई रोमांटिक गाना गुनगुना रही थी। शर्मा जी अपनी दुविधा में फिर खो गए। नीलगाय जा चुकी बूढ़ा कातर निगाहों से शर्मा जी की तरफ देख रहा था पर शर्मा जी की गाड़ी धीरे धीरे सड़क पर बढ़ने लगी। उनकी अंतरात्मा एक बार फिर उन्हें समझ पाने में नाकाम थी।
ऐसा क्यों होता है कि हम किसी की मदद उस व्यक्ति की हैसियत या सामाजिक कद के अनुसार करते हैं। क्या हमने अपने समाज को कई हिस्सों में बांट लिया है। शर्मा जी ने उस महिला और लड़की की मदद की पर उस बुजुर्ग की मदद वह नहीं कर पाए। ऐसा नहीं कि वह उसकी मदद नहीं कर सकते थे यदि उस बुजुर्ग की जगह यदि कोई वीआईपी या संभ्रांत महिला या पुरुष होता तो भी क्या शर्मा जी इसी तरह अपनी गाड़ी आगे बढ़ा देते।

मै यह प्रश्न पाठकों के लिए छोड़े जा रहा हूं। हम सभी ने अपनी मानवता का दायरा अपने हिसाब से बना रखा है। कुछ के दायरे छोटे हैं कुछ के बड़े। उम्मीद करता हूं कि हम सब अपना दायरा बड़ा करने की कोशिश करते रहेंगे ताकि एक दूसरे को जरूरत पड़ने पर मदद पहुंचा पाएं।
एक बात तो निश्चित है कि जिस समय आपको असली मदद की जरूरत होती है उस समय आपकी मदद कोई ऐसा व्यक्ति करता है जो शायद आपको न जानता हो।

धन्यवाद
भाई साहब, क्या बात है!! क्या खूब लिखा है आपने। बहुत बहुत उम्दा !!
 

Lovely Anand

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प्रिय पाठकों,
मेरी कहानीयां जो इस फोरम पर जारी हैं....

छाया (अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एवं उभरता प्रेम)
बाबूजी तनी धीरे से.... दुखाता

जो इस फोरम पर चल रहे कहानी प्रतियोगिता में पोस्ट की गई है।

बदलते रिश्ते और मानसी ( एक लघु कथा)
जीवन -ज्योति ( एक लघु कथा)


आपकी प्रतिक्रिया और मूल्यवान सुझावों की प्रतीक्षा में
 

avsji

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Lovely Anand

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भाई साहेब, और कुछ नहीं लिखेंगे यहाँ?
धन्यवाद याद करने के लिए. Aaj kal ek murder mystery likhne ka prayaas ho raha hai.
Mujhe pata hai ye sab chutiyapa hai par samay katane ka ek saadhan bhi hai. Karona kal me bachaa bhi kya hai...
 
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avsji

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धन्यवाद याद करने के लिए. Aaj kal ek murder mystery likhne ka prayaas ho raha hai.
Mujhe pata hai ye sab chutiyapa hai par samay katane ka ek saadhan bhi hai. Karona kal me bachaa bhi kya hai...
Badhiya! Intazaar rahega.
Haan... hai to chutiyapa hi.. lekin isi bahane kuchh creative hi sahi :)
 

Lovely Anand

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