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Shayari शायरी और गजल™

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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चांद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिए
हर जगह आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिए


सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना
ज़िन्दगी क्या है मुहब्बत की ज़बां से सुनिए

क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा उठाया जाए
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिए

मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ , मुझको वहाँ से सुनिए

कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनिए

चांद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी
ये कहानी किसी मस्ज़िद की अज़ाँ से सुनिए
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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चुप ना होगी हवा भी कुछ कहेगी घटा भी।।
और मुमकिन है तेरा जिक्र कर दे खुद़ा भी।।

फिर तो पत्थर ही शायद सब्र से काम लेंगे

हुस्न की बात चली तो सब मेरा नाम लेंगे।।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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यहाँ कोरोना है तो नींद में भी पैर हिलाते रहिये।।

वर्ना दफ़न कर देगा ये प्रशासन तुम्हें मुर्दा समझकर।।
 
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Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
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जिस शख्स को भुलाने के खातिर मैंने शहर छोड़ा था,,,

वो आज भी मुझे मुंह जुबानी याद है,,,
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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अब खुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला


हर बेचेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला

उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

दूर के चांद को ढूंढ़ो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आंगन में समाने वाला

इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सबकी दुनिया
कोई जल्दी में कोई देर में जाने वाला
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
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अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं


पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक
किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है
तुम को भूल न पायेंगे हम, ऐसा लगता है


ऐसा भी इक रंग है जो करता है बातें भी
जो भी इसको पहन ले वो अपना-सा लगता है

तुम क्या बिछड़े भूल गये रिश्तों की शराफ़त हम
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है

अब भी यूँ मिलते हैं हमसे फूल चमेली के
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है

और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी-कभी यूँ ही
चलता-फिरता शहर अचानक तनहा लगता है
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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बदला न अपने आपको जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से अजनबी रहे


अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे

दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम
थोड़ी बहुत तो जे़हन में नाराज़गी रहे

गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे

हर वक़्त हर मकाम पे हँसना मुहाल है
रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे
 

SKYESH

Well-Known Member
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यूं तो ए ज़िंदगी तेरे सफर से शिकायते बहुत थी,

मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे

तो कतारे बहुत थी।
 
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